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अंग सुत्ताणि
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भगवई
वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी
Fix Private & Personar
संपादक मुनि नथमल
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भगवान महावीर की पचीसवीं निर्वाण शताब्दी के उपलक्ष में
निग्गंथं पावयणं
अंगसुत्ताणि
भगवई विवाहपण्णत्ती
वाचना प्रमुख आचार्य तुलसी
संपादक मुनि नथमल
प्रकाशक
जैन विश्व भारती लाडनूं (राजस्थान)
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प्रबंध सम्पादक : श्रीचन्द रामपुरिया, निदेशक आगम और साहित्य प्रकाशन विभाग (जैन विश्व भारती)
स्व० श्री बिरधीचन्दजी गोठी
एवं मदनचन्दजी गोठो
की पुण्य स्मृति
प्रकाशन तिथि विक्रम संवत् २०३१ कार्तिक कृष्णा १३ (२५०० वां निर्वाण दिवस)
श्री जयचन्दलालजी
सूरजमलजी गोठी परिवार (सरदारशहर)
आर्थिक सौजन्य
प्रकाशित
पृष्ठांक ११५०
मूल्य : ६०)
एस. नारायण एण्ड संस (प्रिंटिंग प्रेस) ७११७/१८, पहाड़ी धीरंज, दिल्ली-६
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ANGA SUTTĂNI
II
BHAGAWAI
VIĀHAPANNATTI
(Bhagawati Sutra with Original Text Critically edited)
Vāćanā PRAMUKHA ĀCHARYA TULASI
EDITOR MUNI NATHAMAL
Publisher
JAIN VISWA BHĀRATI
LADNUN
(Rajasthan)
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Managing Editor Shreechand Rampuria. Director : Āgama and Sahitya Publication Dept. JAIN VISHWA BHARATI, LADNUN
Published
by the kind
munifience of the members
of the family of
V.S. 2031 Kārtic Kệishna 13 2500th Nirvana Day
Sri Jaichand Lal
Surajmal Gouti
(Sardar Shahar) in sacred memory of Birdhichandji Gouti
and
Pages 1150
Madan Chandji Gouti
Rs. 90/
Printers : S. Narayan & Sons (Printing Press) 7117/18, Pahari Dhiraj, Delhi-6
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अन्तस्तोष
अन्तस्तोष अनिर्वचनीय होता है उस माली का जो अपने हाथों से उप्त और सिंचित द्रुम निकुंज को पल्लवित पुष्पित और फलित हुआ देखता है, उस कलाकार का जो अपनी तुलिका से निराकार को साकार हुआ देखता है और उस कल्पनाकार का जो अपनी कल्पना को अपने प्रयत्नों से प्राणवान् बना देखता है । चिरकाल से मेरा मन इस कल्पना से भरा था कि जैन आगमों का शोध-पूर्ण सम्पादन हो और मेरे जीवन के बहुश्रमीक्षण उसमें लगे । संकल्प फलवान् बना और वैसा ही हुआ। उस कार्य में संलग्न हो गया। अतः मेरे इस अन्तस्तोष चाहता हूं, जो इस प्रवृत्ति में संविभागी रहे हैं।
मुझे केन्द्र मान मेरा धर्म-परिवार में मैं उन सबको समभागी बनाना संक्षेप में वह संविभाग इस प्रकार है
संपादक :
पाठ-संशोधन :
सहयोगी
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"
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•
मुनि नथमल
मुनि दुलहाज मुनि सुदर्शन
संविभाग हमारा धर्म है। जिन-जिनने इस गुरुतर प्रवृत्ति में उन्मुक्त भाव से अपना संविभाग समर्पित किया है, उन सबको मैं आशीर्वाद देता हूं और कामना करता हूँ कि उनका भविष्य इस महान कार्य का भविष्य बने ।
आचार्य तुलसी
मुनि मधुकर
मुनि हीरालाल
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समर्पण
पुट्ठो वि पण्णा-पुरिसो सुदक्खो, आणा-पहाणो जणि जस्स निच्चं । सच्चप्पओगे पवरासयस्स, भिक्खुस्स तस्स प्पणिहाणपुव्वं ॥
जिसका प्रज्ञा-पुरुष पुष्ट पटु, होकर भी आगम-प्रधान था। सत्य-योग में प्रवर चित्त था,
उसी भिक्षु को विमल भाव से ।
विलोडियं आगमदुद्धमेव, लद्धं सुलद्धं णवणीयमच्छं। सज्झाय - सज्झाण - रयस्स निच्चं,
जयस्स तस्स प्पणिहाणपुव्वं ॥
जिसने आगम-दोहन कर कर, पाया प्रवर प्रचूर नवनीत । श्रुत-सद्ध्यान लीन चिर चिन्तन,
जयाचार्य को विमल भाव से ।
पवाहिया जेण सुयस्स धारा, गणे समत्थे मम माणसे वि। जो हेउभूओ स्स पवायणस्स, कालुस्स तस्स प्पणिहाणपुव्वं ॥
जिसने श्रुत की धार बहाई, सकल संघ में मेरे मन में। हेतुभूत श्रुत - सम्पादन में,
कालुगणी को विमल भाव से ।
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१. प्रकाशकीय
२. सम्पादकीय (हिन्दी)
३. भूमिका (हिन्दी)
४. सम्पादकीय (अंग्रेजी) ५. भूमिका (अंग्रेजी)
६. विषयानुक्रम
७. संकेत निर्देशिका
८. भगवई : विग्राहपण्णत्ती
ग्रन्थानुक्रम
परिशिष्ट
१. संक्षिप्त-पाठ, पूर्त स्थल और पूर्ति आधार स्थल २. पूरक पाठ ३. शुद्धिपत्रम्
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प्रकाशकीय
सन् १९६७ की बात | आचार्य श्री बम्बई में विराज रहे थे। मैंने कलकत्ता से पहुंचकर उनके दर्शन किए। उस समय श्री ऋषभदासजी रांका, श्रीमती इन्दु जैन, मोहनलालजी कठौतिया आदि आचार्यश्री की सेवा में उपस्थित थे और 'जैन विश्व भारती' को बम्बई के आस-पास किसी स्थान पर स्थापित करने पर चिन्तन चल रहा था । मैंने सुझाव रखा कि सरदारशहर में 'गांधी विद्या मन्दिर' जैसा विशाल और उत्तम संस्थान है। 'जैन विश्व भारती' उसी के समीप सरदारशहर में ही क्यों न स्थापित की जाये ? दोनों संस्थान एक दूसरे के पूरक होंगे । सुझाव पर विचार हुआ। श्री कन्हैयालालजी दूगड़ ( सरदारशहर ) को बम्बई बुलाया गया । सारी बातें उनके सामने रखी गईं और निर्णय हुआ कि उनके साथ जाकर एक बार इसी दृष्टि से 'गांधी विद्या मन्दिर' संस्थान को देखा जाए । निश्चित तिथि पर पहुंचने के लिए कलकत्ता से श्री गोपीचन्दजी चोपड़ा और मैं तथा दिल्ली से श्रीमती इन्दु जैन, लादूलालजी आच्छा सरदारशहर के लिए रवाना हुए। श्री कन्हैयालालजी दूगड़ दिल्ली से हम लोगों के साथ हुए । श्री रांकाजी बम्बई से पहुंचे । सरदारशहर में भावभीना स्वागत हुआ। श्री दूगड़जी ने 'गांधी विद्या मन्दिर' की प्रबन्ध समिति के सदस्यों को भी आमन्त्रित किया । 'जैन विश्व भारती' सरदारशहर में स्थापित करने के विचार का उनकी ओर से भी हार्दिक स्वागत किया गया । सरदारशहर 'जैन विश्व भारती' के लिए उपयुक्त स्थान लगा । आगे के कदम इसी ओर बढ़े ।
आचार्यश्री संतगण व साध्वियों के वृन्द सहित कर्नाटक में नंदी पहाड़ी पर आरोहण कर रहे थे । आचार्यश्री ने बीच में पैर थामे और मुझ से बोले " जैन विश्वभारती के लिए प्रकृति की ऐसी सुन्दर गोद उपयुक्त स्थान है । देखो, कैसा सुन्दर शान्त वातावरण है ।"
'जैन विश्व भारती' की योजना को कार्य रूप में आगे बढ़ाने की दृष्टि से समाज के कुछ और विचारशील व्यक्ति भी नंदी पहाड़ी पर आए थे । श्री कन्हैयालालजी दूगड़ भी थे । प्रतिक्रमण के बाद का समय था । पहाड़ी की तलहटी में दीपक और आकाश में तारे जगमगा रहे थे । आचार्यश्री गिरि-शिखर पर काँच महल में पूर्वाभिमुख होकर विराजित थे। मैं सामने बैठा था । वचनबद्ध हुआ कि यदि 'जैन विश्व भारती' सरदारशहर में स्थापित होती है, तो उसके लिए मैं अपना जीवन लगाऊंगा । उस समय 'जैन विश्व भारती' की जैन श्वेताम्बर तेरापंथी महासभा के एक विभाग के रूप में परिकल्पना की गई थी। महासभा ने स्वीकार किया और
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मैं उसका संयोजक चुना गया। सरदारशहर में स्थान के लिए श्री कन्हैयालालजी दूगड़ और मैं प्रयत्नशील हुए । आचार्यश्री ऊटी (उटकमण्ड) पधारे। वहां महासभा के सभापति श्री हनुमानमलजी बैगाणी तथा अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे। जैन विश्व भारती की स्थापना प्राकृतिक दृष्टि से साधना के अनुकूल रम्य और शान्त स्थान में होने की बात ठहरी। इस तरह नंदी गिरि की मेरी प्रतिज्ञा से मैं मुक्त हुआ, पर मन ने मुझे कभी मुक्त नहीं किया। आखिर 'जैन विश्व भारती' की मातृ-भूमि बनने का सौभाग्य सरदारशहर से ६६ मील दूर लाडन (राजस्थान) को प्राप्त हआ, जो संयोग से आचार्यश्री का जन्म-स्थान भी है।
आचार्यश्री ने आगम-संशोधन का कार्य हाथ में लिया । सं० २०१३ में लाडन में आचार्य श्री के दर्शन प्राप्त हुए । कुछ ही दिनों बाद सुजानगढ़ में दशवकालिक सूत्र के अपने अनुवाद के दो फार्म अपने ढंग से मुद्रित कराकर सामने रखे । आचार्यश्री मुग्ध हुए। मुनिश्री नथमलजी ने फरमाया--"ऐसा ही प्रकाशन ईप्सित है।" आचार्यश्री की वाचना में प्रस्तुत आगम वैशाली से प्रकाशित हो, इस दिशा में कदम आगे बढ़े। पर अन्त में प्रकाशन कार्य महासभा से प्रारम्भ हुआ। आगम-सम्पादन कीरूपरेखा इस प्रकार रही
१. आगम-सुत्त ग्रन्थमाला : मूलपाठ, पाठान्तर, शब्दानुक्रम आदि सहित आगमों का
प्रस्तुतीकरण। २. आगम-अनुसन्धान ग्रन्थमाला : मूलपाठ, संस्कृत छाया, अनुवाद, पद्यानुक्रम,
सूत्रानुक्रम तथा मौलिक टिप्पणियों सहित आगमों का प्रस्तुतीकरण । ३. आगम-अनुशीलन ग्रन्थमाला : आगमों के समीक्षात्मक अध्ययनों का प्रस्तुतीकरण । ४. आगम-कथा ग्रन्थमाला : आगमों से सम्बन्धित कथाओं का संकलन और अनुवाद । ५. वर्गीकृत-आगम ग्रन्थमाला : आगमों का संक्षिप्त वर्गीकृत रूप में प्रस्तुतीकरण ।
महासभा की ओर से प्रथम ग्रंथमाला में-(१) दसवेआलियं तह उतरज्झयणाणि, (२) आयारो तह आयारचूला, (३) निसीहज्झयणं, (४) उववाइयं और (५) समवाओ प्रकाशित हुए । रायपसेणइयं एवं सूयगडो (प्रथम श्रु तस्कन्ध) का मुद्रण-कार्य तो प्रायः समाप्त हुआ पर वे प्रकाशित नहीं हो पाए।
दूसरी ग्रन्थमाला में-(१) दशवेआलियं एवं (२) उत्तरज्झयणाणि (भाग १ और भाग २) प्रकाशित हुए। समवायांग का मुद्रण-कार्य प्रायः समाप्त हुआ पर प्रकाशित नहीं हो पाया।
तीसरी ग्रंथमाला में दो ग्रंथ निकल चुके हैं : (१) दशवैकालिक : एक समीक्षात्मक अध्ययन और (२) उत्तराध्ययन : एक समीक्षात्मक अध्ययन ।
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चौथी ग्रंथमाला में कोई ग्रंथ प्रकाशित नहीं हुआ ।
पाँचवीं ग्रंथमाला में दो ग्रंथ निकल चुके हैं १. दशर्वकालिक वर्गीकृत ( धर्म-प्रज्ञप्ति ख. १ ) और २. उत्तराध्ययन वर्गीकृत (धर्मप्रज्ञप्ति ख. २ ) ।
उक्त प्रकाशन- कार्य में सरावगी चेरिटेबल फण्ड, कलकत्ता (ट्रस्टी रामकुमारजी सरावगी, गोविंदलालजी सरावगी एवं कमलनयनजी सरावगी का बहुत बड़ा अनुदान महासभा को रहा। अनुदान स्वर्गीय महादेवलालजी सरावगी एवं उनके पुत्र पन्नालालजी सरावगी की स्मृति में प्राप्त हुआ था। भाई पन्नालालजी के प्रेरणात्मक शब्द तो आज भी कानों में ज्यों-के-त्यों गूंज रहे हैं"धन देने वाले तो मिल सकते हैं, पर जो इस प्रकाशन कार्य में जीवन लगाने का उत्तरदायित्व लेने को तैयार है, उनकी बराबरी कौन कर सकेगा ?" उन्हीं तथा समाज के अन्य उत्साहवर्धक सदस्यों के स्नेह-प्रदान से कार्य - दीपक जलता रहा ।
कार्य के द्वितीय चरण में श्री रामलालजी हंसराजजी गोलछा ( विराटनगर ) ने अपना उदार हाथ प्रसारित किया।
आचार्यश्री की वाचना में सम्पादित आगमों के संग्रह और मुद्रण का कार्य अब 'जैन विश्व भारती' के अंचल से हो रहा है। प्रथम प्रकाशन के रूप में ११ अंगों को तीन खण्डों में 'अंगसुत्ताणि' के नाम से प्रकाशित किया जा रहा है:
प्रथम खण्ड में आचार, सूत्रकृत्, स्थान, समवाय — ये प्रथम चार अंग हैं । दूसरे खण्ड में भगवती - पाँचवाँ अंग है ।
तीसरे खण्ड में ज्ञाताधर्मकथा, उपासकदशा, अन्तकृतदशा, अनुत्तरोपपातिकदशा, प्रश्नव्याकरण और विपाकये ६ अंग हैं।
इस तरह ग्यारह अंगों का तीन खण्डों में प्रकाशन 'आगम-सुत्त ग्रंथमाला' की योजना को बहुत आगे बढ़ा देता है।
ठाणांग सानुवाद संस्करण का मुद्रण कार्य भी द्रुतगति से हो रहा है और वह आगमअनुसन्धान ग्रंथमाला के तीसरे ग्रंथ के रूप में प्रस्तुत होगा।
केवल हिन्दी अनुवाद के संस्करण के रूप में 'दशवेकालिक और उत्तराध्ययन' का प्रकाशन हुआ है; जो एक नई योजना के रूप में है । इसमें सभी आगमों का केवल हिन्दी अनुवाद प्रकाशित करने का निर्णय है ।
दशवैकालिक एवं उत्तराध्ययन मूल पाठ मात्र को गुटकों के रूप में दिया जा रहा है । 'जैन विश्व भारती' की इस अंग एवं अन्य आगम प्रकाशन योजना को पूर्ण करने में जिन महानुभावों के उदार अनुदान का हाथ रहा है, उन्हें संस्थान की ओर से हार्दिक धन्यवाद है ।
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मद्रण-कार्य में एस० नारायण एण्ड संस प्रिटिंग प्रेस के मालिक श्री नारायणसिंह जी का विनय, श्रद्धा, प्रेम और सौजन्य से भरा जो योग रहा उसके लिए हम कृतज्ञता प्रगट किए बिना नहीं रह सकते। मद्रण-कार्य को द्रतगति देने में श्री देवीप्रसाद जायसवाल (कलकत्ता) ने रात-दिन सेवा देकर जो सहयोग दिया, उसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं। इस सम्बन्ध में श्री मन्नालाल जी जैन (भूतपूर्व मुनि) की समर्पित सेवा भी स्मरणीय है।
__कार्य की प्रारंभिक व्यवस्था में जैन विश्व भारती के उपसभापति श्री माणिकचंदजी सेठिया एवं श्री मोतीलालजी नाहटा ने मुझे बड़ा ही सहयोग दिया।
'जैन विश्व भारती' के अध्यक्ष श्री खेमचन्दजी सेठिया, मंत्री श्री सम्पत्तरायजी भूतोड़िया तथा कार्य समिति के अन्यान्य समस्त बन्धुओं को भी इस अवसर पर धन्यवाद दिये बिना नहीं रह सकता, जिनका सतत् सहयोग और प्रेम हर कदम पर मुझे बल देता रहा ।
सन १९७३ में मैं जैन विश्व-भारती के आगम और साहित्य प्रकाशन विभाग का निदेशक चना गया। तभी से मैं इस कार्य की व्यवस्था में लगा । आचार्यश्री यात्रा में थे। दिल्ली मद्रण की व्यवस्था बैठाई। कार्यारंभ हुआ, पर टाइप आदि की व्यवस्था में विलंब होने से कार्य में द्रतगति नहीं आई। आचार्यश्री का दिल्ली पधारना हुआ तभी यह कार्य द्रुतगति से आगे बढा । स्वल्प समय में इतना आगमिक साहित्य सामने आ सका उसका सारा श्रेय आगम संपादन के वाचनाप्रमुख आचार्यश्री तुलसी तथा संपादक-विवेचक मुनि श्री नथमलजी को है। उनके सहकर्मी मुनि श्री सुदर्शनजी, मधुकरजी, हीरालालजी तथा दुलहराजजी भी उस कार्य के श्रेयोभागी हैं।
ब्रह्मचर्य आश्रम में ब्रह्मचारी का एक कर्तव्य समिधा एकत्रित करना होता है। मैंने इससे अधिक कुछ और नहीं किया। मेरी आत्मा हर्षित है कि आगम के ऐसे सुन्दर संस्करण जैन विश्व भारती' के प्रारंभिक उपहार के रूप में उस समय जनता के कर-कमलों में आ रहे हैं. जबकि जगतवंद्य श्रमण भगवान् महावीर की २५००वीं निर्वाण तिथि मनाने के लिए सारा विश्व पुलकित है।
४६८४, अंसारी रोड़ २१, दरियागंज दिल्ली-६
श्रीचन्द रामपुरिया
निदेशक आगम और साहित्य प्रकाशन विभाग
जैन विश्व भारती
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सम्पादकीय
ग्रन्थ-बोध
आगम सूत्रों के मौलिक विभाग दो हैं-अंग-प्रविष्ट और अंग-बाह्य । अंग-प्रविष्ट सूत्र महावीर के मुख्य शिष्य गणधर द्वारा रचित होने के कारण सर्वाधिक मौलिक और प्रामाणिक माने जाते हैं। उनकी संख्या बारह है-१. आचारांग २. सूत्रकृतांग ३. स्थानांग ४. समवायांग ५. व्याख्याप्रज्ञप्ति ६. ज्ञाताधर्मकथा ७. उपासकदशा ८. अंतकृतदशा ६. अनुत्तरोपपातिकदशा १०. प्रश्नव्याकरण ११. विपाकश्रुत १२. दृष्टिवाद । बारहवां अंग अभी प्राप्त नहीं है। शेष ग्यारह अंग तीन भागों में प्रकाशित हो रहे हैं। प्रथम भाग में चार अंग हैं,-१. आचारांग २. सूत्रकृतांग ३. स्थानांग और ४. समवायांग, दूसरे भाग में केवल व्याख्याप्रज्ञप्ति और तीसरे भाग में शेष छह
अंग।
प्रस्तुत भाग अंग साहित्य का दूसरा भाग है। इसमें व्याख्याप्रज्ञप्ति का पाठान्तर सहित मूल पाठ है। प्रारम्भ में संक्षिप्त भूमिका है। विस्तृत भूमिका और शब्द-सूची इसके साथ सम्बद्ध नहीं है। उनके लिए दो स्वतन्त्र भागों की परिकल्पना है। उसके अनुसार चौथे भाग में ग्यारह अंगों की भूमिका और पांचवें भाग में उनकी शब्द-सूची होगी।
प्रस्तुत पाठ और सम्पादन-पद्धति
प्रस्तूत आगम का पाठ-संशोधन सात प्रतियों और टीकाओं के आधार पर किया गया है। हम पाठ-संशोधन की स्वीकृत पद्धति के अनुसार किसी एक ही प्रति को मुख्य मानकर नहीं चलते, किन्तु अर्थ-मीमांसा, पूर्वापरप्रसंग, पूर्ववर्ती पाठ और अन्य आगम-सूत्रों के पाठ तथा वृत्तिगत व्याख्या को ध्यान में रखकर मूल पाठ का निर्धारण करते हैं। प्रस्तुत सूत्र की मूल टीका आज उपलब्ध नहीं है । चूणि उपलब्ध है किन्तु वह हमें प्राप्त नहीं हुई। अभयदेव सूरि ने अपनी वृत्ति में जहां-जहां मूल टीका और चूर्णि को उद्धृत किया है, उसका भी हमने पाठ-निर्धारण में उपयोग किया है । लिपिकारों ने समय-समय पर पाठ का संक्षेप किया है। उस संक्षेपीकरण के अनेक रूप मिलते हैं । पाठ-संशोधन में प्रयुक्त प्रतियों में क्रोधोपयुक्त आदि भंगों की चार वाचनाएं मिलती हैं। उनमें पाठ का संक्षेप भिन्न-भिन्न प्रकार से किया गया है, देखें... आगम प०३६ । लिपिभेद के कारण भी पाठ में गलतियां हुई हैं। ११३६५ सूत्र में प्रादोषिकी क्रिया के लिए 'पाओसियाए' पाठ है। कुछ प्रतियों में 'पाउसियाए' पाठ मिलता है। प्राचीन लिपि में 'ओ'
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और 'उ' का भेद करना कठिन होता है । यही कारण है कि आधुनिक प्रतियों में बहुलतया 'ओ' के स्थान में 'उ' मिलता है । जो प्रतियां भाषाविद् लिपिकारों द्वारा लिखी गईं, उनमें 'ओकार ' मिलता है; किन्तु जो केवल लिपिकों द्वारा लिखी गईं, उनमें 'ओकार' के स्थान में 'उकार' हो गया । 'ओवासंतरे' और 'उवासंतरे' यह पाठ भेद भी उक्त कारण से ही हुआ है। देखें - सूत्र १1३२ ( पृ० ६६), सूत्र ९।४४४ ( पृ० ७७)।
८२४२ सूत्र में 'छेत्तेहि' पाठ है । लिपिभेद होते-होते 'बित्तेहि', 'छत्तेहि', 'चितेहि'- -इस प्रकार अनेक पाठ बन गए । ८।३०१ में 'तदा' के स्थान पर 'तहा' पाठ हो गया ।
कुछ प्रतियों में संक्षिप्त वाचना है। वृत्तिकार को भी संक्षिप्त वाचना प्राप्त हुई थी इसलिए उन्होंने लिखा कि अन्ययूथिक वक्तव्यता स्वयं उच्चारणीय है । ग्रन्थ के बड़ा होने के भय से वह लिखी नहीं गई । वृत्तिकार ने वृत्ति में संक्षिप्त पाठ को पूर्ण किया। कुछ लिपिकों ने वृत्ति के पाठ को मूल में लिखा और पूर्ण पाठ की वाचना संक्षिप्त पाठ की वाचना से भिन्न हो गई ।
कुछ आदर्शो में संक्षिप्त और विस्तृत — दोनों वाचनाओं का मिश्रण मिलता है। सूत्र २।४७ ( पृ० ८८) में 'खंदया पुच्छा' यह संक्षिप्त पाठ है। किसी लिपिकार ने प्रति के हासिये (Margin) में अपनी जानकारी के लिए इसका पूरा पाठ लिख दिया और उसकी प्रतिलिपियों में संक्षिप्त और विस्तृत — दोनों पाठ मूल में लिख दिए गए, देखें – ५१२२ सूत्र का पादटिप्पण ( पृ० २०६ ), २।११८ सूत्र का प्रथम पादटिप्पण ( पृ० ११२ ) । १९।५९ में पूरा पाठ और 'जहा ओवाइए' यह संक्षिप्त पाठ -- दोनों साथ-साथ लिखे हुए हैं । असोच्चा केवली के प्रकरण में भी ऐसा ही मिलता है । कुछ प्रतियों में वृत्ति में उद्धृत पाठ का समावेश हुआ है, देखें - २७५ सूत्र का दूसरा पादटिप्पण ( पृ० ६९ ) । कहीं-कहीं वृत्तिकार द्वारा किया हुआ वैकल्पिक अर्थ भी उत्तरवर्ती प्रतियों में मूल पाठ के रूप में स्वीकृत हो गया, देखें - ५।५१ सूत्र का प्रथम पादटिप्पण ( पृ० १६४ ) ।
पाठ-संशोधन में दूसरे आगमों के पाठों को भी आधार माना जाता है । २।१४ सूत्र में 'चियतं ते उरघरप्पवेसा' इस पाठ के अनन्तर सभी प्रतियों में 'बहूहिं सीलव्वय-गुण- वेरमणपच्चक्खाण-पोस होववासे हि यह पाठ है। वहां इसकी अर्थ- संगति नहीं होने के कारण वृत्तिकार को 'तैर्युक्ता इति गम्य' यह लिखना पड़ा, किन्तु ओवाइय और रायपसेणइय सूत्र को देखने से पता चलता है कि उक्त पाठ प्रतियों में जहां लिखित है वहां नहीं होना चाहिए। उक्त दोनों सूत्रों के आधार पर आलोच्य पाठ का क्रम इस प्रकार बनता है - 'ओसह - भेसज्जेणं पडिलाभमाणा बहूहिं सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणा विहरति ।'
२२।१ सूत्र में सभी आदर्शों में 'सारकल्लाण जाव केवइ' पाठ लिखित है, किन्तु यहां 'जाव' का कोई प्रयोजन नहीं है । भगवती ८।२१७ तथा प्रज्ञापना के प्रथम पद के आधार पर 'जाव' के स्थान पर 'जावति' पाठ प्रमाणित होता है ।
१. इह सूत्रेऽन्ययूथिक वक्तव्यं स्वयमुच्चारणीयं ग्रन्थगौरवभयेनाऽलिखितत्वात्तस्य तच्चेदम् । वृत्तिपत्र १०६ ।
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पाठ में वर्ण - परिवर्तन से बहुत बार अर्थ नहीं बदलता किन्तु कहीं-कहीं अर्थ समझने में कठिनाई होती है और वह बदल भी जाता है । ६ ।ε० सूत्र में 'हव्वि' पाठ है उसके 'हेट्ठि' और 'हिट्ठि' – ये दो पाठान्तर मिलते हैं । वृत्तिकार अभयदेवसूरि ने यहां 'हव्वि' का अर्थ 'सम' किया है, देखें – वृत्ति पत्र २७१ । स्थानांग सूत्र ( ८।४३ ) में इसी प्रकरण में 'हेट्ठि' पाठ है । वहां अभयदेवसूरि ने उसका अर्थ 'ब्रह्मलोक के नीचे' किया है, देखें — स्थानांगवृत्ति पत्र ४१० ।
कहीं-कहीं लेखक के समझभेद और लिपिभेद के कारण भी पाठ का परिवर्तन हुआ है । ६।१६५ सूत्र में 'ओधरेमाणी - ओधरेमाणी' पाठ है । कुछ प्रतियों में यह पाठ 'उवधरेमाणीओउवधरेमाणीओ' इस रूप में मिलता है । एक प्रति में यह पाठ 'उवरिधरेमाणीओ-उवरिधरेमाणीओ' इस रूप में बदल गया ।
पाठ - परिवर्तन के कुछेक उदाहरण इसलिए प्रस्तुत किए गए हैं कि पाठ - संशोधन में केवल प्रतियों या किसी एक प्रति को आधार नहीं माना जा सकता । विभिन्न आगमों, उनकी व्याख्याओं और अर्थ संगति के आधार पर ही पाठ का निर्धारण किया जा सकता है ।
संक्षेपीकरण और पाठ संशोधन की समस्या
देवगण ने जब आगम सूत्र लिखे तब उन्होंने संक्षेपीकरण की जो शैली अपनाई उसका प्रामाणिक रूप प्रस्तुत करना बहुत कठिन कार्य है और वह कठिन इसलिए है कि उत्तरकाल में अनेक आगमधरों ने अनेक बार आगम पाठों का संक्षेपीकरण किया है। संभव है कुछ लिपिकों भी लेखन की सुविधा के लिए पाठ-संक्षेप किया है ।
१३।२५ सूत्र के संक्षिप्त पाठ में भवनपति देवों के प्रकार आदि जानने के लिए दूसरे शतक के देवोद्देशक की सूचना दी गई है, किन्तु वहां (२।११७, पृ० १११) विस्तृत पाठ नहीं है अपितु प्रज्ञापना के स्थानपद को देखने की सूचना मिलती है । १६।३३ सूत्र के संक्षिप्त पाठ में तृतीय शतक (सूत्र २७, पृ० १३०) देखने की सूचना दी गई है, किन्तु वहां पाठ पूरा नहीं है। वहां ' राय सेणइय ' सूत्र देखने की सूचना दी गई है ।
१६।७१ सूत्र के संक्षिप्त पाठ में उद्रायण का प्रकरण ( १३ | ११७, पृ० ६१४) देखने की सूचना है। वहां पाठ पूरा नहीं है । इसी प्रकार १६ १२१, १८५६, १६७७ में विस्तृत पाठ की सूचनाएं हैं, किन्तु सूचित स्थलों में पाठ विस्तृत नहीं है ।
उक्त सूचनाओं के आधार पर यह अनुमान होता है कि जिस समय में पाठ संक्षिप्त किए गए उस समय सूचित स्थलों के पाठ पूर्ण थे । उसके पश्चात् किसी अनुयोगधर आचार्य ने उन पूर्ण पाठों का भी संक्षेपीकरण कर दिया। संक्षेपीकरण के लिए 'जाव', 'जहा' आदि पदों का प्रयोग किया गया है । कहीं-कहीं 'जाव' का अनावश्यक - सा प्रयोग हुआ है । वह या तो लिपिक का प्रमाद रहा है या प्रवाह के रूप में वह लिखा गया है। जहां 'जाव' का प्रयोग है वहां लिपिकारों ने पर्याप्त स्वतंत्रता बरती है । किसी ने 'पावफल जाव कज्जंति' लिखा है तो किसी ने 'पावफलविवाग जाव कज्जति' लिखा है । कहीं-कहीं 'विद' (७/१६६), 'पयोग' (८।१७), 'सहस्स' (१६।१०३) जैसे छोटे
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पाठों के स्थान पर भी 'जाव' पद लिखा हुआ मिलता है। इस प्रकार के पाठ-संक्षेप लिपिकारों द्वारा समय-समय पर किए हुए प्रतीत होते हैं।
वर्तमान में प्रस्तुत आगम की मुख्य दो वाचनाएं मिलती हैं- संक्षिप्त और विस्तृत । संक्षिप्त वाचना का ग्रन्थ परिमाण १५७५१ अनुष्टुप् श्लोक परिमाण माना जाता है । विस्तृत वाचना का ग्रन्थ परिमाण सवा लाख अनुष्टप श्लोक माना जाता है। अभयदेवसूरि ने संक्षिप्त वाचना को ही आधार मानकर प्रस्तुत आगम की वृत्ति लिखी है। हमने इस पाठ संपादन में 'जाव' आदि पदों द्वारा समर्पित पाठों की यथावश्यक पूर्ति की है। उससे इसका ग्रन्थ परिमाण १६३१६ अनुष्टुप् श्लोक, १६ अक्षर अधिक हो गया है।
शब्दान्तर और रूपान्तर
(ता) (क) (क, ता, म) (ता) (ता)
निगम अप्पिया एते सिं वइ० वइ० मायो पोयंत कज्ज पाणाइवाय नेरइयाणं उवओगे
११४६ ११२२४ श२२४ १।२३७ ११२३६ ११२४५ श२७३ १२२७६ श२८१ ११२८१ श२६८२ १॥३१५ ११३५४ ११३५७ ११३५७ ११३६३ ११३६४ ११३६५ ११३७० ११३७१ ११३७१ ११३७१ ११३८५
नियम अप्पिता तेतेसिं वति० वयि० माओ० पोदंतं किज्जइ पाणायवाय नेरतियाणं ओवओगे अधे करिज्ज करेज्जा
अहे
करेज्ज दुहिए
दुक्खिए
दुग्गंधे
दुगंधे
(क, ता, ब, म, स) (ब, स) (स) (अ, ब, स) (ता) (ता) (क) (स) (क, ता, म) (अ, म, स) (क, ता) (ता) (अ, ब) (ता) (ता) (क, ता) (ता) (ब, स)
आरिय चउ पाओसिया सय संधिज्जमाणे निसिढे काइयाए पाणाइवाय०
यारियं चतु पायोसिया सत संधेज्जमाणे निसट्टे कातियाए पाणायवाय
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१३८६
१४१५
१।४२४
१।४२५
१।४३४
२।२६
२।४१
२।५७
२/६६
२।६६
२१६८
२६८
२१६८
२६४
२१६४
३४
३।२१
३।२५
३।३३
३।११२
३।११२
३।१४३
३ । १४८
५।३
५।६०
५/७६
५।८२
५।११०
५।१३६
६।६३
६।६३
६।७६
६६०
ह्रस्सी
जहा
सामाइयस्स
जइ
किवणस्स
मागहा
विट्टभोई
सामाइयमाइयाई
धमणि०
रयणीए
आरूहेइ
खाइमसाइमं
सयमेव
अवं गुय०
खाइमसाइमेणं
अयमेयारूवे
ईसा
मोयाओ
खाइमसाइमेण
सय णिज्जाओ
तिर्वात
वेयति
समय ०
'पडीण'
आउए
रयहरणमायाए
auraडियं
समयंसि
'लोइय'
सकसाईहि
सजोगी
नागो
कण्हरातीओ
१७
हुस्सी, ह्रस्वी
जधा
सामातियस्स
जति
( अ, क, ब, म, स)
किविणस्स
(ता)
मागधा
(ता)
( अ, ता, ब, म, स )
वियट्टभोती सामाइगमादीयाति सामातिय मातियाइं ( स ) (क)
धवणि०
(क, ता, ब, म )
रतणीए
(ATT)
आरूभेइ
(क, म)
खातिमसातिमं
( ब, स )
(ता)
(म)
( ब, स )
(ता) (AT) (क, ता)
सतमेव
अवंगत ०
खातिमसातिमेणं
अतमेतारूवे
तीसा
मोतातो
खातिमसातिमेणं
सतणिज्जाओ
तिपति
वेदति
समत०
'पदीण'
आउगे
रतहरणमाताए वेदावडियं
समतंसि
'लोतिय'
सकसादीहिं
सजोति
नाओ कण्हरायीतो
हस्सी (क) (ब); ( स ) ; ( अ, ब, स )
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( ब, स )
(ता)
(ता)
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(ता)
(अ, स)
(ता)
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(ब)
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(ता)
(ता)
७११७६ ७।२१३ ८।२४८ ८।३१५ ८।३४७ ८।४२० ८।४३१ ८।४३१ है।४३
(ब) (ता) (क, ब, म)
कालगं ० जय ० अयमेयारूवे अणुप्पदायव्वे गोयं अणादीय० सातणयाए इस्सरिय० इस्सरिय सकसाई अहिओ (अ); मय० सवणयाए धूव नीव पउमसर नियम एयणा मायिमिच्छ० जति इंदियाणि सजोगी
कालतं ० जत ० अतमेतारूवे अणुप्पतातब्वे गोद अणातीत० सादणताए दिस्सरिय० तिस्सरिय० सकसादी अहितो अधितो मद० मत० समणयाए धूम
(म)
(म) (अ, ता) (क) (ता) (ता) (ब) (अ) (ता) (ता, ब) (ता)
नीम
६१७४ ६।१६६ ११।१३३ ११।१३४ ११११४२ १६३११३ १७।३८ १८।१०० १९८५ ३०१२२
पदुमसर नितम एतणा मादिमिच्छ० जदिदियाणि सजोती
(ता, ब) (ब) (ता) (ख)
प्रति परिचय (अ) भगवती वृत्ति (पंचपाठी) मूलपाठ सहित (हस्तलिखित)
___ यह प्रति गधैया पुस्तकालय, सरदारशहर की है। इसके पत्र १८६ तथा पृष्ठ ३७८ हैं । प्रत्येक पत्र १३१ इंच लम्बा तथा ४३ इंच चौड़ा है । पत्रों में मूलपाठ की १ से २३ तक पंक्तियां हैं। प्रत्येक पंक्ति में ८० से ८५ तक अक्षर हैं। प्रति सुन्दर तथा कलात्मक ढंग से लिखी गई है। बीच में बावड़ी भी है। लिपि-संवत् नहीं लिखा गया है। अनुमानतः यह प्रति १५-१६ वीं शताब्दि की लगती है। (क) भगवती मूलपाठ (हस्तलिखित)
यह प्रति पूनमचन्द बुधमल दूधोड़िया, छापर के संग्रहालय की है। इसके पत्र ३३३ व पृष्ठ ६६६ हैं । प्रत्येक पत्र १०१ इंच लम्बा तथा ४३ इंच चौड़ा है। प्रत्येक पत्र में १५ पंक्तियां
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तथा प्रत्येक पंक्ति में ५२ से ५५ तक अक्षर हैं। प्रति सुन्दर और कलात्मक है। बीच-बीच में लाल पाइयां तथा बावड़ी है। लिपि संवत् नहीं दिया गया है। वह प्रति अनुमानतः १६ वीं सदी की है।
(ख) ताडपत्रीय मूलपाठ
वह प्रति जेसलमेर भंडार की ताडपत्रीय ( फोटो प्रिंट) मदनचन्दजी गोठी सरदारशहर द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ४२२ तथा पृष्ठ ८४४ हैं। प्रत्येक पृष्ठ में ३ से ६ तक पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में १३० से १४० तक अक्षर हैं। अंतिम प्रशस्ति में लिखा है
॥ छ ॥ मंगलं महा श्रीः ॥ छ ॥ छ ॥ छ ॥ रा ॥
लिपि संवत् नहीं दिया गया है। यह प्रति अनुमानतः १२ वीं शताब्दी की होनी चाहिए।
(ता) ताडपत्रीय मूलपाठ
यह प्रति जैसलमेर भंडार की ताडपत्रीय ( फोटो प्रिंट) मदनचन्दजी गोठी सरदारशहर द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ३४८ तथा पृष्ठ ६६६ हैं । प्रत्येक पृष्ठ में ५ से ६ तक पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में १३० से १४० तक अक्षर हैं। अंतिम पत्र पर चित्र किये हुए हैं।
अंतिम प्रशस्ति में लिखा है
। छ | भगवद्द समत्ता ॥ छ ॥ छ ॥ छ ॥ संवत् १२३५ विशाल यदि एकादश्यां गुरौ अपरान्हे लेखकवण चंडेन लिखितमिति ॥
(ब) भगवतो मूलपाठ (हस्तलिखित)
यह प्रति तेरापंथी सभा, सरदारशहर की है। इसके पत्र ४७८ तथा १५६ पृष्ठ हैं। प्रत्येक पत्र १०३ इंच लम्बा तथा ४३ इंच चौड़ा है । प्रत्येक पत्र में १६ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ३८ से ४२ अक्षर हैं । प्रति सुन्दर तथा कलात्मक है । प्रत्येक पत्र में तीन स्थानों पर बावड़ी तथा लाल लाइनें है और हरताल से काम किया हुआ है । अंतिम प्रशस्ति के अभाव में लिपि संवत् अज्ञात है। यह अनुमानतः १६ वीं शताब्दि की प्रति लगती है।
(म) भगवती सूत्र मूलपाठ (हस्तलिखित)
यह प्रति गधेया पुस्तकालय, सरदारशहर की है। इसके पत्र ४८२ तथा पृष्ठ ९६४ हैं । प्रत्येक पत्र १० इंच लम्बा तथा ४ इंच चौड़ा है। प्रत्येक पृष्ठ में १३ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ४० से ४५ तक अक्षर हैं । पत्रों के बीच-बीच में लाल पाइयां तथा बावड़ी है ।
इसके अन्त में लिपि संवत् दिया हुआ नहीं हैं, पर वह प्रति लगभग १६ वीं शताब्दी की होनी चाहिए।
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अंतिम प्रशस्ति में लिखा है॥ छ । ग्रंथाग्रं १५७७५ ॥ छ ।। छ । छ ॥ छ । श्री। छ। श्री कल्याणमस्तु ।। शुभं भवत् ॥ छ । श्री। श्री। छ। छ । प्रति में अनेक स्थलों पर संस्कृत में टिप्पण भी दिये हुए हैं।
(स) भगवती सूत्र (त्रिपाठी)
केशर भगवती नाम से ख्यात यह प्रति हमारे संघीय पुस्तकालय की है। इसके ६०२ पत्र तथा १२०४ पृष्ठ हैं । पत्र के मध्य में मूल पाठ तथा ऊपर नीचे वृत्ति लिखी गई है। यह प्रति सुन्दर और काफी शुद्ध है। किसी पाठक ने मुद्रित प्रति को प्रमाण मानकर स्थान-स्थान पर हरताल लगाकर इसे शुद्ध करने का प्रयत्न किया है। जहां ऐसा किया गया है वहां प्रायः शुद्ध पाठ अशुद्ध बन गया है। इसके प्रत्येक पृष्ठ में मूल पाठ की ४ से १५ तक पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में ४५ से ५३ तक अक्षर हैं । प्रशस्ति में लिखा है
श्री भगवती सूत्रं सम्पूर्ण ॥ छ । श्री विवाहपन्नत्ती पंचमं अंगं सम्मत्तं ।। शुभं भवतु । ग्रंथान १५६७५ उभयमीलने ग्रं० ३४२६१ ॥ श्री। लिषितं यती डाहामल्लः श्री नागोरमध्ये सं०१८४८ माह शु १५। वृ (वृपा) मुद्रित
प्रकाशक:-श्रीमती आगमोदय समिति ।
सहयोगानुभूति
जैन-परम्परा में वाचना का इतिहास बहुत प्राचीन है। आज से १५०० वर्ष पूर्व तक आगम की चार वाचनाएं हो चुकी हैं। देवद्धिगणी के बाद कोई सुनियोजित आगम-वाचना नहीं हई। उनके वाचना-काल में जो आगम लिखे गए थे, वे इस लम्बी अवधि में बहुत ही अव्यवस्थित हो गए। उनकी पुनर्व्यवस्था के लिए आज फिर एक सुनियोजित वाचना की अपेक्षा थी। आचार्यश्री तुलसी ने सुनियोजित सामूहिक वाचना के लिए प्रयत्न भी किया था, परन्तु वह पूर्ण नहीं हो सका । अन्ततः हम इसी निष्कर्ष पर पहंचे कि हमारी वाचना अनुसन्धानपूर्ण, तटस्थदष्टि-समन्वित तथा सपरिश्रम होगी तो वह अपने-आप सामूहिक हो जाएगी। इसी निर्णय के आधार पर हमारा यह आगम-वाचना का कार्य प्रारम्भ हुआ।
हमारी इस वाचना के प्रमुख आचार्यश्री तुलसी हैं। वाचना का अर्थ अध्यापन है। हमारी इस प्रवृत्ति में अध्यापन-कर्म के अनेक अंग हैं-पाठ का अनुसंधान, भाषान्तरण, समीक्षात्मक अध्ययन आदि-आदि । इन सभी प्रवत्तियों में आचार्यश्री का हमें सक्रिय योग, मार्ग-दर्शन और प्रोत्साहन प्राप्त है। यही हमारा इस गुरुतर कार्य में प्रवृत्त होने का शक्ति-बीज है।
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मैं आचार्यश्री के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित कर भार-मुक्त होऊं, उसकी अपेक्षा अच्छा है कि अग्रिम कार्य के लिए उनके आशीर्वाद का शक्ति-संबल पा और अधिक भारी बनू ।
प्रस्तुत आगम के सम्पादन में पाठ-सम्पादन के स्थायी सहयोगी मुनि सुदर्शनजी, मधुकरजी और हीरालालजी के अतिरिक्त मुनिश्री कानमल जी, छत्रमलजी, अमोलकचन्दजी, दिनकरजी,पूनमचन्दजी, कन्हैयालालजी, राजकरणजी, ताराचन्दजी, बालचन्द्रजी, विजयराजजी, मणिलालजी, महेन्द्रकुमारजी (द्वितीय), सम्पतमलजी (डूंगरगढ़), शान्तिकुमारजी, मोहनलालजी (शार्दूल) और श्रीमन्नालाल जी बोरड़ का योग रहा है। पाठ-सम्पादन का कार्य सं० २०२६ पौष कृष्णा ६ (२८ दिसम्बर १६७२) को सरदारशहर (राजस्थान) में आरम्भ किया गया और वह सं० २०३० फाल्गुन शुक्ला ११ (४ मार्च १६७४) को दिल्ली में पूरा हुआ।
प्रति शोधन में मुनि सुदर्शनजी, मधुकरजी, हीरालालजी और दुलहराजजी ने बहुत श्रम किया है । इसका ग्रन्थ-परिमाण मुनि मोहनलाल जी आमेट ने तैयार किया है।
कार्यनिष्पत्ति में इनके योगका मूल्यांकन करते हुए मैं इन सबके प्रति आभार व्यक्त करता हूँ।
आगमविद् और आगम-संपादन के कार्य में सहयोगी स्व० श्री मदनचन्दजी गोठी को इस अवसर पर विस्मत नहीं किया जा सकता । यदि वे आज होते तो भगवती के कार्य पर उन्हें परम हर्ष होता।
आगम के प्रबन्ध सम्पादक श्री श्रीचन्दजी रामपुरिया प्रारम्भ से ही आगम कार्य में संलग्न रहे हैं। आगम साहित्य को जन-जन तक पहुँचाने के लिए वे कृत-संकल्प और प्रयत्नशील हैं । अपने सुव्यवस्थित वकालत कार्य से पूर्ण निवृत्त होकर अपना अधिकांश समय आगम-सेवा में लगा रहे हैं। 'अंगसुत्ताणि' के इस प्रकाशन में इन्होंने अपनी निष्ठा और तत्परता का परिचय दिया है।
'जैन विश्व भारती' के अध्यक्ष श्री खेमचन्द जी सेठिया, 'जैन विश्व भारती' तथा 'आदर्श साहित्य संघ' के कार्यकर्ताओं ने पाठ-सम्पादन में प्रयुक्त सामग्री के संयोजन में बड़ी तत्परता से कार्य किया है।
एक लक्ष्य के लिए समान गति से चलने वालों की समप्रवृत्ति में योगदान की परम्परा का उल्लेख व्यवहारपूतिमात्र है। वास्तव में यह हम सब का पवित्र कर्तव्य है और उसी का हम सबने पालन किया है।
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दिवासणास दिसताश्वासयामा ए गिदियम् वारसाते दिया वारसा शिवामपाद एक्कतासंएगदिवासादिनिकगिरासी मसती ॥ लिखितूं न कराने में हाई रेजाने
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'ब' संज्ञक भगवई सूत्र का अंतिम पृष्ठ (तेरापंथी सभा हस्तलिखित संग्रहालय, सरदारशहर )
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'अ' संज्ञक भगवई सूत्र का अंतिम पृष्ठ (गणेशदास गधैया हस्तलिखित संग्रहालय, सरदारशहर)।
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'ता' संज्ञक ताडपत्रीय भगवई सूत्र का प्रथम पृष्ठ (जेसलमेर जैन ज्ञान भंडार )।
गारा
बिसारी धारणापायपरिक
बिगाहसमान आवारमारियायत
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समाजनिसियजिनकी SHETसम्पायपीएस तिमिलनावाचावयव Ապրանայան
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CREDASTERSTOORNER SAMASTEPORN
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बाक्लयन्ती मनाया आमतपयन याय
मिकराना मामिलाilalla दिशकार करावयव
शिकायणी नानाभणार मासना विवि नववा पहिनिस्वाति
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'ता' संज्ञक ताडपत्रीय भगवई सूत्र का अंतिम पृष्ठ (जेसलमेर जैन ज्ञान भंडार) ।
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भूमिका
प्रस्तुत आगम का नाम व्याख्याप्रज्ञप्ति है। प्रश्नोत्तर की शैली में लिखा जाने वाला ग्रन्थ व्याख्याप्रज्ञप्ति कहलाता है। समवायांग और नन्दी के अनुसार प्रस्तुत आगम में छत्तीस हजार प्रश्नों का व्याकरण है । तत्त्वार्थवालिक, पट्खण्डागम और कसायपाहुड के अनुसार प्रस्तुत आगम में साठ हजार प्रश्नों का व्याकरण है' ।
नामकरण
प्रस्तुत आगम का वर्तमान आकार अन्य आगमों की अपेक्षा अधिक विशाल है। इसमें विषयवस्तु की विविधता है । सम्भवतः विश्वविद्या की कोई भी ऐसी शाखा नहीं होगी जिसकी इसमें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप में चर्चा न हो । उक्त दृष्टिकोण से इस आगम के प्रति अत्यन्त श्रद्धा का भाव रहा । फलतः इसके नाम के साथ 'भगवती' विशेषण जुड़ गया, जैसे- भगवती व्याख्याप्रज्ञप्ति | अनेक शताब्दियों पूर्व 'भगवती' विशेषण न रहकर स्वतन्त्र नाम हो गया । वर्तमान में व्याख्याप्रज्ञप्ति की अपेक्षा 'भगवती' नाम अधिक प्रचलित है।
विषय-वस्तु
प्रस्तुत आगम के विषय के सम्बन्ध में अनेक सूचनाएं मिलती हैं । समवायांग में बताया गया है कि अनेकों देवों, राजों और राजर्षियों ने भगवान् से विविध प्रकार के प्रश्न पूछे और भगवान् ने विस्तार से उनका उत्तर दिया। इसमें स्वसमय, परसमय, जीव, अजीव, लोक और अलोक व्याख्यात है । आचार्य अकलंक के अनुसार प्रस्तुत आगम में जीव है या नहीं है— इस प्रकार के अनेक प्रश्न निरूपित हैं। आचार्य वीरसेन के अनुसार प्रस्तुत आगम में प्रश्नोत्तरों के साथसाथ छियानवे हजार दिन्नच्छेद नयों से शापनीय शुभ और अशुभ का वर्णन है'।
१. समवाओ, सूत्र ९३; नंदी, सूत्र ८५ ।
२. तत्त्वार्थवार्तिक १।२०; षट्खण्डागम १, पृ० १०१ कसायपाहुड १, पृ० १२५ ।
३. समवाओ, सूत्र ९३ ।
४. तत्त्वार्थवार्तिक १।२०
५. जिस व्याख्या पद्धति में प्रत्येक श्लोक और सूत्र की स्वतन्त्र, दूसरे श्लोकों और सूत्रों से निरपेक्ष व्याख्या
की जाती है उस व्याख्यापद्धति का नाम छिन्नच्छेद नय है ।
६. कसायपाहुड भाग १, पृ० १२५ ।
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२४
उक्त सूचनाओं से प्रस्तुत आगम का महत्व जाना जा सकता है। वर्तमान विज्ञान की अनेक शाखाओं ने अनेक नए रहस्यों का उद्घाटन किया है । हम प्रस्तुत आगम की गहराइयों में जाते हैं तो हमें प्रतीत होता है कि इन रहस्यों का उद्घाटन ढाई हजार वर्ष पूर्व ही हो चुका था।
भगवान महावीर ने जीवों के छह निकाय बतलाए। उनमें त्रस निकाय के जीव प्रत्यक्ष सिद्ध हैं। वनस्पति निकाय के जीव अब विज्ञान द्वारा भी सम्मत हैं। पृथ्वी, पानी, अग्नि और वायु-इन चार निकायों के जीव विज्ञान द्वारा स्वीकृत नहीं हुए। भगवान् महावीर ने पृथ्वी आदि जीवों का केवल अस्तित्व ही नहीं बतलाया, उनका जीवनमान, आहार, श्वास, चैतन्य-विकास संज्ञाएं आदि पर भी पर्याप्त प्रकाश डाला है। पृथ्वीकायिक जीवों का न्यूनतम जीवनकाल अन्तर-, मुहर्त का और उत्कृष्ट जीवनकाल बाईस हजार वर्ष का होता है। वे श्वास निश्चित कम से नहीं लेते-कभी कम समय से और कभी अधिक समय से लेते हैं। उनमें आहार की इच्छा होती है। वे प्रतिक्षण आहार लेते हैं। उनमें स्पर्शनेन्द्रिय का चैतन्य स्पष्ट होता है। चैतन्य की अन्य धारायें अस्पष्ट होती हैं।
मनुष्य जैसे श्वासकाल में प्राणवायु का ग्रहण करता है वैसे पृथ्वीकाय के जीव श्वासकाल में केवल वायु को ही ग्रहण नहीं करते किन्तु पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु और वनस्पति--इन सभी के पुद्गलों को ग्रहण करते हैं।
पथ्वी की भांति पानी आदि के जीव भी श्वास लेते हैं, आहार आदि करते हैं। वर्तमान विज्ञान ने वनस्पति जीवों के विविध पक्षों का अध्ययन कर उनके रहस्यों को अनावृत किया है, किन्तु पथ्वी आदि के जीवों पर पर्याप्त शोध नहीं की। वनस्पति क्रोध और प्रेम प्रदर्शित करती है। प्रेमपूर्ण व्यवहार से वह प्रफुल्लित होती है और घृणापूर्ण व्यवहार से वह मुरझा जाती है। विज्ञान के ये परीक्षण हमें महावीर के इस सिद्धान्त की ओर ले जाते हैं कि वनस्पति में दस संज्ञाएं होती हैं। वे संज्ञाए निम्न प्रकार हैं-आहार संज्ञा, भय संज्ञा, मैथुन संज्ञा, परिग्रह संज्ञा, क्रोध संज्ञा, मान संज्ञा, माया संज्ञा, लोभ संज्ञा, ओघ संज्ञा और लोक संज्ञा। इन संज्ञाओं का अस्तित्व होने पर वनस्पति अस्पष्ट रूप में वही व्यवहार करती है जो स्पष्ट रूप में मनुष्य करता है।
प्रस्तुत विषय की चर्चा एक उदाहरण के रूप में की गई है। इसका प्रयोजन इस तथ्य की ओर इंगित करना है कि इस आगम में ऐसे सैंकड़ों विषय प्रतिपादित हैं जो सामान्य बुद्धि द्वारा ग्राह्य नहीं हैं। उनमें से कुछ विषय विज्ञान की नई शोधों द्वारा अब ग्राह्य हो चुके हैं और अनेक विषयों को परीक्षण के लिए पूर्व-मान्यता के रूप में स्वीकार किया जा सकता है। सूक्ष्म जीवों की गतिविधियों के प्रत्यक्षतः प्रमाणित होने पर केवल जीव-शास्त्रीय सिद्धान्तों का ही विकास नहीं होता, किन्तु अहिंसा के सिद्धान्त को समझने का अवसर मिलता है और साथ-साथ सूक्ष्म जीवों के प्रति किए जाने वाले व्यवहार की समीक्षा का भी।
१. भगवई १।१।३२, पृ०६। २. भगवई ॥३४२५३,२५४, ३०४६४ ।
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भगवान महावीर ने पांच मूल द्रव्यों का प्रतिपादन किया। वे पंचास्तिकाय कहलाते हैं। उनमें धर्मास्तिकाय. अधर्मास्तिकाय और आकाशास्तिकाय-ये तीनों अमर्त्त होने के कारण अदश्य हैं। जीवास्तिकाय अमूर्त होने के कारण दृश्य नहीं है फिर भी शरीर के माध्यम से प्रकट होने वाली चैतन्य क्रिया के द्वारा वह दृश्य है। पुद्गलास्तिकाय [परमाणु और स्कन्ध] मर्त्त होने के कारण दश्य है। हमारे जगत् की विविधता जीव और पुद्गल के संयोग से निष्पन्न होती है। प्रस्तत आगम में जीव और पुद्गल का इतना विशद निरूपण है जितना प्राचीन धर्मग्रन्थों या दर्शनग्रन्थों में सुलभ नहीं है।
प्रस्तुत आगम का पूर्ण आकार आज उपलब्ध नहीं है किन्तु जितना उपलब्ध है उसमें हजारों प्रश्नोत्तर चचित हैं। ऐतिहासिक दृष्टि से आजीवक संघ के आचार्य मंखलिगोशाल, जमालि, शिवराजषि, स्कन्दक संन्यासी आदि प्रकरण बहुत महत्त्वपूर्ण हैं। तत्त्वचर्चा की दष्टि से जयन्ती, मददूक श्रमणोपासक, रोह अनगार, सोमिल ब्राह्मण, भगवान् पार्श्व के शिष्य कालासवेसियपुत्त, तुंगिया नगरी के श्रावक आदि प्रकरण पठनीय हैं। गणित की दृष्टि से पापित्यीय गांगेय अनगार के प्रश्नोत्तर बहुत मूल्यवान् हैं।
भगवान महावीर के युग में अनेक धर्म-सम्प्रदाय थे। साम्प्रदायिक कट्टरता बहत कम थी। एक धर्म संघ के मुनि और परिव्राजक दूसरे धर्म संघ के मुनि और परिव्राजकों के पास जाते, तत्त्वचर्चा करते और जो कुछ उपादेय लगता वह मुक्तभाव से स्वीकार करते। प्रस्तुत आगम में ऐसे अनेक प्रसंग प्राप्त होते हैं जिनसे उस समय की धार्मिक उदारता का यथार्थ परिचय मिलता है। इस प्रकार अनेक दष्टिकोणों से प्रस्तुत आगम पढ़ने में रुचिकर, ज्ञानवर्धक, संयम और समता का प्रेरक है। विभाग और अवान्तर विभाग
समवायांग और नन्दीसूत्र के अनुसार प्रस्तुत आगम के सौ से अधिक अध्ययन, दस हजार उद्देशक और दस हजार समुद्देशक हैं। इसका वर्तमान आकार उक्त विवरण से भिन्न है। वर्तमान में इसके एक सौ अड़तीस शत या शतक और उन्नीस सौ पच्चीस उद्देशक मिलते हैं। प्रथम बत्तीस शतक स्वतन्त्र हैं। तेतीस से उनचालीस तक के सात शतक बारह-बारह शतकों के समवाय हैं। चालीसवां शतक इक्कीस शतकों का समवाय है। इकचालीसवां शतक स्वतन्त्र है। कुल मिलाकर एक सौ अड़तीस शतक होते हैं। उनमें इकचालीस मुख्य और शेष अवान्तर शतक हैं।
शतकों में उद्देशक तथा अक्षर-परिमाण इस प्रकार है
शतक
उद्देशक
अक्षर-परिमाण
उद्देशक अक्षर-परिमाण शतक
३८८४१ १०
२३८१८
३६७०२ १. समवाओ, सून ६३; नन्दी, सूत्र ८५।
२५६६१ १८६५२
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२६
उद्देशक
अक्षर-परिमाण ४५१०३ ४४५५
अक्षर-परिमाण शतक उद्देशक २४६३५ ४८५३४ ४५८५६ २७
६६०७ ३२३३८ ३२८०८ २१६१४ १६०३३ ३२ ३६८१२ ३३ (१२) १२४ १५६३६ ३४ (१२) १२४
८४१२ ३५ (१२) १३२ २२४४३ ३६ (१२) १३२ ८०२७
३७ (१२) १३२ १६८७१ ३८ (१२) १३२ १६३० __३६ (१२) १३२ १०६८ ४० (२१) २३१
६६४ १०२७ ४७६४ २३४४
Xur 9 4 Mror mr mmmm
mm
३०८६ ८६६४ ४१८१ ७३१
८७
२१ (आठ वर्ग)८० २२ (छह वर्ग) ६० २३ (पांच वर्ग) ५०
२४
१३६ २७३४
३५१६ कुल ६१८२२४
१६६
३६६२६ कुल १३८ कुल १६२३'
भाषा और रचना-शैली
प्रस्तुत आगम की भाषा प्राकृत है। कहीं-कहीं शौरसेनी के प्रयोग भी मिलते हैं। इसमें देशी शब्दों का प्रयोग भी स्थान-स्थान पर मिलता है, जैसे-खत्त, डोंगर (७।११७), टोल (७.११६), मग्गओ (७।१५२), बोंदि (३।११२), चिक्खल्ल (८।३५७) ।
इसकी भाषा बहुत सरल और सरस है । अनेक प्रकरण कथा-शैली में लिखे गए हैं । जीवनप्रसंग. घटनाएं और रूपक स्थान-स्थान पर उपलब्ध होते हैं। स्थान-स्थान पर कठिन विषयों को उदाहरणों द्वारा समझाया गया है।
प्रस्तुत आगम की रचना गद्य शैली में हुई है। कहीं-कहीं स्वतन्त्र रूप से प्रश्नोत्तरों का क्रम चलता है और कहीं-कहीं किसी घटनाक्रम के बाद उनका क्रम चलता है। प्रतिपाद्य विषय का संकलन करने के लिए संग्रहणी गाथाओं के रूप में कुछ पद्य भाग भी मिलता है ।
१. बीसवें शतक के छठे उद्देशक में पृथ्वी, अप और वायु-इन तीनों की उत्पत्ति का निरूपण है। एक परम्परा के अनुसार यह एक उद्देशक है, दूसरी परम्परा के मत में ये तीन उद्देशक हैं। इस परम्परा के अनुसार प्रस्तुत आगम के कुल उद्देशक १९२५ हैं।
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कार्य संपूति
प्रस्तुत आगम के पाठ-शोधन में
लगभग सवा वर्ष लगा। इसमें अनेक मुनियों का योग रहा। उन सबको मैं आशीर्वाद देता है कि उनकी कार्यजा शक्ति और अधिक विकसित हो ।
।
इसके सम्पादन का बहुत कुछ श्र ेय शिष्य मुनि नथमल को है, क्योंकि इस कार्य में अहर्निश वे जिस मनोयोग से लगे हैं, उसी से यह कार्य सम्पन्न हो सका है। अन्यथा यह गुस्तर कार्य बड़ा दुरूह होता। इनकी वृत्ति मूलतः योगनिष्ठ होने से मन की एकाग्रता सहज बनी रहती है। सहज ही आगम का कार्य करते-करते अन्तरहस्य पकड़ने में इनकी मेघा काफी पैनी हो गई है। विनयशीलता धम-परायणता और गुरु के प्रति पूर्ण समर्पण भाव ने इनकी प्रगति में बड़ा सहयोग दिया है । यह वृत्ति इनकी बचपन से ही है। जब से मेरे पास आए, मैंने इनकी इस वृत्ति में क्रमशः वर्धमानता हो पाई है। इनकी कार्य क्षमता और कर्तव्य परता ने मुझे बहुत संतोष दिया है।
मैंने अपने संघ के ऐसे शिष्य साधु-साध्वियों के बलबूते पर ही आगम के इस गुरुतर कार्य को उठाया है । अब मुझे विश्वास हो गया है कि मेरे शिष्य साधु-साध्वियों के निस्वार्थ, विनीत एवं समर्पणात्मक सहयोग से इस बृहत् कार्य को असाधारण रूप से सम्पन्न कर सकूंगा।
भगवान् महावीर की पचीसवीं निर्वाण शताब्दी के अवसर पर उनकी वाणी का सबसे बड़ा संकलन-ग्रन्थ जनता के समक्ष प्रस्तुत करते हुए मुझे अनिर्वचनीय आनन्द का अनुभव हो रहा है।
अणुव्रत बिहार नई दिल्ली २५००यां निर्वाण दिवस
आचार्य तुलसी
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Preface
The Title
The title of the Agama under review is 'Vyakhya Prajñapti'. The work written in a dialogue-style is called 'Vyakhya Prajñapati'. According to "Samawayanga' and 'Nandi-Sütra' the present Agama has an exposition of thirtysix thousand queries'. On the testimony of Tatwärtha-Vārtika, Satkhandagama and Kasaya-Pähuda the present Agama contained an exposition of sixty thousand queries.
The present Agama is a volume much larger than other Agamas. It is multifarious in its contents. Probably, there is no branch of metaphysics, which has not been discussed in it, directly or indirectly. From the aforesaid point of view, this Agama was held in high esteem. The adjective 'Bhagawati' was, therefore, added to it's title, i.e."Väyäkhya Prajñapti'. Many centuries before, the adjective 'Bhagawati' became a part and parcel of the title. Now-a-days, the title 'Bhagawati' is more in vogue than 'Vyakhyā Prajnapti'.
The Content
Different sources provide copicious information regarding the contents of the present Agama. Samawäyänga' tells us that many deities, kings and king-ascetics put different types of queries before the lord and he answered them in detail. Swa-Samaya, Para-Samaya, Jeewa, Ajeewa, Loka and Aloka have been explained in detail. According to Acharya Akalanka queries, such as whether the Jiwa exists or not, have not, have been answered in this. Agama. According to Acharya Veersena, alongwith the queries and answers, predictive subha (auspicious) and aśubha (in-auspicious) have been described by ninetysix thousand Chinnaćcheda Nayas".
1. Samawao, Sutra 93; Nandi, Sutra 85.
2. Tatwartha Vartika 1/20, Satkhanadagama 1, page 101, Kasaya-Pahuda-1, page 125. 3. Samawao Sutra 93.
4. Tatwartha' vartika 1/0.
5. Kasayapahuda Pt. I, p. 125.
6. The explaination-method, in which each sloka and sutra is explained independently without considering other slokas and sutras, is called 'chinnacchedanaya'
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The importance of the present Agama may well be understood by the aforesaid indications. Different branches of modern science have recently brought to light many mysteries. When we go into the depths of the present Agama, we find that these mysteries had been revealed some 2500 years. before.
Lord Mahavira has enumerated six groups of living-beings (Jivas). The living beings of the Trasa-kaya(mobile beings) group are self-evident. The living. beings of the floral group (Vanaspati nikaya) are supported by the modern Science also. The four groups of living beings-the earth. the water, the fire, and the air have not been accepted by the modern science. Lord Mahavira has not only cited the existence of the earth living-beings etc., but thrown enough light on their life-span, food habits, breathing, evolution of consciousness, perceptions etc. also. The minimum span of life of the living-beings. of the earth group is of a Antar Muhrat only and the maximum of twenty two thousand years. They do not have a particular order of breath period. Sometimes it is less and sometimes more. They aspire every moment for food and take it. The consciousness of the touch-organ is quite distinct in them. The other currents of consciousness are indistinct.1
As man takes in oxygen in his breath-period, the living-beings of the earth group not only take in air, but the Pudgalas (matter) of all the earth, the water, the fire, the air and the flora2.
Like the earth living-beings, the other living-beings of the water etc. do breathe and take food etc. Modern science has studied the different aspects of the floral living-beings and thrown light on their mysteries, but sufficient research has not been carried out on the earth living-beings. Flora expresses anger and affection. The affectionate behaviour blooms it and the hateful behaviour fades it away. These scientific experiments lead us to the maxim of lord Mahavira that there is ten fold consciousness in the floralworld.
These ten folds are-Food consciousness, fear consciousness, co-habitation consciousness, hoarding consciousness, anger consciousness, ego consciousness, deceit consciousness, greed consciousness, 'Augha' consciousness and world consciousness. Having these folds of consciousness the floral world. behaves indistinctly the same way as man does distinctly.
1. Bhagawai, 1-1-32, page 9.
2. Bhagawai, 9-34-253, 254, page 464,
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This topic has been mentioned as an example. The object of it is to point out the fact that in this Agama hundreds of such topics, that cannot be understood by common ense, have been expounded. A few of them have been so far understood with the help of the modern scientific research and many of them can be accepted as tenets for experiments.
The activities of the subtle living beings (Sūkshma jiva) being perceiyably proved, not only the biological doctrines are evolved, an opportunity to understand the doctrine of Ahimsā, and side by side to review the behaviour towards the subtle living beings, is provided also.
Lord Mahavira has expounded the five principal substances. They are named as Panchāstikāya. In them dharmāstikāya, adharmästikāya and ākāśāstikāya, the three being formless are invisible. Though Jivāstıkāya too, being formless, is invisible, it is indicated by the activities of consciousness seen through the body. Pudgalāstikāya, being concrete, is visible. The multiformity of our world is a result of the union of Jiva and Pudgala. A clear ascertainment of Jiva and Pudgala is found in this Agama to such a great extent as is not available in the old religious and philosophical works. The full text of the Āgama is not available today, but whatever is available discusses thousands of queries. From the historical point of view, the chapters on Acharya Mankkhali Gosāla, Jamāli, Sivarājarşi, Skanda Sanyāsi etc. are of great importance. From the angle of philosophical discussion Jayanti, Madduka śramaṇopāsaka, Roha Anagāra, Somila Brāhmaṇa, Lord ParŚwa's disciple Kālās-vesiya-putta, śrāvakas of Tungiya City etc. are the topics worth reading. From the view point of Mathematics, discussions of Pārswa-patyīya Gängeya Aņāgāra are of great value.
In the age of Lord Mahavira, there were different religious cults. Cultic bigots were almost un-heard. Munis and Parivịājakas of one religious body went to engage themselves in philosophical discussions with the Munis and Parivệājakas of another religious body, and whatever was found to be acceptable, was accepted freely. There are many contexts in this Agama to throw light on the true free-mindedness of religion prevailing in that age. In this way, with different view-points this Agama is a work, interesting to read, inspring of self-control and equilibrium and promoter of knowledge.
Divisions and Sections
According to Samawāyānga and Nandi Sūtra, this Āgama contains more than a hundred Adhyayanas,ten thousand Uddeśakas and ten thousand Samuddesakas? The present volume of it differs from the said account.
1. Samawao, Sutra 93, Nandi, Sutra 85,
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Presently, there are one hundred and thirtyeight Satas (Satakas) and one thousand and ninehundred and twentyfive Uddeśakas. The first thirytwo Satakas are independent ones. The seven Satakas, from thirtythree to thirtynine, are unions of twelve satakas each. The fortieth śataka is a union of twentyone śatakas. The forty-first śataka is independent. In all, there are one hundred and thiryeight śatakas. In them, fortyone śatakas are cardinals and the rest are secondary ones.
The Uddeśakas and syllables in the Satakas are as follows:
Sataka
Uddeśaka
Total syllables
28841 23818 36702
753
25691 18652 24935 48435 45859
9907 32338 32808 21914 16033 39812 15939
8412 22443
8027 19871 1630 1068
20
21 (eight vargas)
(six vargas) (five vargas)
715
39926 45103 4455
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Sataka
27
28
29
30
31
32
33 (12 vargas)
34 (,,
35 (,,
36 ("
37 (..
38 (
39 (..
40 (29
41
138
37
)
".
,, )
)
)
)
)
""
33
دو
)
99
Uddesaka
11
11
11
11
28
28
124
124
132
132
132
132
132
231
196
33
192311
Total syllables
190
694
1027
4764
2344
363
3089
8964
4181
731
115
87
139
2734
3516
The Language and the Style
The language of the present Agama is Prakrit. Here and there the usages of Saurseni are also found. In some instances the use of Desi words (vernacular) is also found, like khatta (a), Dongar (7/117 ), Tola (7/119) टोल), Maggao (7/152 माओ), Bondi ( 3 / 112 बोंदि), Cikkhalla ( 8/357 चिखल्स).
618224
The expression of it is very lucid and sweet. Many topics have been dealt with in the style of fable narration. Reminiscences, anecdots and allegories are found through out the work. The difficult topics have been explained by citing aporopriate examples in many places.
The present Agama has been written down in prose style. Somewhere, the order is an independent discussion and sometimes it is an off-shoot of some incident. Some verse-part is also available in the form of collected Gathas to compile the ascertainable topic.
1. In the twentieth Sataka of the sixth Uddesaka, the theory of the origin of the earth, the water, and the air, has been expounded. According to one tradition, this is one Uddesaka, but the others hold it as comprised of three Uddesakas. According to this tradition, the Agama under review has 1925 Uddesakas in all,
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Accomplishment of the work
It took about a year and a quarter to redeem the text of the present Āgama. In the accomplishment of this task, there has been the contribution of many Munis. I bless them that their devotedness to the performances be ever more developed. On the occasion of this twentyfifth centinary of Lord Mahavira, I have a feeling of great pleasure in presenting to the people the biggest and most volumenous work pertaining to the life and teaching of the Lord.
Anuvrata Vihar
Acharya Tulasi
Delhi
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Editorial
Introduction to the work
The Āgama Sūtras have two main divisions, i.e. the Anga-Pravişta and the Anga-Váhya. The Anga-Pravişta Sūtras are considered to be the nearest to the original and most authentic of all as they are composed by the principal diciples of Lord Mahāvira. They are twelve in number: 1. Achārānga, 2. Sūtrakstānga, 3. Sthānānga, 4. Samawāyānga, 5. Vyākhyā-Prajñapti, 6. Jñata Dharma-Kathā, 7. Upāsaka-Daśā, 8. Anta-krita-Daśā, 9. Anuttaropapätika Daśā, 10. Praśna-Vyakarana, 11. Vipäka-Śruta, 12. Dţiştiwäda. The twelfth Anga is, at present, not available.
The eleven Angas, which are available, are being published in three volumes under the title of Anga-Suttani. The first volume has four Angas, i.e, 1. Āchärānga, 2. Sūtrakṣitānga, 3. Sthānānga and 4. Samawāyanga. The second volume contains only the 'Vyākhyā Prajña pti' and the third contains the rest six Angas.
The present work is the second volume of the Anga-Suttāni. It has the original text of the Vyākhyā-Prajñapti with its recentions. A brief preface has been added in the beginning. An elaborate preface and the word-index have not been added to it. It is planned to publish them in two independent volumes. Accordingly, the fourth volume will contain an elaborate preface to the eleven Angas and the fifth one will contain the word index thereof. The present text and the method of editing
The text of the present Āgama has been redeemed on the basis of the seven manuscripts (two being palm-leaf manuscripts) and vșitties (commentaries). According to the method of text rcdemption in vouge, we do not proceed on the basis of regarding only one manuscript as main, but redeem the original text with the help of Artha-mīmānsā (critical meaning), former and later contexts, preceding text (Poorwa-Pātha) and the text of other Agama-Sutras and the explanation in the Vșitti (commentary). The original commentary of the Bhagwati is extinct at present. The chūrņi (commentary) was available but we could not get it. We have made use of the original Tīka and churņi portions quoted by Abhayadeva Süri in his vritti. The scribes, from time to time have abridged the text. Many forms
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of the abridgement are found. In the manuscripts used in the text-redemption, there are four different versions. The abridgement of th text found in them has been done in different ways. (See, page 39). There have been mistakes also due to the difference in written forms of the letters. In sūtra 1/365, the reading Pāosiyāya' has been substituted for 'Prādoșiki Kriyā’. In some manuscripts the reading is 'Pā-u-siyāya'. In the old script, it is difficult to differenciate 'O' from 'U'. This is why 'U' is abundantly found in the present manuscripts in place of O'. The manuscripts which were transcribed by the scholars efficient in the language, have 'O' but the copies, prepared by mere scribes have ‘U' instead of 'O', The recensions such as 'Owāsantara' and 'Uwāsantare' have taken place due to this fact only. (See, page 66, Sūtra 1/392 ; page 77, Sūtra 1/444).
In Sūtra 8/242, the reading is 'Chettehin'. But, as the transcribing went on, many gradual alterations, such as 'Bittehin', 'Chattehin', 'Čittehin occured. “Tada' became “Taha' in Sūtra 8/301. There is an obridged 'Vaćna' (lesson) in same manucripts. The commentator, too, received the abridged "Vaćna'. So he wrote 'Anya Yüthik waktawyata' is to be understood by one himself. It has not been written down lest the work should get bulky!'. The commentator completed the abridged reading in the commentary. Some transcribers have included same part of the commentary in the original text. And, thus the reading of the full text differed from that of the abridged text.
In some specimens a mixture of the readings, abridged and full, has taken place. In Sūtra 2/47, page 88. 'Khandayā' Pućéhā' is the abridged text. Some transcriber wrote its full text in the margin of the manuscript for his own understanding. And, in the later transcriptions, the abridged and the full text were both included. (See, foot-note of Sūtra 5/122, page 209; the first foot-note of Sūtra 2/118, page 112). In 11/59 the full and the abridged text Jahā 0-wa-i-e' both have been written down. Such is the case in the chapter of Asoććā Kewali' also. In some manuscript, the quotation given in the commentary has also been included. (See, the second foot-note of Sūtra 2/75, page 99). In some instances, the secondary explanation, too, given by the commentator, was accepted as the original text in the later transcriptions. (See the first foot-note of the Sutra 5/51, page 194).
In the task of text-redemption, the text of other Agamas also are taken as basis. In all the manuscripts, after the text 'Ciyatante uragharappawesā' in Sutra 2/94, the text reads as 'Bahūhin Silawwaya-guņa-weramaņapaćća
1.
Tha Sutra Anya Yuthika waktawayam Swayamueca raniyam. Grantha-gaurawa --- bhayenalikhitatatwattasya taccedam, Vrittipatra 106,
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khāņa-pos-howa-wasehin'. Due to the inconsistency in its meaning there, the commentator had to write 'Tairyuktā iti gamyam', but, on seeing the Sutras ‘owā-iya' and 'Rāyapaśeņa-iya', it is found that this reading should not be there where it has been written down. On the basis of both the abovementioned Sūtras, the order of the text in view is constructed thus-O-sahaBhesajjenam Padilābhemāņā bahūhin Silawwaya-gūņa weramaņa-Paććakhāna Posahowa-wāsehin ahāpariggahi-e-hin tawokammehin appāņam bhāwemānā wiharanti'. In sūtra 2/1, in all the specimens, the text is sārakallāņa Jāwa kewa-in' but Jāwa' serves no purpose here. On the basis of 8/217 of the Bhagwati as weil as the first stenza of the Prajnāpanā, here the text is ascertained to be ‘Jāwati, instead of 'Jawa'.
In many instances, the meaning does not change by an alteration of letter but difficulty arises in understanding the meaning and sometimes it changes too. In Sūtra 6/90, the reading is 'hawwin'; and thețțhin' as well as 'hiţthin' the two recensions are also found. The commentator Abhayadeva Sūri has given the meaning as 'Sama' there. (See the commentary-leaf 271). In the sthānānga Sūtra (143), on the same topic, the reading is as, 'hitthin'. Abhayadeva Sūri has given its meaning there as 'below the Brahma-loka'. (See the Sthānānga-vșitti leaf 410).
In same places the varient readings occur due to the mis-understanding of the transcriber and difference in characters in scripts. In Sūtra 9/195, the reading is as 'Odharémāņi-odharémaņi'. In some specimens this reading is found in the form of 'uwadharemāņio-uwadharemāņio'. In one copy, this reading is changed into 'uwari-dhare-māņio-uwari-dhare-maņio'.
A few examples of recensions have been cited here to show that manuscripts or only one particular copy cannot be taken as the basis in the redemption of the text. It can be redeemed only on the basis of various Āgamas. their commentaries and consistency of their meaning. The problem of abridgement and redemption of the text
It is a task to lay down authentically the method of abridgement adopted by Devardhigaņi at the time of writing the Agama Sūtras. And, it is a task because many Āgamadharas have abridged the Āgama-text in later periods. Probably, same transcribers too, for the sake of convenience of transcribing, have abridged the text.
In the abridged text of sūtra 13/25, the dewoddeśaka of the second Sataka has been referred to indicate the kinds of Bhawanpati Dewas etc., but the full text is not there (2/117, page 111) and the sthānpada of the Prajnāpnā has been referred to. Likewise, in the abridged text of Sūtra 16/33, the third
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Šataka (Sūtra 27, page 130) has been referred to but the full text is not there. It is indicated there to refer to 'Rayapasena-ima' sutra.
The abridged text of Sütra 16/71 refers to the chapter of 'Udrāyaṇa (13,117, page 614) only not to find the full text there. In the same way 16/121, 18/56 and 18/77 indicate regarding the full text, but it is not found at the places referred to..
On the basis of these references, it is inferred that the texts, at the places referred to, were complete at the time of their abridgement. But after that, some Anuyogadhara Acharya abridged those full texts also. The words 'Jawa', 'Jaha' etc. have been used for abridgement.
In some instances, the use of 'Jawa' is more or less unnecessary. It is either due to negligence on the part of the transcriber or has been written as usual without discernment. The transcribers have taken plenty of freedom in the use of 'Jawa'. If someone transcribed Pawaphala Jawa Kajjanti, the other has written it as 'Pawaphala virvaga Jawa Kajjati'. Along with the short readings even such as 'winda' (7/196), 'Payoga' (8/17) 'Sahassa' (16/103) the word 'Jawa' has been added. The abridgements of the text, therefore, seem to have been done from time to time by the scribes.
The Agama under review has two main Vaćnās, abridged and full. The length of the abridged version of the work is regarded to be a total of 15751 Anuştupa Ślokas. The extent of the full version of the work is regarded to be a total of one lakh and a quarter Anuştupa Ślokas. Abhayadeva Süri has written his commentary on the basis of the abridged version of this Agama. In editing the text, we have, as far as needed, completed the texts introduced by the words 'Jawa' etc., resulting the total length of the work to a measure of 19319 Anuştupa Slokas and 16 letters more.
Change of Word and Formative
1/49
1/224
1/224
1/237
1/239
1/245
1/273
1/276 1/281
38
Nigama
Appiyǎ
Etesin
Wai,
Wai.
Mayo
Poyantam
Kajjai Până-i-Waya
Niyama Appitä
Tetesin
Wati
Wayi.
Mão
(Tā) (Ka)
(Ka, Tā, Ma)
(Tä)
(Tā)
(Ta)
Podantam (Ka, Tā, Ba,
Ma, Sa)
(Ba, Sa)
(Sa)
Kijjai Pāṇāyawaya
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39
1/281 1/298/2 1/315 1/354 1/357 1/357 1/363 1/364 1/365 1/370 1/371
Nera-i-yaņam Uwa Ogé Ahe Karejja Duhi-é Dugga ndhe Ariyam ća-u Pa-O-sia Saya Sandhijjamāņe
(Tā)
1/371 1/371 1/385 1/389
Nisiţthe Kā-i-ya-e Pāņā-i-wāya Họissi
1/415 1/424 1/425
Jahā Sāmā-i-yassa Ja-i
Neratiyāņam (A, Ba, Sa) Owa oge
(Tā) Adhe
(Ta) Karijja (Ka) Karejjā (Sa) Dukkhi-e (Kā, Tā, Ma) Dugandhe (A, Ma, Sa) Yariyam (Ka, Tā) catu
(Ta) Pāyosia
(A, ba) Sata
(Tā) Sandhejja. māne
(Tā) Nisatthe (Ka, Tā) Kātiya-e Pāņāyawāyao (Ba, Sa) Hussi
(Ba); Hriswi
(Sa); Hassi
(Ka) Jadh ā (A, Ba, Sa) Sāmātiyassa (Tā) Jati
(A, Ka,
Ba, Ma, Sa) Kiwiņassa
(Ta) Māgadha
(Ta) Viyaddabhoti
(A, Tā,
Bā, Ma, Sa) Sāmā-i-mādiyātim
(Ka, Ba) Sāmātiyamā. tiyāin
(Sa) Dhawani
(Ka, Tā,
Ba, Ma) Ratniye
(Tā) Ārūbhe-i (Ka, Ma) Khatimā-Sātimam
(Ba, Sa) Satmewa Awanguta o
(Ma) KhātimaSãtimeņam (Ba, Sa)
1/434 2/26 2/41
Kiwanassa Māgahā Viyadda bhoi
2/57
Sāmā-i-yama-i-yāin
2/66
Dhamayio
2/66 2168 2168
Rayaniye Ārūhe-i Khā-ima-Sāimam
(Tā)
2/68 2/94 2/94
Sayamewa Awanguya o Khā-ima sa-i-meņam
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.40
3/4
3/21
Ayameyāruwe Isāne Moya-o Khā-ima Sā-imena
3/25
3/33
3/112 3/112 3/143 3/148 5/3 5/60 5/79
Sayaņijjā o Niwatim Weyati Samaya o 'Padiņa A-u-e Rayaharana māyā-e
5/82 5/110 5/139 6/63 6/63 6/79 6/90 6/166 7/176 7/213 8/248 8/315 8/347 8/420 8/431 8/431 9/43 9/94 9/174 9/169 11/133 11/134 11/142 16/113 17/38
Weyāwadiyam Samayansi 'Lo-i-ya Sakasā-i-hin Sajogi Nāgo Kaņharātio Kalagam o Jaya o Ayameyākūwe Aņuppadāyawwe Goyam Aņādīyā o Sātāņayāe Issariyao Issariya Sakasai Ahi-o Maya Sawaņayāe
Atametāruwe
(Ta) Nisane
(Tā) Motāto
(Ka, Tā) Khātim-Sātimenam
(Ba,Sa) Satanijjā o
(Tā) Nipatim
(Ta) Wedati
(Ta) Samata o
(Tā) *Padiņa'
(Tā, Ma) Ā-u-ge
(Tā) Rataharaņamāta-e
(Tā) Wedāwadiyam (Ba, ma) Samatansi
(Tā) 'Lo-ti-ya'
(A, Sa) Sakasādīhin
(Tā) Sajoti
(Ta) Nā-o
(Tā, ma) Kaņharāyīto
(Ba) Kalatam
(Ka) o Jata o
(Ba) Atametākūwe (Tā) Aņuppatātawwe (Tā) Godam
(Ba) Aņātīta
(Tā) Sādaņatāe (Ka, Ba, Ma) Dissariya o
(Ma) Nissariya
(Ma) Sakasādi
(A, Tā) Ahito (Ka), Adhito (Tā) Mada o (Tā) Mata o (ba) Samaņayae Dhūma
(Tā) Nima
(Tā, Ba) Padumasara
(Tā) Nitamam
(Ba) cyana
(Ta, Ba)
(A)
Dhūwa
Nīwa Pa-u-ma-Sara Niyamam cyaņa
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18/100 Mayimićcha o
Madimićchao (Ba) 19/85 Jati indiyāni
Jadindiyāni (Tā) 30/22 Sajogi
Sajoti
(Kh.) Manuscripts used: (A) Bhagawati-vritti (Pantapathi). Manuscript with original Text.
This manuscript is from the Gadhaiya Library, Sardarshahr. It contains 189 leaves and 278 pages. Each leaf is 13}" in length and 4" in width. There are 1 to 23 lines of the original text on each leaf and each line has 80-85 letters. The copy bas teen prepared in a beautiful and artistic manner. There is a Wāwași (kollow space) also in the centre. The year of the transcription has not been given. It is estimatedly written in the 15th-16th century. (Ka) Bhagwati Text (Manuscript)
This copy is from the Poonamchand Budhamal Dūdhoria, Chapar library. It has 333 leaves and 666 pages. Each leaf is 10%" long and 4!". wide. There are 15 lines on each ieaf and each line has 52-55 letters. The copy is a beautiful and artistic one. There are intermitant Pāis (full-stops) in red ink and wāwasi (hollow space). It dates back probably to the 16th ceuntry. (kha) The text on the palm-leaf (Manuscript)
This manuscript has been received from Madan Chand ji Gothi, Sardar Shahr. It belongs to Jaisalmer Library and is a photo-print of the original written on Tāla Patra. It has 422 leaves and 844 pages. Every page contains 3 to 6 lines and there are 130-140 letters in each line. The concluding eulogy has been written as 1| cha || Mangalam Mahā śrī || || cha cha || cha || Rā"
The year of the transcription has not been given but estimatedly it should be of the 12th century. (Ta) The text of the Palm-leaf (Manuscript).
This manuscript belongs to Jaisalmer Library and is a photo-print of the Script written on the Talpatra. This, too, has been received from Madan Chand ji Gothi of Sardar Shahr. It has 348 leaves and 696 pages. Each leaf has 5 to 9 lines and there are 130-140 letters in each line. The last leaf is illustrated. The concluding eulogy reads as follows:
cha || Bhagwati Samattā || cha || ll cha || ll cha || Sambat 1235 Višākhawad ekādasyām gurau aparāhạe lekhaka -waņa tandena likhitam"
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(Ba) The text of Bhagawati (Manuscript)
This manuscript belongs to Terapanthi Sabha, Sardar Shahr. It has 478 leaves and 956 pages. Each leaf is 10%" long and 41" wide. There are 13 lines on each leaf and each line contains 38-42 letters. The copy has been attractively and artistically prepared. There are three Wawadīs' and red lines in it. 'Hartal' (orpinient) has been used. The concluding eulogy is not given in it and hence the year of script is unknown. Estimatedly, it dates back to the 16th century. (Ma) Bhagwati Sutra Text (Manuscript)
This manuscript is from the Gadhaiyā Library, Sardar Shahr. It has 482 leaves and 964 pages. Each leaf is 101" long and 44. wide. Each leaf has 13 lines on it and there are 40-45 letters in each line. There are intermittant Pāis' (full stops) in red ink and Wāwadīs (hollow spaces).
The year of the script has not been given in the end but estimatedly it dates back to the 16th century. The concluding eulogy reads as follows:
cha | Granthāgram 15775 || cha cha || ll cha! Srill cha || Sri Kalyānamastu || Subham Bhawatu || cha || Sri || Sri || cha || cha!
The script has notes in Sanskrit in many places. (Sa) Bhagwati Sutra (Tripathi)
Known as Kesar Bhagwati, this manuscript is from the Terapanthi Bhandar, Ladnun. It has 602 leaves and 1204 pages. The text is in the middle of the leaf while the 'vritti' has been given above and below the text. This is a beautiful and sufficiently correct copy. Some reader, taking a printed copy as authentic has used 'Hartal' in many places and has tried to correct the text of this manuscript. Wherever it has been done so, the correct text has become incorrect. Each leaf of it has 4 to 15 lines of the text on it and each line contains 45-53 letters.
The concluding eulogy reads as follows:--
Sri Bhagwati Sūtram Sampurņam || cha || Sri Vivāha Pannatti Pañćamam angam Sammattam | Subham Bhavatu || Kalayaṇamastu. Granthāgram 15675 Ubhaya Milane Gran. 34291 || Sri || Likhatayati Dāhāmallah Sri Nāgore Madhye Sam. 1848 Māha Su. 15
Wți, (Wļipā) Printed
Publisher : Srīmati Agamodaya Samiti,
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ACKNOWLEDGEMENTS The 'Vāćnā' has a very ancient history in the Jaina tradition. There had been four (Vāćnās' of the Āgamas to date in different periods in the last fifteen centuries. There was no well planned Āgama-Vāćnā after Dewardhigaại. The Āgamas, written in his Vāćnā-time, have become very much disordered during the long past period. A well planned Vaćnā' was the need of the day again to set them in order. Ācārya Tulsi had tried for a well planned congreagational Vaćnā but it could not materialize. Ultimately, we reached the conclusion that if our Vāćnā' is investigative, researching, full of a well balanced view and diligence, it will itself become congraegational. With this decision in view, our work on this Āgama-Vāćnā began.
Ācārya Tulsi is the Head of this Vāćan. Vācān means to teach. There are many aspects of teaching in our 'Vāćnā', i.e., redemption of the text, translation, critical study etc. etc. In all such activities, we have received active participation, able guidance and inspiration from the Āćarya. This is the source of strength below this great task.
Only the expression of gratitude to him will not suffice. Better it is that I must achieve the grace of his blessings for future work and prove myself more worthy of my duties.
In the editing of the present Agama Muni Sudarśanji, Madhukarji, Hiralalji have given constant help to me in various ways. Apart from their valuable assistance, we had co-operation from Muni Sri Kanmalji, Chatramalji, Amolakćandji. Dinkarji, Poonamčandji, Rajkaranji, Kanhaiya Lalji, Tārāćandj!, Baléandji, Vijairajji, Manilalji, Mahendra Kumarji (second) Sampatmalji (Doongargarh), Santikumarji, Mohanlalji (sārdül) and Manna lalji Borad. The work of editing the text was started on the 9th dark-moon day in the month of Paush in the year 2029 of the Vikrama Era (28th December, 1972), in Sardār Shahr (Rajasthan) and was completed in Delhi on the 11th day of bright-moon in Phālguna in the year 2030 of the Vikrama Era (4th March, 1974).
Muni Sudarśanji, Madhukarji, Hiralalji and Dulaharajji took great pains in critically examining the press-copy. The counting of the total syllables of the work has been prepared by Muni Mohanlalji (Āmet).
Valueing their contribution to the accomplishment of the work, I express my gratitude to them individually.
On this occasion, the erudite Agama scholar and active participant in editing of the Agama, late Sri Madan candji Gothi is very much missed
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Had he been alive, he would have been highly contented to see this work accomplished.
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The Managing editor of the Agama Sri Sri Chand ji Rampuria has been devoted to the task of the Agama from the beginning. He has dedicated himself to the sternous work of making the Agama Literature popular and handy to the public after giving up his well established practice of an advocate. He has highly shown his faith and dedication in this publication of the Agama Suttani
Sri Khem Chand ji Sethi, President of the Jain Viswa Bharati and his co-workers and the staff of the Adarśa Sahitya Sangha have worked diligently in collecting the material utilized in the edition of the text.
Accounting the order of contribution to the same activity of the persons marching towards one and the same goal is nothing more than a formality. Actually, it is a solemn duty of us all and this is what we all have performed.
Anuvrata Vihar New Delhi
Muni Nathmal
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भगवई विसयाणुक्कम
पढम सतं सू०१-४४०
पृष्ठ ३-७८ मंगल-पद १, उक्खेव-पदं ४, चलमाण-पदं ११, नेरइयाणं ठिति-आदि-पदं १३, आरंभअणारंभ-पदं ३३, नाणादीणं भवंतर-संकमण-पदं ३६, असंवुड-संवुड-अणगार-पदं ४४, असंजयस्स वाणमंतरदेव-पदं ४८, कम्म-वेयण-पदं ५३, नेरइयादीणं समाहार-समसरीरादिपदं ६०, मणुस्सादीणं समाहार-समसरीरादि-पदं ८६, लेस्सा-पदं १०२, जीवाणं भवपरिवट्टणपदं १०३, अंतकिरिया-पदं ११२, असण्णि-आउय-पदं ११४, कंखामोहणिज्ज-पदं ११८, सद्धा-पदं १३१, अत्थि-नस्थि-पदं १३३, भगवओ समता-पदं १३६, कखामोहणिज्जस्स बंधादि-पदं १४०, कम्म-पदं १७४, उवट्ठाण अवक्कमण-पदं १७५, कम्म-मोक्ख-पदं १८६, पोग्गल-जीवाणं तेकालियत्त-पदं १६१, मोक्ख-पदं २००, पुढवि-पदं २११, आवास-पदं २१३, नेरइयाणं नाणादसासु कोहोवउत्तादिभंग-पदं २१६, असुरकुमारादीणं नाणादसासु कोहोवउत्तादिभंग-पदं २४५, सूरिय-पदं २५६, फुसणा-पदं २६८, किरिया-पदं २७६, रोहस्स पण्हपदं २८८, लोयदिति-पदं ३०६ जीव-पोग्गल-पदं ३१२, सिणेह-काय-पदं ३१४, देस-सव्वपदं ३१८, विग्गहगइ-पदं ३३५ आयु-पदं ३३६, गब्भ-पदं ३४० माइय-पेइय-अंग-पदं ३५०, गब्भस्स नरगगमण-पदं ३५३, गब्भस्स देवलोगगमण-पदं ३५५, बालस्स आउय-पदं ३५९, पंडियस्स आउय-पदं ३६०, बालपंडियस्स आउय-पदं ३६२, किरिया-पदं ३६४, जयपराजयपदं ३७३, वीरिय-पदं ३७५, गुरु-लघु-पदं ३८४, पसत्थ-पदं ४१७, कंखापदोस-पदं ४१९, इह-पर-भवियाउय-पदं ४२०, कालासवेसियपुत्त-पदं ४२३, अपच्चक्खाणकिरिया-पदं ४३४, आहाकम्म-पदं ४३६, फासु-एसणिज्ज-पदं ४३८, परसमयवत्तव्वया-पदं ४४२, ससमयवत्तवया-पदं ४४३, इरियावहिया-संपराइया-पदं ४४४, उपपात-पदं ४४६ ।
बीयं सतं सू०१-१५३
पू० ७६-१२० उक्खेव-पदं १, सासुस्सास-पदं २, वाउकायस्स कायट्ठिइ-पदं ६, मडाइ-नियंठ-पदं १३. खंधयकहा-पदं २०, समुग्घाय-पदं ७४, पुढवि-पदं ७५, इंदिय-पदं ७७, परिचारणा-वेद-पदं ७६, गब्भ-पदं ८१, तुंगियानयरी-समणोवासय-पदं १२, उण्हजल-कुंड-पदं ११२, भासापदं ११५, ठाण-पदं ११६, चमरसभा-पदं ११८, समयखेत्त-पदं १२२, अस्थिकाय-पदं १२४, जीवत्त-उवदंसण-पदं १३६, अत्थिकाय-पदं १४१, फूसणा-पदं १४६ ।
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४६
तइयं सतं
सू० १-२८१,
पृ० १२१-१८२ उक्खेव-पदं १, देवविकूव्वणा-पदं ४, तामलिस्स ईसाणिंद-पदं २५, सक्कीसाण-पदं ५४, सणंकुमार-पद ७२, चमरस्स भगवओ वंदण-पदं ७७, असुरकुमारवण्णग-पदं ७६, चमरस्स उड्ढमुप्पाय-पदं ९७, चमरस्स पुव्वभवे पूरणगाहावइ-पदं ६६, पूरणस्स दाणामपव्वज्जापदं १०२, पुरणस्स पाओवगमण-पदं १०४, भगवो एकराइयमहापडिमा-पदं १०५, पूरणस्स चमरत्त-पदं १०६, च परस्स कोव-पदं १०६, चमरस्स भगवओ णीसापुव्वं सक्कस्स आसायण-पदं ११२, सक्केंदस्स वज्जपक्खेव-पदं ११३, चमरस्स भगवओ सरण-पदं ११४, सक्कस्स वज्जपडिसाहरण-पदं ११५, सक्क-चमर-वज्जाणं गइविसय-पदं १९७, चमरस्सचिंता-पदं १२७, असुरकुमाराणं उड्ढमुप्पयणस्स हेउ-पदं १३१, किरिया-पदं १३३, किरियावेदणा-पदं १४०, अंतकिरिया-पदं १४३, पमत्तापमत्तद्धा-पदं १४६ लवणसमुद्द-बुढि-हाणिपदं १५२, भाविअप्प-पदं १५४, वाउकाय-पदं १६४, बलाहक-पदं १७२, किलेसोववाय-पदं १८३, भाविअप्प-विकूव्वणा-पदं १८६, भाविअप्प-अभिजुजणा-पदं २०६, भाविअप्प-विकुव्वणा-पदं २२२, आयरक्ख-पद २४४, लोगपाल-पदं २४७, सोम-पदं २५०, यम-पदं २५६, वरुण-पदं २६१, वेसमण-पदं २६६ ।
पृ० १८३-१८५
चउत्थं सतं
सू० १-६ ईसाण-लोगपाल-पदं १, नेरइय-उववाय-पदं ७, लेस्सा-पदं ८ ।
पंचम सतं
सूत्र १-२६०
पृ० १८६-२३२ जंबूद्दीवे सूरिय-वत्तव्वया-पदं १, जंबूद्दीवे दिवसराई-वत्तव्वया-पदं ४, जंबुद्दीवे उउ-वत्तव्वया पदं १३, जंबुद्दीवे अयणादि-वत्तव्वया-पदं १७, लवणसमुद्दादिसु सूरियादि-वत्तव्वया-पदं २१, वाउ-पदं ३१ । ओदणादीणं किंसरीरत्त-पदं ५१, लवणसमुद्द-पदं ५५, आउ-पकरण-पडिसं वेदण-पदं ५७, साउयसंकमण-पदं ५६, छउमत्थ-केवलीणं सहसवण-पदं ६४, छउमत्थ-केवलीणं हास-पदं ६८, छउमत्थ-केवलीणं निद्दा-पदं ७२, गब्भसाहरण-पदं ७६, अइमुत्तग-पदं ७८, महासूक्कागयदेव-पण्ह पदं ८३, देवाणं नोसंजयवत्तव्वया-पदं ८६, देवभासा-पदं १३, छउमत्थ-केवलीणं नाणभेद-पदं ६४, केवलीणं पणीय-मण-वइ-पद १००, अणुत्तरोववाइयाणं केवलिणा आलाव-पदं १०३, केवलीणं इंदियनाणं-निसेध-पदं १०८, केवलीणं जोगचचलया-पदं ११०, चोद्दसपुव्वीणं सामत्थ-पदं ११२, मोक्ख-पदं ११५, एवंभूय-अणेवंभूय-वेदणा-पदं ११६, कुलगरादि-पदं १२२, अप्पायु-दीहायु-पदं १२४, असुभसुभ-दीहायु-पदं १२६, कयविक्कए किरिया-पदं १२८, अगणिकाए महाकम्मादि-पदं १३३, धणुपक्खेवे किरिया-पदं १३४, अण्णउत्थिय-पदं १३६, नेरइयविउव्वण-पदं १३८ आहाकम्मादिग्राहारे आराहणादि
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छ
पदं १३६, आयरिय उवज्झायस्स सिद्धि-पदं १४७ अब्भक्खाणिस्स कम्मबंध - पदं १४७, परमाणु-खंधाणं एयणादि-पदं १५०, परमाणु - खंधाणं छदादि-पदं १५४, परमाणु-खंधाणं सअड्ढसमज्झादि-पदं १६०, परमाणु-खंधाणं परोप्परं फुसणा-पदं १६५, परमाणु-खंधाणं संठि पदं १६६, परमाणु-खंधाणं अंतरकाल- पदं १७५, परमाणु-खंधाणं परोप्परं अप्पाबहुयत्त-पदं १८१, जीवाणं सारंभ सपरिग्गह-पदं १८२, हेउ-पदं १६१, नियंठिपुत्त- नारयपुत्तपदं २००, जीवाणं - वुड्ढि - हाणि प्रवट्टिइ-पदं २०८, जीवाणं सोवचय -सावचयादिपदं २२५ किमिदंरायगिह-पदं २३५, उज्जोय - अंधयार - पदं २३७ मणुस्सखेत्ते समयादि-पदं २४८, पासावच्चिज्ज -पदं २५४ देवलोय-पदं २५८ ।
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सू० १-८६
पृ० २२३-२७० पसत्थनिज्जराए सेयत्त-पद १, करण-पदं ५, महावेदणा - महानिज्जरा - चउभंग-पदं १५, महाकम्मादीणं पोग्गलबंधादि - पदं २०, अप्पकम्मादीणं पोग्गलभेदादि-पदं २२, कम्मोवचयपदं २४, कम्मोवचयस्स सादि-अनादित्त-पदं २७, जीवाणं सादि-अनादित्त-पदं ३०, कम्मपगडी बंध विवेयण-पदं ३३, वेदगावेदगाण जीवाणं अप्पाबहुयत्त-पदं ५२, कालादेसेणं सपदेस - अपदेस - पदं ५४, पच्चक्खाणादिपदं ६४, तमुक्काय-पदं ७०, कण्हराइ पदं ८६ लोगंतियदेव - पदं १०६, नेरइयादीणं आवास-पदं १२०, मारणंतियसमुग्धाय-पदं १२२, धन्नाणं जोणि- ठिइ-पदं १२६, गणना - काल-पदं १३२, ओवमिय-काल-पदं १३३, सुसम - सुसमाए भरहवास-पदं १३५, पुढवि- आदिसु गेहादिपुच्छा-पदं १३७, आउबंध-पदं १५१, लवणादिसमुद्द-पदं १५५ कम्मप्पगडिबंध- पदं १६२, महिड्ढीयदेव - विकुव्वणा-पदं १६३, अविसुद्धसादि देवाणं जाणणापासणा-पदं १६८, सुह- दुह उवदंसण-पदं १७४ जीव- चेयणा-पदं १७४, वेदणा-पदं १८३, नेरइयादीणं आहार- पदं १८६, केवलिस्स नाण-पदं १८७ ।
सत्तमं सतं
सू० १-२३३
पृ० २७१-३१४, अणाहारग- पदं १, सव्वपाहारग- पदं २, लोगसंठाण-पदं ३, समणोवासगस्स किरिया - पदं ४, समणोवासगस्स अणाउट्टिहिंसा - पदं ६, समणपडिलाभेण लाभ-पदं ८, अकम्मस्स गतिपदं १०, दुक्खिस्स दुक्खफासादि-पदं १६, इरियावहिय-संपराइय - किरिया - पदं २०, सइंगालादिदोस दु-पाणभोयण-पदं २२, सुपच्चक्खाण दुपच्चक्खाण-पदं २७, पच्चक्खाणपदं २६, पच्चक्खाणि अपच्चक्खाणि पदं ३६, सासय- असासय-पदं ५८, वण्णस्सइ - आहारपदं ६२, अनंतकाय - पदं ६६, अप्पकम्म- महाकम्म- पदं ६७, वेदणा निज्जरा-पदं ७४, सासय- असासय-पदं ε३, संसारत्थजीव-पदं ६७, जोणीसंगह पदं ६६, आउयपकरणवेणा - पदं १०१, कक्कस - अकक्कसवेयणीय-पदं १०७, सायासाय- वेयणीय-पदं ११३,
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૪૬
दुस्समदुस्समा - पदं - ११७, संवुडस्स किरिया - पदं १२५, काम भोग- पदं १२७, दुब्बलसरीरस्स भोगपरिच्चाय- पदं १४६, अकामनिकरण - वेदणा-पदं १५०, पकामनिकरण-वेदणापदं १५३, मोक्ख पदं १५६, हत्थि - कुंथु जीव- समाणत्त पदं १५८, सुह दुक्ख पदं १६०, दसविहसण्णा - पदं १६१, नेरइयाणं दसविहवेदणा-पदं १६२, हत्थि कुंथूर्ण अपच्चक्खाणकिरिया - पदं १६३, अहाकम्मादि-पदं १६५, असंवुड - अणगारस्स विउव्वणा-पदं १६७, महासिला कंडसंगाम-पदं १७३, रहमुसलसंगाम- पदं १८२, वरुण - नागनत्य-पदं १६२, वरुणनागनत्य- मित्त-पदं २०४, कालोदाइ - पभितीणं पंचत्थिकाए संदेह-पदं २१२, कालोदाइस्स समाहाणपुव्वं पव्वज्जा-पदं २१७, कालोदाइस्स कम्मादिविसए पसिण-पदं २२२ ।
अट्ठमं तं
सू० १-५०४
पृ० ३१५-३६७ पोग्गल परिणति - पदं १, पयोगपरिणति-पदं २, पज्जत्तापज्जत्तं पडुच्च पयोगपरिणति-पदं १८, सरीरं पडुच्च पयोगपरिणति पदं २७, इंदियं पद्दुच्च पयोगपरिणति-पदं ३२, सरीरं इंदियं च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३५, वण्णादि पहुच्च पयोगपरिणति - पदं ३६, सरीरं वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३७, इंदियं वण्णादि च पहुच्च पयोगपरिणतिपदं ३८, सरीरं इंदियं वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति पदं ३६, मीसपरिणति पदं ४०, वीससापरिणति पदं ४२, एगं दव्वं पडुच्च पोग्गल परिणति-पदं ४३, पयोगपरिणति-पदं ४४, मणपयोगपरिणति-पदं ४५, वइपयोगपरिणति पदं ४८, कायपयोगपरिणति-पदं ४६, मीसपरिणति पदं ६५, वीससापरिणति पदं ६७, दोण्णि दव्वाई पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ७३, तिणि दव्वाइं पडुच्च पोग्गलपरिणति पदं ७६, चत्तारि दव्वाई पडुच्च पोग्गल परिणतिपदं ८२, प्रासीविस पदं ८६, छउमत्थ- केवलि - पदं ६६, नाण-पदं ε७, जीवाणं नाणि अण्णापित्त - पदं १०४, अंतरालगत पडुच्च १११, इंदियं पडुच्च -- ११५, कायं पहुच - ११८, सुहुम-वादरं पदुच्च — १२०, पज्जत्तापज्जत्तं पहुच्च - १२३, भवत्थं पडुच्च — १३१, भवसिद्धियाभवसिद्धियं पडुच्च — १३५, सण्णि-असणि पडुच्च -- १३८, लद्धि-पदं १३६, नालद्धि पडुच्च-नाणि श्रण्णाणित्त पदं १४७, दंसणं पडुच्च - १५६, चरितं पडुच्च — १६१, चरिताचरितं पडुच्च -- १६३, नाणाई पडुच्च - - १६४, बालाइवीरियं पदुच्च -- १६४, इंदियं पडुच्च—१६६, उवउत्ताणं नाणि अण्णाणित्त-पदं १७२, जोगं पहुच - १७६, लेस्सं पहुच्च - १७७, कसायं पडुच्च - १७६, वेदं पहुच्च -- १८१, आहारगं पडुच्च — १८२, नाणाणं विसय-पदं १८४, नाणीणं संठिइ-पदं १६२, नाणीणं अंतर- पदं २००, नाणीणं अप्पाबहुयत्त-पदं २०५, नाणपज्जव- पदं २०८ नाणपज्जवाणं अप्पाबहुयत्त-पदं २१२, वणस्सइ, पदं २१६, जीवपएसाणं अंतर- पदं २२२, चरिम अचरिम - पदं २२४, किरिया - पदं २२८, आजीवियसंदब्भे समणोवासय-पदं २३०, समणोवासगकयस्स दाणस्स परिणाम- पदं २४५, उवनिमंतितपिंडादि परिभोगविहि-पदं २४८, आलोयणाभिमुहस्स आराहय-पदं २५१,
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૪૨
जोति-जलण-पदं २५६, किरिया - पदं २५८, अण्णउत्थियसंवाद-पदं अदत्तं पडुच्च - २७१, हिंसं पडुच्च - २८५, गममाणगयं पडुच्च - २६१, पडिणीय पदं २६५, पंचववहार पदं ३०१, बंध-पदं ३०२, इरियावहियबंध-पदं ३०३, संपराइयबंध- पदं ३०६, कम्मप्पगडीसु परीसहसमवतार - पदं ३१५, सूरिय-पदं ३२६, जोइसियाणं उववत्ति-पदं ३४०, बंध-पदं ३४५, वीससाबंध-पदं ३४६, पयोगबंध - पदं ३५४, आलावणं पडुच्च ३५५, अल्लियावणं पडुच्च --- ३५६, सरीरं पडुच्च — ३६३, सरीरप्पयोगं पडुच्च ३६६, ओरालियसरीरप्पयोगं पडुच्च३६७, वेउव्वियसरीरप्पयोगं पडुच्च -- ३८६, आहारगसरीरप्पयोगं पडुच्च — ४०५, पडुच्च--४१२, कम्मसरीरप्पयोगं पडुच्च - ४१६, पयोगबंधस् देसबंध - सव्वबंध- पदं ४३४, सुय- सील पदं ४४६, आराहणा-पदं ४५१, पोग्गल परिणाम-पदं ४६७, पोग्गलपएसस्स दव्वादीहिं-भंग-पदं ४७०, पएस - परिमाण -पदं ४७५, कम्माणं, अविभागपलिच्छेद- पदं ४७७, कम्माणं परोप्परं नियमा भयणा-पदं ४८४, पोग्गलि-पोग्गलपदं ४६६ ।
तेयासरीरप्पयोगं
नवमं सतं
सू० १-२६३
पृ० ३६८-४६५ जंबुद्दीव- पदं १, जोइस पदं ३, अंतरदीव - पदं ७, असोच्चा उवलद्धि-पदं ६, सोच्चा उवलद्धि-पदं ५२, पासावच्चिज्जगंगेय-पसिण-पदं ७७, पवेसण - पदं ८६, संतर-निरंतर उववज्जणादिपदं १२०, सतो असतो उववज्जणादि-पदं १२१, सतो परतो वा जाणणा-पदं १२३, सयं असयंउववज्जणा -पदं १२५, गंगेयस्स संबोधि-पदं १३३, उसभदत्त - देवाणंदा-पदं १३७, जमालि-पदं १५६, एगस्स वधे- अणेगवध पदं २४६, इसिस्स वधे अनंतवध पदं २४६, वेरबंध-पदं २५१, पुढविकाइयादीणं आण-पाण-पदं २५३ किरियापदं २५८ ।
दसमं सतं
सू० १-१०३
पृ० ४६६-४८४ दिसा-पदं १, सरीर-पदं, संवुडस्स- किरियापदं ११, जोणि-पदं १५, वेदणा-पदं १६, भिक्खुपडिमा -पदं १८, अकिच्चद्वाणपडि सेवण-पदं १६ आइड्ढीए परिड्ढीए वीइवयणपदं २३, देवाणं विषय विहि-पदं २४, आसस्स 'खु-खु' करण- पदं ३६, पण्णवणी-भासा-पदं ४०, तावत्तीसगदेव-पदं ४२, देवाणं तुडिएण सद्धि दिव्वभोग- पदं ६४, सुहम्मा सभा - पदं ६६, सक्क पदं १००, अंतरदीव - पदं १०२ ।
एक्कार तं
सू० १-१६६
पृ० ४८५-५३७
उप्पलजीवाणं उववायादि-पदं १, सालुयादिजीवाणं
उववायादि-पदं ४२, सिवरायरिसि
पदं ५७, खेत्तलोय-पदं १०, लोयसंठाण-पदं ६८, अलोयसंठाण-पदं ६६, लोयालोए जीवाजीव- मग्गणा - पदं १००, लोयस्स परिमाण -पदं १०६, अलोयस्स परिमाण-पदं ११०, लोगा
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गासे जीवपदेस-पदं १११, सुदंसणसेट्ठि-पदं ११५, इसिभद्द पुत्त-पदं १७४,पोग्गल परिव्वायगपदं १८६।
बाररसमं सतं
सू० १-२२६
पृ० ५३७-५८७
संख-पोक्खली-पदं १, उदयणादीणं धम्मसवण-पदं ३०, जयंती-पसिण-पदं ४१, पुढवी-पदं ६६, परमाणुपोग्गलाणं संघात-भेद-पदं ६६, पोग्गलपरियट्ट-पदं ८१, वण्णादिं अवण्णादिं च पडुच्च दव्ववीमंसा-पदं १०२, कम्मओ विभत्ति-पदं १२०, चंद-सूर-गहण-पदं १२२, ससि-आइच्च-पदं १२५, चंद-सूराणं कामभोग-पदं १२७, जीवाणं सव्वत्थ जम्म-मच्चू-पदं १३०, असई अदुवा अणंतखुत्तो उववज्जण-पदं १३३, देवाणं बिसरीरेस उववाय-पदं १५४, पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं उववाय-पदं १५६, पंचविह-देव-पदं १६३, पंचविह-देवाणं-उववाय, पदं १६६, पंचविह-देवाणं ठिइ-पदं १७८, पंचविह-देवाणं विउव्वणा-पदं १८३, पंचविह-देवाणं उव्वद्रण-पदं १८५, पंचविह-देवाणं संचिट्ठणा-पदं १६१, पंचविह-देवाणं-अंतर-पदं १६२, पंचविह-देवाणं अप्पाबहुयत्त-पदं १६७, अट्ठविह-पाय-पदं २००, अट्टविह-आयाणं अप्पाबहुयत्तपदं २०५, नाणदंसणाणं अत्तणा भेदाभेद-पदं २०६, सियवाद-पदं २११ ।
तेरसमं सतं
सू० १-१६६
पृ० ५८७-६२३
संखेज्जवित्थडेसु नरएस उववाय-पदं १, संखेज्जवित्थडेसु नरएस उव्वटण-पदं ४, संखेज्जवित्थडेसु नरएस सत्ता-पदं ५ नरय-नेरइयाणं अप्पमहंत-पदं ४२, नेरइयाणं फासाणभव-पदं ४४, नरयाणं बाहल्ल-खुड्डत्त-पदं ४५, निरयपरिसामंत-पदं ४६, लोग-मज्झ-पदं ४७, लोयपदं ५५, धम्मत्थिकायादीणं परोप्पर फास-पदं ६१ धम्मत्थिकायादीणं ओगाढ-पदं ७४, लोय-पदं ८८, आहार-पदं ६३, संतर-निरंतर-उव्ववज्जणादि-पदं १५, चमरचंच-आवास-पदं १६ उद्दायणकहा-पदं १०१, भासा-पदं १२४, मण-पदं १२६, काय-पदं १२८, कम्मपगडिपदं १४७, भाविअप्प-विउव्वणा-पदं १४६, छाउमत्थियसमुग्घाय-पदं १६८ ।
चोद्दसमं सतं सू० १-१५५
पृ० ६२४-६५३ लेस्साणसारि-उववाय-पदं १, नेरइयादीणं गतिविसय-पदं ३, नेरइयादीणं अणंतरोववन्नगादि-पदं ४, उम्माद-पदं १६, बूट्रिकायकरण-पदं २१, तमुक्कायकरण-पदं २५, विणयविहिपद २६, पोग्गल-जीव-परिणाम-पदं ४४, अगणिकायस्स अतिक्कमण-पदं ५४, पच्चणुब्भवपदं ६१, देवस्स उल्लंघण-पल्लंघण-पदं ६८, नेइयादीणं किमाहारादि-पदं ७१, देविंदाणं भोग-पदं ७४, गोयमस्स आसासण-पदं ७७, तुल्लय-पदं ८०, भत्तपच्चक्खायस्स आहार-पदं ८२, लवसत्तमदेव-पदं ८४, अणत्तरोववाइयदेव-पदं ८६, अबाहाए अंतर-पदं ६०, रुक्खाणं पणब्भव-पदं १०१, अम्मड-अंतेवासि-पदं १०७, अम्मड-चरिया-पदं ११०, अव्वाबाहदेव
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सत्ति-पदं ११३, सक्कस्स सत्ति-पदं ११५, जंभगदेव-पदं ११७, सरूवि-सकम्मलस्स-पदं १२३, अत्ताणत्त-पोग्गल-पदं १२६, इटाणिट्रादि-पोग्गल-पदं १२६ देवाणं भासासहस्स-पदं १३०, सरिय-पदं १३२ समणाणं तेयलेस्सा-पद १३६ केवलि-पदं १३८ ।
पन्नरसमं सतं
सू० १-१९०
५०-६५४-७०६
गोसालग-पदं १, भगवओ विहार-पद २०, पढम-मासखमण-पदं २२, दोच्च-मासखमण-पदं ३० तच्च-मासखमण-पदं ३७, चउत्थ-मासखमण-पदं ४४, गोसालस्स सिस्सरूवेण अंगीकरणपदं ५३, तिलथंभय-पदं ५७, वेसियायण-बालतवस्सि-पदं ६०, तिलथंभय-निप्फत्तीए गोसालस्स अवक्कमण-पदं ७२, गोसालस्स तेयलेस्सप्पत्ति-पदं ७६, गोसालस्स पुवकहाउवसंहार-पदं ७७, गोसालस्स अमरिस-पदं ७६, गोसालस्स आणंदथेरसमक्खे अक्कोसपदंसणपदं ८२, आणंदथेरस्स भगवओ निवेदण-पदं ६७, आणंदथेरेण गोयमाइणं अणुण्णवण-पदं 86, गोसालस्स भगवंतं पइ अक्कोसपुव्वं ससिद्धंतनिरूवण-पदं १०१, भगवया गोसालगवयणस्स पडियार-पदं १०२, गोसालस्स पुणरवकोस-पदं १०३, गोसालेण सव्वाणुभूतिस्स भासरासिकरण-पदं १०४, गोसालेण सुनक्खत्तस्स परितावण-पदं १०७, गोसालेण भगवओ वहाए तेयनिसिरण-पदं ११०, सावत्थिए जणपवाद-पदं ११५, गोसालेण समणाणं पसिणवागरण-पदं ११६, गोसालस्स संघभेद-पदं ११६, गोसालस्स पडिगमण-पदं १२०, गोसालेण नाणासिद्धत-परूवण-पदं १२१, अयंपुल-आजीविओवासय-पदं १२८, गोसालस्स अप्पणो नीहरण-निद्देस-पदं १३६, गोसालस्स परिणाम-परिवत्तणपुव्वं कालधम्म-पदं १४१, गोसालस्स नीहरण-पदं १४२, भगवरो रोगायंक पाउब्भवण-पदं १४३, सीहस्स माणसियदुक्ख-पदं १४७, भगवया सीहस्स आसासण-पदं १४६, सीहेण रेवईए भेसज्जाणयणपदं १५३, भगवो आरोग्ग-पदं १६२, सव्वाणुभूतिस्स उववाय-पदं १६४, सुनक्खत्तस्स उववाय-पदं १६५, गोसालस्स भवब्भमण-पदं १६६ ।
सोलसमं सतं
सू०१-१३४
पृ० ७१०-७३७
वाउयाय-पदं १, अगणिकाय-पदं ५, कतिकिरिय-पदं ६, अधिकरणी-अधिकरण-पदं ८, जीवाणं जरा-सोग-पदं २८, सक्कस्स ओग्गह-अणुजाणणा-पदं ३३, सक्क-संबंधि-वागरणपदं ३५, चेय-अचेय-कड-कम्म-पदं ४१, कम्म-पदं ४४, अंसिया-छेदणे वेज्जस्स किरिया-पदं ४७, नेरइयाणं निज्जरा-पदं ५१, सक्कस्स उक्खित्तपसिणवागरण-पदं ५४, गंगदत्तदेवस्स संदब्भे परिणममाण-परिणय-पदं ५५, गंगदत्तदेवस्स अप्पविसए पसिण-पदं ५६, गंगदत्तदेवेण नट्टउवदंसण-पदं ६१, गंगदत्तदेवस्स पुव्वभव-पदं ६५, सुविण-पदं ७६, भगवओ महासुमिण-दसण-पदं ६१, सुविण-फल-पदं ६२, गंध-पोग्गल-पदं १०६, लोगस्स चरिमंते जीवाजीवादिमग्गणा-पदं ११०, परमाणपोग्गलस्स गति-पदं ११६, किरिया-पदं
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५२
११७, अलोए गतिनिसेध-पदं ११८, बलिस्स सभा-पदं १२१, ओहि-पदं १२३, दीवकुमारादिपदं १२५॥
सत्तरसमं सतं सू० १-६६
पृ० ७३८-७५३ हत्थिराय-पदं १, किरिया-पदं ५, भाव-पदं १६, धम्माधम्म-ठित-पदं १६, बाल पंडिय-पदं २५, जीवस्स जीवायाए एगत्त-पदं ३०, रूवि-अरू वि-पदं ३२, एयणा पदं ३७, रू.णा-पदं ४३, संवेगादि-पदं ४८, किरिया-पदं ५०, दुक्ख-वेदणा-पदं ६०, ईसाण-पदं ६५, पढविकाइयादीणं देस-सव्व-मारणंतियस मुग्घाय-पदं ६७, एगिदिय-पदं ८२, नागकुमारादिपदं ८७।
अट्ठारसमं सतं
सू० १-२२४
पृ० ७५४-७६०
पढम-अपढम-पदं १, चरिम-अचरिम-पदं २१ सक्करस्स कत्तिय-सेट्टिनाम-पत्वभव-पदं ३८, मागंदिय-पत्त-पदं ५६, निज्जरापोग्गल-जाणणादि-पदं ६६, बंध-पदं ७२, कम्म-नाणत्त-पदं ५०. जीवाणं परिभोगापरिभोग-पदं ८६, कसाय-पदं ८८, जुम्म-पदं ८६, अंधगवहिजीवाणं वर-पर-पदं ६५, वेउव्वियावेउन्विय-असुरकुमारादि-पदं ९७, नेरइयादीणं महाकम्मादि-पदं १००, नेरइयादीणं आउय-पदं १०२, असुरकुमारादीणं विउव्वणा-पदं १०४, नेच्छइयववहार-नय-पदं १०७, परमाण-खंधाणं वण्णादि-पदं १११, केवलि-भासा-पदं १११, उबहि-पदं १२०, परिग्गह-पदं १२३, पणिहाण-पदं १२५, कालोदाइ-पभितीणं पंचत्थिकाए संदेह-पदं १३४, मददय-समणोवास एण समाहाण-पदं १४०, भगवया मद्यस्स पसंसा-पदं १४३, विकुव्वणाए एगजीव-संबंध-पदं १४८, देवासुर-संगाम-पदं १५०, देवस्स दीवसमुद्दअणुपरियट्टण-पदं १५२, देवाणं कम्मक्खवणं-काल-पदं १५४, ईरियं पडुच्च गोयमस्स संवाद-पदं १५६, अण्णउत्थियाणं आरोव-पदं १६३, परमाणुपोग्गलादीणं जाणणापासाण-पदं १७४, भवियदव्व-पदं १८३, भावियप्पणो असिधारादि-ओगाहणादि-पदं १६१. परमाणपोग्गलादीणं वाउकाय-फास-पदं १९६, दव्वाणं वण्णादि-पदं २००, सोमिल माहण-पदं २०४।
एगूणवीसइमं सतं
सू० १-११२
पृ० ७६१-८०५ लेस्सा-पदं १, पुढविकाइय-पदं ५, आउक्काइयादि-पदं २१, थावरजीवाणं ओगाहणाए अप्पाबहुत्त-पदं २४, थावरजीवाणं सव्वसुहुम सव्वबादर-पदं २५, पुढवि-सरीरस्स महालयत्त-पदं ३३, पुढविकाइयस्स सरीरोगाहणा-पदं ३४, पुढविकाइयस्स वेदणा-पदं ३५, आउकाइयादीणं वेदणा-पदं ३६, महासवादि-पदं ४८, चरम-परम-पदं ५८, वेदणा-पदं ६२, दीवसमूह-पदं ६५, असरकुमारादीणं भवणादि-पदं ६७, जीवादि-निव्वत्ति-
प त करण-पदं१०२।
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वीसइमं सतं सू० १-१२३
पृ० ८०६-८३४ बेइंदियादि-पदं १, अत्थिकाय-पदं १०, अस्थिकायस्स अभिवयण-पदं १४, पाणाइवायादीणं आयाए परिणति-पदं २०, गब्भं वक्कममाणस्स वणादि-पदं २१, इंदियोवचय-पदं २४, परमाण-खंधाणं वण्णादिभंग-पदं २६, परमाणु-पदं ३७, पुढविआदीणं आहार-पदं ४३, बंध-पदं ५२, समयखेत्ते ओस प्पिणि-उस्स प्पिणि-पदं ६२, पंचमहव्वयइय-चाउज्जाम-धम्मपदं ६६, तित्थगर-पदं ६७, जिणंतरेस कालियसुय-पदं ६६, पुव्वगय-पदं ७०, तित्थ-पदं ७२, उग्गादीणं निग्गंथधम्माण गमण-पदं ७६, विज्जा-जंघा-चारण-पदं ७६, आउय-पदं ८६, उववज्जण-उव्वट्टण-पदं ११, कतिसंचयादि-पदं ६७, छक्कसमज्जियादि-पदं १०५, वारससमज्जियादि-पदं ११२, चुलसीतिसमज्जियादि-पदं ११७ ।
पृ० ८३५-८३६
एगवीसइमं सतं
सू० १-२१ सालिआदिजीवाणं उववायादि-पदं १।
पृ० ८४०-८४२
बावीसइमं सतं
तालादिजीवाणं उववायादि-पदं १।
पृ० ८४३,८४४
तेवीसइमं सतं
सू०१-६ आलुयादिजीवाणं उववायादि-पदं १।
सू० १-३६१
पृ० ८४५-६..
चउवीसइमं सतं
नेरइयादीसु उववायादि-पदं १ ।
पंचवीसइमं सतं
सू० १-६३६
पृ० १०१-६७७ लेस्सा-पदं १, जोगस्स-अप्पाबहुग-पदं २, समजोगि-विसमजोगि-पदं ४, जोग-पदं ६, दव्वपदंह, जीवाणं अजीव परिभोग-पदं १७, अवगाह-पदं २१, पोग्गलाणं चयादि-पदं २२, पोग्गलगहण-पदं २४, संठाण-पदं ३३, रयणप्पभादिसंदब्भे सठाण-पदं ३७, पएसावगाहतो संठाणनिरूवण-पदं ५१, अणसे ढि-विसे ढि-गति-पदं ९२, निरयावास-पदं ९५, गणिपिडय-पद ९६, अप्पाबहुय-पदं १८, जुम्म-पदं १०३, सरीर-पदं १४०, सेय-निरेय-पदं १४१, पोग्गलपदं १४७, मज्झपदेसा-पदं २४०, पज्जव-पदं २४६, निगोद-पदं २७३, नाम-पदं २७५, पण्णवण-पदं २७८, वेद-पदं २८६, राग-पद २६६, कप्प-पदं २६६, चरित्त-पदं ३०४, पडिसेवणा-पदं ३०७, तित्थ-पदं ३१६, लिंग-पदं ३२२, सरीर-पदं ३२३, खेत्त-पदं ३२६, काल-पदं ३२८, गति-पदं ३३६, संजमट्ठाण-पदं ३४६, निगास-पदं ३४६, जोग-पदं ३६३, उवओग-पदं ३६६, कसाय-पदं ३६७, लेस्सा-पदं ३७३, परिणाम-पदं ३८१, बंध-पदं ३६०, वेदण-पदं ३६५, उदीरणा-पद ३९८, उवसंपज्जहण-पदं ४०३, सण्णा-पदं ४०६, आहार-पदं
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४११, भव-पदं ४१३, आगरिस-पदं ४१६, काल-पदं ४२४, अंतर-पदं ४३०, समुग्धाय-पदं ४३५, खेत्त-पदं ४४०, फुसणा-पदं ४४२, भाव-पदं ४४३, परिमाण-पदं ४४६, अप्पाबहयत्तपदं ४५१, पण्णवण-पदं ४५३, वेद-पदं ४५६, राग-पदं ४६०, कप्प-पदं ४६१, नियंठ-पदं ४६४, पडिसेवणा-पदं ४६७, नाण-पदं ४६६, तित्थ-पदं ४७३, लिंग-पदं ४७४, सरीर-पदं ४७६, खेत्त-पदं ४७७, काल-पदं ४७८, गति-पदं ४८०, संजमाण-पदं ४८६, निगास-पदं ४६०, जोग-पदं ४६७, उवओग-पदं ४६८ कसाय-पदं ४६६, लेस्सा-पदं ५०२, परिणामपदं ५०३, बंध-पदं ५१०, वेदण-पदं ५१२, उदीरणा-पदं ५१४, उवसंपज्जहण-पदं ५१७, सण्णा-पदं ५२२, आहार-पदं ५२३, भव-पदं ५२४, आगरिस-पदं ५२६, काल-पदं ५३३, अंतर-पदं ५३८, समग्घाय-पदं ५४२, खेत्त-पदं ५४३, फूसणा-पदं ५४४, भाव-पदं ५४५ परिमाण-पदं ५४७, अप्पाबहुयत्त-पदं ५५०, पडिसेवणा-पदं ५५१, आलोयणा-पदं ५५२, समायारी-पदं ५५५, पायच्छित्त-पदं ५५६, तव-पदं ५५७, नेरइयादीणं पुणव्भव-पदं ६२०।।
छवीसइमं सतं सू० १-२६
पृ० ९७८-९८४ जीवाणं लेस्सादिविसे सितजीवाणं च बंधाबंध-पदं १, नेरइयादीणं लेस्सादिविसेसि तनेरइयादीणं च बंधाबंध-पदं १६, जीवादीणं नाणावरणादिकम्मं पडुच्च बंधाबंध-पदं १८, विसे सितनेरइयादीणं बंधाबंध-पदं २६ ।
पृ०६८५
सत्तावीसइमं सतं
सू० १-२ जीवाणं पावकम्म-करणाकरण-पदं १।
पृ० १८६,९८७
अट्ठावीसइमं सतं
सू०१-८ जीवाणं पावकम्म-समज्जण-समायारण-पदं १ ।
एगणतीसइमं सतं
सू०१-१० जीवाणं पावकम्म-पट्टवण-निट्ठवण-पदं १ ।
पृ०६८८,९८६
सू०१-४७
तीसइमं सतं
समोसरण-पदं १ ।
पृ० ९६०-६६७
इक्कतीसइमं सतं
सू० १-४२ खूडजुम्म-नेरइयादीणं उववाय-पदं १।
पृ० ६६८-१००२
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बत्तीसइमं सतं
खुड्डुजुम्म नेरइयादी उववट्टण-पदं १ ।
तेत्तीसइमं सतं
चोतसइमं सतं
सू० १-६२
एगेंदियाणं कम्मपगडि - पदं १, भवसिद्धीयएगेंदियाणं कम्मपगडि-पदं ४७, एगेंदियाणं कम्म पगडि-पदं ५६ ।
पणतीसइमं सतं
छत्तीसइमं सतं
सू० १-६७
एगें दियाणं विग्गहगइ - पदं १, एगेंदियाणं ठाण-पदं ३३, एगेंदियाणं एगें दियाणं उववत्ति-पदं ३७, एगेंदियाणं समुग्धाय-पदं ३८ । एगेंदियाणं कम्मकरण- पदं ३६, विसेसित - एगेंदियाणं ठाणादि-पदं ४२ ।
सू० १-६७
महाजुम्म एगेंदियाणं उववायादि-पदं १ ।
सत्ततीसइमं सतं
महाजुम्म - बेंदियाणं उववायादि-पदं १ ।
सू० १-७
असतं
५५
सू० १, २
महाजुम्म तेंदियाणं उववायादि-पदं १ |
गुणयालीasiसतं
सू० १, २
महाजुम्म चउरिदियाणं उववायादि-पदं १ |
चत्तालीसतिमं सतं
सू० १-१३
सू० १, २,
महाजुम्मस णिपंचिदियाणं उववायादि-पदं १ 1
एगचत्तालीसतिमं सतं
सू० १-४६
महाजुम-सणिपंचिदियाणं उववायादि-पदं १ ।
सू० १-८४
रासिम्म नेरइयादीणं उववायादि-पदं १ ।
पृ० १००४ - १००६
अभवसिद्धीय
पृ० १००३
पृ० १०११-१०२४
कम्म पदं ३४, तुल्ल - विसे साहिय
पृ० १०२५-१०३२
पृ० १०३३, १०३४
पृ० १०३४
पृ० १०३४
पृ० १०३५
पृ० १०३५ - १०३६
पृ० १०४० - १०८४
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संकेत निर्देशिका
• • ये दोनों बिन्दु पाठपूर्ति के द्योतक हैं । पाठपूर्ति के प्रारंभ में भरा बिन्दु [.] और उसके
समापन में रिक्त बिन्दु [• ] रखा गया है । देखें-पृष्ठ ५ सूत्र ११ । (?) कोष्ठकवर्ती प्रश्नचिन्ह [?] आदर्शों में अप्राप्त किन्तु आवश्यक पाठ के अस्तित्व का
सूचक है। देखें-पृष्ठ ७४ सूत्र ४३६ । [] आदर्शों में प्राप्त किन्त प्रस्तत प्रकरण में अनावश्यक व्याख्यांश पाठ को कोष्ठक में रखा
गया है । देखें-पृष्ठ १०५ सूत्र ६७ । यह दो या उससे अधिक शब्दों के स्थान में पाठान्तर होने का सूचक है । देखें-पृष्ठ ३ । 'वण्णओ' व 'जाव' शब्द के टिप्पण में उसके पूर्ति-स्थल का निर्देश है। देखें-पृष्ठ ३
सूत्र ६ और पृष्ठ ७ सूत्र ७ । x क्रॉस (X) पाठ न होने का द्योतक है। देखें--पृष्ठ ३ टिप्पण १० । • पाठ के पूर्व या अन्त में खाली बिन्दु (०) अपूर्ण पाठ का द्योतक है। देखें--पृष्ठ ३
टिप्पण २; पृष्ठ ४ टिप्पण ७ । 'जहा' आदि पर टिप्पण में दिए गए सूत्रांक उसकी पूर्ति के सूचक हैं । देखें--पृष्ठ १६ टिप्पण ५। अ, क, ख, ता, ब, म, स-देखें-सम्पादकीय में 'प्रति परिचय' शीर्षक । क्व० क्वचित् प्रयुक्तादर्श । सं० पा० संक्षिप्त पाठ का सूचक है। देखें-पृष्ठ ५ टिप्पण १० । वृपा वृत्ति-सम्मत पाठान्तर । देखें—पृष्ठ १५ टिप्पण ४ । वृ वृत्ति का सूचक है । देखें-पृष्ठ १५ टिप्पण ५ । पू० पूर्णपाठार्थं द्रष्टव्यम् । देखें--पृष्ठ ४ टिप्पण १६ । पू०प० पूरक-पाठ परिशिष्ट । देखें-पृष्ठ १२ टिप्पण ४ । अं० अंतगडदसाओ
दसा० दसासुयक्खंधो अणुओगदाराई
नायाधम्मकहाओ उत्तरज्झयणाणि
प० पण्णवणा उवंगा
भगवई उवा० उवासगदसाओ
राय० रायपसेणइयं ओ० ओवाइयं
व० ववहारो जं० जंबुद्दीवपण्णत्ती
जीवाजीवाभिगम ठाणं
अ
.
ना०
उत्त०
भ०
ठा०
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भगवई विग्राहपण्णत्ती
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मंगल-पदं
१. नमो' अरहंताणं, नमो सिद्धाणं,
नमो आयरियाणं', नमो उवज्झायाणं,
नमो सव्वसाहूणं ॥ २. नमो बंभीए' लिवीए ॥
संगणी - गाहा
पढमं सतं
पढमो उद्देस
रायगि १ - चलण २- दुक्खे, ३- कंपोसे य ४-पगइ ५ - पुढवी । ६- जावंते ७-नेरइए, ८- बाले - गुरुए य
१०-चलणाश्रो ।।१।।
३. नमो सुयस्स ॥
उक्खेव-पदं
४. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम' नयरे होत्था - वण्णो ॥
५. तस्स णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे गुणसिलए नामं
इए होथा ॥
६. 'सेणिए राया, चिल्लणा देवी ॥
१. णमो ( क ) ।
०
२. अरिहं ( अ, क, वृपा); अरुहं (वृपा) । ३. आरिआणं ( क ) ।
४. लोए सव्व ० ( अ, क, ता, ब, म, वृपा) । ५. वंभीए (ता, ब ) ।
६. पाले (ता) |
७. णाम ( क ) ।
८. ओ० सू० १ ।
६. बहिं (ता) |
१०. X (ता, ब ) ।
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भगवई
७. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे आइगरे तित्थगरे सहसंबुद्धे
पुरिसुत्तमे पुरिससीहे पुरिसवरपोंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी' लोगुत्तमे लोगनाहे' लोगपदीवे लोगपज्जोयगरे अभयदए चक्खुदए मग्गदए सरणदए" धम्मदेसए" धम्मसारही धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टी अप्पडिहयवरनाणदसणधरे वियदृछउमे जिणे जाणए बुद्धे बोहए मुत्ते२ मोयए सवण्णू सव्वदरिसी सिवमयलमरुयमणंतमक्खयमव्वाबाहं सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपाविउकामे जाव५ पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जेणेव गुणसिलए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अहापडिरूवं प्रोग्गहं
प्रोगिण्हइ, ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ° ॥ ८. परिसा निग्गया। धम्मो कहियो। पडिगया परिसा ।।।
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवनो महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूती नामं अणगारे 'गोयमसगोत्ते णं सत्तुस्सेहे समच उरंससंठाणसंठिए वज्जरिसभनारायसंघयणे८ कणगपुलगनिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे९ महातवे अोराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी "उच्छढसरीरे संखित्तविउलतेयलेस्से'२१ चोदृसव्वी चउनाणोवगए सव्वक्खरसन्निवाती समणस्स भगवनो महावीरस्स अदूरसामंते उड्ढंजाणू अहो सिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा
अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ १०. तते णं से भगवं गोयमे जायसड्ढे जायसंसए जायकोउहल्ले उप्पन्नसड्ढे उप्पन्न___ संसए उप्पन्नकोउहल्ले संजायसड्ढे संजायसंसए संजायकोउहल्ले समुप्पन्नसड्ढे १. सयं ० (अ)।
१४. ° बाहमपुणरावत्तयं (अ, ब); सिवमचल२. पुरिसोत्तमे (अ); पुरुसुत्तमे (ब)।
मरुज (क)। ३. पुरुससीहे (ता) सर्वत्र ।
१५. सं० पा०-जाव समोसरणं । ओ० सू० ४. पुरुसवरपुंडरीए (ता)।
१६-५१ । ५. ° हत्थीए (अ)।
१६. पू०-ओ० सू० ५२-८१ । ६. लोगोत्तमे (अ, ब)।
१७. गोयमे गोत्तेणं (अ, ता, ब); गोयम७. नाहे लोगहिए (अ)।
सगुत्ते णं (क); गोयमगोत्तेणं (म)। ८. ° पईवे (ता, क)।
१८. रिसह° (क, म)। ६. ° करे (क)।
१६. तत्ततवे घोरतवे (क)। १०. °दए बोहिदए (अ, ता)।
२०. उराले (अ, ता, ब, म, वपा)। ११. धम्मदए धम्मदेसए धम्मनायगे (अ); २१. तेयलेसे (अ); तेअलेस्से (क);
धम्मदए धम्मदेसए (क, ता, ब); धम्म- तेउलेस्से (म); मूलटीकाकृता तु 'उच्छूढदएत्ति पाठान्तरम् (३०)।
सरीरसंखित्तविउलतेयलेस'त्ति कर्मधारयं १२. मुक्के (क)।
कृत्वा व्याख्यातमिति (व)। १३. सव्वदंसी (ता)।
२२. उड्ढजाणू (क, ता); उड्ढंजाणु (म)।
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५
पढमं सतं ( पढमो उद्देसो)
सप्पन्नसंस समुप्पन्नकोउहल्ले उट्ठाए उट्ठेति, उट्ठेत्ता जेणेव समणे भगवं महावोरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता समगं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्राहिण पाहणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता पच्चासन्ने नातिदूरे सुस्समाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे' पज्जुवासमाणे एवं वयासी
चलमाण-पदं
११. से नूणं भंते ! चलमाणे चलिए ? उदीरिज्जमाणे उदोरिए ? वेदिज्जमाणे वेदिए ? पहिज्जमागे पहीणे ? छिज्जमा छिण्णे ? भिज्जमाणे भिण्णे ? 'दज्झमाणे दड्ढे ? मिज्जमाणे मए" ? निज्जरिज्जमाणे निज्जिणे ?
हंता गोयमा ! चलमाणे चलिए" । उदीरिज्जमाणे उदीरिए । वेदिज्ज़माणे वेदिए । पहिज्जमाणे पहोणे । छिज्जमाणे छिष्णे । भिज्जभाणे भिण्णे । दज्झमाणे ढे | मज्जा मए । निज्जरिज्जमाणे निज्जिणे ||
१२. एए णं भंते ! नव पदा" कि एगट्टा नाणाघोसा नाणावंजणा ? उदाहु नाणट्ठा नाणाघोसा नाणावंजणा ?
गोयमा ! चलमाणे चलिए, उदीरिज्जमाणे उदीरिए वेदिज्जमाणे वेदिए, पहिज्जमाणे पहीणे - एए णं चत्तारि पदा एगट्टा नाणाघोसा नाणावंजणा उप्पण्णपक्खस्स ।
छिज्जमाणे छिण्णे, भिज्जमाणे भिण्णे, दज्झमाणे दड्ढे, मिज्जमाणे मए, निज्जरिज्जमाणे निज्जिणे - एए णं पंच पदा नाणट्टा नाणाघोसा नाणावंजणा विपक्खस्स ||
नेरइयाणं ठितिप्रादि-पदं
१३. नेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहणेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता ॥
१. गादिदूरे ( क ) ; गाइदूरे (ता, म ) ।
२. पंजलिउडे ( अ, क ) ; पंजलिपुडे (म ) ।
३. वासि (ता); वदासी (म) | ४. विदिज्जमारणे ( अ, ब ) ; वेतिज्जमा ( क ) | ५. पहिए (ता) |
६. छविज्जमाणे ( अ ) |
७. उज्झमाणे डड्डे (ता) |
८. मेज्जं (ग्र, व ) ; मियं (म ) | ९. मडे ( क ) ; मिए (ता) ।
१०. सं० पा० - चलिए जाव निज्जरिज्जमारणे । ११. पया (ता) |
१२. पहिए ( अ, ता, ब, म) 1
१३. केवई (, क, ता); केवइ ( ब ) ।
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भगवई
१४. नेरइया णं भंते ! केवइकालस्स आणमंति वा ? पाणमंति वा ? ऊससंति वा ?
णीससंति वा ?
जहा उस्सासपदे ॥ १५. नेरइया णं भंते ! आहारट्ठी?
हंता गोयमा ! आहारट्ठी। जहा पण्णवणाए पढमए अाहारुद्देसए' तहा
भाणियव्वं--- संगहणी-गाहा
ठिइ उस्सासाहारे, किं वाऽऽहारेति सव्वग्रो वावि ?
कतिभागं सव्वाणि व ? कीस व भुज्जो परिणमंति ? ॥१।। १६. नेरइयाणं भंते ! पूव्वाहारिया पोग्गला परिणया ?
पाहारिया आहारिज्जमाणा पोग्गला परिणया ? अणाहारिया पाहारिज्जिस्समाणा' पोग्गला परिणया ? अणाहारिया अणाहारिज्जिस्समाणा पोग्गला परिणया ? गोयमा ! नेरइयाणं पुव्वाहारिया पोग्गला परिणया। ग्राहारिया आहारिज्जमाणा पोग्गला परिणया. परिणमंति य । अणाहारिया आहारिज्जिस्समाणा पोग्गला णो परिणया, परिणमिस्संति ।
प्रणाहारिया अणाहारिज्जिस्समाणा पोग्गला णो परिणया, णो परिणमिस्संति ।। १७. नेरइयाणं भंते ! पुव्वाहारिया पोग्गला चिया ? पुच्छा
जहा परिणया' तहा चियावि ॥ १८. एवं-उवचिया, उदीरिया, वेइया, निज्जिण्णा । संगहणी-गाहा
परिणय 'चिया उवचिया उदीरिया' वेइया य निज्जिण्णा। एक्केक्कम्मि पदम्मि, चउव्विहा पोग्गला होति ॥१॥
१. प०७। २. प० २८।१। ३. आहारिज्जस्स (क)। ४. परिणमयंति (ता)। ५. भ० १११६ । ६. चिया य उवचिया (अ); चित उवचित (म) ७. उदीरिय (ता)।
८. वेतिया (म)। ६. पदंमी (ब)। १०. अतोने 'ता' प्रतौ एतावानतिरिक्तः पाठो
लभ्यतेनेरइयाणं भंते ! पूवाहारिया पोग्गला निज्जिण्णा । तहेव।
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पढमं सतं (पढमो उद्देसो) १६. नेरइया णं भंते ! कइविहा पोग्गला भिज्जति ?
गोयमा ! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहा पोग्गला भिज्जति, तं जहा
अणू चेव, बादरा चेव ॥ २०. नेरइया णं भंते ! कइविहा पोग्गला चिज्जति ? . गोयमा ! आहारदव्ववग्गणमहिकिच्च' दुविहा पोग्गला चिज्जति, तं जहा
अणू चेव, बादरा चेव ॥ २१. एवं उवचिज्जति ।। २२. नेरइया णं भंते ! कइविहे पोग्गले उदीरेंति' ?
गोयमा ! कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च दुविहे पोग्गले उदीरेंति, तं जहा- अणू
चेव, बादरा चेव ॥ २३. सेसावि एवं चेव भाणियव्वा-वेदेति, निज्जरेंति ॥ २४. एवं—ोयट्टेसु', प्रोयट्टेति, प्रोयट्टिस्संति ।
संकामिसु, संकामेंति, संकामिस्संति । निहत्तिसु, निहत्तेति, निहत्तिस्संति ।
निकाएंसु, निकायंति, निकाइस्संति । संगहणी-गाहा
भेदिया चिया उवचिया, उदीरिया वेदिया य निज्जिण्णा ।
प्रोयट्टण संकामण, निहत्तण निकायणे तिविहकालो ॥१॥ २५. नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गेण्हंति, ते कि तीतकालसमए गेण्हंति ?
पडुप्पन्नकालसमए गेण्हंति ? अणागयकालसमए गेण्हंति ? गोयमा ! नो तीयकालसमए गेण्हंति, पडुप्पन्नकालसमए गेण्हंति, नो अणागय
कालसमए गेण्हंति ।। २६. नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले तेयाकम्मत्ताए गहिए" उदीरेंति, ते कि तीयकाल
समयगहिए पोग्गले उदीरेंति ? पडुप्पन्नकालसमए घेप्पमाणे पोग्गले उदीरेंति ?
गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति ? १. मभिकिच्च (अ, ब)।
७. निव° (ता) सर्वत्र । २. जति वि (ता)।
८. अतोग्रे अ, क, ब, म प्रतिषु एतावान३. उदीरंति (क)।
तिरिक्तः पाठो लभ्यते४. ° यव्वा एवं (अ, क, ता)।
सव्वेस वि कम्मदव्ववग्गणमहिकिच्च । ५. X(अ, क, ब, म)।
६. भेतिय (क)। ६. उय (क, ता, म); अपवर्तनस्य चोप- १०. X(अ, ब)।
लक्षणत्वादुद्वर्तनमपीह दृश्यम् (वृ)। ११. ° समय (क, ता, ब, म)।
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भगवई
गोयमा ! तीयकालसमयगहिए पोग्गले उदीरेंति, नो पडुप्पन्नकालसमए घेप्पमाणे
पोग्गले उदीरेंति, नो गहणसमयपुरक्खडे पोग्गले उदीरेंति ।। २७. एवं वेदेति, निज्जरेंति ॥ २८. नेरइया णं भंते ! जीवानो कि चलियं कम्मं बंधति ? प्रचलियं कम्म बंधंति ?
गोयमा ! नो चलियं कम्मं बंवंति, अचलियं कम बंधति ।। २६. नेरइयाणं भंते ! जीवाओ किं चलियं कम्मं उदीरेंति ? अचलियं कम्म
उदीरेंति ?
गोयमा ! नो चलियं कम्मं उदोरेंति, अचलियं कम्मं उदीरेंति ।। ३०. एवं-वेदेति, पोयटेंति, संकामेंति, निहत्तेति', निकाएंति' ।। ३१. नेरइया णं भंते ! जीवाओ किं चलियं कम्मं निज्जरेंति ? अचलियं कम्म
निज्जरेंति ?
गोयमा ! चलियं कम्म निज्जरेंति, नो अचलियं कम्मं निज्जरेंति ॥ संगहणी-गाहा
बंधोदयवेदोयट्टसंकमे तह निहत्तणनिकाए।
अचलिय-कम्मं तु भवे, चलियं जीवाउ निज्जरए ।।१।। ३२. एवं ठिई आहारो य भाणियब्बो । ठिती जहा--
१. निज्जरंति (ता, ब)।
२. निवत्तेति (ता)। . ३. अतोने 'अ' प्रतौ एतावानतिरिक्तः पाठो
लभ्यतेसव्वेसु अचलियं नो चलियं ।
'ता' प्रतौ च-सव्वेसु नो चलियं प्रचलियं । ४. ° वट्ट (अ); ° व्वट्ट (ता)। ५. निजरिए (अ, ता, ब); निज्जरइ (क)। ६. अत्र विस्तृता वाचनापि लभ्यते । तस्यां
'जहा नेरइयाणं' इत्यादि समर्पणपदानि लभ्यन्ते, किन्तु पूर्ववर्ति-नैरयिकपदे तानि न विद्यन्ते, तेन संक्षिप्तव वाचना मूलपाठरूपेणाहता । विस्तृता चैवम्असुरकुमाराणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता?
गोयमा ! जहण्णणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेरणं सातिरेगं सागरोवमं ॥ असुरकुमारा णं भंते ! केवइकालस्स आरणमंति वा पाणमंति वा ? ऊससंति वा ? णीससंति वा ? गोयमा! जहण्णेणं सत्तण्डं थोवाणं, उक्कोसेणं साइरेगस्स पक्खस्स आणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा, णीससंति वा, असुरकुमाराणं भंते ! आहारट्ठी ? हंता आहारट्ठी। असुरकुमाराणं भंते ! केवइकालस्स आहारठे समुप्पज्जइ? गोयमा ! असुरकुमाराणं दुविहे आहारे पण्णत्ते, तं जहाआभोगनिव्धत्तिए य अण्णाभोगनिव्वत्तिए
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पढम सतं (पढमो उद्देसो) ठितिपदे' तहा भाणियव्वा सव्वजीवाणं । आहारो वि जहा पण्णवणाए पढमे आहारुद्देसए' तहा भाणियव्वो, एत्तो आढत्तो-नेरइया णं भंते ! आहारट्ठी ? जाव य । तत्थ णं जे से अणाभोगनिव्वत्तिए, से से अणुसमयमविरहिए आहारट्टे समुप्पज्जइ । अणसमयं अविरहिए आहारट्टे समुप्पज्जइ। तत्थ णं जे से आभोगनिव्वत्तिए, से जहणेणं तत्थ णं जे से आभोगनिव्वत्तिए, से जहण्णेरणं चउत्थभत्तस्स, उक्कोसेणं दिवसपुहुत्तस्स आहाचउत्थभत्तस्स, उक्कोसेणं साइरेगस्स वाससह- रठे समुप्पज्जइ । सेसं जहा असुरकुमाराणं जाव
नो अवलियं कम्म निज्जरंति । स्सस्स आहारट्टे समुप्पज्जइ ।
एवं सुवष्णकुमाराणवि जाव थरिणयकूमाराणं असुरकुमारा णं भंते ! किमाहारमाहारेंति ?
ति। गोयमा ! दबओ अणंतपएसियाई दवाई,
पुढविकाइयारणं भते ! केवईयं कालं ठिई खेत्तकालभावपण्णवणागमेणं सेसं जहा नेर
पण्णता? इयाणं जाव ते णं तेसिं पोग्गला कीसत्ताए
गोयमा ! जहणणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं भुज्जो-भुज्जो परिणमंति?
बावीसं वाससहस्साइं। गोयमा ! सोइंदियत्ताए ५ सुरूवत्ताए पूढविकाइया केवाइकालस्स आणमंति वा ४? सवण्णत्ताए ४ इटठत्ताए ५ इच्छियत्ताए गोयमा ! वेमाताए आणमंति वा ४ । भिज्जियत्ताए उढत्ताए, णो अहत्ताए सुहत्ताए, पुढविकाइया रणं आहारट्टी? णो दुहत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिण मंति। हंता आहारदी।
पुढविकाइयारणं केवइकालस्स असुरकुमाराणं पुवाहारिया पुग्गला परि
आहार?
समुप्पज्जइ? गया? असुरकुमाराभिलावेण जहा नेरइयाणं
गोयमा ! अणुसमयं अविरहिए आहारट्ठे जाव नो अचलियं कम्म निज्जरंति ।
समुप्पज्जइ। नागकुमाराणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पुढविकाइया किमाहारमाहारेंति ? पण्णत्ता?
गोधमा ! दब्बओ जहा नेरइयारणं जाव गोयमा ! जहणणं दस वाससहस्साई,
निवाघाएणं छद्दिसि, वाघायं पडुच्च सिय उक्कोसेणं देसूरणाइं दो पलिग्रोवमाई। तिदिसि सिय चउद्दिसि सिय पंचदिसि । वण्णो नागकुमारा गं भंते ! केवइकालस्स आणमंति कालनीलपीतलोहियहालिदसूकिल्लारिण, गंधओ वा ४?
सुरभिगंध २ रसग्रो तित्त ५ फासओ कक्खड ८ गोयमा ! जहण्णणं सत्तण्हं थोवागं, उक्कोसेणं सेसं तहेव । णाणतं कइभागं आहारेंति ? कइमुहुत्तपुहुत्तस्स आणमंति वा ४ ।
भागं फासाएंति? नागकुमारा णं भंते ! आहारदी? हंताआहारट्री। गोयमा ! असंखिज्जइभागं आहारेति. नागकुमाराणं भंते ! केवइकालस्स आहारट्टे अणंतभागं फासाएंति जाव ते णं तेसि पोग्गला समुप्पज्जइ?
कीसत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति? गोयमा ! नागकुमाराणं दुविहे आहारे गोयमा ! फासिदियवेमायत्ताए भुज्जो-भुज्जो पण्णते, तं जहा—आभोगनिव्वत्तिए य अणाभोग- परिणमंति। सेसं जहा नेरइयाणं जाव नो निव्वत्तिए य। तत्य रणं जे से अणाभोगनिव्वत्तिए, अचलियं कम्म निज्जरति । एवं जाव वणस्सइ१. प०४।
२. प०२८।१।
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भगवई
दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ।। काइयारणं, नवरं ठिती वण्णेयव्वा जा जस्स, अणासाइज्जमाणाइं अफासाइज्जमाणाई विद्धंसउस्सासो वेमायाए।
मावज्जति । बेइंदियाणं ठिई भारिणयव्वा, ऊसासो एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं अणाघाइज्जमावेमायाए।
णाई ३ पुच्छा। बेइंदियाणं आहारे पुच्छा, गोयमा ! अाभोग
गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला अणाघाइज्जनिव्वत्तिए य अणामोगनिव्वत्तिए य तहेव ।
मारणा, अरणासाइज्जमारणा अणंतगुणा, अफातत्थ णं जे से आभोगनिव्यत्तिए, से णं असंखेज्ज
साइज्जमाणा अणंतगुणा । तेइंदियाणं घागिदियसमए अंतोमुहुत्तिए वेमायाए आहारट्टे समुप्प
जिभिदियफासिदियवेमायत्ताए भुज्जो-भज्जो ज्जइ । सेसं तहेव जाव अरणंतभागं आसाएंति।
परिणमंति। बेइंदिया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए
चरिदियाण चक्खि (क्खं)दियघाणिदियगेण्हंति ते कि सब्वे आहारेंति, गो सव्वे
जिभिदियफासिदियवेमायत्ताए भूज्जो-भज्जो आहारेति ?
परिणमंति। गोयमा ! बेइंदियाणं दुविहे आहारे पणत्ते,
पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं ठिई भरिणऊरणं तं जहा-लोमाहारे पक्खेवाहारे य । जे पोग्गले
ऊसासो वेमायाए। आहारो अणाभोगनिव्वत्तिए लोमाहारत्ताए गिण्हंति ते सव्ये अपरिसेसिए
अणुसमयं अविरहिओ। आभोगनिव्वत्तिओ आहारेंति । जे पोग्गले पक्खेवाहारत्ताए गिण्हति
जहण्णेणं अंतोमुहुत्तस्स, उक्कोसेरणं छट्ठभत्तस्स । तेसि णं पोग्गलाणं असंखिज्जइभागं आहारेंति,
सेसं जहा चरिदियाणं जाव चलियं कम्म णेगाई च णं भागसहस्साई प्रणासाइज्जमाणाई
निज्जरेंति । अफासिज्जमाणाई विद्धसमावति ।
एवं मास्सारणवि, नवरं आभोगनिव्वत्तिए एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं अणासाइज्ज
जहण्जेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेरणं अट्ठम भत्तस्स, माणाणं अफासाइज्जमाणाण य कयरे कयरे सोडदियवेमायत्ता भन्जो
सोइंदियवेमायत्ताए भूज्जो-भज्जो परिणमति । अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा? सेसं जहा चउरिदियारणं तहेव जाव निज्जरेंति । गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला अणासाइज्ज
वाणमंतराणं ठिईए नाणत्तं, परिणमंति मारणा, अफासाइज्जमाणा अणंतगुणा ।
अवसेसं जहा नागकुमाराणं । एवं जोइसियाण वि,
नवर उस्सासो जहणणेणं मुहत्तपूहत्तस्स, उक्कोबेइंदिया णं भंते ! जे पोग्गला आहारत्ताए
सेगवि मुहुत्तपुहुत्तस्स । आहारो जहणेरणं दिवसगिण्हंति ते णं तेसि पोग्गला कीसत्ताए भुज्जो- पुहुत्तस्स, उक्कोसेरणवि दिवस पुहुत्तस्स । सेसं भुज्जो परिणमंति?
तहेव। गोयमा ! जिभिदियफासिदियवेमायत्ताए वेमाणियाणं ठिई भारिणयव्वा प्रोहिया। भुज्जो-भुज्जो-परिणमंति।
ऊसासो जहण्णेणं मुहुत्तपुहुत्तस्स, उक्कोसेणं तेत्तीबेइंदियाणं भंते ! पुव्वाहारिया पुग्गला परि- साए पक्खाण । आहारो आभोगनिव्वत्तियो णया? तहेव जाव चलियं कम्म निजाति । जहण्णेणं दिवसपुहुत्तस्स, उक्कोसेणं तेत्तीसाए तेइंदियचउरिदियाणं गाणत्तं ठिईए जाव वाससहस्साणं । सेसं चलियाइयं तहेव जाव गेगाइं च णं भागसहस्साई अणाघाइज्जमाणाई निज्जरेंति (क, ता, व, प० २८।१)।
गोयमायावासा य साइज्ज
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पढमं सतं (पढमो उद्देसो) प्रारंभ-प्रणारंभ-पदं ३३. जीवा णं भंते ! कि आयारंभा ? परारंभा ? तदुभयारंभा ? अणारंभा ?
गोयमा ! अत्थेगइया जीवा पायारंभा वि, परारंभा वि, तदुभयारंभा वि, णो अणारंभा ।।
अत्थेगइया जीवा नो आयारंभा, नो परारंभा, नो तदुभयारंभा, अणारंभा ॥ ३४. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया जीवा अायारंभा वि, "परारंभा
वि, तदुभयारंभा वि, णो अणारंभा ? अत्थेगइया जोवा नो आयारंभा, नो परारंभा, नो तदुभयारंभा, अणारंभा॰ ? गोयमा ! जीवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-संसारसमावण्णगा य, असंसारसमावण्णगाय। तत्थ णं जे ते असंसारसमावण्णगा, ते ण सिद्धा। सिद्धा णं नो पायारंभा, 'नो परारंभा, नो तदुभयरंभा , अणारंभा। तत्थ णं जे ते संसारसमावण्णगा, ते विहा पण्णत्ता, तं जहा-संजया य, असंजया य । तत्थ णं जे ते संजया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पमत्तसंजया य, अप्पमत्तसंजया य। तत्थ णं जे ते अप्पमत्तसंजया, ते णं नो पायारंभा, नो परारंभा, •नो तदुभयारंभा, अणारंभा । तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया, ते सुहं जोगं पडुच्च नो आयारंभा, 'नो परारंभा, नो तदुभयारंभा°, अणारंभा। असुभं जोगं पडुच्च आयारंभा वि, •परारंभा वि, तदुभयारंभा वि°, नो अणारंभा। तत्थ णं जे ते असंजया, ते अविरतिं पडुच्च आयारंभा वि', परारंभा वि, तदुभयारंभा वि°, नो अणारंभा। से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइअत्थेगइया जोवा पायारंभा वि, परारंभा वि, तदुभयारंभा वि, नो अणारंभा। प्रत्येगइया जीवा नो पायारंभा, नो परारंभा, नो तदुभयारंभा,°
अणारंभा॥ ३५. नेरइया णं भंते ! कि आयारंभा ? परारंभा ? तदुभयारंभा ? अणारंभा ?
१. सं० पा०–एवं पडिउच्चारेतव्वं । २. सं० पा०—आयारंभा जाव अणारंभा। ३. सं० पा०-परारंभा जाव अरणारंभा। ४. सं० पा०-आयारंभा जाव अणारंभा। ५. सं० पा०-वि जाव नो।
६. अस्संजया (ता, ब)। ७. सं० पा०—वि जाव नो। ८. एण?णं (अ, क); एतेण?णं (ता,ब, म)। ६. सं० पा०-जीवा जाव अरणारंभा।
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भगवई
गोयमा ! •नेरइया आयारंभा वि', परारंभा वि, तदुभयारंभा वि,° नो
अणारंभा॥ ३६. से केणटेणं?
गोयमा ! अविरतिं पडुच्च। से तेणद्वेणं' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ–नेरइया
आयारंभा वि, परारंभा वि, तदुभयारंभा वि, नो अणारंभा' ।। ३७. एवं जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिया। मणुस्सा जहा जीवा, नवरं-सिद्धविर
हिया भाणियव्वा । वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया तहा नेरइया ॥ ३८. सलेस्सा जहा प्रोहिया । कण्हलेसस्स, नीललेसस्स काउलेसस्स, जहा प्रोहिया
जीवा, नवरं-पमत्ताप्पमत्ता न भाणियव्वा । तेउलेसस्स, पम्हलेसस्स, सुक्कलेसस्स जहा प्रोहिया जीवा, नवरं-सिद्धा न भाणियव्वा ।।
१. सं० पा०-वि जाव नो। २. सं० पा०-तेणद्वेणं जाव नो। ३. अणारंभा एवं असुरकुमारा वि जाव (ता)। ४. पू० प०२। ५. भ० १।३५, ३६ । ६. भ० १।३३, ३४ । 'सिद्धा न भारिणयव्वा'
इति अध्याहर्तव्यम् । 'सिद्धानामलेश्यत्वात्'
इति वृत्तिकारः । ७. किण्ह° (अ)। ८. कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा कि आयारंभा? परारंभा ? तदुभयारंभा ? अणारंभा ? गोयमा ! अत्थेगइया कण्हलेस्सा जीवा आयारंभा वि, परारंभा वि, तभयारंभा वि, नो अणारंभा। अत्थेगइया कण्हलेस्सा जीवा नो आयारंभा, नो परारंभा, नो तभयारंभा, अणारंभा। से केपट्टेणं जाव अणारंभा ? गोयमा ! कण्हलेस्सा जीवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-संजया य असंजया य । तत्थ णं जे ते संजया ते सुहं जोगं पडुच्च नो आयारंभा जाव अणारंभा। असुभं जोगं पडुच्च आयारंभा वि जाव नो अणारंभा।
तत्थ णं जे ते असंजया ते अविरतिं पडुच्च आयारंभा वि जाव नो अणारंभा। से तेण?णं जाव अणारंभा। नीलकापोतलेश्यानां एष एव गमः । तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा कि आयारंभा जाव अणारंभा? गोयमा ! अत्थेगइया आयारंभा वि जाव नो अणारंभा, अत्थेगइया आयारंभा वि जाव नो अणारंभा, अत्थेगइया नो आयारंभा जाव नो अणारंभा। से केपट्टेणं? गोयमा! दुविहा तेउलेस्सा पण्णत्ता, तं जहा-संजया य असंजया य । तत्थ णं जे ते संजया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पमतसंजया य, अप्पमत्तसंजया य । तत्थ ण जे ते अप्पमतसंजया ते णं नो आयारंभा जाव अरणारंभा। तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया ते सुहं जोगं पडुच्च नो आयारंभा जाव अणारंभा। असुभं जोगं पडुच्च आयारंभा वि जाव नो अणारंभा। तत्थ णं जे ते असंजया ते अविरत पडुच्च आयारंभा वि जाव नो अणारंभा। से तेरणद्वेणं जाव अरणारंभा।
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पढमं सतं (पढमो उद्देसो)
नाणादीणं भवंतर-संकमण-पर्व ३६. इहभविए भंते ! नाणे ? परभविए नाणे ? तदुभयभविए नाणे ?
गोयमा ! इहभविए वि नाणे, परभविए वि नाणे, तदुभयभविए वि नाणे ।। ४०. इहभविए भंते ! दंसणे ? परभविए दंसणे ? तदुभयभविए सणे ?
गोयमा ! इहभविए वि सणे, परभविए वि दंसणे, तदुभयभविए वि सणे ॥ ४१. इहभविए भंते ! चरित्ते ? परभविए चरित्ते? तदुभयभविए चरित्ते ?
गोयमा ! इहभविए चरित्ते, नो परभविए चरित्ते, नो तदुभयभविए चरित्ते ।। ४२. "इहभविए भंते ! तवे ? परभविए तवे ? तदुभयभविए तवे ?
गोयमा ! इहभविए तवे, नो परभविए तवे, नो तदुभयभविए तवे ॥ ४३. इहभविए भंते ! संजमे ? परभविए संजमे ? तदुभयभविए संजमे ?
गोयमा ! इहभविए संजमे, नो परभविए संजमे, नो तदुभयभविए संजमे ॥ असंवुड-संवुड-अणगार-पदं ४४. असंवुडे' णं भंते ! अणगारे सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्व
दुक्खाणं अंतं करेइ ? पद्मशुक्ललेश्यानां एष एव गमः ।
भंते ! कतिसु लेसासु होज्जा। गोयमा ! अभयदेवसूरिभिः भिन्नमतमनुसृत्य कृष्ण
छल्लेस्सासु होज्जा, तं जहा-कण्हलेस्साए लेश्यादिपाठो व्याख्यातः । कृष्णादिषु हि जाव सुक्कलेस्साए। अप्रशस्त-भावलेश्यासु संयतत्वं नास्ति अस्य वृत्तौ अभयदेवसूरिणा एतद् एतद्मतमनुसृत्य तैरेवं पाठरचना कृता- व्याख्यातमस्ति--कषायकुशीलस्तु, षट्"कण्हलेस्सा गां भंते ! जीवा कि आयारंभा ष्वपि सकषायमाश्रित्य (व)। परारंभा तदुभयारंभा अणारंभा?
(३) प्रज्ञापनासूत्रे कृष्णलेश्यजीवस्य गोयमा ! आयारंभा वि जाव नो मनःपर्यवज्ञानस्य अस्तित्वं प्रतिपादितमअणारंभा ।
कण्हलेस्से णं भंते ! जीवे कतिसु णाणे से केपट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ ?
होज्जा ? गोयमा ! दोसु वा तिसु वा
चउसु वा पारणेसु हुज्जा (प० १७१३)। गोयमा ! अविरई पडुच्च" एवं नील
अस्यागमस्य वृत्तिकृता सहेतुकमिदं कापोतलेश्यादंडकावपीति । किन्तु अभयदेव
व्याख्यातम्-इह लेश्यानां प्रत्येकमसंख्येयसुरिणामेतमतं पर्यालोच्यमस्ति
लोकाकाशप्रदेशप्रमाणानि अध्यवसाय(१) सूत्रकारेण 'पमत्ताप्पमत्ता न स्थानानि, तत्र कानिचिन्मंदानुभावान्यध्यवभारिणयव्वा' इति निर्देशः कृतः किन्तु
सायस्थानानि, प्रमत्तसंयतस्यापि लभ्यन्ते, 'संजतासंजता न भारिणयव्वा' इति न
अतएव कृष्ण-नील-कापोतलेश्या प्रमत्तसंय
तस्यापि गीयन्ते (प्र०)। सूचितम् । (२) कषायकुशीलसंयता षट्सु लेश्यासु
(४) प्रथमशतकस्य १०१ सूत्रं द्रष्टव्यम् । भवन्ति । प्रस्तुतागमस्य २५ शतके षष्ठोद्देशे १. स० पा०-दंसणं पि एमेव । एतत् साक्षाल्लिखितमस्ति–कसायकुसीले २. सं० पा०–एवं तवे संजमे । पूच्छा। गोयमा ! सलेस्से होज्जा णो ३. अस्संवूडे (ता)। अलेस्से होज्जा । जदि सलेस्से होज्जा से णं ४. अरणगारे किं (अ, ब)।
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भगवई
गोयमा ! णो इणद्वे समटे ।। ४५. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-- असंवुडे णं अणगारे नो सिज्झइ, नो
बुज्भइ, नो मुच्चइ, नो परिनिव्वाइ.. नो सव्वदक्खा गोयमा ! असंवुडे अणगारे पाउयवज्जारो सत्त कम्मपगड प्रो सिढिलबंधणबद्धामो धणियबंधणबद्धानो पकरेइ, हस्सकालठिइयानो' दी हकालठिइयायो पकरेइ, मंदाणुभावाप्रो' तिव्वाणुभावाप्रो पकरेइ, अप्पपएसग्गाग्रो बहुप्पएसग्गाग्रो पकरेइ, आउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नो बंधइ, अस्सायावेयणिज्जं च णं कम्मं भुज्जो-भुज्जो उवचिणाइ, अणाइयं च णं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरत संसारकतारं अणुपरियट्टइ । से तेणटेणं गोयमा ! असंवुडे अणगारे नो सिज्झइ, नो बुज्झइ, नो मुच्चइ, नो परिनिव्वाइ, नो सव्वदुक्खाणं
अंतं करेइ॥ ४६. संवुडे णं भंते ! अणगारे सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्वदुवखाणं
अंतं करेइ ?
हंता ! सिज्झइ, 'बुज्झइ, मुच्चइ, परिनिव्वाइ, सव्वदुवखाणं° अंतं करेइ ।। ४७. से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-संवुडे णं अणगारे सिज्झइ, बुज्झइ, मुच्चइ,
परिनिव्वाइ, सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ ? गोयमा ! संवुडे अणगारे आउयवज्जानो सत्त कम्मपगडीयो धणियबंधणबद्धानो सिढिलबंधणबद्धानो पकरेइ, दीहकालट्टिइयानो हस्सकालट्टिइयानो पकरेइ, तिव्वाणुभावाप्रो मंदाणुभावाप्रो पकरेइ, बहुप्पएसग्गाो अप्पपएसग्गायो। पकरेइ ; आउयं च णं कम्मं न बंधइ, अस्सायावेयणिज्जं च णं कम्मं नो भुज्जो-भुज्जो उवचिणाइ, अणादीयं च णं प्रणवदग्गं दीहमद्धं चाउरतं संसारकंतारं वीईवयइ। से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ--संवुडे अणगारे सिज्झइ", 'बुज्झइ, मुच्चइ,
परिनिव्वाइ, सव्वदुक्खाणं ° अंतं करेइ ।। असंजयस्स वाणमंतरदेव-पदं ४८. जीवे णं भंते ! अस्संजए अविरए अप्पडिहयपच्चक्खायपावकम्मे इनो चुए
पेच्चा देवे सिया? . गोयमा ! अत्थेगइए देवे सिया, अत्थेगइए णो देवे सिया ॥ १. सं० पा.-केणटेणं जाव नो ।
७. सं० पा०---सिज्झइ जाव अंतं । २. ह्रस्स ° (ता); रहस्स° (स)।
८. ० प्पग ° (स)। ३. ० भागोओ (ता, म)।
६. बीतीवत ति (क, ब, म)। ४. ° सयानो (क)।
१०. सं० पा०-सिज्झइ जाव अंतं । ५. अरणवयग्गं (अ)।
११. पिच्चा (अ, क, ब)। ६. चाउरंत (ब, म, स)।
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पढमं सतं (पढमो उद्देसो)
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४६. से केणट्टेणं' "भंते ! एवं वच्चइ - ग्रस्संजए अविरए अप्प हियपच्चक्खायपावकम्मे इनो चुए पेच्चा प्रत्येगइए देवे सिया, प्रत्येगइए नो देवे सिया ? गोयमा ! जे इमे जीवा गामागर - नगर निगम - रायहाणि - खेड - कब्बड-मडंबदोणमुह-पट्टणासम-सण्णिवेसेसु प्रकाभतण्हाए, ग्रकामछुहाए, कामबंभचेरवासेणं, 'कामसीतातव - दंस-मसग " ग्रहाणग - सेय- जल्ल- मल-पंक- परिदाहेणं 'अप्पतरं वा भुज्जतरं" वा काल अप्पाणं परिकिलेसंति, परिकिलेसित्ता कालमासे कालं किच्चा ग्रण्णयरेसु वाणमंतरेसु देवलोगेसु देवत्ताए उववत्तारो भवति ॥ ५०. केरिसा णं भंते ! तेसि वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा पण्णत्ता ?
गोमा ! से जहानामए इहं' असोगवणे इ वा, सत्तवण्णवणे इ वा, चंपवणे इवा, चूयवणे इ वा, तिलगवणे इ वा, लज्यवणे' इवा, नग्गोहवणे इ वा, छत्तोहवणे" इवा, सणवणे इ वा, सणवणे इ वा श्रयसिवणे इ वा, कुसुंभवणे इवा, सिद्धत्थवणे इवा, बंधुजीवगवणे इ वा, णिच्च" कुसुमिय-माइय-लवइयथवइय- गुलुइय-गोच्छिय जमलिय" जुवलिय-विणमिय-पणमिय-सुविभत्तपिडिमंजरिवडेंसगधरे " सिरीए प्रतीव प्रतीव उवसोभेमाणे उवसोभेमाणे चिट्ठइ | एवामेव" तेसिं वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा जहणेणं दसवाससहस्सट्ठिती एहि, उक्कोसेणं पलिनोवमट्टितीएहि, बहूहिं वाणमंतरेहिं देवेहि य देवीहि य ग्राइण्णा वितिकिणा" उवत्थडा संथडा फुडा श्रवगाढगाढा सिरीए प्रतीव प्रतीव उवसोमाणा-उवसोभेमाणा चिट्ठति ।
एरिसगाणं गोयमा ! तेसि वाणमंतराणं देवाणं देवलोगा पण्णत्ता से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - जीवे णं अस्संजए" अविरए अप्पडियपच्चक्खायपावकम्मे इचुए पेच्चा प्रत्येगइए • देवे सिया ||
१. सं० पा० - केराट्ठेणं जाव इओ । २. नियम ( ता ) ।
३. वृत्तौ 'अकामसीतात व दंस-मसग' इति पाठो
नास्ति व्याख्यातः ।
४. अकामअण्हाणग (क, वृ) ।
५. तरो वा भुज्जतरो ( अ, ता, ब, म); 'अप्पतरो वा भुज्जतरो वा कालं' ति प्राकृ तत्वेन विभक्तिविपरिणामादल्पतरं वा भूयस्तरं वा बहुतरं कालं यावत् ( वृ) | ६. इहं मरणुस्लोगंसि ( अ, क, ब, म, स ) । ७. सत्ति (म) ।
0
६.
८. लाउय ( अ, क, ब, स ) ; लोअ° (म ) | X ( अ, क, ता ); प्रत्यंतरे - रिगग्गोहवणे इवा ( अ ); गिगोह° ( स )
| छत्तोअ ० ( क ) ; छिन्नो ० ( ब ) ; x (म); छन्नो (स) ।
१०.
१५
११. X ( अ, क, ता, ब ) । १२. जमइय ( अ ) ।
१३. ०पेंडि ० ( क ); ० वेण्टमंजरि ० ( ता ) । १४. एवमेव (ता, म) ।
१५. वितिण्णा (क, ब, वृपा ); X (वृ) । १६. सं० पा० - प्रस्संजए जाव देवे ।
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भगवई
५१-सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति.
वंदित्ता नमंसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति ।
बीओ उद्देसो ५२. रायगिहे नगरे समोसरणं । परिसा णिग्गया जाव' एवं वयासोकम्म-वेयण-पदं ५३. जीवे णं भंते ! सयंकडं दुक्खं वेदेइ ?
___ गोयमा ! अत्थेगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं नो वेदेइ ।।। ५४. से केण?णं भंते ! एवं बुच्चइ-अत्थेगइयं वेदेइ ? अत्थेगइयं नो वेदेइ ?
गोयमा ! उदिण्णं वेदेइ, 'नो अणुदिण्णं वेदेइ । से तेणटेणं गोयमा ! एवं
वुच्चइ-अत्यगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं नो वेदेइ ।। ५५. एवं'----जाव वेमाणिए। ५६. जीवा णं भंते ! सयंकडं दक्खं वेदेति ?
गोयमा ! अत्थेगइयं वेदेति, अत्थेगइयं नो वेदेति ।। ५७. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइयं वेदेति ? अत्थेगइयं नो वेदेति ? ___ गोयमा ! उदिण्णं वेदेति, नो अणुदिण्णं वेदेति । से तेणटेणं गोयमा ! एवं
वुच्चइ- अत्थेगइयं वेदेति, अत्थेगइयं नो वेदेति ।। ५८. एवं-जाव वेमाणिया । ५६. जीवे णं भंते ! सयंकडं पाउयं वेदेइ ?
गोयमा ! अत्थेगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं नो वेदेइ । जहा" दुक्खेणं दो दंडगा
तहा पाउएण वि दो दंडगा-एगत्त-पोहत्तिया ।। नेरइयादीणं समाहार-समसरीरादि-पदं ६०. नेरइया णं भंते ! सव्वे समाहारा ? सव्वे समसरीरा? सव्वे समुस्सास
नीसासा ? गोयमा ! नो इणटे समटे ।।
१. भ० ११८-१० । २. अणुदिण्णं नो (स)। ३. एवं चउव्वीसदंडएरणं (स)। ४. पू० प० २।
५. भ० ११५३-५८ । ६. पोहत्तिया। एगत्तेणं जाव वेमारिणया। पुह
तेणं तहेव (ब, म, स)। ७. °णिस्सासा (ता)।
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१७
पढमं सतं (बीअो उद्देसो) ६१. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ–नेरइया नो सव्वे समाहारा ? नो सव्वे सम
सरीरा? नो सव्वे समुस्ससानीसासा ? गोयमा ! नेरइया दूविहा पण्णत्ता, तं जहा.-महासरीरा य, अप्पसरीरा य। तत्थ ण जे ते महासरीरा ते बहतराए पोग्गले अाहारेंति, बहतराए पोग्गले परिणामेंति', बहुत राए पोग्गले उस्ससंति, बहुतराए पोग्गले नीससंति ; अभिक्खणं आहारेंति, अभिक्खणं परिणामेंति, अभिक्खणं उस्ससंति, अभिक्खणं नीससंति । तत्थ णं जे ते अप्पस रोरा ते ण अप्पतराए पोग्गले आहारेंति, अप्पतराए पोग्गले परिणामेंति, अप्पतराए पोग्गले उस्ससंति, अप्पत राए पोग्गले नीससंति; पाहच्च आहारेति, पाहच्च परिणामेंति, पाहच्च उस्ससंति, पाहच्च नीससंति । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-ने रइया नो सवे समाहारा, नो सव्वे समसरीरा, नो
सव्वे समुस्सासनीसासा ।। ६२. नेरइया णं भंते ! सव्वे समकम्मा ?
गोयमा ! नो इणढे सम? ॥ ६३. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–नेरइया नो सव्वे समकम्मा ?
गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा— पुवोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते पुन्वोववन्नगा ते णं अप्पकम्मतरागा। तत्थ णं जेते पच्छोववन्नगा ते णं महाकम्मतरागा। से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ–नेरइया नो सव्वे
समकम्मा ॥ ६४. नेरइया णं भंते ! सव्वे समवण्णा !
गोयमा ! नो इण? सम? ॥ ६५. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समवण्णा ?
गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पुत्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते पुवोववन्नगा ते णं विसुद्धवण्णत रागा। • तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं अविसुद्धवष्णत रागा । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ–नेरइया
नो सव्वे समवण्णा ॥ ६६. नेरइया णं भंते ! सव्वे समलेस्सा ?
गोयमा ! नो इणढे समढें ॥ ६७. से केणद्वेण भंते ! एवं वुच्चइ-नेरझ्या नो सव्वे समलेस्सा ?
गोयमा ! नेरइ या दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पुटवोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते पुवोववन्नगा ते णं विसुद्धलेस्सतरागा । तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा
१. परिणमंति (ता)। २. तिरपट्टे, (क म)।
३. सं० पा०- तरागा तहेव । ४. सं० पा०-केणठेणं जाव नो।
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भगवई
ते णं अविसुद्धलेस्सतरागा । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ–नेरइया नो सव्वे
समलेस्सा। ६८. नेरइया णं भंते ! सव्वे समवेयणा ?
गोयमा ! नो इणढे समढे ।। ६६. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ–नेरइया नो सव्वे समवेयणा ?
गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सण्णिभूया य, असण्णिभूया य । तत्थ णं जे ते सण्णिभूया ते णं महावेयणा। तत्थ णं जे ते असण्णिभूया ते णं अप्पवेयणतरागा । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ---नेरइया नो सव्वे
समवेयणा ॥ ७०. नेरइया णं भंते ! सव्वे समकिरिया ?
गोयमा ! नो इणढे समढे ॥ ७१. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइया नो सव्वे समकिरिया ?
गोयमा ! नेरइया तिविहा पण्णत्ता, तं जंहा--सम्मदिट्ठी', मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठी ।। तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी तेसि णं चत्तारि किरियाप्रो पण्णत्ताओ, तं जहा-- प्रारंभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया। तत्थ णं जे ते मिच्छदिट्ठी तेसि णं पंच किरियानो कज्जति', तं जहा-आरंभिया', पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया , मिच्छादसणवत्तिया । एवं सम्मामिच्छदिट्ठीणं पि । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ–नेरइया
नो सव्वे समकिरिया ॥ ७२. नेरइया णं भंते ! सव्वे समाउया ? सव्वे समोववन्नगा ?
गोयमा ! णो इणद्वे समढे॥ से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइया नो सव्वे समाउया ? नो सव्वे समोववन्नगा? गोयमा ! नेरइया चउविवहा पण्णत्ता, तं जहा-(१) अत्थेगइया समाउया समोववन्नगा (२) अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा (३) अत्थेगइया विसमास्या समोववन्नगा (४) अत्थेगइया विसमाउया विसमोववन्तगा। से तेणट्रेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ–नेरइया नो सब्वे समाउया, नो सव्वे समोव
वन्नगा। ७४. असुरकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा ? सव्वे समसरीरा?
७३.
१. सम्मा° (अ)। २. सम्मामिच्छा ° (ता, म)। ३. परि° (अ, म)।
४. किज्जति (अ, क, ब)। ५. सं० पा०-ग्रारंभिया जाव मिच्छा। ६. ° हारगा (अ, ता, ब, म)।
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पढमं सतं (बीग्रो उद्देसो)
जहा' नेरइया तहा भाणियव्वा, नवरं-कम्म-वण्ण-लेस्सागो परिवत्तेयव्वाअो' [पुव्वोववन्ना महाकम्मतरा, अविसुद्धवण्णतरा, अविसुद्धलेसतरा। पच्छोववन्ना
पसत्था । सेसं तहेव ।। ७५. एवं—जाव थणियकुमारा' । ७६. पुढविकाइयाणं आहार-कम्म-वण्ण-लेस्सा जहाणेरइयाणं ॥ ७७. पुढविकाइया णं भंते ! सव्वे समवेदणा?
हंता गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे समवेदणा ॥ ७८. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ—पुढविकाइया सव्वे समवेदणा ?
गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे असण्णी' असण्णिभूतं' अणिदाए वेदणं वेदेति । से
तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ—पुढविकाइया सव्वे समवेदणा ॥ ७६. पुढविकाइया णं भंते ! सव्वे समकिरिया ?
हंता गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे समकिरिया ॥ ८०. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-पुढविकाइया सव्वे समकिरिया ?
गोयमा ! पुढविकाइया सव्वे मायीमिच्छदिट्ठी"। ताणं णेयतियानो पंच किरियायो कज्जंति, तं जहा-प्रारंभिया, 'पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया , मिच्छादसणवत्तिया । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-पुढविकाइया
सव्वे समकिरिया ॥ ८१. समाउया, समोववन्नगा जहा" नेरइया तहा भाणियव्वा ।। ८२. जहा" पुढविकाइया तहा जाव चउरिदिया । ८३. पंचिदियतिरिक्खजोणिया जहा णेरइया, नाणत्तं किरियासु । ८४. पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! सव्वे समकिरिया ?
गोयमा ! णो इणढे समढे ॥
१. भ० ११६०-७३ ।
७. भ०१।६०-६७ । २. परिवण्णेयवाओ (अ, क, ब, स); परि- ८. ० क्काइया (क, ता, स)।
त्थल्लेयवाओ (ता); परित्थणोतव्वाओ ६. असण्णी य (अ, ब)। (म); कर्मादीनि नारकापेक्षया विपर्ययेण १०. असण्णीभूय (ता, स)। वाच्यानि (वृ)।
११. मायामिच्छ ° (अ); मायीमिच्छा (ता); अ, क, ता, स एषु चतुर्ष आदर्शषु असौ मायामिच्छा (म)। कोष्ठकवर्ती पाठो नास्ति । ब, म संके- १२. रोएतियाओ (ता); रिणयइयाओ (स)। तितयोरादर्शयोरसौ लभ्यते। असौ च १३. सं० पा०-आरंभिया जाव मिच्छा। व्याख्यांशोस्ति तेन कोष्ठके गृहीतः ।
१४. भ. ११७२, ७३ । ४. पू०प०२।
१५. भ० ११७६-८१। ५. ° कुमारा णं (अ, क, ता, ब, म, स)। १६. पू० प० २। ६. • कातिया (म)।
१७. भ. १६६०-६६, ७२, ७३ ।
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भगवई
८५. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-पंचिदियतिरिक्खजोणिया नो सम्वे समकिरिया ?
गोयमा ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा–सम्मदिट्टी, मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठी । तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–असंजया य, संजयासंजया य । तत्थ णं जे ते संजयासंजया, तेसि णं तिण्णि किरियानो कज्जंति, तं जहाआरंभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया।
असंजयाणं चत्तारि । मिच्छदिट्ठीणं पंच । सम्मामिच्छदिट्ठीणं पंच ।। मणुस्सादीणं समाहार-समसरीरादि-पदं ८६. 'मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समाहारा ? सव्वे समसरीरा ? सव्वे समुस्सासनीसासा ? ____ गोयमा ! नो इण? समढें । ८७. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ--मणुस्सा नो सव्वे समाहारा ? नो सव्वे
समसरीरा ? नो सव्वे समुस्सासनीसासा ? गोयमा ! मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–महासरीरा य, अप्पसरीरा य। तत्थ णं जे ते महासरीरा ते बहुतराए पोग्गले आहारेंति, बहुतराए पोग्गले परिणामेंति, बहुतराए पोग्गले उस्ससंति, बहुतराए पोग्गले नीससंति; आहच्च आहारेति, आहच्च परिणामेति, ग्राहच्च उस्ससंति, पाहच्च नीससंति । तत्थ णं जे ते अप्पसरीरा ते णं अप्पतराए पोग्गले आहारेंति, अप्पतराए पोग्गले परिणामेंति, अप्पतराए पोग्गले उस्ससंति, अप्पतराए पोग्गले नीससंति; अभिक्खणं पाहारेंति, अभिक्खणं परिणामेंति, अभिक्खणं उस्ससंति, अभिक्खणं नीससंति । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ–मणुस्सा नो सव्वे समाहारा, नो
सव्वे समसरीरा, नो सव्वे समुस्सासनीसासा। ८८. मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समकम्मा ?
गोयमा ! नो इणढे सम? ॥ ८६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–मणुस्सा नो सव्वे समकम्मा ? । गोयमा! मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पुत्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य।
तत्थ णं जे ते पुव्वोववन्नगा ते णं अप्पकम्मतरागा। तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं महाकम्मतरागा । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ–मणुस्सा नो सव्वे
समकम्मा ॥ १. सं० पा०-मणस्सा जहा परइया नारणत्तं तराए पोग्गले आहारेंति अभिक्खणं
जे महासरीरा ते बहुतराए पोग्गले आहारेति आहारेंति सेसं जहा नेरइयारणं जाव वेयणा। आहच्च आहारेति । जे अप्पसरीरा ते अप्प
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पढमं सतं (बीओ उद्देसो) १०. मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समवण्णा ?
गोयमा ! नो इण? समटे । ६१. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-मणुस्सा नो सव्वे समवण्णा ?
गोयमा ! मणुस्सा दूविहा पण्णत्ता, तं जहा-पूव्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते पुवोववन्नगा ते णं विसुद्धवण्णतरागा। तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं अविसुद्धवण्णतरागा । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ–मणुस्सा
नो सव्वे समवण्णा ॥ ६२. मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समलेस्सा ?
गोयमा ! नो इणद्वे समढे ॥ ६३. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ–मणुस्सा नो सव्वे समलेस्सा?
गोयमा ! मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पुत्वोववन्नगा य, पच्छोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते पुवोववन्नगा ते णं विसुद्धलेस्सतरागा। तत्थ णं जे ते पच्छोववन्नगा ते णं अविसुद्धलेस्सतरागा । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ–मणुस्सा
नो सव्वे समलेस्सा ॥ १४. मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समवेयणा ?
गोयमा ! नो इणढे समढे । ६५. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ--मस्साणु नो सव्वे समवेयणा ?
गोयमा ! मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–सण्णिभूया य, असण्णिभूया य । तत्थ णं जे ते सण्णिभूया ते णं महावेयणा । तत्थ णं जे ते असण्णिभूया ते णं अप्पवेयण
तरागा। से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-मणुस्सा नो सव्वे समवेयणा ॥ ६६. मणुस्सा णं भंते ! सव्वे समकिरिया ? ___ गोयमा ! नो इणढे समढे । ६७. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-मणुस्सा नो सव्वे समकिरिया ?
गोयमा ! मणुस्सा तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-सम्मदिट्ठी, मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठी। तत्थ णं जे ते सम्मदिट्ठी ते तिविहा पण्णत्ता, तं जहा–संजया, अस्संजया, संजयासंजया। तत्थ णं जे ते संजया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सरागसंजया य, वीतरागसंजया य। तत्थ णं जे ते वीतरागसंजया, ते णं अकिरिया। तत्थ णं जे ते सरागसंजया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पमत्तसंजया य, अप्पमत्तसंजया य। तत्थ णं जे ते अप्पमत्तसंजया, तेसि णं एगा मायावत्तिया किरिया कज्जइ ।
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भगवई
तत्थ णं जे ते पमत्तसंजया, तेसि णं दो किरियानो कज्जति, तं जहा-प्रारंभिया य, मायावत्तयिा य। तत्थ णं जे ते संजयासंजया, तेसि णं आइल्लायो' तिण्णि किरियानो कति, तं जहा–आरंभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया। असंजयाणं चत्तारि किरियानो कज्जति-प्रारंभिया पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया। मिच्छदिठीणं पंच-प्रारंभिया, पारिग्गहिया, मायावत्तिया, अप्पच्चक्खाणकिरिया, मिच्छादसणवत्तिया ।
सम्मामिच्छदिट्ठीणं पंच ।। १८. मणस्सा णं भंते ! सव्वे समाउया ? सव्वेसमोववन्नगा ?
गोयमा ! नो इणद्वे समढे ।। ६६. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-मणुस्सा नो सव्वे समाउया ? नो सव्वे समो
ववन्नगा? गोयमा ! मणुस्सा चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा-(१) अत्थेगइया समाउया समोववन्नगा। (२) अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा। (३) अत्थेगइया विसमाउया समोववन्नगा। (४) अत्थेगइया विसमाउया विसमोववन्नगा । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-मणुस्सा नो सव्वे समाउया, नो सव्वे समो
ववन्नगा। १००. वाणमंतर-जोतिस-वेमाणिया जहा असुरकुमारा, नवरं-वेयणाए णाणत्तं
मायिमिच्छदिट्ठीउववन्नगा य अप्पवेयणतरा, अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नगा य
महावेयणतरा भाणियव्वा जोतिसवेमाणिया । १. आदिमाओ (क, ता, म)।
स्ति, यथा-वारणमंतरा रणं जहा असुर२. ८६ सूत्रस्य पादटिप्पणगते समर्पणपाठे 'सेसं
कुमारा णं। जहा नेरइयाणं जाव वेयणा' इति उल्लेखो- एवं जोइसिय-वेमारिणयाण वि। गवरं स्ति, अतोनन्तरं क्रियासूत्रं नैरयिकसूत्राला- ते वेदणाए दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-माइपकाद् भिन्नमस्ति तेन समर्पणपाठे तद् ग्रहणं मिच्छद्दिटिउववण्णगा य, अमाइसम्मद्दिट्टीन कृतम् । समायुषः सूत्रं क्रिया सूत्रात् अग्रे उववण्णगा य। तत्थ णं जे ते माइमिच्छवर्तते, किन्तु तद् नैरयिकसूत्रालापकाद् भिन्न हिठोववण्णगा ते रणं अप्पवेदरणतरागा। नास्ति तेन पूर्ववर्तिसमर्पणपाठेनैव तस्य ग्रहणं तत्थ णं जे ते अमाइसम्मदिट्रोववण्णगा ते गं कृतमिति संभाव्यते । तदस्माभिः साक्षाल्लि- महावेदरणतरागा। खितम् ।
४. भ०११७४ । ३. प्रज्ञापनायां (१७।१) अस्य रचना सुस्पष्टा
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पढमं सतं (बीओ उद्देसो)
१०१. सलेस्सा णं भंते ! नेरइया सव्वे समाहारगा
?
प्रोहिया, सलेस्साणं, सुक्कलेस्साणं - एतेसि णं तिहं एक्को गमो । कण्हलेस्स'- नीललेस्साणं पि एगो गमो, नवरं - वेदणाए मायिमिच्छदिट्ठीउववनगा य, माथिसम्मदिट्ठीउववन्नगा य भाणियव्वा ।
मस्सा किरिया सराग- वीयरागा पमत्तापमत्ता न भाणियव्वा । काउलेस्साण व एसेव' गमो, नवरं नेरइइ जहा श्रहिए दंडए तहा भाणि -
यव्वा ।
तेउलेस्सा, पम्हलेस्सा 'जस्स प्रत्थि " जहा प्रोहियो दंडग्रो तहा भाणियव्वा, नवरं - - मणुस्सा सराग - वीयरागा न भाणियव्वा । संग्रहणी - गाहा
दुखाउए उदिणे, आहारे कम्म - वण्ण-लेस्सा य । समवेयण-समकिरिया, समाउए चेव बोधव्वा ॥१॥
लेस्सा-पदं
१०२. कइ णं भंते ! लेस्साओ पण्णत्ताओ ?
गोयमा ! छ लेस्साओ पण्णत्ताश्रो, तं जहा - कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा, उलेस्सा, पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा । लेस्साणं बीओो उद्देसो भाणियव्वो जाव" इड्ढी
जीवाणं भवपरिवट्टण-पदं
१०३.
जीवस्स णं भंते ! तीतद्धाए श्रादिट्ठस्स कइविहे संसारसंचिट्टणकाले पण्णत्ते ? गोयमा ! चव्विहे संसारसंचिट्ठणकाले पण्णत्ते, तं जहा - नेरइयसंसारसंचिट्ठकाले, तिरिक्खजोणियसंसारसंचिट्ठणकाले, मणुस्ससंसारसंचिट्ठणकाले, देवसंसारसंचिका |
१०४. नेरइयसंसारचिट्ठणकाले" णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा - सुन्नकाले, प्रसुन्नकाले, मिस्सकाले ॥ १०५. तिरिक्खजोणियसंसार" संचिट्टिणकाले णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - प्रसुन्नकाले य, मिस्सकाले य ।।
•
०
१. पू० - भ० १६०-७३ ।
२. ० लेस्सा (ता, म) 1
३. एसो ( अ, ता, ब ) ।
४. एसोव ( अ ) ।
५. जस्सत्थि (क, ता, ब ) ।
६. बोद्धव्वा (क, ता,
।
७. बीओ ( अ, ब, स ) ; बितिओ ( क ) ।
८. प० १७।२ ।
६.
२३
• काले पं ( अ, क, ता, ब, म, स ) ।
१०. नेरइयाणं ० ( अ, ब, स ) ।
११. ० जोणिसंसार ० ( अ, क, ता, ब, म);
सं० पा० - ० संसारपुच्छा ।
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भगवई
१०६. "मणुस्ससंसारसंचिटणकाले णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-सुन्नकाले, असुन्नकाले, मिस्सकाले॥ १०७. देवसंसारसंचिट्ठणकाले णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-सुन्नकाले, असुन्नकाले, मिस्सकाले ।। १०८. एतस्स णं भंते ! नेरइयसंसारसंचिट्ठणकालस्स-सुन्नकालस्स, असुन्नकालस्स,
मीसकालस्स' य कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा?
गोयमा ! सव्वत्थोवे असुन्नकाले, मिस्सकाले अणंतगुणे, सुन्नकाले अणंतगुणे ।। १०६. तिरिक्खजोणियाणं सव्वत्थोवे असुन्नकाले, मिस्सकाले अणंतगुणे ।। ११०. मणुस्स-देवाण य' 'सव्वत्थोवे असुन्नकाले, मिस्सकाले अणंतगुणे, सुन्नकाले
अणंतगुणे ॥ १११. एयस्स णं भंते ! नेरइयसंसारसंचिट्ठणकालस्स', 'तिरिक्खजोणियसंसार
संचिट्ठणकालस्स, मणुस्ससंसारसंचिट्ठणकालस्स, देवसंसारसंचिट्ठणकालस्स कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा ? • विसेसाहिए वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे मणुस्ससंसारसंचिट्ठणकाले, नेरइयसंसारसंचिट्ठणकाले असंखेज्जगुणे, देवसंसारसंचिट्ठणकाले असंखेज्जगुणे, तिरिक्खजोणियसंसारसंचि
टुणकाले अणंतगुणे ॥ अंतकिरिया-पदं ११२. जीवे णं भंते ! अंतकिरियं करेज्जा ?
गोयमा ! अत्थेगइए करेज्जा, अत्थेगइए नो करेज्जा । अंतकिरियापय नेयव्वं । ११३. अह भंते ! असंजयभवियदव्वदेवाणं, अविराहियसंजमाणं, विराहियसंजमाणं,
अविराहियसंजमासंजमाणं, विराहियसंजमासंजमाणं, असण्णीणं, तावसाणं, कंदप्पियाणं, चरग-परिव्वायगाणं, किब्बिसियाणं, तेरिच्छियाण', आजीवियाण अाभियोगियाणं', सलिंगीणं दसणवावण्णगाणं-- एतेसि णं देवलोगेसु उववज्जमाणाणं कस्स कहिं उववाए पण्णत्ते ? गोयमा ! असंजयभवियदव्वदेवाणं जहण्णणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं उवरिमगेवेज्जएसु । अविराहियसंजमाणं जहण्णणं सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेणं सव्वसिद्धे
विमाणे । विराहियसंजमाणं जहण्णेणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं सोहम्मे कप्पे । १. सं० पा०-मणुस्साण य देवाण य जहा ५. ५० २० । नेरइयाणं ।
६. तेरच्छियाणं (अ, ब, स)। २. मीसा (ता, ब, म)। ३. सं० पा०-य जहा नेरइयाणं ।
७. आभियोगियाणं (अ, ब, म); आभोगियारणं ४. सं० पा०-कालस्स जाव देवसंसार जाव (स)।
विसेसाहिए।
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पढमं सतं (बीओ उद्देसो)
अविराहियसंजमासंजमाणं जहण्णेणं सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेणं अच्चुए कप्पे । विराहियसंजमासंजमाणं जहण्णणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं जोइसिएसु। असण्णीणं जहण्णेणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं वाणमंतरेसु।। अवसेसा सव्वे जहण्णणं भवणवासीसु, उक्कोसेणं वोच्छामितावसाणं जोतिसिएसु, कंदप्पियाणं सोहम्मे कप्पे, चरग-परिव्वायगाणं बंभलोए कप्पे, किब्बिसियाणं लंतगे कप्पे, तेरिच्छियाणं सहस्सारे कप्पे, आजीवियाणं अच्चुए कप्पे, आभिप्रोगियाणं अच्चुए कप्पे, सलिंगीणं सणवावन्नगाणं उवरि
मगेविज्जएसु॥ असण्णि-पाउय-पदं ११४. कतिविहे णं भंते ! असण्णिग्राउए पण्णत्ते ?
गोयमा ! चउविहे असण्णिग्राउए पण्णत्ते, तं जहा -नेरइयअसण्णिग्राउए',
तिरिक्खजोणियअसण्णिग्राउए, मणुस्सअसण्णिग्राउए, देवप्रसण्णिग्राउए ।। ११५. असण्णी णं भंते ! जीवे कि नेरइयाउयं पकरेइ ? तिरिक्खजोणियाउयं
पकरेइ ? मणुस्साउयं पकरेइ ? देवाउयं पकरेइ ? हंता गोयमा ! नेरइयाउयं पि पकरेइ, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेइ, मणुस्साउयं पि पकरेइ, देवाउयं पि पकरेइ । नेरइयाउयं पकरेमाणे जहण्णणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पकरेइ । तिरिक्खजोणियाउयं पकरेमाणे जहण्णेणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं पलिअोवमस्स असंखेज्जइभागं पकरेइ । मणुस्साउयं' •पकरेमाणे जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पकरेइ। देवाउयं पकरेमाणे जहण्णेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स
असंखेज्जइभागं पकरेइ ।। ११६. एयस्स णं भंते ! नेरइयअसण्णिाउयस्स, तिरिक्खजोणियअसण्णिाउयस्स,
मणस्सअसण्णिग्राउयस्स, देवप्रसण्णिग्राउयस्स कयरे कयरेहितो अप्पे वा? बहुए वा ? तुल्ले वा ° ? विसेसाहिए वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे देवप्रसण्णिग्राउए, मणुस्सअसण्णिाउए असंखेज्जगुणे',
तिरिक्खजोणियअसण्णिग्राउए असंखेज्जगुणे, नेरइयअसण्णिाउए असंखेज्जगुणे। ११७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! १. उक्कोसगं (क, ता, ब, म, स)।
४. सं० पा०-कयरे जाव विसेसाहिए वा। २. नेरइयस्स ० (ता)।
५. संखेज्ज° (अ, क, ब, म)। ३. सं० पा०-मणस्साउए वि एवं चेव, देवा ६. भ० १५५१ ।
जहा नेरइया।
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२६
भगवई
तइओ उद्देसो कंखामोहणिज्ज-पवं ११८. जीवाणं भंते ! कंखामोहणिज्जे कम्मे कडे ?
हंता कडे॥ . ११६. से भंते ! किं १. देसेणं देसे कडे ? २. देसेणं सव्वे कडे ? ३. सव्वेणं देसे
कडे? ४. सव्वेणं सव्वे कडे ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसे कडे २. नो देसेणं सव्वे कडे ३. नो सव्वेणं देसे कडे
४. सव्वेणं सव्वे कडे ॥ १२०. नेरइयाणं भंते ! कंखामोहणिज्जे कम्मे कडे ?
हंता कडे' । १२१. •से भंते ! कि १. देसेणं देसे कडे ? २. देसेणं सव्वे कडे ? ३. सव्वेणं देसे
कडे ? ४. सव्वेणं सव्वे कडे ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसे कडे २. नो देसेणं सव्वे कडे ३. नो सव्वेणं देसे
कडे° ४. सव्वेणं सव्वे कडे ।। १२२. एवं जाव' वेमाणियाणं दंडगो भाणियव्वो ॥ १२३. जीवा णं भंते ! कंखामोहणिज्ज कम्मं करिसु ?
हंता करिसु ॥ १२४ तं भंते ! किं १. देसेणं देसं करिसु? २. देसेणं सव्वं करिसु? ३. सव्वेणं
देसं करिसु ? ४. सव्वेणं सव्वं करिसु ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं करिसु २. नो देसेणं सव्वं करिसु ३. नो संव्वेणं देसं
करिसु । ४. सव्वेणं सव्वं करिसु॥ १२५. एएणं अभिलावेणं दंडअो भाणियब्वो, जाव' वेमाणियाणं । १२६. एवं करेंति । एत्थ वि दंडो जाव' वेमाणियाणं ॥ १२७. एवं करिस्संति । एत्थ वि दंडग्रो जाव' वेमाणियाणं ।। १२८. एवं चिए, चिणिसु, चिणंति, चिणिस्संति । उवचिए, उवचिणिसु, उवचिणंति,
उवचिणिस्संति । उदीरेंसु, उदीरेंति, उदीरिस्संति । वेदेंसु, वेदेति, वेदिस्संति ।
निज्जरेंसू, निज्जरेंति, निज्जरिस्संति । संगहणी-गाहा
कड-चिय-उवचिय, उदीरिया वेदिया य निज्जिण्णा ।
आदितिए चउभेदा, तियभेदा पच्छिमा तिण्णि ॥१॥ १. सं० पा०-कडे जाव सव्वेणं ।
३, ४, ५. पू०प०२। २. पू०प० २।
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पढमं सतं (तइओ उद्देसो) १२९. जीवा णं भंते ! कंखामोहणिज्ज कम्मं वेदेति ?
हंता वेदेति ॥ १३०. कहण्ण' भंते ! जोवा कंखामोहणिज्ज कम्मं वेदेति ?
गोयमा ! तेहि तेहिं कारणेहि संकिया, कंखिया, वितिगिछिया', भेदसमावन्ना,
कलुससमावन्ना-एवं खलु जीवा कंखामोहणिज्ज कम्मं वेदेति ।। सद्धा-पदं १३१. से नूणं भंते ! तमेव सच्चं णीसंक, जं जिणेहि पवेइयं ?
हंता गोयमा ! तमेव सच्चं णीसंक, जं जिणेहि पवेइयं ।। १३२. से नूणं भंते ! एवं मणं धारेमाणे, एवं पकरेमाणे, एवं चिट्ठमाणे, एवं संवरे
माणे प्राणाए आराहए भवति ? हंता गोयमा ! एवं मणं धारेमाणे 'एवं पकरेमाणे, एवं चिट्ठमाणे, एवं संवरे
माणे आणाए पाराहए° भवति ॥ अस्थि-नस्थि-पदं १३३. से नणं भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ ? नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ ?
हंता गोयमा ! 'अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ । नत्थित्तं नत्थित्ते° परिणमइ । १३४. 'जं णं" भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ, तं कि
पयोगसा ? वीससा? गोयमा ! पयोगसा वि तं [अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ] ।
वीससा वि तं [अत्थितं अत्थित्ते परिणमइ, नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ] ॥ १३५. जहा ते भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ, तहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ ?
जहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ, तहा ते अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ ? हंता गोयमा ! जहा मे अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ, तहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ।
जहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते परिणमइ, तहा मे अत्थित्तं अत्थित्ते परिणमइ ॥ १३६. से नणं भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज ? "नत्थित्तं न त्थित्ते गमणिज्ज ?
हंता गोयमा ! अस्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्जं । नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं ॥
१. कह रणं (क); कहं रणं (ब, स)।
५. तं (अ, ब, स); X (ता)। २. वितिगंछिया (अ, ब, स); वितिगिच्छिता ६, ७. कोष्ठकत्तिपाठः व्याख्यांशोस्ति । (क); वितिकिछिगा (म)।
८. सं० पा.--जहा परिणमइ दो आला३. सं० पा०-धारेमाणे जाव भवति ।
वगा तहा गमणिज्जेण वि दो आलावगा ४. सं० पा०-गोयमा जाव परिणमइ ।
भारिणयव्वा जाव तहा।
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भगवई
१३७. जं णं भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्जं, नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्ज, तं कि
पयोगसा? वीससा ? गोयमा ! पयोगसा वि तं [अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज, नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्ज] ।
वीससा वि तं [अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज, नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्ज] ॥ १३८. जहा ते भंते ! अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज, तहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं?
जहा ते नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्ज, तहा ते अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज ? हंता गोयमा ! जहा मे अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्ज, तहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्ज ।
जहा मे नत्थित्तं नत्थित्ते गमणिज्जं°, तहा मे अत्थित्तं अत्थित्ते गमणिज्जं ॥ भगवमो समता-पदं १३६. जहा ते भंते ! एत्थं गमणिज्जं, तहा ते इहं गमणिज्ज ? जहा ते इहं गमणिज्जं,
तहा ते एत्थं गमणिज्जं? हंता गोयमा ! जहा मे एत्थं गमणिज्ज', 'तहा मे इहं गमणिज्जं । जहा मे इहं
गमणिज्ज°, तहा मे एत्थं गमणिज्ज । कंखामोहणिज्जस्स बंधादि-पदं १४०. जीवा णं भंते ! कंखामोहणिज्जं कम्मं बंधति ?
हंता बंधंति ॥ १४१. कहण्णं भंते ! जीवा कंखामोहणिज्ज कम्म बंधति ?
गोयमा ! पमादपच्चया, जोगनिमित्तं च ।। १४२. से णं भंते ! पमादे किंपवहे ?
गोयमा ! जोगप्पवहे ।। १४३. से णं भंते ! जोए किंपवहे ?
गोयमा ! वीरियप्पवहे ।। १४४. से णं भंते ! वीरिए किंपवहे ?
गोयमा ! सरीरप्पवहे ।। १४५. से णं भंते ! सरीरे किंपवहे ?
गोयमा ! जीवप्पवहे ॥ १४६. एवं सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिएइ वा, पुरिसक्कार
परक्कमेइ वा ॥
१. सं० पा०-गमणिज्जं जाव तहा । २. कहं रणं (अ)।
३. निमित्तयं (क)। ४. किंपभवे (क, वृपा) सर्वत्र ।
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पढमं सतं (तइओ उद्देसो) १४७. से नूणं भंते ! अप्पणा चेव उदीरेति ? अप्पणा चेव गरहति ? अप्पणा चेव
संवरेति ? हंता गोयमा ! अप्पणा चेव • उदीरेति। अप्पणा चेव गरहति । अप्पणा चेव
संवरेति ॥ १४८. 'जंण भंते ! अप्पणा चेव उदीरेति, अप्पणा चेव गरहति, अप्पणा चेव संवरेति,
तं कि - १. उदिण्णं उदीरेति ? २. अणुदिण्णं उदीरेति ? ३. अणुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेति ? ४. उदयाणंतरपच्छाकडं कम्मं उदीरेति ? गोयमा ! १. नो उदिण्णं उदीरेति । २. नो अणुदिण्णं उदीरेति । ३. अणुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेति । ४. नो उदयाणंतरपच्छाकडं कम्म
उदीरेति ॥ १४६. जं णं भंते ! अणुदिण्णं उदीरणावियं कम्म उदीरेति, तं कि उदाणेणं, कम्मेणं,
बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कार-परक्कमेणं अणुदिण्णं उदीरणावियं कम्म उदीरेति ? उदाहु तं अणुट्टाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसवकारपरक्कमेणं अणुदिण्णं उदीरणावियं कम्म उदीरेति ? गोयमा ! तं उट्ठाणेणं वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि अणुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं उदीरेति । णो तं अणुढाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं अणुदिण्णं उदीरणा
भवियं कम्मं उदीरेति ॥ १५०. एवं सति अत्थि उढाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिएइ वा, पुरिसक्कार
परक्कमेइ वा ॥ १५१. से नणं भंते ! अप्पणा चेव उवसामेइ ? अप्पणा चेव गरहइ ? अप्पणा चेव
संवरेइ ? हंता गोयमा ! अप्पणा चेव उवसामेइ । अप्पणा चेव गरहइ । अप्पणा चेव संवरेइ ।।
१. संवरइ (अ, ब, म, स)।
उवसामेइ तं कि उट्ठाणेणं जाव पुरिसक्कार२. सं० पा०-तं चेव उच्चारतव्वं ।
परक्कमे इ वा। से नुणं भंते ! अप्पणा चेव ३. तं (अ, क, ता, ब, म, स); क्वचित्प्रयुक्त- वेदेइ अप्पणा चेव गरहइ एत्थ वि सच्चेव प्रत्याधारेण स्वीकृतोऽसौ पाठः ।
परिवाडी, नवरं उदिण्णं वेदेइ नो अणदिण्णं वेदेइ ४. उदयअणंतर (अ, क, ता, ब, स)। एवं जाव पुरिसक्कार-परक्कमे इ वा। से ५. सं० पा०-एत्थ वि तह चेव भारिणयव्वं, नूरणं भंते ! अप्परगा चेव निज्जरेइ अप्प० एत्थ
नवरं अरणदिण्ण उवसामेइ सेसा पडिसेहे- वि सच्चेव परिवाडी, नवरं उदयअरणंतरपच्छायव्वा तिण्णि । जं तं भंते ! अणदिण्णं कडं कम्मं निज्जरेइ एवं जाव परक्कमेइ बा ।
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२०
भगवई
१५२. जंणं भंते ! अप्पणा चेव उवसामेइ, अप्पणा चेव गरहति, अप्पणा चेव संवरेति,
तं कि-१. उदिण्णं उवसामेइ ? २. अणुदिण्णं उवसामेइ ? ३. अणुदिण्णं उदोरणाभवियं कम्मं उवसामेइ ? ४. उदयाणंतरपाच्छाकडं कम्म उवसामेइ ? गोयमा ! १. नो उदिण्णं उवसामेइ । २. अणुदिण्णं उवसामेइ। ३. नो अणुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्म उवसामेइ । ४. नो उदयाणंतरपच्छाकडं कम्म
उवसामेइ । १५३. ज णं भंते ! अणुदिण्णं उवसामेइ, तं किं उदाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं,
पुरिसक्कार-परवकमेणं अणुदिण्णं उवसामेइ ? उदाहु तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं अणुदिण्णं उवसामेइ ? गोयमा ! तं उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि अणुदिण्णं उवसामेइ । णो तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं,
अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं अणुदिण्णं उवसामेइ । १५४. एवं सति अस्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वोरिएइ वा, पुरिसक्कार
परक्कमेइ वा ।। १५५. से नणं भंते ! अप्पणा चेव वेदेति ? अप्पणा चेव गरहति ?
हंता गोयमा ! अप्पणा चेव वेदेति । अप्पणा चेव गरहति ।। १५६. जं णं भंते ! अप्पणा चेव वेदेति, अप्पणा चेव गरहति तं किं-१. उदिण्णं
वेदेति ? २. अणुदिण्णं वेदेति ? ३. अणुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं वेदेति ? ४. उदयाणंतरपच्छाकडं कम्मं वेदेति ? गोयमा ! १. उदिण्णं वेदेति । २. नो अणुदिण्णं वेदेति । ३. नो अणुदिण्णं
उदोरणाभवियं कम्मं वेदेति । ४. नो उदयाणंतरपच्छाकडं कम्मं वेदेति ।। १५७. ज णं भंते ! उदिण्णं वेदेति तं कि उट्टाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरि
सक्कार-परक्कमेणं उदिण्णं वेदेति ? उदाहु तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं उदिण्णं वेदेति ? गोयमा ! तं उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि उदिण्णं वेदेति । नो तं अणुट्ठाणेणं, अकम्मेणं, अबलेणं, अवीरि
एणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं उदिण्णं वेदेति ।। १५८. एवं सति अत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वोरिएइ वा, पुरिसक्कार
परक्कमेइ वा ॥ १५६. से नूणं भंते ! अप्पणा चेव निज्जरेति ? अप्पणा चेव गरहति ?
हंता गोयमा ! अप्पणा चेव निज्जरेति । अप्पणा चेव गरहति ।।
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पढमं सतं (तइओ उद्देसो)
३१
१६०. जं णं भंते ! अप्पणा चेव निज्जरेति, अप्पणा चेव गरहति तं किं
१. उदिष्णं निज्जरेति ? २. अणुदिष्णं निज्जरेति ? ३. अणुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं निज्जरेति ? ४. उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति ?
