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जैनसम्प्रदायशिक्षा ||
सकते हैं और इस प्रकार पके हुए चावल हानि ही करते हैं, घासों क पकाने की सर्वोचमरीति यह है कि-पतीठी में पहिले अधिक पानी पटाया जाये, जब पानी गर्म होजावे तब उस में चावलों को धोकर डाल दिया जावे तथा भीमी २ भांग जलाई जाये, अब श्रावसों के दो कण सीम बायें तब पतीली के मुँह पर कपड़ा बाँध कर पतीनीको औषा कर (उरूट कर ) सब मांड़ निकाल दिया जावे, पीछे उस में बोड़ा सा घी डाल कर पीसी को अंगारों पर रख कर ढक दिया जाने, बोड़ी देर में ही माफ के द्वारा वीसरा कण भी सीन वायगा तथा चावल फूल कर भात तैयार हो मानेगा, इस के टीक २ पक जाने की परीक्षा यह है कि बाकी में डालते समय उनाउन भावान करने के पवसे फूल के समान इसके होकर गिरे और हाथ से मसलने पर मक्खन के समान मुकायम मासूम हो सो जान लेना चाहिये कि घायल ठीक पक गये हैं, इस के सिवाम यह भी परीक्षा है कि यदि चावल खाते समय जितने दमा २ कर खाने पड़ें उतना ही उनको कथा सम शना चाहिये ।
बहुत से लोग चावकों को बहुत वादी करमेवाला समझ कर उन के खाने से डरते हैं परन्तु जिवना मे लोग चावलों को वादी करनेवाले समझते हैं चावल उतने बादी करने माले नहीं है, हां वेशक यह बात ठीक है कि-पटिया चावल कुछ बादी करनेवाले होते हैं किन्तु दूसरे चामल तो पकने की कमी के कारण विशेष बादी करते हैं, सो यह दोष सम ही मन्नों में है अर्थात् ठीक रीति से न पके हुए सब ही अन्न वादी करते हैं। नमे चावलों की अपेक्षा वो एक वर्ष के पुराने चावल विशेष वास के साथ भाषसों के स्वानेसे उन का वायु गुण कम हो जाता है जाता है, चावल और दास को अलग २ पका कर पीछे साथ मिला कर जस्वी पाचन हो जाता है किन्तु दोनों को मिलाकर पकाने से भिड़ी भारी हो जाती है, खिचड़ी प्राय चागलों के साथ मूंग और मिलाकर बनाई जाती है ॥
गुणकारी होते हैं समा
और पौष्टिक गुण बढ़
खाने से उन का
होती है वह कुछ अरहर (तुर ) की वाक
गेहूँ — पुष्टिकारक, भातुमर्धक, बलवर्धक, मधुर, ठंडा, मारी, रुचिकर, टूटे हुए हाम्रो को जोड़नेवाला, मप्प को मिटानेवाला तथा दस्त को साफखानेवाला है ।
उपयोग – हूँ की मुख्य दो जाति है- काठा और बानिया, इन में पुनः दो भेद हैं- श्वेत और लाल, श्वेत गेहूँ से बाल अधिक पुष्ट होता है, गेहूं में पौष्टिक तथा गर्मी नेपाल मौजूद है, इस लिये दूसरे अमों की अपेक्षा यह विशेष उपयोगी और उत्तम पोषण की एक अपूर्व वस्तु है ।
गेहूं में सार तथा चरबी का भाग बहुत कम है इसी कारण गेहूं के आटे में नमक डाल कर रोटी बनाई जाती है, जन्मानुसार भी मक्खन और मव्मर मादि पदार्थों के साथ