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जैनसम्प्रदामशिक्षा ||
इन अठारहों विषयों में से बहुत से विपयों का विवरण हम विस्तारपूर्वक पहिले मी कर चुके हैं, इसलिये यहां पर इन अठारह विपर्मो का वर्णन सक्षेप से इस प्रकार से किया जायगा कि इन में से प्रत्येक विषय से कौन २ से रोग उत्पन्न होते हैं, इस वर्जन से पाठक गणों को यह नाव झाव हो जायगी कि शरीर को अनेक रोगों के मोम्म बनाने बाले कारण न २ से हैं।
१ - हया - अच्छी दवा रोग को मिटाती है तथा स्वराग हवा रोग को उत्प करती है, स्वराब हवा से मलेरिया अर्थात् विपम जीर्ण ज्वर नामक बुखार, वस्ट, मरोड़ा, हैजा, कामला, भाषाधीसी, चिर का दुखना ( दर्द), मदामि और भजीर्ण भादि रोम उत्पन्न होते हैं।
बहुत ठंडी हवा से स्वांसी, कफ, दम, सिसकना, शोम और सन्विवायु आदि रोप उत्पन्न होते हैं।
बाग बहारी अर्थात् फूल की बारी की भी वर्तमान समय में वह बरी है कि काग भर भगरस (मोडल) के पूछों के स्थान में (पद्यपि मे भी फ्यूचर्चा में कुछ कम नहीं थे) हुंडी बोट चांदी सोने की कटोरियां बावान रूप और मार्पियों को तस्ता कपाने की मौत ब्य पहुची। जो वो सब ही प्रेम अपने रूपये और माफ की रक्षा करते है परन्तु हमारे देशमाई अपने इ t कोबीखों के सामने से होकर इसी से देव है और प्रत्यक वर्ष कर के भी कुछ समय प उठाते है, हो वह तो अगस्यमेव सुनने में भाता है कि अमुक भ्रमणमा साहूकार की बरात में अच्छी दतरह बचाई गई परन्तु न पची सामने न पहुँचने पाईक फूड य
गई जब प्रथम दो नही विचार करने का स्थान है कि विवाह के कार्य को प्रभा
ना
पहिले छटने की बमबाजी का मुँह से कि अमुक को फूल गई ) कैसा बुरा है। इसके सिवाय कभी ९ कल भी चल जाते है, जब ग्रेपी तथा फ्यकी उत्तर जाती है तब वह पूछ हाथ में आये है माझे करनेवालों की प्रतिष्म के बाने पर कुछ लिखता है, भाफ्स में दया हो जाने से बहुत सेमिट एक भी मौत पहुँचती है सब से बड़ी घोषनीय बात यह है कि विवाह जैसे हम कार्य के आरम्भ ही में घमी सामान है।
ही है, दरम्
माविशवाजी भाविष्णाजी से न तो कोई सांसारिक ही काम है और न पारकि गयों के पार्थन किये हुए बम की मात्र में जाकर राय की देरी का बना देना है, इस में मी मी इतनी होती है कि एक एक के ऊपर दस दस गिरते है एक इधर बोता है एक उपर बोया है इससे वहाँ तक भगवा मजा हैषा नेहम हो जाते हैं तब होता है कि किसी के पैर की पिथी किसी की कमी किसी की मांगों तथा सूर्य का किसी का दुपट्टा तथा किसी का अंगरखा जा क्या तथा किसी के हाथ भैष भुम बसे के छप्परों में भी आप जाती है कि जिस से चारों ओर हाहाकार से अम्पत्र भी भाग कपने के द्वारा
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कहानिया हो जाती है, कभी मनुष्य वषा पठ
मी
सफाया हु
इस से बहु
और