गोमा ! १. नो उदण्णं निज्जरेति । २. नो अणुदिण्णं निज्जरेति । ३. नो अणुदिण्णं उदीरणाभवियं कम्मं निज्जरेति । ४. उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति ॥
१६१. जं णं भंते ! उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति तं कि उट्ठाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कार - परक्कमेणं उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जति ? उदाहु तं प्रणुट्ठाणेणं, प्रकम्मेणं, अबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति ?
गोमा ! तं उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि वीरिएण वि, पुरिसक्कारपरक्कमेण वि उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेति । णो तं प्रणुट्ठाणेणं, कम्मेणं, प्रबलेणं, अवीरिएणं, अपुरिसक्कारपरक्कमेणं उदयानंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जति ॥
१६२. एवं सति प्रत्थि उट्ठाणेइ वा कम्मेइ वा बलेइ वा, वीरिएइ वा पुरिसक्कार°-परक्कमेइ वा ॥
१६३. नेरइया णं भंते ! कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ?
जहा प्रोहिया जीवा तहा नेरइया जाव' थणियकुमारा ॥ १६४. पुढविक्काइया णं भंते ! कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ? हंता ॥
१६५. कहण्णं भंते ! पुढविक्काइया कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ?
गोमा ! तेसि णं जीवाणं णो एवं तक्का इवा, सण्णा इ वा, पण्णा इवा, मणे इवा, वई तिवा - श्रम्हे णं कखामोहणिज्जं कम्मं वेदेमो, वेदेति पुण ते ॥
१६६. से नूणं भंते ! तमेव सच्चं नीसंकं, जं जिणेहि पवेइयं ?
हंता गोयमा ! तमेव सच्चं नीसंकं, जं जिणेहिं पवेइयं ।
सेसं तं चेव जाव' प्रत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मे वा, बलेइ वा वीरिएइ वा, पुरिसक्कार - परक्कमेइ वा ॥
१६७. एवं जाव' चउरिदिया ||
१६८. पंचिदियतिरिक्खजोणिया जाव' वेमाणिया जहा ' प्रोहिया जीवा ॥
१. भ० १।१२६-१६२ ।
२. पू० प० २ ।
३. भ० १।१३२-१६२ ।
४. पू० प० २ ।
५. पू० प० २ ।
६. भ० १।१२६-१६२ ।
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३२
१६. प्रत्थि णं भंते ! समणा वि निग्गंथा कंखामोहणिज्जं कम्मं वेति ? 'हंता प्रत्थि ।
१७०. कहण्णं भंते ! समणा निग्गंथा कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ?
गोयमा ! तेहि तेहि नाणंतरेहि, दंसणंतरेहिं चरितंतरेहि, लिंगंतरेहिं, पवयणंतरेहि, पावयणंतरेहि, कप्पंतरेहि, मग्गंतरेहिं, मतंतरेहि, भंगंतरेहिं, णयंतरेहिं नियमंतरेहिं, पमाणंतरेहिं संकिता कंखिता वितिकिच्छिता' भेदसमावन्ना कलुससमावन्ना - एवं खलु समणा निग्गंथा कंखामोहणिज्जं कम्मं वेदेति ॥
१७१. से नूणं भंते ! तमेव सच्चं नीसंकं, जं जिणेहि पवेदितं ?
हंता गोयमा ! तमेव सच्चं नीसंकं, जं जिणेहिं पवेदितं ॥
१७२. एवं जाव प्रत्थि उट्ठाणेइ वा, कम्मेइ वा, बलेइ वा, वीरिएइ वा पुरिसक्कार- परक्कमेइ वा ।।
१७३. सेवं भंते ! सेवं भंते !
उत्थो उद्देसो
कम्म-पदं
१७४. कति णं भंते ! कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ ?
संगहणी - गाहा
कति पगडी ? कह बंधति ? कतिहि व ठाणेहिं बंधती पगडी ? कति वेदेति व पगडी ? प्रणुभागो कतिविहो कस्स ? ||१|| उट्ठावण श्रवक्कमण-पदं
१७५. जीवे णं भंते ! मोहणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उदिण्णेणं उवट्टाएज्जा
हंता उट्ठाएज्जा |
गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ, कम्मप्पगडीए पढमो उद्देसो नेयव्वो जाव' - प्रणुभागो समत्तो ।
१. तत्थि (ता) |
२. दरिसणंतरेहिं ( क ) ।
३. चरितंतरेहि तित्यंतरेहिं ( क ) ।
४. मंतंतरेहिं ( अ, ब ) ; X ( क ) 1 ५. वितिकिंछिया (ता) ।
भगवई
६. भ० १।१३२-१६२ ।
७. भ० ११५१ ।
८. प० २३।१ ।
६. किह ( अ, क, ता, म); कहिं ( स ) ।
१०. उवट्टाएज्ज (क, ता) ।
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३३
पढम सतं (चउत्थो उद्देसो) १७६. से भंते ! किं वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? अवीरियत्ताए उवढाएज्जा ?
___ गोयमा ! वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा । णो अवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा । १७७. जइ वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा, कि-बालवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? पंडिय
वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? बालपंडियवीरियत्ताए उवढाएज्जा ? गोयमा ! बालवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा । नो पंडियवीरियत्ताए उवढाएज्जा ।
नो बालपंडियवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा॥ १७८. जीवे णं भंते ! मोहणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उदिण्णणं अवक्कमेज्जा? .
हंता अवक्कमेज्जा ॥ १७९. से भंते ! कि वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? अवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ?
गोयमा ! वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा । नो अवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा । १८०. जइ वीरियत्ताए प्रवक्कमेज्जा, कि-बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? पंडिय
वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? ० बालपंडियवीरियत्ताए प्रवक्कमेज्जा ? गोयमा ! 'बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा। नो पंडियवीरियत्ताए अवक्क
मेज्जा । सिय बालपंडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ।। १८१. जीवे णं भंते ! मोहणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उवसंतेण उवट्टाएज्जा ?
हंता उवट्ठाएज्जा॥ १८२. से भंते ! किं वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? अवीरियत्ताए उवढाएज्जा ?
गोयमा ! वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा । नो अवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा॥ १८३. जइ वीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा, कि-बालवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ? पंडिय
वीरियत्ताए उवदाएज्जा ? बालपंडियवीरियत्ताए उवटाएज्जा? गोयमा ! 'नो बालवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा। पंडियवीरियत्ताए उवट्ठाएज्जा।
नो बालपंडियवोरियत्ताए उवट्ठाएज्जा ।। १८४. जीवे णं भंते ! मोहिणिज्जेणं कडेणं कम्मेणं उवसंतेणं अवक्कमेज्जा?
हंता अवक्कमेज्जा॥ १८५. से भंते ! कि वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? अवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ?
गोयमा ! वीरियत्ताए प्रवक्कमेज्जा। नो अवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा।
१. सं० पा०-भंते जाव बालपंडियवीरियत्ताए। यव्वा, नवरं उवहाएज्जा पंडियवीरियत्ताए २. वाचनान्तरे त्वेवम्-'बालवीरियत्ताए नो अवक्कमेज्जा बालपंडियवीरियत्ताए । पंडियवीरियत्ताए नो बालपंडियवीरियत्ताए' ४. वृद्धस्तु काञ्चिद्वाचनामाश्रित्येदं व्याख्यातं(व)।
मोहनीयेनोपशान्तेन सता न मिथ्याष्टि३. सं० पा०---जहा उदिण्णेणं दो आलावगा र्जायते, साधुः श्रावको वा भवतीति (व)।
तहा उवसंतेण वि दो आलावगा भाणि
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भगवई
१८६. जइ वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा, किं-बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? पंडिय
वीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? बालपंडियवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा ? गोयमा ! नो बालवीरियत्ताए अवक्कमेज्जा। नो पंडियवीरियत्ताए प्रवक्क
मेज्जा । बालपंडियवीरियत्ताए अवक्कमज्जा ॥ १८७. से भंते ! किं आयाए अवक्कमइ ? अणायाए अवक्कमइ ? |
गोयमा ! अायाए अवक्कमइ, नो अणायाए अवक्कमइ-मोहणिज्ज कम्म
वेदेमाणे ॥ १८८. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! पुवि से एयं एवं रोयइ। इयाणिं से एयं एवं नो रोयइ -एवं खलु
एयं एवं ॥ कम्ममोक्ख-पदं १८९. से नूणं भंते ! नेरइयस्स वा, तिरिक्खजोणियस्स वा, मणुस्सस्स' वा, देवस्स
वा जे कडे पावे कम्मे, नत्थि णं तस्स अवेदइत्ता' मोक्खो ? हंता गोयमा ! नेरइयस्स वा, तिरिक्खजोणियस्स वा, मणुस्सस्स वा, देवस्स
वा •जे कडे पावे कम्मे, नत्थि णं तस्स अवेदइत्ता मोक्खो। १६०. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ नेरइयस्स वा' •तिरिक्खजोणियस्स वा, मणु
स्सस्स वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नस्थि णं तस्स अवेदइत्ता मोक्खो ? एवं खलु मए गोयमा ! दुविहे कम्मे पण्णत्ते, तं जहा–पदेसकम्मे य, अणुभागकम्मे य। तत्थ णं जं णं' पदेसकम्मं तं नियमा वेदेइ। तत्थ णं जं णं अणुभागकम्मं तं' अत्थेगइयं वेदेइ, अत्थेगइयं णो वेदेइ । णायमेयं अरहया, सुयमेयं अरहया, विण्णायमेयं अरहया-इमं कम्म अयं जीवे अब्भोवगमियाए वेदणाए वेदेस्सइ, इमं कम्मं अयं जीवे उवक्कमियाए वेदणाए वेदेस्सइ। अहाकम्मं, अहानिकरणं जहा जहा तं भगवया दिटुं तहा तहा तं विप्परिणमिस्सतीति। से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-नेरइयस्स वा', 'तिरिक्खजोणियस्स वा, मणुस्सस्स वा, देवस्स वा जे कडे पावे कम्मे, नत्थि णं तस्स
अवेदइत्ता' मोक्खो ॥ १. मणूसस्स (क, ता); मणुसस्स (ब, म, स)। ६. तं (अ, क, ता, ब, म, स) । २. X (अ, स)।
७. X (ता)। ३. अवेदयत्ता (अ, ब); अवेइत्ता (म, स)। ८. अब्भोवमियाए (क)। ४. सं० पा०-वा जाव मोक्खो।
६. सं० पा०-वा जाव मोक्खो। ५. सं० पा०-वा जाव मोक्खो।
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पढमं सतं (चउत्थो उद्देसो) पोग्गल-जीवाणं तेकालियरत-पदं १६१. एस णं भंते ! पोग्गले तीतं अणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया ?
हंता गोयमा ! एस णं पोग्गले तीतं अणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं
सिया ।। १६२. एस णं भंते ! पोग्गले पडुप्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्यं सिया ?
हंता गोयमा ! "एस णं पोग्गले पडुप्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं
सिया० ॥ १६३. एस णं भंते ! पोग्गले अणागयं अणंतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं
सिया? हंता गोयमा ! •एस णं पोग्गले अणागयं अणतं सासयं समयं भविस्सतीति
वत्तव्वं सिया ॥ १६४. "एस णं भंते ! खंधे तीतं अणतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया ?
हंता गोयमा ! एस णं खंधे तीतं अणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया।। १६५. एस णं भंते ! खंधे पडुप्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया ?
हंता गोयमा ! एस णं खंधे पड़प्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया ।। १६६. एस णं भंते ! खंधे अणागयं अणतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं सिया ?
हंता गोयमा ! एस णं खंधे अणागयं अणंतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं
सिया ॥ १६७. एस णं भंते ! जीवे तीतं अणंतं सासयं समयं भवीति वत्तव्वं सिया ?
हंता गोयमा ! एस णं जीवे तीतं अणंतं सासयं समयं भुवीति वत्तव्वं सिया ॥ १९८. एस णं भंते ! जीवे पडुप्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया ?
हंता गोयमा ! एस णं जीवे पडुप्पण्णं सासयं समयं भवतीति वत्तव्वं सिया॥ 988. एस णं भंते ! जीवे अणागयं प्रणतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं सिया ?
हंता गोयमा ! एस णं जीवे अणागयं अणंतं सासयं समयं भविस्सतीति वत्तव्वं
सिया ॥ मोक्ख-पदं २००. छउमत्थे णं भंते ! मणूसे' तीतं अणंतं सासयं समयं-केवलेणं संजमेणं,
केवलेणं संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेणं, केवलाहिं पवयणमायाहि सिज्झिसु ?
हता
१. पोग्गलेति परमाणुरुत्तरत्रस्कन्धग्रहणात्
(वृ)। २. सं० पा०-तं चेव उच्चारेयव्वं । ३. सं० पा०-तं चेव उच्चारेयब्वं । ४. सं० पा०-एवं खंधेरण वि तिण्णि आलावगा।
एवं जीवेण वि तिण्णि आलावगा भाणि
यव्वा। ५. मणुस्से (अ, म)। ६. माताहि (ता, म)।
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३६
बुझिसु ? मुच्चिसु ? परिणिव्वाइंसु° ? सव्वदुक्खाणं अंतं करिंसु ? गोमा ! णो इट्टे समट्टे ||
२०१ से केणट्टेणं भंते ! एवं बच्चइ छउमत्थे णं मणुस्से तीतं प्रणतं सासयं समयं — केवलेणं संजमेणं, केवलेणं संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेणं, केवलाहिं पवयणमायाहि नो सिज्झिसु ? नो बुज्झिसु ? नो मुच्चिसु ? नो परिनिव्वाइंसु ? नो सव्वदुक्खाणं अंतं करिसु ?
गोमा ! जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा - सव्वदुक्खाणं अंतं करें वा, करेंति वा, करिस्संति वा सव्वे ते उप्पण्णणाण- दंसणधरा रहा जिणा केवली भवित्ता तो पच्छा 'सिज्भंति, बुज्भंति, मुच्चंति, परिनिव्वायंति", सव्वदुक्खाणं तं करेंसु वा करेंति वा, करिस्संति वा । से तेणट्टेणं गोयमा' ! एवं वुच्चइ छउमत्थे णं मणुस्से तीतं प्रणतं सासयं समयं - केवलेणं संजमेणं, केवलेणं संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेणं, केवलाहिं पवयणमायाहिं नो सिज्भि, नो बुज्भि, नो मुच्चिसु, नो परिनिव्वाइंसु, नो' सव्वदुक्खाणं अंतं करि ॥
२०२. पडुप्पण्णे वि एवं
चेव, नवरं – सिज्यंति भाणियव्वं ॥ २०३. प्रणागए वि एवं चेव, नवरं -- सिज्भिस्संति भाणियव्वं ॥
२०४. जहा छउमत्थो तहा ग्राहोहियो वि, तहा परमाहोहियो' वि । तिण्णि तिण्णि मालवगा भाणियव्वा ॥
२०५. केवली णं भंते ! मणूसे तीतं प्रणतं सासयं समयं " सिज्भिसु ? बुज्झिसु ? मुच्चिसु ? परिनिव्वाइंसु ? सव्वदुक्खाणं अंतं करिसु ?
हंता गोयमा ! केवली णं मणूसे तीतं प्रणतं सासयं समयं सिज्झिसु, बुज्भिसु, मुच्चिंसु, परिनिव्वाइंसु, सव्वदुक्खाणं तं करिंसु ॥
२०६. केवली णं भंते! मणूसे पडुप्पण्णं सासयं समयं सिज्भंति ? बुज्झति ? मुच्चति ? परिनिव्वायंति ? सव्वदुक्खाणं अंत करेंति ?
हंता गोयमा ! केवली णं मणूसे पडुप्पण्णं सासयं समयं सिज्भंति, बुज्भंति, मुच्चंति, परिनिव्वायंति, सव्वदुक्खाणं अंत करेंति ॥
१. सं० पा०-- - बुज्झिसु जाव सव्व ० ।
२. सं० पा० तं चैव जाव अंतं । ३. जिणे ( अ, क, ता, ब, स ) ।
४. 'सिज्भंती' त्यादिषु चतुर्षु पदेषु वर्त्तमाननिर्देशस्य शेषोपलक्षणत्वात् 'सिज्झिसु सिज्यंति सिज्झिस्संती' त्येवमतीतादिनिर्देशो
द्रष्टव्य : ( वृ ) ।
५. सं० पा० - गोयमा जाव सव्व ० ।
भगवई
६. भ० १२००, २०१ ।
७. भ० १२००, २०१ ।
८. भ० १।२०० - २०३ ।
६. परमोहिओ ( अ, क ता, ब, म, वृपा) । १०. सं० पा० – समयं जाव अंतं हंता सिज्झिसु जाव अंते एते तिण्णि आलावगा भारिणयव्वा । छउमत्थस्स जहा नवरं सिज्झिसु सिज्यंति सिज्झिस्संति ।
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पढमं सतं (पंचमो उद्देसो)
३७ २०७. केवली णं भंते ! मणूसे अणागयं अणंतं सासयं समयं सिज्झिस्संति ? बुझि
स्संति ? मुच्चिस्संति ? परिनिव्वाइस्संति ? सव्वदुक्खाणं अंतं करिस्संति ? हंता गोयमा ! केवली णं मणसे अणागयं अणंतं सासयं समयं सिज्झिस्संति,
बुज्झिस्संति, मुच्चिस्संति, परिनिव्वाइस्संति, सव्वदुक्खाणं अंतं करिस्संति ॥ २०८. से नणं भंते ! तीतं अणंतं सासयं समयं, पडुप्पण्णं वा सासयं समयं, अणागयं अणतं
वा सासयं समयं जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा, करेंति वा, करिस्संति वा, सव्वे ते उप्पण्णणाण-दसणधरा अरहा जिणा केवली भवित्ता तो पच्छा सिझंति ? 'बुज्झति ? मुच्चंति ? परिनिव्वायंति ? सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा ? करेंति वा ? करिस्संति वा? ० हंता गोयमा ! तीतं अणंतं सासयं °समयं, पडुप्पण्णं वा सासयं समयं, अणागयं अणतं वा सासयं समयं जे केइ अंतकरा वा अंतिमसरीरिया वा सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा, करेंति वा, करिस्संति वा, सव्वे ते उप्पण्णणाणदसणधरा अरहा जिणा केवली भवित्ता तो पच्छा सिझंति, बुज्झति, मुच्चंति,
परिनिव्वायंति, सव्वदुक्खाणं अंतं करेंसु वा, करेंति वा°, करिस्संति वा ॥ २०६. से नणं भंते ! उप्पण्णणाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली, अलमत्थु त्ति वत्तव्वं
सिया ? हंता गोयमा ! उप्पण्णणाण-दंसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्थु त्ति वत्तव्वं
सिया॥ २१०. सेवं भंते ! सेवं भंते !
पंचमो उद्देसो
पुढवि-पदं २११. कति णं भंते ! पुढवीओ पण्णत्तानो ?
गोयमा ! सत्त पुडवोनो पण्णत्तानो, तं जहा-रयणप्पभा, 'सक्करप्पभा, बालुयप्पभा, पंकप्पभा, धूमप्पभा, तमप्पभा , तमतमा ।।
१. सं० पा०-सिझंति जाव अंतं करिस्सति । ३. भ० ११५१ ।
द्रष्टव्यं १।२०१ सूत्रस्य पादटिप्पणम् । ४. सं० पा०-रयरगप्पभा जाव तमतमा । २. सं० पा०-सासयं जाव करिस्संति ।
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३८.
भगवई
२१२. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए कति निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता । संगहणी-गाहा
तीसा य पन्नवीसा, पन्नरस दसेव या सयसहस्सा।
तिन्नेगं पंचूणं, पंचेव अणुत्तरा निरया ॥१॥ आवास-पदं २१३. केवइया णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता ?
___ गोयमा ! चोयट्ठी असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता। संगहणी-गाहा एवं
चोयट्ठी असुराणं, चउरासोई य होइ नागाणं । बावतरि सुवण्णाणं, वाउकुमाराण छन्नउई ।।१।। दीव-दिसा-उदहीणं, विज्जूकूमारिद-थणियमग्गीणं।
छण्हं पि जुयलयाणं', छावत्तरिमो सयसहस्सा ॥२॥ २१४. केवइया णं भंते ! पढविक्काइयावाससयसहस्सा पण्णत्ता ?
गोयमा असंखेज्जा पुढविक्काइयावाससयसहस्सा पण्णत्ता जाव' असंखिज्जा
जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता। २१५. सोहम्मे णं भंते ! कप्पे कति विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ?
गोयमा ! बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता। संगहणी-गाहा एवं
बत्तीसट्ठावीसा, बारस-अट्ठ-चउरो सयसहस्सा। पन्ना-चत्तालीसा, छच्च सहस्सा सहस्सारे ॥१॥ आणय-पाणयकप्पे, चत्तारि सयारणच्चुए तिण्णि । सत्त विमाणसयाई, चउसु वि एएस कप्पेसु ॥२॥ एक्कारसुत्तरं हेट्ठिमए' सत्तुत्तरं सयं च मज्झमए।
सयमेगं उवरिमए, पंचेव अणुत्तरविमाणा ॥३॥ नेरइयारणं नाणावसासु कोहोवउत्तादिभंग-पदं
पुढवी द्विति-प्रोगाहण-सरीर-संघयणमेव संठाणे ।
लेस्सा दिट्ठी णाणे, जोगुवोगे य दस ठाणा ॥४॥ १. चोवट्ठी (क); चोसट्ठी (म, स)। ४. अट्ठ य (क, ता, म)। २. जुवलयाणं (अ, क, ता, ब)।
५. हेट्ठि मेसु (क, ता, म); हेट्ठि मएसु (स) । ३. पू०प० २।
६. ठाणे (अ, ब)।
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पढमं सतं (पंचमो उद्देसो) २१६. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि
निरयावासंसि ने रइयाणं केवइया ठितिट्ठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा ठितिट्ठाणा पण्णत्ता, तं जहा—जहणिया ठिती, समयाहिया जहणिया ठिती, दुसमयाहिया जहण्णिया ठिती जाव असंखेज्ज
समयाहिया जहणिया ठिती । तप्पाउग्गुक्कोसिया ठिती ।। २१७. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पूढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेस एगमेगंसि
निरयावासंसि जहण्णियाए ठितीए वट्टमाणा नेरइया किं-कोहोवउत्ता ? माणोवउत्ता ? मायोव उत्ता ? लोभोवउत्ता ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्जा १. कोहोवउत्ता। २. अहवा कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य । ३. अहवा कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य । ४. अहवा कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ते य। ५. अहवा कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य'। ६. अहवा कोहोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य। ७. अहवा कोहोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य' । ८. अहवा कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ते य । ६. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ता य । १०. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ते य। ११. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ता य। १२. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य । १३. कोहोव उत्ता य, माणोव उत्ते य, लोभोवउत्ता य । १४. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य। १५. कोहोव उत्ता य, माणोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य। १६. कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य। १७. कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ता य। १८. कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य । १६. कोहोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य। २०. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य,
१. 'म' प्रतौ-अतोने एवं माया वि लोभो वि
कोहेण भइयव्यो अथवा कोहोवउत्ता य माणोवउत्ते य मायोवउत्ते य पच्छा मारणेण लोभेण य पच्छा मायाए लोभेण य पच्छा माणेण मायाए लोभेण य कोहो भरिणयवो ते कोहं अमुंचता कोहं अमुंचता एवं सत्तावीसं
भंगा रोयव्वा। २. 'ता' प्रतौ-अतोने एवं सत्तावीसं भंगा
गतव्वा। ३. 'क', 'ब' प्रत्योः -अतोने एवं सत्तावीसं भंगा
गतव्वा । ४. 'अ' प्रती-अतोने एवं कोहे मारणेणं लोभेरणं
चत्तारि भंगा ८ एवं कोहेणं मायाए लोभेणं चत्तारि भंगा १२ अहवा कोहोवउत्ता माणोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ते १ अहवा कोहोव उत्ता मागोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ता २ अहवा कोहोवउत्ता माणोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्तै ३ अहवा कोहोवउत्ता माणोवउत्ते मायोवरत्ता लोभोवउत्ता ४ अहवा कोहोव उत्ता मागोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ५ अहवा कोहोवउत्ता मागोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ६ अहवा कोहोवउत्ता माणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ते य ७ अहवा कोहोवउत्ता मागोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ८ एवं सत्तावीसं भंगा गेयव्वा।
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भगवई
मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य । २१. कोहोव उत्ता य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ता य । २२. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य । २३. कोहोवउत्ताय, माणोव उत्ते य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य । २४. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोव उत्ते य, लोभोवउत्ताय । २५. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोव उत्ते य, लोभोवउत्ता य। २६. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ते य।
२७. कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोवउत्ता य ।। २१८. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि
निरयावासंसि समयाहियाए जहण्णट्टितोए वट्ठमाणा नेरइया किं-कोहोवउत्ता ? माणोव उत्ता? मायोव उत्ता ? लोभोवउत्ता ? गोयमा ! कोहोवउत्ते य, माणोवउत्ते य, मायोवउत्ते य, लोभोवउत्ते य । कोहोवउत्ता य, माणोवउत्ता य, मायोवउत्ता य, लोभोव उत्ता य । अहवा कोहोवउत्ते य, माणोवउत्ते य । अहवा कोहोवउत्ते य, माणोवउत्ता य । एवं असीतिभंगा' नेयव्वा।
२८. मारणोवउत्ता लोभोवउत्ता २६. मायोबउत्त लोभोवउत्ते ३०. मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ३१. मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ३२. मायोवउत्ता लोभोवउत्ता। ३-(३२)
१.१-(८)-१. कोहोवउत्ते २. मारणोवउत्ते
३. मायोवउत्ते ४. लोभोवउत्ते ५. कोहोवउत्ता ६. मागोवउत्ता ७. मायोवउत्ता ८. लोभोवउत्ता। २-(२४)-६. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते १०. कोहोवउत्ते माणोवउत्ता ११. कोहोवउत्ता मागोवउत्ते १२. कोहोवउत्ता माणोवउता १३. कोहोवउत्ते मायोवउत्ते १४. कोहोवउत्ते मायोवउत्ता १५. कोहोवउत्ता मायोवउत्ते १६. कोहोवउत्ता मायोवउत्ता १७. कोहोवउत्ते लोभोवउत्ते १८. कोहोवउत्ते लोभोवउत्ता १६. कोहोवउत्ता लोभोवउत्ते २०. कोहोवउत्ता लोभोवउत्ता २१. माणोवउत्ते मायोवउत्ते २२. माणोवउत्ते मायोवउत्ता २३. माणोवउत्ता मायोवउत्ते २४. माणोवउत्ता मायोवउत्ता २५. मारणोवउत्ते लोभोवउत्ते २६. मागोवउत्ते लोभोवउत्ता २७. मारगोबउत्ता लोभोवउत्ते
३३. कोहोवउत्ते माणोवउत्ते मायोवउत्ते ३४. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते मायोवउत्ता ३५. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ता मायोवउत्ते ३६. कोहोवउत्ते मागोवउत्ता मायोवउत्ता ३७. कोहोव उत्ता मागोवउत्ते मायोवउत्ते ३८. कोहोवउत्ता मागोवउत्ते' मायोवउत्ता ३६. कोहोव उत्ता मागोवउत्ता मायोवउत्ते ४०. कोहोवउत्ता मारणोवउत्ता मायोवउत्ता ४१. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते लोभोवउत्ते ४२. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते लोभोवउत्ता ४३. कोहोवउत्ते मागोवउत्ता लोभोवउत्ते ४४. कोहोवउत्ते मागोवउत्ता लोभोवउत्ता ४५. कोहोव उत्ता मागोवउत्ते लोभोवउत्ते ४६. कोहोवउत्ता मागोवउत्ते लोभोवउत्ता ४७. कोहोवउत्ता मारणोवउत्ता लोभोवउत्ते
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पढमं सतं (पंचमो उद्देसो)
एवं जाव संखेज्जसमयाहियाए ठितीए, असंखेज्जसमयाहियाए ठितीए तप्पाउ
ग्गुक्कोसियाए ठितीए सत्तावीसं भंगा भाणियव्वा ॥ २१६. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगम
गंसि निरयावासंसि नेरइयाणं केवइया प्रोगाहणाठाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! असंखेज्जा प्रोगाहणाठाणा पण्णत्ता, तं जहा-जहण्णिया प्रोगाहणा, पदेसाहिया जहण्णिया प्रोगाहणा, दुपदेसाहिया जहणिया प्रोगाहणा जाव
असंखेज्जपएसाहिया जहण्णिया प्रोगाहणा । तप्पाउग्गुक्कोसिया प्रोगाहणा ॥ २२०. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु एगमेगंसि
निरयावासंसि जहणियाए प्रोगाहणाए वट्टमाणा नेरइया कि कोहोवउत्ता ? असीइभंगा भाणियव्वा' जाव संखेज्जपदेसाहिया जहण्णिया प्रोगाहणा। असंखेज्जपदेसाहियाए जहण्णियाए प्रोगाहणाए वट्टमाणाणं, तप्पाउग्गुक्कोसि
४८, कोहोवउत्ता मागोवउत्ता लोभोवउत्ता ४६. कोहोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ५०. कोहोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ५१. कोहोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ५२. कोहोव उत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ५३. कोहोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ५४. कोहोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोव उत्ता ५५. कोहोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ५६. कोहोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ५७. मागोवउत्ते मायोव उत्ते लोभोव उत्ते ५८. मागोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ५९. माणोव उत्ते मायोव उत्ता लोभोवउत्ते ६०. माणोव उत्ते मायोव उत्ता लोभोवउत्ता ६१. मागोवउत्ता मायोव उत्ते लोभोवउत्ते ६२. मागोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ६३. मागोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ६४. माणोव उत्ता मायोवउत्त लोभोवउत्ता।
६७. कोहोवउत्ते माणोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ६८. कोहोवउत्ते माणोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ६६. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ७०, कोहोवउत्ते मागोवउत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ७१. कोहोवउत्ते माणोव उत्ता मायोव उत्ता लोभोवउत्ते ७२. कोहोवउत्ते माणोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ७३. कोहोव उत्ता मागोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ७४. कोहोवउत्ता मारणोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ७५. कोहोवउत्ता माणोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोव उत्ते ७६. कोहोवउत्ता माणोवउत्ते मायोवउत्ता लोभोवउत्ता ७७. कोहोव उत्ता मारणवउत्ता मायोव उत्ते लोभोवउत्ते ७८. कोहोवउत्ता मारणोव उत्ता मायोवउत्ते लोभोवउत्ता ७६. कोहोवउत्ता मागोव उत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ते ८०. कोहोवउत्ता मागोवउत्ता मायोवउत्ता लोभोवउत्ता। १. भ० ११२१७ । २. भ० ११२१८ पादटिप्पण ।
४-(१६)-६५. कोहोवउत्ते माणोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोवउत्ते ६६. कोहोवउत्ते मारणोवउत्ते मायोवउत्ते लोभोव उत्ता
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४२
भगवई
याए प्रोगाहणाए वट्टमाणाणं' सत्तावीसं भंगा । २२१. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए' 'तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु ° एग
मेगंसि निरयावासंसि ने रइयाणं कइ सरीरया पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिण्णि सरीरया पण्णत्ता, तं जहा-वेउविए, तेयए, कम्मए । २२२. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव वेउव्वियसरीरे वट्टमाणा ने रइया कि कोहो
व उत्ता ? सत्तावीसं भंगा।। २२३. एएणं गमेणं तिण्णि सरीरया भाणियव्वा ।। २२४. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव नेरइयाणं सरीरया किसंघयणा" पण्णत्ता?
गोयमा ! छण्हं संघयणाणं असंघयणी नेवट्ठी, नेव छिरा', नेव हारूणि । जे पोग्गला अणिट्ठा अकंता अप्पिया असुहा अमणुण्णा अमणामा एतेसिं" सरीर
संघायत्ताए परिणमंति ।। २२५. इमीसे णं भंते ? रयणप्पभाए जाव' छण्हं संघयणाणं असंघयणे वट्टमाणा नेर
इया कि कोहोवउत्ता? सत्तावीसं भंगा ।। २२६. इमीसे णं भंते ? रयणप्पभाए जाव' नेरइयाणं सरीरया किंसंठिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-भवधारणिज्जा य, उत्तरवेउव्विया य । तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते हुंडसंठिया पण्णत्ता, तत्थ णं जे ते उत्तर
वेउब्विया ते वि हुंडसंठिया पण्णत्ता ।। २२७. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव" हुंडसंठाणे वट्टमाणा ने रइया कि कोहो
वउत्ता ? सत्तावीसं भंगा ।। २२८. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव नेरइयाणं कति लेस्साप्रो पण्णत्तायो?
गोयमा ! एगा काउलेस्सा पण्णत्ता ।। २२६. इमोसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव काउलेस्साए वट्टमाणा नेरइया कि कोहो
व उत्ता? सत्तावीसं भंगा ॥१९ १. वट्टमारणाणं नेरइयाणं दोसु वि (अ); वट्ट- १०. तेतेसिं (क, ता, म)। माणाणं जाव नेरइयाणं दोसु वि (क, स); ११. भ० १२१७॥ वट्टमाणाणं दोसु वि (म)।
१२. भ० ११२१७ । २. भ०११२१७ ।
१३. भ० ११२१६ । ३. सं० पा०-पुढवीए जाव एगमेगंसि ।
१४. 'नेरइयारणं सरीरया' इति शेषः । ४. भ० १२१७ ।
१५. भ० ।२१७ । ५. भ० ११२१७ ।
१६. भ० १।२१७ । ६. भ० ११२१६ ।
१७. भ०१२१६।। ७. किंसंघयणी (क, ता, स)।
१८. भ०११२१७ । ' ८. छिरा (ता, म, स)।
१६. भ०११२१७ 8. अप्पिता (क)।
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४३
पढम सतं (पंचमो उद्देसो)
२३०. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव' नेरइया कि सम्मदिट्ठी ? मिच्छदिट्ठी ? सम्मामिच्छदिट्टी ?
तिण्णि वि ॥
२३१. इमी से णं भंते ! रयणप्पभाए जाव' सम्मदंसणे वट्टमाणा नेरइया कि कोहो - वउत्ता ? सत्तावीसं भंगार ॥
२३२. एवं मिच्छदंसणे वि ॥
२३३. सम्मामिच्छदंसणे असीतिभंगा ।।
२३४. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव' नेरइया कि नाणी, अण्णाणी ?
गोमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । तिणि नाणाइं नियमा । तिणि अण्णाणाई भयणाए ।
२३५. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव ग्राभिनिबोहियनाणे वट्टमाणा नेरइया कि कोहोवउत्ता ? सत्तावीस भंगा ॥
२३६. एवं तिणि नाणाई, तिणि अण्णाणाई भाणियव्वाई ||
२३७. इमीसे णं भंते !
काय जोगी ? तिष्णि वि ॥
२३८. इमीसे णं भंते!
रयणप्पभाए जाव मणजोए वट्टमाणा नेरइया कि कोहोवउत्ता ? सत्तावीसं भंगा" ||
२३. एवं वइजोए ॥
२४०. एवं कायजोए ।।
२४१. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जावर नेरइया कि सागारोवउत्ता ? प्रणागारो
वउत्ता ?
गोयमा ! सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्ता वि ।।
२४२. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए जाव" सागारोवोगे वट्टमाणा नेरइया कि कोहोवउत्ता ? सत्तावीसं भंगा" ।।
१. भ० १।२१६ ।
२. भ० १।२२७ ।
३. भ० १।२१७ ।
४. भ० १।२१८ पादटिप्पण ।
रयणप्पभाए जाव' नेरइया किं मणजोगी ? वइजोगी ?
५. भ० १।२१६ ।
६. तिणि वि (ता) ।
७. भ० १।२१७ ।
८. भ० ११२१७ ।
६. भ० १।२१६ ।
१० भ० १।२१७ ।
११. भ० १।२१७ ।
१२. भ० १।२१६ ।
१३. अणगारोवउत्ता (अ); अरणागारोवयुत्ता (ता) ।
१४ भ० १।२१७ ।
१५. भ० १।२१७ ।
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४४
२४३. एवं प्रणागारोवउत्ते वि सत्तावीसं भंगा' ॥ २४४. एवं सत्त वि पुढवोग्रो' नेयव्वा, नाणत्तं लेसासु ॥ संगी-गाहा
काऊ य दोसु, तइयाए मीसिया, नीलिया चउत्थीए । पंचमियाए मीसा, कण्हा तत्तो परमकण्हा ॥ १ ॥ असुरकुमारादी नारणादसासु कोहोवउत्तादि भंग-पदं
२४५. चउसट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयस हस्सेस एगमेगंस असुरकुमारावासंसि असुरकुमाराणं केवइया ठितिद्वाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! असंखेज्जा ठितिद्वाणा पण्णत्ता । जहण्णिया ठिई जहा नेरइया तहा, नवरं - पडिलोमा भंगा भाणियव्वा ।
सव्वे वि ताव होज्ज लोभोवउत्ता ।
हवा लोभोवउत्ता य, मायोवउत्ते य । ग्रहवा लोभोवउत्ता य, मायोवउत्ता य। एएणं गमेणं नेयव्वं जाव' थणियकुमारा, 'नवरं - नाणत्तं जाणियव्वं ॥ २४६. असंखेज्जेसु णं भते ! पुढविक्काइयावाससयस हस्सेसु एगमेगंसि पुढविक्काइया
वासंसि पुढविक्काइयाणं केवइया ठितिद्वाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! असंखेज्जा ठितिट्टाणा पण्णत्ता तं जहा- जहणिया ठिई जाव' तप्पा उग्गुक्कोसिया ठिई ॥
२४७. असंखेज्जेसु णं भंते ! पुढविक्काइयावाससयस हस्सेसु एगमेगंसि पुढविक्काइया - वासंसि जहणियाए ठितीए वट्टमाणा पुढविक्काइया कि कोहोवउत्ता ? माणोवउत्ता ? मायोवउत्ता ? लोभोवउत्ता ?
गोयमा ! कोहोवउत्ता वि, माणोवउत्ता दिव, मायोवउत्ता वि, लोभो - वउत्तावि ।
२४८. एवं ग्राउक्काइया वि ॥
२४६. तेउक्काइय-वाउक्काइयाणं सव्वेसु वि ठाणेसु प्रभंगयं ॥
२५०. वणप्फइकाइया जहा पुढविक्काइया ॥
एवं पुढविकाइयाणं सव्वेसु वि ठाणेसु अभंगयं, नवरं - तेउलेस्साए असीतिभंगा ॥
१. भ० १।२१७ ।
२. भ० १।२११ ।
३. भ० १।२१६-२४३ ।
४. पू० प० २ ।
५. तच्च नारकाणामसुरकुमारादीनां च संहनन
भगवई
संस्थानलेश्यासूत्रेषु भवति (वृ ) ।
६. भ० १।२१६ ।
७. भ० १।२१८ पादटिप्परण ।
८. भ० १।२४७ ।
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पढमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
४५ २५१. बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणं जेहिं ठाणेहि नेरइयाणं असीइभंगा तेहिं
ठाणेहिं असीइं चेव, नवरं-अब्भहिया सम्मत्ते। आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे य एएहिं असीइभंगा। जेहिं ठाणेहि नेरइयाणं सत्तावीसं भंगा तेसु ठाणेसु
सव्वेसु अभंगयं ॥ २५२. पंचिदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया तहा भाणियव्वा', नवरं-जेहिं सत्ता
वीसं भंगा तेहिं अभंगयं कायव्वं ॥ २५३. मणुस्सा वि । जेहिं ठाणेहिं ने रइयाणं असीतिभंगा तेहिं ठाणेहि मणुस्साण वि
असीतिभंगा भाणियव्वा । जेसु सत्तावीसा तेसु अभंगयं, नवरं-मणुस्साणं
अब्भहियं जहण्णियाए ठिईए, आहारए य असीतिभंगा। २५४. वाणमंतर-जोतिस-वेमाणिया जहा भवणवासी, नवरं-नाणत्तं जाणियव्वं
जं जस्स जाव अणुत्तरा॥ २५५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।।
छट्ठो उद्देसो
सूरिय-पदं २५६. जावइयाओं णं भंते ! अोवासंतरानो उदयंते सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमाग
च्छति, अत्थमंते वि य णं सूरिए तावतियानो चेव अोवासंतरानो चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति ? हंता गोयमा ! जावइयानो णं अोवासंतरामो उदयंते सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, अत्थमंते वि' •य णं सूरिए तावतियानो चेव अोवासंतरामो
चक्खुप्फासं° हव्वमागच्छति ।। २५७. 'जावइय णं'', भंते ! खेत्तं उदयंते सूरिए प्रायवेणं सव्वनो समंता प्रोभासेइ
उज्जोएइ तवेइ पभासेइ, अत्थमंते वि य णं सूरिए तावइयं चेव खेत्तं प्रायवेणं
सव्वनो समंता ओभासेइ ? उज्जोएइ ? तवेइ ? पभासेइ ? १. भ० ११२१६-२४३ ।
५. सं० पा०-वि जाव हव्व । २. कायव्वं जत्थ असीति तत्थ असीति चेव ६. जावइयाओ रणं (अ); जावइयाण्णं (ता); (अ)।
जावइया णं (म, स); स्वीकृतपाठे 'णं' ३. भ० १॥५१॥
पदस्य योगे 'जावइय' पदस्य अनुस्वारलोपो ४. जावइया (अ)।
जातः।
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४६
भगवई हंता गोयमा ! जावतिय णं खेत्तं' •उदयंते सूरिए प्रायवेणं सव्वो समंता प्रोभासेइ उज्जोइए तवेइ पभासेइ, अत्थमंते वि य णं सुरिए तावइयं चेव खेत्तं
आयवेणं सव्वनो समंता अोभासेइ उज्जोएइ तवेइ° पभासेइ ।। २५८. तं भंते ! किं पदं प्रोभासेइ ? अष्ट्रं प्रोभासेइ ?
गोयमा ! पटू ग्रोभासेइ. नो अपर्ट। २५६. तं भंते ! कि प्रोगाढं प्रोभासेइ ? अणोगाढं प्रोभासेइ ?
गोयमा ! प्रोगाढं अोभासेइ, नो अणोगाढं ।। २६०. तं भंते ! किं अणंतरोगाढं प्रोभासेइ ? परंपरोगाढं प्रोभासेइ ?
गोयमा ! अणंतरोगाढं प्रोभासेइ, नो परंपरोगाढं ।। २६१. तं भंते ! किं अणुं प्रोभासेइ ? बायरं प्रोभासेइ ?
गोयमा ! अणु पि अोभासेइ, बायरं पि अोभासेइ । २६२. तं भंते ! कि उड्ढं प्रोभासेइ ? तिरियं प्रोभासेइ ? अहे प्रोभासेइ ?
गोयमा ! उड्ढं पि अोभासेइ, तिरियं पि अोभासेइ, अहे पि अोभासेइ ।। २६३. तं भंते ! कि आइं प्रोभासेइ ? मज्झे ओभासेइ ? अंते प्रोभासेइ ?
गोयमा ! आई पि अोभासेइ, मझे पि अोभासेइ, अंते पि अोभासेइ ।। २६४. तं भंते ! किं सविसए प्रोभासेइ ? अविसए प्रोभासेइ ?
गोयमा ! सविसए अोभासेइ, नो अविसए। २६५. तं भंते ! किं आणुपुवि प्रोभासेइ ? अणाणुपुव्वि प्रोभासेइ ?
गोयमा ! प्राणुपुटिव प्रोभासेइ, नो अणाणुपुवि ।। २६६. तं भंते ! कइदिसि प्रोभासेइ ?
गोयमा ! नियमा' छद्दिसि प्रोभासेइ ॥ २६७. एवं-उज्जोवेइ तवेइ पभासेइ ।। फुसरणा-पदं २६८. से नूणं भंते ! सव्वंति सव्वावंति फुसमाणकालसमयंसि जावतियं खेत्तं फुसइ
तावतियं फुसमाणे पुढे त्ति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! सव्वंति' 'सव्वावंति फुसमाणकालसमयंसि जावतियं खेत्तं
फुसइ तावतियं फुसमाणे पुढे त्ति° वत्तव्वं सिया ।। २६६. तं भंते ! किं पुढें फुसइ ! ? अपुढे फुसइ ?
गोयमा ! पुढे फुसइ, नो अपुढे जाव' नियमा छद्दिसि फुसइ ।। १. सं० पा०-खेत्त जाव पभासेइ।
सारि चापि न दृश्यते, किन्तु सर्वासु प्रतिषु २. सं० पा०-ओभासेइ जाव छद्दिसि ।
उपलब्धमस्ति। ३. सं० पा०-सव्वंति जाव वत्तव्वं । ५. भ० ११२५८-२६६ ॥ ४. एतत् सूत्र वृत्ती व्याख्यातं नास्ति, प्रकरणानु
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पढम सतं (छट्टो उद्देसो)
४७
२७०. लोयते भंते ! अलोयंत फुसइ ? अलोयंते वि लोयंतं फुसइ ?
हंता गोयमा ! लोयंते अलोयंतं फुसइ, अलोयंते वि लोयंतं फुसइ ।। २७१. तं भंते ! किं पुढे फुसइ ? अपुढे फुसइ ?
गोयमा ! पुढे फुसइ, नो अपुढे जाव' नियमा छद्दिसि फुसइ ।। २७२. दीवंते भंते ! सागरंतं फुसइ ? सागरते वि दीवंतं फुसइ ?
हंता गोयमा ! दीवंते सागरंतं फुसइ, सागरंते वि दीवंतं फुसइ जाव' नियमा
छद्दिसि फुसइ ॥ २७३. उदयंते भंते ! पोयंत फुसइ ? पोयंते वि उदयंतं फुसइ ?
हंता गोयमा ! उदयंते पोयतं फुसइ, पोयंते उदयंतं फुसइ जाव नियमा छद्दिसिं
फुसइ॥ २७४. छिदंते भंते ! दूसंतं फुसइ ? दूसते वि छिदंतं फुसइ ?
हंता गोयमा ! छिदंते दूसंतं फुसइ, दूसंते वि छिइंतं फुसइ जाव' नियमा
छद्दिसि फुसइ ॥ २७५. छायंते भंते ! आयवंतं फुसइ ? आयवंते वि छायंतं फुसइ ?
हंता गोयमा ! छायंते आयवंतं फुसइ, प्रायवंते वि छायंतं फुसइ जाव'
नियमा° छद्दिसि फुसइ । किरिया-पदं २७६. अत्थि णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाए णं किरिया कज्जइ ?
हंता अत्थि ॥ २७७. सा भंते ! कि पुट्ठा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ?
गोयमा ! पुट्ठा कज्जइ, नो अपुट्ठा कज्जइ जाव' निव्वाघाएणं छद्दिसि, वाघायं
पडुच्च सिया तिदिसिं, सिया चउदिसिं, सिया पंचदिसि ।। २७८. सा भंते ! कि कडा कज्जइ ? अकडा कज्जइ ?
गोयमा ! कडा कज्जइ, नो अकडा कज्जइ॥ २७६. सा भंते ! किं अत्तकडा कज्जइ ? परकडा कज्जइ ? तदुभयकडा कज्जइ ?
गोयमा ! अत्तकडा कज्जइ, नो परकडा कज्जइ, नो तदुभयकडा कज्जइ॥ २८०. सा भंते कि 'पाणुपुदिव कडा" कज्जइ ? अणाणुपुव्वि कडा कज्जइ ?
गोयमा ! आणुपुव्वि कडा कज्जइ, नो अणाणुपुदिव कडा कज्जइ । जा य १. भ० ११२५८-२६६ ।
४. पोदंतं (क, ता, ब, म, स)। २. भ० ११२५८-२६६ ।
५, ६, ७. भ० ११२५८-२६६ । ३. सं० पा०-एवं एएणं अभिलावेणं उदयंते ८. भ० ११२५६-२६६ ।।
पोयंतं छिदंते दूसंतं छायंते आयवंतं जाव ६. आणविकडा (अ, क, ब)। नियमा।
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भगवई
कडा कज्जइ, जा य कज्जिस्सइ, सव्वा सा आणुपुव्विं कडा, नो अणाणुपुब्वि
'कडा ति" वत्तव्वं सिया ।। २८१. अत्थि णं भंते ! नेरइयाणं पाणाइवाय किरिया कज्जइ ?
हंता अत्थि ।। २८२. सा भंते ! किं पुट्ठा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ? ____ गोयमा ! पुट्ठा कज्जइ, नो अपुठ्ठा कज्जइ जाव नियमा छद्दिसिं कज्जइ ।। २८३. सा भंते ! कि कडा कज्जइ ? अकडा कज्जइ ?
गोयमा ! कडा कज्जइ, नो अकडा कज्जइ॥ २८४. तं चेव जाव' नो अणाणुपुदिव कडा ति वत्तव्वं सिया ॥ २८५. जहा नेरइया तहा एगिदियवज्जा भाणियव्वा जाव वेमाणिया। एगिदिया
जहा जीवा तहा भाणियव्वा ॥ २८६. जहा पाणाइवाए तहा मुसावाए तहा अदिण्णादाणे, मेहुणे, परिग्गहे, कोहे,'
'माणे, माया, लोभे, पेज्जे, दोसे, कलहे, अब्भक्खाणे, पेसुण्णे, परपरिवाए, अरतिरती, मायामोसे, मिच्छादसणसल्ले–एवं एए अट्ठारस । चउवीसं दंडगा
भाणियव्वा ॥ २८७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति जाव'
_ विहरति । रोहस्स पण्ह-पदं २८८. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स अंतेवासी रोहे णामं
अणगारे पगइभद्दए पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे विणीए समणस्स भगवनो महावीरस्स अदूरसामंते उडुंजाण
अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ १. कडा इति(क); कड ति (ब, स)। ११. माय ° (ता)। २. भ० ११२५६-२६६ ।
१२. ° संपुण्णे (स)। ३. भ० १।२७६, २८० ।
१३. आलीरणे भद्दए (अ, क, ब); अल्लीणे ४. भ० ११२८१-२८४ ।
भद्दए (ता, म, स, वृ)। आदर्शेषु वृत्तौ च ५. पू० प०२।
'पगइभद्दए' इतः समादाय 'विणीए' एत६. भ० १।२७६-२८० ।
दंतानि सर्वाण्यपि पदानि वर्तन्ते, किन्तु ७. भ० १२७६-२८५।
औपपातिक (६१, ११६) सूत्रस्य संदर्भ ८. सं० पा०-कोहे जाव मिच्छादसरगसल्ले । 'पगइमउए पगइविणीए भद्दए' एतानि ६. भ० ११५१॥
त्रीणि पदानि द्विरुक्तानि सन्ति, तानि १०. ० भद्दए पगइमउए पगइविणीए (अ क, ता. पाठान्तरे गृहीतानि । द्रष्टव्यं भ० २१७० ब, म, स, व)।
सूत्रस्य पादटिप्पणम् ।
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४९
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पढमं सतं (छट्ठो उद्देसो) २८६. ततेणं से रोहे अणगारे' जायसड्ढे जाव' पज्जुवासमाणे एवं वदासी२६०. पुचि भंते ! लोए, पच्छा अलोए ? पुब्बि अलोए, पच्छा लोए ?
रोहा ! लोए य अलोए य पुचि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा,
अणाणुपुवी एसा रोहा ।। २६१. पुदिव भंते ! जीवा, पच्छा अजीवा ? पुवि अजीवा, पच्छा जीवा ?
• रोहा ! जीवा य अजीवा य पुवि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया
भावा, अणाणुपुवी एसा रोहा ! २६२. पुब्दि भंते ! भवसिद्धिया', पच्छा अभवसिद्धिया ? पुब्बि अभवसिद्धिया,
पच्छा भवसिद्धिया? रोहा ! भवसिद्धिया य, अभवसिद्धिया य पुब्बि पेते, पच्छा पेते-दो वेते
सासया भावा, अणाणुपुवी एसा रोहा ! २६३. पुब्बि भंते ! सिद्धि, पच्छा प्रसिद्धी ? पुब्बि असिद्धी, पच्छा सिद्धी ?
रोहा ! सिद्धी य प्रसिद्धी य पुवि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा,
प्रणाणुपुवी एसा रोहा ! २६४. पुवि भंते ! सिद्धा, पच्छा प्रसिद्धा ? पुवि असिद्धा, पच्छा सिद्धा ?
रोहा ! सिद्धा य असिद्धा य पुब्बि पेते, पच्छा पेते -दो वेते सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा ! "
अंडए, पच्छा कुक्कुडी ? पुब्बि कुक्कुडी, पच्छा अंडए ? रोहा ! से णं अंडए कसो ? भयवं ! कुक्कुडीयो। सा णं कुक्कुडी कसो ? भंते ! अंडयाअो। एवामेव रोहा ! से य अंडए, सा य कुक्कुडी पुवि पेते, पच्छा पेते–'दो वेते'
सासया भावा, अणाणुपुवी एसा रोहा ! २६६. पूव्वि भंते ! लोयते, पच्छा अलोयंते ? पुवि अलोयंते, पच्छा लोयते ?
रोहा ! लोयंते य अलोयंते य" "पुवि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया
भावा, अणाणुपुवी एसा रोहा ! १. भगवं अणगारे (क, ब); अणगारे भगवं जीवा य अजीवा य। एवं भवसिद्धिया य (ता)।
अभवसिद्धिया य सिद्धी असिद्धी सिद्धा
असिद्धा। २. भ० १।१०।
५. भवसिद्धीया (क, ता, स)। ३. वेते (ता)।
६. दुवेए (स)। ४. सं० पा०-जहेव लोए य अलोए य तहेव ७. सं० पा०-य जाव अणाणपुवी
२
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५०
भगवई
२९७. पुवि भंते ! लोयंते, पच्छा सत्तमे ओवासंतरे ? "पुदिव सत्तमे प्रोवासंतरे,
पच्छा लोयंते ?. रोहा ! लोयंते य सत्तमे अोवासंतरे य पवि पेते', •पच्छा पेते-दो वेते
सासया भावा°, अणाणुपुव्वी एसा रोहा! २९८. एवं लोयंते य सत्तमे य तणुवाए। एवं घणवाए, घणोदही, सत्तमा पुढवी । एवं
लोयंते एक्केक्केणं संजोएतव्वे इमेहिं ठाणेहि, तं जहासंगहणी-गाहा
ओवास-वात-घणउदहि-पुढवि-दीवा य सागरा वासा। नेरइयादि' अत्थिय, समया कम्माइ लेस्साप्रो ॥१॥ दिट्ठी दंसण-नाणे, सण्ण-सरीरा य जोग-उवोगे।।
दव्व-पएसा-पज्जव, अद्धा किं पुव्वि लोयते ॥२॥ २६६. "पुद्वि भंते ! लोयंते, पच्छा अतीतद्धा ? पुव्वि अतीतद्धा, पच्छा लोयंते ?
रोहा ! लोयंते य अतीतद्धा य पुवि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा,
अणाणुपुव्वी एसा रोहा ! ३००. पुवि भंते ! लोयंते, पच्छा अणागतद्धा ? पुव्वि अणागतद्धा, पच्छा लोयंते ?
रोहा ! लोयंते य अणागतद्धा य पुवि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा,
अणाणुपुन्वी एसा रोहा ! ३०१. पुद्वि भंते ! लोयंते, पच्छा सव्वद्धा? पुव्विं सव्वद्धा, पच्छा लोयते ?
रोहा ! लोयंते य सव्वद्धा य पुवि पेते, पच्छा पेते-दो वेते सासया भावा,
प्रणाणुपुव्वी एसा रोहा ! • ३०२. जहा लोयंतेणं संजोइया सव्वे ठाणा एते, एवं अलोयंतेण वि संजोएतव्वा सव्वे ॥ ३०३. पुव्वि भंते ! सत्तमे ओवासंतरे, पच्छा सत्तमे तणुवाए ? •पुन्वि' सत्तमे
तणुवाए, पच्छा सत्तमे अोवासंतरे ? रोहा ! सत्तमे प्रोवासंतरे य सत्तमे तणुवाए य पुवि पेते, पच्छा पेते-दो
वेते सासया भावा, अणाणुपुव्वी एसा रोहा ! ० ३०४. एवं सत्तमं प्रोवासंतरं सव्वेहि समं संजोएतव्वं जाव सव्वद्धाए॥ ३०५. पूवि भंते ! सत्तमे तणुवाए ? पच्छासत्तमे घणवाए ? •पुवि सत्तमे
घणवाए, पच्छा सत्तमे तणुवाए ? १. सं० पा०-पुच्छा।
६. भ० ११२६७-३०१ । २. सं० पा०--पेते जाव अ
७. सं० पा०-तणुवाए । ३. चउवीसं दंडगा। ४. कम्माई (अ, क, ब, म, स)।
८. भ० ११२९८-३०१ । ५. सं० पा०-पुट्वि भंते ! लोयंते पच्छा ६. सं० पा० घणवाए ।
सव्वद्धा।
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पढमं सतं (छट्ठो उद्दे सो)
रोहा ! सत्तमे तणुवाए य सत्तमे घणवाए य पुब्बि पेते, पच्छा पेते-दो वेते
सासया भावा, अणाणुपुवी एसा रोहा ! ° ३०६. एवं तहेव नेयव्वं जाव' सव्वद्धा ।। ३०७. एवं उवरिल्लं एक्केक्कं संजोयंतेणं, जो जो हिट्ठिल्लो तं तं छडुतेणं नेयव्वं जाव'
अतीत-अणागतद्धा, पच्छा सव्वद्धा जाव' अणाणुपुवी एसा रोहा ! ३०८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ॥ लोयटिठति-पदं ३०६. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं जाव' एवं वयासी३१०. कतिविहा णं भंते ! लोयट्टिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! अट्ठविहा लोयट्ठिति पण्णत्ता, तं जहा–१. आगासपइट्ठिए वाए। २. वायपइट्ठिए उदही। ३. उदहिपइट्ठिया पुढवी। ४. पुढविपइट्ठिया तसथावरा पाणा। ५. अजीवा जीवपइट्ठिया । ६. जीवा कम्मपइट्ठिया। ७. अजीवा
जीवसंगहिया। ८. जीवा कम्मसंगहिया । ३११. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ---अट्टविहा लोयट्टिती जाव जीवा कम्मसंगहिया ?
गोयमा ! से जहाणामए केइ पुरिसे वत्थिमाडोवेइ, वत्थिमाडोवेत्ता उप्पि सितं बंधइ, बंधित्ता मज्झे गंठि बंधइ, बंधित्ता उवरिल्लं गंठिं मयइ, मइत्ता उवरिल्ल देसं वामेइ, वामेत्ता उवरिल्लं देसं 'पाउयायस्स पूरेइ, पूरेत्ता उप्पि सितं बंधइ, बंधित्ता मज्झिल्लं गंठिं मुयइ । से नूणं गोयमा ! से आउयाए तस्स वाउयायस्स उप्पि उवरिमतले चिट्ठइ? हंता चिट्टइ। से तेणतुणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-अट्ठविहा लोयट्टिती जाव जीवा कम्मसंगहिया । से जहा वा केइ पुरिसे वत्थिमाडोवेइ, वत्थिमाडोवेत्ता कडीए बंधइ, बंधित्ता अत्थाहमतारमपोरुसियंसि२ उदगंसि प्रोगाहेज्जा । से नूणं गोयमा ! से पुरिसे तस्स पाउयायस्स उवरिमतले चिट्ठइ ? हंता चिट्ठइ।
एवं वा अट्टविहा लोयट्ठिई जाव जीवा कम्मसंगहिया ॥ १. एवं पि (क, ता, ब, म, स)।
७. भ० १।३१० । २. भ०१।२६८-३०१ ।
८. बत्थि° (क)। ३. भ० श२६८-३०१ ।
६. मज्झिलं (ब)। ४. भ० ११३०१।
१०. आउयाए संपूरेइ (अ)। ५. भ० ११५१।
११. चेट्ठइ (अ); चेष्टति (ब) । ६. भ० १।१०।
१२. अत्थाहमपार ° (वृपा)।
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५२
भगवई
जीव-पोग्गल पदं ३१२. अत्थि णं भंते ! जीवा य पोग्गला य अण्णमण्णबद्धा, अण्णमण्णपूछा, अण्णमण्ण
मोगाढा, अण्णमण्णसिणेहपडिबद्धा, अण्णमण्णघडत्ताए चिटुंति ?
हंता अत्थि ॥ ३१३. से केणद्वेणं भंते ! • एवं वुच्चइ-अत्थि णं जीवा य पोग्गला य अण्णमण्ण
बद्धा, अण्णमण्णपुट्ठा, अण्णमण्णमोगाढा, अण्णमण्णसिणेहपडिबद्धा, अण्णमण्णघडत्ताए° चिटुंति ? गोयमा ! से जहाणामए हरदे सिया पुण्णे पुण्णप्पमाणे वोलट्टमाणे वोसट्टमाणे समभरघडत्ताए चिट्ठइ। अहे ण केइ पुरिसे तंसि हरदंसि एगं महं नावं सयासवं' सयछिदं प्रोगाहेज्जा । से नूणं गोयमा ! सा नावा तेहिं पासवदारेहिं प्रापूरमाणी-पापूरमाणी पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठइ ? हंता चिट्टइ। से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-अत्थि णं जीवा य •पोग्गला य अण्णमण्णबद्धा, अण्णमण्णपुट्ठा, अण्णमण्णमोगाढा, अण्णमण्णसिणेहपडिबद्धा, अण्ण
मण्णघडत्ताए° चिट्ठति ।। सिरणेहकाय-पदं ३१४. अत्थि णं भंते ! सदा समितं सुहुमे सिणेहकाए पवडइ ?
हंता अस्थि ।। ३१५. से भंते ! कि उड्ढे पवडइ ? अहे पवडइ ? तिरिए पवडइ ?
गोयमा ! उड्ढे वि पवडइ, अहे वि पवडइ, तिरिए वि पवडइ ॥ ३१६. जहा से बायरे पाउयाए अण्णमण्णसमाउत्ते चिरं पि दीहकालं चिटइ तहा णं
से वि?
णो इणद्वे समटे । से णं खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ । ३१७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।।
१. सं० पा०-भंते जाव चिट्ठंति । २. महा (ता)। ३. सदा (अ, क, ता, ब, स)। ४. सदाछिड्ड(अ); सतछिड्ड(ता); सदछिड्ड(ब)।
५. सं० पा०—य जाव चिट्ठति । ६. पडइ (अ, ब)। ७. भ. ११५१ ।
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पढमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
सत्तमो उद्देसो देस-सव्व-पदं ३१८. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जमाणे, किं-१. देसेणं देसं उववज्जइ ?
२. देसेणं सव्वं उववज्जइ? ३. सव्वेणं देसं उववज्जइ ? ४. सव्वेणं सव्वं उववज्जइ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं उववज्जइ । २. नो देसेणं सव्वं उववज्जइ। ३. नो
सव्वेणं देसं उववज्जइ। ४. सव्वेणं सव्वं उववज्जइ।। ३१६. जहा नेरइए, एवं जाव' वेमाणिए । ३२०. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जमाणे, कि-१. देसेणं देसं पाहारेइ ? २. देसेणं
सव्वं आहारेइ ? ३. सव्वेणं देसं पाहारेइ ? ४. सव्वेणं सव्वं आहारेइ ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं आहारेइ। २. नो देसेणं सव्वं आहारेइ।
३. सव्वेणं वा देसं पाहारेइ। ४. सव्वेणं वा सव्वं प्राहारेइ ।। ३२१. एवं जाव वेमाणिए । ३२२. नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो' उव्वट्टमाणे, किं-१. देसेणं देसं उव्वट्टइ ?
२. " देसेणं सव्वं उव्वट्टइ ? ३. सव्वेणं देसं उव्वट्टइ ? ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टइ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं उव्वट्टइ । २. नो देसेणं सव्वं उव्वदृइ । ३. नो
सव्वेणं देसं उव्वट्टइ । ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टइ ।। ३२३. एवं जाव वेमाणिए॥ ३२४. नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो उव्वट्टमाणे, किं-१. देसेणं देसं आहारेइ ? २. देसेणं
सव्वं आहारेइ ? ३. सव्वेणं देसं आहारेइ ? ४. सव्वेणं सव्वं प्राहारेइ ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं पाहारेइ। २. नो देसेणं सव्वं आहारेइ।
३. सव्वेणं वा देसं आहारेइ । ४. सव्वेणं वा सव्वं आहारेइ ।। १. पू०प०२।
जाव वेमाणिया । नेरइए णं भंते ! नेरइएसु २. पू० प०२।
उबवणे किं देसेणं देसं उववण्णे एसो वि ३. वेमाणिया (म)।
तहेव जाव सव्वेणं सव्वं उववण्णे । जहा ४. नेरइएसु (ता, म)।
उववज्जमाणे उव्वट्टमाणे य चत्तारि दंडगा ५. सं० पा०-जहा उववज्जमाणे तहेव उव्वट्ट- तहा उववण्णेणं उव्वट्टेण वि चत्तारि दंडगा
माणे वि दंडगो भाणियव्वो। नेरइए रणं भारिणयव्वा-सव्वेणं सव्वं उववण्णे, सव्वेण भंते ! नेरइएहितो उव्वट्टमाणे किं देसेरणं वा देसं पाहारेइ, सव्वेण वा सव्वं आहारेइ । देसं आहारेइ तहेव जाव सव्वेण वा देसं एएणं अभिलावेणं उववण्णे वि उव्वटटे वि आहारेइ । सव्वेण वा सव्वं आहारेइ । एवं नेयव्वं ।
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भगवई
३२५. एवं जाव वेमाणिए । ३२६. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववण्णे, किं-१. देसेणं देसं उववण्णे ? २. देसेणं
सव्वं उववण्णे ? ३. सव्वेणं देसं उववण्णे ? ४. सव्वेणं सव्वं उववण्णे ? - गोयमा ! १. नो देसेणं देसं उववण्णे । २. नो देसेणं सव्वं उववण्णे । ३. नो
सव्वेणं देसं उववण्णे । ४. सव्वेणं सव्वं उववण्णे ।। ३२७. एवं जाव वेमाणिए ।। ३२८. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववण्णे, किं-१. देसेणं देसं आहारेइ ? २. देसेणं
सव्वं आहारेइ ? ३. सव्वेणं देसं आहारेइ ? ४. सव्वेणं सव्वं ग्राहारेइ ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं पाहारेइ। २. नो देसेणं सव्वं आहारेइ। ३. सव्वेणं
वा देसं आहारेइ । ४. सव्वेणं वा सव्वं आहारेइ ।। ३२६. एवं जाव वेमाणिए ।। ३३०. नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो उव्वट्टे, किं-१. देसेणं देसं उव्वट्टे ? २. देसेणं
सव्वं उव्वट्टे ? ३. सव्वेणं देसं उव्व? ? ४. सव्वेणं सव्वं उव्व? ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं उव्वट्टे । २. नो देसेणं सव्वं उव्वट्टे । ३. नो सव्वेणं
देसं उव्वट्टे । ४. सव्वेणं सव्वं उव्वट्टे । ३३१. एवं जाव वेमाणिए॥ ३३२. नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो उव्वट्टे, किं- १. देसेणं देसं पाहारेइ ? २. देसेणं
सव्वं आहारेइ ? ३. सव्वेणं देसं पाहारेइ ? ४. सव्वेणं सव्वं प्राहारेइ ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं आहारेइ । २. नो देसेणं सव्वं आहारेइ । ३. सव्वेणं
वा देसं आहारेइ। ४. सव्वेणं वा सव्वं आहारेइ ।। ३३३. एवं जाव वेमाणिए ॥०१ ३३४. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जमाणे, किं-१. अद्धेणं अद्धं उववज्जइ ?
२. अद्धणं सव्वं उववज्जइ ? ३. सव्वेणं अद्धं उववज्जइ ? ४. सव्वेणं सव्वं उववज्जइ? जहा पढमिल्लेणं अट्ठ दंडगा तहा अद्धेण वि अट्ठ दंडगा भाणियव्वा, नवरंजहिं देसेणं देसं उववज्जइ, तहिं अद्धेणं अद्धं उववज्जइ इति भाणियव्वं, एयं
नाणत्तं । एते सव्वे वि सोलस दंडगा भाणियव्वा ।। विग्गहगइ-पदं ३३५. जोवे णं भंते ! किं विग्गहगइसमावण्णए ? अविग्गहगइसमावण्णए ?
गोयमा ! सिय विग्गहगइसमावण्णए, सिय अविग्गहगइसमावण्णए । १. अस्मिन्नालापके वृत्तिकृता पाठान्तरस्य दंडको ततस्तूत्पादप्रतिपक्षत्वादुद्वर्तनाया
उल्लेखः कृतोस्ति–'पुस्तकान्तरे तूत्पादतदा- उद्वर्तनातदाहारदंडको उद्वर्तनायां चोवृत्तः हारदंडकानन्तरमुत्पादे सत्युत्पन्नतदाहार- स्यादित्युद्वत्ततदाहारदंडकौ' (व)।
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पढमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
३३६. एवं जाव' वेमाणिए ||
३३७. जीवा णं भंते ! किं विग्गहगइसमावण्णया ? अविग्गहग इसमावण्णया ? गोयमा ! विग्गहग इसमावण्णगा वि, अविग्गहग इसमावण्णगा वि ॥ ३३८. नेरइया णं भंते ! किं विग्गहगइसमावण्णगा ? श्रविग्गहग इसमावण्णगा ? गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्ज प्रविग्गहगइसमावण्णगा । अहवा विहग समावण्णगा, विग्गहगइसमावण्णगे य । अहवा प्रविग्गहगइसमावण्णगा य, विग्गहगइसमावण्णगा य । एवं जीव - एगिदियवज्जो तियभंगो |
श्रायु-पदं
३३९. देवे णं भंते ! महिड्दिए महज्जुइए महब्बले महायसे महेसक्ख महाणुभावे अविउक्कंतियं चयमाणे किंचिकाल" हिरिवत्तियं' दुगंछावत्तियं परीसहवत्तिय आहारं नो आहारे । अहे णं ग्राहारेइ ग्राहारिज्जमाणे आहारिए, परिणामिजमाणे परिणामिए, पहीणे य श्राउए भवइ । जत्थ उववज्जइ तं प्राउयं पडिसंवेदेइ, तं जहा - तिरिक्खजोणियाउयं वा, मणुस्साउयं वा ?
हंता गोयमा ! देवेणं महिड्दिए' महज्जुइए महब्बले महायसे महेसक्खे महाणुभावे विक्कतियं चयमाणे किंचिकालं हिरिवत्तियं दुगंछावत्तियं परी - सहवत्तियं प्रहारं नो ग्राहारे । अहे णं आहारेइ ग्राहारिज्जमाणे श्रहारिए, परिणामिज्जमाणे परिणामिए, पहीणे य ग्राउए भवइ । जत्थ उववज्जइ तं उयं पडिसंवेदे तं जहा - तिरिक्खजोणियाउयं वा मणुस्साउयं वा । गम - पर्द
३४०. जीवे णं भंते ! गव्भं वक्कममाणे किं सइदिए वक्कमइ ? प्रणिदिए वक्कमइ ? गोमा ! सिय सइदिए वक्कमइ । सिय प्रणिदिए वक्कमइ ||
३४१. से केणट्ठेणं भंते ! एवं वच्चइ - सिय सइदिए वक्कमइ ? सिय प्रणिदिए
१. पू० १०२ ।
२. महढिए ( क ) ।
वक्कमइ ?.
गोयमा ! दव्विदियाई पडुच्च प्रणिदिए वक्कम । भाविदियाई पडुच्च सइंदिए वक्कमइ । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वच्चइ - सिय सइंदिए वक्कमइ । सिणिदिए वक्कमइ ॥
३. महासुक्खे ( 2 ) ; महासोक्खे ( म, वृपा ) |
४. चयं चयमाणे ( अ, ता, ब, म, स, वृपा) ।
५५
५. कचि ० (ता) |
६. हिरिवित्तियं ( स ) ।
७. परिस्सह ० ( क, ता, स ) ।
८. सं० पा० - महिड्दिए जाव मरणुस्साउयं ।
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भगवई
३४२. जीवे णं भंते ! गब्भं वक्कममाणे किं ससरीरी वक्कमइ, असरीरी वक्कमइ ?
गोयमा ! सिय ससरीरी वक्कमइ। सिय असरीरी बक्कमइ ।। ३४३. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय ससरीरी वक्कमइ ? सिय असरीरी
वक्कमइ ? गोयमा ! ओरालिय-वेउव्व्यि-प्राहारयाई पडुच्च असरीरी वक्कमइ। तेया-कम्माइं पडुच्च ससरीरी वक्कमइ । से तेणढेणं गोयमा! एवं वुच्चइ
सिय ससरीरी वक्कमइ । सिय असरीरी वक्कमइ॥ ३४४. जीवे णं भंते ! गब्भं वक्कममाणे तप्पढमयाए किमाहारमाहारेइ ?
गोयमा ! माउओयं पिउसुक्कं-तं तदुभयसंसिळं तप्पढमयाए अाहार
माहारेइ॥ ३४५. जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे किं पाहारमाहारेइ ?
गोयमा ! जं से माया नाणाविहारो रसविगतीनो' आहारमाहारेइ, तदेकदेसेणं प्रोयमाहारेइ॥ जीवस्स णं भंते ! गब्भगयस्स समाणस्स अत्थि उच्चारे इ वा पासवणे इ वा खेले इ वा सिंघाणे इ वा 'वते इ वा पित्ते इ वा ?
णो इणठे समझें ॥ ३४७. से केणठेणं ?
गोयमा ! जीवे णं गब्भगए समाणे जमाहारेइ तं चिणाइ, तं जहा -सोइंदियत्ताए, 'चक्खिंदियत्ताए, घाणिदियत्ताए, रसिदियत्ताए°, फासिदियत्ताए, अट्ठि-अद्विमिज-केस-मंसु-रोम-नहत्ताए। से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवस्स णं गब्भगयस्स समाणस्स णत्थि उच्चारे इ वा पासवणे इ वा
खेले इ वा सिंघाणे इ वा वंते इ वा पित्ते इ वा ।। ३४८. जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे पभू मुहेणं कावलियं आहारमाहारित्तए ?
गोयमा ! णो इणठे समठे ।। ३४६. से केणठेणं?
गोयमा ! जीवे णं गब्भगए समाणे सव्वनो आहारेइ, सव्वग्रो परिणामेइ, सव्वो उस्ससइ, सव्वनो निस्ससइ; अभिक्खणं आहारेइ, अभिक्खणं परिणामेइ, अभिक्खणं उस्ससइ, अभिक्खणं निस्ससइ; आहच्च प्राहारेइ, ग्राहच्च परिणामेइ, ग्राहच्च उस्ससइ, अाहच्च निस्ससइ ।
१. आहारादी (अ, ब); आहाराई (ता, स)। २. संसिट्ठ कलुस किब्विसं (अ, क, म, स)। ३. रसवतीओ (अ, क, ब, म);
रसवित्तीओ (ता)।
४. X (अ, क, ता, ब) एते पदे वृत्तावपि न
व्याख्याते। ५. संपा०-सोइंदियत्ताए जाव फासिदियत्ताए। ६. नीससति (अ, क, ता, म, स)।
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पढम सतं (सत्तमो उद्देसो)
माउजीवरसहरणी, पुत्तजीवरसहरणी, माउजीवपडिबद्धा पुत्तजीवफुडा'–तम्हा आहारेइ, तम्हा परिणामेइ । अवरा वि य णं पुत्तजीवपडिबद्धा माउजीवफुडा-तम्हा चिणाइ, तम्हा उवचिणाइ । से तेणठेणं' •गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवे णं गब्भगए समाणे °
नो पभू मुहेणं कावलियं प्राहारमाहारित्तए । माइय-पेइय-अंग-पदं ३५०. कइ णं भंते ! माइयंगा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तो माइयंगा पण्णत्ता, तं जहा-मंसे, सोणिए, मत्थुलुंगे । ३५१. कइ णं भंते ! पेतियंगापण्णत्ता?
गोयमा ! तो पेतियंगा पण्णत्ता, तं जहा-अट्ठि, अट्ठिमिजा, केस-मंसु
रोम-नहे। ३५२. अम्मापेइए णं भंते ! सरीरए केवइयं कालं संचिट्ठइ ?
गोयमा ! जावइयं से कालं भवधारणिज्जे सरीरए अव्वावन्ने भवइ एवतियं कालं संचिट्ठइ, अहे णं समए-समए वोयसिज्जमाणे-वोयसिज्जमाणे चरिम
कालसमयंसि वोच्छिण्ण भवइ ।। गब्भस्स नरगगमरण-पदं ३५३. जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे नेरइएसु उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा ।। से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा ? गोयमा ! से ण सण्णी पंचिदिए सव्वाहि पज्जत्तीहिं पज्जत्तए वीरियलद्धीए वेउब्वियलद्धोए पराणीयं आगयं सोच्चा निसम्म पएसे निच्छुभइ, निच्छभित्ता वेउब्वियसमुग्घाएण समोहण्णइ, समोहणित्ता चाउरंगिणिं सेणं विउव्वइ, विउव्वित्ता चाउरंगिणीए सेणाए पराणीएणं सद्धि संगामं संगामेइ। से णं जीवे अत्थकामए रज्जकामए भोगकामए कामकामए, अत्थकंखिए रज्जकंखिए भोगकंखिए कामकंखिए, अत्थपिवासिए रज्जपिवासिए भोगपिवासिए कामपिवासिए, तच्चित्ते तम्मणे तल्लेसे तदज्झवसिए तत्तिव्वज्झव
साणे तदट्ठोवउत्ते तदप्पियकरणे तब्भावणाभाविए, एयंसि णं अंतरंसि कालं १. पुत्तजीवं फुडा (वृ)।
६. ० पिइए (अ, म, स)। २. माउजीवं फुडा (वृ)।
७. निसम्मा (ता)। ३. सं० पा०-तेणठेणं जाव नो। ८. समोहणइ (अ, स)। ४. • लुए (अ, क, स); ० लिंगे (म)। ६. सेण्णं (क, ता, ब, म, स)। ५. पितियंगा (अ, म, स)।
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भगवई
करेज्ज नेरइएसु उववज्जइ । से तेणठेणं गोयमा !• एवं वुच्चइ-अत्थेगइए
उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा । गब्भस्स देवलोगगमण-पदं ३५५. जीवे णं भंते ! गभगए समाणे देवलोगेसु उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो उववज्जेज्जा ।। ३५६. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थेगइए नो
उववज्जेज्जा ? गोयमा ! से णं सण्णी पंचिदिए सव्वाहि पज्जत्तीहि पज्जत्तए तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि आरियं धम्मियं सुवयणं सोच्चा निसम्म तो भवइ संवेगजायसड्ढे' तिव्वधम्माणुरागरत्ते । से णं जीवे धम्मकामए पुण्णकामए सग्गकामए मोक्खकामए, धम्मकंखिए पुण्णकखिए सग्गकंखिए मोक्खकंखिए, धम्मपिवासिए पुण्णपिवासिए सग्गपिवासिए मोक्खपिवासिए, तच्चित्ते तम्मणे तल्लेसे तदभवसिए तत्तिव्वज्भवसाणे तदट्ठोवउत्ते तदप्पियकरणे तब्भावणाभाविए, एयंसि णं अंतरंसि कालं करेज्ज देवलोगेसु उववज्जइ । से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइए उववज्जेज्जा, अत्थगइए ना उववज्ज
थेगइए नो उववज्जेज्जा ।। ३५७. जीवे णं भंते ! गब्भगए समाणे उत्ताणए वा पासल्लए वा अंबखुज्जए वा
अच्छेज्ज वा ? चिट्ठज्ज वा ? निसीएज्ज वा ? तुयट्टेज्ज वा ? माउए सुयमाणीए' सुवइ ? जागरमाणीए जागरइ ? सुहियाए सुहिए भवइ ? दुहियाए दुहिए भवइ ? हंता गोयमा ! जीवे णं गब्भगए समाणे 'उत्ताणए वा पासल्लए वा अंबखुज्जए वा अच्छेज्ज वा चिट्ठज्ज वा निसीएज्ज वा तुयटेज्ज वा । माउए सुयमाणीए सुवइ, जागरमाणोए जागरइ, सुहियाए सुहिए भवइ° दुहियाए दुहिए भवइ । अहे णं पसवणकालसमयंसि सीसेण वा पाएहि वा आगच्छति सममागच्छति', तिरियमागच्छति विणिहायमावज्जति । वण्णवज्झाणि य से कम्माइं बद्धाइं पुट्ठाइं निहत्ताई कडाइं पट्ठवियाई अभिनिविट्ठाइं अभिसमण्णागयाइं उदिण्णाइं-नो उवसंताइं भवंति,
१. सं० पा०-गोयमा जाव अत्थे । २. ० जाइसड्ढे (ब, स)। ३. उत्ताणे (ता)। ४. पोसल्लए (अ); पासिल्लए (क); पासल्लिए
(ता, म)।
५. सुवमाणीए (क, ता, म)। ६. सं० पा०-समाणे जाव दुहियाए । ७. सम्ममा° (अ, ब, स, वृपा)।
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पढम सतं (अट्ठ मो उद्देसो)
तो भवइ दुरूवे दुवण्णे 'दुग्गंधे दुरसे' दुफासे अणिठे अकंते अप्पिए असुभे अमणुण्णे अमणामे हीणस्सरे दीणस्सरे अणिट्ठस्सरे अकंतस्सरे अप्पियस्सरे असुभस्सरे अमणुण्णस्सरे अमणामस्सरे 'अणाएज्जवयणे पच्चायाए' या वि भवइ। वण्णवज्झाणि य से कम्माइं नो बद्धाइं 'नो पुट्ठाइं नो निहत्ताइं नो कडाइं नो पवियाइं नो अभिनिविट्ठाई नो अभिसमण्णागयाइं नो उदिण्णाइं-उवसंताई भवंति, तो भवइ सुरूवे सुवण्णे सुगंधे सुरसे सुफासे इठे कंते पिए सुभे मणुण्णे मणामे अहीणस्सरे अदीणस्सरे इस्सरे कंतस्सरे पियस्सरे
सुभस्सरे मणुण्णस्सरे मणामस्सरे 'आदेज्जवयणे पच्चायाए" या वि भवइ ।। ३५८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
अट्ठमो उद्देसो बालस्स पाउय-पदं ३५६. एगंतबाले णं भंते ! मणुस्से कि नेरइयाउयं पकरेति ? तिरिक्खाउयं पकरेति ?
मणुस्साउयं पकरेति ? देवाउयं पकरेति ? ने रइयाउयं किच्चा ने रइएसु उववज्जति ? तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति ? मणुस्साउयं किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति ? देवाउयं किच्चा देवलोगेसु उववज्जति ? गोयमा ! एगंतबाले णं मणुस्से ने रइयाउयं पि पकरेति, तिरियाउयं वि पकरेति, मणुस्साउयं पि पकरेति, देवाउयं पि पकरेति, नेरइयाउयं किच्चा नेरइएसु उववज्जति, तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति, मणुस्साउयं
किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति, देवाउयं किच्चा देवलोगेसु उववज्जति ।। पंडियस्स पाउय-पदं ३६०. एगंतपंडिए णं भंते ! मणुस्से कि नेरइयाउयं पकरेति' ? •तिरिक्खाउयं
पकरेति ? मणुस्साउयं पकरेति ? देवाउयं पकरेति ? नेरइयाउयं किच्चा
१. दुगंधे (म)।
३. सं० पा०—पसत्थं नेयब्वं जाव आदेज्ज । २. ० वयणपच्चाए (अ, क, ता, ब, म, स); ४. ° वयणपच्चाए (क, ता)। स्थानाङ्गे (८।१०) 'पच्चायाए' इत्येव ५. भ० १॥ ५१ । पाठोस्ति।
६. सं० पा०-पकरेति जाव देवाउयं ।
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६०
भगवई
नेरइएस उववज्जति ? तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति ? मणुस्साउयं किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति ? ° देवाउयं किच्चा देवलोएसु उववज्जति ? गोयमा ! एगंतपंडिए णं मणुस्से प्राउयं सिय पकरेति, सिय णो पकरेति, जइ पकरेति णो ने रइयाउयं पकरेति णो तिरियाउयं पकरेति णो मणुस्साउयं पकरेति, देवाउयं पकरेति णो नेरइयाउयं किच्चा नेरइएसु उववज्जति, णो तिरिया उयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति णो मणुस्साउयं किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति, देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ॥
३६१. से केणट्ठेणं जाव' देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ?
गोयमा ! एगंतपंडियस्स णं मणुस्सस्स केवलमेव दो गतीश्र पण्णायंति, तं जहा - अंतकिरिया चेव, कप्पोववत्तिया चेव । से तेणट्ठेणं गोयमा ! जाव देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ।।
बालपंडियस्स प्राउय-पदं
३६२. बालपंडिए णं भंते ! मणुस्से किं नेरइयाज्यं पकरेति ? •तिरिक्खाउयं पकरेति ? मणुस्साउयं पकरेति ? देवाउयं पकरेति ? नेरइयाउयं किच्चा नेरइसु उववज्जति ? तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति ? मणुस्साउयं किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति ? देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ?
गोयमा ! बालपंडिए णं मणुस्से णो नेरइयाउयं पकरेति णो तिरिक्खाउयं पकरेति णो मणुस्साउयं पकरेति, देवाउयं पकरेति णो नेरइयाउयं किच्चा नेरइएसु उववज्जति, णो तिरियाउयं किच्चा तिरिएसु उववज्जति, णो मणुस्साउयं किच्चा मणुस्सेसु उववज्जति, देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ॥ ३६३. से केणट्ठेणं जाव' देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ?
गोयमा ! बालपंडिए णं मणुस्से तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा ति गमवारियं धम्मियं सुवयणं सोच्चा निसम्म देस उवरमइ, देसं णो उवरमइ, देस पच्चक्खाइ, देसं णो पच्चक्खाइ ।
'से तेणं" देसोवरम देसपच्चक्खाणेणं णो नेरइयाउयं
पकरेति जाव देवायं किच्चा देवेसु उववज्जति । से तेणट्ठेणं जाव देवाउयं किच्चा देवेसु उववज्जति ॥
१. मरण से ( ता ) ।
२. भ० १।३६० ।
३. सं० पा० - पकरेति जाव देवाउयं ।
४. भ० १।३६२ ।
५. यारियं (क, ता) ।
६. सिम्मा ( अ, ता, ब ) |
७. सेणं ते (क); सेणं ते (ता, ८. भ० १।३६० ।
1
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पढमं सतं (मो उद्देसो)
किरियापदं
३६४. पुरिसे णं भंते ! कच्छंसि वा दहंसि वा उदगंसि वा दवियंसि वा वलयंसि वा मंसि वा गहणंसि वा गहणविदुग्गंसि वा पव्वयंसि वा पव्दयविदुग्गंसि वा वर्णसि वा वर्णविदुग्गंसि वा मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता ते मिति काउं प्रणयरस्स मियस्स वहाए कूडपासं उद्दाति, ततो भंते! से पुरिसे कतिकिरिए ?
गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंच करिए ||
३६५. से केणट्ठेणं भंते ! एवं बच्चइ - सिय तिकिरिए ? सिय चउकिरिए ? सिय पंचकरिए ?
गोयमा ! जे भविए उद्दवणयाए - णो बंधणयाए, णो मारणयाए - तावं चणं से पुरिसे काइयाए, ग्रहिगरणियाए, पासियाए - तिहि किरियाहि पुट्ठे ।
भवि उवणता वि, बंधणताए वि - णो मारणताए - तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पात्रोसिया, पारितावणियाए - चउहिं किरियाहि पुट्ठे ।
भवि उद्दवता' वि, बंधणताए वि, मारणताए वि, तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पात्रोसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए -- पंचहि किरियाहि पुट्ठे । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए ||
३६६. पुरिसे णं भंते ! कच्छंसि वा जाव वर्णविदुग्गंसि वा तणाई ऊसविय - ऊसविय प्रगणिकायं निसिरइ - तावं च णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोमा ! सियतिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकरिए ।
३६७. से केणट्ठेणं भंते ! एवं बुच्चइ - सिय तिकिरिए ? सिय चउकिरिए ? सिय
पंच करिए ?
गोमा ! जे भविए उस्सवणयाए " - णो निसिरणयाए, णो दहणयाए - तावं
१. मियवत्तिए ( अ ) ; मियवत्तीए ( स ) ।
२. मिए ( अ, ता, ब, म, स) ।
३. उड्डाइ ( अ, क, ता, ब, स ) ।
४. जाव च गं से पुरिसे कच्छंसि वा जाव कूडपासं उड्डाइ ताव च गं से पुरिसे सिय (क, ता, म, स ) ।
६१
५. चतु० (ता) ।
६. पाउसियाए ( अ, ब, म) 1 ७. पायोसियाए ( ब ) ।
८. उद्दरणयाए ( ता ) ।
६. सं० पा० - तेणट्टेगं जाव पच° । १०. भ० १।३६४ ।
११. सं० पा० - उस्सवरण्याए तिहि, उस्सवरणयाए विनिसिरयाए वि नो दहरण्याए चउहिं, जे भविए उस्सवरणयाए विनिसिरयाए वि दहयाए वि तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि ।
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६२
भगवई
चणं से पुरिसे काइयाए, ग्रहिगरणियाए, पात्रोसियाए - तिहि किरियाहिं पुट्ठे ।
जे भविए उसवणयाए वि, निसिरणयाए वि, णो दहणयाए - तावं चणं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पाचोसियाए, पारितावणियाए - चउहिं किरियाहिं पुट्ठे ।
जे भविए उसवणयाए वि, निसिरणयाए वि, दहणयाए वि, तावं च णं से पुरिसेकाइयाए, अहिगरणियाए, पाचोसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए - पंचहि किरियाहिं पुट्ठे । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइसिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए ||
३६८. पुरिसे णं भंते ! कच्छंसि वा जाव' वणविदुग्गंसि वा मियवित्तीए मियसं कप्पे मणिहाणे विहाए गंता एते 'मिय त्ति" काउं प्रणतरस्स मियस्स वहाए उसुं निसिरति, ततो णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोमा ! यि तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंच करिए ।
३६९. से केणट्ठेणं भंते ! एवं वुच्चइ – सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंच किरिए
गोयमा ! जे भविए निसिरणयाए - णो विद्वंसणयाए, णो मारणयाएतावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए, पानोसियाए - तिहि किरियाहिं पुट्ठे ।
जे भविए निसि रणताए वि, विद्वंसणताए वि - णो मारणयाए - तावं चणं से पुरिसेकाइयाए, अहिगरणियाए, पाचोसियाए, पारितावणियाए - चउहि किरियाहिं पुट्ठे ।
जे भविए निसिरणयाए वि, विद्वंसणयाए वि, मारणताए वि-तावं चणं पुरिसेकाइयाए, अहिगरणियाए, पाचोसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए - पंचहि किरियाहिं पुट्ठे । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए ।
३७०. पुरिसे णं भंते! कच्छंसि वा जाव वणविदुग्गंसि वा ? मियवित्तीए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एते मिय त्ति काउ प्रण्णत रस्स मियस्स वहाए आयत - कण्णायतं उसुं प्रायामेत्ता चिट्ठेज्जा, अण्णयरें पुरिसे मग्गतो ग्रागम्म सयपाणिणा' असिणा सीसं छिदेज्जा, से य उसू ताए चेव पुव्वायामणयाए तं
१. भ० १।३६४ ।
२. मिए ति ( अ ) ; मिया ति (ता, म); मिये ति ( ब, स ) ।
३. सं० पा० - पुरिसे जाव पंचहि ।
४. भ० १।३६४ ।
५. अण्णेय से (क, ता, म ) ।
६. सत ०
(ता) ।
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पढमं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
मियं विधेज्जा, से णं भंते ! पुरिसे कि मियवरेणं पुढें ? पुरिसवेरेणं पुढें ? गोयमा ! जे मियं मारेइ, से मियवेरेणं पुढें । जे पुरिसं मारेइ, से
पुरिसवेरेणं पुढें ॥ ३७१. से केणठेणं भंते ! एवं वच्चइ'- जे मियं मारेइ, से मियवेरेणं पुढें ? जे
पुरिसं मारेइ, से° पुरिसवेरेणं पुढे ? से नणं गोयमा ! कज्जमाणे कडे, संधिज्जमाणे संधिते, निव्वत्तिज्जमाणे निव्वत्तिते, निसिरिज्जमाणे निसिठे त्ति वत्तव्वं सिया ? हंता भगवं ! कज्जमाणे कडे', 'संधिज्जमाणे संधिते, निव्वत्तिज्जमाणे निव्वत्तिते, निसिरिज्जमाणे° निसिठे त्ति वत्तव्वं सिया। से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जे मियं मारेइ, से मियवरेणं पुढें । जे पुरिसं मारेइ, से पुरिसवेरेणं पुढें । अंतो छण्हं मासाणं मरइ-काइयाए', 'अहिगरणियाए, पामोसियाए, पारितावणियाए, पाणातिवायकिरियाए°-पंचहि किरियाहिं पुढें । बाहिं छण्हं मासाणं मरइ-काइयाए अहिगरणियाए, पाप्रोसियाए ° पारितावणि
याए-चउहि किरियाहिं पुढें ।। ३७२. पुरिसे णं भंते ! पुरिसं सत्तीए समभिधंसेज्जा, सयपाणिणा" वा से असिणा
सीसं छिदेज्जा, ततो णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तं पुरिसं सत्तीए समभिधंसेति, सयपाणिणा वा से असिणा सीसं छिदति–तावं च णं से पुरिसे काइयाए, अहिगरणियाए •पायोसियाए, पारितावणियाए°, पाणातिवातकिरियाए-पंचहिं किरियाहिं पुढें ।
पासण्णवधएण य अणवकखणवत्तीए णं पुरिसवेरेणं पुढें ।। जय-पराजय-पदं ३७३. दो भंते ! पुरिसा सरिसया सरित्तया सरिव्वया सरिसभंडमत्तोवगरणा
अण्णमण्णेणं सद्धि संगाम संगामेंति तत्थ णं एगे पुरिसे पराइणति, एगे पुरिसे
परायिज्जति । से कहमेयं भंते ! एवं? १. सं० पा०-वुच्चइ जाव पुरिस° । ८. अभिधंसेइ (अ, ब, स)। २. संधेज्जमाणे (ता)।
६. सपारिगणा (क, ता)। ३. निसट्टे (क, ता)।
१०. सं० पा०-अहिगरणियाए जाव पारणा । ४. सं० पा०—कडे जाव निसिट्रे।
११. अणवकंखवत्तीए (अ, स)। ५. सं० पा०-काइयाए जाव पंचहिं । १२. सरसया (ब)। ६. सं० पा०-काइयाए जाव पारिया; १३. सरिसत्तया (ता)। कातियाए (ता)।
१४. पराइणिज्जइ (अ, ता, ब); पराएज्जइ ७. सपाणिणा (क, ता)।
(स)।
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६४
३७४.
३७६.
गोयमा ! सवीरिए परायिणति, अवीरिए परायिज्जति ॥
से केणट्टेणं' भंते ! एवं वुच्चइ - सवीरिए परायिणति ? अवीरिए परायिज्जति ?
वीरिय-पदं
३७५. जीवा णं भंते ! कि सवीरिया ? अवीरिया ?
गोयमा ! सवीरिया वि, अवीरिया वि ॥
गोयमा ! जस्स णं वीरियवज्झाई कम्माई नो बढाई नो पुट्ठाई नो निहत्ताइं नो कडाई नो पट्ठवियाइं नो अभिनिविट्ठाई • नो अभिसमण्णागयाई नो उदिण्णाई - उवसंताइं भवंति से णं परायिणति ।
जस्स णं वीरियवज्भाई कम्माई बद्धाई • पुट्ठाई निहत्ताई कडाई पट्ठवियाइं ग्रभिनिविट्ठाई अभिसमण्णागयाई उदिण्णाई णो उवसंताई भवंति से पुरिसे परायिज्जति से तेणट्टेणं । गोयमा ! एवं वुच्चति - सवीरिए परायिणति, ग्रवीरिए परायिज्जति ।।
सेकेणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चइ - जीवा सवीरिया वि? अवीरिया वि ? गोयमा ! जीवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- संसारसमावण्णगा य, असंसार
भगवई
३७७. नेरइया णं भंते ! किं सवीरिया ? अवीरिया ?
समावण्णगा य ।
सिद्धा णं श्रवीरिया । तत्थ
जहा – सेलेसिपडिवण्णगा
तत्थ णं जे ते संसारसमावण्णगा ते णं सिद्धा । णं जे ते संसारसमावण्णगा' ते दुविहा पण्णत्ता, तं , सेलेसि पडिवण्णगा य । तत्थ णं जे ते सेले सिपडिवण्णगा ते णं लद्विवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं अवीरिया । तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवण्णगा ते णं द्विवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया वि, अवीरिया वि। से
ट्ठे गोयमा ! एवं वुच्चइ - जीवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सवीरिया वि, वीरिया वि ||
गोयमा ! नेरइया लद्विवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया य, वीरियाय ॥
३७८. से केणट्ठणं भंते ! एवं वुच्चइ - नेरइया लद्विवीरिएणं सवीरिया ? करणवीरिएणं सवीरिया य ? अवीरिया य ?
गोमा ! जेसि णं नेरइयाणं प्रत्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार
१. सं० पा० – गं जाव परायिज्जति ।
२. सं० पा० - पुट्ठाई जाव नो ।
३. सं० पा० बढाई जाव उदिण्णाइं ।
४. X ( क, ता, ब, म) 1
५. ० वण्णया (क, ता, म ) ।
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६५
पढमं सतं (नवमो उद्देसो)
परक्कमे, ते णं नेरइया लद्विवीरिएण वि सवीरिया, करणवीरिएण वि सीरिया |
जेसि णं नेरइयाणं णत्थि उट्ठाणे' कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार ० - परक्कमे, ते णं नेरइया लद्विवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिएणं प्रवीरिया । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - नेरइया लद्विवीरिएणं सवीरिया । करणवीरिएणं सवीरिया य, अवीरिया य ।।
३७६. जहा ने रइया एवं जाव' पंचिदियतिरिक्खजोणिया ||
३८०.
मणुस्सा णं भंते ! किं सवीरिया ? ग्रवीरिया ? गोयमा ! सवीरिया वि, अवीरिया वि ॥
३८१. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - मणुस्सा सवीरिया वि? अवीरिया वि ? गोमा ! मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सेलेसि पडिवण्णगा य, सेलेसिपडवण्णगाय ।
तत्थ णं जे ते सेलेसि पडिवण्णगा ते णं लद्विवीरिएणं सवीरिया, करणवीरिणं वीरिया । तत्थ णं जे ते असेलेसिपडिवण्णगा ते णं लद्विवीरिएणं सीरिया, करणवीरिएणं सवीरिया वि, अवीरिया वि । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वच्चइ - मणुस्सा सवीरिया वि, अवीरिया वि° ॥ ३८२. वाणमंतर - जोतिस-वेमाणिया जहा नेरइया ॥ ३८३. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ ||
नवमी उद्देस
गुरु-लघु-पदं
३८४. कहण्णं भंते ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छति ?
गोयमा ! पाणाइवाएणं मुसावाएणं प्रदिण्णादाणेणं मेहुणेणं परिग्गहेणं कोह- माण-माया-लोभ-पेज्ज - दोस- कलह-प्रव्भवखाण- पेसुन्न- 'परपरिवाय-रतिरति" - मायामोस - मिच्छादंसण सल्लेणं - एवं खलु गोयमा ! जीवा गरुयत्तं " हव्वमागच्छति ||
१. सं० पा० - उद्धारणे जाव परक्कमे ।
२. पू० प० २ ।
३. सं० पा०-- मरगुस्सा जहा ओहिया जीवा वरं सिद्धवज्जा भारिणयव्वा ।
४. भ० १।३७७, ३७८ ।
५. भ० १।५१ ।
६. कहूं गं ( अ, ब ) |
७. रतिरतिपरपरिवाय ( अ, ब, स ) ।
८. गुरुपत्तं ( ब ) ।
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भगवई
३८५. कहण्णं भंते ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छंति ?
गोयमा ! पाणाइवायवेरमणेणं' 'मुसावायवेरमणेणं अदिण्णादाणवेरमणेणं मेहुणवे रमणेणं परिग्गहवेरमणेणं 'कोह-माण-माया-लोभ-पेज्ज-दोस-कलहअब्भक्खाण-पेसून्न-परपरिवाय-अरतिरति-मायामोस-मिच्छादसणसल्ल वेर
मणेणं'२–एवं खलु गोयमा ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छंति ।। ३८६. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं पाउलीकरेंति?
गोयमा ! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं-एवं खलु गोयमा ! जीवा
संसारं पाउलीकरेंति ।। ३८७. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं परित्तीकरेंति ?
गोयमा ! पाणाइवायवेरमणेणं जाव' मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं एवं खलु
गोयमा ! जीवा संसारं परित्तीकरेंति ॥ ३८८. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं दोहोकरेंति ?
गोयमा ! पाणाइवाएणं जाव' मिच्छादसणसल्लेणं-एवं खलु गोयमा ! जीवा
संसारं दीही करेंति ॥ ३८६. कहण्णं भंते जीवा संसार ह्रस्सीकरेंति ?
गोयमा ! पाणाइवायवे रमणेणं जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं-एवं खलू
गोयमा ! जीवा संसारं ह्रस्सीकरेंति ।। ३९०. कहण्णं भंते ! जीवा संस
गोयमा ! पाणाइवाएणं जाव' मिच्छादसणसल्लेणं-एवं खलु गोयमा !
जीवा संसारं अणुपरियट्टति ॥ ३६१. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं वीतिवयंति ?
गोयमा ! पाणाइयायवेरमणेणं जाव' मिच्छादंसणसल्लवे रमणेणं-एवं खलु
गोयमा ! जीवा संसारं वीतिवयंति ।। ३६२. सत्तमे णं भते ! अोवासंतरे' किं गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहुए ?
गोयमा ! णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए, अगरुयलहुए ।। १. पाणायवाय ° (ब, स);
४. भ० ११३८४ । सं० पा०-पारणाइवायवेरमणेणं जाव ५. भ० १।३८५ । मिच्छा ।
६. भ० ११३८४ । २. स्थानाङ्ग १।११४-१२६ क्रोधादीनामग्रे
अ ७. भ० ११३८५। 'विवेगे' इति पदं प्रयुक्तमस्ति ।
८. भ० ११३८४ । ३. सं० पा०—एवं संसारं आउलीकरेंति एवं परित्तीकरेंति एवं दीहीकरेंति एवं हस्सी
६. भ० ११३८५। करेंति एवं अपरियति एवं वीईवयंति १०. उवासंतरे (क, ब, म, स)। पसत्था चत्तारि अपसत्था चत्तारि। ११. गुरुए (अ)।
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पढमं सतं (नवमो उद्देसो) ३६३. सत्तमे णं भंते ! तणुवाए किं गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहुए ?
गोयमा ! णो गरुए, णो लहुए, गरुयलहुए, णो अगरुयलहुए। ३६४. एवं सत्तमे घणवाए, सत्तमे घणोदही, सत्तमा पुढवी ।। ३६५. ओवासंतराइं सव्वाइं जहा' सत्तमे अोवासंतरे ॥ ३६६. 'जहा तणुवाए एवं-अोवास-वाय-घणउदही, पुढवी दीवा य सागरा वासा ॥ ३६७. नेरइया णं भंते ! किं गरुया ? 'लहुया ? गरुयलहुया ? • अगरुयलहुया ?
गोयमा ! णो गरुया, णो लहुया, गरुयलहुया वि, अगरुयलहुया वि ।। ३९८. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ–नेरइया णो गरुया ? णो लहुया ? गरुयलया
वि ? अगरुयलहुया वि ? गोयमा ! विउव्विय-तेयाइं पडुच्च णो गरुया, णो लहुया, गरुयलहुया, णो अगरुयलहुया । जीवं च कम्मगं च पडुच्च णो गरुया, णो लहुया, णो गरुयलहुया, अगरुयलहुया । से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ–नेरइया णो
गरुया, णो लहुया, गरुयलहुया वि, अगरुयलहुया वि ॥ ३६६. एवं जाव" वेमाणिया, नवरं-नाणत्तं जाणियव्वं सरीरेहिं ।।। ४००. धम्मत्थिकाए णं भंते ! कि गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहुए ?
गोयमा ! णो गरुए, णो लहए, णो गरुयलहए, अगरुयलहए।। ४०१. अहम्मत्थिकाए णं भंते ! किं गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहुए ?
गोयमा ! णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए, अगरुयलहुए ।। ४०२. आगासत्थिकाए णं भंते ! कि गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए? अगरुयलहुए ?
गोयमा ! णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए, अगरुयलहुए । ४०३. जीवत्थिकाए णं भंते ! किं गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए? अगरुयलहुए ?
गोयमा ! णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए, अगरुयलहुए ° ।। ४०४. पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! किं गरुए ? लहुए ? गरुयलहुए ? अगरुयलहुए ?
गोयमा ! णो गरुए, णो लहुए, गरुयलहुए वि, अगरुयलहुए वि ।। ४०५. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-णो गरुए ? णो लहुए ? गरुयलहुए वि ?
अगरुयलहुए वि ?
गोयमा ! गरुयल हुयदव्वाइं पडुच्च णो गरुए, णो लहुए, गरुयलहुए, णो १. भ० ११३६२ ।
४. कम्मकं (क); कम्मणं (वृत्तौ लिखिते २. 'एवं गरुयलहुए' इति पाठः एकस्मिन् क्व- पाठसंकेते)।
चित प्रयुक्ते आदर्श लभ्यते । एतत् संग्रह- ५. पू०प०२। गाथायाश्चरणद्वयमस्ति तेन पूर्वोक्तस्यापि ६. सं० पा०-धम्मत्थिकाए जाव जीवत्थिकाए
'ओवास' पदस्य पुनरुल्लेखोत्र जातोस्ति । चउत्थपएणं। ३. सं० पा०-गरुया जाव अगरुय ।
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भगवई
अगरुयलहुए । अगरुयलहुयदव्वाइं पडुच्च णो गरुए, णो लहुए, णो गरुयलहुए,
अगरुयलहुए। ४०६. "समया णं भंते ! कि गरुया ? लहुया ? गरुयलहुया ? अगरुयलहुया ?
गोयमा ! णो गरुया, णो लहुया, णो गरुयलहुया, अगरुयलहुया ।। ४०७. कम्माणि णं भंते ! कि गरुयाइं? लहयाई? गरुयलयाई? अगस्यलहयाइं?
गोयमा ! णो गरुयाई, णो लहुयाइं, णो गरुयलहुयाइं, अगरुयलहुयाई ॥ ४०८. कण्हलेस्सा णं भंते ! किं गरुया' ? • लहुया ? गरुयलहुया ? ० अगरुयलहुया ?
गोयमा ! णो गरुया, णो लहुया, गरुयलहुया वि, अगरुयलहुया वि ।। ४०६. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ-कण्हलेस्सा णो गरुया ? णो लहुया ?
गरुयलहुया वि ? अगरुयलहुया वि?
गोयमा ! दव्वलेस्सं पडुच्च ततियपदेणं, भावलेस्सं पडुच्च चउत्थपदेणं ॥ ४१०. एवं जाव' सुक्कलेसा॥ ४११. दिट्ठी-दसण-‘णाण-अण्णाण'-सण्णाश्रो चउत्थएणं पदेणं नेतव्वाप्रो ।। ४१२. हेट्ठिल्ला चत्तारि सरीरा नेयव्वा ततिएणं पदेणं । कम्मयं चउत्थएणं पदेणं ॥ ४१३. मणजोगो, वइजोगो चउत्थएणं पदेणं, कायजोगो ततिएणं पदेणं ।। ४१४. सागारोवोगो, अणागारोवोगो चउत्थाएणं पदेणं ।। ४१५. सव्वदव्वा, सव्वपएसा, सव्वपज्जवा जहा पोग्गलत्थिकायो । ४१६. तोतद्धा, अणागतद्धा, सम्वद्धा च उत्थएण१२ पदेणं ।। पसत्थ-पदं ४१७. से नणं भंते ! लाघवियं अप्पिच्छा अमुच्छा अगेही अपडिबद्धया समणाणं
निग्गंथाणं पसत्थं ? हंता गोयमा ! लाघवियं अप्पिच्छा अमुच्छा अगेही अपडिबद्धया समणाणं
निग्गंथाणं° पसत्थं ।। ४१८. से नूणं भंते ! अकोहत्तं प्रमाणत्तं अमायत्तं प्रलोभत्तं समणाणं निग्गंथाणं
पसत्थं?
१. सं० पा०-समया कम्मा रिण य चउत्थपदेणं। ८. नायव्वा (अ, ब स)। २. सं० पा०-गरुया जाव अगरुय । ६. कम्मया (क, म, स); कम्मइए (ता)। ३. गरुयलहुया।
१०. जधा (अ, ब, स)। ४. अगरुयलया।
११. भ० ११४०४ । ५. भ० १११०२।
१२. चउत्थेणं (क, ता, ब, म)। ६. नाणाण्णाण (ता)।
१३. सं० पा०-लाघवियं जाव पसत्थं । ७. ओरालियवेउव्वियआहारगतेया।
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पढमं सतं (नवमो उद्देसो)
हंता गोयमा ! अकोहत्तं प्रमाणत्तं' अमायत्तं प्रलोभत्तं समणाणं निग्गंथाणं
पसत्यं ।। कंखापदोस-पदं ४१६. से नणं भंते ! कंखापदोसे खीणे समणे निग्गंथे अंतकरे भवति, अंतिमसरीरिए
वा? बहुमोहे वि य णं पुदिव विहरित्ता अह पच्छा संवुडे कालं करेइ ततो पच्छा सिज्झति' 'बुज्झति मुच्चति परिनिव्वाति सव्वदुक्खाणं° अंतं करेति ? हंता गोयमा ! कंखापदोसे खीणे समणे निग्गंथे अंतकरे भवति, अंतिमसरीरिए वा। बहुमोहे वि य णं पुव्विं विहरित्ता अह पच्छा संवुडे कालं करेइ ततो पच्छा
सिज्झति बुज्झति मुच्चति परिनिव्वाति सव्वदुक्खाणं° अंतं करेति ॥ इह-पर-भवियाउय-पदं ४२०. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति, एवं भासंति, एवं पण्णवेंति, एवं
परूवंति–एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाइं पकरेति, तं जहाइहभवियाउयं च, परभवियाउयं च । जं समयं इहभवियाउयं पकरेति, तं समयं परभवियाउयं पकरेति । जं समयं परभवियाउयं पकरेति, तं समयं इहभवियाउयं पकरेति । इहभवियाउयस्स पकरणयाए परभवियाउयं पकरेति, परभवियाउयस्स पकरणयाए इहभवियाउयं पकरेति । एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाई पकरेति, तं जहा-इहभवियाउयं
च, परभवियाउयं च ॥ ४२१. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाइं पकरेति, तं जहा-इहभवियाउयं च, परभवियाउयं
च ।
जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु। अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि', •एवं भासेमि, एवं पण्णवेमि, एवं° परूवेमि-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं
एगं आउयं पकरेति, तं जहा- इहभवियाउयं वा, परभवियाउयं वा । १. सं० पा०-अमारणत्त जाव पसत्थं । ६. ° आउगं (क)। २. अहा (अ, ता, ब, म)।
७. ° मेतं (ता, म); ° मेवं (स)। ३. सं० पा०—सिज्झति जाव अंतं ।
८. भ० १४२० । ४. कंख° (अ, ब, स)।
६. सं० पा०--एवमाइक्खामि जाव परूवेमि । ५. सं० पा०-खीरणे जाव अंत ।
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भगवई
जं समयं इहभवियाउयं पकरेति, णो तं समयं परभवियाउयं पकरेति । जं समयं परभवियाउयं पकरेति, णो तं समयं इहभवियाउयं पकरेति । इहभवियाउयस्स पकरणताए णो परभवियाउयं पकरेति । परभवियाउयस्स पकरणताए णो इहभवियाउयं पकरेति । एवं खलु एगे जीत्रे एगेणं समएणं एगं आउयं पकरेति, तं जहा-इहभवियाउयं
वा, परभवियाउयं वा ॥ ४२२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव विहरति । कालासवेसियपुत्त-पदं ४२३. तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जे कालासवेसियपुत्ते णामं अणगारे जेणेव
थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते एवं वयासीथेरा सामाइयं न याणंति, थेरा सामाइयस्स अठं न याणंति । थेरा पच्चक्खाणं न याणंति, थेरा पच्चक्खाणस्स अटठं न याति । थेरा संजमं न याणंति, थेरा संजमस्स अटुं न याणंति । थेरा संवरं न याणंति, थेरा संवरस्स अटुं न याति । थेरा विवेगं न याणंति, थेरा विवेगस्स अट्ठ ण याणंति ।
थेरा विउस्सग्गं न याणंति, थेरा विउस्सग्गस्स अटुं न याणंति ।। ४२४. तए णं थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वदासी
जाणामो णं अज्जो ! सामाइयं, जाणामो णं अज्जो ! सामाइयस्स अट्ठ । •जाणामो णं अज्जो ! पच्चक्खाणं, जाणामो णं अज्जो ! पच्चक्खाणस्स अट्ठ । जाणामो णं अज्जो ! संजम, जाणामो णं अज्जो ! संजमस्स अट्ठ। जाणामो णं अज्जो ! संवर, जाणामो णं अज्जो ! संवरस्स अट्ठ। जाणामो णं अज्जो ! विवेगं, जाणामो णं अज्जो ! विवेगस्स अट्ठ ।
जाणामो णं अज्जो ! विउस्सग्गं°, जाणामो णं अज्जो ! विउस्सग्गस्स अट्ठ । ४२५. तते णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे ते थेरे भगवते एवं वयासी-जइ णं
अज्जो ! तुब्भे जाणह सामाइयं, तुब्भे जाणह सामाइयस्स अट्ठे जाव' जइ णं अज्जो ! तुब्भे जाणह विउस्सग्गं, तुब्भे जाणह विउस्सग्गस्स अळं। के भे
१. भ० ०५१। २. भगवं (अ, ब)। ३. सामातियस्स (ता)। ४. सं० पा०-अद्रं जाव जाणामो।
५. जति (अ, क, ब, म)। ६. भ० ११४२३ । ७. ते (ब, म)।
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पढम सतं (नवमो उद्देसो)
अज्जो! सामाइए? के भे अज्जो ! सामाइयस्स अट्टे ? जाव के भे अज्जो !
विउस्सग्गे ? के भे अज्जो! विउस्सर ४२६. तए णं थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी
आया णे अज्जो ! सामाइए, आया णे अज्जो ! सामाइयस्स अट्टे । पाया णे अज्जो ! पच्चक्खाणे, पाया णे अज्जो! पच्चक्खाणस्स अट्ठ । पाया णे अज्जो ! संजमे, पाया णे अज्जो! संजमस्स अट्रे। आया णे अज्जो ! संवरे, पाया णे अज्जो ! संवरस्स अट्ठ। आया णे अज्जो ! विवेगे, आया णे अज्जो ! विवेगस्स अट्ठ॥
प्राया णे अज्जो ! विउस्सग्गे, आया णे अज्जो ! • विउस्सग्गस्स अट्टे ॥ ४२७. तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते एवं वदासी
जइ भे अज्जो ! आया सामाइए, आया सामाइयस्स अट्ठे जाव' आया विउस्सग्गस्स अट्ठ- अवहट्ट कोह-माण-माया-लोभे किमटुं अज्जो ! गरहह' ?
कालासा ! संजमट्ठयाए ॥ ४२८. से भंते ! कि गरहा संजमे ? अगरहा संजमे ?
कालासा ! गरहा संजमे, णो अगरहा संजमे। गरहा वि य णं सव्वं दोसं पविणेति, सव्वं बालियं परिण्णाए । एवं खु णे आया संजमे उवहिते भवति । एवं
खु णे पाया संजमे उवचिए भवति । एवं खु णे आया संजमे उवट्ठिते भवति ।। ४२६. एत्थ णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे संबुद्धे थेरे भगवंते वंदति नमसति, वंदित्ता
नमंसित्ता एवं वयासी-एएसि णं भंते ! पयाणं पुब्वि अण्णाणयाए असवणयाए अबोहीए" अणभिगमेणं अदिट्ठाणं अस्सुयाणं अमुयाणं अविण्णायाणं अव्वोकडाणं' अव्वोच्छिण्णाणं अणिज्जूढाणं अणुवधारियाणं एयमढे नो सद्दहिए नो पत्तिइए नो रोइए। इदाणि भंते ! एतेसि पयाणं जाणयाए सवणयाए बोहीए अभिगमेणं दिवाणं सुयाणं मुयाणं विण्णायाणं वोगडाणं वोच्छिण्णाणं णिज्जूढाणं उव
धारियाणं एयमद्वं सद्दहामि पत्तियामि रोएमि । एवमेयं से जहेयं तुब्भे वदह ।। ४३०. तए णं ते थेरा भगवंतो कालासवेसियपुत्तं अणगारं एवं वयासी-सदहाहि १. सं० पा०–अढे जाव विउस्सग्गस्स। ६. असुयाणं (म); वृत्तौ 'अस्मृतानां' इति २. भ० ११४२३ ।
व्याख्यातमस्ति ।
७. अब्बोगडाणं (अ,ब, स); अवोकडारणं (क,म)। ३. गरहट्ट (ब)।
८. सुयाणं (ब); ४ (म)। ४. कालास (स)।
६. अवधारियाणं (म)। ५. अबोहियाए (अ, स)।
१०. जहेदं (ता)।
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भगवई
जो ! पत्तियाहि प्रज्जो ! रोएहि अज्जो ! से जहे अम्हे बदामी || ४३१. तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वदासी - इच्छामि णं भंते ! तुब्भं अंतिए चाउज्जामाश्रो धम्मा पंचमहवइयं पडिक्कमणं धम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए । हासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥
४३२. तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता चाउज्जामा धम्माल पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्मं उवसंपज्जित्ता गं विहरति ॥ ४३३. तए णं से कालासवेसियपुत्ते प्रणगारे बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणत्ता जस्सट्ठाए कीरइ नग्गभावे मुंडभावे ग्रहणयं श्रदंतवणयं अच्छत्तयं
वाहणयं भूमिसेज्जा फलसेज्जा कट्टसेज्जा केसलोओ बंभचेरवासो परघरप्पवेसो लद्धावली उच्चावया गामकंटगा बावीसं परिसहोवसग्गा हियासिज्जति, तमहं प्राराहेइ, आराहेत्ता चरमेहि उस्सास- नीसासेहिं सिद्धे बुद्धे मुक्के परिनिव्वडे सव्वदुक्खप्पहीणे || अपच्चक्खाण किरियापदं
७२
४३४. भते ति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वदासी - से नृणं भंते ! सेट्ठियस्स' य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य 'समा चेव" अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ?
हंता गोयमा ! सेट्ठियस्स" य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स य समा चेव प्रपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ॥
४३५. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ - सेट्ठियस्स य तणुयस्स य किवणस्स य खत्तियस्स
यसमा चैव प्रपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ?
गोमा ! अविरति पडुच्च । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - सेट्ठियस्स तयस्स' किवणस्स य खत्तियस्स यसमा चेव प्रपच्चक्खाणकिरिया • कज्जइ ॥
श्राहाकम्म-पदं
४३६. 'आहाकम्मं णं" भुजमाणे समणे निग्गथे किं बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ?
१. कुरुष्व इति गम्यम् (वृ) ।
२. अदंतवण्णयं (क);
अतधुवरणयं (ता, ब, स ) ।
३. परिणिव्वुए ( अ, ता, ब ) ; परिणिव्वुते (क, म) 1
४. सेट्ठिस्स (ता, ब ) ; सिट्टिस्स (म ) ।
५. किविरणस्स (ता) |
६. समच्चेव ( ब म ) |
७. सं० पा० - सेट्ठियस्स जाव अपच्चक्खाण° ।
८. सं० पा० - तणुयस्स जाव कज्जइ ।
६.
आहाकम्मे रणं (क); आहाकम्म गं (ता); आहाकं मं गं ( ब ) ; आहाकम्मणं (म) ।
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पढमं सतं (नवमी उद्देसो)
गोयमा ! आहाकम्मं णं भुजमाणे प्राउयवज्जाश्रो सत्त कम्मप्पगडीओ सिढिलबंधणबद्धा धणियबंधण बद्धाम्रो पकरेइ', 'हस्सकाल ठिइयाश्रो दीहकालठिइयाश्रो पकरेइ, मंदाणुभावाओ तिव्वाणुभावाओ पकरेइ, अप्पपएसग्गाओ बहुप्पएसग्गाओ पकरेइ, प्राउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नो बंधइ, अस्साया - वेयणिज्जं च णं कम्मं भुज्जो - भुज्जो उवचिणाइ, प्रणाइयं च णं प्रणवदग्गं दहमद्धं चाउरतं संसार कतारं प्रणुपरियदृइ ||
४३७. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ – आहाकम्मं णं भुंजमाणे आउयवज्जो सत्त कम्मपगडी सिढिलबंधणबद्धा धणियबंधणबद्धाओ पकरेइ जाव' चाउरंतं संसारकंतारं प्रणुपरियट्टइ ?
गोयमा ! आहाकम्मं णं भुंजमाणे श्रायाए धम्मं अइक्कमइ, प्रायाए धम्मं ममाणे पुढविकायं णावकखइ', ग्राउकायं णावकखइ, तेउकायं णावकखइ, वाउकायं णावकखइ, वणस्सइकायं णावकखइ, तसकायं णावकखइ, जेसिपि य णं जीवाणं सरीराई श्राहारमाहारेइ ते वि जीवे णावकखइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वच्चइ - आहाकम्मं णं भुजमाणे प्राउयवज्जाश्रो सत्त कम्पगडीओ सिढिलबंधणवद्धाओ धणियबंधणबद्धाम्रो पकरेइ जाव चाउरंतं संसारकंतारं अणुपरियदृइ ॥
फासु-एस रिज्ज -पदं
४३८. फासु-एसणिज्जं णं भंते ! भुजमाणे समणे निग्गंथे कि बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ?
गोयमा ! फासू-एसणिज्जं णं भुंजमाणे प्राउयवज्जा सत्त कम्मपयडीओ धणियबंधणबद्धा सिढिलबंधणबद्धाम्रो पकरेइ, "दीहका लट्ठिया हस्सकाला पकरेइ, तिव्वाणुभावाश्रो मंदाणुभावाश्रो पकरेइ, बहुप्पएसग्गाग्रो अप्पपएसग्गाम्रो पकरेइ, आउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नबंध, अस्साया यणिज्जं च णं कम्मं नो भुज्जो भुज्जो उवचिणाइ, प्रणादीयं च णं प्रणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतं संसारकंतारं वीईवयइ || ४३६. से केणट्टेण भंते ! एवं बुच्चइ – फासु- एसणिज्जं णं भुंजमाणे प्राउयवज्जाओ सत्त कम्पयडीओ धणियबंधणवद्धा सिढिलबंधणबद्धा पकरेइ जाव' चाउरतं संसारकंतारं वीईवयइ ? गोयमा ! फासू- एसणिज्जं णं
१. सं० पा०—पकरेइ जाव णुपरियट्टाइ । २. भ० १।४३६ ।
३. सं० पा० - गावकखइ जाव तसकायं । ४. सं० पा० - जहा संवुडे, नवरं आउयं च रणं
७३
भुंजमाणे समणे निग्गंथे प्रायाए धम्मं
कम्मं सिय बंधइ सिय गो बंधइ सेसं तहेव जाव वीईars |
५. भ० १।४३८ ।
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७४
भगवई
नाइक्कमइ, आयाए धम्म अणइक्कममाण पुढविकायं' अवकखइ जाव' तसकायं अवकंखइ, जेसि पि य णं जीवाणं सरीराई (आहारं ?) आहारेइ ते वि जीवे अवकंखइ । से तेणठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-फासु-एसणिज्जं णं भुंजमाणे आउयवज्जानो सत्त कम्मपयडीओ धणियबंधणबद्धानो सिढिलबंधणबद्धारो
पकरेइ जाव चाउरतं संसारकंतारं वीईवयइ ।। ४४०. से नणं भंते ! अथिरे पलोट्टइ, नो थिरे पलोट्टइ ? अथिरे भज्जइ, नो थिरे
भज्जइ ? सासए बालए, बालियत्तं असासयं ? सासए पंडिए, पंडियत्तं प्रसासयं? हंता गोयमा ! अथिरे पलोट्टइ', 'नो थिरे पलोट्टइ । अथिरे भज्जइ, नो थिरे भज्जइ । सासए बालए, बालियत्तं असासयं । सासए पंडिए°, पंडियत्तं
प्रसासयं ।। ४४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।
दसमो उद्देसो परसमयवत्तव्वया-पदं ४४२. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति', 'एवं भासंति, एवं पण्णवेंति, एवं
परूवेतिएवं खलु चलमाणे अचलिए। 'उदीरिज्जमाणे अणुदीरिए। वेदिज्जमाणे अवेदिए । पहिज्जमाणे अपहीणे । छिज्जमाणे अच्छिण्णे । भिज्जमाणे अभिण्णे। दज्झमाणे अदडढे । मिज्जमाणे अमए । निजरिज्जमाणे अणिज्जिण्णे। दो परमाणुपोग्गला एगयों न साहण्णंति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयनो न साहण्णंति ? दोण्हं परमाणुपोग्गलाणं नत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो
न साहण्णंति । १. पुढविक्कायं (ता, म, स)।
६. भ० ११५१। २. भ० ११४३७ ।
७. सं० पा०-एवमाइक्खंति जाव परूवेंति । ३. द्रष्टव्यं--भ० ११४३७ सूत्रम्।
८. सं० पा०---अचलिए जाव निज्जरिज्जमाणे । ४. भ० ११४३८ ।
६. एगततो (क, म); एगतो (ता)। ५. सं० पा०—पलोट्टइ जाव पंडियत्तं । १०. णो (ता)।
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पढमं सतं (दसमो उद्देसी )
तिष्णि परमाणुपोग्गला एगयो साहरणंति,
हा तिणि परमाणुपोग्गला एगयत्रो साहरणंति ?
तिन्हं परमाणुपोग्गलाणं प्रत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिष्णि परमाणुपोग्गला साहति ।
एग
ते भिज्जमाणा 'दुहा वि", तिहारं वि कज्जति ।
दुहा कज्जमाणा एगयो दिवड्ढे परमाणुपोग्गले भवइ – एगयो वि दिवड्ढे परमाणुपोग्गले भवइ ।
तिहा कज्जमाणा तिणि परमाणुपोग्गला भवंति । एवं चत्तारि । पंच परमाणुपोग्गला एगयत्रो साहण्णंति, एगयो साहणित्ता दुक्खत्ताए कज्जति । दुक्खे वियणं से सासए सया समितं उवचिज्जइ य, प्रवचिज्जइ य । पुवि भासा भासा । भासिज्जमाणी भासा प्रभासा | भासासमयवितिक्कतं चणं भासिया भासा |
जा सा पुवि भासा भासा । भासिज्जमाणी भासा प्रभासा । भासासमयवितिक्कतं च णं भासिया भासा । सा किं भासो भासा ? अभास भासा ? प्रभास णं सा भासा । नो खलु सा भास भासा ।
दुक्खा । किरियासमय
पुव्वि किरिया दुक्खा । कज्जमाणी किरिया वितिक्कतं च णं कडा किरिया दुक्खा ।
जसा पुव्वि किरिया दुक्खा । कज्जमाणी किरिया दुक्खा । किरियासमयवितिक्कतं च णं कडा किरिया दुक्खा । सा किं करणओ दुक्खा ? प्रकरण दुक्खा ?
ससमयवत्तव्वया-पदं
४४३-से कहमेयं भंते ! एवं ?
७५
अकरणो णं सा दुक्खा । नो खलु सा करणम्रो दुक्खा - सेवं वत्तव्वं सिया । किच्चं दुक्खं, असं दुक्खं, अकज्जमाणकडं दुक्खं प्रकट्टु कट्टु पाणभूय-जीव-सत्ता वेदणं वेदेति - इति वत्तव्वं सिया ।।
१. दुविहा ( ब ) ।
२. तिविहा ( ब, स ) ।
३. किज्जमारा ( ब )
४. एवं जाव ( अ, क, ता, ब, म, स); अत्र 'जाव'
पदं प्रवाहपतितमायातमिति
संभाव्यते । किं च अनेनात्र किञ्चित् ग्राह्य नास्ति ।
५. साहण्णित्ता (ता, ब ) ।
६. समियं ( अ, स ) 1
७. पुव्वं (क, म, स ) ।
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भगवई
गोयमा ! जण्ण' ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव' वेदणं वेदेति-इति वत्तव्वं सिया। जे ते एवमाहंसु, मिच्छा ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि, एवं भासेमि, एवं पण्णवमि, एवं परूवमि-एवं खल चलमाणे चलिए। •उदीरिज्जमाणे उदीरिए । वेदिज्जमाणे वेदिए। पहिज्जमाणे पहीणे । छिज्जमाणे छिण्णे। भिज्जमाणे भिण्णे । दज्झमाणे दड्ढे । मिज्जमाणे मए । निजरिज्जमाणे निज्जिण्णे। दो परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति, कम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति ? दोण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा दो परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णंति। ते भिज्जमाणा दुहा कज्जति । दुहा कज्जमाणा एगयनो परमाणुपोग्गले-- एगयनो परमाणपोग्गले भवति । तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयनो साहणंति, कम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयनो साहण्णंति ? तिण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए, तम्हा तिण्णि परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णंति। ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि कज्जति । दुहा कज्जमाणा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खंधे भवति । तिहा कज्जमाणा तिण्णि परमाणुपोग्गला भवंति । एवं चत्तारि। पंच परमाणपोग्गला एगयनो साहण्णंति । एगयो साहणित्ता खंधत्ताए कज्जति । खंधे वि य णं से असासए सया समितं उवचिज्जइ य, अवचिज्जइ य। पुदिव भासा अभासा, भासिज्जमाणी भासा भासा, भासासमयवितिक्कंतं
च णं भासिया भासा अभासा। १. जणं (ता)।
६. अस्य पाठस्य रचना एवं संभाव्यते२. भ० ११४४२ ।
चत्तारि परमाणपोग्गला एगयओ साहण्णंति, ३. मिच्छं (ता)।
कम्हा चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ ४. सं० पा०-चलिए जाव निज्जरिज्जमाणे। साहणंति ? ५. एवं जाव (अ, क, ता, ब, म, स); अत्र
चउण्हं परमाणुपोग्गलाणं अत्थि सिणेहकाए; 'जाव' पदं प्रवाहपतितमायातमिति तम्हा चत्तारि परमाणुपोग्गला एगयओ संभाव्यते । किं च अनेनात्र किञ्चित् ग्राह्य साहण्णंति । नास्ति ।
ते भिज्जमाणा दुहा वि, तिहा वि,चउहा वि
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पढमं सतं (दसमो उद्देसो)
जा सा पुवि भासा प्रभासा । भासिज्जमाणी भासा भासा, भासासमयवितिक्कतं च णं भासिया भासा प्रभासा । सा किं भासो भासा ? अभास भासा ?
भासो णं भासा, नो खलु सा प्रभासश्रो भासा ।
पुव्वि किरिया दुक्खा । कज्जमाणी किरिया दुक्खा । किरिया समयवितिक्कतं च णं कज्जमाणी किरिया दुक्खा |
जा सा पुव्विं किरिया दुक्खा । कज्जमाणी किरिया दुक्त्वा । किरिया - समयवितिक्कतं च णं कज्जमाणी किरिया दुक्खा । सा किं करण दुक्खा ? करण दुक्खा ?०
करण णं सा दुक्खा । नो खलु सा प्रकरणम्रो दुक्खा - सेवं वत्तव्वं सिया । किच्चं दुक्खं, फुसं दुक्खं, कज्जमाणकडं दुक्खं, कट्टु-कट्टु पाण-भूय-जीवसत्ता वेदणं वेदेति - इति वत्तव्वं सिया ||
इरियावहिया संपराइया-पदं
४४४. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खति, एवं भासंति, एवं पण्णवेंति, एवं परूवेंति - एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरिया पकरेति, तं जहा - इरियावहियं च, संपराइयं च ।
0
जं समयं इरियावहियं पकरेइ, तं समयं संपराइयं पकरेइ ।
• "जं समयं संपराइयं पकरेइ, तं समयं इरियावहियं पकरेइ ।
७७
४४५. से कहमेयं भंते ! एवं ?
इरिया हियाए पकरणयाए संपराइयं पकरेइ ।
संपराइयाए पकरणयाए इरियावहियं पकरेइ ।
एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरिया पकरेति, तं जहा - इरियावहियं च, संपराइयं च ॥
कज्जति । दुहा कज्जमारणा एगयओ दुपए सिए खंधे - एगयओ विदुपए सिए खंधे | अहवा एगयओ तिपएसिए खंधे - एगयओ परमाणुपोग्गले भवइ ।
गोमा ! जणं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति, एवं भासंति, एवं पण्णवेंति,
तिहा कज्जमारणा एगयओ दुपएसिए खंधे--- एगयओ एगे - एगे परमाणुपोग्गले भवइ । चउहा कज्जमाणा चत्तारि परमाणुपोग्गला भवंति ।
१. सं० पा० - जहा भासा तहा भारिणयव्वा किरिया विजाव करणओ ।
२. सं० पा०-- एवमाइक्खति जाव एवं ३. रिया० ( अ, ता, व, म) ।
४. सं० पा० – परउत्थियवत्तव्वं गेयत्वं ससमयवत्तव्वयाए यव्वं जाव इरियावहियं; 'क', 'ता' संकेतितयोरादर्शयोवृत्तौ च संक्षिप्तपाठो लभ्यते । शेषादशेषु वृत्तिकृता विस्तारं नीतः
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७८
भगवई
एवं परूवेंति-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियानो पकरेति, जाव' इरियावहियं च. संपराइयं च । जे ते एवमाहंसु । मिच्छा ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि, एवं भासेमि, एवं पण्णवेमि, एवं परूवेमि --एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एक्कं किरियं पकरेइ, तं जहा-इरियावहियं वा, संपराइयं वा । जं समयं इरियावहियं पकरेइ, नो तं समयं संपराइयं पकरेइ । जं समयं संपराइयं पकरेइ नो तं समयं इरियावहियं पकरे।। इरियावहियाए पकरणयाए नो संपराइयं पकरेइ। संपराइयाए पकरणयाए नो इरियावहियं पकरेइ । एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं किरियं पकरेइ, तं जहा.-इरिया
वहियं वा, संपराइयं वा ।। उपपात-पदं ४४६. निरयगई णं भंते ! केवतियं कालं विरहिया उववाएणं पण्णत्ता ?
___ गोयमा ! जहणणं एक्कं समय, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता ॥ ३४७ एवं वकंतीपयं भाणियव्वं निरवसेसं ।। ४४८. सेवं भंते ! सेवं भंते त्ति जाव' विहरइ ।
पाठो दृश्यते । अत्र च ११४२०, ४२१ सूत्रा-
नुसारेण स पूर्ति नीतोस्ति । १. भ. ११४४४ ।
२. प० ६। ३. भ० ११५१ ।
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संगी-गाहा
१ 'ऊसास खंदए विय, २ समुग्धाय ३४ पुढविदिय ५ अण्णउत्थि ६ भासा य । ७ देवा य ८ चमरचंचा, ६,१० समय क्खित्तत्थिकाय बीयस " ॥ १ ॥ उक्खेव - पदं
बीसतं
पढमो उद्देस
१. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णामं नयरे होत्था - वण्णो । सामी समोसढे | परिसा निग्गया । धम्मो कहियो । पडिगया परिसा ||
सासु-सास-पदं
२. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवग्रो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी जाव पज्जुवासमाणे एवं वदासी
जे इमे भंते ! बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया पंचिदिया जोवा, एएसि णं प्रणामं वा पाणामं वा उस्सास वा निस्सासं वा जाणामो पासामो ।
जे इमे पुढविकाइया जाव वणप्फइकाइया - एगिंदिया जीवा, एएसि णं प्रणामं वा पाणामं वा उस्सास वा निस्सासं वा न याणामो न पासामो । एए णं भंते! जीवा ग्राणमंति वा ? पाणमंति वा ? ऊससंति वा ? नीससंति वा ?
१. X ( अ, ता, ब, म, स ) ।
२. ओ० सू० १ ।
हंता गोयमा ! एए वि णं जीवा प्राणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा, नीससंति वा ॥
३. भ० १६, १० ।
४. भ० १।४३७ ।
७६
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८०
भगवई
३. किण्णं भंते ! एते जीवा प्राणमंति वा? पाणमंति वा? ऊससंति वा ? नीस
संति वा ? गोयमा ! दव्वो ' अणंतपएसियाइं दव्वाइं, खेत्तनो असंखेज्जपएसोगाढाइं, कालो अण्णय रठितियाई, भावनो वण्णमंताई गंधमंताई रसमंताई फासमंताई
प्राणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा, नीससंति वा । ४. जाइं भावग्रो वण्णमंताइ प्राणमंति वा, पाणमंति वा ऊससंति वा, नीससंति
वा ताई कि एगवण्णाइं जाव' कि पंचवण्णाइं प्राणमंति वा? पाणमंति वा? ऊससंति वा ? नीससंति वा ? गोयमा ! ठाणमग्गणं पडुच्च एगवण्णाइं पि जाव पंचवण्णाइं पि आणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा, नीससंति वा। विहाणमग्गणं पडुच्च कालवण्णाई पि जाव सुक्किलाई पि आणमंति वा, पणमंति वा, ऊससंति
वा, नीससंति वा । आहारगमो नेयव्वो' जाव५. पुढविकाइया णं भंते ! कइदिसं आणमंति वा? पाणमंति वा ? ऊससंति
वा ? नीससंति वा ? गोयमा ! निव्वाघाएणं छद्दिसि , वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि सिय चउदिसिं
सिय पंचदिसि ।। ६. किण्णं भंते ! नेरइया प्राणमंति वा ? पाणमंति वा ? ऊससंति वा ? नीससंति
वा ? तं चेव जाव नियमा छदिसि प्राणमंति वा, पाणमंति वा, ऊससंति वा,
नीससंति वा॥ ७. जीव-एगिदिया वाधाय-निव्वाघाया च भाणियव्वा । सेसा नियमा छद्दिसि ।। ८. वाउयाए णं भंते ! वाउयाए चेव प्राणमंति वा ? पाणमति वा ? ऊससंति वा ?
नीससंति वा ? हंता गोयमा ! वाउयाए ण 'वाउयाए चेव प्राणमंति वा, पाणमंति वा,
ऊससंति वा°, नीससंति वा ।। वाउकायस्स कायट्टिइ-पदं ६. वाउयाए णं भंते ! वाउयाए चेव अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव
भुज्जो-भुज्जो पच्चायाति ? १. किं रणं (ता)।
५, ६, ७. प० २८।१। २. दवओ रणं (अ, म, स)।
८. प० २८।१। ३. ०ठितीयाई (अ, क, ता, ब, म, स)।
६. प० २८।१। v मं० पा०-एगवण्णाई आरणमति वा पाग-१.. .पा.वायारागां जावनीसमंति । मंति वा ऊससंति वा नीससंति वा आहारगमो नेयव्वो जाव पंचदिसं।
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बीसतं (पढमो उद्देसो)
हंता गोयमा' ! 'वाउयाए णं वाउयाए चेव प्रणेगसयस हस्सखुत्तो उद्दाइत्ताउद्दात्त तत्थेव भुज्जो - भुज्जो' पच्चायाति ॥ पुट्ठे उद्दाति ? गोयमा ! पुढे उद्दाति, नो पुट्ठे उद्दाति ॥
१०. से भंते ! कि पुट्ठे उद्दाति ?
११. से भंते ! कि ससरीरी निक्खमइ ? असरीरी निक्खमइ ?
गोयमा ! सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय सरीरी निक्खमइ ॥
१२. से केणट्टेणं भंते ! एवं वच्चइ - सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय सरीरी निक्खमइ ?
८१
गोयमा ! वाउयायस्स णं चत्तारि सरीरया पण्णत्ता, तं जहा - प्रोरालिए, वेव्विए तेय, कम्मए । श्रोरालिय-वेउब्वियाई विप्पजहाय तेयय-कम्मएहिं निक्खमइ । से तेणट्ठेणं गोयमा ! एवं वच्चइ - सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय सरीरी निक्खमइ ||
माइ-नियंठ-पदं
१३. मडाई णं भंते ! नियंठे नो निरुद्धभवे, नो निरुद्धभवपवंचे, नो पहीणसंसारे, नो पहीणसंसारवेयणिज्जे, नो वोच्छिण्णसंसारे, नो वोच्छिण्णसंसारवेयणिज्जे, नो निट्ठियट्ठे नो निट्ठियट्ठकर णिज्जे पुणरवि इत्थत्थं हव्वमागच्छइ ? हंता गोयमा ! मडाई णं नियंठे नो निरुद्धभवे, नो निरुद्धभवपवंचे, नो पहीणसंसारे, नो पहीणसंसारवेयणिज्जे, नो वोच्छिण्णसंसारे, नो वोच्छिण्णसंसारवेय णिज्जे, नो निट्ठियट्ठे, नो निट्ठियट्ठकरणिज्जे पुणरवि इत्थत्थं *
हव्वमागच्छइ ।।
१४. से णं भंते ! किं ति वत्तव्वं सिया ?
गोयमा ! पाणे त्ति वत्तव्वं सिया । भूए त्ति वत्तव्वं सिया । जीवेत्ति वत्तव्वं सिया । सत्ते त्ति वत्तव्वं सिया । विष्णु त्ति वत्तव्वं सिया । 'वेदे त्ति " वत्तव्वं सिया । पाणे भूए जीवे सत्ते विष्णू वेदे त्ति वत्तव्वं सिया ।। १५. से केणट्ठेणं पाणे त्ति वत्तव्वं सिया जाव वेदे त्ति वत्तव्वं सिया ?
गोयमा ! जम्हा आणमइ वा, पाणमइ वा, उस्ससइ वा, नीससइ वा तम्हा पाणेत्ति वत्तव्वं सिया ।
जहा भूते भवति भविस्सति य तम्हा भूए त्ति वत्तव्वं सिया ।
१. सं० पा० गोयमा जाव पच्चायाति ।
२. मडादी ( ता ) ।
३. ० पबंधे ( ब ) |
४. इत्यत्त' ( अ, ता, ब, स वृपा); इत्तत्थं
( क ); वृत्तौ ' इत्यर्थ - एनमर्थम्' इति व्या
ख्यातमस्ति तेन तत्रापि इत्तत्थमिति पाठ: संभाव्यते ।
५. विन्नुय ( ब ) ।
६. वेदाति (क, ता, ब, म ) ।
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८२
भगवई
जम्हा जीवे जीवति', जीवत्तं प्राउयं च कम्मं उवजीवति तम्हा जीवे त्ति वत्तव्वं सिया |
जम्हा सत्त सुभासुभेहिं कम्मेहिं तम्हा सत्ते त्ति वत्तव्वं सिया । जम्हा 'तित्तकडुकसायंबिलमहुरे रसे " जाणइ तम्हा विष्णुत्ति वत्तव्वं सिया ।
१६. मडाई णं भंते ! नियंठे निरुद्धभवे, निरुद्ध भवपवंचे', 'पहीणसंसारे, पहीणसंसारवेय णिज्जे, वोच्छिण्णसंसारे, वोच्छिण्णसंसारवेय णिज्जे, निट्ठियट्ठे, निट्ठियट्ठकरणिज्जे नो पुणरवि इत्थत्थं हव्वमागच्छइ ?
हंता गोयमा ! मडाई णं नियंठें निरुद्धभवे, निरुद्धभवपवंचे, पहीणसंसारे, पहीणसंसारवेयणिज्जे, वोच्छिण्णसंसारे, वोच्छिण्णसंसारवेयणिज्जे, निट्ठियट्ठे, निट्ठियट्ठकरणिज्जे • नो पुणरवि इत्थत्थं हव्वमागच्छइ ॥
१७. से णं भंते ! किं ति वत्तव्वं सिया ?
गोमा ! सिद्धेत्ति वत्तव्वं सिया । बुद्धेत्ति वत्तव्वं सिया । मुत्ते त्ति वत्तव्वं सिया । पारगए त्ति वृत्तव्वं सिया । परंपरगए त्ति वृत्तव्वं सिया । सिद्धे बुद्धे तिकडे ' सव्वदुक्खप्पहीणे त्ति वत्तव्वं सिया ||
१८. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नम॑सति,
वंदित्ता नमसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति ॥
१६. तए णं समणे भगवं महावीरे रायगिहाम्रो नगराम्रो गुणसिलाओ चे श्राश्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणव यविहारं विहरइ ॥
जम्हा वेदेतिय सुह- दुक्खं तम्हा वेदे त्ति वत्तव्वं सिया । से तेणट्ठेणं पाणे त्ति वत्तव्वं सिया जाव वेदेत्ति वत्तव्वं सिया ॥
खंदकहा- पद
२०.
२१.
तेणं काणं तेणं समएणं कथंगला नामं नगरी होत्था - वण्णो ॥
तीसे णं कयंगलाए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए छत्तपलासए नाम चेइए होत्था - वणो ॥
२२. तए णं समणे भगवं महावोरे उप्पन्ननाणदंसणधरे" रहा जिणे केवली जेणेव कयंगला नयरी जेणेव छत्तपलासए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता
१. जीवेति ( क ) ।
. २. उवजीवेइ ( ब ) ।
३. ० कटु ० ( ब ) ; ° महुररसे (ता, म ) ।
४. तेजाव ( अ, क, ता, ब, म) । ५. सं० पा० – निरुद्धभवपवंचे जाव निट्ठियं । ६. सं० पा० - नियंठे जाव नो ।
७. अंतगडे ( क ) ।
८. ओ० सू० १ ।
६. ओ० सू० २-१३ ।
१०. सं० पा० - उप्पन्ननारणदंसगधरे जाव समोसरणं ।
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बीअं सतं (पढमो उद्देसो)
अहापडिरूवं प्रोग्गहं अोगिण्हइ, अोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे
विहरइ जाव' ० समोसरणं । परिसा निग्गच्छइ ।। २३. तीसे णं कयंगलाए नयरीए अदूरसामंते सावत्थी नामं नयरी होत्था-वण्णयो। २४. तत्थ णं सावत्थीए नयरीए गहभालस्स' अंतेवासी खंदए नाम कच्चायणसगोत्तं
परिव्वायगे परिवसई-रिव्वेद -जजुव्वेद-सामवेद-अहव्वणवेद -इतिहास-पंचमाणं निघंटुछट्ठाणं-- चउण्हं वेदाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं सारए धारए पारए सडंगवी सद्वितंतविसारए, संखाणे सिक्खा-कप्पे वागरणे छंदे निरुत्ते जोतिसामयणे, अण्णेसु य बहूसु बंभण्णएसु" परिव्वायएसु य नयेसु सुपरिनिट्ठिए
या वि होत्था ।। २५. तत्थ णं सावत्थीए नयरीए पिंगलए नामं नियंठे वेसालियसावए परिवसइ॥ २६. तए णं से पिंगलए नाम नियंठे वेसालियसावए अण्णया कयाइ जेणेव खंदए
कच्चायणसगोत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खंदगं कच्चायणसगोत्तं इणमक्खेवं पच्छे-मागहा ! १. किं सग्रंते लोए ? अणते लोए ? २. सते जीवे ? अणंते जीवे ? ३. सग्रंता सिद्धी ? अणंता सिद्धी ? ४. सते सिद्धे ? अणंते सिद्धे ? ५. केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ?-एतावताव आइक्खाहि
वुच्चमाणे एवं ॥ २७. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते पिंगलएणं नियंठेणं वेसालियसावएणं इणम
क्खेवं पुच्छिए समाणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने णो संचाएइ पिंगलयस्स नियंठस्स वेसालियसावयस्स किंचि वि पमोक्ख
मक्खाइउं, तुसिणीए संचिट्ठइ ॥ २८. तए णं से पिंगलए नियंठे वेसालियसावए खंदयं कच्चायणसगोत्तं दोच्चं पि
तच्चं पि इणमक्खेवं पुच्छे-मागहा !
१. प्रो० सू० १६-५१ ।
(ब, वृ); धारए (वृपा)। २. ओ० सू०१।
६. जोतिसांअयणे (ता)। ३. गद्दभालिस्स (ब)।
१०. बम्हण्णए (क)। ४. खंडए (ब)।
११. वेसालीसावए (क, ता); वेसालियस्सावए ५. वसइ (अ)। ६. रिउव्वेद (अ, ब, स); रिजूव्वेद (क)। १२. कयाए (स)। ७. अथव्वण (अ); अत्थव्वेय (क); अथव्ववेद १३. मागधा (ता)। __(ता, म); अहव्वेद (ब)।
१४. संते (ता)। ८, वारए धारए (अ, क, म, स); वारए १५. एतावता (अ, क, ब); एत्तावताव (ता, म)।
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________________ 84 भगवई 1. किं सते लोए ? 'अणते लोए ? 2. सनंते जीवे ? अणंते जीवे ? 3. सग्रंता सिद्धी ? अणंता सिद्धी ? 4. सग्रंत सिद्धे ? अणते सिद्धे ? ' 5. केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ?-एतावताव प्राइक्खाहि वुच्चमाणे एवं / / 26. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते पिंगलएणं नियंठेणं वेसालियसावएणं दोच्चं पि तच्चं पि इणमक्खेवं पच्छिए समाणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने णो संचाएइ पिंगलस्स नियंठस्स वेसालियसावयस्स किंचि वि पमोक्खमक्खाइउं, तुसिणीए संचिट्ठइ / / 30. तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडग'-'तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह° . पहेसु महया जणसंमद्दे इ वा जणवूहे इ वा 'जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मी इ वा जणुक्कलिया इ वा जणसण्णिवाए इ वा बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ, एवं भासेइ, एवं पण्णवेइ, एवं परूवेइएवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे प्राइगरे जाव सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपाविउकामे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इहसंपत्ते इहसमोसढे इहेव कयंगलाए नयरीए बहिया छत्तपलासए चेइए अहापडिरूवं प्रोग्गहं अोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तं महप्फलं खलु भो देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्सवि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए? एगस्सवि पारियरस धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पूण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए ? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगल देवयं चेइयं पज्जुवासामो। एयं णे पेच्चभवे इयभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ त्ति कटु बहवे उग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोगपुत्ता एवं दुप्पडोयारेणं-राइण्णा खत्तिया माहणा भडा जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता, अण्णे य बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभितो जाव महया उक्किट्ठसीहनाय-बोल-कलकलरवेणं पक्खुभियमहासमु दर वभूयं पिव करेमाणा सावत्थीए नयरीए मझमझेणं निग्गच्छति // 31. तए णं तस्स खंदयस्स कच्चायणसगोत्तस्स बहुजणस्स अंतिए एयमटुं सोच्चा निसम्म इमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था 1. सं० पा०-लोए जाव केण / 2, 0 गिछिए (अ)। 3. सं० पा०-सिंघाडग जाव पहेसु / 4. deg सद्दे (अ, म, वृपा)। 5. सं० पा०-जगवूहे इ वा परिसा निग्गच्छइ / 6. भ०१७ / 7. ओ० सू० 52 /
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बसतं ( पढमो उद्देसो)
८५.
'एवं खलु समणे भगवं महावीरे कयंगलाए नयरीए बहिया छत्तपलासए चेइए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि नम॑सामि" । सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्ता, नमसित्ता सक्कारेत्ता सम्मणेत्ता कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासित्ता इमाई च णं एयारूवाइं अट्ठाई हेऊइं परिणाइं कारणाई' वागरणाई पुच्छित्तए त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता जेणेव परिव्वायगावसह तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिदंड च कुंडियं च कंचणियं च करोडियं च भिसियं च केसरियं च छण्णालयं च अंकुसयं च पवित्तयं च गणेत्तियं च छत्तयं च वाहणाओ' य पाउयाओ' य धाउरताय गेहइ, गेव्हित्ता परिव्वायावसहाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता तिदंड - कुंडिय-कंचणिय-करोडिय - भिसिय- केसरिय छण्णालय- अंकुसय पवित्तय-गणेत्तियहत्थगए, छत्तोवाहणसंजुत्ते, धाउरत्तवत्थपरिहिए सावत्थीए नयरीए मज्भंमज्भेणं निग्गच्छर, निग्गच्छित्ता जेणेव कयंगला नगरी, जेणेव छत्तपलासए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव पहारेत्थ गमणाए ।
३२. गोयमाइ ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासीदच्छसि णं गोयमा ! पुव्वसंगइयं ।
भंते ! ?
खंदयं नाम ।
से काहे वा ? किह वा ? केवच्चिरेण वा ?
३३. एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नामं नगरी होत्थावण्ण" । तत्थ णं सावत्थीए नयरीए गद्दभालस्स अंतेवासी खंदए नामं कच्चायणसगोते परिव्वायए परिवसइ । तं चेव जाव" जेणेव ममं अंतिए, तेणेव पहारेत्थ गमणाए । से अदूरागते" बहुसंपत्ते श्रद्धाणपडिवण्णे अंतरा पहे वट्टइ । ग्रज्जेव णं दच्छिसि गोयमा !
३४. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वदासी --पहूणं भंते ! खंदए कच्चायणसगोत्ते देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे
१. X ( क, ता, व ) ।
२. X ( अ, ब, म ) ।
३. छहालयं (ता) ।
४. पवित्तियं (क) ।
५. पाहणा (ता) ।
६. ओवाइय ( सू० ११७) सूत्रे 'पाउयाओ' इति पदं नास्ति, प्रस्तुतप्रकरणे पि किंचिदग्रे 'छत्तोवाहरणसंजुत्त' इत्यत्रापि तन्नास्ति ।
७. ० वाराह ( क ) 1
०दि (क, ता, म) |
८.
६. कंत ( अ, क, ता) ।
१०. ओ० सू० १ ।
११. भ० २।२५ ३१ ।
१२. अदूराइते ( क ) ; अदूरियाते (व) 1 १३. दिच्छसि (अ स ) ; दच्छसि (म) |
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भगवई
भवित्ता' अगाराप्रो अणगारियं पव्वइत्तए ?
हंता पभू ॥ ३५. जावं च णं समणे भगवं महावीरे भगवो गोयमस्स एयमटुं परिकहेइ, तावं च
णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते तं देसं हव्वमागए ॥ ३६. तए णं भगवं गोयमे खंदयं कच्चायणसगोत्तं अदरागतं जाणित्ता खिप्पामेव
अब्भुटेति, अब्भुटेत्ता खिप्पामेव पच्चुवगच्छइ, जेणेव खंदए कच्चायणसगोत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खंदयं कच्चायणसगोत्तं एवं वयासी-हे खंदया ! सागयं खंदया ! सुसागयं खंदया ! अणुरागयं खंदया ! सागयमणुरागयं खंदया ! से नणं तुम खंदया ! सावत्थीए नवरीए पिंगलएणं नियंठेणं वेसालियसावएणं इणमक्खेवं पुच्छिए-मागहा ! कि सअंते लोगे ? अणते लोगे ? एवं तं चेव जाव' जेणेव इहं, तेणेव हव्वमागए । से नूणं खंदया ! 'अद्वै समठे' ?"
हंता अत्थि ॥ ३७. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते भगवं गोयम एवं वयासी---'से केस णं
गोयमा" ! तहारूवे नाणी वा तवस्सी वा, जेणं तव एस अट्ठे मम ताव रहस्स
कडे हव्वमक्खाए, जो णं तुमं जाणसि ? ३८. तए णं से भगवं गोयमे खंदयं कच्चायणसगोत्तं एवं वयासी --एवं खलु खंदया !
ममं धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे उप्पण्णनाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियाणए सव्वण्णू सव्वदरिसी जेणं मम एस
अछे तव ताव रहस्सकडे हव्वमक्खाए, जो णं अहं जाणामि खंदया ! ३६. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते भगवं गोयम एवं वयासी-गच्छामो णं
गोयमा ! तव धम्मायरियं धम्मोवदेसयं समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो •सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगल देवयं चेइयं पज्जुवासामो।
अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ ४०. तए णं से भगवं गोयमे खंदएणं कच्चायणसगोत्तेणं सद्धि जेणेव समणे भगवं महा
वीरे, तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ ४१. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे वियट्टभोई" यावि होत्था ॥
१. भवित्ता णं (क, ता, ब, स) ।
७-अत्थे समत्थे (क, वृ); अढे समटे (वृपा)। २. आगारानो (अ, क, ब, स)।
८. से केणं गोयमा (अ, ब); केस णं गोयमा ३. अदूरआगय (अ, ब, स); अदूरमागतं (ता)। से (ता)। ४. पच्चुगच्छइ (अ, क, ता, म); पत्थुगच्छइ ६. आय (ता)। (ब)।
१०. सं० पा०-- नमसामो जाव पज्जुवासामो। ५. रेफस्य आगमिकत्वात् (वृ)।
११. वियट्टभोति (अ, ता, ब, म, स)। ६, भ० २।२६-३५।
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बीअसतं ( पढमो उद्देसो)
४२. तए णं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स वियट्टभोइस्स' सरीरयं प्रोरालं सिंगारं कल्लाणं सिवं धन्नं मंगल्लं प्रणलंकियविभूसियं लक्खण- वंजण-गुणोववेयं सिरीए अतीव-प्रतीव उवसोभेमाणं चिट्ठइ ॥
४३. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते समणस्स भगवप्रो महावीरस्स वियट्टभोइस्स सरीरयं प्रोरालं "सिंगारं कल्लाणं सिवं धन्नं मंगल्लं प्रणलंकियविभूसियं लक्खण-वंजण-गुणोववेयं सिरीए अतीव प्रतीव उवसोभेमाणं पासइ, पासित्ता हट्ठट्ठचित्तमादिए मंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाहिए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण -पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, दत्ता नमसित्ता पच्चासन्ने नातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणणं पंजलियडे पज्जुवासइ ||
४४. खंदयाति ! समणे भगवं महावीरे खंदयं कच्चायणसगोत्तं एवं वयासी - से नूणं तुम दया ! सावत्थीए नयरीए पिंगलएणं नियंठेणं वेसालियसावएणं इणमक्खेवं पुच्छिए – मागहा !
१. किं सते लोए ? प्रणते लोए ? २ सयंते जीवे ? प्रणते जीवे ? ३. सता सिद्धी ? अनंता सिद्धी ? ४. सते सिद्धे ? अणते सिद्धे ? ५. केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ? एवं तं चेव जाव' जेणेव ममं अंतिए तेणेव हव्वमा गए । से नूणं खंदया ! अट्ठे समट्ठे ?
हंता थि ||
४५. जे विय ते खंदया ! प्रथमेयारूवे प्रभत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए कप्पे समुपज्जित्था - कि सते लोए ? प्रणते लोए ? - तस्स वि य णं श्रयमट्ठेएवं खलु मए खंदया ! चउव्विहे लोए पण्णत्ते, तं जहा - दव्वप्रो, खेत्तो, कालो, भावो ।
व्व णं एगे लोए सांते ।
असंखे
खेत्तस्रो णं लोए असंखेज्जाश्रो जोयणकोडाकोडीग्रो प्रायाम - विक्खंभेणं, ज्जाश्रो जोयणको डाकोडी परिक्खेवेणं पण्णत्ते, प्रत्थि पुण से अंते । का गं लोए न कयाइ न ग्रासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ - भविसु य, भवति य, भविस्सइ य - धुवे नियए' सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निच्चे, नत्थि पुण से अंते ।
१. विट्टाभोगिस्स (ता, ब, म ) ।
२. मंगल्लं सस्सिरीयं ( क ) । ३. सं० पा० - प्रोरालं जाव श्रतीव ।
४. X ( अ, क, ब, म, स ) । ५. पीतमणे ( अ, स ) ।
८७
६. परमसोमसिए ( अ, क, ता, ब, म, स) 1 ७. सं० पा० – करेइ जाव पज्जुवासइ ।
८. भ० २।२६-३५ ॥
६. णितिए ( अ, क, ता ); तिए ( ब ) ।
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भगवई
भावप्रो णं लोए अणंता वण्णपज्जवा, अणंता गंधपज्जवा, अणंता रसपज्जवा, अणंता फासपज्जवा, अणंता संठाणपज्जवा, अणंता गरुयलहुयपज्जवा, अणंता अगरुयलहुयपज्जवा, नत्थि पुण से अंते । सेत्तं खंदगा' ! दव्वरो लोए सते, खेत्तनो लोए सते, कालो लोए अणंते,
भावो लोए अणते ॥ ४६. जे वि य ते खंदया' ! 'अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे
समुप्पज्जित्थाकि सअंते जीवे ? • अणंते जीवे ? तस्स वि य णं अयमठे एवं खलु •मए खंदया ! चउब्विहे जीवे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वरो, खेत्तो, कालो, भावप्रो । दव्वरो णं एगे जीवे सअंते। खेत्तो णं जीवे असंखेज्जपएसिए, असंखेज्जपएसोगाढे, अत्थि पुण अंते । कालो णं जीवे न कयाइ न आसी', 'न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइभविसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए निच्चे, नत्थि पुण' से अंते। भावप्रो णं जीवे अणंता नाणपज्जवा, अणंता दंसणपज्जवा, अणंता चारित्तपज्जवा, अणंता गरुयलहुयपज्जवा, अणंता अगरुयलहुयपज्जवा, नत्थि पुण से अंते। सेत्तं खंदगा ! दव्वनो जीवे सते, खेत्तनो जीवे सते, कालो जीवे अणंते,
भावप्रो जीवे अणते ॥ ४७. जे वि य ते खंदया ! 'अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे
समुप्पज्जित्थाकि सग्रंता सिद्धी ? अणंता सिद्धी ? तस्स वि य णं अयमठे । एवं खलु मए खंदया ! चउव्विहा सिद्धी पण्णता, तं जहा-दव्वरो, खेत्तयो, कालो, भावग्रो । दव्वनो णं एगा सिद्धी सघता। खेत्तनो णं सिद्धी पणयालीसं जोयणसयसहस्साइं आयामविक्खंभेणं, एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं तीसं च सहस्साई दोण्णि य अउणापन्नजोयणसए किचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ता, अत्थि पुण से अंते ।
१. ४ (क, ब)। २. सं० पा०-खंदया जाव अरणंता। ३. सं० पा०-खलु जाव दव्वओ।
४. सं० पा०-आसी जाव निच्चे। ५. पुणाइ (ता, ब, म)। ६. सं० पा०-खंदया पुच्छा।
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८४
४८.
बीअं सतं (पढमो उद्देसो)
कालो णं सिद्धी न कयाइ न आसी', 'न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ —भविंसु य, भवति य, भविस्सइ य–धु वा नियया सासया अक्खया अव्वया अवट्ठिया निच्चा, नत्थि पुण सा अंता । भावनो ण सिद्धीए अणंता वण्णपज्जवा, अणता गंधपज्जवा, अणंता रसपज्जवा, अणंता फासपज्जवा, अणंता संठाणपज्जवा, अणंता गरुयलहुयपज्जवा, अणंता अगरुयलहयपज्जवा, नत्थि पूण सा अंता। सेत्तं खंदया ! °दव्वनो सिद्धी सअंता, खेत्तनो सिद्धी सग्रंता, कालो सिद्धी अणंता, भावो सिद्धी अणता॥ जे वि य ते खंदया' ! 'अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्थाकिं सते सिद्धे ? अणंते सिद्ध ? तस्स वि य णं अयमठे –एवं खलु मए खंदया ! चउविहे सिद्धे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वरो, खेत्तो, कालो, भावप्रो । दव्वो णं एगे सिद्धे सयंते ।। खेत्तनो णं सिद्धे असंखेज्जपएसिए, असंखेज्जपएसोगाढे, अत्थि पुण से अंते । कालो णं सिद्धे सादीए, अपज्जवसिए, नत्थि पुण से अंते । भावनो णं सिद्धे अणंता नाणपज्जवा, अणंता सणपज्जवा, अणंता' अगरुयलहुयपज्जवा, नत्थिपु ण से अंते।। सेत्तं खंदया ! दव्वनो सिद्धे सअंते, खेत्तो सिद्धे सते, कालो सिद्धे अणते, भावो सिद्धे अणते ॥ जे वि य ते खंदया ! इमेयारूवे अज्झथिए चितिए •पत्थिए मणोगए संकप्पे सम्प्पज्जित्था-- केण वा मरणेणं मरमाणे जीवे वड्ढति वा, हायति वा ? तस्स वि य णं अयमढें—एवं खलु खंदया ! मए दुविहे मरणे पण्णत्ते, तं जहा-बालमरणे य, पंडियमरणे य । से कि तं बालमरणे ? बालमरणे दुवालसविहे पण्णत्ते, तं जहा१. बलयमरणे २. वसट्टमरणे ३. अंतोसल्लमरणे ४. तब्भवमरणे ५. गिरिपडणे ६. तरुपडणे ७. जलप्पवेसे ८. जलणप्पवेसे ६. विसभक्खणे १०. सत्थोवाडणे
१. सं० पा०-कालओ य भावओ य जहा चेव जाव दव्वयो। लोयस्स तहा भाणियव्वा, तत्थ।
३. जाव पज्जवा (अ, क, ता, ब, म, स)। २. सं० पा० खंदया जाव किं अणते सिद्धे तं ४. सं० पा०—चितिए जाव सम्प्पज्जित्था ।
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भगवई
११. वेहाणसे १२. गद्धपढे इच्चेतेणं खंदया ! दुवालसविहेणं बालमरणेणं मरमाणे जीवे अणंतेहि नेरइयभवग्गहणेहि अप्पाणंसंजोएइ, अणंतेहिं तिरियभवग्गहणेहि अप्पाणं संजोएइ, अणतेहिं मणुयभवग्गहणेहि अप्पाणं संजोएइ, अणंतेहिं देव भवग्गहणेहि अप्पाणं संजोएइ, अणाइयं च णं अणवदग्गं' चाउरतं संसारकतारं अणपरियट्टइ । सेत्तं मरमाणे वड्ढइ-वड्ढइ । सेत्तं बालमरणे। से कि तं पंडियमरणे ? पंडियमरणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा—पायोवगमणे य, भत्तपच्चक्खाणे य । से कि तं पाओवगमणे? पाअोवगमणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–नीहारिमे य, अनीहारिमे य । नियमा अप्पडिकम्मे। सेत्तं पायोवगमणे। से कि तं भत्तपच्चक्खाणे? भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-नीहारिमे य, अनीहारिमे य। नियमा सपडिकम्मे । सेत्तं भत्तपच्चक्खाणे । इच्चेतेणं खंदया ! दुविहेणं पंडियमरणेणं मरमाणे जीवे अणंतेहि नेरइयभवग्गहणेहि अप्पाणं विसंजोएइ', 'अणंतेहिं तिरियभवग्गहणेहि अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहि मणुयभवग्गहणेहि अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहिं देवभवग्गहणेहि अप्पाणं विसंजोएइ, प्रणाइयं च णं अणवदग्गं चाउरतं संसारकतारं० वीईवयइ । सेत्तं मरमाणे हायइ-हायइ ।। सेत्तं पंडियमरणे।
इच्चेएणं खंदया ! दुविहेणं मरणेणंमरमाणे जीवे वड्ढइ वा, हायइ वा ॥ ५०. एत्थ णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते संबुद्धे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ,
वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासो-इच्छामि णं भंते ! तुब्भं अंतिए केवलिपण्णत्तं धम्म निसामित्तए।
अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ ५१. तए णं समणे भगवं महावीरे खंदयस्स कच्चायणसगोत्तस्स, तीसे य महइमहा
लियाए परिसाए धम्म परिकहेइ । धम्मकहा भाणियव्वा ।।
१. अरणवयग्गं (अ, ब); अणवइग्गं (म)। २. पाओय० (ता, म)।
३. सं० पा-विसंजोएइ जाव वीईवयइ। ४. ओ० सू० ७१-७७ ।
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बीसतं (पढमो उद्देसो)
१
५२. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठ' 'चित्तमाणं दिए मंदिऐ पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवस विसप्पमाण हियए उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्राहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासीसहामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते ! निग्गंथ पावयणं, रोएमि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं,
भुट्ठेमिणं भंते! निग्गंथं पावयणं ।
एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते ! सेजयं तुभेवदह त्ति कट्टु समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभायं प्रवक्कमइ, प्रवक्कमित्ता तिदंडं च कुंडियं च जा' धारा एगंते एडेइ, एडेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण -पयाहिणं करेइ, करेत्ता' 'वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-आलित्ते णं भत्ते ! लोए, पलित्ते णं भंते ! लोए, लित्त - पलित्ते णं भंते ! लोए जराए मरणेण य ।
से जहानामए केइ गाहावई अगारंसि भियायमाणंसि जे से तत्थ भंडे भवइ अप्पभारे' मोल्लगरुए", तं गहाय आयाए एगंतमंत अवक्कमइ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा य'' हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए प्रणुगामियताए भविस्सइ ।
एवामेव देवाणुप्पिया ! मज्झ वि आया एगे भंडे इट्ठे कंते पिए मणुण मणा थेज्जे वेस्सासिए सम्मए 'बहुमए अणुमए" भंडकरंडगस माणे, माणं सीयं, माणं उन्हं, माणं खुहा, माणं पिवासा, मा णं चोरा, माणं वाला, माणं दंसा, मामा, माणं वाइय-पित्तिय-सेंभिय-सन्निवाइय' विविहा रोगायका परीस
१. सं० पा० हट्टतुट्ठे जाव हियए; (क) 1
०
हिदये जातं स्यात् । अर्थमीमांसया भारपदस्यैवात्र
संगतिर्वर्तते ।
२. भ० २।३१ ।
३. सं० पा०—करेत्ता जाव नमंसित्ता ।
४. अप्पसारे ( अ, क, ता, ब, स वृ); एतत् परिवर्तन लिपिहेतुकं संभाव्यते । वृत्तिकारेण परिवर्तितः पाठो लब्धः, तथैव व्याख्यातः । अथवा वृत्तावपि भारस्य साररूपेण परिवर्तनं
५. ०
गुरु (क, स ) ।
६. पुराए (, ता, ब); पुरा (क, म ) ।
७. घेज्जे (अ); पेज्जे (म) ।
८. अणुम बहुमए (ता) ।
६. इह प्रथमा बहुवचनलोपो दृश्यः (वृ) ।
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भगवई
होवसग्गा फुसतु त्ति कटु एस मे' नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ । तं इच्छामि णं देवाणप्पिया ! सयमेव पव्वावियं, सयमेव मंडावियं, सयमेव सेहावियं, सयमेव सिक्खावियं, सयमेव आयार-गोयरं विणय-वेणइय-चरण
करण-जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं ।। (३. तए णं समणे भगवं महावीरे खंदयं कच्चायणसगोत्तं स यमेव पव्वावेइ, सयमेव
मुंडावेइ, सयमेव सेहावेइ, सयमेव सिक्खावेइ, सयमेव आयार-गोयरं विण यवेणइय-चरण-करण-जायामायावत्तियं° धम्म माइक्खइ-एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं, एवं चिट्ठियव्वं, एवं निसीइयव्वं, एवं तुयट्टियव्वं, एवं भुजियव्वं, एवं भासियव्वं, एवं उट्ठाय-उट्ठाय पाणेहिं भूएहिं जीवेहि सत्तेहिं संजमेणं
संजमियव्वं, अस्सि च णं अटठे णो किंचि विपमाइयव्वं ।। ५४. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते समणस्स भगवनो महावीरस्स इमं एयारूवं
धम्मियं उवएसं सम्म संपडिवज्जइ-तमाणाए तह गच्छइ, तह चिट्ठइ, तह निसीयइ, तह तुयट्टइ, तह भुजइ, तह भासइ, तह उट्ठाय-उट्ठाय पाणेहि भूएहि
जीवेहिं सत्तेहिं संजमेणं संजमेइ, अस्सि च णं अह्र णो पमायइ ।। ५५. तए णं से खंदए कच्चायणसगोत्ते अणगारे जाते--इरियासमिए भासासमिए
एसणासमिए पायाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाणजल्ल-पारिद्वावणियासमिए मणसमिए वइसमिए कायसमिए मणगुत्ते वइगुत्ते कायगुत्ते गुत्ते गुत्तिदिए गुत्तबंभयारी चाई लज्जू धन्ने खंतिखमे जिइंदिए सोहिए अनियाणे अप्पुस्सुए अबहिल्लेसे सुसामण्णरए दंते इणमेव निग्गंथं पावयणं पुरो
काउं विहरइ।। ५६. तए णं समणे भगवं महावीरे कयंगलायो नयरीनो छत्तपलासाप्रो चेइयानो पडि
निक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ॥ ५७. तए णं से खंदए अणगारे समणस्स भगवनो महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए
सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवाग च्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए।
१. परिस्सहो० (ता, म)।
६. X (अ, ब, स)। २. x (अ, क, ता, ब, म)।
७. वय° (अ)। ३. वित्तियं धुवं (क); वित्तियं (ता,म,स)। ८. लज्ज (अ, ब)। ४. सं० पा०—पवावेइ जाव धम्म । ६. सामाइगमादियाति (क, ब); सामातिय५. ° माइक्खाइ (अ, ता, ब, स)।
मातियाइं (स)।
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बीअं सतं (पढमो उद्देसो)
अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ ५८. तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हठे
जाव नमंसित्ता मासियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरइ। ५६. तए णं से खंदए अणगारे मासियं भिक्खुपडिम अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं
अहातच्चं अहासम्म सम्म काएण फासेइ पालेइ सोभेइ तोरेइ पूरेइ किट्रेइ अणपालेइ आणाए पाराहेइ, सम्म काएण फासेत्ता' •पालेत्ता सोभेत्ता तोरेत्ता पूरेत्ता कित्ता अणपालेत्ता आणाए° पाराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं' 'महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे दोमासियं भिक्खुपडिम उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए। - अहासूहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबधं । तं चेव ।। ६०. एवं तेमासियं, चउम्मासियं, पंचमासियं, छम्मासियं, सत्तमासियं, पढमसत्तरा
तिदियं, दोच्चसत्तरातिदियं, तच्चसत्तरातिदियं, रातिदियं', एगरातियं । ६१. तए णं से खंदए अणगारे एगरातियं भिक्खुपडिम अहासुत्तं जाव पाराहेत्ता जेणेव
समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीर •वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- इच्छामि णं भंते ! तब्भेहि अब्भणण्णाए समाणे गणरयणसंवच्छरं तवोकम्मउवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए।
या ! मा पडिबंधं ।। ६२. तए णं से खंदए अणगारे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे हट्ठ
तुठे जाव नमंसित्ता गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं उवसंपज्जित्ता णं विहरति, तं जहा--- पढमं मासं चउत्थंचउत्थेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे आयावणभूमीए पायावेमाणे, रत्ति वीरासणेणं अवाउडेण य । दोच्चं मासं छठेछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणुक्कुडुए सूराभिमुहे पायावणभूमीए पायावेमाणे, रत्ति वीरासणेणं अवाउडेण य ।
१. भ० २०५२। २. x (ता, म, वृ); समं (म, स); स्थानाङ्गे
(७१३) 'अहासम्म' इति पदं नास्ति, केवलं 'सम्म' वर्तते। ३. सं० पा०-फासेत्ता जाव आराहेत्ता । ४. सं० पा०-भगवं जाव नमंसित्ता। ५. भ० २१५८, ५६ । चेव एवं दोमासियं
(अ, क, ता, ब, म, स)। ६. भ० २।५८-५९ । ७. अहोरातिदियं (अ, ता, म, स)। ८. एगरातिदियं (अ, क, म, स)। ६. भ० २१५६ । १०. सं० पा०-महावीरं जाव नमंसित्ता। ११. गुणरयणं (क, ता, म, स)। १२. भ० २।५२ ।
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भगवई
एवं तच्चं मासं अट्ठमंअट्टमेणं । चउत्थं मासं दसमंदसमेणं । पंचमं मासं बारसमंबारसमेणं। छटुं मासं चउद्दसमंचउद्दसमेणं । सत्तमं मासं सोलसमंसोलसमेणं । अट्ठमं मासं अट्ठारसमंअट्ठारसमेणं । नवम मासं वीस इमंवीसइमेणं । दसमं मासं बावीसइमंबावीसइमेणं । एक्कारसमं मासं चउवीसइमंचउवीसइमेणं । बारसमं मासं छव्वीसइमंछव्वीसइमेणं । तेरसमं मासं अट्ठावीसइमंअट्ठावीसइमेणं । चउद्दसमं मासं तिसइमंतिसइमेणं । पण्णरसमं मासं बत्तीसइमबत्तीसइमेणं । सोलसं मासं चोत्तीसइमंचोत्तीसइमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं दिया ठाणक्कुडुए सूराभिमुहे पायावणभूमीए पायावेमाणे, रत्ति वीरासणेणं अवाउडेण य।। तए णं से खंदए अणगारे गुणरयणसंवच्छरं तवोकम्मं अहासुत्तं अहाकप्पं जाव' आराहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता बहूहि चउत्थ-छठ्ठट्ठम-दसमदुवालसेहि, मासद्धमासखमणेहि विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे
विहरइ । ६४. तए णं से खंदए अणगारे तेणं अोरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं कल्लाणेणं
सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरीएणं उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं उदारेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मसे अट्ठि-चम्मावण द्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए यावि होत्था । जीवंजीवेणं गच्छइ, जीवंजीवेणं चिट्ठइ, भासं भासित्ता वि गिलाइ, भासं भासमाणे गिलाइ, भासं भासिरसामीति गिलाइ। से जहानामए कट्ठसगडिया इ वा, पत्तसगडिया इ वा, पत्त-तिल-भंडगसगडिया" इ वा, एरंडकट्ठसगडिया इ वा, इंगालसगडिया' इ वा–उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी ससदं गच्छइ, ससई चिट्ठइ, एवामेव खंदए' अणगारे ससह गच्छइ, ससदं चिट्ठइ, उवचिए तवेणं अवचिए मंस-सोणिएणं, हुयासणे विव भासरासिपडिच्छण्णे तवेणं, तेएणं, तव-तेयसिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणे
उवसोभेमाणे चिट्ठइ ॥ ६५. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे समोसरणं जाव परिसा पडिगया ।। ६६. तए णं तस्स खंदयस्स अणगारस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि
धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चितिए' पत्थिए मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था
१. भ० २।५६ । २. भुक्खे (अ, म)। ३. ० किडिय° (अ, ब)। ४. तिलसंठगसगडिया (वृपा) ।
५. इंगालकट्ठ सगडिया (अ, ब)। ६. खंदए वि (ता, म)। ७. ओ० सू० १६-८० । ८. सं० पा-चितिए जाव समुप्पज्जित्था ।
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बीयं सतं (पढमो उद्देसो)
एवं खलु अहं इमेणं एयारूवेणं अोरालेणं' विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरीएणं उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं उदारेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठि-चम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए° किसे धमणिसंतए' जाए। जीवंजीवेणं गच्छामि, जीवंजीवेणं चिट्ठामि', 'भासं भासित्ता वि गिलामि, भासं भासमाणे गिलामि, भासं भासिस्सामीति गिलामि। से जहानामए कट्ठसगडिया इ वा, पत्तसगडिया इ वा, पत्त-तिल-भंडगसगडिया इ वा, एरंडकट्ठसगडिया इ वा, इंगालसगडिया इ वा-उण्हे दिण्णा सुक्का समाणी ससदं गच्छइ, ससई चिट्ठइ°, एवामेव अहं पि ससई गच्छामि, ससई चिट्ठामि । तं अत्थि ता मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे तं जावता मे अस्थि उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए, फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मिलियम्मि अहपंडुरे पभाए, रत्तासोयप्पकासे, किसुय-सूयमूह-गंजद्धरागसरिसे, कमलागरसंडबोहए, उट्रियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते समणं भगवं महावीरं वंदित्ता नम सित्ता •णच्चासन्ने णातिदूरे सुस्सूसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे पज्जुवासित्ता समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुग्णाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाणि आरोवेत्ता, समणा य समणीयो य खामेत्ता तहारूवेहिं थेरेहिं कडाईहिं सद्धिं विपुलं पव्वयं 'सणियं-सणियं" दुरुहित्ता मेहघणसंनिगासं देवसन्निवातं पुढवीसिलापट्टयं पडिलेहित्ता, दब्भसंथारगं संथरित्ता दब्भसंथारोवगयस्स संलेहणासणाझूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पाअोवगयस्स कालं अणवकंखमाणस्स विहरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खत्तो आयाहिण -पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वदित्ता नमसित्ता णच्चासन्ने णातिदरे
सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे ° पज्जुवासइ॥ १. उरालेणं (क, ता, म, स); सं० पा०- ६. ० प्पगासे (क); ° संकासे (ता)। ओरालेणं जाव किसे।
७. सं० पा०-नमंसित्ता जाव पज्जुवासित्ता। २. धवणि ° (क, ता, ब, म)।
८. सरिणतं सणितं (क)। ३. सं० पा०-चिट्ठामि जाव गिलामि जाव ६. दुहित्ता (क, म); दू हित्ता (ता); रुहित्ता ___ एवामेव।
(ब); दुरूहित्ता (स)। ४. रतणीए (ता)।
१०. मेघ० (अ)। ५. अहपंडरे (अ, ता, ब); अहापंडुरे (स)। ११. सं० पा०–महावीरे जाव पज्जुवासइ ।
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भगवई
६६
६७. खंदयाइ ! समणे भगवं महावीरे खंदयं अणगारं एवं वयासी - से नूणं तव खंदया ! पुव्वरत्तावरत्त कालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे • समुप्पज्जित्था - एवं खलु ग्रहं इमेणं एयारूवेणं तवेणं प्रोरालेणं विउलेणं तं चेव जाव' कालं प्रणवकखमाणस्स विहरित्तए त्ति कट्टु एवं संपेहेसि, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव* उम्म सूरे सहस्रस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते जेणेव ममं अंतिए तेणेव हव्वमागए । से नूणं खंदया ! अट्ठे समट्ठे ? हंता प्रत्थि ।
हासु देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥
६८. तए ण से खंदए अणगारे समणेण भगवया महावीरेण प्रब्भणुण्णाए समाणे हट्ठतुट्ठ" "चित्तमादिए दिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण • हियए उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण -पया - हिणं करेइ', करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता सयमेव पंच महाव्वयाई ग्रारुहेइ, आरुहेत्ता समणा य समणीओ य खामेइ, खामेत्ता तहारूवेहि थेरेहिं कडाईहि सद्धि विपुलं पव्वयं सनियं-सणियं द्रुहइ, दुहित्ता मेहघणसन्निगासं देवसन्निवात पुढविसिलापट्टयं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिले हेत्ता दब्भसंथारगं संथरइ, संथरिता पुरत्याभिमुहे संपलियंक निसणे करयपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं वयासीनमोत्थु णं अरहंताणं भगवंताणं जाव' सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपत्ताणं । नमोत्थु णं समणस्स भगवप्रो महावीरस्स जाव" सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपाविउकामस्स |
वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए, पासउ मे भगवं तत्थगए इहगयं ति कट्टु वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी - पुव्विं पि मए समणस्स भगवओो महावीरस्स अंतिए सव्वे पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए जाव" मिच्छादंसणसल्ले पच्चक्खाए जावज्जीवाए। इयाणि पि य णं समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए
१. पुव्वरत्तावररत्त० ( क ); सं० पा० - पुव्वरत्तावरत जाव जागरमाणस्स ।
२. सं० पा० - अज्झत्थिए जाव समुप्पजित्था ।
३. भ०२।६६ ।
४. भ० २।६६ ।
५. सं० पा० - हट्ट तुटु जाव हियए ।
६. सं० पा० - करेइ जाव नमसित्ता ।
७. आरुभेइ (क, म) |
८. कडादीहिं ( अ, ब, स ) ; कडायीहिं (ता, म ) । ६० वट्टयं ( अ, क, म, स) ।
१०. औ० सू० २१ ।
११. ओ० सू० २१
१२. मे से (क, ब, म, स ) ।
१३. भ० १।३८४ ।
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बीअं सतं (पडमो उद्देसो)
६७ सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जावज्जीवाए जाव मिच्छादसणसल्लं पच्चक्खामि जावज्जीवाए। सव्व असण-पाण-खाइम-साइम-चउव्विह पि आहार पच्चक्खामि जावज्जोवाए। जंपि य इमं सरोरं इटठं कंतं पियं जाव' मा णं वाइयपित्तिय-सेभिय-सन्निवाइय' विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्ति कटु एयं पिणं चरिमेहि उस्सास-नीसासेहि वोसिरामि त्ति कटु संलेहणाझूसणाझसिए
भत्तपाणपडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरइ॥ ६६. तए णं से खंदए अणगारे समणस्स भगवो महावीरस्स तहारूवाणं थेराणं अंतिए
सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाइं अहिज्जित्ता, बहुपडिपुण्णाई दुवालसवासाई सामग्णपरियागं पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सठ्ठि भत्ताई
अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते पाणुपुव्वीए कालगए। ७०. तए ण ते थेरा भगवंतो खंदयं अणगारं कालगयं जाणित्ता परिनिव्वाणवत्तियं
काउसग्गं करेंति, करेत्ता पत्त-चीवराणि गेण्हंति, गेण्हित्ता विपुलाओ पव्वयानो सणियं-सणियं पच्चोरुहंति', पच्चोरुहित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी– एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी खंदए नाम अणगारे 'पगइभद्दए पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे विणीए । से णं देवाणुप्पिएहि अब्भणुण्णाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाणि
आरुहेत्ता, समणा' य समणीयो य खामेत्ता, अम्हेहिं सद्धि विपुलं पव्वयं० सणियं-सणियं हित्ता जाव' मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सदि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते ° प्राणुपुवीए कालगए। इमे
य से आयारभंडए॥ ७१. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी–एवं खलु देवाणु प्पियाणं अंतेवासी खंदए नाम अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए ? कहि उववण्णे ? गोयमाइ ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वदासी–एवं खलु
१. भ० २०५२।
इति द्विरुक्तमस्ति तेन औपपातिकपाठ एव २. द्रष्टव्यं २।५२ सूत्रस्य पादटिप्पणम् ।
समीचीनोस्ति। ३. पच्चोसक्कंति (स)।
६. आरोवेत्ता (अ, क, ता, ब, स); पारोहेत्ता ४. अलीणे (क, ब)।
(म)। ५. औपपातिके (६१, ११९) एतावान एव ७. समणे (अ, ता, ब, म)।
पाठोस्ति । अत्र केषुचिदादर्शषु 'पगइमउए ८. सं० पा०-पव्वयं तं चेव निरवसेसं जाव पगइविणीए' इति पाठोप्यस्ति तथा 'मिउ- आणपुवीए । महवसंपन्ने भद्दए विपीए' इत्यपि वर्तते। ६. भ० २।६८, ६६ ।
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m
भगवई
गोयमा ! मम अंतेवासी खंदए नाम अणगारे पगइभद्दए पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपण्णे अल्लीणे विणीए °, से णं मए अब्भणुण्णाए समाणे सयमेव पंच महव्वयाई प्रारुहेत्ता' 'जाव' मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सट्ठि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समा
हिपत्ते कालमासे कालं किच्चा अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववण्णे ।। ७२. तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता तत्थ णं खंदयस्स
वि देवस्स बावीसं सागरोवमाई ठिई पण्णत्ता ।। ७३. से णं भंते ! खंदए देवे तानो देवलोयाप्रो आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं
अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणं अंतं करेहिति ।।
बीओ उद्देसो समुग्घाय-पदं ७४. कइ णं भंते ! समुग्घाया पण्णत्ता?
गोयमा ! सत्त समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा–१. वेदणासमुग्घाए २. कसायसमुग्घाए ३. मारणंतियसमुग्घाए ४. वेउव्वियसमुग्घाए ५. तेजससमुग्घाए ६. आहारगसमुग्धाए ७. केवलियसमुग्घाए। छाउमत्थियसमुग्घायवज्ज' समुग्घायपदं नेयव्वं ।।
१. सं० पा०-पगइभद्दए जाव सेणं ।
भावियप्पणो केवली समुग्घाए जाव-सासतं, २. स० पा०–आरुहेत्ता तं चेव सव्वं अविसे सितं अणागयद्धं चिट्ठति ? समुग्घायपदं नेयव्वं यव्वं जाव आलोइय० ।
(अ, ब)। ३. भ० २।६८, ६६ ।।
६. सूत्रकृता प्रज्ञापनायाः 'मणस्सा जहा जीवा, ४. गमिहिति (अ, ब, स); गच्छिही (ता)। नवरं-मरणसमुग्धाएणं समोहया असंखेज्ज५. एवं समुग्घायपदं छाउमित्थयसमुग्घायवज्जं गुणा' इत्येव पाठोत्र विवक्षितः, अतः परवर्ती
भारिणयव्वं जाव-वेमारिणयाणं। कसाय- - छाद्मस्थिकसमुद्घातप्ररूपकपाठो नात्र अधिसमुग्घाया, अप्पाबहुयं । अरणगारस्स रणं भंते ! . कृतोस्ति । द्रष्टव्यम्-प्रज्ञापना, पद ३६ ।
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बीअं सतं (चउत्थो उद्देसो)
तइभो उद्देसो पुढवि-पदं ७५. कइ णं भंते ! पुढवीनो पण्णत्तायो ?
गोयमा ! सत्त पुढवीरो पण्णत्तानो, तं जहा--१. रयणप्पभा २. सक्करप्पभा ३. बालुयप्पभा ४. पंकप्पभा ५. धूमप्पभा ६. तमप्पभा ७. तमतमा।
जीवाभिगमे नेरइयाणं जो बितिम्रो उद्देसो सो नेयव्वो' जाव७६. 'किं सव्वे पाणा उववण्णपुव्वा ?'३
हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो ।।
चउत्थो उद्देसो इंदिय-पदं ७७. कइ णं भंते ! इंदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता, तं जहा-१. सोइंदिए २. चक्खिं दिए ३. पाणिदिए
४ रसिदिए ५. फासिदिए । पढमिल्लो इंदियउद्देसओ नेयव्वों जाव'७८. अलोगे णं भंते ! किणा फुडे ? कतिहिं वा काएहि फुडे ?
काइया
१. जी० ३।२।
इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए २. अतोने ‘क, ता, म' संकेतितादर्शषु 'पुढवी निरयावाससयसहस्सेसु इक्कमिक्कसि निरया
ओगाहित्ता, निरया संठाणमेव बाहल्लं । जाव वासंसि सव्वे पाणा सव्वे भूया सव्वे जीवा कि' एवं पाठो वर्तते। शेषादर्शषु 'बाहल्लं' सव्वे सत्ता पुढविकाइयत्ताए जाव वरणस्सइइति पदस्याग्रे 'विक्खंभ-परिक्खेवो, वण्णो गंधो काइयत्ताए, नेरइयत्ताए उववण्णपुव्वा ? य फासो य जाव कि' एवं पाठोस्ति । वृत्ति- ४. प०१५।१। कृता एका टिप्पणी कृतास्ति-सूत्रपुस्तकेषु ५. अतोग्रे सर्वादशॆषु 'संठाणं बाहल्लं पोहत्तं च पूर्वार्द्धमेव लिखितं, शेषाणां विवक्षितार्थानां जाव अलोगे' इति पाठोस्ति, इह च सूत्रपुस्तयावच्छब्देन सूचितत्वात् । असौ गाथा जीवा- केषु द्वारत्रयमेव लिखितं, शेषास्तु तदर्था
भिगमस्य नारकद्वितीयोद्देशकार्थसंग्रहपरा वर्तते यावच्छब्देन सूचिता : (१) । ३. अत्र संक्षिप्तपाठः । जीवाभिगमे (३२) पूर्ण- ६. प० १५।१ ।
पाठः एवमस्ति
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१००
भगवई
गोमा ! नो धमत्थिकाएणं फुडे जाव' नो ग्रागासत्थिकारणं फुडे, ग्रागासत्थिकायस्स देसेणं फुडे ग्रागासत्थिकायस्स पदेसेहि फुडे, नो पुढविकाइएणं फुडे जाव' नो श्रद्धासमणं फुडे, एगे प्रजीवदव्वदेसे अगुरुलहुए प्रणतेहिं अगुरुलहुयगुहि संजुत्ते सव्वगासे प्रगत भागणे ॥
परिचाररणा - वेद-पदं
७६. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमा इक्वंति भासंति पण्णवंति परूवेंति
१. एवं खलु नियंठे कालगए समाणे देवम्भूएणं' अप्पाणेणं से णं तत्थ नो अण्णे देवे, नो असि देवाणं देवी 'श्रभिजुंजिय- अभिजुंजिय" परियारेइ, नो अप्पणिच्चिया देवी ग्रभिजुंजिय-अभिजुंजिय परियारेइ, ग्रप्पणामेव प्रप्पाणं विउब्विय - विउब्विय परियारेइ ।
२. एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं दो वेदे वेदेइ, तं जहा - इत्थिवेदं
च, पुरिसवेदं च ।
जं समयं इत्थवेयं वेएइ तं समयं पुरिसवेयं वेएइ ।
पंचमो उद्देसो
जं समयं पुरिसवेयं वेइ तं समयं इत्थिवेयं वेएइ ।
इथिवेस वेणा पुरिसवेयं वेएइ, पुरिसवेयस्स वेयणाए इत्थिवेयं वेएइ |
o
एवं खलु एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं दो वेदे वेदेइ, च, पुरिसवेदं च ॥
'जहा - इत्थवेद
८०. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! जं णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खति जाव' इत्थिवेदं च, पुरिसवेदं च । जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु । ग्रहं पुण गोयमा ! एवमाइ - क्खामि भासामि पण्णवेमि परूवेमि
१. प० १५।१ ।
२. प० १५।१ ।
३. प्राकृतत्वात् भकारस्य द्वित्वम् । ४. अहिजिय ( ब ) ।
५. अप्परगो ० ( अ, क, ता, ब); अप्पिरिणच्चि - याओ (वृ); अप्पणिज्जियाओ (ठा० ३।९ ) । ६. सं० पा० एवं परउत्थियवत्तव्वया यव्वा जाव इत्थवेदं ।
७. भ० २७६ ।
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बीसतं (पंचमो उद्देसो)
१०१
१. एवं खलु नियंठे कालगए समाणे ग्रण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उवव - त्तारो भवति' – महिड्ढिएसु महज्जुतीएसु महाबलेसु महायसेसु महासोक्खे सु° महाणुभागे दूरगतीसु चिरट्ठितीएसु । से णं तत्थ देवे भवइ महिड्दिए जाव' दस दिसा उज्जोएमाणे पभासेमाणे' 'पासाइए दरिसणिज्जे प्रभिरूवे पडवे । से णं तत्थ ग्रण्णे देवे, अण्णेसि देवाणं देवी अभिजुंजिय-अभिजुंजिय परियारेइ, अप्पणिच्चिया देवी अभिजुजिय- अभिजुंजिय परियारेइ, नो पणामेव अप्पाणं विउब्विय विउब्विय परियारेइ ।
२. एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं एगं वेदं वेदेइ, तं जहा - इत्थिवेदं वा, पुरिसवेदं वा ।
जं समयं इत्थवेदं वेदेइ नो तं समयं पुरिसवेदं वेदेइ ।
जं समयं पुरिसवेदं वेदेइ, नो तं समयं इत्थिवेदं वेदेइ । इत्थवेदस्स उदएणं नो पुरिसवेदं वेदेइ, पुरिसवेदस्स उदएणं नो इत्थिवेदं वेदेइ ।
एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एवं वेदं वेदेइ, तं जहा - इत्थीवेदं वा, पुरिसवेदं वा ।
इत्थी इत्थिवेदेणं उदिण्णेणं पुरिसं पत्थेइ । पुरिसो पुरिसवेदेणं उदिण्णेणं इथे । दो वि अण्णमण्णं पत्थेति तं जहा - इत्थी वा पुरिसं, पुरिसे वा इत्थि ॥
गभ-पदं
८१. उदगणं भंते ! उदगब्भे त्ति कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एकं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा ॥
८२. तिरिक्खजोणियगब्भे णं भंते! तिरिक्खजोणियगब्भे त्ति काल गोमा ! जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं प्रट्ठ संवच्छराई ॥ ८३. मणुस्सीगब्भे णं भंते! मणुस्सोगभे त्ति कालो केवच्चिरं होइ ? गोमा ! जहणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बारस संवच्छराई ॥ ८४. कायभवत्थे णं भंते ! कायभवत्थे त्ति कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं चउवीसं संवच्छराई ॥
१. प्राकृतशैल्या उपपत्ता भवतीति दृश्यम् (वृ) । २. सं० पा०—– महिड्डिएसु जाव महाणुभागेसु । ३. ठा० ८।१०।
O
केवच्चिरं होइ ?
४. सं० पा० - प्रभासेमाणे जाव पडिरूवे । ५. अप्पर च्चियो ( अ, क, ता, ब ) । ६. उदगगब्भे ( अ, ब, स ) ; दगगब्भे (वृपा ) |
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भगवई
८५. मणुस्स-पंचेंदियतिरिक्खजोणियबीए णं भंते ! जोणिब्भूए केवतियं कालं संचिट्ठइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता ।। ८६. एगजीवे णं भंते ! एगभवग्गहणेणं केवइयाणं पुत्तत्ताए हव्वामागच्छइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं इक्कस्स वा 'दोण्ह वा तिण्ह' वा, उक्कोसेणं सयपुहत्तस्स'
जीवा णं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति ॥ ८७. एगजीवस्स णं भंते ! एगभवग्गहणेणं केवइया जीवा पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं
जीवा णं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति ॥ ८८. से केणठेणं भंते ! एवं वुच्चइ जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्को
सेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए ° हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! इत्थीए' पुरिसस्स य कम्मकडाए जोणीए मेहुणवत्तिए नामं संजोए समुप्पज्जइ । ते दुहरो सिणेहं 'चिणंति, चिणित्ता तत्थ णं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए हव्वमागच्छंति । से तेणठेणं 'गोयमा ! एवं वुच्चइ-जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि
वा, उक्कोसेणं सयसहस्सपुहत्तं जीवा णं पुत्तत्ताए ° हव्वामागच्छंति ॥ ८९. मेहणण्णं भंते ! सेवमाणस्स केरिसए असंजमे कज्जई ?
गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे रूयनालियं वा बूरनालिय" वा तत्तेणं
कणएणं समभिद्धंसेज्जा, एरिसएणं गोयमा ! मेहुणं सेवमाणस्स असंजमे कज्जइ॥ १०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ ॥ ११. तए णं समणे भवगं महावीरे रायगिहारो नगरानो गुणसिलामो चेइयायो
- पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।। तंगियानयरी-समणोवासय-पदं ६२. तेणं कालेणं तेणं समएणं तुगिया नामं नयरी होत्था--वण्णो ॥ १३. तीसे णं तुंगियाए नयरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे२ पुप्फवतिए नामं
चेइए होत्थावण्णो" ॥
१. दोण्हं वा तिण्हं (अ, स)। २. पुहुत्तस्स (क, स)। ३. एगजीव० (स)। ४. सं० पा०-वुच्चइ जाव हव्व० । ५. इत्थीए य (क, ता, ब, म)। ६. संचिणंति, संचिणित्ता (म)। ७. सं० पा०—तेणटेणं जाव हव्व० । 5. मेहुणं (अ); मेहुणेणं (स)।
६. केरिसे (अ, ता, ब, स)। १०. रूबनालियं (क); रूयण्णालियं (ता); रूव
णालियं (म)। ११. पूर० (ता, ब)। ११. भ० १।५१ । १२. ओ० सू०१। १३. दिसाभागे (क)। १४. ओ० सू० २-१३।
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बीमं सतं (पंचमो उद्देसो) ६४. तत्थ णं तुंगियाए नयरीए बहवे समणोवासया परिवसंति–अड्ढा दित्ता वित्थि
ण्णविपुलभवण-सयणासण-जाणवाहणाइण्णा बहुधण-बहुजायरूव-रयया आयोगपयोगसंपउत्ता विच्छड्डियविपुलभत्तपाणा बहुदासी-दास-गो-महिस-गवेलयप्पभूया बहुजणस्स अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्ण-'पावा पासव'-संवर-निज्जर-किरियाहिकरणबंध-पमोक्खकसला असहेज्जा देवासरनागसुवण्ण जक्ख रक्खस्सकिन्नरकिंपुरिसगरुलगंधव्वमहोरगादिएहि देवगणेहिं निग्गंथानो पावयणानो' अणतिक्कमणिज्जा, निग्गंथे पावयणे निस्संकिया निक्कंखिया निव्वितिगिच्छा लद्धट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा अभिगयट्ठा विणिच्छियट्ठा अद्विमिंजपेम्माणुरागरत्ता" अयमाउसो! निग्गंथे पावयणे अछे अयं परमर्से सेसे अणठे, ऊसियफलिहा अवंगुयदुवारा 'चियत्तंतेउरघरप्पवेसा'२ चाउद्दसट्ठसुद्दिट्ठपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्मं अणुपालेमाणा, समणे निग्गंथे फासु-एसणिज्जेणं असण-पाण-'खाइम-साइमेणं'१४ वत्थपडिग्गह-कंबल-पायपुंछणणं पीढ-फलग-सेज्जा-संथारएणं 'प्रोसह-भेसज्जेणं'१५ पडिलाभेमाणा बहूहि सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोवबासेहिं अहापरिग्गहिएहि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणा विहरंति ॥
१. पावासव (ता)।
वाक्यरचनायाः सम्बन्धयोजनार्थं च 'त्रैर्युक्ता २. निज्जरा (अ)।
इति गम्यम्' इति उल्लिखितम् । किन्तु ३. हिगरणकुसला (अ)।
ओवाइय - रायपसेणइयसूत्रयोरवलोकनेन ४. प्पमोक्ख० (क, ता, म, स), मोक्ख° प्रतीयते असौ पाठः 'पडिलाभेमाणा' (ब)।
इति पदस्यानन्तरं युज्यते । ओवाइयसूत्रे ५. असहेज्ज (अ, क, ता, ब, म, स); असा- (१२०) 'पडिलाभेमाणे सीलव्वय-गुण
हाय्यास्ते च ते देवादयश्चेति कर्मधारयः वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहि अहापअथवा व्यस्तमेवेदम् (वृ)।
रिग्गहिएहि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे'। ६. ° महोरगादी (अ, म, स)।
रायपसेणइयसूत्रे (६६८) 'पडिलाभेमाणे ७. पवयणाओ (ब)।
बहहिं सीलब्बय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण८. निवितिगिछिया (ता)।
पोसहोववासेहि अप्पाणं भावेमाणे।' अनयोः ६. लट्ठिा (ब)।
पाठयोराधारेण अत्रापि असौ पाठः 'पडिला१०. ० प्पेमाणुराव ° (ता)।
भेमारणा' इति पदस्यानन्तरं गृहीतः । ११. अपंगुय ° (क); अवंगुत ° (म)। १३. चाउद्दसि ° (ता)। १२. चियत्तंतेउरपरघर ° (ता)। अतोग्रे सर्वेषु १४. खातिम-सातिमेणं (ब, स)।
आदर्शषु 'बहूहिं सीलव्वय-गुण-वेरामण- १५. X (क)। पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं' इति पाठो १६. अहापडि ° (स, वृ)। दृश्यते । वृत्तिकृतापि असौ अत्रैव व्याखातः,
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भगवई
६५. तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना कुलसंपन्ना बलसंपन्ना रूवसंपन्ना विणयसंपन्ना नाणसंपन्ना दंसणसंपन्ना चरित्तसंपन्ना लज्जासंपन्ना लाघवसंपन्ना प्रोयंसी तेयंसी वच्चंसी जसंसी जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोभा जियनिद्दा' जिइंदिया जियपरीसहा जीवियास - मरण - भयविमुक्का तव पहाणा गुणप्पहाणा करणप्पहाणा चरणप्पहाणा निग्गहपहाणा निच्छय पहाणा मद्दवप्पहाणा प्रज्जवप्पहाणा लाघवप्पहाणा खंतिप्पहाणा मुत्तिप्पाणा विज्जाप्प हाणा मंतप्पहाणा वेयप्पहाणा बंभप्पहाणा नयप्पहाणा नियमप्पाणा सच्चपहाणा सोयप्पहाणा चारुपण्णा सोही ग्रणियाणा अप्पुसुया अब हिल्लेसा सुसामण्णरया अच्छिद्दपसिणवागरणा कुत्तियावणभूया बहुस्सुया बहुपरिवारा पंचहि अणगारसएहि सद्धि संपरिवुडा ग्रहाणुपुव्वि चरमाणा गामाणुगामं दूइज्जमाणा सुहंसुहेणं विहरमाणा जेणेव तुंगिया नगरी जेणेव पुप्फवइए चेइए 'तेणेव उवागच्छंति", उवागच्छित्ता ग्रहापडिरूवं श्रोग्गहं गहित्ताणं संजमेणं तवसा ग्रप्पाणं भावेमाणा विहति ॥ ६६. तए णं तुंगिया नयरीए सिंघाडग-तिग- चउक्क- चच्चर- चउम्मुह - महापह - पहेसु जाव' दिसाभिमुहा निज्जायति ॥
६७. तए णं ते समणोवासया इमीसे कहाए लद्धट्ठा समाणा हट्ठतुट्ठ चित्तमाणंदिया गंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया ग्रण्णमण्णं • सहावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी एवं खलु देवाणुप्पिया ! पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना जाव" ग्रहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रगिव्हित्ताणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावे माणा विहरति ।
१. X ( क ) ।
२. जितेंदिया ( अ, क, ब); जितिंदिया (म) |
३. जीवियासा ( अ, ता, ब, स ) ।
४. सं० पा० - मरणभयविप्पमुक्का
कुत्तिया ।
तं महाफलं खलु देवाणु प्पिया ! तहारूवाणं थेराणं भगवंताणं नामगोयस्स विसवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए" ● स विप्ररियस धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्य अट्ठस्स गहणयाए ? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! थेरे भगवंते वंदामो नम॑सामो” •सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवा - सामो । एयं णे पेच्चभवे इहभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए ग्राणुगामि
५. X ( अ, ब ) 1
६. तेणेवाग° ( अ, क, ब ) ।
o
७.
X ( अ, क, ब, म, स ) ।
८. राय० सू० ६८७ ६८६ ।
६. सं० पा० - हट्ट जाव सहावेंति ।
१०. राय० सू० ६८६ ।
११. सं० पा० - पज्जुवासणयाए जाव गहणयाए । १२. सं० पा० - नमसामो जाव पज्जुवासामो जाव भविस्सति ।
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बीअं सतं (पंचमो उद्देसो)
यत्ताए° भविस्सति इति कटु अण्णमण्णस्स अंतिए एयमद्वं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता जेणेव सयाई-सयाई गिहाइं तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता ण्हाया कयबलिकम्मा कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं 'वत्थाई पवर परिहिया' अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरा सएहि-सएहि गिहेहितो' पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता एगयो 'मेलायंति, मेलायित्ता" पायविहारचारेणं तुंगियाए नयरीए मझमझेणं निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता जेणेव पुप्फवतिए" चेइए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता थेरे भगवंते पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छंति, [तं जहा–१. सच्चित्ताणं दव्वाणं विग्रोसरणयाए २. अचित्ताणं दव्वाणं अविप्रोसरणयाए ३. एगसाडिएणं उत्तरासंगकरणेणं ४. चक्खुप्फासे अंजलिप्पग्गहेणं ५. मणसो एगत्तीकरणेणं] जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति, करेत्ता' 'वंदंति
नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासंति ।। १८. तए णं ते थेरा भगवंतो तेसि समणोवासयाणं तीसे 'महइमहालियाए महच्चपरि
साए चाउज्जामं धम्म परिकहेंति, तं जहासव्वाअो पाणाइवायानो वेरमणं, सव्वाअो मुसावायाप्रो वेरमणं,
सव्वानो अदिण्णादाणानो वेरमणं, सव्वानो बहिद्धादाणाप्रो वेरमणं । ६६. तए णं ते समणोवासया थेराणं भगवंताणं अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठ तुट्ठा
जाव' हरिसवसविसप्पमाणहियया तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति, 'करेत्ता
एवं' वयासी-संजमेणं भंते ! किंफले ? तवे किंफले ? १००. तए णं ते थेरा भगवंतो ते समणोवासए एवं वयासी२—संजमे णं अज्जो !
अणण्हयफले, तवे वोदाणफले ॥ १०१. तए णं ते समणोवासया थेरे भगवंते एवं वयासी–जइ णं भंते ! संजमे अणण्ह
यफले, तवे वोदाणफले । किंपत्तियं णं भंते ! देवा देवलोएसु उववज्जति ?
१. पवराई परिहिया (क); वत्थाई पवराई- जहा केसि सामिस्स, जाव समरणोवासियत्ताए
परिहिय त्ति क्वचिदृश्यते, क्वचिच्च वत्थाई आणाए आराहए भवंति जाव धम्मो कहियो पवर परिहिय त्ति (वृ)।
(अ, म, स); महइमहालियाए जाव धम्मो २. गेहेहितो (म, स)।
कहिओ (क, ता, ब)। ३. एगओ (ता)।
६. भ० २।४३ । ४. मिलायंति २ (अ, म)।
१०. करेत्ता जाव तिविहाए पज्जुवासरणयाए पज्जु५. पुप्फवतीए (अ, क, ब, स)।
__ वासंति २ एवं (ता, म, स); करेत्ता जाव ६. कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांश : प्रतीयते ।
एवं (क)। ७. सं० पा०-करेत्ता जाव तिविहाए। ११. तवे णं भंते ! (अ)। ८. महइमहालियाए चाउज्जामं धम्म परिकहेंति। १२. वदिस् (क)।
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भगवई
१०२. तत्थ णं कालियपुत्ते नाम थेरे ते समणोवासए एवं वयासी - पुव्वतवेणं प्रज्जो ! उववज्जंति ।
देवा देवलो
तत्थ णं मेहिले नाम थेरे ते समणोवासए एवं वयासी - पुव्वसंजमेणं प्रज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जंति ।
तत्थ णं प्राणंदरखिए नाम थेरे ते समणोवासए एवं वयासी - कम्मियाए जो ! देवा देवलोएसु उववज्जंति ।
तत्थ णं कासवे नाम थेरे ते समणोवास एवं वयासी -संगियाए प्रज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जंति ।
देवा देवलोएसु
पुव्वतवेणं, पुव्वसंजमेणं, कम्मियाए, संगियाए प्रज्जो ! उववज्जति । सच्चे णं एस' अट्ठे, नो चेव णं श्राभाववत्तव्वयाए ॥ १०३. तए णं ते समणोवासया 'थेरेहि भगवतेहि इमाई एयारूवाई वागरणाई वागरिया समाणा हट्ठतुट्ठा थेरे भगवंते वंदति नमसंति, पसिणाई पुच्छंति, अट्ठाई उवादियंति, उवादिएत्ता' जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया ||
१०४. 'तए णं ते थेरा अण्णया कयाई तुंगिया नयरीश्री पुष्कवतिया चेइयाओ पडिनिग्गच्छति', बहिया जणवयविहारं विहरंति" ॥
१०५. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्था - सामी समोसढे जाव' परिसा पडिगया |
१०६. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स जेट्ठे अंतेवासी इंदभूई नामं अणगारे जाव ँ संखित्तविपुलतेयलेस्से छट्ठछट्ठेणं प्रणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ||
१०७. तए णं' भगवं गोयमे छुट्टक्खमणपा रणगंसि पढमाए पोरिसीए " सज्झायं करेइ, या पोरिसीए भाणं भियाइ, तइयाए पोरिसीए प्रतुरियमचवलमसंभंते मुहपत्तियं पडिलेइ, पडिलेहेत्ता भायणवत्थाई" पडिले हेइ, पडिलेहेत्ता भायणाई पज्जइ, पमज्जित्ता भायणाई उग्गाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे
१. एसे (क, ब, म ) ।
२. X ( क, ता, ब ) ।
३. उवादिएत्ता उट्ठाए उट्ठेन्ति उट्ठेत्ता थेरे भगवंते तिक्खुत्तो वंदति नमसंति २ थेराणं भगवंताणं अंतियाओ पुप्फवतियाओ चेइयाओ डिनिमंति ( म, स ) ।
४. पडिनिक्खमंत ( अ ) ।
५. X (ता, ब ) ।
६. भ० १७, ८ ।
७.
भ० ११६ ॥
८.
से ( अ, क, ता, म स ) ; गं समणे ( ब ) । ε. 。 if (ar) 1
१०. पोरुसीए (क, ता, म) ।
११. भायणाई वत्थाई ( अ, ब, स ) 1
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बीअं सतं (पंचमो उद्देसो)
तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे छट्ठक्खमणपारणगंसि रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए।
अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ १०८. तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स
भगवो महावीरस्स अंतियायो गुणसिलामो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरो रियं 'सोहेमाणे-सोहेमाणे जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता
रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियं अडइ। १०६. तए णं' भगवं गोयमे रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाइं घरसमु
दाणस्स भिक्खायरियाए° अडमाणे बहुजणसदं निसामेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया! तुंगियाए नयरीए बहिया पुप्फवइए चेइए पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो समणोवासएहि इमाइं एयारूवाइं वागरणाइं पुच्छिया-संजमे णं भंते ! किंफले ? तवे किंफले? तए णं ते थेरा भगवंतो ते समणोवासए एवं वयासी-संजमे णं अज्जो ! अणण्हयफले, तवे वोदाणफले तं चेव जाव पुव्वतवेणं, पुव्वसंजमेणं, कम्मियाए, संगियाए अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । सच्चे णं एस मठे, नो चेव णं प्रायभाववत्तव्वयाए।
से कहमेयं मन्ने एवं ॥ ११०. तए ण भगवं गोयमे इमीसे कहाए लट्ठ समाणे जायसड्ढे जाव समुप्पन्न
कोउहल्ले अहापज्जत्तं समुदाणं गेण्हइ, गेण्हित्ता रायगिहारो नयरानो पडिनिक्खमइ अतुरिय मचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरो रियं सोहेमाणे ° -सोहेमाणे जेणेव गुणसिलए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अदूरसामंते गमणागमणाए पडिक्कमइ, पडिक्कमित्ता एसणमणेसणं आलोएइ, पालोएत्ता भत्तपाणं पडिदंसेइ, पडिदंसेत्ता समणं भगवं महावीरं 'वंदइ नमसइ, वंदित्ता
नमंसित्ता एवं वदासी-एवं खलु भंते ! अहं तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे राय१. सोहेमारणे (क, ता, ब)।
६. भंते ! (अ, ब)। २. णं से (अ, क, ब, म, स)।
७. रणं से (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. सं० पा०-नयरे जाव अडमाणे।
८. भ० १११०। ४. भ० २।१०१, १०२।
६. सं० पा०-अतुरिय जाव सोहेमाणे। ५. मढे समढे (क); अढे (ता)। १०. सं० पा०-महावीरं जाव एवं ।
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१०८
भगवई
गिहे नयरे उच्च-नीय-मज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे बहुजणसई निसामेमि-एवं खलु देवाणुप्पिया ! तुंगियाए नयरीए बहिया पुप्फवइए चेइए पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो समणोवासएहिं इमाई एयारूवाइं वागरणाइं पुच्छिया-संजमे णं भंते ! किंफले ? तवे किंफले ? तं चेव जाव' सच्चे णं एस मठे, नो चेव णं आयभाववत्तव्वयाए। तं' पभू णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसि समणोवासयाणं इमाई एयारूवाई वागरणाइं वागरेत्तए ? उदाहु अप्पभू ? समिया णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाइं वागरणाइं वागरेत्तए ? उदाहु असमिया ? आउज्जिया णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसि समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाई वागरणाई वागरेत्तए ? उदाहु अणाउज्जिया ? पलिउज्जिया णं भंते ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाई एयारूवाई वागरणाई वागरेत्तए ? उदाह अपलिउज्जिया ?-पूव्वतवेणं अज्जो ! देवा देवलोएस उववज्जति । पूव्वसंजमेणं, कम्मियाए, संगियाए अज्जो! देवा देवलोएसु उववज्जति । सच्चे णं एस मटे, नो चेव णं आयभाववत्तव्वयाए। पभू णं गोयमा ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाई वागरणाइं वागरेत्तए, नो 'चेव णं अप्पभू । 'समिया णं गोयमा ! ते थेरा भगवंतो तेसि समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाइं वागरणाइं वागरेत्तए। आउज्जिया णं गोयमा ! ते थेरा भगवंतो तेसि समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाइं वागरणाई बागरेत्तए । पलिउज्जिया णं गोयमा ! ते थेरा भगवंतो तेसिं समणोवासयाणं इमाइं एयारूवाई वागरणाइं वागरेत्तए---पुव्वतवेणं अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति पुव्वसंजमेणं, कम्मियाए, संगियाए अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । सच्चे गं एस मटे, नो चेव णं आयभाववत्तव्वयाए। अहं पि णं गोयमा ! एवमाइक्खामि, भासामि, पण्णवेमि, परूवेमि-पुव्वतवेणं देवा देवलोएसु उववज्जति । पुन्वसंजमेणं देवा देवलोएसु उववज्जंति। कम्मियाए देवा देवलोएसु उववज्जति । संगियाए देवा देवलोएसु उववज्जति । पुव्वतवेणं, पुव्वसंजमेणं, कम्मियाए, संगियाए अज्जो ! देवा देवलोएसु उववज्जति । सच्चे णं एस मटे, नो चेव णं प्रायभाववत्तव्वयाए ।
१. भ० २१६६-१०२। २. अट्टे (ता)। ३. एयं (ब)। ४. अस्समिया (क, ता, म)।
५. X (अ, क, ब)। ६. सं० पा०-तह चेव नेयव्वं अविसेसियं जाव
पभु समियं आउज्जियपलिउज्जिय जाव सच्चे।
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बीअं सतं (पंचमो उद्देसो) १११. तहारूवं णं भंते ! समणं वा माहणं वा पज्जुवासमाणस्स किंफला
पज्जुवासणा? गोयमा ! सवणफला। से णं भंते ! सवणे किंफले ? नाणफले । से णं भंते ! नाणे किंफले ? विण्णाणफले। से णं भंते ! विण्णाणे किंफले ? पच्चक्खाणफले । से णं भंते ! पच्चक्खाणे किंफले ? संजमफले। से णं भंते ! संजमे किंफले ? अणण्हयफले। से णं भंते ! अणण्ढए किंफले। तवफले। से णं भंते ! तवे किंफले ? वोदाणफले। से णं भंते ! वोदाणे किंफले ? अकिरियाफले । सा णं भंते ! अकिरिया किंफला ?
