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बैनसम्प्रदापनिक्षा। भारी मम यह है कि प्रत्येक मनुष्प प्रत्येक पदार्थ के गुण मौर उस में सित तस्वों को चान कर उस पदार्थ की मुसकारिणी योजना को दूसरे पदायों के साथ कर सकता है।
गुप के अनुसार सुराक के दो मेव है-मात् पुष्टिकारक और गर्मी मनेवाली, इन में से जो खुराक घरीर के नष्ट हुए परमाणुमों की कमी को पूरा करती है उसको पुष्टि फारक करते हैं । तया यो सराफ शरीर की गर्मी को ठीक रीवि से कायम रखती है उस को गर्मी छानेवाली कहते हैं, यपपि पुष्टिकारक स्वराक के पदार्थ महुत से हैं तपापि उन का प्रस्पेक का भीतरी पौष्टिक रस्मों भ गुण एक दूसरे से मिस्सा हुमा ही होता है, रसायनिक प्रयोगके वेवा विद्वानों ने यह निमम किया है कि पौष्टिक स्वराक में नाइटो जन नामक एक विशेष तस्व है और गर्मी सानेपाली सुराक में पार्मन नामक एक लिसेप वस्त्र है, गर्मी लानेराती सुराक से शरीर की गर्मी कायम रहती है मर्यास् वायु तमा मासु आदि का परिवर्तन होने पर भी उक्क सुराक से शरीर की गर्मी का परिवर्घन नहीं होताहै भीत् गर्मी प्राम समान ही रहती है और शरीर में गर्मी के ठीक रीति से फारम रहने से ही भीवन के सब कार्यों का निर्वाह होता है, यदि शरीर में ठीक रीति से गर्मी कायम न रहे वो चीवन का एक कार्य भी सिद्ध न हो सके, वेसो । बाहरी हवा में पारें असा परिवर्चन होबावे समापि गमी लानेमाती खुराक के लेने से शरीर की गर्मी परावर बनी रहती है, ठरे देशों में (जहाँ मपिक टीसके कारण पानी का बर्फ जम बाता है भोर पारेकी पड़ी में पारा १२ रिमी से भी नीचे पग भाता है वहां) भोर गर्म देशों में (यहाँ अधिक गर्मी के कारण उक परी का पारा १२५ मिमी से भी उँमा पर माता हैवां) भी अंग की गर्मी ९० से १०० किमी तक सदा रहा करती है।
शरीर में गर्मी को कायम रसनेवारी सराफ में मुस्त्यतया पर्यन भौर हारोजन नामक दो सुस्व है मौर से दोनों सस्व माणवायु (माक्सिजन) साग रसायनिक संयोग के द्वारा मिस्ते हैं भर्षात् गर्मी उसम होती है तथा यह संयोग प्रत्येक पलमें मारी रहता है, परन्तु अब किसी पाभि के होने पर इस संमोग में फर्क मा बावा है सन घरीर की गर्मी भी न्यूनापित हो माती है।
पौष्टिक सराक के भषिक साने से लोई में खाभाविक कि न रहकर विशेष शकि उत्तम हो जाती है भौर ऐसा होने से उस (सोह) परमार कठेने भौर मगम भादि मायनों में बात हो जातार इस सिप ये सर भरपर मोटे हो आसे हैं इसठिये पुष्टि कारक सुराको भपित सानेगाठे मोगों को पाहिये कि उस पुष्टिकारक खुराक के
1-पग प्रमसियार होने से भी प्रोपोगावा । और भी । मबर पर भी पोप्रोपप गावासले भपि परिप्रस गरारे पानेकाले मेमो प्रेम भर में पिरा पratu
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