________________ ( 16 ) साथ संबंध है। क्योंकि सप्तमंगी नय और प्रमाण रूप है। इतना जानने के बाद अब 'घट पदार्थ पर सामान्यतया सप्तमंगी का उस के अर्थ सहित विचार किया जायगा / 1 स्यादस्त्येव घटः-कथंचित् घट है। 2 स्यानास्त्येव घट:-कथंचित् घट नहीं है। कथंचित् घट नहीं है। 4 स्यादवक्तव्य एव घट:-कथंचित् घट अवक्तव्य है। 5 स्यादस्त्येव स्यादवक्तव्य एव घटः-कथंचित् घट है और अवक्तव्य है। 6 स्यानास्त्येव स्यादवक्तव्य एव घट:-कथंचित् घट. नहीं है; और अवक्तव्य है। 7 स्यादस्त्येव स्यानास्त्येव स्यादवक्तव्य एव घट:कथंचित् घट है, कथंचित् घट नहीं है उस रूप अवक्तव्य है। उक्त सात प्रकारों के सिवा कोई भी आठवाँ प्रकार नहीं हो सकता है; क्यों कि-प्रश्न केवल सात ही प्रकार के है। यद्यपि पदार्थ के धर्म अनंत हैं, इसलिए उन के आश्रय से भंग भी अनंत हैं; तथापि प्रत्येक धर्म पर तो ये सात भंग ही घट सकते हैं। सप्तमंगी का संपूर्ण स्वरूप तत्त्वज्ञानी जान सकते हैं। इसका विशेष स्वरूप जानने की जिन्हें इच्छा हो, उन्हें चाहिए