सिद्धिपज्जवसाणफला-पण्णत्ता गोयमा ! संगहरणी-गाहा
सवणे नाणे य विण्णाणे, पच्चक्खाणे य संजमे ।
अणण्हए तवे चेव, वोदाणे अकिरिया सिद्धी ।।१।। उण्हजलकुंड-पदं ११२. अन्नउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति, भासंति, पण्णवेंति, परूवेति-एवं खलू
रायगिहस्स नयरस्स बहिया वेभारस्स पव्वयस्स अहे, एत्थ णं महं एगे हरए' अघे पण्णत्ते-अणेगाइं जोयणाई आयाम-विक्खंभेणं, नाणादुमसंडमंडिउद्देसे,
सस्सिरीए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे ° पडिरूवे । तत्थ णं बहवे ओराला १. ° हरगे (ता)।
३. सं० पा०---सस्सिरीए जाव पडिरूवे । २. अप्पे (अ, क, ब, म, स); क्वचित्तु हरए त्ति
न दृश्यते 'अघ' इत्यस्य च स्थाने 'अप्पे' त्ति दृश्यते (वृ)।
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११०
भगवई
बाहया संसेति संमुच्छंति वासंति । तव्वइरित्ते य णं सया समियं उसिणेउस का अभिनिस्सवइ ।
११३. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! जं णं ते अण्णउत्थिया एवमा इक्खति जाव जे ते एवमाइक्खंति, मिच्छं ते एवमाइक्खंति' । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि, भासामि, पण्णवेम, परूम - एवं खलु रायगिहस्स नयरस्स बहिया वेभारस्स पव्वयस्स अदूरसामंते, एत्थ णं महातवावतीरप्पभवे नामं पासवणे पण्णत्ते-पंच धणुसयाइं श्रायाम-विक्खंभेणं, नाणादुमसंडमंडिउसे सस्सिरीए पासादीए दरसणिज्जे अभिरू पडिरूवे । तत्थ णं बहवे उसिणजोणिया जीवा य पोग्गला
उदगत्ता वक्कमंति बिउक्कमंति चयंति उववज्जति । तव्वइरित्ते वि य णं सया समियं उसिणे - उसिणे प्राउयाए अभिनिस्सवइ । एस णं गोयमा ! महातवोवतीरप्पभवे" पासवणे । एस णं गोयमा ! महातवोवती रप्पभवस्स पासवणस्स पण्णत्ते ॥
११४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ ||
छट्ठो उद्देसो
भासा-पदं
११५. से नूणं भंते ! मन्नामी ति प्रहारिणी भासा ? एवं भासापदं' भाणियव्वं ॥
सतमो उद्देसो
ठाण-पदं
११६. कति णं भंते ! देवा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चउव्विहा देवा पण्णत्ता, तं जहा - भवणवइ वाणमंतर - जोइसवेमाणिया ||
१. एवमाइक्खति जाव सव्वं नेयव्वं ( अ, स); एवमाइक्खंति जाव सव्वं नेयव्वं जाव (क, ता, म ) ।
२. उसिर जोणीया ( अ, ता, म, स ) ; उसुरणजोगीया ( ब ) ।
३. उदत्ताए (ता) ।
४. उवचयंति ( अ, ब ) ।
५. महातवोतीर (क, ता, ब, म) ।
६. प० ११ ।
७. कतिविहा ( अ, ता, म) ।
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बीअं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
१११ ११७. कहि णं भंते ! भवणवासीणं देवाणं ठाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए जहा ठाणपदे देवाणं वत्तव्वया सा भाणियव्वा' । उववाएणं' लोयस्स असंखेज्जइभागे एवं सव्वं भाणियव्वं, जाव सिद्धगंडिया समत्ता। कप्पाण पइट्ठाणं, बाहुल्लुच्चत्त मेव संठाणं । जीवाभिगमे जो वेमाणिउद्देसो सो भाणियव्वो सव्वो।।
अट्ठमो उद्देसो चमरसभा-पदं ११८. कहि णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररणों सभा सुहम्मा पण्णत्ता ?
गोयमा ! जंबुद्दीवे" दीवे मंदरस्सं पव्वयस्स दाहिणे णं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवइत्ता अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लायो वेइयंतानो अरुणोदयं समुह बायालीसं जोयणसयसहस्साई प्रोगाहित्ता, एत्थ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो तिगिछिकूडे" नाम उप्पायपव्वए पण्णत्ते-सत्तरसएक्कवीसे जोयणसए उड्ढे उच्चत्तेणं चत्तारितीसे जोयणसए कोसं च 'उव्वेहेणं मूले दसबावीसे जोयणसए विक्खंभेणं, मज्झे चत्तारि चउवीसे जोयणसए विक्खंभेणं, [ उवरि सत्ततेवीसे जोयणसए विक्खंभेणं, ] मूले तिण्णि जोयणसहस्साई, दोण्णि य बत्तीसुत्तरे जोयणसए किचि विसेसूणे परिक्खेवेणं, मज्झे एगं जोयणसहस्सं तिण्णि य इगयाले जोयणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेणं, उवरि दोण्णि
१. प० २।
८. X (अ, म, स)। २. भाणियव्वा नवरं भवरणा पण्णत्ता (अ, क, ६. असुररणो (क, ता, ब)।
ता, ब, म, स); नवरं भवणा पण्णत्त त्ति १०. जंबूदीवे (म)। क्वचिद दृश्यते तस्य च फलं न सम्यगव- ११. ० मसंखेज्ज (ता, ब, स) । गम्यते (वृ)।
१२. वीति ० (अ, क, ब, म)। ३. उववादेणं (अ, क, ब, म)।
१३. अरुणोदं (क, म)। ४. प० २।
१४. जोयणसहस्साई (अ, क, ता, म, स)। ५. सम्मत्ता (क, ब, म, स)।
१५. तिगिच्छि ० (क); तिगिच्छ० (म)। ६. जाव (अ)।
१६. इयाले (अ)। ७, वेमाणियुद्देसो (ता, ब)।
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११२
भगवई
य जोयणसहस्साइं, दोण्णि य छलसीए जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं,' मूले वित्थडे, मज्झे संखित्त, उप्पिं विसाले, वरवइरविग्गहिए' महामउंदसंठाणसंठिए सव्वरयणामए अच्छे' 'सण्हे लण्हे घटे मढे निरए निम्मले निप्पंके निक्कंकडच्छाए सप्पभे समिरिईए सउज्जोए पासादीएद रिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे । से णं एगाए पउमवरवेइयाए, वणसंडेण य सव्वग्रो समंता संपरिक्खित्ते ।
पउमवरवेइयाए वणसंडस्स य वण्णों ॥ ११६. तस्स णं तिगिछिकूडस्स उप्पायपव्वयस्स उप्पि बहुसम-रमणिज्जे भूमिभागे
पण्णत्ते-वण्णो ॥ १२०. तस्स णं बहुसम-रमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं महं एगे
पासायवडेंसए पण्णत्ते-अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं, पणुवीसं' जोयणसयं विक्खंभेणं । पासायवण्णो । उल्लोयभूमिवण्णओ । अट्ठजोयणाई
मणिपेढिया । चमरस्स सीहासणं सपरिवार भाणियव्वं ॥ १२१. तस्स णं तिगिछि कूडस्स दाहिणे णं छक्कोडिसए पणवन्तं च कोडीग्रो पणतीसं
च सयसहस्साइं पण्णासं च सहस्साइं अरुणोदए समुद्दे तिरियं वीइवइत्ता अहे रयणप्पभाए पुढवीए चत्तालीसं जोयणसहस्साइं, प्रोगाहित्ता, एत्थ णं चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचंचा नाम रायहाणी पण्णत्ता एगं जोयणसयसहस्सं आयाम-विक्खंभेणं जंबूदीवप्पमाणा।
१. उव्वेहेणं गोथभस्स आवासपव्वयस्स पमाणेणं
नेयव्वं, नवरं उवरिल्लं पमाणं मज्झे भाणियव्वं जाव (क, ता, ब, वृ)। अ, म,
स संकेतितादर्शष द्वयोव योमिश्रणं दृश्यते । २. ० विग्गहे (अ, ब, स)।। ३. सं० पा०-अच्छे जाव पडिरूवे । ४. राय० सू० १८६-२०१ । ५. राय० सू० २४-३१। ६. पण (अ, स)। ७. राय० सू० २०४। ८. राय० सू० २४-३४; भ० वृत्ति । ६. तच्चैवम्-तस्स णं सिंहासणस्स अवरुत्तरे ण,
उत्तरे यां, उत्तरपुरस्थिमे णं, एत्थ एवं चमरस्स
चउसट्री सामाणियसाहस्सीणं, चउसट्री भद्दासणसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, एवं पुरथिमे णं पंचण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं पंच भद्दासणाई सपरिवाराइं, दाहिणपुरथिमे णं अभितरियाए परिसाए चउध्वीसाए देवसाहस्सीणं चउव्वीसं भद्दासणसाहस्सीओ, एवं दाहिणे णं पच्चत्थिमे णं सत्तण्हं अणियाहिवईणं मज्झिमाए अट्ठावीसं भद्दासणसाहस्सीओ, दाहिणपच्चत्थिमे णं बाहिराए बत्तीसं भद्दासणसाहस्सीओ, सत्त भद्दासणाई, चउद्दिसं आयरक्खदेवाणं चत्तारि भद्दासणसहस्सचउसट्ठीओ (वृ) ।
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बीअं सतं (नवमो उद्देसो)
ओवारियलेणं सोलसजोयणसहस्साई आयाम-विक्खंभेणं, पण्णासं जोयणसहस्साई पंच य सत्ताणउए जोयणसए किंचि विसेसूणे परिक्खेवेणं, सव्वप्पमाणं वेमाणियप्पमाणस्स अद्धं नेयव्वं ॥
नवमो उद्देसो
समयखेत्त-पदं
१२२. किमिदं भंते ! समयखेत्ते त्ति पवुच्चति ?
गोयमा ! अड्ढाइज्जा दीवा, दो य समुद्दा, एस णं एवइए समयखेत्तेति
पवुच्चति ॥ १२३. तत्थ णं अयं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव-समुद्दाणं सव्वब्भंतरे । एवं जीवाभिगम
वत्तव्वया नेयव्वा जाव' अभिंतर-पुक्खरद्धं जोइसविहूणं ॥
१. एतदेव वाचनान्तरे उक्तम्-‘चत्तारि परि
वाडीओ पासायव.सगाणं अद्धद्धहीणाओ
(वृ), राय० सू० २०४-२०८ । २. जी०३। ३. वाचनान्तरे तु 'जोइसअट्ठविहूणं' ति
इत्यादि बहु दृश्यते, तत्र 'जंबुद्दीवे रणं भंते ! कइ चंदा पभासिंसु वा ३ ? कति सूरीया तविंस वा ३? कइ नक्खत्ता जोइं जोइंसु वा ३ ? इत्यादिकानि प्रत्येक ज्योतिष्कसूत्राणि, तथा–से केणटेणं भंते ! एवं वुच्च इ जंबुद्दीवे दीवे ?, गोयमा! जंबूहीवे
णं दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं लवणस्स दाहिणे रणं जाव तत्थ २ बहवे जंबूरुक्खा जंबूवण्णा जाव उवसोहेमाणा चिटुंति, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ जंबुद्दीवे दीवे इत्यादीनि प्रत्येकमर्थसूत्राणि च सन्ति, ततश्चतद्विहीनं यथा भवत्येवं जीवाभिगमवक्तव्यतया नेयं अस्योद्देशकस्य सूत्रं 'जाव इमा गाह' त्ति संग्रहगाथा, सा च--"अरहंत समय बायर, विज्जू थणिया बलाहगा अगणी। आगर निहि नइ उवराग निग्गमे बुढिवयणं च (वृ)।
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११४
भगवई
दसमो उद्देसो अस्थिकाय-पदं १२४. कति णं भंते ! अस्थिकाया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंच अत्थिकाया पण्णत्ता, तं जहा-धम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकाए,
आगासत्थिकाए, जीवत्थिकाए, पोग्गलत्थिकाए। १२५. धम्मत्थिकाए णं भंते ! कतिवण्णे ? कतिगंधे ? कतिरसे ? कतिफासे ?
गोयमा ! अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे; अरूवी, अजीवे, सासए, अवट्ठिए लोगदव्वे । से समासो पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा–दव्वरो, खेत्तो, कालओ, भावओ, गुणओ। दव्वनो णं धम्मत्थिकाए एगे दवे, खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते, कालो न कयाइ न अासि, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ-भविसु य, भवति य, भविस्सइ य–धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए°, णिच्चे। भावप्रो अवणे, अगंधे, अरसे, अफासे ।
गुणो गमणगुणे ॥ १२६. अधम्मत्थिकाए' •णं भंते ! कतिवण्णे ? कतिगंधे ? कतिरसे ? कतिफासे ?
गोयमा ! अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे; अरूवी, अजीवे, सासए, अवट्ठिए लोगदव्वे । से समासो पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वरो, खेत्तो, कालो, भावनो, गुणओ। दव्वनो णं अधम्मत्थिकाए एगे दव्वे । खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते। कालो न कयाइ न आसि, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ–भविसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए, णिच्चे। भावनो अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे । गुणो ठाणगुणे° ॥
१. सं० पा०–कयाइ जाव णिच्चे।
२. सं० पाo.-अधम्मस्थिकाए एवं चेव नवरं __गुणओ ठाणगुणे।
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बीग्रं सतं (दसमो उद्देसो)
११५ १२७. आगासत्थिकाए' •णं भंते ! कतिवण्णे ? कतिगंधे ? कतिरसे ? कतिफासे ?
गोयमा ! अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे; अरूवी, अजीवे, सासए, अवट्ठिए लोगदव्वे । से समासओ पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा–दव्वरो, खेत्तो, कालो, भावप्रो, गुणो । दव्वओ णं आगासस्थिकाए एगे दव्वे । खेत्तो लोयालोयप्पमाणमेत्ते-अणंते । कालो न कयाइ न आसि, न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ-भविसु य, भवति य, भविस्सइ य–धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए, णिच्चे। भावओ अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे ।
गुणो अवगाहणागुणे ॥ १२८. जीवत्थिकाए णं भंते ! कतिवण्णे ? कतिगंधे ? कतिरसे ? कतिफासे ?
गोयमा ! अवण्णे', 'अगंधे, अरसे, अफासे° ; अरूवी, जीवे, सासए, अवट्ठिए लोगदव्वे । से समासओ पंचविहे पण्णत्ते,-तं जहा-दव्वओ', 'खेत्तओ, कालो, भावनो , गुणओ। दव्वओ णं जीवत्थिकाए अणंताई जीवदव्वाइं । खेत्तओ लोगप्पमाणमेत्ते ।। कालओ न कयाइ न आसि', 'न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ—भविंसु य, भवति य, भविस्सइ य–धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए ° णिच्चे। भावप्रो अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे ।
गुणनो उवओगगुणे ॥ १२६. पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! कतिवणे ? कतिगंधे ? कतिरसे° ? कतिफासे ?
गोयमा ! पंचवण्णे, पंचरसे, दुगंधे, अट्ठफासे ; रूवी, अजीवे, सासए, अवट्ठिए, लोगदव्वे ।
१. सं० पा०-आगासत्थिकाए वि एवं चेव ३. सं० पा०—दव्वओ जाव गुणओ।
नवरं खेत्तओ णं आगासत्थिकाए लोयालो- ४. सं० पा०-आसि जाव णिच्चे। - यप्पमाणमेत्ते अणंते चेव जाव गुणओ। ५. सं० पा० -कतिवण्णे जाव कतिफासे । २. सं० पा०-अवण्णे जाव अरूवी।
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भगवई
से समासो पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वओ, खेत्तो, कालओ, भावओ गुणओ। दव्वओ णं पोग्गलत्थिकाए अणंताई दवाइं । खेत्तो लोयप्पमाणमेत्ते। कालो न कयाइ न पासि', 'न कयाइ नत्थि, न कयाइ न भविस्सइ-भविसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे, णियए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्टिए°, णिच्चे। भावनो वण्णमंते, गंधमंते, रसमंते, फासमंते ।
गुणो गहणगुणे ॥ १३०. एगे भंते ! धम्मत्थिकायपदेसे धम्मत्थिकाएत्ति वत्तव्वं सिया ?
गोयमा ! णो इणढे समढे ॥ १३१. एवं दोण्णि, 'तिण्णि, चत्तारि" पंच, छ, सत्त, अट्ठ, नव, दस, संखेज्जा, असं
खेज्जा । भंते ! धम्मत्थिकायपदेसा धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया ?
गोयमा ! णो इणढे सम? ॥ १३२. एगपदेसूणे वि य णं भंते ! धम्मत्थिकाए धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया ?
गोयमा ! णो इणढे समढें ।। १३३. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–एगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धम्मत्थिकाए त्ति
वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणे वि य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया ? से नूणं गोयमा ! खंडे चक्के ? सगले चक्के ? भगवं ! नो खंडे चक्के, सगले चक्के । "खंडे छत्ते ? सगले छत्ते ? भगवं ! नो खंडे छत्ते, सगले छत्ते । खंडे चम्म ? सगले चम्मे ? भगवं ! नो खंडे चम्मे, सगले चम्मे । खंडे दंडे ? सगले दंडे ? भगवं ! नो खंडे दंडे, सगले दंडे । खंडे दूसे ? सगले दूसे ?
१. सं० पा०-आसि जाव णिच्चे । २. दोण्णि वि (अ, स); दो (क)। ३. तिणि वि चत्तारि वि (अ, स)।
४. सं० पा०-एवं छत्ते चम्मे दंडे दूसे आउहे
मोदए।
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बीअं सतं (दसमो उद्देसो)
११७ भगवं ! नो खंडे दूसे, सगले दूसे। खंडे आयुहे ? सगले आयुहे ? भगवं ! नो खंडे आयुहे, सगले आयुहे। खंडे मोदए ? सगले मोदए ? भगवं ! नो खंडे मोदए, सगले मोदए ।° से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइएगे धम्मत्थिकायपदेसे नो धण्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया जाव एगपदेसूणे वि
य णं धम्मत्थिकाए नो धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया ॥ १३४. से किंखाइ णं भंते ! धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया ?
गोयमा ! असंखेज्जा धम्मत्थिकायपदेसा, ते सव्वे कसिणा पडिपुण्णा निरवसेसा
एकग्गहणगहिया–एस णं गोयमा ! धम्मत्थिकाए त्ति वत्तव्वं सिया । १३५. एवं अधम्मत्थिकाए वि। आगासत्थिकाय-जीवत्थिकाय-पोग्गलत्थिकाया वि
एवं चेव, नवरं-तिण्हं पि पदेसा अणंता भाणियव्वा । सेसं तं चेव ।। जीवत्त-उवदंसण-पदं १३६. जीवे णं भंते ! सउट्ठाणे सकम्मे सबले सवोरिए सपुरिसक्कार-परक्कमे
आयभावेणं जीवभावं उवदंसेतीति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा ! जीवे णं सउट्ठाणे 'सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसक्कार
परक्कमे आयभावेणं जीवभावं° उवदंसेतीति वत्तव्वं सिया ॥ १३७. से केण?ण भंते ! एवं वुच्चइ-जीवे णं सउढाणे सकम्मे सवले सवीरिए
सपरिसक्कार-परक्कमे अायभावेणं जीवभाव उवदंसेतीति वत्तव्वं सिया? गोयमा ! जीवे णं प्रणताणं आभिणिबोहियनाणपज्जवाणं, अणंताणं सूयनाणपज्जवाणं, अणंताणं अोहिनाणपज्जवाणं, अणताणं मणपज्जवनाणपज्जवाणं, अणंताणं केवलनाणपज्जवाणं, अणंताणं मइअण्णाणपज्जवाणं, अणंताणं सुयअण्णाणपज्जवाणं, अणंताणं विभंगनाणपज्जवाणं, अणंताणं चक्खुदंसणपज्जवाणं, अणंताणं अचक्खुदंसणपज्जवाणं, अणंताणं अोहिदसणपज्जवाणं, अणंताणं केवलदसणपज्जवाणं उवयोगं गच्छइ । उवप्रोगलक्खणे णं जीवे । से एएणद्वेणं एवं वुच्चइ-गोयमा ! जीवे णं सउढाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसक्कार-परक्कमे प्रायभावेणं जीवभाव उवदंसेतीति ° वत्तव्वं सिया ।
१. आउहे (क, ब)। २. मोयए (अ, क, ब, स)। ३. किंखाइए (ता)।
४. सं० पा०-सउटाणे जाव उवदंसेतीति । ५. सं० पा०-केरगट्ठरणं जाव वत्तत्वं । ६. सं० पा०–सउट्ठाणे जाव वत्तव्वं ।
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११८
भगवई
प्रागास-पदं १३८. कतिविहे णं भंते ! आगासे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे अागासे पण्णत्ते, तं जहा-लोयागासे' य अलोयागासे य ॥ १३६. लोयागासे णं भंते ! किं जीवा ? जीवदेसा? जीवप्पदेसा ? अजीवा ?
अजीवदेसा? अजीवप्पदेसा? गोयमा ! जीवा वि, जीवदेसा वि, जीवप्पदेसा वि'; अजीवा वि, अजीवदेसा वि, अजीवप्पदेसा वि । जे जीवा ते नियमा एगिदिया, बेइंदिया, तेइंदिया, चउरिदिया, पंचिंदिया, अणिदिया। जे जीवदेसा ते नियमा एगिदियदेसा', 'बेइंदियदेसा, तेइंदियदेसा, चउरिदियदेसा, पंचिदियदेसा, अणिदियदेसा। जे जीवप्पदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा', 'बेइंदियपदेसा, तेइंदियपदेसा, चरिदियपदेसा, पंचिदियपदेसा°, अणिदियपदेसा। जे अजीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–रूवी य अरूवी य। जे रूवी ते चउन्विहा पण्णत्ता, तं जहा-खंधा, खंधदेसा, खंधपदेसा, परमाणुपोग्गला। जे अरूवी ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-धम्मत्थिकाए, नो धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा; अधम्मत्थिकाए, नो अधम्मत्थिकायस्स देसे,
अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, अद्धासमए ॥ १४०. अलोयागासे णं भंते ! कि जीवा ? जीवदेसा? जीवप्पदेसा? अजीवा ?
अजीवदेसा? अजीवप्पदेसा? गोयमा ! नो जीवा', 'नो जीवदेसा, नो जीवप्पदेसा; नो अजीवा, नो अजीवदेस, नो अजीवप्पदेसा; एगे अजीवदव्वदेसे अगरुयलहुए अणंतेहिं
अगरुयलहुयगुणेहि संजुत्ते सव्वागासे अणंतभागूणे ।। अत्थिकाय-पदं १४१. धम्मत्थिकाए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ?
गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ता णं चिट्ठइ ।।
१. ० कासे (क, ता, म)।
४. सं० पा०-जीवा पुच्छा तह चेव । २. सं.पा.-एगिदियदेसा जाव अणिदियदेसा। ५. सं० पा०-जीवा जाव नो। ३. सं० पा०-एगिदियपदेसा जाव अणिदिय
पदेसा।
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सतं (दसमो उद्देसो)
१४२. अधम्मत्थिकाए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ?
गोमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ता णं चिट्ठइ ॥ १४३. लोयाकासे णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ?
गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ता णं चिट्ठइ ॥ १४४. जीवत्थिकाए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ?
गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ता णं चिट्ठइ ॥ १४५. पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ?
गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव फुसित्ता णं चिट्ठइ° ॥ फुसरणा-पदं
१४६. अहोलोए णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स केवइयं फुसति ? गोयमा ! सातिरेगं अद्धं फुसति ॥
१४७. तिरियलोए णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स केवइयं फुसति ? • गोमा ! असंखेज्जइभागं फुसति ॥
१४८. उड्ढलोए णं भंते! 'धम्मत्थिकायस्स केवइयं फुसति ? ० गोमा ! देणं अद्धं फुसति ॥
१४६. इमाणं भंते ! रयणप्पभापुढवी धम्मत्थिकायस्स कि संखेज्जइभागं फुसति ? संखेज्जइभागं फुसति ? संखेज्जे भागे फुसति ? असंखेज्जे भागे फुसति ? सव्वं फुसति ?
गोयमा ! णो संखेज्जइभागं फुसति, असंखेज्जइभागं फुसति, णो संखेज्जे भागे फुसति, णो प्रसंखेज्जे भागे फुसति, णो सव्वं फुसति ॥
१५०. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदही धम्मत्थिकायस्स किं संखेज्जइभागं फुसति ? प्रसंखेज्जइभागं फुसति ? संखेज्जे भागे फुसति ? असंखेज्जे भागे फुसति ? सव्वं फुसति ?
जहा रयणप्पभा तहा घणोदहि-घणवाय-तणुवाया वि ॥
१५१. इमी से णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए प्रवासंतरे धम्मत्थिकायस्स किं संखज्जइभागं फुसति ? असंखेज्जइभागं फुसति ? संखेज्जे भागे फुसति ? असंखेज्जे भागे फुसति ? सव्वं फुसति ?
गोयमा ! संखेज्जइभागं फुसति, नो प्रसंखेज्जइभागं फुसति, नो संखेज्जे भागे फुसति, नो असंखेज्जे भागे फुसति, नो सव्वं फुसति ।
वासंत राई सव्वाई ॥
१. सं० पा० एवं अधम्मत्थिकाए लोयाका से जीवत्थिकाए पोग्गलत्थिकाए पंच वि एक्काभिलावा ।
११९
२. सं० पा० - भंते पुच्छा । ३. सं० पा० - भंते पुच्छा ।
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१२०
भगवई
१५२. जहा रयणप्पभाए पुढवीए वत्तव्वया भणिया' एवं जाव' अहेसत्तमाए॥
एवं सोहम्मे कप्पे जाव' ईसीपब्भारा पुढवी-एते सव्वे वि असंखेज्जइभागं
फुसति । सेसा पडिसेहियव्वा । १५३. एवं अधम्मत्थिकाए, एवं लोयाकासे वि । संगहणी-गाहा
पुढवोदही घण-तणू, कप्पा गेवेज्जणुत्तरा सिद्धी। संखेज्जइभागं अंतरेसु सेसा असंखेज्जा ॥१॥
१. भाणिया (अ, ता, ब, स)। २. भ० २।१४६-१५१; २।७५ ।
३. अहेसत्तमाए जंबुद्दीवाइया दीवसमुद्दा (अ, ____ता, म)। ४. अ० सू० २८७।
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तइयं सतं
पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा
१. केरिसविउव्वणा २. चमर ३. किरिय ४,५. जाणित्थि ६. नगर ७. पाला य ।
८. अहिवइ ६. इंदिय १०. परिसा, ततियम्मि सए' दसुद्देसा ॥१॥ उक्खेव-पदं
१. तेणं कालेणं तेणं समएणं मोया नाम नयरी होत्था--वण्णो ॥ २. तीसे णं मोयाए नयरीए बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभागे नंदणे नामं चेइए
होत्था–वण्णो ' ॥ ३. 'तेणं कालेणं तेणं समएणं" सामी समोसढे । परिसा निग्गच्छइ, पडिगया
परिसा॥ देवविकुम्वरणा-पदं ४. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवनो महावीरस्स दोच्चे अंतेवासी
अग्गिभूई नामं अणगारे गोयमे गोत्तेणं सत्तुस्सेहे जाव पज्जुवासमाणे एवं वदासि-चमरे णं भंते ! असुरिंदे असुरराया केमहिड्ढीए ? केमहज्जुतीए ? केमहाबले ? केमहायसे ? केमहासोक्खे ? केमहाणुभागे ? केवइयं च णं पभू विकुवित्तए ? गोयमा ! चमरे णं असुरिंदे असुरराया महिड्ढीए, 'महज्जुतीए, महाबले, महायसे, महासोक्खे°, महाणुभागे । से णं तत्थ चोत्तीसाए भवणावाससयसहस्साणं, चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीणं, तायत्तीसाए तावत्तीसगाणं',
|
१. सदे (ता)। २. ओ० स० १। ३. ओ० सू० २-१३। ४. X (ता)। ५. भ० ११६, १०।
६. केमहड्ढीए (क, म)। ७. सं० पा०-महिड्ढीए जाव महाभागे । ८. भवण ° (अ, क, ता, म)। ६. तावत्तीसाए (अ, ता, ब, म, स)। १०. सं० पा०-तावत्तीसगारणं जाव विहरइ ।
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१२२
भगवई
• च उन्हं लोगपालाणं, पंचण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, चउसट्टीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं, अण्णेसिं च बहूणं चमरचंचा रायहाणिवत्थव्वाणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं आणा - ईसर- सेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महाहट्टगीय-वाइय-तंती- तल-ताल-तुडिय - घणमुइंग पडुप्पवाइयर वेणं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजे माणे विहरइ | एम हिड्ढीए, एमहज्जुतीए,
२
महाबले, एमहायसे, एमहासोक्खे, एमहाणुभागे । एवतियं च णं पभू विकुव्वित्तए । से जहानामए - जुवती जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव गोयमा ! चमरे सुरिंदे असुरराया वे उव्विय समुग्धाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता 'संखेज्जाई जोयणाई" दंड " निसिरइ, तं जहा - रयणाणं वयराणं वेरुलियाणं लोहियक्खाणं मसारगल्लाणं हंसगभाणं पुलगाणं सोगंधियाणं जोईरसाणं जाणं अंजणपुलगाणं रययाणं जायरुवाणं अंकाणं फलिहाणं • रिट्ठाणं महाबारे पोग्गले परिसाडेइ, परिसाडेत्ता ग्रहासुमे पोगले परियार, परियाइत्ता दोच्चं पिवे उव्वियसमुग्धाएणं समोहण्णति । पभू णं गोयमा ! चमरे सुरिंदे असुरराया केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं बहूहि असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य ग्राइण्णं वितिकिण्णं उवत्थडं संथडं फुडं प्रवगाढाव - गाढं करेत्तए ।
अदुत्तरं च णं गोयमा ! पभू चमरे सुरिंदे असुरराया तिरियमसंखेज्जे दीव-समुद्दे बहूहि असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य ग्राइणे वितिकिण्णे उवत्थडे संथ फुडे वगाढावगाढे' करेत्तए ।
एस णं गोयमा ! चमरस्स प्रसुरिंदस्स असुररण्णो प्रयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए, णो चेवणं संपत्ती विकुव्विसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा ।। ५. जइ णं भंते ! चमरे सुरिंदे असुरराया एमहिड्ढीए जाव" एवइयं च णं पभू विकुव्वित्तए, चमरस्स णं भंते! प्रसुरिदस्स असुररण्णो सामाणिया देवा महिड्ढीया ? जाव" केवइयं च णं पभू विकुव्वित्तए ?
१. सं० पा० - एमहिड्ढीए जाव एमहाणुभागे ।
२. समोहणइ ( अ, ता, स) ।
३. संखेज्जाणि जोयणाणि ( अ, ब ) ।
४. उड्ढं दंडं (ता, म)
५. सं० पा० -- रयणारणं जाव रिट्ठाणं । अस्यपूर्तिः - ' राय पसेणइय ' (१०) सूत्रेण कृता । भगवतीवृत्ती तु एतत् पूतिरित्थमस्तिवइराणं वेरुलियागं लोहियाक्खाणं मसारगल्लागं हंसगभारणं पुलयारणं सोगंधियाणं
जोतीरसारणं कारणं अंजरगाणं रयणाणं जायरूवाणं श्रंजणपुलयागं फलिहागं ।
६. परियाति ( क ) ।
७. अरगाढावगाढं ( अ, ता, ब ) । ८. अरगाढावगाढे ( अ, क, ता, ब) । ६. अतमेता (ता) । १०. भ० ३|४ | ११. भ० ३।४ ।
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तइयं सतं (पढमी उद्देसो)
गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो सामाणिया देवा महिड्ढीया' ● महज्जुतीया महाबला महायसा महासोक्खा महाणुभागा । ते णं तत्थ साणं- सा भवणाणं, साणं- साणं सामाणियाणं, साणं- साणं अग्गमहिसीणं जाव' दिव्वाइं
o
भाई भुजमाणा विहरंति । एमहिड्ढीया जाव े एवइयं च णं पभू विकुब्विउत्तए । से जहानामए - जुवती जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो एगमेगे सामाणियदेवे वे उव्वियसमुग्धाएणं समोहण्णइ जाव' दोच्चं पि वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहण |
पभू णं गोयमा ! चमरस्स प्रसुरिंदस्स असुररण्णो एगमेगे सामाणियदेवे केवल कप्पं जंबुद्दीवं दीवं बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य ग्राइण्णं वितिकिण्णं उत्थ संथडं फुडं प्रवगाढावगाढं करेत्तए ।
प्रदुत्तरं च णं गोयमा ! पभू चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो एगमेगे सामाणियदेवे तिरियमसंखेज्जे दीव-समुद्दे बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहि देवीहि य ग्राइणे वितिकिण्णे उवत्थडे संथडे फुडे प्रवगाढावगाढे करेत्तए ।
एस णं गोयमा ! चमरस्स असुरिदस्स असुररण्णो एगमेगस्स सामाणि देवस्स यमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए, नो चेव णं संपत्तीए विकुव्विसु वा विकुव्वंति वा विकुव्विस्संति वा ।
६. जइ णं भंते ! चमरस्स प्रसुरिंदस्स असुररण्णो सामाणियदेवा एमहिड्ढीया जाव एवतियं च णं पभू विकुव्वित्तए, चमरस्स णं भंते ! प्रसुरिंदस्स असुररण्णो तावत्तीया' देवा महिड्ढीया' ?
१२३
तावत्तीसया जहा सामाणिया तहा नेयव्वा । लोयपाला तहेव, नवरं - संखेज्जा - मुद्दा भाणियव्वा ।
७. जइ णं भंते ! चमरस्स प्रसुरिंदस्स असुररण्णो लोगपाला देवा एमहिड्ढीया जाव एवतियं च णं पभू विकुव्वित्तए, चमरस्स णं असुरिदस्स असुररण्णो अग्गमहिसीओ देवी के महिड्ढियाम्रो जाव" केवइयं च णं पभू विकुव्वित्तए ? गोयमा ! चमरस्स णं असुरिदस्स असुररण्णो अग्गमहिसी देवी
महिड्ढियाश्रो
१. सं० पा० - महिड्ढीया जाव महाणुभागा ।
२. भ० ३।४ ।
३. भ० ३।४ ।
४. भ० ३।४ ।
५. भ० ३।४ ।
६. तायत्ती ० ( क ) ।
o
महढिया ( स ) |
७.
८. भारिणयव्वा बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवेहि आइन् जाव विकुव्विस्संति वा ( अ, ब ) ।
६. भ० ३।४ ।
१०. भ० ३।४ ।
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१२४
भगवई जाव' महाणुभागायो । तानो णं तत्थ साणं-साणं भवणाणं, साणं-साणं सामाणियसाहस्सीणं, साथ-साणं महत्तरियाणं', साणं-साणं परिसाणं जाव एमहिड्ढीयाओ।
अण्णं जहा लोगपालाणं अपरिसेसं । ८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं.दोच्चे गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ,
वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव तच्चे गोयमे वायुभूती अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तच्चं गोयमं वायुभूति अणगारं एवं वदासि—एवं खलु गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया एमहिड्ढोए तं चेव एवं सव्वं अपुट्ठवागरणं नेयव्वं
अपरिसेसियं जाव अग्गमहिसीणं वत्तव्वया समत्ता। ६. तेणं से तच्चे गोयमे वायुभूती अणगारे दोच्चस्स गोयमस्स अग्गिभूतिस्स अणगारस्स
एवमाइक्खमाणस्स भासमाणस्स पण्णवेमाणस्स परूवेमाणस्स एयमटुं नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएइ, एयमटुं असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे उठाए उटेइ, उद्वेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-एवं खल भंते ! दोच्चे गोयमे अग्गिभई अणगारे ममं एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ–एवं खलु गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया महिड्ढीए जाव" महाणुभागे । से णं तत्थ चोत्तीसाए भवणावाससयसहस्साणं तं चेव सव्वं
अपरिसेसं भाणियव्वं जाव" अग्गमहिसीणं वत्तव्वया समत्ता। १०. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे तच्चं गोयमं वायुभूति अणगारं एवं वयासीजं णं गोयमा ! तव दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे एवमाइक्खइ भासइ पण्णवेइ परूवेइ–एवं खलु गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया महिड्ढीए तं चेव सव्वं जाव" अग्गमहिसीओ । सच्चे णं एसमढ़े। अहं पि णं गोयमा ! एवमाइक्खामि भासामि पण्णवेमि परूवेमि-एवं खलु गोयमा ! चमरे असुरिंदे असुरराया महिड्ढीए" तं चेव जाव अग्गमहिसीअो । 'सच्चे णं एसमटे ।
१. भ० ३।४। २. महाणुभावाओ (ता)। ३. मयहरिया ° (अ, ब)। ४. भ० ३।४। ५. X (क, ता, म)। ६. अपरिसेसं (अ, क, स)। ७. भ० ३।४-७ । ८. भ० १११०। ६. एमहिड्ढीए (अ, क, ता, ब)।
१०. भ० ३।४। ११. भ० ३।४-७ । १२. अग्गमहिसीओ (अ, क, ता, ब)। १३. भ० ३।४-७। १४. महिड्ढीए सो चेव बितिओ गमो भारिण
यन्वो (अ, ब, म, स)। १५. भ० ३।४-७।। १६. सच्चमेसे अट्टे (अ, क, ता, ब) ।
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तइयं सतं (पढमो उद्दे सो)
१२५ ११. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति तच्चे गोयमे वायुभूई अणगारे समणं भगवं महावीर
वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता दोच्चं गोयमं अग्गिभूई अणगारं वंदइ नमसइ, वंदित्ता
नमंसित्ता एयमटुं सम्मं विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेइ ॥ १२. 'तए णं से तच्चे गोयमे वायुभूति अणगारे दोच्चे णं गोयमेणं अग्गिभूतिणा
अणगारेणं सद्धि जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव' पज्जुवासमाणे एवं वयासी-जइ णं भंते ! चमरे असुरिंदे असुरराया एमहिड्ढीए जाव' एवतियं च णं पभ विकूव्वित्तए, बली णं भंते ! वइरोयणिदे वइरोयणराया केमहिड्ढीए ? जाव केवइयं च णं पभू विकुवित्तए ? 'गोयमा ! बली णं वइरोयणिदे वइरोयणराया महिड्ढीए जाव' महाणुभागे । जहा चमरस्स तहा बलिस्स वि नेयव्वं, नवरं-सातिरेगं केवलकप्पं जंबुट्टीवं दीवं भाणियव्वं, सेसं तं चेव निरवसेसं नेयव्वं, नवरं-नाणत्तं जाणियब्वं भवणेहिं सामाणिएहि य ॥
१. भ०१।१०। २. ततेणं से दोच्चे गोतमे अग्गिभूती अरणगारे
तच्चेणं गोतमेणं वायुभूइणा अरणगारेणं एतमटुं सम्मं विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामिए समाणे उट्ठाए उट्टेइ, उद्वेत्ता तच्चेणं गोतमेणं वायुभूतिणा अरणगारेण सद्धि जेणेव समरणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छिता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी (क, ता); अत्र प्रश्नकर्ता ततीयो गोतमो वर्तते तेन
प्रस्तुतवाचना समीचीना न दृश्यते । ३. भ० ३।४। ४. भ० ३।४। ५. भ० ३।४। ६. गोयमा ! बली वइरोयरिंगदे वइरोयणराया
महिड्ढीए, से णं तत्थ तीसाए भवरणावाससयसहस्सारणं सट्टीए सामाणियसाहस्सीणं सेसं जहा चमरस्स, नवरं-चउण्हं सट्ठीणं आयरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसि जाव भुंज
माणे विहरति । से जहानामए एवं जहा चमरस्स तहा बलिस्स वि नेयध्वं, नवरंसातिरेगं केवल कप्पं जंबुद्दीवं भारिणयव्वं सेसं तं चेव निरवसेसं नेयवं, नवरं-नागत्तं जारिणयव्वं भवणेहि सामाणिएहिं (अ); गोयमा ! जाव महिड्ढीए ।। से रणं तत्थ तीसाए भवणावाससतसहस्सारणं सट्टीए सामाणियसाहस्सीणं सेसं जहा चमरस्स, नवरं-चउण्हं सट्ठीणं आतरक्खदेवसाहस्सीणं अन्नेसि च जाव भुंजमाणे विहरइ । से जहानामए एवं जहा चमरस्स, नवरंसाइरेगं जंबुद्दीवं जाव एगमेगाए अग्गमहिसीए देवीए इमे वुइए विसए जाव विउव्विस्संति वा (क); गोयमा ! जाव महिडढीए ।५। से णं तत्थ तीसाए भवणावाससतसहस्साणं सट्ठीए सामाणियसाहस्सीणं सेसं जहा चमरस्स, नवरं-चउण्हं सट्ठीणं आतरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णसिं च जाव भुंजमारणे विहरइ । से जहानामए एवं जहा चमरस्स, नवरं साइरेगं केवलकप्पं जंबुद्दीवं
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१२६
भगवई
१३. सेवं भंते ? सेवं भंते ! त्ति तच्चे गोयमे 'वायुभूई अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदति नम॑सति, वंदित्ता नमसित्ता णच्चासपणे णातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे भिमु विणणं पंजलियडे ० पज्जुवासइ " ||
१४. तते णं से दोच्चे गोयमे अग्भूिई अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी - जइ णं भंते ! बली वइरोयणिदे वइरोयणराया महिढी जाव' एवतियं च णं पभू विकुव्वित्तए, धरणे णं भंते ! नागकुमारिदे नागकुमारराया केमहिड्ढोए ? जाव' केवइयं च णं पभू विकुव्वित्तए ? गोमा ! धरणे णं नागकुमारिंदे नागकुमारराया महिड्ढीए जाव' महाणुभागे । सेणं तत्थ चोयालीसाए भवणावाससयसहस्साणं, छण्हं सामाणियसाहस्सीणं, तायत्तीसाए तावत्ती सगाणं, चउन्हं लोगपालाणं, छण्हं श्रग्गमहिसोणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिमाणं, सत्तण्हं ग्रणियाणं, सत्तण्हं प्रणियाहिवईणं, चउव्वीसाए आयरक्खदेवसाहस्सीणं अण्णेसि, च जाव' विहरइ । एवतियं च णं पभू विउव्वित्तए । से जहानामए जुवती जुवाणे जाव' पभू केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं जाव तिरियं संखेज्जे दीव-समुद्दे बहूहिं नागकुमारीहिं जाव विकुव्विस्सति वा । सामाणिया तावत्तीस लोगपालग्गमहिसीग्रो य तहेव जहा चमरस्स, नवरं - संखेज्जे दीव-समुद्दे भाणियव्वे ॥
१५. एवं जाव' थणिय कुमारा, वाणमंतरा, जोईसिया वि, नवरं - दाहिणिल्ले सव्वे भूई पुच्छर, उत्तरिल्ले सब्वे वायुभूई पुच्छइ ।
१६. भंतेत्ति ! भगवं दोच्चे गोयमे अग्गिभूई अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- जइ णं भंते! जोइसिंदे जोइसराया महिढी जाव" एवतियं च णं पभू विकुव्वित्तए, सक्के णं भंते ! देविंदे देवराया केमहिड्ढीए ? जाव" केवतियं च णं पभू विकुव्वित्तए ?
दीवं भारितव्वं सेसं तहेव जाव विउब्विस्संति वा ।
जइरणं भंते ! बली वइरोयरिंगदे वइरोयरणया एवमहिढी जाव एवतियं च णं पभू विउत्तिए, बलिस्सरणं भंते । वइरोयणस्स ar ० सामाणिया देवा के महिड्ढीया एवं सामाणिया तावत्तीसा तावत्तीसा लोगपालगमहिसीओ य जहा चमरस्स, नवरं - सातिरेगं जंबुद्दीवं जाव एगमेगाए अग्गमहिसीदेवीए इमे वतिए विसए जाव विउव्विसंतिवा (ता) 1
१.
२.
३.
४.
५.
६.
७.
८.
६.
१०
११.
सं० पा०—णच्चासपणे जाव पज्जुवासइ ।
वायुभूई जाव विहरइ ( अ, ब, म, स ) ।
भ० ३।१२ ।
भ० ३।१२ ।
भ० ३।४ ।
भ० ३।४ ।
भ० ३।४ ।
भ० ३।५-७ ।
पू० प०२ ।
भ० ३।४ ।
भ० ३।४ ।
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तइयं सतं (पढमो उद्देसो)
१२७ गोयमा ! सक्के गं देविंदे देवराया महिड्ढीए जाव' महाणुभागे । से णं बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्साणं, चउरासीए सामाणियसाहस्सीणं, "तायत्तीसाए तावत्तीसगाणं, चउण्हं लोगपालाणं अट्ठणहं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अणियाणं, सत्तण्हं अणियाहिवईणं°, चउण्हं चउरासीणं आयरक्खसाहस्सीणं, अण्णेसि च जाव' विहरइ । एमहिड् ढए जाव' एवतियं च णं पभू विकुवित्तए, एवं जहेव चमरस्स तहेव भाणियंव्वं, नवरं-दो केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे, अवसेसं तं चेव । एस णं गोयमा ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो इमेयारूवे विसए विसयमेत्ते'
बुइए, नो चेव णं संपत्तीए विकुव्विसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा ॥ १७. जइ णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया एमहिड्ढीए जाव एवतियं च णं पभू
विकुवित्तए, एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासि तीसए नाम अणगारे पगइभद्दए •पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे विणीए छटुंछद्रेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे बहुपडिपुण्णाई अट्ट संवच्छराइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता, सद्धि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता पालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सयंसि विमाणंसि उववायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूसंतरिए अंगूलस्स असंखेज्जइभागमेत्तीए" प्रोगाहणाए सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सामाणियदेवत्ताए उवण्णे । तए णं तीसए देवे अहुणोववण्णमेत्ते समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभावं१२ गच्छइ [तं जहा-आहारपज्जत्तीए, सरीरपज्जत्तीए, इंदियपज्जत्तीए, आणापाणपज्जत्तीए, भासा-मणपज्जत्तीए तए णं तं तीसयं देवं पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभावं" गयं समाणं सामाणियपरिसोववण्णया देवा करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धाविति वद्धावित्ता एवं वयासी-ग्रहो णं देवाणुप्पिएहिं
१. भ० ३।४। २. चउरासीतीए (क, ता, म)। ३. सं० पा.--सामाणियसाहस्सीणं जाव
चउण्हं । ४. भ० ३।४। ५. भ० ३।४। ६. भ० ३।४-७ । ७. विसयमेते णं (म, स)।
८. भ० ३।४। ६. सं० पा०-पगइभद्दए जाव विणीए । १०. मासिय (क, ब)। ११. असंखेज्जभाग° (अ, ब); असंखेज्जभागमे
त्ताए (स)। १२. पज्जत्तभावं (ता)। १३. असो कोष्ठकत्तिपाठो व्याख्यांश :प्रतीयते ? १४. पज्जत्तभावं (अ, स)।
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भगवई
दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए। जारिसिया' णं देवाणुप्पिएहिं दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए, तारिसिया णं सक्केण वि देविदेण देवरण्णा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए । जारिसिया णं सक्केणं देविदेणं देवरण्णा दिव्वा देविडढी जाव अभिसमण्णागए। जारिसिया णं देवाणप्पिएहिं दिव्वा देविडढी जाव अभिसमण्णागए। से णं भंते । तीसए देवे केमहिड्ढोए जाव केवतियं च णं पभू विकुवित्तए ? गोयमा ! महिड्ढीए जाव' महाणुभागे। से णं तत्थ सयस्स विमाणस्स, चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं, चउण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं, तिण्हं परिसाणं, सत्तण्हं अणियाणं, सत्तण्हं अणियाहिवईणं, सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं. अण्णेसिं च बहणं वेमाणियाणं देवाणं, देवीण य जाव' विहरड । एमहिड्ढीए जाव एवतियं च णं पभू विकुवित्तए। से जहानामए जुवती जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, जहेव सक्कस्स तहेव जाव' एस णं गोयमा ! तीसयस्स देवस्स अयमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए, णो चेव णं संपत्तीए
विकुविसु वा विकुव्वति वा विकुब्बिस्सति वा । १०. जहणं भंते ! तीसए देवे महिड्ढीए जाव' एवइयं च णं पभ विकवित्तए.
सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो अवसेसा सामाणिया देवा केमहिड्ढीया ? तहेव सव्वं जाव' एस णं गोयमा ! सक्कस्स देविंदस्स देवरणो एगमेगस्स सामाणियस्स देवस्स इमेयारूवे विसए विसयमेत्ते बुइए, नो चेव णं संपत्तीए विकुविसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा। तावत्तीसय-लोगपालग्गमहिसी णं जहेव चमरस्स, नवरं-दो केवलकप्पे
जंबुद्दीवे दीवे, अण्णं तं चेव ।। १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति दोच्चे गोयमे जाव विहरइ ॥ २०. भंतेति ! भगवं तच्चे गोयमे वायुभूई अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ
नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी-जइ णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया
१. जारिसाणं (अ, ब)। २. भ० ३।४। ३. भ० ३।४। ४. भ० ३।४। ५. भ० ३।१६। ६. भ० ३।४।
७. भ० ३।१७। ८. सामारिणय (अ)। ९. भ० ३।६, ७। १०. भ० ११५१ । ११. सं० पा०-भगवं जाव एवं ।
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तइयं सतं (पढमो उद्देसो)
१२६ महिड्ढीए जाव' एवइयं च णं पभू विकुवित्तए, ईसाणे णं भंते ! देविंदे देवराया केमहिड्ढीए ? एवं तहेव', नवरं-साहिए दो केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे, अवसेसं
तहेव॥ २१. जइ णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया एमहिड्ढीए जाव एवतियं च णं पभू
विकुवित्तए, एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुरुदत्तपुत्ते नामं अणगारे पगतिभद्दए जाव' विणीए अट्ठमंअट्ठमेणं अणिक्खित्तेणं, पारणए आयंबिलपरिग्गहिएणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिझिय-पगिझिय सूराभिमुहे पायावणभूमीए आयावेमाणे बहुपडिपुण्णे छम्मासे सामण्णपरियागं पाउणित्ता, अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता, तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे सयंसि विमाणंसि उववायसभाए देवसयणिज्जसि देवदूसंतरिए अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्तीए प्रोगाहणाए ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो सामाणियदेवत्ताए उववण्णे । जा तीसए वत्तव्वया' सच्चेव' अपरिसेसा करुदत्तपत्ते वि नवरं-सातिरेगे दो केवलकप्पे जंबहीवे दीवे, अवसेसं तं चेव । एवं सामाणिय-तावत्तीसग-लोगपाल-अग्गमहिसीणं जाव' एस णं गोयमा ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो एगमेगाए अग्गमहिसीए देवीए अयमेयारूवे विसए विसय
मेत्ते बुइए, नो चेव णं संपत्तीए विकुविसु वा विकुव्वति वा विकुव्विस्सति वा। २२. एवं सणंकुमारे वि, नवरं-चत्तारि केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे, अदुत्तरं च णं
तिरियमसंखेज्जे । एवं सामाणिय-तावत्तीसग-लोगपाल-अग्गमहिसीण । असंखेज्जे दीव-समुद्दे सव्वे विकुव्वंति, सणंकुमारानो पारद्धा उवरिल्ला लोगपाला" सव्वे वि असंखेज्जे दीवसमुद्दे विकुव्वंति ॥
१. भ० ३।१६ । २. भ० ३।१६। ३. तीसाणे (ता)। ४. भ० ३।४। ५. भ० ३।१७। ६. झोसइत्ता (अ, ब, स); झोसेत्ता (ता, म)। ७. भ० ३।१७। ८. सा० (ता)। ६. भ० ३।५-७ । १०. भ० ३।१६। ११. भ० ३।५-७ ।
१२. यद्यपि सनत्कुमारे स्त्रीणामुत्पत्ति स्ति
तथापि याः सौधर्मोत्पन्ना: समयाधिकपल्योपमादिदशपल्योपमान्तस्थितयोऽपरिगद्रीतदेव्यस्ताः सनत्कुमारदेवानां भोगाय संपद्यन्ते इति कृत्वाग्रमहिष्य इत्युक्तम् (वृ); इत्यपि संभाव्यते 'अग्गमहिसीणं' इति पाठः आदर्शषु प्रवाहरूपेण आगतः, वृत्तिकृता
संगत्यर्थं उक्तव्याख्या कृता। १३. आरद्ध (अ)। १४. लोगवाला (म)।
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१३०
भगवई
२३. एवं माहिंदे वि, नवरं-सातिरेगे चत्तारि केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे ।
एवं बंभलोए वि, नवरं-अट्ठ केवलकप्पे । एवं लंतए वि, नवरं-सातिरेगे अट्ट केवलकप्पे । महासुक्के सोलस केवलकप्पे । सहस्सारे सातिरेगे सोलस । एवं पाणए वि, नवरं-बत्तीसं केवलकप्पे ।
एवं अच्चुए वि, नवरं-सातिरेगे बत्तीसं केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे, अण्णं तं चेव ॥ २४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति तच्चे गोयमे वायुभूई अणगारे समणं भगवं महावीर
वंदइ नमसइ जाव' विहरइ ॥ तामलिस्स ईसाणिद-पदं २५. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ मोयानो' नयरीमो नंदणाम्रो चेइयायो
पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ २६. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे होत्था–वण्णो ' जाव' परिसा
पज्जुवासइ ॥ २७. तेणं कालेणं तेणं समएणं ईसाणे देविदे देवराया' ईसाणे कप्पे ईसाणवडेंसए विमाणे
जहेव रायप्पसेणइज्जे जाव' दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवजुति दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं
बत्तीसइबद्धं नट्टविहिं उवदंसित्ता जाव जामेव दिसि पाउब्भूए, तामेव दिसि पडिगए। २८. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता।
एवं वदासी-अहो णं भंते ! ईसाणे देविदे देवराया महिड्ढीए जाव' महाणुभागे। ईसाणस्स णं भंते ! सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे कहिं गते ? कहिं अणुपविद्वे ?
गोयमा ! सरीरं गते, सरीरं अणुपवितु ॥ २६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-सरीरं गते ! सरीरं अणुपविट्ठे ?
गोयमा ! से जहानामए कूडागारसाला सिया दुहनो लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा णिवाया णिवायगंभीरा । तीसे णं 'कूडागारसालाए अदूरसामंते, एत्थ णं महेगे जणसमूहे एगं महं अब्भवद्दलगं वा वासवद्दलगं वा महावायं वा एज्जमाणं
१. भ० ११५१।
नवहेमचारूचित्तचंचलकुंडलविलिहिज्जमाण२. मोतातो (क, ता)।
गंडे जाव दस दिसाओ उज्जोवेमारणे पभासे३. ओ० सू० १।
मारणे (अ, म, स)। ४. ओ० सू० १६-५२ ।
६. राय० सू० ७-१२० । ५. देवराया सूलपाणी वसभवाहणे उत्तरड्ढलो- ७. भ० ३।४ ।
गाहिवई अट्ठावीसविमाणावाससयसहस्साहि- ८. सं० पा०-कूडागारसालदिट्ठतो भाणियब्वो। वई अरयंबर वत्थधरे आलइयमालमउडे
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तइयं सतं ( पढमो उद्देसो)
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पासति, पासित्ता तं कूडागारसालं तो अणुपविसित्ताणं चिट्ठइ । से तेणणं गोयमा ! एवं वुच्चति — सरीरं गते, सरीरं प्रणुपविट्ठे ॥
३०. ईसाणेणं भंते ! देविदेणं देवरण्णा सा दिव्वा देविड्ढो दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे किण्णा लद्धे ? किण्णा पत्ते ? किण्णा अभिसमण्णागए ? के वा एस ग्रासि पुव्वभवे ? किंनामए वा ? किंगोत्ते वा ? कयरंसि वा गामंसि वा नगरंसि वा जाव' सण्णवेसंसि वा ? किं वा दच्चा ? किं वा भोच्चा ? किं वा किच्चा ? किं वा समायरित्ता ? कस्स वा तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वातिए गमविप्ररियं धम्मियं सुवयणं सोच्चा निसम्म ? जं णं ईसाणेणं देविदेणं देवरण्णा सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए ?
३१. एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे तामलित्ती' नाम नयरी होत्था - वण्णो ॥
३२. तत्थ णं तामलित्तीए नयरीए तामली नाम मोरियपुत्ते गाहावई होत्था - प्रड्ढे दत्ते जाव' बहुजणस्स परिभू यावि होत्था ॥
३३. तए णं तस्स मोरियपुत्तस्स तामलिस्स गाहावइस्स प्रण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुटुंबजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे प्रभथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकष्पे° समुप्पज्जित्था - प्रत्थि ता मे पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरक्ताणं सुभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणफलवित्तिविसेसे, जेणाहं हिरणं वदामि सुवण्णेणं वड्ढामि, धणेणं वड्ढामि, धण्णेणं वड्ढामि, पुतेहि वड्ढा, पसूहि वड्ढामि विपुलधण - कणग- रयण-मणि-मोत्तिय संख-सिल-प्पवालरत्तरयण-संतसारसाव एज्जेणं अतीव प्रतीव ग्रभिवड्ढामि तं किं णं ग्रहं पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं' सुपरक्कंताणं सुभाणं कल्लाणाणं • कडाणं कम्माणं "एगंतसो खयं " उवेहमाणे विहरामि ?
तंजावताव" ग्रहं हिरण्णेणं वड्ढामि जाव अतीव प्रतीव अभिवड्ढामि, जावं च मे मित्त-नाति - नियग-सयण-संबंधि-परियणो प्राढाति परियाणाई सक्कारेइ सम्माणेइ कल्लाणं मंगलं देवयं विणएणं चेइयं पज्जुवासइ, तावता मे सेयं कल्लं पाउपभायाए रयणीए जाव" उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा
१. भ० १४६ ।
२. वा किं वा सोच्चा ( क ) ।
३. तामलत्ती (म) ।
४. ओ०
सू० १ ।
५. भ० २।६४ ।
३. सं० पा० – अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था । ११.
७. सुपरि० ( अ, म); सुप्पर० (क, ता, स ) ; सुपरि० (ब) 1
८. सं० पा० – सुचिण्णाण जाव कडारणं । ९. ० सोक्खयं ( अ, क, ब, म, स) । १०. जाव ( ब ) |
भ० २।६६ ।
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१३२
भगवई
जलंते सयमेव दारुमयं पडिग्गहग करेत्ता विउलं 'असण-पाण-खाइम-साइमन उवक्खडावेत्ता, मित्त-नाइ नियग-सयण',-संबंधि-परियणं आमंतेत्ता, तं मित्त-नाइनियग-सयण-संबंधि-परियणं विउलेणं असण-पाण-'खाइम-साइमेणं वत्थ-गंधमल्लालंकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता, तस्सेव मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधिपरियणस्स पुरनो जेट्टपुत्तं कुटंबे' ठावेत्ता, तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधिपरियणं जेट्टपुत्तं च आपुच्छित्ता, सयमेव दारुमयं पडिग्गहगं गहाय मुंडे भवित्ता पाणामाए पव्वज्जाए पव्वइत्तए । पव्वइए वि य णं समाणं इमं एयारूवं अभिग्गह अभिगिहिस्सामि---कप्पइ मे जावज्जीवाए छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उडढं बाहाम्रो 'पगिज्झिय-पगिझिय" सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तए, छट्ठस्स वि य णं पारणयंसि आयावणभूमीग्रो पच्चोरुभित्ता सयमेव दारुमयं पडिग्गहगं गहाय तामलित्तीए नयरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्ता सुद्धोदणं पडिग्गाहेत्ता तं तिसत्तक्खत्तो उदएण पक्खालत्ता तो पच्छा पाहार पाहारित्तए त्ति कट एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव" उठ्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सयमेय दारुमयं पडिग्गहगं करेइ, करेत्ता विउलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडावेइ, उवक्खडावेत्ता ततो पच्छा ण्हाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिए अप्पमहग्याभरणालं कियसरीरे" भोयणवेलाए भोयणमंडवंसि सुहासणवरगए तेणं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणणं सद्धि तं विउलं असणपाण-खाइम-साइमं प्रासादेमाणे वीसादेमाणे परिभाएमाणे परिभुजेमाणे विहरइ। जिमियभत्तत्तरागए वि य णं समाणे आयते चोक्खे परमसुइब्भूए तं मित्त. नाइ नियग-सयण-संबंधि-०परियणं विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-गंधमल्लालंकारेण य सक्कारेइ सम्माणेइ, तस्सेव मित्त-नाइ"- नियग-सयण-संबंधि° परियणस्स पुरनो जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेइ, ठावेत्ता तं मित्त-नाइ- नियग-सयण
१. पडिग्गहयं (अ, म, स)। २. असणं पाणं खाइमं साइमं (अ, स)। ३. X (क, ता, ब, म, स)। ४. खातिमसातिमेणं (ब, स): ५. कुडुंबे (ता)। ६. पाणायामाए (ब)। ७. पगझिय २ (स)। क. पारणंसि (म)।
६. दएणं (ता, म)। १०. भ० २१६६ । ११. अप्पमहग्यालंकारभूसितसरीरे (ता)। १२. तए रणं (अ, ता, ब, म, स)। १३. सं० पा०-मित्त जाव परियणं । १४. सं० पा०-नाइ जाव परियणस्स । १५. सं० पा०-नाइ जाव परियणं ।
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तइयं सतं (पढमो उद्देसो)
संबंधि-परियणं जेट्टपुत्तं च श्रापुच्छइ, आपुच्छित्ता मुंडे भवित्ता पाणामाए पव्वज्जाए पव्वइए । पब्वइए वि य णं समाणे इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हइ --कप्पइ मे जावज्जीवाए छटुंछट्टेणं जाव अाहारित्तए त्ति कटु इमं एयारूवं अभिग्गह' अभिगिण्हित्ता जावज्जीवाए छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे अायावणभूमीए पायावेमाणे विहरइ । छट्ठस्स वि य णं पारणयंसि पायावणभूमीग्रो पच्चोरुभइ', पच्चोरुभित्ता सयमेव दारुमयं पडिग्गहगं गहाय तामलित्तीए नयरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडइ, अडित्ता सुद्धोयणं पडिग्गाहेइ, पडिग्गाहेत्ता
तिसत्तक्खुत्तो उदएणं पक्खालेइ, पक्खालेत्ता तो पच्छा आहारं आहारेइ ॥ ३४. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-पाणामा पव्वज्जा ?
गोयमा ! पाणामाए णं पव्वज्जाए पव्वइए समाणे जं जत्थ पासइ--इंदं वा खंदं वा रुदं वा सिवं वा वेसमणं वा अज्ज वा कोट्टकिरियं वा रायं वा ईसरं वा तलवरं वा माडंबियं वा कोडुबियं वा इब्भं वा सेट्टि सेणावई वा सत्थवाह वा काक वा साण वा पाण' वा-उच्च पासइ उच्च पणाम करेइ, नीय पासइ नोय पणामं करेइ, जं जहा पासइ तस्स तहा पणामं करेइ । से तेणटेणं गोयमा ! एवं
वच्चइ पाणामा पव्वज्जा ।। ३५. तए णं से तामली मोरियपुत्ते तेणं अोरालेणं विपुलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं
बालतवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे •निम्मसे अट्ठि-चम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे°
धमणिसंतए जाए यावि होत्था। ३६. तए णं तस्स तामलिस्स बालतवस्सिस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकाल
समयंसि अणिच्चजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए 'चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था एवं खलु अहं इमेणं अोरालेणं विपुलेणं •पयत्तेणं पग्गहिएणं कल्लाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरीएणं. उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे जाव धमणिसंतए जाए, तं अत्थि जा" मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे तावता मे सेयं
१. अभिग्गहं अभिगिण्हइ (अ, क, ता, ब, म, ६. पाणगं (अ)।
स); 'उवंगा' (३।४२) सूत्रे सोमिलस्य ७. भुक्खे (अ, क, ब, स), सं० पा०-लुक्खे प्रव्रज्याप्रसंगे एतत् पदं नास्ति । अत्रापि जाव धमणि ।। तथैव युक्तमस्ति ।
८. सं० पा०–अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था। २. पच्चोरुहइ (अ, ब)।
६. सं० पा०—विपुलेणं जाव उदग्गेणं । ३. ० इरियं (ता)।
१०. भ० ३।३५। ४. सं० पा०-रायं वा जाव सत्थवाहं । ___११. X (अ); ता (ता) ; इ (ब)। ५. सत्थाहं (ता)।
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भगवई
कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्टियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते तामलित्तीए नगरीए दिट्ठाभटे य पासंडत्थे य गिहत्थे य पुव्वसंगतिए य' परियायसंगतिए य आपुच्छित्ता तामलित्तीए नगरीए मज्झमझेणं निग्गच्छित्ता पादुग-कुडिय-मादीयं उवगरणं दारुमयं च पडिग्गहगं एगते एडित्ता तामलित्तीए नगरीए उत्तरपुरत्थिमे दिसिभाए णियत्तणिय-मंडलं आलिहित्ता' संलेहणा असणा झसियस्स भत्तपाणपडियाइविखयस्स पायोवगयस्स कालं अणवकखमाणस्स विहरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते 'तामलित्तीए नगरीए दिट्ठाभट्ठे य पासंडत्थे य गिहत्थे य पुव्वसंगतिए य परियायसंगतिए य आपुच्छइ, प्रापुच्छित्ता तामलित्तीए नयरीए मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता पादुगकुंडिय-मादीयं उवगरणं दारुमयं च पडिग्गहगं एगंते एडेइ, एडेत्ता तामलित्तीए नगरीए उत्तरपुरत्थिमे दिसिभाए णियत्तणिय-मंडलं आलिहइ, प्रालिहित्ता
संलेहणाझूसणाझूसिए ° भत्तपाणपडियाइविखए पाओवगमणं निवण्णे ।। ३७. तेणं कालेणं तेणं समएणं बलिचंचा रायहाणी अणिदा अपुरोहिया या वि होत्था ॥ ३८. तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य तामलिं
बालतवस्सिं ओहिणा आभोएंति, आभोएत्ता अण्णमण्णं सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वयासि—एवं खल देवाणप्पिया ! बलिचंचा रायहाणी अणिदा अपरोहिया. अम्हे य णं देवाणुप्पिया ! इंदाहीणा इंदाहिट्ठिया इंदाहीणकज्जा, अयं च णं देवाणुप्पिया ! तामली बालतवस्सी तामलित्तीए नगरीए बहिया उत्तरपुरथिम दिसिभागे' नियत्तणिय-मंडलं आलिहित्ता संलेहणाभूसणाझूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पायोवगमणं निवणे, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं तामलि बालतवस्सि बलिचंचाए रायहाणीए ठितिपकप्पं पकरावेत्तए त्ति कटु अण्णमण्णस्स अंतिए एयमटुं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता बलिचंचाए रायहाणीए मज्झमझेणं निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता जेणेव रुयगि उप्पायपव्वए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणंति, समोहणित्ता जाव' उत्तरवे उब्वियाई रूवाइं विकुव्वंति, विकुव्वित्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्धाए ‘उद्ध्याए दिव्वाए" देवगईए
तिरियं असंखेज्जाणं दीवसमुद्दाणं मझमझेणं 'बीईवयमाणा-बीईवयमाणा" १. य पच्छासंगतिए य (अ, म)।
५. दिसाभाए (क, ता)। २. पाउग (अ, क, ब, म)।
६. रुययिंदे (अ, ब); रुयइंदे (क, ता, म)। ३. आलिभित्ता (ता)।
७. राय० सू० १०। ४. सं० पा०-जलते जाव प्रापुच्छइ २ ताम- ८. दिव्वाए उद्ध्याए (अ, क, ता, ब, स, वृ)।
लित्तीए एगंते एडेइ जाव भत्त। . एते पदे 'रायपसेरणइय'(१०)सूत्रात् पूरिते।
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तइयं सत (पढमो उद्देसो)
जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव तामलित्ती नगरी जेणेव तामली मोरियपुत्ते तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता तामलिस्स बालतवस्सिस्स उप्पि सपक्खि सपडिदिसि ठिच्चा दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवज्जुति दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं बत्तीसतिविहं नट्टविहिं उवदंसें ति, उवदंसेत्ता तामलि बालतवस्सि तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति', करेत्ता वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे बलिचंचारायहाणीवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीग्रो य देवाणुप्पियं वंदामो नमसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामो। अम्हण्ण देवाणुप्पिया! बलिचंचा रायहाणी अणिदा अपुरोहिया, अम्हे य णं देवाणुप्पिया ! इंदाहीणा इंदाहिट्ठिया इंदाहीणकज्जा, तं तुम्भे णं देवाणुप्पिया ! बलिचंचं रायहाणि आढाह परियाणह सुमरह, अटुं बंधह, निदाणं पकरेह, ठितिपकप्पं पकरेह, तए णं तुब्भे कालमासे कालं किच्चा बलिचंचाए' रायहाणीए उववज्जिस्सह, तए णं तुब्भे अम्ह इंदा
भविस्सह, तए णं तुब्भे अम्हेहिं सद्धि दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणा विहरिस्सह ।। ३६. तए णं से तामली बालतवस्सी तेहिं बलिचंचारायहाणिवत्थव्वएहि बहूहिं असुर
कुमारेहिं देवेहिं देवीहि य एवं वुत्ते समाणे एयमटुं नो अाढाइ, नो परियाणेइ',
तुसिणीए संचिट्ठइ॥ ४०. तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असरकुमारा देवा य देवीग्रो य
तामलि मोरियपुत्तं दोच्चं पि तच्चं पि तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति जाव' अम्हं च णं देवाणुप्पिया ! बलिचंचा रायहाणी अणिदा 'अपुरोहिया, अम्हे य णं देवाणप्पिया ! इंदाहीणा इंदाहिट्ठिया इंदाहीणकज्जा, तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! बलिचंचं रायहाणि अाढाह परियाणह सुमरह, अटुं बंधह, निदाणं पकरेह , ठितिपकप्पं पकरेह जाव दोच्चं पि तच्चं पि एवं वुत्ते समाणे 'एयमटुं
नो प्राढाइ, नो परियाणेइ°, तुसिणीए संचिट्टइ॥ ४१. तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीप्रो य
तामलिणा बालतवस्सिणा अणाढाइज्जमाणा अपरियाणिज्जमाणा जामेव दिसि
पाउब्भूया तामेव दिसि पडिगया। ४२. तेणं कालेणं तेणं समएणं ईसाणे कप्पे अणिदे अपुरोहिए या वि होत्था ॥
...--..-----
१. पकरेंति (अ, ता)। २. सं० पा०-नमंसामो जाव पज्जवासामो। ३. अम्हाणं (अ, स)। ४. आढह (अ, स)। ५. बलिचंचा (अ, ब, म, स)।
६. परियाणइ (अ, क, ता, म); परियाणाइ
(ब)। ७. भ० ३।३८ । ८. सं० पा०-अरिंणदा जाव ठिति । ६. सं० पा०–समाणे जाव तुसिणीए ।
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१३६
भगवई
४३. तए णं से तामली बालतवस्सी बहुपडिपुण्णाइं सद्धिं वाससहस्साइं परियागं पाउ
णित्ता, दोमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता, सवीसं भत्तसयं अणसणाए छेदित्ता कालकासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे ईसाणव.सए विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूसंतरिए अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्तीए प्रोगाहणाए ईसाणदेविंद
विरहियकालसमयंसि ईसाणदेविदत्ताए' उववण्णे ।। ४४. तए णं से ईसाणे देविदे देवराया अहुणोववण्णे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभावं
गच्छइ, [तं जहा-ग्राहारपज्जत्तीए जाव भासा-मणपज्जत्तीए] ॥ ४५. तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीप्रो य तामलि
बालतवस्सि कालगतं जाणित्ता, ईसाणे य कप्पे देविदत्ताए उववण्णं पासित्ता आसुरुत्ता रुदा कुविया चंडिक्किया मिसिमिसेमाणा बलिचंचाए रायहाणीए मज्झमझेणं निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता ताए उक्किट्ठाए जाव" जेणेव भारहे वासे जेणेव तामलित्ती नयरी जेणेव तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरए तेणेव उवागच्छंति, वामे पाए सुंबेण बंधंति, तिक्खुत्तो मुहे निठुहंति, तामलित्तीए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु 'पाकड्ढ-विकड्ढि" करेमाणा, महया-महया सद्देणं उग्घोसेमाणा-उग्घोसेमाणा एवं वयासि-केस णं भो ! से तामली बालतवस्सी सयंगहिलिंगे" पाणामाए पव्वज्जाए पव्वइए ? केस णं से ईसाणे कप्पे ईसाणे देविंद देवराया ?-ति कटु तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरयं हीलंति निदंति खिसंति गरहंति अवमण्णंति तज्जति तालेति परिवति पव्वहेंति, आकड्ढ-विकड्ढि करेंति, हीलेत्ता निंदित्ता खिसित्ता गरहित्ता अवमण्णेत्ता तज्जेत्ता तालेत्ता परिवहेत्ता पव्वहेत्ता आकड्ढ-विकड्ढि
करेत्ता एगते एडंति, एडिता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया। ४६. तए णं ते" ईसाणकप्पवासी" बहवे वेमाणिया देवा य देवीमो य बलिचंचाराय
हाणिवत्थव्वएहि बहूहिं असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य तामलिस्स बालतवस्सिस्स सरीरयं हीलिज्जमाणं निदिज्जमाणं 'खिसिज्जमाणं गरहिज्जमाणं अवमण्णि
ज्जमाणं तज्जिज्जमाणं तालेज्जमाणं परिवहिज्जमाणं पव्वहिज्जमाणं ° आकड्ढ१. ० दूसंतरियंसि (अ); ° दूसंतरियं (ब)। ६. आकट्ट-विकट्टि (क, ब, म, स)। २. ईसाणे ° (अ, ता)।
१०. से के (अ, ब)। ३. भ० ३।१७।
११. सइंगिहिय ° (क, ता, ब)। ४. असौ कोष्ठकत्तिपाठो व्याख्यांशः प्रतीयते । १२. हीलयंति (ता)। ५. भ० ३।३८ ।
१३. सं० पा० ---हिलेत्ता जाव आकड्ढ । ६. पायंसि (क)।
१४. X (अ, ब)। ७. सुंदेणं (अ)।
१५. ईसाणंसि (ब)। ८. उट्ठुहंति (अ, ब, म, स)।
१६. सं० पा०-निदिज्जमारणं जाव आकड्ढ ।
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तइयं सतं (पढमो उद्देसो)
१३७ विकड्ढि कीरमाणं पासंति, पासित्ता प्रासुरुत्ता' जाव' मिसिमिसेमाणा जेणेव ईसाणे देविदे देवराया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धावेंति, वद्धावेत्ता एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीप्रो य देवाणुप्पिए कालगए जाणित्ता ईसाणे य कप्पे इंदत्ताए उववण्णे पासेत्ता
आसुरुत्ता जाव एगते एडेंति, एडेत्ता जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया। ४७. तए णं ईसाणे देविदे देवराया तेसि ईसाणकप्पवासीणं बहूणं वेमाणियाणं देवाण
य देवीण य अंतिए एयमदं सोच्चा निसम्म प्रासरुत्ते जावः मिसिमिसेमाणे तत्थेव' सयणिज्जवरगए तिवलियं भिडिं निडाले साहटु बलिचंचारायहाणि
अहे सपक्खिं सपडिदिसिं समभिलोएइ॥ ४८. तए णं सा बलिचंचा रायहाणी ईसाणेणं देविदेणं देवरण्णा अहे सपक्खि सपडिदिसि
समभिलोइया समाणी तेणं दिव्वप्पभावेणं इंगालब्भूया मुम्मुरब्भूया छारियब्भूया
तत्तकवेल्लकन्भूया तत्ता समजोइब्भूया जाया यावि होत्था ।। ४६. तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीयो य तं
बलिचंच' रायहाणि इंगालब्भूयं जाव' समजोइन्भूयं पासंति, पासित्ता भीया तत्था तसिया उब्विग्गा संजायभया सव्वनो समता आधाति परिधावेंति,
आधावेत्ता परिधावेत्ता अण्णमण्णस्स कायं समतुरंगेमाणा-समतुरंगेमाणा चिट्ठति ।। ५०. तए णं ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया बहवे असुरकुमारा देवा य देवीप्रो य
ईसाणं देविदं देवरायं परिकुवियं जाणित्ता ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो तं दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवज्जुइं दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं तेयलेस्सं असहमाणा सव्वे सपक्खि सपडिदिसं ढिच्चा करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटट जएणं विजएणं वद्धावति, वद्धावेत्ता एव वयासी-अहो ! ण देवाणप्पिएहिं दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते ° अभिसमण्णागए, तं दिवा णं देवाणुप्पियाणं दिव्वा देविड्ढी 'दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणभावे° लद्धे पत्ते अभिसमण्णामाए, तं खामेमो णं देवाणुप्पिया ! खमंतु णं
१. आसुरत्ता (ब, म)। २. भ० ३।४५ । ३. भ० ३।४५। ४. बलिचंचा (अ, क, ब, म, स)। ५. भ० ३।४८ । ६. उत्तत्था (ता, स)।
७. तेसिया (ब); सुसिया (स); हस्तलिखितवृत्ती
क्वचित्तसियत्ति शुषितानंदरसाः, क्वचिच्च
'सुसियत्ति' शुषितानंदरसा इति लभ्यते । ८. सं० पा०-देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। ६. सं० पा०-देविड्ढी जाव लद्धे ।
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१३८
भगवई
देवाणुप्पिया ! खंतुमरिहंति' णं देवाणुप्पिया ! णाइ भुज्जो' एवं करणयाए त्ति
कटु एयमटुं सम्म विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेति ॥ ५१. तए णं से ईसाणे देविदे देवराया तेहिं बलिचंचारायहाणिवत्थव्वएहिं बहूहि
असुरकुमारेहिं देवेहिं देवीहि य एयमटुं सम्म विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामिते समाणे तं दिव्वं देविड्ढि जाव तेयलेस्सं पडिसाहरइ । तप्पभिति च णं गोयमा ! ते बलिचंचारायहाणिवत्थव्वया' बहवे असुरकुमारा देवा य देवीग्रो य ईसाणं देविदं देवरायं आढंति परियाणंति सक्कारेंति सम्माणति कल्लाणं मंगलं देवयं विणएणं चेइयं° पज्जुवासंति, ईसाणस्स य देविंदस्स देवरण्णो प्राणा-उववायवयण-निद्देसे चिटुंति। एवं खलु गोयमा ! ईसाणेणं देविदेणं देवरण्णा सा दिव्वा देविड्ढी 'दिव्वा
देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते ° अभिसमण्णागए ।। ५२. ईसाणस्स भंते ! देविंदस्स देवरण्णो केवतियं कालं ठिई पण्णत्ता ?
गोयमा ! सातिरेगाई दो सागरोवमाइं ठिई पण्णत्ता। ५३. ईसाणे णं भंते ! देविंदे देवराया तानो देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं
ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता' कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति 'बुज्झिहिति मुच्चिहिति सव्वदु
क्खाणं ° अंतं काहिति ॥ सक्कीसाण-पदं ५४. सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो विमाणेहितो ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो
विमाणा ईसिं उच्चतरा चेव ईसिं उन्नयतरा" चेव ? ईसाणस्स वा देविंदस्स देवरण्णो विमाणेहितो सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो विमाणा ईसिं णीयतरा चेव ईसि निण्णतरा चेव ?
हंता गोयमा ! सक्कस्स तं चेव सव्वं नेयव्वं ।। ५५. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ
१. खंतुमरिहंतु (अ, ब); खमंतुमरिहंतु (ता, स)। ७. सं० पा०-देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। २. गाइं (ता, स)।
८. केवइ (ता)। ३. भुज्जो-भुज्जो (अ, क, स)।
६. सं० पा०-आउक्खएणं जाव कहिं । ४. भ० ३।५०।
१०. सं० पा०-सिज्झिहिति जाव अंतं । ५. ० वत्थव्वा (अ, ता, ब, म, स)। ११. उन्नयरा (अ, ता, ब, ब, स)। ६. आढायंति (क, ता); सं० पा०-आढ़ति
जाव पज्जुवासंति ।
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तइयं सतं (पढमो उद्देसो)
१३९ गोयमा ! से जहानामए करयले सिया--देसे उच्चे, देसे उन्नए। देसे णीए, देसे निण्णे । से तेणटेणं गोयमा ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जाव' ईसि निण्णतरा
चेव ॥ ५६. पभू णं भंते ! सक्के देविदे देवराया ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो अंतियं
पाउन्भवित्तए ?
हंता पभू ॥ ५७. से भंते ! किं आढामाणे पभू ? अणाढामाणे' पभू ?
गोयमा ! आढामाणे पभू, नो अणाढामाणे पभू ॥ ५८. पभू णं भंते ! ईसाणे देविदे देवराया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो अंतियं
पाउब्भवित्तए ?
हंता पभू॥ ५६. से भंते ! किं आढामाणे पभू ? अणाढामाणे पभू ?
गोयमा ! आढामाणे वि पभू, अणाढामाणे वि पभू । ६०. पभू णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया ईसाणं देविदं देवरायं सपक्खि सपडिदिसि
समभिलोइत्तए?
"हंता पभू॥ ६१. से भंते ! कि आढामाणे पभू ? अणाढामाणे पभू ?
गोयमा ! आढामाणे पभू, नो अणाढामाणे पभू ।। ६२. पभू णं भंते ! ईसाणे देविदे देवराया सक्कं देविदं देवरायं सपक्खि सपडिदिसिं
समभिलोइत्तए ?
हंता पभू॥ ६३. से भंते ! कि पाढामाणे पभू ? प्रणाढामाणे पभू ?
गोयमा ! आढामाणे वि पभू, अणाढामाणे वि पभू° ॥ ६४. पभू णं भंते ! सक्के देविदे देवराया ईसाणेणं देविदेणं देवरप्णा सद्धि पालावं वा
संलावं वा करेत्तए?
हंता पभू ॥ ६५. °से भंते ! किं आढामाणे पभू ? अणाढामाणे पभू ? ___ गोयमा ! आढामाणे पभू, नो अणाढामाणे पभू ।।
१. भ० ३०५४ ।
४. सपक्खं (क, ता)। २. आढामीणे (अ, क, ता, ब, म); आढाय- ५. सं० पा०-जहा पादुब्भवणा तहा दो वि माणे (स)।
आलावगा शेयव्वा। ३. अणाढामीणे (अ, क, ता, ब, म); अणा- ६. सं० पा०-जहा पादुब्भवा।
ढायमाणे (स)।
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१४०
भगवई
६६. पभू णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया सक्केणं देविदेणं देवरण्णा सद्धि आलावं वा
संलावं वा करेत्तए ? हंता पभू ॥
६७. से भंते ! कि आढामाणे पभू ? अणाढामाणे पभू ?
गोमा ! आढामाणे वि पभू, अणाढामाणे विपभू ।
६८. प्रत्थि णं भंते ! तेसि सक्कीसाणाणं देविदाणं देवराईणं किच्चाई करणिज्जाई समुपज्जंति' ?
हंता अस्थि ||
६९. से कहमिदाणि पकरेंति ?
गोयमा ! ताहे चेव णं से सक्के देविंदे देवराया ईसाणस्स देविंदस्स देवरणो प्रतियं पाउब्भवति, ईसाणे वा देविदे देवराया सक्कस्स देविंदस्स देवरणो प्रतियं पाउब्भवति इति भो ! सक्का ! देविंदा ! देवराया ! दाहिणड्ढलोगाहिवई ! इति भो ! ईसाणा ! देविंदा ! देवराया ! उत्तरड्ढलो गाहिवई ! इति भो ! इति भो ! ति अण्णमण्णस्स किच्चाई करणिज्जाई पच्चणुब्भवमाणा विहरति ॥
७०. प्रत्थि णं भंते ! तेसि सक्कीसाणाणं देविदाणं देवराईणं विवादा समुप्पज्जति ? हंता थि ||
७१. से कहमिदाणि पकरेंति ?
गोयमा ! ताहे चेव णं ते सक्कीसाणा देविंदा देवरायाणो सणकुमारं देविद देवरायं मणसीकरेंति । तए णं से सणकुमारे देविंदे देवराया तेहिं सक्की साहि देविदेहि देवराईहिं मणसीकए समाणे खिप्पामेव सक्कीसाणाणं देविदाणं देवराईणं अंतियं पाउब्भवति, जं से वदइ तस्स प्राणा-उववाय वयण - निसे चिट्ठति ।
सकुमार-पदं
७२. सणकुमारे णं भंते ! देविंदे देवराया किं भवसिद्धिए ? अभवसिद्धिए ? सम्महिट्ठी ? मिच्छदिट्ठी ? परित्तसंसारिए ? प्रणतसंसारिए ? सुलभबोहिए ? दुल्लभबोहिए ? राहए ? विराहए ? चरिमे ? प्रचरिमे ?
गोयमा ! सणकुमारे णं देविदे देवराया भवसिद्धिए, नो प्रभवसिद्धिए । सम्म
१. X ( अ, ब, क ) ।
२.
० बोहीए ( अ, ब, स ) । ३. भवसिद्धीए (ता) ।
४. सं० पा० एवं स प सु आ च पसत्थं नेयव्वं ।
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तइयं सतं (पढमो उद्देसो)
१४१ ट्टिी, नो मिच्छदिट्ठी। परित्तसंसारिए, नो अणंतसंसारिए। सुलभबोहिए, नो
दुल्लभबोहिए। पाराहए, नो विराहए । चरिमे, नो अचरिमे ।। ७३. से केणतुणं भंते !
गोयमा ! सणंकुमारे णं देविदे देवराया बहूणं समणागं बहूणं समणीणं बहूणं सावयाणं बहूणं सावियाणं हियकामए सुहकामए पत्थकामए आणुकंपिए निस्सेयसिए हिय-सुह-निस्सेसकामए । से तेणटेणं गोयमा ! सणंकुमारे णं देविंदे देवराया भवसिद्धिए', 'नो अभवसिदिए। सम्मद्दिट्ठी, नो मिच्छदिट्ठी । परित्तसंसारिए, नो अगंतसंसारिए । सुलभबोहिए, नो दुल्लभबोहिए। पाराहए,
नो विराहए । चरिमे°, नो अचरिमे ।। ७४. सणंकुमारस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो केवइयं कालं ठिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! सत्त सागरोवमाणि ठिती पण्णत्ता ॥ ७५. से णं भंते ! तारो देवलोगारो आउक्खएणं' •भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं
चयं चइत्ता कहि गच्छिहिइ° ? कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति' 'बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिवाहिति
सव्वदुक्खाणं° अंतं करेहिति ।। ७६. सेवं भंते ! सेवं भंते । संगहणी-गाहा
छट्टममासो, अद्धमासो वासाइं अट्ठ छम्मासा । तीसग-कुरुदत्ताणं, तव-भत्तपरिण-परियारो ॥१॥ उच्चत्त विमाणाणं, पाउन्भव पेच्छणा य संलावे । किच्च विवादुप्पत्ती, सणंकुमारे य भवियत्तं ।।२।।
१. सं० पा०-भवसिद्धिए जाव नो। २. सं० पा०-याउक्खएणं जाव कहिं । ३. सं० पा०—सिज्झिहिति जाव अंतं । ४. भ० ११५१ ।
५. भवियव्वं (ता); अतोने सर्वेष्वादशेषु 'मोया
सम्मत्ता' इति पाठोस्ति, वृतिकृतापि व्याख्यातोसौ, किन्तु मोया-प्रकरणं तामलितापसप्रकरणात् पूर्वमेव समाप्तम्, तेन नावश्यकोसौपाठः।
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१४२
भगवई
बीओ उद्देसो ७७. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नगरे होत्था जाव' परिसा पज्जुवासइ ॥ ७८. तेणं कालेणं तेणं समएणं चमरे असुरिदे असुरराया चमरचंचाए रायहाणीए,
सभाए सुहम्माए, चमरंसि सीहासणंसि, चउसट्ठीए सामाणियसाहसहिं जाव'
नट्टविहि उवदंसेत्ता जामेव दिसि पाउब्भए तामेव दिसि पडिगए ।। ७९. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी-अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे असुरकुमारा देवा परिवसंति ?
गोयमा ! णो इणढे समढें । ८०. एवं जाव अहेसत्तमाए पुढवीए, सोहम्मस्स कप्पस्स अहे जाव' अत्थि णं भंते !
ईसिप्पन्भाराए पुढवीए अहे असुरकुमारा देवा परिवसंति ?
णो इणढे समतु॥ ८१. से कहि खाइ णं भंते ! असुरकुमारा देवा परिवसंति ?
गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीतुत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए एवं
असुरकुमारदेववत्तव्वया जाव' दिव्वाइं भोगभोगाइं भंजमाणा विहरंति ॥ ८२. अत्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गतिविसए ?
हंता अस्थि ॥ ८३. केवतियण्णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं अहे गतिविसए पण्णत्ते ?
गोयमा ? जाव अहेसत्तमाए पुढवोए । तच्चं पुण पुढवि गया य गमिस्संति य ।। ८४. किंपत्तियण्णं भंते ! असुरकुमारा देवा तच्चं पुढवि गया य गमिस्संति य ?
गोयमा ! पुव्ववेरियस्स वा वेदणउदी रणयाए, पुव्वसंगतियस्स वा वेदणउवसाम
णयाए–एवं खलु असुरकुमारा देवा तच्चं पुढवि गया य गमिस्संति य ।। ८५. अत्थि णं भंते ? असुरकुमाराणं देवाणं तिरियं गतिविसए पण्णत्ते ?
हंता अत्थि॥ ८६. केवतियण्णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं तिरियं गतिविसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! जाव असंखेज्जा दीव-समुद्दा, नंदिस्सरवरं पुण दीवं गया य गमिस्संति य ।। ८७. किंपत्तियण्णं भंते ! असुरकुमारा देवा नंदिस्सरवरं दीवं गया य गमिस्संति य ?
१. ओ० सू०१६-५२। २. राय० सू० ७-१२० । ३. दिसं (ता, ब, म, स)। ४. अ० सू० २८७ । ५. अ० सू० २८७।
६. असीउत्तर (अ, ब, म, स)। ७. प०२। ८. केवतियं णं (स)। है. किंपत्तिय रणं (अ, ता, ब, म)।
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तइयं सतं (बीओ उद्देसो)
१४३ गोयमा ! जे इमे अरहंता भगवंतो', एएसि णं जम्मणमहेसु वा, निक्खमणमहेसु वा, नाणुप्पायमहिमासु' वा, परिनिव्वाणमहिमासु वा-एवं खलु असुरकुमारा
देवा नंदिस्सरवरं दीवं गया य गमिस्संति य ॥ ८८. अत्थि णं भंते असुरकुमाराणं देवाणं उड्ढं गतिविसिए ?
हंता अत्थि ॥ ८९. केवतियण्णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं उड्ढं गतिविसए ? ___गोयमा ! 'जाव अच्चुतो कप्पो, सोहम्मं पुण कप्पं गया य गमिस्संति य ॥ ६०. किंपत्तियण्णं भंते ! असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य ?
गोयमा ! तेसि णं देवाणं भवपच्चइए' वेराणुबंधे, ते णं देवा विकुव्वेमाणा परियारेमाणा वा पायरक्खे देवे वित्तासेंति अहालहुसगाइं रयणाइं गहाय आया।
एगंतमंतं प्रवक्कमति ॥ ६१. अत्थि णं भंते ! तेसिं देवाणं अहालहुसगाइं रयणाइं ?
हंता अत्थि ॥ ६२. से कहमिदाणि पकरेंति ?
तो से पच्छा कायं पव्वहति ।। ६३. पभू णं भंते ! असुरकुमारा देवा तत्य गया चेव समाणा ताहिं अच्छराहिं सद्धिं
दिव्वाई भोगभोगाइं भुजमाणा विहरित्तए ? । णो इणटे समटे । ते णं ततो पडिनियत्तंति, ततो पडिनियत्तित्ता इहमागच्छंति । जइ णं तानो अच्छ राम्रो आढायंति परियाणंति, पभू णं ते असुरकुमारा देवा ताहिं अच्छ राहिं सद्धि दिव्वाइं भोग भोगाइं भुजमाणा विहरित्तए । अह णं ताओ अच्छरानो नो पाढंति, नो परियाणंति, नो णं पभू ते असुरकुमारा देवा ताहिं अच्छराहिं सद्धि दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजमाणा विहरित्तए । एवं खलु गोयमा!
असुरकुमारा देवा सोहम्मं कप्पं गया य गमिस्संति य ।। १४. केवइयकालस्स णं भते ! असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयंति जाव सोहम्मं कप्पं
गया य गमिस्संति य? गोयमा ! अणंताहिं 'प्रोसप्पिणीहिं, अणताहि उस्स प्पिणीहि समतिक्कंताहिं
१. भगवंता (क, ब, स)। २. नाणुप्पत्ति ° (क)। ३. जावच्चुए (अ. ता, ब, म, स)। ४. पच्चइय (अ, ब, म, स)। ५. तासेंति २ (ता)। ६. च्चेव (ता)।
७. इह समागच्छंति (अ, ब)। ८. आढायंति (क, ता, म, स)। ६. केवइकालस्स (अ, क, ब, म, स)। १०. उस्सप्पिणीहिं अणंताहि अवसप्पिणीहिं (अ,
ब, स)।
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१४४
६५. किं निस्साए णं भंते ! असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ? गोयमा ! से जहानामए इहं सबरा' इ वा बब्बरा इ वा टंकणा' इ वा चुचुया' इवा पल्हा इवा पुलिंदा इ वा एगं महं 'रण्णं वा " गड्ढे वा दुग्गं वा दरि वा विसमं वा पव्वयं वा नीसाए सुमहल्लमवि प्रासवलं वा हत्थिबलं वा जोहबलं वा धवलं वा गलेति, एवामेव असुरकुमारा वि देवा नण्णत्थ' ग्ररहंते वा अरहंतचेतियाणि वा अणगारे वा भाविप्रप्पणो निस्साए उड्ढं उप्पयंति जाव सोहम कप्पो ||
भगवई
अत्थि णं एस भावे लोयच्छेरयभूए समुप्पज्जइ, जं णं असुरकुमारा देवा उड्ढ उपयंति जाव सोहम्मो कप्पो ||
९६. सव्वे विणं भंते ! असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ? गोमा ! णो इट्टे समट्ठे । महिड्डिया णं असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ||
सुरिंदे असुरराया उड्ढं उप्पइयपुब्वे जाव सोहम्मो
हंता गोयमा ! एस व य णं चमरे सुरिंदे असुरराया उड्ढं उप्पइयपुब्वे जाव सोहम कप्पो ||
६७. एस वियणं भंते । चमरे
कप्पो ?
६८. अहो णं भंते ! चमरे सुरिंदे असुरराया महिड्ढीए महज्जुईए" "जाव' महाणुभागे । चमरस्स णं भंते ! सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे कहिं गते ? कहिं प्रणुपविट्ठे ?
कूडागा रसालादितो भाणियव्वो" ॥
६६. चमरणं भंते ! प्रसुरिंदेणं असुररण्णा सा दिव्वा देविड्ढी दिव्या देवज्जुती दिव्वे
देवा भागे किण्णा द्धे ? पत्ते ? अभिसमण्णागए ?
0
१००. एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंदूदीवे दीवे भारहे वासे विगिरिपायमूले बेभेले नामं सण्णिवेसे होत्था – वण्णो" ।।
७. सं० पा० - महज्जुईए जाव कहिं ।
८.
भ० ३।४ ।
ε.
१०. भ० ३।२६ ।
४. पहाया ( अ ); पण्हवा (क, ता ) ; पहा ११. सं० पा० तं चैव ।
१. सब्बरा ( अ, ब ) ।
२. ढंका ( क ) ।
३. भुंभुया (अ); चूचुया (अ); (क, ब); भुत्तुया
(स) ।
५.
६.
( ब, स ) ।
X ( अ, क, ब, म ) |
x ( अ, ता, ब ) ।
०
सालदितो (क, ता, ब, म) 1
१२. ओ० सू० १ एत्दवर्णन 'नंदरणवरण- सन्निभिपगासे' एतावदेव ग्राह्यम् ।
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तइय सतं (बीओ उद्देसो)
१४५ १०१. तत्थ णं बेभेले सण्णिवेसे पूरणे नामं गाहावई परिवसइ–अड्ढे दित्ते जाव'
बहुजणस्स अपरिभूए या वि होत्था ॥ १०२. तए णं तस्स पूरणस्स गाहावइस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि
कुटुंबजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-अत्थि ता मे पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणफलवित्तिविसेसे, जेणाहं हिरण्णणं वड्ढामि, सुवण्णेणं वड्ढामि, धणेणं वड्ढामि, धण्णेणं वड्ढामि, पुत्तेहिं वड्ढामि, पसूहि वड्ढामि, विपुलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिलप्पवाल-रत्तरयण-संतसारसावएज्जेणं अतीव-अतीव अभिवड्ढामि, तं किं णं अहं पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं जाव कडाणं कम्माणं एगंतसो खयं उवेहमाणे विहरामि ? तं जावताव अहं हिरण्णणं वड्ढामि जाव अतीव-अतीव अभिवड्ढामि, जावं च मे मित्त-नाति-नियग-सयण-संबंधि-परियणो पाढाति परियाणाइ सक्कारेइ सम्माणेइ कल्लाणं मंगलं देवयं विणएणं चेइयं पज्जुवासइ, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सयमेव चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहगं करेत्ता, विउलं असण-पाणखाइम-साइमं उवक्खडावेत्ता, मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परियणं आमंतेत्ता, तं मित्त-नाइ-निय ग-सयण-संबंधि-परियणं विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-गंध-मल्लालंकारेण य सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता, तस्सेव मित्त-नाइ-नियगसयण-संबंधि-परियणस्स पुरो जेट्टपुत्तं कुटुंबे ठावेत्ता, तं मित्त-नाइ-नियगसयण-संबंधि-परियणं जेट्टपुत्तं च आपुच्छित्ता°, सयमेव चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहगं गहाय मुंडे भवित्ता दाणामाए पव्वज्जाए पव्वइत्तए। पव्वइए वि य णं समाणे 'इमं एयारूवं अभिग्गहं अभिगिहिस्सामि-कप्पइ मे जावज्जीवाए छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिझिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए आयावेमाणस्स विहरित्तए, छट्टस्स वि य णं पारणंसि° पायावणभूमीअो पच्चोरुभित्ता सयमेव चउप्पुडयं दारुमयं पडिगहगं गहाय बेभेले सण्णिवेसे उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्ता जं मे पढमे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं पंथे पहियाणं दलइत्तए।
१. सं० पा०-जहा तामलिस्स वत्तव्वया तहा २. भ. २०६४ ।
नेतव्वा, नवरं चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहयं ३. भ०२१६६ । करेता जाव विउलं असरगपारणखाइमसाइमं ४, सं० पा०-तं चेव जाव आयावरण । जाव सयमेव।
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१४६
भगवई
'जं मे' दोच्चे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं काग-सुणयाणं दलइत्तए । 'जं में तच्चे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं मच्छ-कच्छभाणं दलइत्तए । जं मे चउत्थे पुडए पडइ, कप्पइ मे तं अप्पणा आहारं आहारेत्तए-त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए तं चेव निरवसेसं जाव जं से चउत्थे पुडए पडइ, तं
अप्पणा आहार आहारइ॥ १०३. तए णं से पूरणे बालतवस्सी तेणं अोरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं
बालतवोकम्मेणं 'सुक्के लुक्खे निम्मंसे अट्ठि-चम्मावणद्धे किडिकिडियाभूए किसे धमणिसंतए जाए यावि होत्था । तए णं तस्स पूरणस्स बालतवस्सिस्स अण्णया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि अणिच्चजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं इमेणं अोरालेणं विपूलेणं पयत्तेणं पग्गहि. एणं कल्लाणेणं सिवेणं धन्नेणं मंगल्लेणं सस्सिरीएण उदग्गेणं उदत्तेणं उत्तमेणं महाणुभागेणं तवोकम्मेणं सुक्के लुक्खे जाव' धमणिसंतए जाए, तं अत्थि जा मे उढाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते बेभेलस्स सण्णिवेसस्स दिट्ठाभट्ठे य पासंडत्थे य गिहत्थे य पुव्वसंगतिए य परियायसंगतिए य आपुच्छित्ता बेभेलस्स सण्णिवेसस्स मज्झमझेणं निग्गच्छित्ता, पादुग-कुंडिय-मादीयं उवगरणं चउप्पुडयं दारुमयं च पडिग्गहगं एगते एडित्ता, बेभेलस्स सण्णिवेसस्स दाहिणपुरथिमे दिसीभागे अद्धनियत्तणिय-मंडल आलिहित्ता संलेहणा-झूसणा-झूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स पाअोवगयस्स कालं अणवकखमाणस्स विहरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते बेभेले सण्णिवेसे दिट्टाभट्टे य पासंडत्थे य गिहत्थे य पूव्वसंगतिए य परियाय संगतिए यापुच्छइ, आपुच्छित्ता बेभेलस्स सण्णिवेसस्स मज्झमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता पादुग-कुंडिय-मादीयं उवगरणं दारुमयं च पडिग्गहगं एगते एडेइ, एडेत्ता बेभेलस्स सण्णिवेसस्स दाहिणपुरथिमे दिसीभागे अद्धनियत्तणियमंडलं आलिहित्ता संलेहणा-झूसणाझूसिए भत्तपाणपडियाइक्खिए पायोवगमणं
निवण्णे॥ १०५. तेणं कालेणं तेणं समएणं अहं गोयमा ! छउमत्थकालियाए एक्कारसवासपरियाए
छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे पुव्वाण
१. सुणकारणं (क, ता); सुरणगाणं (म)। २. जम्मे (ता)। ३. सं० पा०-तं चेव जाव बेभेलस्स ।
४. भ० ३।३५ । ५. भ० २।६६ ।
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सइयं सतं (बीओ उद्देसो)
१४७
पुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दृइज्जमाणे जेणेव सुंसुमारपुरे नगरे जेणेव असोयसंडे' उज्जाणे जेणेव असोयवरपायवे जेणेव पुढवीसिलावट्टए तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता असोगवरपायवस्स हेट्ठा पुढवीसिलावट्टयंसि श्रमभत्तं परिहामि, ' दो वि पाए साहट्टु वग्घारियपाणी एगपोग्गलनिविदिट्ठी अणिमिसणयणे ईसिप भारगएणं' काएणं, ग्रहापणिहिएहिं गत्तेहिं सव्विदिएहिं गुत्तेहिं एगराइय महापडिमं उवसंपज्जेत्ता णं विहरामि ॥
१०६. तेणं कालेणं तेणं समएणं चमरचंचा रायहाणी अणिदा पुरोहिया या वि होत्या ||
१०७. तए णं से पूरणे बालतवस्सी बहुपडिपूण्णाई दुवालसवासाइं परियागं पाउणित्ता, मासिया संलेहणाए प्रत्ताणं भूसेत्ता, सट्ठि भत्ताइं प्रणसणाए छेदेत्ता, कालमासे कालं किच्चा चमरचंचाए रायहाणीए उववायसभाए जाव इंदत्ताए उववण्णे || १०८. तए णं से चमरे सुरिंदे असुरराया ग्रहणोववण्णे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभाव गच्छइ, [तं जहा - प्राहारपज्जत्तीए जाव' भास - मणपज्जत्तीए' ] ॥ १०६. तए णं से चमरे सुरिंदे असुरराया पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभावं गए समाणे उड्ढं वीससाए ओहिणा ग्राभोएइ जाव' सोहम्मो कप्पो, पासइ य
तत्थ-----
सक्कं देविंदं देवरायं मघवं पाकसासणं । सयक्कतुं सहस्सक्खं, वज्जपाणि पुरंदरं ॥
• दाहिणड्ढलोगाहिवई बत्तीसविमाणसयसहस्सा हिवरं एरावणवाहणं सुरिंद अरयंबरवत्थधरं ग्रालइयमालमउडं नव- हेम चारुचित्त- चंचल- कुंडल-विलिहिज्ज - माणगंडं भासुरबोंदि पलंबवणमालं दिव्वेणं वण्णेणं जाव० दस दिसा उज्जोवेमाणं पभासेमाणं सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंस विमाणे सभाए सुहम्माए सक्कंसि सीहासांसि जाव" दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणं पासइ, पासित्ता इमेयारूवे" ग्रज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - केसणं एस पत्थियपत्थए" दुरंतपंतलक्खणे हिरिसिरिपरिवज्जिए हीणपुण्णचाउसे
१. असोयवणसंडे (क, म, स) ।
२. परिगिण्हामि ( स ) 1
३. ईसिं० (क, स ) ।
४. भ० ३।४३ ।
५. पज्जत्तभावं ( ब ) 1
६. भ० ३।१७ ।
७. असौ कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांशः प्रतीयते ।
८ सयक्कउं (क, ता) |
६. सं० पा० – पुरंदरं जाव दस ।
१०. उवा० २।४० ।
११. उवा० २।४० भ० ३।१६ ।
१२. इमे एया (क, ब ) ।
१३.
० पत्थिए (ब, म, स ) ।
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१४८
भगवई जं णं ममं इमाए एयारूवाए दिव्वाए देविड्ढीए' दिव्वाए देवज्जुतीए ° 'दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए'२ उप्पि अप्पुस्सुए दिव्वाइं भोगभोगाई भंजमाणे विहरइ-एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता सामाणियपरिसोबवण्णए देवे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-केस णं एस देवाणुप्पिया ! अपत्थियपत्थए जाव
दिव्वाइं भोगभोगाइं भंजमाणे विहरइ? ११०. तए णं ते सामाणियपरिसोववण्णगा देवा चमरेणं असुरिंदेणं असुररण्णा एवं वुत्ता
समाणा हट्टतुटु' चित्तमाणंदिया णंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण हियया करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धावेंति, वद्धावेत्ता एवं वयासी-एस णं देवाणुप्पिया ! सक्के
देविदे देवराया जाव' दिव्वाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ ।। १११. तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया तेसि सामाणियपरिसोववण्णगाणं देवाणं
अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म आसुरुत्ते' रुटे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे ते सामाणियपरिसोववण्णगे देवे एवं वयासी-अण्णे खलु भो! से सक्के दोवदे देवराया, अण्णे खलु भो ! से चमरे असुरिंदे असुरराया, महिड्ढीए खलु भो ! से सक्के देविदे देवराया, अप्पिड्ढीए खलु भो ! से चमरे असुरिंदे असुरराया, तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! सक्कं देविदं देवरायं सयमेव अच्चासाइत्तए' त्ति कटु उसिणे उसिणभूए जाए यावि होत्था । तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया ओहिं पउंजइ', पउंजित्ता ममं प्रोहिणा आभोएइ, आभोएत्ता इमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-एवं खलु समणे भगवं महावीरे जंबूदीवे दीवे भारहे वासे सुसुमारपुरे" नयरे असोगसंडे१२ उज्जाणे असोगवरपायवस्स अहे पुढविसिलावट्टयंसि अट्ठमभत्तं पगिण्हित्ता एगराइयं महापडिमं उवसंपज्जित्ता णं विहरत्ति, तं सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं णीसाए सक्कं देविदं देवरायं सयमेव अच्चासाइत्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता सयणिज्जायो अब्भुटेइ, अन्भुटेत्ता देवदूसं परिहेइ, परिहेत्ता जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव चोप्पाले पहरणकोसे
१. सं० पा०-देवड्ढीए जाव दिव्वे । २. एतान्यपि अत्र सप्तम्यन्तानि पदानि
विद्यन्ते । ३. सं० पा०-हट्ठ तुट्ठ जाव हियया। ४. भ० ३।१०६ । ५. आसुरत्ते (अ, ब)। . अच्चासादेत्तए (अ, ता, ब, स)।
७. पयुंजइ (ता)। ८. आलोएइ (ब)। ६. अतोग्रे 'तस्स' इति पदमध्याहार्यम् । १०. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । ११. सुसमारपुरे (स)। १२. ० वरणसंडे (अ, क, ता, ब, म, स)। १३. सत्तणिज्जाओ (ता)।
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१४९
इतयं सतं (बीओ उद्देसो)
तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता फलिहरयणं परामुसइ, एगे अबीए' फलिहरयणमायाए महया अमरिसं वहमाणे चमरचंचाए रायहाणीए मझमज्झेणंणिग्गच्छइ, णिगच्छित्ता जेणेव तिगिछिकू डे' उप्पायपव्वए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता जाव' उत्तरवेउव्वियं रूवं विकुव्वइ, विकुव्वित्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्याए उद्धयाए दिव्वाए देवगईए तिरियं असंखेज्जाणं दीव-समुद्दाणं मज्झमझेणं वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव सुंसुमारपुरे नगरे जेणेव असोयसंडे उज्जाणे जेणेव असोयवरपायवे जेणेव पुढविसिलावट्टए जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ', 'करेत्ता वंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भं नीसाए सक्कं देविदं देवरायं सयमेव अच्चासाइत्तए त्ति कट्ट उत्तरपुत्थिमं दिसीभागं अवक्कमेइ, अवक्कमेत्ता वेउब्वियसमग्घाएणं समोहण्णति. समोहणित्ता जाव' दोच्चं पि वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहण्णइ एगं महं घोरं घोरागारं भीमं भीमागारं भासुरं' भयाणीयं गंभीरं उत्तासणयं कालड्ढरत्त-मासरासिसंकासं जोयणसययसाहस्सीयं महाबोंदि विउव्वइ, विउव्वित्ता अप्फोडेइ११ वग्गइ१२ गज्जइ, हयहेसियं करेइ, हत्थिगुलगुलाइयं करेइ, रहघणघणाइयं करेइ, पायदद्दरगं करेइ, भूमिचवेडयं दलयइ, सीहणादं नदइ, उच्छोलेइ पच्छोलेइ, तिवति छिदइ, वामं भुयं ऊसवेइ, दाहिणहत्थपदेसिणीए अंगुटुणहेण य वितिरिच्छं मुहं विडंवेइ, महया-मया सद्देण कलकलरवं करेइ एगे अवीए" फलिहरयणमायाए उड्ढं वेहासं उप्पइए-खोभंते चेव" अहेलोयं
कंपेमाणे व मेइणीतलं साकड्ढते व तिरियलोयं, फोडेमाणे व अंबरतलं, १. अवितिए (क, ता)।
११. बहुलासु प्रतिषु क्रियानन्तरं सर्वत्र कत्वा२. तिगिच्छि (ता, म); तिगिच्छ (ब)।
प्रत्ययस्स प्रयोगा दृश्यन्ते, यथा-अप्फोडेइ, ३. राय० सू०१०।
अप्फोडेत्ता। ४. ० वेउव्वियरूवं (म)।
१२. X (क, ता, ब, म)। ५. सं० पा०—करेइ जाव नमंसित्ता। १३. तिपतिं (ता)। ६. राय० सू० १०।
१४. अग्वितिए (क, ता, ब)। ७. समोहणइ (अ, स)।
१५. च्चेव (ता)। ८. भामरं (क, ता)।
१६. तिव (ता); वा (ब, म)। ६. भासरासि ° (अ)।
१७. मेयरिण° (अ); मेतिणी० (क, म); १०. जोतरण ° (ता)।
मेदिणी (ता)। १८. आकड्ढंते (अ, म, स); आसाकड्ढते (ब)।
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भगवई
कत्थइ गज्जते, कत्थइ विज्जुयायंते, कत्थइ वासं वासमाणे', कत्थई रयुग्घायं पकरेमाणे, कत्थइ तमुक्कायं पकरेमाणे, वाणमंतरे देवे वित्तासेमाणे-वित्तासेमाणे', जोइसिए देवे दुहा विभयमाणे-विभयमाणे, आयरक्खे देवे विपलायमाणेविपलायमाणे', फलिहरयणं अंबरतलंसि वियट्टमाणे-वियट्टमाणे, विउब्भाएमाणेविउब्भाएमाणे ताए उक्किट्ठाए' 'तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्याए उद्धयाए दिव्वाए देवगईए तिरियमसंखेज्जाणं दीव-समदाणं मज्झमझेणं वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जेणेव सोहम्मे कप्पे, जेणेव सोहम्मवडेंसए विमाणे, जेणेव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छइ, एगं पायं पउमवरवेइयाए करेइ, एगं पायं सभाए सुहम्माए करेइ, फलिहरयणेणं महया-महया सद्देणं तिक्खुत्तो इंदकीलं पाउडेइ, आउडेत्ता एवं वयासी-कहि णं भो ! सक्के देविंद देवराया ? कहि णं तारो चउरासीइसामाणियसाहस्सीओ ? कहि णं ते तायत्तीसयतावत्तीसगा? कहि णं ते चत्तारि लोगपाला ? कहि णं तारो अट्ट अग्गमहिसीओ सपरिवाराप्रो ? कहि णं तानो तिण्णि परिसायो ? कहि णं ते सत्त अणिया ? कहि णं ते सत्त अणियाहिवई ? • कहि णं तारो चत्तारि चउरासीईओ प्रायरक्खदेवसाहस्सीप्रो? कहि णं ताओ अणेगारो अच्छराकोडीअो ? अज्ज हणामि, अज्ज महेमि, अज्ज वहेमि, अज्ज मम अवसानो अच्छरानो वसमुवणमंतु त्ति कटु तं अणिटुं अकंतं अप्पियं असुभं
अमणुण्णं अमणामं फरुसं गिरं निसिरइ। ११३. तए णं से सक्के देविदे देवराया तं अणि अकंतं अप्पियं असुभं अमणणं
अमणामं अस्सुयपुव्वं फरुसं गिरं सोच्चा निसम्म प्रासुरुत्ते' 'रुटे कुविए चंडिक्किए° मिसिमिसेमाणे तिवलियं भिउडि निडाले साहट्ट चमरं असुरिदं असुररायं एवं वदासि-हं भो ! चमरा ! असुरिंदा ! असुरराया ! अपत्थियपत्थया ! 'दुरंतपंतलक्खणा ! हिरिसिरिपरिवज्जिया ! ० हीणपूण्णचाउद्दसा ! अज्ज न भवसि, नाहि ते सुहमत्थीति कटु तत्थेव सीहासणवरगए वज्ज परामुसइ, परामुसित्ता तं जलंतं फुडतं तडतडतं.२ उक्कासहस्साइं विणि
१. वासेमाणे (अ, क)। २. वित्तासमाणे (अ)। ३. विपलासमाणे (अ)। ४. विउब्भासेमारणे (ता)। ५. सं० पा०-उक्किदाए जाव तिरिय०। ६. से (क)।
७. सं० पा०-सामाणियसाहस्सीओ जाव
कहि। ८. सं० पा०-अरिंगटुं जाव अमणामं । ६. सं० पा०-आसूरुत्ते जाव मिसिमिसेमाणे। १०. सं० पा०-अपत्थियपत्थया जाव हीणपुण्ण ११. नहि (ब)। १२. तडवडतं (ता); तडातडतं (ब)।
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इस (बीओ उद्देसो)
१५१
म्यमाणं विणिम्यमाणं, जालासहस्साइं पहुंचमाणं- पहुंचमाणं, इंगालसहसाइं परिमाणं पविक्खिरमाणं, फुलिंगजालामालासहस्सेहिं चक्खुविक्खेदिपिडिघातं पिपकरेमाणं हुयवहइरेगतेय दिप्पतं जइणवेगं फुल्लकिंसुयसमाणं महत्भयं भयंकरं चमरस्स असुरिदस्स असुरण्णो वहाए वज्जं निसिरइ ॥ ११४. तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया तं जलंत जाव' भयंकरं वज्जमभिमुहं श्रावयमाणं पासइ, पासित्ता भियाइ पिहाइ, पिहाइ भियाइ, भियायित्ता पिहाइत्ता तहेव संभग्गमउडविडवे' सालंब हत्थाभरणे उड्ढपाए होसिरे कक्खायसेयं पिव विणिम्मुयमाणे - विणिम्मुयमाणे ताए उक्किट्ठाए जाव' तिरियमसंखेज्जाणं दीव-समुद्दाणं मज्भंमज्भेणं वीईवयमाणे - वीईवयमाणे जेणेव जंबूदीवे दीवे जाव' जेणेव ग्रसोगवरपायवे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भीए भयगग्गरस रे 'भगवं सरणं' इति वुयमाणे ममं दोह वि पायाणं अंतरंसि झत्ति वेगेणं समोवडिए ॥
११५. तए णं तस्स सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो इमेयारूवे प्रभथिए चितिए पत्थिए मणोगए कप्पे • समुप्पज्जित्था - नो खलु पभू चमरे सुरिंदे असुरराया, नो खलु समत्ये चमरे सुरिंदे असुरराया, नो खलु विसए चमरस्स
सुरिंदर असुररणो अप्पणो निस्साए उड्ढं उप्पइत्ता जाव सोहम्मो कप्पो, नण्णत्थ अरहंते" वा, अरहंतचेइयाणि वा अणगारे वा भाविप्पाणो नीसाए उड्ढं उप्पयइ जाव सोहम्मो कप्पो, तं महादुक्खं खलु तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं अणगाराण य अच्चासायणाए त्ति कट्टु मोहिं पउंजर, ममं प्रहिणा भोएइ, भोत्ता हा ! हा ! अहो ! हतो ग्रहमंसि त्ति कट्टु ताए उक्किट्ठाए जाव दिव्वा देव वज्जस वीहिं प्रणुगच्छमाणे अणुगच्छमाणे तिरियमसंखेज्जाणं दीव-समुद्दाणं मज्झंमज्झेणं जाव' जेणेव ग्रसोगवरपायवे, जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ममं चउरंगुलमसंपत्तं वज्जं पडिसाहरइ, अवि या मे गोया ! मुट्टिवाएणं केसग्गे वीइत्था |
११६. तए णं से सक्के देविंदे देवराया वज्जं पडिसाहरित्ता ममं तिक्खुत्तो प्रायाहिणपयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं व्यासि - एवं खलु भंते ! ग्रहं तुब्भं नीसाए चमरेणं प्रसुरिंदेणं असुररण्णा सयमेव प्रच्चासाइए । तणं मए परिकुविएणं समाणेणं चमरस्स असुरिंदरस असुररण्णो बहाए
१. भ० ३।११२ ।
२. ० विडए ( अ, क ) ; ° पिडए ( ब ) ।
३. भ० ३।११२ ।
४. भ० ३।११२ ।
५. समोवइए (ता) |
६. सं० पा० - अज्भथिए जाव समुप्पज्जित्था ।
७.
अरहंत (क); अरहंता (ता) ।
८. भ० ३।११२ ।
६. भ० ३।११२ ।
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१५२
भगवई वज्जे निसट्टे । तए णं ममं इमेयारूवे अज्झथिए' चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था-नो खलु पभू चमरे असुरिंदे असुरराया', 'नो खलु समत्थे चमरे असुरिंदे असुरराया, नो खलु विसए चमरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो अप्पणो निस्साए उडढं उप्पइत्ता जाव सोहम्मो कप्पो, नण्णत्थ अरहते वा, अरहंतचेइयाणि वा, अणगारे वा भाविअप्पाणो नीसाए उड्ढं उप्पयइ जाव सोहम्मो कप्पो, तं महादुक्खं खलु तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं अणगाराण य अच्चासायणाए त्ति कटु अोहि पउंजामि, देवाणुप्पिए प्रोहिणा आभोएमि, आभोएत्ता हा ! हा ! अहो ! हतो अहमंसि त्ति कटु ताए उक्किट्ठाए जाव जेणेव देवाणुप्पिए तेणेव उवागच्छामि, देवाणुप्पियाणं चउरंगुलमसंपत्तं वज्जं पडिसाहरामि, वज्जपडिसाहरणट्टयाए णं इहमागए इह समोसढे इह संपत्ते इहव अज्ज उवसंपज्जित्ता णं विहरामि । तं खामेमि णं देवाणप्पिया ! खमंतु णं देवाणुप्पिया! खंतुमरिहंति णं देवाणुप्पिया ! नाई भुज्जो एवं करणयाए" त्ति कटु ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता उत्तरपुरस्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ, वामेणं पादेणं तिक्खुत्तो भूमि विदलेइ, विदलेत्ता चमरं असुरिदं असुररायं एवं वदासि-मुक्को सिणं भो चमरा ! असुरिंदा ! असुरराया ! समणस्स भगवो महावीरस्स पभावेणं-नाहि ते दाणि" ममातो भयमस्थि
त्ति कटु जामेव दिसि पाउब्भूए तामेव दिसिं" पडिगए । ११७. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वदासी-देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव" महाणुभागे पुत्वामेव पोग्गलं खिवित्ता पभू तमेवं अणुपरियट्टित्ता णं गेण्हित्तए ?
हंता पभू ॥ ११८. से केणटेणं५ •भंते ! एवं वुच्चइ-देवे णं महिड्ढीए जाव' महाणभागे पुवामेव
पोग्गलं खिवित्ता पभू तमेव अणुपरियट्टित्ता णं° गेण्हित्तए ?
गोयमा ! पोग्गले णं खित्ते" समाणे पुवामेव सिग्घगई भवित्ता ततो पच्छा १. निसि? (अ, स)।
१०. भे (ब)। २. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पजित्था। ११. इदाणि (क, म) । ३. सं० पा०—तहेव जाव ओहिं ।
१२. ममतो (अ, क)। ४. भ० ३।११५।
१३. दिसं (ता, ब, म)। ५. मरुहंतु (अ, स)।
१४. भ० ३।४। ६. नाइं (ता, ब)।
१५. सं० पा०–केण?णं जाव गेण्हित्तए। ७. पकरणयाए (वृ, स)।
१६. भ० ३।४। म. दालेइ (अ, क, ब, स), दलइ (म)। १७. खित्ते णं (अ); विखित्ते (स)। ६. णाहिं (अ, क, ता); नहि (ब)। १८. सिग्घागई (ब)।
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तइयं सतं (बीओ उद्देसी)
१५३
मंदगती भवति देवेणं महिड्ढोए जाव महाणुभागे पुवि पि पच्छा वि सीहे सीहगती चेव तुरिए तुरियगती चेव । से तेणट्टेणं जाव पभू हित्तए || ११६. जइ णं भंते ! देवे' महिड्ढीए जाव' पभू तमेव प्रणुपरियट्टित्ता णं हित्तए, कम्हा णं भंते ! 'सक्केणं देविदेणं देवरण्णा" चमरे सुरिंदे असुरराया नो संचाइ साहित्थं गेण्हित्तए ?
गोयमा ! असुरकुमाराणं देवाणं हे गइविसए 'सीहे - सीहे' चेव तुरिए-तुरिए चेव, उड्ढं गइविसए अप्पे अप्पे चेव मंदे-मंदे चेव । वेमाणियाणं देवाणं उड्ढं विस सी-सी चेव । तुरिए-तुरिए चेव, ग्रहे गइविसए अप्पे - अप्पे चेव मंद-मंदे चेव ।
जावतियं खेत्तं सक्के देविंदे देवराया उड्ढं उप्पयइ एक्केणं समएणं, तं वज्जे दोहिं, जं वज्जे दोहिं, तं चमरे तिहिं । सव्वत्थोवे सक्क्स्स देविंदस्स देवरणो उड्ढलोकंडए, हेलोयकंड ' संखेज्जगुणे |
जावतियं खेत्तं चमरे असुरिदे असुरराया ग्रहे श्रवयइ एक्केणं समएणं, तं सक्के दोहिं, जं सक्के दोहिं, तं वज्जे तीहि । सव्वत्थोवे चभरस्स असुरिंदस्स असुररण्णो हेलोयकंडए, उड्ढलोयकंडए संखेज्जगुणे ।
एवं खलु गोयमा ! सक्केणं देविदेणं देवरण्णा चमरे सुरिंदे असुरराया नो संचाइ साहत्थि हित्तए ||
१२०. सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो उड्ढं आहे तिरियं च गइविसयस्स करे करेहितो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवं खेत्तं सक्के देविदे देवराया आहे. ग्रोवयइ एक्केणं समएणं तिरियं संखेज्जे भागे गच्छइ, उड्ढं संखेज्जे भागे गच्छइ ॥
१२१. चमरस्स णं भंते ! सुरिंदस्स असुररण्णो उड्ढ ग्रहे तिरियं च गइविसयस्स कयरे कयरेहिंतो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवं खेत्तं चमरे सुरिंदे असुरराया उड्ढं उप्पयइ एक्केणं समएणं, तिरियं संखेज्जे भागे गच्छइ, ग्रहे संखेज्जे भागे गच्छइ ||
१२२.
" वज्जस्स णं भंते ! उड्ढ आहे तिरियं च गइविसयस्स कयरे कयरेहिंतो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवं खेत्तं वज्जे हे प्रोवयइ एक्केणं समएणं, तिरियं विसेसाहिए भागे गच्छइ, उड्ढं विसेसाहिए भागे गच्छइ ° ॥
१. देविंदे ( अ, ता, ब, स ) ।
२. भ० ३।११८ ।
३. सक्के देविदे देवराया ( स ) ।
४. संचाइति ( अ ) ; संचाए ति ( स ) |
५.
६. अहो ० ( अ, ब ) ।
७. सं० पा० - वज्जं जहा सक्क्स्स तहेव नवरं विसेसाहियं कायव्वं ।
सिग्धे सिग्वे ( अ, स ) 1
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१५४
भगवई
१२३. सक्कस्स णं भंते ! देविदस्स देवरण्णो अोवयणकालस्स य, उप्पयणकालस्स य
कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? बहुए वा? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो उप्पयणकाले, अोवयणकाले
संखेज्जगुणे ॥ १२४. चमरस्स वि जहा सक्कस्स, नवरं-सव्वत्थोवे अोवयणकाले, उप्पयणकाले
संखेज्जगुणे ॥ १२५. वज्जस्स पूच्छा।
गोयमा ! सव्वत्थोवे उग्पयणकाले, ओवयणकाले विसेसाहिए । १२६. एयस्स णं भंते ! वज्जस्स, वज्जाहिवइस्स, चमरस्स य असुरिंदस्स असुररण्णो
प्रोवयणकालस्स य, उप्पयणकालस्स य कयरे कयरेहितो अप्पे वा ? बहुए वा ? तुल्ले वा ? विसेसाहिए वा ? गोयमा ! सक्क्कस्स य उप्पयणकाले, चमरस्स य अोवयणकाले-एए णं दोण्णि' वि तुल्ला सव्वत्थोवा । सक्कस्स य ओवयणकाले, वज्जस्स य उप्पयणकालेएस णं दोण्ह वि तुल्ले संखेज्जगुणे । चमरस्स य उप्पयणकाले, वज्जस्स य
प्रोवयणकाले-एस णं दोण्ह वि तल्ले विसेसाहिए। १२७. तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया वज्जभयविप्पमुक्के, सक्केणं देविदेणं देवरण्णा
महया अवमाणेणं अवमाणिए समाणे चमरचंचाए रायहाणीए सभाए सुहम्माए चमरंसि सीहासणंसि प्रोहयमणसंकप्पे चितासोयसागरसंपविढे करयलपल्हत्थमुहे
अट्टज्माणोवगए भूमिगयदिट्ठीए झियाति ।। १२८. तए णं चमरं असुरिदं असुररायं सामाणियपरिसोववण्णया देवा प्रोहयमणसंकप्पं
जाव' झियायमाणं पासंति, पासित्ता करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धाति, वद्धावेत्ता एवं वयासी-किं णं देवाणप्पिया ! अोहयमणसंकप्पा चिंतासोयसागरसंपविट्ठा करयलपल्हत्थमुहा अट्टज्झाणोवगया भूमिगयदिट्ठीया झियायह ? तए णं से चमरे असुरिंदे असुरराया ते सामाणियपरिसोववण्णए देवे एवं वयासी-एवं खलू देवाणप्पिया ! मए समणं भगवं महावीरं नीसाए सक्के देविदे देवराया सयमेव अच्चासाइए। तए णं तेणं परिकविएणं समाणेणं मम वहाए वज्जे निसटे । तं भद्दण्णं भवतु देवाणुप्पिया ! समणस्स भगवनो महावीरस्स जस्सम्हि पभावेणं अकिटे अव्वहिए अपरिताविए इहमागए इह समोसढे
१२६.
१. विण्णि (ता, म)। २. भ० ३।१२७ । ३. निसिढे (अ, स)।
४. भदं णं (अ, स)। ५. जस्ससि (ता)।
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तइयं सतं (बीओ उद्देसो)
१५५ इह संपत्ते इहेव अज्ज उवसंपिज्जत्ता णं विहरामि । तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया। समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो जाव' पज्जुवासामो त्ति कटु चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सोहि जाव' सव्विड्ढोए जाव' जेणव असोगवरपायवे, जेणव मम अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं 'करेत्ता वंदेता ° नमंसित्ता एवं वयासि-एवं खलु भंते ! मए तुब्भं नीसाए सक्के देविदे देवराया सयमेव अच्चासाइए। 'तए णं तेणं परिकुविएणं समाणेणं मम वहाए वज्जे निसटे । तं भद्दण्णं भवतु देवाणुप्पियाणं जस्सम्हि पभावेणं अकिटे 'अव्वहिए अपरिताविए इहमागए इह समोसढे इह संपत्ते इह अज्ज उवसंपज्जित्ता णं' विहरामि । तं खाममि णं देवाणु प्पिया ! • खमंतु णं देवाणुप्पिया ! खंतुमरिहंति णं देवाणुप्पिया ! नाइ भुज्जो एवं करणयाए त्ति कटु ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता° उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता जाव वत्तीसइंबद्धं नट्टविहिं उवदंसेइ, उवदंसेत्ता जामेव दिसि पाउब्भूए तामेव
दिसि पडिगए॥ १३०. एवं खलु गोयमा ! चमरेणं असुरिदेणं असुररण्णा सा दिव्वा देविड्ढी •दिव्वा
देवज्जुती दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते° अभिसमण्णागए। ठिई सागरोवमं महा
विदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव" अंतं काहिइ ।।। १३१. किपत्तियं णं भंते ! असुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो ?
गोयमा ! तेसि णं देवाणं अहणोववण्णाण१२ वा चरिमभवत्थाण वा इमेयारूवे अज्झथिए१३ •चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जइ-अहो ! णं अम्हेहि दिव्वा देविड्ढी जाव"अभिसमण्णागए, जारिसिया णं अम्हेहि दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए, तारिसिया णं सक्केणं देविदेणं देवरण्णा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। जारिसिया णं सक्केणं देविदेणं देवरण्णा जाव अभिसमण्णागए, तारिसिया णं अम्हेहि वि जाव अभिसमण्णागए। तं गच्छामो णं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो अंतियं पाउब्भवामो पासामो ताव सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो दिव्वं देविड्ढि जाव अभिसमण्णागयं, पासउ ताव अम्ह वि सक्के देविदे देवराया
१. भ० २।३० । २. भ० ३।४। ३. राय० सू०५८ । ४. सं० पा०–पयाहिणं जाव नमंसित्ता। ५. सं० पा०-अच्चासाइए जाव तं। ६. सं० पा०–अकिट्ठे जाव विहरामि। ७. सं० पा०-देवाणुप्पिया जाव उत्तर ।
८. राय० स०६५-१२० । ६. बत्तीसविह (क)। १०. सं० पा०-देविड्ढी जाव अभि । ११. भ० २।७३ । १२. अहणोववण्ण गाण (अ, ब)। १३. सं० पा०-अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जइ। १४. भ० ३।१३० ।
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१५६
भवई
दिव्वं देविड्ढि जाव अभिसमण्णागयं । तं जाणामी ताव सक्क्स्स देविंदस्स देवरण दिव्वं देवढि जाव अभिसमण्णागयं, जाणउ ताव ग्रम्ह वि सक्के देविंदे देवराया दिव्वं देविड्ढि जाव अभिसमण्णागयं ।
एवं खलु गोयमा ! सुरकुमारा देवा उड्ढं उप्पयंति जाव सोहम्मो कप्पो || १३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्तिः ॥
तइओ उद्देसो
किरियापदं
o
१३३. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था जाव' परिसा पडिगया || १३४. तेणं कालेणं तेणं समएणं' समणस्स भगवप्रो महावीरस्स अंतेवासी मंडपुत् नामं अणगारे पगइभद्दए जाव' पज्जुवासमाणे एवं वयासी- -कइणं भंते ! किरिया पण्णत्ताश्रो ?
मंडिता ! पंच किरिया पण्णत्ताओ, तं जहा - काइया, ग्रहिगरणिश्रा, पासिना', पारियावणिश्रा, पाणाइवायकिरिया || १३५. काइया णं भंते ! किरिया कइविहा पण्णत्ता ?
ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - अणुवरयकायकिरिया य, दुप्पउत्तकायकिरिया ||
१३६. ग्रहिगरणिआ णं भंते ! किरिया कइविहा पण्णत्ता ?
sa ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - संजोयणाहिगरण किरिया य, निवत्तहिगरण किरिया ॥
१३७ पाओसिप्रा णं भंते ! किरिया कइविहा पण्णत्ता ?
मंडित्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - जीवपाओसिया य, अजीवपाश्रोसिश्राय ॥
१. भ० १।५१ ।
२. भ० १।४८ ।
३. सं० पा० – समएणं जाव अंतेवासी ।
४. भ० १२८८ २८६ ।
५. पायो (क, ता) |
६. दुप्पयुत्त ० (ता) |
७.
o
०करण (क, ता, स ) ।
८.
करण (ता, ब, स ) ।
६. पादोसिया ( अ, क, ब ) ; पासिगा (ता) ।
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तइयं सतं (तइओ उद्देसो)
१५७ १३८. पारियावणिया णं भंते ! 'किरिया कइविहा पण्णत्ता ?
मंडिअपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सहत्थपारियावणियाय, परहत्थपारि
यावणिया य ।। १३६. पाणाइवायकिरिया णं भंते ! 'किरिया कइविहा पण्णत्ता ?'२ ___ मंडिअपुत्ता ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सहत्णपाणाइवायकिरिया य, परहत्थ
पाणाइवायकिरिया य ॥ किरिया-वेदणा-पदं १४०. पुवि भंते ! किरिया, पच्छा वेदणा ? पुवि वेदणा, पच्छा किरिया ?
मंडिअपुत्ता ! पुव्वि किरिया, पच्छा वेदणा। णो पुवि वेदणा, पच्छा किरिया ।। १४१. अत्थि णं भंते ! समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जइ ?
हंता अस्थि ॥ १४२. कहण्णं' भंते ! समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जइ ?
मंडिअपुत्ता ! पमायपच्चया, जोगनिमित्तं च । एवं खलु समणाणं निग्गंथाणं
किरिया कज्जइ ।। अंतकिरिया-पदं १४३. जीवे णं भंते ! सया समितं एयति वेयति' 'चलति फंदइ घट्टइ" खुब्भइ उदीरइ
तं तं भावं परिणमइ ? हंता मंडिअपुत्ता ! जीवे णं सया समितं एयति' 'वेयति चलति फंदइ घट्टइ
खुब्भइ उदीरइ° तं तं भावं परिणमइ ॥ १४४. जावं च णं भंते ! से जीवे सया समितं 'एयति वेयति चलति फंदइ घट्टइ
खुब्भइ उदीरइ तं तं भावं° परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंत किरिया भवइ ?
नो इणढे समढे ॥ १४५. से केणट्रेणं भंते ! एवं वच्चइ-जावं च णं से जीवे सया समितं एयति वेयति
चलति फंदइ घट्टइ खुब्भइ उदीरइ तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स ° अंते अंतकिरिया न भवति ? मंडिअपुत्ता ! जावं च णं से जीवे सया समितं' •एयति वेयति चलति फंदइ
१. पुच्छा (ब)। २. पुच्छा (ता, ब)। ३. कह णं (अ, क, ब); के रणं (ता); कहि
(स)। ४. समियं (अ, ता, ब, म, स)। ५. वेदति (ता)।
६. चलेइ फंदेइ घट्टेइ (अ, ब, स)। ७. सं० पा०-एयति जाव तं । ८. सं० पा०—समितं जाव परिणमइ । ६. तिण? (अ, क, ब, म, स)। १०. सं० पा०–समितं जाव अंते । ११. सं० पा०-समितं जाव परिणमइ ।
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१५८
भगवई
घट्टाइ खुब्भइ उदीरइ तं तं भावं° परिणमइ, तावं च णं से जीवे-'आरभइ सारभइ समारभइ', प्रारंभे वट्टइ सारंभे वट्टइ समारंभे वट्टइ, 'पारभमाणे सारभमाणे समारभमाणे", प्रारंभे वट्टमाणे सारंभे वट्टमाणे समारंभे वट्टमाणे बहूणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुक्खावणयाए' सोयावणयाए जूरावणयाए तिप्पावणयाए पिट्टावणयाए परियावणयाए वट्टइ। . से तेणद्वेणं मंडिअपुत्ता ! एवं वुच्चइ-जावं च णं से जीवे सया समितं एयति 'वेयति चलति फंदइ घट्टइ खुभइ उदीरइ तं तं भावं° परिणमइ, तावं च णं
तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया न भवति ॥ १४६.
जीवे णं भंते ! सया समितं नो एयति' 'नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नो खुब्भइ नो उदीरइ० नो तं तं भावं परिणमइ? हंता मंडिअपुत्ता ! जीवे णं सया समितं 'नो एयति नो वेयति नो चलति नो
फंदइ नो घट्टइ नो खुब्भइ नो उदीरइ° नो तं तं भावं परिणमइ । १४७. जावं च णं भंते ! से जीवे नो एयति' 'नो वेयति नो चलति नो फंदह नो घटड
नो खुब्भइ नो उदीरइ° नो तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया भवइ ? हंता •मडिअपुत्ता ! जावं च णं से जीवे नो एयति नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नो खुब्भइ नो उदीरइ नो तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं
तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया° भवइ ॥ १४८. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जावं च णं से जीवे नो एयति नो वेयति नो
चलति नो फंदइ नो घइ नो खुब्भइ नो उदीरइ नो तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं तस्स जीवस्स अंते अंतकिरिया° भवइ ? मंडिअपत्ता ! जावं च णं से जोवे सया समितं नो एयति' 'नो वेयति नो चलति नो फंदइ नो घट्टइ नी खब्भइ नो उदोरइ० नो तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं से जीवे नो पारभइ नो सारभइ नो समारभइ, नो प्रारंभे वट्टाइ नो सारंभेवदह नो समारंभे वदाइ, अणारभमाणे असारभमाण असमारभमाणे.
प्रारंभे अवट्टमाणे सारंभे अवट्टमाणे समारंभे अवट्टमाणे बहूणं पाणाणं भूयाणं १. आरंभइ सारंभइ समारंभइ (अ, स)। ५. सं० पा०-एयति जाव नो। २. आरंभमाणे सारंभमाणे समारंभमाणे (अ, ६. सं० पा०–समितं जाव नो। क, ता, स)।
७. सं० पा०-एयति जाव नो। ३. क्वचित्पठ्यते-'दुक्खणयाए' इत्यादि, तच्च ८. सं० पा०-हंता जाव भवइ ।
व्यक्तमेव, यच्च तत्र 'किलामणयाए उद्द- ६. सं० पा०-केणद्वेणं जाव भवइ ।
वणयाए, इत्यधिकमभिधीयते' (वृ)। १०. सं० पा०-एयति जाव नो। ४. सं० पा०-एयति जाव परिमणइ।
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तइयं सतं (तइओ उद्देसो)
१५६
जीवाणं सत्ताणं अदुक्खावणयाए' 'असोयावणयाए अजूरावणयाए अतिप्पावणयाए अपिट्टावणयाए ° अपरियावणयाए वट्टइ। से जहानामए केइ पुरिसे सुक्क' तणहत्थयं जायतेयंसि पक्खिवेज्जा, से नूणं मंडिअपुत्ता ! से सुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जइ ? हंता मसमसाविज्जइ। से जहानामए केइ पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लसि उदयबिंदु पक्खिवेज्जा, से नूणं मंडिअपुत्ता ! से उदयबिंदू तत्तंसि अयकवल्लंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ ? हंता विद्धंसमागच्छइ । से जहानामए हरए सिया पुण्णे पुण्णप्पमाणे वोलट्टमाणे वोसट्टमाणे समभरघडत्ताए चिट्ठति' । अहे णं केइ पुरिसे तंसि हरयंसि एगं महं नावं सतासवं सतच्छिदं प्रोगाहेज्जा, से नूणं मंडिअपुत्ता ! सा नावा तेहिं पासवदारेहि अापूरमाणी-अापूरमाणी पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठति ? हंता चिट्ठति। प्रहेण के परिसे तीसे नावाए सव्वनो समता पासवदाराई पिहेड. पिहेत्ता नावा-उस्सिचणएणं उदयं उस्सिचेज्जा से नूणं मंडिअपुत्ता ! सा नावा तंसि उदयंसि उस्सित्तंसि समाणंसि खिप्पामेव उदाइ ? हंता उदाइ। एवामेव मंडिअपुत्ता ! अत्तत्ता-संवुडस्स अणगारस्स इरियासमियस्स' •भासासमियस्स एसणासमियस्स आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमियस्स उच्चारपासवणखेल-सिंघाण-जल्ल-पारिट्ठावणियासमियस्स मणसमियस्स वइसमियस्स कायसमियस्स मणगुत्तस्स वइगुत्तस्स कायगुत्तस्स गुत्तस्स गुत्तिदियस्स ° गुत्तबंभयारिस्स, पाउत्तं गच्छमाणस्स चिट्ठमाणस्स निसीयमाणस्स तुयट्टमाणस्स, आउत्तं वत्थ-पडिग्गह-कंबल-पायपुंछणं गेण्हमाणस्स निक्खिवमाणस्स जाव चक्खुपम्हनिवायमवि वेमाया सुहुमा इरियावहिया किरिया कज्जइ-सा पढमसमय
१. सं० पा०-अदुक्खावणयाए जाव अपरिया-
वणयाए। २. सुक्क (अ, ब)। ३. चिट्ठइ हंता चिट्ठ इ (ता, म, स)। ४. दारेहि (ता, ब, म)। ५. तुदाति (ता); उद्दाइ (म); उड्ढं उदाइ (स)
६. रिया (ता, ब, म); सं० पा०-इरिया
समितस्स जाव गुत्तबंभयास्सि। ७. सर्वेष्वपि पदेषु 'आउत्तं' इति पदं गम्यम् । ८. वेमाता (ता); संपेहाए (वृपा)। ६. रिया० (अ, ता, ब)।
सा
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१६०
भगवई
बद्धपुढा', बितियसमयवेइया', ततियसमयनिजरिया । सा बद्धा पुट्ठा उदीरिया वेडया निज्जिण्णा सेयकाले अकम्म वावि भवति । से तेणदेणं मंडिअपत्ता ! एवं वुच्चइ-जावं च णं से जीवे सया समितं नो एयति' 'नो वेयति नो चलति नो फदइ नो घटइ नो खुब्भइ नो उदीरइ नो तं तं भावं परिणमइ, तावं च णं
तस्स जीवस्स ° अंते अंतकिरिया भवइ ।। पमत्तापमत्तद्धा-पदं १४६. पमत्तसंजयस्स णं भंते ! पमत्तसंजमे वट्ट माणस्स सव्वा वि य णं पमत्तद्धा कालो
केवच्चिर होइ? मंडिअपुत्ता ! एगं जीवं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणा
पूव्वकोडी। नाणाजीवे पड़च्च सव्वद्धा ।। १५०. अप्पमत्तसंजयस्स णं भंते ! अप्पमत्तसंजमे वट्टमाणस्स सव्वा वि य णं अप्पम
त्तद्धा कालो केवच्चिरं होइ ? मंडिअपुत्ता ! एगं जीवं पडुच्च जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं 'देसूणा
पुव्वकोडी नाणाजीवे पडुच्च सव्वद्धं ॥ १५१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं मंडिअपुत्ते अणगारे समणं भगवं महावीर
वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता संजमेणं तवसा प्रप्पाणं भावेमाणे विहरति । लवणसमुद्द-ड्ढि-हाणि-पदं १५२. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसंइ, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी–कम्हा णं भंते ! लवणसमुद्दे चाउद्दसट्टमुद्दिट्टपुण्णमासिणीसु अतिरेगे वड्ढइ वा ? हायइ वा ?
लवणसमुद्दवत्तव्वया नेयव्वा जाव लोयट्टिई, लोयाणुभावे ।। १५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ? त्ति जाव" विहरति ।
१. ° समत० (ता)। २. बीयसमयवेतिता (क); °वेदिता (ता);
बीय० (ब)। ३. टितिय० (ब)। ४. चावि (ता)। ५. सं० पा०-एयति जाव अंते ।
६. केवचिरं (अ, क)। ७. पुव्वकोडी देसूणा (क, ता, ब, म, स)। ८. जहा जीवाभिगमे लवण ° (स)। ६. जी० ३ मन्दरोद्देशकः । १०. भ० ११५१। ११. विहरइ किरिया समत्ता(अ, क, ता, ब, म,स)
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तइयं सतं (उत्थो उद्देसो)
उत्थो उद्देसो
भाविप्प-पदं
१५४. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा देवं वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहयं जाणरूवेणं जामाणं जाणइ-पासइ ?
१६१
गोमा ! १. प्रत्येगइए देवं पासइ, नो जाणं पासइ । २. प्रत्थेगइए जाणं पासइ, नो देवं पासइ । ३. प्रत्येगइए देवं पि पासइ, जाणं पि पासइ । ४. प्रत्थेगइए नो देवं पासइ, नो जाणं पासइ ॥
१५५. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा देवि वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहयं जाणरूवेणं
जामाणि जाणइ पासइ ?
गोमा ! १. प्रत्येगइए देवि पासइ, नो जाणं पासइ । २. प्रत्येगइए जाणं पासइ, नो देवि पासइ । ३. प्रत्येगइए देवि पि पासइ, जाणं पि पासइ । ४. त्थे गए नो देवि पासइ, नो जाणं पासइ° ॥
१५६. अणगारे णं भंते ! भाविप्पा देवं सदेवी वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहयं जाण -
रूवेणं जामाणं जाणइ - पासइ ?
गोमा ! १. प्रत्येगइए देवं सदेवी पासइ, नो जाणं पासइ । २. अत्थेगइए जाणं पासइ, नो देवं सदेवी पासइ । ३. प्रत्येगइए देवं सदेवीनं पि पासइ, जाणं पिपासइ । ४. प्रत्येगइए नो देवं सदेवी पासइ, तो जाणं पासइ ° ॥
१५७. अणगारे णं भंते ! भाविप्पा रुक्खस्स किं ग्रंतो पासइ ? बाहि पासइ ?
• गोयमा ! १. प्रत्थेगइए रुक्खस्स तो पासइ, नो बाहि पासइ । २. प्रत्थेगइ रुक्खस्स बाहिं पासइ, नो तो पासइ । ३. प्रत्येगइए रुक्खस्स तो पि पासइ, बाहिं पि पासइ । ४. प्रत्येगइए रुक्खस्स नो तो पासइ, नो बादि पासइ ॥
१५८. अणगारे णं भंते ! भाविप्रप्पा रुक्खस्स किं मूलं पासइ ? कंदं पासइ ?
गोमा ! १. प्रत्येगइए रुक्खस्स मूलं पासइ, नो कंदं पासइ । २. प्रत्येगइए रुक्खस्स कंदं पासइ, नो मूलं पासइ । ३. प्रत्थेगइए रुक्खस्स मूलं पिपासइ, कंदं पि पासइ । ४. अत्थेगइए रुक्खस्स नो मूलं पासइ, नो कंदं पासइ° ॥
१. जायमाणं ( अ, क, ब, स ) । २. जाइमाणि ( अ, ब ) ; जायमाणि (क, स ) । ३. सं० पा० - एवं चैव ।
४. सं० पा० - एतेणं अभिलावेणं चत्तारि भंगा ।
५. सं० पा० - चउभंगो ।
६. सं० पा० - एवं किं मूलं पासइ, कंद पासइ ? चउभंगो ।
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१६२
१५६. मूलं पासइ ? खंधं पासइ ? चउभंगो ॥ १६०. एवं मूलेणं' [जाव ? ] बीजं संजोएयव्वं ॥ १६१. एवं कंदे व समं संजोएयव्वं जाव बीयं ॥ १६२. एवं जाव पुप्फेण समं बीयं संजोएयव्वं ॥
१६३. अणगारे णं भंते ! भाविप्पा रुक्खस्स किं फलं पासइ ? बीयं पासइ ? चउभंगो' ।।
वाउ काय-पदं
१६४. पभू णं भंते ! वाउकाए एगं महं इत्थिरुवं वा पुरिसरूवं वा [ ग्रासरूवं वा ? ] हथिरूवं वा जाणरूवं वा जुग्गरूवं वा गिल्लिरूवं वा थिल्लिरूवं वा सीयरूवं वा संदमणियख्वं वा विउव्वित्तए ?
गोमा ! नो इट्टे समट्ठे । वाउकाए' णं विकुव्वमाणे एवं महं पडागासंठिय रूवं विकुव्व ॥
१६५. पभू णं भंते ! वाउकाए एगं महं पडागासंठियं रूवं विउव्वित्ता प्रगाई जोयणाई गमित्तए ? हंता पभू ॥
१. एवमिति मूलकंदसूत्राभिलापेन मूलेन सह कंदादिपदानि वाच्यानि यावद्बीजपदम् । तत्र मूलम्, कंदः स्कन्धः, त्वक्, शाखा, प्रवालम्, पत्रम्, पुष्पम्, फलम्, बीजम् चेति दश पदानि, एषां च पञ्चचत्वारिंशद् द्विक्संयोगाः भङ्गाः१. मूल कंद २. मूल स्कंध
३. मूल त्वक्
४. मूल शाखा
६. मूल पत्र
५. मूल प्रवाल
७. मूल पुष्प
६. मूल बीज
११. कंद
'त्वक्
१३. कंद प्रवाल
१५. कंद पुष्प १७. कंद बीज
१६. स्कध शाखा
२१. स्कंध पत्र २३. स्कंध फल
८. मूल फल
१०. कंद स्कंध
१२. कंद शाखा
१४. कंद पत्र
१६. कंद फल
१८. स्कंध त्वक् २०. स्कंध प्रवाल
२२. स्कंध पुष्प २४. स्कंध बीज
२५. त्वक् शाखा २६. त्वक् प्रवाल २७. त्वक् पत्र २८. त्वक् पुष्प २९. त्वक् फल ३०. त्वक् बीज ३१. शाखा प्रवाल ३२. शाखा पत्र ३३. शाखा पुष्प ३४. शाखा फल ३५. शाखा बीज
३६. प्रवाल पत्र ३५. प्रवाल फल
३७. प्रवाल पुष्प ३६. प्रवाल बीज
४० पत्र पुष्प
४१. पत्र फल
४२. पत्र बीज
४३. पुष्प फल ४५. फल बीज (वृ) ।
२. चउभंगो एवं (ना) ।
भगवई
४४. पुष्प बीज
३. १७९ सूत्रे 'आसरूवं' इति पाठो विद्यते
तेनात्रापि
वृत्तावपि तस्योल्ले खोस्ति, संभाव्यते ।
४. खिल्लि ( क ) ।
५. वा उयाए (क, ता ) ।
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तइयं सतं (च उत्थो उद्देसो) १६६. से भंते ! किं प्राइड्ढीए' गच्छइ ? परिड्ढीए गच्छइ ?
गोयमा ! पाइड्ढीए गच्छइ, नो परिड्ढीए गच्छइ ।। १६७. से भंते ! कि आयकम्मुणा गच्छइ ? परकम्मुणा गच्छइ ?
गोयमा ! आयकम्मुणा गच्छइ, नो परकम्मुणा गच्छइ ॥ १६८. से भंते ! किं आयप्पयोगेण गच्छइ ? परप्पयोगेण गच्छइ ?
गोयमा ! प्रायप्पयोगेण गच्छइ, नो परप्पयोगेण गच्छइ ° । १६६. से भंते ! किं ऊसियोदयं गच्छइ ? पतोदयं गच्छइ ?
गोयमा ! ऊसिप्रोदयं पि गच्छइ, पतोदयं पि गच्छइ ।। १७०. से भंते ! कि एगोपडागं गच्छइ ? दुहझोपडागं गच्छइ ?
गोयमा ! एगोपडागं गच्छइ, नो दुहझोपडागं गच्छइ ॥ १७१. से भंते ! किं वाउकाए ? पडागा ? |
गोयमा ! वाउकाए णं से, नो खलु सा पडागा । बलाहक-पदं १७२. पभू णं भंते ! बलाहए एगं महं इत्थिरूवं वा जाव' संदमाणियरूवं वा परिणा
मेत्तए ?
हंता पभू ॥ १७३. पभू णं भंते ! बलाहए एगं महं इत्थिरूवं परिणामेत्ता अणेगाइं जोयणाई
गतित्तए ।
हंता पभू॥ १७४. से भंते ! किं आइड्ढीए गच्छइ ? परिड्ढीए गच्छइ ?
गोयमा ! नो पाइड्ढीए गच्छइ, परिड्ढीए गच्छइ ।। १७५. से भंते ! कि आयकम्मुणा गच्छइ ? परकम्मुणा गच्छइ ?
गोयमा ! नो पायकम्मुणा गच्छइ, परकम्मुणा गच्छइ ।। १७६. से भंते ! कि आयप्पयोगेणं गच्छइ ? परप्पयोगेणं गच्छइ ?
गोयमा ! नो पायप्पयोगेणं गच्छइ, परप्पयोगेणं गच्छइ । १७७. से भंते ! किं ऊसिप्रोदयं गच्छइ ? पतोदयं गच्छइ ?
गोयमा ! ऊसिप्रोदयं पि गच्छइ, पतोदयं पि गच्छइ° ॥
१. आयड्ढीए (अ, ब, स); आतिड्ढीए (क, म) ५. भ० २।१६४ । २. सं० पा०-जहा आयड्ढीए एवं अयकम्मुणा ६. सं० पा०-एवं नो आयकम्मुणा, परकवि पायप्पयोगेण वि भाणियव्वं ।
म्मुणा। नो आयप्पयोगेणं, परप्पयोगेणं । ३. ऊसिओदगं (म, स)।
ऊसिओदयं वा गच्छइ पयोदयं वा गच्छइ। ४. पड़ागं वा (ता)।
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१६४
भगवई
१७८. से भंते ! कि बलाहए ? इत्थी ?
गोयमा ! बलाहए णं से, नो खलु सा इत्थी॥ १७६. एवं पुरिसे, प्रासे, हत्थी॥ १८०. पभू णं भंते ! बलाहए एगं महं जाणरूवं परिणामेत्ता अणेगाइं जोयणाई
गमित्तए ?
जहा इत्थिरूवं तहा भाणियव्वं ।। १८१. से भंते ! कि एगोचक्कवालं गच्छइ ? दुहप्रोचक्कवालं गच्छइ ?
गोयमा ! एगोचक्कवालं पि गच्छइ, दुहरोचक्कवाल पि गच्छइ° ॥ १८२. जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीया-संदमाणिया तहेव ॥ किलेसोववाय-पदं १८३. जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! किलेस्सेसु
उववज्जइ? गोयमा ! जल्लेस्साइं दव्वाइं परियाइत्ता कालं करेइ, तल्लेस्सेसु उववज्जइ, तं जहा–कण्हलेस्सेसु वा, नीललेस्सेसु वा, काउलेस्सेसु वा । एवं जस्स जा
लेस्सा सा तस्स भाणियव्वा । जाव१८४.
जीवे णं भंते ! जे भविए जोइसिएसु उववज्जित्तए., से णं भंते ! किलेस्सेसु उववज्जइ० ? गोयमा ! जल्लेसाइं दव्वाइं परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेस्सेसु उववज्जइ, तं
जहा-तेउलेस्सेसु॥ १८५. जीवे णं भंते ! जे भविए वेमाणिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! किलेस्सेसु
उववज्जइ? गोयमा ! जल्लेस्साइं दव्वाइं परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेस्सेसु उववज्जइ, तं जहा-तेउलेस्सेसु वा, पम्हलेस्सेसु वा, सुक्कलेसे वा ।।
१. भ० ३३१७३-१७८ । २. भ० ३।१७३-१७८ । ३. सं० पा०-नवरं एगो चक्कवालं पि दुह-
ओचक्कवालं पि भारिणयव्वं । ४. संदमाणिया णं (अ, ब, स)। ५. भ० ३३१७३-१७८ । ६. उववज्जइए (अ)। ७. जं लेसाई (अ, स)।
८. जाव जीवेणं भंते जे भविए असुरकुमारेसु
उववज्जइ से भंते किलेसेसु असुरकूमारेसु उपवज्जइ ? जल्लेसाई दव्वाइं परियाइत्ता कालं करेइ तल्लेसेसु असूरकमारेस उववज्जइ। तं कण्हनीलकाउतेउलेसेसु वा एवं जहा नेरइयाणं नवरं अब्भहियं तेउलेसेसु वा एवं जस्स
जा सा भारिणयव्वा जाव (ता); पू०प० २। ९. सं० पा०-पुच्छा। १०. परियाइतित्ता (अ, ब, स)।
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तइयं सतं (चउत्थो उद्देसो) भाविप्रप्प-विकुम्वरणा-पदं १८६. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू वेभारं
पव्वयं उल्लंघेत्तए वा ? पल्लंघेत्तए वा ?
गोयमा ! नो इणढे समटे । १८७. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू वेभारं पव्वयं
उल्लंघेत्तए वा ? पल्लंघेत्तए वा ?
हंता पभू ॥ १८८. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता जावइयाई
रायगिहे नगरे रूवांइ, एवइयाइं विकुवित्ता वेभारं पव्वयं अंतो अणुप्पविसित्ता पभू समं वा विसमं करेत्तए ? विसमं वा समं करेत्तए ?
गोयमा ! नो इणढे समढे । १८९. 'अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता जावइयाइं राय
गिहे नगरे रूवाई, एवइयाई विकुम्वित्ता वेभारं पव्वयं अंतो अणुप्पविसित्ता पभू समं वा विसमं करेत्तए ? विसमं वा समं करेत्तए ?
हंता पभ० ॥ १६०. से भंते ! कि माई विकुम्वइ ? अमाई ? विकुव्वइ
गोयमा ! माई विकुब्वइ, नो अमाई विकुब्वइ ।। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ'-'माई विकुव्वइ°, नो अमाई विकुव्वइ ? गोयमा ! माई णं पणीयं पाण-भोयणं भोच्चा-भोच्चा वामेति । तस्स णं तेणं पणीएणं पाण-भोयणेणं अट्ठि-अद्धिमिजा बहलीभवंति, पयणुए मंस-सोणिए भवति । जे वि य से अहाबायरा पोग्गला ते वि य से परिणमंति, तं जहासोइंदियत्ताए •चक्खिंदियत्ताए पाणिदियत्ताए रसिदियत्ताए ° फासिदियत्ताए, अट्ठि-अद्विमिज-केस-मंसु-रोम-नहत्ताए, सुक्कत्ताए, सोणियत्ताए। अमाई णं लहं पाण-भोयणं भोच्चा-भोच्चा णो वामेइ। तस्स णं तेणं लुहेणं पाण-भोयणेणं अट्ठि-अट्ठिमिजा पयणूभवंति, बहले मंस-सोणिए । जे वि य से अहाबायरा पोग्गला ते वि य से परिणमंति, तं जहा-उच्चारत्ताए पासवणताए खेलत्ताए सिंघाणत्ताए वंतत्ताए पित्तत्ताए पूयत्ताए° सोणियत्ताए । से तेणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-माई विकुब्वइ°, नो अमाई विकुव्वइ ।।
१११
१. वेब्भारं (ता)।
४. सं० पा०-सोइंदियत्ताए जाव फासिदियत्ताए। २. सं० पा०-एवं चेव बितिओ वि आलावगो ५. सं० पा०-पासवणत्ताए जाव सोणियत्ताए। नवरं परियातिइत्ता पभू।।
६. सं० पा०-तेणट्रेणं जाव नो। ३. सं० पा०-वुच्चइ जाव नो।
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भगवई
१६२. माई णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते' कालं करेइ, नत्थि तस्स आराहणा।
अमाई णं तस्स ठाणस्स पालोइय-पडिक्कते कालं करेइ, अत्थि तस्स
पाराहण ॥ १६३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
पंचमो उद्देसो
१९४. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महं
इत्थीरूवं वा जाव' संदमाणियरूवं वा विउव्वित्तए ?
नो इणट्टे समझे ॥ १६५. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगं महं
इत्थीरूवं वा जाव' संदमाणियरूवं वा विउवित्तए ?
हंता पभू॥ १६६. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा केवइयाइं पभू इत्थिरूवाइं विउवित्तए ?
गोयमा ! से जहानामए-जुवई जुवाणे हत्थेणं हत्थंसि गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा वेउव्वियससमुग्घाएणं समोहण्णइ जाव' पभू णं गोयमा ! अणगारे णं भाविअप्पा केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं बाहिं इत्थिरूवेहि आइण्णं वितिकिण्णं •उवत्थडं संथडं फुडं अवगाढावगाढं करेत्तए । एस णं गोयमा ! अणगारस्स भाविअप्पणो अयमेयारूवे विसए, विसयमेत्ते बुइए, णो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा, विउव्वति वा,
विउव्विस्सति वा । एवं परिवाडीए नेयव्वं जाव संदमाणिया ॥ १६७. से जहानामए केइ पुरिसे' असिचम्मपायं गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि
भाविअप्पा असिचम्मपायहत्थकिच्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ? हंता उप्पएज्जा ॥
१. अणालोतिय ° (अ, ब, स)। २. भ० ११५१ । ३. भ० ३।१६४। ४. भ० ३.१६४१
५. भ० ३।४। ६. संहा०—वितिकिण्णं जाव एस । ७. भ० ३।१६४। ८. असिं चम्म (ता)।
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तइयं सतं (पंचमो उद्देसो) १९८. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा केवइयाइं पभू असिचम्म (पाय ?) हत्थकिच्च
गयाइं रूवाइं विउवित्तए ? गोयमा ! से जहानामए-जुबई जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, तं चेव जाव'
विउव्विसु वा, विउव्वति वा, विउव्विस्सति वा ।। १६६. से जहानामए केइ पुरिसे एगोपडागं काउं गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे
वि भाविअप्पा एगोपडागाहत्थकिच्चगएणं' अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं' उप्पएज्जा?
हंता उप्पएज्जा॥ २००. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा केवइयाइं पभू एगोपडागाहत्थकिच्चगयाई
रूवाइं विकुन्वित्तए ?
एवं चेव जाव' विकुट्विसु वा, विकुव्वतिवा वा, विकुव्विस्सति वा ॥ २०१. एवं दुहनोपडागं पि । २०२. से जहानामए केइ पुरिसे एगमोजण्णोवइतं काउं गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि
भाविअप्पा एगोजण्णोवइतकिच्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ?
हंता उप्पएज्जा ॥ २०३. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा केवइयाइं पभू एगोजण्णोवइतकिच्चगयाइं
रूवाई विकुवित्तए?
तं चेव जाव' विकुट्विसु वा, विकुव्वति वा, विकुव्विस्सति वा । २०४. एवं दुहओजण्णोवइयं पि॥ २०५. से जहानामए केइ पुरिसे एगोपल्हत्थियं काउं चिट्ठज्जा, एवामेव अणगारे वि
भाविअप्पा एगोपल्हत्थिय किच्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहास उप्पएज्जा ?
तं चेव जाव विकुविसु वा, विकुव्वति वा, विकुव्विस्सति वा ।। २०६. एवं दुहओपल्हत्थियं पि॥ २०७. से जहानामए केइ पुरिसे एगोपलियंकं काउं चिट्ठज्जा, एवामेव अणगारे वि
भावियप्पा एगओपलियंककिच्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ?
तं चेव जाव' विकुव्विसु वा, विकुव्वति वा, विकुव्विस्सति वा ।। २०८. एवं दुहनोपलियंकं पि॥
१. भ० ३।१६६ । २. एगततोपडागा° (ता)। ३. वेहायसं (ब)। ४. हंता गोयमा (अ, ता, ब, स)।
५. भ० ३।१६६ । ६. भ० ३।१६६ । ७. भ० ३।२०२, २०३। ८. भ० ३।२०२, २० ।
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भगवई
भाविनप्प-अभिजुजरणा-पदं २०६. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महं
आसरूवं वा हत्थिरूवं वा सोहरूवं वा विग्घरूवं वा विगरूवं वा दीवियरूवं वा अच्छरूवं वा तरच्छरूवं वा परासररूवं' वा अभिमुंजित्तए ?
नो इणद्वे समटे॥ २१०. अणगारे ण भंते ! भाविअप्पा बाहिरिए पोग्गले परियाइत्ता पभू एग महं
आसरूवं वा हत्थिरूवं वा सीहरूवं वा वग्घरूवं वा विगरूवं वा दीवियरूवं वा अच्छरूवं वा तरच्छरूवं वा परासररूवं वा अभिजुजित्तए ?
हंता पभू॥ २११.
अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा (पभू ? ) एगं महं प्रासरूवं वा अभिमुंजित्ता अणेगाइं जोयणाइं गमित्तए ?
हंता पभू ॥ २१२. से भंते ! किं प्राइड्ढोए गच्छइ ? परिड्ढीए गच्छइ ?
गोयमा ! अाइड्ढीए गच्छइ, नो परिड्ढीए गच्छइ ।। २१३. ''से भंते ! किं पायकम्मुणा गच्छइ ? परकम्मुणा गच्छइ ?
गोयमा ! आयकम्मुणा गच्छइ, नो परकम्मुणा गच्छइ । २१४. से भंते! किं पायप्पयोगेणं गच्छइ ? परप्पयोगेणं गच्छइ !
गोयमा ! प्रायप्पयोगेणं गच्छइ, नो परप्पयोगेणं गच्छइ ॥ २१५. से भंते ! किं ऊसियोदयं गच्छइ ? पतोदयं गच्छइ ?
गोयमा ! ऊसियोदयं पि गच्छइ, पतोदयं पि गच्छइ° ॥ २१६. से णं भंते ! कि अणगारे? आसे ?
गोयमा ! अणगारे णं से, नो खलु से आसे ।। २१७. एवं जाव' परासररूवं वा ।। २१८. से भंते ! किं 'मायी विकुव्वइ, ? अमायी विकुव्वइ ?
__ गोयमा ! मायी विकुव्वइ, नो अमायो विकुव्वइ ।।
१. वग° (क, ता, ब, म)। २. इह अन्यान्यपि शृगालादिपदानि वाचनान्तरे
दृश्यन्ते (व)। ३. सं० पा०–एवं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता
पभू ।
४. सं० पा०-एवं पायकम्मुणा नो परकम्मूणा
आयप्पयोगेण नो परप्पयोगेण उस्सिओदयं
वा गच्छइ पयोदयं वा गच्छइ । ५. भ० ३।२०६, २११-२१६ । ६. भायी अभिजंजइ"अधिकृतवाचनायां 'मायी
विक्कुव्वइ' ति दृश्यते (वृ)।
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तइयं सतं (पंचमो उद्देसो)
१६६ २१६. मायी णं भंते ! तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेइ, कहिं उववज्जइ ?
गोयमा ! अण्णयरेसु आभियोगिएसु देवलोगेसु देवत्ताए उववज्जइ ।। २२०. अमायी णं भंते ! तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कते कालं करेइ, कहिं
उववज्जइ ?
गोयमा ! अण्णयरेसु अणाभियोगिएसु देवलोएसु देवत्ताए उववज्जइ । २२१. सेवं भंते ! सेवं भंते । त्ति। संगहरणी-गाहा १. इत्थी असी पडागा, जण्णोवइए य होइ बोद्धव्वे' ।
पल्हत्थिय पलियंके, अभियोग विकुव्वणा मायी ।।
छट्टो उद्देसो भावियप्प-विकुव्वणा-पदं २२२. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा मायी मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए
विभंगनाणलद्धीए वाणारसि नगरि समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रूवाई जाणइ-पासइ?
हंता जाणइ-पासइ ॥ २२३. से भंते ! कि तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ?
गोयमा ! नो तहाभावं जाणइ-पासइ, अण्णहाभाव जाणइ-पासइ॥ से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-नो तहाभाव जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं रायगिहे नगरे समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नगरीए रूवाइं जाणामि-पासामि । 'सेस सण-विवच्चासे" भवइ । से तेण?ण' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ-नो तहाभावं जाणइ-पासइ, अण्णहाभावं जाणइ°-पासइ ॥
२२४.
१. आभियोगेसु (अ, ब, स); आभिओग्गिएसु ४. से से दंसणे विवच्चासे (अ, ब, स, वृ); से (ता)।
___ से दंसणे विवरीए विवच्चासे (वृपा) । २. भ० ११५१ ।
५. सं० पा०-तेगटेणं जाव पासइ । ३. बोधव्वे (अ, क, म, स)।
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भगवई
१७०
२२५. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा मायी मिच्छदिट्टी' वीरियलद्धीए वे उव्वियलद्धीए विभंगनाणलद्धीए° रायगिहे नगरे समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नयरीए रुवाई जाणइ-पासइ ?
हंता जाणइ पासइ |
२२६. से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ ? ग्रण्णहाभावं जाणइ - पासइ ? गोयमा ! नो तहाभावं जाणइ पासइ, अण्णहाभावं जाणइ पासइ || २२७. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - नो तहाभावं जाणइ पासइ ? अण्णाभावं
जाणइ पासइ ?
गोयमा ! • तस्स णं एवं भवइ - एवं खलु ग्रहं वाणारसीए नयरीए समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रुवाइं जाणामि-पासामि । सेस दंसण - विवच्चासे भवति । से तेणट्टे गोयमा ! एवं वुच्चइ - नो तहाभावं जाणइ पासइ०, अण्णाभावं जाणइ-पासइ ||
२२८. अणगारे णं भंते! भावियप्पा मायी मिच्छदिट्ठी वीरियलद्धीए वे उव्वियलडीए विभंगनाणलद्धीए वाणारसि नगर, रायगिहं च नगरं, अंतरा एगं महं जणवयi समोहए, समोहणित्ता वाणारसि नगर रायगिहं च नगरं अंतरा' एवं महं जणवयग्गं जाणति - पासति ?
हंता जाणति - पासति ।
२२६. से भंते ! किं तहाभावं जाणइ पासइ ? अण्णाभावं जाणइ-पासइ ? गोयमा ! नो तहाभावं जाणइ-पासइ, अण्णहाभावं जाणइ पासइ ॥ २३०. से केणट्टेणं' "भंते ! एवं बुच्चइ - नो तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णाभावं
जाणइ ०- पासइ ?
गोयमा ! तस्स खलु एवं भवति - एस खलु वाणारसी नगरी, एस खलु रायगिहे नगरे, एस खलु अंतरा एगे महं जणवयग्गे, नो खलु एस महं वीरियलद्धी वेडव्विलद्धी विभंगनाणलद्धी इड्ढि जुती जसे बले वीरिए पुरिसक्कार -परक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए 'सेस दंसण - विवच्चासे" भवति । से तेणट्टेणं' • गोयमा ! एवं वच्चइ - नो तहाभावं जाणइ पासइ, अण्णहाभावं जाणइ ० -
पासइ ||
१. सं० पा०- - मिच्छदिट्ठी जाव रायगिहे ।
२. सं० पा० - तं चैव जाव तस्स ।
३. सं० पा० - तेणट्टेणं जाव अण्णहाभावं । ४. अंतराय (क, ता, ब ) ।
५. जरणवयवग्गं (क, म, स, वृ); अत्र स्वीकृत : पाठ: समीचीन: प्रतिभाति । वृत्तिकृत:
सम्मुखवर्तिषु आदर्शेषु 'जरणवयवग्गं' इति पाठ: आसीत् तेन तथा व्याख्यातोसौ लभ्यते । ६. तं० च अंतरा (क, ता, ब, म) । ७. सं० पा० - केट्टेां जाव पासइ । ८. से से दंसणे विवच्चासे ( अ, क, ब, स ) । ६. सं० पा० - तेणट्टेणं जाव पासइ ।
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तइयं सतं (छट्ठो उद्देसो) २३१. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा अमायी सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए वे उव्वियलद्धीए
अोहिनाणलद्धीए रायगिह नगरं समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नयरीए रूवाइं जाणइ-पासइ ?
हंता जाणइ-पासइ ।। २३२. से भंते ! कि तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ?
गोयमा ! तहाभावं जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभावं जाण इ-पासइ ।। २३३. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-तहाभाव जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभावं
जाणइ-पास इ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ–एवं खलु अहं रायगिहे नयरे समोहए, समोहणित्ता वाणारसीए नयरीए रूवाइं जाणामि-पासामि । सेस दसण-अविवच्चासे भवति । से तेणटेणं' गोयमा ! एवं वुच्चइ–तहाभावं जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभावं
जाणइ-पासइ ॥ २३४. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा अमायी सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए
प्रोहिनाणलद्धीए वाणारसिं नगरि समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रूवाई जाणइ-पासइ?
हंता जाणइ-पासइ॥ २३५. से भंते ! किं तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ?
गोयमा ! तहाभावं जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ।। २३६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-तहाभावं जाणइ-पासइ ? नो अण्णहाभावं
जाणइ-पासइ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ–एवं खलु अहं वाणारसिं नगरि समोहए, समोहणित्ता रायगिहे नगरे रूवाई जाणामि-पासामि । सेस दंसण-अविवच्चासे भवति । से तेणतुणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-तहाभावं जाणइ-पासइ, नो अण्णहाभावं जाणइ-पासइ । अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा अमायी सम्मदिट्ठी वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए प्रोहिनाणलद्धीए रायगिहं नगरं, वाणारसिं च नगरिं, अंतरा एगं महं जणवयग्गं समोहए, समोहणित्ता रायगिहं नगरं, वाणा रसिं च नगरि, अंतरा एगं महं जणवयग्गं जाणइ-पासइ? हंता जाणइ-पासई॥
२३७.
३. जणवयवग्गं (क, म, स); जण वदग्गं (ता) । ४. तं च अंतरा (क, ता, ब, म)।
१. तहारूवं (क)। २. सं० पा०-बितिओ वि आलावगो एवं चेव
नवरं वाणारसीए समोहणा ऐयव्वा । रायगिहे नगरे रूवाइं जाणइ पासइ ।
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२३८. से भंते! किं तहाभावं जाणइ-पासइ ? अण्णहाभावं जाणइ-पासइ ? गोमा ! तहाभावं जाणइ-पासइ, नो ग्रण्णहाभावं जाणइ पासइ ॥ २३६. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - तहाभावं जाणइ पासइ ? नो अण्णाभावं
जाणइ-पासइ ?
गोयमा ! तस्स णं एवं भवति - नो खलु एस रायगिहे नगरे, नो खलु एस वाणारसी नगरी, नो खलु एस अंतरा एगे जणवयग्गे, एस खलु ममं वीरियलद्धी वे उव्विलद्धी हिनाणलद्धी इड्ढी जुती जसे बले वोरिए पुरिसक्कार -परक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए। सेस दंसण- प्रविवच्चासे भवइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वृच्चइ - तहाभावं जाणइ-पासइ, नो ग्रण्णहाभावं जाणइ पासइ ॥ २४०. अणगारे णं भंते ! भाविप्पा बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगं महं गामरूवं वा नगररूवं वा जाव' सण्णिवेसरूवं वा विउव्वित्तए ?
नोतिट्टे सट्टे ॥
२४१. ` अणगारे णं भंते! भाविअप्पा बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एवं महं गामरूवं वा नगररूवं वा जाव सण्णिवेसरूवं वा विउब्वित्तए ?
हंता भू° ॥
२४२. अणगारे णं भंते ! भाविप्पा केवइयाई पभू गामरूवाई विकुव्वित्तए ?
२४३. एवं जाव सण्णिवेसरूवं वा ॥
गोमा ! से जहानामए - जुवति जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा तं चेव जाव विकुव्विसुवा, विकुब्वति वा, विकुव्विस्सति वा ।।
श्राय रक्ख पदं
२४४. चमरस्य णं भंते ! असुरिदस्स असुररण्णो कइ प्रायरक्खदेवसाहस्सीश्रो पण्णत्ताओ ?
भगवई
२४५. एवं सव्वेसि इंदाणं जस्स जत्तिया प्राय रक्खा ते भाणियव्वा ।।
२४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
गोयमा ! चत्तारि चउसट्टीश्रो आयरक्खदेवसाहस्सीश्रो पण्णत्तायो । ते णं प्राय रक्खा - वण्णो ॥
१. भ० १।४६ ।
२. सं० पा० - एवं बित्तिओ वि आलावगो नवरं बाहिरए पोगले परियाइत्ता पभु ।
३. भ० ३।१८६ |
४. भ० १४६ ।
५. राय० सू० ६६४; वण्णओ जहा रायपसेर - इज्जे (ब, म); अयं च पुस्तकान्तरे साक्षाद्
दृश्यत एव ( वृ) ।
६. प०२ ।
७. भ० १।५१ ।
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तइयं सतं (सत्तमो उद्देसो)
१७३
सत्तमो उद्देसो
लोगपाल-पदं २४७. राय गिहे नगरे जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी-सक्कस्स णं भंते ! देविदस्स
देवरण्णो कति लोगपाला पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि लोगपाला पण्णत्ता, तं जहा–सोमे जमे वरुणे वेसमणे ।। २४८. एएसि णं भंते ! चउण्हं लोगपालाणं कति विमाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि विमाणा पण्णत्ता, तं जहा–संझप्पभे वरसिट्ठ सयंजले
वग्गू।। २४६. कहि णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो संझप्पभे नाम
महाविमाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाप्रो उड्डे चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त तारारूवाणं बहूई जोयणाइं जाव' पंच वडेंसया पण्णत्ता, तं जहा-असोगव
डेंसए, सत्तवण्णवडेंसए, चंपयव.सए, चूयव.सए', मज्झे सोहम्मवडेंसए॥ सोम-पदं २५०. तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरथिमे णं सोहम्मे कप्पे असंखे
ज्जाइं जोयणाई वीइवइत्ता, एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देव रण्णो सोमस्स महारण्णो संझप्पभे नामं महाविमाणे पण्णत्ते-अद्धतेरसजोयणसयसहस्साई प्रायाम-विक्खंभेणं, उयालीसं जोयणसयसहस्साई बावन्नं च सहस्साई अट्र य अडयाले जोयणसए किचि विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते । जा सूरियाभविमाणस्स वत्तव्वया सा अपरिसेसा भाणियव्वा जाव अभिसेरो, नवरं
सोमो देवो॥ २५१. संझप्पभस्स णं महाविमाणस्स अहे, सपक्खि, सपडिदिसि असंखेज्जाइं जोयण
__सहस्साई प्रोगाहित्ता, एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो
१. सूरिम (क, ता, म)। २. गह (ता)। ३. राय० सू० १२४, १२५ । ४. भूय ° (ब, म, स)। ५. अड्ढ ° (ता)।
६. ऊया° (क, ता, ब)। ७. X (अ, स)। ८. राय० सू० १२६-१८० । ६. जोयसयसहस्साइं (क, ब)।
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१७४
भगवई
सोमा नामं रायहाणी पण्णत्ता–एगं जोयणसयसहस्सं पायाम-विक्खंभेणं जंबुद्दीवप्पमाणा । वेमाणियाणं पमाणस्स अद्धं नेयव्वं जाव' अोवारियलेणं सोलस जोयणसहस्साइं पायाम-विक्खंभेणं, पण्णासं जोयणसहस्साइं पंच य सत्ताणउए जोयणसते किंचि विसेसणे परिक्खेवेणं पण्णत्तं । पासायाणं चत्तारि परिवाडीयो
नेयव्वानो, सेसा नत्थि ।। २५२. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारण्णो इमे देवा आणा-उववाय
वयण-निद्देसे चिटुंति, तं जहा-सोमकाइया इ वा, सोमदेवयकाइ या इ वा, विज्जुकुमारा, विज्जुकुमारीयो, अग्गिकुमारा, अग्गिकुमारीग्रो, वायकुमारा', वायकुमारीो', चंदा, सूरा, गहा णक्खत्ता, तारारूवाजे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते त्तभत्तिया, तप्पक्खिया, त्तब्भारिया सक्कस्स
देविदस्स देवरणो सोमस्स महारण्णो आणा-उववाय-वयण-निद्देसे चिट्ठति ॥ २५३. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाइं इमाइं समुप्पज्जति, तं जहा
गहदंडा इ वा, गहमुसला इ वा, गहगज्जिया इ वा, गहजुद्धा इ वा, गहसिंघाडगा इवा, गहावसव्वा इ वा, 'अब्भा इ वा अब्भरुक्खा इवा, संझा इ वा, गंधव्वनगरा इ वा, उक्कापाया इ वा, दिसिदाहा इ वा, गज्जिया इ वा, विज्जुया इ वा, पंसुवुट्ठी इ वा. जूवे इ वा, जक्खालित्तए त्ति वा, धूमिया इ वा, महिया इ वा, रयुग्धाए त्ति वा, चदोवरागा इ वा सूरोवरागा इ वा, चंदपरिवेसाइ वा, सूरपरिवेसा' इवा, पडिचंदा इ वा, पडिसूरा इ वा, इदधणू इ वा, उदगमच्छा" इ वा, कपिहसिया इ वा, अमोहा इ वा, पाईणवाया इ वा, पईणवाया इ वा", 'दाहिणवाया इ वा, उदीणवाया इ वा, उड्ढावाया इ वा, अहोवाया इ वा, तिरियवाया इ वा, विदिसीवाया इ वा, वाउभामा इ वा, वाउक्कलिया इ वा, वायमंडलिया इ वा, उक्कलियावाया इ वा, मंडलियावाया इवा, गुंजावाया इवा, झंझावाया इ वा°, संवट्टयवाया इ वा, गामदाहा इ वा, जाव सण्णिवेसदाहा इ वा, पाणक्खया, जणक्खया, धणक्खया, कलक्खया, वसणब्भूया मणारिया–जे यावण्णे तहप्पगारा ण ते सक्कस्स देवि
१. राय० सू० २०४-२०८ । २. भ० २।१२१ । ३. उवगारियलेणं (अ, स)। ४. वायु° (क); वाउ° (ता)। ५. वायु ° (क); वाउ ° (ता) । ६. एवं गहजुद्धा (अ, क, ता, ब, म, स)। ७. X (अ, ता, म, स)।
८. परिएसा (ब, म)। ६. परिएसा (ब, म)। १०. उदगमच्छगे (ब, म)। ११. सं० पा०—पईणवाया इ वा जाव संवट्टय
__ वाया। १२. भ० ११४६ । १३. मकारोलाक्षणिकः ।
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तइयं सतं (सत्तमो उद्देसो)
१७५
दस देवरण्णो सोमस्स महारण्णो श्रण्णाया अदिट्ठा असुया प्रमुया' अविण्णाया, तेसि वा सोमकाइयाणं देवाणं ॥
२५४. सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो इमे देवा अहावच्चा अभिण्णाया' होत्या, तं जहा - इंगालए वियालए लोहियक्खे सण्णिच्चरे' चंदे सूरे सूक्के हे बहस्सई राहू ॥
२५५. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सतिभागं पलिवमं ठिई पण्णत्ता | हावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एवं पलिप्रोवमं ठिई पण्णत्ता । एमहिढी जाव' महाणुभागे सोमे महाराया ॥
यम-पदं
२५६. कहि णं भंते ! सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो वरसिट्टे नाम महाविमाणे पण्णत्ते ? गोयमा !
सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स दाहिणे णं सोहम्मे कप्पे संखेज्जाई जोयणसहस्साइं वीईवइत्ता, एत्थ णं सक्कस्स देविंदस्स देवरणो जमस्स महारण्णो वरसिट्ठे नामं महाविमाणे पण्णत्तं - श्रद्धते रसजोयणसयसहस्साई – जहा सोमस्स विमाणं तहा जाव' अभिसेो । रायहाणी तहेव जाव" पासायांतीओ ।
२५७. सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो इमे देवा आणा " - उववायवयण - निसे चिट्ठति तं जहा- जमकाइया इवा, जमदेवयकाइया" इवा, पेतकाइया इवा, पेतदेवयकाइया इ वा असुरकुमारा, असुरकुमारी, कंदप्पा, निरयपाला, अभियोगा " - जे यावण्णे तहप्पगारा" सव्वे ते तब्भत्तिगा, तपक्खिया तब्भारिया सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो प्राणा"• उववाय वयण - निद्दे से चिट्ठति ॥
o
१. सुया ( अ, क, म); अस्मृतपदस्य असूयं अयं इतिरुपद्वयं भवति । वृत्तिकृता असुयत्ति अस्मृता इति व्याख्यातम् ।
२. श्रहाभिण्णाता (क, ता)
३. सणिचरे (अ); सण्णिच्छरे (क, ब, म); १२. जमदेवतवकाइया
(म, स) ।
८. विमाणो (क. ता, ब ) ।
६. भ० ३।२५० ।
१०. भ० ३।२५१ ।
११. सं० पा० - प्राणा जाव चिट्ठति ।
सणिचरे (ता) ।
४. सभागं ( ता ); सत्तिभागं ( ब म ) ।
१३. निरयवाला (अ) ।
५. अहापच्चभिण्णायाणं ( क ); अहापच्चभिण्णा - १४. अभियोग्गा (ता, ब ) ।
ताणं (ता) |
६. भ० ३।४ ।
७. सोहम्मवसयस ( स ) 1
(ता); जमदेवकाइया
१५. तप्पगारा (ता, ब ) ।
१६. सं० पा० - आणा जाव चिट्ठति ।
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भगवई
२५८. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाइं इमाइं समुप्पज्जंति, तं जहा
डिबा इवा, डमरा इ वा, कलहा इ वा, बोला इ वा, खारा इ वा, महाजुद्धा इ वा, महासंगामा इ वा, महासत्थनिवडणा इ वा, महापुरिसनिवडणा' इ वा, महारुहिरनिवडणा इ वा, दुब्भूया इ वा, कुलरोगा इवा, गामरोगा इवा, मंडलरोगा इ वा, नगररोगा इ वा, सीसवेयणा इवा, अच्छिवेयणा इ वा कण्णवेयणा इ वा, नहवेयणा इ वा, दंतवेयणा इ वा, इंदग्गहा इ वा, खंदग्गहा इ वा, कुमारग्गहा इ वा, जक्खग्गहा इ वा, भूयग्गहा' इ वा, एगाहिया इ वा, बेहिया इ वा, तेहिया इ वा, चाउत्थया' इ वा, उव्वेयगा इ वा, कासा इ वा, 'सासाइवा, सोसा" इवा, जरा इ वा, दाहा इ वा, कच्छकोहा इ वा, अजीरगा इ वा, पंडुरोगा इ वा, अरिसा' इ वा, भगंदला' इ वा, हिययसूला इ वा, मत्थयसूला इ वा, जोणिसूला इ वा, पाससूला इ वा, कुच्छिसूला इ वा, गाममारी इ वा, नगरमारी इ वा, खेडमारी इ वा, कव्वडमारी इ वा, दोणमुहमारी इ वा, मडंबमारी इ वा, पट्टणमारी इ वा, आसममारी इ वा, संवाहमारी इ वा, सण्णिवेसमारी इ वा, पाणक्खया, जणक्खया, धणक्खया, कुलक्खया, 'वसणभूया मणारिया जे यावण्णे तहप्पगारा ण ते सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो अण्णाया अदिट्ठा असुया अमुया
अविण्णाया, तेसि वा जमकाइयाणं देवाणं ।। २५६. सक्कस्स देविदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो इमे देवा अहावच्चा
अभिण्णाया होत्था, तं जहासंगहणी-गाहा
अंबे अंबरिसे चेव, सामे सबले त्ति यावरे । रुद्दोवरुद्दे काले य, महाकाले त्ति यावरे ॥१॥ 'असिपत्ते धणू कुंभे, वालुए" वेतरणी त्ति य । खरस्सरे महाघोसे, एते" पण्णरसाहिया ॥२॥
१. एवं महापुरिस (अ, क, ता, ब, म. स)। ८. जे या वि अन्ने (ब, म)। २. भूमग्गहा (ता)।
६. अहाभिण्णाया (क, ता)। ३. चतुत्थया (ता, म)।
१०. असी य असिपत्ते कुंभे (क, वृ); असिपत्त ४. खासा इ वा सासा (अ) ।
__ धणू कुंभे (वृपा)। ५. अरसा (अ); हरिसा ब, म)।
११. वालू (अ, ता, ब, म, स)। ६. भगंदरा (ता)।
१२. वेदरणी (ब, म)। ७. ० भूयमणारिया (अ, क. ता); ° भूतामणा- १३. एमए (क, ब, वृ) ।
रिया (ब)।
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तइयं सतं (सत्तमो उद्देसो)
१७७ २६०, सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो जमस्स महारण्णो सतिभागं पलिअ ठिई पण्णत्ता,
अहावच्चाभिण्णायाण देवाणं एगं पलिपोवमं ठिई पण्णत्ता । एमहिड्ढीए
जाव' महाणुभागे जमे महाराया । वरुण-पदं २६१. कहि णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो सयंजले नाम
महाविमाणे पण्णत्ते? गोयमा ! तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स पच्चत्थिमे णं जहा सोमस्स तहा विमाण-रायधाणीयो भाणियव्वा जाव' पासादवडेंसया, नवरं-नाम
नाणत्तं ॥ २६२. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो' 'इमे देवा आणाउववाय
वयण-निद्देसे ° चिटुंति, तं जहा–वरुणकाइया इ वा, वरुणदेवयकाइया इ वा, नागकुमारा, नागकुमारीओ, उदहिकुमारा, उदहिकुमारीओ, थणियकुमारा, थणियकुमारीप्रो-जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया', 'तप्पक्खिया, तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो आणा-उववाय
वयण-निद्देसे चिटुंति ॥ २६३. जंबहीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाइं इमाइं समुप्पज्जति, तं जहा
अइवासा इ वा, मंदवासा इ वा, सुवुट्ठी इ वा, दुवुट्ठी इ वा, उदब्भेदाइ वा, उदप्पीला" इ वा, अोवाहा इ वा, पवाहा इ वा, गामवाहा इ वा, जाव' सण्णिवेसवाहा इ वा, पाणक्कखया", जणक्खया, धणक्खया, कलक्खया, वसणभूया मणारिया जेयावण्णे तहप्पगारा ण ते सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो अण्णाया अदिट्ठा असुया अमुया अविण्णाया , तेसि वा
वरुणकाइयाणं देवाणं ।। २६४. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो इमे देवा अहावच्चाभिण्णाया होत्था, तं जहा
कक्कोडए कद्दमए, अंजणे संखवालए पुंडे । पलासे मोए जए, दहिमुहे" अयंपुले कायरिए ।
१. भ० ३।४। २. भ० ३१२५०, २५१ । ३. सं० पा०-महारण्णो जाव चिटुंति । ४. सं० पा०-तब्भत्तिया जाव चिटुंति । ५. मंदबुट्टी (अ, क, ता, ब, म)। ६. दउन्भेदा (क, ब)।
७. दउप्पीला (क, ब)। ८. उदवाहा (अ, क)। ६. भ० ३।२५८ । १०. सं० पा०----पाणक्खया जाव तेसि । ११. ओहिमुहे (क); उदधिमुहे (ता)।
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१७८
भगवई
२६५. सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारण्णो देसूणाई दो पलिश्रवमाई ठिई पण्णत्ता । श्रहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एगं पलिप्रोवमं ठिई पण्णत्ता । महिढी जाव' महाणुभागे वरुणे महाराया ||
वेसमण-पदं
२६६. कहि णं भंते ! सक्क्स्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो वग्गू नामं महाविमाणे पण्णत्ते ?
गोमा ! तस्स णं सोहम्मवडेंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरे णं जहा सोमस्स विमाण - रायहाणि वत्तव्वया तहा नेयव्वा जाव' पासादवडेंसया || २६७. सक्क्स्स णं देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो इमे देवा प्राणा-उववायaण-नि चिट्ठति, तं जहा - वेसमणकाइया इ वा, वेसमणदेवयकाइया इवा, सुवण्णकुमारा, सुवण्णकुमारी, 'दीवकुमारा, दीवकुमारीश्रो,' दिसाकुमारा, दिसाकुमारी, वाणमंतरा, वाणमंतरीप्रो - जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तब्भत्तिया तप्पक्खिया तब्भारिया सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण प्राणा-उववाय वयण- निद्देसे चिट्ठति ॥
२६८. जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं जाई इमाई समुप्पजंति, तं जहाप्रयागरा इवा, तज्यागरा इ वा, तंबागरा इवा, 'सीसागरा इवा, हिरण्णागरा इ वा " सुवण्णागरा इ वा, रयणागरा इवा, वइरागरा इवा, वसुहारा इवा, हिरण्णवासा इवा, सुवण्णवासा इवा, रयणवासा इवा, वइरवासा इवा, ग्राभरणवासा इवा, पत्तवासा इवा, पुप्फवासा इ वा फलवासा इवा, बीयवासा इवा, मल्लवासा इवा, वण्णवासा इ वा, चुण्णवासा इवा, गंधवासा इवा, वत्थवासा इवा, हिरण्णवुट्टी इवा, सुवण्णवुट्ठी इवा, रयणवुट्ठी इवा, वरखुट्टी इवा, ग्राभरणवुट्ठी इ वा, पत्तवुट्ठी इ वा, पुप्फवुट्ठी इ वा, फलवुट्ठी इवा, बीयबुट्टी इवा, मल्लवुट्ठी इवा, वण्णवुट्ठी इ वा, चुण्णवुट्ठी इवा, गंधी इवा, वत्थवुट्ठी इवा, भायणवुट्ठी इवा, खीरखुट्टी इ वा सुकाला इवा, दुक्कालाइ वा अप्पग्धा इवा, महग्घा इवा, सुभिक्खा इवा, दुब्भिक्खा इवा, कयविक्कया इ वा, सण्णिही इवा, सष्णिचया इ वा निही इवा, निहाणाइ वा - चिरपोराणाइ वा, पहीणसामियाइ वा, पहीणसेतुयाइ वा, पहीणमग्गाइ वा, पहीणगोत्तागाराइ वा, उच्छण्णसामियाइ वा, उच्छण्णसेतुयाइ वा, (उच्छण्णमग्गाइ वा ? ) उच्छणगोत्तागारा इ वा, सिंघाडग-तिग- चउक्क
१. भ० ३।४ ।
२. भ० ३।२५०, २५१ ।
३. X ( क, ता, म ) |
४. सं० पा०—तभत्तिया जाव चिट्ठति ।
o
५. एवं सिसाग हिरण्ण (ता) । ६. सुयाला (ता) ।
७. X ( क, ता, ब, म ) !
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तइय सतं (अट्ठमो उद्देसो)
१७६ चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु वा' नगरनिद्ध मणेसुवा, सुसाण-गिरि-कंदरसंति-सेलोवट्ठाण--भवणगिहेसु संनिक्खित्ताइ चिटुंति, न ताई सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो 'अण्णायाइं अदिट्ठाइं असुयाइं अमुयाइं अविण्ण
याइं तेसि वा वेसमणकाइयाणं देवाणं ॥ २६६. सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो इमे देवा अहावच्चाभिण्णाया
होत्था, तं जहा-पुण्णभद्दे माणिभद्दे सालिभद्दे सुमणभद्दे चक्करक्खे पुण्णरक्खे
सव्वाणे सव्वजसे सव्वकामे समिद्धे अमोहे असंगे। २७०. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वेसमणस्स महारण्णो दो पलिग्रोवमाई ठिई
पण्णत्ता। अहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एगं पलिग्रोवमं ठिई पण्णत्ता। एम
हिड्ढीए जाव' महाणुभागे वेसमणे महाराया ॥ २७१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
अट्ठमो उद्देसो २७२. रायगिहे नगरे जाव' पज्जुवासमाणे एवं वयासी-असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं
कइ देवा अाहेवच्चं जाव' विहरंति ? गोयमा ! दस देवा आहेवच्चं जाव विहरंति, तं जहा-चमरे असुरिंदे असुरराया, सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे, बलो वइरोयणिदे वइरोयणराया, सोमे, जमे,
वेसमणे, वरुणे॥ १. °द्धवणेसु (वृ)।
यो तृतीयचतुर्थो तो ओदीच्येषु चतुर्थतृतीयौ २. संनिक्खित्ता (अ, ता)।
स्तः । प्रस्तुतसूत्रादर्शषु वृत्तौ च नैष क्रमो ३. अन्नाया अदिट्ठा असुया असुया अविण्णाया लभ्यते । वृत्तिकृता अस्य क्रमस्य पाठान्तर(अ, क, ता, ब)।
रूपेणोल्लेखः कृत:-इह च पुस्तकान्तरेऽय४. सव्वकाम (अ, ता, म)।
मर्थो दृश्यते-दाक्षिणात्येषु लोकपालेषु प्रति५. असंमे (अ); असंते (क, स)।
सूत्रं यो तृतीयचतुर्थों तावौदीच्येषु चतुर्थ६. भ० ३।४।
तृतीयाविति । किन्तु वैमानिकदेवेषु वृत्तिकृता ७. भ० ११५१।
तृतीयचतुर्थयोय॑त्पयः स्वीकृतः८. भ० ११४-१०।
सनत्कुमारादीन्द्रयुग्मेषु पूर्वेन्द्रापेक्षयोत्तरेन्द्र६. भ० ३।४।
सम्बन्धिनां लोकपालानां तृतीयचतुर्थयो w१०. स्थानांगे ४।१२२ सूत्रे 'दाक्षिणात्यलोकपालेषु त्ययो वाच्यः (वृ)। असौ क्रमः पूर्वक्रमाद्
भिन्नोस्ति । अस्माभिः सर्वत्र स्थानाङ्गानुसारी एक एव क्रमः स्वीकृतः। .
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१८०
भगवई
२७३. नागकुमाराणं भंते ! ' देवाणं कइ देवा अाहेवच्चं जाव' विहरंति ? '
गोयमा ! दस देवा अाहेवच्चं जाव विहरंति, तं जहा–धरणे णं नागकुमारिंदे नागकुमारराया, कालवाले, कोलवाले,सेलवाले, संखवाले, भूयाणंदे नागकुमारिदे
नागकुमार राया, कालवाले, कोलवाले, 'संखवाले, सेलवाले' ।। २७४. जहा नागकुमारिंदाणं एताए वत्तव्वयाए नीयं एवं इमाणं नेयव्वं
सुवण्णकुमाराणं-वेणुदेवे, वेणुदाली, चित्ते, विचित्ते, चित्तपक्खे, विचित्तपक्खे। विज्जुकुमाराणं-हरिकंत-हरिस्सह-पभ-सुप्पभ-पभकंत-सुप्पभकता। अग्गिकुमाराणं-अग्गिसिह-अग्गिमाणव-तेउ-तेउसिह-तेउकंत-तेउप्पभा । दीवकुमाराणं-पुण्ण-विसिट्ठ-रूय-रूयंस-रूयकंत-रूयप्पभा। . उदहीकुमाराणं-जलकंत-जलप्पभ-जल-जलरुय-जलकंत-जलप्पभा । दिसाकुमाराणं-अमितगति, अमितवाहण-तुरियगति-खिप्पगति-सीहगति-सीहविक्कमगती। वाउकुमाराणं-वेलब-पभंजण-काल-महाकाल-अंजण-रिट्ठा । थणियकुमाराणं-घोस-महाघोस-पावत्त-वियावत्त-नंदियावत्त-महानंदियत्ता।
एवं भाणियव्वं जहा असुरकूमारा । २७५. पिसायकुमाराणं भंते ! देवाणं कइ देवा आहे वच्चं जाव विहरंति ? ०
गोयमा ! दो देवा आहे वच्चं जाव विहरंति, तं जहासंगहणी-गाहा
काले य महाकाले, सुरूव-पडिरूव-पुण्णभद्दे य । अमरवई माणिभद्दे, भीमे य तहा महाभीमे ॥१॥ किन्नर-किपुरिसे खलु, सप्पुरिसे खलु तहा महापुरिसे ।
अइकाय-महाकाए, गीयरई चेव गीयजसे ।।२।।
एते वाणमंतराणं देवाणं ॥ १. सं० पा०-पुच्छा।
तु ८ का ६ आ १० इत्यनेनाक्षरदशकेन २. भ० ३।४।
दाक्षिणभवनपतीन्द्राणां प्रथमलोकपालनामानि ३. सेलवाले संखवाले (अ, क, म)।
सूचितानि, वाचनान्तरे त्वेतान्येव गाथायां, ४. तेउसीह (अ)।
साचेयम्-सोमे य १ महाकाले २ चित्त ३ ५. वसिट्ठ (ता, ब); विस? (स)।
प्पभ ४ तेउ ५ तह रुए चेव ६ । जल तह ७ ६. जलरूय (अ); जलरते (ठा० ४।१२२)। तरिय गई य ८काले आउत्त १० पढमा ७..भ० ३।२७२।
उ॥ एवं द्वितीयादयोप्पयभ्यूह्याः (व)। ८. अतोने आदर्शषु वृत्तौ च सांकेतिक: पाठो ६. सं० पा०—पुच्छा।
वर्तते । वृत्तिकृता तस्योल्लेख एवं कृतः- १०. भ० ३।४ । सो १ का २ चि ३ प ४ ते ५ रु ६ ज ७
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तइयं सतं (नवमो उद्देसो)
१८१ २७६. जोइसियाणं देवाणं दो देवा आहेवच्चं जाव' विहरंति, तं जहा-चंदे य, सूरे य॥ २७७. सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु कइ देवा आहेवच्चं जाव' विहरंति ?
गोयमा ! दस देवा आहेवच्चं जाव विहरंति, तं जहा–सक्के देविदे देवराया, सोमे, जमे, वरुणे, वेसमणे। ईसाणे देविदे देवराया, सोमे, जमे, 'वेसमणे, वरुणे। एसा वत्तव्वया सव्वेसु वि कप्पेसु एए चेव भाणियव्वा । जे य इंदा ते य
भाणियव्वा॥ २७८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
नवमो उद्देसो २७९. रायगिहे जाव' एवं वयासी-कइविहे णं भंते ! इंदियविसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे इंदियविसए पण्णत्ते, तं जहा-सोतिदियविसए चक्खिदियविसए घाणिदियविसए रसिदियविसए फासिदियविसए । जीवाभिगमे जोइसियउद्देसनो नेयव्वो अपरिसेसो ।
१. भ० ३।४। २. भ० ३।४। ३. वरुणे वेसमणे (क, ब, म, स)। ४. भ० ११५१ । ५. भ. ११४-१०। ६. वाचनान्तरे च-'इंदियविसए उच्चावय
सुब्मिणो' ति दृश्यते, तत्र इन्द्रियविषयसूत्रं
दर्शितमेव, उच्चावयसूत्रं त्वेवम्-'से नूरणं भंते ! उच्चावएहि सद्दपरिणामेहि परिणममाणा पोग्गला परिणमंतीति वत्तव्वं सिया ? हंता गोयमा !' इत्यादि, 'सुभिणो त्ति, इदं सूत्रं पुनरेवम्-‘से नूणं भंते ! सुब्भिसद्दपोग्गला दुन्भिसदत्ताए परिणमंति? हंता गोयमा !' इत्यादि।
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१५२
दसमो उद्देसो
२८०. रायगिहे जाव' एवं वयासी - चमरस्स णं भंते! असुरिदस्स असुररण्णो कइ
परिसा पण्णत्ताश्रो ?
२८१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।
गोयमा ! तो परिसा पण्णत्ताओ, तं जहा समिया, चंडा, जाया । एवं जहा पुवी 'जाव प्रच्चुप्रो " कप्पो ॥
१. भ० १४- १० ।
२. जावच्चुओ ( अ, क, ब) ; ठा० ३।१४३-१६०;
जो० ३ ।
भगवई
३. भ० १।५१ ।
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संगणी - गाहा
उत्थं सतं १, २, ३, ४ उद्देसो
चत्तारि विमाणेहिं चत्तारि य होंति रायहाणीहि । नेरइए लेस्साहि य, दस उद्देसा चउत्थसए ॥१॥
९. रायगिहे नगरे जाव' एवं वयासी - ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरणो कई लोगपाला पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि लोगपाला पण्णत्ता, तं जहा- सोमे, जमे, 'वेसमणे, वरुणे" ॥
२. एएसि णं भंते ! लोगपालाणं कइ विमाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि विमाणा पण्णत्ता, तं जहा - सुमणे, सव्वग्रोभद्दे, वग्गू, सुवग्गू ॥
३. कहि णं भंते ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो सुमणे नामं महाविमाणे पण्णत्ते ?
१. भ० १1४-१० ।
२. वरुणे वेसमणे ( ब ) 1
३. १०२ ।
गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढवी जाव' ईसाणे नामं कप्पे पण्णत्ते । तत्थ णं जाव' पंच वडेंसया पण्णत्ता, तं जहा - अंकवडेंसए, फलिहवडेंसए, रयणवडेंसए, जायरूववडेंसए, मज्भे' ईसावडेंस ॥
१८३
४. १०२ ।
५. मज्झे तत्थ (अ); मज्भे यत्थ (क, ता, 1
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१८४
भगवई
४. तस्स णं ईसाणवडेंसयस्स महाविमाणस्स पुरत्थिमे णं तिरियमसंखेज्जाइं
जोयणसहस्साइं वीईवइत्ता, एत्थ णं ईसाणस्स देविंदस्स देवरणो सोमस्स महारण्णो सुमणे नामं महाविमाणे पण्णत्ते अद्धतेरसजोयसणसयहस्साइं, जहा
सक्कस्स वत्तव्वया तइयसए तहा ईसाणस्स वि जाव' अच्चणिया समत्ता ।। ५. चउण्ह वि लोगपालाणं विमाणे-विमाणे उद्देसमो, चऊसु वि विमाणेसु चत्तारि
उद्देसा अपरिसेसा, नवरं-ठिईए नाणत्तंसंगहणी-गाहा
आदि दुय तिभागूणा, पलिया धणयस्स होति दो चेव । दो सतिभागा वरुणे, पलियमहावच्चदेवाणं ॥१॥
५, ६, ७, ८ उद्देसो ६. रायहाणीसु वि चत्तारि उद्देसा भाणियव्वा जाव एमहिड्ढीए जाव' वरुणे
महाराया ॥
नवमो उद्देसो ७. नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववज्जइ ? अनेरइए' नेरइएसु उववज्जइ ?
पण्णवणाए लेस्सापए तइनो उद्देसनो भाणियव्वो जाव नाणाई ॥
३. अनेरइए णं भंते ! (अ, स)।
१. भ० ३।२५०-२७१ । २० भ० ३।२५०-२७१ ।
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चउत्थं सतं (दसमो उद्देसो)
१८५ दसमो उद्दसो ८. से नणं भंते ! कण्हलेस्सा नीललेस्सं पप्प तारूवत्ताए, तावण्णत्ताए, तागंधत्ताए,
तारसत्ताए, ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति ? हंता गोयमा ! कण्हलेसा नीललेसं पप्प तारूवत्ताए, तावण्णत्ताए, तागंधत्ताए, तारसत्ताए, ताफासत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमति । एवं चउत्थो उद्देसो
पण्णवणाए चेव लेस्सापदे नेयव्वो जाव'संगहणी-गाहा
परिणाम-वण्ण-रस-गंध-सुद्ध-अपसत्थ-संकिलिठ्ठण्हा ।
गइ-परिणाम-पएसोगाह-वग्गणायणमप्पबहुं ॥१॥ ६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
१. जावेत्यादि परिणामेत्यादि द्वारगाथोक्तद्वार- २. भ० ११५१ ।
परिसमाप्तिं यावदित्यर्थः (वृ) ।
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पंचमं सतं
पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा
१ चंप-रवि २ अनिल ३ गंठिय ४ सद्दे ५-६ छउमाउ ७' एयण ८ नियंठे ।
६ रायगिहं १० चंपा-चंदिमा य दस पंचमम्मि सए ॥१॥ जंबुद्दीवें सूरिय-वत्तव्वया-पदं
१. तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नगरी होत्था–वण्णो ॥ २. तीसे णं चंपाए नगरीए पुण्णभद्दे नामं चेइए होत्था-वण्णो । सामी समोसढे __ जाव परिसा पडिगया । ३. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई
नामं अणगारे गोयमे गोत्तेणं जाव एवं वयासी-जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ पाईण-दाहिणमागच्छंति, पाईण-दाहिणमुग्गच्छ दाहिणपडीणमागच्छंति', दाहिण-पडीणमुग्गच्छ पडीण-उदीणमागच्छंति', पडीण-उदीणमुग्गच्छ उदीचि-पाईणमागच्छंति ? हंता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ जाव उदीचिपाईणमागच्छंति ॥
१. व्मायु (अ, स)। २. ओ० सू०१। ३. ओ० सू० २।१३। ४. भ० ११७, ८।
५. भ० ११६,१०। ६. पादीण ° (अ, ता)। ७. ° पदीण ° (ता, म)। ८. उदीचि ० (क, ता, ब, म)।
१८६
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पचम सत (पढमो उद्देसो)
जंबुद्दी दिवसराई-वत्तव्वया-पदं ४. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तया णं
उत्तरड्ढेवि दिवसे भवइ; जया णं उत्तरड्ढे दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं राई भवइ ? हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे जाव पुरत्थिम-पच्च
त्थिमे णं राई भवइ ।। ५. जयाणं भंते ! जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं दिवसे भवइ, तया
णं पच्चत्थिमे ण वि दिवसे भवइ; जया णं पच्चत्थिमे णं दिवसे भवइ, तया णं जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं राई भवइ ? हंता गोयमा ! जया णं जंबूदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं दिवसे
जाव उत्तर-दाहिणे णं राई भवइ ।। ६. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्टारस
मुहत्ते दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे वि उक्कोसए अवारसमुहत्ते दिवसे भवइ; जया णं उत्तरड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ? हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे
जाव दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ।। ७. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे उक्कोसए अट्ठारस
मुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं पच्चत्थिमे वि उक्कोसेणं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जया णं पच्चत्थिमे णं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे उत्तर - दाहिणे णं जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई
भवइ?
हंता गोयमा ! जाव भवइ ।। जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे वि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणतरे दिवसे भवइ, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे जाव राई भवइ ।।
१. उत्तरड्ढेवि (अ, ता, स)। २. पुरत्यिमेणं (अ, ता)।
३. दाहिणड्ढे वि (ता)। ४. स० पा०-उत्तर जाव राई ।
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१८८
६. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थि मे णं श्रट्टारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तया णं पच्चत्थिमे वि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ; जया णं पच्चत्थिमे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, तदा णं जंबुदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर दाहिणे णं साइरेगा दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? हंता गोयमा ! जाव भवइ ।।
१०. एवं एएणं कमेण प्रसारेयव्वं - सत्तरसमुहुत्ते दिवसे, तेरसमुहुत्ता राई । सत्तरसत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा तेरसमुहुत्ता राई |
सोलसमुहुत्ते दिवसे, चोद्दसमुहुत्ता राई । सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा उद्दसमुहुत्ता राई |
पण्णरसमुहुत्ते दिवसे, पण्णरसमुहुत्ता राई । पण्णरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा पण रसमुहुत्ता राई ।
चोदसमुहुत्ते दिवसे, सोलसमुहुत्ता राई । चोद्दसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा सोलसमुहुत्ता राई ।
तेरसमुहुत्ते दिवसे, सत्तरसमुहुत्ता राई । तेरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे, साइरेगा सत्तरसमुहुत्ता राई ॥
११. जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं उत्तरड्ढे वि; जया णं उत्तरड्ढे, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम- पच्चत्थिमे णं उक्कोसिया द्वारसमुहुत्ता राई भवइ ?
हंता गोयमा ! एवं चेव उच्चारेयव्वं जाव राई भवइ ॥
१२. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मुहुत्ते दिवसे भवइ, तया णं
मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं जहण्णए दुवालसपच्चत्थिमे ण वि; जया णं पञ्चत्थिमे, तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर- दाहिणे णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ ?
हंता गोयमा ! जाव राई भवइ ॥
भगवई
जंबुद्दीवे उउवत्तध्वया-पदं
१३. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तया उत्तरड्ढे वि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ; जया णं उत्तरड्ढे' वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तया णं जंबुद्दी वे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं ग्रणंतरपुरक्खडे समयंसि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ ?
१. पच्चत्थिमे ण वि ( अ, क, ता, ब, म, स ) । २. उत्तरड्ढे वि ( स ) ।
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पंचमं रात (पढमो उद्देसो)
१८६
हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे दीवे दाहिणड्ढे वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ,
तह चेव जाव पडिवज्जइ ।। १४. जया णं भंते ! जंबूहीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पत्थिमे णं वासाणं पढमे समए
पडिवज्जइ. तया णं पच्चत्थिमे ण वि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ; जया णं पच्चत्थिमे णं वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, तया णं' 'जंबुद्दीवे दीवे ° मंदरस्स पव्वयस्स उत्तर-दाहिणे णं अगंतरपच्छाकडसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवन्ने भवइ ? हंता गोयमा ! जया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं एवं चेव
उच्चारेयव्वं जाव पडिवन्ने भवइ । १५. एवं जहा समएणं अभिलावो भणियो वासाणं तहा आवलियाएवि भाणियव्वो ।
आणापाणूणवि', थोवेणवि, लवेणवि, मुहत्तणवि, अहोरत्तेणवि, पक्खेणवि,
मासेणवि, उऊणवि । एएसि सव्वेसिं जहा समयस्स अभिलावो तहा भाणियव्वो।। १६. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे हेमंताणं पढमे समए
पडिवज्जइ, जहेव वासाणं अभिलावो तहेव हेमंताण वि, गिम्हाण वि भाणियव्वो जाव' उऊए । एवं तिण्णि वि । एएसि तीसं आलावगा भाणियव्वा ॥
जंबुद्दीवे अयणादि-वत्तव्वया-पदं १७. जया णं भंते ! जंबुद्दोवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे पढमे अयणे पडि
वज्जइ, तया णं उत्तरड्ढे वि पढमे अयणे पडिवज्जइ, जहा समएणं अभिलावो तहेव अयणेण वि भाणियव्वो जाव' अगंतरपच्छाकडसमयंसि पढमे अयणे
पडिवन्ने भवइ॥ १८. जहा अयणेणं अभिलावो तहा संवच्छरेण वि भाणियव्वो । जुएण वि, वास
सएण वि, वाससहस्सेण वि, वाससयसहस्सेण वि, पुव्वंगेण वि, पुव्वेण वि, तुडियंगेण वि, तुडिएण वि–एवं पुव्वंगे, पुव्वे, तुडियंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, अववंगे, अववे', हूहूयंगे, हूहूए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, नलिणंगे, नलिणे, अत्थणिउरंगे, अत्थणिउरे, अउयंगे, अउए, णउयंगे, णउए, पउयंगे पउए, चूलियंगे, चूलिया, सीसपहेलियंगे सीसपहेलिया-पलिग्रोवमेण, सागरोवमेण वि भाणियव्वो ॥
१. सं० पा०–तयारणं जाव मंदरस्स । २. पाणूएण (व)। ३. भ० ५।१३-१५ ।
४. भ० ५।१३, १४ । ५. अपपे (ब, म)।
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१६०
भगवई
१९. जया णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणड्ढे पढमा अोसप्पिणी
पडिवज्जइ, तया णं उत्तरड्ढे वि पढमा अोसप्पिणी पडिवज्जइ; जया णं उत्तरड्ढे पढमा ओसप्पिणी पडिवज्जइ; तया णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं नेवत्थि प्रोसप्पिणी, नेवत्थि उस्सप्पिणी, अवट्ठिए णं तत्थ काले पण्णत्ते समणाउसो ?
हंता गोयमा ! तं चेव उच्चारेयव्वं जाव समणाउसो ॥ २०. जहा अोसप्पिणीए पालावो भणियो एवं उस्सप्पिणीए वि भाणियव्वो ॥ लवणसमुद्दादिसु सूरियादि-वत्तव्वय-पदं २१. लवणे णं भंते ! समुद्दे सूरिया उदीग'-पाईणमुग्गच्छ पाईण-दाहिणमागच्छंति,
जच्चेव जंबुद्दीवस्स वत्तव्वया भणिया सच्चेव सव्वा अपरिसेसिया लवणसमुहस्स
वि भाणियव्वा', नवरं-अभिलावो इमो जाणियव्वो ॥ २२. जया णं भंते ! लवणसमुद्दे दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तं चेव जाव तदा णं
लवणसमुद्दे पुरत्थिम-पच्चत्थिमे णं राई भवति ।।। २३. एएणं अभिलावेणं नेयव्वं जाव' जया णं भंते ! लयणसमुद्दे दाहिणड्ढे पढमा
अोसप्पिणी पडिवज्जइ, तया णं उत्तरड्ढे वि पढमा अोसप्पिणी पडिवज्जइ; जया णं उत्तरड्ढे पढमा अोसप्पिणी पडिवज्जइ, तया णं लवणसमुद्दे पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं नेवत्थि प्रोसप्पिणी', 'नेवत्थि उस्सप्पिणी अवविएणं तत्थ काले पण्णत्ते ° समणाउसो?
हंता गोयमा ! जाव समणाउसो ।। २४. धायइसंडे णं भंते ! दीवे सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ पाईण-दाहिणमागच्छंति,
जहेव जंबुद्दीवस्स वत्तव्वया भणिया सच्चेव धायइसंडस्स वि भाणियव्वा,
नवरं-इमेणं अभिलावेणं सव्वे आलावगा भाणियव्वा ॥ २५. जया णं भंते ! धायइसंडे दीवे दाहिणड्ढे दिवसे भवइ, तदा णं उत्तरड्ढे वि;
जया णं उत्तरड्ढे, तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरत्थिमपच्चत्थिमे णं राई भवइ ? हंता गोयमा ! एवं चेव जाव राई भवइ ।
१. उदीचि (अ)। २. भ० ५।३ । ३. लवणे समुद्दे (क, ब, स)। ४. भ० ५४। ५. भ० ५।५-१८।
६. सं० पा०-ओसप्पिणी जाव समणाउसो। ७. अतोग्रे 'जहा ओसप्पिणीए आलावओ भणिओ
एवं उस्सप्पिणीए वि भारिणयव्वो' इति
५।२० सूत्रं अध्याहार्यम् । ८. भ० ५।३।
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पंचमं सतं (बीओ उद्देसो)
१६१ २६. जया णं भंते ! धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरत्थिमे णं दिवसे भवइ,
तया णं पच्चत्थिमे ण वि; जया णं पच्चत्थिमे णं दिवसे भवइ, तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं उत्तर-दाहिणे णं राई भवइ ?
