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बेनसम्प्रदायशिक्षा ॥
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५ ३ से ५ षपतफ ॥ १॥ राम ॥ १२ प्रेन ॥
१ प्रेन। ६ ५ से ७ वर्पतक ॥ २ राम ॥ १५ प्रेन ॥ ५ मेन ।
७ से १० वर्पतक ।। ३ राम ।। २० प्रेन ॥ ७ प्रेन ॥ ८ १० से १२ पर्पस ॥ ॥भांस | ॥राम ॥ ॥ स्कुफ्र । ९ १२ से १५ वर्पतक ॥ ५ राम । १० मेन ॥ १. प्रेन ॥ १० १५ से २० षपेतक॥ ६ राम ॥ १५ मेन ॥ १५ प्रेन ॥ ११ २० से २१ वपतक॥ १ भोंस ॥ १ड्राम ॥ १ हपत ॥
विशेष सूचना-१-मात्रा अन्न मिस २ जगह मिसा हो वहां उसका मर्य या समझना चाहिये कि-इतनी दवा की मात्रा एफ टक (वस्स) की है।
२-अबसा के अनुसार दवाइयों की मात्रा का भगन यपपि उसर मिला है परन्तु उस में भी ताकतवर पोर नावाकस (कममोर) की मात्रा में भपिकता सभा न्यूनता करनी पोहिमे समा सी भोर मनुप्य की जाति, मासु तथा रोग के प्रकार भाषि सब बातों का विचार कर दवाकी मात्रा देनी पाहिये।
-पाक को नहरीठी दमा फभी नहीं देनी चाहिये, अफीम मिरी हुई वा भी चार महीने से कम अवस्थाबारे पाठक को नहीं देनी चाहिये, किन्तु इस से भषिक भयस्थापासे को देनी चाहिये और वह भी निक्षेप आवश्यम्सा ही म देनी चाहिम तभा देने के समय किसी विद्वान् पैप वा राक्टर की सम्मति लेकर देनी चाहिये ।
१-पूर्ण (डी) की मात्रा अधिक से मपिक दो पार के मन्दर देनी पाहिये तमा पतली दया पार भाने मर भपया एक छोटे चमचे भर देनी पाहिये परन्तु उस में दवाई के गुण दोप तया स्वभाव का पिचार भयश्य करना चाहिये।
५-जो दवा पूरी भवस्था के भावमी ने जिस बमन में दी जाने उसे उपर मिसे भनुसार अवस्थाक्रम से भाग कर देना चाहिये।
५-पाठाको सोठ मित्र पीपल भोर मा मिर्च भावि तीक्ष्ण भोपपि समा मावक (नधीठी) भोपपियां कभी नहीं देनी चाहिये ।
- रस परिप्रसार करने से पति भासमता म मि सचिम विचार रोषधिमाश में म्यूपिता रमेमी पाहिले.
२-मामा पापी मासे में उसके पिर में भवेट पिचर उसमये ?R गरीर में सम्मिा पर बन भीर पर मे भनेकाम परवे
- बार महीने से समस्पाम राम भम मिश्र रेरा पनि प्रमान से गया. ___-रिपेर भास्था में प्राथा पराजित देने से पास प्रभासी से पायो भीर रस से PAAI पहुंची।