________________ (14) अवयवों से जो ज्ञान प्रमाता-पुरुष को होता है उस को " अनुमान / कहते हैं। ____ अनुमान दो तरह का होता है-(१) स्वार्थानुमान और ( 2 ) परार्थानुमान / (1) किसी पुरुष ने, रसोई-घर में या ऐसे ही किसी अग्नि जलने वाले स्थान में देखा है कि जहाँ धूआँ होता है वहाँ अग्नि भी अवश्यमेव होती है / एक वार वह पुरुष कारण वश किसी पर्वत के निकट गया / उसने दूर से उस पर्वत पर धूआँ उठते देखा / उस समय उस को, रसोई-घर में धूम्र और अग्नि के साहचर्य का जो अनुभव हुआ था वह याद आ गया / इस से उस को निश्चय हुआ कि जहाँ धूम्र होता है वहाँ अग्नि अवश्यमेव होती है। क्योंकि धूम्र, अग्नि का व्याप्य है। इस लिए इस पर्वत पर अवश्य ही अग्नि है। तर्क-रसिक लोग ऐसे ज्ञान को 'स्वार्थानुमिति ' ज्ञान कहते हैं / इस स्वार्थानुमिति का जो कारण होता है उसको ‘स्वार्थानुमान' कहते हैं। (2) परार्थानुमिति के कारण को 'परार्थानुमान' कहते हैं / परार्यानुमिति में ऊपर बताये हुए पाँच अवयवों की अपेक्षा रहती है। क्योंकि अव्युत्पन्न-मति वाला उक्त पाँच अवयवों की सहायता के विना अनुमान नहीं कर सकता है।