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अनसम्प्रदायशिक्षा ॥ एक गिलास मर बस ननावे भौर उस में मिभी गा कर पी जाये, ऐसा करने से गर्मी निलकुल न सतायेगी और दिमाग को वरी भी पहुंचेगी।
गरीय भौर साधारण लोग उपर कहे हुए सर्वतों की एवम में इमरी का पानी कर उस में सजूर मयमा पुराना गुड मिण कर पी सकते हैं, यपपि इमली सदा लाने के योग्य पस्त नहीं है तो भी यदि प्रकृति के मनुसूस हो दो गर्मी की सस्त मातु में एक वर्ष की पुरानी इमली का पर्वत पीने में कोई हानि नहीं है किन्तु फायदा ही करता है, गों के फुलकों (पतली २ रोटियों ) को इस के सर्मत में मीब कर (मिगो कर) साने से भी फायदा होता है, वाह से पीरित प्रया लगे हुए पुरुष के इमठी के भीगे हुए गूदे में नमक मिला कर पैरों के तलवों और हथेलियों में मरने से तत्काल फायदा पहुँ पता है अर्थात् वाह और की गर्मी शान्स हो पाती है।
इस ऋतु में खिले हुए मुन्दर सुगन्धित पुपों की मासा का पारण करना या उन फो सूपना वषा सफेद पन्दन का लेप करना भी श्रेष्ठ है।
चन्दन, कथा, गुगल, दिना, सस, मोतिया, जुही और पनडी भावि के मतरों से पनाम हुए सायुन मी ( लगाने से) गर्मी के दिनों में विन को वक्ष समा सर रखते इस उिये इन सावुनों को भी प्राय समाम घरीर में खान करते समम लगाना चाहिये।
इस ऋतु में भीगमन १५ दिन में एक बार करना उचित है, क्योंकि इस त में समाव से ही शरीर में शक्ति कम होनाती है।
-परन्तु ये सपरत माय पराम उन्ही पुम्मों प्राप्त से पवे निलो ने पूर्व मा मरेप गुरु भीर पर्म सेवस भर में मिन पुमोघ मम धर्म में गाभागार गार समाप्त हैपमा पास में मी मम्म प्रसंसा के योग योनि-यो। शाम और गुणाले बाद उसमेचम बस और की मार भवन च प्रकार पान और मोतियों के शर मादि सर्प पाय धर्म में पोपरान्त मेगों में मिले और मिड पनवे परमा मफसोस है कि इस समय उप (बर्म) को मनुम विस ए स समय में वो ऐसी पयसा से रही है -पनबार मेग बन नझे में परवर मर्म विहीर बैठे, मेम पाकिम सीमा परमार मारे पास धन समिम हम गोपा सो कर सकते हैं इसाद परन्तु यह उनकी मसभूतो उन भा मता परमा मापस होता है-बिस से हमने ये सम फह पये स दमे ममवे हमा पारिये और मागे मे पर भेकका मार्म साफ करना चाहिये वो! पो पनपान भीर पमपान् तासरो मेने में प्रापा होती है जिन्होंने पूर्णभर में धर्म किया। उन्ही में मोम और मा भारिपी पीनी पटी मद पुभवानों ही पान पान पानि सब बातों पुराण रेपो । संसार में बव ग ऐसे भी निशानपान मी पुरानी दिने प्रसार में इस से अभिभीर मा तम्मैप हामी पोर मचनमा मम्व हो सकता जिन मिरोम
मी भिमा यहाभाबमी मम्प अब प्रमरप मुमत सवा परन्त रोचपछी सेवासा पता इसी से कर पाता है भालो। धर्म पर सरा प्रेम रस्मो पो तुमारा सपा मित्र