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अनसम्पवारशिक्षा । छोगों को सदा उसी मार्ग पर पम्ना उपित है विसपर चलने से उनके धर्म, यश, सुख, __ भारोम्पता, पवित्रता मोर मापीन मर्यादा का नाश न हो, क्योंकि इन सब का संरक्षण फर मनुष्य जन्म के फल को माप्त करना ही वास्तवमें मनुप्पस्व है ।।
तैलवर्ग ॥ वैस यपपि कई प्रकार का होता है परन्तु विशेषकर मारवार में विली का और पगाल तथा गुजरात मादि में सरसों का तेल साने भावि के काम में आता है, सेल साने की भपेक्षा नसाने में तमा शरीर के मर्दन मादि में विशेष उपयोग में माता है, क्योंकि उसम खान पान के करने वाले लोग तेल को वितफुल नहीं खाते हैं और वास्तव में मृत बैसे उत्तम पदार्थ को छोड़कर बुद्धि को कम करनेवाले सेल को खाना भी उचित नहीं है, हो यह दूसरी बात है कि सेस सचा है समा मौठ गुवारफी और चना बादि पावस (वातफारक) पदार्थ मिर्ष मसाम गठ कर तेल में तैरने से मुम्बार (रजतदार)ो जाते हैं वषा वादी मी नहीं करते हैं, इसने भष्ट में यदि वैत साया नावे तो यह मिल बात है परन्तु प्रवादि के समान इस का उपयोग करना उपिस नहीं है जैसा कि गुमराव में लोग मिठाई तक सेल की बनी हुई साते हैं और नगारियों का तो सेन जीवन ही वन रहा है, हा अठवण जोपपुर मेवार नागौर और मेड़ता आदि कई एक राज्यसानों में लोग तेल को बहुत कम लाते हैं।
गस के प्रतिदिन के आवश्यक पदार्थों में से वेस भी एक पदार्थ है सपा इस का उपयोग भी माप प्रत्येक मनुष्य को करना पाता है इस लिये इसकी जातियों समा गुण वोपों का पान सेना प्रत्येक मनुष्य को मस्पापश्पक हे भवः इसकी जातियों वमा गुण दोपों का संक्षेप से वर्णन करते हैं
तिल का तेल---यह तेल भरीर को करनेवास्म, बमक, स्वा के पर्व को मचा करनेवाला, वातनासक, पुष्टिकारक, ममिदीपवरीर में सीघ्र ही प्रवेश करने पासा भार कृमि में दूर करनबाग है, मन की योनि की मौर सिर की पूल को मिटाता है, घरीर को इसका फरवा है, इटे हुए, ऊपरे हुए, दम हुए भीर कटे हुए हा तमा ममि से मळे दुप को फायदेमन्द है।
व मदन में जो २ गुण कससूत्र में सिसे है ये किसी भोपभि के साथ पाए वेठ के समक्षन चाहि फिन्त सामी सेस में उतने गुण नहीं है।
-Rमार पाये (र)ीमनर में हम में तनार हुनो गणवीर पोप होप से
पार मोसा ग्राम की में वन मरीमरीर उग्दै मसिमीर प्रायः परात.
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