हंता गोयमा ! जाव भवइ ।। २७. एवं एएणं अभिलावेणं नेयव्वं जाव' जया णं भंते ! दाहिणड्ढे पढमा अोसप्पिणी,
तया णं उत्तरड्ढे वि; जया णं उत्तरड्ढे वि; तया णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वयाणं पुरथिम-पच्चत्थिमे णं नत्थि प्रोसप्पिणी जाव' समणाउसो ?
हंता गोयमा ! जाव समणाउसो' ॥ २८. जहा लवणसमुहस्स वत्तव्वया तहा कालोदस्स वि भाणियव्वा, नवरं-कालो
दस्स नामं भाणियव्वं ।। २६. अभितरपुक्खरद्धे णं भंते ! सूरिया उदीण-पाईणमुग्गच्छ पाईण-दाहिणमा
गच्छंति, जहेव धायइसंडस्स वत्तव्वया तहेव अभितरपुक्खरद्धस्स वि भाणियव्वा, नवरं-अभिलावो जाणियव्वो जाव तया णं अभिंतरपुक्खरद्धे मंदराणं पुरथिम-पच्चत्थिमे णं नेवत्थि प्रोसप्पिणी, नेवत्थि उस्सप्पिणी,
अवट्टिए णं तत्थ काले पण्णत्ते समणाउसो । ३०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
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बीअो उद्देसो
वाउ-पदं ३१. रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी-अत्थि णं भंते ! ईसि पुरेवाया“ पत्था वाया
मंदा वाया 'महावाया वायंति ?'१० हंता अत्थि॥
१. भ० ५।५-१८ । २. भ० ५।१६। ३. अतोग्रे 'जहा ओस प्पिणीए आलावओ भणिो
एवं उस्स प्पिणीए वि भाणियव्वो' इति ५।२०
सूत्रं अध्याहार्यम् । ४. भ० ५।२१-२३ ।
५. भ० ५।२४-२७ । ६. भ० ११५१ । ७. भ० ११४-१० । ८. सत्रहवाता: (व)। ६. पच्छा (अ, क, ता, स)। १०. महावाता वाता वातंति (क, ता) सर्वत्र ।
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१६२
भगवई
३२. प्रत्थि णं भंते ! पुरत्थि मे णं ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति ?
हंता अत्थि ||
३३. एवं पच्चत्थिमे णं, दाहिणे णं, उत्तरे णं, उत्तर - पुरत्थिमे णं, 'दाहिणपच्चत्थिमे दहिपुर " ' उत्तर - पच्चत्थिमे णं ॥
३४. जया णं भंते ! पुरत्थिमे णं ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पच्चत्थिमे ण वि ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति; जया णं पच्चत्थिमे णं ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पुरत्थि मे ण वि ?
हंता गोयमा ! जयागं पुरत्थिमे णं ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पच्चत्थिमे ण वि ईसि पुरे वाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति; जया णं पच्चत्थिमे णं ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति, तया णं पुरत्थि मे ण वि ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति ॥
३५. एवं दिसासु, विदिसासु' ।।
३६. प्रत्थि णं भंते ! दीविच्चया ईसि पुरेवाया' ?
हंता प्रत्थि ॥
३७. प्रत्थि णं भंते ! सामुद्दया ईसि पुरेवाया ?
हंता श्रत्थि ||
३८. जया णं भंते ! दोविच्चया ईसि पुरेवाया, तया णं सामुद्दया वि ईसि पुरेवाया', जया णं सामुद्द्या ईसि पुरेवाया, तया णं दीविच्चया वि ईसि पुरेवाया ? सट्टे ॥
३६. सेकेणट्टे भंते ! एवं वुच्चइ - जया णं दीविच्चया ईसि पुरेवाया, णो णं तया सामुद्दया ईसि पुरेवाया, जया णं सामुद्दया ईसि पुरेवाया", णो णं तया दीविउच्चया ईसि पुरेवाया ?
गोयमा ! तेसि णं वायाणं श्रण्णमण्णविवच्चासेणं लवणसमुद्दे वेलं नाइक्कमइ । जाव णो णं तया दीविच्चया ईसि पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति ॥
१. दाहिणपुरत्थि मे गं दाहिणपच्चत्थि मे गं (स) २. एवं विदिसासु (क, ता) ।
३. दीविच्चता ( ब ) ।
३, ४, ५, ६, ७, ८, ९, १०, ११, १२. पू० भ० ५।३१ ।
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पंचमं सतं (बीओ उद्देसो)
१६३ ४०. अत्थि णं भंते ! ईसिं पुरेवाया पत्था वाया मंदा वाया महावाया वायंति ?
हंता अत्थि ॥ ४१. कया णं भंते ! ईसि पुरेवाया जाव' वायंति ?
गोयमा ! जया णं वाउयाए अहारियं रियति', तया णं ईसि पुरेवाया जाव
वायंति ॥ ४२. अत्थि गं भंते ! ईसिं पुरेवाया ?
हंता अस्थि । ४३. कया णं भंते ! ईसि पुरेवाया ?
गोयमा ! जया गं वाउयाए उतरकिरियं रियइ, तया णं ईसि पुरेवाया जाव' वायंति ॥ अत्थि णं भंते ! ईसिं पुरेवाया ?
हंता अत्थि ॥ ४५. कया णं भंते ! ईसि पुरेवाया पत्था वाया ?
गोयमा ! जया णं वाउकुमारा, वाउकुमारीग्रो वा अप्पणो परस्स वा तदु
भयस्स वा अट्ठाए वाउकायं उदीरेंति तया णं ईसि पुरेवाया जाव वायंति" । ४६. वाउयाए णं भंते ! वाउयायं चेव आणमंति वा ? पाणमंति वा ? ऊससंति
वा? नीससंति वा? "हंता गोयमा ! वाउयाए णं वाउयाए चेव प्राणमंति वा, पाणमंति वा, ऊस
संति वा, नीससंति वा ।। ४७. वाउयाए णं भंते ! वाउयाए चेव अणेगसयसहस्सखुतो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता
तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाति ? हंता गोयमा ! वाउयाए णं वाउयाए चेव अगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता
उद्दाइत्ता तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाति ।। ४८. से भंते ! कि पुढे उद्दाति ? अपुढे उद्दाति ?
गोयमा ! पुढे उद्दाति, नो अपुढे उद्दाति । १. भ० ५।४० ।
१०. इह चैकसूत्रेणैव वायुवानकारणत्रयस्य वक्तुं २. रियति (अ, क, स)।
शक्यत्वे यत्सूत्रत्रयकरणं तद्विचित्रत्वात्सूत्र३,४. पू० भ० ५।४०।
गतेरिति मन्तव्यं, वाचनान्तरे त्वाचं कारणं ५. भ० ५४० ।
महावातवजितानां, द्वितीयं तु मन्दवातवजि६,७. पू० भ० ५२४०।
ताना, तृतीयं तु चतुर्णामप्युक्तमिति [व] । ८. अप्पणो वा (क, ता, ब)।
११. सं० पा०-जहा खंदए तहा चत्तारि आला६. भ० ५।४० ।
वगा नेयव्वा अगसयसहस्स पुटे उद्दाइ ससरीरी निक्खमइ।
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१९४
भगवई ४६. से भंते ! कि ससरीरी निक्खमइ ? असरीरी निक्खमइ ?
गोयमा ! सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय असरीरी निक्खमइ ।। ५०. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय ससरीरी निक्खमइ ? सिय असरीरी
निक्खमइ ? गोयमा ! वाउयायस्स णं चत्तारि सरीरया पण्णत्ता, तं जहा-ओरालिए वेउव्विए तेयए कम्मए। ओरालिय-वेउव्वियाइं विप्पजहाय तेयय-कम्मएहिं निक्खमइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सिय ससरीरी निक्खमइ, सिय
असरीरी निक्खमइ° ।। प्रोदणादणं किसरीरत्त-पदं । ५१. अह णं भंते ! अोदणे, कुम्मासे, सुरा-एए णं किसरीरा ति वत्तव्वं सिया ?
गोयमा ! प्रोदणे, कुम्मासे, सुराए य जे घणे दव्वे-एए णं पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च वणस्सइजीवसरीरा। तो पच्छा सत्थातीया, सत्थपरिणामिया, अगणिज्झामिया, अगणिभूसिया', अगणिपरिणामिया अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्वं सिया। सुराए य जे दवे दव्वे-एए णं पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च आउजीव
सरीरा । तो पच्छा सत्थातीया जाव अगणिजीवसरीरा' ति वत्तव्वं सिया ॥ ५२. अह णं भंते ! अये, तंबे, तउए, सीसए, उवले, कसट्टिया-एए णं किंसरीरा ति
वत्तव्यं सिया ? गोयमा ? अये, तंबे, तउए, सीसए, उवले, कसट्टिया-एए णं पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च पुढवी जीवसरीरा । तो पच्छा सत्थातीया जाव' अगणिजीवसरीरा ति
वत्तव्वं सिया ॥ ५३. अह णं भंते ! अट्ठी, अट्ठिज्झामे, चम्मे, चम्मज्झामे, रोमे, रोमज्झामे, सिंगे,
सिंगज्झामे, खुरे, खुरज्झामे, नखे, नखज्झामे - एए णं किसरीरा ति वत्तव्वं सिया? गोयमा ! अट्ठी, चम्मे, रोमे, सिंगे, खुरे, नखे ---एए णं तसपाणजीवसरीरा। अद्विज्झामे, चम्मज्झामे, रोमज्झामे, 'सिंगज्झामे, खरज्झामे, नखज्झामे एए णं पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च तसपाणजीवसरीरा । तो पच्छा सत्थातीया जाव' 'अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्वं सिया ।।
१. झूसिया अगणिसेविया (अ, स) । वृत्तौ ३. भ० ५।५१ ।
अगणिभूसिया इति पदस्य अग्निना सेवितानि ४. सिंग-खुर-नखज्झामे (अ, ता, स)। वा इति वैकल्पिकोर्थः आसीत् सएव केषुचित् ५. भ० ५।५१ ।
उत्तरवादशेषु मूलपाठरूपेण स्वीकृतोभूत्। ६. अगणि त्ति (अ, स)। २. अगणिकायसरीरा (स)।
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पंचमं सतं (बीओ उद्देसो)
१९५ ५४. अह णं भंते ! इंगाले, छारिए, भुसे', गोमए–एए णं किसरीरा ति वत्तव्वं
सिया ? गोयमा ! इंगाले, छारिए, भुसे, गोमएएए णं पुव्वभावपण्णवणं पडुच्च एगिदियजीवसरीरप्पयोगपरिणामिया वि जाव' पंचिंदियजीवसरीरप्पयोगपरिणामिया' वि । तो पच्छा सत्थातीया जाव अगणिजीवसरीरा ति वत्तव्वं सिया ।।
लवरणसमुद्द-पदं ५५. लवणे णं भंते ! समुद्दे केवइयं चक्कवालविक्खंभेणं पण्णत्ते ?
___ एवं नेयव्वं जाव' लोगट्टिई, लोगाणुभावे । ५६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव विहरइ ।।
तइओ उद्देसो
प्राउ-पकरण-पडिसंवेदरण-पदं
५७. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति भासंति पण्णवेंति परूवेंति' से जहा
नामए जालगंठिया सिया -प्राणुपुव्विगढिया अणंतरगढिया परंपरगढिया अण्णमण्णगढिया, अण्णमण्णगरुगत्ताए अण्णमण्णभारियत्ताए अण्णमण्णगरुयसंभारियत्ताए अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठइ, एवामेव बहूणं जीवाणं बहूसु आजातिसहस्सेसु बहूइं आउयसहस्साइं प्राणुपुब्विगढियाइं जाव चिटुंति । एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं दो आउयाइं पडिसंवेदेइ, तं जहा-इहभवियाउयं च, परभवियाउयं च । जं समयं इहभवियाज्यं पडिसंवेदेइ, तं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेइ । •जं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेइ, तं समयं इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ ।
१. तुसे (क)। २. भ०२।१३६ । ३. परिणता (म)। ४. भ० ५।५१ । ५. जी० ३ मंदरोद्देशकः । ६. भ० ११५१ ।
७. एवं परूवेंति (क, ब, स)। ८. आणुपुब्बि ° (ब, स)। ६. आयति ° (क); आयाति° (ब)। १०. पडिसंवेदयति (अ, क, ब, म)। ११. सं० पा०-पडिसंवेदेइ जाव से।
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१६६
भगवई
इहभवियाउयस्स पडिसंवेदणयाए परभवियाउयं पडिसंवेदेइ, परभवियाउयस्स पडिसंवेदणयाए इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ । एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो आउयाइं पडिसंवेदेइ, तं जहा - इहभविया
उयं च, परभवियाउयं च ।। ५८. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! जण्णं तं अण्णउत्थिया तं चेव जाव परभवियाउयं च। जे ते एवमाहंसु तं मिच्छा, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि भासामि पण्णवेमि परूवेमि–से जहानामए जालगंठिया सिया - 'ग्राणुपुबिगढिया अणंतरगढिया परंपरगढिया अण्णमण्णगढिया, अण्णमण्णगरुयत्ताए अण्णमण्णभारियत्ताए अण्णमण्णगरुय-संभारियत्ताए ° अण्णमण्णघडताए चिट्ठति, एवामेव एगमेगस्स जीवस्स बहूहिं आजातिसहस्सेहिं बहूइं आउयसहस्साइं प्राणुपुब्विगढियाइं जाव चिट्ठति । एगे वि य णं जीवे एगेणं समएणं एग आउयं पडिसंवेदेइ, तं जहा-इहभवियाउयं वा, परभवियाउयं वा । जं समयं इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ, नो तं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेइ । जं समयं परभवियाउयं पडिसंवेदेइ, नो तं समयं इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ । इहभवियाउयस्स पडिसंवेदणाए, नो परभवियाउयं पडिसंवेदेइ । परभवियाउयस्स पडिसंवेदणाए, नो इहभवियाउयं पडिसंवेदेइ । एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं आउयं पडिसंवेदेइ, तं जहा-इहभवियाउयं वा, परभवियाउयं वा ॥
साउयसंकमण-पदं ५६. जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कि साउए
संकमइ ? निराउए संकमइ ?
गोयमा ! साउए संकमइ, नो निराउए संकमइ ।। ६०. से णं भंते ! पाउए' कहि कडे ? कहिं समाइण्णे ?
गोयमा ! पुरिमे भवे कडे, पुरिमे भवे समाइण्णे ।। ६१. एवं जाव वेमाणियाणं दंडअो । ६२. से नणं भंते ! जे 'जं भविए जोणि" उववज्जित्तए, से तमाउयं पकरेइ, तं
१. सं० पा०—सिया जाव अण्णमण्णघडताए। ४. विभक्तिपरिणामाद् यो यस्यां योनावुत्पत्तुं २. आउगे (ता)।
योग्य इत्यर्थः (व)। ३. पू० प० २।
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पंचमं सत (तइओ उद्देसो)
१९७ जहा–नेरइयाउयं वा' ? 'तिरिक्खजोणियाउयं वा ? मणुस्साउयं वा ? ० देवाउयं वा ? हंता गोयमा ! जे जं भविए जोणि उववज्जित्तए, से तमाउयं पकरेइ, तं जहानेरइयाउयं वा, तिरिक्खजोणियाउयं वा, मगुस्साउयं वा देवाउयं वा । नेरइयाउयं पकरेमाणे सत्तविहं पकरेइ, तं जहा-रयणप्पभापुढविनेरइयाउयं वा', 'सक्करप्पभापुढविनेरइयाउयं वा, बालुयप्पभापुढविने रइयाउयं वा, पंकप्पभापुढविनेरइयाउयं वा, धूमप्पभापुढविनेरइयाउयं वा, तमप्पभापुढविनेरइयाउयं वा°, अहेसत्तमापुढविनेरइयाउयं वा। तिरिक्खजोणियाउयं पकरेमाणे पंचविहं पकरेइ, तं जहा-एगिदियतिरिक्खजोणियाउयं वा', 'बेइंदियतिरिक्खजोणियाउयं वा, तेइंदियतिरिक्खजोणियाउयं वा, चउरिदियतिरिक्खजोणियाउयं वा, पंचिदियतिरिक्खजोणियाउयं वा । मणुस्साउयं दुविहं 'पकरेइ, तं जहा–सम्मुच्छिममणुस्साउयं वा, गब्भवक्कंतियमणुस्साउयं वा । देवाउयं चउव्विहं पकरेइ, तं जहा-भवणवासिदेवाउयं वा, वाणमंतरदेवा
उयं वा, जोइसियदेवाउयं वा, वेमाणियदेवाउयं वा ।। ६३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
चउत्थो उद्देसो छउमत्य-कवलीरणं सद्दसवरण-पदं ६४. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से आउडिज्जमाणाई सद्दाइं सुणेइ, तं जहा-संखसहाणि
वा, सिंगसद्दाणि वा, संखियसद्दाणि वा, खरमुहीसद्दाणि वा, पोयासदाणि वा, पिरिपिरियासद्दाणि' वा, पणवसद्दाणि वा, पडहसद्दाणि वा, भंभासदाणि वा, होरंभसद्दाणि वा, भेरिसदाणि वा, झल्लरीसद्दाणि वा, दुंदुभिसद्दाणि वा, तताणि वा, वितताणि वा, घणाणि वा, झुसिराणि वा?
१. सं० पा० नेरइयाउयं वा जाव देवाउयं। २. सं० पा०-रयणप्पभापुढविणेरइयाउयं वा
जाव अहेसत्तमा । ३. सं० पा०-भेदो सव्वो भाणियवो। ४. सं० पा०-मरणुस्साउयं दुविहं।
५. सं० पा०-देवाउयं चउव्विहं । ६. भ० ११५१ । ७. परि° (अ, स)। ८. सुसिराणि (क)।
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भगवर
हंता गोयमा ! छउमत्थे णं मणुस्से आउडिज्जमाणाई सद्दाई सुणेइ, तं जहासंखसद्दाणि वा जाव झुसिराणि वा। ताइं भंते ! किं पुट्ठाइं सुणेइ ? अपुट्ठाई सुणेइ ? गोयमा ! पुढाइं सुणेइ, नो अपुट्ठाइं सुणेइ । 'जाइं भंते ! पुढाइं सुणेइ ताई कि प्रोगाढाई सुणेइ ? अणोगाढाई सुणेइ ? गोयमा ! प्रोगाढाइं सुणेइ, नो अणोगाढाइं सुणेइ। . जाइं भंते ! ओगाढाइं सुणेइ ताइं कि अणंतरोगाढाइ सुणेइ ? परंपरोगाढाई सुणेइ ? गोयमा ! अणंतरोगाढाई सुणेइ, नो परंपरोगाढाइं सुणेइ । जाइं भंते ! अणंतरोगाढाइं सुणेइ ताइं कि अणूई सुणेइ ? बादराई सुणेइ ? गोयमा ! अणूइं पि सुणेइ, बादराई पि सुणेइ । जाइं भंते ! अणूई पि सुणेइ बादराई पि सुणेइ ताइं कि उड्ढं सुणेइ ? अहे सुणेइ ? तिरियं सुणेइ ? गोयमा ! उड्ढं पि सुणेइ, अहे वि सुणेइ, तिरियं पि सुणेइ । जाइं भंते ! उड्ढं पि सुणे इ अहे वि सुणेइ तिरियं पि सुणेइ ताइं कि आई सुणेइ ? मज्झे सुणेइ ? पज्जवसाणे सुणेइ ? गोयमा ! आई पि सुणेइ, मज्झे पि सुणेइ, पज्जवसाणे वि सुणेइ । जाइं भंते ! आई पि सुणेइ मज्झे वि सुणेइ पज्जवसाणे वि सुणेइ ताइं कि सविसए सुणेइ ? अविसए सुणेइ ? गोयमा ! सविसए सुणेइ, नो अविसए सुणेइ । जाइं भंते ! सविसए सुणेइ ताइं कि आणुपुव्विं सुणेइ ? अणाणुपुब्बिं सुणेइ ? गोयमा ! आणुपुव्विं सुणेइ, नो अणाणुपुन्वि सुणेइ । जाइं भंते ! आणुपुब्बि सुणेइ ताई किं तिदिसि सुणेइ जाव छद्दिसि सुणेइ ?
गोयमा ! ० नियमा छद्दिसि सुणेइ ॥ ६५. छउमत्थे णं भंते ! मणूसे कि पारगयाइं सद्दाइं सुणेइ ? पारगयाइं सद्दाइं
सुणेइ ?
गोयमा ! आरगयाइं सद्दाइं सुणेइ, नो पारगयाइं सद्दाइं सुणेइ ॥ ६६. जहा णं भंते ! छउमत्थे मणूसे पारगयाइं सद्दाई सुणेइ, नो पारगयाइं सद्दाई
सुणेइ, तहा णं केवली कि पारगयाइं सद्दाइं सुणेइ ? पारगयाई सद्दाइं सुणेइ ? गोयमा ! केवली णं पारगयं वा, पारगयं वा सव्वदूर-मूलमणंतियं सदं जाणइ-पासइ ।।
१. सं० पा०-सुणेइ जाव नियमा।
२. ण भंते ! (स)।
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पंचमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
१९९ ६७. से केणटेणं' भंते ! एवं वुच्चइ-केवली णं आरगयं वा, पारगयं वा सव्वदूर
मूलमणंतियं सदं जाणइ०-पासइ ? गोयमा ! केवलीणं पुरत्थिमे णं मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ । एवं दाहिणे णं, पच्चत्थिमे णं, उत्तरे णं, उड्ढं, अहे मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ। सव्वं जाणइ केवली, सव्वं पासइ केवली। सव्वओ जाणइ केवली, सव्वो पासइ केवली । सव्वकालं जाणइ केवली, सव्वकालं पासइ केवली। सव्वभावे जाणइ केवली, सव्वभावे पासइ केवली। अणंते नाणे केवलिस्स, अणते दंसणे केवलिस्स । निव्वुडे नाणे केवलिस्स, निव्वुडे दंसणे केवलिस्स। से तेण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ-केवलो णं पारगयं वा, पारगयं वा सव्वदूर-मूलमणंतियं सई
जाणइ°-पासइ ।। छउमत्थ-केवलोरणं हास-पदं ६८. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से हसेज्ज वा ? उस्सुयाएज्ज वा ?
हंता हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा ॥ ६६. जहा णं भंते ! छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा, तहा णं केवली
विहसेज्ज वा ! उस्सूयाएज्ज वा!
गोयमा ! णो इण? सम? ।। ७०. से केणट्रेणं भंते ! एवं बच्चइ-जहा णं छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज वा, उस्सुया
एज्ज वा°, नो णं तहा केवली हसेज्ज वा ? उस्सुयाएज्ज वा ? गोयमा ! जं णं जीवा चरित्तमोहणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं हसंति वा, उस्सुयायंति वा। से णं केवलिस्स नत्थि। से तेण?णं 'गोयमा ! एवं वच्चइ-जहा णं छउमत्थे मणुस्से हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा°, नो णं तहा
केवली हसेज्ज वा, उस्सुयाएज्ज वा ॥ ७१. जीवे णं भंते ! हसमाणे वा, उस्सुयमाणे वा कई कम्मपगडीओ बंधइ ?
गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्ठविहबंधए वा। एवं जाव' वेमाणिए ।
पोहत्तएहिं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो।। १. सं० पा०-तं चेव केवलीणं आरगयं वा ४. सं० पा.-केणटेणं जाव नो। पारागयं वा जाव पासइ ।
५. सं० पा० तेणटेणं जाव नो। २. वाचनान्तरे तु 'निव्वुडे वितिमिरे विसुद्धे' त्ति ६. कति (क, ब, म)।
विशेषणत्रयं ज्ञानदर्शनयोरधीयते (व)। ७. पू०प०२। ३. सं० पा०-तेरण?णं जाव पासइ । ८. वेमाणिए नेरइया रणं भंते ! हसमाणा कइ०
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२००
उत्थ- केवल निद्दा पर्द
७२. छउमत्थे णं भंते! मणुस्से निद्दाएज्ज वा ? पयलाएज्ज वा ?
हंता निद्दाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा ॥
७३. जहा णं भंते ! छउमत्ये मणुस्से निद्दाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा, तहाणं केवली वि निद्दाएज्ज वा ? पयलाएज्जा वा ? गोमा ! जो इट्टे समट्टे ॥
७४. सेकेणट्टे भंते ! एवं वुच्चइ जहा णं छउमत्थे मणुस्से निद्दाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा, नो णं तहा केवली निद्दाएज्ज वा ? पयलाएज्ज वा ? गोयमा ! जं णं जीवा दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स उदरणं निद्दायति वा, पयलायंति' वा । से णं केवलिस्स नत्थि । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइजाणं छमत्थे मस्से निदाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा, नो णं तहा केवली निदाएज्ज वा, पयलाएज्ज वा° ॥
७५. जीवे णं भंते ! निद्दायमाणे वा, पयलायमाणे वा कह कम्मप्पगडीओ बंधइ ? गोमा ! सत्तविहबंध वा अट्ठविहबंधए वा । एवं जाव' वेमाणिए । पोहत्तिसुजीवेगिदियवज्जो तियभंगो ॥
गम्भसाहरण-पदं
७६.
'से नूणं भंते! हरि- नेगमेसी" सक्कदूए इत्थीगब्भं सहरमाणे किं गन्भाश्रो गब्भं साहरइ ? गब्भाओ जोणि साहरइ ? जोणीश्रो गन्भं साहरइ ? जोणीओ जोणि साहरइ ?
गोमा ! नो गब्भाओ गव्भं साहरइ, नो गन्भाश्रो जोणि साहरइ, नो जोणीश्रो जोणि साहरइ, परामुसिय-परामुसिय अव्वाबाहेणं अव्वाबाहं जोणीश्रो गब्भं साहरइ ॥
७७. पभू णं भंते ! हरि नेगमेसी सक्कद्ए" इत्थीगव्भं नहसिरंसि वा, रोमकूवंसि वा साहरितए वा ? नीहरितए वा ?
गोयमा ! सव्वे वि ताव होज्ज सत्तविहIT | अहवा सत्तविबंधगा यट्टविहबंधगे य | अहवा सत्तविहबंधगा य अट्ठविहबंधगा (क, ब, म,स) ।
१. सं० पा० - जहा हसेज्ज वा तहा नवरं दरिसरणावर णिज्जस्स कम्मस्स उदएणं निद्दायंति वा पयलायंति वा, से णं केवलिस्स नत्थि अण्णं तं चेव ।
भगवई
२. पयलाइंति ( स ) । ३. पू० प० २ ।
४. हरी गं भंते! हरी गं भंते!
हरिणेगमेसी ( अ, क, ता); हरिणेगमेसी ( स ) ; 'हरी गं
भंते! हरिणेगमेसी' इति द्वयर्थकं पदं द्वयो वचनायोः संमिश्रणेन जातम् ।
५. सक्कस्स गं दूते ( ब, स ) ; सक्कस्स दूए (म ) ।
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पंचमं स ( उथो उद्देसी)
हंता पभू, नो चेवणं तस्स गब्भस्स किंचि' प्रबाहं वा विवाहं वा उप्पाएज्जा, छविच्छेदं पुण करेज्जा । एसुहुमं च णं साहरेज्ज वा, नीहरेज्ज वा । श्रइमुत्तग-पदं
७८. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवन महावीरस्स अंतेवासी प्रमुत्ते ' नामं कुमार-समणे पगइभद्दए' 'पगइउवसंते पगइपयणुको हमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे विणीए ॥
७६. तए णं से प्रमुत्ते कुमार-समणे ग्रण्णया कयाइ महावुट्टिकायंसि निवयमाणंसि कक्खपडिग्गह- रयहरणमायाए बहिया संपट्टिए विहाराए ।
८०. तए णं से प्रमुत्ते कुमार-समणे वाहयं वहमाणं पासइ, पासित्ता मट्टियाए पालि बंध, बंधित 'णाविया मे, णाविया मे' नाविप्रो विव णावमयं पडिग्गहगं उदगंसि पव्वाहमाणे-पव्वाहमाणे प्रभिरमइ । तं च थेरा दक्खु' । जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता एवं वदासी
L
एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी अइमुत्ते नामं कुमार-समणे, से णं भंते ! इमुत्ते कुमार-सम कतिहि भवग्गणेहिं सिज्झिहिति' बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति सव्वदुक्खाणं • अंत करेहिति ?
८१. अज्जोति ! समणे भगवं महावीरे ते थेरे एवं वयासी - एवं खलु अज्जो ! ममं अंतेवासी प्रमुत्ते नामं कुमार-समणे पगइभद्दए जाव विणीए से णं प्रमुत्ते कुमार-समणे इमेणं चेव भवग्गहणेणं सिज्झिहिति जाव" अंतं करेहिति । तं मा
जो ! तुब्भे प्रमुत्तं कुमार-समणं ही लेह निदह खिसह गरहह अवमण्णह" । तुम्भेणं देवाणुप्पिया ! श्रइमुत्तं कुमार-समणं अगिला संगिण्हह, अगिलाए उafree, गिलाए भत्तेणं पाणेणं विणएणं वेयावडियं करेह । श्रइमुत्ते णं कुमार-समणे अंतकरे चेव, अंतिमसरीरिए चेव ।।
८२. तए णं तं थेरा भगवंतो समणेगं भगवया महावीरेणं एवं वृत्ता समाणा समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, श्रइमुत्तं कुमार - समणं श्रगिलाए संगिण्हंति", गिलाए उवगिहंति, गिलाए भत्तेणं पाणेणं विणएणं वेयावडियं" करेंति ॥
१. किंचि वि (स) ।
२. तेसुमं (ता) |
३. अतिमुत्ते (क, ब, म )
४. सं० पा०-- गइभद्दए जाव विरणीए ।
५. रतहरणमाताए (ता) ।
६. उदगंसि कट्टु (क, ता, ब, म, स ) ।
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७. अदवखु (ता, म) 1
८. सं० पा० - सिज्झिहिति जाव अंतं ।
६. भ० ५।७८ ।
१०. भ० २।७३ ।
११. अवमण्णह परिभवह ( वृपा ) ।
१२. सं० पा० - संगिव्हंति जाव वेयावडियं । १३. वेदावडियं (ब, म ) ।
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१०२
महाकाय देव-पह पर्द
८३. तेणं कालेणं तेणं समएणं महासुक्काओ कप्पाग्रो, महासामाणानो विमाणाश्रो दो देवा महिड्डिया जाव महाणुभागा समणस्स भगवत्रो महावीरस्स प्रतियं पाउन्भूया । तए णं ते देवा समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, मणसा व इमं एयारूवं वागरणं पुच्छंति -
८४. कति णं भंते ! देवाणुप्पियाणं अंतेवासीसयाई सिज्झिहिति जाव' अंतं करेहिति ? तए णं समणे भगवं महावीरे तेहि देवेहिं मणसा पुट्ठे तेसि देवाणं मणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं वागरेइ - एवं खलु देवाणुप्पिया ! ममं सत्त अंतेवासी - साइं सिज्झिहिंति जाव अंतं करेहिंति ।
तए णं ते देवा समणेणं भगवया महावीरेणं मणसा पुट्ठेणं मणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं वागरिया समाणा हट्टतुट्ठ चित्तमादिया गंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण हियया समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता मणसा चेव सुस्सूसमाणा नमसमाणा अभिमुहा • विणणं पंजलियडा पज्जुवासंति ॥
०
८५. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवग्रो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदंभूई नामं अणगारे जाव' श्रदूरसामंते उड्ढजाणू ग्रहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तए णं तस्स भगवग्रो गोयमस्स झाणंतरियाए वट्टमाणस्स इमेयारूवे अज्भतिथए" चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - एवं खलु दो देवा महिड्डिया जाव महाणुभागा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं पाउब्भूया", तं नो खलु अहं ते देवे " जाणामि कयराम्रो कप्पा वा सग्गा वा विमाणाश्रो वा कस्स वा प्रत्थस्स अट्ठाए इहं हव्वमागया ? तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि नम॑सामि जाव" पज्जुवासामि, इमाई च णं एयारूवाई वागरणाई पुच्छिस्सामि त्ति कट्टु एवं संपेहेइ,
१. महारामारणाओ ( अ, ब, म); महासग्गाग्रो ( स ) । एकस्मिन्नादर्श' 'महासग्गाओ' इति पाठो लभ्यते, किन्तु समवायांगसूत्रस्य सप्तदशसमवायस्य (१८) संदर्भे 'महासामारणाओ' इत्येव पाठः समीचीनोस्ति ।
भगवई
२. भ० ३।४ ।
३. महावीरं मणसा चेव ( अ, स); महावीरं १२. पादुब्भूता (क, ब, म ) ।
मरसा (बम) |
१३. देवा (ता, ब ) ।
४. X ( क, ता, ब, म) 1
१४. भ० २।३० ।
५. भ० २।७३ |
६. सं० पा० - हट्टतुट्ट जाव हियया । ७. सं० पा० - अभिमुहा जाव पज्जुवासंति । ८. भ० ११६ ।
६. सं० पा० - उड्ढजाणू जाव विहरइ । १०. सं० पा० - अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था । ११. भ० ३।४ ।
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पंचमं सत (चउत्यो उद्देसो)
२०३ ___ संपेहेत्ता उट्ठाए उढेइ, उद्वेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ
जाव' पज्जुवासइ॥ गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी–से नूणं तव गोयमा ! झाणंतरियाए वट्टमाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए जाव' जेणेव मम अंतिए तेणेव हव्वमागए, से नूणं गोयमा ! अढे' समढे ? हंता अत्थि । तं गच्छाहि णं गोयमा ! एए चेव देवा इमाइं एयारूवाइं वागर
णाई वागरेहिति ॥ ८७. तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे समणं
भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, जेणेव ते देवा तेणेव पहारेत्थ गमणाए॥ ८८. तए णं ते देवा भगवं गोयमं एज्जमाणं पासंति, पासित्ता हट्ठ तुट्ठचित्तमाणंदिया
णंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण हियया खिप्पामेव अब्भुटुंति, अब्भुटेत्ता खिप्पामेव अब्भुवगच्छंति जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छंति जाव नमंसित्ता एवं वयासी-एवं खलु भंते ! अम्हे महासुक्कायो कप्पारो महासामाणाप्रो विमाणाओ दो देवा महिड्ढिया जाव" महाणुभागा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं पाउब्भूया। तए णं अम्हे समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो, वंदित्ता नमंसित्ता मणसा चेव इमाइं एयारूवाई वागरणाइं पुच्छामो–कइ णं भंते ! देवाणुप्पियाणं अंतेवासीसयाइं सिज्झिहिंति जाव" अंतं करेहिति ? तए णं समणे भगवं महावीरे अम्हेहि मणसा पुढे अम्ह२ मणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं वागरेइ-एवं खलु देवाणप्पिया ! मम सत्त अंतेवासीसयाइं जाव अंतं करेहिति । तए णं अम्हे समजेणं भगवया महावीरेणं मणसा चेव पटेणं मणसा चेव इमं एयारूवं वागरणं वागरिया समाणा समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो जाव' पज्जुवासामो त्ति कटु भगवं गोयम
वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसि पडिगया।। देवाणं नोसंजयवत्तव्वया-पदं ८९. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति जाव" एवं वयासी
-देवा णं भंते ! संजया ति वत्तव्वं सिया ?
१. भ० १।१०। २. भ० ५।८५। ३. अत्थे (अ, क, ता, स)। ४. समत्थे (अ)। ५. इज्जमाणं (ब)। ६. सं० पा०-हट्ट जाव हियया । ७. पच्चुवगच्छंति २ (अ, क, ता, स)।
८. भ० १११०। ६. महासग्गाओ (स)। १०. भ० ३।४। ११. भ० २।७३ । १२. अम्हे (क, म)। १३. भ० २।३० । १४. भ० १।१०।
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२०४
भगवई
गोयमा ! णो तिणढे समढें । अब्भवखाणमेयं देवाणं । ६०. देवा णं भंते ! असंजता ति वत्तत्वं सिया ?
गोयमा ! णो तिणढे समटे । निठुरवयणमेयं देवाणं' । ६१. देवा णं भंते ! णो संजयासंजया ति वत्तव्वं सिया ?
गोयमा ! णो तिण? सम? । असब्भूयमेयं देवाणं ॥ १२. से कि खाइ णं भंते ! देवा ति वत्तव्वं सिया ?
गोयमा ! देवा णं नोसंजया ति वत्तव्वं सिया ।। देवभाषा-पदं १३. देवा णं भंते ! कयराए भासाए भासंति? कयरा व भासा भासिज्जमाणी
विसिस्सति ? गोयमा ! देवा णं अद्धमागहाए भासाए भासंति। सा वियणं
अद्धमागहा भासा भासिज्जमाणी विसिस्सति ।। छउमत्थ-केवलीरणं नाणभेद-पदं १४. केवलो णं भंते ! अंतकरं वा, अंतिमसरीरियं वा जाणइ-पासइ ?
हंता जाणइ-पासइ ॥ १५. जहा णं भंते ! केवली अंतकरं वा, अंतिमसरीरियं वा जाणइ-पासइ, तहाणं
छउमत्थे' वि अंतकरं वा, अंतिमसरीरियं वा जाणइ-पासइ ?
गोयमा ! णो इण? समटे । सोच्चा जाणइ-पासइ, पमाणतो वा ॥ ६६. से किं तं सोच्चा ?
सोच्चा णं केव लिस्स वा, केवलिसावगस्स वा, केवलिसावियाए वा, केवलिउवासगस्स वा, केवलिउवासियाए वा, तप्पक्खियस्स वा तप्पक्खियसावगस्स वा, तप्पक्खियसावियाए वा तप्पक्खियउवासगस्स वा तप्पक्खियउवासियाए वा ।
से तं सोच्चा॥ ६७. से कि तं पमाणे ?
पमाणे चउविहे पण्णत्ते; तं जहा-पच्चक्खे अणुमाणे प्रोवम्मे आगमे, जहा अणुयोगदारे तहा नेयव्वं पमाणं जाव तेण परं सुत्तस्स वि अत्थस्स वि नो अत्तागमे, नो अणंतरागमे, परंपरागमे ।
१. X (स)। २. अस्संजता (अ, क, ता, ब, म)। ३. X (स)। ४. सारीरियं (अ, क, ब, स)। ५. गोयमा (क, म); हंता गोयमा (स) ।
६. तधा (अ, स)। ७. छदुमत्थे (ता)। ८. °सावयस्स (क, ब, म, स)। ६. अ० सू० ५१६-५५१ ।।
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जार
पंचमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
२०५ ६८. केवली णं भंते ! चरिमकम्मं वा, चरिमणिज्जरं वा जाणइ-पासइ?
हंता' जाणइ पासइ ।। ६६. जहा णं भंते ! केवली चरिमकम्मं वा, चरिमणिज्जरं वा जाणइ-पासइ, तहा णं
छउमत्थे वि चरिमकम्मं वा, चरिमणिज्जरं वा जाणइ-पासइ ? गोयमा ! णो इणढे समढें । सोचा जाणइ-पासइ, पमाणतो वा । जहा गं
अंतकरणं पालावगो तहा चरिमकम्मेण वि अपरिसे सियो नेयम्वो ॥ केवलीरणं पणीय-मरण-वइ-पदं १००. केवली णं भंते ! पणीयं मणं वा, वई वा धारेज्जा ?
हंता धारेज्जा । १०१. जण्णं' भंते ! केवली पणीयं मणं वा, वइं वा धारेज्जा, तण्णं' वेमाणिया देवा
जाणंति-पासंति ?
गोयमा ! अत्थेगतिया जाणंति-पासंति, अत्थेगतिया ण जाणंति, ण पासंति ।। १०२. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–अत्थेगतिया जाणंति-पासंति, प्रत्थेगतिया ण
जाणंति °, ण पासंति ? गोयमा ! वेमाणिया देवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-माइमिच्छादिट्ठी उववण्णागा य, अमाइसम्मदिट्ठीउववण्णगा य । तत्थ गं जे ते माइमिच्छादिट्टी उववण्णगा ते ण जाणंति ण पासंति । 'तत्थ णं जे ते अमाइसम्मदिट्ठोउववण्णगा ते णं जाणंति-पासंति। से केणट्रेणं ? गोयमा ! अमाइसम्मदिट्ठी दुविहा पण्णता, तं जहा-अणंतरोववण्णगा य, परंपरोवण्णगा य । तत्थ णं जे ते अणंत रोववण्णगा ते ण जाणंति, ण पासंति । तत्थ णं जे ते परंपरोववण्णगा ते णं जाणंति-पासंति । से केणद्वेणं ? गोयमा ! परंपरोववण्णगा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–अपज्जत्तगा य, पज्जत्तगा य । तत्थ गं जे ते अपज्जत्तगा ते ण जाणंति, ण पासंति । तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा ते णं जाणंति-पासंति । से केणटेणं ? गोयमा ! पज्जत्तगा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-अणुवउत्ता य उवउत्ता य । तत्थ णं जे ते अणवत्ता ते ण जाणंति, ण पासंति । तत्थ णं जे ते उवउत्ता ते णं जाणंति-पासंति । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ–अत्थेगतिया जाणंति-पासंति, अत्यंगतिया ण जाणंति, ण पासंति'" ।।
१. गोयमा (अ, म); हंता गोयमा (स)। २. अंतकरणं वा (म, स)। ३. भ० ५।६६, ६७ । ४. जणं (ता); जहा णं (म, स)।
५. तं रणं (क, ता, ब, म)। ६. सं० पा०-केण?णं जाव रण। ७. एवं अरणंतर परंपर पज्जत्त अपज्जत्ता य
उवउत्ता अणुवउत्ता। तत्थ णं जे ते उवउत्ता
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२०६
प्रणुत्तरोववाइयाणं केवलिगा श्रालाव-पदं
१०३. पभू णं भंते ! प्रणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा इहगएणं केवलिणा सद्धि आलावं वा, संलावं वा करेत्तए ? हंता पभू ||
१०४. से केणट्टेणं' "भंते ! एवं वुच्चइ - पभू णं प्रणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा इहगणं केवलिणा सद्धि श्रालावं वा, संलावं वा करेत्तए ?
गोयमा ! जणं श्रणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा ग्रटुं वा हेउं वा परिणं वा कारणं वा वागरणं वा पुच्छंति, तण्णं इहगए केवली अट्ठ वा' हेउं वा पसिणं वा कारणं वा वागरणं वा वागरेइ । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वच्चइपभू णं प्रणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा इहगएणं केवलिणा वालवं वा करेत्तए ।
१०५. जण्णं भंते ! इहगए केवली अद्धं वा 'हेडं वा पसिणं वा कारणं वा वागरणं वा ° वागरे, तणं प्रणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा जाणंति - पासंति ? हंता जाणंति - पासंति ॥
१०६. से केणट्टेणं' "भंते ! एवं वुच्चइ -- जण्णं इहगए केवली अट्ठ वा हेउं वा पसिणं वा कारणं वा वागरणं वा वागरेइ, तण्णं प्रणुत्तरोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा जाणंति - पासंति ?
गोयमा ! तेसि णं देवाणं प्रणता मणोदव्ववग्गणाओ लद्धा पत्ताओ अभिसमण्णागयाओ भवंति । से तेणट्टेणं * गोयमा ! एवं वुच्चइ – जण्णं इहए केवली वा हेउं वा पसिणं वा कारणं वा वागरणं वा वागरेइ, तण्णं रोववाइया देवा तत्थगया चेव समाणा जाणंति - पासंति ।। १०७. प्रणुत्तरोववाइया णं भंते! देवा किं उदिष्णमोहा ? उवसंतमोहा ? खीण मोहा ? गोया ! नो उदिष्णमोहा, उवसंतमोहा, नो खीणमोहा ॥
केवलरणं इंदियनारण- निसेध-पदं
१०८. केवली णं भंते ! प्रयाणेहिं जाणइ-पासइ ? गोयमा ! नो तिणट्टे समट्ठे ॥
ते जाति पाति से तेण तं चेव ( अ, क, ता, ब, म, वृ); वाचानान्तरेत्विदं सूत्रं साक्षादेव उपलभ्यते ( वृ) ।
१. सं० पा० - केणट्टेणं जाव पभू णं अणुतरोववाइया देवा जाव करेत्तए ।
भगवई
२. सं० पा० - अट्ठ वा जाव वागरणं । ३. सं० पा० अटुं वा जाव वागरेइ । सं० पा०—केणट्टेणं जाव पासंति । ५. सं० पा०० -- तेरणट्ठेणं जण्णं इहगए केवली जाव पासंति ।
४.
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पंचमं सतं (बीओ उद्देसो)
२०७ १०६. से केणट्टेणं' भंते ! एवं वुच्चइ°-केवली णं आयाणेहिं ण जाणइ, ण पासइ ?
गोयमा ! केवली णं पुरथिमे णं मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ । एवं दाहिणे णं, पच्चत्थिमे णं, उत्तरे णं, उड्ढं, अहे मियं पि जाणइ, अमियं पिजाणइ। सव्वं जाणइ केवली, सव्वं पासइ केवली। सव्वो जाणइ केवली, सव्वनो पासइ केवली। सव्वकालं जाणइ केवली, सव्वकालं पास इ केवली। सव्वभावे जाणइ केवली, सव्वभावे पासइ केवली। अणंते नाणे केवलिस्स, अणते दसणे केवलिस्स । निवडे नाणे केवलिस्स निव्वुडे दंसणे केवलिस्स । से तेणटेणं गोयमा ! एवं
वुच्चइ-केवली णं आयाणेहि ण जाणइ, ण पासइ ।। केवलीरणं जोगचंचलया-पदं ११०. केवली णं भंते ! अस्सि समयंसि' जेसु आगासपदेसेसु हत्थं वा पायं वा बाहं
वा ऊरुं° वा प्रोगाहित्ता णं चिट्ठति, पभू णं केवली सेयकालंसि वि तेसु चेव आगासपदेसेसु हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा प्रोगाहित्ताणं चिट्टित्तए ?
गोयमा ! णो तिणढे समढें ॥ १११. से केणटेणं भंते ! •एवं वुच्चइ ° - केवली णं अस्सि समयंसि जेसु अागासप
देसेसु 'हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा प्रोगाहित्ताणं चिति, णो णं पभू केवली सेयकालंसि वि तेसु चेव आगासपदेसेसु हत्थं वा पायं वा बाह वा ऊरु वा ओगाहित्ता ण° चिट्रित्तए ! गोयमा ! केवलिस्स णं वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए चलाई उवकरणाइं भवंति। चलोवकरणट्टयाए य णं केवली अस्सि समयंसि जेसु आगासपदेसेसू हत्थं वा •पायं वा बाहं वा ऊरुं वा प्रोगाहित्ता णं° चिट्ठति, णो णं पभू केवली सेयकालंसि वि तेसु चेव 'पागासपदेसेसु हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा प्रोगाहित्ताणं चिद्वित्तए। से तेणट्टेणं' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ–केवली णं
अस्सि समयंसि जेसु आगासपदेसेसु हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरं वा प्रोगा१. सं० पा०-केणटेणं जाव केवली। ७. सं० पा०-हत्थं वा जाव चिद्वित्तए । २. सं० पा०-जाणइ जाव निव्वुडे दंसणे ८. जंसि (अ) । केवलिस्स से तेरगट्टेणं ।
६. सं० पा०-हत्थं वा जाव चिट्ठति । ३. समतंसि (ता)।
१०. सं० पा०-चेव जाव चिट्रित्तए। ४. सं० पा०-हत्थं वा जाव ओगाहित्ता। ११. सं० पा०-तेणट्रेणं जाव वुच्चइ। केवली ५. सं० पा०-भंते जाव केवली।
णं अस्सि समयंसि जाव चिट्रित्तए। ६. सं० पा०—आगासपदेसेसु जाव चिट्ठति ।
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२०८
भगवई
हित्ता णं चिट्ठति, णो णं पभू केवली सेयकालंसि वि तेसु चेव आगासपदेसेसु
हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा प्रोगाहित्ता णं° चिट्ठित्तए । चोद्दसपुवीरणं सामथ-पदं ११२. पभू णं भंते ! चोद्दसपुव्वी घडायो घडसहस्सं, पडायो पडसहस्सं, कडायो
कडसहस्सं, रहाप्रो रहसहस्सं, छत्तानो छत्तसहस्सं, दंडात्रो दंडसहस्सं अभिनिव्वदे॒त्ता उवदंसेत्तए ? हंता पभू ॥ से केण?णं पभू चोद्दसपुवी जाव' 'उवदंसेत्तए ? गोयमा ! चोद्दसपुव्विस्स गं अणंताई दब्वाइं उक्कारियाभेएणं' भिज्जमाणाई लद्धाई पत्ताइं अभिसमण्णागयाइं भवंति । से तेण?ण' गोयमा ! एवं वुच्चइ-पभू णं चोद्दसपुव्वी घडायो घडसहस्सं, पडायो पडसहस्सं, कडायो कडसहस्सं, रहायो रहसहरसं, छत्तानो छत्तसहस्सं,
दंडात्रो दंडसहस्सं अभिनिव्वदे॒त्ता° उवदंसेत्तए। ११४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।।
११३.
पंचमो उद्देसो मोक्ख-पदं ११५. छउमत्ये णं भंते ! मणूसे तीयमणंतं सासयं समयं केवलेणं संजमेणं, केवलेणं
संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेणं, केवलाहिं पवयणमायाहि सिज्झिसु ? बुझिसु ? मुच्चिसु ? परिणिव्वाइंसु ? सव्वदुक्खाणं अंतं करिसु ? । गोयमा ! णो इणढे समढे । जहा पढमसए चउत्थुद्देसे पालावगा तहा नेयव्वा
जाव' अलमत्थु त्ति वत्तव्वं सिया ।। एवंभूय-प्ररणेवंभूय-वेदणा-पदं ११६. अण्णउत्थिया णं भंते ! एव माइक्खंति जाव परूवेति-सव्वे पाणा सव्वे भूया
सव्वे जीवा सव्वे सत्ता एवं भूयं वेदणं वेदेति ।।
१. भ० ५।११२ ।
३. सं० पा०-तेरगट्रेणं जाव उवदंसेत्तए। २. प्रज्ञापनासूत्रे भाषापदे 'उक्क रियाभेए' इति ४. भ० ११५१ ।
पदं लभ्यते, तत्रापि केषुचिदादर्शेषु उक्का- ५. भ० १।२०१-२०६ । रियाभेए इत्यपि पाठो लभ्यते ।
६. भ० ११४२० ।
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११८.
पंचमं सतं (पंचमो उद्देसो)
२०६ ११७. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव' सव्वे सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति । जे ते एवमाहंसु, मिच्छं ते एवमाहंसु। अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि-अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदेणं वेदेति, अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवंभूयं वेदणं वेदेति ।। से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति, अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवंभूयं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! जे णं पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा कम्मा तहा वेदणं वेदेति, ते णं पाणा भूया जीवा सत्ता एवं भयं वेदेणं वेदेति। जे णं पाणा भूया जीवा सत्ता जहा कडा कम्मा नो तहा वेदणं वेदेति, ते णं पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवंभूयं वेदणं वेदेति । से तेण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एवंभूयं वेदणं वेदेति, अत्थेगइया
पाणा भूया जीवा सत्ता अणेवंभूयं वेदणं वेदेति ॥ ११६. नेरइया णं भंते ! किं एवं भूयं वेदणं वेदेति ? अणेवभूयं वेदणं वेदेति ?
गोयमा ! नेरइया णं एवं भयं पि वेदणं वेदेति, अणेवभूयं पि वेदणं वेदेति ॥ १२०. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइया णं एवंभूयं पि वेदणं वेदेति, अणेवं
भूयं पि वेदणं वेदेति° ? गोयमा ? जे णं ने रइया जहा कडा कम्मा तहा वेदणं वेदेति, ते णं नेरइया एवंभूयं वेदणं वेदेति । जे णं ने रइया जहा कडा कम्मा नो तहा वेदणं वेदेति, तेणं नेरइया अणेवं भयं
वेदणं वेदेसि । से तेणद्वेणं ॥ १२१. एवं जाव वेमाणिया । कुलगरादि-पदं १२२. संसारमंडलं नेयव्वं ॥ १२३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाब विहरइ ।।
१. भ० ५।११६ । २. मिच्छा (अ, क, ब, म, स)। ३. भ० १२४२१। ४. सं० पा०-तं चेव उच्चारेयव्वं । ५. सं० पा०-तहेव। ६. सं० पा०--तं चेव ।
७. पू० प०२। ८. नेयव्वं । जंबूदीवे णं भंते ! इह भारहे वासे
इमीसे ओसप्पिणीए समाए कइ कुलगरा होत्था ? गोयमा! सत्त । एवं तित्थयरमायरो, पियरो, पढमा सिस्सिरणीओ, चक्कवट्टिमायरो, इत्थि
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भगवई
छट्ठो उद्देसो अप्पायु-दोहायु-पदं १२४. कहण्णं भंते ! जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ?
गोयमा ! पाणे अइवाएत्ता, मुसं वइत्ता, तहारूवं समणं वा माहणं वा अफासुएणं अणेसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेत्ता-एवं खलु जीवा
अप्पाउयत्ताए कम्म पकरेंति ? १२५. कहण्णं भंते ! जीवा दीहाउयत्ताए कम्म पकरेंति ?
गोयमा ! नो पाणे अइवाएत्ता, नो मुसं वइत्ता, तहारूवं समणं वा माहणं वा फासुएण" एसणिज्जेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेत्ता---एवं खलु जीवा
दीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ॥ असुभसुभ-दीहायु-पदं १२६. कहण्णं भंते ! जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्मं पकरेंति ?
गोयमा ! पाणे अइवाएत्ता, मुसं वइत्ता, तहारूवं समणं वा माहणं वा हीलित्ता निदित्ता खिसित्ता गरहित्ता अवमण्णित्ता 'अण्णयरेणं अमणुण्णणं अपीतिकारएणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेत्ता-एवं खलु जीवा असुभदीहा
उयत्ताए कम्मं पकरेंति ।। १२७. कहाणं भंते ? जीवा सुभदोहाउयत्ताए कम्म पकरति ?
गोयमा ! नो पाणे अइवाएत्ता, नो मुसं वइत्ता, तहारूवं समणं वा माहणं वा वंदित्ता नमंसित्ता जाव' पज्जुवासित्ता 'अण्णयरेणं मणुण्णेणं पीतिकारएणं" असण-पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेत्ता-एवं खलु जीवा सुभदीहाउयत्ताए कम्म पकरेंति ।।
रयणं, बलदेवा, वासुदेवा, वासुदेवमायरो, २. कह णं (अ, ता, म); कहि णं (क);। कह पियरो; एएसि पडिसत्त जहा समवाए नाम- ण (ब)। परिवाडीए तहा नेयच्या (अ, क, ब, स); ३. गोयमा तिहि ठाणेहि तं (ब, स) सर्वत्रः एषु प्रादर्शषु द्वयोर्वाचनयोः सम्मिश्रणं जातम। द्रष्टव्यं-ठा० ३।१७-२० । वृत्तिकृता अस्य वाचनान्तरस्य उल्लेखोपि ४. °हेत्ता (म)। कृतोस्ति, यथा-अथ चेह स्थाने वाचनान्तरे ५. अतिवतित्ता (अ, म)। कुलकर तीर्थकरादि वक्तव्यता दृश्यते, ततश्च
६. फासु (अ, क, ता, म, स)।
७. हीलेत्ता (क, ता, ब, म)। 'संसारमंडल' शब्देन पारिभाषिकसञ्जया सेह
८. वाचनान्तरे तु अफासुएणं अणेसरिणज्जेणं सूचितेति संभाव्यते (वृ)। पइण्णगसमवाय ति दृश्यते (वृ)। २१८-२४७।
६. भ० २।३०। १. भ० ११५१ ।
१०. वाचनान्रे तु फासुएणं इत्यादि दृश्यते (वृ)।
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पंचमं सतं (छट्टो उद्देसो)
safarer ofरया-पदं
१२८. गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स केइ भंडं अवहरेज्जा, तस्स णं भंते ! 'भंड अणुगवेसमाणस्स" किं प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? पारिग्गहिया' किरिया कज्जइ ? मायावत्तिया किरिया कज्जइ ? प्रपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ? मिच्छादंसणवत्तिया किरिया कज्जइ ?
गोयमा ! आरंभिया किरिया कज्जइ, पारिग्गहिया किरिया कज्जइ, मायावत्तिया किरिया कज्जइ, ग्रपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ, मिच्छादंसण किरिया सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ ।
ग्रह से भंडे अभिसमण्णागए भवइ, तत्रो से पच्छा सव्वाओ ताओ पयणुईभवंति ॥
१२६. गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स कइए भंड साइज्जेजा, भंडेय से वणी सिया ।
गाहावइस्स णं भंते ! ताम्रो भंडा किं प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादंसणकिरिया कज्जइ ?
कइयस्स वा ताम्र भंडाओ कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादंसणकिरिया कज्जइ ?
गोमा ! गाहावइस्स ताम्रो भंडाम्रो आरंभिया किरिया कज्जइ 'जाव' अपच्चक्खाकिरिया कज्जइ । मिच्छादंसणकिरिया" सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ । कइयस्स गं ताओ सव्वा पयणुईभवंति ||
१३०. गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स' कइए भंड साइज्जेजा, भंडे से
उaणी सिया ।
कइयस्स णं भंते! ताम्रो भंडा किं प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादंसणकिरिया कज्जइ ?
२११
गाहावइस्स वा ताम्रो भंडाम्रो किं प्रारंभिया किरिया कज्जइ जाव मिच्छादंसण किरिया कज्जइ ?
१. तं भंडयं गवेस ० ( ब म ) ।
२. परि० ( अ, स ) । ३. कतिए (क, ता, ब, म, स ) ।
४. भ० ५।१२८ ।
५. भ० ५।१२८ ।
गोयमा ! कइयस्स तो भंडाम्रो हेट्ठिल्लाश्रो चत्तारि किरियाओ कज्जंति । मिच्छादंसणकिरिया भयणाए । गाहावइस्स णं ताओ सव्वा
पयणुईभवंति ।
(क,
६. जाव अपच्चक्खाण मिच्छादंसणवत्तिया ( अ, स ) ; जाव मिच्छादंसणवत्तिया • ता, म); जाव मिच्छादंसण ० ( ब ) । ७. सं० पा० - विक्किणमाणस्स जाव भंडे । ८. भ० ५।१२८ ।
o
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२१२
भगवई
१३१. गाहावइस्स णं भंते ! भंड' विक्किणमाणस्स कइए भंड साइज्जेज्जा, धणे य
वणी सिया ?
इस णं भंते ! ताओ धणाओ कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव' मिच्छादंसणकिरिया कज्जइ ?
गाहावइस्स वा ताओ धणा किं प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादंसणकिरिया कज्जइ ?
गोयमा ! कइयस्स ताम्रो धणा हेट्ठिल्लाओ चत्तारि किरिया कज्जति । मिच्छादंसणकिरिया भयणाए ।
गाहावइस्स णं ता सव्वा पयणुईभवंति ||
१३२. गाहावइस्स णं भंते ! भंडं विक्किणमाणस्स कइए भंड साइज्जेजा, धणे से
air सिया ।
गाहावइस्स णं भंते ! ताम्र घणाओ कि प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादंसण किरिया कज्जइ ?
इस वा ताओ धणा किं प्रारंभिया किरिया कज्जइ ? जाव मिच्छादंसणकिरिया कज्जइ ?
गोयमा ! गाहावइस्स ताओ धणाओ प्रारंभिया किरिया कज्जइ जाव प्रपच्चखाकिरिया कज्जइ । मिच्छादंसणकिरिया सिय कज्जइ, सिय नो कज्जइ । कइयस्स णं ताओ सव्वा पयणुईभवंति ॥
रिका महाकम्मादि पदं
१३३. अगणिकाए णं भंते ! ग्रहणोज्जलिए समाणे महाकम्मतराए चेव', महा कि रियातराए चेव, महासवतराए चेव, महावेदणतराए चेव भवइ । ग्रहे णं समएसमए 'वोक्क सिज्जमाणे- वोक्कसिज्जमाणे " चरिमकालसमयंसि इंगालब्भूए मुम्मुरभू छारियम्भू, तम्रो पच्छा अप्पकम्मतराए चेव, अप्पकिरियतराए
१. सं० पा० - भंडं जाव धरणे य से अरगुवणीए सिया ? एवं पि जहा भंडे उवणीए तहा नेयव्वं ।
चउत्थो आलावगो— 'धरणे य से उवणीए सिया' जहा पढमो आलावगो- 'भंडे य से अणुवणीए सिया', तहा नेयच्वो । पढम-चउत्थाणं एक्को गमो, बितिय तइयाणं एक्को गमो ।
२. भ० ५।१२८ ।
३. भ० ५।१२८ ।
४. अहणुज्ज लिए ( ता ); अहुरगुज्ज लिए ( ब ) । ५. च्चेव (ता) ।
६. महस्सव ० ( अ, ता, ब ) ।
७. बोयसिज्जमाणे २ वोच्छिज्जमा २
(
स ) ; वोक सिज्जमाणे २ वोच्छिज्जमा २ (ता); वोयसिज्ज माणे २ (म ) । ८.छार भए (अ) 1
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पंचमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
२१३ चेव, अप्पासवतराए चेव, अप्पवेयणतराए चेव भवइ ?
हंता गोयमा ! अगणिकाए णं अहुणोज्जलिए समाणे तं चेव ।। धणुपक्खेवे किरिया-पदं १३४. पुरिसे णं भंते ! धणुं परामुसइ, परामुसित्ता उसुं परामुसइ, परामुसित्ता ठाणं
ठाइ, ठिच्चा आयतकण्णातयं उसु करेति, उड्ढं वेहासं उसु उव्विहइ। तए णं से उसू उड्ढं वेहासं उविहिए समाणे जाइं तत्थ पाणाइं भूयाइं जीवाई सत्ताई अभिहणइ वत्तेति लेसेति" संघाएइ संघट्टेति परितावेइ किलामेइ', ठाणानो ठाणं संकामेइ, जीवियाग्रो ववरोवेइ। तए णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे धणु परामुसइ, 'उसु परामुसइ, ठाणं ठाइ, आयतकण्णातयं उसु करेंति, उड्ढे वेहासं उसु ° उविहइ, तावं च णं से पुरिसे काइयाए 'अहिगरणियाए, पारोसियाए, पारियावणियाए°, पाणाइवायकिरियाए-पंचहि किरियाहिं पुढे । जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहिं धणू निव्वत्तिए ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पट्टा"। एवं
जोवा पंचहि, हारू पंचहि, उसू पंचहि-सरे, पत्तणे, फले, हारू पंचहि ॥ १३५. अहे णं से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए, भारियत्ताए, गुरुसंभारियत्ताए अहे वीससाए
पच्चोवयमाणे जाइं तत्थ पाणाइं जाव" जीवियानो ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से उसू अप्पणो गुरुयत्ताए जाव जीवियानो ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव" चउहि किरियाहि पुढे । जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहि धणू निव्वत्तिए ते वि जीवा चउहि किरियाहि, धणुपट्टे चउहि,
धणपट
१. परामसइ (ब, म)। २. वेसाहं ठाणं (उ० १।२२)। ३. ° कण्णाइयं (अ, स); कण्णाययं (म, उ०
१।२२)। ४. ततो (क, ता, ब, स)। ५. उसु (स)। ६. वेहासे (ता)। ७. लेस्सेति (अ, ब, स)। ८. किलोमेह उद्दवेह (भ० ८।२८७)। ६. सं० पा०-परामुसइ जाव उविहइ।
१०. सं० पा०.-काइयाए जाव पाणाइवाय । ११. पुढे (अ, ता, ब, म, स); पट्टो (क)। अत्र
जीवा इति कर्तृ पदं बहुवचनान्तमस्ति तेन
'पुट्ठा' इति पदं स्वीकृतम् । १२. धणू ° (अ, ता, स); धणूपिढे (ब)। १३. अधे (ता)। १४. भ० ५।१३४ । १५. भ० ५।१३४। १६. °पुढे (अ, म, स)।
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२१४
भगवई
जीवा चउहि, हारू चउहि, उसू पंचहि-सरे, पत्तणे, फले, पहारू पंचहि । जे वि य से जीवा अहे पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे' वटुंति ते वि य णं जीवा
काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ॥ अण्णउत्थिय-पदं १३६. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमातिक्खंति जाव' परूवेति-से जहानामए जुवति
जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया, एवामेव
जाव चत्तारि पंच जोयणसयाई बहुसमाइण्णे मणुयलोए' मणुस्सेहि ।। १३७. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमातिवखंति जाव बहुसमाइण्णे मणुयलोए मणुस्सेहिं । जे ते एवमाहंसु , मिच्छं ते एवमाहंसु'। अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-से जहानामए जुवति जुवाणे हत्थेणं हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्ता सिया', एमामेव जाव चत्तारि पंच जोयणस
याई बहुसमाइण्णे निरयलोए ने रइएहि ॥ नेरइयविउव्वरणा-पदं १३८. नेरइया ण भंते ! कि एगत्तं पभू विउवित्तए ? पुहत्तं पभू विउवित्तए ? ।
गोयमा ! एगत्तं पि पहू विउवित्तए, पुहत्तंपि पहू विउवित्तए । जहा जीवाभिगमे आलावगो तहा नेयव्वो जाव विउव्वित्ता अण्णमण्णस्स कायं अभिहणमाणा-अभिहणमाणा वेयणं उदीरेंति-उज्जलं विउलं पगाढं कवकसं कड्यं
फरुसं निठुरं चंडं तिव्वं दुवखं दुग्गं दुरहियासं ॥ आहाकम्मादिनाहारे आराहणादि-पदं १३६. आहाकम्मं 'अणवज्जे' त्ति मणं पहारेत्ता भवति, से णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइय
पडिक्कते' कालं करेइ-नत्थि तस्स आराहणा । से णं तस्स ठाणस्स आलोइय
पडिक्कंते कालं करेइ-अत्थि तस्स राहणा॥ १४०. एएणं गमेणं नेयवं-कीयगडं", ठवियं, रइयं, कंतार भत्तं 'दुभिवखभत्तं,
वद्दलियाभत्तं'९, गिलाणभत्तं, सेज्जायरपिंडं, रायपिड५ ॥ १. ओवग्गहे (अ)।
६. जी० ३; नेरइय-उद्देसो २। २. भ० १४२० ।
१०. ० लोतिय° (अ, स)। ३. मणुस्स ° (ता)।
११. कीयकडं (क, ब); उद्देसियं कीयकडं (ता) ४. भ० ५।१३६ ।
१२. ठवियक (क, ता); ठवितकडं (ब)। ५. मिच्छा (अ, क, ब, म, स)।
१३. रतियकं (क, ब); रइयक (ता)। ६. सं० पा०-एवमाइक्खामि जाव एवामेव। १४. ०वत्तं वद्दलियावत्तं (ब) । ७. भ० ११४२१ ।
१५. ४ (क)। ८. पहुत्तं (ता)।
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पंचमं सतं (छट्टो उद्देसो)
२१५
१४१. आहाकम्मं 'अणवज्जे' त्ति' सयमेव परिभुंजित्ता भवति, से णं तस्स ठाणस्स ●णालोइयपडिक्कते कालं करेइ- नत्थि तस्स ग्राराहणा । से णं तस्स ठाणस्स आलोइय-पडिक्कंते कालं करेइ० - प्रत्थि तस्स राहणा ॥ १४२. एयं पितेह चेव जाव रायपिडं |
१४३. ग्रहाकम्मं' 'अणवज्जे' त्ति ग्रण्णमण्णस्स प्रणुप्पदावइत्ता भवइ, से णं तस्स "ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेइ - नत्थि तस्स राहणा । से णं तस ठाणस्स लोइय-पडिक्कंते कालं करेइ - प्रत्थि तस्स १४४. एयं पितह व जाव' रायपिंडं ||
राहणा ॥
१४५. ग्रहाकम्मं णं 'प्रणवज्जे' त्ति बहुजणमज्झे पण्णवइत्ता भवति, से णं तस्स "ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेइ नत्थि तस्स
राहणा । से गं
राहणा ||
तस्स ठाणस्स लोइय-पडिक्कते कालं करेइ ° प्रत्थि तस्स १४६. एयं पितह चेव जाव' रायपिंडं ॥
प्रायरिय उवज्झायरस सिद्धि-पदं
१४७. आयरिय उवज्झाए णं भंते! सविसयंसि गणं ग्रगिलाए संगिण्हमाणे, श्रगि लाए उवगिण्हमाणे कहिं भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेति ?
गोमा ! त्येति तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति, प्रत्येगतिए दोच्चेणं भवगणं सिज्झति, तच्चं पुण भवग्गहणं नाइक्कमति ||
प्रब्भक्खाणिस्स कम्मबंध - पदं
१४८. जे गं भंते ! परं ग्रलिएणं प्रसन्भूएणं अभक्खाणेण ग्रव्भक्खाति", तस्स णं कहप्पगारा कम्मा कज्जंति ?
गोयमा ! जे णं परं ग्रलिएणं, असंतएण अभक्खाणं श्रब्भक्खाति, तस्स तहप्पगारा चेव कम्मा कज्जति । जत्थेव णं अभिसमागच्छति तत्थेव डिसंवेदेति, तो से पच्छा वेदेति ।
१४६. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति ॥
१. त्ति बहुजणस्स मज्भे भासित्ता (अस) ।
२. सं० पा० - ठाणस्स जाव अस्थि ।
३. भ० ५।१४० ।
४. हाम्मं ( अ ) ।
५. सं० पा० - तस्स |
६. भ० ५।१४० ।
७. सं० पा० तस्स जाव प्रत्थि ।
८. भ० ५।१४० ।
६. भ० ११४४ ।
१०. X ( अ ) ।
११. अब्भाइक्खइ (क, ता, ब ) । १२. असंतवणे ( म, स ) |
१३. भ० १५१ ।
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२१६
भगवई
सत्तमो उद्देसो
परमारण-खंधाणं एयणादि-पदं १५०. परमाणुपोग्गले णं भंते ! एयति वेयति' 'चलति फंदइ घट्टइ खुब्भइ उदीरइ°,
तं तं भावं परिणमति ? गोयया ! सिय एयति वेयति जाव तं तं भावं परिणमति ; सिय नो एयति
जाव नो तं तं भावं परिणमति ।। १५१. दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयति जाव' तं तं भावं परिणमति ?
गोयमा ! सिय एयति जाव तं तं भावं परिणमति । सिय नो एयति जाव नो
तं तं भावं परिणमति । सिय देसे एयति, देसे नो एयति ॥ १५२. तिप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयति ?
गोयमा ! सिय एयति, सिय नो एयति। सिय देसे एयति, नो देसे एयति ।
सिय देसे एयति, नो देसा एयंति । सिय देसा एयंति, नो देसे एयति ॥ १५३. चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे एयति ?
गोयमा ! सिय एयति, सिय नो एयति। सिय देसे एयति, नो देसे एयति । सिय देसे एयति, नो देसा एयंति । सिय देसा एयंति, नो देसे एयति। सिय देसा एयंति, नो देसा एयंति।
जहा चउप्पएसियो तहा पंचपएसियो, तहा जाव अणंतपएसियो। परमाणु-खंधाण छदादि-पदं १५४. परमाणुपोग्गले णं भंते ! असिधारं वा खुरधारं वा प्रोगाहेज्जा ?
हंता प्रोगाहेज्जा। से णं भंते ! तत्थ छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा ?
गोयमा नो तिणढे समठे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।। १५५. एवं जाव असंखेज्जपएसियो॥ १५६. अणंतपएसिए णं भंते ! खंधे असिधारं वा खुरधारं वा प्रोगाहेज्जा ?
हंता प्रोगाहेज्जा। से णं भंते ! तत्थ छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा ? गोयमा ! अत्थेगइए छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा, अत्थेगइए नो छिज्जेज्ज वा नो भिज्जेज्ज वा॥
१. सं० पा०-वेयति जाव तं । २. भ० ५।१५० ।
३. ओगाहिज्ज (क, ब, म, स)।
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पंचमं सतं ( सत्तमो उद्देसो)
२१७ १५७. परमाणुपोग्गले णं भंते ? अगणिकायस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ?
हंता वीइवएज्जा। से णं भंते ! तत्थ झियाएज्जा ? गोयमा ! नो इण? समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ । से णं भंते ! पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ? हंता वीइवएज्जा। से णं भंते ! तत्थ उल्ले सिया ? गोयमा ! नो इण? सम8, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। से णं भंते ! गंगाए महाणदीए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा? हंता हव्वमागच्छेज्जा। से णं भंते ! तत्थ विणिहायमावज्जेज्जा ? गोयमा ! नो इणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ । से णं भंते ! उदगावत्तं वा उदगबिंदु वा प्रोगाहेज्जा ? हंता प्रोगाहेज्जा। से णं भंते ! तत्थ परियावज्जेज्जा ?
गोयमा ! नो इणद्वे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।। १५८. एवं जाव असंखेज्जपएसियो।। १५६. अणंतपएसिए णं भंते ! खंधे अगणिकायस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ?
हंता वीइवएज्जा। से णं भंते ! तत्थ झियाएज्जा ? गोयमा ! अत्थेगइए झियाएज्जा, अत्थेगइए नो झियाएज्जा। से णं भंते ! पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा । हंता वीइवएज्जा। से णं भंते ! तत्थ उल्ले सिया ? गोयमा ! अत्थेगइए उल्ले सिया, अत्थेगइए नो उल्ले सिया। से णं भंते ! गंगाए महानईए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा ? हंता हव्वमागच्छेज्जा। से णं भंते ! तत्थ विणिहायमावज्जेज्जा ?
१. सं० पा०-एवं अगणिकायस्स मझमज्झेणं
तहि नवरं झियाएज्ज भाणियव्वं । एवं पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमज्झेरणं तर्हि उल्ले सिया। एवं गंगाए महागदीए
पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा तहिं विणिहायमावज्जेज्जा। उदगावत्तं वा उदगबि, वा ओगाहेज्जा। से णं तत्थ परियावज्जेज्जा।
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२१८
भगवई
गोयमा ! अत्थेगइए विणिहायमावज्जेज्जा, अत्थेगइए नो विणिहायमावज्जेज्जा। से णं भंते ! उदगावत्तं वा उदगबिंदु वा प्रोगाहेज्जा ? हंता प्रोगाहेज्जा। से णं भंते ! तत्थ परियावज्जेज्जा ?
गोयमा ! अत्थेगइए परियावज्जेज्जा, अत्थेगइए नो परियावज्जेज्जा ॥ परमाणु-खंधाणं सग्रड्ढसमज्झादि-पदं १६०. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सअड्डे' समझे सपएसे ? उदाहु अणड्ढे अमझे
अपएसे?
गोयमा ! अणड्ढे अमझे अपएसे, नो सअड्ढे नो समझे नो सपएसे ।। १६१. दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे कि सअड्ढे समझे सपएसे ? उदाहु अणड्ढे अमज्झे
अपएसे ?
गोयमा ! सअड्ढे अमज्झे सपएसे, नो अणड्ढे नो समझे नो अपएसे ।। १६२. तिप्पएसिए णं भंते ! खंधे पुच्छा।
गोयमा ! अणड्ढे समज्झे सपएसे, नो सअड्ढे नो अमझे नो अपएसे ॥ १६३. जहा दुप्पएसियो तहा जे समा ते भाणियव्वा, जे विसमा ते जहा तिप्पएसियो
तहा भाणियव्वा ॥ १६४. संखेज्जपएसिए णं भंते ! खंधे कि सड्ढे ? पुच्छा।
गोयमा ! सिय सअड्ढे अमज्झे सपएसे, सिय अणड्ढे समज्झे सपएसे।
जहा संखेज्जपएसियो तहा असंखेज्जपएसियो वि, अणंतपएसियो वि ।। परमाणु-खंधारणं परोप्परं फुसणा-पदं १६५. परमाणपोग्गले णं भंते ! परमाणपोग्गलं फसमाणे कि
१. देसेणं देसं फुसइ २. देसेहिं देसे फुसइ ३. देसेणं सव्वं फुसइ ४. देसेहिं देसे फुसइ ५. देसेहिं देसे फुसइ ६. देसेहिं सव्वं फुसइ ७. सव्वेणं देसं फुसइ ८. सव्वेणं देसे फुसइ ६. सव्वेणं सव्वं फुसइ ? गोयमा ! १. नो देसेणं देसं फुसइ २. नो देसेणं देसे फुसइ ३. नो देसेणं सव्वं फुसइ ४. नो देसेहिं देसं फुसइ ५. नो देसेहिं देसे फुसइ ६. नो देसेहि सव्वं
१. सअद्धे (ब)। २. उआहु (ब)। ३. (१) देशेन देशम्
(२) देशेन देशान् (३) देशेन सर्वम् (४) देशैः देशम्
(५) देशैः देशान् (६) देशैः सर्वम् (७) सर्वेण देसम् ।
(८) सर्वेण देशान् (8) सर्वेण सर्वम् ।
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१६८.
पंचमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
२१६ फसइ ७. नो सब्वेणं देसं फुसइ ८. नो सब्वेणं देसे फुसइ ६. सव्वेणं सव्वं
फुसइ। १६६. परमाणुपोग्गले' दुप्पएसियं फुसमाणे सत्तम-णवमेहिं फसइ।
परमाणुपोग्गले तिप्पएसियं फुसमाणे निपच्छिमएहि तिहिं फुसइ। जहा परमाणुपोग्गले तिप्पएसियं फुसाविप्रो एवं फुसावेयव्वो जाव अणंत
पएसियो।। १६७. दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे किं देसेणं देसं फसइ ?
पुच्छा । ततिय-नवमेहिं फुसइ। दुप्पएसियो दुप्पएसियं फुसमाणे पढम-ततिय-सत्तम-नवमेहिं फसइ । दुप्पएसियो तिप्पएसियं फुसमाणे आदिल्लएहि य, पच्छिल्लएहि य तिहिं' फुसइ, मज्झिमएहिं तिहि विपडिसेहेयव्वं । दुप्पएसियो जहा तिप्पएसियं फुसाविप्रो एवं फुसावेयवो जाव अणंतपएसियं ।। तिपएसिए णं भंते ! खंधे परमाणुपोग्गलं फुसमाणे पुच्छा। ततिय-छट्ठ-नवमेहि फुसइ। तिपएसियो दुपएसियं फुसमाणे पढमएणं, ततिएणं, चउत्थ-छट्ठ-सत्तम-नवमेहि फुसइ। तिपएसियो तिपएसियं फुसमाणे सव्वेसु वि ठाणेसु फुसइ। जहा तिपएसियो तिपएसियं फुसाविप्रो एवं तिप्पएसियो जाव अणंतपएसिएणं संजोएयव्वो।
जहा तिपएसियो एवं जाव अणंतपएसियो भाणियव्वो ॥ परमाणु-खंधाणं संठिइ-पदं १६६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालनो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । एवं जाव अणंतपएसियो। एगपएसोगाढे णं भंते ! पोग्गले सेए तम्मि वा ठाणे वा, अण्णम्मि वा ठाणे कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं । एवं जाव असंखेज्जपएसोगाढे ॥
१. एवं पर° (क, ता)। २. अन्त्यैः ।
३. X (क, ता)। ४. सेते (ता)।
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२२०
भगवई १७१. एगपएसोगाढे णं भंते ! पोग्गले निरेए कालगो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं । एवं जाव असंखेज्ज
पएसोगाढे ॥ १७२. एगगुणकालए णं भंते ! पोग्गले कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं । एवं जाव अणंतगुणकालए। एवं वण्ण-गंध-रस-फास जाव' अणंतगुणलुक्खे। एवं सुहुमपरिणए पोग्गले, एवं
बादरपरिणए पोग्गले ।। १७३. सद्दपरिणए णं भंते ! पोग्गले कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णणं एग समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं ।। १७४. असद्दपरिणए' •णं भंते ! पोग्गले कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं एग समयं, उवकोसेणं असंखेज्ज काल ° ।। परमाणु-खंधाणं अंतरकाल-पदं १७५. परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! अंतरं कालयो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं ॥ १७६. दुप्पएसियस्स णं भंते ! खंधस्स अंतरं कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अणंतं कालं । एवं जाव अणंतपएसियो। १७७. एगपएसोगाढस्स णं भंते ! पोग्गलस्स सेयस्स अंतरं कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । एवं जाव असंखेज्जपएसोगाढे ॥ एगपएसोगाढस्स णं भंते । पोग्गलस्स निरेयस्स अंतरं कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं । एवं जाव असंखेज्जपएसोगाढे । वण्ण-गंध-रस-फास-सुहुमपरिणय-बायरपरिणयाणं-एतेसि 'जं चेव' संचिट्ठणा
तं चेव अंतरं पि भाणियब्वं ।। १७९. सद्दपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्स अंतरं कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं ।। १८०. असद्दपरिणयस्स णं भंते ! पोग्गलस्स अंतरं कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं ।।
३. जच्चेव (अ, क, ता, ब, म)। २. सं० पा०-असद्दपरिणए जहा एगगुण- ४. भ० ५।१७२ ।
कालए।
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पंचमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
परमाणु - खंधाणं परोप्परं श्रध्याबहुयत्त-पदं
१८१. एयस्स णं भंते ! दव्वद्वाणाउयस्स, खेत्तट्टाणाउयस्स, प्रोगाहणद्वाणाउयस्स, भावद्वाणाउयस्स कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवे खेत्तट्ठाणाउए, श्रोगाहणट्ठाणाउए, प्रसंखेज्जगुणे, दव्वट्ठाणाउए असंखेज्जगुणे, भावद्वाणाउए असंखेज्जगुणे ।
संगहणी - गाहा
खेत्तो गाहणदव्वे, भावद्वाणाउयं च अप्प - बहुं । खेत्ते सव्वत्थोवे, सेसा ठाणा असंखेज्जगुणा ॥ १ ॥
जीवाणं सारंभ सपरिग्गह-पदं
१८२. नेरइया णं भंते ! कि सारंभा सपरिग्गहा ? उदाहु प्रणारंभा अपरिग्गहा ? गोयमा ! नेरइया सारंभा सपरिग्गहा, नो प्रणारंभा अपरिग्गहा ।
१८३. से केणट्टेणं "भंते ! एवं बुच्चइ - नेरइया सारंभा सपरिग्गहा, नो प्रारंभा
अपरिग्गहा ?
गोयमा ! नेरइया णं पुढविकायं समारंभंति", "ग्राउकायं समारंभंति, तेउकायं समारंभंति, वाउकायं समारंभंति, वणस्सइकार्य समारंभंति 'तसकायं समारंभंति, सरीरा परिग्गहिया भवंति, कम्मा परिग्गहिया भवंति, सचित्ताचित्त-मीसयाई दवाई परिग्गहियाई भवंति । से तेणट्टेणं' गोयमा ! एवं वुच्चइ नेरइया सारंभा सपरिग्गहा, नो प्रणारंभा अपरिग्गहा ॥
१८४. असुरकुमाराणं भंते ! कि सारंभा ? पुच्छा ।
गोयमा ! असुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा, नो प्रणारंभा अपरिग्गहा || १८५. से केणट्टेणं ? गोयमा ! असुरकुमारा णं पुढविकायं समारंभंति जाव' तसकायं समारंभंति, सरीरा परिग्गहिया भवंति, कम्मा परिग्गहिया भवंति भवणा परिग्गहिया भवंति देवा देवीश्रो मणुस्सा मणुस्सी तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोगिणी परिग्गहिया भवंति, आसण-सयण-भंड-मत्तोवगरणा परिग्गहिया भवंति, सचित्ताचित्त-मीसयाइं दव्वाइं परिग्गहियाई भवंति । से तेणट्टेण
१. सं० पा०—करेहिंतो जाव विसेसाहिया ।
२. सं० पा० – के रट्टे जाव अपरिग्गहा ।
३. नो अपरि० (ता) ।
४. सं० पा० समारंभंति जाव तसकायं ।
२२१
५. सं० पा० तं चेव ।
६. भ० ५।१८३ ।
७. मिस्सियाइं ( ब ) ; मीसजाई (क ) ।
८. सं० पा० तहेव ।
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२२२
भगवई
*गोयमा ! एवं वुच्चइ-असुरकुमारा सारंभा सपरिग्गहा, नो अणारंभा
अपरिग्गहा ॥ १८६. एवं जाव' थणियकुमारा । एगिदिया जहा नेरइया ।। १८७. बेइंदिया णं भंते ! कि सारंभा सपरिग्गहा ? उदाहु अणारंभा अपरिग्गहा ?
तं चेव बेइंदिया णं पुढविकायं समारंभंति जाव तसकायं समारंभंति, सरीरा परिग्गहिया भवंति, कम्मा परिग्गहिया भवंति, बाहिरा' भंड-मत्तोवगरणा
परिग्गहिया भवंति, 'सचित्ताचित्त-मीसयाई दव्वाइं परिग्गहियाई भवंति ॥ १८८. एवं जाव चरिदिया ।।। १८६. पंचिदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! किं सारंभा सपरिग्गहा ? उदाहु अणारंभा
अपरिग्गहा ? तं चेव जाव' कम्मा परिग्गहिया भवंति, टंका कूडा सेला सिहरी पब्भारा परिग्गहिया भवंति, जल-थल-बिल-गुह-लेणा परिग्गहिया भवंति,उज्झर-निज्झर चिल्लल-पल्लल-वप्पिणा परिग्गहिया भवंति, अगड-तडाग-दह-नईग्रो वावीपुक्खरिणीदीहिया गुंजालिया सरा सरपंतियानो सरसरपंतियानो बिलपंतियानो परिग्गहियारो भवंति, आरामुज्जाण-काणणा वणा वणसंडा वणराईयो२ परिग्गहियानो भवंति, देवउल-सभ-पव-थूभ-खाइय-परिखानो परिग्गहियानो भवंति, पागार-अट्टालग-चरिय-दार-गोपुरा परिग्गहिया भवंति, पासाद-घरसरण-लेण- प्रावणा परिग्गहिया भवंति, सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुहमहापह-पहा परिग्गहिया भवंति, सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लि-थिल्लि-सीयसंदमाणियानो परिग्गहियानो भवंति, लोही-लोहकडाह-कडुच्छया परिग्गहिया भवंति, भवणा परिग्गहिया भवंति, देवा देवीनो मणुस्सा मणुस्सीयो तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीनो परिग्गहिया भवंति, पासण-सयण-खंभ-भंड
सचित्ताचित्त-मीसयाइं दव्वाइं परिग्गहियाइं भवति । से तेण?णं ।। १६०. जहा तिरिक्खजोणिया तहा मणुस्सा वि भाणियव्वा। वाणमंतर-जोइस
वेमाणिया जहा भवणवासी तहा नेयव्वा" ।।
१. पू०प०२। २. भ० ५।१८२, १८३ । ३. ४. भ० ५।१८३ । ५. बाहिरिया (अ, क, ब, म, स)। ६. X(अ)। ७. भ० २।१३८ ।
८. भ०५।१८३ । ६. पिल्लव (ब)। १०. तलाग (क, ता, ब, म)। ११. ° मुज्जारणा (क, ब, स)। १२. वरणरातीओ (अ, ता, स)। १३. भ० ५।१८४, १८५ ।
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पंचमं सतं (प्रमो उद्देसो)
उ-पदं
११. पंच' हेऊ पण्णत्ता, तं जहा- हेउं जाणइ, हेउं पासइ, हेउं बुज्झइ, हेउं अभिसमागच्छइ, हेउ छउमत्थमरणं मरइ ।।
१६२. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा- हेउणा जाणइ जाव' हेउणा छउमत्थमरणं मरइ | १९३. पंच हेऊ पण्हत्ता, तं जहा - हेउं ण जाणइ जाव' हेउं अण्णाणमरणं मरइ || १९४. पंच हेऊ पण्णत्ता, तं जहा - हेउणा ण जाणइ जाव' हेउणा अण्णाणमरणं मरइ || १९५. पंच ग्रहेऊ पण्णत्ता, तं जहा - ग्रहेउं जाणइ जाव प्रहेउं केवलिमरणं मरइ || १६६. पंच ग्रहेऊ पण्णत्ता, तं जहा- ग्रहेउणा जाणइ जाव' ग्रहेउणा केवलिमरणं
मरइ ||
१७. पंच ग्रहेऊ पण्णत्ता, तं जहा - श्रहेउ न जाणइ जाव ग्रहेउं छउमत्थमरणं
मरइ ॥
१८. पंच अहेऊ पण्णत्ता, तं जहा - अहेउणा न जाणइ जाव' हेउणा छउमत्थमरणं
मरइ ॥
१६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
नियंठिपुत्त - नारयपुत्त-पदं
अट्टमो उद्देसो
२००.
तेणं काणं तेणं समएणं जाव" परिसा पडिगया ॥
२०१. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवग्रो महावीरस्स अंतेवासी नारयपुत्ते
नाम अणगारे पगइभद्दए जाव" विहरति ।
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवप्रो महावीरस्स अंतेवासी नियंठिपुत्ते नामं प्रणगारे पगइभद्दए जाव विहरति ।
१. स्थानाङ्गस्य पंचमस्थाने (७५-८२) एतानि अष्टसूत्राणि क्रमभेदेन तथा किञ्चित् पाठभेदेन लभ्यन्ते ।
२. भ० ५।१६१ ।
३. भ० ५।१६१ ।
४. भ० ५।१६१ ।
५. भ० ५।१६१ ।
२२३
६. भ० ५।१६१ ।
७. भ० ५।१६१ ।
८. भ० ५।१६१ ।
६. भ० १।५१ ।
१०. भ० १।४८ ।
११. भ० १२८८ ।
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२२४
भगवई
तए णं से नियंठिपुत्ते अणगारे जेणामेव नारयपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता नारयपुत्तं अणगारं एवं वयासी-सव्वपोग्गला ते अज्जो ! कि सअड्ढा समज्झा सपएसा ? उदाहु अणड्ढा अमज्झा अपएसा ? अज्जो ! त्ति नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं एवं वयासी—सव्वपोग्गला
मे अज्जो ! सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा । २०२. तए णं से नियंठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं अणगारं एवं वयासी-जइ णं ते
अज्जो ! सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा, कि-- दव्वादेसेणं अज्जो ! सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा? खेत्तादेसेणं अज्जो! सव्वपोग्गला सअड्ढा "समझा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा ? ० कालादेसेणं "प्रज्जो ! सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा? भावादेसेणं "अज्जो ! सव्वपोग्गला सअड्ढा समझा सपएसा, नो अणड्ढा अमज्झा अपएसा ? ' तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं एवं वयासी–दव्वादेसेण वि मे अज्जो! सव्वपोग्गला सड्ढा समझा सपएसा, नो अणड्ढा अमझा अपएसा,
'खेत्तादेसेण वि, कालादेसेण वि, भावादेसेण वि" । २०३. तए णं से नियंठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं अणगारं एवं वयासी-जइणं अज्जो !
दव्वादेसेणं सव्वपोगल्ला सअड्ढा समझा सपएसा, नो अणड्ढा अमझा अपएसा, एवं ते परमाणुपोग्गल्ले वि सड्ढे समझे सपएसे, नो अणड्ढे अमज्झे अपएसे। जइ णं अज्जो खेत्तादेसेण वि सव्वपोग्गला सअड्ढा समझा सपएसा, एवं ते एगपएसोगाढे वि पोग्गले सअड्ढे समझे सपएसे। जइ णं अज्जो! कालादेसेणं सव्वपोग्गला सअड्ढा समज्झा सपएसा, एवं ते एगसमयट्ठितीए वि पोग्गले सप्रड्ढे समझे सपएसे।
१. सं० पा०-तह चेव । २. सं० पा०-तं चेव। ३. सं० पा०-तहेव ।
४. एवं खेत्तकालभावादेसेण वि नेतन्वं (ता)। ५. सपएसे ३ तं चेव (अ, क, ता, स)।
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पंचमं सतं (मो उद्देसो)
२२५
जइणं अज्जो ! भावादेसेणं सव्वपोग्गला सग्रड्ढा समज्झा सपएसा, एवं ते एगगुणकालए वि पोग्गले सड्ढे समज्भे सपएसे' ।
ग्रह ते एवं न भवति तो जं वयसि 'दव्वादेसेण वि सव्वपोग्गला सग्रड्ढा समझा सपएसा, नो ग्रणड्ढा ग्रमज्भा अपएसा एवं खेत्तादेसेण वि, कालादेसेण वि, भावादेसेण वि' तं णं मिच्छा ||
२०४. तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं एवं वयासी - नो खलु एवं देवापिया ! एयम जाणामो- पासामो । जइ णं देवाणुप्पिया नो गिलायंति परिकहित्तए, तं इच्छामि णं देवाणुप्पियाणं अंतिए एयमट्ठे सोच्चा निसम्म जाणित्तए ||
२०५. तए णं से नियंठिपुत्ते अणगारे नारयपुत्तं प्रणगारं एवं वयासी दव्वादेसेण वि जो ! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा विप्रणता । खेत्तादेसेण वि' •मे ग्रज्जो ! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, ग्रप्पएसा वि प्रणता ।
कलासेण वि मे अज्जो ! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा वि - प्रणता । भावादेसेण वि मे प्रज्जो ! सव्वे पोग्गला सपएसा वि, अप्पएसा विश्रणंता | जे दवओ एसे से खेत्तस्रो नियमा अपएसे, कालो सिय सपएसे सियपसे, भावसिय सपएसे सिय अपएसे ।
जे खेत्त
पसे से दव्वत्र सिय सपएसे सिय अपसे, कालो भयणाए, भावप्रो भयणाए ।
जहा खेत्त एवं कालग्रो, भावश्रो ।
जे दव्वप्रो सपएसे से खेत्तो सिय सपए से सिय पसे । एवं कालो, भावो
वि ।
जे खेत्ती सपएसे से दव्व नियमा सपएसे, कालो भयणाए, भावो
भयणाए ।
जहा दव्वतहा कालो, भावो वि ॥
२०६. एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं दव्वादेसेणं, खेत्ता देसेणं, कालादेसेणं, भावादेसेणं सपएसाणं अपएसाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ?
नारयपुत्ता ! सव्वत्थोवा पोग्गला भावादेसेणं अपएसा, कालादेसेणं अपएसा असंखेज्जगुणा, दव्वादेसेणं अपएसा असंखेज्जगुणा, खेत्तादेसेणं अपएसा असंखे
१. सपए से ३ तं चेव ( अ, क, ता, स ) । २. एयं ( अ, क, ता, ब); X ( स ) ।
३. सं० पा० खेत्ता देसेण वि एवं चेव कालदेसेण विभावादेसेण वि एवं चेव ।
४. सं० पा० - कयरेहितो जाव विसेसाहिया ।
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२२६
भगवई ज्जगुणा, खेत्तादेसेणं चेव सपएसा असंखेज्जगुणा, दव्वादेसेणं सपएसा विसेसा
हिया, कालादेसेणं सपएसा विसेसाहिया, भावादेसेणं सपएसा विसेसाहिया ॥ २०७. तए णं से नारयपुत्ते अणगारे नियंठिपुत्तं अणगारं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नम
सित्ता एयमटुं सम्मं विणएणं भज्जो-भुज्जो खामेति, खामेत्ता संजमेणं तवसा
अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥ जीवाणं-वुढि-हाणि-अवट्टिइ-पदं २०८. भंतेत्ति ! भगवं गोयमे समणं' •भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नम
सित्ता एवं वयासी-जीवा णं भंते ! किं वड्ढंति ? हायंति ? अवट्ठिया ?
गोयमा ! जीवा नो वड्ढंति, नो हायंति, अवट्ठिया ।। २०६. नेरइया णं भंते ! कि वड्ढति ? हायंति ? अवट्ठिया ?
गोयमा ! नेरइया वड्ढंति वि, हायंति वि, अवट्ठिया वि ॥ २१०. जहा नेरइया एवं जाव' वेमाणिया ।। २११. सिद्धा णं भंते ! पुच्छा।
गोयमा ! सिद्धा वड्ढंति, नो हायंति, अवटिया वि ।। ११२. जीवा णं भंते ! केवतियं कालं अवटिया ?
गोयमा ! सव्वद्धं ।। २१३. नेरइया णं भंते ! केवतियं कालं वड्ढंति ?
गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं । २१४. एवं हायंति वि॥ २१५. नेरइया णं भंते ! केवतियं कालं अवट्ठिया ?
गोयमा ! जहण्णणं एगं समयं, उक्कोसेणं चउवीसं मुहुत्ता ॥ २१६. एवं ‘सत्तसु वि' पुढवीसु 'वड्ढंति, हायंति' भाणियव्वं, नवरं-अवट्ठिएसु इम
नाणत्तं, तं जहा–रयणप्पभाए पुढवीए अडयालीसं मुहुत्ता, सक्करप्पभाए चोद्दस राइंदिया', वालुयप्पभाए मासं, पंकप्पभाए दो मासा, धूमप्पभाए चत्तारि
मासा, तमाए अट मासा, तमतमाए बारस मासा ।। २१७. असुरकुमारा वि वड्ढंति, हायंति जहा नेरइया । अवट्ठिया जहण्णेणं एक्कं समयं,
उक्कोसेणं अट्टचत्तालीसं महत्ता । २१८. एवं दसविहा वि ॥
१. सं० पा०-समणं जाव एवं । २. पू०प० २। ३. वा (अ, क, ता, स)। ४. सत्त (ता)।
५. राइंदियाइं (अ, क, ब, म); राइंदिया रणं
(स)। ६. अडतालीसं (ता)।
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२२२.
पंचमं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
२२७ २१६. एगिदिया वड्ढेति वि, हायंति वि अवट्ठिया वि। एएहिं तिहि वि जहण्णेणं
एक्कं समयं, उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं ॥ २२०. बेइंदिया 'वड्ढंति, हायंति' तहेव, अवट्ठिया जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं
दो अंतोमुहुत्ता ॥ २२१. एवं जाव' चरिदिया ।
अवसेसा सव्वे 'वड्ढंति, हायंति' तहेव, अवट्ठियाणं नाणत्तं इम, तं जहासंमुच्छिमपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं दो अंतोमुहुत्ता, गभवक्कंतियाणं चउव्वीसं मुहुत्ता, संमुच्छिममणुस्साणं अट्ठचत्तालीसं मुहुत्ता, गब्भवक्कंतियमणुस्साणं चउवोसं मुहुत्ता, वाणमंतर-जोतिसिय-सोहम्मीसाणेसु अढचत्तालीसं मुहुत्ता, सणंकुमारे अट्ठारस राइंदियाइं चत्तालीस य मुहुत्ता, माहिदे चउवीसं रइंदियाइं वीस य मुहुत्ता, बंभलोए पंचचत्तालीसं राइंदियाई, लतए नउइं" राइंदियाई, महासुक्के सट्टि राइंदियसयं, सहस्सारे दो राइंदियसयाइं, प्राणयपाणयाणं संखेज्जा मासा, आरणच्चुयाणं संखेज्जाइं वासाइं, एवं गेवेज्जदेवाणं', विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियाणं असंखेज्जाई वाससहस्साइं, सव्वसिद्धे पलिग्रोवमस्स संखेज्जइभागो। एवं भाणियव्वं -'वड्ढंति, हायंति जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए
असंखेज्जइभागं, अवट्ठियाणं जं भणिय ॥ २२३. सिद्धा णं भंते ! केवइयं कालं वड्ढंति ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अट्ठ समया ।। २२४. केवइयं कालं अवट्ठिया ?
गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा ।। जीवाणं सोवचय-सावचयादि-पदं २२५. जीवा णं भंते ! कि सोवचया ? सावचया ? सोवचय-सावचया ? निरुवचय
निरवचया ? गोयमा ! जीवा नो सोवचया, नो सावचया, नो सोवचय-सावचया, निरुवचयनिरवचया। एगिदिया ततियपदे, सेसा जीवा चउहि वि पदेहिं भाणियव्वा ।
१. असंखेज्जभागं (क, ब, म)। २. बेतिदिया (अ, स)। ३. भ० २।१३८ । ४. जोतिस (अ, क, स)। ५. नउयं (अ, स)।
६. सटुं (ता, ब)। ७. गेवेज्जग° (ता)। ८. एतद् निगमनवाक्यं तेन पूर्वोक्तस्य पुनरुक्त
मस्ति । ६. x (अ, क, स) :
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२२८
भगवई
२२६. सिद्धा णं भंते ! पुच्छा।
गोयमा ! सिद्धा सोवचया, नो सावचया, नो सोवचय-सावचया, निरुवचय
निरवचया ॥ २२७. जीवा णं भंते ! केवतियं कालं निरुवचय-निरवचया ?
गोयमा ! सव्वद्धं ॥ २२८. नेरइया णं भंते ! केवतियं कालं सोवचया ?
गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं ।। २२६. केवतियं कालं सावचया ?
एवं चेव ॥ केवतियं कालं सोवचय-सावचया ?
एवं चेव ॥ २३१.
केवतियं कालं निरुवचय-निरवचया ? गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं बारस मुहुत्ता। एगिदिया सव्वे सोवचय-सावचया सव्वद्धं । सेसा सव्वे सोवचया वि, सावचया वि, सोवचय-सावचया वि', जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए
असंखेज्जइभागं । अवट्ठिएहि वक्कंतिकालो भाणियव्वो ॥ २३२. सिद्धा णं भंते ! केवतियं कालं सोवचया ?
गोयमा ! जहण्णेणं एगं समयं, उक्कोसेणं अट्ठ समया । २३३. केवतियं कालं निरुवचय-निरवचया ?
जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं छ मासा ।। २३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
१. वि निरूवचय-निरवचया वि (क, ब, स)।
२. भ० ११५१ ।
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२२१
पंचम सतं (नवमो उद्देसो)
नवमो उद्देसो किमिदंरायगिह-पदं २३५. तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव' एवं वयासो-किमिदं भंते ! नगरं रायगिहं
ति पवुच्चइ ? किं पुढवी नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि पाऊ नगरं रायगिह ति पवुच्चइ' ? •कि तेऊ वाऊ वणस्सई नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि टंका कूडा सेला सिहरी पन्भारा नगरं राहगिहं ति पवुच्चइ ? कि जल-थल-बिल-गुह-लेणा नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि उज्झर-निज्झरचिल्लल-पल्लल-वप्पिणा नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि अगड-तडाग दहनईग्रो वावी-पुक्खरिणी-दीहिया गुंजालिया सरा सरपंतियानो सरसरपंतियानो बिलपंतियानो नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि पारामुज्जाण-काणणा वणा वणसंडा वणराईनो नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? किं देवउल-सभ-पव-थूभखाइय-परिखानो नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? किं पागार-अट्टालग-चरियदार-गोपूरा नगरं रायगिह ति पवुच्चइ ? कि पासाद-घर-सरण-लेण-प्रावणा नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ? कि सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुहमहापह-पहा नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? किं सगड-रह-जाण-जुग्ग-गिल्लिथिल्लि-सीय-संदमाणियानो नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि लोही-लोहकडाहकडुच्छया नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? किं भवणा नगरं रायगिहं ति पवच्चइ ? कि देवा देवीप्रो मगुस्सा मणुस्सीओ तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीयो नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ ? कि सयण-खंभ-भंड-सचित्ताचित्त-मीसयाई दव्वाइं नगरं रायगिह ति पवुच्चइ ? गोयमा ! पुढवि वि नगरं रायगिहं ति पवुच्चइ जाव सचित्ताचित्त-मीसयाई
दव्वाइं नगरं रायगिई ति पवुच्चइ ।। २३६. से केणट्टेणं ? गोयमा ! पुढवी जीवा इ य, अजीवा इ य नगरं रायगिहं ति
पवुच्चइ जाव सचित्ताचित्त-मीसयाई दव्वाइं जीवा इ य, अजीवा इ य नगरं
रायोगह ति पवुच्चइ । से तेणट्रेणं तं चेव ।। उज्जोय-अंधयार-पदं २३७. से नूणं भंते ! दिया उज्जोए ? राइं अंधयारे ?
हंता गोयमा ! •दिया उज्जोए, राइं° अंधयारे ।।
१. भ० ११४-१०। २. किमियं (क); किमितं (ब, म)।
३. सं० पा०-पवुच्चइ जाव वणस्सई ? जहा
एयणुद्देसए पंचिदियतिरिक्खजोणियारणं वत्त
व्वया तहा भारिणयव्वा जाव सचित्ताचित्त । ४. सं० पा०-गोयमा जाव अंधयारे ।
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२३०
भगवई
२३८. से केणट्टेणं ? गोयमा ! दिया सुभा पोग्गला सुभे पोग्गलपरिणामे, राई
असुभा पोग्गला असुभे पोग्गलपरिणामे । से तेण?णं ।। २३६. नेरइयाणं भंते ! कि उज्जोए ? अंधयारे ?
गोयमा ! नेरइयाणं नो उज्जोए, अंधयारे ।। २४०. से केणटेणं?
गोयमा ! नेरइयाणं असुभा पोग्गला असुभे पोग्गलपरिणामे । से तेण?णं॥ २४१. असुरकुमाराणं भंते ! कि उज्जोए ? अंधयारे ?
गोयमा ! असुरकुमाराणं उज्जोए, नो अंधयारे ।। २४२. से केण?णं ? गोयमा ! असुरकुमाराणं सुभा पोग्गला सुभे पोग्गलपरिणामे ।
से तेण?णं । जाव' थणियकुमाराणं ॥ २४३. पुढविक्काइया जाव तेइंदिया 'जहा ने रइया" ॥ २४४. चउरिदियाणं भंते ! कि उज्जोए ? अंधयारे ?
गोयमा ! उज्जोए वि, अंधयारे वि ।। २४५. से केण?णं ? गोयमा ! चरिदियाणं सुभासुभा य पोग्गला सुभासुभे य
पोग्गलपरिणामे । से तेणट्रेणं ॥ २४६. एवं जाव' मणुस्साणं ।। २४७. वाणमंतर-जोइस वेमाणिया जहा असुरकुमारा ।। मणुस्सखेत्ते समयादि-पद २४८. अस्थि णं भंते ! नेरइयाणं तत्थगयाणं एवं पण्णायए, तं जहा--समया इ वा,
प्रावलिया इ वा जाव प्रोसप्पिणी इ वा, उस्सप्पिणी इ वा ?
णो तिणटे समटे । २४६. से केणद्वेण भंते ! एवं वुच्चइ--नेरइयाणं तत्थगयाणं नो एवं पण्णायए,
तं जहा° ---समया इ वा, श्रावलिया इ वा जाव प्रोसप्पिणी इ वा, उस्सप्पिणी इवा? गोयमा ! इहं तेसिं माणं, इहं तेसिं पमाणं, इह तेसि एवं पण्णायए, तं जहासमया इ वा जाव उस्सप्पिणी इ वा । से तेणटेणं जाव नो एवं पण्णायए, तं जहा-समया इ वा जाव उस्सप्पिणी इ वा ।।
१. रत्ति (ता, ब, म)।
६. पू० प० २। २. जाव एवं वुच्चइ जाव (अ, क, ता, ब, म, स) ७. भ० ५।२४१, २४२ । ३. थरिणयाणं (क, ता, ब, म, स)।
८. ठा० २।३८७-३८६ । ४. पू० प०२।
६. सं० पा०-केगडेरणं जाव समया। ५. नेरइया जहा (क, ता, ब, म); भ० ५।२३६, १०. ठा० २।३८७-३८६ ।
२४०।
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२३१
पंचमं सतं (नवमो उद्देसो) २५०. एवं जाव' पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं ॥ २५१. अस्थि णं भंते ! मणुस्साणं इहगयाणं एवं पण्णायते', तं जहा--समया इ वा
जाव' उस्सप्पिणी इ वा ?
हंता अत्थि ॥ २५२. से केणटेणं? गोयमा ! इहं तेसि माणं, इहं तेसिं पमाणं, इहं चेव' तेसि एवं
पण्णायते, तं जहा-समया इ वा जाव उस्सप्पिणी इ वा । से तेण?णं ॥ २५३. वाणमंतर-जोइस-वेमाणियाणं जहा ने रइयाणं ।। पासावच्चिज्ज-पदं २५४. तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो जेणेव समणे भगवं
महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अदूरसामते ठिच्चा एवं वयासी–से नणं भंते ! असंखेज्जे लोए अणंता राइंदिया उपज्जिसु वा, उप्पज्जति वा, उप्पज्जिस्संति वा? विच्छिसुवा, विगच्छंति वा, विगच्छिस्संति वा ? परित्ता राइंदिया उपज्जिसू वा, उप्पज्जति वा, उप्पज्जिस्संति वा ? विच्छिंसु वा, विगच्छंति वा, विगच्छिस्संति वा ?
हंता अज्जो ! असंखेज्जे लोए अणंता राइंदिया तं चेव ॥ २५५. से केणद्वेणं जाव विगच्छिस्संति वा?
से नणं भे अज्जो ! पासेणं अरहया पुरिसादाणिएणं सासए लोए बुइए-अणादीए प्रणवदग्गे परित्ते परिवुडे हेट्ठा विच्छिण्णे, मज्झे संखित्ते, उप्पि विसाले, अहे पलियंकसंठिए, मज्झे वरवइरविग्गहिए, उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठिए । तेसि च णं सासयंसि लोगंसि प्रणादियंसि अणवदग्गंसि परित्तंसि परिवुडंसि हेट्ठा विच्छिण्णंसि, मज्झे संखित्तंसि, उप्पि विसाल सि, अहे पलियंकसंठियं सि, मझे वरवइरविग्गहियसि, उप्पिउद्धमुइंगाकारसंठियसि अणंता जीवघणा उप्पज्जित्ताउप्पज्जित्ता निलीयंति, परित्ता जीवघणा उप्पज्जित्ता-उप्पज्जित्ता निलीयंति । से भूए' उप्पण्णे विगएपरिणए, अजीवेहि लोक्कइ पलोक्कइ, जे लोक्कइ से लोए? हंता भगवं ! से तेणढेणं अज्जो ! एवं वुच्चइ-असंखेज्जे लोए अणंता राइंदिया तं चेव ।
१. पू०प० २। २. पण्णायति (अ, क, ब, म);पण्णायइ ता। ३. ठा० २।३८७-३८६ । ४. ठा० २।३८७-३८६ ।
५. भ० ५।२४८-२४६ । ६. विगिच्छुिसु (अ, ता, म)। ७. नूरणं (स)।
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२३२
भगवई तप्पभिइं च णं ते पासावच्चेज्जा थेरा भगवंतो समणं भगवं महावीरं पच्चभि
जाणंति सवण्ण सव्वदरिसी। २५६. तए णं ते थेरा भगवंतो समण भगवं महावीरं वदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भं अंतिए चाउज्जामाओ धम्मायो पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए।
अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ २५७. तए णं ते पासावच्चिज्जा थेरा भगवंतो चाउज्जामाग्रो धम्मानो पंचमहव्वइयं
सपडिक्कमणं धम्म उवसंपज्जित्ताणं विहरंति जाव' चरिमेहि उस्सास-निस्सासेहि सिद्धा' 'बुद्धा मुक्का परिनिव्बुडा सव्वदुक्खप्पहीणा । अत्थेगतिया
देवलोएसु' उववण्णा ।। देवलोय-पदं २५८. कइविहा णं भंते ! देवलोगा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चउब्विहा देवलोगा पण्णत्ता, तं जहा-भवणवासी 'वाणमंतरजोतिसिय-वेमाणियभेदेणं । भवणवासी दसविहा, वाणमंतरा अट्ठविहा, जोतिसिया पंचविहा वेमाणिया
दुविहा। संगहणी-गाहा
किमिदं रायगिहं ति य, उज्जोए अंधया र-समए य।
पासंतिवासिपुच्छा, रातिदिय देवलोगा य॥१॥ २५९. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥
दसमो उद्देसो २६०. तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नगरी, जहा पढमिल्लो उद्देसनो' तहा
नेयन्वो एसो वि, नवरं-चंदिमा भाणियव्वा ।।
१. भ० ११४३३ । २. सं० पा०-सिद्धा जाव सव्व ° । ३. देवा देवलोएस (अ, क, ता, ब, म)।
४. वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया भेदेणं
(अ, ता, म)। ५. भ० १२५१ । ६. अस्यैव शतकस्य ।
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छठें सतं
पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा
१. वेदण २. आहार ३. महस्सवे य ४. सपदेश ५. तमुए' ६. भविए।
७. साली ८. पुढवी ६. 'कम्म १०. अण्णउत्थि'' दस छट्ठगम्मि सए ॥१॥ पसत्थनिज्जराए सेयत्त-पदं १. से नणं भंते ! जे महावेदणे से महानिज्जरे ? जे महानिज्जरे से महावेदणे ?
महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थनिज्जराए ? हंता गोयमा ! जे महावेदणे से महानिज्जरे, जे महानिज्जरे से महावेदणे,
महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थनिज्जराए । २. छट्ठ-सत्तमासु णं भंते ! पुढवीसु नेरइया महावेदणा ?
हंता महावेदणा ॥ ३. ते णं भंते ! समणेहितो निग्गंथेहितो महानिज्जरतरा ?
गोयमा ! नो इण? समढें ॥ से केणं खाइ अद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जे महावेदणे °से महानिज्जरे ? जे महानिज्जरे से महावेदणे ? महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे° पसत्थनिज्जराए ? गोयमा ! से जहानामए दुवे वत्था सिया-एगे वत्थे कद्दम रागरत्ते, एगे वत्थे खंजणरागरत्ते । एएसि णं गोयमा ! दोण्हं वत्थाणं कयरे वत्थे दुद्धोयतराए चेव, दुवामतराए चेव, दुपरिकम्मतराए चेव; कयरे वा वत्थे सुद्धोयतराए चेव,
१. तमुयाए (क्व०)। २. कम्मण्णउत्थि (क, ता, ब, म)।
३. सं० पा०–एवं चेव । ४. सं० पा०-महावेदणे जाव पसत्थनिज्जराए
२३३
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२३४
भगवई
सुवामत राए चेव, सुपरिकम्मतराए चेव ; जे वा से वत्ये कद्दमरागरत्ते ? जे वा से वत्थे खंजणरागरते ? भगवं ! तत्थ णं जे से कद्दम रागरत्ते, से णं वत्थे दुद्धोयतराए चेव, दुवामतराए चेव, दुप्परिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाइं कम्माइं गाढीकयाई, चिक्कणीकयाई, सिलिट्टीकयाई, खिलीभूताई" भवति । संपगाढं पिय णं ते वेदणं वेदेमाणा नो महानिज्जरा, नो महापज्जवसाणा भवंति । से जहा वा केइ पुरिसे अहिगरणि प्राउडेमाणे महया-महया सद्देणं, महया-महया घोसेणं, महया-महया परंपराधाएणं नो संचाएइ तीसे अहिगरणीए केइ अहाबायरे पोग्गले परिसाडित्तए, एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाइं कम्माइं गाढीकयाई, चिक्कणीकयाइं, सिलिट्ठीकयाइं, खिलीभूताई भवंति। संपगाढं पि य णं ते वेदणं वेदेमाणा नो महानिज्जरा,° नो महापज्जवसाणा भवंति । भगवं ! तत्थ जे से खंजण रागरत्ते, से णं वत्थे सुद्धोयतराए चेव, सुवामतराए चेव, सुपरिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराई कम्माइं सिढिलीकयाइं, निट्ठियाइं कयाई", विप्परिणामियाइं खिप्पामेव विद्धस्थाइं भवंति। जावतियं तावतियं पिणं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा, महापज्जवसाणा भवंति । से जहानामए केइ पुरिसे सुक्कं तणहत्थयं जायतेयंसि पक्खिवेज्जा, से नणं गोयमा! से मुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जति ? हंता मसमसाविज्जति । एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराइं कम्माइं९, सिढिलीकयाई, निट्रियाइं कयाइं, विप्परिणामियाइं खिप्पामेव विद्धत्थाई भवंति । जावतियं तावतियं पि णं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा,° महापज्जवसाणा भवंति। से जहानामए केइ पुरिसे तत्तंसि अयकवल्लसि उदगबिंदु:२ •पक्खिवेज्जा, से नणं गोयमा ! से उदगबिंदु तत्तंसि अयकवल्लसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धंसमागच्छइ ? '
हंता विद्धंसमागच्छइ । १. से वत्थे (क, ब, म)।
७. सं० पा०-गाढीकयाइं जाव नो। २. भंते (ब, म)।
८. ° सागाइं (अ, स)। ३. X (अ)।
९. से वत्थे (अ, क, ता, ब, म, स)। ४. सिढिलीकयाइं (म, स)।
१०. कडाइं (अ, क, ता, ब, म, स)। ५. खिलीकयाई (अ, स)।
११. सं० पा०-कम्माइं जाव महा । ६. आकोडेमाणे (अ, क, ता, ब, म, स)। १२. सं० पा०-उदगबिदुं जाव हंता।
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छटुं सतं (पढमो उद्देसो)
२३५ एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं' 'अहाबायराई कम्माई, सिढिलीकयाई, निट्टियाइं कयाइं, विप्परिणामियाइं खिप्पामेव विद्धत्थाइं भवंति। जावतियं तावतियं पि णं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा,° महापज्जवसाणा भवंति। से तेणद्वेणं जे महावेदणे से महानिज्जरे जे महानिज्जरे से महावेदणे, महावेदणस्स य अप्पवेदणस्स य से सेए जे पसत्थ निज्जराए ।
करण-पद ५. कतिविहे णं भंते ! करणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! चउन्विहे करणे पण्णत्ते, तं जहा-मणकरणे, वइकरणे, कायकरणे
कम्मकरणे ॥ ६. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे करणे पण्णते ?
गोयमा ! चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा ---मणकरणे, वइकरणे, कायकरणे,
कम्मकरणे ॥ ७. एवं पंचिंदियाणं सव्वेसि चउव्विहे करणे पण्णत्ते ।
एगिदियाणं दुविहे-कायकरणे य, कम्मकरणे य। विगलिदियाणं तिविहे.-वइकरणे, कायकरणे, कम्मकरणे। नेरइयाणं भंते ! कि करणो असायं वेदणं वेदेति ? प्रकरणो असायं वेदणं वेदेति ? गोयमा ! नेरइया णं करणो असायं वेदणं वेदेति, नो अकरणपो असायं
वेदणं वेदेति ॥ है. से केणट्रेणं ? गोयमा ! नेरइया णं चउविहे करणे पण्णत्ते, तं जहा-मणकरणे
वइकरणे, कायकरण, कम्मकरणे । इच्चेएणं चउविहेणं असुभेणं करणेणं
नेरइया करणो अस्सायं वेदणं वेदेति, नो अकरणो । से तेण?ण ।। १०. असुरकुमारा णं किं करणो ? अकरणो?
गोयमा ! करणो, नो अकरणो । ११. से केण?णं ? गोयमा ! असुरकुमाराणं चउव्विहे करणे पण्णत्ते, तं जहा
मणकरणे, वइकरणे, कायकरणे, कम्मकरणे। इच्चेएणं सुभेणं करणेणं असुर
कुमारा करणो सातं वेदणं वेदेति, नो अकरणो।। १२. एवं जाव' थणियकुमारा ।
३. पू०प०२।
१. सं० पा०-निग्गंथाणं जाव महा° । २. सं० पा०-महानिज्जरे जाव निज्जराए।
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२३६
भगवई
१३. पुढवीकाइयाणं एवामेव पुच्छा, नवरं - इच्चेएणं सुभासुभेणं' करणेणं पुढविक्काइया करण वेमायाए वेदणं वेदेंति, नो प्रकरण ॥
१४. प्रोरालियसरीरा सव्वे सुभासुभेणं वेमायाए । देवा सुभेणं सायं ॥
महावेदणा - महानिज्जरा- चउभंग-पदं
१५. जीवा णं भंते ! किं महावेदणा महानिज्जरा ? महावेदणा प्रप्पनिज्जरा ? पवेदा महानिज्जरा ? अप्पवेदणा अप्पनिज्जरा ?
गोमा ! अत्येतिया जीवा महावेदणा महानिज्जरा, प्रत्येगतिया जीवा महावेदणा अप्पनिज्जरा, प्रत्थेगतिया जीवा अप्पवेदणा महानिज्जरा, प्रत्थेगतिया जीवा अपवेदा अप्पनिजरा ॥
१६. से केणट्टेणं ?
गोयमा ! पडिमा पडिवन्नए अणगारे महावेदणे महानिज्जरे । छट्ट-सत्तमासु पुढवीसु नेरइया महावेदणा अप्पनिज्जरा । सेलेसि पडिवन्नए अणगारे अप्पवेदणे महानिज्जरे । प्रणुत्तरोववाइया देवा अप्पवेदणा अप्पनिज्जरा ॥ १७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।
संग्रहणी - गाहा
महावेद यवत्थे, कम- खंजणकर य प्रहिगरणी । तणहत्थे य कवल्ले, करण - महावेदणा जीवा ॥१॥
१. असुभे (म ) ।
२. विविधमाया कदाचित् साताम् कदाचित् श्रसातामित्यर्थः (वृ) |
३. सत्तमी (क, ता, ब, म) ।
४. भ० १।५१ ।
५. अतोग्रे 'सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति' पाठः सर्वेषु आदर्शेषु अस्ति, किन्तु संग्रहणी - गाथाया अनंतरं अस्य किं प्रयोजनं न ज्ञायते ।
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छटुं सतं (तइओ उद्देसो)
२३७ बीभो उद्देसो १८. रायगिहं नगरं जाव' एवं वयासी-आहारुद्देसयो जो पण्णवणाए' सो सव्वो
निरवसेसो नेयन्वो । १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥
दि
तइनो उद्देसो संगहणी-गाहा
१. बहुकम्म २. वत्थपोग्गल-पयोगसा-वीससा य ३. सादीए । ४. कम्मट्ठिति ५. त्थि ६. संजय ७. सम्मदिट्ठी य ८. सन्नी य ॥१॥ ६.भविए १०.दसण ११. पज्जत्त १२.भासय १३. परित्ते १४.नाण १५. जोगेय ।
१६, १७. उवओगाहारग १८. सुहुम १६. चरिमबंधे य २०. अप्पबहुं ॥२।। महाकम्मादीणं पोग्गलबंधादि-पदं २०. से नणं भंते ! 'महाकम्मस्स, महाकिरियस्स, महासवस्स", "महावेदणस्स सव्वो
पोग्गला बझंति, सव्वग्रो पोग्गला चिज्जति, सव्वग्रो पोग्गला उवचिज्जति ; सया समियं पोग्गला बझंति, सया समियं पोग्गला चिज्जति, सया समियं पोग्गला उवचिज्जति; सया समियं च णं तस्स पाया दुरूवत्ताए दुवण्णत्ताए दुगंधत्ताए दुरसत्ताए दुफासत्ताए, अणिद्वत्ताए अकंतत्ताए अप्पियत्ताए असुभत्ताए प्रमणुण्णत्ताए अमणामत्ताए अणिच्छियत्ताए अभिज्झियत्ताए अहत्ताए-नो उड्ढत्ताए, दुक्खत्ताए–नो सुहत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ?
हंता गोयमा ! महाकम्मस्स तं चेव ।। २१. से केणद्वेणं ? गोयमा ! से जहानामए वत्थस्स अहयस्स वा, धोयस्स वा,
तंतुग्गयस्स वा आणुपुवीए परिभुज्जमाणस्स सव्वग्रो पोग्गला बझंति, सव्वग्रो पोग्गला चिज्जति जाव' परिणमंति से तेण?णं ।।
१. भ० ११४-१०। २. प०२८ । ३. भ० ११५१ । ४. महस्सवस्स (ता, म)।
५. महाकम्मस्स महासवस्स महाकिरियस्स (अ);
महासवस्स, महाकम्मस्स महाकिरियस्स
(क, ता, म, स)। ६. भ०६।२०।
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२३८
भगवई अप्पकम्मादीणं पोग्गलभेदादि-पदं २२. से नणं भंते ! अप्पकम्मस्स, अप्पकिरियस्स, अप्पासवस्स, अप्पवेदणस्स सव्वग्रो
पोग्गला भिज्जति, सव्वो पोग्गला छिज्जति, सव्वनो पोग्गला विद्धंसंति, सव्वनो पोग्गला परिविद्धंसंति; सया समियं पोग्गला भिज्जति, सया समियं पोग्गला छिज्जति, सया समियं पोग्गला विद्धंस्संति, सया समियं पोग्गला परिविद्धंस्संति; सया समियं च णं तस्स आया सुरूवत्ताए' सुवण्णत्ताए सुगंधताए सुरसत्ताए सुफासत्ताए इट्टत्ताए कंतत्ताए पियत्ताए सुभत्ताए मणुण्णत्ताए मणामत्ताए इच्छियत्ताए अणभिज्झियत्ताए उड्ढत्ताए-नो अहत्ताए°, सुहत्ताए -नो दुक्खत्ताए भुज्जो-भुज्जो परिणमंति ?
हंता गोयमा ! जाव परिणमंति ॥ २३. से केणद्वेणं ? गोयमा ! से जहानामए वत्थस्स जल्लियस्स वा, पंकियस्स वा,
मइल्लियस्स वा, रइल्लियस्स' वा आणुपुवीए परिकम्मिज्जमाणस्स सुद्धणं वारिणा धोव्वेमाणस्स' सव्वग्रो पोग्गला भिज्जति जाव परिणमंति। से
तेण?णं ॥ कम्मोवचय-पदं २४. वत्थस्स णं भंते ! पोग्गलोवचए कि पयोगसा ? वीससा ?
गोयमा ! पयोगसा वि, वीससा वि ।। २५. जहा णं भंते ! वत्थस्स णं पोग्गलोवचए पयोगसा वि, वीससा वि, तहा णं
'जीवाणं कम्मोवचए" किं पयोगसा? वीससा ? गोयमा ! पयोगसा', नो वीससा ॥ से केणद्वेणं ? गोयमा ! जोवाणं तिविहे पयोगे पण्णत्ते, तं जहा-मणप्पयोगे, वइप्पयोगे, कायप्पयोगे। इच्चेएणं तिविहेणं पयोगेणं जीवाणं कम्मोवचए पयोगसा, नो वीससा। एवं सव्वेसि पंचिदियाणं तिविहे पयोगे भाणियव्वे । पुढवीकाइयाणं एगविहेणं पयोगेणं, एवं जाव वणस्सइकाइयाणं । विगलिदियाणं दुविहे पयोगे पण्णत्ते, तं जहा-- वइपयोगे, कायपयोगे य।
२६.
१. सं. पा.-पसत्थं नेयव्वं जाव सुहत्ताए। २. रतिल्लियस्स (ब, म, स)। ३. धोव्व° (अ, क, ब, म)। ४. भ०६।२२।
५. भंते ! जीवस्स पुग्गलोवचए (ब)। ६. पओगसा (स)। ७. भ० ११४३७ । ८. वय ° (क, ब, म, स)।
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छ8 सतं (तइओ उद्देसो)
२३६ इच्चेएणं दुविहेणं पयोगेणं कम्मोवचए पयोगसा, नो वीससा। से तेणटेणं' *गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवाणं कम्मोवचए पयोगसा°, नो वीससा । 'एवं
जस्स जो पयोगो जाव वेमाणियाणं ।। कम्मोवचयस्स सादि-अनादित्त-पदं २७. वत्थस्स णं भंते ! पोग्गलोवचए कि सादीए सपज्जव सिए ? सादीए अपज्जव
सिए ? अणादीए सपज्जवसिए ? अणादीए अपज्जवसिए ? गोयमा ! वत्थस्स णं पोग्गलोवचए सादीए सपज्जवसिए, नो सादीए अपज्जव
सिए, नो अणादीए सपज्जवसिए, नो अणादीए अपज्जवसिए । २८. जहा णं भंते ! वत्थस्स पोग्गलोवचए सादीए सपज्जवसिए, नो सादीए
अपज्जवसिए, नो अणादीए सपज्जवसिए, नो अणादीए अपज्जवसिए, तहा णं जीवाणं कम्मोवचए पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतियाणं जीवाणं कम्मोवचए सादीए सपज्जवसिए, अत्थेगतियाणं अणादीए सपज्जवसिए, अत्थेगतियाणं अणादीए अपज्जवसिए, नो चेव
णं जीवाणं कम्मोवचए सादीए अपज्जवसिए॥ २६. से केणद्वेणं ? गोयमा ! इरियावहियबंधयस्स कम्मोवचए सादीए सपज्जवसिए,
भवसिद्धियस्स कम्मोवचए अणादीए सपज्जवसिए, अभवसिद्धियस्स कम्मो
वचए अणादीए अपज्जवसिए । से तेणटेणं ॥ जीवाणं सादि-अनादित्त-पदं ३०. वत्थे णं भंते ! किं सादीए सपज्जवसिए-चउभंगो ?
गोयमा ! वत्थे सादीए सपज्जवसिए, अवसेसा 'तिण्णि वि" पडिसेहेयव्वा ।। ३१. जहा णं भंते ! वत्थे सादीए सपज्जवसिए, नो सादीए अपज्जवसिए, नो
अणादीए सपज्जवसिए, नो अणादीए अपज्जवसिए, तहा णं जीवा किं सादीया सपज्जवसिया? चउभंगो-पुच्छा।
गोयमा ! अत्थेगतिया सादीया सपज्जवसिया- चत्तारि वि भाणियव्वा ।। ३२. से केण?णं ? गोयमा ! नेरतिय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवा गतिरागति
पडुच्च सादीया सपज्जवसिया, सिद्धा गति पडुच्च सादीया अपज्जवसिया, भवसिद्धिया लद्धि पडुच्च अणादीया सपज्जवसिया, अभवसिद्धिया संसारं पडुच्च प्रणादीथा अपज्जवसिया। से तेणट्रेणं ॥
१. सं० पा०-तेणद्वेणं जाव नो। २. एतद् द्विरुक्तमिव आभाति ।
३. रिया° (अ, ता, ब, म)। ४. X (अ); तिणि (क, ता, ब, म)।
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२४०
भगवई
कम्मपगडी बंध विवेयण-पदं ३३. कति णं भंते ! कम्मप्पगडीओ पण्णतायो ?
गोयमा ! अद्र कम्मप्पगडीयो पण्णत्ताओ, तं, जहा-१. नाणावरणिज्ज २. दरिसणावरणिज्ज' •३. वेदणिज्ज ४. मोहणिज्ज ५. पाउगं ६. नाम ७. गोयं°
८. अंतराइयं ॥ ३४. नाणावरणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स केवतियं कालं बंधद्विती पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीओ, तिण्णि य वाससहस्साइं अबाहा, प्रबाहूणिया कम्मद्विती--कम्मनिसेप्रो। "दरिसणावरणिज्जं जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीग्रो, तिण्णि य वाससहस्साइं अबाहा, अबाहूणिया कम्मद्विती-कम्मनिसेग्रो । वेदणिज्जं जहण्णेणं दो समया, उक्कोसेणं' 'तीसं सागरोवमकोडाकोडीअो, तिण्णि य वाससहस्साई अबाहा, अबाहूणिया कम्मट्टिती-कम्मनिसेप्रो । मोहज्जिं जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सत्तरिसागरोवमकोडाकोडीअो, सत्त य वाससहस्साणि अबाहा, अवाहणिया कम्मट्रिती-कम्मनिसेग्रो।। पाउगं जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाणि पुव्वकोडितिभागमब्भहियाणि, कम्मट्टिती-कम्मनिसेओ। नाम-गोयाणं जहण्णेणं अट्ठ मुहुत्ता, उक्कोसेणं वीसं सागरोवमकोडाकोडीग्रो, दोण्णि य वाससहस्साणि अबाहा, अबाहूणिया कम्मद्विती--कम्मनिसेप्रो । अंतराइयं 'जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तीसं सागरोवमकोडाकोडीग्रो,
तिण्णि य वाससहस्साइं अबाहा, अबाहूणिया कम्मट्टिती--कम्मनिसेप्रो० ॥ ३५. नाणावरणिज्ज" णं भंते ! कम्मं किं इत्थी बंधइ ? पुरिसो बंधइ ? नपुंसनो
बंधइ ? नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसनो बंधइ ? गोयमा ! इत्थी वि बंधइ, पुरिसो वि बंधइ, नपुंसनो वि बंधइ । नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसो सिय बंधइ सिय नो बंधइ ।
एवं आउगवज्जारो सत्त कम्मप्पगडीओ ।। ३६. अाउगं णं भंते ! कम्मं किं इत्थी बंधइ ? पुरिसो बंधइ ? नपुंसनो बंधइ ?
'नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसओ बंधइ ?'५ ।
१. दंसरणा (ब); सं० पा०-दरिसरणावररिण- ४. सं० पा०-जहा नाणावरणिज्ज । ___ जं जाव अंतराइयं ।
५. नाणावरणिज्जे (म, स)। २. सं० पा०–एवं दरिसणावरणिज्जं पि। ६. पुच्छा (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. सं० पा०-जहा नारणावरणिज्जं ।
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छटुं सतं (तइओ उद्देसो)
२४१ गोयमा ! इत्थी सिय बंधइ, सिय नो बंधइ । 'पुरिसो सिय बंधइ, सिय नो बंधइ । नपुंसनो सिय बंधइ, सिय नो बंधइ ।° नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसमो
न बंधइ॥ ३७. नाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्म कि संजए बंधइ ? अस्संजए बंधइ ? संजया
संजए बंधइ ? नोसंजए नोअसंजए नोसंजयासंजए बंधइ ? गोयमा ! संजए सिय बंधइ, सिय नो बंधइ । अस्संजए बंधइ, संजयासंजए वि बंधइ । नोसंजए नोअस्संजए नो संजयासंजए न बंधइ । एवं आउगवज्जायो सत्त वि । अाउगे हेट्ठिल्ला तिण्णि भयणाए, उवरिल्ले न
बंधइ ।। ३८. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं किं सम्मदिट्ठी बंधइ ? मिच्छदिट्ठी' बंधइ ?
सम्मामिच्छदिट्ठी बंधइ ? गोयमा ! सम्मदिट्ठी सिय बंधइ, सिय नो बंधइ । मिच्छदिट्ठी बंधइ, सम्मामिच्छदिट्ठी बंधइ। एवं आउगवज्जानो सत्त वि । आउगे हेट्ठिल्ला दो भयणाए, सम्मामिच्छदिट्ठी
न बंधइ॥ ३६. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं कि सण्णी बंधइ ? असण्णी बंधइ ? नोसण्णी
नोअसण्णी बंधइ? गोयमा ! सण्णो सिय बंधइ, सिय नो बंधइ । असण्णी बंधइ। नोसण्णी नोअसण्णी न बंधइ। एवं वेदणिज्जाउगवज्जारो छ कम्मप्पगडीयो। वेदणिज्ज हेट्टिल्ला दो बंधंति,
उवरिल्ले भयणाए । अाउगं हेट्ठिल्ला दो भयणाए, उवरिल्ले न बंधइ ।। ४०. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं किं भवसिद्धिए बंधइ ? अभवसिद्धिए बंधइ ?
नोभवसिद्धिए नोअभवसिद्धिए बंधइ ? गोयमा ! भवसिद्धिए भयणाए, अभवसिद्धिए बंधइ । नोभवसिद्धिए नोअभवसिद्धिए न बंधइ। एवं ग्राउगवज्जाओ सत्त वि । आउगं हेढिल्ला दो भयणाए। उवरिल्ले न
बंधइ॥ ४१. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्म कि चक्खुदंसणी बंधइ ? अचक्खुदंसणी बंधइ ?
प्रोहिदंसणी बंधइ ? केवलदसणी बंधइ ? गोयमा ! हेडिल्ला तिण्णि भयणाए, उवरिल्ले न बंधइ । एवं वेदणिज्जवज्जारो सत्त वि । वेदणिज्जं हेछिल्ला तिण्णि बंधंति, केवलदसणी भयणाए॥
१. सं० पा०-एवं तिणि वि भारिणयब्वा।
२. मिच्छा० (क)।
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२४२
भगवई
४२. नाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं कि पज्जत्तए बंधइ ? अपज्जत्तए बंधइ ?
नोपज्जत्तए नोअपज्जत्तए बंधइ ? गोयमा ! पज्जत्तए भयणाए, अपज्जत्तए बंधइ। नोपज्जत्तए नोअपज्जत्तए न बंधइ।
एवं आउगवज्जायो सत्त वि । आउगं हेट्ठिल्ला दो भयणाए, उवरिल्ले न बंधइ॥ ४३. नाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं किं भासए बंधइ ? अभासए बंधइ ?
गोयमा ! दो वि भयणाए।
एवं वेदणिज्जवज्जाओ सत्त वि । वेदणिज्जं भासए बंधइ, अभासए भयणाए । ४४. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं कि परित्ते बंधइ ? अपरित्ते बंधइ ? नोपरित्ते
नोअपरित्ते बंधइ ? गोयमा ! परित्ते भयणाए, अपरित्ते बंधइ। नोपरित्ते नोअपरित्ते न बंधइ। एवं आउगवजारो सत्त कम्मप्पगडीअो । आउयं परित्ते
वि, अपरित्ते वि भयणाए, नोपरित्ते नोअपरित्ते न बंधइ॥ ४५. नाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं किं आभिणिबोहियनाणी बंधइ ? सुयनाणी
बंधइ ? अोहिनाणी बंधइ ? मणपज्जवनाणी बंधइ ? केवलनाणी बंधइ ? गोयमा ! हेट्ठिल्ला चत्तारि भयणाए । केवलनाणी न बंधइ । एवं वेदणिज्जवज्जानो सत्त वि । वेदणिज्जं हेटिल्ला चत्तारि बंधंति. केवल
नाणी भयणाए । ४६. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं कि मइअण्णाणी बंधइ ? सुयअण्णाणी बंधइ ?
विभंगनाणी बंधइ ?
गोयमा ! आउगवज्जास्रो सत्तवि बंधंति, आउगं भयणाए ।। ४७. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्म कि मणजोगी बंधइ ? वइजोगी' बंधइ ?
कायजोगी बंधइ ? अजोगी बंधइ ? गोयमा ! हेट्ठिल्ला तिण्णि भयणाए, अजोगी न बंधइ। एवं वेदणिज्जवज्जानो सत्त वि । वेदणिज्जं हेट्ठिल्ला बंधंति, अजोगी न बंधइ।। नाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं कि सागारोवउत्ते' बंधइ ? अणागारोव उत्ते बंधइ ?
गोयमा ! अट्ठसु वि भयणाए । ४६. नाणावरणिज्ज णं भंते ! कम्मं कि आहारए बंधइ ? अणाहारए बंधइ ?
गोयमा ! दो वि भयणाए। एवं वेदणिज्जाउगवज्जाणं छण्हं । वेदणिज्ज आहारए बंधइ, अणाहारए भय
णाए । आउए आहारए भयणाए, अणाहारए न बंधइ ॥ १. आउए (अ, ब, स)।
३. सागारोवयुत्ते (अ, स)। २. वय° (म, स)।
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२४३
सतं (उत्थो उद्देसो)
५०. नाणावरणिज्जं णं भंते ! कम्मं किं सुहुमे बंधइ ? बादरे बंधइ ? नोसुहुमे
नोबादरे बंधइ ?
गोमा ! हमे बंधइ, बादरे भयणाए । नोसुहुमे नोबादरे न बंधइ ।
एवं
उगवज्जाश्रो सत्त | उगं सुहुमे बादरे भयणाए । नोसुहुमे नोबादरे न बंधइ ॥
५१. नाणावर णिज्जं णं भंते ! कम्मं किं चरिमे बंधइ ? अचरिमे बंधइ ? विभयणाए ॥
गोमा !
वेदगावेदगाण जीवाणं अप्पाबहुयत्त-पदं
५२. एएसि णं भंते! जीवाणं इत्थीवेदगाणं पुरिसवेदगाणं, नपुंसगवेदगाणं, वेदगाण य करे करेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? ० गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा पुरिसवेदगा, इत्थिवेदगा संखेज्जगुणा, अवेदगा प्रणतगुणा, नपुंगवेदगा प्रणतगुणा ।
एएस सव्वेसि पदाणं' ग्रप्प - बहुगाई उच्चारेयव्वाइं जाव' सव्वत्थोवा जीवा रिमा, चरिमा अनंतगुणा ॥
५३. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति ।।
उत्थो उद्देसो
कालादेसेणं सपदेस - श्रपदेस-पदं
५४. जीवे णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसे ? अपदेसे ? गोमा ! नियमा सपदेसे ॥
५५. नेरइए णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसे ? अपदेसे ? गोयमा ! सिय सपदेसे, सिय पदे ||
५६. एवं जाव' सिद्धे ॥
५७. जीवा णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसा ? अपदेसा ? गोयमा ! नियमा सपदेसा ॥
१. सं० पा० - करेहिंतो जाव विसेसाहिया ।
२. भ० ६।३७-५१ ।
३. ५० ३ ।
४. भ० १।५१ ।
५. पू० प० २ ।
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२४४
भगवई
५८. नेरइया णं भंते ! कालादेसेणं किं सपदेसा ? अपदेसा?
गोयमा ! १. सव्वे वि ताव होज्जा सपदेसा २. अहवा सपदेसा य अपदेसे य
३. अहवा सपदेसा य अपदेसा य । ५६. एवं जाव' थणियकुमारा॥ ६०. पुढविकाइया णं भंते ! कि सपदेसा ? अपदेसा?
गोयमा ! सपदेसा वि, अपदेसा वि ।। ६१. एवं जाव' वणप्फइकाइया' । ६२. सेसा जहा ने रइया तहा जाव' सिद्धा ।। ६३. पाहारगाणं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। अणाहारगाणं जीवेगिदियवज्जा
छन्भंगा एवं भाणियव्वा-१. सपदेसा वा २. अपदेसा वा ३. अहवा सपदेसे य अपदेसे य ४. अहवा सपदेसे य अपदेसा य ५. अहवा सपदेसा य अपदेसे य ६. अहवा सपदेसा य अपदेसा य । सिद्धेहि तियभंगो । भवसिद्धिया, अभवसिद्धिया जहा प्रोहिया । नोभवसिद्धिय-नोप्रभवसिद्धियजीव-सिद्धेहि तियभंगो। सण्णीहि जीवादियो तियभंगो । असण्णीहि एगिदियवज्जो तियभंगो । नेरइयदेवमणुएहि छब्भंगो। नोसण्णि-नोअसण्णि-जीव-मणुय-सिद्धेहि तियभंगो। सलेसा जहा ओहिया। कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा जहा आहारो, नवरं--जस्स अत्थि एयाओ। तेउलेस्साए जीवादियो तियभंगो, नवरंपुढविक्काइएसु, पाउवणप्फतीसु छन्भंगा। पम्हलेस्स-सुक्कलेस्साए जीवादियो तियभंगो । अलेसेहिं जीव-सिद्धेहि तियभंगो। मणुएसु छब्भंगा। सम्मद्दिट्ठीहि जीवादियो तियभंगो। विगलिदिएसु छन्भंगा। मिच्छदिट्ठीहि एगिदियवज्जो तियभंगो । सम्मामिच्छदिट्ठीहि छब्भंगा। संजएहिं जीवादियो तियभंगो । अस्संजएहि एगिदियवज्जो तियभंगो। संजयासंजएहि तियभंगो जीवादियो । नोसंजय-नोअसंजय-नोसंजयासंजय-जीव-सिद्धेहि तियभंगो। सकसाईहिं जीवादियो तियभंगो। एगिदिएसु अभंगकं । कोहकसाईहि जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। देवेहि छब्भंगा। माणकसाई-मायाकसाईहिं जीवेगि
१. पू० प० २। २. पू०प० २। ३. वणस्सइ° (क)। ४. भ० ६।५५, ५८ । ५. पू० प० २। ६. जीवपदे एकेन्द्रियपदे च सपएसा य अप्पएसा
य इत्येवंरूपः एक एव भंगकः, बहूनां विग्रहगत्यापन्नानां सप्रदेशानामप्रदेशानां च
लाभात् (कृ)। ७. भ० ६।५४, ५७। ८. असंजएहिं (क, म)। ६. सकसादीहि (ता)।
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२४५
छटुं सतं (चउत्थो उद्देसो)
दियवज्जो तियभंगो । नेरइय-देवेहि छन्भंगा । लोभकसाईहिं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। नेरइएसु छब्भंगा अकसाई-जीव-मणुएहि, सिद्धेहिं तियभंगो। प्रोहियनाणे, आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे जीवादियो तियभंगो। विगलिदिएहि छब्भंगा। प्रोहिनाणे 'मणपज्जवनाणे केवलनाणे'' जीवादियो तियभंगो। ओहिए अण्णाणे, मइअण्णाणे, सुयअण्णाणे, एगिदियवज्जो तियभंगो। विभंगनाणे जीवादियो तियभंगो। सजोगी जहा प्रोहिओ, मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी जीवादियो तियभंगो, नवरं--कायजोगी एगिदिया, तेसु अभंगयं । अजोगी जहा अलेस्सा। सागारोवउत्त-अणागारोवउत्तेहि जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। सवेदगा जहा सकसाई। इत्थिवेदग-पुरिसवेदग-नपुंसगवेदगेसु जीवादियो तियभंगो, नवरं--नपुंसगवेदे एगिदिएसु अभंगयं । अवेदगा जहा अकसाई। ससरीरी जहा प्रोहियो। ओरालिय-वेउव्वियसरीराणं जीवेगिदियवज्जो तियभंगो। पाहारगसरीरे जीव-मणुएसु छन्भंगा, तेयग-कम्मगाई जहा प्रोहिया । असरीरेहिं जीव-सिद्धेहि तियभंगो।। आहारपज्जत्तीए, सरीरपज्जत्तीए, इंदियपज्जत्तीए, प्राणापाणपज्जत्तीए' जीवेगिदियवज्जो तियभंगो, भासा-मणपज्जत्तीए जहा सण्णी । आहार-अपज्जत्तीए जहा अणाहारगा, सरीर-अपज्जत्तीए, इंदिय-अपज्जत्तीए, प्राणापाणअपज्जत्तीए जीवेगिदियवज्जो तियभंगो, नेरइय-देव-मणुएहि छन्भंगा, भासामणअपज्जत्तीए जीवादियो तियभंगो, नेरइय-देव-मणुएहि छब्भंगा।
संगहणी-गाहा
सपदेसाहारग-भविय-सण्णि-लेसा-दिदि-संजय-कसाए।
नाणे जोगुवोगे, वेदे य सरीर-पज्जत्ती ।।१।। पक्चक्खाणादि-पदं
६४. जीवा णं भंते ! कि पच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी? पच्चक्खाणापच्चक्खाणी ?
गोयमा? जीवा पच्छक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी वि।।
१. मणकेवलनाणे (अ, क, ता, म, स)। २. सजोति (ता)। ३. अभंगगं (ता)।
४. कम्माइं (अ, ता, म); कम्मगाणं (स)। ५. आणापाणु° (क, ता, ब, म)। ६. भास (अ, क, ता, ब)।
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२४६
६५. सव्वजीवाणं एवं पुच्छा ।
गोयमा ! नेरइया अपच्चक्खाणी जाव' चउरिदिया [सेसा दो पडिसेहेयव्वा' ] । पंचिदियतिरिक्खजोणिया नो पच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी वि, पच्चक्खाणापच्चखाणी वि । मणूसा तिष्णि वि। सेसा जहा नेरइया ॥
६६. जीवा णं भंते ! किं पच्चक्खाणं जाणंति ? प्रपच्चक्खाणं जाणंति ? पच्चक्खाणापच्चक्खाणं जाणंति ?
गोयमा ! जे पंचिदिया ते तिणि वि जाणंति, अवसेसा 'पच्चक्खाणं न जाणंति', ग्रपच्चक्खाणं न जाणंति, पच्चक्खाणापच्चक्खाणं न जाणंति ॥
६७. जीवा णं भंते ! किं पच्चक्खाणं कुव्वंति ? अपच्चक्खाणं कुव्वंति ? पच्चक्खाणापच्चक्खाणं कुव्वंति ?
हातिहा कुव्वणा ॥
६८. जीवा णं भंते! किं पच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया ? ग्रपच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया ? पच्चक्खाणापच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया ?
गोयमा ! जीवा य, वेमाणिया य पच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया, तिण्णि वि । वसेसा पच्चक्खाणनिव्वत्तियाउया |
संगहणी - गाहा
१. पच्चक्खाणं २. जाणइ, ३. कुव्वइ तिण्णेव ४. आउनिव्वत्ती । सपएसम्म य, एमेए दंडगा चउरो || १ ||
६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
पंचमी उद्देसो
तमुक्काय-पदं
७०. किमियं भंते! तमुक्काए ति पव्बुच्चति ? किं पुढवी तमुक्काए ति पव्वच्चति ? आऊ' तमुक्काए त्ति पव्वुच्चति ?
गोयमा नो पुढवि तमुक्काए त्ति पव्वुच्चति, ग्राऊ तमुक्काए त्तिपव्वुच्चति ॥
१. पू० प०२ ।
२. असौ कोष्ठकवतपाठो व्याख्यांशः प्रतीयते ।
३. प्रपच्चक्खाणं जाणंति (ता, म ) ।
भगवई
४. भ० १।५१ ।
५. पुढवि ( अ, क, ता, स ) ।
६. आउ ( अ, क, ब, म, स ) 1
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छटुं सतं (पंचमो उद्देसो)
२४७ ७१. से केणतुणं ? गोयमा ! पुढविकाए णं अत्थेगइए सुभे देसं पकासेइ, अत्थेगइए'
देसं नो पकासेइ । से तेणद्वेणं ।। ७२. तमुक्काए' णं भंते ! कहि समुट्टिए ? कहिं संनिदिए' ?
गोयमा ! जंबूदीवस्स दीवस्स बहिया तिरियमसंखेज्जे दीव-समुद्दे वीईवइत्ता, अरुणवरस्स दीवस्स बाहिरिल्लामो वेइयंताग्रो अरुणोदयं समुदं बायालीसं जोयणसहस्साणि प्रोगाहित्ता उवरिल्लायो जलंताओ एगपएसियाए सेढीए-- एत्थ णं तमुक्काए समुट्ठिए। सत्तरस-एक्कवीसे जोयणसए उड्ढं उप्पइत्ता तो पच्छा तिरियं पवित्थरमाणे-पवित्थरमाणे सोहम्मीसाण-सणकुमारमाहिदे चत्तारि वि कप्पे प्रावरित्ता णं उड्ढे पि य णं जाव' बंभलोगे कप्पे
रिढविमाणपत्थर्ड संपत्ते –एत्थ णं तमुक्काए संनिट्ठिए । ७३. तमुक्काए णं भंते ! किसंठिए पण्णत्ते ?
गोयमा ! अहे मल्लग-मूलसंठिए, उप्पि कुक्कुडग'-पंजरगसंठिए पण्णत्ते ॥ ७४. तमुक्काए णं भंते ! केवतियं विक्खंभेणं, केवतियं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--संखेज्जवित्थडे य, असंखेज्जवित्थडे य । तत्थ णं जे से संखेज्जवित्थडे, से णं संखेज्जाइं जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं, प्रसखेज्जाइजोयणसहस्साई परिक्खवेण पण्णत्त। तत्थ णं जे से असंखेज्जवित्थडे, से णं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई विक्खंभेणं,
असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं पण्णत्ते ।। ७५. तमुक्काए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ?
गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव-समुद्दाणं सव्वन्भंतराए जाव एगं जोयणसयसहस्सं पायाम-विक्खंभेणं, तिण्णि जोयणसयसहस्साइं सोलससहस्साई दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस अंगुलाइं अद्धंगुलगं च किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते । देवे णं महिड्ढीए जाव" महाणुभावे इणामेव-इणामेवत्ति कटु केवलकप्पं जंबूदीवं दीवंतिहिंअच्छरानिवाएहि तिसत्तक्खुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छिज्जा, से णं देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए जाव' दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जाव
१. X (क, ता)। २. तमुकाए (अ, क, ता, ब, म)। ३. सण्णिदिए (ता)। ४. तत्थ (अ, स)। ५. X (अ)। ६. संनिविट्ठिए (अ, स); संनिहिते (क)।
७. कुकुडग (म, स)। ८. अयं णं (क, म); अय णं (ता, स)।
६. ठा० ११२४८ । १०. भ० ३।४। ११. भ० ३।३८ ।
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भगवई
एकाहं वा, दुयाहं वा, तियाहं वा, उक्कोसेणं छम्मासे वीईवएज्जा, अत्थेगतियं तमुक्कायं वीईवएज्जा प्रत्येगतियं तमुक्कायं नो वीईवएज्जा । एमहालए णं गोमा ! तमुक्काए पण्णत्ते ॥
७६. प्रत्थि णं भंते ! तमुक्काए गेहा इ वा ? गेहावणा इ वा ?
णो तिट्टे समट्ठे ॥
७७. प्रत्थि णं भंते ! तमुक्काए गामा इवा ? जाव' सण्णिवेसा इ वा ? तट्ठे समट्ठे ॥
२४८
७८. अत्थि णं भंते ! तमुक्काए प्रोराला बलाहया संसेयंति ? सम्मुच्छंति ? वासं वासंति ?
हंता प्रत्थि ॥
७६. तं भंते ! किं देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ? गोयमा ! देवो वि पकरेति, असुरो वि पकरेति, नागो वि पकरेति ॥ ८०. प्रत्थि णं भंते ! तमुक्काए बादरे थणियसद्दे ? बादरे विज्जुयारे' ? हंता थि ||
८१.
भंते! किं देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ? तिणि वि पकरेंति ॥
८३. प्रत्थि णं भंते ! तमुक्काए
८२. अस्थि णं भंते ! तमुक्काए बादरे पुढविकाए ? बादरे अगणिकाए ? तण सम, नत्थ विग्गहगतिसमावन्नएणं ॥ चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवा ? णो तिट्टे समट्ठे, पलियस्सो पुण थि ||
८४. अत्थि णं भंते ! तमुक्काए चंदाभा ति वा ? सूराभाति वा ? णोति सम, कादूसणिया पुण" सा ||
८५ तमुक्काए णं भंते ! केरिसए वण्णएणं पण्णत्ते ?
गोयमा ! काले कालोभासे गंभीरे" लोमहरिसजणणे भीमे उत्तासणए परमकिण्हे वणेणं पण्णत्ते । देवे वि णं प्रत्येगतिए जे णं तप्पढमयाए पासित्ता गं खुभाज्जा', हे अभिसमागच्छेज्जा तो पच्छा सीहं-सीहं तुरियं तुरियं खिप्पामेव वीतीवएज्जा ॥
८६. तमुक्कायस्स णं भंते ? कति नामधेज्जा पण्णत्ता ?
१. भ० १४६ ।
२. नाओ (ता, म ) ।
३. विज्जया ( अ ); विज्जुए (क, ता, ब, म ) । ४. काउसणिया पुणं (ता) ।
५. गंभीर ( अ, क, ता, ब, स, वृ) । ६. खोभाएज्ज (क, ता, म); खभाएज्जा (स) ।
७. एतत् पदं वृत्तौ नास्ति व्याख्यातम् ।
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छटुं सतं (पंचमो उद्देसो)
२४६ गोयमा ! तेरस नामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा--तमे इ वा, तमुक्काए इ वा, अंधकारे इ वा, महंधकारे इवा, लोगंधकारे इवा, लोगतमिसे' इवा, देवंधकारे
[इ वा, देवरण्ण' इवा, देववूहे इ वा, देवफलिहे" इवा. देवपडिक्खोभे इ वा, अरुणोदए इ वा समुद्दे ।। ८७. तमुक्काए णं भंते ! कि पुढविपरिणामे ? पाउपरिणामे ? जीवपरिणामे ?
पोग्गलपरिणामे ? गोयमा ! नो पुढविपरिणामे, प्रा.उपरिणामे वि, जीवपरिणामे वि, पोग्गलप
रिणामे वि ॥ ८८. तमुक्काए णं भंते ! सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढवीकाइयत्ताए जाव'
तसकाइयत्ताए उववन्नपुव्वा ? हंता गोयमा ! असति अदुवा अणतक्ख तो, नो चेव णं बादरपुढविकाइयत्ताए,
बादरअगणिकाइयत्ताए वा । कण्हराइ-पदं ८६. कइ णं भंते ! कण्हरातीनो पण्णत्तानो ?
गोयमा ! अट्ठ कण्हरातीअो पण्णत्तायो ।। ६०. कहि णं भंते ! एयाप्रो अट्ठ कण्हरातीओ" पण्णत्तानो ?
गोयमा ! उप्पि सणंकुमार-माहिंदाणं कप्पाणं, हविं" बंभलोए कप्पे 'रिटे विमाणपत्थडे' , एत्थ णं अक्खाडग-समचउरंस-संठाणसंठियारो अट्ठ कण्हरातीनो पण्णत्ताप्रो, तं जहा-पुरत्थिमे णं दो, पच्चत्थिमे णं दो, दाहिणे णं दो, उत्तरे णं दो । पुरत्थिमन्भंतरा" कण्हराती दाहिण-बाहिरं कण्हराति पुट्टा, दाहिणब्भंतरा कण्हराती पच्चत्थिम-बाहिरं कण्हरातिं पुट्ठा, पच्चत्थिमभंतरा कण्हराती उत्तर-बाहिरं कण्हरातिं पुट्ठा, उत्तरभंतरा" कण्हराती पुरथिम
बाहिरं कण्हराति पुट्ठा। १. °तिमिसे (क, ता, म)।
१०. ० रायीतो (ब)। २. देवतिमिसे (अ, क, ता, स)।
११. हेट्ठि (अ, क, ब, म); हिट्टि (स); स्थानाङ्ग३. देवारण्णे (क, ता, ब)।
सूत्रे (८।४३, वृत्तिपत्र ४१०) अभयदेव४. देवपूहे (ता)।
सूरिणा 'हेट्ठि ति अधस्तात्' ब्रह्मलोकस्य इति ५. ° पलिहे (ता)।
व्याख्यातम् । अत्र च (वृत्तिपत्र २७१) ६. समुद्देति वा (अ, स)।
'हवि त्ति समं' इति व्याख्यातम् । ७. भ० ११४३७ ।
१२. रिट्ठविमाण° (ठा० ८।४३)। ८. असई-असई (ता)।
१३. पुरत्थिमभितरा (क)। ६. द्रष्टव्यं-ठा० ८।४३-४७ ।
१४. उत्तरमभंतरा (ब, स)।
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२५०
भगवई
दो पुरथिम-पच्चत्थिमाप्रो बाहिरामो कण्हरातीमो छलंसानो, दो उत्तरदाहिणाप्रो बाहिरानो कण्हरातीओ तंसायो, दो पुरत्थिम-पच्चत्थिमाओ अब्भंतरानो कण्हरातीमो चउरंसानो, दो उत्तर-दाहिणाप्रो अभंतराम्रो
कण्हरातीनो चउरसायो। संगहणी-गाहा
पुव्वावरा छलंसा, तंसा पुण दाहिणुत्तरा बज्झा ।
अभंतर चउरंसा, सव्वा वि य कण्हरातीग्रो ॥१॥ ६१. कण्हरातीनो णं भंते ! केवतियं आयामेणं ? केवतियं विक्खंभेणं? केवतियं
परिक्खेवेणं पण्णत्तायो? गोयमा ! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं पायामेणं, संखेज्जाइं जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं, असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं पण्णत्ताप्रो ।। कण्हरातीनो णं भंते ! केमहालियानो पण्णत्तायो ? गोयमा ! अयं णं जंबुद्दोवे दीवे जाव' देवे णं महिड्ढीए जाव' महाणुभावे इणामेव-इणामेव त्ति कटु केवलकप्पं जंबूदोवं दीवं तिहिं अच्छरानिवाएहिं तिसत्तक्खुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छिज्जा, से णं देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए जाव दिव्वाए देवगईए वीईवयमाणे-वीईवयमाणे जाव एकाहं वा, दुयाहं वा, तियाहं वा, उक्कोसेणं° अद्धमासं वीईवएज्जा, अत्थेगइए कण्हराति वीईवएज्जा । अत्थेगइए कण्हराति णो वीईवएज्जा, एमहालियानो
णं गोयमा ! कण्हरातीग्रो पण्णत्तायो । ६३. अत्थि णं भंते ! कण्हरातीसु गेहा इ वा ? गेहावणा इ वा ?
णो इणद्वे समटे । ६४. अत्थि णं भंते ! कण्हरातीसु गामा इ वा ? जाव' सण्णिवेसा इ वा ?
णो इण? समटे । ६५. अत्थि णं भंते ! कण्हरातीसु ओराला बलाहया संसेयंति ? सम्मुच्छंति ?
वासं वासंति ?
हंता अस्थि ॥ ६६. तं भंते ! कि देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ? ___ गोयमा ! देवो पकरेति, नो असुरो, नो नागो पकरेति ।।
१. सं० पा०--दीवे जाव अद्धमासं । २. भ० ६७५ । ३. भ० ३।४।
४. भ०३।३८ । ५. भ० ११४६ :
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छटुं सतं (पंचमो उद्देसो)
२५१ ६७. अत्थि णं भंते ! कण्हरातीसु बादरे थणियसद्दे ? बादरे विज्जुयारे ?
"हंता अत्थि ॥ ६८. तं भंते ! किं देवो पकरेति ? असुरो पकरेति ? नागो पकरेति ?
गोयमा ! देवो पकरेति, नो असुरो, नो नागो पकरेति ॥ अत्थि णं भंते ! कण्हरातीसु बादरे आउकाए ? बादरे अगणिकाए ? बादरे वणप्फइकाए ?
णो तिणद्वे समढे, नण्णत्थ विग्गहगतिसमावन्नएणं ।। १००. अत्थि णं भंते ! कण्हरातीसु चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवा ?
णो तिणढे समढें ॥ १०१. अत्थि णं भंते ! कण्हरातीसु चंदाभा ति वा ? सुराभा ति वा ?
णो तिणढे समढे ॥ १०२. कण्हरातीग्रो ण भंते ! केरिसियाग्रो वण्णेणं पण्णत्तायो?
गोयमा ! कालाओ' 'कालोभासानो गंभीरानो लोमहरिसजणणाप्रो भीमानो उत्तासणाग्रो परमकिण्हारो वण्णणं पण्णत्तायो । देवे वि णं अत्थेगतिए जे णं तप्पढमयाए पासित्ता णं खुभाएज्जा, अहेणं अभिसमागच्छेज्जा तनो पच्छा
सीहं-सीहं तुरियं-तुरियं खिप्पामेव वीतीवएज्जा। १०३. कण्हराती णं भंते ! कति' नामधेज्जा पण्णत्ता ?
गोयमा ! अट नामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा-कण्हराती इवा, मेहराती इवा, मघा इ वा, माघवई इ वा, वायफलिहा इ वा, वायपलिक्खोभा इ वा, देव
फलिहा इ वा, देवपलिक्खोभा इ वा ॥ १०४. कण्हरातीमो णं भंते ! कि पुढवीपरिणामाओ ? आउपरिणामायो ?
जीवपरिणामाग्रो ? पोग्गलपरिणामाप्रो ? गोयमा ! पुढविपरिणामानो, नो आउपरिणामानो, जीवपरिणामाग्रो वि,
पोग्गलपरिणामाग्रो वि ॥ १०५. कण्हरातीसु णं भंते ! सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढवीकाइयत्ताए जाव'
तसकाइयत्ताए उववण्णपुव्वा ? हंता गोयमा ! असइं अदुवा अणंतक्खुत्तो; नो चेव णं बादराउकाइयत्ताए, बादरअगणिकाइयत्ताए, बादरवणप्फइकाइयत्ताए वा ॥
१. सं० पा०-जहा ओराला तहा । २. सं० पा०-कालाओ जाब खिप्पामेव ।
३. केवइया (ता)। ४. भ० ११४३७ ।
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२५२
भगवई
लोगंतियदेव-पदं १०६. एएसि णं अट्ठण्हं कण्हराईणं अट्ठसु प्रोवासंतरेसु अट्ठ लोगंतिगविमाणा पण्णत्ता,
तं जहा-१. अच्ची २. अच्चिमाली ३. वइरोयणे ४. पभंकरे' ५. चंदाभे ६. सूराभे ७. सुक्काभे ८. सुपइट्ठाभे, 'मज्झे रिट्ठाभे" ।।
कृष्णराजी : स्थापना
उत्तरा
त्रिकोण कृष्णराजी
८. सुप्रतिष्ठाभ
७. शुक्राभ
चतुष्कोण कृष्णराजी
१. मर्षि
६. सूराभ चतुष्कोण कृष्णराजी
षट्कोण कृष्णराजी
पश्चिमा
१.रिष्ट
षट्कोण कृष्णराजी
३. वैरोचन चतुष्कोण कृष्णराजी
२. अर्चिमाली
र
२
Imaje
१. वभंकरे (ता)। २. सुंकाभे (ता)। ३. इह चावकाशान्तरवर्तिषु अष्टासु अचिःप्रभृ-
तिषु विमानेषु वाच्येषु यत् कृष्णराजीनां मध्यमभागवति रिष्टं विमानं नवमं उक्तं तद्विमानप्रस्तावाद् अवसेयम् (वृ)।
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सतं (पंचमो उद्देसो)
१०७. कहि णं भंते ! प्रच्चि विमाणे पण्णत्ते ? गोयमा ! उत्तर - पुरत्थिमे णं ॥
१०८. कहि णं भंते ! अच्चिमाली विमाणे पण्णत्ते ?
गोमा ! पुरत्थि मे णं । एवं परिवाडीए नेयव्वं जाव१०६. कहि णं भंते! रिट्ठे विमाणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! बहुमज्भदेसभाए ॥
११०. एएसु णं असु लोगंतियविमाणेसु अट्ठविहा लोगंतिया देवा परिवसंति, तं जहा
संग्रहणी - गाहा
सारस्यमाइच्चा, वही वरुणा य गद्दतोया य । तुसिया अव्वावाहा, अग्गिच्चा चेव रिट्ठा य ॥ १ ॥ १११. कहि णं भंते ! सारस्सया देवा परिवसंति ? गोयमा ! अच्चिम्मि विमाणे परिवसति ॥ ११२. कहि णं भंते ! ग्राइच्चा देवा परिवसंति ?
गोयमा ! चिमालिम्मि विमाणे । एवं नेयव्वं जहाणुपुव्वीए जाव११३. कहि णं भंते ! रिट्ठा देवा परिवसंति ?
गोमा ! रिट्ठम्मि विमाणे ॥
११४. सारस्सय माइच्चाणं भंते । देवाणं कति देवा, कति देवसया पण्णत्ता ? गोमा ! सत्त देवा, सत्त देवसया परिवारो' पण्णत्तो ।
संग्रहणी - गाहा
वही - वरुणाणं देवाणं चउद्दस देवा, चउद्दस देवसहस्सा परिवारो पण्णत्तो । गद्दतोय-तुसियाणं देवाणं सत्त देवा, सत्त देवसहस्सा परिवारो पण्णत्तो । वसेसणं नव देवा, नव देवसया परिवारो पण्णत्तो ।
पढम - जुगलम्मि सत्तो, सयाणि बीयम्मि चउद्दस सहस्सा | तइए सत्तसहस्सा, नव चेव सयाणि सेसेसु || १॥
११५. लोगंतिगविमाणा णं भंते ! किंपइट्टिया पण्णत्ता ?
१. X ( अ, क, ता, ब, म) ।
२. नेयव्त्रा जहा जीवाभिगमे देवुद्देसए ( अ, स )
२५३
गोयमा ! वाउपइट्टिया पण्णत्ता । एवं नेयव्वं विमाणाण पट्ठाणं, बाहुल्लुच्चत्तमेव संठाणं, बंभलोयवत्तव्वया नेयव्वा' जाव'
३. जी० ३ ।
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२५४
भगवई ११६. लोयंतियविमाणेसु णं भंते । सव्वे पाणा भूया जीवा सत्ता पुढविकाइयत्ताए,
ग्राउकाइयत्ताए, तेउकाइयत्ताए, वाउकाइयत्ताए, वणप्फइकाइयत्ताए, देवत्ताए, देवित्ताए उववण्णपुव्वा ?
हंता गोयमा ! असइं अदुवा अणंतक्खुत्तो, नो चेव णं देवित्ताए। ११७. 'लोगंतिय देवाणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! अट्ट सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता ॥ ११८. लोगंतियविमाणेहितो णं भंते ! केवतियं अबाहाए लोगंते पण्णत्ते ?
गोयमा ! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं अबाहाए लोगंते पण्णत्ते ।। ११६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
छट्ठो उद्देसो
नेरइयादीरणं प्रावास-पदं
१२०. कति णं भंते ! पुढवीनो पण्णत्तानो ?
गोयमा ! सत्त पुढवीग्रो पण्णत्तानो, तं जहा–रयणप्पभा जाव' अहेसत्तमा । रयणप्पभाईणं आवासा भाणियव्वा जाब अहेसत्तमाए। एवं जत्तिया आवासा
ते भाणियव्वा जाव१२१. कति णं भंते ! अणुत्तरविमाणा पण्णत्ता? ।
गोयमा ! पंच अणुत्तरविमाणा पण्णत्ता, तं जहा-विजए", 'वेजयंते, जयंते,
अपराजिए° सव्वट्ठसिद्धे ।। मारणंतियसमुग्घाय-पदं १२२. जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे
रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि निरयावासंसि
१. देवत्ताए (म, स)। २. लोगंतियविमाणेसु णं (अ, क, ता, ब, म)। ३. आबाहाए (ता)। ४. भ० ११५१ । ५. भ० ११२११ ।
६. तमतमा (अ, स)। ७. भ० १।२१२ । ८. जे जत्तिया (अ, क, ब, म, स)। ६. भ० ११२१३-२१५ । १०. सं० पा०-विजए जाव सबसिद्ध ।
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छटुं सतं (छट्ठो उद्देसो)
२५५ नेरइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! तत्थगए चेव आहारेज्ज वा ? परिणामेज्ज वा ? सरीरं वा बंधेज्जा ? गोयमा ! अत्थेगतिए तत्थगए चेव आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीरं वा बंधेज्जा; अत्येगतिए तो पडिनियत्तति', ततो पडिनियत्तित्ता इहमागच्छइ, आगच्छित्ता दोच्चं पि मारणंतियसमुग्धाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववज्जित्तए, तो पच्छा आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीरं
वा बंधेज्जा । एवं जाव' अ १२३. जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए, समोहणित्ता जे भविए चउसट्ठीए
असरकुमारावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारत्ताए
उववज्जित्तए, जहा नेरइया तहा भाणियव्वा जाव' थणियकुमारा।।। १२४. जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहए, समोहणित्ता जे भविए असंखे
ज्जेसु पुढविकाइयावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमे णं केवइयं गच्छेज्जा? केवइयं पाउणेज्जा ?
गोयमा ! लोयंतं गच्छेज्जा, लोयंतं पाउणेज्जा ।। १२५. से णं भंते ! तत्थगए चेव आहारेज्ज वा ? परिणामेज्ज वा ? सरीरं वा
बंधेज्जा? गोयमा ! अत्थेगतिए तत्थगए चेव आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीरं वा बंधेज्जा; अत्थेगतिए तो पडिनियत्तइ, पडिनियत्तित्ता इहमागच्छइ, दोच्चं पि मारणंतियसमुग्धाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता मंदरस्स पव्वयस्स पुरथिमे णं अंगुलस्स असंखेज्जइभागमेत्तं वा, संखेज्जइभागमेत्तं वा, वालग्गं वा, वालग्गपुहत्तं वा; एवं लिक्ख-जूय-जव-अंगुल जाव' जोयणको डि वा, जोयणकोडाकोडि वा संखेज्जेसु वा असंखेज्जेसु वा जोयणसहस्सेसु, लोगते वा एगपएसियं सेटिं मोत्तूण असंखेज्जेसु पुढविकाइयावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए उववज्जेत्ता, तओ पच्छा पाहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीरं वा बंधेज्जा। जहा पुरत्थिमे णं मंदरस्स पव्वयस्स अालावो भणियो, एवं दाहिणे णं, पच्चत्थिमे णं, उत्तरे णं, उड्ढे, अहे ।
१. नियत्तेति (अ, स)। २. भ० ११२११ । ३. पू०प० २।
४. इह हव्वमा° (स)। ५. ° पुहुत्तं (म)। ६. वृअ० सू० ४०० ।
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२५६
भगवई
जहा पुढविकाइया तहा एगिदियाणं सब्वेसिं एक्केक्कस्स छ अालावगा
भाणियव्वा। १२६. जीवे णं भंते ! मारणंतियसमुग्घाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता जे भविए असं
खेज्जेसु बेइंदियावाससयसहस्सेसु अण्णयरंसि बेइंदियावासंसि बेइंदियत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! तत्थगए चेव आहारेज्ज वा ? परिणामेज्ज वा ? सरीरं वा बंधेज्जा?
जहा नेरइया', एवं जाव' अणुत्तरोववाइया । १२७. जीवे णं भंते ! मारणंति यसमुग्वाएणं समोहए, समोहणित्ता जे भविए पंचसु
अणुत्तरेसु महतिमहालए सु महाविमाणेसु अण्णय रंसि अणुत्तरविमाणंसि अणुत्तरोववाइयदेवत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! तत्थगए चेव आहारेज्ज वा? परिणामेज्ज वा ? सरीरं वा बंधेज्जा ?
तं चेव जाव' आहारेज्ज वा, परिणामेज्ज वा, सरीरं वा बंधेज्जा। १२८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
सत्तमो उद्देसो
धन्नाणं जोणि-ठिड-पदं
१२६. अह भंते ! सालीणं, वीहीणं, गोधूमाणं, जवाणं, जवजवाणं-एएसि णं धन्नाणं
कोट्ठाउत्ताणं पल्ला उत्ताणं मंचाउत्ताणं मालाउत्ताणं ओलित्ताणं' लित्ताणं पिहियाणं मुड़ियाणं लंछियाणं केवतियं कालं जोणी संचिट्टइ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि संवच्छराइं । तेण परं जोणी पमिलायइ, तेण परं जोणी पविद्धंसइ', तेण परं बीए अबीए भवति, तेण परं
जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणाउसो ! १३०. अह भंते ! कल-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निप्फाव-कुलत्थ-आलिसंदग-सतीण
पलिमंथगमाईणं—एएसि णं धन्नाणं कोट्ठाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं मंचाउत्ताणं
१. भ० ६।१२२ । २. भ० ११२१४, २१५ । ३. भ० ६।१२२ । ४. भ० ११५१ । ५. उल्लित्ताणं (स)।
६. विद्धंसेइ (अ, क, स)। ७. कलाव (अ); कलाय (ब, स); कालाव (म) ८. निप्पाव (ता, स)।
६. संतीण (अ, ब, स)। १०. तिलिमिथग० (ता)।
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२५७
छटुं सतं (सत्तमो उद्देसो)
मालाउत्ताणं प्रोलित्ताणं लित्ताणं पिहियाणं मुद्दियाणं लंछियाणं केवतियं कालं जोणी संचिटइ? "गोयमा ! जहण्णणं अंतोमहत्तं, उक्कोसेणं पंच संवच्छराइं। तेण परं जोणी पमिलायइ, तेण परं जोणी पविद्धंसइ, तेण परं बीए अबीए भवति, तेण परं जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणाउसो' ! अह भंते ! अयसि-कुसुंभग-कोद्दव-कंगु-वरग-रालग-कोदूसग'-सण-सरिसवमूलाबीयमाईणं-एएसि णं धन्नाणं कोट्ठाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं मंचाउत्ताणं मालाउत्ताणं अोलित्ताणं लित्ताणं पिहियाणं मुद्दियाणं लंछियाणं केवतियं कालं जोणी संचिट्ठइ ? ५ गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं सत्त संवच्छराइं । तेण परं जोणी पमिलायइ, तेण परं जोणी पविद्धंसइ, तेण परं बीए अबीए भवति, तेण परं जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते समणाउसो ० !
१३१.
गरगना-काल-पदं
१३२. एगमेगस्स णं भंते ! मुहुत्तस्स केवतिया ऊसासद्धा वियाहिया ?
गोयमा ! असंखेज्जाणं समयाणं समुदय-समिति-समागमेणं सा एगा 'आवलिय त्ति' पवुच्चइ, संखेज्जा प्रावलिया ऊसासो, संखेज्जा प्रावलिया निस्सासो
गाहा
हवस्स अणवगल्लस्स, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो। एगे ऊसास-नीसासे, एस पाणु त्ति वुच्चइ ॥१॥ सत्त पाणूई से थोवे, सत्त थोवाइं से लवे । लवाणं सत्तहत्तरिए", एस मुहुत्ते वियाहिए ॥२॥ तिण्णि सहस्सा सत्त य, सयाइं तेवतरि च ऊसासा। एस मुहुत्तो दिट्ठो, सव्वेहि अणंतनाणीहिं ।।३।।
१. सं० पा०-जहा सालीणं तहा एयाणि वि
नवरं पंच संवच्छराई सेसं तं चेव । २. वरट्ट (ठा० ७६०)। ३. कोडुसग (ब)। ४. मूलग० (अ, क, स)। ५. सं० पा०-एयाणि वि तहेव नवरं सत्त
संवच्छराई।
६. तुलना-ठा० ३।१२५; १२०६; ७।६० । ७. आवलिया ति (क, ता, ब)। ८. णिरवकट्ठस्स (ता)। ६. पाणि (अ, स)। १०. सत्तस० (क, ब)।
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२५८
भगवई
एएणं मुहुत्तपमाणेणं तीसमुहुत्ता अहोरत्तो, पण्ण रस अहोरत्ता पक्खो, दो पक्खा मासो, दो मासा उडू', तिण्णि उडू अयणे, दो' अयणा संवच्छरे, 'पंच संवच्छराई'२ जुगे, वीसं जुगाइं वाससयं, दस वाससयाई वाससहस्सं, सयं वाससहस्साणं वाससयसहस्सं, चउरासीइं वाससयसहस्साणि से एगे पुव्वंगे, चउरासीइं पुव्वंगा सयसहस्साइं से एगे पुव्वे, एवं तुडियंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, अववंगे, अववे ,हुहूयंगे', हुहुए, उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, नलिणंगे, नलिणे, अत्थनिउरंगे, अत्थनिउरे',अउयंगे, अउए', 'नउयंगे, नउए, पउयंगे, पउए चूलियंगे, लिया, सीसपहेलियंगे, सीसपहेलिया । एताव ताव गणिए, एताव ताव
गणियस्स विसए, तेण परं प्रोवमिए । ओवमिय-काल-पदं १३३. से कि तं प्रोवमिए ?
प्रोवमिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा--पलिओवमे य, सागरोवमे य ।। १३४. 'से किं तं पलिग्रोवमे ? से किं तं सागरोवमे ?'१०
गाहा
सत्थेण सुतिक्खेण वि, छेत्तुं भेत्तुं व" जं किर न सक्का । तं परमाणु सिद्धा, वदंति आदि पमाणाणं ॥१॥ अणताणं परमाणुपोग्गलाणं समुदय-समिति-समागमेणं सा एगा उस्सण्हसण्हिया इ वा, सहसण्हिया इ वा, उड्ढरेणू१२ इ वा, तसरेणू इ वा, रहरेणू इ वा, वालग्गे" इ वा, लिक्खा इवा, जूया इ वा, जवमझे इ वा, अंगुले इ वा। अट्ट उस्सण्हसण्हियानो सा एगा सहसण्हिया, अट्ठ सण्हसण्हियानो सा एगा उड्ढरेणू, अट्ठ उड्ढरेणूओ सा एगा तसरेणू, अट्ठ तसरेणूओ सा एगा रहरेण, अट रहरेणो से एगे देवकुरु-उत्तरकुरुगाणं मणुस्साणं वालग्गे; ‘एवं हरिवास
रम्मग-हेमवय-एरन्नवयाणं, पुव्व विदेहाणं मणुस्साणं अट्ठ वालग्गा सा एगा १. उदू (ता, व)।
(क); पज्जुए य नज्जुए य (ब)। २. बे (ता, ब)।
६. उवमिए (अ, क, ब, म, स)। तुलना-अ० ३. पंचसंवच्छरिए (अ, क, ता, ब, म, स)। सू० ४१७। ४. अपपे (ब, स)।
१०. से कि तं पलिओवमे सागरोवमे २ (अ, स); ५. हूहुय (अ, क, स)।
से कि तं पलितोवमे २ (क, ता)। ६. ° निपूरे (क, ता, ब)।
११. च (अ, क, ब, म, स, वृ)। ७. अतुए (अ, स); अपुए (क); अज्जुए (व)। १२. उद्ध० (अ, क, ता, ब, म)। ८. पदुए २, नउए २ (अ, ता, स); पज्जुए य० १३. बालग्गा (स)।
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२५६
छुटुं सतं (सत्तमो उद्दसौ)
लिक्खा', अट्ठ लिक्खाओ सा एगा जूया, अट्ठ जूयायो से एगे जवमझे, अट्ट जवमझा से एगे अंगुले।। एएणं अंगुलपमाणेणं छ अंगुलाणि पादो, बारस अंगुलाई विहत्थी', चउवीसं अंगुलाई रयणी, अडयालीसं अंगुलाई कुच्छी, छन्नउति' अंगुलाणि से एगे दंडे इ वा, धणू इ वा, जूए इ वा, नालिया इ वा, अक्खे इ वा, मुसले इ वा। एएणं धणुप्पमाणेणं दो धणुसहस्साइं गाउयं, चत्तारि गाउयाइं जोयणं । एएणं जोयणप्पमाणेणं जे पल्ले जोयणं पायाम-विक्खंभेणं, जोयणं उड़ढं उच्चत्तेणं, तं तिउणं', सविसेसं परिरएणं-से णं एगाहिय-बेहिय-तेहिय', उक्कोसं सत्तरत्तप्परूढाणं संमढे संनिचिए भरिए" वालग्गकोडीणं । ते णं वालग्गे नो अग्गो दहेज्जा, नो वातो हरेज्जा, नो कुच्छेज्जा, नो परिविद्धंसेज्जा, नो पूतित्ताए हव्वमागच्छेज्जा। तप्रोणं वाससए-वाससए गते"एगमेगं वालग्गं प्रवहाय जावतिएणं कालेणंसेपल्ले खीणे निरए निम्मले निट्टिए निल्लेवे अवहडे विसुद्धे भवइ । से तं पलिग्रोवमे ।
गाहा
२. एएसि पल्लाणं, कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया। तं सागरोवमस्स उ, एक्कस्स भवे परिमाणं ॥
१. प्रस्तुतपाठे भरतरवतयोर्मनुष्याणामुल्लेखो अट्ठ भरहेरवयाणं मणुस्साणं वालग्गा सा
नास्ति, अनुयोगद्वारसूत्रे विद्यते । तस्य पूर्ण- एगा लिक्खा (अ० सू० ३६६)। पाठः इत्थमस्ति
२. वितत्थी (अ)। अट्र देवकूरु-उत्तरकुरुगाणं मणुस्साणं वालग्गा ३. छण्ह उइ (ता)। हरिवास-रम्मगवासाणं मणुस्साणं से एगे ४. तिओरणं (अ)। वालग्गे।
५. षष्ठीबहुवचनलोपाद् एकाहिकद्वयाहिकत्र्याहिअट्ट हरिवास-रम्मगवासाणंम णुस्साणं वालग्गा हेमवय-हेरण्णवयाणं मणुस्साणं से एगे ६. संसट्टे (अ, म)। वालग्गे।
७. हरिए (ता)। अट्र हेमवय-हेरण्णवयारणं मणस्साणं वालग्गा ८. कुत्थेज्जा (अ, ब, म)। पुव्वविदेह-अवर विदेहाणं मणुस्साणं से ६. तए (अ, क)। एगे वालग्गे।
१०. x (अ, ता, म, स)। अट्ठ पुव्वविदेह-अवरविदेहाणं मणुस्साणं ११. अवहाय २ (ता)। वालग्गा भरहेरवयाणं मणुस्साणं से एगे वालग्गे।
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२६०
भगवई
एएणं सागरोवमपमाणेणं चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीयो कालो सुसम-सुसमा १. तिण्णि सागरोवमकोडाकोडीनो कालो सुसमा २. दो' सागरोवमकोडाकोडीअो कालो सुसम-दूसमा ३. एगा सागरोवमकोडाकोडी बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया कालो दूसम-सुसमा ४. एक्कवीसं वाससहस्साइं कालो दूसमा ५. एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दूसम-दूसमा ६.।। पुणरवि उस्सप्पिणीए एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दूसम-दूसमा १. एक्कवीसं वाससहस्साई कालो दूसमा २. 'एगा सागरोवमकोडाकोडी बायालीसाए वाससहस्सेहिं ऊणिया कालो दूसम-सुसमा ३. दो सागरोवमकोडाकोडीयो कालो सुसम-दूसमा ४. तिण्णि सागरोवमकोडाकोडीअो कालो सुसमा ५. चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो सुसम-सुसमा ६.।। दस सागरोवमकोडाकोडीग्रो कालो ओसप्पिणी, दस सागरोवमकोडाकोडीयो कालो उस्सप्पिणी, वीसं सागरोवमकोडाकोडीअो कालो ओसप्पिणी उस्स
प्पिणी य ।। सुसम-सुसमाए भरहवास-पदं १३५. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे इमीसे प्रोसप्पिणीए सुसम-सुसमाए समाए उत्तिम
पत्ताए, भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभाव-पडोयारे होत्था ? गोयमा ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे होत्था, से जहानामए- प्रालिंगपुक्खरे ति वा, एवं उत्तरकुरुवत्तव्वया नेयव्वा जाव' तत्थ णं बहवे भारया मणुस्सा मणस्सीयो य प्रासयंति सयंति चिट्ठति निसीयंति तुयद॒ति हसंति रमंति ललंति । तीसे णं समाए भारहे वासे तत्थ-तत्थ देसे-देसे तहि-तहिं बहवे उद्दाला कोद्दाला जाव कुस-विकुस-विसुद्धरुक्खमूला जाव छव्विहा मणुस्सा अणुस
ज्जित्था, तं जहा--पम्हगंधा, मियगंधा, अममा, तेतली, सहा, सणिचारी।। १३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. दुण्णि (क)। २. दुसमा (ता, स)। ३. सं० पा०-दूसमा जाव चत्तारि । ४. उत्तमट्ठ० (स)। ५. पडोगारे (ता, ब, म)।
६. जी० ३; जं० २। ७. जी० ३; जं० २। ८. जी०३; जं०२। ६. तेयतली (ब)। १०. भ० ११५१ ।
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२६१
छटुं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
अट्ठमो उद्देसो पुढवी-प्रादिसु गेहादिपुच्छा-पदं १३७. कति णं भंते ! पुढवीनो पण्णत्तानो ?
गोयमा ! अट्ठ पुढवीनो पण्णत्तानो, तं जहा-- रयणप्पभा जाव' ईसीपब्भारा ।। १३८. अत्थि णं भंते ! इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे गेहा इ वा ? गेहावणा
इ वा?
गोयमा ! णो इणटे समढे ॥ १३६. अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए अहे गामा इ वा ? जाव' सण्णिवेसा इ वा ?
णो इण? समद्रु॥ १४०. अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे अोराला बलाहया संसेयंति ?
संमुच्छंति ? वासं वासंति ? हंता अस्थि । तिण्णि वि पकरेंति-देवो वि पकरेति, असुरो वि पकरेति, नागो
वि पकरेति ॥ १४१. अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बादरे थणियसद्दे ?
हंता अत्थि । तिण्णि वि पकरेंति ।। १४२. अत्थि णं भंते । इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे बादरे अगणिकाए ?
गोयमा ! णो इणढे समढे, नन्नत्थ विग्गहगतिसमावन्नएणं ।। १४३. अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे चंदिम - सूरिय-गहगण
नक्खत्त° तारारूवा?
णो इण? समढे । १४४. अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे दाभा ति वा ? सूराभा
ति वा ? णो इणढे समढे । एवं दोच्चाए पुढवीए भाणियव्वं, एवं तच्चाए वि भाणियव्वं, नवरं-देवो वि पकरेति, असुरो वि पकरेति, नो नागो पकरेति । चउत्थीए वि एवं, नवरंदेवो एक्को पकरेति, नो असुरो, नो नागो। एवं हेट्ठिल्लासु सव्वासु देवो पकरेति।
१. ठा० ८।१०८। २. भ० ११४६। ३. द्रष्टव्यम्-भ० ६७६ ।
४. द्रष्टव्यम्-भ० ६८१ । ५. सं० पा०-चंदिम जाव तारारूवा । ६. देवो एक्को (अ, क, ब, म, स)।
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२६२
भगवई १४५. अत्थि णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं अहे गेहा.इ वा ? गेहावणा इ वा ?
णो इणढे सम? ॥ १४६. अत्थि णं भंते ! अोराला बलाहया ?
हंता अत्थि। देवो पकरेति, असुरो वि पकरेति, नो नायो।
एवं थणियसद्दे वि ॥ १४७. अत्थि णं भंते । बादरे पुढवीकाए ? बादरे अगणिकाए ?
णो इणढे सम8, नन्नत्थ विग्गहगतिसमावन्नएणं ॥ १४८. अत्थि णं भंते ! चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवा ?
णो इणद्वे समढे ।। १४६. अत्थि णं भंते ! गामा इ वा ? जाव' सण्णिवेसा इ वा ?
णो इणढे सम? ॥ अत्थि णं भंते ! चंदाभा ति वा ? सूराभा ति वा ? गोयमा ! णो इणढे समढे। एवं सणंकुमार-माहिदेसु, नवरं-देवो एगो पकरेति। एवं बंभलोए वि । एवं बंभलोगस्स' उरि सव्वेहिं देवो पकरेति । पुच्छियव्वो य बादरे ग्राउकाए,
बादरे अगणिकाए, बादरे वणस्सइकाए । अण्णं तं चेव । संगहणी-गाहा
तमुकाए कप्पपणए, अगणी पुढवी य अगणि-पुढवीसु।
आऊ तेऊ वणस्सई, कप्पुवरिमकण्हराईसु ॥१॥ प्राउयबंध-पदं १५१. कतिविहे णं भंते ! आउयबंधे पण्णत्ते ?
गोयमा ! छविहे आउयबंधे पण्णत्ते, तं जहा–जातिनामनिहत्ताउए, गतिनामनिहत्ताउए, ठितिनामनिहत्ताउए, प्रोगाहणानामनिहत्ताउए, पएसनामनिह
त्ताउए, अणुभागनामनिहत्ताउए। दंडअो जाव वेमाणियाणं ॥ १५२. जीवा णं भंते ! किं जातिनामनिहत्ता? गतिनामनिहत्ता' ? •ठितिनामनिहत्ता ?
प्रोगाहणानामनिहत्ता ? पएसनामनिहत्ता ? • अणुभागनामनिहत्ता ? गोयमा ! जातिनामनिहत्ता वि जाव अणुभागनामनिहत्ता वि । दंडअो जाव वेमाणियाणं॥
१. पू०-भ० ६७८ । २. भ० ११४६ । ३. बम्ह० (क, ब)।
४. पू० प० २। ५. सं० पा०-गतिनामनिहत्ता जाव अणुभाग० ६. पू०प० २।
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छटुं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
२६३ १५३. जीवा णं भंते ! किं जातिनामनिहत्ताउया ? जाव' अणुभागनामनिहत्ताउया ?
गोयमा । जातिनामनिहत्ताउया वि जाव अणुभागनामनिहत्ताउया वि। दंडयो
जाव वेमाणियाणं॥ १५४. एवं एए दूवालस दंडगा भाणियव्वा
जीवा णं भंते ! किं १. जातिनामनिहत्ता ? २. जातिनामनिहत्ताउया ? जीवा णं भंते ! कि ३. जातिनामनिउत्ता? ४. जातिनामनिउत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं ५. जातिगोयनिहत्ता ? ६. जातिगोयनिहत्ताउया ? जीवा णं भंते ! कि ७. जातिगोयनिउत्ता? ८. जातिगोयनिउत्ताउया ? जीवा णं भंते ! कि ह. जातिनामगोयनिहत्ता? १०. जातिनामगोयनिहाउत्तया? जीवा णं भंते ! कि ११. जातिनामगोयनिउत्ता ? १२. जातिनामगोयनिउत्ताउया ? जाव' ७२. अणुभागनामगोयनिउत्ताउया ?
१. भ० ६।१५१ । २. पू०प०२। ३. एतत् पदं त्रयोदशभंगात् द्वासप्ततितमपर्यन्तानां भंगानां संग्राहकमस्ति
जीवा णं भंते ! किं १३. गतिनामनिहत्ता? १४. गतिनामनिहत्ता उया ? जीवा रणं भंते ! किं १५. गतिनामनिउत्ता? १६. गतिनामनिउत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं १७. गतिगोयनिहत्ता ? १८. गतिगोयनिहत्ताउया? जीवाणं भंते ! किं १६. गतिगोयनिउत्ता? २०. गतिगोयनिउत्ताउया? जीवा णं भंते ! किं २१. गतिनामगोयनिहत्ता? २२. गतिनामगोयनिहत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं २३. गतिनामगोयनिउत्ता? २४. गतिनामगोयनिउत्ताउया? जीवा णं भंते ! किं २५. ठितिनामनिहत्ता ? २६. ठितिनामनिहत्ताउया ? जीवा रणं भंते ! किं २७. ठितिनामनिउत्ता? २८. ठितिनामनिउत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं २६. ठितिगोयनिहत्ता ? ३०. ठितिगोयनिहत्ताउया? जीवा णं भंते ! किं ३१. ठितिगोयनिउत्ता? ३२. ठितिगोयनिउत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं ३३. ठितिनामगोयनिहत्ता? ३४. ठितिनामगोयनिहत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं ३५. ठितिनामगोयनिउत्ता? ३६. ठितिनामगोयनिउत्ताउया ? जीवा णं भंते ! कि ३७. ओगाहणानामनिहत्ता? ३८. ओगाहणानामनिहत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं ३६. ओगाहणानामनिउत्ता? ४०. ओगाहणानामनिउत्ताउया ? जीवा रणं भंते ! कि ४१. ओगाहणागोयनिहत्ता? ४२. ओगाहणागोयनिहत्ताउया? जीवा णं भंते ! किं ४३. ओगाहणागोयनिउत्ता? ४४. ओगाहणागोयनिउत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं ४५. ओगाहणानामगोयनिहत्ता? ४६. ओगाहणानामगोयनिहत्ताउया ? जीवा णं भंते ! किं ४७. ओगाहणानामगोयनिउत्ता? ४८. ओगाहणानामगोयनिउत्ताउया ? जीवा रणं भंते ! कि ४६. पएसनामनिहत्ता? ५०. पएसनामनिहत्ताउया ?
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गोयमा ! जातिनामगोयनिउत्ताउया वि जाव प्रणुभागनामगोयनिउत्ताउया वि । दंड जाव' वेमाणियाणं ॥
लवरणादिसमुद्द-पदं
१५५. लवणे णं भंते ! समुद्दे किं उस्सिनोदए ? पत्थडोदए ? खुभियजले ? खुभिजले ?
गोयमा ! लवणे णं समुद्दे उस्सिप्रोदए, नो पत्थडोदए, खुभियजले, नो खुभिजले ||
१५६. जहा णं भंते ! लवणसमुद्दे उस्सिमोदए, नो पत्थडोदए; खुभियजले, नो खुभिजले तहाणं बाहिरगा समुद्दा किं उस्सिनोदगा ? पत्थडोदगा ? खुभियजला ? प्रखुभियजला ?
गोयमा ! बाहिरगा समुद्दा नो उस्सियोदगा, पत्थडोदगा; नो खुभियजला, खुभिजला पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठति ॥
१५७. प्रत्थि णं भंते ! लवणसमुद्दे बहवे प्रोराला बलाहया संसेयंति ? संमुच्छंति ? वासं वासंति ?
भगवई
हंता अस्थि ||
१५८. जहा णं भंते ! लवणसमुद्दे बहवे प्रोराला बलाहया संसेयंति, संमुच्छंति, वासं वासंति, तहाणं बाहिरगेसु वि समुद्देसु बहवे प्रोराला बलाहया संसेयंति ? संमुच्छंति ? वासं वासंति ?
जीवा णं भंते! किं ५१. पएसनामनिउत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ५३. पएसगोयनिहत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ५५. पएसगोयनिउत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ५७. पएसनामगोयनिहत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ५६. पएसनामगोयनिउत्ता ? जीवाणं भंते! किं ६१. अणुभागनामनिहत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ६३. अणुभागनामनिउत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ६५. अणुभागगोय निहत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ६७. अणुभागगोयनिउत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ६ε. अणुभागनाम गोयनिहत्ता ? जीवा णं भंते ! किं ७१. अणुभागनामगोयनिउत्ता ? १. पू० प० २ ।
२. उसिओदए (क, म, स ) ।
३. सं० पा० – एतो आढत्तं जहा जीवाभिगमे जाव से ।
५२. पएसनामनिउत्ताउया ? ५४. पएस गोयनिहत्ताउया ? ५६. पएस गोयनिउत्ताउया ? ५८. पएसनामगोयनिहत्ताउया ? ६०. पएसनामगोयनिउत्ताउया ? ६२. अणुभागनाम निहत्ताउया ? ६४. अणुभागनामनिउत्ताउया ? ६६. अणुभाग गोय निहत्ता उया ? ६८. अणुभागगोयनिउत्ताउया ? ७०. अणुभागनाम गोयनिहत्ताउया ? ७२. अणुभागनाम गोयनिउत्ताउया ?
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छ8 सतं (नवमो उद्देसो)
२६५ नो इणढे समढे । १५६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-बाहिरगा णं समुद्दा पुण्णा जाव' समभरघडत्ताए
चिट्ठति ? गोयमा ! बाहिरगेसु णं समुद्देसु बहवे उदगजोणिया जीवा य पोग्गला य उदगताए वक्कमंति, विउक्कमंति, चयंति, उवचयंति ° । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-बाहिरया णं समुद्दा पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिटुंति, संठाणो एगविहिविहाणा, वित्थारो अणेगविहिविहाणा, दुगुणा, दुगुणप्पमाणा' जाव अस्सि तिरियलोए असंखेज्जा दीव-समुद्दा
सयंभूरमणपज्जवसाणा पण्णत्ता समणाउसो ! १६०. दीव-समुद्दा णं भंते ! केवतिया नामधेज्जेहिं पण्णत्ता।
गोयमा ! जावतिया लोए सुभा नामा, सुभा रूवा, सुभा गंधा, सुभा रसा, सुभा फासा, एवतिया णं दीव-समुद्दा नामधेज्जेहिं पण्णत्ता। एवं नेयव्वा सुभा
नामा, उद्धारो, परिणामो, सव्वजीवाणं (उप्पासो ?) ॥ १६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
नवमो उद्देसो कम्मप्पगडिबंध-पदं १६२. जीवे णं भंते ! नाणावरणिज्ज कम्मं बंधमाणे कति कम्मप्पगडीयो बंधति ?
गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्ठविहबंधए वा, छव्विहबंधए वा। बंधुद्देसो पण्णवणाए नेयव्वो॥
१. भ०६।१५६ ।
रीयमहापोंडरीयसयपत्तसहस्सपत्तफुल्लकेसरो२. दीव-समुद्दा (अ, क, ता, ब, म, स); वचिया पत्तेय-पत्तेयं पउमवरवेइयापरि
जीवाभिगमे तृतीयप्रतिपत्तौ 'समुद्दा इत्येवपद- क्वित्ता पत्तेयं-पत्तेयं वणसंडपरिक्खित्ता। मस्ति, तदेवाऽत्र प्रासंगिकम् ।
५. सव्वजीवाणं ति-सर्व जीवानां द्वीप-समुद्रेष३. °माणाओ (अ, क, ता, ब, म, स)।
त्पादो नेतव्य:---इति सूचितं वृत्तिकृता । ४. अस्य पूरकपाठः जीवाभिगमस्य तृतीयप्रति- तदनुसृत्यात्र 'सव्वजीवाणं उप्पाओ' इतिपाठो पत्तौ लभ्यते । स चैवमस्ति
युज्यते। 'पडुप्पाएमाणा-पडुप्पाएमाणा पवित्थर- ६. भ० ११५१ । मारणा-पवित्थरमाणा ओभासमाणवीइया ७. प० २४ । बहुउप्पलपउमकुमुयणलिणसुभगसोगंधियपोंड
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२६६
भगवई
महिड्ढोयदेव-विकुव्वणा-पदं १६३. देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव' महाणुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता' पभू
एगवण्णं एगरूवं विउब्वित्तए ?
गोयमा ! नो इणढे समढें ॥ १६४. देवे णं भंते । बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगवण्णं एगरूवं विउवित्तए ?
हंता पभू ॥ १६५. से णं भंते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति ? तत्थगए पोग्गले
परियाइत्ता विउव्वति ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति ? गोयमा ! नो इहगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति, तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विउव्वति। एवं एएणं गमेणं जाव' १. एगवण्णं एगरूवं २. एगवण्णं प्रणेगरूवं ३. अणेग
वण्णं एगरूवं ४. अणेगवण्णं प्रणेगरूवं-चउभंगो॥ १६६. देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव' महाणुभागे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता
पभू कालगं पोग्गलं नीलगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? नीलगं पोग्गलं वा कालगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ?
गोयमा ! नो इणढे समढे । परियाइत्ता पभू ॥ १६७. से णं भंते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? तत्थगए पोग्गले
परियाइत्ता परिणामेति ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? गोयमा ! नो इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति । एवं एएणं गमेणं जाव १. एगवण्णं एगरूवं २. एगवण्णं अणेगरूवं ३. अणेगवण्णं एगरूवं ४. अणेगवण्णं अणेगरूवं-चउभंगो । एवं कालगपोग्गलं लोहियपोग्गलत्ताए। एवं कालएणं जाव सुक्किलं । एवं नीलएणं जाव सुक्किलं । एवं 'लोहिएणं जाव सुक्किलं" । एवं हालिद्दएणं जाव
सुक्किलं । एवं एयाए परिवाडीए गंध-रस फासा"। १. भ० ३।४।
८. भ० ६१६३, १६४ । २. अपरियादिइत्ता (अ, ता, ब, म)। ६. लोहियपोग्गलं जाव सुक्किलत्ताए (अ, स); ३. भ० ६।१६३, १६४ ।
लोहियपोग्गलं जाव सुक्किलं (म)। ४. भ० ३।४।
१०. तं एवं (अ, क, ता, ब, म)। ५. कालतं (क)।
११. कक्खडफासपोग्गलं मउय-फासपोग्गलत्ताए, ६. गीलपोग्ग० (अ, क, ता)।
एवं दो दो गरुयलहुय-सीयउसिण-णिद्धलुक्ख७. सं० पा०-तं चेव नवरं परिणामेति त्ति वण्णाई सव्वत्थ परिणामेइ । आलावगा दो दो भारिणयव्वं ।
पोग्गले अपरियाइत्ता, परियाइत्ता(अ,ब,म,स)।
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छ्टुं सतं (नवमो उद्देसो)
अविद्धसादि देवाणं जाणणा-पासणा-पदं
१६८. १. विसुद्धले से णं भंते ! देवे असमोहएणं' अप्पाणेणं श्रविसुद्धलेसं देवं, देवि, प्रणयरं जाणइ-पासइ ?
णोति
सट्टे ।
एवं - २. प्रविसुद्धले से देवे प्रसमोहरणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं ३. अविसु
से देवे समोहणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं ४. अविसुद्धले से देवे समोहरणं प्रप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं ५. अविसुद्ध लेसे देवे समोहयासमोहरणं प्रप्पाणेणं प्रविसुद्धलेसं देवं ६. अविसुद्ध से देवे समोहयासमोहरणं प्रप्पाणेणं विसुद्धले सं देवं ७. विसुद्धले से देवे समोहणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं ८. विसुद्ध से देवे समोहरणं प्रप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं ॥
१६६. ६. विसुद्धले से णं भंते ! देवे समोहएणं अप्पाणेणं प्रविसुद्धलेसं देवं जाणइ - पासइ ?
२६७
हंता जाणइ पासइ ।
एवं - १०. विसुद्धले से देवे समोहरणं प्रप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं ११. विसुद्ध से देवे समोहयासमोहरणं प्रप्पाणेणं श्रविसुद्धलेसं देवं १२. विसुद्धले से देवे समोहयासमोहरणं प्रप्पाणेणं विसुद्धले सं देवं ॥ १७०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. असंमो० ( अ, ता, म, स ) । २. अणगारं ( क ब ) | ३. समट्टे एवं हेट्ठिल्लएहिं अट्ठहिं न जाणइ न पासइ उवरिल्लएहिं चउहि जाणइ-पासइ (क, ता, वृ); स्वीकृतपाठस्य वृत्तिकृता वाचनान्तरत्वेन उल्लेखः कृतोस्ति
वाचनान्तरे तु सर्वमेवेदं साक्षाद्द्दश्यते ( वृ)। 'अ, ब, म, स' संकेतितादर्शेषु द्वयोर्वाचनयोमिश्रणं दृश्यते । तत्र द्वादशभंगानन्तरं ' एवं हेलिएह' इत्यादि पाठोस्ति ।
४. भ० १।५१ ।
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२६८
दसमो उद्देसो
सुह दुह उवदंसरण-पदं
१७१. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव' परूवेंति जावतिया रायगिहे नयरे जीवा, एवइयाणं जीवाणं नो चक्किया केइ सुहं वा दुहं वा जाव कोलट्ठिगमायमवि, निष्फावमायमवि, कलमायमवि, मासमायमवि, मुग्गमायमवि, जूया - मायमवि', लिक्खामायमवि अभिनिवट्टेत्ता' उवदंसेत्तए || १७२. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! जं णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्वंति जाव' मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि सव्वलोए वि य णं सव्वजीवाणं नो चक्किया केइ सुहं वा' 'दुहं वा जाव कोलट्ठिगमायमवि, निष्फावमायमवि, कलमायमवि, मासमायमवि, मुग्गमायमवि, जूयामायमवि, लिक्खामायमवि अभिनिवट्टेत्ता उवदंसेत्तए ||
१७३. से केणटुणं ? गोयमा ! प्रयण्णं जंबुद्दीवे दीवे जाव विसेसाहिए परिक्खेवेणं पण्णत्ते । देवे णं महिड्ढीए जाव' महाणुभागे एगं महं सविलेवणं गंधसमुग्गगं गहाय तं अवद्दालेति, प्रवद्दालेत्ता जाव इणामेव कट्टु केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहि अच्छरानिवाएहिं तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छेज्जा | से नूणं गोयमा ! से केवलकप्पे जंबुद्दीवे दीवे तेहि घाणपोग्गलेहि फुडे ? हंता फुडे ।
चक्किया णं गोयमा ! केइ तेसि घाणपोग्गलाणं कोलट्ठिमायमवि", "निप्फावमायमवि, कलमायमवि, मासमायमवि, मुग्गमायमवि, जूयामायमवि, लिक्खामायमवि अभिनिवट्टेत्ता उवदंसेत्तए ?
नो तिणट्ठे समट्टे । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ --नो चक्किया केइ सुहं वा जाव उवसेत्तए ।
जीव- चेयणा-पदं
१७४. जीवे णं भंते ! जीवे ? जीवे जीवे ?
o
१. भ० १।४२० ।
२. जय ० ( क, ब ) ; ऊया० (ता) |
३. ० तेत्ता (ता) ।
४. भ० १।४२१ ।
गोमा ! जीवे ताव नियमा जीवे, जीवे विनियमा जीवे ॥
५. भ० १।४२१ ।
६. सं० पा० - तं चैव जाव उवदंसेत्तए ।
भगवई
७. भ० ६।७५ ।
८. भ० ३।४ ।
६. तिहिं (अस) ।
१०. केयति ( स ) ।
११. सं० पा० - कोलट्टिमायमवि जाव उवदंसेत्तए
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छटुं सतं (दसमो उद्देसो)
२६६ १७५. जीवे णं भंते ! नेरइए ? नेरइए जीवे ?
गोयमा ! नेरइए ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय नेरइए, सिय अनेरइए॥ १७६. जीवे णं भंते ! असुरकुमारे? असुरकुमारे जीवे ?
गोयमा ! असुरकुमारे ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय असुरकुमारे, सिय
नोग्रसुरकुमारे ॥ १७७. एवं दंडओ भाणियव्वो' जाव वेमाणियाणं ।। १७८. जीवति भंते ! जीवे ? जीवे जीवति ?
गोयमा ! जीवति ताव नियमा जीवे, जीवे पुण सिय जीवति, सिय नो जीवति.। १७६. जोवति भंते ! ने रइए ? ने रइए जीवति ?
गोयमा ! नेरइए ताव नियमा जीवति, जीवति पुण सिय नेरइए, सिय अनेरइए । १८०. एवं दंडगो नेयव्वो जाव' वेमाणियाणं ।। १८१. भवसिद्धिए णं भंते ! नेरइए ? ने रइए भवसिद्धिए ?
गोयमा ! भवसिद्धिए सिय नेरइए, सिय अनेरइए । नेरइए वि य सिय भवसि
द्धीए, सिय अभवसिद्धीए । १८२. एवं दंडओ जाव वेमाणियाणं ।। वेदणा-पदं १८३. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव' परूवेति- एवं खलु सव्वे पाणा
भूया जीवा सत्ता एगंतदुक्खं वेदणं वेदेति ।। १८४. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! जं णं ते अण्णउत्थिया जाव मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एबमाइक्खामि जाव' परूवेमि-अत्येगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एगंतदुक्ख वेदणं वेदेति, प्राहच्च सायं । अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता एगंतसायं वेदणं वेदेति, पाहच्च अस्सायं । अत्थेगइया पाणा भूया जीवा सत्ता वेमायाए
वेदणं वेदेति --ग्राहच्च सायमसायं ।। १८५. से केणट्रेणं ?
गोयमा ! नेरइया एगंतदुक्खं वेदणं वेदेति, ग्राहच्च सायं । भवणव इ-वाणमंतरजोइस-वेमाणिया एगंतसायं वेदणं वेदेति, पाहच्च अस्सायं । पुढविक्काइया जाव' मणस्सा वेमायाए वेदणं वेदेति–पाहच्च सायमसायं । से तेण?णं ॥
१. नेतन्वो (क, ता, ब)। २. पू० प० २। ३. पू०प०२। ४. पू० प० २। ५. भ० ११४२० ।
६. भ०११४२१ । ७. भ० ११४२१ । ८. असायं वेदणं वेदेति (अ, ता, म, स)। ६. पू०प०२।
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२७०
नेरइयादीनं श्राहार-पदं
१८६. नेरइया णं भंते ! जे पोगले प्रत्तमायाए श्राहारेति तं किं प्रायसरी रखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए ग्राहारेंति ? प्रणंतरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए श्राहारेंति ? परंपरखेत्तोगाढे पोगले अत्तमायाए आहारैति ?
गोयमा ! आयसरीरखेत्तोगाढे पोग्गले अत्तमायाए आहारेंति, नो प्रणंतरखेत्तोगाढे पोगले प्रत्तमायाए प्रहारेति, नो परंपरखेत्तोगाढे पोग्गले प्रत्तमायाए
हाति ।
जहा नेरइया तहा जाव' वेमाणियाणं दंड ॥
केवलस्सनाण-पदं
१८७. केवली णं भंते ! आयाणेहि जाणइ-पासइ ? गोमा ! नो इट्टे समट्ठे ॥
१८८. से केणट्टेणं ?
संगहणी - गाहा
गोयमा ! केवली णं पुरत्थिमे णं मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ जाव' frogs दंसणे केवलिस । से तेणट्टेणं ।
जीवाण सुहं दुक्खं जीवे जीवति तहेव भविया य । एतदुक्खं वेयण-प्रत्तमायाय केवली ॥१॥
१८६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।।
१. पू० प० २ । २. भ० ५।६७ ।
भगवई
३. भ० १।५१ ।
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सत्तमं सतं
पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा
१. पाहार २. विरति ३. थावर, ४. जीवा ५. पक्खी य ६. प्राउ ७. अणगारे।
८. छउमत्थ ६. असंवुड, १०. अण्णउत्थि दस सत्तमंमि सए ॥१॥ प्रणाहारग-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव' एवं वदासी-जीवे णं भंते ! के समयमणा
हारए भवइ? गोयमा ! पढमे समए सिय आहारए सिय प्रणाहारए, बितिए समए सिय
आहारए सिय अणाहारए, ततिए समए सिय आहारए सिय अणाहारए, चउत्थे समए नियमा आहारए। एवं दंडो-जीवा य एगिदिया य चउत्थे समए',
सेसा ततिए समए॥ सव्वप्पाहारग-पदं २. जीवे णं भंते ! के समयं सव्वप्पाहारए भवति ?
गोयमा ! पढमसमयोववन्नए वा चरिमसमयभवत्थे वा, एत्थ णं जीवे सव्वप्पाहारए भवति । दंडअो भाणियव्वो जाव' वेमाणियाणं ।।
१. भ० ११४-१०। २. किं (अ)। ३. 'नियमा आहारए' इति शेषम् ।
४. 'नियमा आहारए' इति शेषम् । ५. ° समए ° (स)। ६. पू०प० २।
२७१
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२७२
भगवई
लोगसंठाण-पदं ३. किसंठिए णं भंते ! लोए पण्णत्ते ?
गोयमा ! सुपइट्ठगसंठिए लोए पण्णत्ते–हेट्ठा विच्छिण्णे', 'मज्झे संखित्ते, उप्पि विसाले ; अहे पलियंकसंठिए, मज्झे वरवइरविग्गहिए, उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठिए। तंसि च णं सासयंसि लोगंसि हेट्ठा विच्छिण्णंसि जाव उप्पि उद्धमइंगाकारसंठियं सि उप्पण्णनाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली जीवे वि जाणइ-पासइ, अजीवे वि जाणइ-पासइ, तो पच्छा सिज्झइ' 'बुज्झइ मुच्चइ परिनिव्वाइ
सव्वदुक्खाणं° अंतं करेइ । समणोवासगस्स किरिया-पदं ४. समणोवासगस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स तस्स ___णं भंते ! कि रियावहिया' किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ ?
गोयमा ! नो रियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ ।। ५. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ–नो रियावहिया किरिया कज्जइ ? • संपरा
इया किरिया कज्जइ? गोयमा ! समणोवासयस्स णं सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स पाया अहिगरणी भवइ, आयाहिगरणवत्तियं च णं तस्स नो रियावहिया किरिया
कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ । से तेणटेणं ।। समणोवासगस्स प्रणाउट्टिहिंसा-पदं ६. समणोवासगस्स णं भंते ! पुवामेव तसपाणसमारंभे पच्चक्खाए भवइ, पढवि
समारंभे अपच्चक्खाए भवइ । से य पुढवि खणमाणे अण्णयरं तसं पाणं विहिसेज्जा, से णं भंते ! तं वयं अतिचरति ?
नो इण? समढे, नो खलु से तस्स अतिवायाए प्राउट्टति ।। ७. समणोवासगस्स णं भंते ! पुवामेव वणप्फइसमारंभे पच्चक्खाए । से य पुढवि
खणमाणे अण्णय रस्स रुक्खस्स मूलं छिदेज्जा, से णं भंते ! तं वयं अतिचरति ? नो इणढे समढे, नो खलु से तस्स अतिवायाए प्राउट्टति ।।
१. सं० पा०--विच्छिण्णे जाव उप्पि।
५. अत्थ (अ, ब, म, स)। २. तंसि (अ); तंसि तेसि (ता); तस्सि (म)। ६. इरिया ° (क, ता)। ३. सं० पा०-सिज्झइ जाव अंतं ।
७. सं० पा०- केरणद्वेणं जाव संपराइया। ४. समणोवासए (क, स)।
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संत सतं (पढमो उद्देसो)
समणपडिला भेण लाभ-पदं
८. समणोवासए णं भंते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा फासु-एस णिज्जेणं असणपाण - 'खाइम साइमेणं" पडिला भेमाणे किं लब्भइ ?
गोयमा ! समणोवासए णं तहारूवं समणं वा माहणं वा फासु-एस णिज्जेणं सण-पान-खाइम - साइमेणं पडिलाभेमाणे तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा समाहिं उप्पाएति, समाहिकारए णं तामेव समाहिं पडिलभइ ||
६. समणोवासए णं भंते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा फासु-एसणिज्जेणं असण
0
पाण- खाइम साइमेणं पडिलाभेमाणे किं चयति ?
गोयमा ! जीवियं चयति, दुच्चयं चयति, दुक्करं करेति, दुल्लहं लहइ, बोहि
बुज्झइ, तो पच्छा सिज्झति जाव' अंतं करेति ॥
प्रकम्मस्स गति-पदं
१०. श्रत्थि णं भंते ! श्रकम्मस्स गती पण्णायति ? हंता प्रत्थि ||
११. कहणं भंते ! श्रकम्मस्स गती पण्णायति ?
गोमा ! निस्संगयाए, निरंगणयाए, गतिपरिणामेणं, बंधणछेदणयाए, निरिधयाए, पुव्वणं श्रकम्मस्स गती पण्णायति ॥
१२. कहण्णं भंते! निस्संगयाए, निरंगणवाए, गतिपरिणामेणं मस्स गती पण्णायति ?
से जहानामए केइ पुरिसे सुक्कं तुंबं निच्छिड्ड निरूवहयं श्राणुपुव्वीए परिकम्मेमाणे- परिकम्मेमाणे दब्भेहिय कुसेहि य वेढेइ, वेढेत्ता अट्ठहिं मट्टियालेवेहिं लिपs, लिपित्ता उन्हे दलयति भूर्ति-भूति सुक्कं समाणं प्रत्थाहमतारमपोरिसिसि' उदगंसि पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा ! से तुंबे तेसि अट्ठण्हं मट्टियालेवाणं गुरुयत्ताए भारित्ताए गुरुसंभारियत्ताए सलिलतलमतिवइत्ता हे धरणितलपट्ठाणे भवइ ?
हंता भवइ ।
हे से तुंबे सिहं मट्टियालेवाणं परिक्खएणं धरणितलमतिवइत्ता उप्पि सलिलतलपट्ठाणे भवइ ?
