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वैनसम्प्रदायशिक्षा । -मारी सुराक से-भपषी, वस्त्र, मरोड़ा चौर सुसार भादि रोग उत्पन्न होते हैं। ८-मात्रा स अधिक सराफ से-दन, मवीर्ण, मरोरा और ज्वर भादि रोम उसा
होते हैं। ९-मात्रा से न्यून सुराक से-सय, निस्ता , पेहरे भोर घरीर फीकापन भौर मुसार
मादि रोग उत्पन होते हैं। इस के सिपाय मिट्टी से मिली हुई खुराक से-पातु रोग होता है, बहुत मसानदार शुराक से यकृत् ( कया मर्यात् ठीवर ) विगढ़ता है भोर बहुत उपवास करने से शूल और वायुमन्य रोग मादि उत्पन होकर शरीर को निर्मल कर देते हैं। से मच्छे प्रसर से पामते भी है वो मी इसने नहीं पड़वे है, संसार की बने रहनामि प्रेता पर उठाये है भी एप से मस नई मोवे इस डीवि की जो पिसप्रेसरे क्या क्सम्म किन्तु पाम तपास सर्व सामान ही बतमा देखे! या मुस सेवा रेप पेस्मा पाटील या उपरेशमिता - सपैया-भम प्रसार पन बावरे साचिन को।
एक र पुण्य मापत, नहिं भारत मज भरा दिन । मिरवण भने
पुरवास पुन नि । तब ग्वर पर बात मत श्रेइन में एक समय का प्रमो-किसी मामपान व महा एक मामष ने मायब मा कार्य म उस देश मे कमा पर गए तीस समे पाये परन्तु रसौ भाम्पवान् केपी र पुरपशिर मा तो उस ने पेसा गुमाई और उसे पत सो सपे दिये ग्स समय उस प्रामण मे -- पोहा-उमरी गति पोपाल की पट गई मिस्वा पीस।
पमखनी को सात सी ममपराम को वीस ॥१॥ प्रिपरो! मप में माप से नही कामा -परम्प विचार में भी सपर भी रेप पर्व को पोय ही मारतसन्यास रसरसिरे बेस्या के माम मामेभी प्राधे पास माग पीरिये भमपा (एएस माय मरमे से) धम्मति देने या पाए मो योपी मास में माधि-विसा विषयमापन परमा सम्पति स्म to
मांर-श्या प्रम के समान इस रेस में मांग के मामे में भी प्रपामा पीस प्रमीयमेव करमा चार, मनिपे-मोही पेसामों के अप से निधिन्त हुए मोही मार्ग पर पर्सत के मम्मी मावि मतिर पोय योग्य मा मिस पड़ा भर म्मी पाdि परने यो मिसी में शो मेपो में पपत समाजको पो मात P t, एकमत
मिवाबो समय प्रताप तात्पर्य यहोरेन बवेक प्रभाव मते या ऐसी १ पसेमा और य मममी पेठची मोर पापी गरी प्रतिम में पान पाबावाऐसे १ चमों परपरमपरते।
बिपने में मी स्वीचे पो सपा भावं