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चतुर्थ अध्याय ॥
२५३ परिमाण के अनुसार चाय पीयें तो कुछ हानि नहीं है परन्तु हलका और थोडा भोजनकरने वाले तथा गरीब आदमियों को थोड़ीसी तेज़ चाय पीनी चाहिये क्योंकि हलकी खुराक खानेवाले लोगों को थोडी सी तेज़ चाय नुकसान नहीं करती है, बहुत चाय के पीने से मगज में तथा मगज़ के तन्तुओं में शिथिलता हो जाती है, निर्बलता में अधिक चाय के पीने से भ्रान्ति और मूलने का रोग हो जाता है, लोग यह भी कहते है कि-चाय खून को जला देती है यह बात कुछ सत्यभी मालूम होती है, क्योंकि-चाय अत्यन्त गर्म होती है इसलिये उस से खून का जलना सभव है, चाय को सदा दूध के साथ ही पीना चाहिये क्योंकि दूधके साथ पीनेसे चाय का नशा कम होताहै, पोषण मिलता है तथा वह गर्मी भी कम करती है, बहुत से लोग भोजन के साथ चाय को पीते है सो यह हानिकारक है, क्योंकि उससे पाचनशक्ति में अत्यन्त बाधा पहुँचती है इसलिये भोजन के पीछे तीन चार घण्टे बीत जानेपर चाय को पीना चाहिये, देखो ! चाय पित्त को बढानेवाली है इसलिये भोजन से तीन चार घण्टे के बाद जो भोजन का भाग पचना बाकी रह गया हो वह भी उस चाय के द्वारा उत्पन्न हुए पित्त से पचकर नीचे उतर जाता है, चाय में थोडा सा गुण यह भी है कि वह पक्काशय (होजरी ) को तेज करती है, पाचनशक्ति तथा रुचि को पैदा करती है, चमड़ी तथा मूत्राशय पर असर कर पसीने तथा पेशाव को खुलासा लाती है जिस से खून पर कुछ अच्छा असर होता है, शरीर के भागों की शिथिलता और थकावट को दूर कर उन में चेतनता लाती है, परन्तु चाय में नशा होता है इससे वह तनदुरुस्ती मे बाधा पहुँचाती है, ज्यों २ चाय को अधिक देर तक उबाल कर पत्तों का अधिक कस निकाल कर पिया जावे त्यो २ वह अधिक हानि करती है, इस लिये चाय को इस प्रकार बनाना चाहिये कि पतीली में जल को चूल्हे पर चढादिया जावे जब वह (पानी) खूब गर्म होकर उबलने लगे तव चाय के पत्तों को डाल कर कलईदार ढक्कन से ढक देना चाहिये और सिर्फ दो तीन मिनट तक उसे चूल्हेपर चढाये रखना चाहिये, पीछे उतार कर छान कर दूध तथा मीठा मिलाकर पीना चाहिये, अधिक देर तक उबालने से चाय का खाद और गुण दोनों जाते रहते हैं, चाय में खाड़ या मिश्री आदि मीठा भी परिमाण से ही डालना चाहिये क्योंकि अधिक मीठा डालने से पेट विगडता है, बहुत लोग चाय में नीबू का भी कुछ स्वाद देते है उस की रीति यह है कि-कलई या काचके वर्तन में नींबू की फाक रख कर ऊपर से चाय का गर्म पानी डाल देना चाहिये, चार पाच मिनट तक वैसा ही रख कर पीछे दूसरे वर्तन में छान लेना चाहिये । ___ चाय में यद्यपि बहुत फायदा नहीं है परन्तु ससार में शौकीनपने की हवा घर २ में फैलगई है इसलिये चाय का तो सब को एक व्यसन सा होगया है अर्थात् एक दूसरे की देखादेखी सब ही पीने लगे है परन्तु इस से बड़ा नुकसान है क्योंकि लोग चाय में जो