१. खातिम-सातिमेणं ( अ, ब, स ) ।
२. सं० पा० - समणं वा जाव पडिलाभे ।
३. तमेव ( क्व० ) ।
४. सं० पा० - समरणं वा जाव पडिलाभे ।
२७३
५. दुचयं ( स ) ।
६. भ० ७।३ ।
७. बंधवोच्छेदणाए (ता) ।
८. इह मकारी प्राकृतप्रभवो (वृ) ।
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२७४
हंता भवइ ।
एवं खलु गोयमा ! निस्संगयाए, निरंगणयाए, गतिपरिणामेणं अकम्मस्स गती पण्णायति ॥
१३. कहण्णं भंते ! बंधणछेदणयाए कम्मस्स गती पण्णायति' ?
गोयमा ! से जहानामए कलसिंबलिया इवा, मुग्गसिंबलिया इवा, माससिंबलिया इवा, सिलिसिबलिया' इवा, एरंडमिजिया इ वा उण्हे दिन्ना' सुक्का समाणी फुडित्ता णं एगंतमंतं गच्छइ । एवं खलु गोयमा ! बंधणछेदणयाए कम्मस्स गती पण्णायति ॥
१४. कहणं भंते ! निरिधणयाए कम्मस्स गती पण्णायति ?
गोमा से जहानामए धूमस्स इंधणविप्पमुक्कस्स उड्ढं वीससाए निव्वाघाएणं ती पवत्तति । एवं खलु गोयमा ! निरिंधणयाए कम्मस्स गती पण्णायति ॥ १५. कहण्णं भंते ! पुब्वप्पोगेणं अकम्मस्स गती पण्णायति ?
भगवई
दुक्खिस्स दुक्ख फासादि-पदं
१६. दुक्खी भंते ! दुक्खेणं फुडे ? दुक्खी दुक्खेणं फुडे ? गोमा ! दुक्खी दुक्खेणं फुडे, नो दुक्खी दुक्खेणं फुडे || १७. दुक्खी भंते ! नेरइए दुक्खेणं फुडे ? दुक्खी ने रइए दुक्खेणं फुडे ? गोयमा ! दुक्खी ने रइए दुक्खेणं फुडे, नो दुक्खी ने रइए दुक्खेणं फुडे | १८. एवं दंड जाव' वेमाणियाणं ||
गोमा ! से जहानामए कंडस्स कोदंडविप्पमुक्कस्स लक्खाभिमुही निव्वाघाएणं गती पवत्तइ । एवं खलु गोयमा ! पुव्वप्पोगेणं अकम्मस्स गती पण्णायति । एवं खलु गोयमा ! निस्संगयाए, निरंगणयाए', 'गतिपरिणामेणं, बंधणछेदणया, निधिणया, पुव्वष्पोगेणं प्रकम्मस्स गती पण्णायति ॥
१६. एवं पंच दंडगा नेयव्वा - १. दुक्खी दुक्खेणं फुडे २. दुक्खी दुक्खं परियायइ ३. दुक्खी दुक्खं उदीरेइ ४. दुक्खी दुक्खं वेदेति ५. दुक्खी दुक्खं निज्जरेति ॥
इरिया हिय- संपराइय-किरियापदं
२०. अणगारस्स णं भंते ! प्रणाउत्तं गच्छमाणस्स वा, चिट्टमाणस्स वा, निसीयमाणस्स वा, तुयट्टमाणस्स वा प्रणाउत्तं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं गेह
१. पण्णत्ता ( अ, क, ता, ब, म, स ) । २. सेंबलिसें बलिया (ता) |
३. दित्ता ( स ) ।
४. नीसंगयाए ( अ, क, ब, म, स) ।
५. सं० पा० - निरंगरगयाए जाव पुव्व 1 ६. पू० १०२ ।
७. सर्वेष्वपि पदेषु 'अरणा उत्तं' इति पदं गम्यम् ।
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२७५
सत्तमं सतं (पढमो उद्देसो) . माणस्स वा, निक्खिवमाणस्स वा तस्स णं भंते ! किं' रियावहिया किरिया
कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ?
गोयमा ! नो रियावहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ॥ २१. से केणटेणं?
गोयमा ! जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा' भवंति तस्स णं रियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ। अहासुत्तं रीयमाणस्स रियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ । से णं उस्सु
त्तमेव रीयती । से तेणतुणे ।। सइंगालादिदोसदुट्ठ-पाणभोयण-पदं २२. अह भंते ! सइंगालस्स, सधूमस्स, संजोयणादोसदुट्ठस्स पाण-भोयणस्स के
अटू पण्णत्ते? गोयमा ! जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण-खाइमसाइमं पडिग्गाहेत्ता मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने आहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! सइंगाले पाण-भोयणे । जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण-खाइम-साइमं पडिग्गाहेत्ता महयाअप्पत्तियं कोहकिलामं करेमाणे याहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! सधमे पाण-भोयणे। जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण-खाइम-साइमं० पडिग्गाहेत्ता गुणुप्पायणहेउं अण्णदव्वेणं सद्धि संजोएत्ता आहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! संजोयणादोसदुढे पाण-भोयणे।। एस णं गोयमा ! सइंगालस्स, सधूमस्स, संजोयणादोसदुट्ठस्स पाण-भोयणस्स
अट्ठ पण्णत्ते॥ २३. अह भंते ! वीतिगालस्स, वीयधूमस्स, संजोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाण-भोय
णस्स के अटे पण्णत्ते? गोयमा ! जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण खाइम
१. x (क, ता, ब)।
५. रियति (अ, क, ब, म, स)। २. विच्छिण्णा (ब)।
६. सं० पा०-निग्गंथे वा जाव पडिग्गाहेता। ३. कज्जइनो संपराइया किरिया कज्जइ (म)। ७. गुणप्पयाण ° (अ, स); गुरणप्पायणा (ता) ४. कज्जइ नो इरियावहिया किरिया कज्जइ ८. सं० पा०-निग्गंथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता।
(म, स)।
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२७६
भगवई
२४.
साइमं पडिग्गाहेत्ता अमुच्छिए' 'अगिद्धे अगढिए प्रणझोववन्ने प्राहारमा ०. हारेइ, एस णं गोयमा ! वीतिगाले पाण.भोयणे । जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्ज असण पाण खाइम साइमं ° पडिग्गाहेत्ता णो महयाअप्पत्तियं 'कोहकिलामं करेमाणे आहारमा हारेइ, एस णं गोयमा ! वीयधूमे पाण-भोयणे। जेणं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं असण-पाण-खाइम-साइमं ° पडिग्गाहेत्ता जहा लद्धं तहा आहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! संजोयणादोसविप्पमुक्के पाण-भोयणे। एस णं गोयमा ! वीतिगालस्स, वीयधूमस्स, संजोयणादोसविप्पमुक्कस्स पाणभोयणस्स अट्ठ पण्णत्ते ॥ अह भंते ! खेत्तातिक्कंतस्स, कालातिक्कंतस्स, मग्गातिक्कंतस्स, पमाणातिक्कंतस्स पाण-भोयणस्स के अद्वे पण्णत्ते ? गोयमा ! जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण-खाइमसाइमं अणुग्गए सूरिए पडिग्गाहेत्ता उग्गए सूरिए आहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! खेत्तातिक्कते' पाण-भोयणे। जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्जं असणं-पाण-खाइम ° -साइमं पढमाए पोरिसीए पडिग्गाहेत्ता पच्छिमं पोरिसि उवाइणावेत्ता आहारमाहारेइ एस णं गोयमा ! कालातिक्कंते पाण-भोयणे । जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण-खाइम ° -साइम पडिग्गाहेत्ता परं अद्धजोयणमेराए वीइक्कमावेत्ता' आहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! मग्गातिक्कते पाण-भोयणे। जेणं निग्गंथे वा निग्गंथी वा फासु-एसणिज्ज असण-पाण-खाइम साइम पडिग्गाहेत्ता परं बत्तीसाए कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ताणं कवलाणं आहारमाहारेइ, एस णं गोयमा ! पमाणातिक्कते पाण-भोयणे । अट्ट कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अप्पाहारे, दुवालस
कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अवड्ढोमोयरिए", सोलस १. सं० पा०-अमुच्छिए जाव आहारेइ। ७. उवायणा (अ, म)। २. सं० पा०—निग्गंथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता। ८. सं० पा०-निग्गंथे वा जाव साइमं । ३. स. पा०-महयाअप्पत्तियं जाव आहारेइ। ६. वीइक्कमावइत्ता (स)। ४. सं० पा०-निग्गंथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता। १०. निग्गंथो (क, ता, स)। ५. क्षेत्र-सूर्यसंबन्धितापक्षेत्र दिनमित्यर्थः । तद. ११. सं० पा०-एसणिज्जं जाव साइमं ।
तिकान्तं यत् तत् क्षेत्रातिकान्तम् (वृ)। १२. साधर्भवतीति गम्यम् । ६. सं० पा०-निग्गंथे वा जाव साइमं । १३. अवड्ढोमोयरिया (अ, ता)।
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सत्तमं सतं (बीओ उद्देसो)
२७७ कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे दुभागप्पत्ते, चउव्वीसं कुक्कुडिअंडगपमाण मेत्ते कवले ° आहारमाहारेमाणे प्रोमोदरिए, बत्तीसं कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे पमाणपत्ते, एत्तो एक्केण विघासेणं ऊणगं आहारमाहारेमाणे समणे निग्गंथे नो पकामरसभोईति वत्तव्वं सिया । एस णं गोयमा ! खेत्तातिक्कंतस्स, कालातिक्कंतस्स, मग्गातिक्कंतस्स, पमाणातिक्कंतस्स पाण-भोयणस्स अट्ठे पण्णत्ते ।। अह भंते ! सत्थातीतस्स, सत्थपरिणामियस्स', एसियस्स, वेसियस्स, सामुदाणियस्स पाण-भोयणस्स के अटे पण्णत्ते ? गोयमा ! जे णं निग्गंथे वा निग्गंथी वा निक्खित्तसत्थमुसले ववगयमालावण्णग-विलेवणे वगय-चुय-चइय-चत्तदेहं, जीवविप्पजढं, अकयं, अकारियं, असंकप्पियं, अणाहूयं, अकीयकडं, अणुद्दिटुं, नवकोडीपरिसुद्धं, दसदोसविप्पमुक्कं, उग्गमुप्पायणेसणासुपरिसुद्धं, वीतिगाल, वीतधूमं, संजोयणादोसविप्पमुक्कं, असुरसुरं, अचवचवं, अदुयं, अविलंबियं, अपरिसाडि, अक्खोवंजण-वणाणुलेवणभूयं, संजमजायामायावत्तियं, संजमभारवहणट्ठयाए बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणणं ग्राहारमाहारेड, एस णंगोयमा ! सत्थातीतस्स. सत्थपरिणामियस्स
•एसियस्स, वेसियस्स, सामुदाणियस्स° पाण-भोयणस्स अट्ठ' पण्णत्ते ।। २६. सेवं भंते ! सेवं भंते । ति ॥
बीओ उद्देसो सुपच्चक्खारण-दुपच्चक्खाण-पदं २७. से नूणं भंते ! सव्वपाणेहिं, सव्वभूएहि, सव्वजीवेहि, सव्वसत्तेहिं पच्चक्खा
यमिति वदमाणस्स सुपच्चक्खायं भवति ? दुपच्चक्खायं भवति ? गोयमा ! सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पच्चक्खायमिति वदमाणस्स सिय सुपच्चक्खायं भवति, सिय दुपच्चक्खायं भवति ॥
१. सं० पा०-०पमाणे जाव आहार । ५. सं० पा०-सत्थपरिणामियस्स जाव पाण। २. ओमोदरिया (अ, ता, स); ओमोदरियाए (ब)। ६. अयमट्टे (अ) । ३. पारि° (ता)।
७. भ०१५१। ४. असुरुससुरं (ता)।
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२७८
- भगवई
२८. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-सव्वपाणेहिं जाव' सव्वसत्तेहिं पच्चक्खाय
मिति वदमाणस्स सिय सुपच्चवखायं भवति ° ? सिय दुपच्चवखायं भवति ? गोयमा ! जस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहि पच्चक्खायमिति वदमाणस्स णो एवं अभिसमन्नागयं भवति- इमे जीवा, इमे अजीवा, इमे तसा, इमे थावरा, तस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पच्चवखायमिति वदमाणस्स नो सुपच्चक्खायं भवति, दुपच्चक्खायं भवति।। एवं खलु से दुपच्चवखाई सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहि पच्चवखायमिति वदमाणे नो सच्चं भासं भासइ, मोसं भासं भासइ । एवं खलु से मुसावाई सव्वपाणेहि जाव सव्वसत्तेहिं तिविहं तिविहेणं असंजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मे, सकिरिए, असंवुडे, एगंतदंडे, एगंतबाले यावि भवति । जस्स णं सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पच्चवखायमिति वदमाणस्स एवं अभिसमन्नागयं भवति–इमे जीवा, इमे अजीवा, इमे तसा, इमे थावरा, तस्स णं सव्वपाणेहि जाव सव्वसत्तेहि पच्चक्खायमिति वदमाणस्स सुपच्चक्खायं भवति, नो दुपच्चक्खायं भवति । एवं खल से सपच्चक्खाई सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहिं पच्चक्खायमिति वदमाणे सच्चं भासं भासइ, नो मोसं भासं भासइ। एवं खलू से सच्चवादी सव्वपाणेहिं जाव सव्वसत्तेहि तिविहं तिविहेणं संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मे, अकिरिए, संवुडे, एगंतपंडिए यावि भवति । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ'- 'सव्वपाणेहि जाव सव्वसत्तेहि पच्चक्खायमिति वदमाणस्स सिय सुपच्चक्खायं भवति°, सिय दुपच्चक्खायं भवति ।।
पच्चक्खाण-पदं २६. कतिविहे णं भंते ! पच्चवखाणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे पच्चवखाणे पप्णत्ते, तं जहा- मूलगुणपच्चवखाणे य, उत्तर
गुणपच्चक्खाणे य॥ ३०. मूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सव्वमूलगुणपच्चक्खाणे य, देसमूलगुण
पच्चक्खाणे य॥ ३१. सव्वमूलगुणपच्चवखाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-सव्वानो पाणाइवायानो वेरमण',
१. भ० ७।२७। २. सं० पा०-सव्वसत्तेहिं जाव सिय।
३. सं० पा०-वुच्चइ जाव सिय । ४. सं० पा०-वेरमणं जाव सव्वाअो।
.
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सत्तमं सतं (बीओ उद्देसो)
२७६
● सव्वा मुसावाया वेरमणं, सव्वाश्री प्रदिण्णादाणाश्रो वेरमणं, सव्वाश्रो मेहुणा वेरमणं, सव्वा परिग्गहाम्रो वेरमणं ॥
३२. देसमूलगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा -थूला
पाणाइवायाश्रो वेरमणं',
थूला मुसावाया वेरमणं, थूलाओ ग्रदिण्णादाणा वेरमणं, थूलाओ मेहुणाओ वेरमणं, थूला परिग्गहाम्रो वेरमणं ॥
कतिविहे पण्णत्ते ?
३३. उत्तरगुणपच्चक्खाणे णं भंते
!
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणे य, देसुत्तरगुणपच्चक्खाणे य ||
३४. सव्वत्तरगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? गोमा ! दसविहे पण्णत्ते, तं जहा
गाहा—
१, २. अणागयम इक्कतं ३. कोडीसहियं ४. नियंटियं चेव । ५, ६. सागारमणागारं ७. परिमाणकडं ८. निरवसेसं । ६. संकेयं चेव १०. अद्धाए, पच्चक्खाणं भवे दसहा ॥१॥ ३५. देसुत्तरगुणपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा- १. दिसिव्वयं २. उवभोगपरिभोगपरिमाणं ३. प्रणत्थदंडवेरमणं' ४. सामाइयं ५. देसावगासियं ६. पोसहोव - वास ७. प्रतिहिसं विभागो' । प्रपच्छिममा रणंतियसंले हणाभूषणा राहणता ॥ पच्चक्खाणि प्रपच्चक्खाणि-पदं
३६. जीवा णं भंते! किं मूलगुणपच्चक्खाणी ? उत्तरगुणपच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी ? गोयमा ! जीवा मूलगुणपच्चक्खाणी वि, उत्तरगुणपच्चक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि ॥
३७. नेरइया णं भंते ! कि मूलगुणपच्चक्खाणी ? पुच्छा |
गोयमा ! नेरइया नो मूलगुणपच्चक्खाणी, नो उत्तरगुणपच्चक्खाणी, अपच्चखाणी ॥
१. सं० पा० - वेरमणं जाव थूलाओ । २. साएतं (ता, म ); साकेयं (स, वृ); संकेयगं ( ठा० १०।१०१) केतः चिन्हं सहकेतेन वर्तते सकेतम् – दीर्घता च प्राकृतत्वात् (वृ) । ३. दिसुव्वतं ( ता ) । ४. अणट्टा (ता) ।
ܘ
५. अहासं विभाग (म) |
६. संलेखनामविगणय्य सप्त देशोत्तरगुणा इत्युक्तम्, अस्याश्चैतेषु पाठो देशोत्तरगुणधारिणाsपीयमन्ते विधातव्येत्यस्यार्थस्य ख्यापनार्थः
(वृ)।
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२८०
३८. एवं जाव' चउरिदिया ||
३६. पंचिदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य जहा जीवा, वाणमंतर - जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया ||
४०. एएसि णं भंते ! जीवाणं मूलगुणपच्चक्खाणीणं, उत्तरगुणपच्चक्खाणीणं, अपच्चक्खाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ?
o
गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा, अपच्चवखाणी प्रणतगुणा ||
४१. एएसि णं भंते ! पचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ।
गोयमा ! सव्वत्थोवा' पंचिदियतिरिक्खजोणिया मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी प्रसंखेज्जगुणा, प्रपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा || ४२. एएसि णं भंते ! मणुस्साणं मूलगुणपच्चक्खाणीणं पुच्छा ।
गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सा मूलगुणपच्चक्खाणी, उत्तरगुणपच्चक्खाणी संखेज्जगुणा, प्रपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा |
४३. जीवा णं भंते !
किं सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी ? देसमूलगुणपच्चक्खाणी ?
पच्चक्खाणी ?
गोयमा ! जीवा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी वि, देसमूलगुणपच्चक्खाणी वि, अपच्चवखाणी वि ॥
४४. नेरइयाणं पुच्छा ।
गोयमा ! नेरइया नो सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, नो देसमूलगुणपच्चक्खाणी, पचक्खाणी ||
४५. एवं जाव' चउरिदिया ||
४६. पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं
भगवई
पुच्छा ।
गोयमा ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया नो सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी', अपच्चक्खाणी वि ॥
४७. मणुस्सा भंते ! किं सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी ? देसमूलगुणपच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी ?
गोयमा ! मणुस्सा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी वि, देसमूलगुणपच्चक्खाणी वि, पच्चक्खाणी वि ॥
१. ५० प० २ ।
२. सं० पा० - कय रेहिंतो जाव विसेसाहिया । ३. सव्वत्थोवा जीवा ( अ ) ।
४. पू० प० २ ।
५. ० पच्चक्खाणी वि (क, ता, म, स ) । ६. सं० पा० - मणुस्सा जहा जीवा ।
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सत्तमं सतं (बीओ उद्देसो)
४८. वाणमंतर - जोइस-वेमाणिया जहा नेरइया ॥
४६. एएसि णं भंते ! जीवाणं सव्वमूलगुणपच्चक्खाणीणं, देसमूलगुणपच्चक्खाणीणं, पच्चक्खाणीण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा १० विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा सव्वमूलगुणपच्चवखाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी प्रणतगुणा ||
५०. एएसि णं भंते ! पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा ।
गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचिदियतिरिक्खजोणिया देसमूलगुणपच्चक्खाणी, अप्पच्चक्खाणी ग्रसंखेज्जगुणा ॥
५१. एएसि णं भंते! मणुस्साणं सव्वमूलगुणपच्चवखाणीणं पुच्छा |
गोयमा ! सव्वत्थोवा मणुस्सा सव्वमूलगुणपच्चक्खाणी, देसमूलगुणपच्चक्खाणी सखेज्जगुणा, प्रपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा ||
o
५२. जीवा णं भंते! किं सव्युत्तरगुणपच्चक्खाणी ? देसुत्तरगुणपच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी ?
गोयमा ! जीवा सव्वुत्तरगुणपच्चक्खाणी वि' 'देसुत्तरगुणपच्चक्खाणी वि अपच्चवखाणी वि ।
पचिदियतिरिखखजोणिया मणुस्सा य एवं चेव । सेसा प्रपच्चक्खाणी जाव वेमाणिया ||
५३. एएसि णं भंते! जीवाणं सव्वत्तरगुणपच्चक्खाणीणं अप्पाबहुगाणि तिणि वि जहा पढमे दंड जाव' मणुस्साणं ||
५४. जीवा णं भंते! कि संजया ? असंजया ? संजयासंजया ?
गोयमा ! जीवा संजया वि,
संजया वि, संजयासंजया वि । एवं जहेव पण्णवणाए तहेव भाणियव्वं जाव' वेमाणिया । अप्पाबहुगं तहेव तिष्ह वि भाणियव्वं ॥
५५. जीवा णं भंते! किं पच्चक्खाणी ? अपच्चक्खाणी ? पच्चक्खाणापच्चक्खाणी ?
१. सं० पा० - कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया । २. सं० पा० - एवं अप्पाबहुगारिण तिष्णि वि जहा पढमिल्ले दंडए, नवरं - सव्वत्थोवा पंचिदियतिरिक्खजोगिया देसमूलगुरणपच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा । ३. सं० पा० - तिण्णि वि।
२८१
४. पू० प० २ ।
५. भ० ७।४०-४२ ।
६. सं० पा० - तिण्णि वि ।
७. प० ३२ ।
८. भ० ७।४०-४२ ।
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२८२
गोयमा ! जीवा पच्चक्खाणी वि, अपच्चक्खाणी वि, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी वि ॥
५६. एवं मणुस्साण वि । पंचिदियतिरिक्खजोणिया दिल्लविरहिया । सेसा सव्वे पच्चक्खाणी जाव' वेमाणिया ||
५७. एएसि णं भंते ! जीवाणं पच्चक्खाणीणं' प्रपच्चक्खाणीणं पच्चक्खाणापच्चक्खाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा° ? विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा पच्चक्खाणी, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा, पच्चवखाणी अनंतगुणा ।
पंचिदियतिरिक्खजोणिया सव्वत्थोवा पच्चक्खाणापच्चक्खाणी, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा | मणुस्सा सव्वत्थोवा पच्चक्खाणी, पच्चक्खाणापच्चक्खाणी संखेज्जगुणा, अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा' |
सासय-असासय-पदं
५८. जीवाणं भंते ! किं सासया ? असासया ?
गोयमा ! जीवा सिय सासया, सिय प्रसासया ॥
५६. सेकेणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - जीवा सिय सासया ? सिय प्रसासया ? गोयमा ! दव्वट्टयाए सासया, भावट्टयाए असासया । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ' - जीवा सिय सासया, सिय सासया ।।
६०. नेरइया णं भंते ! किं सासया ? प्रसासया ?
एवं जहा जीवा तहा नेरइया वि । एवं जाव वेमाणिया सिय सासया, सिय
असासया ।।
६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।
१. सं० पा० तिण्णि वि ।
२. वितिष्णि वि ( अ, स ) ।
भगवई
५. तुलना - भ० ६ । ६४ । ६. सं० पा० - वुच्चइ जाव सिय ।
३. पू० प० २ ।
७. पू० प० २ ।
४. सं० पा०—पच्चक्खाणीणं जाव विसेसाहिया ८. भ० १।५१ ।
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सत्तमं सतं ( तइओ उद्देसो)
तइओ उद्देसो
वण्णस्सइ श्राहार-पदं
६२. वणस्सइक्काइया णं भंते ! कं कालं सव्वप्पाहारगा वा, सव्वमहाहारंगा वा भवंति ?
गोयमा ! पाउस - वरिसारत्तेसु णं एत्थ णं वणस्सइकाइया सव्वमहाहारगा भवंति, तदाणंतरं च णं सरदे, तदाणंतरं च णं हेमंते, तदाणंतरं च णं वसंते, तदाणंतरं च णं गिम्हे । गिम्हासु णं वणस्सइकाइया सव्वप्पाहारगा भवति ॥ ६३. जइ णं भंते! गिम्हासु वणस्सइकाइया सव्वाप्पाहारगा भवंति, कम्हाणं भंते! गिम्हासु बहवे वणस्सइकाइया पत्तिया, पुष्फिया, फलिया, हरियगरेरिज्जमाणा, सिरीए अतीव प्रतीव उवसोभेमाणा उवसोभेमाणा चिट्ठति ? गोयमा ! गिम्हासु णं बहवे उसिणजोणिया जीवा य, पोग्गला य वणस्स - काइयत्ताए वक्कमति, चयति उववज्जति । एवं खलु गोयमा ! गिम्हासु बहवे वणस्सइकाइया पत्तिया, पुष्फिया, फलिया, हरियगरेरिज्ज माणा, सिरीए प्रतीव प्रतीव उवसोभेमाणा - उवसोभेमाणा चिट्ठति ॥ ६४. से नूणं भंते ! मूला मूलजीवफुडा, कंदा कंदजीवफुडा', खंधा खंधजीवफुडा, तया तयाजीवफुडा, साला सालजीवफुडा, पवाला पवालजीवफुडा, पत्ता पत्तजीवकुडा, पुप्फा पुप्फजीवफुडा, फला फलजीवफुडा, बीया बीयजीवफुडा ? हंता गोयमा ! मूला मूलजीवफुडा जाव बीया बीयजीवकुडा ||
o
,
६५. जइ णं भंते ! मूला मूलजीवफुडा जाव' बीया वीयजीवफुडा, कम्हा णं भंते ! वणस्सइकाइया आहारेति ? कम्हा परिणामेंति ?
1
गोयमा ! मूला मूलजीवफुडा पुढवीजीवपडिबद्धा तम्हा ग्राहारेंति, तम्हा परिणामेंति । कंदा कंदजीवफुडा मूलजीवपडिबद्धा, तम्हा ग्राहारेति तम्हा परिणामेंति । एवं जाव बीया बीयजीवफुडा फलजीवपडिबद्धा तम्हा आहारेंति, हा परिणाति ॥
१. किं ( कम ) ।
२. तद° (ब) ।
३. सरए ( अ ) ।
४. विक्कमति ( ( अ, क ); विउक्कमंति चयंति
(स) ।
२८३
५. सं० पा०- - पुफिया जाव चिट्ठति । ६. सं० पा० - कंदजीवफुडा जाव बीया ।
७. भ० ७।६४ ।
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२८४
भगवई
अणंतकाय-पदं ६६. अह भंते ! आलुए, मूलए, सिंगबेरे, हिरिलि, सिरिलि, सिस्सिरिलि', किट्टिया',
छिरिया, छीरविरालिया', कण्हकंदे, वज्जकंदे, सूरणकंदे, खेलूडे' भद्दमोत्था', पिंडहलिद्दा', लोही, णीहू, थीहू, थिभगा', अस्सकण्णी, सीहकण्णी, सिउंढी', मुसंढी, जेयावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते अणंतजीवा विविहसत्ता' ?
हंता गोयमा ! पालुए, मूलए जाव अणंतजीवा विविहसत्ता । अप्पकम्म-महाकम्म-पदं ६७. सिय भंते ! कण्हलेसे नेरइए अप्पकम्मतराए? नीललेसे नेरइए महाकम्मतराए?
हंता सिय ॥ ६८. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-कण्हलेसे नेरइए अप्पकम्मतराए ? नीललेसे
नेरइए महाकम्मतराए ?
गोयमा ! ठिति पडुच्च । से तेणटेणं गोयमा ! जाव महाकम्मतराए । ६६. सिय भते ! नीललेसे नेरइए अप्पकम्मतराए ? काउलेसे नेरइए महाकम्मतराए ?
हंता सिय ॥ ७०. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-नीललेसे नेरइए अप्पकम्मतराए ? काउलेसे
नेरइए महाकम्मतराए ?
गोयमा ! ठिति पडुच्च । से तेण?णं गोयमा ! जाव महाकम्मतराए । ७१. एवं असुरकुमारे वि, नवरं-तेउलेसा अब्भहिया । एवं जाव" वेमाणिया। जस्स
जइ लेस्सागो तस्स तत्तिया भाणियव्वाअो । जोइसियस्स न भण्णइ जाव७२. सिय भंते ! पम्हलेस्से वेमाणिए अप्पकम्मतराए ? सुक्कलेस्से वेमाणिए
महाकम्मतराए ?
हंता सिय ॥ ७३. से केणद्वेणं ? १२ •गोयमा ! ठिति पडुच्च । से तेणतुणं गोयमा ! • जाव महा
कम्मतराए॥
१. सिस्सेरिलि (ता)। २. किट्टिया (अ, ता)। ३. छीरि° (अ)। ४. खल्लूडे (अ); खल्लुए (ता)। ५. अद्दमोत्था (अ, म, स)। ६. भिंड (क)। ७. विभंगा (अ); थिरुगा (म, स)।
८. सीहंढी (अ); सीदंडी (क); संदिट्ठी (ब); ___सीदंवी (म); सादंठी (स)।
६. विचित्तविहिसत्ता (वृपा)। १०. सिया (अ, ब)। ११. पू० प० २। १२. सं० पा०-सेसं जहा नेरइयस्स।
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२८५
सत्तमं सतं (तइओ उद्देसो) वंदणा-निज्जरा-पदं ७४. से नणं भंते ! जा वेदणा सा निज्जरा? जानिज्जरा सा वेदणा?
गोयमा ! णो इणढे सम? ॥ ७५. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जा वेदणा न सा निज्जरा ? जा निज्जरा न
सा वेदणा? गोयमा ! कम्मं वेदणा, नोकम्मं निज्जरा । से तेणद्वेणं गोयमा! एवं वुच्चइ
.-जा वेदणा न सा निज्जरा, जा निज्जरा न सा वेदणा ॥ ७६. नेरइया णं भंते ! जा वेदणा सा निज्जरा ? जा निज्जरा सा वेदणा ?
गोयमा ! णो इणढे समटे ॥ ७७. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइयाणं जा वेदणा न सा निज्जरा? जा
निज्जरा न सा वेदणा? गोयमा ! नेरइयाणं कम्मं वेदणा, नोकम्मं निज्जरा। से तेणटेणं गोयमा ! •एवं वुच्चइ-नेरइयाणं जा वेदणा न सा निज्जरा, जा निज्जरा' न सा
वेदणा॥ ७८. एवं जाव' वेमाणियाणं ॥ ७६. से नूणं भंते ! जं वेदेंसु तं निज्जरेंसु ? जं निज्जरेंसु तं वेदेसु ?
- णो इणढे समढे ॥ ८०. से केणगुणं भंते ! एवं वुच्चइ-जं वेदेंसु नो तं निज्जरेंसु ? जं निज्जरेंसु नो
तं वेदेसु ? गोयमा ! कम्मं वेदेंसु, नोकम्मं निज्जरेंसु। से तेण?णं गोयमा ! जाव नो
तं वेद॑सु ॥ ८१. एवं' नेरइया वि, एवं जाव वेमाणिया ।। ८२. से नूणं भंते ! जं वेदेति तं निज्जरेंति ? जं निज्जरेंति तं वेदेति ?
गोयमा ! णो इणटे समदे।। ८३. से केण?णं भंते ! एवं वच्चइ-जाव नो तं वेदेति ?
गोयमा ! कम्मं वेदेति, नोकम्मं निज्जरेंति। से तेण?णं गोयमा ! जाव नो
तं वेदेति ॥ ८४. एवं नेरइया वि जाव वेमाणिया । ८५. से नूणं भंते ! जं वेदिस्संति तं निजरिस्संति ? जं निजरिस्संति तं वेदिस्संति ?
___ गोयमा ! णो इणटे समढे ।।
१. कम्म (अ, क, म)। २. सं० पा०-गोयमा जाव न । ३. सं० पा०-गोयमा जाव न ।
४. पू०प०२। ५. नेरइया णं भंते ! जं वेदेंसु तं निज्जरेंसु एवं
(अ, क, ता, ब, म, स)।
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२८६
८६. से केणद्वेणं जाव नो तं वेदिस्संति ?
गोयमा ! कम्मं वेदिस्संति, नोकम्मं निज्जरिस्संति । से तेणट्ठेणं जाव नो तं निज्जरिस्संति ||
८७. एवं नेरइया वि जाव वेमाणिया ||
८८. से नूणं भंते ! जे वेदणासमए से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए से वेदणासमऐ ?
णो इणट्ठे समट्टे ॥
८६. सेकेट्टे भंते ! एवं वृच्चइ - जे वेदणासमए न से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए न से वेदणासमए ?
गोयमा ! जं समयं वेदेंति नो तं समयं निज्जरेंति, जं समयं निज्जरेंति तं समयं वेदेति - अण्णम्मि समए वेदेंति, अण्णम्मि समए निज्जरेंति । अण्णे से वेदणासम, अण्णे से निज्जरासमए । से तेणट्टेणं जाव न से वेदणासमए, न से निज्जरासम ||
६०. नेरइया णं भंते! जे वेदणासमए से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए से वेदणासमए ?
गोयमा ! णो इणट्टे समट्ठे ॥
भगवई
६१. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - नेरइया णं जे वेदणासमए न से निज्जरासमए ? जे निज्जरासमए न से वेदणासमए ?
गोयमा ! नेरइया णं जं समयं वेदेंति नो तं समयं निज्जरेंति, जं समयं निज्जरेंति नो तं समयं वेदेति - अण्णम्मि समए वेदेंति, अण्णम्मि समए निज्जरेंति । अण्णे से वेदणासमए, अण्णे से निज्जरासमए । से तेणट्टेणं जाव न से वेदणासमए ॥ ६२. एवं जाव वेमाणियाणं ॥
सासय प्रसासय-पदं
६३. नेरइया णं भंते! किं सासया ? प्रसासया ?
गोयमा ! सिय सासया, सिय प्रसासया ॥
६४. सेकेणट्टेणं भंते ! एवं वृच्चइ-नेरइया सिय सासया ? सिय सासया ? गोयमा ! अव्वोच्छित्तिनयट्टयाए सासया, वोच्छित्तिनयट्टयाए प्रसासया । से जावसिय सासया, सिय सासया ।।
ते
५. एवं जाव वेमाणिया जाव सिय प्रसासया || ६६. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति' ।
१. भ० १।५१ ।
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२८७
सत्तमं सतं (पंचमो उद्देसो)
चउत्थो उद्देसो संसारत्थजीव-पदं ६७. रायगिहे नयरे जाव' एवं वयासि-कतिविहा णं भंते ! संसारसमावन्नगा
जीवा पण्णत्ता? गोयमा ! छव्विहा संसारसमावन्नगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा-पुढविकाइया जाव तसकाइया । एवं जहा जीवाभिगमे जाव' एगे जीवे एगेणं समएणं एगं
किरियं पकरेइ, तं जहा-सम्मत्तकिरियं वा, मिच्छत्तकिरियं वा॥ १८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
पंचमो उद्देसो जोणीसंगह-पदं ६९. रायगिहे जाव एवं वयासो-खयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कतिविहे
जोणीसंगहे पण्णत्ते ? गोयमा ! तिविहे जोणीसंगहे पण्णते, तं जहा-अंडया, पोयया, संमुच्छिमा। एवं जहा जीवाभिगमे जाव' नो चेव णं ते विमाणे वीतीवएज्जा, एमहालया णं
गोयमा ! ते विमाणा पण्णत्ता॥ १००. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. भ० १।४-१०। २. जी०३। ३. अतोग्रे एका संग्रहगाथा लभ्यते-- जीवा छव्विह पुढवी,
जीवाण ठिती भवट्रिती काये । तिल्लेवण अणगारे,
किरिया सम्मत्त-मिच्छत्ता॥ (अ, ता, ब, म, स, वृपा)।
४. भ० ११५१ । ५. जी०३ । ६. अतोग्रे एका संग्रहगाथा लभ्यतेजोगीसंगह-लेसा,
दिट्ठी नाणे य जोग-उवओगे । उववाय-ट्ठिति-समुग्घाय-चवरण-जाती-कुल
वीहीओ ॥ (वृपा)। ७. भ० ११५१ ।
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२८८
छट्ठो उद्देसो
प्राउयपकरण-वेयणा-पदं
१०१. रायगिहे जाव' एवं वयासी - जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए, भंते! किं इहगए नेरइयाउयं पकरेइ ? उववज्जमाणे नेरइयाउयं पकरेइ ? उववन्ने नेरइयाउयं पकरेइ ?
गोमा ! इहगए नेरइयाउयं पकरेइ, नो उववज्जमाणे ने रइयाउयं पकरेइ, नो उववन्ने नेरइयाउयं पकरेइ । एवं असुरकुमारेसु वि, एवं जाव' वेमाणिएसु ॥ १०२. जीवे णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कि इहगए नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ ? उववज्जमाणे नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ ? उववन्ने नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ ?
गोमा ! नो इहगए नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ, उववज्जमाणे नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ, उववन्ने वि नेरइयाउयं पडिसंवेदेइ । एवं जाव वेमाणिएसु || १०३. जीवे णं भंते ! जे भविए ने रइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते! किं इहगए महावेद ? उववज्जमाणे महावेदणे ? उववन्ने महावेदणे ?
गोमा ! इहगए सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, उववज्जमाणे सिय महावेदणे सिय पवेदणे, हे णं उववन्ने भवइ तम्रो पच्छा एगंतदुक्खं वेदणं वेदेंति, श्राहच्च सायं ||
१०४. जीवे णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए, पुच्छा ।
गोमा । इहगए सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, उववज्जमाणे सिय महावेदणे सिय अपवेदणे, हे णं उववन्ने भवइ तम्रो पच्छा एगंतसातं वेदणं वेदेति, ग्राहच्च असायं । एवं जाव' थणियकुमारेसु ।
१०५. जीवे णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तर, पुच्छा ।
गोमा ! इहगए सिय महावेदणे सिय अप्पवेदणे, एवं उववज्जमाणे वि, महे णं ववन्ने भवइ तम्रो पच्छा वेमायाए वेदणं वेदेति । एवं जाव मणुस्सेसु । वाणमंतर - जोइसिय-वेमाणिएसु जहा असुरकुमारेसु ||
१०६. जीवा णं भंते ! किं ग्राभोगनिव्वत्तियाउया ? प्रणाभोगनिव्वत्तियाउया ? भोगनिव्वत्तियाउया, प्रणाभोगनिव्वत्तियाउया । एवं नेरइया वि, एवं जाव' वेमाणिया ||
गोयमा ! नो
१. भ० १।४-१० ।
२. उववज्जति ( ब ) |
भगवई
३. पू० प० २ ।
४. अस्सायं (अस) ।
५. पू० प० २ ।
६. पू० प० २ ।
७. पू० प० २ ।
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सत्तमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
२८१ कक्कस-अकक्कसवेयणीय-पदं १०७. अत्थि णं भंते ! जीवाणं कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?
हंता अस्थि ।। १०८. कहण्णं भंते ! जीवाणं कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?
गोयमा! पाणाइवाएण जाव' मिच्छादसणसल्लेणं -एवं खलु गोयमा ! जीवाणं
कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ॥ १०६. अत्थि णं भंते ! नेरइया णं कक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?
एवं चेव । एवं जाव' वेमाणियाणं ॥ ११०. अत्थि णं भंते ! जीवाणं अकक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जंति?
हंता अत्थि ।। १११. कहण्णं भंते ! जीवाणं अकक्कसवेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?
गोयमा ! पाणाइवायवेरमणेणं जाव' परिग्गहवेरमणेणं, कोहविवेगेणं जाव" मिच्छादसणसल्लविवेगेणं-एवं खलु गोयमा ! जोवाणं अकक्कसवेयणिज्जा
कम्मा कज्जति ॥ ११२. अत्थि णं भंते ! नेरइयाणं अकक्कसवेयणिज्जा कम्मा कति ?
णो इणढे समढे । एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं-मणुस्साणं जहा जीवाणं ॥ सायासाय-वेयणीय-पदं ११३. अत्थि णं भंते ! जीवाणं सातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?
हंता अत्थि ॥ ११४. कहण्णं भंते ! जीवाणं सातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?
गोयमा ! पाणाणुकंपयाए, भूयाणु कंपयाए, जीवाणुकंपयाए, सत्ताणुकंपयाए, बहूणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं ° सत्ताणं अदुक्खणयाए असोयणयाए अजूरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए अपरियावणयाए-एवं खलु गोयमा ! जीवाणं
सातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति । एवं नेरइयाण वि, एवं जाव वेमाणियाणं ।। ११५. अस्थि णं भंते ! जीवाणं असातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?
हंता अत्थि ॥ ११६. कहण्णं भंते ! जीवाणं असातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति ?
गोयमा ! परदुक्खणयाए, परसोयणयाए, परजूरणयाए, परतिप्पणयाए, पर
१. भ० ११३८४। २. पू० प०२। ३. भ० ११३८५।
४. ठा० ११११५-१२५ । ५. सं० पा०-पाणाणं जाव सत्ताणं ।
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२६०
भगवई
पिट्टणयाए, परपरियावणयाए, बहूणं पाणाणं' भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुक्खणयाए, सोयणयाए', 'जूरणयाए, तिप्पणयाए, पिट्टणयाए°, परियावणयाएएवं खलु गोयमा ! जीवाणं असातावेयणिज्जा कम्मा कज्जति । एवं ने रइयाण
वि, एवं जाव वेमाणियाणं ॥ दुस्समदुस्समा-पदं ११७. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे इमीसे अोसप्पिणीए दुस्सम-दुस्समाए समाए उत्तम
कट्ठपत्ताए भरहस्स वासस्स केरिसए आगारभावपडोयारे भविस्सइ ? गोयमा ! कालो भविस्सइ हाहाभूए, भंभन्भूए कोलाहलभूए । समाणुभावेण" य णं खर-फरुस-धूलिमइला दुव्विसहा वाउला भयंकरा वाया संवट्टगा य वाहिति । इह अभिक्खं धमाहिति य दिसा समंता रउस्सला रेणकलस-तमपडलनिरालोगा। समयलुक्खयाए य णं अहियं चंदा सीयं मोच्छंति । अहियं सूरिया तवइस्संति । अदुत्तरं च णं अभिक्खणं बहवे अरसमेहा विरसमेहा खारमेहा खत्तमेहा अग्गिमेहा विज्जुमेहा विसमेहा असणिमेहा-अपिवणिज्जोदगा, वाहिरोगवेदणोदीरणा-परिणामसलिला, अमणुण्णपाणियगा चंडानिलपहयतिक्खधारा-निवायपउरं वासं वासिहिति, जेणं भारहे वासे गामागर-नगर-खेडकब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासमगयं जणवयं, चउप्पयगवेलए, खयरे य पक्खिसंघे, गामारण्ण-पयारनिरए तसे य पाणे, बहुप्पगारे रुक्ख-गुच्छ-गुम्म-लयवल्लि-तण-पव्वग-हरितोसहि-पवालंकुरमादीए य तण-वणस्सइकाइए विद्धंसेहिति, पव्वय-गिरि-डोंगरुत्थल-भट्ठिमादीए वेयड्ढगिरिवज्जे विरावेहिंति,सलिलबिल
गड्ड-दुग्गविसमनिण्णुन्नयाइं च गंगा-सिंधुवज्जाइं समीकरेहिति ॥ ११८. तीसे णं भंते ! समाए भरहस्स वासस्स भूमीए केरिसए आगारभाव-पडोयारे
भविस्सति ? गोयमा ! भूमी भविस्सति इंगालब्भूया मुम्मुरब्भूया छारियभूया तत्तकवेल्लयब्भूया तत्तसमजोतिभूया" धूलिबहुला रेणुबहुला पंकवहुला पणगबहुला चलणि
१. सं० पा०-पारगाण जाव सत्ताणं । ६. अहितं (क, ब, म)। २. सं० पा०-सोयणयाए जाव परियावरणयाए। १०. खट्टमेहा (म); खत्तमेहा (वृपा) । ३. दीवे भारहे वासे (अ, क, ब, म, स)। ११. अजवणिज्जोदगा (अ, ब, स, वृपा); अप्पि४. भंभाभूए (अ, क, म); भंभेभूए (ब)। वणिज्जोदया (क, म); अवणिज्जोदगा (ता) ५. कोलाहलग (क, ब, म)।
१२. ° समा० (ब, स)। ६. समयाणु ° (स, वृ)।
१३. डोंगरथल (अ, क, ता, वृपा)। ७. रयोसला (क, ता, ब, म); रओसला (स)। १४. कवल्लय (क); कवल्लग (ता)। ८. मोच्छिति (अ, क, ता, ब, म, स)। १५. प्रस्तुतागमस्य ३।४८ सूत्रे तथा स्थानांगस्य
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सत्तमं सतं (छट्टो उद्देसो)
२६१ बहुला' बहूणं धरणिगोयराणं सत्ताणं दुन्निक्कमा यावि भविस्सति । ११६. तीसे णं भंते ! समाए भरहे' वासे मणुयाणं केरिसए आगारभाव-पडोयारे
भविस्सइ? गोयमा! मणुया भविस्संति दुरूवा दुवण्णा दुग्गंधा दुरसा दुफासा अणिट्ठा अकंता 'अप्पिया असुभा अमणुण्णा° अमणामा हीणस्सरा दीणस्सरा' अणिठ्ठस्सरा •अकंतस्सरा अप्पियस्सरा असुभस्सरा अमणुण्णस्सरा॰ अमणामस्सरा अणादेज्जवयणपच्चायाया, निल्लज्जा, कूड-कवड-कलह-वह-बंध-वेरनिरया, मज्जायातिक्कमप्पहाणा, अकज्ज निच्चुज्जता, गुरुनियोग-विणयरहिया य, विकलरूवा, परूढनह-केस-मंसू-रोमा, काला, खर-फरुस-झामवण्णा, फूटसिरा, कविलपलियकेसा, बहुण्हारुसंपिणद्ध'-दुइंसणिज्जरूवा, संकुडितवलीतरंगपरिवेढियंगमंगा, जरापरिणतव्व थेरगनरा, पविरलपरिसडियदंतसेढी, उन्भडघडामुहा विसमणयणा, वंकनासा, वंक-वलीविगय-भेसणमुहा, कच्छु-कसराभिभूया, खरतिक्खनखकंडइय-विक्खयतणू", दद्दु-किडिभ-सिब्भ-फुडियफरुसच्छवी, चित्तलंगा, टोलगति"-विसमसंधिबंधण-उक्कुडुअट्ठिगविभत्त-दुब्बला कुसंघयणंकुप्पमाण-कुसंठिया, कुरूवा, कुट्ठाणासण-कुसेज्ज-कुभोइणो, असुइणो, अणेगबाहिपरिपीलियंगमंगा, खलंत-विब्भलगती", निरुच्छाहा,सत्तपरिवज्जिया, विगयचे?नट्ठतेया, अभिक्खणं सीय-उण्ह-खर-फरुसवायविज्झडियमलिणपंसुरउग्गुंडियंगमंगा, बहुकोह-माण-माया, बहुलोभा, असुह-दुक्खभागी, उस्सण्णं धम्मसण्णसम्मत्तपरिभट्टा, उक्कोसेणं रयणिप्पमाणमेत्ता, सोलस-वीसतिवासपरमाउसो,
'पुत्तनत्तुपरिवाल-पणयबहुला'१६ गंगा-सिंधूओ महानदीप्रो, वेयड्ढं च पव्वयं (८।१०) सूत्रे 'तत्त' पदं पृथग् गृहीतं, वृत्ता- ८. ° घडमुहा (अ, म), ° घडोमुहा (क, ब); वपि च तथैव व्याख्यातमस्ति । जंबूद्वीप- घाडामुहा (ता. वृपा);घडग=घडा । अत्र प्रज्ञप्ति (२ वक्षस्कार) वृत्ती अत्र च 'तत्त' एकपदे सन्धिर्जातः । पदं समस्तं गृहीतमस्ति, व्याख्यातमपि च ६. बंग (क, ता, ब, म, वपा)। तथैव।
१०. ° कंदूइय (ता, व, स)। १. चलनप्रमाणः कर्दमश्चलनी (वृ)। ११. विक्कय (अ, क)। २. दोन्निक्कमा (अ, स)।
१२. सिंभ (ता, स)। ३. भारहे (अ, क, स)।
१३. टोलागति (ता, ब, म, वपा)। ४. दुव्वण्णा (ता, ब, म)।
१४. बंभल (अ); बेंभल (क, ता)। ५. सं० पा०-अकंता जाव अमणामा। १५. ° रयपुंडियंगमंगा (अ)। ६. सं० पा०-अणिट्ठस्सरा जाव अमणामस्सरा १६. ° परियार० (अ); °परियाल० (ब, स); ७. ० हारुणि ° (अ, ब, स); ° हारुणिसंवि- परिपालणबहुला (क, वृपा) ।
णद्ध (ता)।
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२६२
भगवई
निस्साए बात्तरि' निग्रोदा बीयं बीयमेत्ता बिलवासिणो भविस्संति ।। १२०. ते णं भंते ! मणुया कं आहारं आहारेहिति ?
गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं गंगा-सिंधूलो महानदीप्रो रहपहवित्थरायो अक्खसोयप्पमाणमेत्तं जलं वोज्झिहिंति, से वि य णं जले बहुमच्छकच्छभाइण्णे, णो चेव णं अाउबहुले भविस्सति । तए णं ते मणुया सूरुग्गमणमुहुत्तंसि य सूरत्थमणमुहुत्तंसि य बिलेहितो निद्धाहिति, निद्धाइत्ता मच्छ-कच्छभे थलाई गाहेहिति, गाहेत्ता सीतातवतत्तएहि मच्छ-कच्छएहिं एक्कवीसं वाससहस्साई
वित्ति कप्पेमाणा विहरिस्संति ॥ १२१. ते णं भंते ! मणुया निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाणपोसहोववासा,
उस्सण्णं" मंसाहारा मच्छाहारा खोद्दाहारा कुणिमाहारा कालमासे काल किच्चा कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ?
गोयमा ! उस्सण्णं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिति ।। १२२. ते णं भंते ! सीहा, वग्घा, वगा, दीविया, अच्छा, तरच्छा, परस्सरा निस्सीला
तहेव जाव' कहिं उववजिहिति ?
गोयमा ! उस्सण्णं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववजिहिति ।। १२३. ते णं भंते ! ढंका, कंका, विलका, मदुगा, सिही निस्सीला तहेव जाव कहिं
उववज्जिहिति ?
गोयमा ! उस्सण्णं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववज्जिहिति ।। १२४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
सत्तमो उद्देसो संवुडस्स किरिया-पदं १२५. संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स आउत्तं गच्छमाणस्स', 'पाउत्तं चिट्ठमाणस्स,
आउत्तं निसीयमाणस्स°, आउत्तं तुयट्टमाणस्स, पाउत्तं वत्थं पडिग्गह कंबलं
१. वाहत्तरि (ता, ब)। २. नियोया (ता)। ३. बीयामेत्ता (अ, क, ब, म, स)। ४. ओस्सणं (अ, स)। ५. भ० ७।१२१ ।
६. पिलका (अ)। ७. भ० ७।१२१ । ८. भ० ११५१। ६. सं० पा०--गच्छमाणस्स जाव आउत्तं।
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सत्तमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
२६३
पादपुछणं गेण्हमाणस्स वा निक्खिवमाणस्स वा, तस्स णं भंते ! कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स आउत्तं गच्छमाणस्स जाव तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो संपराइया किरिया कज्जइ ।। सेकेणटेणं भंते ! एवं वच्चइ---संवुडस्स णं अणगारस्स आउत्तं गच्छमाणस्स जाव नो संपराइया, किरिया कज्जइ ? गोयमा ! जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा भवंति, तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ', 'जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा अवोच्छिण्णा भवंति, तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ । अहासुत्तं रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ°, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ । से णं अहासुत्तमेव रीयइ । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-संवुडस्स णं
अणगारस्स पाउत्तं गच्छमाणस्स जाव नो संपराइया किरिया कज्जइ ।। काम-भोग-पदं १२७. रूवी भंते ! कामा ? अरूवो कामा ?
गोयमा ! रूवी कामा, नो अरूवी कामा ।। १२८. सचित्ता भंते ! कामा ? अचित्ता कामा ?
गोयमा ! सचित्ता वि कामा, अचित्ता वि कामा ।। १२९. जीवा भंते ! कामा ? अजीवा कामा ?
गोयमा ! जीवा वि कामा, अजीवा वि कामा ।। १३०. जीवाणं भंते ! कामा? अजीवाणं कामा ?
गोयमा ! जीवाणं कामा, नो अजीवाणं कामा ।। १३१. कतिविहा ण भंते ! कामा पण्णता?
गोयमा ! विहा कामा पण्णत्ता, तं जहा-- सद्दा य, रूवा य ।। १३२. रूवी भंते ! भोगा? अरूवी भोगा?
गोयमा ! रूवी भोगा, नो अरूवी भोगा ।। १३६. सचित्ता भंते ! भोगा? अचित्ता भोगा?
गोयमा ! सचित्ता वि भोगा, अचित्ता वि भोगा । १३४. जीवा भंते ! भोगा? अजीवा भोगा?०
गोयमा ! जीवा वि भोगा, अजीवा वि भोगा ।
१. रिया० (ब)। २. सं० पा०-तहेव जाव उस्सुत्तं । ३. तुलना--भ० ७।२०, २१ ।
४. रूवि (अ, क, ता, ब, म, स)। ५. सं० पा०-भोगा पुच्छा।
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२६४
भगवई
जीवाणं भंते ! भोगा? अजीवाणं भोगा?
गोयमा ! जीवाणं भोगा, नो अजीवाणं भोगा ।। १३६. कतिविहा णं भंते ! भोगा पण्णता ?
गोयमा ! तिविहा भोगा पण्णत्ता, तं जहा-गंधा, रसा, फासा ।। १३७. कतिविहा णं भंते ! काम-भोगा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा काम-भोगा पण्णता, तं जहा-सद्दा, रूवा, गंधा, रसा,
फासा॥ १३८. जीवाणं भंते ! कि कामी? भोगी?
गोयमा ! जीवा कामी वि, भोगी वि ।। १३९. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जीवा कामी वि? भोगी वि?
गोयमा ! सोइंदिय-चक्विंदियाइं पडुच्च कामी, घाणिदिय-जिभिदियफासिंदियाइं पडुच्च भोगी। से तेण?णं गोयमा'! •एवं वुच्चइ-जीवा
कामी वि, भोगी वि ॥ १४०. नेरइया णं भंते ! कि कामी ? भोगी ?
एवं चेव जाव' थणियकुमारा ।। १४१. पुढविकाइयाणं-पच्छा
गोयमा ! पुढविकाइया नो कामी, भोगी। १४२. से केण?णं जाव भोगी ?
गोयमा ! फासिदियं पडुच्च । से तेणटेणं जाव भोगी। एवं जाव वणस्सइकाइया । बेइंदिया एवं चेव, नवरं-जिभिदियफासिदियाइं पडुच्च। तेइंदिया
वि एवं चेव, नवरं-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिंदियाइं पडुच्च ॥ १४३. चरिदियाणं-पुच्छा।
गोयमा ! चरिदिया कामी वि, भोगी वि ।। १४४. से केण?णं जाव भोगी वि?
गोयमा ! चक्खिदियं पडुच्च कामी, घाणिदिय-जिभिदिय-फासिंदियाई पडुच्च भोगी । से तेण?णं जाव भोगी वि । अवसेसा जहा जीवा जाव वेमा
णिया। १४५. एएसि णं भंते ! जीवाणं 'कामभोगीणं, नोकामीणं, नोभोगीणं, भोगीण' य
कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ?
१. सं० पा०-गोयमा जाव भोगी। २. X (अ); एवं जाव (क, ब, म, स); पू०
प०२।
३. कामीणं भोगीणं नोकामीणं नोभोगीण य
(क, ता)। ४. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
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सत्तमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
२६५ गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा कामभोगी, नोकामी नोभोगी अणंतगुणा, भोगी
अणंतगुणा ॥ दुब्बलसरीरस्स भोगपरिच्चाय-पदं १४६. छउमत्थे णं भंते ! मणूसे जे' भविए अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववज्जि
त्तए, से नूणं भंते ! से खीणभोगी नो पभू उट्ठाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कार-परक्कमेणं विउलाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए ? से नणं भंते ! एयमटुं एवं वयह ? गोयमा ! णो तिणटे सम? । पभू णं से उढाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कार-परक्कमेण वि अण्णयराइं विपुलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महापज्ज
वसाणे भवइ॥ १४७. पाहोहिए णं भंते ! मणूसे जे भविए अण्णयरेसु देवलोएसु' 'देवत्ताए
उववज्जित्तए, से नणं भंते ! से खीणभोगी नो पभू उट्ठाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वोरिएणं, पुरिसक्कार-परक्कमेणं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए ? से नणं भंते ! एयमढे एवं वयह ? गोयमा ! णो तिण? समटे । पभू णं से उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कार-परक्कमेण वि अण्णयराइं विपुलाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महा
पज्जवसाणे भवइ ।। १४८. परमाहोहिए णं भंते ! मणूसे जे भविए तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झित्तए जाव'
अंत करेत्तए, से नणं भंते ! से खीणभोगी 'नो पभू उदाणेणं, कम्मेणं, बलेणं वीरिएणं पुरिसक्कार-परक्कमेणं विउलाई भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए ? से नूणं भंते ! एयमटुं एवं वयह ? गोयमा ! णो तिणढे समटे । पभू णं से उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि, पुरिसक्कार-परक्कमेण वि अण्णयराइं विपुलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महा
पज्जवसाणे भवइ° ॥ १. मणंत० (ता)।
५. सं० पा०-एवं चेव जहा छउमत्थे जाव २. मणुस्से (ता)।
महा° । ३. बदहा (ता, ब)।
६. तेणं चेव (क, ता, ब, म)। ४. अहोहिएणं (ता, ब)।
७. भ० ११४४ । ८. सं० पा०-सेसं जहा छउमत्थस्स ।
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२६६
भगवई
१४६. केवली णं भंते ! मणूसे जे भविए तेणेव भवग्गहणेणं' सिज्झित्तए जाव' अंत करेत्तए, से नूणं भंते ! से खीणभोगी नो पभू उट्ठाणेणं, कम्मेणं, बलेणं, वीरिएणं, पुरिसक्कार- परक्कमेणं विउलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए ? से नूणं भंते ! एयमट्ठे एवं वयह ?
गोयमा ! णो तिट्टे समट्टे । पभू णं से उट्ठाणेण वि, कम्मेण वि, बलेण वि, वीरिएण वि पुरिसक्कार- परक्कमेण वि प्रणयराई विपुलाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरित्तए, तम्हा भोगी, भोगे परिच्चयमाणे महानिज्जरे, महापज्जवसाणे भवति ॥
प्रकामनिकरण - वेदणा-पदं
१५०. जे इमे भंते ! प्रसण्णिणो पाणा, तं जहा - पुढविकाइया जाव वणस्सइकाइया, छट्ठाय एगतिया तसा - एए णं ग्रंधा, मूढा, तमपविट्ठा, तमपडल - मोहजालपच्छिन्ना प्रकामनिकरणं वेदणं वेदतीति वत्तव्वं सिया ?
हंता गोयमा ! जे इमे प्रसण्णिणो पाणा जाव वेदणं वेदेतीति वत्तव्वं सिया । १५१. प्रत्थि णं भंते ! पभू विप्रकामनिकरणं वेदणं वेदेति ?
हंता ! प्रत्थि ||
१५२. कहण्णं भंते ! पभू वि अकामनिकरणं वेदणं वेदेति ?
गोयमा ! जेणं नो पभू विणा पदीवेणं अंधकारंसि रुवाई पासित्तए, जे गं नोपभू पुरो रुवाई अणिज्भाइत्ता णं पासित्तए, जेणं नो पभू मग्गो रुवाई प्रणवयक्खित्ताणं पासित्तए, जेणं नो पभू पासो रुवाई गणवलोएत्ता गं पासित्तए, जेणं नो पभू उड्ढं रुवाई प्रणालोएत्ता णं पासित्तए, जेणं नो पभू हे रुवाई प्रणालोएत्ता णं पासित्तए, एस णं गोयमा ! पभू वि श्रकामनिकरणं वेदणं वदेति ॥
पकामनिकरण - वेदणा-पदं
१५३. प्रत्थि णं भंते ! पभू वि पकामनिकरणं वेदणं वेदेति ? हंता थि ||
१५२. कहण्णं भंते ! पभू वि पकामनिकरणं वेदणं वेदेति ?
गोयमा ! जेणं नोपभू समुहस्स पारं गमित्तए, जेणं नो पभू समुहस्स पारगाई रुवाई पात्तिए, जेणं नो पभू देवलोगं गमित्तए, जेणं नो पभू देव
१. सं० पा० -- एवं चेव जहा परमाहोहिए जाव महा ।
२. भ० १।४४ ।
३. भ० १।४३७ ।
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सत्तमं सतं (अट्ठ मो उद्देसो)
२६७ लोगगयाई रूवाइं पासित्तए, एस णं गोयमा ! पभू वि पकामनिकरणं वेदणं
वेदेति ॥ १५५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
अट्ठमो उद्देसो मोक्ख-पदं १५६. छउमत्थे णं भंते ! मणूसे तीयमणंतं सासयं समयं केवलेणं संजमेणं, केवलेणं
संवरेणं, केवलेणं बंभचेरवासेणं, केवलाहिं पवयणमायाहि सिज्झिसु ? बुझिसु? मुच्चिसु ? परिणिव्वाइंसु ? सव्वदुक्खाणं अंतं करिसु?
गोयमा ! नो इण? समढे जाव'१५७. से नणं भंते ! उप्पण्णणाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्थु त्ति वत्तव्वं
सिया? हंता गोयमा ! उप्पण्णणाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली अलमत्थु त्ति
वत्तव्वं सिया० ।। हत्थि-कुंथु-जीव-समाणत्त-पदं १५८. से नणं भंते ! हथिस्स य कुंथुस्स य समे चेव जीवे ?
हंता गोयमा ! हत्थिस्स य कुंथुप्स य समे चेव जीवे। " से नणं भंते ! हत्थीयो कुंथू अप्पकम्मतराए चेव अप्पकिरियत राए चेव अप्पासवतराए चेव एवं अप्पाहारतराए चेव अप्पनीहारतराए चेव अप्पुस्सासतराए चेव अप्पनीसासतराए चेव अप्पिड्ढितराए चेव अप्पमहतराए चेव अप्पज्जुइतराए चेव ? कुंथूनो हत्थी महाकम्मत राए चेव महाकिरियतराए चेव महासवतराए चेव महाहारतराए चेव महानीहारतराए चेव महाउस्सासतराए चेव महानीसासतराए चेव महिड्ढितराए चेव महामहतराए चेव महज्जुइतराए चेव ?
१. भ० ११५१।
४. तुलना-भ० ११२००-२०६५।११५ । २. सं० पा०–एवं जहा पढमसए चउत्थे उद्देसए ५. सं० पा०-एवं जहा रायपसेणइज्जे जाव तहा भाणियव्वं जाव अलमत्थु ।
खुड्डियं । ३. भ० ११२०१-२०८ ।
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भगवई
हंता गोयमा हत्थीयो कुंथू अप्पकम्मतराए चेव कुंथूो वा हत्थी महाकम्मतराए चेव, हत्थीनो कुंथू अप्पकिरियतराए चेव कुंथूनो वा हत्थी महाकिरियतराए चेव, हत्थीयो कुंथू अप्पासवतराए चेव कुंथूलो वा हत्थी महासवतराए चेव, एवं प्राहार-नीहार-उस्सास-नीसास-इड्ढि-महज्जुइएहि हत्थीओ कुंथू अप्पतराए
चेव कुंथूनो वा हत्थी महातराए चेव ।।। १५६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ - हत्थिस्स य कुंथुस्स य समे चेव जीवे ?
गोयमा ! से जहानामए कूडागारसाला सिया-दुहनो लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा निवाया निवायगंभीरा। अह णं केइ पुरिसे जोइं व दीवं व गहाय तं कूडागारसालं अंतो-अंतो प्रणपविसइ, तीसे कडागारसालाए सव्वतो समंता घणनिचिय-निरंतर-निच्छिड्डाई दुवार-वयणाई पिहेति, तीसे कूडागारसालाए बहुमज्झदेसभाए तं पईवं पलीवेज्जा। तए णं से पईवे तं कूडागारसालं अंतो-अंतो प्रोभासइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव णं बाहि। ग्रहणं से परिसे तं पईवं इडरएणं पिज्जा , तए णं से पईवे तं इडरयं अंतो अंतो प्रोभासेइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव णं इड्डरगस्स बाहिं, नो चेव णं कूडागारसाल, नो चेव णं कूडागारसालाए बाहिं । एवं-गोकिलिजेणं पच्छियापिडएणं गंडमाणियाए आढएणं अद्धाढएणं पत्थएणं अद्धपत्थएणं कुलवेणं अद्धकुलवेणं चाउब्भाइयाए अट्ठभाइयाए सोलसियाए बत्तीसियाए चउसट्ठियाए। अह णं पुरिसे तं पईवं दीवचंपएणं पिहेज्जा। तए णं से पदीवे दीवचंपगस्स अंतो-अंतो ओभासति उज्जोवेइ तवति पभासेइ, नो चेव णं दीवचंपगस्स बाहिं, नो चेव णं चउसट्टियाए बाहि, नो चेव णं कूडागारसालं, नो चेव णं कूडागारसालाए बाहिं। एवामेव गोयमा ! जीवे वि जं जारिसयं पुवकम्मनिबद्धं बोंदि निव्वत्तेइ तं असंखेज्जेहिं जीवपदेसेहिं सचित्तीकरेइ-खुड्डियं वा महालियं वा ।° से तेणद्वेणं
गोयमा' ! 'एवं वुच्चइ-हत्थिस्स य कुंथुस्स य° समे चेव जीवे॥ सुह-दुक्ख-पदं १६०. नेरइयाणं भंते ! पावे कम्मे जे य कडे, जे य कज्जइ, जे य कज्जिस्सइ सव्वे
से दुक्खे, जे निज्जिण्णे से सुहे ?
१. सं० पा०-गोयमा जाव समे ।
२. एतच्च सर्वमपि वाचनान्तरे साक्षाल्लिखितमेव
दृश्यते (व)।
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सत्तमं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
२६६ हंता गोयमा ! नेरइयाणं पावे कम्मे जे य कडे, जे य कज्जइ, जे य कज्जि
स्सइ सव्वे से दुक्खे, जे निज्जिण्णे से ° सुहे । एवं जाव' वेमाणियाणं ।। दसविहसण्णा-पदं १६१. कति णं भंते ! सण्णाओ पण्णत्ताओ ?
गोयमा ! दस सण्णाश्रो पण्णत्तानो, तं जहा-आहारसण्णा, भयसण्णा, मेहुणसण्णा, परिग्गहसण्णा, कोहसण्णा, माणसण्णा, मायासण्णा, लोभसण्णा, लोग
सण्णा, मोहसण्णा । एवं जाव वेमाणियाणं ।। नेरइयाणं दस विहवेदणा-पदं १६२. नेरइया दसविहं वेयणं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा-सीयं, उसिणं, खुहं,
पिवासं, कंडु, परज्झ, जरं, दाहं, भयं, सोगं॥ हत्थि-कुंथूणं अपच्चक्खाणकिरिया-पदं १६३. से नणं भंते ! हस्थिस्स य कुंथस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया कज्जइ ?
हंता गोयमा ! हत्थिस्स य कुंथुस्स य' 'समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया'
कज्जइ॥ १६४. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ'-'हत्थिस्स य कुंथुस्स य समा चेव अपच्चक्खा
णकिरिया कज्जइ ? गोयमा ! अविरतिं पडुच्च । से तेणटेणं' गोयमा ! एवं वुच्चइ-हत्थिस्स य
कुंथुस्स य समा चेव अपच्चक्खाणकिरिया' कज्जइ। अहाकम्मादि-पदं १६५. अहाकम्म णं भंते ! भुंजमाणे किं बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? कि
उवचिणाइ ?
गोयमा ! अहाकम्मं णं भुंजमाणे आउयवज्जाबो सत्त कम्मप्पगडीओ सिढिलबंधणबद्धाप्रो धणियबंधणबद्धानो पकरेइ ०७ जाव सासए पंडिए, पंडियत्तं
असासयं। १६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति॥
१. सं० पा०—कम्मे जाव सुहे। २. पू० प० २। ३. सं० पा०-कुंथुस्स य जाव कज्जइ। ४. सं० पा०-वुच्चइ जाव कज्जइ । ५. सं० पा०-तेगडेणं जाव कज्जइ ।
६. सं० पा-एवं जहा पढमे सए नवमे उद्देसए
तहा भाणियव्वं । ७. भ० ११४३६-४४० । ८. भ० ११५१ ।
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३००
भगवई
नवमो उद्देसो असंवुड-अणगारस्स विउवणा-पदं १६७. असंवुडे णं भंते ! अणगारे वाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू एगवण्णं
एगरूवं विउव्वित्तए?
णो इणढे सम? ॥ १६८. असंवुडे णं भंते ! अणगारे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू एगवण्णं एगरूवं'
विउव्वित्तए ? हंता पभू॥ से णं भंते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता विकुब्वइ ? तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विक्व्वइ ? गोयमा! इहगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ, नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ । एवं २. एगवण्णं अणेगरूक ३. 'अणेगवण्णं एगरूवं ४. अणेगवण्णं अणेगरूवं
चउभंगो॥ १७०. असंवुडे णं भंते ! अणगारे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू कालगं पोग्गलं
नीलगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? नीलगं पोग्गलं वा कालगपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ?
गोयमा ! नो इणद्वे समटे । परियाइत्ता पभू जाव - १७१. असंवुडे णं भंते ! अणगारे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू निद्धपोग्गलं
लुक्खपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए ? लुक्खपोग्गलं वा निद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए?
गोयमा ! नो इणद्वे समढे । परियाइत्ता पभू ।। १७२. से णं भंते कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? तत्थगए पोग्गले
परियाइत्ता परिणामेति ? अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ? गोयमा ! इहगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, नो तत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति, नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता परिणामेति ॥
१. सं० पा०-एगरूवं जाव हंता । २. सं० पा०—पोग्गले जाव विकुव्वइ । ३. सं० पा०-चउभंगो जहा छट्ठसए नवमे
उद्देसए तहा इह वि भाणियध्वं, नवरं अणगारे इहगयं च इहगते चेव पोग्गले परियाइत्ता
विकुब्वइ, सेसं तं चेव जाव लुक्खपोग्गलं निद्धपोग्गलत्ताए परिणामेत्तए। हंता पभू । से भंते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता जाव
नो अण्णत्थगए पोग्गले परियाइत्ता विकूब्वइ। ४. भ० ६।१६३-१६७ ।
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सत्तमं सतं (नवमो उद्देसो)
महासिलाकंटयसंगाम-पदं १७३. नायमेयं अरहया, सुयमेयं अरहया, विण्णायमेयं अरह्या-महासिलाकंटए
संगामे । महासिलाकंटए णं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था ? के पराजइत्था ? गोयमा ! वज्जी, विदेहपुत्ते जइत्था, नव मल्लई, नव लेच्छई-कासी-कोसलगा
अट्ठारस वि गणरायाणो पराजइत्था ॥ १७४. तए णं से कोणिए राया महासिलाकंटगं संगाम उवट्टियं जाणित्ता कोडुबिय
पुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! उदाई' हत्थिरायं पडिकप्पेह, हय-गय-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिणि सेणं सण्णाहेह,
सण्णाहेत्ता मम एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणह ॥ १७५. तए णं ते कोडुबियपुरिसा कोणिएणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुटूचित्तमाणंदिया
जाव मत्थए अंजलि कटु एवं सामी ! तहत्ति प्राणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति, पडिसुणित्ता खिप्पामेव छेयायरियोवएस-मति-कप्पणा-विकप्पेहि सुनिउणेहि उज्जलणेवत्थ-हव्व-परिवच्छियं सुसज्ज जाव भीमं संगामियं अग्रोझ उदाइं हत्थिरायं पडिकप्पंति, हय-गय-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिणि सेणं° सष्णाति, सण्णाहेत्ता जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट० कणियस्स रणो
तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ।। १७६. तए णं से कूणिए राया जेणेव मज्जणघरं तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता
मज्जणघरं अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता पहाए कयवलिकम्मे कयकोउय-मंगलपायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए सण्णद्ध-बद्ध-वम्मियकवए उप्पीलियसरासणपट्टिए पिणद्धगवेज्ज-विमलवरबद्धचिंधपट्टे गहियाउहप्पहरणे सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं चउचामरबालवीजियंग१२ मंगलजयसहकयालोए जाव" जेणेव उदाई हत्थिराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उदाइं हत्थिरायं दुरूढे ॥
१. पराजितत्था (ता)।
८. सं० पा०-गय जाव सण्णा हेति । २. जदित्था (क, ता)।
६. सं० पा०-करयल जाव कूरिणयरस । ३. उदापि (क, ता, ब, म); उदाति (स)। १०. ० पट्टीए (अ, क, ब, म, स)। ४. भ० ३।११० ।
११. पिरिणद्ध० (ता, म, स)। ५. सुरिणउणेहिं एवं जहा ओववाइए जाव (अ, १२. ° वीतियंगे (अ, स); ° वीतितंगे (क, ब)।
क, ता, ब, म, स)। वाचनान्तरे त्विदं- १३. जत ° (ब); ° कयलोए एवं जहा उववाइए साक्षाल्लिखितमेव दृश्यते (व)।
(अ, क, ता, ब, म, स)। ६. ओ० सू० ५७ ।
१४. ओ० सू० ६३ । ७. अउझ (ब, स)।
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३०२
भगवई
१७७. तए णं से कूणिए राया' हारोत्थय-सुकय-रइयवच्छे' जाव' सेयवरचामराहिं
उद्धव्वमाणीहि-उद्धव्वमाणीहि य-गय-रह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिवुडे महयाभडचडगरविंदपरिक्खित्ते जेणेव महासिलाकंटए सगामे तेणव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता महासिलाकटग सगाम ओयाए। पूरो य से सक्के देविंदे देवराया एगं महं अभेज्जकवयं वइरपडिरूवगं विउव्वित्ता णं चिट्ठइ । एवं खलु दो इंदा संगाम संगामेंति, तं जहा-देविंदे य, मणुइंदे य । 'एगहत्थिणा वि णं पभू कूणिए राया जइत्तए", एगह त्थिणा वि णं पभू कणिए
राया पराजिणित्तए॥ १७८. तए णं से कूणिए राया महासिलाकंटगं संगाम संगामेमाणे नव मल्लई, नव
लेच्छई-कासी-कोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो हय-महिय-पवरवीर-घाइय
विवडियचिंध-द्धयपडागे किच्छपाणगए' दिसोदिसि पडिसेहित्था । १७६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ--महासिलाकंटए संगामे ?
गोयमा ! महासिलाकंटए णं संगामे वट्टमाणे जे तत्थ प्रासे वा हत्थी वा जोहे वा सारही वा तणेण वा कटेण वा पत्तेण वा सक्कराए वा अभिहम्मति, सव्वे से जाणेइ महासिलाए अहं अभिहए । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ
महासिलाकंटए संगामे ॥ १८०. महासिलाकंटए णं भंते ! संगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीओ वहियारो ?
गोयमा ! चउरासीइंजणसयसाहस्सीयो वहियानो ॥ १८१. ते णं भंते ! मणुया निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा' निप्पच्चखाणपोस
होववासा रुट्टा परिकुविया समरवहिया अणुवसंता कालमासे कालं किच्चा कहिं गया ? कहिं उववण्णा ?
गोयमा ! उस्सण्णं नरग-तिरिक्खजोणिएसु उववण्णा ।। रहमुसलसंगाम-पदं १८२. नायमेयं अरहया, सुवमेयं अरहया, विण्णायमेयं अरहया-रहमुसले संगामे ।
रहमुसले णं भंते ! संगामे वट्टमाणे के जइत्था ? के पराजइत्था ? गोयमा ! वज्जी, विदेहपुत्ते, चमरे असुरिदे असुरकुमारराया जइत्था; नव मल्लई, नव लेच्छई पराजइत्था ।।।
१. णरिदे (क, ता, ब, म)। २. °वच्छे एवं जहा उववाइए (अ, क, ता, ब,
५. किच्छोवगयपारणे (ना० १।८।१६६) । ६. हं (क, ब, म)। ७. सं० पा०—निस्सीला जाव निप्पच्चक्खाण । ८. संगामे रह २ (ता)।
३. ओ० सू० ६५। ४. X (अ, ब, म, स)।
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सत्तम सतं (नवमो उद्देसो)
३०३
१८३. तए णं से कूणिए राया रहमुसलं संगामं उवद्वियं' जाणित्ता कोडुं बियपुरिसे सद्दावे सहावेत्ता एवं वयासी – खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! भूयाणंद हत्थरायं पडिक पेह, हय-गय-रह- पवरजोहक लियं चाउरंगिणि सेणं सण्णाह, सणात्ता मम एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चष्पिणह ||
१८४. तए णं ते कोडुं बियपुरिसा कोणिएणं रण्णा एवं वृत्ता समाणा हट्टुतुट्ठचित्तमाणंदिया जाव मत्थए अंजलि कट्टु एवं सामी ! तहत्ति प्राणाए विणणं वयणं पडणंति, पडिणित्ता खिप्पामेव छेयायरियोवएस-मति कप्पणा-विकप्पेहि सुनिउणेहिं उज्जलणे वत्थ- हव्वपरिवच्छियं सुसज्जं जाव' भीमं संगामियं श्रप्रोज्झ भूयानंद हत्थिरायं पडिकप्पेंति, हय-गय-रह-पवरजोहकलियं चाउरंगिण सेणं सणाति, सण्णा हेत्ता जेणेव कूणिए राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल परिगहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु कूणियस्स रणो तमाणत्तियं पच्चष्पिणंति ॥
१८५. तए णं से कूणिए राया जेणेव मज्जणघरं तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता मज्जणघरं ग्रणुष्पविसइ, प्रणुप्पविसित्ता हाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगलपायच्छिते सव्वालंकारविभूसिए सण्णद्ध-बद्ध - वम्मियकवए उप्पीलियस रासणपट्टिए पिवेज्ज - विमलवरबद्धचिधपट्टे गहियाउहप्पहरणे सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं चउचामरबालवीजियंगे, मंगलजयसद्दक्यालोए जाव जेणेव भूयाणंदे हत्थराया तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छत्ता भूयाणंदं हत्थिरायं दुरूढे ॥
१८६. तए णं से कूणिए राया हारोत्थय-सुकय- रइयवच्छे जाव' सेयवरचामराहि उद्धव्वमाणीहि उद्धव्वमाणीहिं हय-गय-रह-पव रजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणा सद्धि संपरिवुडे महयाभडचडगरविंदपरिक्खित्ते जेणेव रहमुसले संगामे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रहमुसलं संगामं प्रोयाए । पुरो य से सक्के देवि देवराया एवं महं प्रभेज्जकवयं वइरपडिरूवगं विउव्वित्ता णं चिट्टइ° । मग्गय से चमरे सुरिंदे असुरकुमार राया एवं महं प्रायसं किढिणपडिरूपगं विव्वित्ताणं चिट्ठइ । एवं खलु तो इंदा संगामं संगामेंति, तं जहा - देविदे य, मणुदेय, सुरिंदे य । एगहत्थिणा वि णं पभू कूणिए राया जइत्तए,
१. सं० पा० - सेसं जहा महासिलाकंटए नवरं भूयाणंदे हत्यिराया जाव रहमुसलं संगामं ओयाए । पुरओ य से सक्के देविंदे देवराया एवं तहेव जाव चिट्ठइ |
२. ३।११० ।
३. ओ० सू० ५७ ।
४. प्रो० सू० ६३ । ५. ओ सू० ६५ ।
६. असुरराया ( अ, स ) ।
o
७. कढण ( अ ); किड्डिण ( क स ) । ८. सं० पा० – तहेव जाव दिसोदिसिं ।
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३०४
भगवई
•एगहत्थिणा वि णं पभू कूणिए राया पराजिणित्तए । १८७. तए णं से कूणिए राया रहमुसलं संगामं संगामेमाणे नव मल्लई, नव लेच्छई
कासी-कोसलगा अट्ठारस वि गणरायाणो हय-महिय-पवरवीर-घाइय
विवडियचिध-द्धयपडागे किच्छपाणगए ° दिसोदिसि पडिसेहित्था ।। १८८. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-रहमुसले संगामे ?
गोयमा ! रहमुसले णं संगामे वट्टमाणे एगे रहे अणासए, असारहिए, अणारोहए, समुसले महया जणक्खयं, जणवहं, जणप्पमई, जणसंवट्टकप्पं रुहिरकद्दमं करेमाणे सव्वरो समंता परिधावित्था। से तेण?णं' गोयमा !
एवं वच्चइ ---रहमुसले संगामे ।। १८६. रहमुसले णं भंते ! संगामे वट्टमाणे कति जणसयसाहस्सीओ वहियानो ?
गोयमा ! छण्ण उति जणसयसाहस्सीओ बहियारो ।। १६०.
ते णं भंते ! मणुया निस्सीला निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाणपोसहोववासा रुट्ठा परिकुविया समरवहिया अणु वसंता कालमासे कालं किच्चा कहिं गया ? कहि° उववन्ना? गोयमा ! तत्थ णं दससाहस्सीनो एगाए मच्छियाए कुच्छिसि उववन्नाओ। एगे देवलोगेसु उववन्ने । एगे सुकुले पच्चायाए। अवसेसा उस्सण्णं नरग-तिरि
क्खजोणिएसु उववन्ना ॥ १६१. कम्हा णं भंते ! सक्के देविदे देवराया, चमरे य असुरिंदे असुरकुमारराया
कणियस्स रण्णो साहेज्ज दलइत्था? गोयमा ! सक्के देविदे देवराया पुव्वसंगतिए, चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया परियायसंगतिए । एवं खलु गोयमा ! सक्के देविदे देवराया, चमरे य असुरिंदे
असुरकुमारराया कूणियस्स रण्णो साहेज्जं दल इत्था ।। वरुण-नागनत्तुय-पदं १६२. बहुजणे णं भंते ! अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव' परूवेइ-एवं खलु बहवे
मणुस्सा अण्णयरेसु उच्चावएसु संगामेसु 'अभिमुहा चेव पहया समाणा काल
मासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति ॥ १६३. से कहमेयं भंते ! एवं ? ।
गोयमा ! जण्णं से बहुजणे अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ •जाव परूवेइ -एवं
१. सं० पा० तेण?णं जाव रह° । २. सं० पा०-निस्सीला जाव उववन्ना । ३. मच्छीए (म)। ४. साहिज्ज (क); साहज्ज (ता, म)।
५. भ०१।४२० । ६. अभिहता चेव पहता (क, स); अभिहया (ता) ७. सं० पा०-एवमाइक्खइ जाव उववत्तारो। ८. भ० ११४२० ।
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सत्तमं सतं ( नवमो उद्देसो)
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खलु बहवे मणुस्सा प्रणयरेसु उच्चावएसु संगामेसु प्रभिमुहा चेव पह्या समाणा कालमासे कालं किच्चा ग्रण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु । श्रहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि - एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं वेसाली नामं नगरी होत्था - वण्णय' । तत्थ णं वेसालीए नगरीए वरुणे नामं नागनत्तुए परिवसइअड्ढे जाव' अपरिभू, समणोवासए, अभिगयजीवाजीवे जाव समणे निग्गंथे फासु - एस णिज्जेणं असण- पाण- खाइम साइमेणं वत्थ - पडिग्गह- कंबल - पायपुंछणेणं पीढ-फलग - सेज्जा- संथारएणं 'ग्रोसह - भेसज्जेणं" पडिलाभेमाणे छटुंछट्टेणं प्रणिखित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरति ॥
१४. तए णं से वरुणे नागनत्तुए ग्रण्णया कयाइ रायाभियोगेणं', गणाभियोगेणं, बलाभिओगेणं रहमुसले संगामे आणत्ते समाणे छट्ठभत्तिए अट्टमभत्तं अणुवट्टेति, अणुवत्ता कोडुंबियपुर से सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाप्पिया ! चाउघंट ग्रासरहं जुत्तामेव' उवट्ठावेह, हय-गय-रह-पवर• जोहकलियं चाउरंगिणि सेणं सण्णा हेह°, सण्णाहेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चपिह ||
१५. तणं ते कोडुंबियपुरिसा जाव" पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सच्छत्तं सज्यं जाव" चाउरघंटं श्रासरहं जुत्तामेव उवद्वावेंति, हयगय रह" - पवरजोहकलियं चाउरंगिणि सेणं • सण्णाहेंति, सण्णाहेत्ता जेणेव वरुणे नागनत्तुए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता जाव" तमाणत्तियं पच्चपिणंति ॥
०
१६६. तए णं से वरुणे नागनत्तुए जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छति, " उवागच्छित्ता मज्ज घरं प्रणुप्पविसइ, प्रणुष्पविसित्ता हाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगलपायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसिए सण्णद्ध-बद्ध-वम्मियकवए" सकोरेंटमल्ल "
१. भ० १।४२१ ।
२. ओ० सू० १ ।
३. भ० २१६४ ।
४. भ० २।६४ ।
५. वृत्ती उद्धृते पाठे एतन्नास्ति । भ० २६४ सूत्रादौ पाठः पूरितस्तत्रापि 'क' प्रतौ एतत् नास्ति ।
६. रायाहियोगेणं ( अ, स); राय नियोगेणं (ता) ७. कोदुंबिय ० (ता); कोटुंबिय ० ( स ) ।
o
८. युक्तमेव रथसामग्र्या इति गम्यम् (वृ) ।
C. उट्ठवेह ( अ ) ।
१०. सं० पा० - पवर जाव सण्णाहेत्ता ।
११. भ० ७/१७५ ।
१२. राय० सू० ६८१; वाचनान्तरे तु साक्षादेव दृश्यते (वृ) ।
१३. सं० पा०—रह जाव सण्णार्हति । १४. भ० ७ १७५ ।
१५. सं० पा० - जहा कूणिओ जाव पायच्छित्ते । १६. पू० भ० ७ १७६ ।
१७. सं० पा० - सकोरेंटमल्ल जाव धरिज्ज० ।
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भगवई
'दामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं, अणेगगणनायग'- दंडनायग-राईसर-तलवरमाडंबिय-कोडुबिय-इब्भ-सेटि-सेणावइ-सत्थवाह-दूय-संधिपालसद्धि संपरिवुडे मज्जणघरानो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव चाउग्घंटे प्रासरहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चाउग्घंट प्रासरहं दुरुहइ', दुरुहित्ता हय-गय-रह- पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिवुडे, महयाभडचडगरविंदपरिक्खित्ते जेणेव रहमुसले संगामे तेणे व
उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रहमुसलं संगामं प्रोयाए । १६७. तए णं से वरुणे नागनत्तुए रहमुसलं संगामं प्रोयाए समाणे अयमेयारूवं अभिग्गहं
अभिगेण्हइ-कप्पति मे रहमुसलं संगाम संगामेमाणस्स जे पुवि पहणइ से पडिहणित्तए', अवसेसे नो कप्पतीति; अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हइ अभिगेण्हेत्ता
रहमुसलं संगाम संगामेति ।। १६८. तए णं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स रहमुसलं संगाम संगामेमाणस्स एगे पुरिसे
सरिसए 'सरित्तए सरिव्वए' सरिसभंडमत्तोवगरणे रहेणं पडिरहं हव्वमागए ।। १९६. तए णं से पुरिसे वरुणं नागनत्तुयं एवं वदासी-पहण भो वरुणा ! नागनत्तुया !
पहण भो वरुणा ! नागनत्तुया ! २००. तए णं से वरुणे नागनत्तुए तं पुरिसं एवं वदासी-नो खलु मे कप्पइ देवाण
प्पिया ! पुवि अहयस्स पहणित्तए, तुमं चेव णं पुवि पहणाहि ॥ २०१. तए णं से पुरिसे वरुणेणं नागनत्तुएणं एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते •रुटे कुविए
चंडिक्किए ° मिसिमिसेमाणे धणु परामुसइ, परामुसित्ता उसु परामुसइ, परामुसित्ता ठाणं ठाति, ठिच्चा पाययकण्णाययं उसु करेइ, करेत्ता वरुणं नागनत्तुयं
गाढप्पहारीकरेइ ।। २०२. तए णं से वरुणे नागनत्तुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे आसुरुत्ते
•रुटे कुविए चंडिक्किए० मिसिमिसेमाणे धणु परामुसइ, परामुसित्ता उसं परामुसइ, परामुसित्ता प्राययकण्णाययं उसु करेइ, करेत्ता तं पुरिसं एगाहच्चं
कडाहच्चं जीवियाग्रो ववरोवेइ ।। २०३. तए णं से वरुणे नागनत्तुए तेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे अबले
अवीरिए अपुरिसक्कारपरक्कमे अधारणिज्जमिति कटु तुरए निगिण्हाइ, निगिण्हित्ता रहं परावत्तेइ, परावत्तेत्ता रहमुसलामो संगामाग्रो पडिनिक्खमति,
१. सं० पा०-अणेगगणनायग जाव दूय । २. संधिवाल० (अ, क, ब, म); संधिवालंग०
(ता)। ३. द्रुहेति (क); द्रुहति (ता, ब)। ४. सं० पा०-रह जाव संपरिवुडे ।
५. गर जाव परिक्खित्ते (अ, क, ता, ब, म, स) ६. पडिपह० (ता) । ७. सरिसत्तए सरिसव्वए (क)। ८. सं० पा.-आसुरुत्ते जाव मिसि । ६. सं० पा०-आसुरुत्ते जाव मिसि ।।
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सत्तमं सतं (नवमो उद्देसो)
पडिनिक्खमित्ता एगंतमंतं' अवक्कमइ, अवक्कमित्ता तुरए निगिण्हइ, निगिण्हित्ता रहं ठवेइ, ठवेत्ता रहाम्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता तुरए मोएइ, मोएत्ता तुरए विसज्जेइ, विसज्जेत्ता दब्भसंथारगं संथरइ, संथरित्ता दब्भसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकनिसण्णे करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं वयासी-नमोत्थ णं अरहंताणं भगवंताणं जाव' सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमोत्थु णं समणस्स भगवो महावीरस्स आदिगरस्स जाव' सिद्धिगतिनामधेयं ठाणं संपाविउकामस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए, पासउ' मे से भगवं तत्थगए इहगयं ति कटु वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-पुवि पि णं मए समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए, एवं जाव' थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयाणि पिणं अहं तस्सेव भगवो महावीरस्स अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जावज्जीवाए जाव मिच्छादसणसल्लं पच्चक्खामि जावज्जीवाए। सव्वं असण-पाण-खाइम-साइम-चउव्विहं पिाहारं पच्चक्खामि जावज्जीवाए। जं पि य इमं सरीरं इटुं कंतं पियं जाव मा णं वाइयपित्तिय-सेभिय-सण्णिवाइय विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्ति कटट. एयं पि णं चरिमेहि ऊसास-नीसासे हि वोसिरिस्सामि त्ति कटट सण्णाहपट्ट मुयइ, मुइत्ता सल्लुद्धरणं करेइ, करेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहि
पत्ते आणुपुव्वीए" कालगए॥ वरुणनागनत्तुय-मित्त-पदं २०४. तए णं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स एगे पियबालवयंसए रहमुसलं संगाम
संगामेमाणे एगेणं पुरिसेणं गाढप्पहारीकए समाणे अत्थामे'२ प्रबले अवीरिए अपूरिसक्कारपरक्कमे ° अधारणिज्जमिति कटु वरुणं नागनत्तुयं रहमुसलामो संगामाग्रो पडिनिक्खममाणं पासइ, पासित्ता तुरए निगिण्हइ, निगिण्हित्ता जहा
वरुणे जाव तुरए विसज्जेति, पडसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता पुरत्थाभिमुहे" १. एगंतं (क)।
८. सं० पा०—एवं जहा खंदओ जाव एवं । २. सं० पा०—करयल जाव कट्ट ।
६. भ० ११३८४ । ३. ओ० सू० २१ ।
१०. भ० २।५२। ४. ओ० सू० २१ ।
११. पुव्वि (ता)। ५. पासइ (ता)।
१२. सं० पा०-अत्थामे जाव अधारणिज्जमिति ६. सं० पा०-तत्थगए जाव वंदइ । १३. भ० ७।२०३। ७. भ० ७।३२ ।
१४. सं० पा०-पूरत्थाभिमहे जाव अंजलि ।
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३०८
भगवई
•संपलियंकनिसण्णे करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए। अंजलि कटु एवं वयासी-जाइ णं भंते ! मम पियबालवयंसस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स सीलाइं वयाइं गुणाई वेरमणाई पच्चक्खाण-पोसहोववासाइं, ताइ णं 'ममं पि" भवंतु त्ति कटु सण्णाहपढें मुयइ', मुइत्ता सल्लुद्धरणं करेइ, करेत्ता
आणुपुवीए कालगए। २०५. तए णं तं वरुणं नागनत्तुयं कालगयं जाणित्ता अहासन्निहिएहिं वाणमंतरेहिं
देवेहिं दिव्वे सुरभिगंधोदगवासे वडे, दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिए, दिवे य
गीय-गंधव्वनिनादे कए या वि होत्था । २०६. तए णं तस्स वरुणस्स नागनत्तुयस्स तं दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवज्जुति दिवं
देवाणुभागं सुणित्ता य पासित्ता य बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव' परूवेइ-एवं खलु देवाणुप्पिया ! बहवे मणुस्सा' 'अण्णयरेसु उच्चावएसु संगामेसु अभिमुहा चेव पहया समाणा कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु
देवलोएसु देवत्ताए° उववत्तारो भवंति ॥ । २०७. वरुणे णं भंते ! नागनत्तुए कालमासे कालं किच्चा कहिं गए ? कहिं उववन्ने ?
गोयमा ! सोहम्मे कप्पे, अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलिअोवमाइं ठिती पण्णत्ता। तत्थ णं वरुणस्स वि
देवस्स चत्तारि पलिग्रोवमाइं ठिती पण्णत्ता । २०८. से णं भंते ! वरुणे देवे तारो देवलोगाप्रो आउक्खएणं, भवक्खएणं, ठिइक्ख
एणं 'अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति
सव्वदुक्खाणं अंतं करेहिति ॥ २०६. वरुणस्स णं भंते ! नागनत्तुयस्स पियबालवयंसए कालमासे कालं किच्चा कहि
गए ? कहिं उववन्ने ?
गोयमा ! सुकुले पच्चायाते । २१०. से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जि
हिति ?
गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति ।। २११. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
१. मम वि (ब)। २. ओमुयति (अ, क, ता, ब)। ३. निवाडिते (अ, क, ता)। ४. भ० ११४२० । ५. सं० पा०-मरणस्सा जाव उववत्तारो।
६. सं० पा०-ठिइक्खएणं जाव महा विदेहे वासे
सिज्झिहिति जाव अंतं । ७. भ०७।२०८। ८. भ० ११५१ ।
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सत्तमं सतं (दसमो उद्देसो)
३०६ दसमो उद्देसो कालोदाइ-पभितीणं पंवथिकाए संदेह-पदं २१२. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नाम नगरे होत्था-वण्णो '। गुणसिलए
चेइए-वण्णरो जाव' पुढविसिलापट्टनो। तस्स णं गुणसिलयस्स चेइयस्स अदूरसामंते बहवे अण्णउत्थिया परिवसंति, तं जहा-कालोदाई, सेलोदाई, सेवालोदाई', उदए, नामुदए', नम्मुदए, अण्णवालए, सेलवालए', संखवालए, सुहत्थी गाहावई। तए णं तेसिं अण्णउत्थियाणं अण्णया कयाइ एगयो सहियाणं समवागयाण सण्णिविट्ठाणं सण्णिसण्णाणं अयमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्थाएवं खलु समणे नायपुत्ते पंच अस्थिकाए पण्णवेति, तं जहा-धम्मत्थिकायं जाव पोग्गलत्थिकार्य। तत्थ णं समणे नायपुत्ते चत्तारि अत्थिकाए अजीवकाए पण्णवेति, तं जहाधम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं, 'आगासत्थिकायं, पोग्गलत्थिकायं । एगं च णं समणे नायपुत्ते जीवत्थिकायं अरूविकायं जीवकायं पण्णवेति । तत्थ णं समणे नायपुत्ते चत्तारि अत्थिकाए अरूविकाए पण्णवेति, तं जहाधम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं, अागासत्थिकायं, जीवत्थिकायं । एगं च णं समणे नायपुत्ते पोग्गलत्थिकायं रूविकायं अजीवकायं पण्णवेति । से कहमेयं
मण्णे एवं? २१४. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव" गुणसिलए चेइए
समोसढे जाव परिसा पडिगया ।।
१. ओ० सू० १।
भ० ७।२११८ सूत्रे कालोदायिना प्रतिपादि२. ओ० सू० २-१३ ।
तस्य भगवतः सिद्धान्तस्य भगवता स्ववचनेन ३. सेवलो° (ता)।
स्वीकृतिः क्रियते । तत्र 'तं सच्चे णं एसम? ४. णामुए (ता); गोमुदए (ब) ।
कालोदाई ! अहं पंचत्थिकायं पण्णवेमि, तं ५. X (अ, ता, म)।
जहा-धम्मत्थिकायं जाव पोग्गलत्थिकायं' ६. कयाई (क); कदायी (ता, ब, म); कयाई एतदनुसारेण एष पाठो युक्तोस्ति, तेन एतद
नुसारेणासौ स्वीकृतः। ७. X (क, ता, ब, म, स)।
१०. पोग्गलत्थिकायं आगासत्थिकायं (ता)। ८. अतमेतारूवे (ता)।
११. भ०१७। ६. आगासत्थिकायं (अ, क, ता, ब, म, स); १२. भ० १०८।
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३१०
भगवई
२१५. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवश्रो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूई नाम अणगारे 'गोयमे गोत्तेणं" जाव' भिक्खायरियाए प्रमाणे अहापज्जतं भत्त-पाणं पडिग्गाहित्ता रायगिहाम्रो 'नगराम्रो पडिनिक्खमइ, प्रतुरियमचवलमसंभंतं जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरस्रो रियं सोहेमाणे- सोहेमाणे तेसिं उत्थियाणं दूर सामंतेणं वीईवयति ॥
२१६. तणं ते अण्णउत्थिया भगवं गोयमं प्रदूरसामंतेणं वीईवयमाणं पासंति, पासित्ता णणं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी- एवं खलु देवाणुप्पिया ! म्हं इमा कहा विप्पकडा, अयं च णं गोयमे ग्रम्हं अदूरसामंतेणं वीईवयइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! ग्रम्हं गोयमं एयमहं पुच्छित्तए त्ति कट्टु अण्णमण्णस्स तिए एयम पडिसुगंति, पडिसुणित्ता जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता भगवं गोयमं एवं वयासी - एवं खलु गोयमा ! तव धम्मायरिए धम्मो देसए समणे नायपुत्ते पंच प्रत्थिकाए पण्णवेति, तं जहा- - धमत्थिकायं जाव पोग्गलत्थिकायं । तं चेव जाव' रूविकायं प्रजीवकायं पण्णवेति । से कहमेयं गोयमा ! एवं ?
कालोदाइस्स समाहाणपुव्वं पव्वज्जा-पदं
२१७. तए णं से भगवं गोयमे ते अण्णउत्थिए एवं वयासी - नो खलु वयं देवाणुप्पिया ! अस्थिभावं नत्थिति वदामो, नत्थिभावं प्रत्थि त्ति वदामो । ग्रम्हे णं देवाणुप्पिया ! सव्वं ग्रत्थिभावं प्रत्थि त्ति वदामो, सव्वं नत्थिभावं नत्थि त्ति वदामो । तं चेयसा' खलु तुब्भे देवाणुप्पिया ! एयमट्ठे सयमेव पच्चुवेक्खहत्ति कट्टु णत्थि एवं वदासी, वदित्ता जेणेव गुणसिलए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ जाव" भत्त-पाणं पडिदंसेति, पडिदंसेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासण्णे जाव" पज्जुवासति ॥ २१८. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे महाकहापडिवण्णे या वि होत्या । कालोदाई य तंदेसं हव्वमागए । कालोदाईति ! समणे भगवं महावीरे कालोदाई
१. गोयमगोत्ते णं ( अ, ता ) ।
२. एवं जहा वितियसते नियंठुद्देस जाव ( अ,
क, ता, ब, म, स); भ० २।१०६-१०६ । ३. सं० पा०-- रायगिहाओ जाव अतुरियमच वलमसंभंतं जाव रियं ।
C
४. भ० २।११० सूत्रे ० मसंभंते' इति पाठ:
स्वीकृतोस्ति ।
५. अविउप्पकडा ( अ, क, ब, म, वृपा) ।
६. आगासत्थिकायं (अ, क, ब, म, स) ।
७. भ० ७।२१३ ।
८. वेदसा ( अ, ता, म, वृपा) ।
६
वदति (ता, ब, म ) ।
१०. एवं जहा नियंठुद्देस जाव ( अ, क, ता, ब,
म, स ) ; भ० २ ११० ।
११. भ० ३।१३ ।
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सत्तमं सतं (दसमो उद्देसो)
एवं वयासी - से नूणं भे कालोदाई ! ग्रण्णया कयाइ एगयो सहियाणं समुवागाणं णिविद्वाणं सण्णिसण्णाणं प्रयमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्था - एवं खलु समणे नायपुत्ते पंच प्रत्थिकाए पण्णवेति तहेव जाव' से कहमेयं मण्णे एवं ? से नूणं कालोदाई ! ग्रत्थे समत्थे ?
हंता प्रत्थि । तं सच्चे णं एसमट्ठे कालोदाई ! ग्रहं पंचत्थिकायं पण्णवेमि, तं जहा - धम्मत्थिकायं जाव पोग्गलत्थिकायं ।
तत्थ ग्रहं चत्तारि श्रत्थिकाए प्रजीवकाए' पण्णवेमि, कायं, अधम्मत्थिकायं, आगासत्थिकार्य, पोग्गलत्थिकायं । त्थिकायं रूवीकायं जीवकायं पण्णवेमि ।
३११
तत्थ णं ग्रहं चत्तारि प्रत्थिाए अरूवीकार पण्णवेमि, तं जहा - धम्मत्थिकायं, धम्मत्थिकार्य, आगासत्थिकायं, जीवत्थिकायं । एगं च णं श्रहं पोग्गलत्थि - कायं रूविकायं पण्णवेमि ॥
२१६. तणं से कालोदाई समणं भगवं महावीरं एवं वदासी - एयंसि णं भंते ! धम्मत्थिकार्यसि, अधम्मत्थिकायंसि, आगासत्थिकायंसि प्ररूविकायंसि जीवकायंसि चक्किया केइ आसइत्तए वा ? सइत्तए वा ? चिठ्ठइत्तए वा ? निसीइतवा ? यट्टित्तए वा ?
णो तिट्टे समट्टे । कालोदाई ! एगंसि णं पोग्गलत्थिकायंसि रूविकायंसि aai aaया केइ आसइत्तए वा, सइत्तए वा", "चिट्ठइत्तए वा, निसीत् वा, तुट्टित्तए वा ॥
२२० एयंसि णं भंते ! पोग्गलत्थिकायंसि रूविकायंसि अजीवकायंसि जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कज्जंति ?
णो तिट्टे समट्ठे । कालोदाई ! एयंसि णं जीवत्थिकायंसि प्ररूविकायंसि जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कज्जंति । एत्थ णं से कालोदाई संबुद्धे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासीइच्छामि णं भंते ! तुब्भं प्रतियं धम्मं निसामेत्तए । एवं जहा खंदए तहेव पव्वइए, तहेव एक्कारस अंगाई हिज्जइ जाव' विचितेहि तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ||
१. भ० ७।२१३ |
२. अजीवताए ( क ) ; अजीवत्थिकाए ( स ) |
३. सं० पा० तहेव जाव एगं ।
तं जहा - धम्मत्थि -
एगं च णं ग्रहं जीव
२२१. तणं समणे भगवं महावीरे ग्रण्णया कयाइ रायगिहा नगराम्रो, गुणसिलाओ चेइयाश्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ||
-
४. चिट्ठित्तए ( अ, ब, ता) ।
५. सं० पा० – सइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए ।
६. भ० २५०-६३ ।
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३१२
कालोदाइस कम्मादिविसए पसिण-पदं
२२२. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे, गुणसिलए चेइए । तए णं सम भगवं महावीरे अण्णया कयाइ जाव' समोसढे, परिसा जाव' पडिगया ॥ २२३. तए णं से कालोदाई अणगारे ग्रण्णया कयाइ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी - प्रत्थि णं भंते! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कज्जति ? हंता अत्थि ||
२२४. कहणं भंते ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कज्जति ? कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुष्णं थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाकुलं विससंमिस्सं भोयणं भुंजेज्जा, तस्स णं भोयणस्स आवाए भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणे- परिणममाणे दुरूवत्ताए, दुवण्णत्ताए, दुगंधत्ताए जाव' दुक्खत्ताए - नो सुहत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमति । एवामेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाइवाए जाव' मिच्छादंसणसल्ले, तस्स णं ग्रावाए भद्दए भवइ, तो पच्छा विपरिणममाणे विपरिणममाणे " दुरूवत्ताए दुवण्णत्ताए दुगंधत्ताए जाव दुक्खत्ताए -नो सुहत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमति । एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं पावा कम्मा 'पावफल विवागसंजुत्ता कज्जति" ।
२२५. प्रत्थि णं भंते ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा कल्लाणफलविवागसंजुत्ता कज्जंति ?
हंता थि ||
२२६. कण्णं भंते ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा' कल्लाणफल विवागसंजुत्ता • कज्जंति ? कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुण्णं थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाकुलं श्रसहमिस्सं भोयणं भुजेज्जा, तस्स णं भोयणस्स श्रावाए नो भद्दए भवइ, तनो पच्छा परिणममाणे- परिणममाणे सुरूवत्ताए सुवण्णत्ताए जाव' सुहत्ताए - नो दुक्खत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमति । एवामेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाइवायवेरमणे जाव" परिग्गहवेरमणे कोहविवेगे जाव" मिच्छादंसणसल्लविवेगे, तस्स
१. भ० १1७ ।
२. भ० १८ ।
३. जहा महत्सवए जाव ( अ, क, ता, ब, म,
स) ; भ० ६।२० ।
४. भ० १।३८४ ।
५. तस्य प्राणातिपातादे: ( वृ ) |
६. परिणममाणे- परिणममाणे ( अ, क, ता, म ) ।
भगवई
७. फलविवाग जाव कज्जंति ( अ ); फल जाव कज्जति (क, ता) ।
८. सं० पा० कम्मा जाव कज्जति ।
६. भ० ६।२२ ।
१०. भ० १।३८५ ।
११. ठा० १११५-१२५ ।
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सत्तमं सतं (दसमो उद्देसो)
ग्रावा नो भए भवइ, तम्रो पच्छा परिणममाणे - परिणममाणे सुरूवत्ताए सुवण्णत्ताए जाव सुहत्ताए-नो दुक्खत्ताए भुज्जो - भुज्जो परिणमइ । एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा' कल्लाणफल विवागसंजुत्ता' कज्जति ॥ २२७. दो भंते ! पुरिसा सरिसया' 'सरितया सरिव्वया सरिसभंडमत्तोवगरणा प्रणमणेणं सद्धि गणिकार्य समारंभंति । तत्थ णं एगे पुरिसे अगणिकार्य उज्जालेइ, एगे पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ । एएसि णं भंते ! दोन्हं पुरिसाणं करे पुरिसे महाकम्मतराए चेव ? महाकिरियतराए चेव ? महासवतराए चेव ? महावेयणतराए चेव ? कयरे वा पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव' ? • पकरियतराए चेव ? अप्पासवतराए चेव ? ० अप्पवेयणतराए चेव ? जेवा से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ, जे वा से पुरिसे प्रगणिकायं निव्वावेइ ?
कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकार्य उज्जालेइ, से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव', 'महाकिरियतराए चेव, महासवतराए चेव, महावेयणतराए चेव । तत्थ णं जे से पुरिसे प्रगणिकायं निव्वावेइ, से णं पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव', 'अप्पकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव, अप्पवेयणतराए चेव ॥ २२८. सेकेणट्टे भंते ! एवं वच्चइ तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जालेइ, से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव ? महाकिरियतराए चेव ? महासवतराए चेव ? महावेयणतराए चेव ? तत्थ णं जे से पुरिसे प्रगणिकायं निव्वावेइ, से
पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव ? अप्पकिरियतराए चेव ? अप्पासवतराए चेव° ? अप्पवेयणतराए चेव ?
o
१. सं० पा० कम्मा जाव कज्जति । २. सं० पा० - सरिसया जाव सरिसभंड ० । ३. सं० पा० - चेव जाव अप्पवेयण° ।
४. सं० पा० - चैव जाव महावेयरण ।
०
३१३
कालोदाई ! तत्थ णं जे से पुरिसे प्रगणिकायं उज्जालेइ, से णं पुरिसे बहुतरागं पुढविक्कायं समारभति, बहुतरागं उक्कायं समारभति, अप्पतरागं तेउक्कायं समारभति, बहुतरागं वाउकायं समारभति, बहुतरागं वणस्सइकायं समारभति, बहुतरागं तसकायं समारभति ।
तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ, से णं पुरिसे अप्पतरागं पुढविकायं समारभति, अप्पतरागं प्राक्कायं समारभति, बहुतरागं तेउक्कायं समारभति, अप्पतरागं वाउकायं समारभति, अप्पतरागं वणस्सइकायं समारभति, अप्पतरागं तसकायं समारभति । से तेणट्टेणं कालोदायी ! एवं बुच्चइ - तत्थ णं जे से पुरिसे प्रगणिकायं उज्जालेइ, से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव, महा
५. सं० पा० - चेव जाव अप्पवेयरण । ६. सं० पा० - पुरिसे जाव अप्पवेयण । ७. सं० पा० - कालोदायी जाव अप्पवेयरण ० ।
०
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३१४
भगवई किरियतराए चेव, महासवतराए चेव, महावेयणतराए चेव। तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकायं निव्वावेइ, से णं पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव, अप्पकिरियत
राए चेव, अप्पासवतराए चेव , अप्पवेयणतराए चेव ।। २२६. अत्थि णं भंते ! अच्चित्ता वि पोग्गला ओभासंति ? उज्जोवेंति ? तवेंति ?
पभासेंति ?
हंता अत्थि ॥ २३०. कयरे णं भंते ! ते अच्चित्ता वि पोग्गला प्रोभासंति' ? 'उज्जोवेंति ?
तवेंति? ० पभासेंति ? कालोदाई ! कुद्धस्स अणगारस्स तेय-लेस्सा निसट्टा समाणी दूरं गता दूरं निपतति, देसं गता देसं निपतति, जहि-जहि च णं सा निपतति तहि-तहि च णं ते अचित्ता वि पोग्गला ओभासंति', 'उज्जोवेंति, तवेंति°, पभासेंति । एतेणं कालोदाई ! ते अचित्ता वि पोग्गला प्रोभासंति', उज्जोवेंति, तवेंति०,
पभासेंति॥ २३१. तए णं से कालोदाई अणगारे समणं ,भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता
नमंसित्ता बहूहिं चउत्थ-छट्ठट्ठम-'दसम-दुवालसेहि, मासद्धमासखमणेहि
विचित्तेहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । २३२. "तए णं से कालोदाई ! अणगारे जाव' चरमेहिं उस्सास-नीसासेहिं सिद्ध
बुद्धे मुक्के परिनिव्वुडे ° सव्वदुक्खप्पहीणे ।। २३३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
१. सं० पा०-ओभासंति जाव पभाति । २. विभक्तिपरिणामाकुद्धेन (वृ)। ३. सं० पा०-ओभासंति जाव पभासेंति । ४. सं० पा० ओभासंति जाव पभासेंति । ५. सं० पा०-छट्रटम जाव अप्पारणं ।
६. सं० पा०-जहा पढमसए कालासवेसियपुत्ते
जाव सव्वदुक्ख ° । ७. भ० ११४३३ । ८. भ० ११५१ ।
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अट्ठमं सतं
पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा १. पोग्गल २. आसीविस ३. रुक्ख ४. किरिय ५. श्राजीव ६, ७. फासुकमदत्ते ।
८. पडिणीय ह.बंध १०. पाराहणा य दस अट्ठमंमि सते ।।१।। पोग्गलपरिणति-पदं १. रायगिहे जाव' एवं वदासी-कतिविहा णं भंते ! पोग्गला पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा पोग्गला पण्णत्ता, तं जहा-पयोगपरिणया, मीसापरिणया',
वीससापरिणया । (१) पयोगपरिणति-पदं २. पयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-एगिदियपयोगपरिणया', 'बेइंदियपयोगपरिणया, तेइंदियपयोगपरिणया, चउरिदियपयोगपरिणया, पंचिदियपयोग
परिणया॥ ३. एगिदियपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-पढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया 'याउकाइयएगिदियपयोगपरिणया, तेउकाइयएगिदियपयोगपरिणया, वाउकाइयएगिदियपयोगपरिणया°, वणस्सइकाइयएगिदियपयोगपरिणया ।
४. सं० पा०-पुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया
जाव वणस्सइ ।
१. भ० ११४-१०। २. मीससा (अ, स); मीस ° (क, ब, म)। ३. सं० पा०-एगिदियपयोगपरिणया जाव
पंचिदिय ।
३१५
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३१६
भगवई
४. पुढविकाइयएगिंदियपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सुहुमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया, बादरपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया य । आाउकाइयए गिदियपयोगपरिणया एवं चेव । एवं दुयग्रो' भेदो जाव वणस्सइकाइयाय ।।
५. बेइंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा ।
गोमा ! अणेगविहा पण्णत्ता । एवं तेइंदिय- चउरिदियपयोगपरिणया वि ॥ ६. पंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा ।
गोयमा ! चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा - -नेरइयपंचिदियपयोगपरिणया, तिरिक्ख माणुस - देव पंचिदियपयोगपरिणया |
७. नेरइयपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा |
गोयमा ! सत्तविहा पण्णत्ता, तं जहा रयणप्पभपुढविने रइयपंचिदियपयोगपरिणया वि जाव' हेसत्तमपुढविने रइयपंचिदियपयोगपरिणया वि ॥ ८. तिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा ।
गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- जलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणया, थलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणया, खहचरतिक्खिजोणिय पंचिदियपयोगपरिणया ||
६. जलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा ।
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-संमुच्छिम जलचरतिक्खि जोणियपंचिदियपयोगपरिणया, गब्भवक्कंतियजलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणया || १०. थलचर तिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा ।
गोमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - चउप्पयथलचरति रिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणया, परिसप्पथलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणया ॥ ११. चउप्पयथलचरतिरिक्खजोणिय पंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा ।
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - संमुच्छिमच उप्पयथलचरतिरिक्खजोणियपंचिदियपयोगपरिणया, गब्भवक्कंतियच उप्पयथलचरतिरिक्ख जोणियपंचिदियपयोगपरिणया ||
१२. एवं एएवं प्रभिलावेणं परिसप्पा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - उरपरिसप्पा य भुपरिसप्पा य । उरपरिसप्पा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - संमुच्छिमा य गब्भवक्कंतिया य । एवं भुयपरिसप्पा वि । एवं खहयरा वि ॥
१३. मणुस्सपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा ।
१. दुपओ (क, ब, स वृपा) ।
२. रयणप्पभा० ( अ, स ) ।
३. भ० २।७७ ।
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अट्ठमं सतं (पढमो उद्देसो)
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-समुच्छिममणुस्सपंचिंदियपयोगपरिणया,
गब्भवक्कंतियमणुस्सपंचिदियपयोगपरिणया । १४. देवपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा।
गोयमा ! चउविवहा पण्णत्ता, तं जहा-भवणवासिदेवपंचिदियपयोगपरिणया,
एवं जाव' वेमाणिया ॥ १५. भवणवासिदेवपंचिदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा।
गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तं जहा-असुरकुमारदेवपंचिदियपयोगपरिणया जाव थणियकुमारदेवपंचिदियपयोगपरिणया ॥ एवं एएणं अभिलावेणं अट्ठविहा वाणमंतरा-पिसाया जाव' गंधव्वा । जोतिसिया पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-चंदविमाणजोतिसिया जाव' ताराविमाणजोतिसियदेवपंचिदियपयोगपरिणया। वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहाकप्पोवगवेमाणिया कप्पातीतगवेमाणिया। कप्पोवगवेमाणिया दुवालसविहा पण्णत्ता, तं जहा-सोहम्मकप्पोवगवेमाणिया जाव' अच्चुयकप्पोवगवेमाणिया। कप्पातीतगवेमाणिया विहा पण्णत्ता, त जहा-गेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया, अणुत्तरोववातियकप्पातीतगवेमाणिया । गेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया नवविहा पण्णत्ता, तं जहा–हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया जाव' उवरिम
उवरिमगेवेज्जगकप्पातीतगवेमाणिया ॥ १७. अणुत्तरोववातियकप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिदियपयोगपरिणया णं भंते !
पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-विजयप्रणुत्तरोववातिय" कप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिदियपयोग ° परिणया जाव' सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववातियकप्पा
तीतगवेमाणियदेवपंचिदियपयोगपरिणया ।। (२) पज्जत्तापज्जत्तं पडुच्च पयोगपरिणति-पदं १८. सूहमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा"-पज्जत्तासुहुमपुढविकाइय""एगिदियपयोग १. भ० २१११६ ।
६. जाव परिणया (अ, क, ता, ब, म, स) । २. पू० १०२।
१०. अतोने 'केति अपज्जत्तगं पढम भणंति पच्छा ३. ठा० ८।११६ ।
पज्जत्तगं' इति पाठोऽस्ति। वृत्ती नासौ ४. ठा० ५१५२।
व्याख्यातोऽस्ति । असौ मतभेदसूचकः पाठो ५. अ० सू० २८७ ।
वृत्त्युत्तरकालं मूले प्रक्षिप्तोभूदितिसंभाव्यते । ६. ठा० ६।३८ ।
११. सं० पा०—पज्जत्तासुहमपुढविकाइय जाव ७. सं०पा०-विजयअणुतरोववतिय जाव परिणया परिणया; एगपदे सन्धिरत्र, तेन 'पज्जत्तग' ८. भ० ६।१२१ ।
इति परिपदस्य 'पज्जत्ता' इति रूपं जातम् ।
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३१८
भगवई
परिणया य, अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइय"एगिदियपयोग परिणया य । बादरपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइया ।
एक्केका दुविहा सुहुमा य, बादरा य, पज्जत्तगा अपज्जत्तगा य भाणियव्वा ॥ १६. बेइंदियपयोगपरिणयाणं पुच्छा।
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगबेइंदियपयोगपरिणया य, अप
ज्जत्तग जाव परिणया य । एवं तेइंदिया वि, एवं चरिंदिया वि ।। २०. रयणप्पभपुढविनेरइयपयोगपरिणयाणं पुच्छा।
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगरयणप्पभ जाव परिणया य,
अपज्जत्तग जाव परिणया य । एवं जाव अहेसत्तमा । २१. संमच्छिमजलचरतिरिक्ख-पुच्छा।
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तग अपज्जत्तग। एवं गब्भवक्कंतिया वि । समुच्छिमचउप्पयथलचरा एवं चेव । एवं गब्भवक्कंतिया वि । एवं जाव संमुच्छिमखयरगब्भवक्कंतिया य। एक्केक्के पज्जत्तगा अपज्जत्तगा य
भाणियव्वा ॥ २२. संमुच्छिममणुस्सपंचिदिय-पुच्छा।
गोयमा ! एगविहा पण्णत्ता-- अपज्जत्तगा चेव ।। २३. गब्भवक्कंतियमणुस्सपंचिदिय पुच्छा।
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगगब्भवक्कंतिया वि, अपज्जत्तग
गब्भवक्कंतिया वि ॥ २४. असुरकुमारभवणवासिदेवाणं पुच्छा।
गोयमा! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तगग्रसरकूमार, अपज्जत्तगप्रसूरकुमार । एवं जाव' थणियकुमारा पज्जत्तगा अपज्जत्तगा य ।। एवं एतेणं अभिलावेणं दुयएणं भेदेणं पिसाया जाव' गंधव्वा। चंदा जाव* ताराविमाणा। सोहम्मकप्पोवगा जाव'च्चुतो। हेट्ठिमहेट्ठिम-गेवेज्जकप्पातीत
जाव' उवरिमउवरिमगेवेज्ज । विजयअणुत्तरोववाइय जाव' अपराजिय । २६. सव्वट्ठसिद्धकप्पातीत-पुच्छा।
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय, अपज्जत्तासव्वट्ठ जाव परिणया वि ॥
२५.
१. सं० पा०-पुढविकाइय जाव परिणया। २. पू०प०३। ३. ठा० ८।११६ । ४. ठा० ५।५२।
५. अ० सू० २८७ । ६. ठा० ६।३८ । ७. भ० ६।१२१ ।
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अट्ठमं सतं (पढमो उद्देसो)
३१६ (३) सरीरं पडुच्च पयोगपरिणति-पदं २७. जे अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया ते ओरालिय-तेया-कम्मा
सरीरप्पयोगपरिणया। जे पज्जत्तासुहुम जाव परिणया ते ओरालिय-तेयाकम्मासरीरप्पयोगपरिणया। एवं जाव चरिदिया पज्जत्ता, नवरं-जे पज्जताबादरवाउकाइयएगिदियप्पयोगपरिणया ते ओरालिय-वेउव्विय-तेया-कम्मा
सरीरप्पयोगपरिणया' । सेसं तं चेव ।। २८. जे अपज्जत्तरयणप्पभापुढविनेरइयपंचिदियपयोगपरिणया ते वेउब्विय-तेया
कम्मासरीरप्पयोगपरिणया । एवं पज्जत्तगा वि । एवं जाव अहेसत्तमा । २६. जे अपज्जतासमुच्छिमजलचर जाव परिणया ते पोरालिय-तेया कम्मासरीर
जाव परिणया। एवं पज्जत्तगा वि। गब्भवक्कंतियअपज्जत्ता एवं चेव । पज्जत्तगाणं एवं चेव, नवरं सरीरगाणि चत्तारि जहा बादरवाउकाइयाणं पज्जत्तगाणं । एवं जहा जलचरेसु चत्तारि आलावग भणिया एवं चउप्पया'
उरपरिसप्प-भुयपरिसप्प खहयरेसु वि चत्तारि अालावगा भाणियव्वा ।। ३०. जे संमुच्छिममणुस्सपंचिदियपयोगपरिणया ते ओरालिय-तेया-कम्मासरीर
प्पयोगपरिणया। एवं गब्भवक्कंतिया वि। अपज्जत्तगा वि, पज्जत्तगा वि
एवं चेव, नवरं सरीरगाणि पंच भाणियव्वाणि ॥ ३१. जे अपज्जत्ताअसुरकूमारभवणवासि जहा नेरइया तहेव । एवं पज्जत्तगा वि ।
एवं दुयएणं भेदेणं जाव थणियकुमारा । एवं पिसाया जाव गंधव्वा । चंदा जाव ताराविमाणा । सोहम्मकप्पो जावच्चुनो। हेट्ठिमहेट्ठिमगेवेज्जग जाव उवरिमउवरिमगेवेज्जग। विजयप्रणुत्तरोववाइय जाव सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय। एक्केक्के दुयो भेदो भाणियव्वो जाव जे पज्जत्तासव्वसिद्धअणुत्तरोववाइय'-. 'कप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिदियपयोग ° परिणया ते वेउव्विय-तेया-कम्मा
सरीरप्पयोगपरिणया ॥ (४) इंदियं पडुच्च पयोगपरिणति-पदं ३२. जे अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया ते फासिदियपयोगपरिणया
जे पज्जत्तासुहमपुढविकाइय एवं चेव । जे अपज्जत्ताबादरपुढविकाइय एवं चेव । एवं पज्जत्तगा वि । एवं चउक्कएणं भेदेण जाव वणस्सतिकाइया ।
१. कम्म ° (अ, ब, म); कम्मग ° (स); अत्रापि
स्वीकृतपाठे एकपदे सन्धिः । २. जाव परिणया (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. चतुष्पद (क, ब)।
४. ° जाव परिणया (अ, क, ता, ब, म, स)। ५. अपज्जत्ता (अ, क, ता, ब, म, स);
सं० पा०-वाइय जाव परिणया।
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३२०
३३.
जे प्रपज्जत्ता बेइंदियपयोगपरिणया ते जिब्भिदिय- फासिंदियपयोगपरिणया, जे पज्जत्ताबेइंदिय एवं चेव । एवं जाव चउरिदिया, नवरं - एक्केक्कं इंदियं वड्ढेयव्वं ॥
३४. जे अपज्जत्तरयणप्पभपुढविने रइयपंचिदियपयोगपरिणया ते सोइंदिय- चक्खिदिय- घाणिदिय- जिभिदिय- फासिंदियपयोगपरिणया । एवं पज्जत्तगा वि । एवं सव्वे भाणियव्वा तिरिक्खजोणिय - मणुस्स - देवा जाव जे पज्जत्तासव्वट्टसिद्धश्रणुत्तरोववाइय' कप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिदियपयोग परिणया ते सोइंदिय- चक्खिदियघाणिदिय जिब्भिदिय फासिंदियपयोग परिणया ॥
(५) सरीरं इंदियं च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं
३५. जे अपज्जत्तासु हुमपुढविकाइयएगिदियो रालिय- तेया- कम्मास रोरप्पयोगपरिते फासिंदियपयोगपरिणया । जे पज्जत्तासुहुम ° एवं चेव । बादरम्रपज्जत्ता एवं चेव । एवं पज्जत्तगा वि ।
o
एवं एतेणं प्रभिलावेणं जस्स जति इंदियाणि सरीराणि य तस्स ताणि भाणियव्वाणि जाव जे पज्जत्ता सव्वट्टसिद्धग्रणुत्तरोववाइय' कप्पातीतगवेमाणिय • देवपचिदिवे उव्विय- तेया- कम्मासरी रप्पयोगपरिणया ते सोइंदिय - चक्खिदिय जाव फासिंदियप्पयोगपरिणया ||
१. जाव (क, ता, ब ) ।
२. सं० पा० - ० वाइय जाव परिणया ।
३. सं० पा० - चक्खिदय जाव परिणया ।
भगवई
o
(६) वण्णादिं पडुच्च पयोगपरिणति-पदं
३६. जे अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए गिंदियपयोगपरिणया ते वण्णो कालवण्णपरियावि, नील-लोहिय' - हालिद्द - सुक्किलवण्णपरिणया वि; गंधओ सुब्भिगंधपरिणया वि, दुब्भिगंधपरिणया वि; रसश्रो तित्तरसपरिणया वि, कडुयरसपरिणयावि, कसायरसपरिणया वि, अंबिलरसपरिणया वि, महुररसपरिणया वि; फासओ कक्खडफासपरिणया वि', मउयफासपरिणया वि, गरुयफासपरिणया वि, लहुयफासपरिणया वि, सीतफासपरिणया वि, उसिणफासपरिणया विद्धिफासपरिणया वि, लुक्खफासपरिणया वि; संठाणत्रो परिमंडलसंठाणपरिणया वि, वट्ट-तंस - चउरंस प्रायत संठाणपरिणया वि । जे पज्जत्तासुमपुढवि० एवं चेव । एवं जहाणुपुव्वीए नेयव्वं जाव जे पज्जत्तासव्वसिद्धप्रणुत्तरोववाइय जाव परिणया ते वण्णी कालवण्णपरिणया वि जाव तसं ठाणपरिणया वि ॥
४. अपज्जत्ता ० ( अ, क, ब, स ) ; सं० पा०● वाइय जाव देव० ।
५. लोहिंग (ता, ब, म) 1
६. सं० पा०वि जाव लुक्ख० ।
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असतं ( पढो उद्देसो)
(७) सरीरं वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं
३७. जे ग्रपज्जत्तासु हुम पुढविक्का इयएगिदियो रालिय- तेया- कम्मासरी रपयोग परिया ते वण्ण कालवण्णपरिणया वि जाव प्रायतसंठाणपरिणया वि ।
जे पत्ता हुम पुढविक्काइय एवं चेव । एवं जहाणुपुव्वीए नेयव्वं, जस्स जइ सरीराणि जाव जे पज्जत्तासव्वट्टसिद्ध अणुत्तरोववाइयकप्पातीतगवेमाणियदेवपंचिदियवे उव्विय तेया- कम्मासरीरपयोगपरिणया' ते वण्णओ कालवण्णपरिणया वि जाव प्रातसंठाणपरिणया वि ||
(८) इंदियं वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं
३८. जे अपज्जत्तासुहुम पुढविक्काइयएगि दियफासिंदियपयोगपरिणया ते वण्ण कालवण्णपरिणया वि जाव प्रायतसंठाणपरिणया वि ।
३२१
पत्ता हुमपुढ विकाइय एवं चेव । एवं जहाणुपुव्वीए जस्स जति इंदि - याणि तस्स तति भाणियव्वाणि जाव जे पज्जत्तासव्वट्टसिद्धप्रणुत्त रोववाइय े - • कप्पातीत गवेभाणिय' देवपचिदियसोतिदिय जाव फासिंदियपयोगपरिणया ते वण कालवण परिणया वि जाव प्रायतसंठाणपरिणया वि ॥
(e) सरीरं इंदियं वण्णादि च पडुच्च पयोगपरिणति-पदं
३६. जे प्रपज्जत्तासु हुमपुढ विक्काइयएगिदियो रालिय- तेया- कम्मा- फासिंदियपयोगपरिणया ते वण्णी कालवण्णपरिणया वि जाव प्रायतसंठाणपरिणया वि ।
पत्तासु हुम पुढविकाइय एवं चेव । एवं जहाणुपुव्वीए जस्स जति सरीराणि इंदियाणि य तस्स तति भाणियव्वाणि जाव जे पज्जत्तासव्वट्टसिद्धप्रणुत्तरोववाइयकप्पातीतगवेमाणियदेव पंचिदियवे उब्विय तेया- कम्मा-सोइंदिय जाव फासिंदियपयोगपरिणया ते वण्णी कालवण्णपरिणया वि जाव श्रायतसंठाण परिणया वि । एते नव दंडगा " ॥
मोसपरिणति-पदं
४०. मीसापरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - एगिदियमीसापरिणया जाव पंचिदियमीसापरिणया ||
४१. एगिदियमीसापरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ?
एवं जहा पयोगपरिणएहिं नव दंडगा भणिया, एवं मीसापरिणएहिं वि नव
१. ० जाव परिणया ( अ, क, ता, ब, म, स ) ।
२. सं० पा० ० वाइय जाव देव° ।
३. एवं नव दंडगा भरिया ( अ, स ) । ४. मीस ० ( अ ) ।
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३२२
भगवई
दंडगा भाणियव्वा, तहेव सव्वं निरवसेसं, नवरं-अभिलावो 'मीसापरिणया' भाणियव्वं, सेसं तं चेव जाव' जे पज्जत्तासव्वट्ठसिद्धप्रणुत्तरोववाइय जाव
प्रायतसंठाणपरिणया वि ।। वीससापरिणति-पदं ४२. वीससापरिणया णं भंते ! पोग्गला कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा–वण्णपरिणया, गंधपरिणया, रसपरिणया, फासपरिणया, संठाणपरिणया। जे वण्णपरिणया ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-कालवण्णपरिणया जाव' सुक्किलवण्णपरिणया। जे गंधपरिणया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--सुब्भिगंधपरिणया', दुन्भिगंधपरिणया। जे रसपरिणया ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-तित्तरसपरिणया जाव' महुररसपरिणया। जे फासपरिणया ते अट्ठविहा पण्णत्ता, तं जहा--कक्खडफासपरिणया जाव' लुक्खफासपरिणया। जे संठाणपरिणया ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-परिमंडलसंठाणपरिणया जाव' अायतसंठाणपरिणया । जे वण्णो कालवण्णपरिणया ते गंधरो सुब्भिगंधपरिणया वि, दुब्भिगंधपरिणया वि। एवं जहा पण्णवणाए तहेव निरवसेसं जाव जे संठाणो आयतसंठाणपरिणया
ते वण्णो कालवण्णपरिणया वि जाव लुक्खफासपरिणया वि ।। एगं दव्वं पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ४३. एगे भंते । दव्वे कि पयोगपरिणए ? मोसापरिणए ? वीससापरिणए ? ____ गोयमा ! पयोगपरिणए वा, मीसापरिणए वा, वीससापरिणए वा ।। पयोगपरिणति-पदं ४४. जइ पयोगपरिणए कि मणपयोगपरिणए ? वइपयोगपरिणए ? कायपयोग
परिणए ?
१. भ० ८।३-३६ ।
७. भ० ८।३६ । २. भ० ८।३६ ।
८. प०१। ३. सुगंधपरिणया वि(अ, स);सुरभि (ता, ब)। ६. मरणप्प (ता, म)। ४. दुगंधपरिणया वि(अ, स); दुरभि (ता, ब)। १०. वयप (क); वयप्प° (ब, म)। ५. भ० ८।३६।
११. कायप्प ° (अ, क, ता, ब, म, स)। ६. भ. ८।३६ ।
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भट्ठमं सतं (पढमो उद्देसो)
३२३ गोयमा ! मणपयोगपरिणए वा, वइपयोगपरिणए वा, कायपयोगपरिणए
वा॥ मणपयोगपरिणति-पदं ४५. जइ मणपयोगपरिणए कि सच्चमणपयोगपरिणए ? मोसमणपयोगपरिणए ?
सच्चामोसमणपयोगपरिणए ? असच्चामोसमणपयोगपरिणए ? गोयमा ! सच्चमणपयोगपरिणए वा, मोसमणपयोगपरिणए वा, सच्चा
मोसमणपयोगपरिणए वा, असच्चामोसमणपयोगपरिणए वा ।। ४६. जइ सच्चमणपयोगपरिणए कि प्रारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? अणारंभसच्च
मणपयोगपरिणए ? सारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? असारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? समारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? असमारंभसच्चमणपयोगपरिणए ? गोयमा ! प्रारंभसच्चमणपयोगपरिणए वा जाव असमारंभसच्चमणपयोग
परिणए वा॥ ४७. जइ मोसमणपयोगपरिणए कि आरंभमोसमणपयोगपरिणए ?
एवं जहा सच्चेणं तहा मोसेण वि । एवं सच्चामोसमणपयोगेण वि । एवं
असच्चामोसमणपयोगेण वि ।। वइपयोगपरिणति-पदं ४८. जइ वइपयोगपरिणए कि सच्चवइपयोगपरिणए ? मोसवइपयोगपरिणए ?
एवं जहा मणपयोगपरिणए तहा वइपयोगपरिणए वि जाव असमारंभवइ
पयोगपरिणए वा ॥ कायपयोगपरिणति-पदं
जइ कायपयोगपरिणए कि अोरालियसरीरकायपयोगपरिणए ? ओरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? वेउव्वियसरीरकायपयोगपरिणए ? वेउव्वियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? आहारगसरीरकायपयोगपरिणए ? आहारगमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? कम्मासरीरकायपयोगपरिणए ? गोयमा ! ओरालियसरीरकायपयोगपरिणए वा जाव कम्मासरीरकायपयोग
परिणए वा ॥ ५०. जइ अोरालियसरीरकायपयोगपरिणए कि एगिदियोरालियसरीरकायपयोग
परिणए ? जाव' पंचिदियओरालिय' सरीरकायपयोग ° परिणए ?
१. एवं जाव (अ, स)। २. सं० पा०-पंचिदियओरालिय जाव परिणए ।
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३२४
भगवई
गोयमा ! एगिदियोरालियसरीरकायपयोगपरिणए वा जाव' पंचिदियोरा
लियसरीरकायपयोगपरिणए वा ।। ५१. जइ एगिदियोरालियसरीरकायपयोगपरिणए किं पुढविक्काइयएगिदियोरा
लियसरीरकायपयोग परिणए ? जाव वणस्सइकाइयएगिदियोरालियसरीरकायपयोगपरिणए ? गोयमा ! पुढविक्काइयएगिदिय''पोरालियसरीरकायपयोग परिणए वा जाव वणस्सइकाइयएगिदिय' पोरालियसरीरकायपयोग परिणए वा ॥ जइ पुढविक्काइयएगिदियोरालियसरीरकायपयोगपरिणए" किं सुहमपुढविक्काइय जाव परिणए ? बादरपुढविक्काइय जाव परिणए ? गोयमा ! सुहुमपुढविकाइयएगिदिय जाव परिणए वा, बादरपुढविक्काइय
जाव परिणए वा॥ ५३. जइ सुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए कि पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय जाव
परिणए ? अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए? गोयमा ! पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए वा, अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइय जाव परिणए वा। एवं बादरा वि। एवं जाव वणस्सइकाइयाणं चउक्कनो भेदो। बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदियाणं दुयो भेदो-पज्जत्तगा य
अपज्जत्तगा य॥ ५४. जइ पंचिदियोरालियसरीरकायपयोगपरिणए किं तिरिक्खजोणियपंचिदिय_ोरालियसरीरकायपयोगपरिणए ? मणुस्सपंचिदिय जाव परिणए ?
गोयमा ! तिरिक्खजोणिय जाव परिणए वा, मणुस्सपंचिदिय जाव परिणए वा॥ ५५. जइ तिरिक्खजोणिय जाव परिणए कि जलचरतिरिक्ख जोणिय जाव परिणए ?
थलचर-खहचर जाव परिणए ?
एवं चउक्कयो भेदो जाव खहचराणं ।। ५६. जइ मणुस्सपंचिदिय जाव परिणए कि संमुच्छिममणुस्सपंचिदिय जाव परिणए ?
गब्भवक्कंतियमणुस्स जाव परिणए ?
गोयमा ! दोसु वि ॥ - ५७. जइ गब्भवतियमणुस्स जाव परिणए कि पज्जत्तागब्भववतिय जाव
परिणए ? अपज्जत्तागब्भवक्कंतिय जाव परिणए ?
१. बेइंदिय जाव परिणए वा (अ, क, ब, म,
स); बेइंदिय जाव (ता)। २. सं० पा०-एगिदिय जाव परिणए ।
३. सं० पा०—० एगिदिय जाव परिणए। ४. स० पा०-० एगिदिय जाव परिणए। ५. सरीर जाव परिणए (अ,क, ता, ब,म, स)।
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असतं (पढमो उद्देसो)
गोमा ! पज्जत्तागब्भवक्कंतिय जाव परिणए वा अपज्जत्तागब्भवक्कंतिय जाव परिणए वा ॥
५८. जइ ओरालियमीसासरी रकायपयोगपरिणए किं एगिदियो रालियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ? बेइंदिय जाव परिणए ? जाव पंचिदियो रालिय जाव परिणए ?
गोमा ! एगिदियो रालियमी सासरी रकायपयोगपरिणए एवं जहा ओरालियसरीरकायपयोगपरिणएणं श्रालावगो भणिश्रो तहा प्रोरालियमीसासरीरकायपयोगपरिणएण विश्रालावगो भाणियव्वो, नवरं - बादरवाउक्काइय-गब्भवककंतियपंचिदियतिरिक्ख जोणीय - गब्भवक्कंतियमणुस्साणं एएसिणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं, सेसाणं प्रपज्जत्तगाणं ॥
५६. जइ वेउव्वियसरी रकायपयोगपरिणए किं एगिंदियवेउब्वियसरी रकायपयोगपरिणए ? पंचिदियवे उब्वियसरीर जाव परिणए ?
गोमा ! एगिदिय जाव परिणए वा, पंचिदिय जाव परिणए वा ।
६०. जइ एगिदिय जाव परिणए किं वाउक्काइए गिदिय जाव परिणए ? प्रवाउक्काए गिदिय जाव परिणए ?
गोयमा ! वाउक्काइए गिदिय जाव परिणए, नो प्रवाउक्काइयए गिंदिय जाव परिणए । एवं एएणं प्रभिलावेणं जहा प्रोगाहणसंठाणे वेउव्वियसरीरं भयंता इह विभाणियव्वं जाव पज्जत्तासव्वट्टसिद्धग्रणुत्तरोववाइयकप्पातीतावेमाणियदेव पंचिदियवे उब्वियसरी रकायपयोगपरिणए वा, अपज्जत्तासव्वसिद्ध प्रणत्त रोववाइय जाव परिणए वा ।।
६१. जइ वेउव्वियमी सासरीरकायपयोगपरिणए कि एगिदियमीसासरी र कायपयोगपरिणए ? जाव पंचिदियमीसासरीरकायपयोगपरिणए ?
एवं जहा वेउब्वियं तहा वेउब्वियमीसगं पि, नवरं - देव - नेरइयाणं प्रपज्जत्तगाणं, सेसाणं पज्जत्तगाणं जाव नो पज्जत्तासव्वट्टसिद्धप्रणुत्तरोववाइय जाव परिए, ग्रपज्जत्ता सव्वट्टसिद्ध श्रणुत्त रोववाइयदेवपंचिदियवे उब्वियमी सासरीरकाययोगपरिण ||
६२. जइ प्रहारगसरीरकायपयोगपरिणए किं मणुस्साहारगसरीरकायपयोगपरिणए ? अमणुस्साहारंग जाव परिणए ?
एवं जहा प्रोगाहणसंठाणे जाव इड्ढिपत्तपमत्तसंजयसम्मदिद्विपज्जत्तगसंखेज्जवासाउय जाव परिणए, नो प्रणिढिपत्तपमत्तसंजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तसंखेज्जवासाय जाव परिणए ।
१. ० मरगुस्सा य ( अ, क, ता, ब ) । २. एतन्नामके प्रज्ञापनाया एकविंशतितमे पदे ।
३२५
३. पज्जत्तगाणं तहेव ( अ स ) ; अत्र द्वयोमिश्रणम् ; तव (क, ता, म) ।
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भगवई
६३. जइ प्रहारगमीसासरी रकायपयोगपरिणए कि मणुस्साहारगमीसासरी रकायपयोगपरिणए ?
३२६
एवं जहा आहारगं तहेव मीसगं पि निरवसेसं भाणियव्वं ॥
६४. जइ कम्मासरी रकायपयोगपरिणए किं एगिंदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए ? जाव पंचिदियकम्मासरी रकायपयोगपरिणए ?
गोयमा ! एगिदियकम्मासरीरकायपयोगपरिणए, एवं जहा प्रोगाहणसं ठाणे कम्मगस्स भेदो तहेव इह वि जाव पज्जत्तासव्वट्टसिद्धप्रणुत्तरोववाइय' कप्पातीतगवेमाणिय' देवपंचिदियकम्मासरी रकायपयोगपरिणए वा, अपज्जत्तासव्वट्टसिद्धप्रणुत्तरोववाइय जाव परिणए वा ।।
मीसपरिणति-पदं
६५. जइ मीसापरिणए किं मणमीसापरिणए ? वइमीसापरिणए' ? कायमीसापरिणए ?
गोमा ! मणमीसापरिणए वा, वइमीसापरिणए वा, कायमीसापरिणए वा ।। ६६. जइ मणमीसापरिणए किं सच्चमणमीसापरिणए ? मोसमणमीसापरिणए ?
जहा पयोगपरिणए तहा मीसापरिणए वि भाणियव्वं निरवसेसं जाव पज्जत्तासव्वसिद्ध प्रणुत्तरोववाइय जाव देवपंचिदियकम्मासरी रगमीसापरिणए वा, पज्जत्ता सव्वट्टसिद्ध अणुत्तरोववाइय जाव कम्मासरीरमीसापरिणए वा ।। वीससापरिणति-पदं
६७. जइ वीससापरिणए किं वण्णपरिणए ? गंधपरिणए ? रसपरिणए ? फासपरिणए ? संठाणपरिणए ?
गोमा ! वण्णपरिणए वा, गंधपरिणए वा रसपरिणए वा, फासपरिणए वा, ठाणपरिणए वा ॥
६८. जइ वण्णपरिणए किं कालवण्णपरिणए जाव' सुक्किलवण्णपरिणए ? गोयमा ! कालवण्णपरिणए वा जाव सुक्किलवण्णपरिणए वा ।। ६६. जइ गंधपरिणए कि सुब्भिगंधपरिणए ? दुब्भिगंधपरिणए ? गोमा ! सुब्भिगंधपरिणए वा, दुब्भिगंधपरिणए वा ॥ ७०. जइ रसपरिणए कि तित्तरसपरिणए ? पुच्छा ।
गोमा ! तित्तरसपरिणए वा जाव महुररसपरिणए वा ॥ ७१. जइ फासपरिणए कि कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए ? गोयमा ! कक्खडफासपरिणए जाव लुक्खफासपरिणए ।
३. नील जाव ( अ, क, ता, ब, म, स ) ।
१. सं० पा० - ० वाइय जाव देव° । २. वय ० ( अ, स); वति ० ( क ) ।
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अट्ठमं सतं (दसमो उद्देसो)
३२७
७२. जइ संठाणपरिणए-पुच्छा।
गोयमा ! परिमंडलसंठाणपरिणए वा जाव आयतसंठाणपरिणए वा ॥ दोण्णि दव्वाइं पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ७३. दो भंते दव्वा ! किं पयोगपरिणया? मीसापरिणया ? वीससापरिणया ?
गोयमा ! १. पयोगपरिणया वा २. मीसापरिणया वा ३. वीससापरिणया वा ४. अहवेगे पयोगपरिणए, एगे मीसापरिणए ५. अहवेगे पयोगपरिणए, एगे
वीससापरिणए ६. अहवेगे मीसापरिणए, एगे वीससापरिणए ।।। ७४. जइ पयोगपरिणया कि मणपयोगपरिणया ? वइपयोगपरिणया ? कायपयोग
परिणया? गोयमा ! १. मणपयोगपरिणया वा २. वइपयोगपरिणया वा ३. कायपयोगपरिणया वा ४. अहवेगे मणपयोगपरिणए, एगे वइपयोगपरिणए ५. अहवेगे मणपयोगपरिणए, एगे कायपयोगपरिणए ६. अहवेगे वइपयोगपरिणए, एगे
कायपयोगपरिणए । ७५. जइ मणपयोगपरिणया कि सच्चमणपयोगपरिणया ? असच्चमणपयोगपरिणया ?
सच्चमोसमणपयोगपरिणया ? असच्चमोसमणपयोगपरिणया ? गोयमा ! १. सच्चमणपयोगपरिणया वा जाव असच्चमोसमणपयोगपरिणया वा ५. अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, एगे मोसमणपयोगपरिणए ६. अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, एगे सच्चमोसमणपयोगपरिणए ७. अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, एगे असच्चमोसमणपयोगपरिणए ८. अहवेगे मोसमणपयोगपरिणए, एगे सच्चमोसमणपयोगपरिणए ६. अहवेगे मोसमणपयोगपरिणए, एगे असच्चमोसमणपयोगपरिणए १०. अहवेगे सच्चमोसमणपयोगपरिणए,
एगे असच्चमोसमणपयोगपरिणए॥ ७६. जइ सच्चमणपयोगपरिणया कि प्रारंभसच्चमणपयोगपरिणया ? जाव' असमा
रंभसच्चमणपयोगपरिणया ? गोयमा! प्रारंभसच्चमणपयोगपरिणया वा जाव असमारंभसच्चमणपयोगपरिणया वा, अहवेगे आरंभसच्चमणपयोगपरिणए, एगे अणारंभसच्चमणपयोगपरिणए। एवं एएणं गमेणं दुयासंजोएणं' नेयव्वं, सव्वे संजोगा जत्थ जत्तिया
उठेति ते भाणियव्वा जाव सव्वट्ठसिद्धगत्ति ।। ७७. जइ मीसापरिणया कि मणमीसापरिणया ?
एवं मीसापरिणया वि।।
१. भ० ८।४६ ।
२. दुय ° (ब)।
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३२८
भगवई
७८. जइ वीससापरिणया कि वण्णपरिणया ? गंधपरिणया ?
एवं वीससापरिणया वि जाव अहवेगे चउरंससंठाणपरिणए, एगे आयतसंठाण
परिणए । तिणि दवाइं पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ७९. तिण्णि भंते ! दव्वा किं पयोगपरिणया ? मीसापरिणया? वीससापरिणया?
गोयमा ! १. पयोगपरिणया वा २. मी सापरिणया वा ३. वीससापरिणया वा ४. अहवेगे पयोगपरिणए, दो मीसापरिणया ५. अहवेगे पयोगपरिणए, दो वोससापरिणया ६. अहवा दो पयोगपरिणया, एगे मीसापरिणए ७. अहवा दो पयोगपरिणया, एगे वीससापरिणए ८. अहवेगे मीसापरिणए, दो वीससापरिणया ६. अहवा दो मीसापरिणया, एगे वीससापरिणए १०. अहवेगे पयोगपरि
णए, एगे मीसापरिणए, एगे वीससापरिणए ।। ८०. जइ पयोगपरिणया कि मणपयोगपरिणया? वइपयोगपरिणया? कायपयोग
परिणया ? गोयमा ! मणपयोगपरिणया वा, एवं एक्कासंयोगो', दुयासंयोगो', तियासंयोगो' य भाणियव्वो॥ जइ मणपयोगपरिणया कि सच्चमणपयोगपरिणया ? असच्चमणपयोगपरिणया? सच्चमोसमणपयोगपरिणया ? असच्चमोसमणपयोगपरिणया ? गोयमा ! सच्चमणपयोगपरिणया वा जाव असच्चामोसमणपयोगपरिणया वा, अहवेगे सच्चमणपयोगपरिणए, दो मोसमणपयोगपरिणया। एवं दुयासंयोगो, तियासंयोगो भाणियब्वो एत्थ वि तहेब जाव अहवेगे तंससंठाणपरिणए, एगे
चउरंससंठाणपरिणए, एगे पायतसंठाणपरिणए॥ चत्तारि दवाइं पडुच्च पोग्गलपरिणति-पदं ८२. चत्तारि भंते ! दव्वा किं पयोगपरिणया ? मीसापरिणया ? वीससापरिणया?
गोयमा ! १. पयोगपरिणया वा २. मीसापरिणया वा ३. वीससापरिणया वा ४. अहवेगे पयोगपरिणए, तिण्णि' मीसापरिणया ५. अहवेगे पयोगपरिणए, तिण्णि वीससापरिणया ६. अहवा दो पयोगपरिणया, दो मीसापरिणया ७. अहवा दो पयोगपरिणया, दो वीससापरिणया ८. अहवा तिण्णि पयोगपरिणया, एगे मीसापरिणए ६. अहवा तिण्णि पयोगपरिणया, एगे वीससापरिणए १०. अहवेगे मीसापरिणए, तिण्णि वीससापरिणया ११. अहवा दो मीसापरिणया, दो
८१.
१. मीससा° (स)। २. एक्क° (ब)। ३. दुय° (ब)।
४. तिय ० (ब)। ५. तिण्णिओ (ता)।
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अट्ठम सत (बीअो उद्देसो)
३२६ वीससापरिणया १२. अहवा तिण्णि मीसापरिणया, एगे वीससापरिणए १३. अहवेगे पयोगपरिणए, एगे मीसापरिणए, दो वीससापरिणया १४. अहवेगे पयोगपरिणए, दो मीसापरिणया, एगे वीससापरिणए १५. अहवा दो पयोग
परिणया, एगे मीसापरिणए, एगे वीससापरिणए । ८३. जइ पयोगपरिणया कि मणपयोगपरिणया? वइपयोगपरिणया ? कायपयोग
परिणया? एवं एएणं कमेणं पंच छ सत्त जाव दस संखेज्जा असंखेज्जा अणंता य दव्वा भाणियव्वा-दुयासंजोएणं तियासंजोएणं जाव दससंजोएणं बारससंजोएणं उवजूंजिऊणं' जत्थ जत्तिया संजोगा उट्ठति ते सव्वे भाणियव्वा; एए पुण जही नवमसए पवेसणए भणिहामो तहा उवजुंजिऊण भाणियव्वा जाव असंखेज्जा अणंता एवं चेव, नवरं-एक्कं पदं अब्भहियं जाव अहवा अणंता परिमंडल
संठाणपरिणया जाव अणंता प्रायतसंठाणपरिणया। ८४. एएसि णं भंते ! पोग्गलाणं पयोगपरिणयाणं, मीसापरिणयाणं, वीससापरिणयाणं
य कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा? बहया वा?तुल्ला वा? ° विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा पोग्गला पयोगपरिणया, मीसापरिणया अणंतगुणा,
वीससापरिणया अणंतगुणा ॥ ८५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥
बीओ उद्देसो प्रासीविस-पदं ८६. कतिविहा णं भंते ! आसीविसा पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा पासीविसा पण्णत्ता, तं जहा-जातिआसीविसा य, कम्म
आसीविसा य॥ ८७. जातिआसीविसा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
१. उवजुज्जित्तणं (क); उववज्जिऊरणं (ता); ३. सं० पा०—कयरेहितो जाव विसेसाहिया ।
उवजुत्तिऊरणं (ब); उवजुज्जिऊणं (स)। ४. भ० ११५१ । २. भ० ६।८६-१३२ ।
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भगवई
गोमा ! उव्हिा पण्णत्ता, तं जहा - विच्छुयजातिग्रासोविसे, मंडुक्कजातिसीविसे, उरगजातिश्रासीविसे, मणुस्सजाति आसीविसे ॥
८८. विच्छुयजातिश्रासीविसस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! पभू णं विच्छुयजातिमासीविसे अद्धभरहप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरियं विट्टमाणं पकरेत्तए । विसए से विसट्टयाए, नो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा करेंति वा, करिस्संति वा ॥
३३०
८६. मंडुक्कजातिश्रासीविसस्स णं भंते! केवतिए विसए पण्णत्ते ? •
गोमा ! पभू णं मंडुक्कजातिग्रासीविसे भरहप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिगयं विसट्टमाणं पकरेत्तए । विसए से विसट्टयाए, नो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा, कति वा, करिस्संति वा ॥
६०. उरगजातिग्रासीविसस्स णं भंते ! केवतिए विस पण्णत्ते ?
गोमा ! पभू णं उरगजातिग्रासीविसे जंबुद्दीवप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरियं विट्टमाणं पकरेत्तए । विसए से विसट्टयाए, नो चेव णं संपत्तीए करेंसु वा, कति वा, करिस्संति वा ॥
१. मणुस्सजातिप्रासीविसस्स णं भंते! केवतिए विसए पण्णत्ते ?
गोमा ! पभू णं मणुस्सजाति आसीविसे समयखेत्तप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरियं विट्टमाणं पकरेत्तए । विसए से विसट्टयाए, नो चेव णं संपत्तीए करेंसुवा, कति वा, ° करिस्संति वा ॥
ε२. जइ कम्मप्रासीविसे किं नेरइयकम्मआसीविसे ? तिरिक्खजोणियकम्मआसीविसे ? मणुस्सकम्मआसीविसे ? देवकम्मासीविसे ?
गोयमा ! नो नेरइयकम्मासीविसे, तिरिक्खजोणियकम्मासीविसे वि, मणुस्सकम्मासीविसे वि, देवकम्मासीविसे वि ॥
९३. जइतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे कि एगिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिय कम्मासीविसे ?
गोमा ! नो एगिदियति रिक्खजोणियकम्मासीविसे जाव नो चउरिदियतिरिक्खजोणिय कम्मासीविसे, पंचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे ।
जइ पंचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे किं संमुच्छिमपंचिदियतिरिक्खजो -
१. मणुय० (ता) ।
२. विसपरिणयं (ठा० ४।५१४) ।
३. इह चैकवचनप्रक्रमेपि बहुवचन निर्देशो वृश्चिकाशीविषाणां बहुत्वज्ञापनार्थम् (वृ) ।
४. सं० पा० पुच्छा ।
५. सं० पा० - सेसं तं चेव जाव करिस्संति ।
६. सं० पा० एवं उरगजाति आसीविसस्स वि, नवरं - जंबुद्दीवप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिगयं, सेसं तं चेव जाव करिस्सति । ७. सं० पा०-वि एवं चेव, नवरं समयखेत्तप्पमाणमेत्तं बोंदि विसेणं विसपरिगयं, सेसं तं चैव जाव करिस्संति ।
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असतं (बीओ उद्देसो)
३३१
यिकम्मासीविसे ? गव्भवक्कंतियपंचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे ? एवं जहा वेउब्वियसरीरस्स भेदो जाव' पज्जत्तासंखेज्जवासाउयगब्भवक्कंतियपंचिदियतिरिक्खजोणियकम्मासीविसे, नो अपज्जत्तासंखेज्जवासाउय जाव कम्मासीविसे ||
६४. जइ मणुस्सकम्मासीविसे कि संमुच्छिममणुस्सकम्मासीविसे ? गब्भवक्कंतियमणुस्सकम्मासीविसे ?
गोयमा ! नो संमुच्छिममणुस्तकम्मासीविसे, गब्भवक्कंतियमणुस्तकम्मासीविसे, एवं जहा वे उव्वियसरीरं जाव पज्जत्तसंखेज्जवासाउयकम्मभूमागब्भवक्कंतियमणुस्तकम्मासीविसे', नो अपज्जत्ता जाव कम्मासीविसे ||
६५. जइ देवकम्मासोविसे किं भवणवासिदेवकम्मासीविसे जाव वेमाणियदेवकम्मा - सीविसे ?
गोयमा ! भवणवासिदेवकम्मासीविसे, वाणमंतर जोतिसिय-वेमाणियदेवकम्मासीविसे वि ।
जइ भवणवासिदेवकम्मासीविसे कि असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे जाणियकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे ?
गोयमा ! असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे वि जाव थणियकुमारभवणवासिदेवमासीविसे वि ।
जइ असुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे' किं पज्जत्ता सुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे ? अपज्जत्तासुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे ? गोयमा ! नो पज्जत्तासुरकुमारभवणवासि देवकम्मासीविसे, अपज्जत्ताअसुरकुमारभवणवासिदेवकम्मासीविसे । एवं जाव थणियकुमाराणं । जइ वाणमंतर देवकम्मासीविसे किं पिसायवाणमंत रदेवकम्मासीविसे ? एवं सव्वेसि अपज्जत्तगाणं । जोइसियाणं सव्वेसि अपज्जत्तगाणं ।
जइ वेमाणियदेवकम्मासीविसे कि कप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे' ? कप्पातीयावेमाणियदेवकम्मासीविसे ?
गोयमा ! कप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे, नो कप्पातीयावेमाणियदेवकम्मासीविसे ।
जइ कप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे किं सोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे जाव ग्रच्चुयकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे ?
१. ०२१ ।
२. ० कम्मभूमग ०( स ) ।
३. असुरकुमार जाव कम्म ०
( अ, क, ता, ब,
म, स ) ।
४. कप्पोवग ० ( अ, क, ता, म, स ) ।
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३३२
भगवई
गोयमा ! सोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे वि जाव सहस्सारकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे वि, नो प्राणयकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे जाव नो अच्चुयकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे । जद्द सोहम्मकप्पोवा' 'वेमाणियदेव कम्मासीविसे किं पज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे ? अपज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे ? गोयमा ! नो पज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे, अपज्जत्तासोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे, एवं जाव नो पज्जत्तासहस्सारकप्पोवावेमाणियदेवकम्मासीविसे, अपज्जत्तासहस्सारकप्पोवावेमाणियदेवकम्मा
सीविसे ॥ छउमत्य-केवलि-पदं १६. दस ठाणाइं छउमत्थे सव्वभावेणं न जाणइ न पासइ, तं जहा-१. धम्मत्थि
कायं २. अधम्मत्थिकायं ३. अागास त्थिकायं ४. जीवं असरीरपडिबद्ध ५. परमाणुपोग्गलं ६. सदं ७. गंधं ८. वातं ६. अयं जिणे भविस्सइ वा न वा भविस्सइ १०. अयं सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्सइ वा न वा करेस्सइ । एयाणि चेव उप्पण्णनाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेणं जाणइपासइ, तं जहा--धम्मत्थिकाय', 'अधम्मत्थिकायं, आगासत्थिकायं, जीवं असरीरपडिबद्धं, परमाणुपोग्गलं, सई, गंध, वातं, अयं जिणे भविस्सइ वा न
वा भविस्सइ, अयं सव्वदुक्खाणं अंत° करेस्स इ वा न वा करेस्सइ ॥ नारण-पदं ६७. कतिविहे णं भंते ! नाणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे नाणे पण्णत्ते, तं जहा--आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे,
प्रोहिनाणे, मणपज्जवनाणे, केवलनाणे ।। १८. से कि तं आभिणिबोहियनाणे?
आभिणिबोहियनाणे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा–ोग्गहो, ईहा, अवाओ, धारणा । एवं जहा 'रायप्पसेणइज्जे' नाणाणं भेदो तहेव इह भाणियव्वो जाव' सेत्तं केवलनाणे ॥
१. सं० पा०-सोहम्मकप्पोवा जाव कम्मा
सीविसे। २. सं० पा०-धम्मत्थिकायं जाव करेस्सइ । ३. राय० सू० ७४१-७४५ । ४. यच्च वाचनान्तरे श्रुतज्ञानाधिकारे यथा
नन्द्यामङ्गप्ररूपणेत्यभिधाय 'जाव भवियअभविया तत्तो सिद्धा असिद्धा य' इत्युक्तं तस्यायमर्थ:-श्रतज्ञानसत्रावसाने किल नन्द्यां श्रुतविषयं दर्शयतेदमभिहितम् - 'इच्चेयं मि दुवालसंगे गणिपिडए अता भावा अणंता
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३३३
अट्ठमं सतं (बीओ उद्देसो) ६६. अण्णाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-मइअण्णाणे, सुयअण्णाणे, विभंगनाणे ।। १००. से कि तं मइअण्णाणे ?
मइअण्णाणे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा--प्रोग्गहो', •ईहा, अवाप्रो°, धारणा ।। १०१. से किं तं प्रोग्गहे ?
प्रोग्गहे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- अत्थोग्गहे य वंजणोग्गहे य । एवं जहेव आभिणिबोहियनाणं तहेव, नवरं-एगट्ठियवज्ज' जाव' नोइंदियधारणा। सेत्तं
धारणा, सेत्तं मइअण्णाणे ।। १०२. से कि तं सुय अण्णाणे?
सुयअण्णाणे-जं इमं अण्णाणिएहि मिच्छादिट्ठिएहि सच्छंदबुद्धि-मइ-विग्गपियं, तं जहा-भारहं, रामायणं जहा नंदीए जाव' चत्तारि वेदा संगोवंगा। सेत्तं सुयअण्णाणे ॥ से कि तं विभंगनाणे? विभंगनाणे अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा-गामसंठिए, नगरसंठिए, जाव' सण्णिवेससं ठिए, दीवसंठिए, समुद्दसंठिए, वाससंठिए, वासहरसंठिए, पव्वयसंठिए, रुक्खसंठिए, थूभसंठिए, हयसंठिए, गयसंठिए, नरसंठिए, किन्नरसंठिए, किंपुरिससंठिए, महोरगसंठिए, गंधव्वसंठिए, उसभसंठिए, पसुसंठिए, पसयसंठिए,
विहगसंठिए, वानरसंठिए--नाणासंठाणसंठिए' पण्णत्ते ।। जीवाणं नाणि-अण्णाणित्त-पदं १०४. जीवा णं भंते ! कि नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! जीवा नाणी वि, अण्णाणी वि। जे नाणी ते अत्थेगतिया दुण्णाणी, अत्थेगतिया तिण्णाणी, अत्थेगतिया चउनाणी, अत्थेगतिया एगनाणी । जे दुण्णाणी ते आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी
१०३.
अभावा जाव अरणंता भवसिद्धिया अणंता २. १. ओगेण्हणया २. उवधारणया ३. सवणया अभवसिद्धिया अणंता सिद्धा अणंता असिद्धा ४. अवलंबणया ५. मेहा (नंदी सू० ४३); पण्णत्ते' ति, अस्य च सूत्रस्य या संग्रहगाथा- इत्यादीनि पंच-पंचकाथिकान्यवग्रहादीनामधीभावमभावा हेऊमहेउ कारणमकारणा जीवा। तानि, मत्यज्ञाने तु न तान्यध्येयानीति भावः अजीव भवियाऽभविया, तत्तो सिद्धा
(वृ)।
असिद्धा य ।। ३. नंदी सू० ४०-४८ । इत्येवंरूपा, तस्या: खण्डमिदमेतदन्तं ___४. नंदी सू० ६७ ।
श्रुतज्ञानसूत्रमिहाध्येयमिति (व)। ५. भ० ११४६ । १. सं० पा०-ओग्गहो जाव धारणा । ६. नाणासंठिए (ता, ब)।
७. दुयाणाणी (क, ता, ब, म, स)।
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३३४
भगवई
य। जे तिण्णाणी ते आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, प्रोहिनाणी, अहवा अभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, मणपज्जवनाणी । जे चउनाणी ते आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, मणपज्जवनाणी । जे एगनाणी ते नियमा केवलनाणी। जे अण्णाणी ते अत्थेगतिया दुअण्णाणी, अत्थेगतिया तिअण्णाणो । जे दुअण्णाणी ते मइअण्णाणी सुयअण्णाणी य । जे तिअण्णाणी ते मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी,
विभंगनाणी।। १०५. नेरइया णं भंते ! किं नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते नियमा तिण्णाणी, तं तहा-आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, प्रोहिनाणी। जे अण्णाणो ते अत्थेगतिया दुअण्णाणी, अत्थेगतिया
तिअण्णाणी । एवं तिण्णि अण्णाणाणि भयणाए । १०६. असुरकुमारा णं भंते ! कि नाणी ? अण्णाणी ?
जहेव नेरइया तहेव, तिण्णि नाणाणि नियमा, तिण्णि अण्णाणाणि भयणाए।
एवं जाव' थणियकुमारा॥ १०७. पुढविक्काइया णं भंते ! किं नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी। जे अण्णाणी ते नियमा दुअण्णाणी-मइ
अण्णाणी सुयअण्णाणी य । एवं जाव वणस्सइकाइया ।। १०८. बेइंदियाणं पुच्छा ।
गोयमा ! नाणी वि अण्णाणी वि । जे नाणी ते नियमा दुण्णाणी, तं जहा-प्राभिणिबोहियनाणी सुयनाणी य। जे अण्णाणी ते नियमा दुअण्णाणी, तं जहा -मइअण्णाणी सुयअण्णाणी य ।
एवं तेइंदिय-चरिदिया वि ।। १०६. पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा।
गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणो वि । जे नाणी ते अत्थेगतिया दुण्णाणी, अत्थेगतिया तिण्णाणी। जे अण्णाणी ते अत्थेगतिया दुअण्णाणी, अत्थेगतिया तिअण्णाणी । एवं तिण्णि नाणाणि, तिणि अण्णाणाणि भयणाए। मणुस्सा जहा जीवा, तहेव पंच नाणाणि, तिण्णि अण्णाणाणि भयणाए। वाणमंतरा जहा नेरइया । जोइसिय
वेमाणियाणं तिष्णि नाणाणि, तिणि अण्णाणाणि नियमा ।। ११०. सिद्धाणं भंते ! पुच्छा।
गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी ; नियमा एगनाणी-केवलनाणी ॥
१. पू० प० २।
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असतं (बीओ उद्देसो)
अंतरालगत पडुच्च
१११. 'निरयगतिया णं" भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । तिण्णि नाणाइं नियमा, तिष्णि अण्णाणाई भयणाए ||
११२. तिरियगतिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? गोमा ! दो नाणा, दो अण्णाणा नियमा' ॥
११३. मणुस्सगतिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! तिणि नाणाई भयणाए, दो ग्रण्णाणारं नियमा । देवगतिया जहा निरयगतिया ||
११४. सिद्धगतिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ?
जहा' सिद्धा ॥
इंदिय पडुच्च
११५. सइंदिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! चत्तारि नाणाई, तिष्णि अण्णाणाई - भयणाए ||
११६. एगिंदिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ?
जहा पुढविकाइया । बेइंदिय - तेइंदिय - चउरिदिया णं दो नाणा, दो अण्णाणा नियमा । पंचिदिया जहा सइंदिया ||
११७. प्रणिदिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ?
जहा सिद्धा ॥
काय पडुच्च -
११८. सकाइया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
११६. अकाइया णं भंते ! जीवा किं नाणी ?
जहा सिद्धा ||
गोयमा ! पंच नाणाई, तिणि अण्णाणाई - भयणाए । पुढविक्काइया जाव arteइकाइया नो नाणी, अण्णाणी, नियमा दुग्रण्णाणी, तं जहा - मइ - अण्णाणीय सुयण्णाणी य । तसकाइया जहा सकाइया ॥
सुहुम-बादरं पडुच्च
१२०. सुहुमा णं भंते ! जीवा किं नाणी ? जहा पुढविक्काया ||
१. निरयगतिया ( वू ) । २. नियमं (ता) ।
३३५
३. भ० ८।११० ।
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३३६
१२१. बादरा णं भंते ! जीवा किं नाणो ?
जहा सकाइया ॥
१२२. नोसुहमा - नोवादरा णं भंते ! जीवा किं नाणी ?
जहा सिद्धा ||
पज्जत्तापज्जतं पडच्च -
१२३. पज्जत्ता णं भंते ! जीवा किं नाणी ?
जहा सकाइया ॥
१२४. पज्जत्ता णं भंते ! नेरइया कि नाणी ?
तिष्णि नाणा, तिणि अण्णाणा नियमा । जहा नेरइया एवं थणियकुमारा । पुढविकाइया जहा एगिंदिया एवं जाव चउरिदिया ||
१२५. पज्जत्ता णं भंते ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया कि नाणी ? अण्णाणी ?
तिणि नाणा, तिणि अण्णाणा - भयणाए । मणुस्सा जहा सकाइया । वाणमंतरजो सिय-माणिया जहा नेरइया ||
१२६. अपज्जत्ता णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? तिण्णि नाणा, तिणि श्रण्णाणा - भयणाए ।
१२७. अपज्जत्ता णं भंते ! नेरइया कि नाणी ? अण्णाणी ?
तिणि नाणा नियमा, तिणि अण्णाणा भयणाए । एवं जाव थणियकुमारा । पुढविक्काया जाव वणस्सइकाइया जहा एगिदिया ||
१२८. बेइंदियाणं पुच्छा ।
भगवई
दो नाणा, दो अण्णाणा - नियमा । एवं जाव पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं ॥ १२६. अपज्जत्तगा णं भंते ! मणुस्सा किं नाणी ? अण्णाणी ?
तिणि नाणाई भयणाए, दो अण्णाणाई नियमा । वाणमंतरा जहा नेरइया । पज्जत्तगाणं जोइसिय-वेमाणियाणं तिण्णि नाणा, तिण्णि अण्णाणा - नियमा || १३०. नोपज्जत्तगा-नोपज्जत्तगा णं भंते ! जीवा किं नाणी ?
जहा सिद्धा ॥
भवत्थं पडुच्च
१३१. निरयभवत्था णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? जहा निरयगतिया ॥
१३२. तिरियभवत्था णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? तिष्णि नाणा, तिष्णि प्रण्णाणा - भयणाए ।
१३३. मणुस्सभवत्था ?
जहा सकाइया ॥
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३३७
अट्ठमं सतं (बीओ उद्देसो) १३४. देवभवत्था णं भंते !
___ जहा निरयभवत्था । अभवत्था जहा सिद्धा ।। भवसिद्धियाभवसिद्धियं पडुच्च१३५. भवसिद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी?
जहा सकाइया । १३६. अभवसिद्धियाणं पुच्छा।
गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी ; तिण्णि अण्णाणाइं भयणाए । १३७. नोभवसिद्धिया-नोग्रभवसिद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ?
जहा सिद्धा ।। सण्णि-प्रसणि पडुच्च१३८. सण्णीणं पुच्छा।
जहा सइंदिया । असण्णी जहा वेइंदिया। नोसण्णी-नोअसण्णी जहा सिद्धा ।। लद्धि-पदं १३९. कतिविहा णं भंते लद्धी पण्णत्ता ?
गोयमा ! दसविहा लद्धी पण्णत्ता, तं जहा-१. नाणलद्धो २. दसणलद्धी ३. चरित्तलद्धी ४. चरित्ताचरित्तलद्धी ५. दाणलद्धी ६. लाभलद्धी ७. भोग
लद्धी ८. उवभोगलद्धी ६. वीरियलद्धी १०. इंदियलद्धी । १४०. नाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-पाभिणिबोहियनाणलद्धी जाव' केवल
नाणलद्धी ।। १४१. अण्णाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा -मइअण्णाणलद्धी, सुयअण्णाणलद्धी,
विभंगनाणलद्धी ॥ १४२. दंसणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा--- सम्मदंसणलद्धी, मिच्छादसणलद्धी,
सम्मामिच्छादंसणलद्धी॥ १४३. चरित्तलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णता?
गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा- सामाइयचरित्तलद्धी, छेदोवट्ठावणियचरित्तलद्धी, परिहारविसुद्धिचरित्तलद्धी, सुहुमसंपरायचरित्तलद्धी, अहक्खायचरित्तलद्धी ।
१. भ०८।१७।
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३३८
भगवई
१४४. चरित्ताचरित्तलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! एगागारा पण्णत्ता । एवं जाव उवभोगलद्धी एगागारा पण्णत्ता॥ १४५. वीरियलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा--बालवीरियलद्धी, पंडियवीरियलद्धी,
बालपंडियवीरियलद्धी ।। १४६. इंदियलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-सोइंदियलद्धी जाव' फासिदियलद्धी । नाणद्धि पडुच्च-नाणि-अण्णाणित्त-पदं १४७. नाणलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणो ?
गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी। अत्थेगतिया दुण्णाणी, एवं पंच नाणाइं
भयणाए । १४८. तस्स अलद्धीया णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी। अत्थेगतिया दुअण्णाणी, तिण्णि अण्णाणा
भयणाए। १४६. आभिणिबोहियनाणलद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । अत्थेगतिया दुण्णाणी, चत्तारि नाणाई भयणाए । तस्स अलद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी? अण्णाणी ? गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते नियमा एगनाणी-केवलनाणी जे अण्णाणी ते अत्थेगतिया दुअण्णाणी, तिण्णि अण्णाणाई भयणाए। एवं सुयनाणलद्धि या वि। तस्स अलद्धिया वि जहा प्राभिणि बोहियनाणस्स
अलद्धीया ॥ १५१. ओहिनाणलद्धियाणं पुच्छा।
गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । अत्थेगतिया तिण्णाणी, अत्थेगतिया चउनाणी। जे तिण्णाणी ते आभिणिवोहियनाणी, सुयनाणी, प्रोहिनाणी। जे चउनाणी ते
आभिणि बोहियनाणी, सुयनाणी, ओहिनाणी, मणपज्जवनाणी ।। १५२. तस्स अलद्धियाणं पूच्छा।
गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । एवं प्रोहिनाणवज्जाइं चत्तारि नाणाई,
तिण्णि अण्णाणाई-भयणाए। १५३. मणपज्जवनाणलद्धियाणं पुच्छा।
१५०.
१. भ०२१७७ ।
२. लद्धीया (अ, ब, म, स); अर्थसमीक्षया एत
पदमशुद्धं प्रतिभाति ।
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असतं (बी उद्देसो)
३३६
गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । प्रत्येगतिया तिण्णाणी, अत्थेगतिया चउनाणी । जे तिण्णाण ते आभिणि बोहियनाणी, सुयनाणी, मणपज्जवनाणी | उनाणी ते आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, श्रहिनाणी मणपज्जवनाणी । १५४. तस्स अलद्धीयाणं पुच्छा ।
गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । मणपज्जवनाणवज्जाई चत्तारि नाणाई, तिण्णि अण्णाणाई – भयणाए ।
१५५. केवलनाणल द्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाजी ?
गोमा ! नाणी, नो अण्णाणी । नियमा एगनाणी - केवलनाणी || १५६. तस्स अलद्धियाणं पुच्छा ।
गोमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । केवलनाणवज्जाई चत्तारि नाणाई, तिण्णि अण्णाणाई – भयणाए ॥
१५७. अण्णाणलद्धियाणं पुच्छा ।
गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी । तिष्णि प्रण्णाणाई भयणाए ||
१५८. तस्स अलद्धियाणं पुच्छा ।
गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । पंच नाणाई भयणाए । जहा अण्णाणस्स य दिया अलद्धिया य भणिया, एवं मइण्णाणस्स सुयग्रण्णाणस्स य लद्धिया द्वियाय भाणियव्वा । विभंगनाणलद्धियाणं तिणि अण्णाणाइं नियमा । तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए, दो ग्रण्णाणारं नियमा ।
दंसणं पडुच्च
१५६. दंसणलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
1
गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । पंच नाणाई, तिणि अण्णाणाई - भयगाए ॥ १६०. तस्स अलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! तस्स अलद्धिया नत्थि ।
सम्मदंसणलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए । तस्स अलद्धियाणं तिण्णि अण्णाणाई भयणा ||
मिच्छादंसणलद्धियाणं तिणि अण्णाणाई भयणाए
तस्स अलद्धियाणं पंच
नाणाई, तिणिय अण्णाणाई – भयणाए । सम्मामिच्छादंसणलद्धिया, अलद्धिया य जहा मिच्छादंसणलद्धिया अलद्धिया तव भाणियव्वा ||
चरितं पडुच्च
१६१. चरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! पंच नाणाई भयणाए ॥
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३४०
भगवई
तस्स अलद्धीयाणं मणपज्जवनाणवज्जाइं चत्तारि नाणाइं, तिणि य अण्णाणाइं
भयणाए। १६२.
सामाइयचरित्तलद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? गोयमा ! नाणी-- केवलवज्जाइं चत्तारि नाणाई भयणाए। तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई. तिणि य अण्णाणाई-भयणाए । एवं जहा सामाइयचरित्तलद्धिया अलद्धीया य भणिया, एवं जाव अहक्खाय चरित्तलद्धोया अलद्धीया य
भाणियव्वा, नवरं- अहक्खाय चरित्तलद्धीयाणं पंच नाणाइं भयणाए । चरित्ताचरितं पडुच्च --- १६३. चरित्ताचरित्तलद्धि या णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी । अत्थेगतिया दुण्णाणी, अत्थेगतिया तिण्णाणी। जे दुण्णाणी ते पाभिणिबोहियनाणी य सुय नाणी य । जे तिण्णाणी ते आभिणि
बोहिय नाणी, सुयनाणी, अोहिनाणी ।। दाणाई पडुच्च१६४. तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाई, तिण्णि अण्णाणाई-भयणाए ।
दाणलद्धियाणं पंच नाणाई, तिण्णि अण्णाणाई-भयणाए । तस्स अलद्धीयाणं पुच्छा । गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी। नियमा एगनाणी.--केवलनाणी। एवं जाव
वीरियस्स 'लद्धीया अलद्धीया" य भाणियव्वा । बालाइवीरियं पडुच्च
बालवीरियलद्धियाणं तिण्णि नाणाई, तिणि अण्णाणाई-भयणाए। तस्स अलद्धियाणं पंच नाणाइं भयणाए। पंडियवीरियलद्धियाणं पंच नाणाई भयणाए। तस्स अलद्धीयाणं मणपज्जवनाणवज्जाइनाणाई, अण्णाणाणि य भयणाए। बालपंडियवीरियलद्धियाणं तिण्णि नाणाई भयणाए। तस्स अलद्धीयाणं पंच
नाणाइं, तिण्णि अण्णाणाइं- भयणाए । इंदियं पडुच्च१६६. इंदियलद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! चत्तारि नाणाइं, तिण्णि य अण्णाणाई - भयणाए । १६७. तस्स अलद्धियाणं पुच्छा।
गोयमा ! नाणी, नो अण्णाणी। नियमा एगनाणी--केवलनाणी ।।
१. ० लद्धीए (अ, क, ता, ब, म, स)।
२. लद्धी अलद्धी (अ, क, ता, ब, म, स)।
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असतं (बीओ उद्देसो)
१६८. सोइंदियलद्धिया णं जहा इंदियलद्धिया || १६६. तस्स ग्रलद्धियाणं पुच्छा ।
1
गोमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते अत्थेगतिया दुण्णाणी, प्रत्येगतिया एगनाणी । जे दुण्णाणी ते ग्राभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी । जे एगनाणी ते केवलनाणी । जे अण्णाणी ते नियमा दुग्रण्णाणी, तं जहा - मइण्णाणी य सुयअण्णाणी य । चविखदिय- घाणिदियाणं लद्धीया अलद्धीया य जहेव सोइंदि यस्स ॥ १७० जिब्भिदियलद्धियाणं चत्तारि नाणाई, तिष्णि य अण्णाणाई - भयणाए ॥ १७१ तस्स अलद्धियाणं पुच्छा ।
गोमा ! नाणी वि, ग्रण्णाणी बि । जे नाणी ते नियमा एगनाणी - केवलनाणी । जे अण्णाणी ते नियमा दुग्रण्णाणी, तं जहा - मइअण्णाणी य सुयअण्णाणी य । फासिदियलद्धीया अलद्धीया य जहा इंदियलद्धिया अलद्धिया य ॥ उवउत्ताणं नाणि श्रण्णा णित्त-पदं
१७२. सागारोवउत्ता णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ? पंच नाणाई, तिणि अण्णाणाई - भयणाए ॥
१७३. ग्राभिणिवोहियनाणसागारोवउत्ता णं भंते ?
चत्तारि नाणाई भयणाए । एवं सुयनाणसागारोवउत्ता वि । श्रहिनाणसागारोउत्ता जहा हिनाणलद्धिया । मणपज्जवनाणसागारोवउत्ता जहा मणपज्जवनालद्धया । केवलनाणसागारोवउत्ता जहा केवलनाणलद्धीया । मइण्णाणसागारोवउत्ताणं तिष्णि अण्णाणाई भयणाए । एवं सुयण्णाणसागाउत्तावि । विभंगनाणसागा रोवउत्ताणं तिष्णि अण्णाणारं नियमा || १७४ अणागारोवउत्ता णं भंते! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ?
पंच नाणाई, तिणि अण्णाणाई - भयणाए । एवं चक्खुदंसण- प्रचक्खुदंसणणागारोवउत्तावि, नवरं - चत्तारि नाणाई, तिण्णि अण्णाणाई - भयणाए || १७५. ओहिदंसणप्रणागारोवउत्ताणं पुच्छा ।
गोयमा ! नाणी वि, अण्णाणी वि । जे नाणी ते प्रत्येगतिया तिष्णाणी, प्रत्थेगतिया चउनाणी । जे तिष्णाणी ते ग्राभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, ओहीनाणी । जे चउनाणी ते ग्राभिणिवोहियनाणी जाव मणपज्जवनाणी । जे अण्णाणी ते नियमातिण्णाणी, तं जहा- मइग्रण्णाणी, सुयश्रण्णाणी, विभंगनाणी । केवलदंसणणागारोव उत्ता जहा केवलनाणलद्धिया ||
३४१
जोगं पडुच्च
१७६. सजोगी णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
जहा' सकाइया । एवं मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी वि । जोगी जहा सिद्धा ।।
१. भ० ८।११८ ।
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३४२
भगवई
लेस्सं पडुच्च१७७. सलेस्सा णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ?
जहा सकाइया । १७८. कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
जहा' सइंदिया । एवं जाव पम्हलेस्सा, सुक्कलेस्सा जहा सलेस्सा। अलेस्सा
जहा सिद्धा॥ कसायं पडुच्च१७६. सकसाई णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
जहा सइंदिया । एवं जाव लोभकसाई ॥ १८०. अकसाई णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ?
पंच नाणाइं भयणाए। वेदं पडुच्च-- १८१. सवेदगा णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ?
जहा सइंदिया। एवं इत्थिवेदगा वि, एवं पुरिसवेदगा वि, एवं नपुंसग वेदगा
वि । अवेदगा जहा अकसाई । पाहारगं पडुच्च१८२. पाहारगा णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ?
जहा सकसाई, नवरं-केवलनाणं पि॥ १८३. अणाहारगा णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ?
मणपज्जवनाणवज्जाइं नाणाई, अण्णाणाइं तिण्णि-भयणाए। नाणाणं विसय-पदं १८४. आभिणिबोहियनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से समासो चउविहे पण्णत्ते, तं जहा--दव्वरो, खेत्तओ, कालो, भावग्रो। दव्वनो णं आभिणिबोहियनाणी पाएसेणं सव्वदव्वाइं जाणइ-पासइ । खेत्तनो णं आभिणिबोहियनाणी आएसेणं सव्वं खेत्तं जाणइ-पासइ।
कालो णं आभिणिबोहियनाणी पाएसेणं सव्वं कालं जाणइ-पासइ । भावनो णं आभिणिबोहियनाणी आएसेणं सव्वे भावे जाणइ-पासइ' ० ।।
१. भ० ८।११५। २. सं० पा०-एवं कालओ वि, एवं भावओ वि। ३. नन्दीसूत्रे अस्मिन् विषये विवक्षाभेदोस्ति
दव्वओ णं आभिरिणबोहियनाणी आएसेरणं
सव्वदवाई जारगइ, न पासइ। खेत्तओ णं आभिरिणबोहियनाणी आएसेणं सव्वं खेत्तं जाणइ, न पासइ।
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अट्ठमं सतं (बीओ उद्देसो)
३४३ १८५. सुयनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से समासो चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वो, खेत्तो, कालो, भावप्रो। दव्वनो णं सुयनाणी उवउत्ते सव्वदव्वाइं जाणइ-पासइ । "खेत्तो णं सुयनाणी उवउत्ते सव्वखेत्तं जाणइ-पासइ। कालओ णं सुयनाणी उवउत्ते सव्वकालं जाणइ-पासइ ।
भावप्रो णं सुयनाणी उवउत्ते सव्वभावे जाणइ-पासइ ।। १८६. प्रोहिनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से समासयो चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वओ, खेत्तो, कालो, भावनो। दव्वग्रो णं प्रोहिनाणी' जहण्णेणं अणंताई रूविदव्वाइं जाणइ-पासइ । उक्कोसेणं सव्वाइं रूविदव्वाई जाणइ-पासइ । खेत्तनो णं प्रोहिनाणी जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं जाणइ-पासइ । उक्कोसेणं असंखेज्जाइं अलोगे लोयमेत्ताइं खंडाइं जाणइ-पासइ। कालो णं प्रोहिनाणी जहण्णेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं जाणइ-पासइ। उक्कोसेणं असंखेज्जाग्रो प्रोसप्पिणीग्रो उस्सप्पिणीयो अईयमणागयं च कालं जाणइ-पासइ। भावप्रोणं ग्रोहिनाणी जहण्णेणं अणते भावे जाणइ-पासइ । उक्कोसेण वि
अणते भावे जाणइ-पासइ, सव्वभावाणमणंतभागं जाणइ-पासइ० ॥ १८७. मणपज्जवनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से समासो चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वरो, खेत्तयो, कालो, भावप्रो। दव्वनो णं उज्जुमती अणंते अणंतपदेसिए खंधे जाणइ-पासइ। ते चेव विउलमई अब्भहियतराए विउलतराए विसुद्धतराए वितिमिरतराए जाणइ-पासइ। खेत्तनो णं उज्जुमई अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेट्ठिल्ले खुड्डागपयरे, उड्ढं जाव जोइसस्स उवरिमतले, तिरियं जाव अंतोमणुस्सखेत्ते अड्ढाइज्जेसु दीवसमुद्देसु पण्णरससु कम्मभूमीसु तीसाए अकम्मभूमीसु
कालओ रणं आभिरिणबोहियनाणी आएसेणं १. सं० पा०–एवं खेत्तओ वि, कालओ वि। सव्व कालं जाणइ, न पासइ।
२. सं० पा०-ओहिनाणी रूविदव्वाइं जाणइ. भावओ णं आभिरिणबोहियनाणी आएसेणं पासइ जहा नंदीए जाव भावओ। सब्वे भावे जागइ, न पासइ (सू० ५४)। ३. सं० पा०-जहा नंदीए जाव भावओ।
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३४४
भगवई
छप्पण्णए अंतरदीवगेसु सणणं पंचिदियाणं पज्जत्तयाणं मणोगए भावे जाणइपासइ । तं चेव विउलमई अड्ढाइज्जेहिमंगुलेहिं अब्भहियतरं विउलतरं विसुद्धतरं वितिमिरतरं खेत्तं जाणइ-पासइ । कालो णं उज्जुमई जहणणं पलिग्रोवमरस, असंखिज्जयभाग, उवकोसेण वि पलिग्रोवमरस असंखिज्जयभागं प्रतीयमणागयं वा कालं जाण इ-पासइ। तं चेव विउलमई अब्भयितरागं विउलत रागं विसुद्धतरागं वितिमिरतरागं जाणइ पास। भावनो णं उज्जुमई अणते भावे जाणइ-पासइ, सवभावाणं अणंतभागं जाणइपासइ। तं चेव विउलमई अमहियत रागं विउलत रागं विसुद्धतरागं वितिमिरत रागं जाणइ-पासइ॥ केवलनाणस्स णं भंते ! केबतिए विसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से समासयो चउविहे पप्णत्ते, तं जहा-- दव्वरो, खेत्तो, कालो, भावो। दव्वनो णं केवलनाणी सव्वदव्वाइं जाणइ पासइ। "खेत्तयो णं केवलनाणी सव्वं खेत्तं जाणह-पासइ। कालओ णं केवलनाणी सव्वं कालं जाणइ-पासइ।
भावो णं केवलनाणी सव्वे भावे जाणइ-पासइ० ।। १८६. मइअण्णाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से समासनो चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-दवओ, खेत्तो, कालो, भावो। दव्वो णं मइअण्णाणी मइअण्णाणपरिगयाइं दवाइं जाणइ-पासइ । 'खेत्तो णं मइअण्णाणी मइअण्णाणपरिगयं खेत्तं जाणइ-पासइ। कालो णं मइअण्णाणी मइअण्णाणपरिगयं कालं जाणइ-पासइ ।
भावओ णं मइअण्णाणी मइअण्णाणपरिगए भावे जाणइ-पासइ॥ १६०. सूयअण्णाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से समासयो चउब्विहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वरो, खेत्तग्रो, कालो, भावप्रो। दव्वनो णं सुयअण्णाणी सुयअण्णाणपरिगयाइं दव्वाइं आघवेइ, पण्णवेइ, परूवेइ'।
१. सं० पा०-एवं जाव भावओ। २. सं० पा०-पासइ जाव भावओ।
३. वाचनान्तरे पुनरिदमधिकमवलोक्यते 'दंसेति
निदंसेति उवदंसेति' (व)।
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अट्टमं सतं (बीओ उद्देसो)
३४५
खेत्तणं सुग्रण्णाणी सुयग्रण्णाणपरिगयं खेत्तं प्राघवेइ, पण्णवेइ, परूवेइ । काणं सुयणाणी सुयण्णाणपरिगयं कालं प्राघवेइ, पण्णवेइ, परूवेइ° । भावप्र णं सुग्रण्णाणी सुयअण्णाणपरिगए भावे श्राघवेइ, पण्णवेइ, परूवेइ° ।।
१६१. विभंगनाणस्स णं भंते ! केवतिए विसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से समासश्रो चउब्विहे पण्णत्ते, तं जहा- दव्वप्रो, खेत्तस्रो, कालो, भावश्रो ।
Goat f विभंगनाणी विभंगनाणपरिगयाई दव्वाइं जाणइ पासइ ।
खेत्तस्रो णं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगयं खेत्तं जाणइ पासइ | का गं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगयं कालं जाणइ पासइ |° भावणं विभंगनाणी विभंगनाणपरिगए भावे जाणइ - पासइ || नाणीणं संठिइ-पदं
१२.
नाणी णं भंते ! नाणी ति कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! नाणी दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -- १. सादीए वा प्रज्जवसिए २. सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ णं जे से सादीए सपज्जवसिए से जहणेणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं छाट्ठ सागरोवमाई सातिरेगाई ||
१९३. ग्राभिणिवोहियनाणी णं भंते ! ग्राभिणिबोहिय' 'नाणी ति कालो केवच्चिरं होइ ?
गोमा ! एवं चेव' ।।
१९४ एवं सुयनाणी वि ॥
१६५. ओहिनाणी वि एवं चेव, नवरं-जहण्णेणं एक्कं समयं ||
१९६. मणपज्जवनाणी णं भंते ! मणपज्जवनाणी ति कालो केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं देसूणं पुव्वकोडिं ॥
१९७. केवलनाणी णं भंते ! केवलनाणी ति कालो केवच्चिरं होइ ? गोमा ! सादीए पज्जवसिए ||
१६८. अण्णाणी, मइण्णाणी, सुयग्रण्णाणी णं भंते ! पुच्छा ।
१. सं० पा० - एवं खेत्तन कालओ ।
२. सं० पा० तं चेव ।
३. सं० पा० एवं जाव भावओ ।
४. सं० पा०-- एवं नारणी आभिणिबोहियनाणी जाव केवल नाणी अण्णाणी मइअण्णाणी सुयअण्णाणी विब्भंगनाणी एएसि दसह वि
[ अट्टह वि ( अ ) ] संचिट्ठरगा जहा काय - ठितीए अंतरं सव्वं जहा जीवाभिगमे अप्पाबहुगारि तिणि जहा बहुवत्तव्वयाए ।
५. भ० ८ १६२ |
६. भ० ८।१६२ ।
७. भ० ८।१६२ ।
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३४६
भगवई
गोयमा ! अण्णाणी, मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी य तिविहे पण्णत्ते, तं जहा–१. अणादीए वा अपज्जवसिए २. अणादीए वा सपज्जवसिए ३. सादीए वा सपज्जवसिए । तत्थ णं जे से सादीए सपज्जवसिए से जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं-अणंता प्रोसप्पिणी उस्सप्पिणीयो कालो, खेत्तो
अवड्ढं पोग्गलप १६६. विभंगनाणी णं भंते ! पुच्छा।।
गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं देसूणाए
पुवकोडीए अब्भहियाई॥ नाणीणं अंतर-पदं २००. आभिणिवोहियनाणिस्स णं भंते ! अंतरं कालग्रो केवच्चिर होइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव' अवड्ढं पोग्गल
परियट्टं देसूणं ॥ २०१. सुयनाणि-प्रोहिनाणि-मणपज्जवनाणीणं एवं चेव ।। २०२. केवलनाणिस्स पुच्छा।
गोयमा ! नत्थि अंतरं ।। २०३. मइअण्णाणिस्स सुयअण्णाणिस्स य पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुतं, उनकोसेणं छावढि साग रोवमाइं साइरेगाई।। २०४. विभंगनाणिस्स पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वणस्सइकालो । नाणीणं अप्पाबहुयत्त-पदं २०५. एतेसि णं भंते ! जीवाणं आभिणिबोहियनाणीणं, सुयनाणीणं, प्रोहिनाणोणं
मणपज्जवनाणीणं केवलनाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणपज्जवनाणी, प्रोहिनाणी असंखेज्जगुणा, आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी दो वि तुल्ला विसेसाहिया, केवलनाणी अणंत
गणा ॥
२०६.
एतेसि णं भंते ! जीवाणं मइअण्णाणीणं, सुयअण्णाणीणं, विभंगनाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा विभंगनाणी, मइअण्णाणी सुयअण्णाणी दो वि तुल्ला अणंतगुणा ॥
१. भ० ८।१६८।
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अट्ठमं सतं (बीओ उद्देसो)
३४७ २०७. एतेसि णं भंते ! जीवाणं आभिणिबोहियनाणीणं सुयनाणीणं अोहिनाणीणं
मणपज्जवनाणीणं केवलनाणोणं मतिअण्णाणीणं सुयअण्णाणीणं विभंगनाणीण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? . गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा मणपज्जवनाणी, ओहिनाणी असंखेज्जगुणा, आभिणिबोहियनाणी सुयनाणी य दो वि तुल्ला विसेसाहिया, विभंगनाणी असंखेज्जगुणा, केवलनाणी अणंतगुणा, मइअण्णाणी सुयअण्णाणी य दो वि तुल्ला
अणंतगुणा ॥ नाणपज्जव-पदं २०८. केवतिया णं भंते ! आभिणिबोहियनाणपज्जवा पण्णत्ता ?
गोयमा ! अणंता आभिणिबोहियनाणपज्जवा पण्णत्ता ।। २०६. केवतिया णं भंते ! सुयनाणपज्जवा पण्णत्ता ?
एवं चेव ॥ २१०. एवं जाव केवलनाणस्स । एवं मइअण्णाणस्स सूयअण्णाणस्स ।। २११. केवतिया णं भंते ! विभंगनाणपज्जवा पण्णत्ता ?
गोयमा ! अणंता विभंगनाणपज्जवा पण्णत्ता । नाणपज्जवाणं अप्पाबहुयत्त-पदं २१२. एतेसि णं भंते ! आभिणिबोहियनाणपज्जवाणं, सुयनाणपज्जवाणं, ओहिनाण
पज्जवाणं, मणपज्जवनाणपज्जवाणं, केवलनाणपज्जवाण य कयरे कयरेहितो' •अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गायमा ! सव्वत्थोवा मणपज्जवनाणपज्जवा, अोहिनाणपज्जवा अणंतगुणा, सुयनाणपज्जवा अणंतगुणा, प्राभिणिबोहियनाणपज्जवा अणंतगुणा, केवलनाण
पज्जवा अणंतगूणा ।।। २१३. एएसि णं भंते ! मइअण्णाणपज्जवाणं, सुयअण्णाणपज्जवाणं, विभंगनाण
पज्जवाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा? ० विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा विभंगनाणपज्जवा, सुयअण्णाणपज्जवा अणंतगुणा,
मइअण्णाणपज्जवा अणंतगुणा ।। २१४. एएसि णं भंते ! आभिणिबोहियनाणपज्जवाणं जाव केवलनाणपज्जवाणं, मइ
अण्णाणपज्जवाणं, सुयअण्णाणपज्जवाणं, विभंगनाणपज्जवाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा°? विसेसाहिया वा ?
१. सं० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
३. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
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भगवई
गोयमा ! सव्वत्थोवा मणपज्जवनाणपज्जवा, विभंगनाणपज्जवा प्रणतगुणा, हिनाणपज्जवा प्रणतगुणा, सुयश्रण्णाणपज्जवा प्रणतगुणा, सुयनाणपज्जवा विसेसाहिया, मइग्रण्णाणपज्जवा प्रणतगुणा, ग्राभिणिबोहियनाणपज्जवा विसेसाहिया, केवलनाणपज्जवा अनंतगुणा || २१५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।।
३४८
तइओ उद्देस
वणस्स इ-पदं
२१६. कतिविहा णं भंते ! रुक्खा पण्णत्ता ?
गोमा ! तिविहा रुक्खा पण्णत्ता, तं जहा संखेज्जजीविया, असंखेज्जजीविया, प्रणतजीविया ॥
२१७. से किं तं संखेज्जजीविया ?
संखेज्जजीविया प्रणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा
ताल' तमाले तक्कलि, तेयलि' 'साले य सालकल्ला । सरले जावति केयइ, कंदलि तह चम्मरुक्खे य ||१|| भुयरुवख हिंगुरुक्खे, लवंगरुक्खे य होति बोधव्वे | पूयफली खज्जूरी, बोधव्वा नालिएरी य° ॥२॥ जे यावण्णे तहप्पगारा । सेत्तं संखेज्जजीविया ॥ २१८. से किं तं असंखेज्जजीविया ?
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संखेज्जजीविया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - एगट्टिया य बहुबीयगा य ॥ २१६ से किं तं एगट्टिया ?
एगट्टिया ग्रणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा
१. भ० १।५१ ।
२. ताले ( अ, क, ता, ब, म, स) ।
३. सं० पा० - जहा पण्णवणाए जाव नालिएरी ।
निबंब जंबु कोसंब, साल अंकोल्ल पीलु सेलू य । सल्लइ मोयइ मालुय, बउल पलासे करंजे य ॥१॥ पुत्तंजीवयरिट्ठे, बिभेलए हरडए य भल्लाए । उंबभरिया' खोरिणि, बोधव्वे धायइ पियाले || २ ||
४. सं० पा० - जहा पण्णवणापदे जाव फला । ५. प्रज्ञापनावृत्तौ 'उंबेभरिका' इति दृश्यते । भ० २२ २ सूत्रे 'उबभरिका' इतिपदमस्ति ।
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अट्ठमं सतं (तइओ उद्देसो)
३४६ पूइयनिंबारग सेण्हा, तह सीसवा य असणे य ।
पुण्णाग नागरुक्खे, सीवण्णि तहा असोगे य ।।३।। जे यावण्णे तहप्पगारा। एएसि णं मूला वि असंखेज्जजीविया, कंदा वि खंधा वि तया वि साला वि पवाला वि । पत्ता पत्तेयजीविया। पुप्फा अणेगजीविया।
फला एगट्ठिया। सेत्तं एगट्ठिया । २२०.
से कि तं बहुबीयगा? बहुबोयगा अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा
अत्थिय तिदु कविटे, अंबाडग माउलिंग बिल्ले य । प्रासलग फणस दाडिम, आसोत्थे उंबर वडे य ।।१।। नग्गोह नंदिरुक्खे, पिप्परि सयरो पिलुक्खरुक्खे य। काउंबरी कुत्थु भरि, बोधव्वा देवदाली य ।।२।। तिलए लउए छत्तोह, सिरीसे सत्तिवण्ण दहिवण्णे ।
लोद्ध धव चंदणज्जुण, नोमे कुडए कयंबे य ॥३॥ जे यावण्णे तहप्पगारा। एएसि गं मूला वि असंखेज्जजीविया, कंदा वि खंधा वि तया वि साला वि पवाला वि । पत्ता पत्तेयजीविया । पुप्फा अणेगजीविया।
फला बहुबीयगा । सेत्तं बहुबीयगा । सेत्तं असंखेज्जजीविया ।। २२१. से किं तं अणंतजीविया ?
अणंतजीविया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा- पालुए, मूलए, सिंगबेरे--एवं जहा -- सत्तमसए जाव' सिउंढी', मुमुंढी। जेयावण्णे तहप्पगारा। सेत्तं अणंतजीविया ॥
जीवपएसाणं-अंतर-पदं २२२. अह भंते ! कुम्मे, कुम्मावलिया, गोहा, गोहावलिया, गोणा, गोणावलिया,
मणुस्से, मणुस्सावलिया, महिसे, महिसावलिया-एएसि णं दुहा वा तिहा वा संखेज्जहा वा छिन्नाणं जे अंतरा ते वि णं तेहिं जीवपएसेहि फुडा ? |
हंता फुडा॥ २२३. पुरिसे णं भंते ! अंतरे हत्थेण वा पादेण वा अंगुलियाए वा सलागाए वा
कट्ठण वा किलिचेण वा आमुसमाणे वा संमुसमाणे वा आलिहमाणे वा विलिहमाणे वा अण्णयरेण वा तिक्खेणं सत्थजाएणं आछिदमाणे वा विछिदमाणे वा,
१. भ०७।६६ ।
३. सलागए (अ); X (ता)। २. सीउण्हे (अ); सीउण्ही (क); सीउण्णी (ता); ४. कलिंचेण (अ, ता, ब, म, स)।
सीकण्हे (स)।
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३५०
भगवई
अगणिकाएण वा समोडहमाणे तेसि जीवपएसाणं किंचि प्राबाहं वा विबाहं वा उप्पाएइ ? छविच्छेदं वा करेइ ?
णो तिणटे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।। चरिम-प्रचरिम-पदं २२४. कइ णं भंते ! पुढवीनो पण्णत्तायो ?
गोयमा ! अट्ठ पुढवीप्रो पण्णत्तानो, तं जहा - रयणप्पभा जाव' अहेसत्तमा,
ईसीपब्भारा ।। २२५. इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवी किं चरिमा ? अचरिमा ?
चरिमपदं निरवसेसं भाणियव्वं जाव'२२६. वेमाणिया णं भंते ! फासचरिमेणं किं चरिमा ? अचरिमा ?
गोयमा ! चरिमा वि, अचरिमा वि ।। २२७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
चउत्थो उद्देसो किरिया-पदं २२८. रायगिहे जाव' एवं वयासी-कति णं भंते ! किरियाप्रो पण्णत्तायो ?
गोयमा ! पंच किरियाप्रो पण्णत्तानो, तं जहा-काइया, अहिगरणिया, पाओसिया, पारियावणिया, पाणाइवायकिरिया-एवं किरियापदं निरवसेसं भाणियव्वं जाव' सव्वत्थोवानो मिच्छादसणवत्तियानो किरियाओ, अप्पच्चक्खाणकिरियाप्रो विसेसाहियाओ, पारिग्गहियारो किरियाप्रो विसेसाहियाओ, प्रारंभियानो किरियानो विसेसाहियानो, मायावत्तियागो किरियाप्रो विसे
साहियायो। २२६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. संकमइ (म, स)। २. भ० २.७५ । ३. प० १० । ४. भ० ११५१ ।
५. भ० ११४-८ । ६. प० २२। ७. भ० ११५१ ।
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अट्ठम सतं (पंच मो उद्देसो)
३५१ पंचमो उद्देसो आजीवियसंदब्भे समणोवासय-पदं २३०. रायगिहे जाव' एवं वयासी-प्राजोविया णं भंते ! थेरे भगवंते एवं वयासी
समणोवासगरसणं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ भंडं अवहरेज्जा, से णं भंते ! तं भंडं अणुगवेसमाणे किं सभंडं' अणुगवेसइ ? परायगं भंडं अणुगवेसइ ?
गोयमा ! सभंडं अणुगवेसइ, नो परायगं भंडं अणुगवेसइ । २३१. तस्स णं भंते ! तेहिं सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं से
भंडे अभंडे भवई ?
हंता भवई॥ २३२. से केणं खाइ णं अद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सभंडं अणुगवेसइ, नो परायगं
भंडं अणुगवेसइ ? गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-नो मे हिरण्णे, नो मे सुवण्णे, नो मे कसे, नो मे दूसे, नो मे विपुलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिल-प्पवाल-रत्तरयणमादीए संतसारसावदेज्जे', ममत्तभावे पुण से अपरिणाए भवइ । से तेणद्वेणं
गोयमा ! एवं वुच्चइ-सभंडं अणुगवेसइ, नो परायगं भंडं अणुगवेसइ ॥ २३३. समणोवासगस्स णं भंते ! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस्स केइ
जायं चरेज्जा, से णं भंते ! किं जायं चरइ ? अजायं चरइ ?
गोयमा ! जायं चरइ ? नो अजायं चरइ ।। २३४. तस्स णं भंते ! तेहिं सीलव्वय-गुण-वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहि सा
जाया अजाया भवइ ?
हंता भवइ ।। २३५. से केणं खाइ णं अट्ठणं भंते एवं वुच्चइ-जायं चरइ ? नो अजायं चरइ ?
गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-नो मे माता, नो मे पिता, नो मे भाया, नो मे भगिणी, नो मे भज्जा, नो मे पत्ता, नो मे धया. नो मे सण्डाः पेज्जबंधणे पुण से अव्वोच्छिन्ने भवइ। से तेण?णं गोयमा ! •एवं वुच्चइ- जायं
चरइ°, नो अजायं चरइ।। १. भ० १।४-८ ।
४. हवइ (ता)। २. एवं वक्ष्यमाणप्रकारमवादिषुः, यच्च ते तान् ५. सापदेज्जे (ता); सावतेज्जे (ब)।
प्रत्यवादिषुस्तद्गौतमः स्वयमेव पृच्छन्नाह ६. ममत्ति° (क, ता, ब)। (वृ)।
७. केवइ (ता)। ३. सयभंडं (अ); सं भंड (ता, म); सयं भंडं ८. अवो० (अ)।
६. सं० पा०-गोयमा जाव नो।
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३५२
भगवई
२३६. समणोवासगस्स णं भंते ! पुवामेव थूलए पाणाइवाए अपच्चक्खाए' भवइ,
से णं भंते ! पच्छा पच्चाइक्खमाणे किं करेइ ?
गोयमा ! तीयं पडिक्कमति, पडप्पन्नं संवरेति. अणागयं पच्चक्खाति ।। २३७. तीयं पडिक्कममाणे किं १. तिविहं तिविहेणं पडिक्कमति ? २. तिविहं दुविहेणं
पडिक्कमति ? ३. तिविहं एगविहेणं पडिक्कमति? ४. दुविहं तिविहेणं पडिक्कमति ? ५. दुविहं दुविहेणं पडिक्कमति ? ६. दुविहं एगविहेणं पडिक्कमति ? ७. एगविहं तिविहेणं पडिक्कमति ? ८. एगविहं दुविहेणं पडिक्कमति ? ६. एगविहं एगविहेणं पडिक्कमति ? गोयमा ! तिविहं वा तिविहेणं पडिक्कमति, तिविहं वा दुविहेणं पडिक्कमति, एवं' चेव जाव एगविहं वा एगविहेणं पडिक्कमति । १. तिविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ. मणसा वयसा कायसा। २. तिविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा ३. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करत नाणुजाणइ मणसा कायसा ४. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा । ५. तिविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा ६. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा ७. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ कायसा। ८. दुविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ मणसा वयसा कायसा ६. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा १०. अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा। ११. दुविहं दुविहेणं पडिक्कममाण न करेइ, न कारवेइ, मणसा वयसा १२. अहवा न करेइ, न कारवेइ मणसा कायसा १३. अहवा न करेइ, न कारवेइ वयसा कायसा १४. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा १५. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा १६. अहवा न करेइ, करेंतं नाणजाणइ वयसा कायसा १७. अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणजाणइ मणसा वयसा १८. अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा १६. अहवा न कारवेइ, करतं नाणुजाणइ वयसा कायसा । . २०. विहं एक्कविहणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ मणसा २१. अहवा न करेइ, न कारवेइ वयसा २२. अहवा न करेइ, न कारवेइ कायसा २३. अहवा
१. वाचनान्तरे तु 'अपच्चक्खाए' इत्यस्य स्थाने 'पच्चक्खाए' त्ति 'पच्चाइक्खमाणे' इत्यस्य च स्थाने 'पच्चक्खावेमारणे' त्ति दृश्यते (वृ)।
२. ४ (स)। ३. तं (अ, क, ता, स)।
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अट्ठमं सतं (पंचमो उद्देसो)
३५३ न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा २४. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा २५. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ कायसा २६. अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा २७. अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा २८. अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ कायसा । २६. एगविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, मणसा वयसा कायसा ३०. अहवा न कारवेइ मणसा वयसा कायसा ३१. अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा। ३२. एक्कविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ मणसा वयसा ३३. अहवा न करेइ मणसा कायसा ३४. अहवा न करेइ वयसा कायसा ३५. अहवा न कारवेइ मणसा वयसा ३६. अहवा न कारवेइ मणसा कायसा ३७. अहवा न कारवेइ वयसा कायसा ३८. अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा ३६. अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा ४०. अहवा करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा । ४१. एगविह एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ मणसा ४२. अहवा न करेइ वयसा ४३. अहवा न करेइ कायसा ४४. अहवा न कारवेइ मणसा ४५. अहवा न कारवेइ वयसा ४६. अहवा न कारवेइ कायसा ४७. अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा ४८. अहवा करेंतं नाणुजाणइ वयसा ४६. अहवा करेंतं नाणु
जाणइ कायसा ॥ २३८. पडुप्पन्नं संवरेमाणे किं तिविहं तिविहेणं संवरेइ ?
एवं जहा पडिक्कममाणेणं एगुणपन्नं भंगा भणिया एवं संवरमाणेण वि एगूण
पन्न भंगा भाणियव्वा ।। २३६. अणागयं पच्चक्खमाणे किं तिविहं तिविहेणं पच्चक्खाइ ?
एवं एते' चेव भंगा एगणपन्न भाणियव्वा जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ
कायसा॥ २४०. समणोवासगस्स णं भंते ! पुव्वामेव थूलए मुसावाए अपच्चक्खाए भवइ, से णं
भंते ! पच्छा पच्चाइक्खमाणे किं करेइ ? एवं जहा पाणाइवायस्स सोयालं भंगसयं भणियं, तहा मुसावायस्स वि भाणियव्वं । एवं अदिन्नादाणस्स वि', एवं थूलगस्स वि मेहुणस्स, थूलगस्स वि परिग्गहस्स जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा। एते खलु एरिसगा समणोवासगा भवंति, नो खलु एरिसगा आजीवियोवासगा भवंति ॥
३. वि भाणितव्वं (ता)।
१. x (अ, म); ते (क, ब, स)। २. ४ (ता)।
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३५४
भगवई
२४१. प्राजीवियसमयस्स णं श्रयमट्ठे – अक्खीणपडिभोइणो सव्वे सत्ता; से हंता, छेत्ता, भेत्ता, लुंपित्ता, विलुं पित्ता, उद्दवइत्ता प्रहारमाहारेंति ॥ २४२. तत्थ खलु इमे दुवालस आजीवियोवासगा भवंति तं जहा - १. ताले २. ताललंबे ३. उव्वि ४. संविहे ५. प्रवविहे ६. उदए' ७ नामुदए ८. णम्मुदए' ६. अणुवालए १०. संखवालए ११. अयंपुले १२. कायरए' – इच्चेते दुवालस जीविप्रवासगा अरहंत देवतागा, श्रम्मापिउसुस्सूसगा, पंचफलपडिक्कंता, [ तं जहा - उंबरेहि, वडेहिं, बोरेहिं सतरेहिं, पिलक्खूहिं] " पलंडुल्हसुणकंदमूलविवज्जगा', अणिल्लंछिएहि अणक्कभिन्नेहिं गोणेहि तसपाणविवज्जिएहि छेत्तेहिं' वित्ति कप्पेमाणा विहरंति । एए वि ताव एवं इच्छंति किमंग ! पुण जे इमे समणोवासगा भवंति, जेसि नो कप्पंति इमाई पन्नरस कम्मादाणाई सयं करेत्तए वा, कारवेत्तए वा करेंतं वा अन्नं समणुजाणेत्तए, तं जहाइंगालकम्मे, वणकम्मे, साडीकम्मे, भाडीकम्मे, फोडीकम्मे, दंतवाणिज्जे, लक्खवाणिज्जे, केसवाणिज्जे, रसवाणिज्जे, विसवाणिज्जे, जंतपीलणकम्मे, निल्लंछणकम्मे, दवग्गिदावणया, सर- दह-तलाग परिसोसणया, सतीपोसणया । इच्चेते समणोवासगा सुक्का, सुक्काभिजातीया भवित्ता कालमासे कालं किच्चा प्रणयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति ॥
२४३. कतिविहा णं भंते ! देवलोगा पण्णत्ता ?,
गोयमा ! चउव्विहा देवलोगा पण्णत्ता, तं जहा - भवणवासी, वाणमंतरा जोइसिया, वेमाणिया ||
२४४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति" ।।
१. उवए ( अ ) ।
२. मुदए ( स ) ।
३. कारिए (ता, ब, म ) ।
४. देवयागा ( क्व० ) ।
५. असो कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांशः प्रतीयते । ११. भ° १।५१ ।
६. लंडूल्हण ० ( स ) 1
७. अणे (क, ता, स ) ।
o
८. बित्तेहि (अ); छत्तेहि ( कम ); चित्तेहिं ( स ) ६. निलंछण ० ( अ ); गेल्लंछण • (ता) | १०. तलाय ० ( अ, स ) ।
o
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अट्ठमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
छट्ठो उद्देसो समणोवासगकयस्स दाणस्स परिणाम-पदं २४५. समणोवासगस्स णं भंते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा फासु-एसणिज्जेणं असण
पाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेमाणस्स किं कज्जइ ?
गोयमा ! एगंतसो से निज्जरा कज्जइ, नत्थि य से पावे कम्मे कज्जइ। २४६. समणोवासगस्स णं भंते ! तहारूवं समणं वा माहणं वा अफासुएणं अणेस
णिज्जेणं असण-पाण' -खाइम-साइमेणं° पडिला माणस्स किं कज्जइ ?
गोयमा ! बहुतरिया से निज्जरा कज्जइ, अप्पतराए से पावे कम्मे कज्जइ॥ २४७. समणोवासगस्स णं भंते ! तहारूवं अस्संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपाव
कम्मं फासुएण वा, अफासुएण वा, एसणिज्जेण वा, अणेसणिज्जेण वा असणपाण-खाइम-साइमेणं पडिलाभेमाणस्स ° किं कज्जइ ?
गोयमा ! एगंतसो से पावे कम्मे कज्जइ, नत्थि से काइनिज्जरा कज्जइ॥ उवनिमंनिपिडादि-परिभो २४८. निग्गंथं च णं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविलु केइ दोहि पिंडेहि
उवनिमंतेज्जा-एगं आउसो ! अप्पणा भुंजाहि, एग थेराणं दलयाहि । से य तं पडिग्गाहेज्जा, थेरा य से अणुगवेसियव्वा सिया। जत्थेव अणगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तत्येव अणुप्पदायव्वे' सिया, नो चेव णं अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तं नो अप्पणा भुजेज्जा, नो अण्णेसिं दावए, एगंते अणावाए अचित्ते बहुफासुए थंडिल्ले पडिलेहेत्ता पमज्जित्ता परिढावेयव्वे सिया॥ निग्गंथं च णं गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविलु केइ तिहिं पिडेहिं उवनिमंतेज्जा-एगं पाउसो ! अप्पणा भजाहि, दो थेराणं दलयाहि । से य ते पडिग्गाहेज्जा, थेरा य से अणुगवेसियव्वा सिया। जत्थेव अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा तत्थेव अणुप्पदायव्वे सिया, नो चेव णं अणुगवेसमाणे थेरे पासिज्जा ते नो अप्पणा भुजेज्जा, नो अण्णेसिं दावए, एगते अणावाए अचित्ते बहफासए थंडिल्ले पडिलेहेत्ता पमज्जित्ता परिट्ठावेयव्वा सिया । एवं जाव दसहि पिंडेहि
२४३.
