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अनसम्मवायशिक्षा ७-चतायलोफन-इस रोग में सप वस्तुयें सफेद दीसती है। ८-श्वेतषिद्कस्प-स रोग में वस्त्र सफेद रंग फा उतरता है। ९-श्वेतमूत्रप्ता-इस रोग में पेशाम शेठ (सफेद) उतरता है। १०-श्वेतांगवर्णता-इस रोग में शरीर का रंग सफेद हो पाया है। ११-उष्णेच्ण-स रोग में भति गम पदार्थ के खाने की इच्छा होती है। १२-तिकफामता-स रोग में फर्स पीन की इच्छा होती है। १३-मलाधिक्य-नस रोग में वस्व अधिक होफर उतरता है। १४-शुमपाल्य -स रोग में वीर्य का भधिफ समय दोसा है। १५-पाहुमूत्रप्ता--इस रोगों पेक्षाप पात भाता है। १६-आलस्य-परा रोग में मासस्य माहुत भातारे। १७-मन्दयुद्धिस्य–स रोग में बुद्धि मन्द हो जाती है। १८-सृप्ति-नस रोग में छोड़ा सा साने से ही एप्ति हो जाती है। १९-घर्घरयाफ्यता-स रोग में आयाज पर्पर होकर निकसती है। २०-अचेतन्य-इस रोग में वेतनता जाती रहती है।
सूचना-पफ का फोप होने से शरीर में से उक रोगों से एक अथवा अनेक रोगों फेवर प्रथम वीस परें तम उन फो सूप सोच समझ फर रोगों का इलाज करना चाहिय ।
का के रोगों में जो तापोकन तथा श्रेतपिट्फस्य रोग गिनाये गये है उन १ वास्पर्य यह नहीं है फि सप पस्तुयें पर्फ के समान सफेद दीसे सपा पर्फ के समान सोर वत आने, किन्तु उन का तात्पर्य यही है कि भारोम्मता की रक्षा में पैसा रंग पीसता या सभा भिस रंग का दम भावा वासा रंग न वीस फर तथा उस रंग प्रपतन दोकर पूर्व की अपेक्षा अधिक वेस वीसता है वा भधिक घेत दस भाता है॥
वह पसु भध्याय का भिवोपन रोगपर्मन नामफ ग्यारहयो प्रकरण समाप्त हुमा ।।
यारहवा प्रकरण-मोगपरीक्षामकार ।।
रोग की परीक्षा के आवश्यक झम या प्रकार ॥ रोग की परीक्षा के बहुत से प्रकार हैं-उन में से तीन प्रमर निमिध शाम के द्वारा माने जाते हैं, जो कि पे-राम, सकुन और सरोदय, सम के द्वारा रोग की परीक्षा इस प्रकार से दोगीदेटि-रोगी प्रेया उसपी सम्बन्धी को या उप निर्षि रराक (रोगी की निरिसा करने याने)२१को पो सम भाने उसका शुभाशुभ फत