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जैनसम्प्रदामशिक्षा ||
२ - टरपेंटाईन कृमि को गिराती है इस लिये इस की चार ट्राम मात्रा को चार म अंडी के तेल, चार ड्राम गोंव के पानी और एक औस सोए के पानी को मिला कर पिछाना चाहिये ।
३ –मनार की जड़ की छाल एक रुपये भर खेकर तथा उस का चूर्ण कर उस में से भाषा प्रात काल तथा आषा धाम को घूरा के साथ मिला कर फेंकी बनाकर लेना चाहिये ।
४ - मायविड़ दो माछ, निसोत के छाल का चूर्ण एक माल मोर फपीका एक नास, इन सन औपभों को एक भौंस उकळते ( उमलते ) हुए जल में पान घंटे ( १५ मिनट ) तक भिगा कर उस का निसरा हुआ पानी लेकर दो २ नमसे भर सीन २ घंटे के बाव दिन में दो तीन बार खेना चाहिये, इस से मि निकल जाती हैं, परन्तु स्मरण रहे कि बुखार में यह दवा नहीं लेनी चाहिये ।
५- यदि पेट में चपटी कृमि हों तो पहिले जुलाब देना चाहिये, पीछे क्यालोने देना चाहिये तथा फिर जुलाब देना चाहिये ।
६-मेलर फे वेळ फी ३० बा ४० दूवें सौंठ के जल में देनी चाहियें और चार घंटे के पीछे अंडी का तेल अथवा जुखफे का जुलाब देना चाहिये ।
७- दिवांतू के समान कमि हो यो क्यामोमेल तथा सेंटोनाईन के देने से वे निकल जाती हैं, परन्तु ये कमियां बारभार हो जाती है, इस किये निमक के पानी की, कपासियों के पानी की, अथवा लोहे के अर्क में पानी मिला कर उस की पिचकारी गुणा में मारनी चाहिये, ऐसा करने से कभि भुल कर निकल जाती है ।
८- आप सेर निमक को मीठे जल में गला कर तथा उसमें से तीन वा चार मौस लेकर उस की पिचकारी गुदा में मारनी चाहिये, इस से सब कमियां निकल जाती हैं।
९- पिचकारी के लिये इस के सिमाम- चूने का पानी भी मुफीद ( फायदेमन्द) है, अथमा टिंफचर आफ स्टीक की पिचकारी मारनी चाहिये, यदि किपर भाफ स्टीम न मिले तो इस के बदले (एबन) में सिताम के पदों को बफा कर अथवा उन्हें पीस कर पानी निकाछ सेना चाहिय तथा इस पानी की पिचकारी मारनी चाहिये, यह भी
१-फळ (अक्की) वायविडग ही कृति राय का बहुत अच्छा समय है, वर्षादीन से पण मियां मिट जाती
१ उधार में इस दवा के देने से मन आदि से संभावना रहती है।
-यह एक अमजी भोप
पर भी है यह मस्कों में मि
-ससे
कृषिय - अर्थात् विनी के बाकी ॥
में बहुत
न्यायात उपच
है #