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चतुर्थ अध्याय ॥ दशवा प्रकरण-रोगसामान्य कारण ॥
रोग का विवरण ॥ आरोग्यता की दशा में अन्तर पड जाने का नाम रोग है परन्तु नीरोगावस्था और रोगावस्था के वीच की मर्यादा की कोई स्पष्ट पहिचान नहीं है कि-इन दोनों के बीच की दशा कैसी है और उस में क्या २ असर है, इस लिये इन दोनों अवस्थाओं का भी पूरा २ वर्णन करना कुछ कठिन वात है, देखो । आदमी को जरा भी खबर नहीं पड़ती है और वह एक दशा से धीरे २ दूसरी दशा में जा गिरता है अर्थात् नीरोगावस्था से रोगावस्था में पहुँच जाता है। ___ हमारे पूर्वाचार्यों ने इन दोनो अवस्थाओं का वर्णन यथाशक्य अच्छा किया है, उन्हीं के लेखानुसार हम भी पाठकों को इन के खरूप का बोध कराने के लिये यथाशक्ति चेष्टा करते हैं-देखो ! नीरोगावस्था की पहिचान पूर्वाचार्यों ने इस प्रकार से की है कि-सव अंगों का काम स्वाभाविक रीति से चलता रहे-अर्थात् फेफसे से श्वासोच्छ्रास अच्छी तरह चलता रहे, होजरी तथा ऑतों में खुराक अच्छी तरह पचता रहे, नसों में नियमानुसार रुधिर फिरता रहे, इत्यादि सब क्रियायें ठीक २ होती रहें, मल और मूत्र आदि की प्रवृत्ति नियमानुसार होती रहे तथा मन और इन्द्रिया खस्थ रह कर अपने २ कार्यों को नियमपूर्वक करते रहें, इसी का नाम नीरोगावस्था है, तथा शरीर के अङ्ग स्वाभाविक रीति से अपना २ काम न कर सकें अर्थात् श्वासोच्छ्रास में अड़चल मालूम हो वा दर्द हो, रुधिर की गति में विषमता हो, पाचन क्रिया में विघ्न हो, मन और इन्द्रियो में ग्लानि रहे, मल और मूत्र आदि वेगों की नियमानुसार प्रवृत्ति न हो, इसी प्रकार दूसरे अगों की यथोचित प्रवृत्ति न हो, इसी का नाम रोगावस्था है अर्थात् इन बातों से समझ लेना चाहिये कि आरोग्यता नहीं है किन्तु कोई न कोई रोग हुआ है, इस के सिवाय जब किसी आदमी के किसी अवयव में दर्द हो तो भी रोग का होना समझा जाता है. विशेष कर दाहयुक्त रोगों में, अथवा रोग की आरम्भावस्था में आदमी नरम हो जाता है, किसी प्रकार का दर्द उत्पन्न हो जाता है, शरीर के अवयव थक जाते है, शिर में दर्द होता है और मूंख नहीं लगती है, जब ऐसे लक्षण मालूम पडें तो समझ लेना चाहिये कि कोई रोग हो गया है, जब शरीर में रोग उत्पन्न हो जाय तब मनुष्य को उचित है कि काम काज और परिश्रम को छोड़ कर रोग के हटाने की चेष्टा करे अर्थात् उस ( रोग ) को आगे न बढ़ने दे और उस के हेतु का निश्चय कर उस का योग्य उपाय करे, क्योंकि आरोग्यता का बना रहना ही जीव की खाभाविक स्थिति है और रोग का होना