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जैनसम्प्रदायशिक्षा ॥
रक्तविकार आदि रोग उन्हें घेरे रहते हैं, देखो ! इस समय इस देश में बहुत ही कम पुरुष ऐसे निकलेंगे कि जिन को धातुसम्बन्धी किसी प्रकार की बीमारी नहीं है नहीं हो जिधर बाइमे उमर यही रोग फैला हुआ दीख पड़ता है, अस सम मनुष्यों को अपने प्राचीन पुरुषोंके सर वैद्यक शास्त्र के फमनानुसार तथा ऋतु और देश के अनुकूल श्वेताम्बर (सफेद वस्त्र ) पीताम्बर ( पीले वस्त्र ) और रक्ताम्बर ( ठाक बन ) यषि मांदि २ के बा पहरने चाहियें ।
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इस के सिवाय यह भी स्मरण रखना चाहिये कि वस्त्र को मैका नहीं रखना चाहिये, महुभा देखा जाता है कि योग बहुमुल्य बस्तों को सो पहनते हैं परन्तु उन की स्वच्छया पर ध्यान नहीं देते हैं, इस कारण उन को श्वरीर स्वच्छता से भी कुछ काम नहीं होता है, अत उचित यही है कि अपनी क्षति के अनुसार पहना हुआ कपड़ा अधिक मूल्य का हो चाहे कम मूल्य का हो उस को आठवें दिन उतार कर दूसरा लच्छ वस्त्र पहना जावे कि जिससे स्वच्छताजन्य काम प्राप्त हो, क्योंकि मकीन कपड़े से दुर्गन्ध निकता है जिस से भारोम्यता में हानि होती है, दूसरे पुरुष भी ऐसे पुरुषों से घृणा परवे है तथा उन की सर्व सज्जनों में निन्दा होती है ।
निर्मल वस्त्रों के धारण करने से कान्ति यश और भायु की वृद्धि होती है, भलक्ष्मी का नाश होता है, चि में हर्ष रहता है तथा मनुष्य श्रीमानों की सभा में जाने के मोम्ब होता है ।
तंग वस्त्र भी नहीं पहरना चाहिये क्योंकि सग बस्त्र के पहरने से छाती तथा फ (लीवर) पर दबाव पड़ने से मे भवयन अपने काम को ठीक रीति से नहीं करते हैं, इस से रुधिर की गति बन्द हो जाती हैं और रुमिर की गति के बन्द होने से श्वास की नही का तथा फलेने का रोग उत्पन होता है ।
इसके अतिरिक्त भवि सुर्ख और क्यों कि इस मकार 5 बल के पहरने से
भीगे हुए कपड़ों को भी नहीं पहरना चाहिये, कर प्रकार की हानि होती है।
इन सब बातों के उपरान्त मद्द मी आवश्यक है कि अपन देश के वस्त्रों को सब कामों में स्मना मोम्म है, जिस से यहां के क्षिरूप में उद्यति हो और मां का रुपया भी माहर को न खाये, देखो ! हमारे भारत देश्व में भी परे २ उच्चम और द वस्त्र बनते हैं, यदि सम्पूर्ण देखभाइयों की इस ओर दृष्टि हो जाने तो फिर देखिये मारत में कैसा मन बसा है, जो सर्व सुखों की बड़ है ।
७ विहार-विहार शब्द से इस स्थानपर स्त्री पुरुषों के स्वानगी ( माइनेट ) व्यापार (भोग) का मुरूपतया समावेश समझना चाहिये, यद्यपि विहार के दूसरे भी १ - बिहार वस्तु विहार को मेजी में विस्टेशन"