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मारवाह मदरास-पञ्जाब आदि में जैन लोग बहुत से बसते हैं जैन जाति विशेष करके व्यापार करने वाली जाति है यही कारण है कि जैन जाति में विद्या की न्यूनता है और इस न्यूनता के होने से जैन वर्ष का मजार वर्तमान समय में इस प्रकार नहीं जैसा कि होना चाहिये अपितु फिर भी जैन लोगों की संख्या देश में
० - ११ लाख गिना की जांति जैन धर्म की तीन बड़ी शाखाएं हैं “श्वेताम्बर स्थानक बासी" दिगम्ब२११ वे॒तम्बर - पुंजेरे' या मन्दिर मार्गी" परन्तु इन में सब से अधिक संख्या श्वेताम्बर स्थानक वासियों की ही है दिगम्बर श्वेताम्बर स्थानक वासी इनमें परस्पर भेद तो गोड़ा सा ही है परन्तु विशेष भेद इस बात का हैकि श्वेताम्बर स्थानक वासी मूर्ति का पूजन नहीं मानने और अन्य मानते हैं जैन धर्म वाली के बड़े लमाची हिंदी गुजरावी माकृत संस्कृत मागधी. आदि भाषाओं की पुस्तकों के भंडार हैं जो जैसलमेर भादि स्थानों में हैं इनकी बहुत सी पुस्तकें हस्त लिखित होने के कारण बड़े २ पुराने पुस्तकालयों और भंडारों में होने से प्रकट रूप संसार में नहीं फैली परन्तु अब इन का प्रकाश देश की
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