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जैनसम्प्रदायशिक्षा । के विरुद्ध हों तो उन्हें निकाल कर उस रोग को मिटानेवाली न सिसी हुई दवाइयों को भी उस नुसते में मिग देना पाहिये ।
११-पदि गोटी मानने की कोई चीन (रस भावि ) न लिसी हो तो गोसी पानी में पांपनी चाहिये ।
१५-जिस जगह नुसले में बनन न सिसा हो वहां सप दवाइयां मरार मेनी चाहिये।
१६-यदि घूण की मात्रा न सिसी हो तो यहाँ पूर्ण की मात्रा का परिमाण पाप मोठे से केफर एक तोळेतक समझना चाहिये परन्तु जहरीली चीज का यह परिमाण नही हा
१७-इस ग्रन्म में विशेप दवाइयां नहीं दिखाई गई है परन्तु बहुत से प्रन्यों में प्रायः पवन मावि नहीं लिसा रहता है इस से भवित लोग पडामा फरते ई उमा कमी २ पवन आदि को न्यूनाधिक करके तकलीफ भी उठाते है, इस लिये सब के जानने सिस संक्षेप से महापर इस विपय ने सभित करना भत्यावश्यक समझा गया ।
यह चतुर्थ भध्यायका औपपश्योगनामझ तेरहवां प्रकरण समाप्त हुभा ।।
भीर सियारीमा में पनर रेसभा में पापरामसभमा में पम भार मापी पस पापी मभाष में पमार पीट रामरोभभाव मादी रसात के अभाव में दामी सोरम मि समान में फिरपरी बसपा प्रभाष में सतमेस भारंगी मात्र में सात मपारी पा समान में मनमक, मुमध्यभभाष में पावनपुष भामरेस पभभाष म म परे भभाष में मारीमा पर रास भीर सम्मारी दोषोभभाष में कपुर प्रपूर मामभभाष में आम कस्तरीमभाव में प्रेम प्रे माप में बममै पपून परममाव में मुगएप मोरा भपका पटना कमर समात्र में पाम भये प्रम भीषण (देव समस) भमान में कपर पर भोर कम भाव में म परम सत्र पमर भभार में मोगा मतीम रे भभाष में मानरमामा रामभाव में भागा नामपर भभाष में कमा अपर महा मामेभार में मर जीरक समाभिमान में भरारीपर प्रोमी दार अप्रेम के भभार में मसर्मप भी निभभाप में पाराम पाराहीम भाग में पर्व पराय, निम भभार में मम्म परम भरा प्रिय ईपमान में भरसम पुन . अभय में नाम की मार में स्पमयी रोग मधिच (समधिम भीर रनवमधिम)
भभाप में मर्म गर मुराधनपर रगतममक प्रभार में प्रविमरी मम्म प्रतिक मनार में (R0) मा मादी भाग में मोदी सौप सार भर में पुण्यापा मिश्रीनार में पर पूरा सफर पूरेमभाव में पपर गौर पर भभाष में मूम प्रस भगरा ममूरनरम मारि