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जैनसम्प्रदायशिक्षा
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(खुद) ही जानते होगे कि श्रीतम देवी के नाम से जो शीतला सप्तमी (श्री सातम) के दिन ठड़ा (बासा अन्न) स्वामा जाता है उस से कितनी हानि पहुँचती है'। अब अन्त में पुन' यही कमन है कि मिष्या विश्वास को दूर कर अर्थात् इस रोग के समय में शीतला देवी के कोप का विचार छोड़ कर उस की वैधक वासानुसार नीचे छिली हुई चिकिस्सा करो जिस से तुम्हारा और तुम्हारे सन्तानों का सदा कस्याण हो ।
१- नींव की भीतरी छाल, पित्तपापड़ा, काळी पाठ, पटोक, चन्दन, रक (छाछ) चन्दन, लक्ष, बाला, कुटकी, बगला, अडूसा और काल धमासा, इन सब भौमों को समान भाग लेकर तथा पीस कर उस में मिश्री मिला कर उस का पानी बना कर रखना चाहिये तथा उस में से थोड़ा २ पिठाना चाहिये, इस से वाह और ज्गर आदि धान्य हो खता है तथा मसूरिका मिट जाती है ।
२ - मजीठ, बड़ ( भगद) की छाम, पीपर की छाल, सिरस की छाल और गूम फी छाळ, इन सब को पीसकर दानों पर छेप करना चाहिये ।
३- यदि दाने बाहर निकल कर फिर मीतर घुसते हुए मासूम दे तो वृक्ष की छाल का काम कर तथा उस में सोनामुखी (सनाम) का थोड़ा सा कर पिलाना चाहिये, इस के पिलाने से दाने फिर बाहर आ जाते हैं।
४ - यदि मुँह में सभा गले में मण हो या चाँदी हो तो माछा तथा मौकेठी का काम कर उस में शहद डालकर कुरसे कराने चाहियें ।
५-येगी नामक दानों को तथा मौकेठी को पीस कर उन का पानी का आँखों पर सींचना चाहिये, इस के सींचने से भागों का मभाग होता है ।
६-मोठी त्रिफला, पीड़ी, वालहम्दी, कमल, बाला, कोष तथा मम्मीठ, इन पोष को पीस कर इनका आँखों पर सेप करने से या इन के पानी की बूँदों को भैंस में
कचनार के चूर्ण मिला
१- जिसका कुछ वर्णन कर चुके है
तुम्हारा यह मिया विश्वास है इस बात को हम ऊपर दिख ही चुके है और तुम अब इस बा कोम भी सकते हो कि तुम्हारा में मिभ्या विश्वास है या नहीं? देखो! जब एक कार्यका कारण बैंक रीति से विषय का किया पषा तथा कारण श्री निति के द्वारा विज्ञान में कार्य की विवि मी प्रमाण द्वारा सहकों उपहरणों से सर्वसाधारणको मसक्ष विवम् दी फिर उस को न मानकर अपने हरम में उम्मत के सम्मान मिया ही कम्पना को बनाये रखना मिना विश्वास नहीं तो और क्या है। परन्तु प्रसिद्ध है - 'सुबह का भूला हुआ साम को भी पर था जाने से वह भूध्य ह कता है बस इस कमन के अनुसार अब निया के प्रथम के समय में बने मध्या विवा को दूर कर दो जिस से तुम्हारा और तुम्हारे माताओं का सा काम होने
३-भवान् उस पानी के छींटे पर समाये ह
४-मवात् श्रधों में किसी तरह की घराची ५-अपात्र हेर
उत्तम नेपाली ६ ॥