१. सं० पा०-पाण जाव पडिलाभेमाणस्स। २. बहुतरिता (क, ब, म)। ३. अविरय (अ, क, ब, म)। ४. सं० पा०-पाण जाव किं । ५. कावि (क, ब)।
६. पडिगाहेज्जा (अ, स); पडिग्गहेज्जा (ब) । ७. अणुप्पतातव्वे (ता)। ८. परिटवेयव्वे (अ, स)। ६. सं० पा०-सेसं तं चेव जाव परिदृावेयव्वा।
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३५६
भगवई
उवनिमंतेज्जा, नवरं - एगं ग्राउसो ! अप्पणा भुंजाहि, नव थेराणं दलयाहि । सेसं तं चेव जाव परिट्ठावेयव्वा सिया ||
०
२५०. निग्गंथं च णं गाहावइ कुलं पिंडवायपडियाए अणुप्पविट्ठ • केइ दोहि डिग्गहेहि उवनिमंतेज्जा - एगं ग्राउसो ! अप्पणा पडिभुंजाहि, एगं थेराणं दयाहि । सेय तं पडिग्गाहेज्जा, थेरा य से अगुगवेसियव्वा सिया । जत्थेव प्रणुगवेसमा थेरे पासिज्जा तत्थेव प्रणुप्पदायव्वे सिया, नो चेव णं
गवेसमा थेरे पासिज्जा तं नो अप्पणा परिभुंजेज्जा, नो अण्णसिं दावए, एते अणावाए प्रचित्ते बहुफासुए थंडिल्ले पडिलेहेत्ता पम्मज्जित्ता परिट्ठावेव्वे सिया । एवं जाव दसहिं पडिग्गहेहिं ।
एवं जहा पडिग्गहवत्तव्वया भणिया, एवं गोच्छग-रयहरण-चोलपट्टग-कंबल - लट्ठ-संथा रगवत्तव्या य भाणियव्वा जाव दसहि संथारएहि उवनिमंतेज्जा जाव परिट्ठायव्वा सिया ||
प्रायणाभिमुहस्त प्राराहय-पदं
२५१. निग्गंथेण य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए पविद्वेणं प्रणयरे अकिच्चट्ठाणे डिसेविए, तस्स णं एवं भवति - इहेव ताव ग्रहं एयस्स ठाणस्स आलोएमि, पडिक्कमामि निदामि गरिहामि, विउट्टामि, विसोहेमि, प्रकरणयाए अब्भुमि, प्रहारियं पायच्छित्तं तवोकम्मं पडिवज्जामि, तम्रो पच्छा थेराणं प्रतियं आलोएस्सामि जाव तवोकम्मं पडिवज्जिस्सामि ।
१. से य संपट्टिए संपत्ते, थेरा य पुव्वामेव प्रमुहा सिया । से णं भंते ! किं आराहए ? विराहए ?
गोयमा ! राहए, नो विराहए ।
२.
. से य संपट्टिए असंपत्ते, अप्पणा य पुव्वामेव अमुहे सिया । से णं भंते ! किं आराहए ? विराहए ?
गोयमा !
राहए, नो विराहए ।
३. से य संपट्टिए असंपत्ते, थेरा य कालं करेज्जा से णं भंते ! किं श्राराहए ? विराहए ? गोयमा !
प्राराहए, नो विराहए ।
१. सं० पा०-- - गाहावर जाव केइ ।
२. सं० पा० - तहेव जाव तं नो अप्पणा परि
भुंजेज्जा, नो अण्णेसि दावए, सेसं तं चैव जव परिवेod |
३. विउटेम (ता) ।
४. अंतिए ( अ ) ।
५.
X ( अ, ता, ब, म ) ।
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अट्ठमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
३५७ ४. से य संपट्ठिए असंपत्ते, अप्पणा य पुव्वामेव कालं करेज्जा । से णं भंते ! कि आराहए? विराहए? गोयमा ! आराहए, नो विराहए। ५. से य संपट्ठिए संपत्ते, थेरा य अमुहा सिया । से णं भंते ! कि पाराहए ? विराहए ? गोयमा ! आराहए, नो विराहए। ६. से य संपट्ठिए संपत्ते अप्पणा य "अमुहे सिया । से णं भंते ! किं आराहए ? विराहए ? गोयमा ! पाराहए, नो विराहए। ७. से य संपट्टिए संपत्ते, थेरा य कालं करेज्जा। से णं भंते ! कि पाराहए ? विराहए ? गोयमा ! पाराहए, नो विराहए । ८. से य संपट्ठिए संपत्ते अप्पणा य कालं करेज्जा । से णं भंते कि आराहए ? विराहए ?
गोयमा ! पाराहए, नो विराहए ॥ २५२. निग्गंथेण य बहिया वियारभूमि वा विहारभूमि वा निक्खंतेणं अण्णयरे अकि
च्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स णं एवं भवति-इहेव ताव अहं एयस्स ठाणस्स
पालोएमि–एवं एत्थ वि ते चेव अट्ठालावगा भाणियव्वा जाव नो विराहए। २५३. निग्गंथेण य गामाणुगामं दूइज्जमाणेणं अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे पडिसेविए, तस्स
णं एवं भवइ-इहेव ताव अहं एयस्स ठाणस्स आलोएमि- एवं एत्थ वि ते
चेव अट्ट पालावगा भाणियव्वा जाव नो विराहए॥ २५४. निग्गंथीए य गाहावइकुलं पिंडवायपडियाए अणुपविट्ठाए अण्णयरे अकिच्चट्ठाणे
पडिसेविए, तीसे णं एवं भवइ–इहेव ताव अहं एयस्स ठाणस्स पालोएमि जाव तवोकम्म पडिवज्जामि ; तो पच्छा पवत्तिणीए अंतियं पालोएस्सामि जाव तवोकम्म पडिवज्जिस्सामि । सा य संपट्ठिया असंपत्ता, पवत्तिणी य अमुहा सिया। सा णं भंते ! कि पाराहिया ? विराहिया ? गोयमा ! पाराहिया, नो विराहिया। सा य संपट्टिया जहा निग्गंथस्स तिण्णि गमा भणिया एवं निग्गंथीए वि तिण्णि आलावगा भाणियव्वा जाव आराहिया, नो विराहिया ।।
१. सं० पा०-एवं संपत्तेण वि चत्तारि आला-
वगा भाणियव्वा जहेव असंपत्तेणं ।
२. विचार (ता, म); वितार (ब) ० । ३. पवित्तिणीए (अ, ता, ब, स)।
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३५.८
२५५. से केणटुण भंते ! एवं वुच्चइ - आराहए ? नो विराहए ?
गोमा ! से जहानामए केइ पुरिसे एगं महं उण्णालोमं वा, गयलोमं वा, सणलोमं वा, कप्पासलोमं वा, तणसूयं वा दुहा वा तिहा वा संखेज्जहा वा छिंदित्ता गणिकासि पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा ! छिज्जमाणे छिण्णे, पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते, 'दज्झमाणे दड्ढे " त्ति वत्तव्वं सिया ?
पविखप्पमाणे पक्खित्ते, दज्झमाणे दड्ढे
हंता भगवं ! छिज्जमाणे छिण्णे, त्ति वत्तव्वं सिया ।
से जहा वा केइ पुरिसे वत्थं अहतं वा, धोतं वा, तंतुग्गयं वा मंजिट्ठ' - दोणीए पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा ! उक्खिप्पमाणे उक्खित्ते, पक्खिप्पमाणे पक्खित्ते, रज्जमाणे रत्ते त्ति वत्तव्वं सिया ?
हंता भगवं ! उविखप्पमाणे उविखत्ते", "पविखप्पमाणे पविखत्ते, रज्जमाणे रत्ते त्ति वत्तव्वं सिया । तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - आराहए, नो विराहए ||
जोति-जलण-पदं
२५६. पदीवरस णं भंते! भियायमाणस्स किं पदीवे भियाइ ? लट्ठी झियाइ ? वत्ती भियाइ ? तेल्ले भियाइ ? दीवचंपए भियाइ ? जोती भियाइ ?
गोमा ! नो पदीवे भियाइ", "नो लट्ठी भियाइ, नो वत्ती भियाइ, नो तेल्ले झियाइ, नो दीवचंपए भियाइ, जोती भियाइ ॥
किरियापदं
२५८. जीवे णं भंते ! ओरालियसरी राम्रो कतिकिरिए ?
२५७. अगारस्स' णं भंते! भियायमाणस्स कि अगारे भियाइ ? कुड्डा झियाइ ? कडणा भियाइ ? धारणा भियाइ ? बलहरणे भियाइ ? वंसा झियाइ ? मल्लाभियाइ ? वागा भियाइ ? छित्तरा भियाइ ? छाणे भियाइ ? जोती झियाइ ?
गोमा ! नो गारे भियाइ, नो कुड्डा भियाइ जाव नो छाणे भियाइ, जोती भियाइ ॥
भगवई
१. उज्झमाणे उज्झे (ता, ब ) ।
२. सं० पा० - छिणे जाव दड्ढे । ३. जिट्ठा (अस) ।
o
गोमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए, सिय अकिरिए ||
४. सं० पा०
उक्खित्ते जाव रते ।
५. सं० पा० - झियाइ जाव नो । ६. आगारे ( अ, म, स ) ।
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२६३.
अट्ठमं सतं (छट्ठो उद्देसो) २५६. नेरइए णं भंते ! ओरालियसरीरामो कतिकिरिए ?
गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए। २६०. असुरकुमारे णं भंते ! ओरालियसरी राम्रो कतिकिरिए ?
एवं चेव । एवं जाव वेमाणिए, नवरं-मणुस्से जहा जीवे ।। २६१. जीवे णं भंते ! पोरालियसरीरेहितो कतिकिरिए ?
गोयमा ! सिय तिकिरिए जाव सिय अकिरिए। २६२. नेरइए णं भंते ! ओरालियसरीरेहितो कतिकिरिए ?
एवं एसो वि' जहा' पढमो दंडअो तहा' भाणियव्वो जाव वेमाणिए, नवरंमणस्से जहा जीवे ॥ जीवाणं भंते ! पोरालियसरीरायो कतिकिरिया ?
गोयमा ! सिय तिकिरिया जाव सिय अकिरिया ।। २६४. नेरइया णं भंते ! अोरालियसरीरायो कतिकिरिया ?
एवं एसो वि जहा पढमो दंडग्रो तहा भाणियवो जाव वेमाणिया, नवरं
मणुस्सा जहा जीवा॥ २६५. जीवा णं भंते ! पोरालियसरीरेहितो कतिकिरिया ?
गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि, अकिरिया वि ।। २६६. नेरइया णं भंते ! ओरालियसरीरेहितो कतिकिरिया ?
गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि। एवं जाव वेमा
णिया, नवरं-मणुस्सा जहा जीवा ।। २६७. जीवे णं भंते ! वेउव्वियसरीरामो कतिकिरिए ?
गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय अकिरिए। २६८.
नेरइए णं भंते ! वेउव्वियसरीरानो कतिकिरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए। एवं जाव वेमाणिए, नवरंमणुस्से जहा जीवे । एवं जहा ओरालियसरीरेणं चत्तारि दंडगा भणिया तहा वेउव्वियसरीरेण वि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा, नवरं-पंचमकिरिया न भण्णइ, सेसं तं चेव। एवं जहा वेउव्वियं तहा आहारगं पि, तेयगं पि कम्मगं पि भाणियव्वं-एक्केक्के चत्तारि दंडगा भाणियव्वा जाववेमाणिया णं भंते ! कम्मगसरीरेहिंतो कतिकिरिया ?
गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि ।। २७०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. X (अ, क, ता, म, स)। २. भ०८।२५६ । ३. तहा इमो वि अपरिसेसो (अ, क, ता, ब, स)
४. भ०८।२५८ । ५. भ० ११५१ ।
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३६०
सत्तमो उद्देसो
अण्णउत्थियसंवाद-पदं
प्रदत्तं पडुच्च
२७१. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नयरे - वण्णम्रो', गुणसिलए चेइए-वण्णओ जाव' पुढविसिलावट्ट । तस्स णं गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामंते बहवे उत्थिया परिवसंति । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे प्रादिगरे जाव समोसढे जाव परिसा पडिगया ||
२७२. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवप्रो महावीरस्स बहवे अंतेवासी थेरा भगवंतो जातिसंपन्ना कुलसंपन्ना बलसंपन्ना विणयसंपन्ना नाणसंपन्ना दंसणसंपन्ना चरितसंपन्ना लज्जा संपन्ना लाघवसंपन्ना ओयंसी तेयंसी बच्चंसी जसंसी जियकोहा जियमाणा जियमाया जियलोभा जियनिद्दा जिइंदिया जियसहा जीवियास-मरणभयविप्पमुक्का समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामंते उड्ढजाणू ग्रहोसिरा झाणकोट्ठोवगया संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरति ॥
२७३. तए णं ते अण्णउत्थिया जेणेव थेरा भगवंतो तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता ते थेरे भगवंते एवं वयासी - तुब्भे णं अज्जो तिविहं तिविहेणं अस्संजय - 'विरयपsिहय' - पच्चक्खायपावकम्मा, सकिरिया, असंवुडा, अगंतदंडा एगंतबाला या विभव ||
२७४. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी - केण कारणेणं अज्जो ! अम्हे तिविहं तिविहेणं अस्संजय - विरय - पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा, सकिरिया, असंवुडा, एगंतदंडा, एगंतबाला या वि भवामो ?
२७५. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी - तुब्भे" णं अज्जो ! अदिन्नं गेण्हह, अदिन्नं भुंजह, अदिन्न सातिज्जह । तए णं ते तुब्भे अदिन्नं गेहमाणा, दिन्नं भुजमाणा, अदिन्नं सातिज्जमाणा तिविहं तिविहेणं अस्संजय - विरयपsिहय-पच्चक्खाय पावकम्मा जाव एगंतबाला या विभवह ||
१. ओ० सू० १ ।
२. ओ० सू० २-१३ ।
३. भ० १।७ ।
४. भ० ११८ ।
५. सं० पा० - जहा बितियसए जाव जीवियास ।
भगवई
६. जाव विहरति ( अ, क, ता, म, स) । ७. अविर - अपsिहय ( अ, क, ब, म, स ) ।
८. सं० पा० - जहा सत्तमसए बितिए उद्देसए जाव एगंतबाला ।
६. सं० पा० - विरय जाव एगंतबाला । १०. तुम्हे ( ब ) ।
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अट्ठमं सतं (सत्तमो उद्देसो) २७६. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-केण कारणेणं अज्जो !
अम्हे अदिन्नं गेण्हामो, अदिन्नं भुंजामो, अदिन्नं सातिज्जामो, जए' णं अम्हे अदिन्नं गेण्हमाणा', 'अदिन्नं भंजमाणा' अदिन्नं सातिज्जमाणा तिविहं तिविहेणं अस्संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंतबाला या
वि भवामो? २७७. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुब्भण्णं' अज्जो ! दिज्ज
माणे अदिन्ने, पडिग्गाहेज्जमाणे अपडिग्गाहिए, निस्सिरिज्जमाणे अणिसिट्टे । तुब्भण्णं अज्जो ! दिज्जमाणं पडिग्गहगं असंपत्तं एत्थ णं अंतरा केइ अवहरेज्जा गाहावइस्स णं तं, नो खलु तं तुब्भं, तए णं तुब्भे अदिन्नं गेण्हह', 'अदिन्नं भुंजह °, अदिन्नं सातिज्जह । तए णं तुब्भे अदिन्नं गेण्हमाणा जाव' एगंतबाला
या वि भवह ।। २७८.
तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी–नो खलु अज्जो ! अम्हे अदिन्न गंण्हामो, प्रदिन्नं भजामो, अदिन्न सातिज्जामो। अम्हे णं अज्जो ! दिन्नं गेण्डामो, दिन्नं भंजामो, दिन्नं सातिज्जामो। तए णं अम्हे दिन्नं गेण्डमाणा, दिन्नं भुंजमाणा, दिन्नं सातिज्जमाणा तिविहं तिविहेणं संजय-विरयपडिहय- "पच्चक्खायपावकम्मा, अकिरिया, संवुडा° एगंतपंडिया या वि
भवामो॥ २७६. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अज्जो !
तुम्हे दिन्नं गेण्हह', 'दिन्नं भुंजह °, दिन्नं सातिज्जह, जए णं तुब्भे दिन्नं
गेण्हमाणा जाव" एगंतपंडिया या वि भवह? २८०. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी–अम्हण्णं अज्जो ! दिज्ज
माणे दिन्ने, पडिग्गाहिज्जमाणे पडिग्गाहिए, निस्सिरिज्जमाणे निसिट्टे । अम्हण्णं अज्जो ! दिज्जमाणं पडिग्गहगं असंपत्तं एत्थ णं अंतरा केइ अवहरेज्जा, अम्हण्णं तं, नो खलु तं गाहावइस्स, तए णं अम्हे दिन्नं गेण्हामो, दिन्नं भुजामो, दिन्नं सातिज्जामो तए णं अम्हे दिन्नं गेण्हमाणा", दिन्नं भुजमाणा, दिन्नं सातिज्जमाणा तिविहं तिविहेणं संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंत
१. तए (अ, क, ता, ब, म, स)। २. सं० पा०-गेण्हमारणा जाव अदिन्नं । ३. तुम्हाणं (म, स)। ४. निसरिज्ज° (क)। ५. सं० पा०—गण्हह जाव अदिन्नं । ६. भ० ८।२७६ ।
७. सं० पा०-जहा सत्तमसए जाव एगंतपंडिया ८. सं० पा०-गेण्हह जाव दिन्न । ६. तए (अ, क, ता, ब, म, स)। १०. भ. ८।२७८ । ११. सं० पा०-गेण्हमाणा जाव दिन्नं ।
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भगवई
पंडिया या वि भवामो। तुब्भे णं अज्जो ! अप्पणा चेव तिविहं तिविहेणं
अस्संजय-विरयपडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंतबाला या वि भवह ॥ २८१. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अज्जो !
अम्हे तिविहं तिविहेणं अस्संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव
एगंतबाला या वि भवामो ? २८२. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-तुब्भे णं अज्जो ! अदिन्नं
गेण्हह, अदिन्नं भुजह, अदिन्नं सातिज्जह, तए णं तुब्भे अदिन्नं गेण्हमाणा जाव
एगंतबाला या वि भवह ।। २८३. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अज्जो !
अम्हे अदिन्नं गेण्डामो जाव एगंतबाला या विभवामो? २८४. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-तुब्भण्णं अज्जो ! दिज्ज
माणे अदिन्ने 'पडिग्गाहेज्जमाणे अपडिग्गाहिए, निस्सिरिज्जमाणे अणिसिटे । तुब्भण्णं अज्जो ! दिज्जमाणं पडिग्गहगं असंपत्तं एत्थ णं अंतरा केइ अवहरेज्जा, गाहावइस्स णं तं, नो खलु तं तुभं । तए णं तुब्भे अदिन्नं गेण्हह जाव'
एगंतबाला या वि भवह।। हिंसं पडुच्च २८५. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुब्भे णं अज्जो ! तिविहं
तिविहेणं अस्संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंतबाला या
वि भवह।। २८६. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी–केण कारणेणं अज्जो !
अम्हे तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवामो ? २८७. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुब्भे णं अज्जो ! रीयं
रीयमाणा पुढवि पेच्चेह अभिहणह वत्तेह लेसेह संघाएह संघट्टेह परितावेह किलामेह उद्दवेह, तए णं तुब्भे पुढवि पेच्चेमाणा अभिहणमाणा' 'वत्तेमाणा लेसेमाणा संघाएमाणा संघट्टेमाणा परितावेमाणा किलामेमाणा° उद्दवेमाणा तिविहं तिविहणं अस्संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा जाव एगतबाला
या वि भवह ॥ २८८. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-नो खलु अज्जो ! अम्हे
रीयं रीयमाणा पुढवि पेच्चामो अभिहणामो जाव उद्दवेमो। अम्हे णं अज्जो!
३. सं० पा०-अभिहरणमारणा जाव उद्दवेमाणा।
१. सं० पाल-तं चेव जाव गाहावइस्स । २. तं चेव जाव (अ, क, ता, ब, म, स)।
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अट्ठमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
३६३ रीयं रीयमाणा कायं वा, जोयं वा, रियं वा पडुच्च देसं देसेणं वयामो, पदेसं पदेसेणं वयामो, तेणं अम्हे देसं देसेणं वयमाणा, पदेसं पदेसेणं वयमाणा नो पुढवि पेच्चेमो अभिहणामो जाव उद्दवेमो, तए णं अम्हे पुढवि अपेच्चेमाणा अणभिहणमाणा जाव प्रणोद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं संजय-विरय-पडिहयपच्चक्खायपावकम्मा जाव एगंतपंडिया या वि भवामो। तुब्भे णं अज्जो ! अप्पणा चेव तिविहं तिविहेणं अस्संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खायपावकम्मा
जाव एगंतबाला या वि भवह ॥ २८६. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-केण कारणेणं अज्जो !
अम्हे तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला या वि भवामो ? २६०. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-तुब्भे णं अज्जो ! रीयं
रीयमाणा पुढवि पेच्चेह जाव उद्दवेह, तए णं तुब्भे पुढवि पेच्चेमाणा जाव
उद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला या वि भवह ।। गममाणगयं पडुच्च२६१. तए णं ते अण्णउत्थिया ते थेरे भगवंते एवं वयासी-तुब्भण्णं अज्जो ! गम्म
माणे अगते, वीतिक्कमिज्जमाणे अवीतिक्कते, रायगिहं नगरं संपाविउकामे
असंपत्ते ।। २९२. तए णं ते थेरा भगवंतो ते अण्ण उत्थिए एवं वयासी-नो खलु अज्जो ! अम्हं
गम्ममाणे अगते, वीतिक्कमिज्जमाणे अवीतिक्कते, रायगिहं नगरं संपाविउकामे असंपत्ते । अम्हण्णं अज्जो ! गम्ममाणे गए, वीतिक्कमिज्जमाणे वीतिक्कते, रायगिहं नगरं संपाविउकामे संपत्ते । तुब्भण्णं अप्पणा चेव गम्ममाणे अगते, वीतिक्कमिज्जमाणे अवीतिक्कते, रायगिह' 'नगरं संपाविउकामे असंपत्ते तए णं ते थेरा भगवंतो अण्णउत्थिए एवं पडिभणंति, पडिभणित्ता गइप्पवायं
नाम अज्झयणं पण्णवइंसु॥ २६३. कतिविहे णं भंते ! गइप्पवाए पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे गइप्पवाए पण्णत्ते, तं जहा-पयोगगई, ततगई, बंधणछेयणगई, उववायगई, विहायगई। एत्तो प्रारब्भ पयोगपयं निरवसेसं भाणियव्वं
जाव सेत्तं विहायगई। २६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति'।
१. सं० पा०-रायगिह जाव असंपत्ते । २. पडिहणइ (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. विहागती (ता)।
४. आरद्धं (क, ता, ब, म)। ५. प०१६ । ६. भ. ११५१।
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३६४
अट्ठमो उद्देसो
परिणीय-पदं
२५. रायगिहे जाव' एवं वयासी - गुरूणं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया' पण्णत्ता ? गोयमा ! तो पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा - प्रायरियपडिणीए, उवज्झायडिणी, थेपडिणीए ॥
२६६. गति णं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता ?
२६७ समूहणं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता ?
गोयमा ! तो पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा - इहलोगपडिणीए, परलोगडिणी, दुहोलोगपडिणी ॥
गोयमा ! तो पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा - कुलपडिणीए, गणपडिणीए, संघपणी ||
२६८. अणुकंपं पडुच्च "कति पडिणीया पण्णत्ता ? ०
गोमा ! तो परिणीया पण्णत्ता, तं जहा - तवस्सिपडिणीए, गिलाणपडिणीए, पणी ॥
२६६. सुयण्णं भंते । पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता ? •
३०० भावण्णं भंते ! पडुच्च कति पडिणीया पण्णत्ता ? •
भगवई
गोमा ! तो पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा - सुत्तपडिणीए, अत्थपडिणीए, तदुभयपडिणी ||
पंचववहार पदं
३०१. कतिविहे णं भंते ! ववहारे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तओ पडिणीया पण्णत्ता, तं जहा - नाणपडिणीए, दंसणपडिणीए, चरित्पडिणी ||
१. भ० १४- १० ।
२. पडुच्चा ( कम ) ।
३. पडरिया (ता, म); तुलना - ठा० ३।४८८
४६३ ।
४. अत्र णकारयोगे अनुस्वारलोपः ।
गोयमा ! पंचविहे ववहारे पण्णत्ते, तं जहा - आगमे, सुतं, आणा, धारणा, जीए ।
५. दुहालोग° ( अ, ब, म); उभयपडि ० ( क ) ;
दुहलोग (ता) |
६. सं० पा० - पुच्छा ।
७. सं० पा० - पुच्छा ।
८. सं० पा० – पुच्छा ।
६. तुलना-ठा० ५।१२४; व० १० ।
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अट्ठमं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
जहा से तत्थ आगमे सिया आगमेणं ववहारं पट्टवेज्जा। णो य से तत्थ आगमे सिया, जहा से तत्थ सुए सिया, सुएणं ववहारं पट्ठवेज्जा। णो य से तत्थ सुए सिया, जहा से तत्थ आणा सिया, प्राणाए ववहारं पट्ठवेज्जा । णो य से तत्थ आणा सिया, जहा से तत्थ धारणा सिया, धारणाए ववहार पट्टवेज्जा । णो य से तत्थ धारणा सिया, जहा से तत्थ जीए सिया, जीएणं ववहारं पट्टवेज्जा। इच्चेएहिं पंचहिं ववहारं पट्ठवेज्जा, तं जहा-आगमेणं, सुएणं आणाए, धारणाए, जीएणं। जहा-जहा से आगमे सुए आणा धारणा जीए तहा-तहा ववहारं पट्ठवेज्जा। से किमाहु भंते ! आगमबलिया समणा निग्गंथा ? इच्चेतं पंचविहं ववहारं जदा-जदा जहि-जहिं 'तदा-तदा' तहि-तहिं अणिस्सि
प्रोवस्सितं सम्मं ववहरमाणे समणे निग्गंथे आणाए पाराहए भवइ ।। बंध-पद ३०२. कतिविहे णं भंते ! बंधे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा-इरियावहियबंधे य, संपराइयबंधे य ।। इरियावहियबंध-पदं ३०३. इरियावहियं णं भंते ! कम्मं किं नेरइनो बंधइ ? तिरिक्खजोणिो बंधइ ?
तिरिक्खजोणिणी बंधइ ? मणुस्सो बंधइ ? मणुस्सी बंधइ ? देवो बंधइ ? देवी बंधइ ? गोयमा! नो नेरइयो बंधइ, नो तिरिक्खजोणिओ बंधइ, नो तिरिक्खजोणिणी बंधइ, नो देवो बंधइ, नो देवी बंधइ । पुव पडिवन्नए पडुच्च मणुस्सा य मणुस्सीयो य बंधति, पडिवज्जमाणए पडुच्च १. मणुस्सो वा बंधइ २. मणुस्सी वा बंधइ ३. मणुस्सा वा बंधति ४. मणुस्सीग्रो वा बंधंति ५. अहवा मणुस्सो य मणुस्सी य बंधइ ६. अहवा मणुस्सो य मणुस्सीयो य बंधंति ७. अहवा मणुस्सा य मणुस्सी य बंधंति ८. अहवा मणुस्सा य मणुस्सीयो य बंधंति ।।
१. तहा-तहा (अ, स)।
. निर्ग्रन्थाः ! पञ्चविधव्यवहारस्य फल मिति २. हन्त ! आहरेवेति गुरुवचनं गम्यमिति, अन्ये शेषः, अत्रोत्तरमाह-'इच्चेय' मित्यादि(वृ)।
तु 'से किमाहु भंते !' इत्याद्येवं व्याख्यान्ति- ३. °वधिय ° (म); ° वहिया ° (स) । अथ किमाहुर्भदन्त ! आगमबलिकाः श्रमणा ४. वहिया (अ, क, स); °वयि (ता)।
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३६६
३०४. तं भंते ! किं इत्थी बंधइ ? बंधंति ? पुरिसा बंधंति ? बंधइ ?
पुरिसो बंधइ ? नपुंसगा बंधंति
?
भगवई
नपुंसगो बंधइ ? इत्थी ? नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसगो
गोमा ! नो इत्थी बंधइ, नो पुरिसो बंधइ' नो नपुंसगो बंधइ, नो इत्थी बंत, नो पुरिसा बंधंति, नो नपुंसगा बंधंति, नोइत्थी नोपुरिसो नोनपुंसगो बंध - yo पडिवन्नए पडुच्च अवगयवेदा बंधंति, पडिवज्जमाणए पडुच्च अवयवेदो वा बंधइ अवगयवेदा वा बंधंति ॥
३०५. जइ भंते! अवगयवेदो वा बंधइ, अवगयवेदा वा बंधंति तं भंते ! कि १. इत्थी पच्छाकडो बंधइ ? २. पुरिसपच्छाकडो बंधइ ? ३. नपुंसगपच्छाकडो बंधइ ? ४. इत्थीपच्छाकडा बंधंति ? ५. पुरिसपच्छाकडा बंधंति ? ६. नपुंसगपच्छाकडा बंधंति ? उदाहु इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाको य बंध ४ ? उदाहु इत्थीपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य । बंधइ ४ ? उदाहु पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य बंघइ ४ ? उदाहु इत्थीपच्छाast य पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ ८ एवं एते छव्वीसं भंगा जाव उदाहु इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति ?
गोयमा ! १ इत्थीपच्छाकडो वि बंधइ २. पुरिसपच्छाकडो वि बंधइ ३. नपुंसगपच्छाकडो वि बंधइ ४. इत्थीपच्छाकडा वि बंधंति ५. पुरिसपच्छाकडा वि बंधति ६. नपुंसगपच्छाकडा वि बंधंति ७. अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य बंधइ, एवं एए चेव छव्वीसं भंगा भाणियव्वा जाव' २६. अहवा इत्थी पच्छाकडा पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति || ३०६. तं भंते ! किं ९ बंधी बंधइ बंधिस्सइ ? २. बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? ३. बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ? ४. बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ? ५. न बंधी बंध बंधिस्सइ ? ६. न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? ७ न बंधी न बंधड़ बंधिस्सइ ? ८. न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ?
१.
१. सं० पा०-- बंधइ जाव नोनपुंसगो । २. ८. अहवाइत्थी पच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा
य बंधंति . अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिपच्छाकडो य बधइ १०. अहवा इत्थीपच्छाकाय पुरिसपच्छाकडा य बंधति ११. अहवा
गोमा ! भवारिस पडुच्च प्रत्येगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, प्रत्थेर्गातिए बंधी बंधइन बंधिस्सइ, एवं तं चैव सव्वं जाव प्रत्थेगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्स |
इत्यपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ १२. अहवा इत्थीपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति १३. अहवा इत्थीपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ १४. अहवा इत्थी पच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति
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असतं (अट्टमो उद्देसो)
३६७
गहण गरिसं पडुच्च प्रत्येगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, एवं जाव' प्रत्येगतिए न बंधी बंध बंधिस्es, नो चेव णं न बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, प्रत्थेगतिए न बंधन बंध बंधिस्सइ, अत्थेगतिए न बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ॥
३०७. तं भंते ! किं सादीयं सपज्जवसियं बंधइ ? सादीयं अपज्जवसियं बंधइ ? प्रणादीयं सपज्जवसियं बंधइ ? प्रणादीयं प्रपज्जवसियं बंधइ ?
गोयमा ! सादीयं सपज्जवसियं बंधइ, नो सादीयं अपज्जवसियं बंधइ, नो प्रणादीयं सपज्जवसियं बंधइ, नो प्रणादीयं प्रपज्जवसियं बंधइ ॥
३०८. तं भंते ! किं देसेणं देसं बंघइ ? देसेणं सव्वं बंधइ ? सव्वेणं देसं बंधइ ?
सव्वेणं सव्वं बंधइ ?
गोयमा ! नो देसेणं देसं बंधइ, नो देसेणं सव्वं बंधइ, नो सव्वेणं देसं बंधइ, सव्वेणं सव्वं बंधइ ॥
संपराइयबंध-पदं
३०६. संपराइयं णं भंते ! कम्मं किं नेरइस्रो बंधइ ? तिरिक्खजोणिय बंधइ ? जाव' देवी बंधइ ?
गोमा ! नेरो वि बंधइ, तिरिक्खजोणियो वि बंधइ, तिरिक्खजोगिणी वि बंध, मस्सो वि बंधइ, मणुस्सी वि बंधइ, देवो वि बंधइ, देवी वि बंधइ || ३१०. तं भंते! किं इत्थी बंधइ ? पुरिसो बंधइ ? तहेव जाव' नोइत्थी नोपुरिसो पुंगो बंधइ ?
गोयमा इत्थी व बंधइ, पुरिसो वि बंधइ जाव नपुंसगा वि बंधंति, 'हवा एते" य श्रवगयवेदो य बंधइ, ग्रहवा एते य अवगयवेदा य बंधंति ॥
१५. अहवा पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाast य बंधइ १६. अहवा पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति १७. अहवा पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ १८. अहवा पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति १६. अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाको य बंधइ २०. अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति २१. अहवा इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ २२. अहवा
इत्थीपच्छाकडो य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधति २३. ग्रहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडो य नपुंसंगपच्छाकडो य बंधइ २४. अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडो य नपुंसगपच्छाकडा
बंधति २५. अहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडो य बंधइ । १. अत्र जाव-पदेन त्रयो भङ्गा गृहीताः ।
२. भ० ६।३०३ ।
३. भ० ६।३०४ ।
४. अहवे ( अ, ब, स ) ; अहवेते (ता, म ) ।
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३६८
भगवई
३११. 'जइ भंते ! अवगयवेदो य बंधइ, अवगयवेदा य बंधंति" तं भंते ! किं इत्थीपच्छाकडो बंधइ ? पुरिसपच्छाकडो बंधइ ? एवं जहेव इरियावहियबंधगस्स तहेव निरवसेसं जाव ग्रहवा इत्थीपच्छाकडा य पुरिसपच्छाकडा य नपुंसगपच्छाकडा य बंधंति ॥
३१२. तं भंते ! कि १. बंधी बंधइ बंधिस्सइ ? २. बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? ३. बंधन बंध बंधिस्सइ ? ४. बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ?
गोमा ! १. प्रत्येगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ २. प्रत्येगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्स ३. प्रत्येतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ४. प्रत्येगतिए बंधी न बंधइन बंधिस्सइ ॥
३१३. तं भंते ! किं सादीयं सपज्जवसियं बंधइ ? पुच्छा तहेव ।
गोयमा ! सादीयं वा सपज्जवसियं बंधइ, प्रणादीयं वा सपज्जवसियं बंधइ, प्रणादीयं वा प्रज्जवसियं बंधइ, नो चेव गं सादीयं प्रपज्जवसियं बंधइ ॥ ३१४. तं भंते! किं देसेणं देसं बंधइ ? एवं जहेव इरियावहियबंधगस्स जाव' सव्वेणं सव्वं बंधइ ॥
कम्म पगडी परीसहसमवतार-पदं
३१५. कइ णं भंते ! कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताश्रो ?
गोयमा ! टु कम्मप्पगडीओ पण्णत्तात्र, तं जहा - नाणावर णिज्जं दंसणावरणज्जं वेदणिज्जं मोहणिज्जं उगं नाम गोयं अंतराइयं ॥
३१६. कइ णं भंते ! परीसहा पण्णत्ता ?
गोमा ! बावीस परीसहा पण्णत्ता, तं जहा -दिगिंछापरीसहे, पिवासापरीस हे सीतपरीसहे उसिणपरीसहे दंसमसगपरीसहे अचेल परीस हे अरइपरीसहे इत्थिपरीसहे चरियापरीसहे निसीहियापरीसहे सेज्जापरीस हे अक्कोसपरीसहे वहपरीसहे जायणापरीसहे लाभपरीसहे रोगपरीसहे तणफासपरी सहे जल्लपरीसहे सक्कारपुरक्कारपरीस हे 'पण्णापरीस हे नाणपरीस हे " ० दंसणपरीसहे " ॥
३१७. एए णं भंते! बावीसं परीसहा कतिसु कम्मप्पगडीसु समोयरंति ?
गोयमा ! चउसु कम्मप्पगडीसु समोयरंति, तं जहा - नाणावरणिज्जे, वेदणिज्जे, मोहणिजे, अंतराइ ॥
१. X ( ब ) ।
२. भ० ८३०८ ।
३. गोदं ( ब ) ।
४. सं० पा० - पिवासापरिसहे जाव दंसरण
५. अन्नागपरिस ( उत्त० २।३) । ६. नाणपरीसहे दंसणपरीसहे पण्णापरीस हे (स० २२1१ ) ।
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अट्ठमं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
३६६ ३१८. नाणावरणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?
गोयमा ! दो परीसहा समोयरंति, तं जहा-पण्णापरीसहे नाणपरीसहे' य ।। ३१६. वेदणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ? गोयमा ! एक्कारस परीसहा समोयरंति, तं जहा
पंचेव आणुपुव्वी, चरिया सेज्जा वहे य रोगे य।
तणफास-जल्लमेव य, एक्कारस वेदणिज्जम्मि ॥१॥ ३२०. दंसणमोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परिसहा समोयरंति ?
गोयमा ! एगे दंसणपरीसहे समोयरइ॥ ३२१. चरित्तमोहणिज्जे णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोरारंति ? गोयमा ! सत्त परीसहा समोयरंति, तं जहा
अरती अचेल इत्थी, निसीहिया जायणा य अक्कोसे ।
सक्कार-पुरक्कारे, चरित्तमोहम्मि सत्तेते ॥१॥ ३२२. अंतराइए णं भंते ! कम्मे कति परीसहा समोयरंति ?
गोयमा ! एगे अलाभपरीसहे समोयरइ ।। ३२३. सत्तविहबंधगस्स णं भंते ! कति परीसहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! बावीसं परीसहा पण्णत्ता । वीसं पुण वेदेइ-जं समयं सोयपरीसहं वेदेइ नो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइ, जं समयं निसीहियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं चरियापरीसहं
वेदेइ ॥ ३२४. 'एवं अट्टविहबंधगस्स वि॥ ३२५. छव्विहबंधगस्स णं भंते ! सरागछ उमत्थस्स कति परीसहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चोद्दस परिसहा पण्णता । बोरस पुण वेदेइ-जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ नो तं समयं उसिणपरीसह वेदेइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं सेज्जापरीसहं वेदेइ, जं समयं सेज्जापरीसहं वेदेइ नो तं समयं चरियापरीसहं वेदेइ॥
१. अण्णाण ° (अ)।
विहबंधगस्स वि (क, ब, म); अट्टविहबंधगस्स २. अटू विहबंधगस्स णं भंते ! कति परिसहा प० णं भंते ! कति परीसहा प० गो० बावीसं
गो० बावीसं परीसहा, तं छुहापरीसहे पिवासा परीसहा पं० एवं अट्ठविधबंधगस्स (ता, स)। परीसहे सीयपरीसहे उसिणपरीसहे दंस- ३. उसुण ° (ता)। . मसगपरीसहे जाव अलाभपरीसहे एवं अट्ठ
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भगवई
३२६. एक्कविहबंधगस्स णं भंते ! वीयरागछउमत्थस्स कति परीसहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! एवं चेव-जहेव छव्विहबंधगस्स ॥ ३२७. एगविहबंधगस्स णं भंते ! सजोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! एक्कारस परीसहा पण्णत्ता । नव पुण वेदेइ । सेसं जहा
छविहबंधगस्स ॥ ३२८. अबंधगस्स णं भंते ! अयोगिभवत्थकेवलिस्स कति परीसहा पण्णत्ता?
गोयमा ! एक्कारस परीसहा पण्णत्ता । नव पुण वेदेइ-जं समयं सीयपरीसहं वेदेइ नो तं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ, जं समयं उसिणपरीसहं वेदेइ नो तं समयं सीयपरीसहं वेदेइ, जं समयं चरियापरीसहं वेदेइ नो तं समयं सेज्जापरीसहं वेदेइ, जं समयं सेज्जापरीसहं वेदेइ नो तं समयं चरियापरीसहं
वेदेइ ॥ सूरिय-पदं ३२६. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ?
मज्झतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति ? अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ? हंता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि दूरे य' 'मूले य दीसंति, मज्झतियमुहुत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति°, अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले
य दीसंति ॥ ३३०. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया उग्गमणमुहत्तंसि, मज्झतियमुहत्तंसि य,
प्रत्थमणमहत्तंसि य सम्वत्थ समा उच्चत्तेणं ? हंता गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमण' मुहत्तंसि, मझतियमुहत्तंसि
य, अत्थमणमुहत्तंसि य सव्वत्थ समा० उच्चत्तेणं ।। ३३१. जइ णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे सूरिया उग्गमणमहत्तंसि, मज्झंतियमुहत्तंसि य,
अत्थमणमुहुत्तंसि' 'य सव्वत्थ समा० उच्चत्तेणं, से केणं खाइ अट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ.- जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि' दूरे य मूले य दीसंति ? जाव अत्थमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति ? गोयमा ! लेसापडिघाएणं उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति, लेसाभितावेणं मज्झंतियमुहत्तंसि मूले य दूरे य दीसंति, लेसापडिघाएणं अत्थमणमुहत्तंसि
१. सं० पा०-तं चेव जाव अस्थमण । २. सं० पा०--उग्गमण जाव उच्चत्तेणं । ३. सं० पा०-प्रत्थमणमुहुत्तंसि जाव उच्च-
तेणं । 'अ, ता, ता, म, स' संकेतितादर्शेषु
'अत्थमणमुहुत्तसि मूले जाव उच्चत्तेणं' इति पाठोऽस्ति । अत्र 'मूले' इति पदं नावश्यक
प्रतिभाति । ४. ° मुहुत्तंसि य (अ, क,ता, ब, म, स)।
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अट्ठमं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
३७१ दूरे य मूले य दीसंति । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-जंबुद्दीवे णं दीवे सूरिया उग्गमणमुहुत्तंसि दूरे य मूले य दीसंति जाव अत्थमण' मुहुत्तंसि दूरे य
मूले य° दीसंति ॥ ३३२. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं गच्छंति ? पडुप्पन्नं खेत्तं गच्छंति ?
अणागयं खेत्तं गच्छंति ? ___ गोयमा ! नो तीयं खेत्तं गच्छंति, पडुप्पन्न खेत्तं गच्छंति, नो अणागयं खेत्तं
गच्छति ।। ३३३. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया कि तीयं खेत्तं प्रोभासंति ? पडुप्पन्न खेत्तं
प्रोभासंति ? अणागयं खेत्तं प्रोभासंति ? गोयमा ! नो तीयं खेत्तं प्रोभासंति, पडुप्पन्नं खेत्तं ओभासंति, नो अणागयं
खेत्तं प्रोभासंति ॥ ३३४. तं भंते ! कि पटं प्रोभासंति ? अपट प्रोभासंति ?
गोयमा ! पूर्टी प्रोभासंति, नो अपूटुं प्रोभासंति जाव' नियमा छद्दिसि ।। ३३५. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया किं तीयं खेत्तं उज्जोवेति ?
एवं चेव जाव नियमा छद्दिसि ।। ३३६. एवं तवेंति, एवं भासंति जाव नियमा छद्दिसि ।। ३३७. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरियाणं कि तीए खेत्ते किरिया कज्जइ ? पड़प्पन्ने
खेत्ते किरिया कज्जइ ? अणागए खेत्ते किरिया कज्जइ ? गोयमा ! नो तीए खेते किरिया कज्जइ, पडुप्पन्ने खेत्ते किरिया कज्जइ, नो
अणागए खेत्ते किरिया कज्जइ।। ३३८. सा भंते ! कि पटा कज्जइ ? अपदा कज्जइ?
गोयमा ! पुट्ठा कज्जइ, नो अपुट्ठा कज्जइ जाव' नियमा छद्दिसि ।। ३३६. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे सूरिया केवतियं खेत्तं उड्ढे तवंति ? केवतियं खेत्तं अहे
तवंति ? केवतियं खेतं तिरियं तवंति ? गोयमा ! एगं जोयणसयं उड्ढं तवंति, अट्ठारस जोयणसयाइं अहे तवंति, सीयालीसं जोयणसहस्साइं दोण्णिय तेवढे जोयणसए एक्कवीसं च सद्विभाए
जोयणस्स तिरियं तवंति ।। जोइसियाणं उववत्ति-पदं ३४०. अंतो णं भंते ! माणुसुत्तरपव्वयस्स जे चंदिम-सूरिय-गहगण-णक्खत्त-तारारूवा
ते णं भंते ! देवा कि उड्ढोववन्नगा?
३. भ० ११२५६-२६६ ।
१. सं० पा०-अत्थमण जाव दीसंति। २. भ० ११२५९-२६६ ।
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३७२
जहा जीवाभिगमे तव निरवसेसं जाव' -
३४१. इंदट्ठाणे णं भंते ! केवतियं कालं विरहिए उववाएणं ?
गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छम्मासा ।।
३४२. बहिया णं भंते ! माणुसुत्तरपव्वयस्स जे चंदिम-सूरिय- गहगण णवखत्त-तारारूवा ते णं भंते ! देवा कि उड्ढोववन्नगा ?
जहा जीवाभिगमे जाव' -
३४३. इंदट्ठाणे णं भंते ! केवतियं कालं उववाएणं विरहिए पण्णत्ते ? गोमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं छम्मासा ॥ ३४४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
बध-पदं
३४५. कतिविहे णं भंते ! बंधे पण्णत्ते !
नवमो उद्देसो
गोमा ! दुविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा -पयोगबंधे य, वीससाबंधे य ।।
वीससाबंध-पदं
३४६. वीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
३४७. प्रणादियवीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - सादीयवीससाबंधे य, प्रणादीयवीससाबंधे
य ॥
१. जी० ३ ।
२. जी० ३ ।
भगवई
गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा - धम्मत्थिकायमण्णमण्णश्रणादीयवीस साबंधे, धम्मत्थिकायण मण्णत्रणादीयवीससाबंधे, आगासत्थि कायमण्णमण्णअणावीसाबंधे ||
३४८. धम्मत्थिकायप्रण्णमण्णश्रणादीयवीससाबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ? गोमा ! देसबंधे, नो सव्वबंधे । एवं प्रधम्मत्थिकाय पण मण्णत्रणादीयवीससाबंधे वि, एवं आगासत्थिकायअण्णमण्णणादीयवीससाबंधे वि ।।
३. भ० १।५१ ।
४. अणातीत ° (ता) |
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अट्ठमं सतं (नवमो उद्देसो)
३७३ ३४६. धम्मत्थिकायअण्णमण्णप्रणादीयवीससाबंधे णं भंते ! कालो केवच्चिर होइ ?
गोयमा ! सव्वद्धं । एवं अधम्मत्थिकायअण्णमण्णअणादीयवीससाबंधे वि,
एवं पागासत्थिकायअण्णमण्णप्रणादीयवीससाबंधे वि। ३५०. सादीयवीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णते ?
गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-बंधणपच्चइए, भायणपच्चइए, परिणाम
पच्चइए। ३५१. से कि तं बंधणपच्चइए?
बंधणपच्चइए-जण्णं परमाणुपोग्गलदुप्पदेसिय-तिप्पदेसिय जाव दसपदेसियसंखेज्जपदेसिय-असंखेज्जपदेसिय-अणंतपदेसियाणं खंधाणं वेमायनिद्धयाए, वेमायलुक्खयाए, वेमायनिद्धलुक्खयाए बंधणपच्चएणं' बंधे समुप्पज्जइ,
जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । सेत्तं बंधणपच्चइए॥ ३५२. से कि तं भायणपच्चइए?
भायणपच्चइए-जण्णं जुण्णसुर-जुण्णगुल-जुण्णतंदुलाणं भायणपच्चएणं' बंधे समुप्पज्जइ, जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जं कालं । सेत्तं भायण
पच्चइए॥ ३५३. से कि तं परिणामपच्चइए?
परिणामपच्चइए-जणं अब्भाणं, अब्भरुक्खाणं जहा ततियसए जाव अमोहाणं परिणामपच्चएणं बंधे समुप्पज्जइ, जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं
छम्मासा । सेत्तं परिणामपच्चइए । सेत्तं सादीयवीससाबंधे । सेतं वीससाबंधे । पयोगबंध-पदं ३५४. से किं तं पयोगबंधे ?
पयोगबंधे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणादीए वा अपज्जवसिए, सादीए वा अपज्जवसिए,सादीए वा सपज्जवसिए। तत्थ णं जे से अणादीए अपज्जवसिए से णं अट्ठण्हं जीवमझपएसाणं, तत्थ वि णं तिण्हं-तिण्हं अणादीए अपज्जवसिए,सेसाणं सादीए। तत्थ णं जे से सादीए अपज्जवसिए से णं सिद्धाणं । तत्थ णं जे से सादीए सपज्जवसिए से णं
१. अस्य सूत्रस्यानन्तरं 'ता' प्रतौ एतावानति- २. पच्चइएणं (अ)। रिक्तः पाठोऽस्ति-'धम्मत्थिकायअण्णमण्ण- ३. ° पच्चइएणं (अ, स)। अणादीयवीससाबंधस्स णं भंते ! केवइयं कालं ४. भ० ३१२५३ । अंतरं होइ गो नत्थि अंतरं एवं तिण्हवि सेत्तं ५. ०पच्चइएणं (अ, स)। अणादीयवीससाबंधे।'
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३७४
भगवई
चव्विहे पण्णत्ते, तं जहा - श्रालावणबंधे, अल्लियावणबंधे, सरीरबंधे, सरीरप्पयोगबंधे ||
श्रालावणं पडुच्च
३५५. से किं तं श्रालावणबंधे ?
लावणबंधे जण्णं तणभाराण वा, कट्ठभाराण वा, पत्तभाराण वा, पलालभाराण वा', वेत्तलता वाग वरत्त-रज्जु-वल्लि कुस दब्भमादीएहिं ग्रालावणबंधे समुपज्जइ, जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जं कालं । सेत्तं श्रालावणबंधे ॥
प्रल्लियावणं पडुच्च
३५६. से किं तं प्रल्लियावणबंधे ?
ग्रल्लियावणबंधे चरविहे पण्णत्ते, तं जहा - लेसणाबंधे, उच्चयबंधे, समुच्चयबंधे, साह्णणाबंधे' ।।
३५७. से किं तं लेसणाबंधे ?
लेसणाबंधे – जण्णं कुड्डाणं, कोट्टिमाणं, खंभाणं, पासायाणं, कट्ठाणं, चम्माणं, घडणं, पडणं, कडाणं छुहा- चिक्खल्ल-सिलेस - लक्ख - महुसित्थमाईएहिं लेसणएहिं बंधे समुप्पज्जइ, जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उवकोसेणं संखेज्जं कालं । सेत्तं सणाबंधे ||
३५८. से किं तं उच्चयबंधे ? उच्चयबंधे - जण्णं तणरासीण वा, कट्टरासीण वा, पत्तरासीण वा, तुसरासीण वा, भुसरासीण वा गोमयरासीण वा, अवगररासीण वा, उच्चत्तेणं बंधे समुप्पज्जइ, जहष्णणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जं कालं । सेत्तं उच्चयबंधे ||
३५६. से किं तं समुच्चयबंधे ?
समुच्चय बंधे - जणं अगड- तडाग नदी- दह-वावी - पुवखरिणी दीहियाणं गुंजालियाणं, सराणं, सरपंतियाणं, सरसरपंतियाणं, बिलपंतियाणं देवकुल- सभ-पवथूभ - खाइयाणं, फरिहाणं, पागारट्टालग-चरिय-दार - गोपुर- तोरणाणं, पासायघर-सरण-लेण-ग्रावणाणं, सिंघाडग-तिय-चउवक चच्चर- चउम्मुह - महापहपहमादीणं, छुहा-चिवखल्ल - सिला' - समुच्चएणं बंधे समुप्पजइ, जहण्णेणं तमुत्तं, उवकोसेणं संखेज्जं कालं । सेत्तं समुच्चयबंधे ॥
१. वा वेल्लभाराण वा ( स ) ।
o
२. साहणबंधे (ता); सहणाण ( म, स ) । ३. कुट्टिमा ( क ) ।
४. परिहाणं (क, ब, म) ।
५. चउमुह (क, ता) |
६. सिलेस ( अ, स ) ; सेला (ता) |
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असतं (नवमो उद्देसो)
३६०. से किं तं साहणणाबंधे ?
य ॥
३६१. से किं तं देस साहणणाबंधे ?
साणणाबंधेदुविहे पण्णत्ते, तं जहा देससाहणणाबंधे य, सव्वसाहणणाबंधे
देससाहणणाबंधे – जण्णं सगड - रह जाण - जुग्ग- गिल्लि - थिल्लि - सीय-संदमाणीलोही-लोहकडाह-कडच्छु' -ग्रासण-रायण खंभ- भंडमत्तोवगरणमादीणं देससाहणणाबंधे' समुप्पज्जइ, जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उवकोसेणं संखेज्जं कालं । सेत्तं ससाहणणाबंधे ॥
३६२. से किं तं सव्वसाहणणाबंधे ?
सव्वसाहणणाबंधे - से णं खीरोदगमाईणं । सेत्तं सव्वसाहणणाबंधे । सेत्तं साहणाबंधे । सेत्तं ग्रल्लियावणबंधे ||
सरीरं पडुच्च
३६३. से किं तं सरीरबंधे ?
सरीरबंधे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - पुव्वपयोगपच्चइए' य, पडुप्पन्नपयोगपच्चइए' य ॥
३६४. से किं तं पुव्वपयोगपच्चइए ?
पुव्वपयोगपच्चइए - जण्णं नेरइयाणं संसारत्थाणं सव्वजीवाणं तत्थ तत्थ तेसुतेसु कारणे समोहण्णमाणाणं' जीवप्पदेसाणं' बंधे समुप्पज्जइ । सेत्तं पुव्वपयोगपचइए ||
३६५. से किं तं पडुप्पन्नपयोगपच्चइए ?
पडुप्पन्नपयोगपच्चइए - जण्णं केवलनाणिस्स अणगारस्स केवलिसमुग्धाएणं समोहयस्स ताो समुग्धायाश्रो पडिनियत्तमाणस्स अंतरा मंथे वट्टमाणस्स तेयाकम्माणं बंधे समुपज्जइ । किं कारणं ? ताहे से पएसा एगत्तीगया भवंति । सेत्तं पडुप्पन्नपयोगपच्चइए । सेत्तं सरीरबंधे ॥
१. कडेच्छु (ता, ब, म); कडुच्छया ( भ० ५।१८९) २. देसावणगाएबंधे (ता) ।
३. तुब्वप्पोग (ता) |
४. पच्चुप्पण्ण (ता, ब, म ) ।
५. समोहण (स) ।
६. इह जीवप्रदेशानामित्युक्तावपि शरीरबन्धाधिकारात्तात्स्य्यात्तद्व्यपदेश इति न्यायेन
३७५
o
o
o
जीवप्रदेशाश्रिततैजसकार्मणशरीरप्रदेशानामिति द्रष्टव्यं शरीरिबन्ध इत्यत्र तु पक्षे समुद्घातेन विक्षिप्य सङ्कोचितानामुपसर्जनीकृततैजसादिशरीरप्रदेशानां जीवप्रदेशानामेवेति (वृ) ।
७. शरीरिबन्ध इत्यत्र तु पक्षे तेयाकम्मारणं बंधे समुपज्जइ (वृ ) |
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३७६
सरीरप्पयोगं पडुच्च
३६६. से किं तं सरीरप्पयोगबंधे ?
सरीरप्पयोग बंधे पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा ओरालियस रीरप्पयोगबंधे, वे उब्वियसरीरप्पयोग बंधे, आहारगसरीरप्पयोगबंधे, तेयासरीरप्पयोग बंधे, कम्मासरीरप्पयोगबंधे ॥
ओरालिय सरीरप्पयोगं पडुच्च
३६७. ओरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - एगिदियोरालि यसरी रप्पयोग बंधे, बेइंदियओरालियस रीरप्पयोगबंधे जाव पंचिदियो रालियस रीरप्पयोगबंधे ॥ ३६८. एगिदियोरालियसरी रप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - पुढविक्काइयए गिदियो रालियस रीरप्योगबंधे, एवं एएवं ग्रभिलावेण भेदो जहा प्रोगाहणसंठाणे ओरालियस रीरस्स तहा भाणियव्वो जाव' पज्जत्तागब्भवक्कं तियमणुस्सपंचिदियओरालियसरपयोग बंधे य, अप्पज्जत्तागब्भवक्कंतियमणुस्स पंचिदियोरा लियसरीरपयोग - बंधे य ॥
o
३६६. ओरालियस रीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?
भगवई
गोयमा ! वीरिय-सजोग - सद्दव्वयाए पमादपच्चया कम्मं च जोगं च भवं च आउयं च पडुच्च ओरालियसरी रप्पयोगनामकम्मस्स उदएणं ओरालिय सरीरयोगबंधे ॥
३७०. एगिदियोरालियसरी रप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?
एवं चैव । पुढविक्काइयएगिदियओरालियस री रप्पयोगबंधे एवं चेव, एवं जाव वणस्सइकाइया । एवं बेइंदिया, एवं तेइंदिया, एवं चउरिदिया | ३७१. तिरिखखजोणियपंचिदियश्रो रालिय सरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! करस कम्मस्स
उदए ? एवं चेव |
३७२. मणुस्स पंचिदियश्रो रालियस री रप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा ! वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए पमादपच्चया' कम्मं च जोगं च भवं च° ग्राउयं च पडुच्च मणुस्सपंचिदियो रालियस री रप्पयोगनामकम्मरस उदणं मणुस्सपंचिदियोरालिय सरीरप्पयोगबंधे ॥
३७३. ओरालियस रीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ?
१. प० २१ ।
२. सं० पा० - ० मरगुस्स जाव बंधे ।
३. सं० पा० - पमादपच्चया जाव आउयं ।
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३७७
अट्ठमं सतं (नवमो उद्देसो)
गोयमा ! देसबंधे वि, सव्वबंधे वि ॥ ३७४. एगिदियोरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ?
एवं चेव । एवं पुढविक्काइया एवं जाव३७५. मणुस्सपंचिदियोरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ?
गोयमा ! देसबंधे वि, सव्वबंधे वि ॥ ३७६. पोरालियसरीरप्पयोगबंध णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं
तिण्णि पलिग्रोवमाइं समयूणाई॥ ३७७. एगिदियोरालियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं
बावीसं वाससहस्साई समयूणाई ।। ३७८. पुढविक्काइयएगिदियपुच्छा।।
गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं समयूणाई। एवं सव्वेसिं सव्वबंधो एक्कं समयं, देसबंधो जेसि नत्थि वेउव्वियसरीरं तेसिं जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं जा सा ठिती सा समयूणा कायव्वा, जेसि पुण अत्थि वेउव्वियसरीरं तेसि देसबंधो जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं जा जस्स ठिती सा समयूणा कायव्वा जाव मणुस्साणं देसबंधे जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं
तिण्णि पलिओवमाइं समयूणाई। ३७६. पोरालियसरीरबंधतरं णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! सव्वबंधतरं जहण्णणं खुडागं भवग्गहणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं पुव्वकोडिसमयाहियाई । देसबंधंतरं जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्को
सेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं तिसमयाहियाइं । ३८०. एगिदियोरालियपुच्छा।
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई समयाहियाई। देसबंधंतरं जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं
अंतोमुहत्तं ॥ ३८१. पुढविक्काइयएगिदियपुच्छा।
सव्वबंधंतरं जहेव एगिदियरस तहेव भाणियव्वं । देसबंधतरं जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तिण्णि समया। जहा पुढविक्काइयाणं एवं जाव चरिदियाणं वाउक्काइयवज्जाणं, नवरं-सव्वबंधतरं उक्कोसेणं जा जस्स ठिती सा समया
१. समयऊणाई (क)।
२. खुड्डाग (क) प्रायः सर्वत्र ।
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३७८
भगवई
हिया कायव्वा । वाउक्काइयाणं सव्वबंधंतरं जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयूणं, उवकोसेणं तिपिण वाससहस्साइं समयाहियाई। देसबंधंतरं जहण्णेणं
एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ॥ ३८२. पंचिदियतिरिक्खजोणियोरालियपुच्छा।
सव्वबंधंतरं जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गहणं तिसमयूणं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी समयाहिया । देसबंधतरं जहा एगिदियाणं तहा पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं, एवं
मणुस्साण वि निरवसेसं भाणियव्वं जाव उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। ३८३. जीवस्स णं भंते ! एगिदियत्ते, नोएगिदियत्ते, पुणरवि एगिदियत्ते एगिदिय
ओरालियसरीरप्पयोगबंधंतरं कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहणणेणं दो खुड्डाइं भवग्गहणाई तिसमयूणाई, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साई संखेज्जवासमब्भहियाइं । देसबंधंतरं जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं, उक्कोसेणं दो सागरोवमसहस्साइं संखेज्जवास
मब्भहियाइं॥ ३८४. जीवस्स णं भंते ! पुढविक्काइयत्ते, नोपुढविक्काइयत्ते, पुणरवि पुढविक्काइयत्ते
पुढविक्काइयएगिदियोरालियसरीरप्पयोगबंधंतरं कालओ केवच्चिरं होइ ? गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहण्णेणं दो खुड्डाइं भवग्गहणाइं तिसमयूणाई', उक्कोसेणं अणंतं कालं-अणंतानो ओसप्पिणीओ उस्सप्पिणीयो कालो, खेत्तओ अणंता लोगा-- असंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, ते णं पोग्गलपरियट्टा आवलियाए असंखेज्जइभागो। देसबंधंतरं जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं, उक्कोसेणं अणतं कालं जाव प्रावलियाए असंखेज्जइभागो। जहा पुढविक्काइयाणं एवं वणस्सइकाइयवज्जाणं जाव मणुस्साणं । वणस्सइकाइयाणं दोण्णि खुड्डाइं एवं चेव, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं- असंखेज्जारो अोसप्पिणीओ उस्सप्पिणीओ
कालो, खेत्तो असंखेज्जा लोगा, एवं देसबंधंतरं पि उक्कोसेणं पुढविकालो। ३८५. एएसि णं भंते ! जीवाणं पोरालियसरीरस्स देसबंधगाणं, सव्वबंधगाणं, प्रबंध
गाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा ओरालियसरीरस्स सव्वबंधगा, अबंधगा विसेसाहिया, देसबंधगा असंखेज्जगुणा ।।
१. एवं चेव (अ, क, ता, ब, म); तिसमयूणाई
एवं चेव (स); अत्र द्वयोमिश्रणं जातम् । 'एवं चेव' त्ति करणात् 'तिसमयूणाई' ति
दृश्यम् । २. तरुकालो वरण ° (ता)। ३. सं० पा०--कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
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असतं ( नवम उद्देसो)
वेव्वियसरी रपयोगं पडुच्च
३८६. वेउव्यसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- एगिंदियवे उब्वियसरी रप्पयोगबंधे य पंचेंदिवे उव्वियसरी रपयोगबंधे य ॥
३८७. जइ एगिंदियवे उब्वियसरी रप्पयोग बंधे किं वाउक्काइयएगिदियसरी रप्पयोगबंधे ? वाक्काइए गिदियसरी रप्पयोग बंधे ?
एवं एएवं अभिलावेणं जहा प्रोगाहणसंठाणे वेउव्वियसरी रभेदो तहा भाणियव्वो जाव' पज्जत्ता सव्वट्टसिद्धअणुत्त रोववाइयकप्पातीयवेमाणियदेवपंचिदियवे उब्वियसरपयोग बंधे य, अपज्जत्तासव्वट्टसिद्ध' प्रणुत्तरोववाइयकप्पातीयवेमायि देव चिदिवे उव्वियसरीरप्पयोगबंधे य ॥
३८८. वेउव्वियसरी रख्पयोगबंधे णं भंते! कस्स कम्मस्स उदएणं ?
गोमा ! वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए' 'पमादपच्चया कम्मं च जोगं च भवं च ० प्रायं चद्धि वा" पडुच्च वेउध्वियसरी रप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं वे उव्वियसरी रप्पयोगबंधे ॥
३८६. वाउक्काइयएगिदियवे उब्वियसरी रप्पयोगपुच्छा ।
गोयमा ! वीरिय-सजोग - सद्दव्वयाए एवं चेव जाव लद्धि पडुच्च वाउक्काइयएगिंदि वे उब्विय सरीरप्पयोग बंधे ||
३६०. रयणप्पभापुढविने रइयपंचिदियवे उब्वियसरी रप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स
३७६
कम्मस्स उदएणं ?
गोयमा ! वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए जाव आउयं वा पडुच्च रयणप्पभापुढविरइयपंचिदिवे उब्वियसरी रप्पयोग बंधे, एवं जाव अहेसत्तमाए ॥ ३१. तिरिक्खजोणिय पंचिदियवे उब्वियसरी रपुच्छा ।
गोयमा ! वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए जहा वाउक्काइयाणं । मणुस्सपंचिदियवे उब्वियसरी रप्पयोग बंधे एवं चेव । असुरकुमारभवणवासि देवपंचिदियवे उव्वियसरीरप्पयोगबंधे जहा रयणप्पभापुढविनेरइयाणं । एवं जाव थणियकुमारा । एवं वाणमंतरा । एवं जोइसिया । एवं सोहम्मकप्पोवया वेमाणिया । एवं जाव अच्चुयगेवेज्जकप्पातीया वेमाणिया । प्रणुत्तरोववाइयकप्पातीया माया एवं चेव |
१. ० २१ ।
२. सं० पा०० सिद्ध जाव पयौगबंधे ।
३. सं० पा० - सद्दव्वयाए जाव आउयं ।
४. वा लद्धिं (अ); वा लद्धिं वा (क, ता, ब,
म,स) 1
५. सं० पा० - ० वे उब्विय जाव बंधे । ६. सं० पा० - ० पुढवि जाव बंधे । ७. ० कप्पोवा (ता) |
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३८०
३६२. वेउव्वियसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ? गोमा ! देसबंधे वि, सव्वबंधे वि ।
वा उक्काइए गिंदियवे उब्वियसरी रप्पयोगबंधे वि एवं चेव । रयणप्पभापुढविनेरइया एवं चेव । एवं जाव अणुत्तरोववाइया ॥
३६३. वेउव्वियसरी रप्पयोगबंधे णं भंते । कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! सव्वबंधे जहणणेणं एक्कं समयं, उनकोसेणं दो समया । देसबंधे जहणेणं एक्कं समयं, उवकोसेणं तेत्तीस सागरोवमाई समयूणाई || ३६४. वाउक्काइयएगिंदियवे उब्वियपुच्छा |
गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं देसबंधे जहणणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तं ॥
३६५. रयणप्पभापुढविने रइयपुच्छा ।
गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं देसबंधे जहणेणं दसवास सहस्साई तिसमयूणाई, उक्कोसेणं सागरोवमं समयूणं । एवं जाव हे सत्तमा, नवरं देसबंधे जस्स जा जहण्णिया ठिती सा तिसमयूणा कायव्वा जाव उक्कोसिया सासमणा । पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साण य जहा वाउक्काइयाणं, असुरकुमार नागकुमार जाव ग्रणुत्तरोववाइयाणं जहा नेरइयाणं, नवरं - जस्स जाठिती सा भाणियव्वा जाव प्रणुत्तरोववाइयाणं सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहणेणं एक्कतीसं सागरोवमाई तिसमयूणाई', उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमा समयूणाई ||
३६६. वे उव्वियसरी रप्पयोगबंधंतरं णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ?
भगवई
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं प्रणतं कालं - प्रणतामो
सप्पिणी उस्सप्पिणी कालग्रो, खेत्तश्रो प्रणता लोगा - प्रसंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, ते णं पोग्गलपरियट्टा ग्रावलियाए असंखेज्जइभागो । एवं सबंधंतरं पि ॥
३६७. वाउक्काइयवे उव्वियसरी रपुच्छा ।
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पलिप्रोवमस्स असंखेज्जइभागं । एवं देसबंधंतरं पि ॥
३६८. तिरिखखजोणियपंचिदिय वे उव्वियसरी रप्पयोग बंधंतरं - पुच्छा ।
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहणणेणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडीपुहत्तं । एवं देसबंधंतरं पि । एवं मणूसस्स वि
॥
१. तिसमऊरणाई (क, ता, ब) ।
२. सं० पा० --- अगंताओ जाव आवलियाए ।
३. मरणुयस्स ( क म ) ; मगुस्सा (ता, ब ) ।
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असतं ( नवमो उद्देसो)
३८१
३६६. जीवस्स णं भंते ! वाउक्काइयत्ते, नोवाउकाइयत्ते, पुणरवि वाउकाइयत्ते वाउक्काइएगिदियवे उव्वियपुच्छा ।
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अनंतं कालं – वणस्सइकालो | एवं सबंधंतरं पि ॥
४००. जीवस्स णं भंते ! रयणप्पभापुढविनेरइयत्ते, नोरयणप्पभापुढविने रइयत्ते, पुणरवि रयणप्पभापुढविनेरइयत्ते - पुच्छा |
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहणणेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमम्भहियाई, उक्कोसेणं वणस्सइकालो । देसबंधंतरं जहणणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं प्रणतं कालं - वणस्सइकालो | एवं जाव असत्तमाए, नवरं - जा जस्स ठिती जहणिया सा सव्वबंधंतरं जहणेणं तोमुहुत्तमम्भहिया कायव्वा, सेसं तं चेव । पंचिदियतिरिक्खजोणिय मणुस्साण य जहा वाउक्काइयाणं । असुरकुमार - नागकुमार जाव सहस्सा रदेवाणं - एएसि जहा रयणप्पभापुढविनेरइयाणं, नवरं सव्वबंधंतरं जस्स जा ठिती जहणिया सा अंतोमुहुत्तमब्भहिया कायव्वा, सेसं तं चैव ॥
४०१. जीवस्स णं भंते ! श्राणयदेवत्ते, नोश्राणयदेवत्ते, पुणरवि प्राणयदेवत्ते पुच्छा । गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहणणं अट्ठारस सागरोवमाई वासपुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं प्रणतं कालं वणस्सइकालो । देसबंधंतरं जहणेणं वासपुहत्तं, उक्कोसेणं प्रणतं कालं - वणस्सइकालो | एवं जाव ग्रच्चुए, नवरं - जस्स जा ठिती सा सव्वबंधंतरं जहण्णेणं वासपुहत्तमब्भहिया कायव्वा, सेसं तं चेव ।। ४०२. गेवेज्जाकप्पातीतापुच्छा ।
--
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहणणेणं बावीसं सागरोवमाई वासपुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अनंतं कालं - वणस्सइकालो । देसबंधंतरं जहणेणं वासपुहत्तं, उक्कोसेणं वणस्सइकालो ||
४०३. जीवस्स णं भंते ! अणुत्तरोववाइयपुच्छा ।
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहण्णेणं एक्कतीसं सागरोवमाई वासपुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं संखेज्जाई सागरोवमाई । देसबंधंतरं जहणणेणं वासपुहत्तं, उक्कोसेणं संखेज्जाई सागरोवमाई ॥
४०४. एएसि णं भंते! जीवाणं वेउब्वियसरीरस्स देसबंधगाणं, सव्वबंधगाणं, अबंधगाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा !
सव्वत्थोवा जीवा वेउव्वियसरीरस्स सव्वबंधगा, देसबंधगा असंखेज्जगुणा, अबंधगा प्रणतगुणा ।
२. सं० पा० - करेहिंतो जाव विसेसाहिया ।
१. आरया ( अ ) ।
०
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३८२
भगवई
पाहारगसरीरप्पयोगं पडुच्च - ४०५. पाहारगसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! एगागारे पण्णत्ते ॥ ४०६. जइ एगागारे पण्णत्ते कि मणुस्साहारगसरीरप्पयोगबंधे ? अमणुस्साहारग
सरीरप्पयोगबंधे ? गोयमा ! मणुस्साहारगसरीरप्पयोगबंधे, नो अमणुस्साहारगसरीप्पयोगबंधे। एवं एएणं अभिलावेणं जहा प्रोगाहणसंठाणे जाव' इड्ढिपत्तपमत्तसंजयसम्मदिदिपज्जत्तसंखेज्जवासाउयकम्मभूमागब्भवक्कंतियमणुस्साहारगसरीरप्पयोगबंधे, नो अणिढिपत्तपमत्त संजयसम्मदिट्ठिपज्जत्तसंखेज्जवासाउयकम्मभूमा
गब्भवक्कंतियमणुस्सा हारगसरीरप्पयोगबंधे ॥ ४०७. आहारगसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मरस उदएणं?
गोयमा ! वीरिय-सजोग-सव्वयाए' •पमादपच्चया कम्मं च जोगं च भवं च आउयं च° लद्धि वा पडुच्च' आहारगसरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं पाहारगसरीरप्पयोगबंधे ।। पाहारगसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कि देसबंधे ? सव्वबंधे ? गोयमा ! देसबंधे वि, सव्वबंधे वि ।। आहारगसरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालो केवच्चिर होइ? गोयमा ! सव्वबंधे एक्कं समयं, देसबंधे जहण्णणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेण वि
अंतोमुत्तं ॥ ४१०. पाहारगसरीरप्पयोगबंधंतरं" णं भंते ! कालो केवच्चिर होइ?
गोयमा ! सव्वबंधंतरं जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं-अणंतानो प्रोसप्पिणीयो उस्सप्पिणीअो कालो, खेत्तनो अणंता लोगा---प्रवड्ढपोग्गल
परियट्टं देसूणं । एवं देसबंधतरं पि॥ ४११. एएसि णं भंते ! जीवाणं आहारगसरोरस्स देसबंधगाणं, सव्वबंधगाणं, अबंध
गाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ° विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा पाहारगसरीरस्स सव्वबंधगा, देसबंधगा संखेज्जगुणा, प्रबंधगा अणंतगुणा ।।
४०६.
१. प० २१ । २. सं० पा०-०पमत्त जाव आहारग° । ३. सं० पा०-सद्दव्वयाए जाव लद्धि ।
४. पडुच्चा (ता, ब)। ५. °बंधंतरे (अ, क, स)। ६. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
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अट्ठमं सतं (नवमो उद्देसो)
३८३ तेयासरीरप्पयोगं पडुच्च४१२ तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-एगिदियतेयासरीरप्पयोगबंधे, बेइंदिय
तेयासरीरप्पयोगबंधे जाव पंचिंदियतेयासरीरप्पयोगबंधे ॥ ४१३. एगिदियतेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
एवं एएणं अभिलावेणं भेदो जहा प्रोगाहणसंठाणे जाव' पज्जत्तासव्वट्टसिद्धअणुत्तरोववाइयकप्पातीतवेमाणियदेवपंचिदियतेयासरीरप्पयोगबंधे य, अपज्जत्तासव्वट्ठसिद्ध अणुत्तरोववाइय' कप्पातीतवेमाणियदेवपंचिदियतेयासरीरप्पयोग° -
बंधे य ।। ४१४. तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?
गोयमा ! वीरिय-सजोग-सद्दव्वयाए' •पमादपच्चया कम्मं च जोगं च भवं च° पाउयं वा पडुच्च तेयासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं तेयासरीरप्प
योगबंधे ॥ ४१५. तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! किं देसबंधे ? सव्वबंधे ?
गोयमा ! देसबंधे, नो सव्वबंधे ॥ ४१६. तेयासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणादीए' वा अपज्जवसिए, अणादीए वा
सपज्जवसिए॥ ४१७. तेयासरीरप्पयोगबंधतरं णं भंते ! कालमो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा! अणादीयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, अणादीयस्स सपज्जव
सियस्स नत्थि अंतरं ।। ४१८. एएसि णं भंते ! जीवाणं तेयासरोरस्स देसबंधगाणं, अबंधगाण य कयरे कयरे
हितो अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? ° विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा तेयासरीरस्स अबंधगा, देसबंधगा अणंतगुणा ।।
कम्मासरीरप्पयोगं पडुच्च४१६. कम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! अढविहे पण्णत्ते, तं जहा-नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे जाव अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगबंधे ॥
१. प० २१ । २. सं० पा०-वाइय जाव बंधे। ३. सं० पा०-सहव्वयाए जाव आउयं ।
४. च (ता, ब, म)। ५. अणादिए (ता)। ६. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया ।
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३८४
भगवई
४२०. नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं?
गोयमा ! नाणपडिणीययाए, नाणणिण्हवणयाए, नाणंतराएणं, नाणप्पदोसेणं, नाणच्चासातणयाए', नाणविसंवादणाजोगेणं नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगनामाए' कम्मस्स उदएणं नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे ॥ दरिसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? गोयमा ! दंसणपडिणीययाए, 'दंसणिण्हवणयाए, दसणंतराएणं, दंसणप्पदोसेणं, दसणच्चासातणयाए°, दंसणविसंवादणाजोगेणं दंसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं दरिसणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोग
बंधे ॥ ४२२. सायावेयणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?
गोयमा ! पाणाणुकंपयाए, भूयाणुकंपयाए, • जीवाणुकंपयाए, सत्ताणुकंपयाए, बहूणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं अदुक्खणयाए असोयणयाए अजूरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए° अपरियावणयाए सायावेयणिज्जकम्मासरीरप्प
योगनामाए कम्मस्स उदएणं सायावेयणिज्जकम्मा सरीरप्पयोग बंधे ।। ४२३. असायावेयणिज्ज' कम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं° ?
गोयमा ! परदुक्खणयाए, परसोयणयाए, 'परजूरणयाए, परतिप्पणयाए, परपिट्टणयाए, परपरियावणयाए, बहूर्ण पाणाणं भूयाण जीवाणं सत्ताणं दुक्खणयाए सोयणयाए जूरणयाए तिप्पणयाए पिट्टणयाए° परियावणयाए असायावेयणिज्जकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं असायावेयणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे। मोहणिज्जकम्मासरीर"पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं° ? गोयमा ! तिव्वकोहयाए, तिव्वमाणयाए, तिव्वमाययाए तिव्वलोभयाए, तिव्वदंसणमोहणिज्जयाए, तिव्वचरित्तमोहणिज्जयाए मोहणिज्जकम्मासरीर". •प्पयोगनामाए कम्मस उदएणं मोहणिज्जकम्मासरीर °प्पयोगबंधे ।।
४२४.
१. सादरणाए (अ); सादणताए (क, ब, म); ६. सं० पा०-कम्मा जाव बंधे। सातणाताए (ता)।
७. सं० पा०-पुच्छा। २. नाणावरणिज्जं° (अ, स)।
८. सं० पा०-जहा सत्तमसए दुस्समाउद्देसए ३. सं० पा०-एवं जहा नाणवरणिज्ज, नवरं- जाव परिया° । दसणनामं घेतव्वं जाव दंसण ।
8. सं० पा०-कम्सा जाव पयोग ० । ४. सं० पा०-उदएणं जाव पयोग ° । १०. सं० पा०-पुच्छा। ५. सं० पा०--एवं जहा सत्तमसए दुस्सम उद्देसए ११. सं० पा०-० सरीर जाव पयोग ० ।
जाव अपरिया ।
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अट्ठ मं सतं (नवमो उद्देसो)
३८५ ४२५. नेरइयाउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं? .
गोयमा ! महारंभयाए, महापरिग्गहयाए, 'पंचिंदियवहेणं, कुणिमाहारेणं' नेरइयाउयकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं नेरइयाउयकम्मासरीर
प्पयोगबंधे ॥ ४२६. तिरिक्खजोणियाउयकम्मासरोर पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स
उदएणं? गोयमा ! माइल्लयाए, नियडिल्लयाए, अलियवयणेणं, कूडतुल-कूडमाणेणं तिरिक्खजोणियाउयकम्मा सरोरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं तिरिक्खजो
णियाउयकम्मासरीरप्पयोगवंधे ॥ ४२७. मणुस्साउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? ०
गोयमा ! पगइभद्दयाए, पगइविणीययाए, साणुक्कोसयाए", अमच्छरियाए मणुस्साउयकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं मणुस्साउयकम्मासरीर
० प्पयोगबंधे ॥ ४२८. देवाउयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? .
गोयमा ! सरागसंजमेणं, संजमासंजमेणं, बालतवोकम्मेणं", अकामनिज्जराए देवाउयकम्मा सरोरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं देवाउयकम्मासरीर °.
प्पयोगबंधे ॥ ४२६. सुभनामकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? ०
गोयमा ! काउज्जुययाए", 'भावुज्जुययाए, भासुज्जुययाए', अविसंवादणाजोगेणं सुभनामकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं सुभनामकम्मासरीर
प्पयोगबंधे ॥ ४३०. असुभनामकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ?
गोयमा ! कायअणुज्जुययाए, भावअणुज्जुययाए, 'भासअणुज्जुययाए विसंवाद
१. सं० पा०-पुच्छा।
६. सं० पा०-पुच्छा । २. कुणिमाहारेणं, पंचिदियवहेणं (क, ब, म)। १०. बालतवेणं (ब) । ३. सं० पा०-पुच्छा ।
११. सं० पा०-० कम्मा जाव पयोग । ४. ० तोल (अ); ° तुल्ल (स)।
१२. सं० पा०-पुच्छा। ५. सं० पा०-°कम्मा जाव पयोग ° । १३. कायजययाए (अ); कायउज्जययाए (स) । ६. सं० पा०—पुच्छा।
१४. भासुज्जुययाए भावुज्जययाए (ता)। ७. साणुक्कोसियाए (अ); साणुक्कोसणयाए(क) १५. सं० पा०- ° कम्मा जाव पयोग ° । ८. सं० पा०-पुच्छा।
१६. सं० पा०-पुच्छा।
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मन ।
भगवई णाजोगेणं असुभनामकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं असुभनाम
कम्मासरीरप्पयोगबंधे ॥ ४३१. उच्चागोयकम्मासरीर पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? ०
गोयमा ! जातिअमदेणं, कुलअमदेणं, बलअमदेणं, रूवअमदेणं, तवअमदेणं, 'सुयग्रमदेणं, लाभअमदेणं', इस्सरियामदेणं' उच्चागोयकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं उच्चागोयकम्मासरीरप्पयोगबंधे ।। नीयागोयकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं? . गोयमा ! जातिमदेणं, कुलमदेणं, बलमदेणं', 'रूवमदेणं, तवमदेणं. सुयमदेणं, लाभमदेणं, इस्सरियमदेणं' नीयागोयकम्मा सरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स
उदएणं नीयागोयकम्मासरीर °प्पयोगबंधे ॥ ४३३. अंतराइयकम्मासरीरपयोगबंधे णं भंते ! कस्स कम्मस्स उदएणं ? ०
गोयमा ! दाणंतराएणं, लाभंतराएणं, भोगंतराएणं, उवभोगंतराएणं, वीरियंतराएणं, अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगनामाए कम्मस्स उदएणं अंतराइयकम्मासरीरप्पयोगबंधे ॥
४३२.
पयोगबंधस्स देसबंध-सव्वबंध-पदं
४३४. नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! किं देसबंधे ? सव्वबंधे ?
गोयमा ! देसबंधे, नो सव्वबंधे । एवं जाव अंतराइयं ।। ४३५. नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधे णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणादीए वा अपज्जवसिए, अणादीए वा
सपज्जवसिए । एवं जाव अंतराइयस्स ॥ ४३६. नाणावरणिज्जकम्मासरीरप्पयोगबंधंतरं णं भंते ! कालो केवच्चिरं होड?
गोयमा ! अणादीयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, अणादीयस्स सपज्ज
वसियस्स नत्थि अंतरं । एवं जाव अंतराइयस्स ।। ४३७. एएसि णं भंते ! जीवाणं नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स देसबंधगाणं, अबंधगाण
१. वायअणुज्जुययाए भावअणुज्जुयाए (ता)। २. सं० पा० ० कम्मा जाव पयोग । ३. सं० पा०-पुच्छा। ४. लाभअमदेणं, सुयअमदेणं (अ)। ५. दिस्सरिय° (म)। ६. सं० पा०-०कम्मा जाव पयोग । ७. सं० पा०-पुच्छा। ८. सं० पा०-बलमदेरण जाव इस्सरिय छ ।
६. तिस्सरिय ° (म)। १०. सं० पा०--°कम्मा जाव पयोग । ११. सं० पा०-पुच्छा । १२. सं० पा०-एवं जहा तेयगस्स संचिणा
तहेव । १३. सं० पा०--एवं जहा तेयगसरीरस्स अंतरं
तहेव ।
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असतं (नवम उद्देसो)
३८७
य करे करेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा जीवा नाणावर णिज्जस्स कम्मस्स प्रबंधगा देसबंधगा,
०
अतगुणा । एवं प्राउयवज्जं जाव अंतराइयस्स ॥
४३८. प्राउयस्स पुच्छा ।
गोमा ! सव्वत्थोवा जीवा प्राउयस्स कम्मस्स देसबंधगा, प्रबंधगा संखेज्जगुणा ॥ ४३६. जस्स णं भते ! ओरालियसरीरस्स सव्वबंधे, से णं भंते ! वेउव्वियसरी रस्स कि बंध ? प्रबंध ?
गोमा ! नो बंध, प्रबंधए ॥ आहारगसरीरस्स' किं बंधए ? प्रबंधए ? गोयमा ! नो बंधए, प्रबंधए ॥ यासरीरस्स किं बंधए ? प्रबंधए ? गोमा ! बंधए, नो प्रबंधए । ts बंध किं सबंधए ? सव्वबंधए ? गोयमा ! देसबंधए, नो सव्वबंधए । कम्मासरीरस्स किं बंधए ? प्रबंधए ? • गोयमा ! बंधए, नो बंध | to बंध किं देसबंधए ? सव्वबंधए ? गोयमा ! • देसबंधए, नो सव्वबंध ||
४४०. जस्स णं भंते ! प्रोरालियसरीरस्स देसबंधे, से णं भंते ! वेउव्वियसरीरस्स किं
बंध ? प्रबंध ?
गोमा ! नो बंधए, प्रबंधए । एवं जहेव सव्वबंधेगं भणियं तहेव देसबंधेण वि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स ॥
४४१. जस्स णं भंते ! वेउव्वियसरीरस्स सव्वबंधे, से णं भंते ओरालियस रस्स
कि बंध ? प्रबंध ?
गोमा ! नो बंध, प्रबंधए । आहारगसरीरस्स एवं चेव । तेयगस्स कम्मगस्स य जहेव ओरालिएणं समं भणियं तहेवं भाणियव्वं जाव देसबंधए, नो सव्वबंध |
४४२. जस्स णं भंते ! वेउव्वियसरीरस्स देसबंधे, से णं भंते! ओरालियस रस्स कि बंध ? प्रबंधए ?
१. सं० पा० - करय रेहिंतो जाव अप्पाबहुगं जहा तेयगस्स ।
२. आहारासरीरस्स (ता, ब ) ।
३. सं० पा० - जहेव तेयगस्स जाव देसबंधए । ४. भ० ८।४३६ ।
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भगवई
गोमा ! नो बंधए, प्रबंधए । एवं जहेव सव्वबंधेणं भणियं तहेव देसबंधेण वि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स ॥
४४३. जस्स णं भंते ! श्राहारगसरीरस्स सव्वबंधे, से णं भंते ! प्रोरालियस रस्स कि बंध ? प्रबंध ?
३८८
गोमा ! नो बंध, प्रबंधए । एवं वेउव्वियस्स वि । तेया- कम्माणं जव ओरालिएणं समं भणियं तहेव भाणियव्वं ॥
४४४. जस्स णं भंते ! आहारगसरीरस्स देसबंधे से णं भंते ! ओरालि यसरीरस्स किं बंध ? प्रबंध ?
गोमा ! नो बंध, बंधए। एवं जहा आहारगस्स सव्वबंधेणं भणियं तहा देसबंधेण वि भाणियव्वं जाव कम्मगस्स ||
४४५. जस्स णं भंते ! तेयासरीरस्स देसबंधे, से णं भंते ! ओरालियसरीरस्स किं
बंध ? प्रबंध ?
गोयमा ! बंध वा, प्रबंधए वा । इ बंध किं देसबंधए ? सव्वबंधए ? गोमा ! सबंध वा, सव्वबंधए वा ? वेव्वियसरीस्स किं बंधए ? प्रबंधए ? एवं चैव । एवं प्राहारगस्स' वि । कम्म सरीरस्स कि बंधए ? प्रबंधए ? गोयमा ! बंधए, नो प्रबंधए । जइ बंध किं देसबंधए ? सव्वबंधए ?
गोयमा ! देसबंध, नो सव्वबंधए ||
४४६. जस्स णं भंते ! कम्मासरीरस्स देसबंधे से णं भंते! ओरालियसरीरस्स किं
बंध ? प्रबंध ?
गोमा ! नो बंधए, अबंधए । जहा तेयगस्स वत्तव्वया भणिया तहा कम्मगस्स
वि भाणियव्वा जाव — तेयासरीरस्स' किं बंधए ? प्रबंधए ? गोयमा ! बंधए, नो प्रबंधए ।
ts बंध किं देसबंधए ? सव्वबंधए ?
गोमा ! • सबंधए, नो सव्वबंधए ।।
७
४४७. एएसि णं भंते! जीवाणं' ओरालिय- वे उव्विय श्राहारग- तेयाक म्मासरीरगाणं
१. भ० ८४३६|
२. आहारगसरीरस्स (अ, स ) ।
३. सं० पा० - तेयासरीरस्स जाव देसबंधए ।
४. सव्वजीवाणं ( अ, स ) ।
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अट्ठ मं सतं (दसमो उद्देसो)
३८६
देसवंधगाणं, सव्वबंधगाणं, अबंधगाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! १. सव्वत्थोवा जीवा आहारगसरीरस्स सव्वबंधगा २. तस्स चेव देसबंधगा संखेज्जगुणा ३. वेउव्वियसरी रस्स सव्वबंधगा असंखेज्जगुणा ४. तस्स चेव देसवंधगा असंखेज्जगुणा ५. तेया-कम्मगाणं' अबंधगा अणंतगुणा ६. पोरालियसरी रस्स सव्वबंधगा अणंतगुणा ७. तस्स चेव प्रबंधगा विसेसाहिया ८. तस्स चेव देसबंधगा असंखेज्जगुणा ६. तेया-कम्मगाणं देसबंधगा विसेसाहिया १०. वेउव्वियसरी रस्स अबंधगा विसेसाहिया ११. पाहारगसरीरस्स
अबंधगा विसेसाहिया ॥ ४४८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।।
दसमो उद्देसो सुय-सील-पद ४४६. रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी-अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव'
एवं परूवंति-एवं खलु १. सील सेयं २. सुयं सेयं ३. 'सुयं सील सेयं ।। ४५०. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव' जे ते एवमाहंसु, मिच्छा ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमिएवं खलु मए चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं जहा–१. सीलसंपन्ने नामं एगे नो सुयसंपन्ने २. सुयसंपन्ने नामं एगे नो सीलसंपन्ने ३. एगे सीलसंपन्ने वि सुयसंपन्ने वि ४. एगे नो सीलसंपन्ने नो सुयसंपन्ने । तत्थ णं जे से पढमे पुरिसजाए से णं पुरिसे सीलवं असुयवं-उवरए, अविण्णायधम्मे । एस णं गोयमा ! मए पुरिसे देसाराहए पण्णत्ते ।
१. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २. गाणं दोण्ह वि तुल्ला (अ, ता, स)। ३. भ० ११५१ । ४. भ० ११४-१०।
५. भ० ११४२० । ६. सुयं सेयं सील सेयं (क, ता, ब, स, वृ)। ७. भ० ८।४४६ । ८. भ० ११४२१ ।
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३६०
भगवई
तत्थ णं जे से दोच्चे पुरिसजाए से णं पुरिसे असीलवं सुयवं - प्रणुवरए, विणाम्मे । एस णं गोयमा ! मए पुरिसे देसविराहए पण्णत्ते ।
तत्थ णं जे से तच्चे पुरिसजाए से णं पुरिसे सीलवं सुयवं-उवरए, विष्णाय - धम् । स णं गोयमा ! मए पुरिसे सव्वाराहए पण्णत्ते ।
तत्थ णं जेसे चथे पुरिसजाए से गं पुरिसे असीलवं प्रसुयवं प्रणुवरए, अविण्णायधम्मे । एस णं गोयमा ! मए पुरिसे सव्वविराहए पण्णत्ते ।
श्राराहरणा-पदं
४५१. कतिविहा णं भंते ! आराहणा पण्णत्ता ? गोमा ! तिविहा चरिता राहणा ||
४५२. नाणाराहणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - उक्कोसिया, मज्झिमा, जहण्णा || ४५३. दंसणा राहणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
• गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - उक्कोसिया, मज्झिमा, जहण्णा || ४५४. चरिताराहणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता !
राहणा पण्णत्ता, तं जहा - नाणाराहणा, दंसणा राहणा,
गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा -उक्कोसिया, मज्झिमा, जहण्णा ॥ ° ४५५. जस्स णं भंते ! उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स उक्कोसिया दंसणा राहणा ? जस्स उक्कोसिया दंसणा राहणा तस्स उक्कोसिया नाणाराहणा ?
गोयमा ! 'जस्स उक्कोसिया" नाणाराहणा तस्स दंसणाराहणा उक्कोसा वा जहणुवकोसा वा । जस्स पुण उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स नाणाराहणा उक्कोसा वा, जहण्णा वा, प्रजहण्णमणुक्कोसा वा ॥
४५६. जस्स णं भंते ! उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स उक्कोसिया चरिताराहणा ? जस्स उक्कोसिया चरिताराहणा तस्स उक्कोसिया नाणाराहणा ?
• गोयमा ! जस्स उक्कोसिया नाणाराहणा तस्स चरिताराहणा उक्कोसा वा हक्कोसा वा । जस्स पुण उक्कोसिया चरिताराहणा तस्स नाणाराहणा सावा, जण्णा वा, प्रजहण्णमणुक्कोसा वा° ॥
४५७. जस्स णं भंते ! उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स उक्कोसिया चरिताराहणा ? जस्स उक्कोसिया चरिताराहणा तस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा ?
१. सं० पा० -- एवं चेव तिविहा वि एवं चरिताराहरणा वि ।
२. जस्सुक्कोसिया ( अ, ता, ब ) ।
३. सं० पा० - जहा उक्कोसिया नारणाराहणा य दंसणाराहणा य भारिणया तहा उक्कोसिया नाणाराहरणाय चरिताराहरणाय भाणियव्वा ।
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अट्ठमं सतं (दसमो उद्देसो)
३६१ गोयमा ! जस्स उक्कोसिया दंसणाराहणा तस्स चरित्ताराहणा उवकोसा वा, जहण्णा वा, अजहण्णमणुक्कोसा वा। जस्स पुण उक्कोसिया चरिताराहणा तस्स दसणाराहणा नियमा उक्कोसा ।। उक्कोसियण' भंते ! नाणाराहणं आराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोयमा ! अत्यंगतिए तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं
करेति, अत्थेगतिए कप्पोवएस् वा कप्पातीएसु वा उववज्जति ॥ ४५६. उक्कोसियण्णं भंते ! दंसणाराहणं पाराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहिं 'सिज्झति
जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोयमा ! अत्थेगतिए तेणेव भवन्गहणणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं
करेति, अत्थेगतिए कप्पोवएसु वा कप्पातीएसु वा उववज्जति° ।। ४६०. उक्कोसियण्णं भंते ! चरित्ताराहणं पाराहेत्ता "कतिहिं भवग्गहणेहि सिज्झति
जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोयमा ! अत्थेगतिए तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं
करेति, अत्थेगतिए कप्पातीएस उववज्जति ॥ ४६१. मज्झिमियण्णं भंते ! नाणाराहणं आराहेत्ता कतिहिं भवग्गहणेहि सिज्झति
जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोयमा ! अत्थेगतिए दोच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं
करेति, तच्चं पुण भवग्गहणं नाइक्कमइ॥ ४६२. मज्झिमियण्णं भंते ! दंसणाराहणं आराहेत्ता "कतिहिं भवग्गहणेहि सिज्झति
जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ? गोयमा ! अत्थेगतिए दोच्चेणं भवग्गहणणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, तच्चं पुण भवग्गहणं नाइवकमइ ।। मज्झिमियण्णं भंते ! चरित्ताराहणं पाराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेति ? गोयमा ! अत्थेगतिए दोच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं
करेति, तच्चं पुण भवग्गहणं नाइक्कमइ ° ।। १. उक्कोसिया (व, स)।
५. सं० पा०–एवं चेव । २. उक्कोसिया ण (अ, क, ब, स); उक्कोसिय ६. सं० पा०–एवं चेव नवरं अत्थेगतिए। रणं (ता)।
७. सं० पा०-एवं चेव एवं मज्झिमियं चरित्ता३. भ० ११४४ ।
राहणं पि। ४. करेति, अत्थेगतिए दोच्चे णं भवग्गहरोणं सिज्झति जाव अंतं करेति (क, ब, म, स)।
४६३.
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३६२
भगवई
४६४. जहृष्णियष्णं भंते ! नाणाराहणं श्राराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहिं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं तं करेति ?
गोयमा ! प्रत्येगति तच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेति, सत्तट्ट भवग्गहणाई पुण नाइक्कमइ ||
४६५. ' जहणियण्णं भंते ! दंसणाराहणं श्राराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहि सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ?
गोमा ! प्रत्येगति तच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुवखाणं तं करेति, सत्तट्ठ भवग्गणा पुण नाइक्कमइ ||
४६६. जहण्णियण्णं भंते ! चरित्ताराहणं श्राराहेत्ता कतिहि भवग्गहणेहिं सिज्झति जाव
सव्वदुक्खाणं तं करेति ?
गोमा ! अत्थे गति तच्चेणं भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुबखाणं अंत करेति, सत्तट्ठ भवग्गहणाई पुण नाइक्कमइ ॥
पोग्गल परिणाम-पदं
४६७. कतिविहे णं भंते ! पोग्गलपरिणामे पण्णते ?
गोयमा ! पंचविहे पोग्गलपरिणामे पण्णत्ते, तं जहा - वण्णपरिणामे, गंधपरिणामे, रसपरिणामे, फासपरिणामे, संठाणपरिणामे ||
४६८. वण्णपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - कालवण्णपरिणामे जाव' सुक्किलवण्णपरिणामे । एवं एएणं ग्रभिलावेणं गंधपरिणामे दुबिहे, रसपरिणामे पंचविहे, फासपरिणामे विहे ||
४६६. संठाणपरिणामे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - परिमंडलसंठाणपरिणामे जाव' श्रायतठाणपरिणामे ||
पोग्गल एसस्स दव्वादीहिं भंग-पदं
४७०. एगे भंते ! पोरगलत्थि कायपदेसे किं ९. दव्वं ? २. दव्वदेसे ? ३. दव्वाइं ? ४. दव्वदेसा ? ५. उदाहु दव्वं च दव्वदेसे य ? ६. उदाहु दव्वं च दव्वदेसा य ? ७. उदाहु दव्वाइं च दव्वदेसे य उदाहु दव्वाइं च दव्वदेसा य ?
? ८.
१. सं० पा०-- एवं दंसणाराहरणं पि, एवं चरिताराहणं पि ।
२. भ० ८।३६ ।
३. भ० ८।३६ | ४. एगे णं ( अ ) ।
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अट्ठ मं सतं (दसमो उद्देसो)
गोयमा ! १. सिय दव्वं २. सिय दव्वदेसे ३. नो दवाइं ४. नो दव्वदेसा ५. नो दव्वं च दव्वदेसे य ६. नो दव्वं च दव्वदेसा य ७. नो दव्वाइं च
दव्वदेसे य ८. नो दवाई च दव्वदेसा य ।। ४७१. दो भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा कि दव्वं ? दव्वदेसे ?-पुच्छा'।
गोयमा ! सिय दिव्वं, सिय दव्वदेसे, सिय दव्वाइं, सिय दव्वदेसा, सिय दव्वं
च दव्वदेसे य' । सेसा पडिसेहेयव्वा । ४७२. तिण्णि भंते पोग्गलत्थिकायपदेसा कि दव्वं ? दव्वदेसे ? –पुच्छा।
गोयमा ! सिय दव्वं, सिय दव्वदेसे, एवं सत्त भंगा भाणियव्वा जाव सिय दवाई
च दव्वदेसे य, नो दव्वाइं च दव्वदेसा य ।। ४७३. चत्तारि भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा कि दव्वं?—पच्छा।
गोयमा ! सिय दवं, सिय दव्वदेसे, अट्ठ वि भंगा भाणियव्वा जाव सिय
दव्वाइं च दव्वदेसा य । जहा चत्तारि भणिया एवं पंच, छ, सत्त जाव असंखेज्जा। ४७४. अणता भंते ! पोग्गलस्थिकायपदेसा कि दव्वं ?
एवं चेव जाव सिय दवाइं च दव्वदेसा य ।।
पएस-परिमाण-पदं ४७५. केवतिया णं भंते ! लोयागासपदेसा पण्णत्ता ?
गोयमा ! असंखेज्जा लोयागासपदेसा पण्णत्ता॥ ४७६. एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स केवइया जीवपदेसा पण्णत्ता?
गोयमा ! जावतिया लोयागासपदेसा, एगमेगस्स णं जीवस्स एवतिया जीवप
देसा पण्णत्ता॥ कम्माणं अविभागपलिच्छेद-पदं ४७७. कति णं भंते ! कम्मपगडीअो पण्णत्तानो ?
गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीअो पण्णत्तानो, तं जहा--नाणावरणिज्जं जाव'
अंतराइयं ॥ ४७८. नेरइयाणं भंते ! कति कम्मपगडीओ पण्णत्ताओ?
गोयमा ! अट्ठ। एवं सव्वजीवाणं अट्ठ कम्मपगडीपो ठावेयव्वानो जाव वेमाणियाणं ।।
३. भ०६।३३।
१. पूच्छा तहेव (अ, क, ता, ब, म, स)। २. य नो दव्वं च दव्वदेसा य (अ, क, ता, ब,
म, स)।
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३६४
भगवई
४७६. नाणावरणिज्जस्स णं भंते ! कम्मरस केवतिया अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ?
गोयमा ! अणंता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ।। ४८०. नेरइयाणं भंते ! नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स केवतिया अविभागपलिच्छेदा
पण्णत्ता?
गोयमा ! अणंता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता ।। ४८१. एवं सव्वंजीवाणं जाव वेमाणियाणं-पुच्छा।
गोयमा ! अणंता अविभागपलिच्छेदा पण्णत्ता। एवं जहा नाणावरणिज्जस्स अविभागपलिच्छेदा भणिया तहा अट्टण्ह वि कम्मपगडीणं भाणियव्वा जाव
वेमाणियाणं अंतराइयस्स ॥ ४८२. एगमेगस्स णं भंते ! जीवस्स एगमेगे जीवपदेसे नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स केव
तिएहि अविभागपलिच्छेदेहि आवेढिय-परिवेढिए ? गोयमा ! सिय आवेढिय-परिवेढिए, सिय नो आवेढिय-परिवेढिए । जइ प्रावे
ढिय-परिवेढिए नियमा अणंतेहिं ।। ४८३. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स एगमेगे जीवपदेसे नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स
केवतिएहि अविभागपलिच्छेदेहि आवेढिय-परिवेढिए ? गोयमा ! नियम अणंतेहिं । जहा नेरइयस्स एवं जाव वेमाणियस्स, नवरं.-.
मणूसस्स जहा जीवस्स ॥ कम्माणं परोप्परं नियमा-भयणा-पदं ४८४. एगमेगस्स णं भंते । जोवस्स एगमेगे जीवपदेसे दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स
केवतिएहि अविभागपलिच्छेदेहिं आवेढिय-परिवेढिए ? गोयमा ! नियम अणंतेहिं । जहा जीवस्स एवं जाव वेमाणियस्स. नवरंमणूसस्स जहा जीवस्स । एवं जहेव नाणावरणिज्जस्स तहेव दंडगो भाणियव्वो जाव वेमाणियस्स । एवं जाव अंतराइयस्स भाणियव्वं, नवरं-वेयणिज्जस्स, ग्राउयस्स, नामस्स, गोयस्स--एएसि चउण्ह वि कम्माण मणसस्स जहा नेरइय
स्स तहा भाणियव्वं । सेसं तं चेव ॥ ४८५. जस्स णं भंते ! नाणावरणिज्जं तस्स दरिसणावरणिज्ज ? जस्स दसणावरणि
ज्जं तस्स नाणावरणिज्जं? गोयमा ! जस्स णं नाणावरणिज्जं तरस दंसणावरणिज्जं नियमं अत्थि, जस्स
णं दरिसणावरणिज्जं तस्स वि नाणावरणिज्ज नियम अस्थि ।। ४८६. जस्स णं भंते ! नाणावरणिज्जं तस्स वेयणिज्जं? जस्स वेयणिज्जं तस्स नाणा
वरणिज्जं?
१. अंतरातियस्स (अ, स); अंतरादियस्स (ता) २. केवइहिं (ता)।
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अट्ठमं सतं (दसमो उद्देसो)
३६५ गोयमा ! जस्स नाणावरणिज्ज तस्स वेयणिज्ज नियम अस्थि जरस पुण वेयणि
ज्ज तस्स नाणावरणिज्जं सिय अत्थि, सिय नत्थि ॥ ४८७. जस्स णं भंते ! नाणावरणिज्जं तस्स मोहणिज्जं ? जस्स मोहणिज्जं तस्स
नाणावरणिज्जं? गोयमा ! जस्स नाणावरणिज्जं तस्स मोहणिज्जं सिय अत्थि, सिय नत्थि;
जस्स पुण मोहणिज्जं तस्स नाणावरणिज्ज नियमं अत्थि ।। ४८८. जस्स णं भंते ! नाणावरणिज्जं तरस आउयं ? जस्स आउयं तस्स नाणावर
णिज्जं? गोयमा ! जस्स नाणावरणिज्जं तस्स आउयं नियमं अत्थि, जस्स पुण पाउयं तस्स नाणावरणिज्जं सिय अत्थि, सिय नत्थि । एवं नामेण वि, एवं गोएण वि सम, अंतराइएण जहा दरिसणावरणिज्जेण समं तहेव नियम परोप्परं
भाणियव्वाणि ॥ ४८६. जस्स णं भंते ! दरिसणावरणिज्जं तस्स वेयणिज्ज? जस्स वेयणिज्जं तस्स
दरिसणावरणिज्ज? जहा नाणावरणिज्ज उवरिमेहिं सत्तहिं कम्मेहि समं भणियं तहा दरिसणावर
णिज्जं पि उवरिमेहि छहि कम्मेहि समं भाणियव्वं जाव अंतराइएणं॥ ४६०. जस्स णं भंते ! वेयणिज्जं तस्स मोहणिज्ज? जस्स मोहणिज्जं तस्स वेयणिज्ज ?
गोयमा ! जस्स वेयणिज्जं तस्स मोहणिज्जं सिय अत्थि, सिय नत्थि; जस्स
पुण मोहणिज्ज तस्स वेयणिज्जं नियम अत्थि ॥ ४६१. जस्स णं भंते ! वेयणिज्जं तस्स आउयं ? जस्स आउयं तस्स वेयणिज्जं?
एवं एयाणि परोप्परं नियमं । जहा पाउएण समं एवं नामेण वि गोएण वि
समं भाणियव्वं ॥ ४६२. जस्स णं भंते ! वेयणिज्ज तस्स अंतराइयं ? जस्स अंतराइयं तस्स
वेयणिज्जं? गोयमा ! जस्स वेयणिज्जं तस्स अंतराइयं सिय अत्थि, सिय नत्थि; जस्स
पुण अंतराइयं तस्स वेयणिज्ज नियमं अस्थि ।। ४९३.
जस्स णं भंते ! मोहणिज्ज तस्स आउयं? जस्स आउयं तस्स मोहणिज्जं ? गोयमा ! जस्स मोहणिज्ज तस्स आउयं नियमं अत्थि, जस्स पुण आउयं तस्स मोहणिज्ज सिय अत्थि, सिय नस्थि । एवं नाम गोयं अंतराइयं च भाणियव्वं ।।
१. नितमं (ब)। २. सं० पा०—एवं जहा वेयरिणज्जेण समं
भरिणयं तहा आउएण वि समं भाणियव्वं ।
३. सं० पा०-पुच्छा । ४. तस्स पुण (अ, क, ता, ब, म, स)।
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३६६
४९४. जस्स णं भंते ! ग्राउयं तस्स नामं ? "जस्म नामं तस्स प्राउयं ? ० गोयमा ! दो वि परोप्परं नियमं । एवं गोत्तेण वि समं भाणियव्वं ॥ ४६५. जस्स णं भंते ! प्राउयं तस्स अंतराइयं ? जस्स अंतराइयं तस्स प्राउयं ? ० गोयमा ! जस्स आउयं तस्स अंतराइयं सिय प्रत्थि, सिय नत्थि; जस्स पुण अंतराइयं तस्स प्राउयं नियमं प्रत्थि ॥
४६६. जस्स णं भंते ! नामं तस्स गोयं जस्स गोयं तस्स नामं ? ०
गोमा ! दो वि एए परोप्परं नियमा प्रत्थि ॥
४६७. जस्स णं भंते ! नामं तस्स अंतराइय ? जस्स अंतराइयं तस्स नामं ? ० सिय अस्थि, सिय नत्थि जस्स पुण
गोयमा जस्स नामं तस्स अंतराइयं अंतराइयं तस्स नामं नियमं प्रत्थि || ४६८. जस्स णं भंते ! गोयं तस्स अंतराइयं ?
पोग्गलि-पोग्गल-पदं
४६६. जीवे णं भंते! किं पोग्गली ? पोग्गले ? गोयमा ! जीवे पोग्गली वि, पोग्गले वि ॥
५००. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - जीवे पोग्गली वि, पोग्गले वि ?
जस्स अंतराइयं तस्स गोयं ? ० गोयमा ! जस्स गोयं तस्स अंतराइयं सिय प्रत्थि, सिय नत्थि; जस्स पुण अंतराइयं तस्स गोयं नियमं प्रत्थि ॥
५०१. नेरइए णं भंते! किं पोग्गली ! पोग्गले ?
गोयमा ! से जहानामए छत्तेणं छत्ती, दंडेणं दंडी, घडेणं घडी, पडेणं पडी, करेणं करी, एवामेव गोयमा ! जीवे वि सोइंदिय - चक्खिदिय घाणिदियजिब्भिदिय - फासिंदियाइं पडुच्च पोग्गली, जीवं पडुच्च पोग्गले । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वच्चइ - जीवे पोग्गली वि, पोग्गले वि ॥
५०२. सिद्धे णं भंते ! किं पोग्गली ? पोग्गले ?
गोयमा ! नो पोग्गली, पोग्गले ॥
भगवई
एवं चेव । एवं जाव वेमाणिए, नवरं - जस्स जइ इंदियाई तस्स तइ भाणियव्वाइं ||
१. सं० पा० - पुच्छा ।
२. सं० पा० - पुच्छा |
३. सं० पा० पुच्छा ।
४. सं० पा० पुच्छा ।
५. सं० पा०-- पुच्छा ।
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श्रमं सतं (दसमो उद्देसो)
५०३. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ' - सिद्धे नो पोग्गली ०, पोगले ?
५०४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।।
गोयमा ! जीवं पडुच्च । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ - सिद्धे नो पोग्गली, पोग्गले ॥
१. सं० पा० २. भ० १५१ ।
वुच्चइ जाव पोरगले ।
३६७
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नवमं सतं
पढमो उद्देसो १. जंबुद्दीवे २. जोइस, ३०. अंतरदीवा ३१. असोच्च ३२. गंगेय ।
३३. कुंडग्गामे ३४. पुरिसे, णवमम्मि सतम्मि चोत्तीसा ॥१॥ जंबुद्दीव-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिला नाम नगरी होत्था–वण्णयो । माणिभद्दे
चेतिए–वण्णो । सामी समोसढे, परिसा निग्गता जाव भगवं गोयमे पज्जुवासमाणे एवं वदासी—कहि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे ! किंसंठिए णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे ? 'एवं जंबुद्दीवपण्णत्ती भाणियव्वा जाव" एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे दीवे
चोदस सलिला-सयसहस्सा छप्पन्नं च सहस्सा भवंतीति मक्खाया ॥ २. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. ओ० सू०१।
पण्णत्तीए तहा नेयत्वं जोइसविहूणं जाव२. माणभद्दे (ता, म)।
खंडा जोयण वासा, ३. ओ० सू०-२-१३ ।
पव्वय कूडाण तित्थ सेढीओ। ४. भ० १।८-१० ।
विजय दह सलिलामो, ५. जं० १-६ ।
य पिंडए होति संगहणी॥ (वृ)। ६. वाचनान्तरे पुनरिदं दृश्यते--जहा जंबुद्दीव- ७. भ० ११५१ ।
३९८
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नवमं सतं (बीओ उद्देसो)
बीमो उद्देसो जोइस-पदं ३. रायगिहे जाव' एवं वयासी--जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे केवइया चंदा पभासिंसू
वा? पभासेंति वा ? पभासिस्संति वा ? एवं जहा जीवाभिगमे जाव'___ एगं च सयसहस्सं, तेत्तीसं खलु भवे सहस्साइं।
नव य सया पन्नासा, तारागणकोडिकोडीणं ॥१॥ सोभिंसु, सोभिति, सोभिस्संति ॥ लवणे णं भंते ! समुद्दे केवतिया चंदा पभासिसु वा ? पभासेंति वा? पभासिस्संति वा ? एवं जहा जीवाभिगमे जाव' तारापो। धायइसंडे, कालोदे, पुक्खरवरे, अब्भंतपुक्खरद्धे, मणुस्सखेत्ते ---एएसु सव्वेसु जहा जीवाभिगमे जाव'
एगससीपरिवारो, तारागणकोडिकोडीणं ॥ ५. पुक्खरोदे णं भंते ! समुद्दे केवतिया चंदा पभासिसु वा ? पभासेंति वा ?
पभासिस्संति वा ? एवं सव्वेसु दीव-समुद्देसु जोतिसियाणं' भाणियव्वं जाव' सयंभूरमणे जाव
सोभिंसु वा, सोभिति वा, सोभिस्संति वा ।। ६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. भ०१॥४-१०। २. जी० ३। ३. कोडाकोडीणं (ता, ब, म)। ४. सोभं सोभिंसु (ब, म)। ५. जी०३।
६. अभिंतर ° (स)। ७. जी० ३। ८. जोतिसं (क, ता, ब, म)। है. जी०३। १०. भ. ११५१ ।
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४००
३-३० उद्देसा
अंतरदीव-पदं
७. रायगिहे जाव' एवं वयासी - कहि णं भंते । दाहिणिल्लाणं एगूरुयमणुस्साण maria नामं दीवे पण्णत्ते ?
गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्दयस्स दाहिणे णं 'चुल्लहिमवंतस्स वासहरपव्वयस्स पुरथिमिल्लाश्रो चरिमंताओ लवणसमुदं उत्तरपुरत्थिमे णं तिणि जोयणसयाई ओगाहित्ता एत्थ णं दाहिणिल्लाणं एगूरुयमणुस्साणं एगूरुयदी वे नामं दीवे पण्णत्ते - तिण्णि जोयणसयाई प्रायाम - विक्खंभेणं, नव एगुणवन्ने arrer किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं । से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेणं सव्व समता संपरिक्खित्ते । दोण्ह वि पमाणं वण्णश्रो य । एवं एएणं कमेणं'' ‘एवं जहा जीवाभिगमे जाव' सुद्धदंतदीवे जाव देवलोगपरिग्गहा या पण्णत्ता समणाउसो ! "
एवं अट्ठावीसंपि अंतरदीवा सएणं-सएणं प्रायाम - विक्खंभेणं भाणियव्वा, नवरं -- दीवे - दीवे उद्देसप्रो, एवं सव्वे वि अट्ठावीसं उद्देगा || ८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।।
एगतीसइमो उद्देसो
सच्चा उवलद्धि-पदं
६. रायगिहे जाव' एवं वयासी-ग्रसोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा, केवलि सावगस्स वा, केवलिसावियाए वा, केवलिउवासगस्स वा, केवलिउवासियाए वा तप्पक्रिस वा तप्पक्खियसावगस्स वा तप्पक्खियसावियाए वा तप्पक्खियउवासगस्स वा, तपक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्ज' सवणयाए ?
१. भ० १४-१० ।
२. एगरूय ( अ ) ; एगुरुय° ( ब म ) ; एगो
रु ( स ) ।
भगवई
३. X ( कता) । ४. जी० ३ ।
५. वाचनान्तरे त्विदं दृश्यते एवं जहा जीवा
भिगमे उत्तरकुरुवत्तव्वयाए नेयव्वो नारणत्तं असा उस्सेहो चाउसट्टीपिट्टकरंडया अणुसज्जा नत्थि (वृ) ।
६. भ० १।५१ ।
७. भ० १।४-१० ।
८. लभेज्जा ( अ, म, स ) ।
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नवम सतं (एगतीसइमो उद्देसो)
४०१
गोयमा ! असोच्चा णं केव लिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्मं नो
लभेज्ज सवणयाए॥ १०. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं जाव नो लभेज्ज सवणयाए ?
गोयमा ! जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए, जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे 'नो कडे" भवइ से णं असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्मं नो लभेज्ज सवणयाए। से तेगटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ
'असोच्चा-णं'२ जाव नो लभेज्ज सवणयाए। ११. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं बोहिं
बुज्झज्जा? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए
केवलं बोहिं बुज्झज्जा, अत्थेगतिए केवलं बोहिं नो बुझेज्जा। १२. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलं बोहि नो बुज्झज्जा ?
गोयमा ! जस्स णं दरिसणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं बोहिं बुज्झज्जा, जस्स णं दरिसणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं बोहिं नो बुज्झज्जा । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ--असोच्चा णं जाव केवलं बोहिं नो
बूज्झज्जा ॥ १३. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मुंडे
भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं पव्वएज्जा ? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलं मुंडे भवित्ता अगाराग्रो अणगारियं पव्वएज्जा, अत्यंगतिए केवलं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं नो पव्वएज्जा ।। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलं मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं नो पव्वएज्जा? गोयमा ! जस्स णं धम्मतराइयाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवति से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं पव्वएज्जा, जस्स णं धम्मतराइयाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवति से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा
१. कडे नो (ता)।
२. तं
चेव (अ, क, ता, व, म, स)।
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भगवई
केवलं मुंडे भवित्ता' 'अगाराप्रो अणगारियं नो पव्वएज्जा। से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलं मुंडे भवित्ता अगारामो अणगारियं नो पव्वएज्जा ।। असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा ? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए
केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा, अत्थेगतिए केवलं बंभचेरवासं नो पावसेज्जा ॥ १६. से केणट्रेणं भंते ! एवं वच्चइ-सोच्चा णं जाव केवलं बंभचेरवासं नो
आवसेज्जा ? गोयमा ! जस्स णं चरित्तावरणिज्जाणं क्रम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं बंभचेरवासं पावसेज्जा, जस्स णं चरित्तावरणिज्जाण कम्माण खोवसमें नो कर्ड भवई से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं बंभचेरवास नो आवसेज्जा। से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ–असोच्चा णं जाव केवलं
बंभचेरवासं नो पावसेज्जा ।। १७. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं
संजमेणं संजमेज्जा? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा, अत्थेगतिए केवलेणं संजमेणं नो संजमेज्जा ॥ से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलेणं संजमेणं नो संजमेज्जा ? गोयमा ! जस्स णं जयणावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा, जस्स णं जयणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कड़े भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव' तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं संजमेणं नो संजमेज्जा। से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलेणं
संजमेणं नो संजमेज्जा। १६. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं
संवरेणं संवरेज्जा ? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा, अत्थेगतिए केवलेणं संवरेणं नो संवरेज्जा ॥
१. सं० पा०-भवित्ता जाव नो । २. आवासेज्जा (ता, ब)।
३. जाव अत्थेगतिए (अ, क, ता, ब, म, स) । ४. जाव (अ, क, ता, ब, म, स)।
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नवमं सतं ( एगतीसइमो उद्देसो)
४०३
२०. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - प्रसोच्चा णं जाव केवलेणं संवरेणं नो संवरेज्जा ?
गोयमा ! जस्स णं ग्रज्भवसाणावर णिज्जाणं कम्माणं खप्रोवसमे कडे भवइ से सच्चा केवलस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा, जस्स णं श्रज्भवसाणावर णिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलेणं संवरेणं नो संवरेज्जा | से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ -- असोच्चा णं जाव केवलेणं संवरणं नो संवरेज्जा ॥
२१. असोच्चा णं भंते केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं ग्राभिणिबोहियनाणं उप्पाडेज्जा ?
गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थे गतिए केवलं आभिणिबोहियनाणं उप्पाडेज्जा, प्रत्येगतिए केवलं ग्राभिणिबोहियनाणं नो उप्पाडेज्जा |
२२. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलं आभिणिबोहियनाणं
नो उप्पाडेज्जा ?
गोयमा ! जस्स णं ग्राभिणिबोहियनागावर णिज्जाणं कम्माणं खप्रोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं भिणिबोहियनाणं उप्पाडेज्जा, जस्स णं ग्राभिणिबोहियनाणावर णिज्जाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं आभिणिबोहियनाणं नो उप्पाडेज्जा | से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलं ग्राभिणिवोहियनाणं नो उपाडेज्जा ॥
२३. असोच्चा गं भंते! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं सुयनाणं उप्पाडेज्जा ?
गोमा ! सोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा प्रत्येगतिए केवलं सुयनाणं उप्पाडेज्जा, प्रत्येगतिए केवलं सुयनाणं नो उप्पाडेज्जा | २४. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलं सुयनाणं नो उप्पाडेज्जा ॥
१. सं० पा० - एवं जहा आभिणिबोहियनागस्स वत्तव्वया भरिणया तहा सुयनाणस्स वि भारिणयव्वा, नवरं - सुयनारणावरणिज्जाणं कम्माणं खप्रोवसमे भाणियव्वे । एवं चेव केवलं ओहिमागं भाणिपव्वं, नवरं - प्रोहि
नाणावर णिज्जाणं कम्माणं खओवसमे भारिणयव्वे । एवं केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा, नवरं - मणपज्जवनाणावरणिजाणं कम्माणं खओवसमे भारिणयव्वे |
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४०४
भगवई
गोयमा ! जस्स णं सुयनाणावर णिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ से सच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं सुयनाणं उप्पाडेज्जा, जस्स णं सुयनाणावर णिज्जाणं कम्माणं खप्रोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं सुयनाणं नो उपाडेज्जा | से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - ग्रासोच्चा णं जाव केवलं सुयनाणं नो उप्पाडेज्जा ।।
२५. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तृप्पक्खियउवासिए वा केवलं हिनाणं
उपाडेज्जा ?
गोमा ! सोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा प्रत्येगतिए केवलं नोहिनाणं उप्पाडेज्जा, प्रत्थेगतिए केवलं श्रहिनाणं नो उप्पाडेज्जा ।। २६. से केणट्टेणं भंते ! एवं वच्चइ – प्रसोच्चा णं जाव केवलं श्रहिनाणं नो उप्पाडेज्जा ?
२७. असोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा ?
गोयमा ! सोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा प्रत्येगतिए केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा, प्रत्येगतिए केवलं मणपज्जवनाणं नो उप्पाडेज्जा ॥
२८. से केणद्वेणं भंते ! एवं बुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलं मणपज्जवनाणं नो उपाडेज्जा ?
'
गोयमा ! जस्स णं श्रहिनाणावर णिज्जाणं कम्माणं खप्रोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं श्रोहिनाणं उप्पाडेज्जा, जस्स णं श्रहिनाणावर णिज्जाणं कम्माणं खप्रोवसमे नो कडे भवइ सेणं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मोहिनाणं नो उप्पाडेज्जा | से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलं हिनाणं नो उप्पाडेज्जा |
गोमा ! जस्स णं मणपज्जवनाणावर णिज्जाणं कम्माणं खश्रोवसमे कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा, जस्स णं मणपज्जवनाणावर णिज्जाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलं मणपज्जवनाणं नो उप्पाडेज्जा | से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - असोच्चा णं जाव केवलं मणपज्जवनाणं तो उप्पाडेज्जा ० ॥
२६. सोच्चा णं भंते! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलनाणं उप्पाडेज्जा ?
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नवमं सतं (एगतीसइमो उद्देसो)
४०५ गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थे
गतिए केवलनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा ॥ ३०. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं जाव केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा ?
गोयमा ! जस्स णं केवल नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खए कडे भवइ से णं प्रसोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलनाणं उप्पाडेज्जा, जस्स णं केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खए नो कडे भवइ से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ असोच्चा णं जाव' केवलनाणं नो
उप्पाडेज्जा ॥ ३१. असोच्चा' णं भंते ! केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा-१. केवलि
पण्णत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए २. केवलं बोहिं बुज्झज्जा ३. केवलं मुंडे भवित्ता प्रागाराग्रो अणगारियं पव्वएज्जा ४. केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा ५. केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा ६. केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा ७. केवलं आभिणिबोहियनाणं उप्पाडेज्जा' ८. केवलं सुयनाणं उप्पाडेज्जा ६. केवलं प्रोहिनाणं उप्पाडेज्जा. १०. केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा ११. केवलनाणं उप्पाडेज्जा? गोयमा ! असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासिए वा-१. अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्म नो लभेज्ज सवणयाए २. अत्थेगतिए केवलं बोहिं बुज्झज्जा, अत्थेगतिए केवलं बोहि नो बुज्झज्जा ३. अत्थेगतिए केवलं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं पव्वएज्जा, अत्थेगतिए' केवलं मुंडे भवित्ता अगारामो अणगारियं नो पव्वएज्जा ४. अत्थेगतिए केवलं बंभचेरवासं आवसेज्जा, अत्थेगतिए केवलं बंभचेरवासं नो पावसेज्जा ५. प्रत्येगतिए केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा, अत्थेगतिए केवलेणं संजमेणं नो संजमेज्जा ६.५"अत्थेगतिए केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा, अत्थेगतिए केवलेणं संवरेणं नो संवरेज्जा ० ७. अत्थेगतिए केवलं आभिणिबोहियनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलं आभिणीबोहियनाणं नो उप्पा
१. सं० पा०-एवं चेव, नवरं-केवलनाणावरणि- क्त्यदर्शनेन द्वयोर्वाचनयोः सम्मिश्रणं प्रती
ज्जाणं कम्माणं खए भाणियव्वे, सेसं तं चेव। यते। २. एकत्रिशद्-द्वात्रिंशत् सूत्रयोः पूर्वपादित एव ३. सं० पा०.-उप्पाडेज्जा जाव केवलं ।
विषयः पुनरुक्तोस्ति । वृत्तिकृतात्र एका टिप्प- ४. सं० पा०-अत्थेगतिए जाव नो। णीकृतास्ति पूर्वोक्तानेवार्थान् पुनः समु- ५. सं. पा०—एवं संवरेण वि। दायेनाह (व), किन्तु समग्रविषयस्य पौनरु- ६. सं० पा०-अत्यंगतिए जाव नो।
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४०६
भगवई डेज्जा ८. "अत्थेगतिए केवलं सुयनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलं सुयनाणं नो उप्पाडेज्जा ६. अत्थेगतिए केवलं अोहिनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलं प्रोहिनाणं नो उप्पाडज्जा १०. अत्थंगतिए केवल मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलं मणपज्जवनाणं नो उप्पाडेज्जा° ११. अत्थेगतिए केवलनाणं
उम्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा। ३२. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ–असोच्चा णं तं चेव जाव अत्थेगतिए केवलनाणं
उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा? गोयमा ! १. जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ २. जस्स णं दरिसणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ ३. जस्स णं धम्मतराइयाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ ४. •जस्स णं चरित्तावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ ५. जस्स णं जयणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ ६. जस्स णं अज्झवसाणावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवइ ७. जस्स णं आभिणिवोहियनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे नो कडे भवइ ८. जस्स णं सुयनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नो कडे भवइ ६. जस्स णं ओहिनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवइ १०. जस्स णं° मणपज्जवनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमे नो कडे भवइ ११. जस्स णं केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खए नो कडे भवइ, से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म नो लभेज्ज सवणयाए, केवलं बोहि नो बुज्झज्जा जाव केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा। जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे कडे भवइ, जस्स णं दरिसणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ, जस्स णं धम्मतराइयाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ, एवं जाव जस्स णं केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खए कडे भवइ, से णं असोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, केवलं बोहिं बुज्झज्जा जाव केवलनाणं
उप्पाडेज्जा॥ ३३. तस्स णं' छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाओ 'पगिज्झिय-पगि___ झिय" सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए आयावेमाणस्स पगइभद्दयाए, पगइउव
१. सं. पा.-एवं जाव मणपज्जवनाणं ।
मणपज्जव । २. सं० पा०–एवं चरित्तावरणिज्जाणं जयणा- ३. णं भंते (अ, क, ता, ब, स)। वरणिज्जाणं अज्झवसाणावरणिज्जाणं ४. पगज्झिय २ (स)। आभिणिबोहियनाणावरणिज्जाणं जाव
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नवमं तं (गतीस मो उद्देसो)
३४.
संतयाए, पगइपयणुकोह - माण- माया - लोभयाए, मिउमदवसंपन्नयाए, अल्लीणया विणीयाए, अण्णया कयावि 'सुभेणं प्रज्भवसाणेणं, सुभेणं परिणामेणं, लेस्साहि विसुज्झमाणीहि विसुज्झमाणीहिं” तयावरणिज्जाणं कम्माणं खश्रोवसमेणं ईहापोहमग्गणगवेसणं' करेमाणस्स विब्भंगे नामं अण्णाणे समुप्पज्जइ । से णं तेणं विब्भंगनाणेणं समुप्पन्नेणं जहणणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं जाणइ-पासइ । से णं तेणं विब्भंगनाणेणं समुपनेणं जीवे व जाणइ, ग्रजीवे वि जाणइ, पासंडत्थे सारंभे सपरिग्गहे संकिलिस्समाणे वि जाणइ, विसुज्झमाणे वि जाणइ । सेणं पुव्वामेव सम्मत्तं पडिवज्जइ, सम्मत्तं पडिवज्जित्ता समणधम्मं रोएति, समणधम्मं रोएत्ता चरितं पडिवज्जइ, चरितं पडिवज्जित्ता लिंगं पडिवज्जइ । तस्स णं तेहि मिच्छत्तपज्जवेहिं परिहायमाणे हि परिहायमाणेहिं सम्मदंसणपज्जवेहिं परिवड्ढमाणेहि-परिवड्ढमाणेहिं से विभंगे अण्णाणे सम्मत्तपरिग्गहिए खिप्पामेव श्रोही परावत्तइ ॥
से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु' होज्जा ?
गोयमा ! तिसु विसुद्धलेस्सासु होज्जा, तं जहा - ते उलेस्साए, पहले स्साए, सुक्कलेस्साए ।
३५. से णं भंते ! कतिसु नाणेसु होज्जा ?
गोमा ! तिसु - आभिणिबोहियनाण- सुयनाण-प्रोहि नाणेसु होज्जा ॥
३६. से णं भंते ! किं सजोगी होज्जा ? अजोगी होज्जा ?
गोमा ! सजोगी होज्जा, नो प्रजोगी होज्जा ।
जइ सजोगी होज्जा, किं मणजोगी होज्जा ? वइजोगी होज्जा ? कायजोगी होज्जा ?
गोमा ! मणजोगी वा' होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होज्जा ॥ ३७. से णं भंते! किं सागारोवउत्ते होज्जा ? प्रणागारोवउत्ते होज्जा ?
गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होज्जा, अणागारोवउत्ते वा होज्जा ।। ३८. से णं भंते ! कयरम्मि संघयणे होज्जा ?
गोमा ! वइरोस भनाराय संघयणे' होज्जा |
१. अल्लीणयाए भट्याए ( अ, क, ता, ब, म, स) ।
२. X ( क, ता, ) ।
३. इहापूह ( अ, म ); इहावह ० ( ता ) ।
४०७
४. विभंग ० ( अ, ता, म ) ।
५. लेसासु (क, ता, स ) ।
६. वि (क) सर्वत्र ।
७. वइरोसह ° ( ब म ) ।
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४०८
भगवई
३६. से णं भंते ! कयरम्मि संठाणे होज्जा ?
गोयमा! छण्हं संठाणाणं अण्णयरे संठाणे होज्जा । ४०. से णं भंते ! कयरम्मि उच्चत्ते होज्जा ?
गोयमा ! जहण्णणं सत्तरयणीए, उक्कोसेणं पंचधणुसतिए होज्जा ।। ४१. से णं भंते ! कयरम्मि पाउए होज्जा ?
गोयमा ! जहण्णेणं सातिरेगट्ठवासाउए, उक्कोसेणं पुवकोडिआउए होज्जा॥ ४२. से णं भंते ! कि सवेदए होज्जा? अवेदए होज्जा?
गोयमा ! सवेदए होज्जा, नो अवेदए होज्जा। जइ सवेदए होज्जा कि इत्थिवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? पुरिसनपुंसगवेदए होज्जा ? 'नंपुसगवेदए होज्जा ?'' गोयमा ! नो इत्थिवेदए होज्जा, पुरिसवेदए होज्जा, 'नो नपुंसगवेदए होज्जा',
पुरिस-नपुंसगवेदए वा होज्जा ॥ ४३. से णं भंते ! कि सकसाई होज्जा ? अकसाई होज्जा ?
गोयमा ! सकसाई होज्जा, नो अकसाई होज्जा । जइ सकसाई होज्जा से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होज्जा ?
गोयमा ! चउसु-संजलणकोह-माण-माया लोभेसु होज्जा । ४४. तस्स णं भंते ! केवइया अज्झवसाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! असंखेज्जा अज्झवसाणा पण्णत्ता ।। ४५. ते णं भंते ! कि पसत्था ? अप्पसत्था ?
गोयमा ! पसत्था, नो अप्पसत्था॥ से णं भंते ! तेहिं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं वड्ढमाणेहिं अणंतेहि नेरइयभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहिं तिरिक्खजोणियभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहिं मणुस्सभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहि देवभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ । जानो वि य से इमानो नेरइय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवगतिनामारो चत्तारि उत्तरपगडीयो, तासि च णं प्रोवगहिए अणंताणुबंधी कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता अपच्चक्खाणकसाए कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पच्चक्खाणावरणे कोह-माणमाया-लोभे खवेइ, खवेत्ता संजलणे कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पंचविहं नाणावरणिज्जं, नवविहं दरिसणावरणिज्जं, पंचविहं अंतराइयं, ताल
१. x (क, ब, म)। २. X (क, ब, म)।
३. सकसादी (अ, ता)। ४. उवग्गहिए (क, म, स)।
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नवमं सतं (एगतीसइमो उद्देसी)
४०६ मत्थाकडं च णं मोहणिज्ज कटु कम्मरयविकिरणकर अपुवकरणं अणुपविदुस्स अणते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाण
दंसणे समुपज्जति ।। ४७. से णं भंते ! केवलिपण्णत्तं धम्मं आघवेज्ज वा? पण्णवेज्ज वा?परूवेज्ज वा ?
नो तिणटे समटे, नण्णत्थ' एगनाएण वा, एगवागरणेण वा॥ ४८. से णं भंते ! पव्वावेज्ज वा ? मुंडावेज्ज वा ?
णो तिणद्वे समढे, उवदेसं पुण करेज्जा ॥ ४६. से णं भंते ! सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ?
हंता सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ ५०. से णं भंते ! कि उड्ढं होज्जा ? अहे होज्जा ? तिरियं होज्जा ?
गोयमा ! उड्ढं वा होज्जा, अहे वा होज्जा, तिरियं वा होज्जा । उड्ढं होमाणे' सद्दावइ-वियडावइ-गंधावइ-मालवंतपरियाएसु वट्टवेयड्ढपव्वएसु होज्जा, साहरणं पडुच्च सोमणसवणे वा पंडगवणे वा होज्जा । अहे होमाणे गड्डाए वा दरीए वा होज्जा, साहरणं पडुच्च पायाले वा भवणे वा होज्जा। तिरियं होमाणे पण्णरससु कम्मभूमीसु होज्जा, साहरणं पडुच्च 'अड्ढाइज्जदीव-समुद्द''तदेक्कदेसभाए होज्जा। ते णं भंते ! एगसमए णं केवतिया होज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं दस । से तेणतुणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए, अत्थेगतिए असोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्मं नो लभेज्ज सवणयाए जाव अत्थेगतिए केवलनाणं उप्पाडेज्जा, अत्थेगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा।।
१. मत्थ° (अ, क); मत्था-अत्र एकपदे २. पविट्ठस्स (अ, क, ता, म)। सन्धिर्जातः । वृत्तौ अस्य व्याख्या एवमस्ति ३. अण्णत्थ (ता)।
-मस्तक-मस्तकशुची कृत्तं-छिन्नं यस्यासौ ४. भ० ११४४ । मस्तककृत्तः, तालश्चासौ मस्तककृत्तश्च ५. होज्जमाणे (ब, स)। तालमस्तककृत्तः, छान्दसत्वाच्चैवं निर्देशः, ६. अड्ढाइज्जे दीवसमुद्दे (अ, स)। तालमस्तककृत्तः इव यत्तत्तालमस्तककृत्तम् (व)।
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४१०
भगवई सोच्चा उवलद्धि-पदं ५२. सोच्चा णं भंते ! केवलिस्स वा,' 'केवलिसावगस्स वा, केवलिसावियाए वा,
केवलिउवासगस्स वा, केवलिउवासियाए वा, तप्पक्खियस्स वा, तप्पक्खियसावगस्सवा, तप्पविखयसावियाए वा, तप्पक्खियउवासगस्स वा, तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए ? गोयमा ! सोच्चा णं केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए, अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्मं नो
लभेज्ज सवणयाए॥ ५३. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-सोच्चा णं जाव नो लभेज्ज सवणयाए ?
गोयमा ! जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ से णं सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए, जस्स णं नाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे नोकडे भवइ से णं सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्म नो लभेज्ज सवणयाए। से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ–सोच्चा णं
जाव नो लभेज्ज सवणयाए । ५४. एवं 'जा चेव' असोच्चाए वत्तव्वया ‘सा चेव सोच्चाए वि भाणियब्वा, नवरं
-अभिलावो सोच्चे त्ति, सेसं तं चेव निरवसेसं जाव जस्स णं मणपज्जवनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमे कडे भवइ, जस्स णं केवलनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खए कडे भवइ से णं सोच्चा केवलिस्स वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलिपण्णत्तं धम्मं लभेज्ज सवणयाए, केवलं बोहिं बुज्झज्जा जाव केवल
नाणं उप्पाडेज्जा ॥ ५५. तस्स णं अट्ठमंअट्ठमेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावमाणस्स पगइभ
द्दयाए, "पगइउवसंतयाए, पगइपयणुकोह-माण-माया-लोभयाए, मिउमद्दवसंपन्नयाए, अल्लीणयाए, विणीययाए, अण्णया कयावि सुभेणं अज्झवसाणेणं, सुभेणं परिणामेणं, लेस्साहिं विसुज्झमाणीहि-विसुज्झमाणीहि तयावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमेणं ईहापोहमग्गण ° गवेसणं करेमाणस्स प्रोहिनाणे समुप्पज्जइ । से णं तेणं अोहिनाणेणं समुप्पन्नेणं जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, उक्कोसेणं असंखेज्जाइं अलोए लोयप्पमाणमेत्ताइ खंडाइं जाणइ-पासइ ।।
१. सं० पा०-~वा जाव तप्पक्खियउवासियाए २. जच्चेव (क, ता, म); जहेव (स)।
वा केवलिपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवरणयाए? ३. सच्चेव (क, ता, ब, म)। गोयमा ! सोच्चा णं केवलिस्स वा जाव ४. भ० ६।११-३२ । अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्म ।
५. सं० पा०-तहेव जाव गवसणं ।
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नवमं सतं ( एगतीसइमो उद्देसो)
५६. से णं भंते! कतिसु लेस्सासु होज्जा ?
गोयमा ! छसु लेस्सासु होज्जा, तं जहा - कण्हलेस्साए जाव' सुक्कलेस्साए ॥ ५७. से णं भंते ! कतिसु नाणेसु होज्जा ?
गोयमा ! तिसुवा, चउसु वा होज्जा । तिसु होमाणे ग्राभिणिबोहियनाणसुयनाण-हिनाणेसु होज्जा, चउसु होमाणे ग्राभिणिबोहियनाण सुयनाणग्रोहिनाण-मणपज्जवनाणेसु होज्जा ।।
५८. से णं भंते ! किं सजोगी होज्जा ? प्रजोगी होज्जा ?
गोयमा ! सजोगी होज्जा, नो जोगी होज्जा ।
जइ सजोगी होज्जा, कि मणजोगी होज्जा ? वइजोगी होज्जा ? कायजोगी होज्जा ?
गोयमा ! मणजोगी वा होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होज्जा ॥ ५६. से णं भंते! किं सागारोवउत्ते होज्जा ? अणागारोवउत्ते होज्जा ? गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होज्जा, प्रणागारोवउत्ते वा होज्जा | ६०. से णं भंते ! कयरम्मि संघयणे होज्जा ?
गोयमा ! वइरोस भनारायसंघयणे होज्जा | ६१. से णं भंते ! कयरम्मि संठाणे होज्जा ?
गोयमा ! छण्हं संठाणाणं प्रण्णयरे संठाणे होज्जा ॥ ६२. से णं भंते ! कयरम्मि उच्चत्ते होज्जा ?
गोयमा ! जहणेणं सत्तरयणीए, उक्कोसेणं पंचधणुसतिए होज्जा ।। ६३. से णं भंते ! कयरम्मि आउए होज्जा ?
गोयमा ! जहणेणं सातिरेगट्ठवासाउए, उक्कोसेणं पुव्वकोडिग्राउए होज्जा ० ॥
६४. से णं भंते! किं सवेदए होज्जा ? वेदए होज्जा ?
o
गोमा ! सवेदए वा होज्जा, वेदए वा होज्जा ।
इ वेद होज्जा कि उवसंतवेदए होज्जा ? खीणवेदए होज्जा ?
गोयमा ! नो उवसंत वेदए होज्जा, खीणवेदए होज्जा |
४११
१. भ० १।१०२ ।
२. होज्जमा ( अ, क, ) 1
३. सं० पा० - एवं जोगो, उवओगो, संघयणं,
सं ठाणं, उच्चत्तं, आउयं च -- एयाणि
जइ सवेदए होज्जा किं इत्थीवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? 'पुरिस - नपुंगवेद " होज्जा ?
गोमा ! इत्थवेद वा होज्जा, पुरिसवेदए वा होज्जा, पुरिस-नपंसगवेदए वाहोज्जा ॥
सव्वाणि जहा असोच्चार तहेव भाणिय
व्वाणि ।
४.
सं० पा० - पुच्छा ।
५. नपुंगवेद ( अ, म) 1
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४१२
भगवई
गायन
६५. से णं भंते ! कि सकसाई होज्जा ? अकसाई होज्जा ?
गोयमा ! सकसाई वा होज्जा, अकसाई वा होज्जा। जइ अकसाई होज्जा कि उवसंतकसाई होज्जा ? खीणकसाई होज्जा ? गोयमा ! नो उवसंतकसाई होज्जा, खीणकसाई होज्जा । जइ सकसाई होज्जा से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होज्जा ? गोयमा ! चउसु वा तिसु वा दोसु वा एक्कम्मि वा होज्जा। चउसु होमाणे चउसु-संजलणकोह-माण-माया-लोभेसु होज्जा, तिसु होमाणे तिसु-संजलणमाण-माया-लोभेसु होज्जा, दोसु होमाणे दोसु-संजलणमाया-लोभेसु होज्जा,
एगम्मि होमाणे एगम्मि-संजलणलोभे होज्जा ।। ६६. तस्स णं भंते ! केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! असंखज्जा "अज्झवसाणा पण्णत्ता ।। ६७. ते णं भंते ! किं पसत्था ? अप्पसत्था ?
गोयमा ! पसत्था, नो अप्पसत्था ।। ६८. से णं भंते ! तेहिं पसत्थेहिं अज्झवसाणेहिं वड्ढमाणेहिं अणंतेहिं ने रइय
भवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहिं तिरिक्खजोणियभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहिं मणुस्सभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ, अणंतेहिं देवभवग्गहणेहितो अप्पाणं विसंजोएइ । जानो वि य से इमानो ने रइय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवगतिनामाप्रो चत्तारि उत्तरपगडीयो, तासि च णं प्रोवग्गहिए अणंताणुबंधी कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता अपच्चक्खाणकसाए कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पच्चक्खाणावरणे कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता संजलणे कोह-माण-माया-लोभे खवेइ, खवेत्ता पंचविहं नाणावरणिज्ज, नवविहं दरिसणावरणिज्ज, पंचविहं अंतराइयं तालमत्थाकडं च णं मोहणिज्ज कटु कम्मरयविकिरणकरं अपुव्वकरणं अणुपविट्ठस्स अणते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे' केवलवरनाण-दंसणे समुप्पज्जइ॥ से णं भंते ! केवलिपण्णत्तं धम्म प्राघवेज्ज वा ? पण्णवेज्ज वा ? परवेज्ज
वा?
हता आघवेज्ज वा, पण्णवेज्ज वा, परवेज्ज वा । ७०. से णं भंते ! पव्वावेज्ज वा ? मुंडावेज्ज वा?
हंता पव्वावेज्ज वा, मुंडावेज्ज वा'। १. सं० पा०-एवं जहा असोच्चाए तहेव जाव २. वा तस्स णं भंते ! सिस्सा वि पव्वावेज्ज वा केवल ।
मुंडावेज्ज वा हंता पव्वावेज्ज वा मुंडावेज्ज वा (क, ता, ब)।
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नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो)
७१. से णं भंते ! सिज्झति बुज्झति जाव' सव्वदुक्खाणं अंत करेइ ? हंता सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥
७२. तस्स णं भंते ! सिस्सा वि सिज्यंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ? हंता सिज्भंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ॥
७३. तस्स णं भंते ! पसिस्सा वि सिज्यंति जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेंति ? "हंता सिज्यंति" जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ।
७४. से णं भंते ! किं उड्ढं होज्जा ? जहेव ग्रसोच्चाए जाव' ग्रड्ढाइज्जदीवसमुद्दतदेकदे सभाए होज्जा ॥
७५. ते णं भंते ! एगसमए णं केवतिया होज्जा ?
गोयमा ! जहणेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं श्रट्टसयं । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ – सोच्चा णं केवलिस्स वा जाव' तप्पक्खियउवासियाए ' वात्थेति केवलनाणं उप्पाडेज्जा, प्रत्येगतिए केवलनाणं नो उप्पाडेज्जा ।। ७६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
बत्तीस मो उद्देस
पासावचिचज्जगंगेय-पसिण-पदं
७७. तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियग्गामे नामं नयरे होत्था - वण्णो । दूतिपलास चेइए' । सामी समोसढे । परिसा निग्गया । धम्मो कहियो । परिसा पडिगया ||
७८. तेणं कालेणं तेणं समएणं पासावच्चिज्जे गंगेए नामं अणगारे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स दूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वदासी --
१. भ० १।४४ ।
२. एवं चेव ( अ, क, ता, ब, म, स ) ।
३. भ० ६।५० ।
४. भ० ६।५१ ।
४१३
५. केवलिउवासियाए ( अ, क, ता, स ) ।
६. भ० १।५१ ।
७. प्रो० सू० १ ।
८. चेइए वण्णओ (ता) |
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४१४
भगवई
संतर-निरंतर-उववज्जणादि-पदं ७६. संतरं भंते ! नेरइया उववज्जति ? निरंतरं ने रइया उववज्जति ?
गंगेया ! संतरं पि नेरइया उववज्जति, निरंतरं पि नेरइया उववज्जति ।। ८०. संतरं भंते ! असुरकुमारा उववज्जति ? निरंतरं असुरकुमारा उववज्जति ?
गंगेया ! संतरं पि असुरकुमारा उववज्जति, निरंतरं पि असुरकुमारा उवव
ज्जति । एवं जाव थणियकुमारा॥ ८१. संतरं भंते ! पुढविक्काइया उववज्जति ? निरंतरं पुढविक्काइया उववज्जति ?
गंगेया ! नो संतरं पुढविक्काइया उववज्जति, निरंतरं पुढविक्काइया उववज्जति । एवं जाव वणस्सइकाइया। बेइंदिया जाव वेमाणिया एते जहा
नेरइया ।। ८२. संतरं भंते ! नेरइया उव्वटुंति ? निरंतरं नेरइया उव्वद॒ति ?
गंगेया ! संतरं पि नेरइया उव्वट्ठति, निरंतरं पि नेरइया उव्वद॒ति । एवं जाव
थणियकुमारा। ८३. संतरं भंते ! पुढविक्काइया उव्वद॒ति ?-पुच्छा।
गंगेया ! नो संतरं पुढविक्काइया उव्वद॒ति, निरंतरं पुढविक्काइया उव्वद॒ति ।
एवं जाव वणस्सइकाइया-नो संतरं, निरंतरं उव्वद॒ति ।। ८४. संतरं भंते ! बेइंदिया उव्वद॒ति ? निरंतरं बेइंदिया उव्वटुंति ?
गंगेया ! संतरं पि बेइंदिया उव्वद्वृति, निरंतरं पि बेइंदिया उव्वति । एवं
जाव वाणमंतरा।। ८५. संतरं भंते ! जोइसिया चयंति ?--पूच्छा।
गंगेया ! संतरं पि जोइसिया चयंति, निरंतरं पि जोइसिया चयंति । एवं वेमाणिया वि॥
पवेसण-पदं
८६. कतिविहे णं भंते ! पवेसणए पण्णत्ते ?
गंगेया ! चउन्विहे पवेसणए पण्णत्ते, तं जहा -- नेरइयपवेसणए, तिरिक्खजो
णियपवेसणए, मणुस्सपवेसणए, देवपवेसणए ।। ८७. नेरइयपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गंगेया ! सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा - रयणप्पभापुढविने र इयपवेसणए' जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणए ।
१. सांतरं (क, ता, म)।
२. रयणप्पभ° (क, ता)।
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नवमं सर्वं (बत्तीसइमो उद्देसो)
४१५
८८. एगे भंते! नेरइए नेरइयपवेसणएणं पविसमाणे किं रयणप्पभाए होज्जा, सक्करपभाए होज्जा जाव प्रहेसत्तमाए होज्जा ?
गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव आहेसत्तमाए वा होज्जा | ८६. दो भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा जाव सत्तमाए होज्जा ?
गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ।
हवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाव एगे रयणप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे सक्करपभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव ग्रहवा एगे वालुयप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा । एवं एक्का पुढवी छड्डेयव्वा जाव श्रहवा एगे तमाए एगे प्रसत्तमाए होज्जा' ॥ १०. तिणि भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा
जावसत्तमाए होज्जा ?
गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव ग्रसत्तमाए वा होज्जा ।
हवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए दो ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा जाव हवा दो रयणप्पभाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे सक्करप्पभाए दो वालुभाए होज्जा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए दो आहेसत्तमाए होज्जा | हवा दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा दो सक्करप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा, एवं जहा सक्करप्पभाए वत्तव्वया भणिया, तहा सव्वपुढवीणं भाणियव्वं जाव ग्रहवा दो तमाए एगे ग्रसत्तमाए होज्जा ॥
अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एंगे रणभाए एगे सक्करप्पभाए एगे प्रसत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, एवं जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुभाए एगे असत्तमाए होज्जा । ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाएगे धूमप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे असत्तमाए होज्जा । श्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए
२. द्विसंयोगजा भङ्गाः ४२ ।
१. द्विसंयोगजा भङ्गाः २१ ।
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भगवई
होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। चत्तारि भंते ! नेरइया नेरइयपवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा?-पुच्छा। गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा तिण्णि रयणप्प भाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जहेव रयणप्पभाए उवरिमाहिं समं चारियं तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमाहिं समं चारेयव्वं, एवं एक्केक्काए समं चारेयव्वं जाव अहवा तिण्णि तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव एगे रय
१. त्रिसंयोगजा भङ्गाः ३५ ।
२. द्विसंयोगजा भङ्गाः ६३ ।
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नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो)
४१७
णप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयणपभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्यभाए एगे वालुयप्पभाए दो पंकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा। एवं एएणं गमएणं जहा तिण्हं तियासंजोगो तहा भाणियव्वो जाव अहवा दो धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, 'अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा', अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा. अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए
१. तिय ° (अ, म, स)। २. त्रिसंयोगजा भङ्गाः १०५ ।
३. एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा।
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४१८
भगवई
होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए होज्जा । एवं जहा रयणप्पभाए उवरिमायो पुढवीयो चारियाप्रो तहा सक्करप्पभाए वि उवरिमायो चारियव्वाअो जाव अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे बालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे पंकपभाए एगे धमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा ।। पंच भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ? -पुच्छा । गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए चत्तारि अहंसत्तमाए होज्जा। अहवा दो रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए तिण्णि अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा तिण्णि रयणप्पभाए दोण्णि सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे सक्करप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा। एवं जहा रयणप्पभाए समं उवरिमपुढवीओ चारियाग्रो तहा सक्करप्पभाए वि समं चारेयव्वानो जाव अहवा चत्तारि सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। एवं एक्केक्काए समं चारेयव्वानो जाव अहवा चत्तारि तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए तिण्णि अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा अगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए एगे वालयप्पभाए होज्जा. एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव
१. चतुःसंयोगजा भङ्गाः ३५ ।
२. द्विसंयोगजा भङ्गाः ८४ ।
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नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो)
४१६ अहेसत्तमाए । अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए तिण्णि पंकप्पभाए होज्जा। एवं एएणं कमेणं जहा चउण्हं तियासंजोगो' भणितो तहा पंचण्ह वि तियासंजोगो भाणियब्वो, नवरं-तत्थ एगो संचारिज्जइ, इह दोण्णि, सेसं तं चेव जाव अहवा तिण्णि धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए दो अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए दो वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहेसत्तमाए। अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे बालुयप्णभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए दो धूमप्पभाए होज्जा, एवं जहा चउण्हं चउक्कसंजोगो भणियो तहा पंचण्ह वि चउक्कसंजोगो भाणियको नवरं-अमहियं एगो संचारेयव्वो, एवं जाव अहवा दो पंकप्पभाए एगे धमप्पभाए एग तमाए एग अहसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एग धमप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एग सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, ग्रहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे
१. तिय° (क)।
३. त्रिसंयोगजा भङ्गाः २१० । २. इमाहिं (अ, क, ब, म, स); इमेहिं (ता)। ४. चतुःसंयोगगा भङ्गाः १४० ।
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४२०
भगवई
अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगें पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एंगे पंकप्पभाए एग तमाए एगे आहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एग अहसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहे सत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए
होज्जा॥ ६३. छन्भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ?
-पूच्छा । गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए पंच सक्करप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए पंच वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए पंच अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो रयणप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा तिण्णि रयणप्पभाए तिण्णि सक्करप्पभाए । एवं एएणं कमेणं जहा पचण्हं दुयासंजोगो तहा छण्ह वि भाणियव्वो, नवरं-एक्को अब्भहिरो संचारेयव्वो जाव अहवा पंच तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि वालुयप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि पंकप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए चत्तारि अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए तिण्णि वालुयप्पभाए होज्जा । एवं एएणं कमेणं जहा पंचण्हं तियासंजोगो भणिो तहा छह वि भाणियव्वो,
१. पञ्चसंयोगजा भङ्गा: २१ ।
२. द्विसंयोगजा भङ्गाः १०५ ।
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नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो)
४२१ नवरं-एक्को अहियो उच्चारेयव्वो, सेसं तं चेव। चउक्कसंजोगो वि तहेव', पंचगसंजोगो वि तहेव, नवरं-एक्को अब्भहिओ संचारेयव्वो जाव पच्छिमो भंगो, अहवा दो वालुयप्पभाए एगे पंकप्पभाए एगे धूमप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा'। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे धूमप्पभाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे पंकप्पभाए एगे तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए ‘एगे सक्करप्पभाए" एगे वालुयप्पभाए एगे धूमप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे पंकप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे सक्करप्पभाए एगे वालु
यप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा ।। ६४. सत्त भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा?
-पुच्छा । गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। ग्रहवा एगे रयणप्पभाए छ सक्करप्पभाए होज्जा । एवं एएणं कमेणं जहा छण्हं दुयासंजोगो तहा सत्तण्ह वि भाणियब्वं, नवरं-एगो अब्भहिरो संचारिज्जइ, सेसं तं चेव । तियासंजोगो', चउक्कसंजोगो', पंचसंजोगो ,छक्कसंजोगो य छण्हं जहा तहा सत्तण्ह वि भाणियव्वं, नवरं-एक्केक्को अब्भहियो"संचारेयव्वो जाव छक्कगसंजोगो अहवा दो सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव
एगे अहेसत्तमाए होज्जा।।। ६५. अट्ठ भंते ! नेरइया ने रइयप्पवेसणएणं पविसमाणा किं रयणप्पभाए होज्जा ?
-पूच्छा । गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा ।
अहवा एगे रयणप्पभाए सत्त सक्करप्पभाए होज्जा। एवं दुयासंजोगो जाव १. त्रिसंयोगजा भङ्गाः ३५० ।
६. पंचा° (क); पञ्चसंयोगजा भङ्गाः ३१५ । २. चतु:संयोगजा भङ्गाः ३५० ।
१०. छक्का (क, ब)। ३. पञ्चसंयोगजा भङ्गाः १०५ । ११. अहिओ (अ); अहितो (क); अधितो (ता)। ४. जाव (अ, क, ता, ब, म, स)। १२. षट्संयोगजा भङ्गाः ४२ । ५. षट्संयोगजा भङ्गाः ७ ।
१३. द्विसंयोगजा भङ्गाः १४७, त्रिसंयोगजा ६. द्विसंयोगजा भङ्गाः १२६ ।
भङ्गा ७३५, चतुःसंयोगजा भङ्गाः १२२५, ७. त्रिसंयोगजा भङ्गाः ५२५ ।
पञ्चसंयोगजा भङ्गाः ७३५ । ८. चतुःसंयोगजा भङ्गाः ७०० ।
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भगवई ४२२
छक्कसंजोगो य जहा सत्तण्हं भणिओ तहा अट्टण्ह वि भाणियव्वो, नवरं-- एक्केको अब्भहिरो संचारेयव्वो, सेसं तं चेव जाव छक्कगसंजोगस्स अहवा तिण्णि सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए जाव एगे तमाए दो अहेसत्तमाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए जाव दो तमाए एगे अहेसत्तमाए होज्जा। एवं संचारेयव्वं जाव
ग्रहवा दो रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा'। ६६. नव भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ?
-पुच्छा । गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए अट्ठ सक्करप्पभाए होज्जा । एवं दुयासंजोगो' जाव सत्तगसंजोगो य जहा अट्ठण्हं भणियं तहा नवण्ह पि भाणियव्वं, नवरं-एक्केक्को अब्भहिरो संचारेयव्वो, सेसं तं चेव पच्छिमो पालावगो-अहवा तिण्णि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए एगे वालुयप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए
होज्जा ॥ ६७. दस भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ?
—पुच्छा । गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव असत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए नव सक्करप्पभाए होज्जा। एवं दुयासंजोगो' जाव सत्तसंजोगो य जहा नवण्हं, नवरं-एक्केको अन्भहियो संचारेयव्वो, सेसं तं चेव पच्छिमो पालावगो- अहवा चत्तारि रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए जाव एगे अहेसत्तमाए होज्जा ॥ संखेज्जा भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ?- पुच्छा। गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा सवकरप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा एगे
६८.
१. षट्संयोगजा भङ्गाः १४७ । २. सप्तसंयोगजा भङ्गाः ७ । ३. द्विसंयोगजा भङ्गाः १६८, त्रिसंयोगजा
भङ्गाः ६८०, चतु:संयोगजा भङ्गाः १६६०, पञ्चसंयोगजा भङ्गाः १४७०, षट्संयोगजा
भङ्गाः ३६२। ४. वडेंसगसंजोगो (अ)।
५. सप्तसंयोगजा भङ्गाः २८ । ६. द्विसंयोगजा भङ्गाः १०६, त्रिसंयोगजा
भङ्गाः १२६०, चतुःसंयोगजा भङ्गाः २६४०, पञ्चसंयोगजा भङ्गाः २६४६,
षट्-संयोगजा भङ्गाः ८८२।। ७. अपच्छिमो (अ, क, ता, म, स)। ५. सप्तसंयोगजा भङ्गाः ८४ ।
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नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो)
४२३ रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा, एवं जाव अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा तिण्णि रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा । एवं एएणं कमेणं एक्केक्को संचारेयव्वो जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा। एवं जाव अहवा दस रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए होज्जा जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे सक्करप्पभाए संखेज्जा वालूयप्पभाए होज्जा, एवं जहा रयणप्पभा उवरिमपुढवीहि समं चारिया एवं सक्करप्पभा वि उवरिमपुढवीहिं समं चारेयव्वा, एवं एक्केक्का पुढवी उवरिमपुढवीहि समं चारेयव्वा जाव अहवा संखेज्जा तमाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए संखेज्जा वालूयप्पभाए होज्जा, अहवा एगे रयणप्पभाए एगे सक्करप्पभाए संखेज्जा पंकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एग रयणप्पभाए एग सक्करप्पभाए संखेज्जा अहंसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए संखेज्जा वालूयप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए दो सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए तिणि सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं एक्वेक्को संचारेयव्वो सक्करप्पभाए जाव अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव अहवा दो रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा तिण्णि रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालूयप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं एक्केक्को रयणप्पभाए संचारेयव्वो जाव अहवा संखेज्जा रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए संखेज्जा वालुयप्पभाए होज्जा जाव ग्रहवा संखज्जा रयणप्पभाए संखज्जा सक्करप्पभाए संखज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए संखेज्जा पंकप्पभाए होज्जा जाव अहवा एगे रयणप्पभाए एगे वालुयप्पभाए संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा । अहवा एगे रयणप्पभाए दो वालुयप्पभाए संखेज्जा पंकप्पभाए होज्जा, एवं एएणं कमेणं तियासंजोगो, चउक्कसंजोगो जाव सत्तगसंजोगो य जहा दसण्हं तहेव भाणियव्वो । पच्छिमो पालावगो सत्तसंजोगस्स- अहवा संखेज्जा
रयणप्पभाए संखेज्जा सक्करप्पभाए जाव संखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा ॥ ६६. असंखेज्जा भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए
होज्जा ?-पुच्छा।
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४२४
भगवई
गंगेया ! रयणप्पभाए वा होज्जा जाव अहेसत्तमाए वा होज्जा। अहवा एगे रयणप्पभाए असंखेज्जा सक्क रप्पभाए होज्जा, एवं दुयासंजोगो जाव सत्तगसंजोगो य जहा संखेज्जाणं भणियो तहा असंखेज्जाण विभाणियव्वो, नवरं-असंखेज्जओ अब्भहिरो भाणियव्वो, सेसं तं चेव जाव सत्तगसंजोगस्स पच्छिमो पालावगो अहवा असंखेज्जा रयणप्पभाए असंखेज्जा सक्करप्पभाए जाव असंखेज्जा अहेसत्तमाए होज्जा। उक्कोसेणं भंते ! नेरइया नेरइयप्पवेसणएणं पविसमाणा कि रयणप्पभाए होज्जा ? -पुच्छा। गंगेया ! सव्वे वि ताव रयणप्पभाए होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य वालुयप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए य अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य वालुयप्पभाए य होज्जा, एवं जाव अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य अहसत्तमाए य होज्जा, ग्रहवा रयणप्पभाए वालूयप्पभाए पकप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए पंकप्पभाए धूमाए होज्जा, एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा तिण्हं तियासंजोगो भणियो तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयणप्पभाए तमाए य अहेसत्तमाए य होज्जा। अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए य होज्जा, ग्रहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा जाव अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा एवं रयणप्पभं अमुयंतेसु जहा चउण्डं चउक्कगसंजोगो भणितो तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयणप्पभाए धूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा। अहवा रयणप्पभाए सवकरप्पभाए वालुयप्पभाए पंकप्पभाए धूमप्पभाए य होज्जा, प्रहवा रयणप्पभाए जाव पकप्पभाए तमाए य होज्जा, प्रहवा रयणप्पभाए जाव पंकप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालयप्पभाए धमप्पभाए तमाए य होज्जा, एवं रयणप्पभं अमयंतेस जहा पंचण्हं पंचगसंजोगो तहा भाणियव्वं जाव अहवा रयणप्पभाए पंकप्पभाए जाव अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए जाव धूमप्पभाए तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए जाव धूमप्पभाए अहेसत्तमाए य होज्जा अहवा रयणप्पभाए सवकरप्पभाए जाव पंकप्पभाए तमाए य अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए धूमप्पभाए तमाए अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए सक्करप्पभाए पंकप्पभाए जाव
१. सत्ता°, (अ ता, ब)।
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नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो)
४२५
अहेसत्तमाए य होज्जा, अहवा रयणप्पभाए वालुयप्पभाए जाव अहेसत्तमाए य
होज्जा, अहवा रयणप्पभाए य सक्करप्पभाए य जाव अहेसत्तमाए य होज्जा ॥ १०१. एयस्स णं भंते ! रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणगस्स सक्करप्पभापुढविनेरइय
पवेसणगस्स जाव अहेसत्तमापुढविनेरइयपवेसणगस्स कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गंगेया ! सव्वत्थोवे अहेसत्तमापुढविने रइयपवेसणए, तमापुढविनेरइयपवेसणए असंखेज्जगुणे, एवं पडिलोमगं' जाव रयणप्पभापुढविनेरइयपवेसणए
असंखेज्जगुणे॥ १०२. तिरिक्खजोणियपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गंगेया ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-एगिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए जाव
पंचिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए । १०३. एगे भंते ! तिरिवखजोणिए तिरिवखजोणियपवेसणएणं पविसमाणे कि एगि
दिएसु होज्जा जाव पंचिदिएसु होज्जा?
गंगेया ! एगिदिएसु वा होज्जा जाव पंचिदिएसु वा होज्जा ।। १०४. दो भंते ! तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियपवेसणएणं-पुच्छा।
गंगेया ! एगिदिएसु वा होज्जा जाव पंचिदिएसु वा होज्जा। अहवा एगे एगिदिएसु होज्जा एगे बेइंदिएसु होज्जा, एवं जहा ने रइयपवेसणए तहा तिरिक्ख
जोणियपवेसणए वि भाणियब्वे जाव असंखेज्जा ॥ १०५. उक्कोसा भंते ! तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियपवेसणएणं-पुच्छा।
गंगेया ! सव्वे वि ताव एगिदिएसु होज्जा, अहवा एगिदिएसु वा बेइंदिएसु वा होज्जा । एवं जहा नेरइया चारिया तहा तिरिक्खजोणिया वि चारेयव्वा । एगिदिया अमुयंतेसु दुयासंजोगो, तियासंजोगो, चउक्कसंजोगो', पंचसंजोगो उवजुजिऊण भाणियन्वो जाव अहवा एगिदिए सु वा, बेइंदिएसु वा जाव पंचि
दिएसु वा होज्जा ॥ १०६. एयस्स णं भंते ! एगिदियतिरिवखजोणियपवेसणगस्स जाव पंचिदियतिरिवख
जोणियपवेसणगस्स य कयरे कयरेहिंतो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा? ० विसेसाहिया वा? गंगेया ! सव्वथोवे पंचिदियतिरिक्खजोणियपदेसणए, चउरिदियतिरिवख
१. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २. उप्पडि° (क, ता, ब)। ३. य, (अ, ता); या (क)। ४. चउक्का (अ, क, ब) ।
५. पंचा (क, ब)। ६. उववज्जिऊण (अ); उवउज्जित्तण (क), __उवउज्जिऊण (ता, स)। ७. सं० पा०--कयरेहितो जाव विसेसाहिया ।
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४२६
भगवई
१०६.
___ जोणियपवेसणए विसेसाहिए, तेइंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए विसेसाहिए,
बेइंदियतिरिक्खजोणियपवेसणए विसेसाहिए, एगिदियतिरिक्खजोणियपवेसणए
विसेसाहिए॥ १०७.
मणुस्सपवेसणए णं भंते ! कति विहे पण्णते ? गंगेया ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-समुच्छिममणुस्सपवेसणए, गब्भवक्कंतिय
मणुस्सपवेसणए य ॥ १०८.
एगे भंते ! मणुस्से मणुस्सपवेसणएणं पविसमाणे किं समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा? गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा ? गंगेया ! समुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा, गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु वा होज्जा ।। दो भंते ! मणुस्सा-पुच्छा। गंगेया ! समुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा, गम्भवक्कंतियमणुस्सेसु वा होज्जा । अहवा एगे संमुच्छिममणुस्सेसु होज्जा एगे गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा, एवं एएणं कमेणं जहा नेरइयपवेसणए तहा मणुस्सपवेसणए वि भाणियब्वे जाव दस ॥ संखेज्जा भंते ! मणुस्सा-पुच्छा। गंगेया ! संमुच्छिममणुस्सेसु वा होज्जा, गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु वा होज्जा। अहवा एगे संमुच्छिममणुस्सेसु होज्जा संखेज्जा गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा, ग्रहबा दो समुच्छिममणुस्सेसु होज्जा संखेज्जा गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा, एवं एक्केक्कं उस्सारितेसु जाव अहवा संखेज्जा संमुच्छिममणुस्सेसु होज्जा
संखेज्जा गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा ॥ १११. असंखेज्जा भंते ! मणुस्सा--पुच्छा।
गंगेया ! सव्वे वि ताव संमुच्छिममणुस्सेसु होज्जा। अहवा असंखेज्जा संमुच्छिममणुस्सेसु एगे गब्भवक्कं तियमणुस्सेसु होज्जा, अहवा असंखेज्जा संमुच्छिममणुस्सेसु दो गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा, एवं जाव असंखेज्जा संमुच्छिम
मणुस्सेसु होज्जा संखज्जा गब्भवक्कंतियमणुस्सेसु होज्जा ॥ ११२. उक्कोसा भंते ! मणुस्सा-पुच्छा।
गंगेया ! सव्वे वि ताव संमुच्छिममणुस्सेसु होज्जा । अहवा समुच्छिममणुस्सेसु
य गव्भवक्कंति ११३. एयस्स णं भंते ! संमुच्छिममणुस्सपवेसणगस्स गब्भवक्कंतियमणुस्सपवेसणगस्स
य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ?
१. सं० पा०–कयरेहितो जाव विरोसाहिया।
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नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो)
४२७ गंगेया ! सव्वत्थोवे गब्भवक्कंतियमणुस्सपवेसणए संमुच्छिममणुस्सपवेसणए
असंखज्जगुणे ॥ ११४. देवपवेसणए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गंगेया ! चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-भवणवासिदेवपवेसणए जाव वेमाणिय
देवपवेसणए । ११५. एगे भंते ! देवे देवपवेसणएणं पविसमाणे किं भवणवासीसु होज्जा? वाणमंतर
जोइसिय-वेमाणिएसु होज्जा ?
गंगेया ! भवणवासीसु वा होज्जा, वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएसु वा होज्जा ॥ ११६. दो भंते ! देवा देवपवेसणएणं--पुच्छा ।
गंगेया ! भवणवासीसु वा होज्जा, वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिएसु वा होज्जा। अहवा एगे भवणवासीसु एगे वाणमंतरेसु होज्जा, एवं जहा तिरिक्खजोणिय
पवेसणए तहा देवपवेसणए वि भाणियव्वे जाव असंखेज्जत्ति ॥ ११७.
उक्कोसा भंते ! –पुच्छा। गंगेया ! सव्वे वि ताव जोइसिएसु होज्जा, अहवा जोइसिय-भवणवासीसु य होज्जा, अहवा जोइसिय-वाणमंतरेसु य होज्जा, अहवा जोइसिय-वेमाणिएसु य होज्जा, अहवा जोइसिएम य भवणवासीसु य वाणमंतरेसु य होज्जा, अहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु ए वेमाणिएसु य होज्जा, अहवा जोइसिएसु य वाणमंतरेसु य वेमाणिएसु य होज्जा, अहवा जोइसिएसु य भवणवासीसु य
वाणमंतरेसु य वेमाणिएसु य होज्जा ।। ११८. एयस्स णं भंते ! भवणवासिदेवपवेसणगस्स, वाणमंतरदेवपवेसणगस्स.
जोइसियदेवपवेसणगस्स, वेमाणियदेवपवेसणगस्स य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसा हिया वा ? गंगेया ! सव्वत्थोवे वेमाणियदेवपवेसणए, भवणवासिदेवपवेसणए असंखेज्ज
गुणे, वाणमंतरदेवपवेसणए असंखेज्जगुणे, जोइसियदेवपवेसणए संखेज्जगुणे ॥ ११६. एयस्स णं भंते ! नेरइयपवेसणगस्स तिरिक्खजोणियपवेसणगस्स मणुस्सपवेसण
गस्स देवपवेसणगस्स य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गंगेया ! सव्वत्थोवे मणुस्सपवेसणए, नेरइयपवेसणए असंखेज्जगुणे, देवपवेसणए असंखेज्जगुणे, तिरिक्खजोणियपवेसणए असंखेज्जगुणे ॥
१. सं० पा०—कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
२. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
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४२८
संतर - निरंतर उववज्जणादि-पदं
१२०. संतरं भंते ! नेरइया उववज्जंति निरंतरं नेरइया उववज्जंति संतरं असुरकुमारा उववज्जंति निरंतरं असुरकुमारा उववज्जति जाव संतरं वेमाणिया उववज्जंति निरंतरं वेमाणिया उववज्जंति ?
भगवई
संतरं नेरइया उव्वति निरंतरं नेरइया उव्वट्टंति जाव संतरं वाणमंतरा उव्वट्टेति निरंतरं वाणमंतरा उव्वद्वंति ? संतरं जोइसिया चयंति निरंतरं जोइसिया चयंति संतरं वेमाणिया चयंति निरंतरं वेमाणिया चयंति ? गंगेया ! संतरं पि नेरइया उववज्जंति निरंतरं पि नेरइया उववज्जति जाव संतरं पिथणियकुमारा उववज्जति निरंतरं पि थणियकुमारा उववज्जंति, नो संतरं पुढविवकाइया उववज्जंति निरंतरं पुढविक्काइया उववज्जंति, एवं जाव वणस्सइकाइया । सेसा जहा नेरइया जाव संतरं पिवेमाणिया उववज्जंति निरंतरं पिवेमाणिया उववज्जंति ।
संतरं पि नेरइया उव्वदृति निरंतरं पि नेरइया उव्वदृति एवं जाव थणियकुमारा । नो संतरं पुढविक्काइया उब्वट्टेति निरंतरं पुढविक्काइया उव्वति एवं जाव वणस्सइकाइया । सेसा जहा नेरइया, नवरं - जोइसियमणिया चयंति अभिलावो जाव संतरं पि वेमाणिया चयंति निरंतरं पि वेमाणिया चयंति ॥
सतो असतो उववज्जणादि-पदं
१२१. सतो' भंते ! नेरइया उववज्जंति, असतो' नेरइया उववज्जंति, सतो असुरकुमारा उववज्जंति जाव सतो वेमाणिया उववज्जंति, असतो वेमाणिया उववज्जंति ? सतो नेरइया उव्वट्टंति, असतो नेरइया उब्वट्टंति, सतो असुरकुमारा उव्वति जाव सतो वेमाणिया चयंति, असतो वेमाणिया चयंति ?
१. सांतरं (क, ता, ब, म) 1 २. अस्मिन् प्रकरणे द्वयोर्वाचनायोमिश्रणं दृश्यते । प्रथमा वाचना किञ्चित् संक्षिप्तास्ति, द्वितीया च किञ्चिद् विस्तृता । एतन् मिश्रणं वृत्तिरचनातः उत्तरकालमेव जातं सम्भाव्यते, तेनैव वृत्तिकृता नास्मिन् विषये किञ्चिद् लिखितम् । आदर्शेषु च प्राप्यते । श्रस्माभिवृत्तिमनुसृत्य एका वाचना स्वीकृता, द्वितीया च पाठान्तरे न्यस्ता, यथा'सतो भंते ! नेरइया उववज्जंति ? असतो
नेरइया उववज्जंति ? गंगेया ! सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जंति । एवं जाव वैमाणिया ।
'सतो भंते! नेरइया उव्वति ? असतो नेरइया उव्वट्टति ? गंगेया ! सतो नेरइया उव्वट्टति, नो असतो नेरइया उव्वति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं - जोइसियमासु चयंति भाणियव्वं ।' ३. असओ (ता) ।
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नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो)
गंगेया ! सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति, सतो असुरकुमारा उववज्जंति, नो असतो असुरकूमारा उववज्जति जाव सतो वेमाणिया उववज्जंति. नो असतो वेमाणिया उववज्जति. सतो नेरइया उव्वद्वृति, नो असतो नेरइया उव्वद॒ति जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो
असतो वेमाणिया चयंति ।। १२२. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ--सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया
उववज्जति जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति ? से नणं भे' गंगेया ! पासेणं अरहया पुरिसादाणीएणं सासए लोए बुइए अणादीए अणवदग्गे परित्ते परिवुडे हेट्ठा विच्छिण्णे, मज्झे संखित्ते, उप्पि विसाले; अहे पलियंकसंठिए, मझे वरवइरविग्गहिए, उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठिए। तंसिं च णं सासयंसि लोगंसि अणादियंसि अणवदग्गंसि परित्तंसि परिवुडंसि हेट्ठा विच्छिण्णंसि, मज्झे संखित्तंसि, उप्पि विसालंसि, अहे पलियंकसंठियंसि, मज्झे वरवइरविग्गहियंसि, उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठियंसि अणंता जीवघणा उप्पज्जित्ता-उप्पज्जित्ता निलीयंति, परित्ता जीवघणा उप्पज्जित्ता-उप्पज्जित्ता निलीयंति । से भए उप्पण्णे विगए परिणए, अजीवेहिं लोक्कइ पलोक्कइ०, जे लोक्कइ से लोए । से तेणद्वेणं गंगेया! एवं वुच्चइ ---जाव सतो वेमाणिया चयंति, नो असतो
वेमाणिया चयंति ॥ सतो परतो वा जारगणा-पदं १२३. सयं भंते ! एतेवं जाणह, उदाहु असयं, असोच्चा एतेवं जाणह, उदाहु
सोच्चा–सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरक्या उववज्जति जाव सतो वेमाणिया, चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति ? गंगेया ! सयं एतेवं जाणामि, नो असयं, असोच्चा एतेवं जाणामि, नो सोच्चासतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति जाव सतो वेमाणिया
चयंति, नो असतो वेमाणिया चयंति ।। १२४. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-" सयं एतेवं जाणामि, नो असयं, असोच्चा
एतेवं जाणामि, नो सोच्चा-सतो नेरइया उववज्जति, नो असतो नेरइया उववज्जति जाव सतो वेमाणिया चयंति °, नो असतो वेमाणिया चयंति ?
१. ते (अ)। २. सं० पा०-जहा पंचमसए जाव जे। ३. सतं (क, ता)।
४. एवं (अ, क); एते एवं (ता); एयं एवं (ब) ५. सं० पा०-तं चेव जाव नो।
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भगवई
गंगेया ! केवली णं पुरत्थिमे णं मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ । दाहिणे णं, "पच्चत्थिमे णं, उत्तरे णं, उड्ढं, अहे मियं पि जाणइ, अमियं पि जाणइ । सव्वं जाणइ केवली, सव्वं पासइ केवली। सव्वनो जाणइ केवली, सव्वग्रो पासइ केवली। सव्वकालं जाणइ केवली, सव्वकालं पासइ केवली । सव्वभावे जाणइ केवली, सव्वभावे पासइ केवली। अणंते नाणे केवलिस्स, अणते दंसणे केवलिस्स। निव्वुडे नाणे केवलिस्स, निव्वुडे दंसणे केवलिस्स ° । से तेण?णं गंगेया ! एवं वुच्चइ-सयं एतेवं जाणामि, नो असयं असोच्चा एतेवं जाणामि, नो
सोच्चा-तं चेव जाव नो असतो वेमाणिया चयंति ।। सयं असयं उववज्जणा-पदं १२५. सयं भंते ! नेरइया नेरइएसु उववज्जति ? असयं नेरइया नेरइएसु
उववज्जति ? गंगेया ! सयं नेरइया नेरइएसु उववज्जति, नो असयं नेरइया नेरइएसु
उववज्जति ॥ १२६. से केणतुणं भंते ! एवं बुच्चइ.... • सयं ने रइया नेरइएसु उववज्जंति, नो असयं
ने रइया नेरइएसु° उववज्जंति ? गंगेया ! कम्मोदएणं, कम्मगुरुयत्ताए, कम्मभारियत्ताए, कम्मगुरुसंभारियत्ताए; असुभाणं कम्माणं उदएणं, असुभाणं कम्माणं विवागेणं, असुभाणं कम्माणं फलविवागेणं सयं ने रइया नेरइएसु उववज्जति, नो असयं नेरइया नेरइएस उववज्जति। से तेणद्वेणं गंगेया' ! एवं वुच्चइ -सयं ने रइया नेरइएसु
उववज्जति, नो असयं नेरइया नेरइएसु ° उववज्जति ॥ १२७. सयं भंते ! असुरकुमारा-पुच्छा।
गंगेया ! सयं असुरकुमारा' 'असुरकुमारेसु° उववज्जंति, नो असयं असुर
कुमारा" असुरकुमारेसु उववज्जति ॥ १२८. से केणट्रेणं तं चेव जाव उववज्जति ?
गंगेया ! कम्मोदएण, कम्मविगतीए, कम्मविसोहीए, कम्मविसुद्धीए; सुभाणं कम्माणं उदएणं, सुभाणं कम्माणं विवागेणं सुभाणं कम्माणं फलविवागेणं सयं
१. स. पा०-एवं जहा सदुद्देसए जाव नियुडे ४. सं० पा०-असुरकुमारा जाव उववज्जति । नाणे केवलिस्स ।
५. सं० पा०-असुरकुमारा जाव उववति । २. सं० पा०-बुच्चइ जाव उववज्जति । ६. कम्मोदएणं कम्मोवसमेणं (अ, क, वृपा)। ३. सं० पा०--गंगेया जाव उववज्जति । ७. कम्मचियत्ताए (ता)।
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नवमं सतं (बत्तीसइमो उद्देसो)
असुरकुमारा असुरकुमारत्ताए उववज्जंति, नो असयं असुरकुमारा' असरकुमार
ताए ° उववज्जति । से तेण?णं जाव उववज्जति । एवं जाव थणियकुमारा ।। १२६. सयं भंते ! पुढविक्काइया-पुच्छा।
गेया ! सयं पुढविक्काइया' 'पुढविक्काइएसु ° उववज्जति नो असयं
पुढविक्काइया "पुढविक्काइएसु ° उववज्जति ।। १३०.
से केण?णं जाव उववज्जति ? गंगेया ! कम्मोदएणं, कम्मगुरुयत्ताए, कम्मभारियत्ताए, कम्मगुरुसंभारियत्ताए; सुभासुभाणं कम्माणं उदएणं, सुभासुभाणं कम्माणं विवागेणं, सुभासुभाणं कम्माणं फलविवागेणं सयं पुढविक्काइया पुढविक्काइएसु° उववज्जति, नो असयं पुढविक्काइया' 'पुढविक्काइएसु° उववज्जति । से तेणटेणं जाव
उववज्जति ॥ १३१. एवं जाव मणुस्सा। १३२. वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा । से तेणटेणं गंगेया ! एवं
वुच्चइ-सयं वेमाणिया 'वेमाणिएसु° उववज्जति, नो असयं वेमाणिया
वेमाणिएसु ° उववज्जति ॥ गंगेयस्स संबोधि-पदं १३३. तप्पभिति च णं से गंगेये अणगारे समणं भगवं महावीरं पच्चभिजाणइ सव्वण्णु
सव्वदरिसि । तए णं से गंगेये अणगारे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयहिणपयाहिणं करे इ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीइच्छामि णं भंते ! तुभं अंतियं चाउज्जामाओ धम्माओ पंचमहव्वइयं "सपडिक्कमणं धम्म उवसंपज्जित्ता णं विहरित्तए।
अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ।। १३४. तए णं से गंगेये अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता
चाउज्जामानो धम्माप्रो पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपज्जित्ता णं
विहरति ।। १३५. तए णं से गंगेये अणगारे बहूणि वासाणि सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता
१. स० पा०-असुरकुमारा जाव उववज्जति । ६. सं० पा०-वेमारिणया जाव उववज्जति । २. सं० पा०—पुढविक्काइया जाव उववज्जति । ७. सं० पा०-असयं जाव उववज्जति । ३. सं० पा.---पुढविक्काइया जाव उववज्जति । ८. सं० पा०–एवं जहा कालासवेसियपत्तो तहेव ४. सं० पा०-पुढविक्काइया जाव उववज्जति । भारिणयव्वं जाव सव्वदुक्खप्पहीणे। ५. सं० पा०-पुढविक्काइया जाव उववज्जंति ।
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भगवई
जस्सट्टाए कोरइ नग्गभावे मुडभावे अण्हाणयं अदंतवणयं अच्छत्तयं अणोवाहणयं भूमिसेज्जा फलहसेज्जा कठ्ठसेज्जा केसलोनो बंभचेरवासो परघरप्पवेसो लद्धावलद्धी उच्चावया गामकंटगा बावीसं परिसहोवसग्गा अहियासिज्जंति, तमटुं पाराहेइ, पाराहेत्ता चरमेहि उस्सास-नीसासेहिं सिद्धे बुद्धे मुक्के
परिनिव्वुडे ° सव्वदुक्खप्पहीणे।। १३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
तेत्तीसइमो उद्देसो उसभदत्त-देवाणंदा-पदं १३७. तेणं कालेणं तेणं समएणं माहणकुंडग्गामे नयरे होत्था-वण्णो । बहुसालए
चेइए–वण्णो । तत्थ णं माहणकुंडग्गामे नयरे उसभदत्ते नाम माहणे परिवसइ–अड्ढे दित्ते वित्ते जाव' वहुजणस्स अपरिभूए रिव्वेद'-जजुव्वेद-सामवेद-अथव्वणवेद- इतिहासपंचमाणं निघंटुछट्ठाणं-चउण्हं वेदाणं संगोवंगाणं सरहस्साणं सारए धारए पारए सडंगवी सद्वितंतविसारए, संखाणे सिक्खाकप्पे वागरणे छंदे निरुत्ते जोतिसामयणे°, अण्णेसु य बहूसु बंभण्णएसु नयेसु सुपरिनिट्रिए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे उवलद्धपुण्णपावे जाव अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तस्स णं उसभदत्तस्स माहणस्स देवाणंदा नाम माहणी होत्था-सुकुमालपाणिपाया जाव" पियदंसणा सुरूवा समणोवासिया अभिगयजीवाजीवा उवलद्धपुण्णपावा जाव अहापरिग्ग
हिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणी विहरइ । १३८. तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे । परिसा पज्जुवासइ ।।
१. भ० ११५१ ।
६. यजुवेद (अ); यजुव्वेद (म)। २. ओ० सू० १।
७. सं० पा०–जहा खंदओ जाव अण्णेसु । ३. ओ० सू० २-१३।
८. अधिगत° (ता); अहिगय° (ब, म)। ४. भ० २१६४।
६. भ० २।९४ । ५. रिउवेद (अ, स); रिउव्वेद (क); रुग्वेद (म) १०. ओ० सू० १५ ।
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नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो)
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१३६. तए णं से उसभदत्ते माहणे इमीसे कहाए लट्ठे समाणे हट्ठ' तुट्ठचित्तमाणं दिए दिए पी मणे परमसोम णस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए जेणेव देवाणंदा माहणी तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता देवानंदं माहणि एवं वयासी - एवं खलु देवाप्पिए ! समणे भगवं महावीरे श्रादिगरे जाव' सव्वष्णू सव्वदरिसी ग्रागारागणं चक्केणं जाव' सुहंसुहेणं विहरमाणे बहुसालए चेइए ग्रहापडि - रूवं प्रोग्गहं योगिन्हित्ता संजमेणं तवसा श्रप्पाणं भावेमाणे विहरइ | तं महफलं खलु देवाणुप्पिए ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ? एगस्स वि श्रारियस' धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स स्स गणयाए ? तं गच्छामो णं देवाणुप्पिए ! समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो' 'सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं • पज्जुवासमो । एयं णे इहभवे य परभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्साए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सइ ||
१४०. तए णं सा देवाणंदा माहणी उसभदत्तेणं माहणेणं एवं वृत्ता समाणी हट्ट तुट्ठचित्तमादिया गंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण • हिया करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु उसभदतरस माहणस्स एयम विणणं पडिसुणेइ ॥
१४१. तए णं से उसभदत्ते माहणे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासीfarपामेव भो देवाणुपिया ! लहुकरणजुत्त-जोइय-समखु रवालिहाण - समलिहिसिंगेहि, जंबूणयामयकला व जुत्त- पतिविसिहिं", रययामयघंटा-सुत्तरज्जुयपवरकं चणनत्थपग्ग होग्गाहियएहि, नीलुप्पलकयामेलएहिं पवरगोणजुवाणएहिं नाणामणिरयण- घंटियाजालपरिगयं, सुजायजुग-जोत्तरज्जुय जुग-पसत्थसुविर चियनिमियं, पवरलक्खणोववेयं धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेह, उवट्ठवेत्ता मम एतमाणत्तियं पच्चप्पिह ॥ १४२. तए णं ते कोडुं वियपुरिसा उसभदत्तेणं माहणेणं एवं वृत्ता समाणा हट्ट तुट्ठचित्तमादिया गंदिया पीइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण • हियया
•
१. सं० पा० - हट्टु जाव हियए ।
२. भ० १७ ॥
३. ओ० सू० १६ ।
४. सं० पा० --- अहापडिरूवं जाव विहर |
५. आयरियस ( स ) ।
६. सं० पा० नमसामो जाव पज्जुवासामो । ७. X ( क, ता, ब, म); निस्सेयसाए
o
2
( भ० २।३० ) ।
८. सं० पा० - हट्ट जाव हियया ।
६. सं० पा० - करयल जाव कट्टु । १०. ० संगहि (ता, म) |
११. परिविसट्टे हि ( अ स ) ; पविसिट्ठे हि (क, ता) | १२. सं० पा० - हट्ट जाव हियया ।
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भगवई
करयल' परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु ° एवं सामी ! तहत्ताणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति', पडिसुणेत्ता खिप्पामेव लहुकरणजुत्त
जाव धम्मियं जाणप्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ॥ १४३. तए णं से उसभदत्ते माहणे ण्हाए जाव' अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सानो
गिहाम्रो पडिणिक्खमति, पडिणिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मियं जाणप्पवरं
दुरूढे ॥ १४४. तए णं सा देवाणंदा माहणी व्हाया जाव' अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरा
वहहिं खुज्जाहिं, चिलातियाहिं जाव' चेडियाचक्कवाल-वरिसधर-थेरकंचुइज्जमहत्तरगवंदपरिक्खित्ता अंतेउरानो निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढा ।। तए णं से उसभदत्ते माहणे देवाणंदाए माहणीए सद्धि धम्मियं जाणप्पवरं दुरूढे समाणे नियगपरियालसंपरिवुडे माहणकुंडग्गामं नगरं मझमज्झेणं निग्गच्छड. निग्गच्छित्ता जेणेव बहसालए चेहए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादीए तित्थकरातिसए पासइ, पासित्ता धम्मियं जाणप्पवरं ठवेइ, ठवेत्ता धम्मियानो जाणप्पवरात्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छाति, [तं जहा-१. सच्चित्ताणं दव्वाणं
१. सं० पा०-करयल ।
गरुधूवधूविया, सिरिसमाणवेसा (व) । २. जाव (अ, क, ता, ब, म, स)।
७. भ०३।३३। ३. उवट वेत्ता जाव (अ, क, ता, ब, म, स)। ८. वामणीहि वडभीहिं बब्बरीहि बउसियाहि ४. भ. ३१३३ ।
जोणियाहि पल्हवियाहि ईसिगिणियाहि चारु ५. ढूँढे (ता)।
(वास) गिरिणयाहि ल्हासियाहिं लउसियाहि ६. वाचनान्तरे देवानन्दावर्णक एवं दृश्यते
आरबीहिं दमिलीहि सिंहलीहि पुलिदीहि पक्कअंतो अंतेउरंसि ण्हाया कयबलिकम्मा कय- णीहि (पुक्कलीहि) बहलीहिं सुरुंडीहि सवरीहि कोउय-मंगल-पायच्छित्ता, किंच [किते (ब)]- पारसीहि णाणादेस-विदेसपरिपिडियाहिं सदेवरपादपत्तणेउर-मणिमेहला-हाररचित-उचिय- सनेवत्थगहियवेसाहि इंगित-चितित-पत्थिर:कडग-खुड्डाग-एकावली-कंठसुत्त-उरत्थगेवेज्ज- वियाणियाहि कुसलाहि विरणीयाहि (अ, ता, सोणिसुत्तग-नाणामणि-रयणभूसणविराइयंगी, ब, स); इदं च सर्व वाचनान्तरे साक्षादेवाचीणंसुयवत्थपवरपरिहिया, दुगुल्लसुकुमाल स्ति (वृ)। उत्तरिज्जा, सव्वोतुपसुरभिकुसुमवरियसिरया, ६. जाव धम्मियं (अ, क, ता, ब, म, स)। वरचंदणवंदिता, वराभरणभूसितंगी, काला- १०. चुत्तीसाए (म)।
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नवमं सतं (तेत्तीस इमो उद्देसो)
विप्रोस रणयाए "२. अचित्ताणं दव्वाणं अविनोसरणयाए ३. एगसाडिएणं उत्तरासंगकरणेणं ४. चक्खुप्फासे अंजलिप्पग्गहेणं ५. मणसो एगत्तीकरणेणं] जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता ° तिविहाए
पज्जुवासणाए पज्जुवासइ ।।। १४६. तए णं सा देवाणंदा माहणी धम्मियानो जाणप्पवरात्रो पच्चोरुहति, पच्चोरु
हित्ता बहूहिं खुज्जाहिं जाव' चेडियाचक्कवाल-वरिसधर-थेरकंचुइज्ज-महत्तरगवंदपरिक्खित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ, [तं जहा–१. सचित्ताणं दवाणं विग्रोसरणयाए २. अचित्ताणं दव्वाणं अविमोयणयाए ३. विणयोणयाए गायलट्ठीए ४. चक्खुप्फासे अंजलिपग्गहेणं ५. मणस्स एगत्तीभावकरणेणं] जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता उसभदत्तं माहणं पुरो कट्टु ठिया चेव सपरिवारा सुस्सूसमाणी नमसमाणी अभिमुहा विणएणं पंजलिकडा" पज्जु
वासइ ।। १४७. तए णं सा देवाणंदा माहणी आगयपण्हया पप्पुयलोयणा' संवरियवलयबाहा
कंचुयपरिक्खित्तिया धाराहयकलंबगं पिव समूसवियरोमकूवा समणं भगवं
महावीरं अणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी-देहमाणी चिट्ठइ ।। १४८. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावोरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी-किं णं भंते ! एसा देवाणंदा माहणी आगयपण्या "पप्पुयलोयणा संवरियवलयबाहा कंचुयपरिक्खित्तिया धाराहयकलंबगं पिव समूसविय ° रोमकूवा देवाणुप्पियं अणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी-देहमाणी चिट्टइ ? गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! देवाणंदा माहणी ममं अम्मगा, अहण्णं देवाणंदाए माहणीए अत्तए। 'तण्णं एसा" देवाणंदा माहणी तेणं पुव्वपुत्तसिणेहरागेणं आगयपण्हया •पप्पुयलोयणा, संवरियवलयबाहा कंचुयपरिक्खित्तिया धाराहयकलंबगं पिव ° समूसवियरोमकूवा ममं अणिमिसाए दिट्ठीए देहमाणी-देहमाणी चिट्ठइ ।
१. सं० पा०—एवं जहा बितियसए जाव तिवि- ६. पप्फुय° (अ, ता, स); पप्फुल्ल ° (क)। हाए।
७. सं० पा०-तं चेव जाव रोमकूवा । २. कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांशः प्रतीयते । ८. गोयमादी (क, ता, ब, म)। ३. भ० ४।१४४।
६. तए णं सा (अ, म)। ४. कोष्ठकवर्ती पाठो पाख्यांशः प्रतीयते । १०. सं० पा०—आगयपण्या जाव समूसविय । ५. पंजलिउडा (अ)।
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४३६
भगवई
१४६. तए णं समणे भगवं महावीरे उसभदत्तस्स माहणस्स देवाणंदाए माहणीए तीसे
य महतिमहालियाए इसिपरिसाए' 'मुणिपरिसाए जइपरिसाए देवपरिसाए अणेगसयाए अणेगसयवंदाए अणेगसयवंदपरियालाए अोहबले अइबले महब्बले अपरिमियबल-वीरिय-तेय-माहप्प-कंति-जुत्ते सारय-नवत्थणिय-महुरगंभीरकोंचणिग्धोस-दंदुभिस्सरे उरे वित्थडाए कंठे वट्टियाए सिरे समाइण्णाए अगरलाए अमम्मणाए सुव्वत्तक्खर-सण्णिवाइयाए पुण्ण रत्ताए सव्वभासाणुगामिणीए सरस्सईए जोयणणीहारिणा सरेणं अद्धमागहाए भासाए भासइ-धम्म परि
कहेइ० जाव परिसा पडिगया ॥ १५०. तए णं से उसभदत्ते माहणे समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा
निसम्म हटतुटे उठाए उढेइ, उतॄत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो प्रायाहिण पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! ""अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते ! • --से जहेयं तुब्भे वदह त्ति कट्ट उत्तरपुरथिमं दिसिभागं अवक्कमति, अवक्कमित्ता सयमेव ग्राभरणमल्लालंकारं प्रोमुयइ, पोमुइत्ता सयमेव पंचमूट्रियं लोयं करेइ, करेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ', 'करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-आलित्ते णं भत्ते ! लोए, पलिते णं भंते ! लोए, प्रालित्त-पलिते णं भंते ! लोए जराए मरणेण य । °से जहानामाए केइ गाहावई अगारंसि झियायमाणंसि जे से तत्थ अंडे भवइ अप्पभारे मोल्लगरुए, तं गहाय आयाए एगंतमंतं अवक्कमइ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ। एवामेव देवाणप्पिया ! मज्झ वि आया एगे भंडे इ8 कंते पिए मणण्णे मणामे थेज्जे वेस्सासिए सम्मए बहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे, मा णं सीयं, मा णं उण्हं, मा णं खहा, मा णं पिवासा, मा णं चोरा, मा णं वाला, मा णं दंसा, मा णं मसया, मा णं वाइय-पित्तिय-सेभिय-सन्निवाइय विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्ति कटु एस मे नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ।
१. सं० पा०-इसिपरिसाए जाव । २. ओ० सू० ७१-७६ । ३. अंतिए (ता)। ४. सं० पा०—तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता।
५. सं० पा०-जहा खंदओ जाव से । ६. सं० पा०-करेइ जाव नमंसित्ता। ७. सं० पा०–एवं एएणं कमेणं जहा खंदओ
तहेव पब्वइओ।
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नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो)
४३७ तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! सयमेव पवावियं, सयमेव मुंडावियं, सयमेव सेहावियं, सयमेव सिक्खावियं, सयमेव पायारगोयरं विणय-वेणइय-चरण-करण जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं ।।। तए णं समणे भगवं महावीरे उसभदत्तं माहणं सयमेव पव्वावेइ,सय मेव मुंडावेइ, सयमेव सेहावेइ, सयमेव सिक्खावेइ, सयमेव आयार-गोयरं विणय-वेणइय चरण-करण जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खइ-एवं देवाणप्पिया गंतव्वं, एवं चिट्ठियव्वं, एवं निसीइयव्वं, एवं तुयट्टियव्वं, एवं भुजियव्वं, एवं भासियव्वं एवं उहाय-उट्ठाय पाणेहि भूएहिं जीवेहि सत्तेहि संजमेणं संजमियव्वं अस्सिं च णं अट्ठ णो किचि वि पमाइयव्वं । तए णं से उसभदत्ते माइणे समणस्स भगवनो महावीरस्स इमं एयारूवं धम्मियं उवएसं सम्म संपडिवज्जइं॰ जाव' सामाइयमाइयाइं एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, अहिज्जित्ता' बहूहिं चउत्थ-छट्टट्ठम-दसम- दुवालसेहि, मासद्धमासखमहि° विचित्तेहि तवोकम्मे हि अप्पाणं भावेमाणे बहई वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेइ, झूसेत्ता सट्टि भत्ताइं अणसणाए छेदेइ, छेदेत्ता जस्साए कीरति नग्गभावे जाव तमटुं आराहेइ, आराहेत्ता'
'चरमेहि उस्सास-नीसासेहिं सिद्धे बुद्धे मुक्के परिनिव्वुडे ° सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ १५२. तए णं सा देवाणंदा माहणी समणस्स भगवत्रो महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा
निसम्म हट्टतटा समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं
भंते ! एवं जहा उसभदत्तो तहेव जाव धम्ममाइक्खियं ॥ १५३. तए णं समणे भगवं महावीरे देवाणंदं माहणि सयमेव पव्वावेइ, पव्वावेत्ता
सयमेव अज्जचंदणाए अज्जाए सीसिणित्ताए दलयइ ।। १५४. तए णं सा अज्जचंदणा अज्जा देवाणंदं माणि सयमेव मुंडावेति, सयमेव
सेहावेति । एवं जहेव उसभदत्तो तहेव अज्जचंदणाए अज्जाए इमं एयारूवं धम्मियं उवदेसं सम्म संपडिवज्जइ, तमाणाए तह गच्छइ जाव' संजमेणं
संजमति ॥ १५५. तए णं सा देवाणंदा अज्जा अज्जचंदणाए अज्जाए अंतियं सामाइयमाइयाई
एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, ""अहिज्जित्ता बहूहि चउत्थ-छट्ठट्ठम-दसम-दुवाल
१. भ० २।५३-५७ । २. जाव (अ, क, ता, ब, स)। ३. सं० पा०-दसम जाव विचित्तेहिं । ४. भ० ११४३३ । ५. सं० पा०-आराहेत्ता जाव सव्व ।
६. सं० पा०-पयाहिणं जाव नमंसित्ता। ७. X (ब, म)। ८. सयमेव पव्वावेति सयमेव (क, ब, म)। ६. भ० २।५४ । १०. सं० पा०-सेस तं चेव जाव सव्व° ।
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भगवई
४३८
सेहि, मासद्धमासखमणेहि विचित्तेहि तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणी बहूइं वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेइ, झूसेत्ता सढि भत्ताइं अणसणाए छेदेइ, छेदेत्ता चरमेहिं उस्सास-नीसासेहि सिद्धा बुद्धा मुक्का परिनिव्वुडा° सव्वदुक्खप्पहीणा ।।
जमालि-पदं
१५६. तस्स णं माहणकुंडग्गामस्स नगरस्स पच्चत्थिमे णं एत्थ णं खत्तियकुंडग्गामे
नामं नयरे होत्था-वण्णो । तत्थ णं खत्तियकंडग्गामे नयरे जमाली नाम खत्तियकुमारे परिवसइ-अड्ढे दित्ते जाव' बहुजणस्स अपरिभूते, उप्पि पासायवरगए फुट्टमाणेहि मुइंगमत्थएहि बत्तीसतिबद्धेहिं णाडएहि वरतरुणीसंपउतेहि उवनच्चिज्जमाणे-उवनच्चिज्जमाणे, उवगिज्जमाणे-उवगिज्जमाणे, उवलालिज्जमाणे-उवलालिज्जमाणे, पाउस-वासारत्त-सरद-हेमंत-वसंत-गिम्हपज्जते छप्पि उऊ जहाविभवेणं माणेमाणे, कालं गालेमाणे, इतु सद्द-फरिस
रस-रूव-गंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणुब्भवमाणे विहरइ ।। १५७. तए ण खत्तियकुण्डग्गामे नयरे सिंघाडग-तिक-चउक्क-चच्चर'- चउम्मुह-महा
पह-पहेसु महया जणसद्दे इ वा जणवूहे इ वा जणबोले इ वा जणकलकले इ वा जणुम्मी इ वा जणुक्कलिया इ वा जणसण्णिवाए इ वा बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ °, एवं पण्णवेइ, एवं परूवेइ, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे आदिगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी माहणकंडग्गामस्स नगरस्स बहिया बहसालए चेइए अहापडिरूवं योग्गहं योगिण्डित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे • विहरइ। तं महप्फलं खलु देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए जहा अोववाइए जाव एगाभिमुहे खत्तियकुण्डग्गामं नयरं मझमज्झेणं निग्गच्छंति', निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव बहुसालए चेइए, तेणेव उवागच्छंति एवं जहा प्रोववाइए जाव" तिविहाए पज्जुवासणयाए पज्जुवासंति ॥
१. प्रो० सू० १ ।
६. ओ० सू० १६। २. भ० २।१४।
७. सं० पा०-अहापडिरूवं जाव विहरइ । ३. णाणाविहवरतरुणी (अ, ब, स)। ८. ओ० सू० ५२, वाचनान्तर पृ० १४७ । ४. उडू (अ); उदू (ता, ब, स)।
६. निग्गच्छइ (क, ता)। ५. सं० पा०-चच्चर जाव बहुजणसद्दे इ वा १०. ओ० सू० ५२, ६६ ।
जाव एवं।
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नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो)
४३६ १५८. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स तं महयाजणसई वा जाव जणसन्नि
वायं वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा अयमेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था-किण्णं अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नयरे इंदमहे इ वा, खंदमहे इ वा, मुगुदमहे इ वा, नागमहे इ वा, जक्खमहे इ वा, भूयमहे इ वा, कूवमहे इ वा, तडागमहे इ वा, नईमहे इ वा, दहमहे इ वा, पव्वयमहे इ वा, रूक्खमहे इ वा, चेइयमहे इ वा, थूभमहे इ वा, जणं एते बहवे उग्गा, भोगा, राइण्णा, इक्खागा, णाया', कोरव्वा, खत्तिया, खत्तियपुत्ता, भडा, भडपुत्ता, 'जोहा पसत्थारो मल्लई लेच्छई लेच्छईपुत्ता अण्णे य बहवे राईसर-तलवर--माडंबिय--कोडुबिय-इब्भ-सेट्ठि-सेणावइ ° -सत्थवाहप्पभितयो व्हाया कयबलिकम्मा जहा अोववाइए जाव' खत्तियकुंडग्गामे नयरे मज्झमज्झणं निग्गच्छंति ? -- एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कंचुइ-पुरिसं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वदासी-किण्णं देवाणुप्पिया ! अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नयरे इंदमहे इ वा
जाव निग्गच्छंति ? १५६. तए णं से कंचुइ-पुरिसे जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्टे
समणस्स भगवो महावीरस्स आगमणगहियविणिच्छए करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु° जमालि खत्तियकुमारं जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज खत्तियकुंडग्गामे नयरे इंदमहे इ वा जाव' निग्गच्छंति । एवं खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज समणे भगवं महावीरे आदिगरे जाव सव्वण्णू सव्वदरिसी माहणकुंडग्गामस्स नयरस्स बहिया बहुसालए चेइए अहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे° विहरइ, तए णं एते बहवे उग्गा, भोगा जाव" निग्गच्छंति ॥ तए णं से जमाली खत्तियकुमारे कंचुइ-पुरिसस्स अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म हटतुटे कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंटे प्रासरह जुत्तामेव उवट्ठवेह, उवट्टवेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह ॥
१. संपा०-अज्झात्थिए जाव समुप्पज्जित्था। ७. भ० ६।१५८ । २. नाता (क, ब, म)।
८. ओ० सू०१६ । ३. सं०पा०-जहा ओववाइए जाव सत्थवाह । ६. सं० पा०-प्रोग्गहें जाव विहरइ । ४. प्रो० सू० ५२ ।
१०. ओसू सू० ५२; जाव अप्पेगइया वंदणवत्तियं ५. कंचुइज्ज (अ, क, ता, ब) ।
जाव (अ, क, ता, ब, म)। ६. सं० पा०-करयल।
११. कंचुति (अ, क, व, स)।
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४४०
भगवई
१६१. तए णं ते कोडुबियपुरिसा जमालिणा खत्तियकुमारेणं एवं वुत्ता समाणा' चाउ
रघंट आस रहं जुत्तामेव उवट्ठवेंति, उवट्ठवेत्ता तमाणत्तियं ° पच्चप्पिणंति । १६२. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवाग
च्छित्ता हाए कयबलिकम्मे जाव चंदणुक्खित्तगायसरीरे सव्वालंकारविभूसिए मज्जणघरानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव चाउग्घंटे आस रहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता चाउग्घंटं ग्रासरहं दुरुहइ, दुरुहित्ता सकोरेटमल्लदामेणं छत्तणं धरिज्जमाणेणं, महयाभडचडकरपहकरवंदपरिविखत्ते खत्तियकुंडग्गामं नगरं मज्झमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे, जेणेव बहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तुराए निगिण्हेइ, निगिण्हेत्ता रहं ठवेइ, ठवेत्ता रहाम्रो पच्चोरुहति, पच्चोरहित्ता पुप्फतंवोलाउहमादियं पाहणाओ य विसज्जेति, विसज्जेत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ, करेत्ता आयंते चोक्खे परमसुइब्भूए अंजलिमउलियहत्थे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पायाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ,
वंदित्ता नमंसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ ॥ १६३. तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स खत्तियकुमारस्स, तीसे य महतिमहा
लियाए इसि परिसाए मुणिपरिसाए जइपरिसाए देवपरिसाए अणेगसयाए अणेगसयवंदाए अणेगसयवंदपरियालाए अोहबले अइबले महब्बले अपरिमियबलवीरिय-तेय-माहप्प-कति-जुत्ते सारय-नवत्थणिय-महुरगंभीर-कोंचणिग्घोस-दंदुभिस्सरे उरे वित्थडाए कंठे वट्टियाए सिरे समाइण्णाए अगरलाए अमम्मणाए सुव्वत्तक्खर-सण्णिवाइयाए पुण्णरत्ताए सव्वभासाणुगामिणीए सरस्सईए जोयणणीहारिणा सरेणं अद्धमागहाए भासाए भासइ-धम्म परिकहेइ ° जाव परिसा पडिगया ॥
१. सं० पा०--समारणा जाव पच्चप्पिरगति । ३. चंदरणोकिष्ण (ता, म); चंदणोखिप्ण (ब) २. जाव ओववाइए परिसावण्णओ तहा भाणि- ४. द्रूहइ (अ, ता, ब); दुहति (क)।
यव्वं जाव (अ, क, ता, ब, म, स); मज्जन- ५. संकोरंट ° (म, स)। गृहप्रकरणे परिवारवर्णनस्य सूचना स्वाभा- ६. वाहणाओ (अ, म); पाणहाओ (क); वाणविकी नास्ति, अत: प्रतीयते अत्र पाठसंक्षेपी- हाओ (स)। करणे कश्चिद् विपर्ययो जातः । न च एतद्- ७. अंजलितम उ० (ता)। रूपेणासौ पाठः औषपातिके लभ्यते, अतए- ८. सं० पा०-करेत्ता जाव तिविहाए । वासौ पाठान्तरत्वेन स्वीकृतः । द्रष्टव्यम्- ६. सं० पा०-इसि जाव धम्मकहा। ओ० सू० ६३ ।
१०. ओ० सू०७१-७६ ।
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नवमं सतं तेत्तीसइमो उद्देसो)
४४१ १६४. तए णं से जमाली खत्ति यकुमारे समणस्स भगवनो महावी रस्स अंतिए धम्म
सोच्चा निसम्म हट्ठ तुट्ठचित्तमाणदिए णदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए उट्ठाए उट्ठइ, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीर तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-सद्दहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, पत्तियामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं, रोएमिणं भंते ! निग्गंथं पावयणं, अब्भदेमि णं भंते ! निगंथं पावयणं, एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! •इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते ! --से जहेयं तुब्भे वदह, जं नवरं- देवाणुप्पिया ! अम्मापियरो आपुच्छामि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वयामि ।
अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ १६५. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे समणेणं भगवया महावीरेण एवं बुत्ते समाणे
हट्टतुटे समणं भगवं महावीरं तिवखुत्तो 'प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता तमेव चाउग्घंटं आसरहं दुरुहइ, दुरुहित्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियानो बहुसालानो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सकोरेंट" मल्लदामेणं छत्तेणं ° धरिज्जमाणेणं महयाभडचडगर पहकरवंद परिविखत्ते, जेणेव खत्तियकुंडग्गामे नयरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता खत्तियकुंडग्गामं नयरं मज्झमझेणं जेणेव सए गेहे जेणेव बाहिरिया उवट्टाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तुरए निगिहइ, निगिण्हित्ता रहं ठवेइ, ठवेत्ता रहाम्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता जेणेव अभिंतरिया उवट्ठाणसाला, जेणेव अम्मापियरो तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता अम्मापियरो जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु अम्मतायो ! मए समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते, से वि य मे धम्मे इच्छिए,
पडिच्छिए अभिरुइए। १६६. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-धन्ने सि णं तुम
जाया ! कयत्थे सि णं तुम जाया ! कयपुण्णे सि णं तुमं जाया ! कयलक्खणे सि णं तुम जाया ! जण्णं तुमे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्मे निसंते, से वि य ते धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए, अभिरुइए॥
१. सं० पा०-हट जाव हियए। २. सं० पा०-तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता। ३. सं० पा०-भंते जाव से। ४. सं० पा०-तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता।
५. सं० पा०--सकोरेंट जाव धरिज्जमाणेणं । ६. सं० पा०-चडगर जाव परिक्खित्ते। ७. अम्मयाओ (अ, स); अम्माताओ (ब)।
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४४२
भगवई
१६७. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो दोच्चं पि एवं वयासी-एवं
खलु मए अम्मताओ ! समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतिए धम्मे निसंते', 'से वि य मे धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए °, अभिरुइए। तए णं अहं अम्मताओ! संसारभउव्विग्गे, भीते जम्मण-मरणेणं, तं इच्छामि णं अम्मतानो ! तुब्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता
अगाराग्री अणगारिय पव्वइत्तए॥ १६८. तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माता तं अणिटुं अकंतं अप्पियं अमणुण्णं
अमणामं अस्सुयपुव्वं गिरं सोच्चा निसम्म सेयागयरोमकूवपगलंतचिलिणगत्ता', सोगभरपवेवियंगमंगी नित्तेया दीणविमणवयणा, करयलमलिय व्व कमलमाला, तक्खणोलुग्गदुब्बलसरीरलायण्णसुन्ननिच्छाया, गयसिरीया पसिढिलभूसणपडतखुण्णियसंचुण्णियधवलवलय-पन्भट्ठउत्तरिज्जा, मुच्छावसणट्ठचेतगरुई, सुकुमालविकिण्णकेसहत्था, परसुणियत्त' व्व चंपगलया, निव्वत्तमहे व्व
इंदलट्ठी, विमुक्कसंधिबंधणा कोट्टिमतलंसि' धसत्ति सव्वंगेहि संनिवडिया ॥ १६६. तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया ससंभमोवत्तियाए" तुरियं कंचण
भिगारमूहविणिग्गय - सीयलजलविमलधारपरिसिच्चमाणनिव्वावियगायलट्ठी', उक्खेवय-तालियंट-वीयणगजणियवाएणं, सफुसिएणं अंतेउरपरिजणेणं अासासिया समाणी रोयमाणी कंदमाणी सोयमाणी विलवमाणी जमालि खत्तियकुमारं एवं वयासी-तुम सि णं जाया ! अम्हं एगे पुत्ते इ8 कंते पिए मणुण्णे मणामे थेज्जे वेसासिए संमए बहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे रयणे रयणभूए जीविऊसविए"हिययनंदिजणणे उंबरपुप्फ पिव" दुल्लभे सवणयाए", किमंग ! पुणपासणयाए ? तं नो खलु जाया ! अम्हे इच्छामो तुब्भं खणमवि विप्पयोग, तं अच्छाहि ताव जाया ! जाव ताव अम्हे जीवामो तो पच्छा अम्हेहि कालग
एहि समाणेहि परिणयवए वड्ढियकुलवंसतंतुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स १. सं० पा०—निसंते जाव अभिरूइए। ११. ° यत्तियाए (क, ता); चेट्या इति गम्यम् २. जम्मजरा (क्व०)।
(वृ)। ३. विलीणगत्ता (अ, ब, स)।
१२. सीयलविमलजल ° (अ); सीतल विमल ° ४. ° लावण्ण ° (ना० १११११०५)।
(क); ° सीतलविमलधारपरिसिच्चमाणनिव्व५. पसढिल° (अ, क, ता, म)।
वित ° (ता); निव्ववित° (ब); सीयल६. ° खुम्मिय ° (ना० १।१।१०५) ।
विमलजलधारपरिसिच्चमाणनिव्ववित° (स) ७. ° गुरुई (अ, ता, ब, स)।
१३. जीवियउस्सासिए (वृपा, ना० १११११०६)। ८. °णितत्त (ता); °णिकत्त (ब)। १४. विव (क). ६. सव्वंगेहिं धसत्ति (ना० १।१।१०५)। १५. समणयाए (अ)। १०. निवडिया (अ, ता, स)।
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नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो)
भगवनो महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगारानो अणगारियं पव्वइहिसि ।। १७०. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहा वि णं तं
अम्मताओ ! जण्णं तुन्भे मम एवं वदह-तुम सि णं जाया ! अम्हं एगे पुत्ते इटे कंते तं चेव जाव' पव्वइहिसि, एवं खलु अम्मतानो ! माणुस्सए भवे अणेगजाइ-जरा-मरण-रोग-सारीरमाणसपकामदुक्खवेयण-वसणसतोवद्दवाभिभूए अधुवे अणितिए असासए संझन्भरागसरिसे जलबुब्बुदसमाणे कुसग्गजलबिंदुसन्निभे सुविणदंसणोवमे विज्जुलयाचंचले अणिच्चे सडण-पडण-विद्धसणधम्मे, पुवि वा पच्छा वा अवस्सविप्पजहियव्वे भविस्सइ, से केस' णं जाणइ अम्मतानो ! के पुव्वि गमणयाए, के पच्छा गमणयाए ? तं इच्छामि णं अम्मतारो ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स •भगवनो महावीरस्स
अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं० पव्वइत्तए ।। १७१. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमं च ते
जाया ! सरीरगं पविसिटरूवं लक्खण-वंजण-गुणोववेयं उत्तमबल-बीरियसत्तजुत्तं विण्णाणवियक्खणं ससोहग्गगुणसमूसियं अभिजायमहक्खमं विविहवाहिरोगरहियं, निरुवहय-उदत्त-लट्ठपंचिदियपडु पढमजोव्वणत्थं अणेगउत्तमगुणेहि संजुत्तं, तं अणुहोहि ताव जाया ! नियगसरीररूव-सोहग्ग-जोव्वणगुणे, तो पच्छा अणुभूय नियगसरीररूव-सोहग्ग-जोव्वणगुणे अम्हेहिं कालगएहिं समाहिं परिणयवए वढियकुलवंसतंतुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवो महावीर
स्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराग्यो अणगारियं पव्वइहिसि ॥ १७२. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी तहा वि णं तं
अम्मतायो ! जण्णं तुब्भे ममं एवं वदह-इमं च णं ते जाया ! सरीरगं तं चेव जाव पव्वइहिसि, एवं खलु अम्मतानो! माणुस्सगं सरीरं दुक्खाययणं, विविहवाहिसयसंनिकेतं, अट्ठियकलुट्ठियं, छिराण्हारुजाल-प्रोणद्धसंपिणद्धं, मट्टियभंडं व दुब्बलं, असुइसंकिलिटुं, अणिट्ठविय-सव्वकालसंठप्पयं, जराकुणिमजज्जरघरं व सडण-पडण-विद्धंसणधम्म, पुवि वा पच्छा वा अवस्सविप्पजहियव्वं भविस्सइ । से केस णं जाणइ अम्मताप्रो ! के पुवि "गमणयाए, के पच्छा गमणयाए ? तं इच्छामि णं अम्मतानो ! तुब्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे
१. भ० ६१६६। २. सुविणगसदं ° (क, म); सुविणगदं ० (स)। ३. के (ता, ना० १११।१०७) । ४. सं० पा०-समणस्स जाव पव्वइत्तए। ५. पइवि (ता, ब)।
६. ° समूवियं (ता)। ७. उयग्ग (ता)। ८. लटुं° (स)। ६. भ० ६१६६। १०. सं० पा०-तं चेव जाव पव्वइत्तए।
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४४४
भगवई
समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगारा अणगारियं • पव्वइत्तए ||
१७३. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं सम्मापियरो एवं वयासी - इमाय ते जाया ! विपुलकुल बालियाओ' कलाकुसल - सव्वकाललालिय- सुहोचिया, मद्दवगुणजुत्त- निउणविणश्रो वया रपंडिय - विय क्खणा, मंजुल मियमहुरभणियविहसिय- विप्पेक्खिय-गति-विलास चिट्टियविसारदा, श्रविकलकुल सीलसालिणीश्रो विशुद्धकुलवंससंताणतंतुवद्धण-पगब्भुब्भवपभाविणी, मणाणुकूलहियइच्छियाग्रो, अट्ठ तुज्झ गुणवल्लहाम्रो उत्तमात्रो, निच्चं भावाणुरत्तसव्वंगसुंदरीओ' । तं भुंजाहि ताव जाया ! एताहि सद्धि विउले माणुस्सर कामभोगे, तो पच्छा भुक्तभोगी विसय - विगयवोच्छिण्ण को उहल्ले अम्हेहिं कालगएहिं ' समाणेहिं परिणयवए वड्ढियकुलवंसतंतुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवओ महावीरस्स प्रतियं मुंडे भवित्ता अगाराम्रो प्रणगारियं पव्वइहिसि ॥ १७४. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे सम्मापियरी एवं वयासी - तहा विणं तं अम्मता ! जणं तुभे मम एयं वदह इमात्र ते जाया ! विपुलकुल - बालियाच जाव' पब्वइहिसि एवं खलु श्रमताओ ! माणुस्सगा कामभोगा' उच्चार- पासवण - खेल - सिंघाणग-वंत- पित्त-पूय - सुक्क सोणिय समुब्भवा, अमणु
o
दुरु-मुत्त-पूइय-पुरीस पुण्णा, मयगंधुस्सास -सुभनिस्सास उव्वेयणगा, बीभच्छा", ग्रप्पकालिया, लहुसगार, 'कलमला हिवासदुक्खा बहुजणसाहारणा", परिकिलेस किच्छदुक्खसज्झा, अबुहजणणिसेविया, 'सदा साहुगरहणिज्जा"
१.
