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अनसम्प्रदायशिक्षा ॥
__ज्वर के सामान्य कारण ॥ भयोग्य आहार और भयोम्प पिहार दी ज्वर के सामान्य फारम है, क्योंकि हनी दोनों कारणों से शरीरस (शरीर में सिस) पातु विकत (विकार पुक) होकर ज्वरो उत्पन करता है।
यह भी स्मरण रहे कि-अयोग्य माहार में पहुत सी मावों का समावेश होता है, वैसे पहुत गर्म सभा पहुत ठरी खुराक का साना, पहुत भारी सुराक का साना, विगड़ी हा और मासी खुराक का साना, प्रकृति के विरुद्ध स्वराक का खाना, धातु के विरुव सराक का साना, भूख से भषिक साना तथा पूपित (दोष से युक) बल का पीना, इस्मादि ।
इसी मनर भयोग्य विहार में भी बहुत सी पातों का समावेश होता है, बसे-पाव महनत का फरना, बहुत गर्मी उमा महुत ठंद का सेवन करना, महुत विकास करना प्रभा सराव दवा का सेवन करना, इत्यादि । मस मे ही दोनो कारण भनेक प्रकार के ज्वरों को उत्पन्न करते हैं।
ज्वर के सामान्य लक्षण ॥ ज्वर के बाहर प्रकट होने के पूर्व मान्ति (मकापट), पिस की विफलता (पैनी)। मुस श्री विरसता (विरसपन षर्मात् साद न रहना), भासों में पानी न आना जमाई, टट हमा तथा धूप की वारवार इच्छा भोर भनिन्छा, भगों का टूटना, घरीर में भारीपन, रोमाप का होना (रोगटे खड़े होना) तया भोजन पर अरुषि इत्यादि पर होते है, किन्तु ज्वर के माहर प्रकट होने के पीछे (ज्वर भरने के पीछे ) स्वचा (पमही) गर्म मासुम पाती है, यही नर का प्रफट पिए है, स्वर में माय पिस भषमा गर्मी म मुरुम उपद्रव होता है, इस लिये ज्पर के प्रष्ट होने के पीछे शरीर में उप्णता के मरने के साथ उमर लिसे हुए सब पि मरम्पर पने रहते हैं।
वातज्वर का वर्णन ॥ कारण-विरुर आहार और बिहार से फोप को प्राप्त हुभा पायु मामाशय (होजरी) -
भोम्म भातार बर मयाय भिरार इन नोटाबामास में ferd Awaभारास भारि भानुभो विपरम Ant प्रेरता ॥
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