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चतुर्थ अध्याय ॥
३०१ सुडौल, बलवान् और योद्धा हो गये है कि जिन की कीर्त्ति आजतक गाई जाती है, क्या किसी ने श्रीकृष्ण, रोम, हनुमान्, भीमसेन, अर्जुन और वालि आदि योद्धाओं का नाम नहीं सुना है कि-जिन की ललकार से सिंह भी कोसो दूर भागते थे, केवल इसी व्यायाम का प्रताप था कि भारतवासियों ने समस्त भूमण्डल को अपने आधीन कर लिया था वर्त्तमान समय अभागे भारत में इस उस वीरशक्ति का केवल नाम ही रह परन्तु गया है ।
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बहुत से लोग यह कहते है कि हमें क्या योद्धा बन कर किसी देश को जीतना है वा पहलवान बन कर किसी से मल्लयुद्ध (कुश्ती) करना है जो हम व्यायाम के परिश्रम को उठावें इत्यादि, परन्तु यह उन की वडी भारी भूल है क्योंकि देखो ! व्यायाम केवल इसी लिये नहीं किया जाता है कि मनुष्य योद्धा वा पहलवान बने, किन्तु अभी कह चुके हैं कि- इस से रुधिर की गति के ठीक रहने से आरोग्यता बनी रहती है और आरोग्यता की अभिलाषा मनुष्यमात्र को क्या किन्तु प्राणिमात्र को होती है, यदि इस में आरोग्यता का गुण न होता तो प्राचीन जन इस का इतना आदर कभी न कि उन्होने किया है, सत्य पूछो तो व्यायाम ही मनुष्य का जीवन रूप के विना मनुष्य का जीवन कदापि सुस्थिर दशा में नहीं रह सकता है,
करते जितना
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इस के अभ्यास से ही अन्न शीघ्र पच जाता है, भूख अच्छे प्रकार से लगती है, मनुष्य शर्दी गर्मी का सहन कर सकता है, वीर्य सम्पूर्ण शरीर में रम जाता है जिससे शरीर शोभायमान और बलयुक्त हो जाता है, इन बातों के सिवाय इस के अभ्यास से ये भी लाभ होते है कि-शरीर में जो मेद की वृद्धि और स्थूलता हो जाती है वह सब जाती रहती है, दुर्बल मनुष्य किसी कदर मोटा हो जाता है, कसरती मनुष्य के शरीर में प्रतिसमय उत्साह बना रहता है और वह निर्भय हो जाता है अर्थात् उस को किसी स्थान में भी जाने में भय नहीं लगता है, देखो ! व्यायामी पुरुष पहाड, खोह, दुर्ग, जगल और सग्रामादि भयकर स्थानों में बेखटके चले जाते है और अपने मन के मनोरथों को सिद्ध कर दिखलाते और गृहकार्यों को सुगमता से कर लेते है और चोर आदि को घर में नही आने देते है, बल्कि सत्य तो यह है कि चोर उस मार्ग होकर नही निकलते है जहा व्यायामी पुरुष रहता है, इस के अभ्यासी पुरुष को शीघ्र बुढ़ापा तथा रोगादि नहीं होते हैं, इस के करने से कुरूप मनुष्य भी अच्छे और सुडौल जान पड़ते है, परन्तु जो मनुष्य दिन में सोते, व्यायाम नहीं करते तथा दिनभर आलस्य में पड़े रहते है उन को अवश्य प्रमेह आदि रोग हो जाते है, इस लिये इन सब बातों को विचार कर सब मनुष्यों को
अर्थात् व्यायाम क्योंकि देखो !
१-इन महात्मा का वर्णन देखना हो तो कलिकाल सर्वज्ञ जैनाचार्य श्री हेमचन्द्रसूरिकृत संस्कृत रामायण
को देखों ॥