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चतुर्थ अध्याय ॥
अतीसार (डायरिया) का वर्णन ॥ कारण-अजीर्ण रोग के समान अतीसार (दस्त ) होने के भी बहुत से कारण हैं तथा इन दोनों रोगों के कारण भी प्राय. एक से ही है', इन के सिवाय अतिशय ( अधिक)
और अयोग्य खुराक, कच्चा फल, कच्चा अन्न, बासी तथा भारी खुराक, इत्यादि पदार्थों के उपयोग से भी अतीसार रोग होता है, एवं खराब पानी, खराव हवा, ऋतु का बदलना, शर्दी, भय तथा अचानक आई हुई विपत्ति, इत्यादि कई एक कारण भी इस रोग के उत्पादक ( उत्पन्न करनेवाले ) माने जाते है ।
लक्षण-वारंवार पतले दस्त का होना, यह इस रोग का मुख्य चिह्न है, इस के सिवाय-जी मचलाना, अरुचि, जीभपर सफेद अथवा पीली थर का जमना, पेट में वायु का बढ़ना तथा उस की गडगडाहट का होना, चूंक तथा खट्टी डकार का आना, इत्यादि दूसरे भी चिह्न इस रोग में होते है।
इस बात को सदा ध्यान में रखना चाहिये कि अतीसार रोग के दस्तों में तथा मरोड़े के दस्तों में बहुत फर्क होता है अर्थात् अतीसार रोग में पतला दस्त जलप्रवाह ( जल के बहने ) के समान होता है और मरोड़े में आतें मैल से भरी हुई होती है, इस लिये उस में खुलासा दस्त न होकर व्यथा (पीडा) के साथ थोडा २ दस्त आता है तथा आतों में से आँव, जलयुक्त पीप और खून भी गिरता है, यदि कभी अतीसार के दस्तों में खन गिरे तो यह समझना चाहिये कि यह खून या तो मस्से के भीतर से वा खून की किसी नली के फूटने से अथवा आतों वा होजरी में ज़खम (घाव ) के होने से गिरता है।
अतीसार के भेद-देशी वैद्यक शास्त्र में अतीसार रोग के बहुत से भेद माने है। अर्थात् जिस अतीसार में जिस दोष की अधिकता होती है उस का उसी दोष के अनुसार नाम रक्खा है, जैसे-वातातीसार, पित्तातीसार, कफातीसार, सन्निपातातीसार, शोकातीसार, आमातीसार तथा रक्तातीसार इत्यादि, इन सब अतीसारों में दस्त के रंग में तथा दूसरे भी लक्षणों में भेद होता है जैसे-देखो ! वातातीसार में-दस्त झाँखा तथा धूम्रवर्ण का (धुएँ के समान रगवाला) होता है, पित्तातीसार में-पीला तथा रक्तता (सुर्सी ) लिये हुए होता है, कफातीसार में तथा आमातीसार में-दस्त सफेद तथा चिकना होता है और
१-अर्थात् अजीर्ण रोग के जो कारण कहे हैं वे ही अतीसार रोग के भी कारण जानने चाहिये ।। २-खराव पानी के ही कारण प्राय यात्रियों को दस्त होने लगते हैं ॥ ३-अर्थात् साधारण भतीसार और मरोड़े को एक ही रोग नहीं समझ लेना चाहिये ॥
४-किन्हीं आचार्यों ने इस रोग के केवल छ ही भेद माने हैं अर्थात् वातातीसार, पित्तातीसार, कफातीसार, सन्निपातातीसार, शोकातीसार और आमातीसार ॥
५-दूसरे लक्षणों में भी भेद पृथक् २ दोपों के कारण होता है ॥