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चतुर्थ अध्याय ॥
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१३ - चेप - चेपीहवा से अथवा दूसरे मनुष्य के स्पर्श से बहुत सी बीमारिया होती हैं, जैसे- उपदेश (गर्मी का रोग ), वातरक्त, गलितकुष्ठ, प्रमेह, सुजाख, प्रदर, टाईफाइड तथा टाईफस नामक ज्वर ( शील ओरी ), हैजा, व्युव्योनिक प्लेग ( अग्निरोहणी ) और विस्फोटक आदि, इन के सिवाय और भी खाज दाद आदि रोग चेप से होते है ॥
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१४-ठंढ —-शरीर की गर्मी जब कम होती है तब उस को ठंढ कहते है, बहुत ठंढ से अर्थात् शर्दी से ज्वर, मरोड़ा, चूंक, मूत्रपिण्डका शोथ, सन्धिवात अर्थात् गॅठिया, मधुप्रमेह, हृदयरोग, फेफसे का शोथ, दम, क्षय और खासी आदि रोग उत्पन्न होते है |
१५ - गर्मी – शरीर की खाभाविक गर्मी से जब अधिक गर्मी बढ़ जाती है तब ज्वर, वातरक्त, यकृत्, रक्तपित्त, गर्मी की खासी, पिंडलियों का ऐंठना और अतीसार आदि रोग होते हैं, कठिन धूप की गर्मी से मगज की बीमारी, कठिन ज्वर, हैजा, शीतला और मरोड़ा आदि रोग उत्पन्न होते है, एवं शरीर पर फुनसियें और फफोले आदि चमड़ी की भी व्याधिया हो जाती है, जिस प्रकार विस्फोटक आदि दुष्टरोग दुष्टस्पर्श से उत्पन्न हुए गर्मी के विष से होते है उसी प्रकार गर्म पदार्थों के खाने से बढ़ी हुई गर्मी से भी इस प्रकार के रोग होते है ॥
१६ - मन के विकार -- मन के विकारों से भी बहुत से रोग होते है, जैसे- देखो ! बहुत क्रोध से ज्वर और वातरक्त आदि बीमारिया हो जाती है, बहुत भय से मूर्छा, कामला, चूक, गुल्म, दस्त और अजीर्ण आदि रोग होते है, बहुत चिन्ता से अजीर्ण, कामला, मधुप्रमेह, क्षय और रक्तपित्त आदि रोग होते है ॥
१७- अकस्मात् - गिर जाने, कुचल जाने, डूब जाने और विष खाजाने आदि अनेक अकस्मात् कारणो से भी अनेक रोग होते हैं |
सहायता करती है।
१८ - दवा - यद्यपि दवा रोगों को मिटाती है अथवा मिटाने में परन्तु युक्ति के विना अज्ञानता से ली हुई वा दी हुई दवा से कुछ भी लाभ नही होता है अथवा इस प्रकार से ली हुई दवा एक रोग को दवा कर दूसरे को उत्पन्न कर देती है तथा मूल से दी हुई दवा से मनुष्य मर भी जाता है, इस लिये इन सब बातों को अपनी गफलत में अथवा अकस्मात् वर्ग में गिनते हैं, परन्तु लेभग्गू नीम हकीम और मूर्ख वैद्य अपने अल्पज्ञान से अथवा लोभ से अथवा रोगी पर पूरी दया न रखने के कारण वे - पर्वाही से चिकित्सा करने से सैकडों रोगों के कारणरूप हो जाते हैं, देखो ! हजारों मनुष्य इन लेभग्गुओं के हाथ से मारे जाते है, हजारों मनुष्य इन के हाथ से कष्ट पाते हैं, इन बातों का कुछ दृष्टान्तों के द्वारा खुलासा वर्णन करते हैं.
१ - कहां से कोई तथा कहीं से कोई बात ले उड़नेवाले को लेभग्गू कहते हैं ॥
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