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जैनसम्प्रदायशिक्षा । विचार कर देखने से प्रतीत होता है कि-इन पशुओं से देस को बहुत ही मम परे चता है अर्थात् क्या गरीब और क्या भमीर सम का निर्गह इन्ही पशुभों से होता है, इस लिये इन पशुभों की पूरी सार सम्भाळ मौर रक्षा कर अपनी भारोग्यता को कसम रखना और देश का हित करना सर्व साधारण का मुख्य काव्य है, देसो ! बन या भार्यावर्त पेश पूर्णतया उन्नति के शिखर पर पहुँचा हुस्मा पा सब इस देश में इन पशु मोंकी असंख्य कोटिमा यी परन्तु पय से दुर्माम्प पश्च इस पवित्र देश की या दशा न रही और मांसाहारी यवनों का इस पर अधिकार हुमा तब से मांसाहारियों ने इन पशुओं को मार २ फर इस देश को सब तरह से लाचार और निःसत्व कर दिया परन्तु सन चानते हैं कि वर्षमान समय श्रीमती टिष्ठ गवर्नमेंट के भपिकार में है और इस समय कोई किसी के साथ मस्पाचार और अनुचित पर्याय नहीं कर सकता है और मोई किसी पर किसी तरह का दमाव ही गल मकता है इस लिये इस सुपरे हुए समय में सो भार्य श्रीमन्तों को भपने हिताहित का विचार कर प्राचीन सन्मार्ग पर मान देना ही। पाहिये।
दूप में सार तमा सटाई का मितना सत्व मौजूद है उस से मपिक वन खार मौर । सटाई का योग हो जाता है तब वह हानि करता है भर्यात् उस का गुणकारी धर्म ना होवाता है इसलिये रिवेक के साप दूम का उपयोग करना चाहिये ।
दूप के विषय में भोर मी की बातें समझने की मिन कम समझ सेना सर्व साधारण को उचित है, वे ये हैं कि-बैसे दूध में सार समा सटाई के मिलने से पह फट गाना है (इस बात को प्राय सब ही बानते हैं) उसी प्रकार यदि सार बा लाई के साथ दूम साया बारे सो वह अवश्य हानि करता है, वैयक प्रन्यों का कपन है कि-बदि दूध को भोजन के समय साना हो तो भोमन के सन पदार्थों को सा पर पीछे से दूध पीना पादिये अपना मोचन के पीछे भात के साथ दूप को साना पाहिये, हो यदि भोजन में दूप के विरोधी सटाई, मिर्प, सेल, पापड़ मौर गुड मावि पदार्य न हो तो मोबन के साथ ही में दूभ को भी सा देना पाहिये ।
दूप के साथ साने में बहुत से पदार्थ मित्र का काम करते हैं भौर बहुत से पदार्थ वधु का काम करते हैं, इस का कुछ संविधा वर्णन किया जाता है
सूप के मित्र-म में छा रस है-सलिमे इन छ ों रसों के समान तभानवाले (ो रसों के समाव के मुत्म समापनासे) पदार्थ म के भनुहठ भर्षात् मित्रवत् होते हैं, देसो। दूध में सहा रस उस सटाई का मित्र भानमा, यूप में मीन रस उस मीठे रस घ मित्र मूरा या मिभी है, दूप में पाभा रस है उस पाए रस का मित्र परक्ठ , दूप में सीमा रस है उस तीसे रस पमित्र सोठ तथा भररस, जूप में