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चैनसम्मकामशिक्षा ॥ हेसमी (को लेका पेठा), गुलकन्द, अवत, पीना, प्यास के समय में मोसन करना, मुरमा, चिरोजी, पिस्ता, दाखों का मीठा मात्रा से भषिक भोजन करना, विषमासन तथा चरपरा राइता, पापड, भूग और मौठ से मेठ कर भोजन करना, निद्रा से उठकर की पड़ी और सन प्रकार की दाल । तत्काल मोमन करना या अलका पीना,
व्यायाम के पीछे धीमही बठका पीना, मा प्रकृति मत और देश मादि को वि घर से भाकर शीघही नल का पीना, मो पार कर फिमा हुमा मोचन तमा रुभि के अन के मन्त में मपिक नर का पीना, भो भनुसार फिमा हुमा भोजन प्राया पय्प अन तथा प्यास की इच्छा का रोकना, स् (हितकारी) होता है इसलिये प्रकृति आदि र्योदय से ३ घण्टे पूर्व ही मोबन करना का रिपार रखना चाहिये इत्यादि ॥ तमा अरुपि के पदार्थों का खाना भावि ॥
पथ्यविहार ॥ १-पोये हुए साफ वनों का पहरना और शक्ति के मनुसार अप्सर गुणा जल और के
पहरा बङ भादि से वनों को सुपासित रखना, उप्प पातु में पनड़ी और सस मावि
के अतर का तमा नीताल में हिना और मसाले मादि का उपयोग करना चाहिये । २-विछोना और परंग भावि सामनो को साफ भौर सुपर रखना पाहिये । २-पक्षिण की हवा का सेवन करना चाहिये । ५-हाम, पैर, कान, नाक, मुख और गुरसान आदि भरीर के मस्ययों में मैल का
चमार नहीं होने देना चाहिये । ५.नार्मी की सत में महीन कपड़े पहरना समा शीतकास में गर्म कपड़े पहरना पारिये । ६-पनि २ दिन के बाद क्षौर फर्म (हमामत) कराना चाहिये। ७-प्रतिदिन पति के अनुसार वण मैठक और मोड़े की सवारी भावि फर कुन
कस कसरत करना तमा साफ हसा को साना पाहिये । ८-सके बनन के हार कुणत और अंगूठी भादि गहनों को पहरना चाहिये । ९-मसमत्र फे वेग को नहीं रोकना चाहिमे समा महपूर्वक उन के वेग को उस्पन नहीं
करमा पाहिये।
१-रविष पाप भोग्यताको पर रखती है इसप्रिये इसीम सेरम मना पाईपेम १-पेपर पसर में ग्यौ म हो मा भण्ठेरो. -नगमत पाने से पर भीर मेमाप में मन न समारोवार वा राय रखर र पित
प्रसप पेय
-दि पोरे की प्यारी प्रभाभ्यास हो तो उसे परना चाहिये । ५-यी! भानम भार म स भीर भंगी इन दो से भूपोंम पारमा रस्यामा।