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चतुर्थ अध्याय ॥
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दोनों के होते हुए स्मरणशक्ति तथा बुद्धि के बढ़ाने के लिये दूसरा उपाय करने की कोई आवश्यकता नही है, हा दूसरा उपाय तब अवश्य करना चाहिये जब कि रोग आदि किसी कारण से इन में त्रुटि पड गई हो तथा वह उपाय भी तभी होना चाहिये कि जब शरीर से रोग बिलकुल निवृत्त हो गया हो, इस के लिये कुछ सतावर आदि बुद्धिवर्धक पदार्थों का वर्णन प्रथम कर चुके है तथा कुछ यहां भी करते है. -
दूध, घी, मक्खन, मलाई और ऑवले के पाक वा मुरव्ये को दवा की रीति से थोड़ा २ खाना चाहिये, अथवा बादाम, पिस्ता, जायफल और चोपचीनी, इन चीजों में मे किसी चीज का पाक बना कर घी वूरे के साथ थोड़ा २ खाना चाहिये, अथवा बादाम की कतली लड्डू और शीरा आदि बनाकर भी पाचनशक्ति के अनुसार प्रातः वा सन्ध्या को खाना चाहिये, इन का सेवन करने से बुद्धि तथा स्मरणशक्ति अत्यन्त बढती है, अथवा हमारा बनाया हुआ पुष्टिकारक चूर्ण बुद्धिशक्ति को बहुत ही बढ़ाता है उस का सेवन करना चाहिये, अथवा ब्राह्मी १ मासा, पीपल १ मासा, मिश्री ४ मासे और आँवला १ मासा, इन को पीस तथा छान कर दोनों समय खाना चाहिये, ३१ वा ४१ दिन तक इस का सेवन करना चाहिये तथा पथ्य के लिये दूध भात और मिश्री का भोजन करना चाहिये, इन के सिवाय दो देशी साधारण दवायें वैद्यक में कही है जो कि मगज की शक्ति, स्मरणशक्ति तथा बुद्धि के बढ़ाने के लिये अत्यन्त उपयोगी प्रतीत होती है, वे ये है :
१ - एक तोला ब्राह्मी का दूध के साथ प्रतिदिन सेवन करना चाहिये या घी के ब्राह्मी का घी बना कर पान में या खुराक के साथ खाना
साथ चाटना चाहिये अथवा चाहिये ।
२ - कोरी मालकागनी को वा उस के तेल को ऊपर लिखे अनुसार लेना चाहिये, मालकागनी के तेल के निकालने की यह रीति है कि -२ ॥ रुपये भर मालकागनी को लेकर उस को ऐसा कूटना चाहिये कि एक एक बीज के दो दो वा तीन तीन फाड़ हो जावें, पीछे एक या दो मिनटतक तवेपर सेकना ( भूनना) चाहिये, इस के बाद शीघ्र ही सन के कपड़े में डालकर दबाने के साचे में देकर दबाना चाहिये, बस तेल निकल आवेगा, इस तेल की दो तीन बूंदें नागरवेल के कोरे ( कत्थे और चूने के विना ) पान पर रखकर खानी चाहियें, इस का सेवन दिन में तीन वार करना चाहिये, यदि तेल न निकल सके तो पाच २ बीज ही पान के साथ खाने चाहियें ।
डाक्टरी दवा भी बुद्धि तथा मगज़ के लिये फायदे
फासफर्स से मिली हुई हर एक मन्द होती है ॥
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