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चैनसम्पदामशिक्षा एक होव है वह एक मिनट में ११० पार दीसा तथा तंग होता है भौर खून को पत्र मारवारे परन्तु नीरोग शरीर में अबस्था के मेव से नाही की गति भिम २ होती है निसका वर्णन इस प्रकार हैसंध्या। भवसाभेद । एक मिनटमें नाड़ी फी गति का कम ।
मारक के गर्मस होनेपर ॥ ११० से १५० मार ॥ तुरस जन्मे हुए नारक की नारी ॥ १५० से ११० मार ॥ पहिले वर्ष में ।।
११५ से १३० मार ॥ दूसरे वर्ष में ॥
१०० से ११५ मार ॥ तीसरे मर्प में ॥
९५ से १०५ पार ॥ चार से सात वर्पतक॥
९० से १०० बार ॥ पाठ से चौवह वर्पतक ।
८० से ९० पार ॥ पन्द्रह से इकीस पर्पटक ॥ ७५ से ८५ पार ॥ ९ पास से पचास पपेत ।।
७० से ७५ पार ॥ १० नुरापे में ॥
७५ से ८० पार ।। नाडीज्ञान में समझने योग्य पास-१-रमारे कुछ सालों में तथा भाई निक प्रन्यों में नाड़ी का हिसाब पों पर मिला है, उस हिसाब से इस हिसाब में योग सा फर्क है, या हिसाम चो लिला गया है या विद्वान् शक्टरों का निपम किया पुमा है परन्तु बहुत माचीन वेषक प्रत्तों में नाडीपरीक्षा कहीं भी ऐसने में नहीं भाठी ४ इस से मह निमय होता है कि यह परीक्षा पीछे से देशी वैषों ने भपनी बुद्धि के द्वारा निकाली है सबा उस को देखकर यूरोपियन विद्वान् राक्टरों ने पूर्योक हिसाप लगाया है। परम्म यह हिसाब सर्वत्र ठीक नहीं मिम्ता है, क्योंकि गाति मौर स्थिति के भेद से इस में फर्क पड़ता है, देसो! उपर के फोठे में नीरोग बरे भादमी की नाड़ी की पाक एक मिनट में ७० से ७५ पारसक पसई परन्त इतनी ही भवस्थानाठी नीरोग भी नाही की पासपीमी होती है भर्षात् पुरुप की भपेक्षा भी की नाही की पा वध गाय कम होती है, इसी प्रकार स्थिति के भेद से मी नाही की गति में भेद होता है, देसो. सड़े हुए पुरुष की अपेक्षा बैठे हुए पुरुप की नाही की पार पीमी होती है भौर नींद में इस से भी मपिक धीमी होती, एवं कसरत करसे, पौडवे, पसते सबा परिणम का नमरते हुए पुरुप की नाही की पाठबा बाती है, इस से स्पष्ट है कि नाड़ी का गति का नई मिमित हिसाब नहीं है किन्तु इस का यथार्ष धान भनुमयी पुला अनुमय पर ही निर्भर है। २-मार श्रेप मा सीम को दोनों हाथों की नाड़ी देसम्म पाहिमें, क्योंकि कभी २ एक दाम की भोरी नस भपनी हमेशा की जगह को छोड़ कर