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बैनसम्प्रदायशिक्षा। विषड़ी-वीर्यवाठा, पर्सा, मारी, पित्तकफका, घेर में पचनेपारी, मुखिकर्ता, मत्रकारक सभा विटम और मल को उस्पन करने वाली है ।।
खीर-देर में पचने पाली, क्षणी तमा पठपक है ।।
सेमई-धातुओं की तृप्ति करने वाली, पसकारी, भारी, पित्त भौर षात को नष्ट करने वाली, माही, सन्धि कस सथा रुचिकारी है।
पूरी-ग्रहण, वृष्य, बलकारी, रुचिकर्ण, पाक में मधुर, माही और त्रिदोष नाष्टक है ॥ __ लप्सी (सीरा)हण, पृष्य, मसकारक, मातपिचनाचक, निम, कफकारी, भारी, रुपिका और भस्यन्त सृप्ति का है।
रोटी-पकारी, रुचिकर्श, महणी (पुष्टि की), रस और रक मावि पातुओं को मदाने पारी, वातनाशक, फफकर्ण, मारी और प्रदीप्त अमिवानों के लिये हित का है।
पाटी-महणी, शुकका, हम्की, दीपनकर्सा, कफकारी सपा मम्मा है, एवं पीनस, श्वास मौर कास रोग को दूर करती है ।
औं की रोटी-हरिकर्ता, मधुर, विशद मौर हलकी है, मस, शुक और यादी को करती है सपा कफ के रोगों को नष्ट करती है ।। असद की रोटी-फपिच नाशक तथा कुछ नायकारक है ॥
चने की रोटी-म, कफ पित्त मौर रुपिर के विकारों को दूर करनेपाली, मारी, पेट को फुमने वाली, नेत्रों के म्मेि महिस सभा स्रोगकरे॥
ई-कारी, पुष्प, रुचिकर्ता, वातनाशक, उप्णता को बढ़ाने वाग, भारी, पाणी पौर शुकको प्रकट करनेवासी है, मूत्र तथा मन का मेदन करती है, खनसबन्धी दूप, मेद, पिप और कफ को करती हे तपा गुदा का मस्सा, सरुवा, मात, भास भौर परिणाम शूस को पूर करती है ॥
पापर--परम रुचिकारी, दीपन, पापन, रूस मौर कुछ २ भारी हैं, परन्तु मूंग के पापर इसके मोर पप्प होते हैं।
कचोरी-तेल की चोरी-पिकर, सादु, मारी, निग्ध, पम्पपरी, रफपिच को पित करने बासी, नेत्रों के तेग का भेदन करनेवाली, पाक में गर्म तमामातनाशको परन्तु पी की पनी हुई चोरी नेत्रों को हितकारक सभा रफपिच की नाशक होती है।
- पूर येशों में भापक मास में गुप्त मनाई व्यती है।