● वालियाओ ( स ) ; सरिसियाओ, सरित्तयाओ, सरिव्वगाओ, सरिसलावण्णरूव - जोव्वरण - गुणोववेयाओ, सरिसएहिंतो कुलेहितो आणि एल्लियाओ ( अ, क, ब, म, स ) ; असौ पाठः 'ता' संकेतिते आदर्श नास्ति तथा वृतावपि पास्ति व्याख्यातः । नायाधम्मकहाओ ( १ | १ | १०८) सौ विद्यते । तस्य वाचनान्तरे चैष पाठो नास्ति । वाचनान्तरगतश्च पाठः प्रस्तुतभगवतीपाठसदृशोस्ति । २. सुहोइयाओ ( ब ) |
३. ०णियाओ ( ब ) |
४. पगब्बभप्पा (अ); पगब्भवयभा ० ( क,
वृ); पगब्भवपभा° (ता); पगब्भुब्भवपभा
विणीओ (वृपा) ।
० सुंदरीओ भारियाओ (ब, म, स ) ।
सं० पा० – कालगएहि जाव पव्वइ हिसि ।
५.
६.
७. भ० ६।१७३ ।
६. १०. मद०
११. बीभत्था (ब) 1
८ कामभोगा असुई, असासया, वंतासवा, पित्तासवा खेलासवा, सुक्कासवा, सोणियासवा ( अ, ब, म, स ) ।
दुरूव ( अ, क, ब, स ) ।
(ता); मत ० ( ब ) |
१२. लहूसा ( अ, क, ब, म) ।
१३. ० दुक्खबहुजरग ० ( क, ता, ब, म ) । १४. साधुजरगगरहणिज्जा (ता) ।
१४
1
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१७५
नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो)
४४५ अणंतसंसारवद्धणा, कडुगफलविवागा चुडल्लिव अमुच्चमाण', दुक्खाणुबंधिणो, सिद्धिगमणविग्घा । से केस णं जाणइ अम्मतायो ! के पुवि गमणयाए ? के पच्छा गमणयाए ? तं इच्छामि णं अम्मतानो ! 'तुब्भेहि अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं° पव्वइत्तए । तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मापियरो एवं वयासी-इमे य ते जाया ! अज्जय-पज्जय-पिउपज्जयागए सुबहू हिरण्णे य', सुवण्णे य, कंसे य, दूसे य, विउलधण-कणग- रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिल-प्पवाल रत्तरयण - संतसारसावएज्जे, अलाहि जाव अासत्तमायो कुलवंसानो पकामं दाउ, पकामं भोत्तुं, परिभाए उं, तं अणुहोहि ताव जाया ! विउले माणुस्सए इड्ढि-सक्कारसमुदए, तओ पच्छा अणुहूयकल्लाणे, वढियकुलवंस तंतुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं°
पव्वइहिसि ॥ १७६. तए णं से जमालो खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहा वि णं तं
अम्मतानो ! जण्णं तुब्भे ममं एवं वदह-इमं च ते जाया ! अज्जय-पज्जयपिउपज्जयागए जाव' पव्वइहिसि, एवं खलु अम्मताओ ! हिरण्णे य, सुवण्णे य जाव सावएज्जे अग्गिसाहिए, चोरसाहिए, रायसाहिए, मच्चुसाहिए, दाइयसाहिए, अग्गिसामण्णे', 'चोरसामण्णे, रायसामण्णे, मच्चुसामण्णे °, दाइयसामण्णे, अधुवे, अणितिए, असासए, पुब्बि वा पच्छा वा अवस्सविप्पजहियव्वे भविस्सइ, से केस णं जाणइ "अम्मताप्रो ! के पुखि गमणयाए, के पच्छा गमणयाए ? तं इच्छामि णं अम्मतानो! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं°
पव्वइत्तए॥ १७७. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मतानो जाहे नो संचाएंति विसयाणुलो
माहिं बहूहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य, प्राघवेत्तए वा पण्णवेत्तए वा सण्णवेत्तए वा विण्णवेत्तए वा, ताहे विसयपडिकलाहिं संजमभयुव्वेयणकरीहि पण्णवणाहि पण्णवेमाणा एवं वयासी-एवं
१. इह प्रथमाबहुवचनलोपो दृश्यः (व)। २. सं० पा०–अम्मताओ जाव पव्वइत्तए। ३. या (क, ता, ब, म) सर्वत्र । ४. सं० पा०करणग जाव संसार । ५. सं० पा०-वढियकुल वंस जाव पव्वइहिसि।
६. भ. ६।१७५। ७. सं० पा०-अग्गिसामण्णे जाव दाइयसामण्णे। ८. सं० पा०-तं चेव जाव पव्वइत्तए। है. ०भयूब्वेवक ० (ता); भयुव्वेवणक° (ब)।
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४४६
भगवई खलु जाया ! निग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवले' •पडिपुण्णे नेयाउए संसुद्धे सल्लगत्तणे सिद्धिमग्गे मुत्तिमग्गे निज्जाणमग्गे निव्वाणमग्गे अवितहे अविसंधि सव्वदुक्खप्पहीणमग्गे, एत्थं ठिया जीवा सिझति बुझंति मुच्चंति परिनिवायंति ° सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति । अहीव एगंतदिट्ठीए, खुरो इव एगंतधाराए, लोहमया जवा चावेयब्वा, वालुयाकवले इव निस्साए, गंगा वा महानदी पडिसोयंगमणयाए, महासमुद्दो वा भुयाहिं दुत्तरो, तिक्खं कमियव्वं, गरुयं लंबेयव्वं, असिधारगं वयं चरियव्वं । नो' खलु कप्पइ जाया ! समणाणं निग्गंथाणं अहाकम्मिए इ वा, उद्देसिए इ वा, मिस्सजाए इ वा, अज्झोयरए इ वा, पूइए इ वा, कीते इ वा, पामिच्चे इ वा, अच्छेज्जे इ वा, अणिसटे इ वा, अभिहडे इ वा, कंतारभत्ते इ वा, दुब्भिक्खभत्ते इ वा, गिलाणभत्ते इ वा, वद्दलियाभत्ते इ वा, पाहुणगभत्ते इ वा, सेज्जायरपिंडे इ वा, रायपिंडे इ वा, मूल भोयणे इ वा, कंदभोयणे इ वा, फलभोयणे इ वा, बीयभोयणे इ वा, हरियभोयणे इ वा, भोत्तए वा पायए वा। तुमं सि च णं जाया ! सुहसमुचिए नो चेव णं दुहसमुचिए, नालं सीयं, नालं उण्हं, नालं खुहा, नालं पिवासा, नालं चोरा, नालं वाला, नालं दंसा, नालं मसगा, नालं वाइय-पित्तिय-सें भिय-सन्निवाइए विविहे रोगायके, परिस्सहोवसग्गे उदिण्णे अहियासेत्तए । तं नो खलु जाया ! अम्हे इच्छामो तुब्भं खणमवि विप्पयोगं, तं अच्छाहि ताव जाया! जाव ताव अम्हे जीवामो तो पच्छा अम्हेहि 'कालगएहि समाणेहिं परिणयवए, वड्ढियकुलवंसतंतुकज्जम्मि निरवयक्खे समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं मुडे भवित्ता अगाराओ अण
गारियं° पव्वइहिसि ॥ १७८. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी-तहा वि णं तं
अम्मतानो ! जण्णं तुब्भे ममं एवं वदह– एवं खलु जाया ! निग्गंथे पावयणे सच्चे अणुत्तरे केवले तं चेव जाव पव्वइहिसि, एवं खलु अम्मतायो ! निग्गंथे पावयणे कीवाणं कायराणं कापुरिसाणं इहलोगपडिबद्धाणं परलोगपरंमुहाणं विसयतिसियाणं दुरणुचरे पागयजणस्स, धीरस्स निच्छियस्स ववसियस्स नो खलु एत्थं किंचि वि दुक्करं करणयाए, तं इच्छामि णं अम्मताभो ! तुन्भेहि
१. सं० पा०--जहा आवस्सए जाव सव्व ० । २. गुरुयं (अ) ३. णो य (अ, ता, ब)। ४. मीसजाए (ता); मिस्साजाए (ब)।
५. उज्झो ० (अ, स)। ६. सं० पा०- अम्हेहिं जाव पव्वइहिसि । ७. अम्मयाओ (अ, स)। ८. भ० ६।१७७ ।
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नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो)
४४७ अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवनो महावीरस्स' अंतियं मुंडे भवित्ता
अगाराम्रो अणगारियं° पब्वइत्तए । १७९. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मापियरो जाहे नो संचाएंति विसयाणुलो
माहि य, विसयपडिकलाहि य बहहिं आघवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य आघवेत्तए वा' 'पण्णवेत्तए वा सण्णवेत्तए वा विण्णवेत्तए वा, ताहे अकामाइं चेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स निक्खमणं अणु
मण्णित्था ।। १८०. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दा
वेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणु प्पिया ! खत्तियकुंडग्गामं नयरं सभितरबाहिरियं आसिय-सम्मज्जियोवलित्तं जहा अोववाइए जाव' सुगंधवरगंधगंधियं गंधवट्टिभूयं करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तियं
पच्चप्पिणह । ते वि तहेव पच्चप्पिणंति ।। १८१. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया दोच्चं पि कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ,
सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! जमालिस्स खत्तियकुमारस्स महत्थं महग्धं महरिहं विपुलं निक्खमणाभिसेयं उवट्ठवेह । तए णं ते
कोडुंबियपुरिसा तहेव जाव उवट्ठति ॥ १८२. तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मापियरो सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहं
निसीयाति, निसीयावेत्ता अट्ठसएणं सोवणियाणं कलसाणं, ''अट्ठसएणं रुप्पमयाणं कलसाणं, अट्ठसएणं मणिमयाणं कलसाणं, अट्ठसएणं सुवण्णरुप्पामयाणं कलसाणं, अट्ठसएणं सुवण्णमणिमयाणं कलसाणं, अट्ठसएणं रुप्पमणिमयाणं कलसाणं, अट्ठसएणं सुवण्णरुप्पमणिमयाणं कलसाणं°, अट्ठसएणं भोमेज्जाणं कलसाणं सव्विड्ढीए सव्वजुतीए सव्वबलेणं सव्वसमुदएण सव्वादरेणं सव्वविभूईए सव्वविभूसाए सव्वसंभमेणं सव्वपुप्फगंधमल्लालंकारेणं सव्वतुडियसद्द-सण्णिणाएणं महया इड्ढीए महया जुईए महया बलेणं महया समुदएणं महया वरतुडिय-जमगसमग-प्पवाइएणं संख-पणव-पडह-भेरि-झल्लरि-खरमुहिहडक्क-मरय-मुइंग-दंदुहि-णिग्घोसणाइय° रवेणं महया-महया निक्खमणाभिसेगेणं अभिसिंचंति, अभिसिंचित्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं
१. सं० पा०-महावीरस्स जाव पव्वइत्तए । २. सं० पा०-वा जाव विण्णवेत्तए। ३. ओ० सू० ५५। ४. पच्चप्पिणंति (अ, क, ता, ब, म, स);
नायाधम्मकहाओ (१।१।११६, ११७) सूत्रा- नुसारेण एतत्पदं स्वीकृतम् । 'पच्चप्पिणति'
इति पदं अत्र नावश्यक प्रतिभाति ।। ५. सं० पा०--एवं जहा रायप्पसेरणइज्जे जाव
अठ्ठसएणं । ६. सं० पा०-सविड्ढीए जाव रवेणं । ७. सं० पा०-~-करयल जाव जएणं।
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४४८
भगवई
ब भा देवाणुप्पिया ! सिपारस सद्दावेइ, सद्दावेत्ता
गहाय 'दोहिं स
मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धाति, वद्धावेत्ता एवं वयासी-भण
जाया ! कि देमो? किं पयच्छामो ? 'किणा व ते अट्ठो ? १८३. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अम्मापियरो एवं वयासी---इच्छामि णं अम्म
तायो ! कुत्तियावणानो रयहरणं च पडिग्गहं च प्राणियं', कासवगं च
सद्दावियं ॥ १८४. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता
एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सिरिघरानो तिण्णि सयसहस्साई गहाय' 'दोहिं सयसहस्सेहि कुत्तियावणानो रयहरणं च पडिग्गहं च प्राणेह,
सयसहस्सेणं कासवगं सद्दावेह ।। १८५. तए णं ते कोडुबियपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं वुत्ता
समाणा हट्ठतुट्ठा करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु एवं सामी ! तहत्ताणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति °, पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सिरिघरानो तिण्णि सयसहस्साइंगिण्हंति, गिण्हित्ता दोहि सयसहस्सेहिं कुत्तियावणानो रयहरणं च पडिग्गहं च आणेति, सयसहस्सेणं ° कासवगं
सद्दावेति ॥ १८६. तए णं से कासवए जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा कोडुंबियपुरिसेहि सद्दा
विए समाणे हट्टतुट्टे हाए कयबलिकम्मे कय-कोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकिय ° सरीरे, जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छइ उवागच्छित्ता करयल•परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पियरं जएणं विजएणं वद्धावेइ वद्धावेत्ता एवं वयासी--संदिसंतु णं
देवाणुप्पिया ! जं मए करणिज्जं ? १८७. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तं कासवगं एवं वयासी-तुमं
देवाणुप्पिया ! जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेणं जत्तेणं चउरंगुलवज्जे
निक्खमणपाप्रोग्गे अग्गकेसे कप्पेहि ॥ १८८. तए णं से कासवगे जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं वुत्ते समाणे
१. कि णा वा (ब, स); कि णा व (म)। २. आणिउं (ता. ब)। ३. सद्दावेउं (ता); सद्दावितुं (ब)। ४. गहेत्ता (ता)। ५. दोहि सयसहस्सेणं (अ, क); एगसतसहस्सेणं
(ता); सयसहस्सेणं (ब, म, स); बहुवचनान्तं
पदं नायाधम्मकहाओ (१।१।१२२) सूत्रस्या
धारेण स्वीकृतम् । ६. सं० पा०-करयल जाब पडिसूणेत्ता। ७. सं० पा०-तहेव जाव कासवगं । ८. सं० पा०-कयबलिकम्मे जाव सरीरे। ६. सं० पा०-करयल ।
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नवमं सतं (तेतीसइमो उद्देसो)
४४६ हट्टतुट्टे करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट° एवं सामी ! तहताणाए विणएणं वयणं पडिसुणेइ, पडिसुणेत्ता सुरभिणा गंधोदएणं हत्थपादे पक्खालेइ, पक्खालेत्ता सुद्धाए अट्ठपडलाए पोत्तीए मुहं बंधइ, बंधित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स परेणं जत्तेणं चउरंगुल वज्जे निक्खमणपाप्रोग्गे
अग्गकेसे कप्पेइ ।। १८६. तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं
अग्गकेसे पडिच्छइ, पडिच्छित्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइ, पक्खालेत्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि मल्लेहिं अच्चेति, अच्चेत्ता 'सुद्धे वत्थे बंधइ, बंधित्ता रयणकरंडगंसि पक्खिवति, पक्खिवित्ता हार-वारिधार-सिंदुवार-छिण्णमुत्तावलिप्पगासाइं सुयवियोगदूसहाई अंसूइं विणिम्मुयमाणी-विणिम्मुयमाणी एवं वयासी-एस णं अम्हं जमालिस्स खत्तियकुमारस्स बहूसु तिहीसु य पव्वणीसु य उस्सवेसु य जण्णेसु य छणेसु य अपच्छिमे दरिसणे भविस्सतीति कटु ऊसीसगमूले टवेति ॥ तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मापियरो दोच्चं पि उत्तरावक्कमणं सीहासणं रयाति, रयावेत्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स सेया-पीयएहिं कलसेहि बहावति, पहावेत्ता पम्हलसुकुमालाए सुरभीए गंधकासाईए गायाई ल हेंति, लहेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाई अणुलिपंति, अणुलिपित्ता नासानिस्सासवायवोझ चक्खुहरं वण्ण-फरिसजुत्तं हयलालापेलवातिरेगं धवलं कणगखचितंतकम्मं महरिहं हंसलक्खणपडसाडगं परिहिति, परिहित्ता हारं पिणद्धेति', पिणद्वेता अद्धहारं पिणद्धेति', पिणद्धत्ता एगावलि पिणद्धेति, पिणवेत्ता मुत्तावलि पिणद्वेति, पिणद्धत्ता रयणावलि पिणद्धति, पिणद्धत्ता एवं-अंगयाइं केयूराइं कडगाइं तुडियाइं कडिसुत्तगं दसमुद्दाणंतगं विकच्छसुत्तगं. मुरवि कंठमुरवि पालवं कंडलाइं चूडामणि १० चित्तं रयणसंकडुक्कडं मउडं पिणद्धति, किं बहुणा ? गंथिम-वेढिम-पूरिम-संघातिमेणं चउव्विहेणं मल्लेणं
कप्परुक्खगं पिव अलंकिय-विभूसियं करेंति ॥ १. सं० पा०--करयल जाव एवं ।
६. सं० पा०-एवं जहा सूरियाभस्स अलंकारो २. चउप्फलाए (ना० १११।१२५) ।
तहेव जाव चित्तं । ३. सुद्धवत्थेणं (अ, स)।
१०. वच्छसुत्तं (भ० वृ०); वेकच्छसुत्तं (वृपा)। ४. ° दूसहसहाइं (क, ब, म)।
११. वाचनान्तरे त्वयमलंकारवर्णक: साक्षाल्लि५. सीया (अ, ब, म, स)।
खित एव दृश्यते (वृ)। ६. ° संजुत्तं (अ)।
१२. वाचनान्तरे पुनरिदमधिकं 'दद्दरमलयसुगंधि७. पिणिहति (ता, ब)।
गंधिएहिं गायाई भुकुंडेंति' त्ति दृश्यते (वृ) । ८. पिणहेति (ब)।
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४५०
भगवई १६१. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता
एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणु प्पिया ! अणेगखभसयसण्णिविटुं, लीलट्ठियसालभंजियागं जहा रायप्पसेण इज्जे विमाणवण्णो जाव' मणिरयणघंटियाजालपरिक्खितं परिससहस्सवाहिणि सीयं उवदवेह, उववेत्ता मम एयमाण
त्तियं पच्चप्पिणह । तए णं ते कोडुबियपुरिसा जाव पच्चप्पिणंति ।। १६२. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे केसालंकारेणं, वत्थालंकारेणं, मल्लालंकारेणं,
प्राभरणालंकारेणं -चउबिहेणं अलंकारेणं अलंकारिए समाणे पडिपुण्णालंकारे सीहासणाप्रो अभट्टेइ, अब्भद्वेत्ता सीयं अणुप्पदाहिणीकरेमाणे सीयं दुरुहइ,
दुरुहित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे ॥ १६३. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माता व्हाया कयबलिकम्मा जाव
अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा हंसलक्खणं पडसाडगं गहाय सीयं अणुप्पदाहिणीकरेमाणी सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिणे
पासे भद्दासणवरंसि सण्णिसण्णा ।। १६४. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स अम्मधाती हाया कयबलिकम्मा
जाव' अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा रयहरणं पडिग्गहं च गहाय सीयं अणुप्पदाहिणीकरेमाणी सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स
वामे पासे भद्दासणवरंसि सण्णिसण्णा ।।। १६५. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकूमारस्स पिनो एगा वरतरुणी सिंगारागार
चारुवेसा संगय-गय - हसिय-भणिय-चेट्ठिय-विलास-सललिय-संलाव-निउणजुत्तोवयारकुसला सुंदरथण-जघण-वयण-कर-चरण-नयण-लावण्ण ° - रूबजोव्वण-विलासकलिया' सरदब्भ -हिम-रयय-कुमुद-कुंदेंदुप्पगासं सकोरेटमल्लदामं धवलं प्रायवत्तं गहाय सलीलं 'अोधरेमाणी-मोधरेमाणी" चिट्ठति ।।
१. राय० सू० १७ ।
विद्यमानोस्ति, तेन नात्र युज्यते । वृत्तिकृतापि २. वाचनान्तरे पुनरयं वर्णकः साक्षादृश्यत एव । उक्तपदानन्तरमसौ पाठः स्वीकृतः, किन्तु (वृ)।
एतस्मिन् स्वीकारे पाठस्य पुनरुक्तिर्जायते, ३. द्रुहति (क, ता, ब)।
यथा--'रूवजोव्वरणविलासक लिया' सून्दरथ४. भ० ३।३३।
णजहणवयण करचरणणयणलावण्णरूवजोव्व५. भ० ३।३३ ।
रणगुणोववेय' त्ति सूचितम् (वृ), अस्माकं ६. सं० पा०--संगयगय जाव रूव।
पाठानुसन्धानप्रयुक्ते प्रतिद्वये एष पाठो ७. विलासकलिया संदरथण (अ, ब, म, स); नास्ति । एषा वाचना सम्यक् प्रतीयते।
एषु आदर्शषु 'विलासक लिया' इति पदस्याग्रे ८. X (अ, ब, म, स)। 'सूदरथरण' इति संक्षिप्तपाठो विद्यते; किन्तु ६. उवधरेमाणीओ उवधरेमारणीयो (अ); उपरि एष पाठः 'विलासकलिया' इति पदस्यादौ धरेमाणीओ २ (स)।
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नवमं सतं (तेत्तीस इमो उद्देसो)
१६. तणं तस्स जमालिस (खत्तियकुमारस्स ? ) उभश्रो पासि दुवे वरतरुणीओ सिंगारागार चारुवेसाश्रो संगय-गय- हसिय- भणिय- चेट्टिय-विलास-सल लियसंलाव - निउणजुत्तोवयारकुसलायो सुंदरथण-जघण-वयण-कर-चरण- नयणलावण्ण-रूव-जोव्वण-विलास कलियाओ नाणामणि - कणग - रयण - विमलमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तदंडाग्रो, चिल्लियाग्रो, संखंक - कुंद दगरय- श्रमयमहिय-फेणपुजसण्णिकासानो धवलाश्रो चामराम्रो गहाय सलीलं वीयमाणी श्रोवीयमाणी चिट्ठति ॥
१९७. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स उत्तरपुरत्थिमे णं एगा वरतरुणी सिंगारागार चारुवेसा संगय-गय- हसिय- भणिय- चेट्ठिय-विलास-सल लिय संलावनिउणजुत्तोवयारकुसला सुंदरथण-जघण वयण-कर-चरण- नयण- लावण्ण-रूवजोव्वण-विलास कलिया सेतं रययामयं विमलसलिलपुण्णं मत्तगयमहामुहाकितिसमाणं भिंगारं गहाय चिट्ठइ ॥
१६८. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स दाहिणपुरत्थि मे णं एगा वरतरुणी सिंगारागार चारुवेसा संगय-गय- हसिय- भणिय-चेट्ठिय-विलास-सल लिय-संलावनिउणजुत्तोवयारकुसला सुंदरथण-जघण वयण-कर-चरण- नयण - लावण्ण-रूव- विलास कलिया चित्तकणगदंडं तालवेंट हाय चिट्ठइ ॥
१६६. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया कोडुंबियपुरिसे सहावे, सहावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सरिसयं सरित्तयं सरिव्वयं सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वण-गुणोववेयं, एगाभरणवसण - गहियनिज्जोयं कोडंविrवरतरुणसहस्सं सद्दावेह ||
२०० तए णं ते कोडुंवियपुरिसा जाव' पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सरिसयं सरितयं" • सरिव्वयं सरिस लावण्ण-रूव- जोव्वण- गुणोववेयं एगाभरणवसण-गहियनिज्जोयं कोडुंबियवर तरुणसहस्सं सदावेंति ।
०
२०१. तए णं ते कोडुंवियवर तरुणपुरिसा' जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा कोडविपुरिसेहिं सदाविया समाणा हट्टतुट्टा पहाया कयबलिकम्मा कयकोउय-मंगलपायच्छित्ता एगाभरणवसण - गहियनिज्जोया जेणेव जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं
१. सं० पा० - सिंगारागार जाव कलिया । २. सेयवरचामरा (क) । ३. सं० पा० - सिंगारागार जाव कलिया । ४. सं० पा० - सिंगारागार जाव कलिया । ५. एगारसभररण° (अ) ।
o
४५१
६. भ० ६।१८५ ।
७. सं० पा० - सरित्तयं जाव सद्दावेंति । ८. अस्मिन् पदे 'वरतरुण' इति पाठ: नायाधम्मकहाओ (१।१।१४०) सूत्रानुसारेण स्वीकृतः । ६. सं० पा० - करयल जाव वद्धोवेत्ता ।
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४५२
भगवई
मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धावेंति, ° वद्धावेत्ता एवं वयासी-संदि
संतु णं देवाणुप्पिया ! जं अम्हेहिं करणिज्ज । २०२. तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया तं कोडंबियवरतरुणसहस्सं एवं
वयासी तब्भे णं देवाणप्पिया ! ण्हाया कय बलिकम्मा कयकोउय-मंगलपायच्छित्ता एगाभरणवसण °-गहियनिज्जोया जमालिस्स खत्तियकुमारस्स
सीयं परिवहेह ।। २०३. तए णं ते कोडंबियवरतरुणपुरिसा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिउणा एवं
वुत्ता समाणा जाव' पडिसुणेत्ता ण्हाया जाव' एगाभरणवसण-गहियनिज्जोगा
जमालिरस खत्तियकुमारस्स सीयं परिवहंति ।। २०४. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरिससहस्सवाहिणि सीयं दुरूढस्स
समाणस्स तप्पढमयाए इमे अट्ठट्ठमंगलगा पुरो ग्रहाणुपुवीए संपट्ठिया, तं जहा
-सोत्थिय-सिरिवच्छ'- णंदियावत्त-वद्धमाणग-भद्दासण-कलस-मच्छ ०-दप्पणा। तदाणंतरं च णं पुण्णकलसभिंगारं', दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दसण-रइयआलोय-दरिसणिज्जा, वाउद्धय-विजयवेजयंती य ऊसिया गगणतलमणुलिहती पुरो अहाणुपुवीए संपट्टिया। "तदाणंतरं च णं वेरुलिय-भिसंत-विमलदंडं पलंबकोरंटमल्लदामोवसोभियं चंदमंडलणिभं समुसियं विमलं आयवत्तं, पवरं सीहासणं वरमणि रयणपाद-पीढं सपाउयाजोयसमाउत्तं बहुकिंकर-कम्मकर-पुरिस-पायत्त-परिक्खित्तं पुरो अहाणुपुवीए संपट्ठियं । तदाणंतरं च णं वहवे लट्रिग्गाहा कृतग्गाहा चामरग्गाहा पासग्गाहा चादमाहा पोत्थयग्गाहा फलगग्गाहा पीढग्गाहा वीणग्गाहा कूवग्गाहा हडप्पग्गाहा पुरो अहाणुपुटवीए संपट्ठिया। तदाणंतरं च णं बहके दंडिणो मुंडिणो सिहंडिणो जडिणो पिछिणो हास करा डमरकरा दवकरा चाडुकरा कंदप्पिया कोक्कुइया किड्डुकरा य वायंता य गायंता य णच्चंता य हसंता य भासंता य सासंता य सावेंता य रक्खंता य° आलोयं च करेमाणा जय-जय सदं पउंजमाणा पुरो अहाणुपुवीए संपट्ठिया ।
१. सहस्सं पि (अ, क, ब, म, स)। २. सं० पा०कय जाव गहिय° । ३. भ० ६।१८५। ४. भ. ६२०१। ५. सं० पा०---सिरिवच्छ जाव दप्परणा। ६. सं० पा०- जहा ओववाइए जाव गगण°;
अनेन च यदुपात्तं तद्वाचनान्तरे साक्षादेवा
स्ति (वृ)। ७. सं० पा०–एवं जहा ओववाइए तहेव भाणि
यव्वं जाव पालोयं; एतच्च वाचनान्तरे प्रायः साक्षादृश्यत एव (वृ); वृत्तिकृता वाचनान्तरे अधिकपाठस्यापि सूचना कृतास्ति ।
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२०५.
नवमं सतं (तेत्तीसइमो उद्देसो)
४५३ तदाणंतरं च णं बहवे उग्गा भोगा खत्तिया इक्खागा नाया कोरव्वा जहा प्रोववाइए जाव' महापुरिसवग्गुरापरिक्खित्ता जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरो य मग्गतो य पासपो य अहाणुपुव्वीए संपट्ठिया ॥ तए णं से जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पिया ण्हाए कयबलिकम्मे 'कयकोउयमंगल-पायच्छित्ते सव्वालंकार विभूसिए हथिक्खंधवरगए सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं सेयवरचामराहि उद्धव्वमाणीहिं-उद्धव्वमाणीहि य-गयरह-पवरजोहकलियाए चाउरंगिणीए सेणाए सद्धि संपरिवुडे महयाभडचडगर
विदपरिक्खित्ते' 'जमालि खत्तियकुमार" पिट्ठो अणुगच्छइ ।। २०६. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स पुरो महं आसा आसवरा', उभयो
पासिं नागा नागवरा, पिट्ठो रहा, रहसंगेल्ली ।। २०७. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे अभुग्गभिगारे, परिग्गहियतालियंटे, ऊस
वियसेतछत्ते, पवीइयसेतचामरबालवीयणीए, सव्विड्ढीए जाव' दुदहि-णिग्योसणादित रवेणं खत्तियकुडग्गामं नयरं मझमझेणं जेणेव माहणकुडग्गामे नयरे,
जेणेव बहुसालए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव पाहारेत्थ गमणाए।। २०८. तए णं तस्स जमालिस्स खत्तियकुमारस्स खत्तिय कुंडग्गामं नयरं मझमझेणं
निग्गच्छमाणस्स सिंघाडग-तिय-चउक्क- चच्चर-चउम्मह-महापह° पहेस बहवे अत्थत्थिया कामत्थिया भोगत्थिया लाभत्थिया किदिवसिया कारोडिया कारवाहिया संखिया चक्किया नंगलिया मुहमंगलिया वद्धमाणा पूसमाणया खंडियगणा ताहि इटाहि कंताहि पियाहि मणुण्णाहिं मणामाहिं मणाभिरामाहिं हिययगमणिज्जाहि वग्गूहि जयविजयमंगलसएहि अणवरयं अभिनंदता य अभित्थणता य एवं वयासी-जय-जय नंदा ! धम्मणं, जय-जय नंदा! तवेणं, जय
१. ओ० सू० ५२ ।
जाव पुत्थयग्गाहा जाव बीरगग्गाहा, तदाएं२. सं० पा०-कयबलिकम्मे जाव विभूसिए। तरं च णं अट्ठसयं गयाण, अट्ठसयं तुरयाणं, ३. °गर जाव परिक्खित्ते (अ, क, ता, ब, अट्ठसयं रहाणं, तदाणंतरं च णं लउड-असिम, स)।
कोतहत्थारणं बहणं पायत्ताणोणं पुरओ संप४. जमालिस्स खत्तियकुमारस्स (अ, स) । ट्टियं, तदाणंतरं च णं बहवे राईसर-तलवर ५. आसवारा (वृपा)।
जाव सत्थवाहप्पभियओ पुरओ संपट्ठिया।' ६. तालयटे (क, ता)।
असौ पाठः अतः पूर्ववर्ती विद्यते । लिपिदोषेण ७. भ० ६।१८२।
प्रमादेन वा अत्र प्रवेशः प्राप्तः । पं० बेचर८. अतोने 'अ, ब, म, स' इति संकेतितेषु आ दाससम्पादितभगवत्यामपि इत्थमेव अस्ति । एतावान् अधिक: पाठो लभ्यते
९. सं० पा०-चउक्क जाव पहेसु । 'तदारणंतरं च णं बहवे लटिग्गाहा कुंतग्गाहा १०. सं० पा०-जहा ओववाइए जाव अभिनंदता
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४५४
भगवई
जय नंदा ! भदं ते' अभग्गेहि नाण-दसण-चरित्तेहिमुत्तमेहि', अजियाई जिणाहि इंदियाइं, जियं पालेहि समणधम्म, जियविग्यो वि य वसाहि तं देव! सिद्धि मझे, निहणाहि य रागदोसमल्ले तवेणं धितिधणियवद्धकच्छे, मद्दाहि य अट्ठ कम्मसत्तू झाणेणं उत्तमेणं सुक्केणं, अप्पमत्तो हराहि पाराहणपडाग च धीर ! तेलोक्करंगमज्झ, पावय वितिमिरमणुत्तरं केवल च नाणं, गच्छ य मोक्खं परं पदं जिणवरोवदितुणं सिद्धिमग्गेणं अकुडिलेणं हंता परीसहचमू अभिभविय गामकंटकोवसग्गा णं, धम्मे ते अविग्धमत्थु त्ति कट्ठ अभिनंदंति य
अभिथुणंति य॥ २०६. तए णं से जमाली खत्तियकुमारे नयणमालासहस्सेहि पेच्छिज्जमाणे-पेच्छिज्ज
माणे "हिययमालासहस्सेहि अभिणं दिज्जमाणे-अभिणंदिज्जमाणे मणोरहमालासहस्से हि विच्छिप्पमाणे-विच्छिप्पमाणे वयणमालासहस्सेहि अभिथुव्वमाणेअभिथुव्वमाणे कतिसोहग्गगुणेहि पत्थिज्जमाणे-पत्थिज्जमाणे बहूणं नरनारिसहस्साणं दाहिणहत्थेणं अंजलिमालासहस्साई पडिच्छमाणे-पडिच्छमाणे मंजुमंजुणा घोसेणं आपडिपुच्छमाणे-आपडिपुच्छमाणे भवणपंतिसहस्साइं समइच्छमाणे-समइच्छमाणे खत्तियकुंडग्गामे नयरे मज्झमज्झणं निग्गच्छइ,निग्गच्छित्ता जेणेव माहणकुंडग्गामे नयरे जेणेव बहुसालए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादीए तित्थग रातिसए पासइ, पासित्ता पुरिससहस्सवाहिणि सीयं ठवेइ, पुरिससहस्सवाहिणीनो सीयानो पच्चोरुहइ ॥ तए णं तं जमालि खत्तियकुमारं अम्मापियरो पुरनो काउं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो
अायाहिण-पयाहिणं करेंति, करेत्ता वंदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एवं खलु भंते ! जमाली खत्तियकूमारे अम्हं एगे पुत्ते इट्रे कंते 'पिए मणुण्णे मणामे थेज्जे वेसासिए संमए बहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे रयणे रयणब्भूए जीविऊसविए हिययनंदिजणणे उंबरपुप्फ पिव दुल्लभे सवणयाए°, किमंग ! पुण पासणयाए ? से जहानामए उप्पले इ वा, पउमे इ वा जाव' सहस्सपत्ते इ वा पंके जाए जले संवुडे नोवलिप्पति पंकरएणं, नोवलिप्पति
जलरएणं, एवामेव जमाली वि खत्तियकुमारे कामेहि जाए, भोगेहिं संवुड्ढे १: भवतादिति गम्यते (व)।
५. सं० पा० --- एवं जहा ओववाइए कूणिओ २. अभिग्गहेहि (अ)।
जाव निग्गच्छा। ३. चरित्तमुत्तमेहि (अ, क, म, स); चरित्तमु- ६. सं० पा०-तिवखुत्तो जाव नमंसित्ता। त्तेहि (ता)।
७. सं० पा०-कते जाव किमंग। ४. अभिभविया (अ, क, म); अभिभविता ८. ओ० सू० १५० ।
(ता); अभिसमिया (ब)।
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नवमं सतं (तेत्तीस मो उद्देसो)
नोवलिप्पति कामरएणं, नोवलिप्पति भोगरएणं, नोवलिप्पति मित्त-णाइणियग-सयण-संबंधि-परिजणेणं । एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभयुव्विग्गे भीए जम्मण-मरणेणं, इच्छइ' देवाणुप्पियाणं प्रतिए मुंडे भवित्ता अगाराश्रो श्रणगारियं पव्वत्तए । तं एयं णं देवाणुप्पियाणं ग्रम्हे सीसभिक्खं दलयामो, पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सीसभिक्खं ॥
२११. 'तए णं समणे भगवं महावीरे जमालि खत्तियकुमारं एवं वयासी” – ग्रहासुहं देवाप्पिया ! मा पडिबंधं ॥
२१२. तए गं से जमाली खत्तियकुमारे समणेण भगवया महावीरेणं एवं वृत्ते समाणे तु समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो' 'ग्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसिभागं श्रवक्कमइ, वक्कमित्ता सयमेव ग्राभरण - मल्लालंकारं श्रोमुयइ ||
२१३. तए णं सा जमालिस्स खत्तियकुमारस्स माया हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरणमल्लालंकारं पडिच्छर, पडिच्छित्ता हार-वारिधार - सिंदुवार - छिन्नमुत्तावलिपग्गालाई प्रसूणि विणिम्मुयमाणी - विणिम्मुयमाणी जमालि खत्तियकुमारं एवं वयासी - 'जइयव्वं जाया ! घडियव्वं " जाया ! परक्कमियव्वं जाया ! अस्सि चणं अट्ठे णो पमाएतव्वं ति कट्टु जमालिस्स खत्तियकुमारस्स ग्रम्मापियरो समण भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया ||
४५५
२१४. तर गं से जमाली खत्तियकुमारे सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो याहिण -पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी - लित्ते णं भंते ! लोए, पलित्ते णं भंते! लोए, प्रालित्तपलित्ते णं भंते ! लोए जराए मरणेण य ।
१. x ( अ, क, ता, ब, म स ) 1 २. पव्वतेति ( अ ) ; पव्वयति ( क ); पव्वइतर ( ता ) ; पव्वतिति (ब); पतितं (म ); पव्वतिते (स) अत्र 'इच्छर, पव्वइत्तए' एते द्वे अपि पदे नायाधम्मकहाओ ( १|१|१४५ ) सूत्रस्याधारेण स्वीकृते स्तः । सर्वेषु अपि आदर्शपु लिपिदोषेण पाठपरिवर्तन जातम् । तन्मध्यवर्तिपाठानां नहि कश्चिदर्थोवगम्यते ।
३.
X ( अ, क, ब, म ) । ४. सं० पा०० - तिक्खुत्तो जाव नमसित्ता । ५. सं० पा० - वारि जाव विणिम्मुयमाणी । ६. घडियव्वं जाया जइयव्वं ( अ, क, ता, ब, म, स) ।
७. सं० पा० - एवं जहा उसभदत्तो तहेव पव्वइओ नवरं पंचहि पुरिससएहिं सद्धि तहेव
जाव ।
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४५६
भगवई
से जहानामए केइ गाहावई गारंसि भियायमाणंसि जे से तत्थ भंडे भवइ अप्पभारे मोल्लगरुए, तं गहाय आयाए एगंतमंतं प्रवक्कमइ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ |
एवामेव देवाणुपिया ! मज्झ वि श्राया एगे भंडे इट्ठे कंते पिए मणुण्णे मणामे थेज्जे वेस्सासिए सम्म बहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे, माणं सीयं, माणं उन्हं, माणं खुहा, माणं पिवासा, माणं चोरा, माणं वाला, माणं दंसा, माणं मसया, माणं वाइय- पत्तिय-सेंभिय- सन्निवाइय विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतुति कट्टु एस मे नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सइ ।
तं इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! सयमेव पव्वावियं, सयमेव मुंडावियं, सयमेव सेहावियं सयमेव सिक्खावियं सयमेव ग्रायार- गोयरं विणय- वेणइय-चरणकरण-जायामायावत्तियं धम्ममाइक्खियं ॥
०
२१५. तए णं समणे भगवं महावीरे जमालि खत्तियकुमारं पंचहि पुरिससएहिं सद्धि सयमेव पव्वावेइ जाव' सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई ग्रहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहि चउत्थ छट्ठट्ठम - दसम - दुवाल सेहिं विचितेहि तवोकम्मेहिं प्रप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥
मासद्ध- मासखमणेहिं
२१६. तए णं से जमाली अणगारे अण्णया कयाइ जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी - इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहि ग्रब्भणुण्णाए समाणे पंचहि अणगारसहि सद्धि बहिया जणवयविहारं विहरित्तए ॥
नो
२१७. तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स एयमट्ठे नो आढाइ, परिजाइ, तुसिणीए संचिट्ठइ ॥
२१८. तए णं से जमाली अणगारे समणं भगवं महावीरं दोच्चं पि तच्च पि एवं वयासी - इच्छामि णं भंते ! तुभेहि ग्रब्भणुण्णाए समाणे पंचहि अणगारसएहिं सद्धि बहिया जणवयविहारं विहरित्तए ||
२१६. तए णं समणे भगवं महावीरे जमालिस्स अणगारस्स दोच्चं पि तच्चं पि एयमट्ठ नो प्रढाइ, "नो परिजाणइ, तुसिणीए संचिट्ठइ |
२२०. तए णं से जमाली अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता समणस्स भगवश्रो महावीरस्स ग्रंतिया बहुसालाम्रो चेइयाओ
१. भ० २५३.५७ ।
२. सं० पा०- छट्टट्ठम जाव मासद्ध ।
३. सं० पा०सद्धि जाव विहरित्तए ।
४. सं० पा० - प्राढाइ जाव तुसिणीए ।
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नवमं सतं (तेत्तीस इमो उद्देसो)
४५७
पडिनिवखमइ, पडिनिक्खमित्ता पंचहि अणगारसएहि सद्धि बहिया जणवय
विहारं विहरइ॥ २२१. तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नामं नयरी होत्था–वण्णओ', कोट्ठए
चेइए-वण्णो जाव' वणसंडस्स । तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नाम नयरी
होत्था-वण्णओ' । पुण्णभद्दे चेइए-वण्णओ जाव पुढविसिलापट्टयो । २२२. तए णं से जमाली अणगारे अण्णया कयाइ पंचहि अणगारसएहि सद्धि संपरिवडे
पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुग्गामं दुइज्जमाणे जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव कोट्टए चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता प्रहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हइ,
योगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ ॥ २२३. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे 'गामाणु
ग्गामं दूइज्जमाणे° सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव चंपा नयरी जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता प्रहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हइ,
योगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ॥ २२४. तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स तेहिं 'अरसेहि य', विरसेहि य अंतेहि य,
पंतेहि य, लू हेहि य, तुच्छेहि य, कालाइक्कतेहि य, पमाणाइक्कतेहि य' पाणभोयणेहि अण्णया कयाइ सरीरगंसि विउले रोगातके पाउब्भूए-उज्जले विउले पगाढे कक्कसे कडुए चंडे दुक्खे दुग्गे तिव्वे दुरहियासे। पित्तज्जरपरि
गतसरीरे, दाहवक्कंतिए' या वि विहरइ । २२५. तए णं से जमाली अणगारे वेयणाए अभिभूए समाणे समणे निग्गंथे सद्दावेइ,
सद्दावेत्ता एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! मम सेज्जा-संथारगं संथरह ।। २२६. तए णं ते समणा निग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एतमटुं विणएणं पडिसुणेति,
पडिसुणेत्ता जमालिस्स अणगारस्स सेज्जा-संथारगं संथरंति ॥ २२७. तए णं से जमाली अणगारे बलियतरं वेदणाए अभिभूए समाणे दोच्चं पि समणे
निग्गंथे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-मम" णं देवाणुप्पिया ! सेज्जासंथारए कि कडे ? कज्जइ ? तते णं ते समणा निग्गंथा जमालिं अणगारं एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पियाणं
सेज्जा-संथारए कडे, कज्जइ ।। १. ओ० सू० १।
७. य सीओएहि य (अ); य सीएहि (ब); य २. ओ० सू० २-१३ ।
__सीतेहि य (स)। ३. ओ० सू०१।
८. वितुले (ब, म); तिउले (स, वृ); विउले ४. ओ० सू० २-१३ ।
(वृपा)। ५. सं० पा०-चरमाणे जाव सुहंसुहेणं । ६. दाहवुक्कतिए (ब)। ६. अरसेहि या (क, ता, ब) सर्वत्र । १०. मम (अ, स)।
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४५८
भगवई
२२८. तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स अय मेयारूवे अज्झथिए' चितिए पत्थिए
मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था-जण्णं समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव' एवं परूवेइ-एवं खलु चलमाणे चलिए, उदीरिज्जमाणे उदोरिए', •वेदिज्जमाणे वेदिए, पहिज्जमाणे पहोणे, छिज्जमाणे छिण्णे, भिज्जमाणे भिण्णे, दज्झमाणे दड्ढे, मिज्जमाणे मए °, निज्जरिज्जमाणे निज्जिण्णे, तण्णं मिच्छा। इमं च णं पच्चक्खमेव दीसइ सेज्जा-संधारए कज्जमाणे अकडे, संथरिज्जमाणे असंथरिए । जम्हा णं सेज्जा-संथारए कज्जमाणे अकडे, संथरिज्जमाणे असंथरिए। तम्हा चलमाणे वि अचलिए जाव निज्जरिज्जमाणे वि अनिज्जिण्णे-एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता समणे निग्गंथे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-जण्णं देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव परूवेइ - एवं खलु चलमाणे चलिए जाव निज्जरिज्जमाणे निज्जिण्णे, तण्णं मिच्छा। इमं च णं पच्चवखमेव दीसइ सेज्जा-संथारए कज्जमाणे अकडे, संथरिज्जमाणे असंथरिए । जम्हा णं सेज्जा-संथारए कज्जमाणे अकडे, संथरिज्जमाणे असंथरिए । तम्हा चलमाणे वि अचलिए जाव निजरिज्जमाणे
वि अनिज्जिण्णे॥ २२६. तए णं तस्स जमालिस्स अणगारस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव परूवमाणस्स
अत्थेगतिया समणा निग्गंथा एयमटुं सद्दहति पत्तियंति रोयंति, अत्यंगतिया समणा निग्गंथा एयमटुं नो सद्दहति नो पत्तियंति नो रोयंति । तत्थ णं जे ते समणा निग्गंथा जमालिस्स अणगारस्स एयमद्रं सद्दहति पत्तियंति रोयंति, ते णं जमालि चेव अणगारं उवसंपज्जित्ता णं विहरंति । तत्थ णं जे ते समणा निगंथा जमालिस्स अणगारस्स एयमद् नो सहति नो पत्तियंति नो रोयंति. ते णं जमालिस्स अणगारस्स अंतियानो कोटगानो चेइयानो पडिनिक्खमंति, पडिनिवखमित्ता पुव्वाणुपुद्वि चरमाणा गामाणुग्गामं दूइज्जमाणा जेणेव चंपा नयरी, जेणेव पुण्णभद्दे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति, करेत्ता वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता समणं भगवं महावीरं उवसंपज्जित्ता
णं विहरंति ॥ २३०. तए णं से जमाली अणगारे अण्णया कयाइ' तानो रोगायंकायो विप्पमुक्के
हढे जाए, अरोए वलियसरीरे सावत्थीयो नयरीअो कोट्ठगानो चेइयानो
१. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था। ४. सं० पा०-तं चेव जाव। २. भ० ११४२० ।
५. कयाति (अ, ब, स); कदायी (ता)। ३. सं० पा०-उदीरिए जाव निजरिज्जमाणे।
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नवमं सतं ( तेत्तीस इमो उद्देसो)
४५६
पडनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे, गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी, जेणेव पुण्णभद्दे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवन महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी - जहा णं देवाणुप्पियाणं बहवे ग्रंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्थावक्कमणेणं' प्रवक्ता, नो खलु ग्रहं तहा छउमत्थावक्कमणेणं' अवक्कते, ग्रहं णं उप्पन्ननाण- दंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिश्रवक्कमणेणं प्रवक्कते ॥
२३१. तए णं भगवं गोयमे जमालि अणगारं एवं वयासी - नो खलु जमाली ! केवलिस्स नाणे वा दंसणे वा सेलंसि वा 'थंभंसि वा थूभंसि वा ग्रावरिज्जइ वा निवारिज्जइ वा जदि णं तुमं जमाली ! उप्पन्ननाण- दंसणधरे अरहा जिणे केवल भवित्ता केवलिश्रवक्कमणेणं प्रवक्कते, तो णं इमाई दो वागरणाई वागरेहि - सासए लोए जमाली ! प्रसासए लोए जमालो ? सासए जीवे जमाली ! सास जीवे जमाली ?
o
२३२. तए णं से जमाली अणगारे भगवया गोयमेणं एवं वृत्ते समाणे संकिए कखिए • वितिगिच्छिए भेदसमावण्णे कलुससमावण्णे जाए या वि होत्था, नो संचारति भगवो गोयमस्स किंचि विपमोक्खमाइक्खित्तए, तुसिणीए संचिट्ठइ ॥ २३३. जमालीति ! समणे भगवं महावीरे जमालि अणगारं एवं वयासी - अतिथ जमालो ! ममं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था, भू एवं वागरणं वागरित्तए, जहा णं ग्रहं नो चेव णं एतप्पगारं भासं भासित्तए, जहा गं तुमं ।
सासए लोए जमाली'! जं न कयाइ नासि, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ - भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य-धुवे, नितिए सासए अक्खए, अव्वए, प्रवट्टिए निच्चे ।
प्रसासए लोए जमाली ! जं प्रसप्पिणी भवित्ता उस्सप्पिणी भवइ, उस्सप्पिणी भवित्ता प्रोसप्पिणी भवइ ।
सास जीवे जमाली ! जं न कयाइ नासि, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ - भुवि च भवइ य, भविस्सइ य - धुवे, नितिए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए निच्चे ।
5
१. छउमत्था भवेत्ता छउमत्था ° ( अ, क, म, स) २. छउमत्था भवेत्ता छउमत्था ( अ, क, म, स )
३. X ( अ, ब, म ) |
४. सं० पा० - कंखिए जाव कलुस ० ।
५. च्चेव (ता) ।
६.
X ( क, ता) ।
७. सं० पा० - नासि जाव निच्चे |
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४६०
भगवई
असासए जीवे जमाली ! जण्णं नेरइए भवित्ता तिरिक्खजोणिए भवइ, तिरिक्खजोणिए भवित्ता मणुस्से भवइ, मणुस्से भवित्ता देवे भवइ ।। तए णं से जमाली अणगारे समणस्स भगवो महावीरस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव' एवं परूवेमाणस्स एतमट्ठ नो सद्दहइ नो पत्तियइ नो रोएइ, एतमटुं असइहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाणे दोच्चं पि समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियानो पायाए अवक्कमइ, अवक्कमित्ता बहूहिं असब्भावुब्भावणाहि मिच्छत्ताभिणिवेसाह य अप्पाण च पर च तदुभय च वग्गाहेमाण वप्पाएमाण बहइ वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ, पाणित्ता अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झसे इ, झूसेत्ता तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेइ, छेदेत्ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालमासे कालं किच्चा लतए कप्पे तेरससागरोवमठितीएसु
देवकिदिवसिएसु देवेसु देवकिव्विसियत्ताए उववन्ने । २३५. तए णं भगवं गोयमे जमालि अणगारं कालगयं जाणित्ता जेणेव समणे भगवं
महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसिता एवं वयासी–एवं खलु देवाणुप्पियाणं अतेवासी कुसिस्से जमाली नाम अणगारे से णं भंते ! जमालो अणगारे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए? कहि उववन्ने ? गोयमादो ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी कुसिस्से जमाली नामं अणगारे, से णं तदा ममं एवमाइक्खमाणस्स एवं भासमाणस्स एवं पण्णवेमाणस्स एवं परूवेमाणस्स एतमढें नो सहइ नो पत्तियइ नो रोएइ, एतमढे असद्दहमाणे अपत्तियमाणे अरोएमाण, दोच्चं पि ममं अंतियाप्रो आयाए प्रवक्कमइ, प्रवक्कमित्ता बहहिं असब्भावुभावणाहिं .मिच्छत्ताभिणिवेसेहि य अप्पाणं च परं च तदुभयं च बुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता, अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता, तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमठिती
एसु देवकिदिवसिएसु देवेसु° देवकिव्विसियत्ताए उववन्ने । ३६. कतिविहा णं भंते ! देवकिग्विसिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा देवकिव्विसिया पण्णत्ता, तं जहा---तिपलिग्रोवमट्टिइया,
तिसागरोवमट्टिइया, तेरससागरोवमट्रिइया । २३७. कहि णं भंते ! तिपलिअोवमट्टिइया देवकिदिवसिया परिवसंति ?
३. सं० पा०-तं चेव जाव देव ।
१. भ० ११४२० । २. ढाणस्स (ता, म, स)।
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नवमं सतं ( तेतीस मी उद्देसो)
४६१
गोमा ! उपि जोइसियाणं, हिट्ठि' सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु, एत्थ णं तिपलिओ - या देवव्विसिया परिवसंति ||
२३८. कहिं णं भंते ! तिसागरोवमट्टिइया देवकिव्विसिया परिवसंति ?
गोयमा ! उप्पि सोहम्मीसाणाणं कप्पाणं, हिट्ठि सणकुमार - माहिंदेसु कप्पेसु, एत्थ णंतिसागरोवमट्टिइया देवकिव्विसिया परिवर्तति ॥
२३६. कहिं णं भंते ! तेरससागरोवमट्टिइया देवकिव्विसिया परिवसंति ? गोयमा ! उप्पि बंभलोगस्स कप्पस्स, हिट्टि लंतए कप्पे, एत्थ णं तेरससाग रोया देवव्विसिया देवा परिवसंति ||
२४०. देवकिव्विसिया णं भंते ! केसु कम्मादाणेसु देवकिव्विसियत्ताए उववत्तारो भवंति ?
गोमा ! जे इमे जीवा प्रायरियपडिणीया, उवज्झायपडिणीया, कुलपडिणीया, गणपणीया, संघपडिणीया, प्रायरिय उवज्झायाणं अयसकारा श्रवण्णकारा
त्तिकारा बहूहि सब्भावुब्भावणाहि, मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाणं परं च तदुभयं च वुग्गामाणा वुप्पाएमाणा बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणति, पाउणत्ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कंता कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवकिव्विसिएसु देवकिव्विसियत्ताए उववत्तारो भवति, तं जहा -तिपलिश्रवमट्ठितिए वा तिसागरोवमट्टितिएसु वा, तेरससागरोवमट्टितिएसु
वा ॥
२४१. देवकिव्विसिया णं भंते ! ताम्र देवलोगाम्रो ग्राउवखणं, 'भवक्खएणं, ठितिक्खएणं" प्रणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छति ? कहि उववज्जंति ? गोयमा ! जाव चत्तारि पंच नेरइयतिरिक्खजोणिय मणुस्स देवभवग्गहणाई संसारं श्रणुपरिट्टत्ता तो पच्छा सिज्यंति बुज्भंति मुच्चति परिणिव्वायति सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति, प्रत्येगतिया प्रणादीयं प्रणवदग्गं दीहमद्धं चाउरतं संसारकंतारं श्रणुपरियद्धति ॥
२४२. जमाली णं भंते ! अणगारे अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे लूहाहारे तुच्छाहारे ग्ररसजीवी विरसजीवी अंतजीवी पंतजीवी लूहजीवी तुच्छजीवी उवसंतजीवी पसंतजीवी विवित्तजीवी ?
हंता गोयमा ! जमाली णं अणगारे रसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी ॥ २४३. जति णं भंते ! जमाली अणगारे ग्ररसाहारे विरसाहारे जाव विवित्तजीवी
१. हव्वि (ता) सर्वत्र हर्दिव (म ) ।
२. ० रा ( अ, स ) ; सर्वत्र अयसकारगा ( वृ ) | ३. ठिक्खिणं भवक्खएणं ( i ) ।
४. सं० पा०- - बुज्भंति जाव अंतं ।
५. सं० पा० - विरसजीवी जाव तुच्छजीवी ।
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४६२
भगवई
कम्हा णं भंते ! जमाली अणगारे कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे तेरससागरोवमट्ठितिा सु देवकिव्विसिएसु देवेसु देवकिव्विसियत्ताए उववन्ने ? गोयमा ! जमाली णं अणगारे प्रायरियपडिणीए, उवज्झायपडिणीए, आयरियउवज्झायाणं अयसकारए अवण्णकारए अकित्तिकारए बहूहिं असब्भावुब्भावणाहिं, मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाणं परं च तदुभयं च बुग्गाहेमाणे ° वुप्पाएमाणे बहूई वासाइं सामण्णपरियागं पाउणित्ता, अद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालमासे कालं किच्चा लंतए कप्पे' 'तेरससागरोवमट्ठितिएसु देवकिव्विसिएसु देवेसु
देवकिव्विसियत्ताए° उववन्ने ।। २४४. जमाली णं भंते ! देवे तारो देवलोगाग्रो आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं
अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? ° कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! चत्तारि पंच तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवभवग्गहणाइं संसारं अणुपरियट्टित्ता तो पच्छा सिज्झिहिति' 'बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वाहिति
सव्वदुक्खाणं ° अंतं काहिति ।। २४५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
चोत्तीसइमो उद्देसो
एगस्स वधे प्रणेगवध-पदं २४६. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' एवं वयासी-पुरिसे णं भंते ! पुरिसं
हणमाणे कि पुरिसं हणइ ? नोपुरिसे हणइ ?
गोयमा ! पुरिसं पि हणइ, नोपुरिसे वि हणइ ॥ २४७. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-पुरिसं पि हणइ, नोपुरिसे वि हणइ ?
१. सं० पा०-अवण्णकारए जाव वुप्पाएमाणे। ५. भ० ११५१ । २. सं० पा०—कप्पे जाव उववन्ने ।
६. भ. ११४-१०। ३. सं० पा०-आउक्खएणं जाव कहिं । ७. छणइ (वृपा)। ४. सं० पा०-सिज्झिहिति जाव अंतं ।
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नवमं सतं (चोत्तीसइमो उद्देसो)
गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं एगं पुरिसं हणामि, से णं एगं पूरिसं हणमाणे 'अणेगे जीवे" हणइ । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वच्चइ
पुरिसं पि हणइ, नोपुरिसे वि हणइ ।। २४८. पुरिसे णं भंते ! प्रासं हणमाणे किं प्रासं हणइ ? नोग्रासेहणइ ?
गोयमा ! प्रासं पि हणइ, नोग्रासे वि हणइ ।। से केणट्रेणं?
अट्ठो तहेव । एवं हत्थि, सीहं, वग्घं जाव' चिल्ललगं ।। इसिस्स वधे अणंतवध-पदं २४६. पुरिसे णं भंते ? इसि हणमाणे कि इसिं हणइ ? नोइसि हणइ ?
गोयमा ! इसि पि हणइ, नोइसि पि हणइ ।। २५०. से केणटेणं भंते ? एवं वुच्चई-•इसि पि हणइ, ° नोइसि पि हणइ ?
गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ–एवं खलु अहं एग इसिं हणामि, से णं एग इसिं हणमाणे 'अणंते जीवे' हणइ । से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ–इसि पि हणइ, नोइसि पि हणइ° ॥
वेर-बंध-पदं
२५१. पुरिसे णं भंते ! पुरिसं हणमाणे किं पुरिसवेरेणं पुढे ? 'नोपुरिसवेरेणं पुढे ?'८
गोयमा ! नियम-ताव पुरिसवेरेणं पुढे, ग्रहवा पुरिसवेरेण य नोपुरिसवेरेण य
१. अगेगा जीवा (अ, क, ता, म, स)।
अण्णयरं पि तसं पाणं, हणइ नोअण्णयरे वि २. नोआसं (ब); नोआसे वि (म) ।
तसे पारणे हणइ ? गोयमा ! तस्स रणं एवं २. प०१।
भवइ-एवं खलु अहं एग अण्णयरं तसं ४. चित्तलगं (ब); अतोग्रे 'क, ता, व' एषु- पारणं हणामि, से रणं एग अण्णयरं तसं पाणं 'एते सव्वे इक्कगमा' इति पाठोस्ति; 'अ, ब, हणमाणे अगोगे जीवे हणइ । से तेणट्रेणं म, स'-एतेषु आदर्शप् 'चिल्ललगं इति गोयमा ! तं चेव । एए सव्वे वि एक्कगमा । पाठानन्तरं एष पाठोस्ति--
वृत्तावपि नासौ० याख्यातः, अतोस्माभिरसौ 'पुरिसे णं भंते ! अण्णयरं तसं पारणं हरणमाणे पाठान्तरत्वेन स्वीकृत:।
कि अण्णपरं तसं पाणं हणइ, नोअण्णतरे ५. सं० पा०-वच्चइ जाव नोइसि । तसे पाणे हणइ ? गोयमा ! अण्णयर पि ६. अणंता जीवा (अ, क, ता, ब, म)। तसं पाणं हणइ, नोअण्णतरे वि तसे पाणे ७. सं० पा०-निवखेवो । हणइ। से केणट्रेणं भते ! एवं वच्चइ- ८. X (ता)।
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४६४
भगवई
पुढे, अहवा पुरिसवेरेण य नोपुरिसवेरेहि य पुढे । एवं प्रासं जाव चिल्ललगं
जाव अहवा चिल्ललगवेरेण' य नोचिल्ललगवेरेहि य पुढे । २५२. पुरिसे णं भंते ! इसि हणमाणे किं इसिवेरेणं पुढे ? नोइसिवेरेणं पुढे ?
गोयमा ! नियम इसिवेरेण य' नोइसिवेरेहि य पुढे ।। पुढविक्काइयादीणं प्राण-पाण-पदं २५३. पुढविक्काइए णं भंते ! पुढविक्कायं चेव प्राणमइ वा ? पाणमइ वा ? ऊससइ
वा? नीससइ वा ? हंता गोयमा ! पुढविक्काइए पुढविक्काइयं चेव ग्राणमइ वा जाव नीससइ
वा ।। २५४. पुढविक्काइए णं भंते ! आउक्काइयं प्राणमइ वा जाव नीससइ वा ?
हंता गोयमा ! पुढविक्काइए णं आउक्काइयं प्राणमइ वा जाव नीससइ वा।
एवं तेउक्काइयं, वाउक्काइयं, एवं वणस्सइकाइयं ।। २५५. अाउक्काइए णं भंते ! पुढविक्काइयं प्राणमइ वा 'जाव नीससइ वा ?
हंता गोयमा ! आउक्काइए णं पुढविक्काइयं प्राणमइ वा जाव नीससइ वा ॥ २५६. आउक्काइए णं भंते ! आउक्काइयं चेव प्राणमइ वा ?
एवं चेव । एवं तेउ-वाउ-वणस्सइकाइयं ।।। २५७. तेउक्काइए णं भंते ! पुढविक्काइयं प्राणमइ वा ? एवं जाव वणस्सइकाइए
णं भंते ! वणस्सइकाइयं चेव आणमइ वा ? तहेव ।।
किरिया-पदं २५८. पुढविक्काइए णं भंते ! पुढविक्काइयं चेव आणममाणे वा, पाणममाणे वा
ऊससमाणे वा, नीससमाणे वा कतिकिरिए ?
गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय च उकिरिए, सिय पंचकिरिए। २५६. पुढविक्काइए णं भंते ! आउक्काइयं आणममाणे वा ?
एवं चेव । एवं जाव वणस्सइकाइयं । एवं आउक्काएण वि सव्वे भाणियव्वा । एवं तेउक्काइएण वि, एवं वाउक्काइएण वि जाव
१. चित्तला ° (ब); चिल्लला° (म)। २. नियम ताव (क); नितमं (ब)। ३. य जाव (ता); एतत् सम्यकनास्ति । ऋषि-
पक्षे तु ऋषिवरेण नो नोऋषिवैरैश्चेत्येवमेक
एव (वृ)। ४. सं० पा०—एवं चेव । ५. सव्वे वि (ता, स)।
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नवमं सतं (चीत्तीसइमो उद्देसो)
४६५ २६०. वणस्सइकाइए णं भंते ! वणस्सइकाइयं चेव प्राणममाणे वा–पुच्छा ?
गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए । २६१. वाउक्काइए णं भंते ! रुक्खस्स मूलं 'पचालेमाणे वा' पवाडेमाणे वा कति
किरिए ? गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए । एवं कंद,
एवं जाव:२६२. बीयं पचालेमाणे वा-पुच्छा ? ।
गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए । २६३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
३. भ० ११५१ ।
१. X (क)। २. भ० ८।२१६ ।
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दसमं सतं
पढमो उद्देसो संगहणी-गाहा
१. दिस २. संवुडअणगारे', ३. अाइड्ढी ४. सामहत्थि ५. देवि ६. सभा।
७-३४ उत्तरअंतरदीवा, दसमम्मि सयम्मि चउत्तीसा ॥१॥ दिसा-पदं १. रायगिहे' जाव एवं वयासी-किमियं भंते ! 'पाईणा ति" पवुच्चइ ?
गोयमा ! जीवा चेव, अजीवा चेव ।। २. किमियं भंते ! पडीणा ति पच्चइ ?
गोयमा ! एवं चेव । एवं दाहिणा, एवं उदीणा, एवं उड्ढा, एवं अहो वि ।। ३. कति णं भंते ! दिसाम्रो पण्णत्तायो?
गोयमा ! दस दिसायो पण्णत्तानो, तं जहा-१. पुरत्थिमा २. पुरथिमदाहिणा ३. दाहिणा ४. दाहिणपच्चत्थिमा ५. पच्चत्थिमा ६. पच्चत्थिमुत्तरा
७. उत्तरा ८. उत्तरपुरत्थिमा ६. उड्ढा १०. अहो । ४. एयासि णं भंते ! दसण्हं दिसाणं कति नामधेज्जा पण्णत्ता ?
गोयमा ! दस नामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा
१. संवुडमणगारे (अ, क, ब, म)। २. आयड्ढी (अ, स)। ३. रायगिधे (ता)। ४. भ. १४४-१०।
५. पाईणत्ति (क, स); पादीणा ति (ता)। ६. अहा (अ, क, ब, म); अधो (ता)। ७. अहा (अ, क, ब, म); अधा (ता)।
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दस मंसतं ( पढमो उद्देसो)
इंदा यो जम्मा', य नेरई वारुणी य वायव्वा । सोमा ईसाणी या, विमला य तमा य बोद्धव्या ॥१॥
५. इंदा णं भंते! दिसा कि १. जीवा २. जीवदेसा ३ जीवपदेसा ४. जीवा
जीवपदेसा ?
जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, प्रजीवा वि, अजीवदेसा
५. जीवदेसा ६. गोयमा ! जीवा वि, वि०, जीवपदेसा वि ।
जे जीवा ते नियमा एगिंदिया बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया पंचिदिया, प्रणिदिया ।
जे जीवसा ते नियमा एगिंदियदेसा जाव प्रणिदियदेसा ।
जे जीवपदेसा ते नियमा' एगिदियपदेसा बेइंदियपदेसा जाव प्रणिदियपदेसा |
जे जीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - रूविश्रजीवा य, अरूविप्रजीवा य । जे रूविश्रजीवा ते चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा - खंधा, खंधदेसा, खंधपदेसा, परमाणुपोग्गला ।
विजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता, तं जहा - १. नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे २. धम्मत्थिकायस्स पदेसा ३. नोश्रधम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे ४. धम्मत्थिकायस्स पदेसा ५. नोग्रागासत्थिकाए ग्रागासत्थि कायस्स देसे ६. ग्रागासत्थिकायस्स पदेसा ७. श्रद्धासमए ॥
६.
यी णं भंते! दिसा किं जीवा, जोवदेसा, जीवपदेसा - पुच्छा ।
गोयमा ! नोजीवा, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजीवा वि जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि ।
जे जीवसा ते नियमा एगिदियदेसा, ग्रहवा एगिंदियदेसाय वेइंदियस्स य देसे,
हवा एगिदियदेसाय बेइंदियरस य देसा, अहवा एगिदियदेसाय वेइंदियाण य देसा | ग्रहवा एगिदियदेसा य तेइंदियस्स य देसे । एवं चेव तियभंगो भाणियव्वो । एवं जाव प्रणिदियाणं तियभंगो । जे जीवपदेसा ते नियमा एगिदियपदेसा | हवा एगिदियपदेसाय वेइंदियस्स पदेसा, ग्रहवा एगिदियपदेसाय बेइंदियाण य पदेसा | एवं आइल्लविरहियो जाव प्रणिदियाणं ।
४६७
१. जमा ( ख ) ।
२. सं० पा० तं चैव जाव प्रजीवपदेसा ।
३. सं० पा० - बेइंदिया जाव पंचिदिया ।
जे जीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - रूविप्रजीवा' य, अरूविप्रजीवा य । विजीवा ते चव्विहा पण्णत्ता, तं जहा - खंधा जाव परमाणुपोग्गला ।
४. नियमं ( ता ) ; x ( ब ) 1
५. रूवि अजीवा (ता, ब ) ।
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४६८
भगवई
जे अरूविग्रजीवा ते सत्तविहा पण्णत्ता, तं जहा-नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा, एवं अधम्मत्थिकायस्स वि जाव आगासत्थिकायस्स पदेसा, अद्धासमए । ७. जम्मा णं भंते ! दिसा कि जीवा ?
जहा इंदा 'तहेव निरवसेसं । नेरती य जहा अग्गेयी। वारुणी जहा इंदा। वायव्वा जहा अग्गेयी । सोमा जहा इंदा। ईसाणी जहा अग्गेयी। विमलाए जीवा जहा अग्गेयीए, अजीवा जहा इंदाए। एवं तमाए वि, नवरं-अरूवी
छविहा, अद्धासमयो न भण्णति ।। सरीर-पदं ८. कति णं भंते ! सरीरा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंच सरीरा पण्णत्ता, तं जहा-पोरालिए वेउव्विए आहारए
तेयए° कम्मए॥ ६. पोरालियसरीरे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
एवं प्रोगाहणासंठाणं निरवसेसं भाणियव्वं जाव अप्पाबहुगं ति ।। १०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
बीमो उद्देसो
संवुडस्स किरिया-पदं ११. रायगिहे जाव एवं वयासी-संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स वीयीपंथे ठिच्चा
पुरो रूवाइं निज्झायमाणस्स, मग्गो रूवाइं अवयक्खमाणस्स, पासपो रूवाई अवलोएमाणस्स, उड्ढं रूवाई अोलोएमाणस्स, अहे रूवाई आलोएमाणस्स तस्स णं भंते ! कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ?
१. अद्धासमए । विदिसासु नत्थि जीवा, देसे ४. सं० पा०-ओरालिए जाव कम्मए।
भंगो य होइ सव्वत्थ (अ, ब, म, स)। ५. प० २१ । २. तहा निरवसेसा (क)।
६. भ० ११५१ । ३. निरुती (क)।
७. भ. ११४-१०।
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१३.
दसमं सतं (बीओ उद्देसो)
४६९ गोयमा ! संवुडस्स णं अणगारस्स वीयीपंथे ठिच्चा' 'पुरो रूवाइं निज्झायमाणस्स, मग्गो रूवाई अवयक्खमाणस्स, पासपो रूवाइं अवलोएमाणस्स, उड्ढं रूवाइं अोलोएमाणस्स, अहे रुवाइं पालोएमाणस्स ° तस्स णं नो इरिया
वहिया किरिया कज्जइ, संपराइया किरिया कज्जइ ।। १२. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–संवुडस्स णं जाव संपराइया किरिया कज्जइ ?
गोयमा ! जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा 'वोच्छिण्णा भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ । अहासुत्तं रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ ° । से णं उस्सुत्तमेव रीयति । से तेण?णं जाव संपराइया किरिया कज्जइ । संवुडस्स णं भंते ! अणगारस्स अवीयीपंथे ठिच्चा पुरो रूवाइं निज्झायमाणस्स जाव' तस्स णं भंते ! कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? -पुच्छा। गोयमा ! संवडस्स णं अणगारस्स अवीयीपंथे ठिच्चा जाव तस्स णं इरिया
वहिया किरिया कज्जइ, नो संपराइया किरिया कज्जइ । १४. से केणटेणं भते ! एवं वुच्चइ-संवुडस्स णं जाव इरियावहिया किरिया
कज्जइ, नो संपराइया किरिया कज्जइ? ""गोयमा ! जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा भवंति तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ। अहासुत्तं रीयमाणस्स इरियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ ।° से णं
अहासुत्तमेव रीयति । से तेणटेणं जाव नो संपराइया किरिया कज्जइ । जोणी-पदं १५. कतिविहा णं भंते ! जोणी पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा जोणी पण्णत्ता, तं जहा-सीया, उसिणा, सीतोसिणा। एवं
जोणीपदं निरवसेसं भाणियव्वं ॥ वेदणा-पदं १६. कतिविहा णं भंते ! वेयणा पण्णत्ता ?
१. सं० पा०-ठिच्चा जाव तस्स । २. सं० पा०-एवं जहा सत्तमसए पढमउद्देसए
जाव से। ३. भ० १०।११।
४. सं० पा०-जहा सत्तमसए सत्तमुद्देसए जाव
से। ५. प०४।
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भगवई
गोयमा ! तिविहा वेयणा पण्णत्ता, तं जहा - सीया, उसिणा, सीप्रोसिणा । एवं वेणापदं भाणियव्वं जाव'
१७. नेरइया णं भंते ! किं दुक्खं वेयणं वेदेति ? सुहं वेयणं वेदेति ? दुक्खमसुहं
वेणं वेदेति ?
दुक्खमसुहं पि वेयणं
४७०
गोमा ! दुक्खं पिवेयणं वेदेति, सुहं पि वेयणं वेदेति, वेदेति ॥
भिक्खुपडिमा पदं
१८. मासियण्णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स, निच्चं 'वोसट्टकाए, चियत्तदेहे " जे केइ परीसहोवसग्गा उप्पज्जंति, तं जहा - दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजोणिया वा ते उप्पन्ने सम्मं सहइ खमइ तितिक्खर ग्रहियासेइ । एवं मासिया भिवखुपडिमा निरवसेसा भाणियव्वा, जहा दसाहिं जाव' आराहिया
भवइ ||
किच्चट्ठाण पडिसेवण-पदं
१६. भिक्खू य प्रणयरं श्रकिच्चट्ठाणं पडिसेवित्ता' से णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कंते कालं करेइ नत्थि तस्स राहणा, से णं तस्स ठाणस्स श्रालोइयपडिक्कते कालं करेइ ग्रत्थि तस्स श्राराहणा ||
२०. भिक्खू य प्रणय रं ग्रकिच्चद्वाणं पडिसेवित्ता तस्स णं एवं भवइ - पच्छा विणं अहं चरिमकालसमयंसि एयस्स ठाणस्स ग्रालोएस्सामि, • पडिक्क मिस्सामि, निदिस्सामि, गरिहिस्सामि, विउट्टिस्सामि, विसोहिस्सामि, अकरणयाए श्रब्भुद्विस्सामि, ग्रहारियं पायच्छित्तं तवोकम्मं पडिवज्जिस्सामि, से णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइय पडिक्कते कालं करेइ नत्थि तस्स राहणा, से णं तस्स ठाणसालोइय-पडिक्कते कालं करेइ प्रत्थि तस्स राहणा ||
२१. भिक्खू प्रणयरं ग्रकिच्चट्टाणं पडिसेवित्ता तस्स णं एवं भवइ - जइ ताव समणोवासगा वि कालमासे कालं किच्चा ग्रण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, किमंग ! पुण ग्रहं श्रणपन्नियदेवत्तणंपि" नो लभिस्सामित्ति
१. प० ३५ ।
२. मासिय णं भंते (क, ता, स ) ।
३. अयमाचारो भवतीति शेषः ।
४. वोसट्टे काए चियत्ते देहे (वृ) ।
त्वस्य स्थाने पडिसेविज्जत्ति दृश्यते ( वृ ) ।
७. सं० पा० - आलोएस्सामि जाव पडिवज्जि
सामि ।
८. पक्किमामि ( ब ) 1
६. सं० पा० - अणालोइय जाव नत्थि ।
५. दसा ० ७ ।
६. प्रतिषेविता भवतीति गम्यम् । वाचनान्तरे १०. प्रणवण्णि ० ( ब ) ।
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दसमं सतं (तइओ उद्देसो)
कट्टु
से णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेइ नत्थि तस्स ग्राराहणा, सेणं तस्स ठाणस्स प्रालोइय-पडिक्कते कालं करेइ श्रत्थि तस्स श्राराहणा । २२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।
तइओ उद्देसो
प्राइड्ढी परिढीए वोइवयण-पदं
२३. रायगिहे जाव' एवं वयासी - प्राइड्ढीए णं भंते! देवे जाव चत्तारि, पंच देवावासं तराई वीतिक्कंते', तेण परं परिड्ढीए ?
हंता गोयमा ! श्राइड्ढीए णं देवे जाव चत्तारि, पंच देवावासंतराई वीतिक्कंते, तेण परं परिड्ढीए । एवं असुरकुमारे वि, नवरं - असुरकुमारावासंतराई, सेसं तं चैव । एवं एएणं कमेणं जाव थणियकुमारे, एवं वाणमंतरे, जोइसिए माणि जाव तेण परं परिड्ढीए ॥
देवाणं विषय विहि-पदं
२४. अप्पिड्ढी णं भंते! देवे महिड्डियस्स देवस्स मज्भंमज्भेणं वीइवएज्जा ?
इसम ||
२५. समिड्ढी णं भंते ! देवे समिड्ढीयस्स देवस्स मज्भंमज्भेणं वीइवएज्जा ? नो इट्टे समट्ठे, पमत्तं पुण वीइवएज्जा |
२६. 'से भंते! किं विमोहित्ता पभू ? अविमोहित्ता पभू
?
गोमा ! विमोहित्ता पभू, नो अविमोहित्ता पभू ॥
२७. से भंते ! किं पुव्वि विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा ? पुव्वि वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा ?
गोमा ! पुवि विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा, नो पुव्वि वीइवइत्ता पच्छा मज्जा |
१. भ० १।५१ ।
२. भ० ११४- १०१
३. आतढिए ( अ, स); आतिड्ढीए (क, ब, म), आयड्ढीए (ता)
४७१
४. वीईवयइ (वृपा) ।
५. सं० पा० तं चेव ।
६. से णं (ब, म, स ) ।
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४७२
भगवई
२८. महिड्ढोए णं भंते ! देवे अप्पिड्ढियस्स देवस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ?
हंता वीइवएज्जा॥ २६. से भंते ! कि विमोहित्ता पभू? अविमोहित्ता पभू ?
गोयमा ! विमोहित्ता वि पभू, अविमोहित्ता वि पभू ।। ३०. से भंते ! कि पुवि विमोहित्ता पच्छा वीइवएज्जा ? पुवि वीइवइत्ता पच्छा
विमोहेज्जा? गोयमा ! पुद्वि वा विमोहेत्ता पच्छा वीइवएज्जा, पुवि वा बीइवइत्ता पच्छा
विमोहेज्जा ।। ३१. अप्पिड्ढिए' णं भंते ! असुरकुमारे महिड्ढियस्स असुरकुमारस्स मज्झमझेणं
वीइवएज्जा? नो इणद्वे समढे । एवं असुरकुमारेण वि तिण्णि पालावगा भाणियब्वा जहा ओहिएणं देवेणं भणिया । एवं जाव थणियकुमारेणं। वाणमंतर-जोइसिय
वेमाणिएणं एवं चेव ॥ ३२. अप्पिड्ढिए णं भंते ! देवे महिड्ढियाए देवीए मज्झमझेणं वीइवएज्जा ?
नो इणढे समढे ॥ ३३. समिड्ढिए' णं भंते ! देवे समिड्ढियाए देवीए मज्झमज्झणं वीइवएज्जा ?
एवं तहेव देवेण य देवीए य दंडगो भाणियव्वो जाव वेमाणियाए । ३४. अप्पिड्ढिया णं भंते ! देवी महिड्ढियस्स देवस्स मज्झमझणं वीइवएज्जा ?
एवं एसो वि ततियो' दंडग्रो भाणियव्वो जाव३५. महिड्ढिया वेमाणिणी अप्पिड्ढियस्स वेमाणियस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ?
हंता वीइवएज्जा॥ ३६. अप्पिड्ढिया णं भंते ! देवी महिड्ढियाए देवीए मज्झमज्झणं वीइवएज्जा ?
नो इणटे समटे । एवं समिड्ढिया देवी समिड्ढियाए देवीए तहेव । महिड्ढिया वि देवी अप्पिड्ढियाए देवीए तहेव । एवं एक्केक्के तिण्णि-तिण्णि आलावगा
भाणियव्वा जाव३७. महिड्ढिया णं भंते ! वेमाणिणी अप्पिड्ढियाए वेमाणिणीए मज्झमझेणं
वीइवएज्जा?
हंता वीइवएज्जा॥ ३८. सा भंते ! कि विमोहित्ता पभू ? अविमोहित्ता पभू ?
१. अप्पड्ढीए (क्व०)। २. समड्ढीए (अ)।
३. तिप्रो (अ, स,)। ४. महड्ढिया (क्व)।
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दसमं सतं (तइप्रो उद्देसो)
४७३ गोयमा ! विमोहित्ता वि पभू, अविमोहित्ता वि पभू । तहेव जाव पुदिव वा
वीइवइत्ता पच्छा विमोहेज्जा । एए चत्तारि दंडगा ॥ आसस्स 'खु-खु' करण-पदं ३६. अासस्स णं भंते ! धावमाणस्स कि 'खु-खु' त्ति करेति ?
गोयमा ! अासस्स णं धावमाणस्स हिययस्स य जगस्स' य अंतरा एत्थ णं
'कक्कडए नाम" वाए संमुच्छइ', जेणं अासस्स धावमाणस्स 'खु-खु' त्ति करेति ॥ पण्णवणी-भासा-पदं ४०. अह भंते ! आसइस्सामो, सइस्सामो, चिट्ठिस्सामो, निसिइस्सामो, तुयट्रि
स्सामो-पण्णवणी णं एस भासा ? न एसा भासा मोसा? हंता गोयमा ! पास इस्सामो, "स इस्सामो, चिट्ठिस्सामो, निसिइस्सामो, तुय
ट्टिस्सामो–पण्णवणी णं एसा भासा , न एसा भासा मोसा ।। ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. जगयस्स (अ, क, स,); जातस्स (ता) । (अ, क, ता, ब, म, स); अस्मिन् संग्रह२. कक्कडनाम (ता); कब्बडए नाम (स)। गाथाद्वये 'असच्चामोसा' भाषाया द्वादश३. समुत्थइ (अ, ता, ब, म, स)।
प्रकारा निरूपिताः सन्ति । प्रज्ञापनायाः ४. अतोग्रे गाथाद्वयं लभ्यते
भाषापदे एवमेवास्ति । अत्र प्रज्ञापनीभाषाआमंतणी आणवणी,
प्रकरणे प्रासङ्गिकरूपेण अमू संग्रहगाथे जायणी तह पुच्छणी य पण्णवणी।
लिखिते आस्ताम् । केनचित् प्रतिलिपिक/ पच्चक्खाणी भासा, भासा इच्छाणुलोमा य॥ मूले प्रक्षिप्ते। उत्तरकाले तथैव अनुगते, अणभिग्गहिया भासा,
वृत्तिकृतापि तथैव व्याख्याते । भासा य अभिग्गहम्मि बोद्धव्वा ।
५. सं० पा०-तं चेव जाव न । संसयकरणी भासा, वोयडमव्वोयडा चेव ॥ ६. भ० ११५१।
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४७४
भगवई
चउत्थो उद्देसो तावत्तीसगदेव-पदं ४२. तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियग्गामे नयरे होत्था-वण्णो '। दूतिपलासए
चेइए । सामी समोसढे जाव' परिसा पडिगया । ४३. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई
नामं अणगारे जाव' उड्ढंजाणू' 'अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा
अप्पाणं भावेमाणे० विहरइ ।। ४४. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावी रस्स अंतेवासी सामहत्थी
नाम अणगारे पगइभद्दए "पगइ उवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे विणीए समणस्स भगवनो महावीरस्स अदूरसामंते उड्ढे
जाणू अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे° विहरइ। ४५. तए णं से सामहत्थी अणगारे जायसड्ढे जाव' उढाए उद्वेइ, उद्वेत्ता जेणेव
भगवं गोयमें तेणव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भगव गोयम तिक्खत्तो जाव'
पज्जूवासमाणे एवं वयासी४६. अत्थि णं भंते ! चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमारण्णो तावत्तीसगा देवा-ताव
त्तीसगा देवा ?
हंता अत्थि ।। ४७. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमार रण्णो ताव
त्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? एवं खलु सामहत्थी ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे कायंदी नामं नयरी होत्था-वण्णो । तत्थ णं कायंदीए नयरीए तायत्तीसं" सहाया" गाहावई समणोवासया परिवसंति-अड्ढा जाव बहुजणस्स अपरिभूता अभिगयजीवाजीवा, उवलद्धपुण्णपावा" जाव" अहापरिग्गहिएहिं तवो
कम्मेहि अप्पाणं भावेमाणा विहरंति ॥ १. ओ० सू० १।
८. तायत्तीसगा (क्व०)। २. भ० ११७,८।
६. ओ० सू० १॥ ३. भ० १६।
१०. तावत्तीसं (क, ता, ब, म)। ४. सं० पा० ---उड्ढंजाणू जाव विहरइ। ११. साहाया (अ)। ५. सं० पा०-जहा रोहे जाव उड़ढंजाण जाव १२. भ० २१६४। विहरइ।
१३. उवलद्धपुण्ण वण्रणओ (अ, क, ता, ब, म, स)। ६. भ० १।१०।
१४. भ० २।१४। ७. भ. १।१०
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दसमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
४७५ ४८. तए णं ते तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया पुदिव उग्गा उग्गविहारी,
संविग्गा संविग्गविहारी भवित्ता तो पच्छा पासत्था पासत्थविहारी, प्रोसन्ना ओसन्नविहारी, कुसीला कुसील विहारी, अहाच्छंदा अहाच्छंदविहारी बहूई वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणित्ता, अद्धमासियाए संलेहणाए अत्ताणं झसेत्ता, तीसं भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कता कालमासे कालं किच्चा चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररष्णो तावत्तीसग
देवत्ताए उववण्णा ।। ४६. जप्पभिइं च णं भंते ! ते कायंदगा तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा
चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना, तप्पभिई च णं भते ! एवं वुच्चइ---चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा? तए णं भगवं गोयमे सामहत्थिणा अणगारेणं एवं वुत्ते समाणे संकिए कंखिए वितिगिच्छिए उठाए उढेइ, उद्वेत्ता सामहत्थिणा अणगारेणं सद्धि जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ
नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-- ५०. अत्थि णं भंते ! चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगा देवा
तावत्तीसगा देवा ?
हंता अत्थि ॥ ५१. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ–एवं तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव जप्पभिई च
णं भंते ! ते कायंदगा तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा चमरस्स अरिदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना, तप्पभिई च णं भंते ! एवं वुच्चइ--चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगा देवातावत्तीसगा देवा ? नो इण? समटे । गोयमा ! चमरस्स णं असुरिंदरस असुरकुमाररण्णो तावत्तीसगाणं देवाणं सासए नामधेज्जे पण्णत्ते-जं न कयाइ नासी, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ', 'भविसु य, भवति य, भविस्सइ य-धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए° निच्चे, अन्वोच्छित्तिनयट्ठयाए अण्णे चयंति, अण्णे
उववज्जति ॥ ५२. अत्थि णं भंते ! बलिस्स वइरोणिदस्स वइरोयणरण्णो तावत्तीसगा देवा
तावत्तीसगा देवा ? हंता अस्थि ॥
१. सं० पा०-भविस्सइ जाव नि ।
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४७६
भगवई
५३. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो' ताव
त्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ? एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे बेभेले नामं सण्णिवेसे होत्था-वण्णो । तत्थ णं बेभेले सण्णिवेसे तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया परिवसंति - जहा चमरस्स जाव' तावत्तीसग
देवत्ताए उववण्णा॥ ५४. जप्पभिई च णं भंते ! ते बेभेलगा तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा
बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो तावत्तीसगदेवत्ताए उववन्ना, सेसं तं चेव
जाव' निच्चे, अब्वोच्छित्तिनयट्ठयाए अण्णे चयंति, अण्णे उववज्जति ।। ५५. अत्थि णं भंते ! धरणस्स नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो तावत्तीसगा देवा
तावत्तीसगा देवा?
हंता अस्थि ।। ५६. से केणद्वेणं जाव तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा ?
गोयमा ! धरणस्स नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो तावत्तीसगाणं देवाणं सासए नामधेज्जे पण्णत्ते-जं न कयाइ नासी जाव अण्णे चयंति, अण्णे उवव
ज्जति । एवं भूयाणंदस्स वि, एवं जाव' महाघोसस्स ।। ५७. अस्थि णं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देव रण्णो तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा
देवा ?
हंता अस्थि ।। ५८. से केणद्वेणं जाव तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा देवा?
एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पालए नामं सण्णिवेसे होत्था–वण्णो । तत्थ णं पालए सण्णिवेसे तायत्तीसं
सहाया गाहावई समणोवासया जहा चमरस्स जाव विहरंति ॥ ५६. तए णं ते तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासया पुबि पि पच्छा वि उग्गा
उग्गविहारी, संविग्गा संविग्गविहारी बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता, मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेत्ता, सट्ठि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता, आलोइय-पडिक्कंता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा 'सक्कस्स देविंदस्स
१. जाव (अ, क, ता, ब, म, स)।
५. भ० ३।२७४। २. ओ० सू० १, एतद्वर्णनं 'नंदणवण-सन्निभ- ६. सं० पा०—पुच्छा। प्पगासे' एतावदेवग्राह्यम् ।
७. वालाए (अ); पालाए (ब); पालासए (स)। ३. भ० १०।४७-४८॥
८. भ०१०॥४७॥ ४. भ० १०॥४६-५१॥
६. सं० पा०—किच्चा जाव उववन्ना।
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दसमं सतं (पंचमो उद्देसो)
४७७ देवरण्णो तावत्तीसगदेवत्ताए° उववन्ना। जप्पभिइं च णं भंते ! ते पालगा' तायत्तीसं सहाया गाहावई समणोवासगा, सेसं जहा चमरस्स जाव अण्णे उवव
ज्जति ॥ ६०. अत्थि णं भंते ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो तावत्तीसगा देवा-तावत्तीसगा
देवा? एवं जहा सक्कस्स, नवरं-चंपाए नयरीए जाव' उववण्णा जप्पभिइं च णं भंते !
ते चंपिज्जा तायत्तीसं सहाया, सेसं तं चेव जाव अण्णे उववज्जति ॥ ६१. अत्थि णं भंते ! सणंकुमारस्स देविंदस्स देवरणो तावत्तीसगा देवा-तावत्ती
सगा देवा ?
हंता अस्थि ॥ ६२. से केणटेणं ?
जहा धरणस्स तहेव, एवं जाव पाणयस्स, एवं अच्चुयस्स जाव अण्णे
उववज्जति ॥ ६३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
पंचमो उद्देसो देवाणं तुडिएण सद्धि दिव्वभोग-पदं ६४. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे । गुणसिलए चेइए जाव' परिसा
पडिगया। तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवग्रो महावीरस्स बहवे अंतेवासी थेरा भगवंतो जाइसंपन्ना जहा अट्ठमे सए सत्तमुद्देसए जाव' संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति। तए णं ते थेरा भगवंतो जायसड्ढा
जायसंसया जहा गोयमसामी जाव पज्जुवासमाणा एवं वयासी६५. चमरस्स णं भंते असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो कति अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो ?
१. वालगा (अ, म); पालागा (क, ब);
पालासगा (स)। २. भ० १०१५७-५६। ३. सं० पा०--पुच्छा ।
४. भ० ११५१। ५. भ. ११४-८॥ ६. भ० ८।२७२। ७. भ० १११०॥
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४७८
भगवई
अज्जो! पंच अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो, तं जहा-काली, रायी, रयणी,
विज्ज, मेहा । तत्य णं एगमेगाए देवीए अदृट्ठ देवीसहस्सं परिवारो पण्णत्तो ।। ६६. पभू णं भंते ! ताओ एगमेगा देवी अण्णाइं अट्ठठ्ठ देवीसहस्साइं परियार
विउवित्तए ?
एवामेव सपुव्वावरेणं चत्तालीसं देवीसहस्सा । सेत्तं तुडिए ।। ६७. पभू णं भंते ! चमरे असुरिदे असुरकुमार राया चमरचंचाए रायहाणीए,
सभाए सुहम्माए, चमरंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोग भोगाई भंजमाणे विहरित्तए ?
नो इणढे समढे ॥ ६८. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-नो पभू चमरे असुरिदे असुरकूमारराया
चमरचंचाए रायहाणीए जाव' विहरित्तए ? अज्जो! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचंचाए रायहाणीए,सभाए सुहम्माए, माणवए चेइयखंभे वइरामएसु गोल-बट्ट-समुग्गएसु बहूयो जिणसकहाम्रो सन्निक्खित्तानो चिटुंति, जानो णं चमरस्स असुरिदस्स असुर कुमाररण्णो अण्णेसिं च बहणं असुरकुमाराणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाप्रो वंदणिज्जासो नमंसणिज्जारो पूयणिज्जायो सक्कारणिज्जाप्रो सम्माणणिज्जारो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासणिज्जाओ भवंति' । से तेणद्वेणं अज्जो ! एवं वुच्चइ–नो पभू चमरे असुरिंदे असुरकुमारराया' 'चमरचंचाए रायहाणीए, सभाए सुहम्माए, चमरंसि सिहासणंसि तुडिएणं सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाई भुजमाणे ° विहरित्तए । पभ णं अज्जो! चमरे असुरिदे असुरकूमारराया चमरचंचाए रायहाणीए. सभाए सुहम्माए, चमरंसि सीहासणंसि चउसट्ठीए सामाणियसाहस्सीहिं, तायत्तीसाए' तावत्तीसगेहि, चउहिं लोगपालेहिं, पंचहि अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहि चउसट्ठीए पायरक्खदेवसाहस्सीहिं °, अण्णेहि य बहूहि असुरकुमारेहिं देवेहि य, देवीहि य सद्धि संपरिवुडे महयाहय नट्ट-गीय-वाइयतंती-तल-ताल-तुडिय-घणमुइंगपडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं ° भंजमाणे विहरित्तए? केवलं परियारिड्ढीए, नो चेव णं मेहुणवत्तियं ।।
१. ० सहस्सा (ता, स)। २. भ० १०॥६७। ३. भवंति तेसि पणिहाए णो पभू (अ, स)। ४. सं० पा०—असुरकुमारराय जाव विहरि
त्तए।
५. सं० पा०–तायत्तीसाए जाव अण्णेहि। ६. अण्णेसि (अ, स)। ७. सं० पा०–महयाहय जाव भुजमाणे।
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दसमं सतं (पंचमी उद्देसो)
४७६
७०. चमरस्स णं भंते ! असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीओ पण्णत्ता ?
जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा - कणगा, कणगलता, चित्तगुत्ता, वसुंधरा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे' पण्णत्ते ॥
७१. पभू णं ताम्रो 'एगामेगा देवी" अण्णं एगमेगं देवीसहस्सं परियारं विउव्वित्तए ? एवामेव सपुव्वावरेणं चत्तारि देवीसहस्सा । सेत्तं तुडिए ||
७२. पभू णं भंते ! चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो सोमे महाराया सोमाए यहाणी, सभाए सुहम्माए, सोमंसि सीहासांसि तुडिएणं सद्धि दिव्वाई भोग भोगाई भुजमाणे विहरित्तए ? श्रवसेसं जहा चमरस्स, नवरं - परियारो हा सूरियाभस्स | सेसं तं चेव जाव' नो चेव णं मेहुणवत्तियं ॥
1
o
७३. चमरस्स णं भंते! असुरिदस्स असुरकुमार रण्णो जमस्स महारण्णो कति
महिसो ?
एवं चेव, नवरं - जमाए रायहाणीए, सेसं जहा सोमस्स । एवं वरुणस्स वि, नवरं - वरुणाए रायहाणीए । एवं वेसमणस्स वि, नवरं - वेसमणाए रायहाणीए । सेसं तं चेव जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं ॥
७४. बलिस्स णं भंते ! वइरोर्याणिदस्स - पुच्छा ।
अज्जो ! पंच अग्गमहिसीय पण्णत्ताओ, तं जहा - सुभा, निसुंभा, रंभा, निरंभा, मदणा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए अट्ठ देवीसहस्सं परिवारो, सेसं जहा चमरस्स, नवरं – बलिचंचाए रायहाणीए, परियारो जहा " मोउद्देसए । सेसं तं चेव जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं ॥
७५. बलिस्स णं भंते ! वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो सोमस्स महारण्णो कति
महिसो पण्णत्ताश्रो ?
अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्तायो, विज्जुया", असणी । तत्थ णं एगमेगाए देवीए सेसं जहा चमरसोमस्स एवं जाव वरुणस्स ।।
१. एगमेगं सि ( स ) ।
२. परियारो (ता) |
३. एगमेगाओ देवी ( अ ) एगमेगाए देवीए
(स) ।
४. राय० सू० ७
५. भ० १०१६७-६६ ।
६. सं० पा० - भंते जाव रण्णो ।
तं जहा - मीणगा, सुभद्दा, एगमेगं देवी सहस्सं परिवारो,
७. भ० १०/७०-७२ ।
८० पत्तियं ( ब ) ।
६. सुभा ( अ, ब, स ) |
१०. भ० ३।१२।
११. विजया ( स ) ।
१२. समरणस्स (अस) ।
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४८०
७६. धरणस्स णं भंते! नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो कति अग्गमहिसीओ
पण्णत्ताओ ?
प्रज्जो ! छ अग्गमहिसी पण्णत्ताओ, तं जहा - प्रला', सक्का, सतेरा', सोदामिणी, इंदा, घणविज्जुया । तत्थ णं एगमेगाए देवीए छ-छ देवी सहस्स परिवारो पण्णत्तो ॥
७७. पभू णं ताओ एगमेगा देवी अण्णाई छ-छ देविसहस्साइं परियारं विउव्वित्तए ? एवामेव सपुव्वावरेणं छत्तीसाई देविसहस्साई । सेत्तं तुडिए ।
७८. पभू णं भंते ! धरणे ? सेसं तं चेव, नवरं धरणाए रायहाणीए, धरणंसि सीहासांसि सो परियारो' । सेसं तं चैव ॥
भगवई
७६. धरणस्स णं भंते ! नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो कालवालस्स महारण्णो कति महिसी पण्णत्ताओ ?
अज्जो चत्तारि अग्गमहिसी पण्णत्तात्र तं जहा प्रसोगा, विमला, सुप्पभा, सुदंसणा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारो, अवसेसं जहा' चमरलोगपालाणं । एवं सेसाणं तिण्ह वि ॥
८०. भूयाणंदस्स भंते ! – पुच्छा ।
अज्जो ! छ अग्गमहिसाओ पण्णत्ता, तं जहा - हथा रूपंसा, सुरूया, रूपगावतो, रूपकता, रूपनमा । तत्थ गं एगमेगाए देवोए ऐगमेगं देवोसहस्सं परिवारे, प्रवसेसं जहा धरणस्स ॥
८१. भूयाणंदस्स णं भंते ! नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो नागचित्तस्स - पुच्छा | अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पण्णत्ताओ, तं जहा -सुणंदा, सुभद्दा, सुजाया, सुमणा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, अवसेसं जहा चमरलोगपालाणं । एवं सेसाणं तिण्ह वि लोगपालाणं ।
जे दाहिणिल्ला इंदा तेसिं जहा धरणिंदस्स, लोगपालाण वि तेसिं जहा धरणस्स लोगपालाणं । उत्तरिल्लाणं इंदाणं जहा भूयाणंदस्स, लोगपालाण वि तेसिं जहा भूयानंदस्स लोगपालाणं, नवरं - इंदाणं सव्वेसि रायहाणीग्रो सीहासणाणि यसरि णामगाणि, परियारो जहा मोउद्देसए । लोगपालाणं सव्वेसि रायहा
१. आला ( ब ) ; इला ( क्व० ) ।
६. भ० ३|१४|
२. मक्का (ता, ब, म); सुक्का ( स ), कमा ७. काललोगपालस्स (अ); लोगपालस्स
काललोगपालस्स (स) 1
( ना० २३९ ) ।
३. सतारा ( अ, स ) ।
४. ° सहस्सा ( अ, ता, ब, म, स) ।
५. भ० १०।६७-६६ ।
८. भ० १०1७०-७२।
६. X (ता, ब ) ।
१०. भ० ३।१४, १५ ।
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दसमं सतं (पंचमो उद्देसो)
४८१ णीनो सीहासणाणि य सरिसणामगाणि, परियारो जहा' चमरस्स लोगपालाणं ॥ कालस्स णं भंते ! पिसायिदस्स पिसायरण्णो कति अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो ? अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो, तं जहा--कमला, कमलप्पभा, उप्पला, सुदंसणा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारो, सेसं जहा' चमरलोगपालाणं । परिवारो तहेव, नवरं--कालाए रायहाणीए,
कालंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव । एवं महाकालस्स वि ॥ ८३. सुरूवस्स णं भंते ! भूतिदस्स भूतरण्णो-पुच्छा।
अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्ताओ, तं जहा–रूववई, बहुरूवा, सुरूवा, सुभगा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं
जहा कालस्स । एवं पडिरूवस्स वि ।। ८४. पुण्णभद्दस्स णं भंते ! जक्खिदस्स- पुच्छा।
अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्ताओ, तं जहा-पुण्णा, बहुपुत्तिया, उत्तमा, तारया। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं
जहा कालस्स । एवं माणिभद्दस्स वि ।। ८५. भीमस्स णं भंते ! रक्खसिदस्स...पुच्छा।
अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो, तं जहा-पउमा, वसुमती', कणगा, रयणप्पभा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे,
सेसं जहा कालस्स । एवं महाभीमस्स वि ।। ८६. किन्नरस्स णं-पुच्छा ।
अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीग्रो पण्णत्तानो, तं जहावडेंसा, केतुमती, रतिसेणा, रइप्पिया। तत्थ णं ऐगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे,
सेसं तं चेव । एवं किंपुरिसस्स वि ॥ ८७. सप्पुरिसस्स णं-पुच्छा।
अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीग्रो पण्णत्तानो, तं जहा--रोहिणी, नवमिया, हिरी, पुप्फवती । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं
तं चेव । एवं महापुरिसस्स वि।। ८८. अतिकायस्स णं--पुच्छा ।
अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो, तं जहा- भुयगा', भुयगवती,
१. भ० १०७०-७३ । २. भ० १०७१, ७२ ।
३. पउमवती (अ, स); पउमावती (क, म)। ४. भुयंगा (स)।
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४८२
भगवई
महाकच्छा, फुडा । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवी सहस्सं परिवारे, सेसं तं चैव । एवं महाकायस्स वि ॥
८६. गीयर इस्स णं - पुच्छा |
अज्जो ! चत्तारि अग्ग महिसीओ पण्णत्ताप्रो, तं जहा - सुघोसा, विमला, सुस्सरा, सरस्सई । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवी सहस्सं परिवारे, सेसं तं चैव । एवं गीयजसस्स वि । सव्वेसि एएसि जहा कालस्स, नवरं - सरिसना - मिया रायहाणी सीहासणाणि य, सेसं तं चैव ॥
६०. चंदस्स णं भंते! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो
पुच्छा ।
महग्गहस्स कति अग्गमहिसीओ -
-पुच्छा।
अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसी पण्णत्ताओ, तं जहा - चंदप्पभा, दोसिणाभा', अच्चिमाली, पभंकरा । एवं जहा जीवाभिगमे जोइसियउद्देसए तहेव सूरस्स वि सूरप्पभा, प्रायवा ग्रच्चिमाली, पभंकरा । सेसं तं चेव जाव' नो चेव णं मेहुणवत्तियं ॥ ६१. इंगालस्स णं भंते! ग्रज्जो ! चत्तारि महिसीय पण्णत्तायो, तं जहा - विजया, वेजयंती, जयंती, अपराजिया । तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवी सहस्सं परिवारे, सेसं जहा चंदस्स, नवरं - इंगालवडेंस विमाणे, इंगालगंसि सीहासणंसि, सेसं तं चेव । एवं वियागस्स वि । एवं अट्ठासीतिए वि महग्गहाणं' भाणियव्वं जाव' भाव के उस्स, नवरं - वडेंसगा सीहासणाणि य सरिसनामगाणि, सेसं तं चैव ॥ ε२. सक्क्स्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो - पुच्छा ।
जो ! महिसिओ पण्णत्ताओ, तं जहा - पउमा, सिवा, सची, अंजू, अमला, ग्रच्छरा, नवमिया, रोहिणी । तत्थ णं एगमेगाए देवीए सोलस- सोलस देवी सहस्सा परिवारो पण्णत्तो ॥
६३. पभू णं ताम्रो एगमेगा देवी अण्णाई सोलस - सोलस देवीसहस्साइं परिवारं
विउब्वित्तए ?
एवामेव सपुव्वावरेणं अट्ठावीसुत्तरं देवीसयसहस्सं । सेत्तं तुडिए ||
६४. पभू णं भंते! सक्के देविदे देवराया सोहम्मे कप्पे, सोहम्मवडेंस विमाणे, सभाए सुहम्माए, सक्कंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धि दिव्वाई भोगभोगाई
१. ओसिणाभा (ता, स ) ।
२. जी० ३ ।
३. आयच्चा ( अ, स ) .
४. भ० १०।६७-६६ ।
५. सेसं तं चेव ( अ, स ) ।
६. महागहाणं ( अ, क, ब, स ) ।
७. ठा० २।३२५ ।
८. सेया (अस); सुयी (क, ता, म) ।
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दसमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
४८३ भुंजमाणे विहरित्तए । सेसं जहा चमरस्स, नवरं–परियारो जहा' मोउद्देसए ।। ६५. सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गमहिसीनो
पुच्छा । अज्जो ! चत्तारि अगमहिसीनो पण्णत्तानो, तं जहा-रोहिणी, मदणा, चित्ता, सोमा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा चमरलोगपालाणं, नवरं-सयंपभे विमाणे. सभाए सहम्माए, सोमंसि सोहासणंसि, सेसं तं चेव । एवं जाव वेसमणस्स, नवरं-विमाणाई जहा'
ततियसए॥ ६६. ईसाणस्स णं भंते ! -पुच्छा।
अज्जो ! अट्ठ अग्गमहिसीनो पण्णत्तानो, तं जहा-कण्हा, कण्हराई, रामा, रामरक्खिया, वसू, वसुगुत्ता, वसुमित्ता, वसुंधरा। तत्थ णं एगमेगाए देवीए
एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा सक्कस्स ।। ६७. ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स देव रण्णो सोमस्स महारण्णो कति अग्गम हिसीनो
-पुच्छा । अज्जो ! चत्तारि अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो, तं जहा-पुहवी, राई, रयणी, विज्जू । तत्थ णं एगमगाए देवीए एगमेगं देवीसहस्सं परिवारे, सेसं जहा सक्कस्स लोगपालाणं, एवं जाव वरुणस्स, नवरं-विमाणा जहा' चउत्थसए,
सेसं तं चेव जाव' नो चेव णं मेहुणवत्तियं ।। १८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
छट्ठो उद्देसो सुहम्मा सभा-पदं ६६. कहि णिं भंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरण्णो सभा सुहम्मा पण्णत्ता ?
गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढ
१. भ० ३।१६। २. भ० १०७०-७२। ३. भ० ३।२५०, २५१, २५६, २६१, २६६ । ४. भ०१०।६२-६४ ।
५. भ० ४।२-४। ६. भ० १०॥६७-६६ । ७. भ० ११५१ ।
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४८४
भगवई
वीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो उड्ढं एवं जहा रायप्पसेणइज्जे जाव' पंच वडेंसगा पण्णत्ता, तं जहा–असोगवडेंसए', 'सत्तवण्णव.सए, चंपगवडेंसए, चयव.सए ° मज्झे, सोहम्मव.सए । से णं सोहम्मवडेंसए महाविमाणे अद्धतेरसजोयणसयसहस्साइं आयामविक्खंभेणं,
एवं जह सूरियाभे, तहेव माण तहेव उव वायो । सक्कस्स य अभिसेप्रो, तहेव जह सूरियाभस्स ।
अलंकारअच्चणिया, तहेव जाव' आयरक्ख त्ति ॥१॥ दो सागरोवमाइं ठिती ।। सक्क-पदं १००. सक्के णं भंते ! देविंदे देवराया केमहिड्ढिए जाव' केमहासोक्खे।
गोयमा ! महिड्ढिए जाव महासोक्खे । से णं तत्थ बत्तीसाए विमाणावाससयसहस्साणं जाव' दिव्वाइं भोग भोगाइं भुंजमाणे विहरइ। एमहिड्ढिए जाव
एमहासोक्खे सक्के देविदे देवराया ।। १०१. सेवं अंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
७-३४ उद्देसा अंतरदीव-पदं १०२. कहि णं भंते ! उत्तरिल्लाणं एगुरुयमणुस्साणं एगुरुयदीवे नाम दीवे पण्णत्ते ?
एवं जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं जाव सुद्धदंतदीवो त्ति। एए अट्ठावीसं
उद्देसगा भाणियव्वा ॥ १०३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव" अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।।
१. राय० सू० १२४, १२५। २. सं० पा०-असोगवडेंसए जाव मज्झे । ३. पमाणं (अ, क, ता, म, स)। ४. राय० सू० १२६-६६६ । ५. भ०३।४। ६. केमहेसक्खे (ब, स)।
७. भ० ३।१६ । ८. भ० ११५१ ।
६. एगुरुय ° (अ, म, स)। १०. जी० ३। ११. भ० ११५१ ।
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एक्कारसं सतं
पढमो उद्देसो १. उप्पल २. सालु ३. पलासे ४. कुंभी ५. नाली य ६. पउम ७. कण्णी य ।
८. नलिण ६. सिव' १०. लोग ११,१२. कालालभिय दस दो य एक्कारे ॥१॥ उप्पलजीवाणं उववायादि-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' पज्जुवासमाणे एवं वयासी-उप्पले णं
भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? गोयमा ! एगजीवे, नो अणेगजीवे । तेण परं जे अण्णे जीवा उववज्जति ते णं
नो एगजीवा अणेगजीवा ।। २. ते णं भंते ! जीवा कतोहितो उववज्जति–कि नेरइएहितो उववज्जति ?
'तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? मणुस्सेहितो उववज्जति" ? देवेहितो उववज्जति ?
१. या (ब)।
विरई किरिया बंधे, २. अतोग्रे प्रमोद्देशकद्वारसंग्रहगाथा लभ्यन्ते,
सन्न कसायित्थि बंधे य ।। ताश्च इमा
सन्निदिय अणुबंधे, उववाओ परिमाणं,
संवेहाहार ठिइ समुग्घाए। अवहारुच्चत्त बंध वेदे य ।
चयरणं मूलादीसु य, उदए उदीरणाए,
उववाओ सव्वजीवाणं ॥ (वृपा) ॥ लेसा दिट्ठी य नाणे य॥ ३. भ० ११४-१० । जोगुवओगे वण्ण,
४. तिरि मरण (अ, क, ता, ब, म, स)। रसमाई ऊसासगे य आहारे।
४८५
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४८६
भगवई
गोयमा ! नो नेरइएहितो उववज्जति, तिरिवखजोणिएहितो उववज्जंति, मणुस्सेहितो उववज्जति देवेहितो वि उववज्जति । एवं उववारो भाणियव्वो जहा
वक्कंतीए वणस्सइकाइयाणं जाव' ईसाणेति ।। ३. ते णं भंते ! जीवा एगसमए णं केवइया उववज्जति ?
गोयमा ! जहण्णेणं एकको वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा
असंखेज्जा वा उववज्जति ॥ ४. ते णं भंते ! जीवा समए-समए अवहीरमाणा-अवहीरमाणा केवतिकालेणं
अवहीरंति ? गोयमा ! ते णं असंखेज्जा समए-समए 'अवहीरमाणा-अवहीरमाणा'' असंखे
ज्जाहि प्रोसप्पिणि-उस्स प्पिणीहि अवहीरंति, नो चेव णं अवहिया सिया ।। ५. तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उवकोसेणं सातिरेगं जोयण
सहस्सं ॥ ६. ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मरस कि बंधगा ? प्रबंधगा ?
गोयमा ! नो अबंधगा, बंधए वा, बंधगा वा ।। ७. एवं जाव अंतराइयस्स, नवरं-ग्राउयस्स-पूच्छा।
गोयमा ! १. बंधए वा २.अबंधए वा ३. बंधगा वा ४. अबंधगा वा ५. अहवा बंधए य प्रबंधए य ६. अहवा बंधए य प्रबंधगा य ७. अहवा बंधगा य अबंधए
य ८. अहवा बंधगा य प्रबंधगा य-एते अट्ठ भंगा॥ ८. ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स किं वेदगा ? अवेदगा ?
गोयमा ! नो अवेदगा, वेदए वा, वेदगा वा । एवं जाव अंतराइयस्स ॥ ते णं भंते ! जीवा कि सायावेदगा ? असायावेदगा?
गोयमा ! सायावेदए वा, असायावेदए वा-अट्ट भंगा। १०. ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मरस किं उदई ? अणुदई ?
गोयमा ! नो अणुदई, उदई वा, उदइणो वा । एवं जाव अंतराइयस्स ।। ११. ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स किं उदीरगा? अणुदी रगा?
गोयमा ! नो अणुदी रगा, उदीरए वा, उदीरगा वा। एवं जाव अंतराइयस्स,
नवरं-वेदणिज्जाउएसु अट्ठ भंगा। १२. ते णं भंते ! जीवा कि कण्हलेसा? नीललेसा ? काउलेसा ? तेउलेसा ?
i
१. प०६। २. वा उवव (ता)।
३. अवहीरेमाणा २ (स)। ४. °प्पिणीहिं (ब, म)।
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एक्कारसं सतं (पढमो उद्देसो)
४८७ गोयमा ! कण्हलेसे वा' नीललेसे वा काउलेसे वा° तेउलेसे वा, कण्हलेस्सा वा नीललेस्सा वा काउलेस्सा वा तेउलेस्सा वा, अहवा कण्हलेसे य नीललेसे
य । एवं एए दुयासंजोग-तियासंजोग-च उक्कसंजोगेणं' असीती भंगा भवंति ।। १३. ते णं भंते ! जीवा कि सम्मद्दिट्ठो ? मिच्छादिट्ठी ? सम्मामिच्छादिट्ठी ?
गोयमा ! नो सम्मट्ठिी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी, मिच्छादिट्ठो वा मिच्छा
दिट्ठिणो वा ॥ १४. ते णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी वा, अण्णाणिणो वा ।। १५. ते णं भंते ! जीवा कि मणजोगी ? वइजोगी ? कायजोगी ?
गोयमा ! नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी वा, कायजोगिणो वा ॥ १६. ते णं भंते ! जीवा कि सागारोवउत्ता ? अणागारोवउत्ता ?
गोयमा ! सागारोवउत्ते वा, अणागारोवउत्ते वा-अट्ठ भंगा ।। १७. तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा कतिवण्णा, कतिगंधा, कति रसा, कतिफासा,
पण्णत्ता? गोयमा ! पंचवण्णा, पंचरसा, दुगंधा, अट्ठफासा पण्णत्ता। ते पुण अप्पणा
अवण्णा, अगंधा, अरसा, अफासा पण्णत्ता ।। १८. ते णं भंते ! जीवा कि 'उस्सासगा? निस्सासगा ? नोउस्सासनिस्सासगा ?'
गोयमा ! १. उस्सासए वा २. निस्सासए वा ३. नोउस्सासनिस्सासए वा ४. उस्सासगा वा ५. निस्सासगा वा ६. नोउस्सासनिस्सासगा वा १-४ अहवा उस्सासए य निस्सासए य १-४ अहवा उस्सासए य नो उस्सासनिस्सासए य १-४ अहवा निस्सासए य नोउस्सासनिस्सासए य १-८ अहवा उस्सासए य
निस्सासए य नोउस्सासनिस्सासए य-अट्ट भगा । एते'छव्वीसं भंगा भवंति ।। १६. ते णं भंते ! जीवा किं आहारगा ? अणाहारगा? .
गोयमा ! आहारए वा, अणाहारए वा---अट्र भंगा। २०. ते णं भंते ! जीवा किं विरया ? अविरया ? विरयाविरया ?
गोयमा ! नो विरया, नो विरयाविरया, अविरए वा अविरया वा ॥ २१. ते णं भंते ! जीवा कि सकिरिया ? अकिरिया ?
गोयमा ! नो अकिरिया, सकिरिए वा, सकिरिया वा ॥
१. सं० पा०वा जाव तेउलेसे । २. चउक्कसंजोगेण य (अ, क, ता, म, स); चतु-
कासंजोगेण य (ब)। ३. द्रष्टव्यम्-भ०११२१८ सूत्रस्य पादटिप्पणम् ।
४. उस्सासा निस्सासा नोउस्सासानिस्सासा
(क, ता, म)। ५. एवं (ता)।
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४८८
भगवई
२२. ते णं भंते ! जीवा कि सत्तविहबंधगा ? अट्टविहबंधगा?
गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्टविहबंधए वा-अट्ठ भंगा ॥ २३. ते णं भंते ! जीवा कि आहारसण्णोवउत्ता ? भयसण्णोवउत्ता ? मेहुणसण्णोव
उत्ता? परिग्गहसण्णोवउत्ता!
गोयमा ! आहारसण्णोवउत्ता-असीती भंगा' ।। २४. ते णं भंते ! जीवा कि कोहकसाई ? माणकसाई ? मायाकसाई ? लोभक
साई ? असीती भंगा। २५. ते णं भंते ! जीवा कि इत्थिवेदगा ? पुरिसवेदगा ? नपुंसगवेदगा ?
गोयमा ! नो इत्थिवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदए वा, नपुंसगवेदगा
वा॥ २६. ते णं भंते ! जीवा किं इत्थिवेदबंधगा ? पुरिसवेदबंधगा ? नपुंसगवेदबंधगा ?
गोयमा ! इत्थिवेदबंधए वा, पुरिसवेदबंधए वा, नपुंसगवेदबंधए वा-छब्बीसं ।
भंगा ॥ २७. ते णं भंते ! जीवा कि सण्णी ? असण्णी ?
गोयमा! नो सण्णी, असण्णी वा असण्णिणो वा । २८. ते णं भंते ! जीवा कि सइंदिया ? अणिदिया ?
गोयमा ! नो अणिदिया, सइंदिए वा, सइंदिया वा ।। २६. से णं भंते ! उप्पलजीवेत्ति कालयो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं ॥ ३०. से णं भंते ! उप्पलजीवे पढविजीवे, पूणरवि उप्पलजीवेत्ति केवतियं कालं
सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं असंखेज्जाइं भवगहणाइं । कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं,
एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । ३१. से णं भंते ! उप्पलजीवे, आउजीवे, पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवतियं कालं
सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा !
एवं चेव । एवं जहा पुढविजीवे भणिए तहा जाव वाउजीवे भाणियव्वे ।। ३२. से णं भंते ! उप्पलजीवे सेसवणस्स इजीवे', से पुणरवि उप्पलजीवेत्ति केवतियं
'काल सेवेज्जा? केवतियं कालं गतिराति करेज्जा?
१, २. द्रष्टव्यम्-भ० १।२१८ सूत्रस्य पाद- ४. ° जीवे (ब)। टिप्पणम् ।
५. से वरण. (अ, क, ब, म, स)। ३. भ०११।१८।
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४८६
एक्कारसं सतं (पढमो उद्देसो)
गोयमा ! भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अणंताई भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं अणंतं कालं तरुकाल',
एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ।। ३३. से णं भंते ! उप्पलजीवे बेइंदियजीवे, पुणरवि उप्पलजोवेत्ति केवतियं कालं
सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं भवग्गहणाइं, कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं संखेज्ज कालं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। एवं तेइंदियजीवे, एवं
चरिदियजीवे वि ॥ ३४. से णं भंते ! उप्पलजीवे पंचिदियतिरिक्खजोणियजीवे, पुणरवि उप्पलजीवेत्ति
-पूच्छा । गोयमा ! भवादेसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं पुव्वकोडिपुहत्तं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। एवं मणुस्सेण वि समं जाव
एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ।। ३५. ते णं भंते ! जीवा किमाहारमाहारेंति ?
गोयमा ! दम्वनो अणंतपदेसियाई दवाइं, खेत्तो असंखेज्जपदेसोगाढाइं, कालो अण्णयरकालट्टिइयाई, भावप्रो वण्णमंताई गंधमंताई रसमंताई फासमंताई एवं जहा अाहारुद्देसए वणस्सइकाइयाणं पाहारो तहेव जाव'
सव्वप्पणयाए अाहारमाहारेति, नवरं-नियमा छद्दिसिं, सेसं तं चेव ॥ ३६. तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतियं कालं ठिई पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दस वाससहस्साइं॥ ३७. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति समुग्धाया पण्णत्ता ?
गोयमा ! तो समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा- वेदणासमुग्घाए, कसायसमुग्घाए,
मारणंतियसमुग्घाए । ३८. ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्घाएणं कि समोहता मरंति ? असमोहता
मरंति ?
गोयमा ! समोहता वि मरंति, असमोहता वि मरंति ।। ३६. ते णं भंते ! जीवा अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जंति-कि
१. X (क, ता, म)। २. एवं चव नवरमणंतं कालं जाव कालाएसेण
वि (ब)। ३. प० २८।१।
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४६०
भगवई नेरइएसु उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति ? एवं जहा वक्कंतीए
उव्वट्टाणाए वणस्सइकाइयाणं तहा भाणियव्वं ॥ ४०. अह भंते ! सव्वपाणा, सव्वभूता, सव्व जीवा, सव्वसत्ता उप्पलमूलत्ताए, उप्प
लकंदत्ताए, उप्पलनालत्ताए, उप्पलपत्तत्ताए, उप्पलकेसरत्ताए, उप्पलकण्णियताए, उप्पलथिभगत्ताए' उववन्नपुव्वा ?
हंता गोयमा ! असतिं अदुवा अणंतखुत्तो।। ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
बीओ उद्देसो सालुयादिजीवाणं उववायादि पदं ४२. सालुए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ?
गोयमा ! एगजीवे । एवं उप्पलुद्देसगवत्तव्वया अपरिसेसा भाणियव्वा जाव अणंतखुत्तो, नवरं-सरीरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं
धणुपुहत्तं, सेसं तं चेव ॥ ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति॥
१. प०६ । २. ° विभंगत्ताए (अ)। ३. भ० ११५१
४. भ० ११।१-४०। ५. भ० ११५१॥
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एक्कारसं सतं (चउत्थो उद्देसो)
४६१ तइओ उद्देसो ४४. पलासे णं भंते ? एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ?
एवं उप्पलुद्देसगवत्तव्वया अपरिसेसा भाणियव्वा, नवरं सरीरोगाहणा जहपणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं गाउयपुहत्ता' । देवेहितो न उवव
ज्जति ।। ४५. लेसासु-ते णं भंते ! जीवा कि कण्हलेस्सा ? नीललेस्सा ? काउलेस्सा ?
गोयमा ! कण्हलेस्से वा नीललेस्से वा काउलेस्से वा-छव्वीसं भंगा, सेसं तं
चेव ॥ ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
चउत्थो उद्देसो ४७. कुंभिए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? __ एवं जहा पलासुद्देसए तहा भाणियव्वे, नवरं--ठिती जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं
उक्कोसेणं वासपुहत्तं, सेसं तं चेव ॥ ४८. सेवं भंते ! सेव भंते ! त्ति।
१. ° पुहुत्तं (अ, ब)। २. देवा एएसु (अ, ब); देवेसु (ता, म); देवा
एएसु चेव (स); वृत्तिकृतापि १११२ सूत्रस्य सन्दर्भ एव व्याख्या कृतास्ति । अस्माभिरपि तस्य सन्दर्भे एव पाठ : स्वीकृतः ।
३. भ० ११११८॥ ४. भ० ११५१। ५. भ० ११५१।
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४६२
पंचमो उद्देसो
४६. नालिए णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एवं कुंभिउद्देगवत्तव्वया निरवसेसं भाणियव्वा ॥ ५०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।
छट्टो उद्देसो
५१. उमे णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ? एवं उप्पलुद्दे सगवत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा ॥ ५२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
सत्तमो उद्देसो
५३. कण्णिए णं भंते ! एगपत्तए किं एगजीवे ? प्रणेगजीवे ? एवं चेव निरवसेसं भाणियव्वं ॥
५४. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति ॥
१. भ० १।५१ । २. भ० १।५१ ।
३. भ० १।५१
भगवई
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एक्कारसं सतं (नवमो उद्देसो)
४६३
अट्ठमो उद्देसो ५५. नलिणे णं भंते ! एगपत्तए कि एगजीवे ? अणेगजीवे ?
एवं चेव निरवसेसं जाव' अणंतखुत्तो। ५६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति॥
नवमो उद्देसो सिवरायरिसि-पदं ५७. तेणं कालेणं तेणं समएणं हथिणापुरे' नामं नगरे होत्था-वण्णो । तस्स णं
हत्थिणापुरस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभागे, एत्थ णं सहसंबवणे नामं उज्जाणे होत्था-सव्वोउय-पुप्फ-फलसमिद्धे रम्मे णंदणवणसन्निभप्पगासे सुहसीतलच्छाए मणोरमे सादुप्फले अकंटए, पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे °
पडिरूवे ॥ ५८. तत्थ णं हत्थिणापुरे नगरे सिवे नाम राया होत्था-महयाहिमवंत-महंत-मलय
मंदर-महिंदसारे-वण्णो । तस्स णं सिवस्स रण्णो धारिणी नामं देवी होत्था-सुकुमालपाणिपाया-वण्णो । तस्स णं सिवस्स रण्णो पुत्ते धारिणीए अत्तए सिवभद्दे नाम कुमारे होत्था-सुकुमालपाणिपाए, जहा सूरियकते जाव' रज्जं च रटुं च बलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठारं च पुरं च अंतेउरं च सयमेव पच्चुवेक्खमाणे-पच्चुवेक्खमाणे विहरइ ।
१. भ० ११।१-४०।
६. सन्निगासे (अ, क, ब, स)। २. भ० ११५१।
७. सं० पा०—पासादीए जाव पडिरूवे । ३. हस्थिरणागपुरे (अ, म); हत्थिणपुरे (क); ८. ओ० सू० १४। हत्थिरणाउरे (ता)।
६. ओ० सू० १५॥ ४. प्रो० सू० १।
१०. राय० सू० ६७३,६७४। ५, सव्वोदुय (क, म)।
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४६४
भगवई
५६. तए णं तस्स सिवस्स रण्णो अण्णया कयाइ पुव्वरत्ताव रत्तकालसमयंसि रज्जधुरं
चिंतेमाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था-अत्थि ता मे पुरा पोराणाणं "सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणफल वित्तिविसेसे, जेणाहं हिरण्णेणं वड्ढामि सुवण्णेणं वड्ढामि, धणेणं वड्ढामि, धण्णेणं वड्ढामि°, पुत्तेहि वड्ढामि, पसूहि वड्ढामि, रज्जेणं वड्ढामि, एवं रट्टेणं बलेणं वाहणणं कोसेणं कोट्ठागारेणं पुरेणं अंतेउरेणं वड्ढामि, विपुलधण-कणग-रयण - मणि-मोत्तिय-संखसिलप्पवाल-रत्तरयण ° -संतसारसावएज्जेणं अतीव-अतीव अभिवड्ढामि, तं कि णं अहं पुरा पोराणाणं' 'सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं° 'एगंतसो खयं उवेहमाणे विहरामि ? तं जावताव अहं हिरणेणं वड्ढामि जाव' अतीव-अतीव अभिवड्ढामि जाव मे सामंतरायाणो वि वसे वटुंति, तावता मे सेयं कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उद्वियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सुबहु लोही-लोहकडाह-कडच्छुयं तंबियं तावसभंडगं घडावेत्ता सिवभई कुमार रज्जे ठावेत्ता तं सुबहुं लोही-लोहकडाह-कडच्छुयं तंबियं तावसभंडगं गहाय जे इमे गंगाकुले वाणपत्था तावसा भवंति, [तं जहा-होत्तिया पोत्तिया" कोत्तिया जहा अोववाइए जाव पायावणाहिं पंचग्गि
१. सं० पा०-अज्झस्थिए जाव समुप्पज्जित्था २. सं० पा०-जहा तामलिस्स जाव पुत्तेहि । ३. सं० पा०–रयण जाव संत०। ४. ० सावदेज्जेणं (क, ब, म, स)। ५. सं० पा-गोराणाणं जाव एगंतसोक्खयं । ६. एगंतसोक्खयं (अ)। ७. उव्वेह० (स)। ८. तं चेव जाव (अ, क, ब, म. स)। ६. भ० २०६६। १०. कडेच्छुयं (क, ता, ब, म)। ११. सोत्तिया (क, ब, वृपा)। १२. केषुचिदादशेषु विस्तृतः पाठोस्ति। तदनन्तरं
'जहा ओववाइए' इति संक्षिप्तपाठस्य सूचनमप्यस्ति। एतद् द्वयोर्वाचनयोः सम्मिश्रणेन जातम् । केवलं 'ब' संकेतितादर्श एकैव विस्तृतवाचना लभ्यते । सा च इत्थ
मस्ति-होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण्णई सड्ढई थालई हुंब उट्ठा [हुंचउट्ठा (अ) हुंपतुट्ठा (क, ब); उट्टिया (ता)] दंतुक्खलिया उम्मज्जगा सम्मज्जगा निमज्जगा संपवखाला 'उद्धकंडुयगा अहोकं डुयगा' ['x' (क, ब, म)] दाहिणकूलगा उत्तरकूलगा संखधमगा कूलधमगा मियलुद्धगा हत्थितावसा जलाभिसेयकढिरणगत्ता अंबुबासिणो वाउवासिणो सेवालवासियो [वेलनासिणो (स)] अंबुभक्खिरणो वाउभक्विणो सेवालभक्विणो मूलाहारा कंदाहारा पत्ताहारा तयाहारा पुप्फाहारा फलाहारा बीयाहारा परिसडिय-पंडु-पत्तपुप्फफलाहारा उदंडा रुक्खमूलिया मंडलिया विलवासिणो [वलिवासिणो (क); पलवासिणो (ब); वणवासिणो (म)] दिसापोक्खिया, आतावणेहि पंचग्गितादेहि
सिणो नाभिसेयकाद्धगा ही
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एक्कासं सतं (नवमी उद्देसो)
४६५
तावेहिं इंगालसोल्लियं कंदुसोल्लियं कटुसोल्लियं पिव अप्पाणं करेमाणा विहरंति ] ' तत्थ णं जे ते दिसापोक्खो तावसा तेसि अंतियं मुंडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइत्तए, पव्वइते वि य णं समाणे अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिहिसामि - कप मे जावज्जीवाए छटुंछट्टेणं प्रणिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिज्भिय - परिज्भिय सूराभिमुहस्स आयावणभूमीए प्रायामाणस्स विहरित्तए, त्ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रणी जाव' उट्ठयम सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते सुबहु लोहीलोह कडाह-कडच्छ्रयं तंबियं तावसभंडगं • घडावेत्ता कोडुंबियपुरिसे सहावेइ, सहावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! हत्थिणापुरं नगरं भिरबाहिरियं प्रासिय सम्मज्जिश्रोवलित्तं जाव' सुगंधवरगंधगंधियं गंधव -
भूयं करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह | ते वि तमाणत्तियं पच्चपिति ॥
o
६०. तए णं से सिवे राया दोच्चं पि कोडुं बियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो ! देवाणुप्पिया ! सिवभद्दस्स कुमारस्स महत्थं महग्घं महरिहं विउलं रायाभिसेयं उवदुवेह । तए णं ते कोडुंवियपुरिसा तहेव उवट्ठवेति ॥ ६१. तए णं से सिवे राया प्रणेगगणनायग- दंडनायगराईसर- तलव र माडं बियकोडुंबिय - इन्भ - सेट्ठि - सेणावइ सत्थवाह - दूय- संधिपाल - सद्धि संपरिवुडे सिवभद्दं कुमारं सीहासणवरंसिपुरत्थाभिमुह, निसियावेइ, निसियावेत्ता ग्रसएणं सोवण्णियाणं कलसाणं जाव' असणं भोमेज्जाणं कलसाणं सव्विड्ढीए जाव दुहि - णिग्घोसणाइयरवेणं महया - महया रायाभिसेगेणं अभिसिंचाइ, अभिसिं
o
इंगाजसोल्लियं कंदु (ड.) सोल्लियं कटुसोल्लियं पिव अप्पा करेमारणा विहरति । 'ओववाइय' सूत्रस्य (६४) पूर्णपाठः एवमस्ति - ' होत्तिया पोत्तिया कोत्तिया जण्णई सड्ढई थालई हुंबउट्ठा दंतुक्खलिया उम्म ज्जगा सम्मज्जगा निमज्जगा संपखाला दविणकुलगा उत्तरकूलगा संखधमगा कूलधमगा मिगलुद्धगा हत्थितावसा उद्दंडगा दिसापोक्खिणो वाकवासिणो चलवासिणो जलवा सिगो रुक्खमूलिया अंबुभक्खिणो वाउभक्खिणो सेवालभक्खिणो मूलाहारा कदाहारा तयाहारा पत्ताहारा पुष्फाहारा फलाहारा
बीयाहारा परिसडिय - कंद-मूल-तय- पत्त- पुप्फफलाहारा जलाभिसेय कठिण-गाया आयावाहिं पंचग्गितावेहिं इंगालसोल्लियं कंदुसोल्लियं कटुसोल्लियं पिव अप्पाणं करेमारणा ।' १. असौ कोष्ठकवर्ती पाठ: व्याख्यांशः प्रतीयते । २. सं० पा० - परिज्भिय जाव विहरित्तए । ३. भ० २।६६ ।
४. सं० पा० - लोह जाव घडावेत्ता । ५. ओ० सू० ५५ ।
६. सं० पा० - दंडनायग जाव संधिपाल । ७. भ० ६।१८२ ।
८. भ० ६।१८२ ।
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૪૬૬
भगवई
चित्ता पम्हलसुकुमालाए सुरभीए गंधकासाईए गायाइं लू हेति, लू हेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाइं अणुलिपति एवं जहेव जमालिस्स अलंकारो तहेव जाव' कप्परुक्खगं पिव अलंकिय-विभूसियं करेइ, करेत्ता करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि ° कटु सिवभई कुमारं जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता ताहिं इट्ठाहिं कंताहि पियाहि "मणुण्णाहिं मणामाहि मणाभिरामाहि हिययगमणिज्जाहिं वग्गूहिं जयविजयमंगलसएहि अणवरयं अभिणंदंतो य अभित्थणतो य एवं वयासी-जय-जय नंदा ! जय-जय भद्दा! भदं ते, अजिय जिणाहि जियं पालयाहि. जियमझे वसाहि। इंदो इव देवाणं, चमरो इव असराणं, धरणो इव नागाणं, चंदो इव ताराणं, भरहो इव मणयाणं बहई वासाई बहई वाससयाई बहई वाससहस्साई बहइं वाससयसहस्साइं अणहसमग्गो हतुट्टो परमाउं पालयाहि, इट्ठजणसंपरिवुडे हत्थिणापु रस्स नगरस्स, अण्णेसि च बहणं गामागर-नगर-खेड-कब्बड-दोणमुह-मडब-पट्टण-पासमनिगम-संवाह-सण्णिवेसाणं आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं महत्तरगत्तं प्राणा-ईसर-सेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे महयाहय-नट्ट-गीय-वाइय-तंती-तलताल-तुडिय-धण-मुइंग-पडुप्पवाइयरवेणं विउलाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे °
विहराहि ति कटु जयजयसई पउंजति ॥ ६२. तए णं से सिवभद्दे कुमारे राया जाते--महया हिमवंत-महंत-मलय-मंदर-महि
दसारे, वण्णो जाव' रज्जं पसासेमाणे विहरइ ।। तए णं से सिवे राया अण्णया कयाइ सोभणंसि तिहि-करण-दिवस-मुहत्त-नक्खतंसि विपलं असण-पाण-खाइम-साइमं उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता मित्तनाइ-नियग- सयण-संबंधि-परिजणं 'रायाणो य खत्तिए य” अामतेति, ग्रामतेत्ता तो पच्छा पहाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सूद्धप्पावेसाई मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकिय° सरीरे भोयणवेलाए भोयणमंडवंसि सहासणवरगए तेणं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणेणं राएहि य खत्तिएहि सद्धि विपुलं असण-पाण-खाइम-साइम १५ प्रासादेमाणे वीसादेमाणे परिभाएमाणे परिभुजेमाणे विहरइ।
१. भ० ६।१६० । २. सं० पा.--करयल जाव कटु । ३. सं० पा०-जहा ओववाइए कूणियरस जाव
परमाउं। ४. सं० पा० -नगर जाव विहराहि । ५. ओ० सू०१४। ६. सं० पा०—नियग जाव परिजणं ।
७. रायाणो य सत्तिया (अ, क, म, स); रायाणो
रायखत्तिए य (ता, ब)। ८. सं० पा०-हाए जाव सरीरे । ६. X (ता, ब)। १०. जाव (अ, क, ता, ब, म, स)। ११. सं० पो०-एवं जहा तामली जाव सक्कारेइ
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एक्कारसं सतं (नवमो उद्दसो)
४६७
जिमियभुत्तुरागए वि य णं समाण प्रायंते चोखे परमसुइब्भूए तं मित्त-नाइनियग-सयण-संबंधि-परिजणं विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-गंधमल्लालंकारेण य° सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तं मित्त-नाइ•नियग-सयण-संबंधि- ० परिजणं रायाणो य खत्तिए य सिवभई च रायाणं आपुच्छइ, आपुच्छित्ता सुबहुं लोही-लोहकडाह-कडच्छुयं तंबियं तावस ° भंडगं गहाय जे इमे गंगाकूलगा वाणपत्था तावसा भवंति, तं चेव जावतेसिं अंतियं मुंडे भवित्ता दिसापोक्खियतावसत्ताए पव्वइए, पव्वइए वि य णं समाणे अयमेयारूवं अभिग्गहं अभिगिण्हति–'कप्पइ मे जावज्जीवाए छटुं छटेणं अणिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड्ढं वाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय विहरित्तए'---- अयमेयारूवं ° अभिग्गह" अभिगिण्हित्ता पढम छट्ठक्खमणं उव
संपज्जित्ताणं विहरइ॥ ६४. तए णं से सिवे रायरिसी पढमछट्टक्खमणपारणगंसि पायावणभूमीग्रो पच्चोरुहइ,
पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयगं गिण्हइ, गिण्हित्ता पुरत्थिमं दिसं पोक्खेइ, पुरत्थिमाए दिसाए सोमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवं रायरिसिंअभिरक्खउ सिवं रायरिसिं, जाणि य तत्थ कंदाणि य मूलाणि य तयाणि य पत्ताणि य पुप्फाणि य फलाणि य बीयाणि य हरियाणि य ताणि अणुजाणउ त्ति कटु पुरत्थिमं दिसं पसरइ, पस रित्ता जाणि य तत्थ कंदाणि य जाव हरियाणि य ताइं गेण्ह इ, गेण्हित्ता किढिण-संकाइयगं भरेइ, भरेत्ता दब्भे य कुसे य समिहायो य पत्तामोडं च गिण्हइ, गिण्हित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयगं ठवेइ, ठवेत्ता वेदि वढ्ढेइ, वड्ढेत्ता उवलेवण संमज्जणं करेइ, करेत्ता दमकलसाहत्थगए जेणेव गंगा महानदी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता 'गंगं महानदि१० ओगाहेइ, प्रोगाहेत्ता जलमज्जणं करेइ, करेत्ता जलकीडं करेइ, करेत्ता जलाभिसेयं करेइ, करेत्ता आयते चोक्खे परमसुइभूए देवय-पिति-कयकज्जे दब्भकलसाहत्थगए गंगानो महा
१. सं० पा-नाइ जाव परिजणं ।
६. कढिरण (अ)। २. सं० पा०-कडच्छ्रयं जाव भंडगं ।
७. सिवे (ब, स)। ३. भ० १११५६ ।
८. सरइ (ता, म)। ४. सं० पा० ---तं चेव जाव अभिग्गहं । ६. दम्भकलस (अ); दब्भसगब्भकलसा (सग) ५. अभिग्गहं अभिगिण्हइ (अ, क, ता, ब, म, हत्थगए (ता, वृपा) ।
स); द्रष्टव्यम्- भ० ३।३३ सूत्रस्य पाद- १०. गंगामहानदी (क, ब, म)। टिप्पणम् ।
११. दब्भसगब्भकलसा (अ, क, ता, ब, म, स)।
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४६८
भगवई
नदीग्रो पच्चुत्तरइ, पच्चुत्तरित्ता जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छत्ता दहिय कुसेहि य वालुयाएहि य वेदि रएति, रएता सरएणं अरणि महे, महेत्ता रंग पाडेइ, पाडेत्ता ग्ररिंग संधुक्केइ, संधुक्केत्ता समिहाकट्ठाई पक्खिवइ, पक्खिवित्ता रिंग उज्जालेइ, उज्जालेत्ता " अग्गिस्स दाहिणे पासे, सत्तंगाई समादहे," [ तं जहा
सकहं वक्कलं ठाणं, सिज्जाभंडं कमंडलुं ।
दंडदारू तहप्पाणं, हे ताइं समादहे ॥ १ ॥ ]
माय घणय तंदुलेहि य रिंग हुई, हुणित्ता चरुं साहेइ, साहेत्ता बलिवइस्सदेव' करेइ, करेत्ता प्रतिहिपूयं करेइ, करेत्ता तम्रो पच्छा ग्रप्पणा ग्राहारमाहारेति ॥
६५. तए णं से सिवे रायरिसी दोच्चं छट्ठक्खमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ ॥ ६६. तए णं से सिवे रायरिसी दोच्चे छट्ठक्खमणपारणगंसि आयावणभूमी
o
पच्चोरुहइ, पच्चो रुहित्ता "वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किठिण-संकाइयगं गिण्हइ, गिव्हित्ता दाहिणगं दिसं पोक्खेइ, दाहिणाए दिसाए जमे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवं रायरिसि, सेसं तं चेव जाव' तो पच्छा अप्पणा प्रहारमाहारेइ ॥ ६७. तए णं से सिवे रायरिसी तच्चं छट्ठक्खमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ ॥ ६८. तए णं से सिवे रायरिसि तच्चे छट्ठक्खमणपारणगंसि आयावणभूमीश्रो
पच्चोरुहइ, पच्चोरुहिता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयगं गिन्हइ, गिण्हित्ता पच्चत्थिमं दिसं पोक्खेइ, पच्चत्थिमाए दिसाए वरुणे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवं रायरिसि, सेसं तं चेव जाव' तम्रो पच्छा अप्पणा श्राहारमाहारेइ ||
६६. तए णं से सिवे रायरिसी चउत्थं छुट्ठक्खमण उवसंपज्जित्ताणं विहरइ ॥ ७०. तए णं से सिवे रायरिसी चउत्थे छट्ठक्खमण पारणगंसि आयावणभूमीश्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता किढिण-संकाइयगं गिण्हुइ, गिण्हित्ता उत्तरदिसं पोक्खेइ,
१. वेति ( अ, क, म, स ) ।
२. यावेड़ ( ता ) ।
३. असौ कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांशः प्रतीयते ।
४. बलिविस्सदेवं ( अ, क, ता); बलिं विस्सदेवं
( ब ) ; बलिविस्सादेवं (म); बलिविइस्सदेवं (स) ।
o
५. सं० पा०-- एवं जहा पढमपारणगं नवरं ।
६. भ० ११।६४ ।
७. सं० पा०—सेसं तं चैव नवरं ।
८. भ० ११ ६४ |
६. सं० पा० - एवं तं चेव नवरं ।
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एक्कारसं सतं (नवमो उद्देसो)
४६६
उत्तराए दिसाए वेसमणे महाराया पत्थाणे पत्थियं अभिरक्खउ सिवं रायरिसिं,
सेसं तं चेव जाव' तो पच्छा अप्पणा आहारमाहारेइ ।। ७१. तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं दिसाचक्कवालेणं'
•तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिझिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए° पायावेमाणस्स पगइभद्दयाए पगइउवसंतयाए पगइपयणकोहमाणमायालोभयाए मिउमहावसंपन्नयाए अल्लीणयाए० विणीययाए अण्णया कयाइ तयावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमेणं ईहापूहमग्गणगवेसणं करेमाणस्स विब्भंगे नाम नाणे समुप्पन्ने । से णं तेणं विन्भंगनाणेणं समुप्पन्नेणं पासति
अस्सि लोए सत्त दीवे सत्त समुद्दे, तेण परं न जाणइ, न पासइ ॥ ७२. तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अयमेयारूवे अज्झथिए 'चितिए पत्थिए
मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था- अत्थि णं ममं अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य-एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता पायावणभूमीअो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता वागलवत्थनियत्थे जेणेव सए उडए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सुबह लोही-लोहकडाह-कडच्छय तंबियं तावस ° भंडगं किढिण-संकाइयगं च गेण्हइ, गेण्हित्ता जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव तावसावसहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भंडनिक्खेवं करेइ, करेत्ता हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग-तिग'चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह° -पहेसु बहुजणस्स एवमाइक्खइ जाव' एवं परूवेइ अत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, एवं खल अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं वोच्छिन्ना दीवाय
समुद्दा य॥ ७३. तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म हत्थिणापुरे
नगरे सिंघाडग-तिग"-"चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह -पहेसु बहजणो अण्णमण्णरस एवमाइक्खइ जाव' परूवेइ--एवं खलु देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-अत्थि णं देवाणु प्पिया ! ममं अतिसेसे
१. भ० १११६४ ।
सं० पा० --कडच्छ्यं जाव भंडगं । २. सं० पा०-दिसाचकवालेणं जाव आया- ७. सं० पा० -तिग जाव पहेस । वेमारणस्स।
८. भ० ११४२० । ३. सं० पा०-पगइभद्दयाए जाव विणीययाए। ६. सं० पा०--लोए जाव दीवा। ४. अण्णाणे (अ, क, ता, ब, म)।
१०. सं० पा०-तिग जाव पहेसू । ५. सं० पा०-अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था। ११. भ० ११४२० । ६. कडुच्छुयं (अ, स); कडेच्छुयं (क, ब);
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भगवई
नाणदसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा °, तेण परं
वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य । से कहमेयं मन्ने एवं ? ७४. तेणं कालेणं तेणं समएणं सामो समोसढे, परिसा' 'निग्गया। धम्मो कहियो
परिसा पडिगया। ७५. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवनो महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूई
नाम अणगारे जहा बितियसए नियंठुद्देसए जाव' घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे बहुजणस निसामेइ, बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ–एवं खलु देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसि एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ-अत्थि णं देवाणुप्पिया ! “ममं अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं° वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा
य। से कहमेयं मन्ने एवं ? ७६. तए णं भगवं गोयमे बहुजणस्स अंतियं एयमहूँ सोच्चा निसम्म जायसड्ढे
५.जाव' समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासीएवं खलु भंते ! अहं तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे हत्थिणापुरे नयरे उच्चनीय-मज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे बहुजणसई निसामेमि-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परूवेइ -अत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अतिसेसे नाणदसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि
लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा °, तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य॥ ७७. से कहमेयं भंते ! एवं?
गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी--जण्णं गोयमा ! 'एवं खलु एयस्स सिवस्स रायरिसिस्स छटुंछट्टेणं अणिक्खितेणं दिसाचक्कवालेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए पायावेमाणस्स पगइभद्दयाए पगइउवसंतयाए पगइपयणुकोहमाणमायालोभयाए मिउमद्दवसंपन्नयाए अल्लीणयाए विणीययाए अण्णया कयाइ तयावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमेणं ईहापूहमग्गणगवेसणं करेमाणस्स विभंगे नाम नाणे
१. सं० पा०-नाणदंसणे जाव तेण । ३. सं० पा०-परिसा जाव पडिगया। ३. भ० २।१०६-१०६।
४. सं० पा०--तं चेव जाव वोच्छिन्ना। ५. सं० पा०-जहा नियंठुद्देसए जाव तेण । ६. भ० २।११०।
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एक्कारसं सतं (नवमो उद्देसो)
समुप्पन्ने ।' 'तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव' भंडनिक्खेवं करेइ, करेत्ता हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग- तिग-च उक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु बहुजणस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ-अत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं° वोच्छिन्ना दीवा य ससुद्दा य । तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म 'हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-च उम्मुह-महापह-पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ--एवं खलु देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-अत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं प्रतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा °, तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य, तण्णं मिच्छा। अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि–एवं खलु जंबुद्दीवादीया दीवा, लवणादीया समुद्दा संठाणग्रो एगविहिविहाणा, वित्थारो अणेगविहिविहाणा एवं जहा जीवाभिग मे जाव' सयंभूरमणपज्जवसाणा अस्सि तिरियलोए असंखेज्जा दीवसमुद्दा पण्णत्ता
समणाउसो! ७८. 'अत्थि णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे दवाइं-सवण्णाइं पि, अवण्णाइं पि सगंधाई
पि अगंधाई पि, सरसाई पिअरसाई पि, सफासाई पि अफासाइं पि, अण्णमण्णबद्धाइं अण्णमण्णपुट्ठाई अण्णमण्णबद्धपुट्टाइं अण्णमण्ण घडत्ताए चिटुंति ?
हंता अत्थि ॥ ७६. 'अत्थि णं भंते ! लवणसमुद्दे दव्वा इं—सवण्णाई पि अवण्णाइं पि, सगंधाई पि
अगंधाइं पि, सरसाइं पि अरसाइं पि, सफासाइं पि अफासाइं पि अण्णमण्णबद्धाइं अण्णमण्णपुट्ठाई 'अण्णमण्णबद्धपुट्ठाइं अण्णमण्ण ° घडत्ताए चिटुंति ? हंता अस्थि ॥
१. अस्य पाठस्य स्थाने सर्वेषु आदर्शषु निम्न- सूत्रेण संपादितास्ति ।
निदिष्टः पाठोस्ति-से बहुजणे अण्णमण्णस्स २. भ० १११६३-७२। एवमाइक्खई', किन्तु पौर्वापर्यसमालोचनया ३. सं० पा०-तं चेव जाव वोच्छिन्ना। नास्य सङ्गतिर्जायते।
४. सं० पा०-तं चेव जाव तेण । 'से बहुजणे' इत्यादिपाठः 'भंडनिक्खेवं करेइ' ५. भ० ६।१५६। (७२) अतः उत्तरवर्ती (७३) वर्तते । अस्य ६. सं० पा०-अण्णमण्णपटाई जाव घडत्ताए। पूर्वविन्यासो नैव युक्तः स्यात्। संभाव्यते ७. X (अ, क, ब, म)। संक्षेपीकरणे क्वचिद् विपर्यासो जातः । ८.० पा०-अण्णमण्णपुटाई जाव घडताए। आस्माभिरस्य पाठस्य सङ्गतिरुत्तरवर्तिना ८३ ६. x (ता)।
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भगवई
८०. अत्थि णं भंते ! धायइसंडे दीवे दव्वाइं सवण्णाई पि "अवण्णाइं पि, सगंधाई
पि अगंधाइं पि, सरसाइं पि अरसाइं पि, सफासाई पि अफासाइं पि अण्णमण्णबद्धाइं अण्णमण्णपुट्ठाई अण्णमण्णबद्धपुट्ठाइं अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति ?
हंता अस्थि ° । एवं जाव८१. अत्थि णं भंते ! सयंभूरमणसमुद्दे दव्वाइं-सवण्णाई पि अवण्णाइं पि, सगं
धाइं पि, अगंधाइं पि, सरसाइं पि अरसाइं पि, सफासाइं पि अफासाई पि अण्णमण्णबद्धाइं अण्णमण्णपुट्ठाइं अण्णमण्णबद्धपुट्ठाई अण्णमण्णधडत्ताए चिटुंति?
हंता अत्थि° ॥ ८२. तए णं सा महतिमहालिया महच्चपरिसा समणस्स भगवो महावीरस्स
अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ,
वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया ॥ ८३. तए णं हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह °.
पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव' परूवेइ जण्णं देवाणुप्पिया ! सिवे रायरिसी एवमाइक्खइ जाव परूदेइ-अत्थि णं देवाणु प्पिया ! मम अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु अस्सि लोए सत्त दीवा सत्त समुद्दा, तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य° समुद्दा य। तं नो इण8 समढे, समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-एवं खलु एयस्स सिवस्स रायरिसिस्स छटुंछट्टेणं तं चेव जाव' भंडनिक्खेवं करेइ, करेत्ता हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडगतिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु बहुजणस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ-अस्थि णं देवाणप्पिया ! ममं अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खल अस्सिं लोए सत्त दीवा सत्त समूहा, तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समहा य । तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म जाव तेण परं वोच्छिन्ना दीवा य समुद्दा य तण्णं मिच्छा, समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइएवं खलु जंबुद्दीवादीया दीवा लवणादीया समुद्दा तं चेव जाव" असंखेज्जा
दीवसमुद्दा पण्णत्ता समणाउसो ! ८४. तए णं से सिवे रायरिसी बहुजणस्स अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म संकिए
कंखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने जाए यावि होत्था । तए णं
१. सं० पा.---एवं चेव । २. सं० पा.----सयंभूरमणसमुद्दे जाव हंता। ३. अंतियं (अ, क, स)। ४. सं० पा० --सिंघाडग जाव पहेश । ५. भ० १।४२०।
६. सं० पा०-नारण जाव समुद्दा । ७. भ० १११७७। ८. सं० पा०-सिंघाडग जाव समुद्दा । ६. भ० ११:७३। १०. भ० १११७७॥
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एक्कारसं सतं (नवमो उद्दे सो)
तस्स सिवस्स रायरिसिस्स संकियस्स कंखियस्स वितिगिच्छियस्स भेदसमा
वन्नस्स कलुससमावन्नस्स से विभंगे नाणे' खिप्पामेव परिवडिए । ८५. तए णं तस्स सिवस्स रायरिसिस्स अयमेयारूवे अज्झस्थिए' चितिए पत्थिए
मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था एवं खलु समणे भगवं महावीरे तित्थगरे आदिगरे जाव सव्वण्णू सव्वदरिसी अागासगएणं चक्केणं जाव' सहसंबवणे उज्जाणे अहापडिरूवं प्रोग्गहं योगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं महप्फलं खलु तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स "वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणयाए ? एगस्स वि पारियस्स धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अट्टस्स ° गहणयाए ? तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि जाव पज्जुवासामि, एयं णे इहभवे य परभवे य 'हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणगामियत्ताए ° भविस्सइ त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता जेणेव तावसावसहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तावसावसह अणुप्प विसइ अणुप्पविसित्ता सुबहुं लोही-लोहकडाह- कडच्छुयं तंबियं तावसभंडगं° किढिण-संकाइयगं च गेण्हइ गेण्हित्ता तावसावसहायो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्ख मित्ता पडिवडियविब्भंगे हत्थिणापुर नगरं मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे. जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खत्तो वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासन्ने
नातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिकडे पज्जुवासइ । ८६. तए णं समणे भगवं महावीरे सिवस्स रायरिसिस्स तीसे य महतिसहालियाए
परिसाए" धम्म परिकहेइ जाव" प्राणाए आराहए भवइ । ८७. तए णं से सिवे रायरिसी समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा
निसम्म जहा खंदग्रो जाव उत्तरपुरस्थिम दिसीभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता
सुबहुं लोही-लोहकडाह- कडच्छुयं तंवियं तावसभंडगं° किढिण-संकाइयगं च १. सं० पाo.-कंखियस्स जाव कलुस । १०. सं० पा०-लोहकडाह जाव किढिरण । २. अण्णाणे (क, स)।
११. तिक्खुत्तो पायाहिण-पयाहिणं (स)। ३. सं. पा०-अज्झस्थिए जाव समुप्पज्जित्था। १२. सं० पा०-नातिदूरे जाव पंजलिकडे । ४. भ०१७।
१३. पंजलियडे (ता)। ५. ओ० सू० १६॥
१४. पू०-ओ० सू० ७१। ६. सं० पा०-अहापडिरूवं जाव विहरइ। १५. ओ० सू०७१-७७। ७. सं० पा०-जहा ओववाइए जाव गहणयाए। १६. भ० २१५२॥ ८. भ० २।३०।
१७. सं० पा०---लोहकडाह जाव किढिरण। , ९. सं० पा०-य जाव भविस्सइ ।
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५०४
भगवई
८८.
एगते एडेइ, एडेत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं जहेव उसभदत्तो तहेव पव्वइनो, तहेव एक्कारस अंगाई अहिज्जइ, तहेव सव्वं जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-जीवा णं भंते ! सिज्झमाणा कयरम्मि संघयणे सिझंति ? गोयमा ! वइरोसभणारायसंघयणे सिझंति, एवं जहेव ओववाइए तहेव ।
संघयणं संठाणं, उच्चतं ग्राउयं च परिवसणा।' एवं सिद्धिगंडिया निरवसेसा भाणियव्वा जाव'---
__ अव्वाबाहं सोक्खं, अणुहोति सासयं सिद्धा ।। ५९. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
दसमो उद्देसो
खेत्तलोय-पदं १०. रायगिहे जाव' एवं वयासी-कतिविहे णं भंते ! लोए पण्णत्ते ?
गोयमा ! चउविहे लोए पण्णत्ते, तं जहा-दव्वलोए, खेत्तलोए, काललोए,
भावलोए । ६१. खेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-अहेलोयखेत्तलोए', तिरियलोयखेत्तलोए,
उड्ढलोयखेत्तलोए॥ ६२. अहेलोयखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा–रयणप्पभापुढविग्रहेलोयखेत्तलोए जाव अहेसत्तमापुढविद्महेलोयखेत्तलोए ।
१. भ० ६।१५०,१५१) २. एतत् संग्रहगाथार्ध औपपातिके नोपलभ्यते । ___ इदं च कुतश्चिद् अन्यस्थानाद् उद्धृतमस्ति । ३. ओ० सू० १६५। ४. भ० १॥५१॥
५. भ०१।४-१०॥ ६. अहो ० (अ, क, म, स); अधे० (ता)। ७. रयणप्पभ ° (ता)। ८. भ० २१७५
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एक्कारसं सतं (दसमो उद्देसो)
५०५ १३. तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! असं खेज्जविहे पण्णत्ते, तं जहा-जंबुद्दोवे दीवे तिरियलोयखेत्तलोए
जाव सयंभूरमणसमुद्दे तिरियलोयखेत्तलोए । ६४. उड्ढलोयखेत्तलोए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पन्नरसविहे पण्णत्ते, तं जहा-सोहम्मकप्पउड्ढलोयखेत्तलोए' •ईसाण-सणंकुमार-माहिंद-बंभलोय-लंतय - महासुक्क-सहस्सार-प्राणय-पाणयप्रारण ° -अच्चुयकप्पउड्ढलोयखेत्तलोए, गेवेज्जविमाणउड्ढलोयखेत्तलोए, अणु
त्तरविमाणउड्ढलोयखेत्तलोए, ईसिपब्भारपुढविउड्ढलोयखेत्तलोए । ६५. अहेलोयखेत्तलोए णं भंते ! किसंठिए पण्णत्ते ?
गोयमा ! तप्पागारसंठिए पण्णत्ते ।।। ६६. तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! किसंठिए पण्णत्ते ?
गोयमा ! झल्लरिसंठिए पण्णत्ते ।। १७. उड्ढलोयखेत्तलोए णं भंते ! किसंठिए पण्णते ?
गोयमा ! उड्ढमुइंगाकारसंठिए पण्णत्ते ॥
लोयसंठाण-पदं ६८. लोए णं भंते ! किंसंठिए पण्णत्ते ?
गोयमा ! सुपइटुगसंठिए पण्णत्ते', तं जहा–हेट्ठा विच्छिण्णे, मज्झे संखित्ते,
उप्पि विसाले; अहे पलियंकसंठिए, मज्झे वरवइरविग्गहिए, उप्पि उद्धमइंगाकारसंठिए। तंसि च णं सासयंसि लोगंसि हेढा विच्छिण्णंसि जाव उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठियंसि उप्पण्णनाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली जीवे वि जाणइ-पासइ, अजीवे वि जाणइ-पासइ, तो पच्छा सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिनिव्वाइ सव्वदुक्खाणं अंतं करेइ ॥
अलोयसंठाण-पदं ६६. अलोए णं भंते ! किंसंठिए पण्णत्ते ?
गोयमा ! झुसिरगोलसंठिए' पण्णत्ते ।।
१. सं० पा०-सोहम्मकप्पउड्ढलोयखेत्तलोए ३. सं० पा० --जहा सत्तमसए पढमुद्देस ए जाव जाव अच्चुय० ।
अंतं । २. लोए पण्णत्ते (अ, क, ब, म, स)। ४. सुसिरगोलकसठिए (ब)।
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५०६
लोयालोए जीवाजीव- मग्गणा - पदं
१००. ग्रहेलोयखेत्तलोए णं भंते! ४. अजीवा ५. प्रजीवदेसा ६.
किं १. जीवा २ जीवदेसा ३. जीवपदेसा जीवपदेसा ?
गोयमा ! जीवा वि, जीवदेसा वि, जोवपदेसा वि, अजीवा वि, जीवदेसा वि, जोवपदेसा वि ।
जे जीवा ते नियमा एगिंदिया बेइंडिया तेइंदिया चउरिदिया पंचिदिया, प्रणिदिया ।
१०१. तिरियलोयखेत्तलोए णं भंते ! किं जीवा ? जीवदेसा ? जीवपदेसा ?
जे जीवसा ते नियमा एगिदियदेसा जाव प्रणिदियदेसा ।
जे जीवपसा ते नियमा एगिदियपदेसा बेइंदियपदेसा जाव प्रणिदियपदेसा ।
जे जीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - रूविश्रजीवा य, ग्ररूविप्रजीवा य । जे विप्रजीवा ते चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा -खंधा, खंधदेसा, खंधपदेसा, परमाणुपोग्गला ।
विवा ते सत्तविहा पण्णत्ता, तं जहा - १. नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थिकायस्स देसे २. धम्मत्थिकायस्स पदेसा ३. नो धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकायस्स देसे ४. अधम्मत्थिकायस्स पदेसा ५. नोमागासत्थिकाए आगासत्थिकायस देसे ६. आगासत्थिकायस्स पदेसा ७ श्रद्धासमए ॥
भगवई
१०२. लोए णं भंते ! किं जीवा ? जीवदेसा ? जीवपदेसा ?
एवं चेव । एवं उड्ढलोयखेत्तलोए वि, नवरं - अरूवी छव्विहा, श्रद्धासमयो नत्थि ॥
जहा बितिय थिउद्देसए लोयागासे, नवरं - अरूवि प्रजीवा सत्तविहा • पण्णत्ता, तं जहा — धम्मत्थिकाए नोधम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा, धम्मत्थिकाए नोप्रधम्मत्थि कायस्स देसे, अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, नागासत्थिकाए श्रागासत्थिकायस्स देसे, ग्रागासत्थिकायस्स पदेसा, अद्धासमए, सेसं तं चैव ॥
१०३. अलोए णं भंते ! किं जीवा ? जीवदेसा ? जीवपदेसा ?
एवं जहा प्रत्थि कायउद्देसए मलोयागासे, तहेव निरवसेसं जाव' सव्वागा भागणे ॥
१. सं० पा० एवं जहा इंदा दिसा तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव अद्धासमए ।
२. भ० २।१३६; १०।५।
३. सं० पा० - सत्तविहा जाव अधम्मत्थि । ४. भ० २।१४० ।
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एक्कारसं सतं (दसमो उद्देसो)
१०४.
५०७
हेलोगखेत्तलोगस्स णं भंते ! एगम्मि आगासपदेसे किं १. जीवा २. जीवदेसा ३. जीवपदेसा ४. अजीवा ५. अजीवदेसा ६. अजीवपदेसा ?
गोयमा ! नो जीवा, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजीवा वि, अजीवदेसा वि, जीवपदेसा वि ।
जे जीवदेसा ते नियमं १ एगिंदियदेसा २ ग्रहवा एगिंदियदेसा य बेइंदियस्स देसे ३. अहवा एगिंदियदेसाय बेइंदियाण य देसा । एवं मज्झिल्लविरहिनो' जाव' ग्रहवा एगिदियदेसाय प्रणिदियाण य देसा । जे जीवपदेसा ते नियमं १. एगिदियपदेसा २. अहवा एगिदियपदेसा य बेइंदियस्स पदेसा ३. अहवा एगिदियपदेसाय बेइंदियाण य पदेसा, एवं ग्राइल्लविरहि जाव पंचिदिएसु,
दिसुतियभंगो ।
जे जीवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - रुवी जीवा य, ग्ररूवी जीवा य । रूवी तहेव । जे ग्ररूवी जीवा ते पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - नोधम्मत्थिकाए धम्मत्थि कायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसे, "नोअधम्मत्थिकाए ग्रधम्मत्थि - कायस्स देसे, ग्रधम्मत्थिकायस्स पदेसे, श्रद्धासमए ॥
१०५. तिरियलोगखेत्तलोगस्स णं भंते ! एगम्मि ग्रागासपदेसे किं जीवा ?
एवं जहा ' अहेलोगखे त्तलोगस्स तहेव, एवं उड्ढलोगखेत्तलोगस्स वि, नवरंअद्धासमयो नत्थि । ग्ररूवी चउव्विहा ||
१०६.
१०७. अलोगस्स णं भंते ! एगम्मि ग्रागासपदेसे -पुच्छा ।
गोयमा ! नो जीवा, नो जीवदेसा, नो जीवप्पदेसा; नो प्रजीवा नो जीव देसा, नो जीवष्पदेसा; एगे अजीवदव्वदेसे गरुयल हुए अणतेहिं प्रगरुयलगुणेहिं संजुते सव्वागासस्स प्रणंतभागूणे ।।
0
१०८. दव्वओ णं हेलोग खेत्तलोए 'ग्रणंता जीवदव्वा, प्रणता जीवदव्वा", अनंता
"लोगस्स णं भंते ! एगम्मि मागासपदेसे किं जीवा° ? जहा लोग खेत्तलोगस्स एगम्मि ग्रागासपदेसे ।।
१. 'ग्रहवा एगिदियदेसा य बेइदियस्स य देसा' इत्येवं रूपो यो मध्यमभङ्गः तद्विरहितोसौ त्रिकभङ्गः । मध्यमभङ्गकस्य असम्भवात् तथाहि द्वीन्द्रियस्स एकत्राकाशप्रदेशे बहवो देशा न सन्ति देशस्यैवभावात् ( वृ ) । २. जाव अरिंग दिएसु जाव ( अ, क, ता, ब, म) । ३. ' अहवा एगिंदियपदेया य बेइंदियस्स य पदेसे' इत्येवंरूपाद्यभङ्गकविरहितः त्रिकभङ्गः, तथाहि नास्त्येव एकत्राकाशप्रदेशे केवल
समुद्घातं विना एकस्य जीवस्य एकप्रदेश. सम्भवोऽसङ्ख्यातानामेव भावात् (वृ) । ४. सं० पा० - एवं अधम्मत्थिकायस्स वि । ५. भ० ११।१०४ ।
६. सं० पा० - लोगस्स ।
७. सं० पा० – तं चैव जाव असंतेहि । ८. प्रणताई जीवदव्वाइं अनंताई अजीवदव्वाई (क, ब, म) ।
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সব जीवाजीवदव्वा । एवं तिरियलोयखेत्तलोए वि, ‘एवं उड्ढलोयखेत्तलोए वि (एवं लोए वि ?) । दम्वनो णं अलोए नेवत्थि जीवदव्वा, नेवत्थि अजीवदव्वा, नेवत्थि जीवाजीवदव्वा, एगे अजीवदव्वदेसे' 'अगरुयलहुए अणंतेहिं अगरुयलहुयगुणेहिं संजुत्ते ° सव्वागासस्स अणंतभागूणे । कालो णं अहेलोयखेत्तलोए न कयाइ नासि', 'न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ–भविसु य, भवइ य, भविस्सइ य-धुवे नियए सासए अक्खए अव्वए अवट्ठिए ° निच्चे, एवं तिरियलोयखेत्तलोए, एवं उड्ढलोयखेत्तलोए, एवं लोए एवं ° अलोए। भावनो णं अहेलोयखेत्तलोए अणंता वण्णपज्जवा, अणंता गंधपज्जवा, अणंता रसपज्जवा, अणंता फासपज्जवा, अणंता संठाणपज्जवा, अणंता गरुयलहुयपज्जवा,° अणंता अगरुयलहुयपज्जवा, एवं तिरियलोयखेत्तलोए, एवं उड्ढलोयखेत्तलोए, एवं ° लोए। भावओ णं अलोए नेवत्थि वण्णपज्जवा,' 'नेवत्थि गंधपज्जवा, नेवत्थि रसपज्जवा, नेवत्थि फासपज्जवा, नेवत्थि संठाणपज्जवा°, नेवत्थि गरुयल हुयपज्जवा, एगे अजीवदव्वदेसे अगरुयलहुए अणंतेहिं अगरुय
लहुयगुणेहिं संजुत्ते सव्वागासस्स ° अणंतभागूणे ।। लोयस्स परिमाण-पदं १०६. लोए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ?
गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीव - समुद्दाणं सव्वभंतराए जाव एगं जोयणसयसहस्सं पायाम-विक्खंभेणं, तिण्णि जोयणसयसहस्साइं सोलससहस्साई
१. पूर्वक्रमानुसारेणात्रलोकसूत्रमपेक्षितमस्ति, 'नेवत्थि गरुयलहुयपज्जवा' एतत्पर्यन्त एव
किन्तु कस्मिन्नपि आदर्श नैव लभ्यते । पाठो युज्यते 'ता' प्रतौ एवमेवास्ति । कारणमत्र न ज्ञायते । अपेक्षितसूत्रस्य पाठस्य वृत्तिकृता 'जाव नेवत्थि अगरुयलहुयपज्जवा' क्रम एवं स्यात्-‘एवं उडढलोयखेत्तलोए वि, इति पाठो लब्धस्तेन अर्थसङ्गतिकरणाय एवं लोए वि'।
एवं व्याख्या कृता-अगुरुलघपर्यवोपेतद्रव्याणां २. सं. पा.- अजीवदव्वदेसे जाव सव्वागासस्स पुद्गलानां तत्राभावात् (वृ)। यदि वृत्तिकृता ३. सं० पा०--नासि जाव निच्चे।
शुद्धः पाठो लब्धोभविष्यत् तदा अस्या ४. सं० पा०-एवं जाव अलोए।
व्याख्याया नावश्यकताभविष्यत् । ५. सं० पा०-जहा खंदंए जाव अणंता। ६. सं. पा०-अजीवदव्वदेसे जाव अणंत६. सं. पा.-एवं जाव लोए।
भागूणे। ७. सं० पा०-वण्णपज्जवा जाव नेवत्थि । १०. सं० पा०-सव्वदीव जाव परिक्खेवेणं । ८. अगरुयलहुय० (अ, क, ब, म, स, वृ); ११. ठा० १।२४८। ___ अलोके अगुरुलघुपर्यवाणां भावात् अत्र
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एक्कारसं सतं (दसमो उद्देसो)
५०६ दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसए तिण्णि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस अंगुलाई अद्धंगुलगं च किंचिविसेसाहिए ° परिक्खेवेणं । तेणं कालेणं तेणं समएणं छ देवा महिड्ढीया जाव' महासोक्खा' जंबुद्दीवे दीवे मंदरे पव्वए मंदरचलियं सव्वग्रो समंता संपरिक्खित्ताणं चिद्वेज्जा । अहे णं चत्तारि दिसाकुमारीओ महत्तरियाओ चत्तारि बलिपिंडे गहाय जंबुद्दीवस्स दीवस्स चउसु वि दिसासु बहियाभिमुहीनो ठिच्चा ते चत्तारि बलिपिंडे जमगसमगं बहियाभिमुहे पक्खिवेज्जा। पभू णं गोयमा ! तो एगमेगे देवे ते चत्तारि बलिपिंडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए। ते णं गोयमा ! देवा ताए उक्किट्ठाए •तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्घाए उद्धयाए दिव्वाए ° देवगईए एगे देवे पुरत्थाभिमुहे पयाते 'एगे देवे दाहिणाभिमुहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे उत्तराभिमुहे पयाते, एगे देवे उड्ढाभिमुहे पयाते एगे देवे अहोभिमुहे पयाते। तेणं कालेणं तेणं समएणं वाससहस्साउए दारए पयाते। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति, नो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति। तए णं तस्स दारगस्स आउए पहीणे भवति, नो चेव ण ते देवा लोगतं ° संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स अट्ठिमिजा पहीणा भवंति, नो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स आसत्तमे वि कुलवंसे पहीणे भवति, नो चेव णं ते देवा लोगत संपाउणति । तए णं तस्स दारगस्स नामगोए वि पहीणे भवति, नो चेव णं ते देवा लोगंतं संपाउणंति। तेसिणं भंते ! देवाणं कि गए बहए? अगए बहए? गोयमा ! गए बहए. नो अगए बहुए, गयाओ से अगए असंक्खेज्जइभागे, अगयानो से गए असंखेज्जगुणे।
लोए णं गोयमा ! एमहालए पण्णत्ते ॥ अलोयस्स परिमाण-पदं ११०. अलोए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ?
गोयमा ! अयण्णं समयखेत्ते पणयालीसं जोयणसयसहस्साई आयाम-विक्खंभेणं, "एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं तीसं च सहस्साइं दोण्णि य अउणापन्नजोयणसए किचि विसेसाहिए ° परिक्खेवेणं ।
१. भ० ३।४। २. महेसक्खा (अ, ता, ब, स); महासुक्खा (क)। ३. बहिभिमुहे (क, ता)। ४. सं० पा०-उक्किट्टाए जाव देवगईए।
५. एवं दाहिणाभिमुहे एवं पच्चत्थाभिमहे एवं
उत्तराभिमुहे एवं उड्ढाभिमुहे (अ, क, ता,
ब, म, स)। ६. सं० पा०-णं जाव संपाउणंति। ७. सं० पा०-जहा खंदए जाव परिक्खेवेणं ।
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भगवई
तेणं कालेणं तेणं समएणं दस देवा महिड्ढिया 'जाव' महासोक्खा जंबुद्दीवे दीवे मंदरे पव्वए मंदरचूलियं सव्वग्रो समंता° संपरिक्खित्ताणं संचिट्ठज्जा, अहे णं अढ दिसाकुमारीनो महत्तरियानो अट्ठ बलिपिंडे गहाय माणुसुत्तरस्स पव्वयस्स चउसु वि दिसासु चउसु वि विदिसासु बहियाभिमुहीओ ठिच्चा ते अट्ट बलिपिडे जमगसमगं बहियाभिमहे' पक्खिवेज्जा। पभू णं गोयमा ! तो एगमेगे देवे ते अट्ट बलिपिंडे धरणितलमसंपत्ते खिप्पामेव पडिसाहरित्तए। ते णं गोयमा ! देवा ताए उक्किट्ठाए 'तुरियाए चवलाए चंडाए जइणाए छेयाए सीहाए सिग्याए उद्धयाए दिव्वाए° देवगईए लोगते ठिच्चा असब्भावपट्ठवणाए एगे देवे पुरत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे दाहिणपुरत्थाभिमुहे पयाते, ५०एगे देवे दाहिणाभिमुहे पयाते, एगे देवे दाहिणपच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे पच्चत्थउत्तराभिमुहे पयाते, एगे देवे उत्तराभिमहे पयाते एगे देवे° उत्तरपुरत्थाभिमुहे पयाते, एगे देवे उड्ढाभिमुहे पयाते, एगे देवे अहोभिमुहे पयाते। तेणं कालेणं तेणं समएणं वाससयसहस्साउए दारए पयाते। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पहीणा भवंति, नो चेव णं ते देवा अलोयंतं संपाउणंति। "तए णं तस्स दारगस्स पाउए पहीणे भवति, नो चेव णं ते देवा अलोयंतं संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स अद्धिमिजा पहीणा भवंति, नो चेव णं ते देवा अलोयंतं संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स पासत्तमे वि कुलवंसे पहीणे भवति, नो चेव णं ते देवा अलोयंत संपाउणंति । तए णं तस्स दारगस्स नामगोए वि पहीणे भवति. नो चेव णं ते देवा अलोयंतं संपाउणंति । ० तेसि णं भंते ! देवाणं किं गए बहुए ? अगए बहुए ? गोयमा ! नो गए बहुए, अगए बहुए, गयानो से अगए अणंतगुणे, अगयानो से गए अणंतभागे ।
अलोए णं गोयमा ! एमहालए पण्णत्ते ।। लोगागासे जीवपदेस-पदं १११. लोगस्स णं भंते ! एगम्मि आगासपदेसे जे एगिदियपदेसा जाव पंचिंदियपदेसा
अणिदियपदेसा अण्णमण्णबद्धा अण्णमण्णपुट्ठा 'अण्णमण्णबद्धपुट्ठा' अण्णमण्ण
१. सं० पा०-तहेव जाव संपरिक्खित्ताणं । अस्माभिः पूर्वसत्रानुसारी पाठः स्वीकृतः । २. भ० ३।४।
४. सं० पा०-उक्किटाए जाव देवगईए। ३. बाहियाभिमुहीओ (अ, क, ता, ब, म, स); ५. सं० पा०--एवं जाव उतर ।
अस्य पूर्ववर्तिलोकसूत्रे 'बहियामुहे' इति ६. सं० पा०-तं चेव जाव तेसि । पाठोस्ति । अत्र सदृशे एव प्रकरणे केनचिद् ७. सं० पा०-अण्णमण्णपुट्टा जाव अण्णमण्ण लिपिदोषादिकारणेन परिवर्तनं दश्यते ।
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एक्कारसं सतं(दसमो उद्देसो)
५११ घडताए चिटुंति ? अस्थि णं भंते ! अण्णमण्णस्स किंचि पाबाहं वा वाबाहं वा उप्पायंति ? छविच्छेदं वा करेंति ?
नो इणटे समटे । ११२. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-लोगस्स णं एगम्मि अागासपदेसे जे एगिदिय
पदेसा जाव अण्णमण्णघडत्ताए चिट्ठति, नत्थि णं भंते ! अण्णमण्णस्स किंचि ग्राबाई वावाबाहं वा उप्पायंति ? छविच्छेदं वा करेंति ? गोयमा ! से जहानामए नट्टिया सिया-सिंगारागारचारुवेसा' संगय-गयहसिय-भणिय-चेट्रिय-विलास-सललिय-संलाव-निउणजुत्तोवयारकुसला संदरथणजघण-वयण-कर-चरण-नयण-लावण्ण-रूव-जोव्वण-विलास ° कलिया रंगट्ठाणंसि जणसयाउलंसि (जणसहस्साउलंसि ?) जणसयसहस्साउल सि बत्तीसइविहस्स नदृस्स अण्णयरं नट्टविहिं उवदंसेज्जा, से नूणं गोयमा ! ते पेच्छगा तं नट्रियं अणिमिसाए दिट्टीए सव्वग्रो समंता समभिलोएंति ? हंता समभिलोएंति । ताप्रोणं गोयमा ! दिट्ठीग्रो तंसि नट्टियंसि सव्वग्रो समंता सन्निपडियायो ? हंता सन्निपडियायो। अत्थि णं गोयमा ! ताओ दिट्ठीग्रो तीसे नद्रियाए किंचि वि आबाहं वा वाबाहं वा उप्पायंति ? छविच्छेदं वा करेंति ? नो इणढे समठे। 'सा वा नट्टिया तासि दिट्ठीणं किंचि आबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएति ? छविच्छेदं वा करेइ ? नो इण? समट्ठ। ताप्रो वा दिट्ठीनो अण्णमण्णाए दिट्ठीए किंचि आबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएंति ? छविच्छेदं वा करेंति ? नो इणट्टे समटे। से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-' लोगस्स णं एगम्मि पागासपदेसे जे एगिदियपदेसा जाव अण्णमण्णघडत्ताए चिटुंति, नत्थि णं
अण्णमण्णस्स आबाहं वा वाबाहं वा उप्पायंति °, छविच्छेदं वा करेंति ।। ११३. लोगस्स णं भंते एगम्मि अागासपदेसे जहण्णपए जीवपदेसाणं, उक्कोसपए
जीवपदेसाणं सव्वजीवाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ?
१. सं० पा०-आबाहं वा जाव करेंति । ४. अहवा सा (अ, स)। २. सं० पा०--सिंगारागारचारुवेसा जाव ५. सं० पा०-तं चेव जाव छविच्छेदं । कलिया।
६. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ३. सन्निवडियाओ (अ)।
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भगवई
गोयमा ! सव्वत्थोवा लोगस्स एगम्मि आगासपदेसे जहण्णपए जीवपदेसा,
सव्वजीवा असंखेज्जगुणा, उक्कोसपए जीवपदेसा विसेसाहिया ।। ११४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।।
एक्कारसमो उद्देसो सुदंसणसेट्ठि-पदं ११५. तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियग्गामे नामं नगरे होत्था-वण्णयो। दूति
पलासे चेइए-वण्णो जाव' पुढविसिलापट्टयो । तत्थ णं वाणियग्गामे नगरे सुदंसणे नामं सेट्ठी परिवसइ-अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभूए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव' अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावमाणे
विहरइ । सामी समोसढे जाव' परिसा पज्जुवासइ।।। ११६. तए णं से सुदंसणे सेट्ठी इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हद्वतुढे हाए कय बलि
कम्मे कयकोउय-मंगल ° -पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए सानो गिहाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं पायविहारचारेणं महयापुरिसवग्गुरापरिक्खित्ते वाणियग्गामं नगरं मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गछित्ता जेणेव दूतिपलासे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं पंचविहेणं अभिगमेणं अभिगच्छइ, [तं जहा–सच्चित्ताणं दव्वाणं विग्रोसरणयाए] ' जहा उसभदत्तो
जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासइ ।। ११७. तए णं समणे भगवं महावीरे सुदंसणस्स सेट्ठिस्स तीसे य महतिमहालियाए?
परिसाए धम्म परिकहेइ जाव आणाए अाराहए भवइ ।।
१. भ०१५१॥ २. ओ० सू० १॥ ३. ओ० सू० २-१३॥ ४. भ०२।१४। ५. भ० २।१४। ६. ओ० सू० १६-५२। ७. सं० पा०-कय जाव पायच्छित्ते ।
८. दूतिपलासए (अ)। ६. कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांशः प्रतीयते । १०. अ० ६।१४५। ११. महालयाए (स)। १२. पू०-प्रो० सू० ७१। १३. ओ० सू०७१-७७।
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एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो) ११८. तए णं से सुदंसणे सेट्ठी समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा
निसम्म हट्टतुटे उट्ठाए उद्वेइ, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आया
हिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी११६. कतिविहे णं भंते ! काले पण्णत्ते ?
सुदंसणा ! चउव्विहे काले पण्णत्ते, तं जहा--पमाणकाले, अहाउनिव्वत्तिकाले,
मरणकाले, अद्धाकाले ॥ १२०. से कि तं पमाणकाले ?
पमाणकाले दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-दिवसप्पमाणकाले, राइप्पमाणकाले य । चउपोरिसिए दिवसे, चउपोरिसिया राई भवइ। उक्कोसिया अद्धपंचममुहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए
वा पोरिसी भवइ॥ १२१. जदा णं भंते ! उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी
भवइ, तदा णं कतिभागमहत्तभागेणं परिहायमाणी-परिहायमाणी जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ? जदा णं जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तदा णं कतिभागमुहुत्तभागेणं परिवड्ढमाणी-परिवड्ढमाणी उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ? सुदंसणा ! जदा णं उक्कोसिया अद्धपंचमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तदा णं बावीससयभागमुत्तभागेणं परिहायमाणी-परिहायमाणी जहण्णिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ। जदा वा जहणिया तिमहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, तदा णं बावीससयभागमहत्तभागेणं परिवड्ढमाणी-परिवड्ढमाणी उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स
वा राईए वा पोरिसी भवइ॥ १२२.
कदा णं भंते ! उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवह ? कदा वा जहणिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ? सदसणा ! जदा णं उक्कोसए अदारसमहत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दवालसमहत्ता राई भवइ, तदा णं उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ, जहणिया तिमुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ । जदा णं उक्कोसिया अदारसमहत्तिया राई भवई, जहण्णिए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, तदा णं उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ, जहणिया तिमहत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ ॥
१. सं० पा०-तिक्खुतो जाव नमंसित्ता।
२. रत्ति° (अ, क, ब, म)।
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५१४
भगवई
१२३. कदा णं भंते ! उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता
राई भवई ? कदा वा उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ ? सुदंसणा ! आसाढपुण्णिमाए उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ, जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ। पोसपुण्णिमाए' णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई
भवइ, जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ ।। १२४. अत्थि णं भंते ! दिवसा य राईओ य समा चेव भवंति ?
हंता अस्थि ।। १२५. कदा णं भंते ! दिवसा य राईनो य समा चेव भवंति ?
सुदंसणा ! चेतासोयपुण्णिमासु', एत्थ' णं दिवसा य राईनो य समा चेव भवंति--पण्ण रसमुहुत्ते दिवसे पण्णरसमुहुत्ता राई भवइ। चउभागमुहुत्तभागुणा
चउमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ । सेत्तं पमाणकाले ॥ . १२६. से कि तं अहाउनिव्वत्तिकाले ?
अहाउनिव्वत्तिकाले-जण्णं जेणं नेरइएण वा तिरिक्खजोणिएण वा मणुस्सेण
वा देवेण वा अहाउयं निव्वत्तियं । 'सेत्तं अहाउनिव्वत्तिकाले । १२७. से किं तं मरणकाले ?
मरणकाले--जीवो वा सरीराओ सरीरं वा जीवाओ । सेत्तं मरणकाले ॥ १२८. से किं तं अद्धाकाले ?
'अद्धाकाले - से णं समयट्ठयाए प्रावलियट्ठयाए जाव उस्सप्पिणीट्ठयाए । एस णं सुदंसणा ! अद्धा दोहाराछेदेणं छिज्जमाणी जाहे विभागं नो हव्वमागच्छइ, सेत्तं समए समयट्ठयाए । असंखेज्जाणं समयाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा प्रावलियत्ति पवुच्चइ। संखेज्जारो आवलियानो उस्सासो जहा सालिउद्देसए जाव:
एएसि णं पल्लाणं, कोडाकोडी हवेज्ज दसगुणिया । तं सागरोवमस्स उ, एगस्स भवे परिमाणं ॥१॥
१. पोसस्स पुण्णिमाए (म)।
६. वियुज्यते इति शेषः (वृ)। २. ° मासु णं (क, ता, स)।
७. अद्धाकाले अणेगविहे पण्णत्ते (अ, स)। ३. तत्थ (अ, स)।
८. समयद्धयाए (अ) सर्वत्र । चउभागमुहुत्ता (अ)।
६. अ० सू० ४१५॥ ५. सेत्तं पालेमाणे अहाउनिव्वत्तिकाले (अ, म, १०. दोहारच्छेदेणं (क, ब); दोहाराछेयणणं (ख)
स); सेत्तं पालेमाणे अहाउनिव्वत्तिकाले । ११. भ०६।१३२-१३४। सेत्तं अहाउनिव्वत्तिकाले (ता)।
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एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो)
५१५ १२६. एएहि णं भंते ! पलिग्रोवम-सागरोवमेहिं कि पयोयणं ?
सुदंसणा ! एएहिं पलिग्रोवम-सागरोवमेहिं नेरइय-तिरिक्खजोणिय-मणुस्स
देवाणं आउयाइं मविज्जति ।। १३०. नेरइयाणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता ?
एवं ठिइपदं निरवसेसं भाणियव्वं जाव' अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोव
माई ठिई पण्णत्ता ॥ १३१. अत्थि णं भंते ! एएसि पलिग्रोवम-सागरोवमाणं खएति वा अवचएति वा ?
हंता अस्थि ॥ १३२. से केणद्वेण भंते ! एवं वुच्चइ–अत्थि णं एएसि पलिग्रोवमसाग रोवमाणं
'खएति वा अवचएति वा ? एवं खलु सुदंसणा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं हत्थिणापुरे नाम नगरे होत्थावण्णो । सहसंबवणे उज्जाणे-वण्णओ। तत्थ णं हत्थिणापुरे नगरे बले नाम राया होत्था-वण्णो । तस्स णं बलस्स रणो पभावई नामं देवी होत्था-सुकुमालपाणिपाया वण्णग्रो जाव' पंचविहे माणस्सए कामभोगे पच्चण
भवमाणी विहरइ ।। १३३.
तए णं सा पभावई देवी अण्णया कयाइ तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अभितरो सचित्तकम्मे, बाहिरो दूमिय-घट्ठ-मढे विचित्तउल्लोग-चिल्लियतले" मणिरयणपणासियंधयारे बहुसमसुविभत्तदेसभाए पंचवण्ण-सरससुरभि-मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिए कालागरु-पवरकुंदुरुक्क-तुरुक्क-धूव-मघमघेत-गंधुद्धयाभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूए, तंसि तारिसगंसि सयणिज्जसि-सालिंगणवट्टिए उभो विब्बोयणे दुहनो उण्णए 'मज्झे णय-गंभीरे गंगापुलिणवालुय-उद्दालसालिसए प्रोयविय"-खोमियदुगुल्ल पट्ट-पडिच्छयणे सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्म आइणग-रूयबूर-नवणीय-तूल फासे" सुगंधवरकुसुम-चुण्ण-सयणोवयारकलिए अद्धरत्तकाल
१. प० ४। २. जाव (अ, क, ता, ब, म, स)। ३. ओ० सू० १। ४. भ० ११५॥ ५. ओ० सू० १४। ६. ओ० सू० १५॥ ७. चिलग (अ)। , धूम (ता)।
६. मघंत (स)। १०. मज्झेणं गंभीरे (ता); मज्झेरण य गंभीरे
(वृपा); पण्णत्तगंडविब्बोयणे ति क्वचित
दृश्यते (वृ)। ११. उयचिय (म, स); उवविय (क्व०)। १२. पलिच्छण्ण (ता) । १३. तुल्ल° (म)।
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भगवई
मयंसि' सुत्तजागरा प्रोहीरमाणी-योहीरमाणी अयमेयारूवं अोरालं कल्लाणं सिवं धण्णं मंगल्लं सस्सिरीयं महासविणं पासित्ता णं पडिबद्धा। हार-रयय-खीरसागर-ससंककिरण-दगरय-रययमहासेल-पंडरतरोरुरमणिज्ज'पेच्छणिज्जं थिर-लट्ठ-पउट्ठ-वट्ट-पीवर-सुसिलिट्ठ-विसिट्ठ-तिक्खदाढाविडंबियमुहं परिकम्मियजच्चकमलकोमल-माइयसोभंतलट्ठओटुं 'रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालतालुजीह मूसागयपवरकणगताविययावत्तायंत-बट्ट-तडिविमलसरिसनयणं विसालपीवरोरं पडिपुण्णविपुलखधं मिउविसयसुहमलक्खण-पसत्थविच्छिन्न-केसरसडोवसोभियं ऊसिय-सुनिम्मिय-सुजाय-अप्फोडियलंगूलं सोमं सोमाकारं लीलायंतं जंभायंतं, नहयलामो प्रोवयमाणं, निययवयणमतिवयंत सीहं सुविणे पासित्ता णं 'पडिबुद्धा समाणी'' हट्ठतु चित्तमाणंदिया णंदिया पोइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाण हियया धाराहयकलंबगं पिव समूसवियरोमकूवा" तं सुविणं प्रोगिण्हइ, अोगिण्हित्ता सयणिज्जायो अब्भुट्टेइ, अब्भुद्वेत्ता अतुरियमचवलमसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए गईए जेणेव बलस्स रणो सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता बलं रायं ताहि इटाहिं कंताहिं पियाहि मणुण्णाहिं मणामाहिं अोरालाहिं कल्लाणाहिं सिवाहि धन्नाहि मंगल्लाहिं सस्सिरीयाहिं मिय-महर-मंजुलाहिं गिराहिं संलवमाणी-संलवमाणी पडिबोहेइ, पडिबोहेत्ता बलेणं रण्णा अब्भणुण्णाया समाणी नाणामणिरयणभत्तिचित्तंसि" भद्दासणंसि निसीयति, निसीयित्ता आसत्था वीसत्था सुहासणवरगया बलं रायं ताहिं इटाहि कंताहिं जाव मिय-महुर-मंजुलाहिं गिराहिं संलवमाणी-संलवमाणी एवं वयासी-एवं खलु अहं देवाणु प्पिया! अज्ज तंसि तारिसगंसि सयणिज्जसि सालिंगणवट्टिए तं चेव जाव नियगवयणमइवयंतं सीहं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, तण्णं देवाणुप्पिया ! एयस्स अोरालस्स जाव
महासुविणस्स के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? १. अड्ढ ° (ता, म)।
६. x (अ, ख, ता, म)। २. महासुविणं सूविणे (क, ता, ब, म, स, वृ)। १०. निययवयणकमलसरमइवंतं (ता, म)। ३. पंडुर ° (अ, ब, स,)।
११. पडिबद्धा तए णं सा पभावती देवी अयमेया४. ° उर्दु (अ, क, ब, स)।
रूवं ओरालं जाव सस्सिरीयं महासुमिणं ५. वाचनान्तरे-रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालतालु- सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्ध समाणी (क, निल्लालियग्गजीहं महगुलियाभिसंतपिंगलच्छं ख, ता, ब, स)। (वृ)।
१२. सं० पा०-हट्टतुट्ठ जाव हियया । ६. विक्किण्ण (ता, वृपा) ।
१३. समूससित° (ब)। ७. ऊससिय (ता)।
१४. रयणविचित्तंसि (ता)। ८. अप्फोडियतलनंगोलं (ख)।
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एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो)
१३४. तए णं से बले राया पभावईए देवीए अंतियं एयमट्ठे सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ट • चित्तमादिए दिए पीइमाणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण • हियए धारायनीवसुरभिकुसुम - चंचुमाल इयतणुए ऊसवियरोमकूवे तं सुविणं ओगिes, गहिताईहं पविसर, पविसित्ता अप्पणो साभाविएणं मइपुव्वएणं बुद्धिविणणं तस्स सुविणस्स अत्थोग्गहणं करेइ, करेत्ता पभावई देवि ताहि
हिताहि जाव' मंगल्लाहि मिय-महुर' सस्सिरीयाहि वग्गूहिं संलवमाणेसंलवमाणे एवं वयासी— श्रोराले गं तुमे देवी ! सुविणे दिट्ठे, कल्लाणे णं तुम देवी ! सुविदिट्ठे जाव' सस्सिरीए गं तुमे देवी ! सुविणे दिट्ठे, 'आरोग्ग-तुट्ठिदीहाउ - कल्लाण- मंगल्लकारए णं तुमे देवी ! सुविणे दिट्ठे, ग्रत्थलाभो देवाणुप्पिए ! भोगलाभो देवाणुप्पिए ! पुत्तलाभो देवाणुप्पिए ! 'रज्जलाभो देवा
पिए ! " एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए ! नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं श्रद्धमाय इंदियाणं वीइक्कंताणं ग्रम्हं कुलकेउं कुलदीवं कुलपव्वयं कुलवडेंसयं कुलतिलगं कुलकित्तिकरं कुलनंदिकरं कुलजसकर कुलाधारं कुलपायवं कुलविवणकरं सुकुमालपाणिपायं ग्रहीणपडिपुण्णपंचिदियसरी "लक्खण-वंजणगुणवदेयं माणुम्माण प्पमाण- पडिपुण्ण-सुजाय सव्वंगसुंदरंग ससिसोमाकारं कंतं पियदसणं सुरूवं देवकुमारसमप्पभं दारगं पयाहिसि ।
सेवि य णं दारए उम्मुक्कबालभावे विण्णय- "परिणयमेत्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते सूरे वीरे विक्कते वित्थिष्ण - विउलबल - वाहणे रज्जवई राया भविस्सइ । तं ओराले गं तुमे देवी! सुविणे दिट्ठे जाव आरोग्ग-तुट्ठि" - दीहाउ-कल्लाण' मंगल्लकार णं तुमे देवी ! सुविणे दिट्ठे त्ति कट्टु पभावति देवि ताहि इट्ठाहि जाव वग्गूहिं दोच्च पि तच्च पि अणुबूहति ॥
0.
१२
o
१३५. तए णं सा पभावती देवी बलस्स रण्णो अंतियं एयमट्ठे सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठा २ करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं वयासीएवमेयं देवाणुप्पिया ! तहमेयं देवाणुप्पिया ! अवितहमेयं देवाणुप्पिया ! संदिद्धमेयं देवाप्पिया ! इच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! पडिच्छियमेयं देवाणु
१. सं० पा० - हट्ट जाव हियए । २. ० नीम ० ( ता, ब ) ।
३. ० तय ( अ, क, ख, ता, म, स ) ।
४. भ० ११।१३३ ।
५. महुररिभियगंभीर ( ना० १।१।२० ) ।
५१७
६. भ० ११।१३३ ।
19. X (3T) !
८. X (म ) ।
६. सं० पा० - ० पंचिदियसरीरं जाव ससि । १०. विण्णाय ( अ, ता, स ) ।
११. सं० पा० - तुट्ठि जाव मंगल्लकारए । १२. हट्टतुट्ट ( अ, ता, स ) ।
१३. सं० पा० - करयल जाव एवं ।
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५१८
भगवई
प्पिया ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! से जहेयं तुम्भे वदह त्ति कटु तं सुविणं सम्म पडिच्छइ', पडिच्छित्ता बलेणं रण्णा अब्भणुण्णाया समाणी नाणामणिरयणभत्तिचित्ताओ भद्दासणाअो अब्भुटेइ, अब्भुटेत्ता अतुरियमचवल मसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए ° गईए जेणेव सए सयणिज्जे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सयणिज्जसि निसीयति, निसीयित्ता एवं वयासी-मा मे से उत्तमे पहाणे मंगलले सुविणे अण्णेहि पावसुमिणेहि पडिहम्मिस्सइ त्ति कटु देवगुरुजणसंबद्धाहि पसत्थाहिं मंगल्लाहिं धम्मियाहि
कहाहि सुविणजागरियं पडिजागरमाणी-पडिजागरमाणी विहरइ॥ १३६. तए णं से बले राया कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी खिप्पा
मेव भो देवाणुप्पिया ! अज्ज सविसेसं बाहिरियं उवट्ठाणसालं गंधोदयसित्त'सुइय-संमज्जियोवलित्तं सुगंधवरपंचवण्णपुप्फोवयारकलियं कालागरु-पवरकंदुरुक्क -तुरुक्क-धूव-मघमघेत-गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधियं ° गंधवटिभूयं करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य सीहासणं रएह, रएत्ता ममेतमा
णत्तियं पच्चप्पिणह॥ १३७. तए णं ते कोडुबियपुरिसा जाव पडिसुणेत्ता खिप्पामेव सविसेसं बाहिरियं
उवट्ठाणसाल गंधोदयसित्त-सुइय-संमज्जिग्रोवलित्तं सुगंधवरपंचवण्णपुप्फोवयारकलियं कालागरु-पवरक दुरुक्क-तुरुक्क-धूव-मघमघेत-गंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करेत्ता य कारवेत्ता य सीहासणं रएत्ता तमाणत्तियं. पच्चप्पिणंति ।। तए णं से बले राया पच्चूसकालसमयंसि सयणिज्जानो अब्भुटेइ, अब्भुटेत्ता पायपीढायो पच्चोरुहइ,पच्चोरुहित्ता जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ,अट्टणसालं अणुपविसइ, जहा अोववाइए तहेव अट्टणसाला तहेव मज्जणघरे जाव ससिव्व पियदंसणे नरवई१२ जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवाग
१. संपडिच्छइ (ख, स)। २. सं० पा०-- अतुरियमचवल जाव गईए। ३. देवतगुरु° (ता)। ४. X (अ)। ५. गंधोदय (ब)। ६. सं० पा०-पवरकंदुरुक्क जाव गंध । ७. करावेह (ख, स)। ८. ममेत जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ६. भ. ६।१४२॥
१० सं० पा०-उवदाणसालं जाव पच्चप्पिणंति । ११. पायवीढाओ (ख, ब, म)। १२. प्रो० स०६३ । १३. नरवई मज्जणघराओ पडिनिक्खमइ २
(अ, क,ख, ता, ब, म, स); औपपातिकानुसारेण स्वीकृतपाठः एव समीचीनः । आदर्शेषु परिवर्तनं संक्षेपीकरणेन जातम् । पाठसंक्षेपे प्राय एवं भवत्येव ।
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एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो)
५१६
च्छित्ता सीहासणवरंसि पुरत्याभिमुहे निसीयइ, निसीयित्ता ग्रप्पणी उत्तरपुरथिमेदिसी भए भद्दासणाई सेयवत्थपच्चत्थुयाई' सिद्धत्थग कय मंगलोवयाराई रयावेइ, रयावेत्ता अप्पणो अदूरसामंते नाणामणि- रयणमंडियं श्रहियपेच्छणिज्जं महग्घ- वरपट्टणुग्गयं सहपट्टभत्तिसयचित्तताणं ईहामिय-उसभ' - तुरग-नरमगर - विहग वाला - किण्ण र रुरु सरभ चमर- कुंजर - वणलय - पउमलय-भत्तिचित्तं भिंतरियं जवणियं श्रंछावेइ, अंछावेत्ता नाणामणिरयणभत्तिचित्तं अत्थरय-मउयमसूरगोत्थयं सेयवत्थपच्चत्थुयं * अंगसुहफासयं सुमउयं पभावतीए देवीए भद्दासणं रयावेइ, रयावेत्ता कोडु बियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासि - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! अट्ठगमहानिमित्तसुत्तत्थधारए विविह सत्यकुसले सुविणलक्खणपाढए सहावेह ||
१३६. तए णं ते कोडु बियपुरिसा जाव पडिसुणेत्ता बलस्स रण्णो अंतिया पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता सिग्धं तुरियं चवलं चंडं वेइयं हत्थिणपुरं नगरं मज्झमज्भेणं जेणेव तेसि सुविणलक्खणपाढगाणं गिहाई तेणेव उवागच्छंति, वागच्छित्ता ते सुविणलक्खणपाढए सद्दावति ||
१४०. तए णं ते सुविणलक्खणपाढगा बलस्स रण्णो कोडुं वियपुरिसेहि सद्दाविया समाणा तुट्ठा हाया कय बलिकम्मा कयकोउय-मंगल- पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइं मंगललाई वत्थाई पवर परिहिया अप्पमहग्घाभरणालंकिय सरीरा सिद्धत्थगहरियालियाकयमंगलमुद्धाणा सएहि-सएहिं गेहेहिंतो निग्गच्छिंति, निग्गच्छित्ता हत्थिणपुरं नगरं मज्भंमज्झणं जेणेव बलस्स रण्णो भवणवरवडेंसए तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता भवणवरवडेंसगपडिदुवारंसि एगो मिलति, मिलित्ता जेणेव बाहिरिया उवद्वाणसाला जेणेव बले राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल' परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थर अंजलि कट्टु • बलरायं जणं विजएणं वद्धावेंति । तए णं ते सुविणलक्खणपाढगा बलेणं रण्णा वंदिय-पूइय-सक्कारिय- सम्माणिया समाणा पत्तेयं पत्तेयं पुव्वण्णत्येसु भद्दासणेसु निसीयंति ॥
१४१. तए णं से बले राया पभावति देवि जवणियंतरियं ठावेइ, ठावेत्ता पुप्फ-फल पडिपुण्णहत्थे परेण विणएणं ते सुविणलक्खणपाढए एवं वयासी -- एवं खलु
१. ० पत्याई (म ) |
२. सहबहुभत्ति (ब, म ) ।
o
३. सं० पा० - उसभ जाव भत्तिचित्तं ।
४. पच्यं (ब, म, स ) ।
५.
० फासूयं ( ख ब ) ।
६.
भ० ६ १४२ ।
७. सं० पा० कय जाव सरीरा ।
८. सं० पा०करयल ।
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५२०
भगवई
देवाणुप्पिया ! पभावती देवी अज्ज तंसि तारिसगंसि वासघरंसि जाव' सीहं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धा, तण्णं देवाणुप्पिया ! एयस्स अोरालस्स जाव'
महासुविणस्स के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ? १४२. तए णं ते सुविणलक्खणपाढगा बलस्स रण्णो अंतियं एयमहूँ सोच्चा निसम्म
हतुवा तं सुविणं योगिण्हंति, प्रोगिण्हित्ता ईहं अणुप्पविसंति, अणुप्पविसित्ता तस्स सुविणस्स अत्थोग्गहणं करेंति, करेत्ता अण्णमण्णणं सद्धि संचालति', संचालेत्ता तस्स सुविणस्स लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अभिगयट्ठा बलस्स रण्णो पुरो सुविणसत्थाइं उच्चारेमाणा-उच्चारेमाणा एवं वयासी एवं खलु देवाणु प्पिया ! अम्हं सुविणसत्थंसि बायालीसं सुविणा, तीसं महासुविणाबावतरि सव्वसुविणा दिट्ठा। तत्थ णं देवाणुप्पिया ! तित्थगरमायरो वा चक्कवट्टिमायरो वा तित्थगरंसि वा चक्कवट्टिसि वा गम्भं वक्कममाणंसि एएसिं तीसाए महासुविणाणं इमे चोद्दस महासुविणे पासित्ता णं पडिबुज्झति, तं जहा
गय उसह सीह अभिसेय दाम ससि दिणयरं झयं कुंभं ।।
पउमसर' सागर विमाणभवण रयणुच्चय सिहि च ॥१॥ वासूदेवमायरो वासुदेवंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसिं चोद्दसण्हं महासूविणाणं अण्णयरे सत्त महासविणे पासित्ता णं पडिबुज्झति । बलदेवमायरो बलदेवसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसि चोदसण्हं महासुविणाणं अण्णयरे चत्तारि महासुविणे पासित्ता णं पडिबुज्झति । मंडलियमायरो मंडलियंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसि णं चोद्दसण्हं महासुविणाणं अण्णयरं एगं महासुविणं पासित्ता णं पडिबुझंति । इमे य णं देवाणुप्पिया ! पभावतीए देवीए एगे महासुविणे दिवे, तं
ओराले णं देवाण प्पिया ! पभावतीए देवीए सुविणे दिट्टे जाव प्रारोग्ग-तुट्ठि•दीहाउ कल्लाण -मंगल्लकारए णं देवाणुप्पिया ! पभावतीए देवीए सुविणे दिने, अत्थलाभो देवाणुप्पिया ! भोगलाभो देवाणुप्पिया ! पुत्तलाभो देवाणुप्पिया! रज्जलाभो देवाणुप्पिया ! एवं खलु देवाणुप्पिया ! पभावती देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण य राइंदियाणं° वीइक्कंताणं तुम्हें
कुलके उं जाव" देवकुमारसमप्पभं दारगं पयाहिति। १. भ०११११३३।
नरकात् तन्माता भवनमिति (व)। २. भ० ११।१३३।
७. इह च गाथायां केषुचित्पदेष्वनुस्वारस्याश्रवणं ३. संलवंति (ता)।
___गाथाऽनुलोम्याद् दृश्यम् (वृ)। ४. वसह (क, ता, म)।
८. भ० ११।१३४। ५. पदुमसर (ता)।
६. सं० पा०-तूट्रि जाव मंगल्लकारए । ६. 'विमाणभवण' त्ति एकमेव, तत्र विमाना- १०.सं० पा०-बहुपडिपुण्णाणं जाव वीइक्कंताणं ।
कारं भवनं विमानभवनं, अथवा देवलोका- ११. भ० ११११३४। द्योऽवतरति तन्माता विमानं पश्यति यस्तु
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एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो)
५२१ से वि य णं दारए उम्मुक्कबालभावे' •विण्णय-परिणयमेत्ते जोव्वणगमणुप्पत्ते सूरे वीरे विक्कंते वित्थिण्ण-विउलबल-वाहणे° रज्जवई राया भविस्सइ, अणगारे वा भावियप्पा । तं ओराले णं देवाणुप्पिया ! पभावतीए देवीए सुविणे दिढे जाव आरोग्ग-तुट्ठि-दीहाउ-कल्लाण'- मंगल्लकारए पभावतीए देवीए
सुविणे° दिह्र ।। १४३. तए णं से बले राया सुविणलक्खणपाढगाणं अंतिए एयमहूँ सोच्चा निसम्म
हट्टतुटे करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि ° कटु ते सुविणलक्खणपाढगे एवं वयासी-एवमेयं देवाणुप्पिया ! तहमेयं देवाणुप्पिया ! अवितहमेयं देवाणुप्पिया ! असंदिद्धमेयं देवाणुप्पिया! इच्छियमे यं देवाणप्पिया ! पडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं देवाणुप्पिया ! • से जहेयं तुब्भे वदह त्ति कटु तं सुविणं सम्म पडिच्छइ', पडिच्छित्ता सुविणलक्खणपाढए विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइम-पुप्फ-वत्थ-गंध-मल्लालंकारेणं सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ, दलयित्ता पडिविसज्जेइ, पडिविसज्जेत्ता सीहासणानो अब्भटेइ, अब्भत्ता जेणेव पभावती देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पभावति देवि ताहि इट्टाहि जाव' मिय-महुर-सस्सिरीयाहिं वग्गूहि संलवमाणे-संलवमाणे एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिए ! सुविणसत्थंसि बायालीसं सुविणा, तीसं महासुविणा-बावत्तरि सव्वसुविणा दिट्ठा। तत्थ णं देवाणुप्पिए ! तित्थगरमायरो वा चक्कवट्रिमायरो वा तित्थगरंसि वा चक्कट्रिसि वा गब्भं वक्कममाणंसि एएसि तीसाए महासविणाणं इमे चोहस महासविणे पासित्ता णं पडिबज्झति तं चेव जाव' मंडलियमायरो मंडलियंसि गन्भं वक्कममाणंसि एएसि णं चोदसण्हं महासुविणाणं अण्णयरं एगं महासुविणं पासित्ता णं पडिबुझंति । इमे य णं तुमे देवाणुप्पिए ! एगे महासुविणे दिढे, तं अोराले णं तुमे देवी ! सुविणे दिडे जाव रज्जवई राया भविस्सइ, अणगारे वा भावियप्पा, तं अोराले णं तुमे देवी ! सुविणे दिढे जाव' आरोग्ग-तुट्ठि-दीहाउ-कल्लाण-मंगल्लकारए णं तुम देवी ! सुविणे दिढे त्ति कटु पभावति देवि ताहिं इट्टाहिं जाव मिय-महुरसस्सिरीयाहिं वग्गूहिं दोच्चं पि तच्चं पि अणुबूहइ ॥
१. सं० पा०-उम्मु क्कबालभावे जाव रज्जवई। ६. भ० ११।१३४। २. सं० पा०-कल्लाण जाव दिढे ।
७. भ० ११।१४२। ३. सं० पा०-करयल जाव कटु ।
८. भ० ११११४२॥ ४. सं० पा०-देवाणु प्पिया जाव से । ६. भ० ११११३४। ५. संपडिच्छइ (क, ता, म, स)।
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५२२
भगवई
१४४. तए णं सा पभाव तो देवो बलस्स रण्णो अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठा
करयल परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु ° एवं वयासीएयमयं देवाणुप्पिया ! जाव' तं सुविणं सम्म पडिच्छइ, पडिच्छित्ता बलेणं रणा अब्भणण्णा या समाणो नाणामणिरयणभत्ति चित्तानो भद्दासणाप्रो अब्भुढेइ, अतुरियमचवल' मसंभंताए अविलंबियाए रायहंससरिसीए ° गईए
जेणेव सए भवणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सयं भवणमणुपविट्ठा ॥ १४५. तए णं सा पभावतो देवो पहाया कयबलिकम्मा जाव सव्वालंकारविभूसिया तं
गब्भं नातिसोतेहि नाति उण्हेहि नातितित्तेहि नातिकडुएहि नातिकसाएहि नातिग्रंबिलेहि नातिमहुरेहि उउभयमाणसुहेहि भोयण-च्छायण-गंध-मल्लेहि जं तस्स गब्भस्स हियं मितं पत्थं गव्भपोसणं तं देसे य काले य पाहारमाहारेमाणी विवित्तमउएहि सयणासणेहि पइरिवकसुहाए मणाणुकूलाए विहारभूमीए पसत्थदोहला संपुण्णदोहला सम्माणियदोहला अविमाणियदोहला वोच्छिण्णदोहला विणीय
दोहला ववगयरोग-सोग-मोह-भय-परित्तासा तं गम्भं 'सुहंसुहेणं परिवहति ॥ १४६. तए णं सा पभावती देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धट्ठमाण य राइंदियाणं
वीइक्कंताणं सुकुमालपाणिपायं अहीणपडिपुण्णपंचिदियसरीरं लक्खण-वंजणगुणोववेयं 'माणुम्माण-प्पमाण-पडिपुण्ण-सुजाय-सव्वंगसुंदरंगं ° ससिसोमाकारं
कंतं पियदंसणं सुरूवं दारयं पयाया ।। १४७. ताणं तोसे पभावतीए देवोए अंगपडियारियाग्रो पभावति देवि पसयं जाणेत्ता
जेणेव बले राया तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता करयल" परिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्ट बलं रायं जएणं विजएणं वद्धाति, वद्धावेत्ता एवं वयासो-एवं खलु देवाणुप्पिया ! पभावती देवी नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं जाव" सुरुवं दारगं पयाया। तं एयण देवाणुप्पियाणं पियट्टयाए पियं
निवेदेमो। पियं भे भवतु ।। १४८. तए ण से बले राया अंगपडियारियाणं अंतियं एयमटुं सोचा निसम्म हतु
•चित्तमाणंदिए णदिए पोइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए
१. सं० पा०—करयल जाव एवं ।
८. संपन्न ° (अ); ° डोहला (ता) । २. भ० ११।१३५॥
६. वाचनान्तरे-सुहंसुहेणं आसयइ सुयइ ३. सं पा०-० भत्ति जाव अभट्ट इ ।
चिट्ठ इ निसीयइ तुयट्टइ त्ति दृश्यते (वृ) । ४. सं० पा०-अतुरियमचवल जाव गईए। १०. सं० पा०-गुगोववेयं जाव ससि । ५. भ० ७।१७६।
११. सं० पा०-करयल । ६. तदु० (ख); उतु° (ता, म); उडु ° १२. भ० ११।१३४ । (ब)।
१३. एतणं (अ, स); एतं (ता)। ७. विचित्त° (अ, ख, ता, ब, स)। १४. सं०पा०-हट्ट तुट्ठ जाव धाराहयनीव जाव कूवे।
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एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो)
५२३ धाराहयनीवसुरभिकुसुम-चंचुमालइयतणुए ऊसवियरोम ° कूवे तासि अंगपडियारियाणं मउडवज्जं जहामालियं' प्रोमोयं दलयइ, दलयित्ता सेतं रययामयं विमलसलिलपुण्णं भिंगारं पगिण्हइ, पगिण्हित्ता मत्थए धोवइ, धोवित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ, दलयित्ता सक्कारेइ सम्माणेइ, सक्कारेत्ता सम्मा
णेत्ता पडिविसज्जेइ॥ १४६. तए णं से वले राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव
भो देवाणुप्पिया ! हत्थिणापुरे नयरे चारगसोहणं करेह, करेत्ता माणुम्माणवड्ढण' करेह, करेत्ता हत्थिणापुरं नगरं सब्भितरबाहिरियं आसिय-संमज्जियोवलित्तं जाव' गंधवट्टिभूयं करेह य कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य जूवसहस्सं वा चक्कसहस्सं वा पूयामहामहिमसंजुत्तं" उस्सवेह, उस्सवेत्ता ममेतमाणत्तियं
पच्चप्पिणह॥ १५०. तए णं ते कोडुबियपुरिसा बलेणं रण्णा एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्टा जाव' तमाण
त्तियं पच्चप्पिणंति ।। तए णं से बले राया जेणेव अट्टणसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तं चेव जाव' मज्जणघरायो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता उस्सुक्क उक्करं उक्किटुं अदेज्ज अमेज्जं अभडप्पवेसं अदंडकोदंडिमं अधरिमं गणियावरनाडइज्जकलियं अणेगतालाचराणुचरियं अणुद्धयमुइंग' अमिलायमल्लदाम" पमुइयपक्कीलियं
सपुरजणजाणवयं दस दिवसे ठिइवडियं करेति ।। १५२. तए णं से बले राया दसाहियाए ठिइवडियाए वट्टमाणीए सइए य साहस्सिए य
सयसाहस्सिए य जाए य दाए य भाए य दलमाणे य दवावेमाणे य, सइए य सय
साहस्सिए य लंभे" पडिच्छेमाणे य पडिच्छावेमाणे य एवं यावि विहरइ ।। १५३. तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठिइवडियं करेइ, तइए दिवसे
चंदसूरदंसावणियं करेइ, छट्टे दिवसे जागरियं करेइ, एक्कारसमे दिवसे वीइ
१. जहाजमालितं (ता)।
७. ओ० सू० ६३ । २. दलति (ता)।
८. ° पावेसं (ख); अहड ° (ता)। ३. ° वड्ढं (ता)।
६. अणुद्धत° (क); अणद्भुत्त° (ब)। ४. प्रो० सू० ५५।
१०. अमिलाण ° (ता)। ५. ० महिमसक्कारं वा (अ, म, स); आयाम- ११. लाभे (क, ब): लंभो (ता)।
जावदिसक्कारं वा (क); ० संजुत्तं वा आया- १२. दंसणियं (क); औपपातिकाद्यागमेषु 'दंसमेजाहससक्खा (ख); पूता° (ता); पूया- णियं' इति पाठः प्रायेण स्वीकृतोस्ति । तत्र महिमसक्कारं वा (ब)।
स्वीकृतपाठो नोपलब्धः । अर्थदृष्ट्यासौ समी६. भ० ११।१४६ ।
चीनोस्ति ।
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५२४
भगवई
क्कते निव्वत्ते असुइजायकम्मकरणे संपत्ते 'वारसमे दिवसे'' विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधिपरिजणं रायाणो य° खत्तिए य ग्रामंतेति, प्रामंतेत्ता तो पच्छा व्हाया तं चेव जाव' सक्कारेंति सम्माणेति, सक्कारेत्ता सम्माणेत्ता तस्सेव मित्त-नाइ•नियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स ° राईण य खत्तियाण य पुरनो अज्जय-पज्जय पिउपज्जयागयं बहुपुरिसपरंपरप्परूढं कुलाणुरूवं कुलसरिसं कुलसंताणतंतुवद्धणकरं अयमेयारूवं गोण्णं गुणनिप्फन्नं नामधेज्जं करेंति-जम्हा णं अम्हं इमे दारए बलस्स रण्णो पुत्ते पभावतीए देवीए अत्तए, तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्जं 'महब्बले-महब्बले । तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नाम
धेज करेंति महब्बले त्ति ।। १५४. तए णं से महब्बले दारए पंचधाईपरिग्गहिए, [तं जहा---खीरधाईए],' एवं
जहा दढपइण्णस्स जाव' निव्वाय-निव्वाघायंसि सुहंसुहेणं परिवड्ढति ।। १५५. तए णं तस्स महब्बलस्स दारगस्स अम्मापियरो अणुपुत्वेणं ठिइवडियं वा चंद
सरदंसावणियं वा जागारय वा नामकरण वा परंगामण वा पचंकामण' वा पजेमामण वा पिडवद्धण वा पजपावण" वा कण्णवेहण वा सवच्छरपडिलेहणं वा चोलोयणगं" वा उवणयणं वा, अण्णाणि य बहूणि गब्भाधाण"-जम्मणमादि
याइं कोउयाइं करेंति ॥ १५६. तए णं तं महब्बलं कुमारं अम्मापियरो सातिरेगट्ठवासगं जाणित्ता सोभणंसि
१. बारसाहदिवसे (अ, क, ख, म, स); बारसा- ८. निवात (अ, ता, ब, म); नियात (ख)।
दिवसे (ता); बारहदिवसे (ब); 'रायपसेण- ६. पयचंकमारणं (अ); पचकम्मावणं (ख. ब): इयं' सत्रस्य ८०२ सूत्रानुसारेणासौ पाठः पचक्कामवरणं (ता); पयिचंकामणं (म)। स्वीकृतः । विशेषावबोधाय द्रष्टव्यं 'ओव- पयचंकमणं (स)। वाइय' सूत्रस्य १४४ सूत्रस्य प्रथमं पाद- १०. जेमावणं (क, ब, म, स)। टिप्पणम् ।
११. पजपमाणं (क, ख); पजंपामणं (ब)। २. सं० पा०-जहा सिवो जाव खत्तिए। १२. °पलेहणं (ख); °वलेहणगं (ता)। ३. भ०१॥६३ ।
१३. चोलायणगं (अ); चोलोपरणगं (क, ख,); ४. सं० पा०-नाइ जाव राईण।
चोलगाणि (ता); चोलोयणं (ब)। ५. महब्बले (अ, क, ख, ब, म, स)। १४. गब्भदाण (अ, ख); गब्भायाण (ता); ६. कोष्ठकवर्ती पाठो व्याख्यांश: प्रतीयते ।
गब्भादाण (ब, वृ); 'गब्भाहाण' पदस्य ७. ओ० वाचनान्तर पृष्ठ १५१, १५२; राय.
