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जैनसम्प्रदायशिक्षा
कभी २ भचतान थोड़ी और कभी २ अधिक होती है, रोगी अपने हाथ पैरों मे फैला दे तथा पछाई गारता है, रोगी के दात चँ जाते हैं परन्तु माय जीभ नहीं राती है और न गुम से फेन गिरता है, रोगी का दम घुटता है, वह अपना वोड़ता है, कपड़ों को फाड़ता है तथा छड़ना मारम्भ करता है ।
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तुमको
पर हुए दोनों धमकाना पाहिले ( मन ) महाक्षम 1 इग में आप की कसम को तो कभी किया कि यह बात भाग इसको मादी नहीं भी, परन्तु हम न भू निमल को अपनी भौर्याय (पक्ष) बाद, आता हूँ, गुनियरी श्रीकरी में मदीने में का धीन बार भूानी आया की घी में में बहुत उ छाड़ा पाकर या आदि करपान तथा उनके कहने के भनु तर बहुत यह भीगने किया परन्तु कुछ भी हुआ, आकार शाषा बनवासा एक उधार गिम्म, उस ने भूविनी को रियाल मा एषा जरा निकला परन्तु तुम से एक थी एक कामे ने उ पाव को स्वीकार कर लिया पीछे सलवार के दिन धामको महभर पाग भागा और गु मागम का आपा धीर (पस्या) भंगगामा और उप (1) मकर भरी श्री के हाथ में उले रिया भर लोगान की धूप बंधा रहा पीछ मन्त्र पढ़ कर बात की उस ने मारी और मेरी श्री में तुम्हें कुछ पीता मेरी श्रीनसभा धरण अब कुछ सही कहा तब मैं ने उन उप प्राधाद भूतनी ही पड़ा सुनको भा भीर भूतनी निकम पर पीछ जय पदो के अनुसार मैनएको एक उसने एक यन्त्र भी बना कर मेरी कदर पापा एक महीने तक मेरी श्री अच्छी रही पर
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श्री वृद्धि) भारि उत्तम काम के पिन का भी माने तो तुम कभी नहीं पाकी बस कायम तुम हो कि उड़ा देनेवाल धारामा प्रथम हम तुमसे
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પ્રથમ બંને નિમય ર માં જ ૬ માની પ્ર પણ હું મીસ તુમ ન કરો. હની મૂર્વ रहीम का वह निकाहुए मूर्तिमान पवित्र बेडर भी वह पार्थ जाना जाता है विना भूतनी
માની જ પડે ધ નિષદ દર હે મુતરી મામા નતુ તો આ ગ ૨}(sa) 4 ન
भूतनी का जब को पूरी भारी नहीं
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