________________
१८८
मैनसम्प्रदायशिक्षा | फिन्तु शीतग न सुवाये हुए पां में से इस रोग से सौ में से प्रायः चार्गस मरते हैं और शीतला को खुदामे हुए बचों में से प्राय सौ में से छ' ही मरते हैं।
इस प्रकार का विष शरीर में प्रविष्ट (वासिल ) होने के पीछे पूरा असर कर लेने पर प्रथम नर के रूप में दिखाई देता है मौर पीछे शरीर पर दाने फ्ट कर निकते हैं, यही उस के होने का निश्चय करानेवाला पियो ।
शील, शीतला वा माता (स्मालपाक्स) का वर्णन ॥ भेद (प्रकार)-धीवग दो मधर की होती है-उन में से एक प्रकार की बीवम में तो दाने गोरे भौर दूर २ निकलते हैं तथा दूसरे प्रकार की शीतला में वाने बहुत होते हैं समा समीप २ (पास २) होते हैं भर्मात् दूसरे प्रकार की शीतठा सब शरीर पर फूट पर निकलती है, इस में वाने इस प्रकार भापस में मिल जाते हैं कि-सिस भर भी (नरा मी) बगह सारी नहीं राती है, यह दूसरे प्रकार की शीतला बहुस करवाया भार मयकार होती है।
१-या रोम दिममव में भी पहिले पात वा मा गरर मर साहस रिवेक-थान में पा गध के प्रमित होने से पहिले प्रमेकपए मछु में एक पत्यु पीतम परम होती थी परमा प्रमेक पचासी मृत्यु में पर एक सीवम से होती पना वर्ष तक समन के भीतमयस में पौवा रोगियों में से पंधीय मनुषों के मगमग मरते परम्त पप से भी बाम नमा गई। तब से दो सौ मनुषों में से बिना मेका मगपापा पा पर एकही मरा। बिन बाविया में बीस मगामे म प्रचार परगणा एकम्मर में से मात्र पो म्युचो पीवण मिश्ठी । पान पन मे-ये टीघ्रम्पएकार में से पानी सौवमा निकासी॥ र समसब साग मित-म ने स्पटी में सन् १
से हिसार सन् १८१५ तक ५ ६ सीवम रोगों का भी निर में से १५ ने मेम न ममममा बारम में से १ मरे, सचर को मिमें ने यन पनामा पा पिरीवम निम्मे और न में से बम वीर मरे मममम मनुष्यों में से पिता ने मारी बार ममपागा का एक ही मरा सन् १८५014 मेघ के मासेम्स मबर में महामारी फैमें उस समय उस पगर में ४ पास इशार) मामा पसते पे चित्र में से। (समर) पगामा बा. (योगार) सफर तराम मरम्म्य पामोर (मागार) ने मैच नहाँ पपागापा तीस हमार मंत्र मोहुए मनुषों में सेरोगार के सीता निकम्म भौर ग्न में से बम बीस मो इस मेस से पाठक गम नगान मम मम प्रपर से समाप्त मरेगे ताप पान-सम्म प्रमाणे से पर बाव सिख हो पु
प मामा मनुषको मौतम से पचाता है और पार से ऐफ मई पता वो उस में प्रयाभरणी कम कर देताइल्ने पर भी मारवनिवासी बब मनुमति , मग पारपसम्म पेमामे मारेलीचर भरे इस सेपिल क्या पावणेसातीहै। पोबर विपवर-मिन उपायों से सप प्रापरवा की संभावना ऐवी और नियमप्रतिषिव गल ने परीक्षा र मममरी मयमा माप मपनी मृर्वतार परम उन उपाय मी मिरपर भवरे।