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मेनसम्मवानशिक्षा ||
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सके, गोड़ी देर के बाद हम को छोड़ देना चाहिये ( हाथ को जमा कर सेना चाहिये भर्थात् हाथ से इन्द्रम को छोड़ देना चाहिये ) कि जिस से दवा का पानी गर्म होकर भाहर निकल जाये ।
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पिचकारी के लगाने के उपयोग (काम) में आने वाली दवाइयां नीचे लिखी जाती है:१९ - सखफोकार बोलेट बाफ जिंक २० प्रेन सभा टपकाया हुआ (फिस्टर वि क्रिया से शुद्ध किया हुआ ) पानी ४ औंस इन दोनों को मिला कर उपर मिले क्नु सार पिधकारी खगाना चाहिये ।
२०- सेन्ड गाटर ३० से ४० मिनिम, जस्त का फूल १ से ४ प्रेन, अच्छा मोरयोगा १ से ३ मेन सथा पानी ५ भैंस, इन सब को मिला कर ऊपर कही हुई रीति के अनु सार पिचकारी लगाना चाहिये ।
२१ – कारबोलिक एसिड २० प्रेन तथा पानी ५ भौंस, इन को मिलाकर दिन में वार मा पांच बार पिचकारी लगाना चाहिये |
२२ - पुटासीपर मेंगनस २ मेन को ४ मोंस पानी में मिला कर दिन में तीन मित्र कारी लगाना चाहिये ।
२३- नींबू के पते, इमली के पत्ते, नींव के पत्ते और मेहदी के पत्ते, प्रत्येक दो दो सोछे, इन सब को नाम सेर पानी में मटा कर दिन में तीन बार उस पानी की पिचकारी गाना चाहिये ।
२४ - मोरोमा १ रची, रसोत १ मासा, अफीम १ मासा, सफेदा गरी १ मासा, गेरू ६ मासे, बबूल का गोंद १ दोला, फखमी धोरा ३ रसी तथा माजूफक १ मास्रा, पहिले गोंद को १५ सोले पानी में घोंटना ( सरल करना) चाहिये, पीछे उस में रसोव डाल कर घोंटना चाहिये, इस के बाद सब औषधियों को महीन पीस कर उसी में मिटा देना चाहिये तथा उसे छान कर दिन में सीन बार पिचकारी लगाना चाहिये । विशेष षक्तम्प – उमर किसी हुई दवाइयों को अनुक्रम से (क्रम २ से ) काम में मना पाहिजे अर्थात् यो दवाई प्रथम जिसी है उस की पहिले परीक्षा कर देवी चाहिये, यदि उस से फायदा न हो तो उस के पीछे एक एक का अनुभव करना चाहिये अर्थात् पांच दिन तक एक दवा को काम में खाना चाहिये, यदि उस से फायदा न माम हो तो दूसरी वना का उपयोग करना चाहिये ।
उछ दामों में जो पानी का सम्मेल ( मिळाना ) किखा है उस (पानी) के बदले ( एवम ) में गुरुमय बल भी डाल सकते है ।
पिचकारी के किये एक समय के लिये जल का परिमाण एक भौस मर्यात् २ ||) रुपये भर है, दिन में दो तीन बार पिचकारी लगाना चाहिये, यह भी स्मरण रखे कि -पहिले