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जैनसम्प्रदामशिक्षा ॥
सर्वहितकारी कर्त्तव्य ॥
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शरीर की मारोम्यता रखने की यो २ मुख्य बातें हैं उन सब का जानना और उन्हीं अनुसार चलना मनुष्यमात्र को योग्य है, इस विषय में आवश्यक वातों का मह संक्षेप से इस अन्य कर दिया गया है, अब विचारणीय नियम यह है कि शरीर की मारोग्यता के लिये वो २ भागश्यक नियम हैं वे सब ही सामान्य मजा जनों के बबीन नहीं है किन्तु उन में से कुछ नियम स्वाधीन है तथा कुछ नियम पराधीन हैं, देखो । भारोम्मताबन्य सुख के लिये प्रत्येक पुरुष को उचित माहार और बिहार की मावश्यकसा है इसलिये उस के नियमों को समझ कर उन की पावन्दी रखना यह प्रत्येक पुरुष का धर्म है क्योंकि महार और विहार के आवश्यक नियम प्रत्येक पुरुष के स्वाधीन हैं परन्तु नगरों की सफाई और भावश्यक प्रबन्धों का करना कराना आदि आवश्यक नियम प्रत्येक पुरुष के भाषीन नहीं है किन्तु ये नियम समा के लोगों के सभा सर्कार के नियत किये हुए शहर सफाई स्माते के अमन्दारों के आधीन है, इसलिये इन को चाहिये कि मला के मारोम्यवादन्य सुख के लिये पूरी २ निगरानी रखें तथा जो २ भारोम्पता के मानश्मक उपाय प्रत्वा के आधीन हैं उन पर प्रभा को पूरा ध्यान देना चाहिये, क्योंकि उन उपायों के न जानने से तथा उन पर पूरा ध्यान न देने से महान प्रमाजन अनेक उपवयों और रोगों के कारणों में फँस जाते हैं, इसलिये आरोग्यता के आवश्यक उपायों का जानना प्रत्येक छोटे बड़े मनुष्य का मुख्य कार्य है, क्योंकि इन के न मानने से बड़ी हानि होती है, देखो ! कभी २ एक मनुष्य की ही अम्मानसा से हमारों लाखों मनुष्यों की मान को नोखम पहुँच जाती है, परन्तु यह सब ही जानते हैं कि साधारण पुरुष उपदेश और शिक्षा के बिना कुछ भी नहीं सीख सकते हैं और न कुछ जान सकते हैं, इसलिये अज्ञान मजाजनों को भाहार और बिहार मावि भारोम्मता की भावश्मक बातों से विश करना मुख्यतमा विद्वान् वैद्य डाक्टर और सफर का मुख्य कर्तव्य है अद लोग आरोग्यता के द्वारा मुली रहे इस मकार के सद्भाब को इदम में रखनेवाले बै और डाक्टरों को वैधक विषा का मवश्य उद्धार करना चाहिये अर्थात् भैम और डाक्टरों को उचित है कि मे रोगों की उत्पत्ति के कारणों को लोब २ कर माहिर करें, उन कारणों को हटाने और वे कारण फिर न प्रकट हो सकें, इस का पूरा प्रबंध करें और उन कारणों के हटाने के मोम्य उपायों से प्रजाजनों को विश करें तथा ममात्मनों को चाहिये कि उन आवश्यक उपायों को समझ कर उन्हीं के अनुसार बर्चान करें उस से निरुद्ध कयापि न लें, क्योंकि उस से विरुद्ध भछने से नियमों की पावन्दी जाती रहती है और प्रबन्ध म्यर्थ जाता है, देखो! म्यूनीसिपल कमेटी के अधिकारी आदि मन बड़े २ रास्तों में गी चों में तथा सब मुद्दला में माकर तथा सोच कर भाई बितनी सफाई रक्सें परन्तु
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