________________
२०६
मैनसम्प्रदायक्षिसा ॥ विस नमफ-क्षारगुणयुक्त, दीपन, इनका, तीक्ष्ण, उष्ण, सक्ष, रोचक मौर म्पपायी है, यह कफ और बादी के मनुहोमन है मर्मात् कफ को ऊपर की तरफ से समा बादी को नीचे की तरफ से निकालता है, एर्ष विवन्ध, भफरा, मिटम भौर शरीर गौरप (देह के भारीपन) को मिटाता है |
सौषर्षल (फाला) नर्मक-रोचक, मेवफ, अमिदीपक, मत्सन्तपाचक, सह युक्त, वायुनाशक, विश्व, इम्फा, सूक्ष्म, रकार की शुद्धि करनेवाग तपा पिस को कम बढ़ानेवाण है, एवं विष, अफरा और शूम रोग का नाशक है ।।
रेह का नर्मक-क्षारगुण युक, मारी, फटु, मिग्म, शीतल और वायुनाशक है।
कधिया नमक-रुधिकारी, कुछ सारा, पित्तकर्ता, दाइकारी, कफवासनाचक, दीपन, गुस्मनाशक सपा शूलहर्म है ।।
मोणी नमक-पाक में कमगर्म, कमदाहारी, भेदन, कुछ खिम्भ, धूलनायक सपा मम्स पिसकती है ॥ __ औपर नमक-सारी, फजुमा, वातकफनाशक, दाहकर्घा, पित्तकारी, प्राही समा मूत्रशोपक (मूत्र का मुसानेवाला) है ॥
पनावार--अत्यन्त उष्ण, ममिदीपक तमा वासों में हर्ष करनेवाम है, इसस साद खट्टा मौर नमकीन है तथा यह शून भगीर्ण और विमन्म को नष्ट करता है।
जयाम्बार-हनका, लिग्ष, असिसूक्ष्म तथा ममिदीपक है, मह शून, मादी, आम, कफ, श्वास, गुरुम, गरेका रोग, पाण्डुरोग, बनासीर, समहणी, अफरा, प्लीहा भौर इवय रोग को दूर करता है।
सजीवार-सज्जीसार भवासार की भपेक्षा भम्प गुणवाग है, परन्तु घूस, और गुस्मरोग में भषिक गुण करता है ।।
सोर्रा-स में मामः सजी के समान गुण है, परन्तु इस में इतनी विशेषता है कि यह मूत्रकृच्छू को दूर करता है भा मन को शीतन करता है ।।
नौसादर- यह भी एक प्रमर का सीम सार है तथा इस में सारों के समान ही माम सब गुण ॥
नाममा हिमालय पर्वत सपा (मार सहित) अस से बनाया व -यह ममरारी धमीन में से ही प्रार १-पाममा पार सपने से मिरे पत्तों में भर पेवा। ४ाममा का भूमि में रत्तप पता ५-समी भी पर प्रभर पारस व में खबम प्रपोव और मुखर -भाभी सीधसभर
- प प मोगरमस्म को प्राविपि रे साप पपाने से प्रसार प्रारी परमा एकर मनुम भीरबर द्वारा पशाब में समिमता ॥