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चैनसम्प्रदायश्चिक्षा । किसी का मित्र होता है, मिमित प्रकृतियाठा म से कोई २ पुरुप दो प्रकृति की प्रमनताराते तया कोई २ तीनों प्रकृतियों की प्रधानतावारे भी होते हैं।
गम मिचामनाला मनुष्य प्राय धीम ही श्रेष तथा मुखार के आधीन हो जाता है। ठठे मिजानवाला मनुष्य प्राय शीघ्र ही शर्दा फफ और दम भादि रोगों के पापीन हो जाता है, एक वायु प्रकृतिवाला मनुष्य माप शीघ्र ही वादी के रोगों के भाषीन हो जाता है।
ययपि मूत्र में तो यह प्रतिरूप दोप होता है परन्तु पीछे जन उस प्रकृति में कि गारनेवाले माहार विहार से सहायता मिलती है सब उसी के अनुसार रोगोत्पति हो बासी है, इसलिये मरुति को भी शरीर को रोग के मोम्य मनानेवाले कारणों में गिनते हैं। ग्या देना चाहिये । पुरिमान बन यपपि स पाये थे उरीतियों के पास प्रभार से बात
पगे तथापि साधारण पुस्मों मना समीतियों में हानियों पसंप से पर्मन त -
बपत में पाव भीरभार का छे जाना-प्रथम तो बरी विचार करा चाहिने किरात सेब ठाठ पाट से मे खाने में दोनों तरफ मेमोने म प्रेता है और मन प्रफल तथा वापर सपर यहीं बन परवाइस के सिवाल पर उपर प्रपय मी पात से ता भव पत्र भूमपाम से परावने पाने की कोई भारयन्ता नहीं है, बरन पोरी सी परात अच्छे सपन के साथ पाय पति उत्तम क्या योगी सी बरात परोनो तरफ पारे उत्तम राम पाल पारि से अच्छे प्रमर से सत्पर र मफ्नी सोमा प्रथम रख सकते है सके सियान यह भी विचार की बात है-स प्रर्म म विष्प पन नम्गाना , क्याल सई विरस्थायी धर्म को हैपी सिप रो मन की बात भषिक रात गाने में नेमामी में प्राथ व्य मापा
किन्तु परमामी की ही सम्माषना यदी। मोहिया की पाव tin समर्ष पुस में भी पार से बोचरी इसके मनुस्पा पूरा न करन में टिगता पर बसपा बानिय के भावर पत्थर मे जरा अनि हरी को सौन परावी न पर्व परेममु पुम्स की पराव न पपेरे पहाँ बाने पीने तक भी प्रबन्म मरमा सम मेम भूरों के मारे मरते वे पानी ठप बाबा बास मी स्यब पर पर मिस्वा वा पर सेम्बारेमाने के समय ये पग पीप साप (मने पाप) मते थे परन्तु पहा पो म पाये मासे से में रोमानि कहिये पर विना अपामा प्रसाद है। एक दो पर चामे और दुसरे से स में क्मा प्रपदा।समय बुदिमागे प्रे सी बरात पामा चाहिये।
पर पा लूट-परेर प्रममाघे सर्व प्रपर ही महा सनिकारक पार्षो । पर का काम मुसार प. मयी माहिच पाति केसेप तमा के गरे अपाहर पढ़ और दुषः भाविको होवे ६ साकिमान री पम पर नगर निवासियों में से सब ही मेरे बरे और भयरिया पर उषा नागारों में मेरमो मग बात है, पर बनेपा यहाँ म मुश्षिा अधिक मारवा नियों तथा मनु समावनिक सेवग्न मुष्टियों सहमा की पुस