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चैनसम्प्रदायशिक्षा ॥ गर्मी की रात में बम अधिक गर्मी परती है तब शरीर का असमय तत्व और माहरी गर्मी शरीर के भीतरी भागों पर अपना प्रभाव विसाने उगती है उस समय दिन में भी थोड़ी देरतक सोना बुरा नहीं है परन्तु सब भी नियम से ही सोना चाहिये, पाठ से लोग उस समय में म्यारह बजे से लेकर सायकाठ के पांच भने तक सोते रहते हैं, सो यह वे अनुचित माचरण ही करते हैं, क्योंकि उस समय में भी दिन का भभिक सोना हानि ही करता है।
इसके सिवाय दिन में सोने से एक हानि भौर मी है और वह यह है कि-रात्रि में भवश्य ही सोकर विभाम लेने की पापश्यकता है परन्तु यह दिनका सोना रात्रि की निद्रा में नामा गम्ता है निस से हानि होती है।।
पहुव से मनुष्य भी इस मात को स्वीकार करते हैं कि दिन में सोकर उठने के बाद उन र शरीर मिट्टीसा और कुछ ज्वर भावाने के समान निर्मात्य (कुमलाया हुमा सा) हो जाता है।
दिन में भीतरह सोकर उठनेवाले मनुष्य के मुख की मुद्रा को देखकर लोग उस से प्रभ करते हैं कि क्या मात्र माप की तबीयत अच्छी नहीं है। परन्तु उपर यही मिस्खा है कि नहीं, नीयत तो अच्छी है परन्तु सोकर उठा है, इस से पर्सि गत दिखाई देती होगी, भग कहिये कि विन का सोना सुखकर हुमा कि हानिकर ।
दिन में सोने से शरीर के सब धातु सास फर विझत और मिपम मन जाते हैं तमा शरीर के दूसरे भी कई मीतरी मागों में विकार उत्पन्न होता है।
कुछ मनुष्यों का यह पन है कि-हम को मुस मिस्सा है इसलिये हम दिन में सोते हैं, परन्तु उन की यह वरील घस्ने योग्य नहीं है, क्योंकि मुस्म पास तो यह है फि उन के उपर भाम्स सवार होता है मौर उन्हें मेटते ही निद्रा मा चाती है, परन्तु
मरण रसना पाहिये कि दिन की निद्रा सामाविक निद्रा नहीं है, किन्तु वैकारिक पात् विधर को उत्पन्न करनेवाली, देसो! दिन में सोने में में से मनुष्यों समषिक माग इस बात को स्वीकार करेगा कि दिन में सोने से उन्हें बहुत से विकत सम भावे है, पहिये इस से क्या सिद्ध होता है ! इसम्मेि बुद्धिमानों को सवा दिन में सोने के म्पसन को मपने पीछे मही गाना चाहिये । ___ यह भी मरण रसना चाहिये कि-निस प्रकार दिन में सोने से हानि होती है उसी मफार रात्रि में बागना मी निकर होता है, परन्तु उपवास के अन्त में रात्रि नागना दानि नहीं करता, चि नियमित माहार पर के नागना शनि करनेवाला है, रात्रि में बागने से सम से प्रथम मनीर्म रोग उस्पन होता , भम सोपने की मात है किसाधारण भोर अनुज माहार की नम रात्रि में नागने से नहीं पता है वो अनुश्म्या