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जैनसम्प्रदायश्चिक्षा ॥ और दक्षिण के किनारे पर सित प्रदेशों में भस्यन्त ठर पड़ती है, इसी पृथ्वी के गोले की मध्य रेखा के मास पास के प्रदेशों में बहुत गर्मी पड़ती है समा दोनों गोसार्म के मीच के प्रदेशों में गर्मी मोर ठेढ वरापर रहती है, इस रीति से क्षेत्र का विचार करें तो उत्तर भुष के मासपास के प्रदेशों में अर्थात् सेवेरिया आदि वक्षों में ठठ बहुत परती है, उस के नीचे फे तातार, टीवेट (विपत) और इस हिम्दुस्तान के उचरीय मागों में गर्मी और ठंड बराबर रहती है तथा उस से भी नीचे निपुषवृत्त के मासपास के देशों में गर्मात् पक्षिण दिन्दुस्तान भौर सीलोन (मा) में गर्मी भपिक पड़ती है, एवं मात के परि वर्मन से यहां परिवर्तन भी होता है मर्मास् चारह मास तक एक सरस ठर या गर्मी नहीं रहती है, क्योंकि प्रातुके अनुसार पूपियी पर ठंर और गर्मी का पड़ना सूर्य की गति पर निर्मर है, दखो! भरत क्षेत्र के उत्तर समा दक्षिण के किनारेपर सित देशों में सूर्य कमी सिरे पर सीपी लकीरपर नहीं भाता है भर्यात् छ महीने तक वहां सूर्य दिसाई मी नहीं देता है, शेष छ महीनों में इस देश में उदय होते हुए मा मरा होते हुए सूर्य के प्रकाश के समान वहां मी सूर्य का कुछ प्रकाश दिखाई देता है, इस का कारण यह है कि सूर्य के उगने ( उदय होने) के १८१ मणः उन में से कुछ मण्डल तो परिवी के ऊपर मानाशप्रवेश में मेरु के पास से शुरू हुए हैं, कुछ ममल सरणसमुद्र में हैं, -समम्तठ मेह के पास है, वहां से ७९० योवन उपर माकाम में सारामणस शुरू हुमा है, ११० गोबन में सब नक्षत्र तारामण्डल है तथा प्रथिवी से ९०० योमम पर इस न अन्त है सूर्य की विमान एपिवी से चन्द्र की विमान प्रथिवी ८० योमन उनी है, सर तारे मेरु की प्रदक्षिणा करते हैं मोर सप्तर्षि (सास ऋपि) के सारे मृगादि ध्रुव की प्रद क्षिणा करसे है।
देशों की ठट या गर्मा सवा समान नहीं रहती है किन्तु उस में परिवर्तन होता रहता है.देसो । मिस हिमालय के पास पर्तमान में बर्फ गिर कर ठंडा देश पन रहा है पही देश किसी काल में गर्म पा इस में रा मारी प्रमाण यह है कि-गर्मी के कारण अब पफ गस जाती है सब नीचे से मरे हुए हाथी निकसत है, इस बात को सब ही मानते हैं कि-हामी गर्म देश के विना नहीं रह सकते हैं, इस से सिद्ध है कि-पहिते पह सान गम था किन्तु बन उपर भयानक बफ गिर कर बम गया तब उस फी ठर से दाबी मर कर नीचे दब गये तमा पर्फ के गसकर पानी हो जाने पर वे उस में उतराने लगे, मदि। १-न प्रम मोर प्रासिमप्र में विचारपूस किया मपार पापाठ भनेक युधिो भीर प्रमानों से सिर पे धरे।
में बीई वस्तु परत समय विपाती महीप सिम्म समय वो हाच में वह परम्नु पाप या न मिमम मे मर ममे परम्प र्क में राने से उसमभर या
शिया भारतमा