हकारदकारयोलिपिसादृश्यात् 'गब्भादाण' सू० ८०४।
रूपे परिवर्तनं जातमिति संभाव्यते।
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एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो)
५२५ तिहि-करण-नक्खत्त-मुहत्तंसि कलायरियस्स उवणेति, एवं जहा दढप्पइण्णे
जाव' अलंभोगसमत्थे जाए यावि होत्था ।। १५७. तए णं तं महब्बलं कुमारं उम्मुक्कबालभावं जाव' अलंभोगसमत्थं विजाणित्ता
अम्मापियरो अट्ठ पासायव.सए कारेंति'-अब्भुग्गय-मूसिय-पहसिए इव वण्णो जहा रायप्पसेणइज्जे जाव' पडिरूवे । तेसि णं पासायवडेंसगाणं वहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं महेगं भवणं कारेंति-अणेगखंभसयसंनिविटुं वण्णो जहा राय
प्पसेणइज्जे पेच्छाघरमंडवंसि जाव पडिरूवे ।। १५८. तए णं तं महब्बलं कुमारं अम्मापियरो अण्णया कयाइ सोभणंसि तिहि-करण
दिवस-नक्खत्त-महत्तंसि पहायं कयबलिकम्म कयकोउय-मंगल-पायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं पमक्खणग-हाण-गीय-वाइय-पसाहण-अटुंगतिलग-कंकण-अविहवबहुउवणीयं मंगलसुजंपिएहि य वरकोउयमंगलोवयार-कयसंतिकम्म सरिसियाणं सरित्तयाणं सरिव्वयाण सरिसलावण्ण-रूव-जोव्वणगुणोववेयाणं 'विणीयाणं कयको उय-मंगलपायच्छित्ताणं' सरिसएहि रायकुलेहितो आणिल्लि
याणं अट्टण्हं रायवरकन्नाणं एगदिवसेणं पाणि गिण्हाविसु ॥ १५६. तए णं तस्स महाबलस्स कुमारस्स अम्मापियरो अयमेयारूवं पीइदाणं दलयंति,
तं जहा -- अट्ठ हिरण्णकोडीओ, अट्ठ सुवण्णकोडीअो, अट्ठ मउडे मउडप्पवरे, अट्ठ 'कुंडलजोए कुंडलजोयप्पवरे" अठ्ठ हारे हारप्पवरे, अट्ठ अद्धहारे अद्धहारप्पवरे, अट्ठ एगावलीओ एगावलिप्पवरानो, एवं मुत्तावलीओ, एवं कणगावलीप्रो, एवं रयणावलीअो, अट्ठ कडगजोए कडगजोयप्पवरे, एवं तुडियजोए, अट्ठ खोमजुयलाई खोमजुयलप्पवराई, एवं वडगजुयलाइं,” एवं पट्टजुयलाइं, एवं दुगुल्लजुयलाइं, अट्ठ सिरीअो, अट्ठ हिरीप्रो, एवं धिईओ, कित्तीओ, बुद्धीग्रो, लच्छीओ, अट्ठ नंदाइं, अठ्ठ भद्दाई, अट्ठ तले तलप्पवरे सव्वरयणामए, नियगवरभवणकेऊ अद भए भयप्पवरे, अठ वए वयप्पवरे दसगोसाहस्सिएणं वएणं, अट नाडगाई नाडगप्पवराई बत्तीसइबद्धणं नाडएणं, अट्ठ प्रासे पासप्पवरे सव्वरयणामए सिरिघरपडिरूवए, अट्ट हत्थी हत्थिप्पवरे सव्वरयणामए सिरिघरपघडिरूवए, अट्ठ जाणाइं जाणप्पवराई, अट्ठ जुगाइं जुगप्पवराइं, एवं सिबियानो", एवं संद
७. x (ब)। ८. आणिते (ति) ल्लियाणं (क, ख, ता, ब,
१. ओ० सू० १४६-१४८%, राय० स०८०५-
८०९। २. राय० स० ८१०॥ ३. करेंति (अ, म, स) । ४. राय० सू० १३७। ५. राय० सू ० ३२॥ ६. अविधववधुओवरणीतं (ता)।
६. कुंडलजुए कुंडलजुय ° (अ, स)। १०. पडलगजुवलाई (अ)। ११. सिबिया (अ); सिताओ (ता)।
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५२६
१. संदमाणी ( अ ); संदमाशियाओ (क, ता, ब, म) ।
२. उक्कं परणदीवे ( क, ख, ता, ब, स ) ।
३. 'एवं तिष्णि वि' इति पाठस्य सूचकमङ्क
मिदं सर्वत्र ।
माणी, एवं गिल्ली, थिल्लीप्रो, अट्ठ वियडजाणारं वियडजाणप्पवराई, रहे पारिजाणिए, अट्ठ रहे संगामिए, असे आसप्पवरे, अटु हत्थी हथिप्पवरे, अगामे गामप्पवरे दसकुलसाहस्सिएणं गामेणं, अट्ठ दासे दासपवरे, एवं दासी, एवं किंकरे, एवं कंचुइज्जे, एवं वरिसधरे, एवं महत्तरए, अट्ठ सोवणिए प्रलंबणदीवे, ग्रट्ट रुप्पामए श्रोलंबणदीवे, श्रटु सुवण्णरुप्पामए ओलंबणदीवे, अट्ठ सोवण्णिए उक्कंबणदीवे, एवं चेव तिणि वि, श्रट्ट सोवणिए पंजरदीवे, एवं चेव तिण्णि वि, ग्रट्ट सोवणिए थाले, ऋटु रुप्पामए थाले, अट्ठ सुवण्णरुप्पामए थाले, अटु सोवणिया पत्तीग्रो ३, अट्ट सोवण्णियाई थासगाई३, सोवण्णयाई मल्लगाई ३, श्रट्ट सोवणिया तलियाओं ३, अट्ठ सोवणिया कविचिया ३, ग्रट्ट सोवणिए अवएडए' ३, ऋटु सोवण्णियाश्रो अवयक्का ३, अट्ठ सोवण्णिए पायपीढए ३, ग्र सोवणियाग्रो भिसियाप्र३,
सोणिया करोडियाग्रो३, ग्रट्ट सोवणिए पल्लं के३, श्रट्ट सोवण्णियाश्रो पडिसेज्जा ३, ३, अट्ठ हंसासणाई, ग्रटु कोंचासणाई, एवं गरुलासणाई, उन्नयासणाई, पणयासणाई, दीहासणाई, भद्दासणाई, पक्खासणाई, मगरासणाई, अट्ठ पउमासणाई, अट्ठ दिसासोवत्थियासणाई, अट्ठ तेल्ल समुग्गे, अट्ट को - समुग्गे, एवं पत्त - चोयग तगर -एल-हरियाल - हिंगुलय- मणोसिल अंजण - समुग्गे ०,
सरिसव-समुग्गे, अट्ठ खुज्जाओ जहा ओववाइए जाव' ग्रट्ट पारिसीओ, छत्ते, ट्ट छत्तधारीश्रो वेडीओ, ग्रट्ट चामराम्रो, अट्ट चामरधारीओ चेडीओ तालियंटे, तालियंटधारीग्रो चेडीओ, 'अट्ठ करोडियाओ', " ग्रट्ठ करोडियाधारी चेडीओ, अट्ठ खीरधाईग्रो", अट्ठ मज्जणधाईओ, अट्ठ मंडणधाईओ अट्ट खेल्लावणधाई, अट्ठ अंकधाईप्रो, अट्ठ अंगमद्दिया, अट्ठ उम्मदियाओ
हावियानो, अट्ट पसाहियानो, अट्ठ वण्णगपेसीग्रो टु चुण्णगपेसीग्रो", कीडागारी", अट्ट दवकारीयो", श्रट्ट उवत्थाणियाग्रो, ट्ट नाडइज्जाश्रो,
६.
७.
वाडए ( अ, स); अवयडर (ता) । अवक्काओ ( अ, क, ख, ता, म ) | ८. सं० पा० – जहा रायपसेइज्जे जाव अट्ट । ६. ओ० सू०७० भ० ६ १४४ ।
१०. x ( अ, क, ख, ता, ब, म) ।
४. चवलियाओ ( ख ); चवलियाओ अट्ठसो ११. सं० पा०-- खीरधाईओ जाव अट्ठ |
forओ तिलियाओ (ता) |
१२. X ( ख ) ।
५. कवचियाओ ( अ, ख, ता, ब, म); कति - १३. कीलाकरीओ ( ता ) ।
वियाओ ( क ) ।
१४. उवकारीग्रो (क, ता) ।
भगवई
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एक्कारसं सतं (एक्कारसमो उद्देसो)
५२७ अट्ठ कोडुबिणीयो, अट्ठ महाणसिणोओ', अट्ठ भंडागारिणःो, अट्ठ अब्भाधारिणीयो, अट्ठ पुप्फघरणीओ, अट्ठ पाणिघरणीयो, अट्ठ बाहिरियानो, अट्ट सेज्जाकारीग्रो, अट्ठ अभितरियानो पडिहारीयो, अट्ट बाहिरियानो पडिहारीअो, अट्ठ मालाकारीग्रो, अट्ठ पेसणकारीअो, अण्णं वा सुबहुं हिरण्णं वा सुवण्णं वा कंसं वा दुसं वा विउलधण-कणग- रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिल-प्पवालरत्तरयण-संतसारसावएज्ज, अलाहि जाव पासत्तामायो कुलवंसाप्रो पकामं
दाउं, पकामं भोत्तुं', पकामं परिभाएउ ।। १६०. तए णं से महब्बले कुमारे एगमेगाए भज्जाए एगमेगं हिरणकोडि दलयइ,
एगमेगं सुवण्णकोडि दलयइ, एगमेगं मउडं मउडप्पवरं दलयइ, एवं तं चेव सव्वं जाव एगमेगं पेसणकारि दलयइ, अण्णं वा सूबहं हिरण्णं वा सूवण्णं वा कसं वा दूसं वा विउलधण-कणग-रयण-मणि-मोत्तिय-संख-सिल-प्पवाल-रत्तरयणसंतसारसावएज्ज, अलाहि जाव पासत्तमाअो कुलवंसानो पकामं दाउं, पकामं
भोत्तुं, पकामं° परिभाएउ ।। १६१. तए णं से महब्बले कुमारे उप्पि पासायवरगए जहा जमाली जाव पंचविहे
माणुस्सए कामभोगे पच्चणुब्भवमाणे विहरइ ।। १६२. तेणं कालेणं तेणं समएणं विमलस्स अरहयो पसोप्पए धम्मघोसे नामं अणगारे
जाइसंपन्ने वण्णो जहा केसिसामिस्स जाव' पंचहि अणगारसएहि सद्धि संपरिवुडे पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे जेणेव हत्थिणापुरे नगरे, जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता प्रहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हइ, अोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे
विहरइ ॥ १६३. तए णं हत्थिणापुरे नगरे सिंघाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह
पहेसु महया जणसद्दे इ वा जाव परिसा पज्जुवासइ ।। १६४. तए णं तस्स महब्बलस्स कुमारस्स तं महयाजणसई वा जणवह वा जाव जण
सन्निवायं वा सुणमाणस्स वा पासमाणस्स वा एवं जहा" जमाली तहेव चिंता,
१. महाणसीओ (क, ता, ब)।
७. पदोप्पए (ख); पतोप्पए (ब, म)। २. सं० पा०-कणग जाव संतसार ।
८. राय० सू० ६८६ । ३. परिभोत्तुं (क, ब, म, स)।
६. राय० सू० ६८७; ओ सू० ५२; भ० ४. परिभाइउं (ख); परियाभाएउ (ता)। है।१५७ । ५. सं० पा०—हिरण्णं वा जाव परिभाएउ। १० भ०६।१५८ । ६. भ०६।१५६ ।
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५२८
भगवई
तहेव कंचुइज्ज-पुरिसं सद्दावेति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-किण्णं देवाणु
प्पिया! अज्ज हत्थिणापुरे नयरे इंदमहे इ वा जाव निग्गच्छति ।। १६५. तए णं से कंचुइ-पुरिसे महब्बलेणं कुमारेणं एवं वुत्ते समाणे हळुतुढे धम्मघो
सस्स अणगारस्स आगमणगहियविणिच्छए करयलपरिग्गाहयं दसनहं सिरसावत्त मत्थए अंजलि कटु महब्बलं कुमारं जएणं विजएणं वद्धावेइ, वद्धावेत्ता एवं वयासी-नो खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज हत्थिणापुरे नगरे इंदमहे इ वा जाव' निग्गच्छति । एवं खलु देवाणुप्पिया ! अज्ज विमलस्स अरहनो पोप्पए धम्मघोसे नामं अणगारे हत्थिणापुरस्स नगरस्स बहिया सहसंबवणे उज्जाणे अहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे विहरइ, तए णं एते बहवे उग्गा, भोगा जाव' निग्गच्छति ।। तए णं से महब्बले कुमारे° तहेव रहवरेणं निग्गच्छति । धम्मकहा जहा' केसिसामिस्स । सो वि तहेव अम्मापियरं आपुच्छइ, नवरं-धम्मघोसस्स अणगारस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराग्रो अणगारियं पव्वइत्तए। तहेव वुत्तपडिवत्तिया, नवरं-इमानो य ते जाया ! विउलरायकुलबालियानो कलाकुसलसव्वकाललालिय-सुहोचियाओ सेसं तं चेव जाव ताहे अकामाई चेव महब्बलकुमारं एवं वयासी-तं इच्छामो ते जाया ! एगदिवसमवि रज्जसिरिं
पासित्तए॥ १६७. तए णं से महब्बले कुमारे अम्मापिउ-वयणमणुयत्तमाणे तुसिणीए संचिट्टइ। १६८. तए णं से बले राया कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, एवं जहा सिवभहस्स तहेव सया
भिसेग्रो भाणियव्वो जाव अभिसिंचति, करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु ° महब्बलं कुमारं जएणं विजएणं वद्धावेति, वद्धावेत्ता एवं वयासी--भण जाया ! कि देमो? किं पयच्छामो? सेसं जहा जमालिस्स तहेव
जाव१६६. तए णं से महब्बले अणगारे धम्मघोसस्स अणगारस्स अंतियं सामाइयमाइयाई
चोद्दस पुव्वाइं अहिज्जइ, अहिज्जित्ता बहूहिं चउत्थ"-'छट्टट्ठम-दसम-दुवाल१. सं० पा०-कंचुइज्जपुरिसो वि तहेव ४. अ० ६।१६०-१६२ ।
अक्खाति, नवरं-धम्मघोसस्स अणगारस्स ५. राय० स० ६६३। आगमणगहियविणिच्छए करयल जाव ६. वत्तपस्वित्तया (क्व) । निग्गच्छद। एवं खलु देवाणप्पिया ! ७. भ०६।१६४-१७६। विमलस्स अरहओ पओप्पए धम्मघोसे नाम ८. भ० १११५६-६२।
अणगारे, सेसं तं चेव जाव सो वि तहेव । ६. सं० पा०--करयपलरिग्गहियं । २. भ०६।१५८॥
१०. भ०६।१८०-२१५ । ३. भ० ४।१५८।
११. सं० पा०-च उत्थ जाव विचित्तेहि।
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एक्कारसंस (एक्कारसमो उद्देसो)
५२६
सेहिं मासद्ध-मासखमणेहिं
विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं प्रप्पाणं भावेमाणे बहुपsyणाई दुवास वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए प्रत्ताणं सित्ता, सद्वि भत्ताई प्रणसणाए छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उड्ढं चंदिम-सूरिय- गगण-नक्खत्ततारारूवाणं बहूई जोयणाई, बहूई जोयणसयाई, बहूई जोयणसहस्साई, बहूई जो सय सहस्सा, वह जोयणकोडोओ, बहूम्रो जोयणकोडाकोडीग्रो उड्ढ दूरं उपत्ता सोहम्मीसाण सणकुमार माहिंदे कप्पे वीईवइत्ता • बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं प्रत्येगतियाणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । तत्थ णं महब्बलस्स वि देवस्स दस सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । से णं तुम सुदंसणा ! बंभलोगे कप्पे दस सागरोवमाई दिव्वाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरित्ता तो देवलोगाओ माउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अनंतरं चयं चइत्ता इहेव वाणियग्गामे नगरे सेट्ठिकुलंसि पुत्तत्ताए पच्चायाए । १७०. तए णं तु मे सुदंसणा ! उम्मुक्कबालभावेणं विण्णय-परिणयमेत्तेणं जोव्वणगमपत्ते तहारूवाणं थेराणं प्रतियं केवलिपण्णत्ते धम्मे निसंते, सेविय इच्छिए, पडिच्छिए, अभिरुइए । तं सुठु णं तुमं सुदंसणा ! ' इदाणि पि
रेसि | से तेणद्वेणं सुदंसणा ! एवं वुच्चइ - प्रत्थि णं एतेसि पलिश्रवमसागरोवमाणं खरति वा प्रवचएति वा ।।
१७१. तर णं तस्स सुदंसणस्स सेट्ठिस्स समणस्स भगवप्रो महावीरस्स प्रतियं एयम सच्चा निसम्म सुभेणं ग्रज्भवसाणेणं सुभेणं' परिणामेणं लेसाहिं विसुज्भमाहिं तयावर णिज्जाणं कम्माणं खग्रोवस मेणं ईहापूह - भग्गण - गवेसणं करेम । णस्स 'सणीपुव्वे जातीस रणे" समुप्पो, एयम सम्मं अभिसमेति ॥
१७२. तए णं से सुदंसणे सेट्ठी समणेण भगवया महावोरेणं संभारियपुव्वभवे दुगुणा - णीयसड्ढसंवेगे' आणंदसुपुण्णनयणे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिणपाहणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी - एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! ग्रसंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते ! • - से जहेयं तुब्भे वदह त्ति कट्टु उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ, सेसं जहा उसभदत्तस्स
१. सं० पा० - जहा अम्मडो जाव बंभलोए । औपपातिकादर्शेषु तद् वृत्तौ च नैष पाठो लभ्यते, तेन चिन्त्यमिदम् ।
२. तो चेव (अ); ताओ (ता, ब, म); ताओ चेव (स) ।
३. इदारिण वि ( अ, क, ख, ता, ब) 1 ४. सोभणे (ता) |
५. सण्णीपुव्वजाती ( अ, क, ता, ब, वृ) । ६. ० सद्द° (म ) |
७. सं० पा० - भंते जाव से ।
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५३०
जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे, नवरं - चोद्दस पुव्वाइं अहिज्जइ, बहुपडिपुण्णाई दुवालस वासाइं सामण्णपरियागं पाउणइ, सेसं तं चेव । १७३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
बारसमो उद्देसो
इस भद्दत्त-पदं
१७४. तेणं कालेणं तेणं समएणं आलभिया नामं नगरी होत्था - वण्णो । संखवणे चेइए – वण्ण । तत्थ णं प्रालभियाए नगरीए बहवे इसिभद्दपुत्तपामोक्खा समणोवासया परिवसंति - श्रड्ढा जाव' बहुजणस्स अपरिभूया अभिगयजीवाजीवा जाव हारिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणा विहरंति || १७५. तए णं तेसिं समणोवासयाणं ग्रण्णया कयाइ एगयो समुवागयाणं सहियाणं विद्वाणं सणसणाणं श्रयमेयारूवे मिहोक हास मुल्लावे' समुप्पज्जित्था - देवलोगेसु णं प्रज्जो ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ?
१७६. तए णं से इसिभ पुत्ते समणोवासए देवट्ठिती - गहियट्ठे ते समणोवासए एवं वयासी - देवलोएस णं ग्रज्जो ! देवाणं जहण्णेणं दसवाससहस्साइं ठिती पण्णत्ता, ते परं समयाहिया, दुसमयाहिया, तिसमयाहिया जाव दससमयाहिया संखेज्जसमयाहिया, श्रसंखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य ॥
१७७. तए णं ते समणोवासया इसिभद्दपुत्तस्स समणोवासगस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव एवं परूवेमाणस्स एयमट्ठे नो सद्दहंति नो पत्तियंति नो रोयंति एयमट्ठ सहमाणा पत्तियमाणा अरोयमाणा जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया ||
१. भ० १५१ ।
२. भ० १।५१।
३. ओ० सू० १।
४. ओ० सू० २-१३ ॥
५. भ० २६४|
६. भ० २/६४|
भगवई
७. समुवविद्वार ( अ ) ; समुविद्वाणं (ख, ब, म, वृ) समुवेद्वाणं ( ता ) ; द्रष्टव्यम् - भ० ७।२१२ ।
८. मिहोक हा समुल्लावे अज्झत्थिए ( अ, ख, म); अथिए ( ब ) |
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एक्कारसं सत (बारसमो उद्देसो)
५३१
१७८. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे जाव' समोसढे जाव' परिसा पज्जुवासइ । तए णं ते समणोवासया इमोसे कहाए लट्ठा समाणा, हट्टा प्रणमण्णं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी – एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे जाव' प्रालभियाए नगरीए अहापडिरूवं प्रोग्गहं श्रगिहित्ता संजणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।
तं महफलं खलु भो देवाणुप्पिया ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग अभिगमण-वंदनमंसण-पडिपुच्छण-पज्जुवासणाए ? एग वरिस धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए ? तं गच्छामो णं देवाणुपिया ! समणं भगवं महावीरं वंदामो नमसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामो
एयं णे पेच्चभवे इहभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइति कट्टु अण्णमण्णस्स अंतिए एयमट्ठे पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता जेणेव सयाई - सयाई गिहाई तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता व्हाया कयबलिकम्मा कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाई मंगललाई वत्थाई पवर परिहिया अप्पमहग्घाभरणालं कियसरीरा सएहिं-सएहिं गिहितो पडिनिक्खमंति, पडिनिक्aमित्ता एगो मेलायंति, मेलायित्ता पायविहारचारेणं ग्रालभियाए नगरीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छंति, । नग्ग च्छित्ता जेणेव संखवणे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं जाव' तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासंति । तए णं समणे भगवं महावीरे तेसिं समणोवासगाणं तीसे य महति महालियाए परिसाए 'धम्मं परिकहेइ" जाव" प्राणाए आराहए भवइ ॥
१७६. तए णं ते समणोवासया समणस्स भगवप्रो महावीरस्स श्रंतियं धम्मं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्टा उट्ठाए उट्ठेति, उट्ठेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता एवं वदासी - एवं खलु भंते ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए ग्रम्हं एवमाइक्खइ जाव' परुवेइ – देवलोएसु णं श्रज्जो ! देवाणं जहणणेणं दस
१. भ० १।७२
२. ओ० सू० २२-५२ ।
३. सं० पा० – एवं जहा तुंगियउद्देसए जाव
पज्जुवाति ।
४. प्रो० सू० ५२!
५. भ० २६७॥
६. धम्सकहा ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) |
७. ग्रो० सू० ७१-७७।
८. भ० १४२०१
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५३२
भगवई
वाससहस्साइं ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया जाव' तेण परं वोच्छिण्णा
देवा य देवलोगा य। १८०. से कहमेयं भंते ! एवं?
अज्जोति ! समणे भगवं महावीरे ते समणोवासए एवं वयासी-जण्णं अज्जो ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए तुब्भं एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-देवलोएसु णं देवाणं जहण्णेणं दस वाससहस्साई ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया जाव तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य-सच्चे णं एसमढे, अहं 'पि णं'२ अज्जो ! एवमाइक्खामि जाव' परूवेमि-देवलोएसु णं अज्जो ! देवाणं जहण्णेणं दस वाससहस्साई ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया, तिसमयाहिया जाव दससमियाहिया, संखेज्जसमयाहिया, असंखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं तेत्तीसं साग रोवमाइं ठिती पण्णत्ता । तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य—'सच्चे णं एसमढें ॥ तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवग्रो महावीरस्स अंतियं एयमद्रं सोच्चा निसम्म समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव इसिभद्दपुत्ते समणोवासए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता इसिभदृपूत्तं समणोवासगं वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एयम, सम्म विणएणं भज्जो-भज्जो खामेंति । तए णं ते समणोवासया पसिणाई पूच्छंति, पुच्छित्ता अट्ठाई परियादियंति, परियादियित्ता समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउन्भूया तामेव दिसं पडिगया ॥ भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-पभू णं भंते ! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतिय मंडे भवित्ता अगारानो अणगारियं पव्वइत्तए ? नो इण? समटे गोयमा! इसिभद्दपुत्ते समणोवासए बहूहि सीलव्वय-गुण-वेरमणपच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे वहुई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणिहिति, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेहिति, झूसेत्ता सट्ठि भत्ताई अणसणाए छेदेहिति, छेदत्ता पालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणाभे
१. भ० ११।१७६। २. पुण (अ, स)। ३. भ० ११४२१ ४. सं० पा०--तं चेव जाव तेण ।
५. सच्चमेसे अट्टे (क, ख, ता, ब, म)। ६. नमंसित्ता उट्ठाते उट्ठति २ (ता)। ७. गुणव्वय (ख, ब, म)।
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एक्कारसं सतं (बारसमो उद्देसो)
५३३
विमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ णं प्रत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलिप्रोमाई ठिती पण्णत्ता । तत्थ णं इसि भद्दपुत्तस्स वि देवस्स चत्तारि पविमाइंठिती भविस्सति ॥
o
१८३. से णं भंते ! इसिभद्दपुत्ते देवे ताम्रो देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं' ग्रणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति' बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिणिव्वा - हिति सव्वदुक्खाणं तं काहिति ॥
१८४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव' अप्पाणं भावेमाणे विहरइ || १८५. तए णं समणे भगवं महावीरे ग्रण्णया कयाइ श्रालभियाम्रो नगरी संखवणाओ इया पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥
o
पोग्गल - परिव्वायग-पदं
१८६. तेणं कालेणं तेणं समएणं आलभिया नामं नगरी होत्था - वण्ण । तत्थ संखवणे नामं चेइए होत्था - वण्ण' । तस्स णं संखवणस्स चेइयस्स श्रदूरसामंते पोगले नाम परिव्वायए - रिउव्वेद - जजुव्वेद जाव' बंभण्णएसु परिव्वायएस य नए सुपरिनिट्ठिए छट्ठछट्टेणं प्रणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहा • गिज्भिय - पगिज्भिय सूराभिमुहे श्रायावणभूमीए मायावेमाणे विहरइ ॥ १८७. तए णं तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स छटुंछद्वेणं णिक्खित्तेणं तवोकमेणं उड्नुं बाहा पगिज्भिय - पगिज्भिय सूराभिमुहे श्रायावणभूमीए° प्रायावेमाणस्स पगइभद्दयाए" पगइउवसंतयाए पगइपयणुको हमाणमायालोभाए मिउमद्दवसंपन्नयाए अल्लीणयाए विणीययाए प्रण्णया कयाइ तयावरणिज्जाणं कम्माणं खोवसमेणं ईहापूह - मग्गण - गवेसणं करेमाणस्स विब्भंगे नामं नाणे " समुप्पन्ने। से णं तेणं विब्भंगेणं नाणेणं समुप्पन्नेणं बंभलोए कप्पे देवाणं ठिति
जाणइ पासइ ॥
१८८. तए णं तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स अयमेयारूवे ग्रज्झत्थिए ” • चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे • समुप्पज्जित्था - प्रत्थि णं ममं प्रतिसेसे नाणदंसणे
१. सं० पा० -- ठिइक्खणं जाव कहि ।
२. सं० पा० - सिज्झिहिति जाव अंतं ।
३. भ० १।५१।
४. ओ० सू० १ ।
५. ओ० सू० २-१३ ।
६. परिव्वायए परिवसति ( स ) ।
७. भ० २।२४ ।
८. सं० पा० - बाहाओ जाव आयावेमाणे । ६. सं० पा०छटुंछट्टे जाव आयावेमाणस्स
१०. सं० पा० - जहा सिवस्स जाव विब्भंगे । ११. अण्णाणे (अ) ।
१२. सं० पा० - अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था ।
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५३४
भगवई
सप्पन्ने, देवलोएसुणं देवाणं जहणणेणं दस वाससहस्साई ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया जाव ग्रसंखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं दससागरोमाइंठिती पण्णत्ता । तेण परं वोच्छिण्णा देवाय देवलोगा य-- एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता प्रयावणभूमी पच्चोरुहर, पच्चो रुहिता 'तिदंडं च कुंडियं च ' जाव' धाउरत्ताश्रो य गेहइ, गेण्हित्ता जेणेव श्रालभिया नगरी, जेणेव परिव्वायगा - वसहे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता भंडनिक्खेवं करेइ, करेत्ता आलभियाए नगरीए सिंघाडग'-तिग- चउक्क चच्चर-चउम्मुह महापह - पहेसु अण्णमण्णस्स एवमाइवखइ जाव परूवेइ प्रत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं प्रतिसेसे नाणदंसणे समुपपन्ने, देवलोएसु णं देवाणं जहणणेणं दसवाससहस्साई "ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया, जाव प्रसंखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं दससागरोमाई ठिती पण्णत्ता । तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य ॥ १८६. तए णं "पोग्गलस्स परिव्वायगस्स अंतियं एयम सोच्चा निसम्म आलभिया ए नगरीए सिंघाडग-तिग- चउक्क-चच्चर-चउम्मुह - महापह - पहेसुबहुजणो ग्रण्णमण्णस्स एवमाइक्ख'इ जाव परूवेइ - एवं खलु देवाणुप्पिया ! पोग्गले परिव्वायए एवमाइक्खइ जाव परूवेइ - प्रत्थि णं देवाणुप्पिया ! ममं प्रतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु देवलोएसु णं देवाणं जहणेणं दसवाससहस्साइं ठितो पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असंखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं दससागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । तेण परं वोच्छिण्णा देवाय देवलोगा य । ° से कह मेयं मन्ने एवं ?
o
१६०. सामी समोसढे, परिसा निग्गया । धम्मो कहियो, परिसा पडिगया । भगवं गोमे तव भिक्खायरियाए तहेव बहुजणसद्दं निसामेइ, निसामेत्ता तहेव सव्वं भाणियव्वं जाव' ग्रहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि, एवं भासामि जाव परूवेमि – देवलोएसु णं देवाणं जहणेणं दस वाससहस्साइं ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया जाव ग्रसंखेज्जसमयाहिया, उक्कोसें तेत्तीसं सागरोवमाइंठिती पण्णत्ता । तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य ॥ १९१. श्रत्थि णं भंते ! सोहम्मे कप्पे दव्वाई - सवण्णाई पि श्रवण्णाई पि, "सगंधाई पिगंधाई पि, सरसाई पि परसाई पि, सफासाई पि अफासाई
१. तिदंडकुंडियं ( अ. क, ख, ता, ब, म, स ) । २. भ० २।३१ ।
३. सं० पा० – सिंघाडग जाव पसु ।
४. सं० पा० - तहेव जाव वोच्छिण्णा ।
५. सं० पा० - आलभियाए नगरीए एवं एएणं
अभिलावेणं जहा सिवस्स तं चैव जाव से ।
६. सं० पा० - समोसढे जाव परिसा ।
७.
भ० ११।७५-७७ ।
८. सं० पा० - तहेव जाव हंता ।
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एककारसं सतं (बारसमो उद्देसो)
५३५ पि अण्णमण्णबद्धाइं अण्णमण्णपुट्ठाइं अण्णमण्णबद्धपुट्ठाइं अण्णमण्णघडत्ताए चिटुंति ? हत्ता अत्थि। एवं ईसाणे वि, एवं जाव' अच्चुए, एवं गेवेज्जविमाणेसु, अणुत्तरविमाणेसु वि, ईसिपब्भाराए वि जाव ?
हंता अत्थि ॥ १६२. तए णं सा महतिमहालिया परिसा जाव जामेव दिसि पाउन्भूया तामेव दिसं
पडिगया । १६३. तए णं पालभियाए नगरीए सिंघाडग-तिग- चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह
पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ जण्णं देवाणुप्पिया ! पोग्गले परिव्वायए एवमाइक्खइ जाव परूवेइ-अस्थि णं देवाणुप्पिया ! मम अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पन्ने, एवं खलु देवलोएसु णं देवाणं जहण्णणं दस वाससहस्साइं ठिती पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असंखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं दससागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । तेण परं वोच्छिण्णा देवा य देवलोगा य । तं नो इणद्वै समढे। समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव' देवलोएसु णं देवाणं जहण्णेणं दस वाससहस्साइं ठितो पण्णत्ता, तेण परं समयाहिया, दुसमयाहिया जाव असंखेज्जसमयाहिया, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। तेण परं वोच्छिण्णा देवा य
देवलोगा य॥ १९४. तए णं से पोग्गले परिव्वायए बहुजणस्स अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म संकिए
कंखिए वितिगिच्छिए भेदसमावन्ने कलससमावन्ने जाए यावि होत्था। तए णं तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स संकियस्स कंखियस्स वितिगिच्छियस्स
भेदसमावन्नस्स कलुससमावन्नस्स से विभंगे नाणे खिप्पामेव पडिवडिए॥ १६५. तए णं तस्स पोग्गलस्स परिव्वायगस्स अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए
मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-एवं खलु समणे भगवं महावीरे आदिगरे तित्थगरे जाव" सव्वण्ण सव्वदरिसी पागासगएणं चक्केणं जाव संखवणे चेहए
१. भ० ११।९४ ।
उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ २ २. भ० ११८२।
तिदंडकुडियं च जहा खंदओ जाव पव्वइओ ३. सं० पा०-अवसेसं जहा सिवस्स जाव सेसं जहा सिवस्स जाव।
सव्वदुक्खप्पहीणे, नवरं-तिदंडकुडियं जाव ४. भ० ११।८३, १६० । धाउरत्तवत्थपरिहिए परिवडियविब्भंगे आल- ५. भ० ११७ । भियं नगरि मझमझेणं निग्गच्छइ जाव ६. ओ० स० १६।
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५३६
भगवई
ग्रहापडिवं प्रोग्गहं योगिन्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं महाफलं खलु तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए, किमंग पुण अभिगमण-वंदण-नमंसण-पडिपुच्छण - पज्जुवासणयाए ? एगस्स वि
रियस धम्मियस्स सुवयणस्स सवणयाए, किमंग पुण विउलस्स अस्स गहणयाए ? तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि जाव' पज्जुवासामि, एयं णे इहभवे य परभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए ग्राणुगामियत्ताए भविस्सइति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता जेणेव परिव्वायगावसहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता परिव्वायगावसहं श्रणुष्पविसइ प्रणुष्पविसित्ता तिदंडं च कुंडियं च जाव' धाउरत्ताश्रो य गेहइ, गेण्हित्ता परिव्वायगावसहाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पडिवडियविब्भंगे आलभियं नगरि मज्भंमज्भेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव संखवणे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता नच्चासन्ने नातिदूरे सुस्सुसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणणं पंजलिकडे पज्जुवासइ ||
१६६. तए णं समणे भगवं महावीरे पोग्गलस्स परिव्वायगस्स तीसे य महतिमहालियाए परिसाए धम्मं परिकहेइ जाव' आणाए आराहए भवइ ||
१६७. तए णं से पोग्गले परिव्वायए समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं धम्मं सोच्चा निसम्म जहा खंदो जाव' उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं श्रवक्कमइ, अवक्कमित्तातिदंडं च कुंडियं च जाव' धाउरत्ताश्रो य एगंते एडेइ, एडेत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ, करेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहि करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं जहेव उसभदत्तो तहेव' पव्वइस्रो, तहेव एक्कारस अंगाई ग्रहिज्जइ, तहेव सव्वं जाव सव्वदुखी ||
१६८. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी - जीवा णं भंते ! सिज्झमाणस्स कयरम्मि संघयणे सिज्यंति ?
गोयमा ! वइरोस भणारायसंघयणे सिज्यंति, एवं जहेव प्रववाइए तहेव ।
१. भ० २।३० ।
२. भ० २।३१ ।
३. ओ० सू० ७१-७७ १
४. भ० २।५२ ।
५. भ० २।३१ ।
६. भ० ६ १५०, १५१ ।
७. भ० ६।१५१ ।
८. भ० । १५१ ।
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एककारसं सतं (बारसमो उद्देसो)
संघयणं संठाणं, उच्चत्तं पाउयं च परिवसणा। एवं सिद्धिगंडिया निरवसेसा भाणियव्वा जाव'
अव्वाबाहं सोक्खं, अणुभवंति सासयं सिद्धा ।। १६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।
१. प्रो० सू० १६५।
२. भ० ११५१ ।
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बारसमं सतं
पढमो उद्देसो १. संखे २. जयंति ३. पुढवि ४. पोग्गल ५. अइवाय ६. राहु ७. लोगे य ।
८. नागे य ६. देव १०. आया, बारसमसए दसुद्देसा ।।१।। संख-पोक्खली-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नाम नगरी होत्था-वण्णओ। कोट्टए चेइए
-वण्णो' । तत्थ णं सावत्थीए नगरीए बहवे संखप्पामोक्खा समणोवासया परिवसंति- अड्ढा जाव' बहुजणस्स अपरिभूया, अभिगयजीवाजीवा जाव' अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणा विहरति । तस्स णं संखस्स समणोवासगस्स उप्पला नाम भारिया होत्था-सुकुमालपाणिपाया जाव सुरूवा, समणोवासिया अभिगयजीवाजीवा जाव ग्रहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणी विहरइ । तत्थ णं सावत्थीए नगरीए पोक्खली नाम समणोवासए परिवसइ–अड्ढे, अभिगयजीवाजीवे जाव अहापरिग्गहिएहि तवोकम्मेहि
अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।। २. तेणं कालेणं तेणं समएण सामी समोसढे । परिसा जाव' पज्जुवासइ । तए णं
ते समणोवासगा इमीसे कहाए लट्ठा समाणा जहा पालभियाए जाव' पज्जुवासंति । तए णं समणे भगवं महावीरे तेसि समणोवासगाणं तीसे य महति
महालियाए परिसाए ‘धम्म परिकहेइ" जाव परिसा पडिगया । ३. तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवनो महावी रस्स अंतियं धम्म सोच्चा
निसम्म हट्ठतुट्ठा समणं भगवं महावीरं वदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता पसि
१. ओ० सू० १। २. प्रो० स०२-१३ । ३. भ० २०६४। ४. भ. २०६४ । ५. ओ० सू० १५ ।
६. ओ० सू० ५२। ७. भ० ११११७८ । ८. धम्मकहा (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ६. ओ० सू०७१-७६ ।
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बारसमं सतं (पढमो उद्देसो)
५३६ णाई पुच्छंति, पुच्छित्ता अट्ठाइं परियादियंति', परियादियित्ता उट्ठाए उडेति, उद्वेत्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियाओ कोट्टयानो चेइयायो पडि
निक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सावत्थी नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए । ४. तए णं से संखे समणोवासए ते समणोवासए एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणु
प्पिया ! विपुलं 'असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेह । तए णं अम्हे तं विपुल असणं पाणं खाइमं साइमं अस्साएमाणा' विस्साएमाणा 'परिभाएमाणा
परिभजेमाणा" पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणा विहरिस्सामो॥ ५. तए ण ते समणोवासगा संखस्स समणोवासगस्स एयम, विणएणं पडिसूणति ।। ६. तए णं तस्स संखस्स समणोवासगस्स अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए
मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था-नो खलु मे सेयं तं विपुलं असणं पाणं खाइम' साइमं अस्साएमाणस्स विस्साएमाणस्स परिभाएमाणस्स परिभुजेमाणस्स पक्खियं पोसह पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, सेयं खलु मे पोसहसालाए पोसहियस्स बंभचारिस्स अोमुक्कमणि-सुवण्णस्स ववगयमाला -वण्णग-विलेवणस्स निक्खित्तसत्थ-मुसलस्स एगस्स अबिइयस्स दब्भसंथारोवगयस्स पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणस्स विहरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता जेणेव सावत्थी नगरी, जेणेव सए गिहे, जेणेव उप्पला समणोवासिया, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उप्पल समणोवासिय प्रापच्छइ, ग्रापच्छित्ता जेणंव पोसहसाला तेणव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पोसहसालं अणुपविस्सइ, अणुपविस्सित्ता पोसहसालं पमज्जइ, पमज्जित्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता दब्भसथारगं संथरइ, संथरित्ता दब्भसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता पोसहसालाए पोसहिए बंभचारी 'प्रोमक्कमणि-सूवण्ण ववगयमाला-वण्णगविलवणे निक्खित्तसत्थ-मसले
एगे अबिइए दब्भसथारोवगए° पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणे विहरइ ।। ७. तए णं ते समणोवासगा जेणेव सावत्थी नगरी जेणेव साइं-साइं गिहाई. तेणेव
उवागच्छंति, उवागच्छित्ता विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवक्खडावेंति, उवक्खडावेत्ता अण्णमण्णं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणु
१. पडियाइयंति (ता)।
५. पोसहियं (तं) (ख, ता, म)। २. प्रसरणपाणखाइमसाइमं (क, ख, ता, ब, ६. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था। म)।
७. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. आसाएमारणा (स)।
८. पोसहियं (ख, ता, म,)। ४. परिभुजेमाणा परिभाएमारणा (अ, क, ख, ६. उम्मुक्क ° (ब, म)।
स); परि जमाणा परियाभाएमाणा १०. ° मल्लग (ता)। (ता)।
११. सं० पा०-बंभचारी जाव पक्खियं ।
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५४०
भगवई
प्पिया ! अम्हेहिं से विउले असण-पाण-खाइम-साइमे उवक्खडाविए, संखे य णं समणोवासए नो हव्वमागच्छइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं संखं समणोवासगं सद्दावेत्तए । तए णं से पोक्खली समणोवासए 'ते समणोवासए'' एवं वयासी-अच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सुनिव्वुय-वीसत्था, अहण्णं संखं समणोवासगं सद्दावेमि त्ति कटु तेसि समणोवासगाणं अंतियानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सावत्थीए नगरीए मज्झमझेणं जेणेव संखस्स समणोवासगस्स गिहे, तेणेव
उवागच्छइ, उवागच्छित्ता संखस्स समणोवासगस्स गिहं अणुपवितु ।। ६. तए णं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलि समणोवासयं एज्जमाणं पासइ,
पासित्ता हट्टतुट्ठा आसणाप्रो अब्भुढेइ, अब्भुतॄत्ता सत्तट्ठ पयाइं अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता पोक्खलि समणोवासगं वंदति नमंसति, वंदित्ता नमंसित्ता आसणेणं उवनिमंतेइ', उवनिमंतेत्ता एवं वयासी-संदिसतु णं देवाणुप्पिया !
किमागमणप्पयोयणं? १०. तए णं से पोक्खली समणोवासए उप्पलं समणोवासियं एवं वयासी-कहिणं'
देवाणुप्पिया ! संखे समणोवासए ? ११. तए णं सा उप्पला समणोवासिया पोक्खलि समणोवासयं एवं वयासी-एवं
खलु देवाणुप्पिया ! संखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए बंभचारी'
प्रोमक्कमणि-सवण्णे ववगयमाला-वण्णग-विलेवणे निक्खत्तसत्थ-मूसले एगे
अबिइए दब्भसंथारोवगए पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणे ° विहरइ ।। १२. तए णं से पोक्खली समणोवासए जेणेव पोसहसाला, जेणेव संखे समणोवासए,
तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गमणागमणाए पडिक्कमइ, पडिक्कमित्ता संखं समणोवासगं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी--एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हेहि से विउले असण-पाण-खाइम-साइमे उवक्खडाविए, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! तं विउलं असणं 'पाणं खाइमं° साइमं अस्साएमाणा' •विस्साएमाणा परिभाएमाणा परिभुजेमाणा पक्खियं पोसह पडिजा
गरमाणा विहरामो॥ १३. तए णं से संखे समणोवासए पोक्खलि समणोवासगं एवं वयासी–नो खलु
१. X (ख, ता, ब, म)। २. सुनिव्वया (अ, स)। ३. निमंतेइ (ता)। ४. कहि रणं (अ, क, ख, ता, ब, म)। ५. सं० पा०-बंभचारी जाव विहरइ ।
६. X (क, ख, ता, ब, म)। ७. सं० पा०-असरणं जाव साइमं । ८. सं० पा०–अस्साएमारणा जाव पडिजागर
मारणा।
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बारसमं सतं (पढमो उद्देसो)
५४१
कप्पइ देवाणुप्पिया ! तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं अस्साएमाणस्स •विस्साएमाणस्स परिभाएमाणस्स परिभुजेमाणस्स पक्खियं पोसहं° पडिजागरमाणस्स विहरित्तए, कप्पइ मे पोसहसालाए पोसहियस्स' 'बंभचारिस्स अोमुक्कमणि-सुवण्णस्स ववगयमाला-वण्णग-विलेवणस्स निक्खत्तसत्थ-मुसलस्स एगस्स अविइयस्स दब्भसंथारोवगयस्स पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणस्स° विहरित्तए, 'तं छदेणं' देवाणु प्पिया ! तुब्भे तं विउलं असणं पाणं खाइम साइमं अस्साएमाणा विस्साएमाणा परिभाएमाणा परिभुजेमाणा पक्खियं
पोसहं पडिजागरमाणा° विहरह ॥ १४. तए णं से पोक्खली समणोवासए संखस्स समणोवासगस्स अंतियानो पोसहसा
लामो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सावत्थि नगरि मज्झमझेणं जेणेव ते समणोवासगा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ते समणोवासए एवं वयासीएवं खलु देवाणुप्पिया ! संखे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए जाव' विहरइ, तं छंदेणं देवाणुप्पिया ! तुब्भे विउलं असणं' •पाणं खाइमं साइमं अस्साएमाणा विस्साएमाणा परिभाएमाणा परि जेमाणा पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणा° विहरह, संखे णं समणोवासए नो हव्वमागच्छइ । तए णं ते समणोवासगा तं विउलं असणं पाणं खाइम साइमं अस्साएमाणा जाव
विहरंति ॥ १५. तए णं तस्स संखस्स समणोवासगस्स पुव्व रत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं
जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था-सेयं खलु मे कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते समणं भगवं महावीरं वंदित्ता नमंसित्ता जाव पज्जुवासित्ता तओ पडिनियत्तस्स पक्खियं पोसहं पारित्तए त्ति कट्ट एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभायाए रयणोए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते पोसहसालारो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाई पवर परिहिए सानो गिहारो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचा रेणं सावत्थि नरि मझमझेणं निग्गच्छइ,
१. सं० पा०-अस्साएमाणस्स जाव पडिजा- ७. सं० पा०-अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था । गरमाणस्स।
८. भ० २।६६ । २. सं० पा०-पोसहियस्स जाव विहरित्तए। ६. भ० २।३१ । ३. तत्थ णं (अ); तं णं छंदेणं (ख)। १०. X (ब)। ४. सं० पा०-अस्साएमाणा जाव विहरह। ११. सं० पा०-मझमझेणं जाव पज्जूवासति ५. भ० १२।६।
अभिगमो नत्थि । ६. सं० पा०-असणं ४ जाव विहरह।
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५४२
भगवई
निग्गच्छिता जेणेव कोट्ठए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ,
वंदित्ता नमंसित्ता तिविहाए पज्जुवासणाए° पज्जुवासति ।। १६. तए णं ते समणोवासगा कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव' उट्टियम्मि सूरे
सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते ण्हाया कयबलिकम्मा जाव अप्पमहग्याभरणालंकियसरीरा सएहि-सएहिं गिहेहितो पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता एगयो मेलायति', मेलायित्ता 'पायविहारचारेणं सावत्थीए नगरोए मज्झमझेणं निग्गच्छंति, निग्गच्छित्ता जेणेव कोटर चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं जाव' तिविहाए पज्जु
वासणाए° पज्जुवासंति ॥ १७. तए णं समणे भगवं महावीरे तेसिं समणोवासगाणं तीसे य महतिमहालियाए
परिसाए 'धम्म परिकहेइ" जाव आणाए आराहए भवइ ।। १८. तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा
निसम्म हट्ठतुट्ठा उठाए उट्ठति, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव संखे समणोवासए, तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता संखं समणोवासयं एवं वयासो-तुमं णं देवाणुप्पिया ! हिज्जो अम्हे अप्पणा चेव एवं वयासी-तुम्हे णं देवाणुप्पिया ! विउलं असणं •पाणं खाइमं साइम उवक्खडावेह । तए णं अम्हे तं विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं अस्साएमाणा विस्साएमाणा परिभाएमाणा परि जेमाणा पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणा विहरिस्सामो । तए णं तुमं पोसहसालाए •पोसहिए बंभचारी प्रोमुक्कमणिसूवण्णे ववगयमाला-वण्णग-विलेवणे निक्खत्तसत्थ-मुसले एगे अबिइए दब्भसंथारोवगए पक्खियं पोसहं पडिजागरमाणे ° विहरिए, तं सुठ्ठ णं तुम देवाण
प्पिया! अम्हे हीलसि ॥ १६. अज्जोति ! समणे भगवं महावीरे ते समणोवासए एवं वयासी- मा णं अज्जो !
तुब्भे संखं समणोवासगं हीलह निंदह खिसह गरहह अवमण्णह । संखे णं समणोवासए पियधम्मे चेव, दढधम्मे चेव, सुदक्खुजागरियं जागरिए॥
१. भ० २।६६ ।
६. धम्मक हा (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. भ. २०६७।
७. ओ० सू० ७१-७७ । ३. मिलायति (अ, ख, ब, स)।
८. सं० पा०-असरणं जाब विहरिस्सामो। ४. सं० पा०-सेसं जहा पढमं जाव पज्जुवा- ६. सं० पा०-पोसहसालाए जाव विहरिए। संति ।
१०. हीलेसि (अ, स)। ५. भ० २।७।
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बारसमं सतं (पढमो उद्देसो)
५४३ २०. भंतेति ! भगवं गोयमे समगं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी-कतिविहा णं भंते ! जागरिया पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा जागरिया पण्णत्ता, तं जहा–बुद्ध जागरिया, अबुद्ध जागरिया,
सुदक्खुजागरिया ॥ २१. के केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ तिविहा जागरिया पण्णत्ता, तं जहा-बुद्धजा
गरिया, अबुद्धजागरिया, सुदक्खुजागरिया ? गोयमा ! जे इमे अरहता भगवतो उप्पण्णनाणदंसणधरा "अरहा जिणे केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियाणए ° सव्वण्णू सव्वदरिसी एए णं बुद्धा' बुद्धजागरियं जागरंति । जे इमे अणगारा भगवंतो रियासमिया' भासासमिया' •एसणासमिया पायाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिया उच्चार-पासवण-खेल-सिंघाण-जल्ल-परिट्ठावणियासमिया मणसमिया वइसमिया कायसमिया मणगुत्ता वइगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुत्ति दिया ° गुत्तबंभचारी-एए णं अबुद्धा अबुद्धजागरियं जागरंति । जे इमे समणोवासगा अभिगयजीवाजीवा जाव' अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणा विहरंति --एए णं सुदक्खुजागरियं जागरंति । से तेणढेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-तिविहा जागरिया पण्णत्ता, तं जहा बुद्धजागरिया,
अबुद्धजागरिया , सुदक्खुजागरिया ॥ २२. तए णं से संखे समणोवासए समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता
नमंसित्ता एवं वयासी-कोहवसट्टे णं भंते ! जीवे किं बंधइ ? किं पकरेइ ? कि चिणाइ ? कि उवचिणाइ ? संखा ! कोहवसट्टे णं जीवे अाउयवज्जानो सत्त कम्मपगडीअो सिढिलबंधणबद्धानो धणियबंधणबद्धानो पकरेइ, हस्सकालठिइयायो दीहकालठिइयानो पकरेइ, मंदाणुभावाप्रो तिव्वाणुभावाप्रो पकरेइ, अप्पपएसग्गाग्रो बहुप्पएसग्गाग्रो पकरेइ, आउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नो बंधइ, अस्सायावेयणिज्ज च णं कम्मं भुज्जो-भुज्जो उवचिणाइ, अणाइयं च णं अणव
दग्गं दोहमद्धं चाउरतं संसारकंतारं° अणुपरियट्टइ ।। २३. माणवसदृ णं भंते ! जीवे कि बंधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? कि
१. सं० पा०-जहा खंदए जाव सवण्णू । २. X (अ)। ३. इरिया ° (ब म)। ४. सं० पा०-भासासमिया जाव गुत्तबंभचारी। ५. ० चारिणो (अ)। ६. भ० २१६४।
७. सं० पा०-जागरिया जाव सुदक्खु । ८. सं० पा०–एवं जहा पढमसए असंवुडस्स
अणगारस्स जाव अरणपरियट्टइ । ६. सं० पा०—एवं चेव, एवं मायवस?
वि एवं लोभवसट्टे वि जाव अणुपरियट्टइ।
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५४४
भगवई उवचिणाइ ? एवं चेव जाव' अणुपरियट्टइ। २४. मायवसट्टे' णं भंते ! जीवे किं बंधइ ? कि पकरेइ ? किं चिणाइ ? कि उवचि
णाइ ? एवं चेव जाव' अणुपरियट्टइ।। २५. लोभवसट्टे णं भंते ! जीवे कि बंधइ ? कि पकरेइ ? कि चिणाइ ? कि उचचि
णाइ ? एवं चेव जाव' ० अणुपरियट्टइ ।। २६. तए णं ते समणोवासगा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियं एयमढे सोच्चा
निसम्म भीया तत्था तसिया संसारभउव्विग्गा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसंइ, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव संखे समणोवासए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता संखं समणोवासगं वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एयमटुं सम्म विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेंति । तए णं ते समणोवासगा पसिणाई पुच्छंति, पुच्छित्ता अढाइं परियादियति, परियादियित्ता समण भगवं महावीरं वंदंति
नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया । २७. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगव महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी-पभू णं भंते ! संखे समणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतियं "मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं पव्वइत्तए ? नो इण? सम?। गोयमा ! संखे समणोवासए बहूहिं सीलव्वय-गुण-वेरमणपच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे बहूई वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणिहिति, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसेहिति, झूसेत्ता सट्ठि भत्ताई अणसणाए छेदेहिति, छेदेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे काल किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणाभे विमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं चत्तारि पलियोवमाई ठिती पण्णत्ता । तत्थ णं संखस्स वि देवस्स चत्तारि पलिग्रोवमाई
ठिती भविस्सति ॥ २८. से णं भंते ! संखे देवे तानो देवलोगायो आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं
अणंतरं चयं चइत्ता कहि गच्छिहिति ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चि हिति परिणिव्वाहिति
सव्वदुक्खाणं° अंतं काहिति ॥ २६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।।
गया।
१. भ० १२।२२ । २. मायावयट्टे (ब, म)। ३. भ० १२।२२। ४. भ०१२।२२ ।
५. सं० पा०-सेसं जहा आलभियाए जाव
पडिगया। ६. सं०पा०-सेसं जहा इसिभद्दपुत्तस्स जाव अंतं । ७. भ० ११५१ ।
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५४५
बारसमं सतं (बीओ उद्देसो)
बीओ उद्देसो उदयरणादोणं धम्मसवरण-पदं ३०. तेणं कालेणं तेणं समएणं कोसंबी नाम नगरी होत्था ---वण्णयो। चंदोतरणे
चेइए-वण्णगो' । तत्थ णं कोसंबीए नगरीए सहस्साणीयस्स रण्णो पोत्ते, सयाणीयस्स रण्णो पुत्ते, चेडगस्स रण्णो नत्तुए, मिगावतीए देवीए अत्तए, जयंतीए समणोवासियाए भत्तिज्जए उदयणे नामं राया होत्था --वण्णप्रो। तत्थ णं कोसंबीए नयरीए सहस्साणीयस्स रणो सुण्हा, सयाणीयस्स रण्णो भज्जा, चेडगस्स रण्णो धूया, उदयणस्स रण्णो माया, जयंतीए समणोवासियाए भाउज्जा मिगावती नामं देवी होत्था—सुकुमालपाणिपाया जाव' सुरूवा समणोवासिया अभिगयजीवाजीवा जाव अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणो विहरइ । तत्थ णं कोसंबीए नगरोए सहस्साणोयस्स रण्णो धूया, सयाणीयस्स रण्णो भगिणी, उदयणस्स रण्णो पिउच्छा, मिगावतीए देवीए नणंदा, वेसालियसावयाणं अरहंताणं पुव्वसेज्जातरी जयंती नामं समणोवासिया होत्था -सुकुमालपाणिपाया जाव सुरूवा अभिगयजीवाजीवा जाव
अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणी विहरइ॥ ३१. तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव" परिसा पज्जुवासइ । ३२. तए णं से उदयणे राया इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्ठतु?२ कोडंबियपुरिसे
सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! कोसंवि नगरि सभिंतर-बाहिरियं पासित्त-सम्मज्जिप्रोवलित्तं करेत्ता य कारवेत्ता य एयमा
णत्तियं पच्चप्पिणह । एवं जहा कुणिो तहेव सव्वं जाव" पज्जुवासइ ।। ३३. तए णं सा जयंती समणोवासिया इमीसे कहाए लठ्ठा समाणी हट्टतुट्ठा जेणेव
मिगावती देवी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मिगावति देवि एवं वयासी-५
१. प्रो० सू० १।
६. वेसालीसावयाणं (अ, क, ख, ब, म, स)। २. चंदोत्तराए (अ); चंदोवरणे (ख); चंदो- १०. सिज्जायरी (अ, स)। वतरणे (स)।
११. ओ० सू० २२-५२ । ३. ओ० सू० २-१३ ।
१२. हट्टतुट्ठ (ता)। ४. उदायणे (अ); उद्दायणे (स)। १३. पू०-ओ० सू० ५५ । ५. ओ० स० १४ ।
१४. ओ० सू० ५६-६६ ।। ६. होत्था वण्णओ (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। १५. सं० पा०–एवं जहा नवमसए उसभदत्तो ७. प्रो० सू० १५।
जाव भविस्सइ। ८. भ० २।९४ ।
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५४६
भगवई
३४.
•एवं खलु देवाणुप्पिए ! समणे भगवं महावीरे आदिगरे जाव' सव्वण्णू सव्वदरिसी आगासगएणं चक्केणं जाव' सुहंसुहेणं विहरमाणे चंदोतरणे चेइए अहापडिरूवं प्रोग्गहं ओगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । तं महप्फलं खलु देवाणुप्पिए ! तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं नामगोयस्स वि सवणयाए जाव' एयं णे इहभवे य, परभवे य हियाए सुहाए खमाए निस्सेसाए प्राणुगामियत्ताए° भविस्सइ ।। तए णं सा मिगावती देवी जयंतीए समणोवासियाए एवं वुत्ता समाणी हवतुदृचित्तमाणंदिया णंदिया पोइमणा परमसोमणस्सिया हरिसवसविसप्पमाणहियया करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जयंतीए
समणोवासियाए एयमद्रं विणएणं पडिसूणेइ॥ ३५. तए णं सा मिगावती देवी कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी
खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! लहुकरणजुत्त-जोइय जाव' धम्मियं जाणप्पवरं
जुत्तामेव उवट्ठवेह' 'उवट्ठवेत्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह ॥ ३६. तए णं ते कोडंबियपुरिसा मिगावतीए देवीए एवं वुत्ता समाणा धम्मियं जाण
प्पवरं जुत्तामेव उवट्ठवेंति, उवट्ठवेत्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ।। ३७. तए णं सा मिगावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धि बहाया कयबलिकम्मा
जाव' अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरा बहूहिं खुज्जाहिं जाव चेडियाचक्कवालवरिसधर-थेरकंचुइज्ज-महत्तरगवंदपरिक्खित्ता अंतेउरानो निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव धम्मिए जाणप्पवरे तेणेव
उवागच्छइ, उवागच्छित्ता धम्मिए जाणप्पवरं ° दुरूढा" ॥ ३८. तए णं सा मिगावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धि धम्मियं जाणप्पवरं
दुरूढा" समाणी नियगपरियालसंपरिवुडा जहा उसभदत्तो जाव धम्मियात्रो
जाणप्पवरायो पच्चोरुहइ ॥ ३९. तए णं सा मिगावती देवी जयंतीए समणोवासियाए सद्धि बहूहिं जहा देवाणंदा
१. भ० १७।
७. भ० २।६७ । २. ओ० सू० १६ ।
८. भ० ६।१४४ । ३. भ० ६.१३६ ।
६. सं० पा०-उवागच्छित्ता जाव दुरूढा । ४. सं० पा० --जहा देवाणंदा जाव पडिसुणेइ। १०. दूढा (अ, क, ख, ता, ब, म)। ५. भ० ६।१४१ ।
११. द्रूढा (अ, क, ख, ता, ब, म)। ६. सं० पा०-उवट्टवेह जाव उवट्ठवेति जाव १२. भ० ६।१४५ ।
पच्चप्पिणंति।
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बारसमं सतं (वीओ उद्देसो)
५४७
जाव' वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता उदयणं रायं पुरस्रो कट्टु ठिया' चेव' • सपरिवारा सुस्सुसमाणी नमसमाणी अभिमुहा विणणं पंजलिकडा • पज्जुवासइ ॥
४०. तए णं समणे भगवं महावीरे उदयणस्स रण्णो मिगावतीए देवीए जयंतीए समणोवासिया तीसे य महतिमहलियाए परिसाए जाव धम्मं परिकहेइ जाव' परिसा पडिगया, उदयणे पडिगए, मिगावती वि पडिगया ||
जयंती-पसिण-पदं
४१. तए णं सा जयंती समणोवासिया समणस्स भगवग्रो महावीरस्स प्रतियं धम्मं सच्चा निसम्म हा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी - कहणं' भंते ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छंति ?
जयंती ! पाणाइवाएणं' मुसावाएणं प्रदिण्णादाणेण मेहुणेणं परिग्गहेणं कोहमाण- माया-लोभ-पेज्ज- दोस- कलह - प्रब्भक्खाण- पे सुन्न परपरिवाय प्ररतिरतिमायामोस-मिच्छादंसणसल्लेणं - एवं खलु जयंती ! जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छति ॥
४२. कहणं भंते ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छति ?
जयंती ! पाणाइवायवेरमणेणं मुसावायवे रमणेणं प्रदिण्णादाणवे रमणेणं मेहुणवेरमणं परिग्गहवेरमणेणं कोह- माण- माया-लोभ-पेज्ज-दोस - कलहभक्खाण-पेसुन्न परपरिवाय श्ररतिरति मायामोस - मिच्छादंसणसल्लवेरमणेणं - एवं खलु जयंती ! जीवा लहुयत्तं हव्वमागच्छति ॥
४३. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं आउलीकरेंति ?
जयंती ! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादंसणसल्लेणं - एवं खलु जयंती ! जीवा संसारं आउलीकरेंति ॥
४४. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं परिती करेंति ?
जयंती ! पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादंसणसल्ल वे रमणेणं - एवं खलु जयंती ! जीवा संसारं परित्तीकरेंति ।
४५. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं दीहीकरेंति ?
१. भ० ६।१४६ ।
२. ठितिया ( अ, क, ख, स ) ।
३. सं० पा० - चैव जाव पज्जुवासइ |
४. भ० ६१४६ ।
५. ओ० सू० ७१ ७९ ।
६. कह णं (क, ता, ब); कहं णं (ख, म);
कहिणं (स) ।
७. सं० पा० - पाणातिवाएणं जाव मिच्छादंसणसल्लेणं एवं खलु जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छति एवं जहा पढमसए जाव वीतिवयंति ।
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४६.
५४८
भगवई जयंती ! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं-एवं खलु जयंती ! जीवा संसारं दीहीकरेंति ॥ कहण्णं भंते ! जीवा संसारं ह्रस्सीकरेंति ? जयंतो पाणाइवायवेरमणेणं जाव' मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं-एवं खलु जयंती ! जीवा संसार हस्सीकरोति।। कहण्णं भंते ! जीवा संसारं अणुपरियÉति ? जयंती ! पाणाइवाएणं जाव मिच्छादंसणसल्लेणं-एवं खलु जयंती ! जीवा
संसारं अणुपरियÉति ॥ ४८. कहण्णं भंते ! जीवा संसारं वीतिवयंति ?
जयंती! पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छादसणसल्लवेरमणेणं-एवं खलु
जयंती ! जीवा संसारं वीतिवयंति ॥ ४६. भवसिद्धियत्तणं भंते ! जीवाणं किं सभावो? परिणामग्रो ?
जयंती ! सभावओ, नो परिणामयो । ५०. सव्वेवि णं भंते ! भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति ?
हंता जयंती ! सव्वेवि णं भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति ॥ ५१. जइ णं भंते ! सव्वे भवसिद्धिया जीवा सिज्झिस्संति, तम्हा णं भवसिद्धियविर
हिए लोए भविस्सइ?
नो इणटे सम8॥ ५२. से केणं खाइणं' अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सव्वेवि णं भवसिद्धिया जीवा
सिज्झिस्संति, नो चेव णं भवसिद्धियविरहिए लोए भविस्सइ ? जयंति ! से जहानामए सव्वागाससेढी सिया-अणादीया अणवदग्गा परित्ता परिवडा, सा णं परमाणपोग्गलमेत्तेहिं खंडेहि समए-समए अवहीरमाणीअवहीरमाणी अणंताहि प्रोसप्पिणी-उस्सप्पिणीहिं अवहीरंति, नो चेव णं अवहिया सिया। से तेणटेणं जयंती ! एवं वुच्चइ-सव्वेवि णं भवसिद्धिया
जीवा सिज्झिस्संति, नो चेव णं भवसिद्धिअविरहिए लोए भविस्सइ ।। ५३. सुत्तत्तं भंते ! साहू ? जागरियत्तं साह ?
जयंती ! अत्थेगतियाणं जीवाणं सुत्तत्तं साहू, प्रत्थेगतियाणं जीवाणं जागरियत्तं
साहू॥ ५४. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–अत्थेगतियाणं' जीवाणं सुत्तत्तं साहू, अत्थेगति
याणं जीवाणं जागरियत्तं ° साहू ? जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया अहम्माणुया अहम्मिट्ठा अहम्मक्खाई अहम्म
पलोई अहम्मपलज्जणा अहम्मसमुदायारा अहम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विह१. खाइएणं (ता); खातेणं (स)।
२. सं० पा०–अत्थेगतियाणं जाव साह ।
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बारसमं सतं (बीओ उद्देसो)
५४६ रंति, एएसि णं जीवाणं सुत्तत्तं साहू । एए णं जीवा सुत्ता समाणा नो बहणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुक्खणयाए सोयणयाए 'जूरणयाए तिप्पणयाए पिट्टणयाए° परियावणयाए वट्ठति । एए णं जीवा सुत्ता समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा नो बहूहिं अहम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति एएसि णं जीवाणं सुत्ततं साहू। जयंती ! जे इमे जीवा धम्मिया धम्माणुया' धम्मिट्ठा धम्मक्खाई धम्मपलोई धम्मपलज्जणा धम्मसमुदायारा° धम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, एएसि णं जीवाणं जागरियत्तं साहू । एए णं जीवा 'जागरा समाणा" बहणं पाणाणं' 'भूयाणं जीवाणं ° सत्ताणं अदुक्खणयाए 'असोयणयाए अजरणयाए अतिप्पणयाए अपिट्टणयाए ° अपरियावणयाए वट्ठति । एएणं जीवा जागरा समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा बहूहि धम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति । एए णं जीवा जागरा समाणा धम्मजागरियाए अप्पाणं जागरइत्तारो भवंति । एएसि णं जीवाणं जागरियत्तं साहू । से तेणद्वेणं जयंती ! एवं वच्चइ-अत्थेगतियाणं जीवाणं सुत्तत्तं साहू, अत्थेगतियाणं जीवाणं जागरियत्तं
साहू॥ ५५. बलियत्तं भंते ! साहू ? दुब्बलियत्तं साह ?
जयंती ! अत्यंगतियाणं जीवाणं बलियत्तं साहू, अत्थेगतियाणं जीवाणं दुब्बलियत्तं साहू॥ से केणट्रेण भंते ! एवं वुच्चइ - 'अत्थेगतियाणं जीवाणं बलियत्तं साह, अत्थेगतियाणं जीवाणं दुब्बलियत्तं° साहू ? । जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया जाव अहम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, एएसि णं जीवाणं दुब्बलियत्तं साहू । एए णं जीवा "दुब्बलिया समाणा नो बहणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुक्खणयाए जाव परियावणयाए वटंति । एए णं जीवा दुब्बलिया समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा नो बहहिं अहम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति। एएसि णं जीवाणं दुब्बलियत्तं साहू।
१. सं०पा०-सोयरणयाए जाव परियावणयाए। २. सं० पा०-धम्मारण्या जाव धम्मेणं । ३. जागरमारणा (अ, क, ख) । ४. सं० पा०-पारगाणं जाव सत्ताणं । ५. सं० पा०-अदुक्खणयाए जाव अपरियावण
याए।
७. सं० पा०-वुच्चइ जाव साह । ८. भ० १२।५४ । ९. सं० पा०-एवं जहा सुत्तस्स तहा दुब्बलिय
वत्तव्वया भारिणयव्वा, बलियस्स जहा जागरस्स तहा भाणियव्वं जाव संजोएत्तारो।
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भगवई
जयंती ! जे इमे जीवा धम्मिया जाव धम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, एएसि णं जीवाणं बलियत्तं साहू । एए णं जीवा बलिया समाणा बहूणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं अदुक्खणयाए जाव अपरियावणयाए वट्ठति। एए णं जीवा बलिया समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा बहूहि धम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति । एएसि णं जीवाणं बलियत्तं साहू । से तेणटेणं जयंती ! एवं वुच्चइ- 'अत्थेगतियाणं जीवाणं बलियत्तं साहू, अत्थेगतियाणं
जीवाणं दुब्बलियत्तं ° साहू। ५७. दक्खत्तं भंते ! साहू ? आलसियत्तं साहू ?
जयंती ! अत्थेगतियाणं जीवाणं दक्खत्तं साहू, अत्थेगतियाणं जीवाणं पाल
सियत्तं साहू ॥ ५८. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ- अत्थेगतियाणं जीवाणं दक्खत्तं साहू, अत्थे
गतियाणं जीवाणं पालसियत्तं० साहू ? जयंती ! जे इमे जीवा अहम्मिया जाव अहम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, एएसि णं जीवाणं पालसियत्तं साहू । एए णं जीवा आलसा' समाणा नो बहूणं "पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं दुक्खणयाए जाव परियावणयाए वटुंति । एए णं जीवा पालसा समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा नो बहूर्हि अहम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति । एएसि णं जीवाणं आलसियत्तं साहू। जयंति ! जे इमे जीवा धम्मिया जाव धम्मेणं चेव वित्ति कप्पेमाणा विहरंति, एएसिणं जीवाणं दक्खत्तं साहू। एए णं जीवा दक्खा समाणा बहणं पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं अदुक्खणयाए जाव अपरियावणयाए वटुंति । एए णं जीवा दक्खा समाणा अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा बहूहिं धम्मियाहिं संजोयणाहिं संजोएत्तारो भवंति । एए णं जीवा दक्खा समाणा बहूहिं पायरियवेयावच्चेहि उवज्झायवेयावच्चेहि थेरवेयावच्चेहिं तवस्सिवेयावच्चेहिं गिलाणवेयावच्चेहिं सेहवेयावच्चेहिं कुलवेयावच्चेहिं गणवेयावच्चेहिं संघवेयावच्चेहि साहम्मियवेयावच्चेहिं अत्ताणं संजोएत्तारो भवंति, एएसि णं जीवाणं दक्खत्तं साहू । से ते णद्वेणं "जयंती ! एवं वुच्चइ-अत्थेगतियाणं जीवाणं दक्खत्तं साहू, अत्थेगतियाणं जीवाणं पालसियत्तं° साहू ॥
१. सं० पा०-तं चेव जाव साहू।
भाणियव्वा, जहा जागरा तहा दक्खा २. सं० पा०-तं चेव जाव साहू।
भाणियव्वा जाव संजोएत्तारो। ३. अलसा (अ, ब)।
५. वेदावच्चेहिं (अ, ब)। ४. सं० पा०-जहा सुत्ता तहा आलसा ६. सं० पा०-तं चेव जाव साहू।
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बारसमं सतं (तइओ उद्देसो)
५५१
५६. सोइंदियवसट्टे णं भंते ! जीवे किं बंधइ ? कि पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ?
जयंती ! सोइंदियवसट्टे णं जीवे प्राउयवज्जाओ सत्त कम्मपगडीओ सिढिलबंधणबद्धानो धणियबंधणबद्धाम्रो पकरेइ, हस्सकालठियाश्रो दीहकालठिइयाश्रो पकरेइ, मंदाणुभावाम्रो तिव्वाणुभावाओ पकरेइ, अप्प एग्गा बहुप्पएसग्गा करेइ, प्राउयं च णं कम्मं सिय बंधइ, सिय नो बंधइ, ग्रस्सायावेयणिज्जं च णं कम्मं भुज्जो - भुज्जो उवचिणाइ, प्रणाइयं च णं प्रणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतं संसारकंतारं प्रणुपरियट्टइ ॥
o
६०. चक्खि दिवसट्टे णं भंते ! जीवे किं बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ?
किं उवचिणाइ ? एवं चेव जाव अणुपरियट्टइ ॥
६१. घाणिदियवसट्टे णं भंते ! जीवे कि बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? एवं चेव जाव णुपरियट्टइ ||
६२. रसिंदियवसट्टे णं भंते ! जीवे कि बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? एवं चेव जाव णुपरियदृइ ॥
६३. फासिंदियवसट्टे णं भंते ! जीवे किं बंधइ ? किं पकरेइ ? किं चिणाइ ? किं उवचिणाइ ? एवं चेव जाव' अणुपरियदृइ ||
६४. तए णं सा जयंती समणोवासिया समणस्स भगवत्र महावीरस्स प्रतियं एयमट्ठ सच्चा निसम्म हट्टा सेसं जहा देवाणंदा तहेव पव्वइया जाव' सव्वदुक्खप्पहीणा ॥
६५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
तइओ उसो
पुढवी-पदं
६६. रायगिहे जाव' एवं वयासी - कति णं भंते ! पुढवीओ पण्णत्ताओ ? गोमा ! सत्त पुढवीओ पण्णत्ता, तं जहा - पढमा, दोच्चा जाव सत्तमा ।
१. सं० पा० - एवं जहा कोहवसट्टे तहेव जाव अणुपरियट्टा ।
२. सं० पा० एवं चक्खिदियवसट्टे वि एवं
जाव फासिंदियवसट्टे वि जाव अणपरिय
इ
३. भ० ६।१५२-१५५ ।
४. भ० १।५१ ।
५. भ० ११४-१० ।
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५५२
६७. पढमाणं भंते ! पुढवी किंगोत्ता पण्णत्ता ?
गोयमा ! घम्मा नामेणं, रयणप्पभा गोत्तेणं, एवं जहा जीवाभिगमे पढमो नेरउसो सो चेव निरवसेसो भाणियव्वो जाव' अप्पाबहुगं ति ।। ६८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।।
उत्थो उद्देसो
परमाणुपोग्गलाणं संघात - भेद-पदं
६६. रायगिहे जाव एवं वयासी - दो भंते ! परमाणुपोग्गला एगयत्रो साहण्णंति, साहण्णित्ता किं भवइ ?
भगवई
गोयमा ! दुष्पएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा कज्जइ एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो परमाणुपोग्गले भवइ ||
७०. तिष्णि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहरणंति, साहणित्ता किं भवइ ? गोमा ! तिपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वितिहा वि कज्जइहा कज्जमा गयो परमाणु पोग्गले, एगयो दुपए सिए खंधे भवइ । तिहा कमाणे तिणि परमाणुपोग्गला भवंति ॥
७१. चत्तारि भंते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णंति, साहणित्ता किं भवइ ? ०
गोमा ! च उप एसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि चउहा वि कज्जइ - दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा दो दुपएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपए सिए खंधे भवइ । चउहा कज्जमाणे चत्तारि परमाणुपोग्गला भवंति ॥
१. जी०३ ।
२. भ० १।५१ ।
३. भ० १।४ - १० ।
७२. पंच भंते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहणंति, साहणित्ता किं भवइ ? ० गोमा ! पंचपसि खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि चउहा वि पंचहा विकज्जइ - दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयत्रो चउपए
४. सं० पा० - साहणंति जाव पुच्छा । ५. सं० पा० - पुच्छा ।
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बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
५५३
सिए खंधे भवइ; अहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ। तिहा कज्जमाणे एगयनो दो परमाणपोग्गला एगयो तिपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दो दुपएसिया खंधा भवंति। चउहा कज्जमाणे एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयनो दुपएसिए खंधे
भवइ । पंचहा कज्जमाणे पंच परमाणुपोग्गला भवंति ।। ७३. छब्भंते ! परमाणुपोग्गला "एगयो साहण्णंति, साहणित्ता किं भवइ ? ०
गोयमा छप्पएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि जाव छव्विहा वि कज्जइ-दहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो पंचपएसिए खंधे भवग्रहवा एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयनो चउपएसिए खंधे भवड: अहवा दो तिपएसिया खंधा भवंति। तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो चउपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ ; अहवा तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिया खंधा भवंति । पंचहा कज्जमाणे एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयनो दुपएसिए खंधे भवइ । छहा कज्जमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति ॥ सत्त भंते ! परमाणुपोग्गला 'एगयओ साहणंति, साहणित्ता किं भवइ ? ' गोयमा ! सत्तपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव सत्तहा वि कज्जइ- दुहा कज्जमाणे एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो तिपएसिए खंधे, एगयनो चउपए सिए खंधे भवइ । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणपोग्गला, एगयनो पचपएसिए खधं भवइ; अहवा एगयो परमाणपोग्गले. एगयनो दपएसिए खंधे, एगयनो चउपएसिए खंधे भवडः अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयनो दो तिपएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयो दो दुपएसिया खंधा, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ । चउहा कज्जमाणे एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति ! पंचहा कज्जमाणे एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपए
१. सं० पा०-पुच्छा।
२. सं० पा०—पुच्छा।
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५५४
भगवई
सिया खंधा भवंति । छहा कज्जमाणे एगयो पंच परमाणुपोग्गला, एगयो
दुपएसिए खंधे भवइ । सत्तहा कज्जमाणे सत्त परमाणुपोग्गला भवंति ।। ७५. अट्ट भंते ! परमाणुपोग्गला "एगयनो साहण्णंति, साहणित्ता किं भवइ ? ०
गोयमा ! अट्ठपएसिए खंधे भवइ। • से भिज्जमाणे दुहा वि जाव अट्ठहा वि कज्जइ °— दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो सत्तपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो दुपए सिए खंधे, एगयनो छप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो तिपएसिए खंधे, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ ; अहवा दो चउप्पएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयनो दो परमाणुपोग्गला भवंति, एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयनो दुप्पएसिए खंधे, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयनो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयो दो तिपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयनो पंचपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो दोण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दो दुपएसिया खंधा, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ ; अहवा चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति । पंचहा कज्जमाणे एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयनो चउप्पए सिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति। छहा कज्जमाणे एगयो पंच परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपएसिया खंधा भवंति। सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला, एगयनो दुपएसिए खंधे भवइ । अट्टहा कज्जमाणे अट्ठ परमाणुपोग्गला भवंति ॥ नव भंते ! परमाणुपोग्गला "एगयनो साहण्णंति, साहणित्ता किं भवइ ? ' गोयमा ! 'नवपएसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव नवहा वि कज्जइ -- दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयनो अट्ठपएसिए खंधे
१. सं० पा०-पुच्छा। २. सं. पा०-भवइ जाव दुहा । ३. सं० पा०-पुच्छा।
४. सं० पा०-गोयमा जाव नवहा । ५. नवविहा (ता, स)।
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बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
५५५ भवइ; "ग्रहवा एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयनो सत्तपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो तिपएसिए खंधे, एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ ; ° अहवा एगयनो चउप्पएसिए खंधे, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो सत्तपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयग्रो दुपएसिए खंधे, एगयनो छप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयनो पंचपएसिए खंधे भव; अहवा एगयनो परमाणपोग्गले, एगयनो दो चउप्पएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयनो दपएसिए खंधे, एगयनो तिपएसिए खंधे. एगयनो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा तिण्णि तिपएसिया खंधा भवंति। चउहा कज्जमाणे एगयो तिणि परमाणुपोग्गला, एगयो छप्पएसिए खंधे भवाइ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयओ पंचपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो तिपएसिए खंधे, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ, अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयओ दो दुपएसिया खंधा, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयो तिण्णि दुप्पएसिया खंधा, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ । पंचहा कज्जमाणे एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ'; अहवा एगयनो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो दो तिपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिया खंधा, एगयनो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति । छहा कज्जमाणे एगयो पंच परमाणपोग्गला एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयनो दुप्पएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो तिण्णि दुप्पए सिया खंधा भवंति । सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणुपोग्गला, एगयो तिप्पएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो पंच परमाणुपोग्गला, एगयनो दो दुपएसिया खंधा भवंति । अट्टहा कज्जमाणे एगयओ सत्त परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे भवइ ।
नवहा कज्जमाणे नव परमाणुपोग्गला भवंति ॥ ७७. दस भंते ! परमाणुपोग्गला' 'एगयो साहण्णंति, साहणित्ता कि भवइ ?
२. सं० पा-पोग्गला जाव दुहा।
१. सं० पा०–एवं एक्केक्कं संचारतेहिं जाव
अहवा।
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५६
भगवई
गोमा ! दस एसिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि कज्जइ० - - दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो नवपएसिए खंधे भवइ ; ग्रहवा एगयो दुपएसिए खंधे, एगयओ एसिए खंधे भवइ ;
हवा एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयो सत्तपए सिए खंधे भवइ ; ग्रहवा एगयत्रो चउप्पएसिए खंधे, एगयओ छप्पएसिए खंधे भवइ ० ; ग्रहवा दो पंचपएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगो एसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपए सिए खंधे, एगयो सत्तपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयो छप्पएसिए खंधे भवइ; सहवा एगयग्रो परमाणुपोग्गले, एगयो चउप्पएसिए खंधे, एगयग्रो पंचपए सिए खंधे भवइ; हवा एगो दुपएसिए खंधे, एगयो दो चप्पएसिया खंधा भवंति ग्रहवा एगयत्रो दो तिपएसिया खंधा, एगयो सिधे भवइ । चउहा कज्जमाणे एगयओ तिष्णि परमाणुपोगला, एगओ सत्त एसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एग दुपए सिए खंधे, एगयत्रो छप्पएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो तिप्पएसिए खंधे, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ; हवा एगो दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो चउप्पएसिया खंधा भवंति ; हवा एगो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो तिणि तिपएसिया खंधा भवंति ग्रहवा एगयो तिणि दुपएसिया खंधा, एगो चउप्पए सिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो दो दुपएसिया खंधा, एगयो दो पिएसिया खंधा भवंति । पंचहा कज्जमागे एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो छप्पए सिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो तिष्णि परमाणुपोग्ला, एगो दुपएसिए खंधे, एगयत्रो पंचपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो तिणि परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयत्रो चउपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो दुपएसिया खंधा, एगो चउप्पएसिए खंधे भवइ, ग्रहवा एगयत्रो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपसि खंधे, एगयओ दो तिपएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयो परमाणुपोगले, एगयो तिणि दुपएसिया खंधा, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा पंच दुपएसिया खंधा भवंति । छहा कज्जमाणे एगयो पंच
१. सं० पा०
- एवं एक्केक्कं संचारेंतेगं जाव अहवा ।
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बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
परमाणुपोग्गला, एगयो पंचपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो चउपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो दो तिपएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयनो तिण्णि परमाणु पोग्गला, एगयो दो दुपएसिया खंधा, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो चत्तारि दुपएसिया खंधा भवंति। सत्तहा कज्जमाणे एगयो छ परमाणपोग्गला, एगयनो चउप्पएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो पंच परमाणु पोग्गला, एगयो दुपए सिए खंधे, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिण्णि दुपएसिया खंधा भवंति । अट्ठहा कज्जमाणे एगयनो सत्त परमाणुपोग्गला, एगयो तिपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयनो छ परमाणुपोग्गला, एगयनो दो दुपएसिया खंधा भवंति । नवहा कज्जमाणे एगयनो अट्ठ परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे भवइ । दसहा कज्जमाणे दस परमाणुपोग्गला भवंति ।।। संखेज्जा णं भंते ! परमाणुपोग्गला एगयो साहण्णंति, साहणित्ता किं भवइ ? गोयमा ! संखेज्जपए सिए खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि संखेज्जहा वि कज्जइ–दुहा कज्जमाणे एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयनो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ ; एगयओ तिपएसिए खंधे, एगयनो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; एवं जाव अहवा एगयो दसपएसिए खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयनो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले ; एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो तिपएसिए खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ ; एवं जाव अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयनो दसपएसिए खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; एवं जाव अहवा एगयो दसपएसिए खंधे, एगयओ दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा तिण्णि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयओ तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंध, एगयओ संखेज्जपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो तिप्पएसिए खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; एवं जाव अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयनो दसपएसिए
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भगवई
खंधे, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो दो संखेज्जपएसिया खंवा भवंति ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयनो दुपएसिए खंवे, एगयो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति जाव अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले एगयो दसपएसिए खंधे, एगयनो दो संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा एगयनो परमाणपोग्गल, एगयओं तिण्णि सखेज्जपएसिया खंधा भवति; अहवा एगयनो दूपएसिए खंधे, एगयो तिण्णि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति जाव अहवा एगयनो दसपएसिए खंधे, एगयनो तिणि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति ; अहवा चत्तारि संखेज्जपएसिया खंधा भवंति ; एवं एएणं कमेणं पंचगसंजोगो वि भाणियव्वो जाव नवगसंजोगो। दसहा कज्जमाणे एगयनो नव परमाणुपोग्गला, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो अट्ठ परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे भवइ । एएणं कमेणं एक्केक्को पूरेयव्वो जाव अहवा एगयो दसपएसिए खंधे, एगयो नव संखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा दस संखेज्जपएसिया
खंधा भवंति । संखेज्जहा कज्जमाणे संखेज्जा परमाणुपोग्गला भवंति ॥ ७६. असंखेज्जा भंते ! परमाणुपोग्गला एगयओ साहण्णंति', साहणित्ता किं भवइ ?
गोयमा ! असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ। से भिज्जमाणे दुहा वि जाव दसहा वि, संखेज्जहा वि, असंखेज्जहा वि कज्जइ-दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयनो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ जाव अहवा एगयो दसपएसिए खंधे भवइ, एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो संखेज्ज. पएसिए खंधे, एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ ; अहवा दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयो दो परमाणुपोग्गला, एगयो असंखज्जपएसिए खंध भवइ; अहवा एगयो परमाणपोग्गले. एगयो दपए. सिए खंधे, एगयनो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ जाव अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो दसपएसिए खंधे, एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो संखेज्जपएसिए खंधे, एगयो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति ; अहवा एगयनो दुपएसिए खंधे, एगयओ दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति ; एवं जाव अहवा एगयो संखेज्जपएसिए खंधे, एगयो दो असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति; अहवा तिण्णि असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयनो असंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; एवं चउक्कगसंजोगो जाव दसगसंजोगो। एए जहेव
संखेज्जपएसियस्स, नवरं-असंखेज्जगं एगं अहिगं भाणियव्वं जाव अहवा दस १. साहणंति (अ, क, ख, म, स)।
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बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
५५६
असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति । संखेज्जहा कज्जमाणे एगयो संखेज्जा परमाणुपोग्गला, एगयो प्रसंखेज्जपएसिए खंधे भवइ, ग्रहवा एगयो संखेज्जा दुपएसिया खंधा, एगयो प्रसंखेज्जपए सिए खंधे भवइ; एवं जाव अहवा एगो संखेज्जा दसपएसिया खंधा, एगयो प्रसंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो संखेज्जा संखेज्जपएसिया खंधा, एगयो प्रसंखेज्जपएसिए खंधे भवइ; अहवा संखेज्जा असंखेज्जपएसिया खंधा भवंति । असंखेज्जहा कज्जमाणे प्रसंखेज्जा परमाणुपोग्गला भवंति ॥
८०. अणंताणं भंते ! परमाणुपोग्गला' एगयो साहणंति, साहणित्ता • किं भवइ ?
0
गोमा ! तपसि खंधे भवइ । से भिज्जमाणे दुहा वि तिहा वि जाव दसहा वि 'संखेज्जहा वि असंखेज्जहा वि" श्रणंतहा वि कज्जइ - दुहा कज्जमाणे एग यो परमाणुपोग्गले एगयो प्रणतपएसिए खंधे भवइ जाव ग्रहवा दो प्रणतएसिया खंधा भवंति । तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ जाव अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, raat संखेज्ज एसिए खंधे, एगयओ प्रणतपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयो परमाणुपोग्गले, एगयो दो अणतपएसिया खंधा भवंति ग्रहवा एग दुपएसिए खंधे, एगयो दो अनंतपएसिया खंधा भवंति, एवं जाव हवा एगयो दसपएसिए खंधे, एगयी दो प्रणतपएसिया खंधा भवंति ; हवा एगयो संखेज्जपएसिए खंधे, एगयत्रो दो प्रणतपएसिया खंधा भवंति हवा एगो संखेज्जपए सिए खंधे, एगयो दो प्रणतपएसिया खंधा भवंति ; हवा तिणि तपएसिया खंधा भवंति । चउहा कज्जमाणे एगयो तिण्णि परमाणुपोग्गला, एगयो अनंतपएसिए खंधे भवइ; एवं चउक्कसंजोगो जाव संखेज्जगसंजोग । एते सव्वे जहेव असंखेज्जाणं भणिया तहेव प्रणताण वि भाणियव्वं, नवरं - एक्कं प्रणतगं अब्भहियं भाणियव्वं जाव ग्रहवा एगयो संखेज्जा संखेज्जपएसिया खंधा, एगयो प्रणतपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो संखेज्जा असंखेज्जपएसिया खंधा, एगयो अनंतपए सिए खंधे भवइ; ग्रहवा संखेज्जा प्रणतपएसिया खंधा भवंति । श्रसंखेज्जहा कज्जमाणे एगयो असंखेज्जा परमाणुपोग्गला, एगयो प्रणतपएसिए खंधे भवइ; ग्रहवा एगयो असंखेज्जा दुपएसिया खंधा, एगयओ अणतपए सिए खंधे भवइ जाव अहवा
;
१. सं० पा०- परमाणुपोग्गला जाव किं ।
२. संखेज्जाअसंखेज्ज ( अ, क, ब, स ) ; संखेज्जा
असंखेज्जा (ख, म ): संखेज्जाऽसंखेज्जा (ता) ।
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५६०
भगवई
एगयनो असंखेज्जा संखेज्जपएसिया खंधा, एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ; अहवा एगयनो असंखेज्जा असंखेज्जपएसिया खंधा, एगयो अणंतपएसिए खंधे भवइ ; अहवा असंखेज्जा अणंतपएसिया खंधा भवंति। अणंतहा कज्जमाणे
अणंता परमाणुपोग्गला भवंति ।। पोग्गलपरियट्ट-पदं ८१. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं साहणणा-भेदाणुवाएणं अणंताणता
पोग्गलपरियडा समणुगतव्वा भवंतीति मक्खाया? हंता गोयमा ! एएसि णं परमाणुपोग्गलाणं साहणणा भेदाणुवाएणं अणंताणंता
पोग्गलपरियट्टा समणुगंतव्वा भवंतीति ° मक्खाया । ८२. कइविहे णं भंते ! पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते ? ।
गोयमा ! सत्तविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते, तं जहा–ोरालियपोग्गलपरियट्टे, वेउव्वियपोग्गलपरियट्टे, तेयापोग्गलपरियट्टे, कम्मापोग्गलपरियट्टे, मणपोग्गल
परियट्टे, वइपोग्गलपरियट्टे, प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टे॥ ८३. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते ? ।
गोयमा ! सत्तविहे पोग्गलपरियट्टे पण्णत्ते, तं जहा-ओरालियपोग्गलपरियट्टे, वेउव्वियपोग्गलपरियट्टे जाव' आणापाणुपोग्गलपरियट्टे। एवं जाव'
वेमाणियाणं ।। ८४. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया पोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ?
अणंता। केवइया पुरेक्खडा ? कस्सइ अत्थि, कस्सइ नत्थी । जस्सत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा,
उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा ॥ ८५. एगमेगस्स णं भंते ! असुरकुमारस्स केवइया पोरालियपोग्गलपरियट्टा
अतीता? अणंता। केवइया पुरेक्खडा ? कस्सइ अत्थि, कस्सइ नत्थि । जस्सत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा ।° एवं जाव वेमाणियस्स ।।
१. सं० पा०-साहणणा जाव मक्खाया। २. प्राणपाण° (ख)। ३. भ० १२१८२।
४. पू०प०२। ५. पुरेक्कडा (अ); पुरक्खडा (क, ता)। ६. सं० पा०-एवं चेव जाव एवं ।
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बारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
८६. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स केवइया वेउव्वियपोग्गल परियट्टा अतीता ? अणंता । एवं जहेव ओरालियपोग्गलपरियट्टा तहेव वेजव्वियपोग्गलपरियट्टावि भाणियव्वा । एवं जाव' वेमाणियस्स । एवं जाव' प्राणापाणुपोग्गल परियट्टा । एते एगत्तिया सत्त दंडगा भवंति ॥
८७. नेरइयाणं भंते! केवइया प्रोरालियपोग्गलपरियट्टा प्रतीता ?
अनंता ।
केवइया पुरेक्खडा ?
अनंता । एवं जाव वेमाणियाणं । एवं वेउव्वियपोग्गल परियट्टावि । एवं जाव प्राणापाणुपोग्गल परियट्टा वेमाणियाणं । एवं एए पोहत्तिया सत्त चउव्वीसतिदंडगा ॥
८८. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया श्रोरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ?
for raat fa | केवतिया पुरेक्खडा ? for raat fa ||
८६. एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स असुरकुमारते केवतिया प्रोरालियपोग्गलपरियट्टा प्रतीता ?
एवं चेव । एवं जाव थणियकुमारते ॥
६०. एगमेगस्स णं भंते! नेरइयस्स पुढविक्काइयत्ते केवतिया ओरालियपोग्गल - परियट्टा प्रतीता ?
प्रणता ।
५६१
केवतिया पुरेक्खडा ?
कस्सइ प्रत्थि, कस्सइ नत्थि । जस्सत्थि जहणेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा श्रसंखेज्जा वा प्रणता वा । एवं जाव मणुस्सत्ते । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियत्ते जहा असुरकुमारत्ते ॥
६१. एगमेगस्स णं भंते! ग्रसुरकुमारस्स नेरइयत्ते केवतिया ओरालियपोग्गल - परियट्टा ?
१. पू० प० २ ।
२. भ० १२८२ ।
३. कुमारते जहा असुरकुमारते ( अ, स ) ।
एवं जहा ने रइयस्स वत्तव्वया भणिया, तहा असुरकुमारस्स वि भाणियव्वा जाव माणियत्ते । एवं जाव थणियकुमारस्स । एवं पुढविक्काइयस्स वि । एवं जव मणिस्स । सव्वेसि एक्को गमो ॥
४. सव्वेसि उ ( तः) ।
५. गमओ (क, ता, ब, म, स ) ।
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५६२
भगवई
१२. एगमेगस्स णं भंते ! नेरइयस्स नेरइयत्ते केवतिया वेउव्वियपोग्गलपरियट्टा
अतीता ? अणंता। केवतिया पुरेक्खडा ?
एकुत्तरिया' जाव अणंता वा । एवं जाव' थणियकुमारत्ते ॥ ६३. पुढविकाइयत्ते-पुच्छा।
नत्थि एक्कोवि। केवतिया पुरेक्खडा ? नत्थि एक्कोवि' । एवं जत्थ वेउव्वियसरी' तत्थ एकुत्तरियो, जत्थ नत्थि तत्थ जहा पुढविकाइयत्ते तहा भाणियव्वं जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते । तेयापोग्गलपरियट्टा, कम्मापोग्गलपरियट्टा य सव्वत्थ एकुत्तरिया भाणियव्वा, मणपोग्गलपरियट्टा सव्वेसु पंचिदिएसु एगुत्तरिया, विगलिदिएसु नत्थि । वइपोग्गलपरियट्टा एवं चेव, नवरं-एगिदिएसु नत्थि भाणियव्वा । प्राणापाणु
पोग्गलपरियट्टा सव्वत्थ एकुत्तरिया जाव वेमाणियस्स वेमाणियत्ते ।। १४. नेरइयाणं भंते ! नेरइयत्ते केवतिया ओरालियपोग्गलपरियट्टा अतीता ?
'नत्थि एक्कोवि"। केवतिया पुरेक्खडा ?
नत्थि एक्कोवि । एवं जाव थणियकुमारत्त । ६५. पुढविकाइयत्ते-पुच्छा।
अणंता। केवतिया पुरेक्खडा? अणंता । एवं जाव मणुस्सत्ते । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियत्ते जहा नेरइयत्ते । एवं जाव वेमाणियाणं वेमाणियत्ते । एवं सत्त वि पोग्गलपरियट्टा भाणियव्वा -जत्थ अत्थि तत्थ अतीता वि पुरेक्खडा वि अणंता भाणियव्वा, जत्थ
नत्थि तत्थ दोवि नत्थि भाणियव्वा जाव६६. वेमाणियाणं वेमाणियत्ते केवतिया प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा अतीता ?
अणंता। केवतिया पुरेक्खडा?
१. एगुत्तरिया (अ); एक्कुत्तरिया (क, ता)। २. तेक्कोवि (ब, म)। ३. सरीरं अत्थि (अ, स)। ४. नत्थेक्कोवि (क, ख, म)।
५. वेमाणियस्स (क, ता, ब)। ६. जस्स (क, ता, ब, म)। ७. तस्स (क, ता, ब, म)। ८. जस्स (क, ख, ता, ब, म)।
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बारसमं सतं (उत्थो उद्देसो)
प्रणता ॥
६७. से केणणं भंते ! एवं वुच्चइ - प्रोरालियपोग्गल परियट्टे-ओरालियपोग्गलपरियट्टे ?
गोयमा ! जण्णं जीवेणं ओरालियसरीरे वट्टमाणेणं प्रोरालियस रीरपायोग्गाई दवाई श्रोरालियस री रत्ताए गहियाई बद्धाई पुट्ठाई कडाई पट्ठवियाई निवि
अभिनिविट्ठाई अभिसमण्णागयाई परियादियाइं परिणामियाई निज्जिइंनिसिरियाई निमिट्ठाई भवंति । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ – श्रोलियपोग्गल परियट्टे-प्रोरालियपोग्गलपरियट्टे ।
एवं वेडव्वियपोग्गल परियट्टेवि, नवरं - वेउव्वियसरीरे वट्टमाणेणं वेउब्वियसरीरप्पायोग्गाई दव्वाइं वेउव्वियसरीरत्ताए गहियाई, सेसं तं चैव सव्वं, एवं जाव आणापाणुपोग्गलपरियट्टे, नवरं प्राणापाणुपायोग्गाई सव्वदव्वाइं प्राणापाणुत्ता गहियाई, सेसं तं चेव ।।
६८. ओरालियपोग्गलपरियट्टे णं भंते ! केवइकालस्स निव्वत्तिज्जइ ?
o
गोमा ! अणताहि श्रसप्पिणीहि उस्सप्पिणीहिं" एवतिकालस्स निव्वत्तिज्जइ । एवं वे उव्वियपोग्गलपरियट्टे वि । एवं जाव प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टेवि ॥ ६. एस्स णं भंते! ओरालियपोग्गल परियट्टनिव्वत्तणाकालस्स, वेउब्वियपोग्गलपरियदृनिव्वत्तणाकालस्स जाव प्राणापाणुपोग्गल परियट्टनिव्वत्तणाकालस्स य करे करेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे कम्मगपोग्गल परियदृनिव्वत्तणाकाले, तेयापोग्गल परियट्ट - निव्वत्तणाकाले प्रणतगुणे, श्रोरालियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले प्रणतगुणे, प्राणापाणुपोग्गल परियट्टनिव्वत्तणाकाले श्रणंतगुणे, मणपोग्गल परियदृनिव्वत्तणाकाले प्रणतगुणे, वइपोग्गल परियट्टनिव्वत्तणाकाले प्रणतगुणे, वेउव्वियपोग्गलपरियट्टनिव्वत्तणाकाले श्रणंतगुणे ॥
१००. एएसि णं भंते ! श्रोरालियपोग्गलपरियट्टाणं जाव ग्राणापाणुपोग्गलपरियट्टाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया या ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवा वेउव्वियपोग्गल परियट्टा, वइपोग्गलपरियट्टा प्रणतगुणा, मणपोग्गल परियट्टा अणंतगुणा, प्राणापाणुपोग्गलपरियट्टा प्रणतगुणा, ओरालिय
१. ओसप्पिणि उस्स ख, ब, म ); उस्सपिणीहि ओस ( क ); उस्सप्पिणिओस ( स ) ।
o
५६३
२. सं० पा० -- कय रेहितो जाव विसेसाहिया । ३. सं० पा० कयरेहितो जाव विसेसाहिया ।
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५६४
भगवई
पोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा, तेयापोग्गलपरियट्टा अणंतगुणा, कम्मगपोग्गल
परियट्टा अणंतगुणा ॥ १०१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं जाव' विहरइ ।।
पंचमो उद्देसो
वण्णादि अवण्णादि च पडुच्च दव्ववीमंसा-पदं १०२. रायगिहे जाव' एवं वयासी -अह भंते ! पाणाइवाए, मुसावाए, अदिण्णादाणे,
मेहुणे, परिग्गहे- एस णं कतिवण्ण, कतिगंधे, कति रसे, कतिफासे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे, चउफासे पण्णत्ते ॥ १०३. अह भंते ! कोहे, कोवे, रोसे, दोसे, अखमा, संजलणे, कलहे, चंडिक्के, भंडणे,
विवादे-एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचवण्णे, 'दुगंधे, पंचरसे', चउफासे पण्णत्ते ।। १०४. अह भंते ! माणे, मदे, दप्पे, थंभे, गव्वे, अत्तुक्कोसे, परपरिवाए, उक्कोसे',
अवक्कोसे', उण्णते, उण्णामे, दुण्णामे -एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते?
गोयमा ! पंचवण्णे, "दुगंधे, पंचरसे, चउफासे, पण्णत्ते ॥ १०५. अह भंते ! माया, उवही, नियडी, वलए', गहणे, णूमे, कक्के, कुरुए, जिम्हे",
किब्बिसे, आयरणया, गृहणया, वंचणया, पलिउंचणया, सातिजोगे-एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचवण्णे १०दुगंधे पंचरसे चउफासे पण्णत्ते ।। १०६. अह भंते ! लोभे, इच्छा, मुच्छा, कंखा, गेही, तण्हा, भिज्झा, अभिज्झा,
प्रासासणया, पत्थणया, लालप्पणया, कामासा, भोगासा, जीवियासा, मर
१. भ० ११५१ । २. भ० १२४-१०। ३. पंचरसे दुगंधे (अ, क, ख, ता, व, म, स)। ४. अत्तुक्कासे (क, ख); अत्तुक्करिसे (ता)। ५. उक्कासे (ख, वृपा)। ६. अवक्कासे (ख, वृपा)।
७. सं० पा०-जहा कोहे तहेव । ८. वलये (अ, क, ख, ब, म, स)। ६. कुरूए (म)। १०. झिमे (अ, ब, स); जिम्मे (क); झिम्मे
(ख); पिम्हे (ता)। ११. सं० पा०-जहेव कोहे।
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बारसमं सतं (पंचमो उद्देसो)
णासा', नंदिरागे—एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ?
"गोयमा ! पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे चउफासे पण्णत्ते ° ॥ १०७. अह भंते ! पेज्जे, दोसे, कलहे', अब्भक्खाणे, पेसुन्ने, परपरिवाए, अरतिरती,
मायामोसे,° मिच्छादसणसल्ले --एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ?
५.गोयमा ! पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे चउफासे पण्णत्ते ।। १०८. ग्रह भंते ! पाणाइवायवेरमणे, जाव' परिग्गहवेरमणे, कोहविवेगे जाव मिच्छा
दंसणसल्लविवेगे-एस णं कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ?
गोयमा ! अवण्ण, अगधं, अरसे, अफासे पण्णत्त । १०६. अह भंते ! उप्पत्तिया, वेणइया, कम्मया', पारिणामिया-एस णं कतिवण्णा
जाव कतिफासा पण्णत्ता?
गोयमा ! अवण्णा, अगंधा, अरसा, अफासा पण्णत्ता ॥ ११०. अह भंते ! प्रोग्गहे, ईहा, अवाए", धारणा--एस णं कतिवण्णा जाव कतिफासा
पण्णत्ता?
११० गोयमा ! अवण्णा, अगंधा, अरसा °, अफासा पण्णत्ता ।। १११. अह भंते ! उठाणे, कम्मे, बले, वीरिए, पुरिसक्कार-परक्कमे-एस णं कति
वण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते?
१२ गोयमा ! अवण्णे, अगंधे, अरसे °, अफासे पण्णत्ते ।। ११२. सत्तमे णं भंते ! अोवासंतरे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ?
१.गोयमा ! अवण्णे, अगंधे, अरसे °, अफासे पण्णत्ते ।। ११३.
सत्तमे णं भंते ! तणुवाए कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? १.गोयमा । पंचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे° अट्ठफासे पण्णत्ते । एवं जहा सत्तमे तणुवाए तहा सत्तमे घणवाए, घणोदधी, पुढवी। छटे प्रोवासंतरे अवण्णे। तणुवाए जाव छट्ठी पुढवी-एयाइं अट्ठफासाइं। एवं जहा सत्तमाए पुढवीए वत्तव्वया भणिया तहा जाव पढमाए पुढवीए भाणियव्वं । जंबुद्दीवे दीवे जाव सयंभुरमणे समुद्दे, सोहम्मे कप्पे जाव ईसिपब्भारा पुढवी,
१. इदं च क्वचिन्न दृश्यते (वृ)। २. नंदीरागे (क, ब, म)। ३. सं० पा०-जहेव कोहे। ४. सं० पा०-कलहे जाव मिच्छा। ५. सं० पा०-जहेव कोहे तहेव चउफासे । ६. भ० ११३८५। ७. ठा० ११११५-१२५ ।
८. कम्मिया (अ, क, ख, ता, म)। ६. सं० पा० -तं चेव जाव अफासा । १०. अपोहे (क); अपाए (ब, म)। ११. सं० पा०--एवं चेव जाव अफासा। १२. सं० पा०-तं चेव जाव अफासे । १३. सं० पा०–एवं चेव जाव अफासे । १४. सं० पा०-जहा पाणाइवाए नवरं अट्ठफासे ।
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५६६
भगवई नेरइयावासा जाव वेमाणियावासा--एयाणि सव्वाणि अट्ठफासाणि ।। ११४. नेरइयाणं भंते ! कतिवण्णा जाव कतिफासा पण्णत्ता ?
गोयमा ! वेउव्विय-तेयाइं पडुच्च' पंचवण्णा, 'दुगंधा, पंचरसा, अट्ठफासा पण्णत्ता । कम्मगं पडुच्च पंचवण्णा, दुगंधा, पंचरसा, चउफासा पण्णत्ता। जीवं
पडुच्च अवण्णा जाव अफासा पण्णत्ता । एवं जाव थणियकुमारा ॥ ११५. पुढविक्काइयाणं-पुच्छा।
गोयमा ! पोरालिय-तेयगाइं पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पण्णत्ता। कम्मगं पडुच्च जहा नेरइयाणं । जीवं पडुच्च तहेव । एवं जाव चउरिदिया, नवरं-वाउक्काइया पोरालिय-वेउव्विय-तेयगाइं पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्ठफासा पण्णत्ता, सेसं जहा नेरइयाणं । पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जहा वाउ
क्काइया । ११६. मणुस्साणं-पुच्छा।
पोरालिय-वेउब्विय-पाहारग-तेयगाइं पडुच्च पंचवण्णा जाव अट्टकासा पण्णत्ता । कम्मगं जीवं च पडुच्च जहा नेरइयाणं वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया । धम्मत्थिकाए जाव' पोग्गलत्थिकाए-एए सव्वे अवण्णा, नवरं-पोग्गलत्थिकाए पंचवण्णे, दुगंधे, पंचरसे, अट्ठफासे पण्णत्ते । नाणावरणिज्जे जाव' अंतराइए–एयाणि चउफासाणि ॥ कण्हलेसा णं भंते ! कतिवण्णा "जाव कतिफासा पण्णत्ता ? ० दव्वलेसं पडच्च पंचवण्णा जाव अट्टफासा पण्णत्ता। भावलेसं पडुच्च अवण्णा, अगंधा. अरसा, अफासा पण्णत्ता। एवं जाव' सूक्कलेस्सा। सम्मदिठ्ठी, मिच्छदिट्ठी, सम्मामिच्छदिट्ठी, चक्खुदंसणे, अचक्खुदंसणे, प्रोहिदसणे, केवलदसणे, आभिणिबोहियनाणे जाव विभंगनाणे, आहारसण्णा जाव परिग्गहसण्णा-एयाणि अवण्णाणि, अगंधाणि, अरसाणि, अफासाणि । अोरालयसरीरे जाव ते यगसरीरे- एयाणि अतुफासाणि। कम्मगसरीरे चउफासे । मणजोगे, वइजोगे य चउफासे, कायजोगे अट्ठफासे ।
सागारोवओगे अणागारोवोगे य अवण्णे॥ ११८. सव्वदव्वा णं भंते ! कतिवण्णा जाव कतिफासा पण्णत्ता? ०
१. पडुच्चा (ता, ब, म)। २. पंचरसा दुगंधा (अ, क, ख, ता, ब, म,
५. सं० पा०-पुच्छा। ६. भ० १११०२ । ७. भ० २११३७ । ८. कम्मसरीरे (ब, म)। ६. सं० पा०—पुच्छा ।
३. भ० २।१२४ । ४. भ०६।३३ ।
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बारसमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
५६७
गोयमा ! अत्थेगतिया सव्वदव्वा पंचवण्णा जाव अट्टफासा पण्णत्ता। अत्थेगतिया सव्वदव्वा पंचवण्णा जाव चउफासा पण्णत्ता। अत्थेगतिया सव्वदव्वा एगवण्णा, एगगंधा, एगरसा, दुफासा पण्णत्ता । अत्थेगतिया सव्वदव्वा अवण्णा जाव अफासा पण्णत्ता । एवं सव्वपएसा वि, सव्वपज्जवा वि। तीयद्धा अवण्णा जाव अफासा । एवं अणागयद्धा वि, सव्वद्धा वि ।। जीवे णं भंते ! गब्भं वक्कममाणे कतिवण्णं, कतिगंध, कतिरसं, कतिफासं परिणामं परिणमइ ?
गोयमा ! पंचवण्णं, दुगंधं, पंचरसं, अट्ठफासं परिणाम परिणमइ ॥ कम्मयो विभत्ति-पदं १२०. कम्मो णं भंते ! जीवे नो अकम्मनो विभत्तिभावं परिणमइ ? कम्मनो णं
जए नो अकम्मो विभत्तिभावं परिणमइ ? हंता गोयमा ! कम्मो णं जीवे नो अकम्मनो विभत्तिभावं परिणमइ,
कम्मो णं जए नो अकम्मो विभत्तिभावं० परिणमइ ।। १२१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
छ8ो उद्देसो चंद-सूर-गहण पदं १२२. रायगिहे जाव एवं वयासी-बहुजण णं भंते ! अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ
जाव एवं परूवेइ एवं खलु राहू चंदं गेण्हति, एवं खलु राहू चंदं गेहति ।। १२३. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! जण्णं से बहुजणे अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव एवं परूवेमिएवं खलु राहू देवे महिड्ढीए जाव महेसक्खे वरवत्थधरे वरमल्लधरे वरगंधधरे वराभरणधारी।
१. X (ता)। २. X (ता)। ३. सं० पा०-तं चेव जाव परिणमइ । ४. म० ११५१। ५. भ. ११४-१०।
६. भ० ११४२० । ७. भ० ११४२१ । ८. भ० ३।४। ६. महेसक्के (ब); महसोक्खे (म)।
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भगवई
राहुस्स णं देवस्स नव नामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा-सिंघाडए' जडिलए खतए खरए ददुरे मगरे मच्छे कच्छभे कण्हसप्पे । राहुस्स णं देवस्स विमाणा पंचवण्णा, पण्णत्ता, तं जहा -किण्हा, नीला, लोहिया, हालिद्दा, सुक्किला। अत्थि कालए राहुविमाणे खंजणवण्णाभे पण्णत्ते, अत्थि नीलए राहुविमाणे लाउयवण्णाभे पण्णत्ते, अत्थि लोहिए राहुविमाणे मंजिट्टवण्णाभे पण्णत्ते, अत्थि पीतए राहुविमाणे हालिद्दवण्णाभे पण्णत्ते, अत्थि सुक्किलए राहुविमाणे भास रासिवण्णाभे पण्णत्ते । जदा णं राह पागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं पुरत्थिमेणं यावरेत्ता णं पच्चत्थिमेणं वीतीवयइ तदा णं पुरत्थिमेणं चंदे उवदंसेति, पच्चत्थिमेणं राहू। जदा णं राहू ग्रागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं पच्चत्थिमेणं आवरेत्ता णं पुरत्थिमेणं वीतीवयइ तदा णं पच्चत्थिमेणं चंदे उवदंसेति, पुरत्थिमेणं राहू । एवं जहा पुरस्थिमेणं पच्चत्थिमेण य दो पालावगा भणिया एवं दाहिणणं उत्तरेण य दो पालावगा भाणियव्वा । एवं उत्तरपुरथिमेणं दाहिणपच्चत्थिमेण य दो पालावगा भाणियव्वा । एवं दाहिणपुरथिमेणं उत्तरपच्चत्थिमेण य दो पालावगा भाणियव्वा । एवं चेव जाव तदा णं उत्तरपच्चत्थिमेणं चंदे उवदंसेति, दाहिणपुरस्थिमेणं राहू । जदा णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं पावरेमाणे-यावरेमाणे चिट्रइ तदा णं मणस्सलोए मणुस्सा वदंति–एवं खलु राहू चंदं गेण्हति, एवं खलु राहू चंदं गेण्हति । जदा णं राह आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाण वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं आवरेत्ता णं पासेणं वीतीवयइ तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति-एवं खलु चंदेणं राहुस्स कुच्छी भिन्ना, एवं खलु चंदेणं राहुस्स कुच्छी भिन्ना। जदा ण राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं आवरेत्ता णं पच्चोसक्कइ तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति --एवं खलु राहुणा चंदे वते, एवं खलु राहुणा चंदे वंते । जदा णं राहू अागच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेस्सं अहे सपक्खि सपडिदिसिं आवरेत्ता णं चिट्ठइ तदा णं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति-एवं खलु
राहुणा चंदे घत्थे, एवं खलु राहुणा चंदे घत्थे । १२४. कतिविहे णं भंते ! राहू पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे राहू पण्णत्ते, तं जहा-धुवराहू य, पव्वराहू य । तत्थ णं जे से धुवराहू से गं बहुलपक्खस्स पाडिवए पन्नरसतिभागेणं पन्नरसतिभागं
१. संघाडए (ब)। २. खत्तए (अ); खंतए (ख); खंभए (स)।
३. अच्छभे (ब)। ४. चंदस्स लेसं (क, ब, म)।
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बारसमं सतं (छट्टो उद्देसो)
५६६ चंदलेस्सं आवरेमाणे-आवरेमाणे चिट्ठइ, तं जहा-पढमाए पढमं भागं, बितियाए बितियं भागं जाव पन्नरसेसु पन्नरसमं भागं । चरिमसमये चंदे रत्ते भवइ, अवसेसे समये चंदे 'रत्ते वा विरत्ते वा भवइ । तमेव' सुक्कपक्खस्स उवदंसेमाणे-उवदंसेमाणे चिट्ठइ, पढमाए पढमं भागं जाव पन्नरसेसु पन्नरसमं भागं । चरिमसमये चंदे विरत्ते भवइ, अवसेसे समये चंदे 'रत्ते वा विरत्ते वा" भवइ । तत्थ णं जे से पव्वराह से जहण्णणं 'छण्हं मासाणं उक्कोसेणं बाया
लीसाए मासाणं चंदस्स, अडयालीसाए संवच्छराणं सूरस्स ।। ससि-प्राइच्च-पदं १२५. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-चंदे ससी, चंदे ससी ?
गोयमा ! चंदस्स णं जोइसिदस्स जोइसरण्णो मियंके विमाणे कंता देवा, कंताग्रो देवीप्रो, कताई पासण-सयण-खंभ-भंडमत्तोवगरणाइं, अप्पणा वि य णं चंदे जोइसिंदे जोइसराया सोमे कंते सुभए पियदंसणे सुरूवे । से तेण?ण गोयमा !
एवं वुच्चइ-चंदे ससी, चंदे° ससी ॥ १२६. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ–सूरे आदिच्चे, सूरे आदिच्चे ?
गोयमा ! सूरादिया णं समया इ वा आकलिया इ वा जाव" प्रोसप्पिणी इ वा उस्सप्पिणी इ वा । से तेणढणं' •गोयमा ! एवं वुच्चइ-सूरे आदिच्चे, सूरे
आदिच्चे ॥ चंद-सूराणं कामभोग-पदं १२७. चंदस्स णं भंते ! जोइसिंदस्स जोइसरण्णो कति अग्गमहिसीनो पण्णत्तायो ?
जहा दसमसए जाव नो चेव णं मेहुणवत्तियं । सूरस्स वि तहेव ॥ १२८. चंदिम-सूरिया णं भंते ! जोइसिंदा जोइसरायाणो केरिसए कामभोगे पच्चणु
ब्भवमाणा विहरंति ? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे पढमजोव्वणुट्ठाणबलत्थे पढमजोव्वणुट्ठाणबलत्थाए भारियाए सद्धि अचिरवत्तविवाहकज्जे" अत्थगवेसणयाए सोलसवास
१. 'आवरेत्ता रणं चिट्ठइ' त्ति वाक्यशेषः (वृ)। ७. लेश्यामावृत्य तिष्ठतीति गम्यम् (व)। २. रत्ते य विरत्ते य (क)।
८. लेश्यामावृत्य तिष्ठतीति गम्यम् (वृ)। ३. तामेव (क, ख, ता, ब, म)।
६. सं० पा०--तेण?णं जाव ससी। ४. प्रतिपदादिष्विति गम्यते (व)।
१०. ठा० २।३८७-३८६ । ५. रत्ते य विरत्ते य (अ, ख, ता); रत्ते य ११. सं० पा०—तेण?णं जाव आदिच्चे। विरत्ते वा (क, ब, म, स)।
१२. भ० १०६०। ६. छम्मासारणं (ता)।
१३. अचिरवत्तावाहुज्जे (ता)।
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५७०
भगवई
विप्पवासिए, से णं तो लद्धटे कयकज्जे अणहसमग्गे पुणरवि नियगं गिह हव्वमागए, हाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए मणुण्णं थालिपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाकुलं भोयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगंसि वासघरंसि "अभितरो सचित्तकम्मे बाहिरमो दूमिय-घट्ठ-मट्ठ विचित्तउल्लोग-चिल्लियतले मणिरयणपणासियंधयारे, बहुसम-सुविभत्तदेसभाए पंचवण्ण-सरससुरभि-मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिए कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क-तुरुक्कधूव-मघमघेत-गंधु द्धयाभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूए। तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि-सालिंगणवट्टिए उभो विब्बोयणे दुहो उण्णए मज्झे णय-गंभीरे गंगापुलिणवालुय-उद्दालसालिसए प्रोयविय-खोमियदुगुल्लपट्ट-पडिच्छयणे सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे पाइणग-रूय-बूरनवणीय-तूलफासे सुगंधवरकुसुम-चुण्ण ° सयणोवयारकलिए ताए तारिसियाए भारियाए सिंगारागारचारुवेसाए' 'संगय-गय-हसिय-भणिय-चेट्ठिय-विलाससललिय-संलाव-निउणजुत्तोवयारकुसलाए सुंदरथण-जघण-वयण-कर-चरणनयण-लावण्ण-रूव-जोव्वण-विलास ° कलियाए अणुरत्ताए अविरत्ताए मणाणुकुलाए सद्धि इट्टे सद्दे फरिसे' 'रसे रूवे गंधे° पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणुब्भवमाणे विहरेज्जा, से णं गोयमा ! पुरिसे विउसमणकालसमयंसि केरिसयं सायासोक्खं पच्चणुब्भवमाणे विहरइ ? अोरालं समणाउसो! तस्स णं गोयमा ! पुरिसस्स कामभोगेहितो वाणमंतराणं देवाणं एत्तो अणंतगण विसिट्टतरा चेव कामभोगा। वाणमंतराणं देवाणं कामभोगेहितो असुरिंदवज्जियाणं भवणवासीणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसिट्ठतराचेव कामभोगा। असुरिदवज्जियाणं भवणवासियाणं देवाणं कामभोगेहितो असुरकुमाराणं देवाणं एत्तो अणंतगुणविसिटुतरा चेव कामभोगा। असुरकुमाराणं देवाणं कामभोगेहितो गहगण-नक्खत्त-तारारूवाणं जोतिसियाणं देवाणं एत्तो अणंतगणविसिट्रतरा चेव कामभोगा । गहगण-नक्खत्त'- तारारूवाणं जोतिसियाणं° कामभोगेहितो चंदिम-सूरियाणं जोतिसियाणं जोतिसराईणं एत्तो अणंतगुणविसिटुतरा चेव कामभोगा। चंदिम-सूरिया णं गोयमा ! जोतिसिंदा जोतिसरायाणो एरिसे कामभोगे पच्चणुब्भवमाणा विहरंति ॥
१. थालिपागसिद्धं (ब)। २. सं० पा०-वण्णओ महब्बले कुमारे जाव
सयणो ।
३. सं० पा०-सिंगारागारचारुवेसाए जाव
कलियाए। ४. सं० पा०-फरिसे जाव पंचविहे। ५. पा० सं०-नक्खत्त जाव काम ।
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बारसमं सतं (सत्तमो उद्देसो) १२६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ,
वंदित्ता नमंसित्ता' संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥
सत्तमो उद्देसो जीवाणं सव्वत्थ जम्म-मच्च-पदं १३०. तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव' एवं वयासी-केमहालए णं भंते ! लोए
पण्णत्ते ? गोयमा ! महतिमहालए लोए पण्णत्ते-पुरत्थिमेणं असंखेज्जागो जोयणकोडाकोडीओ, दाहिणणं असंखेज्जायो 'जोयणकोडाकोडीयो०, एवं पच्चत्थिमेण वि, एवं उत्तरेण वि, एवं उड्ढं पि, अहे असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीयो
पायाम-विक्खंभेणं ।। १३१. एयंसिणं भंते ! एमहालगंसि लोगंसि अत्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे,
जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा, न मए वा वि ? गोयमा ! नो इण? सम₹ ।। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-एयंसि णं एमहालगंसि लोगंसि नत्थि केइ परमाणुपोग्गलमत्ते वि पएसे, जत्थ णं अयं जीवे न जाए वा, न मए वा वि? गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे अया-सयस्स एगं महं अया-वयं करेज्जा. से णं तत्थ जहण्णेणं एक्कं वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं अया-सहस्सं पक्खिवेज्जा, ताओ णं तत्थ पउरगोयरानो पउरपाणियाप्रो जहण्णणं एगाहं वा याहं वा तियाहं वा, उक्कोसेणं छम्मासे परिवसेज्जा। अत्थि णं गोयमा ! तस्स अया-वयस्स केई परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे, जे णं तासि अयाणं उच्चारेण वा पासवणेण वा खेलेण वा सिंघाणेण वा वंतेण वा पित्तेण वा पूएण वा सुक्केण वा सोणिएण वा चम्मेहिं वा रोमेहिं वा सिंगेहिं वा खुरेहिं वा नहेहिं वा अणोक्कंतपुव्वे भवइ ? नो इणढे समढे। होज्जा वि णं गोयमा ! तस्स अया-वयस्स केई परमाणुपोग्गलमेत्ते वि पएसे,
१३२.
१. सं० पा०-नमंसित्ता जाव विहरइ । २. भ० ११४-१०। ३. सं० पा०–एवं चैव।
४. एयस्सि (ता)। ५. अणक्कतपुव्वे (क, स)।
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५७२
भगवई
जेणं तासि प्रयाणं उच्चारेण वा जाव नहेहिं वा प्रणोक्कतपुव्वे, नो चेव णं एयंसि एमहालगंसि लोगंसि लोगस्स य सासयं भावं, संसारस्स य प्रणादिभाव, जीवस्स य णिच्चभावं, कम्मवहुत्तं, जम्मण-मरणबाहुल्लं च पडुच्च प्रत्थि केइ परमाणुपोग्गलमेत्ते व पएसे, जत्थ णं ग्रयं जीवे न जाए वा, न मए वा वि । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - एयंसि णं एमहालगंसि लोगंसि नत्थि के इ परमाणुपोग्गलमेत्ते व पसे, जत्थ णं ग्रयं जीवे न जाए वा न मए वा वि ॥
1
स
१३३. कति णं भंते ! पुढवी गोयमा ! सत्त पुढवी
दुवा अनंतखुत्तो उववज्जण-पदं
पण्णत्ताओ ?
पण्णत्ताओ, जहा पढमसए पंचमउद्देसए तहेव प्रवासा ठावेयव्वा जाव प्रणुत्तरविमाणेत्ति जाव अपराजिए सव्वट्टसिद्धे ॥ १३४. अण्णं भंते ! जीवे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास सयस हस्से सु एगमेगं स निरयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, नरगत्ताए, नेरइयत्ताए उववन्नपुव्वे ?
हंता गोयमा ! सई, अदुवा प्रणतखुत्तो ॥
१३५. सव्वजीवा विणं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावासस्यसहस्से एगमेगंसि निरयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, नरगत्ताए, नेरइयत्ताए उववन्नपुब्वे ?
हंता गोयमा ! सई, अदुवा प्रणतखुत्तो ॥
१३६. अयण्णं भंते ! जीवे सक्करप्पभाए पुढवीए पणुवीसाए निरयावास सय सहस्से सु एगमेगंसि निरयावासंसि ? एवं जहा रयणप्पभाए तहेव दो श्रालावगा भाणि - यव्वा । एवं जाव धूमप्पभाए ॥
o
१३७. प्रयण्णं भंते ! जीवे तमाए पुढवीए पंचूणे निरयावाससयसहस्से एगमेगंसि निरयावासंसि ? सेसं तं चैव ॥
१३८. प्रयण्णं भंते ! जीवे ग्रसत्तमाए पुढवीए पंचसु प्रणुत्तरेसु महतिमहालएसु महानिरए एगमेगंसि निरयावासंसि ? सेसं जहा रयणप्पभाए ॥
१. 'नत्थि' इति पदं लभ्यते, किन्तु प्रस्तुतवाक्या
रम्भे 'नो चेव णं' इति पाठोस्ति, तेनैतत् न सङ्गच्छते । वृत्तौ सम्यक्पाठोस्ति । स एवास्माभिः स्वीकृतः ।
२. सं० पा० - तं चेव जाव न ।
३. भ० ११२११-२५५ ।
४. भ० ५।२२२ ।
५. अय गं ( अ, क, ता, म); अयं णं (ख, ब ) । ६. सं० पा० - तं चैव जाव अनंतखुत्तो ।
७. भ० १२।१३४ ।
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बारसमं सतं सतनो उद्देसो)
५७३
१३६. यण्णं भंते ! जीवे चउसट्ठीए असुरकुमारावासस्यसहस्सेसु एगमेगंसि असुरकुमारावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताए देवित्ताए ग्रासण-सयण-भंडमत्तोवगरणत्ताए उववन्नपुब्वे ?
हंता गोयमा' ! प्रसई, अदुवा प्रणतखुत्तो। सव्वजीवा विणं भंते ! एवं चेव । एवं जाव थणियकुमारेसु । नाणत्तं आवासेसु, आवासा पुव्वभणिया || १४० प्रयण्णं भंते ! जीवे प्रसंखेज्जेसु पुढविक्काइयावाससय सहस्से एगमेगंसि पुढविकाइयावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्स इकाइयत्ताए उववन्नपुब्वे ? हंता गोया ! सई, अदुवा अनंतखुत्तो । एवं सव्वजीवा वि । एवं जाव वणस्सइकाइएसु ।।
१४१. ग्रयण्णं भंते ! जीवे ग्रसंखेज्जेसु बेइंदियावास सय सहस्सेसु एगमेगंसि बेइंदिया - वासंसि पुढविक्काइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए, बेइंदियत्ताए उववन्नपुव्वे ?
हंता गोयमा * ! असई, प्रदुवा प्रणतखुत्तो । सव्वजीवा वि णं एवं चेव । एवं जाव मस्से, नवरं - तेइंदिएसु जाव वणस्सइकाइयत्ताए तेइंदियत्ताए, चरिदिए चउरिदियत्ताए, पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु पंचिदियतिरिक्खजोणियत्ताए, मणुस्सेसु मणुस्सत्ताए, सेसं जहा बेइंदियाणं, वाणमंतर - जोइसिय- सोह
१४२.
o
सासु जहा असुरकुमाराणं ॥
प्रणं भंते ! जीवे सणकुमारे कप्पे बारससु विमाणावाससयसहस्सेसु एगमगंसि वेमाणियावासंसि पुढविकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए देवत्ताएग्रासण-सयण-भंडमत्तोवगरणत्ताए उववन्नपुव्वे ?
हंता गोयमा ! प्रसई, अदुवा प्रणतखुत्तो । एवं सव्वजीवा वि । एवं जाव प्राणपासु, एवं प्रारणच्चुएसु वि ॥
१४३. प्रयण्णं भंते ! जीवे तिसु वि श्रद्वारसुत्तरेसु गेविज्जविमाणावाससयेसु एवं चेव ।। १४४. प्रयणं भंते ! जीवे पंचसु प्रणुत्तरविमाणेसु एगमेगंसि प्रणुत्तरविमासि
पुढविका इयत्ताए ?
तव जाव असई, अदुवा प्रणतखुत्तो, नो चेव णं देवत्ताए वा देवीत्ताए वा । एवं सव्वजीवा वि ॥
१. सं० पा० – गोयमा जाव अनंतखुत्तो । २. सं० पा० – गोयमा जाव अनंतखुत्तो । ३. बेंदिया ( अ, क, ख, व, म, स ) । ४. सं० पा० - गोयमा जाव अनंतखुत्तो । ५. तेंदिए (खस) 1
६. सोहम्मीसाणे ( अ, क, ख, ता, ब, म ) । ७. बारसेसु (ख); बारस (ता) | ८. सं० पा० - सेसं जहा असुरकुमाराणं जाव अतत्तो नो चेव णं देवित्ताए ।
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५७४
भगवई
१४५. अयण्णं भंते ! जीवे सव्वजीवाणं माइत्ताए, पितित्ताए', भाइत्ताए, भगिणित्ताए
भज्जत्ताए, पुत्तत्ताए, धूयत्ताए, सुण्हत्ताए उववन्नपुव्वे ?
हंता गोयमा ! असई, अदुवा अणंतखुत्तो॥ १४६. सव्वजीवा वि णं भंते ! इमस्स जीवस्स माइत्ताए,' •पितित्ताए, भाइत्ताए,
भगिणित्ताए, भज्जत्ताए, पुत्तत्ताए, धूयत्ताए, सुण्हत्ताए उववन्नपुव्वे ?
हंता गोयमा ! असई, अदुवा अणंतखुत्तो ।। १४७. अयण्णं भंते ! जीवे सव्वजीवाणं अरित्ताए, वेरियत्ताए, घातगत्ताए, वहगत्ताए,
पडिणीयत्ताए, पच्चामित्तत्ताए उववन्नपुव्वे ?
हंता गोयमा' ! 'असई, अदुवा अणंतखुत्तो।।। १४८. सव्वजीवा वि णं भंते ! "इमस्स जीवस्स अरित्ताए, वेरियत्ताए, घातगत्ताए,
वहगत्ताए, पडिणीयत्ताए, पच्चामित्तत्ताए उववन्नपुव्वे ?
हंता गोयमा ! असई, अदुवा° अणंतखुत्तो। १४६. अयण्णं भंते ! जीवे सव्वजीवाणं रायत्ताए, जुवरायत्ताए, 'तलवरत्ताए, माडं
बियत्ताए, कोडंबियत्ताए, इब्भत्ताए, सेट्टित्ताए, सेणावइत्ताए,° सत्थवाहत्ताए उववन्नपुव्वे ?
हंता गोयमा'! 'असई, अदुवा अणंतखुत्तो।। १५०.
""सव्वजीवा वि णं भंते ! इमस्स जीवस्स रायत्ताए, जुवरायत्ताए, तलवरत्ताए माडंबियत्ताए, कोडुंबियत्ताए, इब्भत्ताए, सेद्वित्ताए, सेणावइत्ताए, सत्थवाहत्ताए उववन्नपुव्वे ?
हंता गोयमा ! असई, अदुवा अणंतखुत्तो' ।। १५१. अयण्णं भंते ! जीवे सव्वजीवाणं दासत्ताए, पेसत्ताए, भयगत्ताए', भाइल्लत्ताए
भोगपुरिसत्ताए, सीसत्ताए, वेसत्ताए उववन्नपुव्वे ?
हंता गोयमा ! 'असई, अदुवा अणंतखुत्तो।। १५२. " सव्वजीवा वि णं भंते ! इमस्स जीवस्स दासत्ताए, पेसत्ताए, भयगत्ताए,
१. ४ (ख, म); पतित्ताए (ब, स)। ६. सं० पा०-गोयमा जाव अणंतखुत्तो। २. सं० पा०-माइत्ताए जाव उववन्नपुव्वा ७. सं० पा०-सव्वजीवाणं एवं चेव । ___ हंता गो जाव अणंतखुत्तो।
८. भियगत्ताए (ख)। ३. सं० पा०-गोयमा जाव अणंतखुत्तो। ६. भाइलत्ताए (ता); भाइल्लगत्ताए (क्व०)। ४. सं० पा०-एवं चव।
१०. सं० पा०—गोयमा जाव अणंतखुत्तो। ५. सं० पा०-जुवरायत्ताए जाव सत्थवाह- ११. सं० पा०-एवं सव्वजीवा वि अणंतखुत्तो।
त्ताए।
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५७५
बारसमं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
भाइल्लत्ताए, भोगपुरिसत्ताए, सीसत्ताए, वेसत्ताए उववन्नपुव्वे ?
हंता गोयमा ! असइं, अदुवा° अणंतखुत्तो ।। १५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ॥
अट्ठमो उद्देसो देवाणं बिसरीरेसु उववाय-पदं १५४. तेणं कालेणं तेणं समएणं जाव' एवं वयासी–देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव'
महेसक्खे अणंतरं चयं चइत्ता बिसरीरेसु नागेसु उववज्जेज्जा ?
हता उववज्जेज्जा ॥ १५५. से णं तत्थ अच्चिय-वंदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए
सन्निहियपाडिहेरे यावि भवेज्जा ?
हंता भवेज्जा ॥ १५६. से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता सिझज्जा जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं
करेज्जा?
हंता सिज्झज्जा जाव सव्वदक्खाणं अंतं करेज्जा॥ १५७. देवे णं भंते ! महिड्ढीए "जाव महेसक्खे अणंतरं चयं चइत्ता बिसरीरेसु
मणीसु उववज्जेज्जा?
हंता उववज्जेज्जा । एवं चेव जहा नागाणं ॥ १५८. देवे णं भंते ! महिड्ढीए 'जाव महेसक्खे अणंतरं चयं चइत्ता • बिसरीरेसु
रुक्खेसु उववज्जेज्जा? हंता उववज्जेज्जा। एवं चेव, नवरं-इमं नाणत्तं जाव सन्निहियपाडिहेरे लाउल्लोइयमहिए यावि भवेज्जा ?
हंता भवेज्जा । सेसं तं चेव जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेज्जा। पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं उववाय-पदं १५६ अह भंते ! गोनंगूलवसभे', कुक्कुडवसभे, मंडुक्कवसभे-एए णं निस्सीला १. भ०१।५१ ।
५. सं० पा०-एवं चेव जाव बिसरीरेसु । २. भ० ११४-१०।
६. सं० पा०-महिड्ढीए जाव बिसरीरेसु। ३. भ० ११३३६ ।
७. गोलंगूल ° (क, ब); गोणंगल ° (ख, ता)। ४. भ०११४४ ।
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भगवई
१६०.
निव्वया निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाण-पोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसं' सागरोवमट्टितीयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जेज्जा ? समणे भगवं महावीरे वागरेइ-उववज्जमाणे उववन्ने त्ति वत्तव्वं सिया॥ अह भंते ! सीहे वग्घे, “वगे, दीविए अच्छे, तरच्छे °, परस्सरे--एए णं निस्सीला निव्वया निग्गुणा निम्मेरा निप्पच्चक्खाण-पोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसं सागरोवमद्वितीयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जेज्जा?
समणे भगवं महावीरे वागरेइ-उववज्जमाणे उववन्ने त्ति° वत्तव्वं सिया ॥ १६१. अह भंते ! ढंके कंके विलए मदुए सिखी-एए णं निस्सीला निव्वया निग्गुणा
निम्मेरा निप्पच्चक्खाण-पोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसं सागरोवमद्वितीयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जेज्जा?
समणे भगवं महावीरे वागरेइ-उववज्जमाणे उववन्ने त्ति ° वत्तव्वं सिया ॥ १६२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।।
नवमो उद्देसो पंचविह-देव-पदं १६३. कतिविहा णं भंते ! देवा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा देवा पण्णत्ता, तं जहा-भवियदव्वदेवा, नरदेवा, धम्मदेवा,
देवातिदेवा', भावदेवा ॥ १६४. से केणतुणं भंते ! एवं बुच्चइ-भवियदव्वदेवा-भवियदव्वदेवा ?
गोयमा ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवेसु उववज्जितए । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ--भवियदव्वदेवा-भवियदव्वदेवा ॥
१. उक्कोसेणं (क)। २. सं० पा०-जहा ओसप्पिणी उद्देसए जाव
परस्सरे । ३. सं० पा०—एवं चेव जाव वत्तव्वं । ४. पिलए (अ, ख, ता, स)। ५. सं० पा०-सेसं तं चेव जाव वत्तव्वं ।
६. भ० ११५१। ७. देवाधिदेवा (अ, क, ब, म, स); 'देवाहिदेव'
त्ति क्वचिद् दृश्यते (वृ) । ८. इह जातौ एकवचनमतो बहुवचनार्थे व्याख्ये
यम् (वृ)। ६. ते यस्माद्भाविदेवभावा इति गम्यम् (व) ।
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बारसमं सतं (नत्रम उद्देसो)
१६५. से केणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ – नरदेवा नरदेवा ?
गोयमा ! जे इमे रायाणो चाउरंतचक्कवट्टी' उप्पण्णसमत्तचक्करयणप्पहाणा 'नवनिहिपणो समिद्धकोंसा बत्तीसरायवर सहस्साणुयातमग्गा सागरवरमेह - लाविणो मस्सिदा । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ० – नरदेवानरदेवा ॥
१६६. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - धम्मदेवा-धम्मदेवा ?
गोमा ! जे इमे अणगारा भगवंतो रियासमिया' जाव' गुत्तबंभयारी । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वच्चइ - धम्मदेवा-धम्मदेवा ॥
१६७. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - देवातिदेवा' - देवातिदेवा ?
गोमा ! जे इमे अरहंता भगवंतो उप्पण्णनाण- दंसणधरा" अरहा जिणा केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियाणया सव्वष्णू सव्वदरिसो से तेणट्टेण" • गोयमा ! एवं वच्चइ ° - देवातिदेवा देवातिदेवा ॥ १६८. सेकेणट्टे भंते ! एवं वुच्चइ - भावदेवा-भावदेवा ?
गोमा ! जे इमे भवणवइ-वाणमंतर - जोइस-वेमाणिया देवा देवगतिनामगोयाई कमाई वेदेति । से तेणट्टेणं" गोयमा ! एवं वुच्चइ० भावदेवाभावदेवा ॥
पंचविह- देवाण उववाय-पदं
१६६. भवियदव्वदेवा णं भंते! कोहिंतो उववज्जंति - किं नेरइएहिंतो उववज्जति ? तिरिक्ख मणुस्स - देवेहिंतो उववज्जंति ?
गोयमा ! नेरइएहितो उववज्जंति, तिरिक्ख - मणुस्स - देवेहितो वि उववज्जति । भेदो जहा वक्तीए सव्वेसु उववाएयव्वा जाव" प्रणुत्तरोववाइय त्ति, नवरंअसंखेज्जवासाउयग्रकम्मभूमगत रदीवगसव्वट्टसिद्धवज्जं जाव ग्रपराजियदेवेहितो वि उववज्जति ॥
१.
यस्माद् इति वाक्यशेष: ( वृ ) ।
२. चिन्हाङ्कितः पाठो वृत्तौ नास्ति व्याख्यातः ।
३. सं० पा० - तेणट्टेणं जाव नरदेवा ।
४. ते यस्माद् इति वाक्यशेष: ( वृ ) । ५. इरिया ० ( क ) ।
६. भ० २।५५ ।
७. सं० पा० - तेराट्ठेणं जाव धम्म० ।
८. देवाधिदेवा ( अ, क, ब, म, स ) ।
६. भगवंता (ख, ब, म); ते यस्मात् (वृ) ।
५७७
१०. सं०
पा०-- उप्पन्ननारणदंसणधरा सव्व ।
0
११. सं० पा० - तेणट्टेणं जाव देवाति । १२. ते यस्मात् (वृ) |
१३. सं० पा० - तेणट्टेणं जाव भाव ० १४. ० ६ ।
१५. उववज्जंति नो सव्वट्टसिद्धदेवेहिंतो उववज्जंति
( क, ख, ता, ब, म ) ।
जाव
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भगवई
१७०. नरदेवा णं भंते ! कोहिंतो उववज्जति-किं ने रइएहितो—पुच्छा।
गोयमा ! नेरइएहितो उववज्जंति, नो तिरिक्खजोणिएहितो, नो मणुस्सेहितो,
देवेहितो वि उववज्जति ।। १७१. जइ नेरइएहितो उववज्जति–किं रयणप्पभापुढविनेरइएहितो उववज्जति जाव
अहेसत्तमापुढविनेरइएहितो उववज्जति ? गोयमा ! रयणप्पभापुढविनेरइएहितो उववज्जंति, नो सक्करप्पभापुढविनेर
हितो जाव नो अडेसत्तमापढविनेरडापद्वितो उववज्जति ।। १७२. जइ देवेहितो उववज्जति किं भवणवासिदेवेहितो उववज्जति ? वाणमंतर
जोइसिय-वेमाणियदेवहितो उववज्जति ? गोयमा ! भवणवासिदेवेहितो वि उववज्जति, वाणमंतरदेवेहितो, एवं सव्वदेवेसु
उववाएयव्वा, वक्कंतीए भेदेणं जाव' सव्वट्ठसिद्धत्ति ।। १७३. धम्मदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति -कि नेरइएहितो उववज्जति
पुच्छा ।
एवं वक्कंतीभेदेणं सव्वेसु उववाएयव्वा जाव सव्वट्ठसिद्धत्ति, नवरं-तम
अहेसत्तम-तेउ-वाउ-असंखेज्जवासाउयप्रकम्मभूमग-अंतरदीवगवज्जेसु ॥ १७४.
देवातिदेवा णं भंते ! करोहितो उववज्जति - किं नेरइएहितो उववज्जतिपुच्छा । गोयमा ! नेरइएहितो उववज्जंति, नो तिरिक्खजोणिएहितो, नो मण्णुस्सेहितो,
देवेहितो वि उववज्जंति ॥ १७५. जइ नेरइएहितो ? एवं तिसु पुढवीसु उववज्जंति, सेसानो खोडेयव्वाअो ।। १७६. जइ देवेहितो? वेमाणिए सु सव्वेसु उववज्जति जाव सव्वट्ठसिद्धत्ति, सेसा
खोडेयव्वा॥ १७७. भावदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ? एवं जहा वक्तीए भवणवासीणं
उववाओ तहा भाणियव्वो ।। पंचविह-देवाणं ठिइ-पदं १७८. भवियदव्वदेवाणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं ।। १७६. नरदेवाणं-पुच्छा।।
गोयमा ! जहण्णेणं सत्त वाससयाई, उक्कोसेणं चउरासीइं पुव्वसयसहस्साइं । १८०. धम्मदेवाणं-पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी ।।
१. प०६।
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बारसमं सतं (नवमो उद्देसो)
५७६ १८१. देवातिदेवाण-पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं बावतरि वासाई, उक्कोसेणं चउरासीई पुव्वसयसहस्साई ॥ १८२. भावदेवाणं-पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं॥ पंचविह-देवाणं विउव्वरणा-पदं १८३. भवियदव्वदेवा णं भंते ! किं एगत्तं पभू विउवित्तए ? पुहत्तं पभू विउव्वित्तए ?
गोयमा ! एगत्तं पि पभू विउव्वित्तए, पुहत्तं पि पभू विउवित्तए । एगत्तं विउव्वमाणे एगिदियरूवं वा जाव पंचिदियरूवं वा, पुहत्तं विउव्वमाणे एगिदियरूवाणि वा जाव पंचिंदियरूवाणि वा, ताई संखेज्जाणि वा असंखेज्जाणि वा, संबद्धाणि वा असंबद्धाणि वा, सरिसाणि वा असरिसाणि वा विउव्वंति, विउव्वित्ता तओ पच्छा' जहिच्छियाई कज्जाई करेति । एवं नरदेवा वि, एवं
धम्मदेवा वि ।। १८४. देवातिदेवाणं-पुच्छा।
गोयमा ! एगत्तं पि पभू विउवित्तए, पुहत्तं पि पभू विउवित्तए, नो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा, विउव्वति वा, विउव्विस्संति वा ।
भावदेवा जहा भवियदव्वदेवा ।। पंचविह-देवाणं उन्वट्टण-पद १८५. भवियदव्वदेवा णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उवज्जति
—कि ने रइएसु उववज्जति जाव देवेसु उववज्जति ? गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जति, नो तिरिक्खजोणिएसु, नो मणुस्सेसु, देवेसु उववज्जति ।
'जइ देवेसु उववज्जति ° ?'" सव्वदेवेसु उववज्जति जाव सव्वट्ठसिद्धत्ति ।। १८६. नेरदेवा णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता-पुच्छा।
गोयमा ! नेरइएसु उववज्जंति, नो तिरिक्खजोणिएसु, नो मणुस्सेसु, नो देवेसु उववज्जति ।
जइ नेरइएस उववज्जति ? सत्तसु वि पुढवीसु उववज्जति ।। १८७. धम्मदेवा णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता-पुच्छा।
गोयमा ! नो नेरइएसु उववज्जति, नो तिरिक्खजोणिएसु, नो मणुस्सेसु, देवेसु उववज्जति ॥
१. देवाधि° (अ, क, ब, म, स)। २. पच्छा अप्पणो (अ, म, स)। ३. देवाधि° (अ, क, ख, ब, म, स)।
४. विउव्विति (ब, म, स)। ५. X (ब, म)।
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५८०
भगवई
१८८. जइ देवेसु उववज्जति किं भवणवासि-पुच्छा।
गोयमा ! नो भवणवासिदेवेसु उववज्जति, नो वाणमंतरदेवेसु उववज्जंति, नो जोइसियदेवेसु उववज्जति, वेमाणियदेवेसु उववज्जति । सव्वेसु वेमाणिएसु उववज्जंति जाव सव्वट्ठसिद्धअणुत्तरोववाइय"वेमाणियदेवेसु° उववज्जंति,
प्रत्थेगतिया सिझंति जाव सव्वदक्खाणं अंतं करेंति ।। १८६. देवातिदेवा अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जति ? - गोयमा ! सिझंति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ।। १६०. भावदेवा णं भंते ! अणंतरं उबट्टित्ता - पुच्छा।
जहा वक्कंतीए असुरकुमाराणं उन्वट्टणा तहा भाणियव्वा ।। पंचविह-देवाणं संचिट्ठणा-पदं १६१. भवियदव्वदेवे णं भंते ! भवियदव्वदेवे त्ति कालमो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं । एवं जच्चेव' ठिई सच्चेव संचिटणा वि जाव भावदेवस्स, नवरं-धम्मदेवस्स जहण्णेणं एक्कं
समयं, उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी । पंचविह-देवाणं अंतर-पदं १६२. भवियदव्वदेवस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेणं अणंतं
कालं-वणस्सइकालो ॥ १६३. नरदेवाणं-पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं सातिरेगं सागरोवम, उक्कोसेणं अणंतं कालं - अवड्ढं
पोग्गलपरियट्टं देसूणं ॥ १६४. धम्मदेवस्स णं--पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णणं पलिग्रोवमपुहत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं जाव अवड्ढं
पोग्गलपरियट्टं देसूणं ।। १६५. देवातिदेवाणं--पुच्छा।
गोयमा ! नत्थि अंतरं ।। १६६. भावदेवस्स णं--पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं अणतं कालं-वणस्सइकालो ॥
१. सं० पा०- अणुत्तरोववाइय जाव उव ° २. भ० ११४४ । ३. प०६।
४. केवचिरं (अ, क, ख, म)। ५. जहेव (ब, स)।
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१९८.
बारसमं सतं (दसमो उद्देसो)
५८१ पंचविह-देवाणं अप्पाबहुयत्त-पदं १६७. एएसि णं भंते ! भवियदव्वदेवाणं, नरदेवाण', धम्मदेवाणं, देवातिदेवाणं,
भावदेवाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा नरदेवा, देवातिदेवा संखेज्जगुणा, धम्मदेवा संखेज्जगुणा, भवियदव्वदेवा असंखेज्जगुणा, भावदेवा असंखेज्जगुणा ॥ एएसि णं भंते ! भावदेवाणं भवणवासीणं, वाणमंतराणं, जोइसियाणं, वेमाणियाणं' सोहम्मगाणं जाव अच्चुयगाणं, गेवेज्जगाणं, अणुत्तरोववाइयाण य कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा अणत्तरोववाइया भावदेवा, उरिमगेवेज्जा भावदेवा संखेज्जगुणा, मज्झिमगेवेज्जा संखेज्जगुणा, हेट्ठिमगेवेज्जा संखेज्जगुणा, अच्चुए कप्पे देवा संखेज्जगुणा जाव प्राणयकप्पे देवा संखेज्जगुणा, सहस्सारे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, महासुक्के कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, लतए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, बंभलोए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, माहिदे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, सणंकुमारे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, ईसाणे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, सोहम्मे कप्पे देवा असंखेज्जगुणा, भवणवासिदेवा असंखेज्जगुणा, वाणमंतरा देवा
असंखेज्जगुणा °, जोतिसिया भावदेवा असंखेज्जगुणा ॥ १६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
दसमो उद्देसो अट्टविह-पाय-पदं २००. कतिविहा णं भंते ! आया पण्णत्ता ?
गोयमा ! अट्ठविहा पाया पण्णत्ता, तं जहा-दवियाया, कसायाया, जोगाया,
उवयोगाया, नाणाया, दंसणाया, चरित्ताया, वीरियाया ।। २०१. जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स कसायाया ? जस्स कसायाया तस्स दवियाया?
१. सं० पा०-नरदेवाणं जाव भावदेवाणं । २. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ३. X (क, म); देवाणं (ब)। ४. सं० पा०-कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया।
५. सं० पा०—एवं जहा जीवाभिगमे तिविहे
देवपुरिसे अप्पाबहुयं जाव जोतिसिया। ६. भ० ११५१ । ७. आता (अ, ख, ता, ब, म, स)।
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५८२
भगवई
गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स कसायाया सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण
कसायाया तस्स दवियाया नियमं अस्थि ।। २०२. जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स जोगाया ? जस्स जोगाया तस्स दवियाया?
गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स जोगाया सिय अत्थि सिय नत्थि, जस्स पुण
जोगाया तस्स दवियाया नियम अत्थि ० ।। २०३. जस्स णं भंते ! दवियाया तस्स उवयोगाया ? जस्स उवयोगाया तस्स दवि
याया?–एवं सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा । गोयमा ! जस्स दवियाया तस्स उवयोगाया नियम अत्थि । जस्स वि उवओगाया तस्स वि दवियाया नियमं अत्थि । जस्स दवियाया तस्स नाणाया भयणाए। जस्स पूण नाणाया तस्स दवियाया नियमं अत्थि । जस्स दवियाया तस्स दंसणाया नियम अत्थि । जस्स वि दंसगाया तस्स वि दवियाया नियम अत्थि । जस्स दवियाया तस्स चरित्ताया भयणाए, जस्स पुण चरित्ताया तस्स दवियाया नियमं अत्थि । जस्स दवियाया तस्स वीरियाया भयणाए, जस्स
पुण वीरियाया तस्स दवियाया नियम अत्थि° ॥ २०४. जस्स णं भंते ! कसायाया तस्स जोगाया-पुच्छा।
गोयमा ! जस्स कसायाया तस्स जोगाया नियम अत्थि, जस्स पुण जोगाया तस्स कसायाया सिय प्रत्थि सिय नात्थ । एवं उवयोगायाए वि सम कसायाया नेयव्वा । कसायाया य नाणाया य परोप्परं दो वि भइयब्वायो। जहा कसायाया य उवयोगाया य तहा कसायाया य दंसणाया य, कसायाया य चरित्ताया य दो वि परोप्परं भइयव्वायो । जहा कसायाया य जोगाया य तहा कसायाया य वीरियाया य भाणियव्वाग्रो'। एवं जहा कसायायाए वत्तव्वया भणिया तहा जोगायाए वि उवरिमाहिं समं भाणियव्वाओ। जहा दवियायाए वत्तव्वया भणिया तहा उवयोगायाए वि उवरिल्लाहिं समं भाणियव्वा । जस्स नाणाया तस्स दसणाया नियमं अत्थि, जस्स पुण सणाया तस्स नाणाया भयणाए। जस्स नाणाया तस्स चरित्ताया सिय अस्थि सिय नत्थि, जस्स पुण चरित्ताया तस्स नाणाया नियमं अत्थि। नाणाया वीरियाया दो वि परोप्परं भयणाए। जस्स दसणाया तस्स उवरिमाओ दो वि भयणाए, जस्स पूण ताओ तस्स दसणाया नियम अत्थि । जस्स पुण चरित्ताया तस्स वीरियाया नियम अत्थि, जस्स पुण वीरियाया तस्स चरित्ताया सिय अत्थि सिय नत्थि ।
१. सं० पा०-एवं जहा दवियाया कसायाया ३. भणितव्वाओ (ख, ता)।
भणिया तहा दवियाया जोगाया भाणियव्वा। ४. नेयव्वा (ब)। २. सं० पा०-एवं वीरियायाए वि समं ।
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बारसमं सतं (दसमो उद्देसो)
५८३ अट्ठविह-मायाणं अप्पाबहुत्त-पदं २०५. एयासि णं भंते ! दवियायाणं, कसायायाणं जाव वीरियायाण य कयरे कयरेहितो'
•अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवानो चरित्तायाग्रो, नाणायामो अणंतगुणाग्रो, कसायायायो अणंतगुणाग्रो, जोगायायो विसेसाहियाओ, वोरियायाओ विसेसाहियाओ, उव
प्रोगदविय-दसणायानो तिण्णि वि तुल्लाप्रो बिसेसाहियारो ।। नाणदंसणाणं अत्तणा भेदाभेद-पदं २०६. प्राया भंते ! नाणे ? 'अण्णे नाणे'२ ?
गोयमा अाया सिय नाणे सिय अण्णाणे, नाणे पुण नियमं आया । २०७. आया भंते ! नेरइयाणं नाणे ? अण्णे नेरइयाणं नाणे?
गोयमा ! आया नेरइयाणं सिय नाणे, सिय अण्णाणे । नाणे पुण से नियम
आया । एवं जाव थणियकुमाराणं ।। २०८. पाया भंते ! पुढविकाइयाणं अण्णाणे ? अण्णे पुढविकाइयाणं अण्णाणे?
गोयमा ! पाया पुढविकाइयाणं नियमं अण्णाणे, अण्णाणे वि नियमं आया । एवं जाव वणस्स इकाइयाणं । बेइंदिय-तेइंदियाणं जाव वेमाणियाणं जहा
नेरइयाणं ॥ २०६. प्राया भंते ! दंसणे ? अण्णे दंसणे ?
गोयमा ! पाया नियमं दंसणे, दंसणे वि नियम पाया ।। २१०. पाया भंते ! ने रइयाणं दंसणे ? अण्णे नेरइयाणं दसणे ?
गोयमा ! आया नेर इयाणं नियम दसणे, दंसणे वि से नियमं आया। एवं जाव
वेमाणियाणं निरंतरं दंडयो ।। सियवाद-पदं २११. प्राया भंते ! रयणप्पभा पुढवी ? अण्णा रयणप्पभा पुढवी ?
गोयमा ! रयणप्पभा पुढवी सिय अाया, सिय नोआया, सिय अवत्तव्वं
आयाति य नोग्रायाति य ।। २१२. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-रयणप्पभा पुढवी सिय पाया, सिय नोपाया,
सिय अवत्तव्वं-आयाति य नोग्रायाति य ? गोयमा ! अप्पणो आदितु आया, परस्स आदिढे नोग्राया, तदुभयस्स आदिट्ठ अवत्तव्वं-रयणप्पभा पुढवी आयाति य नोआयाति य । से तेण?णं 'गोयमा !
१. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २. अण्णाणे (म, स)।
३. आतिट्ठा (ता, ब, म)। ४. सं० पा०-तं चेव जाव नोआयाति ।
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५८४
भगवई
एवं वुच्चइ–रयणप्पभा पुढवी सिय आया, सिय नोपाया, सिय अवत्तव्वं
आयाति य° नोग्रायाति य ॥ २१३. आया भंते ! सक्करप्पभा पुढवी ?
जहा रयणप्पभा पुढवी तहा सक्करप्पभावि । एवं जाव अहेसत्तमा ।। २१४. आया भंते । सोहम्मे कप्पे--पूच्छा।
गोयमा ! सोहम्मे कप्पे सिय आया सिय नोपाया', 'सिय अवत्तव्वं-आयाति
य° नोग्रायाति य॥ २१५. से केणद्वेणं भंते ! जाव आयाति य नोग्रआयाति य ?
गोयमा ! अप्पणो आइट्ठ आया, परस्स आइ8 नोप्राया, तदुभयस्स प्राइटे अवत्तव्वं -अायाति य नोग्रायाति य। से तेणटेणं तं चेव जाव आयाति य
नोग्रायाति य । एवं जाव अच्चुए कप्पे ॥ २१६. आया भंते ! गेवेज्जविमाणे ? अण्णे गेवेज्जविमाणे ?
एवं जहा रयणप्पभा तहेव । एवं अणुत्तरविमाणा वि । एवं ईसिपब्भारा वि ॥ २१७. आया भंते ! परमाणुपोग्गले ? अण्णे परमाणुपोग्गले ?
एवं जहा सोहम्मे तहा परमाणु पोग्गले वि भाणियब्वे ।। २१८. आया भंते ! दुपएसिए खंधे ? अण्णे दुपएसिए खंधे ?
गोयमा ! दुपएसिए खधे १. सिय पाया २. सिय नोआया ३. सिय अवत्तव्वं-- प्रायाति य नोपायात य ४. सय पाया य नोग्राया य ५. सिय पाया य अवत्तव्वं--प्रायाति य नोग्रायाति य ६. सिय नोमाया य अवत्तव्वं-आयाति
य नोआयाति य॥ २१६. से केणतुणं भंते ! एवं तं चेव जाव नोआया य अवत्तव्वं-आयाति य
नोआयाति य? गोयमा ! १. अप्पणो आदिढे आया २. परस्स आदिढे नोआया ३. तदुभयस्स पादिट्टे अवत्तव्वं दुपएसिए खंधे -प्रायाति य नोग्रायाति य ४. देसे आदिट्रे सब्भावपज्जवे देसे आदितु असम्भावपज्जवे दुप्पएसिए खंधे आया य नोग्राया य ५. देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे दुपएसिए खंधे आया य अवत्तव्वं-आयाति य नोप्रायाति य ६. देसे आदितु असब्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे दुपएसिए खंधे नोआया य अवत्तव्वं-आयाति य नोग्रायाति य । से तेणटेणं तं चेव जाव नोआया य अवत्तव्वं--प्रायाति य
नोग्रायाति य॥ २२०. आया भंते ! तिपएसिए खंधे ? अण्णे तिपएसिए खंधे ?
१. सं० पा०-नोआया जाव नोआयाति ।
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बारसमं सतं (दसमो उद्देसो)
५८५
गोयमा ! तिपसिए खंधे १. सिय पाया २. सिय नोग्राया ३. सिय अवत्तव्वं--
आयाति य नोग्रायाति य ४. सिय पाया य नोग्राया य ५. सिय आया य नोआयाओ य ६. सिय पायाप्रो य नोमाया य ७. सिय पाया य अवत्तव्वं
आयाति य नोआयाति य ८. सिय आया य अवत्तव्वाइं-पायानो' य नोआयात्रो य है. सिय प्रायायो य अवत्तव्व-प्रायाति य नोग्रायाति य १०. सिय नोआया य अवत्तव्वं-आयाति य नोग्रायाति य ११. सिय नोपाया य प्रवत्तव्वाइं-पायाप्रो य नोग्रायायो य १२. सिय नोपायाप्रो य अवत्तव्वंआयाति य नोआयाति य १३. सिय पाया य नोआया य अवत्तव्वं-आयाति
य नोग्रायाति य ॥ २२१. से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ तिपएसिए खंधे सिय पाया-एवं चेव उच्चा
रेयव्वं जाव सिय पाया य नोग्राया य अवत्तव्वं-आयाति य नोग्रायाति य? गोयमा ! १. अप्पणो आदिढे आया २. परस्स आदिढे नोआया ३. तदुभयस्स आदितु अवत्तव्वं-आयाति य नोग्रायाति य ४. देसे आदिटे सब्भावपज्जवे देसे आदितु असब्भावपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य नोग्राया य ५. देसे आदि8 सब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा तिपएसिए खंध पाया य नोग्रायानो य ६. देसा आदिट्ठा सब्भावपज्जवा देसे आदितु असम्भावपज्जवे तिपएसिए खंधे प्रायानो य नोग्राया य ७. देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसे
आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे पाया य अवत्तव्वं-प्रायाति य नोप्रायाति य ८. देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खंधे आया य अवत्तब्वाइं-आयामो य नोपायाप्रो य ६. देसा आदिट्ठा सब्भावपज्जवा देसे आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे पायाप्रो य अवत्तव्वं--प्रायाति य नोआयाति य १०. देसे आदिट्टे असब्भावपज्जवे देसे पादितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे नोपाया य अवत्तव्वं-आयाति य नोप्रायाति य ११. देसे आदिटे असब्भावपज्जवे देसा आदिट्टा तदुभयपज्जवा तिपएसिए खंधे नोप्राया य अवत्तव्वाइं–प्रायानो य नोग्रायानो य १२. देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा देसे आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे नोआयामो य अवत्तव्वं-आयाति य नोग्रआयाति य १३. देसे आदितु सम्भावपज्जवे देसे आदिट्टे असब्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे तिपएसिए खंधे आया य नोभाया य अवत्तव्वं-आयाति य नोग्रायाति य । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-तिपएसिए खंधे सिय पाया तं चेव जाव नोग्रायाति य ॥
१. आयाइ (ता); प्रायः एकवचनम् ।
२. य एए तिण्णि भंगा (अ, क, ख, ता, ब,
म, स)।
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भगवई २२२. आया भंते ! चउप्पएसिए खंधे ? अण्णे "चउप्पएसिए खंधे ? ०
गोयमा ! चउप्पएसिए खंधे १. सिय पाया २. सिय नोग्राया ३. सिय अवत्तव्वं--प्रायाति य नोग्रायाति य ४-७. सिय पाया य नोपाया य ८-११. सिय आया य अवत्तव्वं १२-१५. सिय नोपाया य अवत्तव्वं' १६. सिय पाया य नोपाया य अवत्तव्वं-पायाति य नोग्रआयाति य १७. सिय पाया य नोग्राया य अवत्तव्वाई -आयामो य नोआयायो य १८. सिय आया य नोआयाओ य अवत्तव्वं-आयाति य नोग्रायाति य १६. सिय पायायो य नोग्राया य अवत्तव्वं
-आयाति य नोग्रायाति य ।। २२३. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-चउप्पएसिए खंधे सिय आया य नोभाया य
अवत्तव्वं-तं चेव अद्वे पडिउच्चारेयव्वं ? गोयमा ! १. अप्पणो आदिट्टे पाया २. परस्स आदितु नोआया ३. तदुभयस्स आदिट्रे अवत्तव्यं -प्रायाति य नोभायाति य ४-७. देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसे आदित असब्भावपज्जवे चउभंगो ८-११. सब्भावेणं तदुभयेण य च उभंगो १२-१५. असब्भावेणं तदुभयेण य चउभंगो १६. देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसे आदितु असब्भावपज्जवे देसे आदितु तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे आया य नोपाया य अवत्तव्वं - आयाति य नोप्रायाति य १७. देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसे आदितु असब्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा तदुभयपज्जवा चउप्पएसिए खंधे आया य नोपाया य अवत्तव्वाइं--प्रायानो य नोआयाओ य १८. देसे आदिने सम्भावपज्जवे देसा आदिट्ठा असब्भावपज्जवा देसे आदितु तदुभयपज्जवे चउप्पएसिए खंध पाया य नोग्रायाग्रा य अवत्तव्व--आयाति य नोग्रआयाति य १६. देसा आदिट्टा सब्भावपज्जवा देसे आदिढे असब्भावपज्जवे देसे आदि? तदभयपज्जवे चउप्पएसिए खंधे प्रायानो य नोआया य अवत्तव्वं - अायाति य नोआयाति य । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-चउप्पएसिए खंधे सिय पाया सिय नोपाया सिय अवत्तव्वं-निक्खेवे ते चेव भंगा उच्चारेयव्वा जाव
आयाति य नोग्रायाति य ॥ २२४. प्राया भंते ! पंचपएसिए खंधे ? अण्णे पंचपएसिए खंधे ?
गोयमा ! पंचपएसिए खंधे १. सिय आया २. सिय नोग्राया ३. सिय अवत्तव्वं -आयाति य नोआयाति य ४-७. सिय प्राया य नोमाया य ८-११. सिय पाया य अवत्तव्वं १२-१५. नोआया य अवत्तव्वेण य' १६. "सिय पाया य नोग्राया
--
१. सं० पा०-पुच्छा। २. एकवचन-बहुवचनभेदात्
भङ्गाः ।
चत्वारश्चत्वारो
३. एकवचन-बहुवचनभेदात् चत्वारश्चत्वारो
भङ्गाः । ४. सं० पा०-तियगसंजोगे एक्को न पडइ;
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बारसम सतं (दसमो उद्देसो)
५८७
य अवत्तव्वं १७. सिय पाया य नोग्राया य अवत्तव्वाइं १८. सिय पाया य नोआयायो य अवत्तव्वं १६. सिय पाया य नोप्रायानो य अवत्तव्वाइं २०. सिय आयाओ य नोआया य अवत्तव्वं २१. सिय आयायो य नोआया य
अवत्तव्वाइं २२. सिय पायाअो य नोभायात्रो य अवत्तव्यं ॥ २२५. से केणट्रेणं भंते ! एवं वच्चइ-पंचपए सिए खंधे सिय पाया जाव सिय
पायायो य नोग्रायानो य अवत्तव्वं ? ° गोयमा ! १. अप्पणो आदिट्ठ पाया २. परस्स आदिटे नोग्राया ३. तदुभयस्स अादिट्टे अवत्तव्वं ४. देसे आदितु सब्भावपज्जवे देसे आदितु असब्भावपज्जवेएवं द्यगसंजोगे सव्वे पडंति, तियसंजोगे एक्को न पडइ।
छप्पएसियस्स सव्वे पडंति । जहा छप्पएसिए एवं जाव अणंतपएसिए। २२६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ।।
एकसंयोगजाः त्रयो भङ्गाः, द्विसंयोगजा: इतिरूपः पंचप्रदेशिकस्कन्धत्वात न सम्भवति । द्वादश भङ्गाः, त्रिकसंयोगजा: सप्त भङ्गाः अतः उक्तं 'तियगसंजोगे एक्को न पडइ'। ममीलिता द्वाविंशतिर्भङ्गाः पञ्चप्रदेशि- १. सं० पा०-तं चेव पडिउच्चारेयव्वं । कस्कन्धे भवन्ति । त्रिकसंयोगे अष्टमो भङ्गः २. तियगसंजोगे (ख); तिगसंजोगे (ब, म)। 'सिय आयाओ य नोभायाओ य अवत्तव्वाई' ३. भ० ११५१ ।
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तेरसमं सतं
पढमो उद्देसो १. पुढवी २. देव ३. मणंतर, ४. पुढवी ५. आहारमेव ६. उववाए।
७. भासा ८,६. कम्मणगारे, केयाघडिया' १०. समुग्घाए ॥१॥ संखेज्जवित्थडेसु नरएसु उववाय-पदं १. रायगिहे जाव' एवं वयासी—कति णं भंते ! पुढवीग्रो पण्णत्तायो ?
गोयमा ! सत्त पुढवीग्रो पण्णत्ताग्रो, तं जहा–रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा । २. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा
पण्णत्ता? गोयमा ! तीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता। ते णं भंते ! कि संखेज्जवित्थडा ? असंखेज्जवित्थडा?
गोयमा ! संखज्जवित्थडा वि, असंखेज्जवित्थडा वि ॥ ३. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्ज
वित्थडेसु नरएसु १. एगसमएणं केवतिया नेरइया उववज्जति ? २. केवतिया काउलेस्सा उववज्जति ? ३. केवतिया कण्हपक्खिया उववज्जति ? ४. केवतिया सुक्कपक्खिया उववज्जति ? ५. केवतिया सण्णी उववज्जति ? ६. केवतिया असण्णी उववज्जति ? ७. केवतिया भवसिद्धिया' उववज्जति ? ८. केवतिया अभवसिद्धिया उववज्जति ? ६. केवतिया आभिणिबोहियनाणी उववज्जति ? १०. केवतिया सुयनाणी उववज्जति? ११. केवतिया प्रोहिनाणी उववज्जति ? १२. केवतिया मइअण्णाणी उववज्जति ? १३. केवतिया सुयअण्णाणी उववज्जंति ? १४. केवतिया विभंगनाणी उववज्जति ? १५. केवतिया चक्खुदंसणी
३. भवसिद्धीया (अ, ब, म, स)।
१. केयाहडिया (अ, क, ख, ब, म)। २. भ. १४-१०।
५८८
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तेरसमं सतं (पढमो उद्देसो)
५८६ उववज्जति ? १६. केवतिया अचक्खदसणी उववज्जति ? १७. केवतिया प्रोहिदसणी उववज्जति ? १८. केवतिया अाहारसण्णोवउत्ता उववज्जति ? १६. केवतिया भयसण्णोवउत्ता उववज्जति ? २०. केवतिया मेहणसण्णोवउत्ता उववज्जंति ? २१. केवतिया परिग्गहसण्णोवउत्ता उववज्जति ? २२. केवतिया इत्थिवेदगा उववज्जति ? २३. केवतिया परिसवेदगा उववज्जंति ? २४ केवतिया नपुंसगवेदगा उववज्जति ? २५-२८ केवतिया कोहकसाई उववज्जति जाव केवतिया लोभकसाई उववज्जति ? २६-३३. केवतिया सोइंदियोवउत्ता उववज्जति जाव केवतिया फासिदियोवउत्ता उववज्जति ? ३४. केवतिया नोइंदियोवउत्ता उववज्जति ? ३५. केवतिया मणजोगी उववज्जति ? ३६. केवतिया वइजोगी उववज्जति ? ३७. केवतिया कायजोगी उववज्जति ? ३८. केवतिया सागारोवउत्ता उववज्जति ? ३६. केवतिया अणागारोवउत्ता उववज्जति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु नरएसु जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नेरइया उववज्जति । जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा काउलेस्सा उववज्जति । जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा कण्हपक्खिया उववज्जति । एवं सुक्कपक्खिया वि, ‘एवं सण्णी, एवं असण्णी", एवं भवसिद्धिया, अभवसिद्धिया, आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, प्रोहिनाणी, मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी, विभंगनाणी। चक्खुदंसणी न उववज्जति। जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा अचक्खुदंसणी उववज्जंति, एवं अोहिदंसणी वि । आहारसण्णोवउत्ता वि जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता वि । इत्थीवेयगा न उववज्जति, पुरिसवेयगा न उववज्जति । जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नपुंसगवेयगा' उववज्जति । एवं कोहकसाई जाव लोभकसाई । सोइंदियोवउत्ता न उववज्जति, एवं जाव फासिंदिनोवउत्ता न उववज्जति । जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नोइंदिनोवउत्ता उववज्जति । मणजोगी न उववज्जंति, एवं वइजोगी वि । जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा कायजोगी उववज्जति । एवं सागारोवउत्ता वि, एवं अणागारोवउत्ता' वि ॥
१. एवं सण्णी वि असण्णी वि (अ); एवं
सण्णी असण्णी (क, ता); एवं सण्णी एवं असण्णी वि (स)।
२. नपुसगवेदा (क, ब, म); नपुसगा (ख,
ता)। ३. अणगारोवउत्ता (अ, क, ख, ता, म)।
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५६०
संखेज्ज वित्थडेसु नरएसु उव्वट्टण-पदं
४. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास सय सहस्सेसु संखेज्जfaceडे नरसु' एगसमएणं केवतिया नेरइया उव्वदृति ? केवतिया काउलेस्सा उव्वति जाव केवतिया अणागारोव उत्ता उव्वति ?
भगवई
गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयस हस्सेसु संखेज्जवित्थडे नरसु एगसमएणं जहणेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नेरइया उव्वति । जहणेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा उक्कोसेणं संखेज्जा काउलेस्सा उब्वति । एवं जाव सण्णी । ग्रसण्णी न उब्वट्टंति । जह
एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा भवसिद्धिया उव्वति । एवं जाव सुयप्रणाणी । विभंगनाणी न उब्वति, चक्खुदंसणी न उव्वति । जहणेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा ग्रचक्खुदंसणी उव्वति । एवं जाव लोभकसाई । सोइंदियोवउत्ता न उब्वट्टंति, एवं जाव फासिंदियोवउत्ता न उब्वट्टेति । जहणणेणं एक्को वा दो वा तिष्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा नोइंदियोवउत्ता उव्वट्टेति । मणजोगी न उब्वट्टंति, एवं वइजोगी वि । जहणेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं सखेज्जा कायजोगी उव्वति । एवं सागारोव उत्ता, प्रणागारोवउत्ता ॥
संखेज्जवित्थडेसु नरएसु सत्ता - पर्द
५. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावास सय सहस्सेसु संखेज्ज - वित्थडे नसुकेवतिया नेरइया पण्णत्ता? केवतिया काउलेस्सा जाव केवतिया प्रणागारोवउत्ता पण्णत्ता? केवतिया प्रणंत रोववण्णगा पण्णत्ता ? केवतिया परंपरोववण्णगा पण्णत्ता ? केवतिया प्रांत रोवगाढा पण्णत्ता ? केवतिया परंपरोवगाढा पण्णत्ता ? केवतिया श्रणंतराहारा पण्णत्ता? केवतिया परंपराहारा पण्णत्ता ? केवतिया प्रणतरपज्जत्ता पण्णत्ता? केवतिया परंपरपज्जत्ता पण्णत्ता ? केवतिया चरिमा पण्णत्ता ? केवतिया श्रचरिमा पण्णत्ता ?
१. निरतेसु (ता) ।
गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावासराय सहस्सेसु संखेज्जवित्थडे नरपसु संखेज्जा नेरइया पण्णत्ता, संखेज्जा काउलेस्सा पण्णत्ता, एवं जाव संखेज्जा सण्णी पण्णत्ता । असण्णी सिय प्रत्थि, सिय नत्थि । जइ प्रत्थि जहणणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा पण्णत्ता । संखेज्जा भवसिद्धिया पण्णत्ता । एवं जाव संखेज्जा परिग्गहसण्णोवउत्ता पण्णत्ता । इत्थिवेदगा नत्थि, पुरिसवेदगा नत्थि, संखेज्जा नपुंसगवेदगा पण्णत्ता । एवं कोह
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तेरसमं सत (पढमो उद्देसो)
५६१ कसाई वि, माणकसाई जहा असण्णी, एवं जाव लोभकसाई । संखेज्जा सोइंदियोवउत्ता पण्णत्ता, एवं जाव फासिदियोवउत्ता। नोइंदियोव उत्ता जहा असण्णी । संखेज्जा मणजोगी पण्णत्ता एवं जाव अणागारोवउत्ता। अणंत रोवण्णगा सिय अत्थि, सिय नत्थि । जइ अत्थि जहा असण्णी । संखेज्जा परंपरोववण्णगा पण्णत्ता । एवं जहा अणंतरोववण्णगा तहा अणं तरोवगाढगा, अणंतराहारगा,
अणंतरपज्जत्तगा। परंपरोवगाढगा जाव अचरिमा जहा परंपरोववण्णगा। ६. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेस असंखेज्ज
वित्थडेस नएस एगसमएणं केवतिया नेरइया उववज्जति जाव केवतिया अणागारोवउत्ता उववज्जंति ? गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु असंखेज्जवित्थडेसु नरएसु एगसमएणं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं असंखेज्जा नेरइया उववज्जति । एवं जहेव संखेज्जवित्थडेसु तिण्णि गमगा' तहा असंखेज्जवित्थडेसु वि तिण्णि गमगा भाणियव्वा, नवरं-असंखेज्जा भाणियव्वा, सेसं तं चेव जाव असंखेज्जा अचरिमा पण्णत्ता, नवरं-संखेज्जवित्थडेसु असंखेज्जवित्थडेसु वि अोहिनाणी अोहिदंसणी य संखेज्जा उव्वट्टा
वेयव्वा, सेसं तं चेव ॥ ७. सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए केवतिया निरयावास सयसहस्सा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पणुवीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता । ते ण भते ! कि संखज्जवित्थडा ! असखज्जावत्थडा ! एवं जहा रयणप्पभाए तहा सक्करप्पभाए वि, नवरं-असण्णी तिसु वि गमएसु
न भण्णति, सेसं तं चेव ॥ ८. वालुयप्पभाए णं-पुच्छा।
गोयमा ! पन्नरस निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, सेसं जहा सक्करप्पभाए,
नाणत्तं लेसासु, लेसाप्रो जहा पढमसए॥ ६. पंकप्पभाए णं-पुच्छा। गोयमा ! दस निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, एवं जहा सक्करप्पभाए, नवरं
-ओहिनाणी अोहिदसणी य न उव्वटुंति, सेसं तं चेव ॥ १०. धूमप्पभाए णं-पुच्छा।
१. गमा (ता)।
नासौ पाठः संगच्छते । २. पण्णत्ता नारणत्तं लेसासु लेसाओ जहा ३. सं० पा०-पुच्छा ।
पढमसए (अ, क, ख, ब, म, स); रत्न- ४. भ० ११२४४ । प्रभायां एकैव कापोतीलेश्या भवति, तेन
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५६२
भगवई
गोयमा ! तिण्णि निरयावाससयसहस्सा, एवं जहा पंकप्पभाए । ११. तमाए णं भंते ! पुढवीए केवतिया निरयावास सयसहस्सा पण्णत्ता ° ?
गोयमा ! एगे पंचूणे निरयावाससयसहस्से पण्णत्ते । सेसं जहा पंकप्पभाए । १२. अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए कति अणुत्तरा महतिमहालया महानिरया
पण्णत्ता? गोयमा ! पंच अणुत्तरा' 'महतिमहालया महानिरया पण्णत्ता, तं जहा-काले, महाकाले, रोरुए, महारोरुए °, अपइट्ठाणे । ते णं भंते ! कि संखेज्जवित्थडा? असंखेज्जवित्थडा ?
गोयमा ! संखेज्जवित्थडे य असंखेज्जवित्थडा य ।। १३. अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु महतिमहालएसु' महानिरएसु
संखेज्जवित्थडे नरए एगसमएणं केवतिया नेरइया उववज्जति ? एवं जहा पंकप्पभाए, नवरं-तिसु नाणेसु न उववज्जति, न उव्वदृति, पण्ण
त्तएसु तहेव अस्थि । एवं असंखेज्जवित्थडेसु वि, नवरं-असंखेज्जा भाणियव्वा। १४. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्ज
वित्थडेसु नरएसु किं सम्मट्टिी ने रइया उववज्जति ? मिच्छदिट्ठी नेरइया उववज्जति ? सम्मामिच्छदिट्ठी नेरइया उववज्जति ? गोयमा ! सम्मदिट्ठी वि नेरइया उववज्जति, मिच्छदिट्ठी वि नेरइया उवव
ज्जति, नो सम्मामिच्छदिट्ठी नेरइया उववज्जति ।। १५. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्ज। वित्थडेसु नरएसु किं सम्मदिट्ठी नेरइया उव्वट्ठति ?
एवं चेव ॥ १६. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए तीसाए निरयावाससयसहस्सेसु संखेज्ज
वित्थडा नरगा कि सम्मद्दिट्टीहि नेरइएहि अविरहिया ? मिच्छदिट्ठीहि ने रइएहि अविरहिया ? सम्मामिच्छदिट्ठीहिं ने रइएहि अविरहिया ? गोयमा ! सम्मद्दिट्टीहिं ने रइएहिं अविरहिया, मिच्छदिट्ठीहिं वि नेरइएहिं अविरहिया, सम्मामिच्छदिट्ठीहिं नेरइएहिं अविरहिया विरहिया वा। एवं असंखेज्जवित्थडेसु वि तिण्णि गमगा भाणियव्वा । एवं सक्करप्पभाए वि, एवं
जाव तमाए वि॥ १७. अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए पंचसु अणुत्तरेसु जाव' संखेज्जवित्थडे नरए किं
सम्मद्दिट्ठी नेरइया-पुच्छा। १. सं० पा० - पुच्छा।
__४. पण्णत्ताएसु (अ, ता, म, स); पण्णत्तेसु २. सं० पा०-अणुत्तरा जाव अपइट्ठाणे। (क, ब) । ३. महतिमहा जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ५. भ० १३।१२ ।
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तेरसमं सतं (बीओ उद्देसो)
५६३
गोयमा ! सम्मद्दिट्ठी नेरइया न उववज्जति, मिच्छदिट्ठी नेरइया उववज्जति, सम्मामिच्छदिट्ठी नेरइया न उववज्जति । एवं उव्वद्वृति वि, अविरहिए जहेव
रयणप्पभाए । एवं असंखेज्जवित्थडेसु वि तिण्णि गमगा ॥ १८. से नूणं भंते ! कण्हलेस्से, नीललेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता कण्हलेस्सेसु
नेरइएसु उववज्जति ?
हंता गोयमा ! कण्हलेस्से जाव उववज्जति ।। १६. से केणटेणं भंते ! एवं वच्चइ-कण्हलेस्से जाव उववज्जति ?
गोयमा ! लेस्सट्टाणेसु संकिलिस्समाणेसु-संकिलिस्समाणेसु कण्हलेसं परिणमइ,
परिणमित्ता कण्हलसेसु नेरइएसु उववज्जति । से तेण?णं जाव उववज्जति ।। २०. से नूणं भंते ! कण्हलेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता नीललेस्सेसु नेरइएसु
उववज्जति ?
हंता गोयमा ! जाव उववज्जति ।। २१. से केणट्रेणं जाव' उववज्जति ?
गोयमा ! लेस्सट्ठाणेसु संकिलिस्समाणेसु वा विसुज्झमाणेसु वा नीललेस्सं परिणमइ, परिणमित्ता नीललेस्सेसु नेरइएसु उववज्जति । से तेण?णं गोयमा !
जाव उववज्जति ॥ २२. से नूणं भंते ! कण्हलेस्से, नीललेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता काउलेस्सेसु
नेरइएसु उववज्जति ? एवं जहा नीललेस्साए तहा काउलेस्साए वि भाणियव्वा जाव से तेण?णं जाव
उववज्जति ॥ २३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
____
वीओ उद्देसो
२४. कतिविहा णं भंते ! देवा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चउविवहा देवा पण्णत्ता, तं जहा–भवणवासी, वाणमंतरा, जोइ
सिया, वेमाणिया ॥ २५. भवणवासी णं भंते ! देवा कतिविहा पण्णत्ता ?
१. भ० ११५१।
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भगवई गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तं जहा--असुरकुमारा-एवं भेगो जहा बितिय
सए देवुद्देसए जाव' अपराजिया, सव्वट्ठसिद्धगा ।। २६. केवतिया णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चोयट्ठि' असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता । ते णं भंते ! कि संखेज्जवित्थडा ? असंखेज्जवित्थडा ?
गोयमा ! सखज्जवित्थडा वि, असंखज्जवित्थडा वि ।। २७. चोयट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु असुरकुमा
रावासेस एगसमएणं केवतिया असुरकूमारा उववज्जति जाव केवतिया तेउलेस्सा उववज्जति ? केवतिया कण्हपक्खिया उववज्जति ? एवं जहा रयणप्पभाए तहेव पुच्छा, तहेव' वागरणं, नवरं-दोहिं वेदेहि उववज्जति, नपुंसगवेयगा न उववज्जति, सेसं तं चेव । उव्वटुंतगा वि तहेव, नवरं-असण्णी उव्वद॒ति । प्रोहिनाणी अोहिदसणी य ण उव्वटुंति, सेसं तं चेव । पण्णत्तएस तहेव, नवरंसंखेज्जगा इत्थिवेदगा पण्णत्ता, एवं पुरिसवेदगा वि, नपुंसगवेदगा नत्थि। कोहकसाई सिय अत्थि सिय नत्थि । जइ अस्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा पण्णत्ता। एवं माणकसाई मायकसाई । संखेज्जा लोभकसाई पण्णत्ता, सेसं तं चेव । तिसु वि गमएसु चत्तारि लेस्सानो भाणियव्वाओ। एवं असंखेज्जवित्थडेसु वि, नवरं-तिसु वि गमएसु असंखेज्जा
भाणियव्वा जाव' असंखेज्जा अचरिमा पण्णत्ता । २८. केवतिया णं भंते ! नागकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? एवं जाव थणिय
कूमारा, नवरं-जत्थ जत्तिया भवणा॥ २६. केवतिया णं भंते ! वाणमंतरावाससयसहस्सा पण्णत्ता ?
गोयमा ! असंखेज्जा वाणमंतरावाससयसहस्सा पण्णत्ता। ते णं भंते ! कि संखेज्जवित्थडा ? असंखेज्जवित्थडा ?
गोयमा ! संखेज्जवित्थडा, नो असंखेज्जवित्थडा ।। ३०. संखेज्जेसु णं भंते ! वाणमंतरावाससयसहस्सेसु एगसमएणं केवतिया वाणमंतरा
उववज्जति ? एवं जहा असुरकुमाराणं संखेज्जवित्थडेसु तिण्णि गमगा तहेव भाणियव्वा वाणमंतराण वि तिण्णि गमगा ॥
१. x (ता, ब)। २. भ० २१११७; प० २। ३. चोसट्टि (स)। ४. चोसट्ठीए (स)। ५. भ० १३।३।
६. पण्णत्ताएसु (अ, क, ब, म, स)। ७. गमएसु संखेज्जेसु (अ, स)। ८. भ० १३।५। ६. भ० ११२१३ १०. गमा (क, ख, ता, ब, म)।
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तेरसमं सतं (बीओ उद्देसो)
३१.
केवतिया णं भंते ! जोइसिय विमाणावास सय सहस्सा' पण्णत्ता ? गोमा ! असंखेज्जा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता । णं भंते! किं संखेज्जवित्थडा • ?
एवं जहा वाणमंतराणं तहा जोइसियाण वि तिष्णि गमगा भाणियव्वा, नवरं - एगा तेउलेस्सा । उववज्जंतेसु पण्णत्तेसु य असण्णी नत्थि, सेसं तं चेव ॥
३२. सोहम्मे णं भंते ! कप्पे केवतिया विमाणावास सय सहस्सा पण्णत्ता ? गोमा ! बत्तीसं विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ।
ते णं भंते ! किं संखेज्जवित्थडा ? असंखेज्जवित्थडा ?
गोमा ! संखेज्ज वित्थडा वि, प्रसंखेज्जवित्थडा वि ।।
३३. सोहम्मे णं भंते ! कप्पे बत्तीसार विमाणावाससयसहस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु विमाणे एगसमणं केवतिया सोहम्मा देवा उववज्जंति ? केवतिया तेउलेस्सा उववज्जंति ?
एवं जहा जोइसियाणं तिणि गमगा तहेव तिण्णि गमगा भाणियव्वा, नवरं - तिसु विसंखेज्जा भाणियव्वा, ओहिनाणी मोहिदंसणी य चयावेयव्वा, सेसं तं चेव । ग्रसंखेज्जवित्थडेसु एवं चेव तिणि गमगा, नवरं-तिसु वि गमएसु
संखेज्जा भाणियव्वा । श्रहिनाणी मोहिदंसणी य संखेज्जा चयंति, सेसं तं चेव । एवं जहा सोहम्मे वत्तव्वया भणिया तहा ईसाणे वि छ गमगा भाणि - यव्वा । सणकुमारे एवं चेव, नवरं - इत्थीवेयगा उववज्जंतेसु पण्णत्तेसु य न तिणीति वि गमएसु न भण्णंति, सेसं तं चेव । एवं जाव सहस्सारे, नातं विमाणे लेस्सासु य, सेसं तं चैव ॥
३४. प्राणय- पाणएसु णं भंते ! कप्पेसु केवतिया विमाणावाससया पण्णत्ता ? गोयमा ! चत्तारि विमाणावाससया पण्णत्ता ।
तेणं भंते ! किं संखेज्जवित्थडा ? असंखेज्जवित्थडा ?
५६५
गोयमा ! संखेज्जवित्थडा वि, प्रसंखेज्जवित्थडा वि । एवं संखेज्जवित्थडे सु तिणि गमगा जहा सहस्सारे, असंखेज्जवित्थडेसु उववज्जंतेसु चयंतेसु य एवं चेव संखेज्जा भाणियव्वा, पण्णत्तेसु प्रसंखेज्जा, नवरं - नोइंदियोवउत्ता अणंतरोववण्णगा अणंतरोवगाढगा अनंतराहारगा प्रणंतरपज्जत्तगा य एएसिं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा पण्णत्ता, सेसा असंखेज्जा भाणियव्वा । 'आारण-अच्चु एसुर एवं चेव जहा प्रणय- पाणएसु, नाणत्तं विमासु । एवं गेवेज्जगा वि ॥
१. जोतिसियावास सहस्सा ( अ, क, ख, ता, ब, म) ।
२. न उववज्जंति ( स ) ।
३. आरणच्चुएसु (अ, क, ख, ब, म, स) ।
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५६६
३५.
कति णं भंते! प्रणुत्तरविमाणा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंच प्रणुत्तरविमाणा पण्णत्ता ।
'ते णं भंते ! किं संखेज्जवित्थडा ? असंखेज्जवित्थडा ? गोयमा" ! संखेज्जवित्थडे य प्रसंखेज्जवित्थडा य || ३६. पंचसु णं भंते ! अणुत्तरविमाणेसु संखेज्जवित्थडे विमाणे एगसमएणं केवतिया अणुत्तरोववाइया उववज्जति ? केवतिया सुक्कलेस्सा उववज्जंति - पुच्छा तव ।
गोयमा ! पंचसु णं प्रणुत्तरविमाणेसु संखेज्जवित्थडे प्रणुत्तरविमाणे एगसमएणं जहणे एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा प्रणुत्तरोववाइया उववज्जंति, एवं जहा गेवेज्जविमाणेसु संखेज्जवित्थडेसु, नवरं - किण्हपक्खिया, प्रभवसिद्धिया, तिसु अण्णाणेसु एए न उववज्जंति, न चयंति, न वि पण्णत्तएसु भाणियव्वा, चरिमा वि खोडिज्जंति जाव संखेज्जा चरिमा पण्णत्ता, सेसं तं चेव । असंखेज्जवित्थडेसु वि एएन भण्णंति, नवरं - प्रचरिमा अत्थि, सेसं जहा गेवेज्जएसु श्रसंखेज्जवित्थडेसु जाव प्रसंखेज्जा अचरिमा पण्णत्ता || ३७. चोयट्ठीए णं भंते ! असुरकुमारावाससयस हस्सेसु संखेज्जवित्थडेसु असुरकुमारावासेसु कि सम्मद्द्द्दिट्ठी असुरकुमारा उववज्जंति ? मिच्छदिट्टी सुरकुमारा उववज्जंति ?
३८.
एवं जहा रयणप्पभाए तिण्णि आलावगा भणिया तहा भाणियव्वा । एवं असंजवित्थडे वितिष्णि गमगा एवं जाव गेवेज्जविमाणे, प्रणुत्तरविमाणेसु एवं चेव, नवरं - तिसु श्रावसु मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी यन भण्णंति, सेसं तं चेव ॥
नू भंते ! कण्हलेस्से नीललेस्से जाव सुक्कलेस्से भवित्ता कण्हलेस्सेसु देवेसु उववज्जंति ?
हंता गोयमा ! एवं जहेब नेरइएस पढमे उद्देसए) तहेव भाणियव्वं । नीललेस्साए वि जहेव नेरइयाणं, जहा नीललेस्साए एवं जाव पम्हलेस्सेस, सुक्कलेस्सेसु एवं चेव, नवरं – लेस्सट्ठाणेसु विसुज्झमाणेसु-विसुज्झमाणेसु सुक्कलेस्सं परिणमंति, परिणमित्ता सुक्कलेस्सेसु देवेसु उववज्जति । से तेणट्टेणं जाव उववज्जति ।। ३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. X ( अ, क, ख, ता, ब, म) 1
२. भ० १३ । १४ ।
भगवई
३. भ० १३।१८-२२ ।
४. भ० १।५१ ।
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तेरसमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
५६७
तइओ उद्देसो ४०. नेरइया णं भंते ! अणंतराहारा, ततो निव्वत्तणया, एवं परियारणापद' निरव
सेसं भाणियव्वं ।। ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
चउत्थो उद्देसो
नरय-नेरइयाणं अप्पमहंत-पदं ४२. कति' णं भंते ! पुढवीअो पण्णत्तायो ?
गोयमा ! सत्त पुढवीनो पण्णत्तानो, तं जहा-रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा । ४३. अहेसत्तमाए णं भंते ! पूढवीए पंच अणत्तरा महतिमहालया महानिरया
पण्णत्ता, तं जहा-काले, महाकाले, रोरुए, महारोरुए, अपइटाणे । ते णं नरगा छट्ठीए तमाए पुढवीए नरएहितो महत्तरा चेव, महावित्थिण्णतरा चेव, महोगासतरा चेव, महापइरिक्कतरा चेव, नो तहा महप्पवेसणतरा चेव, ग्राइण्णतरा चेव, पाउलतरा चेव, अणोमाणतरा" चेव । तेसु णं नरएसु नेरइया छट्ठीए तमाए पुढवीए नेरइएहितो महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव,
१. प०३४ । २. भ० ११५१ । ३. इह च द्वारगाथे क्वचिद् दृश्येते, तद्यथा--
१. नेरइय २. फास ३. पणिहि, ४. निरयते चेव ५. लोयमज्झे य । ६. दिसिविदिसाण य पवहा, ७. पवत्तरणं अस्थिकाएहि ॥१॥ ८. अत्थी पएसफुसणा, ६. ओगाहणया य जीवमोगाढा । १०. अस्थि पएसनिसीयणं, ११. बहसमे लोयसंठाणे ॥२॥ (वृ)।
४. सं० पा०-महतिमहालया जाव अपइदाणे। ५. छठाए (अ, क, ख, ता, म)। ६. महंतरा (क, ब, म)। ७. महाविच्छिण्णतरा (अ, स)। ८. महावासतरा (अ, क); महोबासतरा (ख,
ता); महावासंतरा (म, स)। 8. 'नो' शब्दः उत्तरपदद्वयपि सम्बन्धनीयः
(वृ)। १०. महापवेसणतरा (म, स)। ११. अणोयणतरा (अ, ख, ता, म, स, वृपा)।
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भगवई
महासवतरा' चेव, महावेदणतरा चेव, नो तहा अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा चेव, अप्पासवतरा चेव, अप्पवेदणतरा चेव, अप्पिड्ढियतरा' चेव, अप्पजुतियतरा चेव, नो तहा महिड्ढियतरा चेव, महज्जुतियतरा चेव । छट्ठीए णं तमाए पुढवीए एगे पचूणे निरयावाससयसहस्से पण्णत्ते । ते णं नरगा अहेसत्तमाए पुढवीए नरएहितो नो तहा महत्तरा चेव, महावित्थिण्णतरा चेव, महागासतरा चेव, महापहारक्कतरा चव, महप्पवेसणतरा चेव, पाइण्णतरा चेव, पाउलतरा चेव, अणोमाणतरा चेव । तेसु णं नरएसु नेरइया अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइएहितो अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा चेव, अप्पासवतरा चेव, अप्पवेदणतरा चेव ; नो तहा महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चेव, महावेदणतरा चेव; महिड्ढियतरा चेव, महज्जुइयतरा चेव ; नो 'तहा अप्पिड्ढियतरा चेव, अप्पजुइयतरा चेव । छट्ठीए णं तमाए पुढवीए नरगा पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नरएहितो महत्तरा चेव. महावित्थिण्णतरा चेव, महोगासतरा चेव, महापरिक्कतरा चेव: नो तहा महप्पवेसणतरा चेव, पाइण्णतरा चेव, आउलतरा चेव, अणोमाणतरा चेव । तेसु णं नरएसु नेरइया पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए नेरइएहितो महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चेव, महावेदणतरा चेव; नो तहा अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा चेव, अप्पासवतरा चेव, अप्पवेदणतरा चेव ; अप्पिड्ढियतरा चेव, अप्पजुतियतरा चेव; नो तहा महड्ढियतरा
चेव, महज्जुतियतरा चेव । पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए तिण्णि निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता । एवं जहा छट्ठीए भणिया एवं सत्त वि पुढवीओ परोप्परं भण्णंति जाव रयणप्पभंति
जाव नो तहा महड्ढियतरा चेव, अप्पजुतियतरा चेव ।। नेरइयाणं फासाणुभव-पदं ४४. रयणप्पभापुढविनेरइया णं भंते ! केरिसयं पुढविफासं पच्चणुब्भवमाणा विह
रंति? गोयमा ! अणिटुं जाव' अमणामं । एवं जाव अहेसत्तमपुढविनेरइया । एवं आउफासं, एवं जाव वणस्सइफासं ।।
१. महस्सवतरा (क, ता, म)। २. अपिढितरा (ता, ब)। ३. अप्पज्जुत्तितरा (अ, ता, ब)।
४. तहप्पिड्ढियतरा (अ, क, ख, स); तहिप्पि___ ड्ढियतरा (ता)। ५. भ. ११३५७।
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तेरसमं सतं चउत्यो उद्देसो)
५६६
नरयाणं बाहल्ल-खुड्डुत्त-पदं ४५. इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवी दोच्चं सक्करप्पभं पुढवि पणिहाय सव्वमहं
तिया बाहल्लेणं, सव्वखुड्डिया सव्वतेसु ? "हंता गोयमा ! इमा णं रयणप्पभापुढवी दोच्चं पुढवि पणिहाय जाव सव्वखुड्डिया सव्वंतेसु। दोच्चा णं भंते ! पुढवी तच्चं पुढवि पणिहाय सव्वमहंतिया बाहल्लेणं-पुच्छा। हंता गोयमा ! दोच्चा णं पुढवी जाव सव्वखुड्डिया सव्वंतेसु । एवं एएणं अभिलावेणं जाव छट्ठिया पुढवी अहेसत्तमं पुढवि पणिहाय जाव सव्वखुड्डिया
सव्वंतेसू० ॥ निरयपरिसामंत-पदं ४६. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामंतेसु जे पुढविक्काइया
३°जाव वणस्सइकाइया तेणं जीवा महाकम्मतरा चेव, महाकिरियतरा चेव, महासवतरा चेव, महावेदणतरा चेव ? हंता गोयमा ! इमोसे णं रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामंतेसु तं चेव जाव महावेदणतरा चेव । एवं ° जाव अहेसत्तमा ।।
लोगमज्झ-पदं
४७. कहि णं भंते ! लोगस्स पायाममज्झे पण्णत्ते ?
गोयमा ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए प्रोवासंत रस्स असंखेज्जइभागं प्रोगाहेत्ता,
एत्थ णं लोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ।। ४८. कहि णं भंते ! अहेलोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ?
गोयमा ! चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवीए अोवासंत रस्स सातिरेगं अद्धं प्रोगाहेत्ता,
एत्थ णं अहेलोगस्स पायाममझे पण्णत्ते ।। ४६. कहि णं भंते ! उड्ढलोगस्स आयाममझे पण्णत्ते ?
गोयमा ! उप्पि सणंकुमार-माहिंदाणं कप्पाणं हेट्ठि बंभलोए कप्पे रिटू विमाणे
पत्थडे, एत्थ णं उड्ढलोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ।। ५०. कहि णं भंते ! तिरियलोगस्स आयाममज्झे पण्णत्ते ?
गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स बहुमज्झदेसभाए इमीसे रयणप्पभाए
१. सं० पा०-एवं जहा जीवाभिगमे बितिए ३. सं० पा०–एवं जहा नेरइयउद्देसए जाय । नेरइयउद्देसए।
४. हत्थिं (क); हवि (ख, ता); हिट्टि (ब); २. निरयापरिसमंतेसु (ता)।
हट्टि (म)।
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भगवई
पुढवी उवरिमहेट्ठिल्लेसु खुड्डगपयरेसु', एत्थ णं तिरियलोग मज्झे टुपएसिए रुय पण्णत्ते, जो णं इमाओ दस दिसाओ पवहंति, तं जहा - १. पुरत्थिमा २. पुरत्थिमदाहिणा ३. दाहिणा ४. दाहिणपच्चत्थिमा ५. पच्चत्थिमा ६. पच्चत्थिमुत्तरा ७. उत्तरा ८. उत्तरपुरत्थिमा ६. उड्ढा १० ग्रहो ।। ५१ एयासि णं भंते ! दसण्हं दिसाणं कति नामधेज्जा पण्णत्ता ? गोमा ! दस नामधेज्जा पण्णत्ता, तं जहा
इंदा अग्गेयी जमा, य नेरई वारुणी य वायव्वा । सोमा ईसाणी या, विमला य तमा य बोद्धव्वा ॥ १॥
o
६००
५२. इंदा णं भंते! दिसा किमादीया, किपवहा, कतिपदेसादीया, कतिपदेसुत्तरा,
कतिपदेसिया, किपज्जवसिया, किंसंठिया पण्णत्ता ?
गोमा ! इंदा णं दिसा रुयगादीया, रुयगप्पवहा, दुपएसादीया, दुपए सुत्तरा, लोगं पडुच्च' असंखेज्जपएसिया, अलोगं पडुच्च प्रणतपएसिया, लोगं पडुच्च सादीया सपज्जवसिया, अलोगं पडुच्च सादीया अपज्जवसिया, लोगं पडुच्च मुरवसंठिया, लोगं पडुच्च सगडुद्धिसंठिया पण्णत्ता ॥
५३. अग्गेयी णं भंते! दिसा किमादीया, किपवहा, कतिपएसादीया, कतिपएस
वित्ण्णिा, कतिपएसिया, किपज्जवसिया, किंसंठिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! अग्गेयी णं दिसा रुयगादीया, स्थगप्पवहा, एगपएसादीया, एगपएसवित्थिण्णा - अणुत्तरा, लोगं पडुच्च प्रसंखेज्जपएसिया लोगं, पडुच्च अणतपएसिया, लोगं पडुच्च सादीया सपज्जवसिया, अलोगं पडुच्च सादीया अपज्जवसिया, छिण्णमुत्तावलिसंठिया पण्णत्ता । जमा जहा इंदा, नेरई जहा अग्गेयी । एवं जहा इंदा तहा दिसा चत्तारि, जहा अग्गेई तहा चत्तारि विदिसाओ ॥ ५४. विमला णं भंते ! दिसा किमादीया, "किपवहा, कतिपएसादीया, कतिपएसवित्थिण्णा, कतिपएसिया, किंपज्जवसिया, किसंठिया पण्णत्ता 。 ? गोयमा ! विमला णं दिसा रुयगादीया, रुयगप्पवहा, चउप्पएसादीया, दुपएसवित्थिण्णा - श्रणुत्तरा, लोगं पडुच्च असंखेज्जपएसिया, अलोगं पडुच्च प्रणतपएसिया, लोगं पडुच्च सादीया सपज्जवसिया, लोगं पडुच्च सादीया अपज्जवसिया, रुयगसंठिया पण्णत्ता । एवं तमा वि ॥
१. खुड्डाग ० ( ता, ब ) ।
२. सं० पा० - एवं जहा दसमसए जाव नामधेज्जे ति ।
३. पडुच्चा (ता) सर्वत्र ।
४. चत्तारि वि (क, ख, ता, ब, म ) ।
५. सं० पा० - पुच्छा जहा अग्गेयीए ।
६. सं० पा० - सेसं जहा अग्गेयीए नवरं रुयगसंठिया ।
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तेरसमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
६०१ लोय-पदं ५५. किमियं भंते ! लोएत्ति पवच्चइ ?
गोयमा ! पंचत्थिकाया, एस णं एवतिए लोएत्ति पवच्चइ, तं जहा-धम्मत्थि
काए, अधम्मत्थिकाए' 'पागासत्थिकाए, जीवत्थिकाए °, पोग्गलत्थिकाए । ५६. धम्मत्थिकाएणं भंते ! जीवाणं किं पवत्तति ?
गोयमा ! धम्मत्थिकाएणं जीवाणं आगमण-गमण-भासुम्मेस-मणजोग-वइजोगकायजोगा, जे यावण्णे तहप्पगारा चला भावा सव्वे ते धम्मत्थिकाए पवत्तंति ।
गइलक्खणे णं धम्मत्थिकाए॥ ५७. अधम्मत्थिकाएणं भंते ! जीवाणं किं पवत्तति ?
गोयमा ! अधम्मत्थिकाएणं जीवाणं ठाण-निसीयण-तुयट्टण', मणस्स य एगत्तीभावकरणता, जे यावण्णे तहप्पगारा थिरा भावा सव्वे ते अधम्मत्थि
काए पवत्तंति । ठाणलक्खणे णं अधम्मत्थिकाए । ५८. आगासत्थिकाएणं भंते ! जीवाणं 'अजीवाण य" कि पवत्तति ? गोयमा ! अागासत्थिकाए णं जीवदव्वाण ‘य अजीवदव्वाण य" भायणभूए
एगेण वि से पुण्णे, दोहि वि पुण्णे सयं पि माएज्जा।
कोडिसएण वि पुण्णे, कोडिसहस्सं पि माएज्जा ॥१॥ अवगाहणालक्खणे णं अागासत्थिकाए । ५६. जीवत्थिकाए णं भंते ! जीवाणं किं पवत्तति ?
गोयमा ! जीवत्थिकाएणं जीवे अणंताणं आभिणिबोहियनाणपज्जवाणं, अणंताणं सुयनाणपज्जवाणं "अणताणं अोहिनाणपज्जवाणं, अणंताणं मणपज्जवनाणपज्जवाणं, अणंताणं केवलनाणपज्जवाणं, अणंताणं मइअण्णाणपज्जवाणं, अणंताणं सुयअण्णाणपज्जवाणं, अणंतागं विभंगनाणपज्जवाणं, अणंताणं चक्खुदंसणपज्जवाणं, अणंताणं अचक्खुदंसणपज्जवाणं, अणंताणं अोहिदंसणपज्जवाणं, अणंताणं केवलदसणपज्जवाणं ° उवयोगं गच्छति । उवयोगलक्खणे'
णं जीवे ।। ६०. पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! जीवाणं कि पवत्तति ?
१. अहम्म ° (अ, क, म, स); सं० पा०-
अधम्मत्थिकाए जाव पोग्गलत्थिकाए। २. भासमोस (अ, स); भासूमेस (ख)। ३. प्रथमाबहुवचनलोप दर्शनात् (वृ)। ४. X (ख, ब, म)।
५. X (ख)। ६. सं० पा०–एवं जहा बितियसए अत्थिकाय
उद्देसए जाव उवयोगं । ७. उवयोग (क, ता); उवजोग (ब)। ८. सं० पा०-पुच्छा ।
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६०२
भगवई
गोयमा ! पोग्गलत्थिकाएणं जीवाणं ओरालिय-वेउव्विय-'पाहारा-तेया कम्मासोइंदिय-क्खिदिय-घाणिदिय - जिभिदिय - फासिदिय-मणजोग-वइजोग-काय
जोग-प्राणापाणणं च गहणं पवत्तति । गहणलक्खणे णं पोग्गलत्थिकाए । धम्मत्थिकायादीणं परोप्परं फास-पदं ६१. एगे भंते ! धम्मत्थिकायपदेसे केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुढे ?
गोयमा ! जहण्णपदे तिहिं, उक्कोसपदे छहिं। केवतिएहि अधम्मत्थिकायपदेसेहिं पुढे ? जहण्णपदे' चउहिं, उक्कोसपदे सत्तहिं । केवतिएहिं आगासत्थिकायपदेसेहि पु? ? सहि । केवतिएहिं जीवत्थिकायपदेसेहिं पुटे ? अणतेहि। केवतिएहि पोग्गलत्थिकायपदेसेहिं पुढे ? अणंतेहिं । केवतिएहि श्रद्धासमएहि
पुटे ? सिय पुढे सिय नो पुट्टे, जइ पुढे नियम अणंतेहिं ।।। ६२. एगे भंते ! अधम्मत्थिकायपदेसे केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहि पुट्टे ?
गोयमा ! जहण्णपदे चउहि, उक्कोसपदे सत्तहिं । केवतिएहि अधम्मत्थिकाय
पदेसेहिं पुढे ? जहण्णपदे तिहिं, उक्कोसपदे हि । सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स ।। ६३. एगे भंते ! अागासत्थिकायपदेसे केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुढे ?
गोयमा ! सिय पुढे सिय नो पुढे, जइ पुढे जहण्णपदे एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसपदे सत्तहिं । एवं अधम्मत्थिकायपदेसेहिं वि । केवतिएहिं आगासथिकायपदेसेहिं पुढे ? छहिं । केवतिएहिं जीवत्थिकायपदेसेहिं पुढे ? सिय पुढे सिय नो पुढे, जइ पुढे नियमं अणंतेहिं । एवं पोग्गलत्थिकायपदेसेहि वि,
अद्धासमएहिं वि॥ ६४. एगे भंते ! जीवत्थिकायपदेसे के वतिएहि धम्मत्थिकाय पदेसे हिं पट्टे ? ०
जहण्णपदे चउहि, उक्कोसपदे सत्तहिं । एवं अधम्मत्थिकायपदेसेहिं वि। केवतिएहिं आगासत्थिकाय पदेसेहिं पुढे ? • सत्तहिं । केवतिएहिं जीवत्थिकायपदेसेहिं पुढे ? अणंतेहिं । सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स ॥ एगे भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसे केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुढे ? एवं
जहेव जीवत्थिकायस्स ।। ६६. दो भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुट्ठा ?
गोयमा ! जहण्णपदे छहि, उक्कोसपदे बारसहिं । एवं अधम्मत्थिकायपदेसेहि वि । केवतिएहि अागासत्थिकायपदेसेहिं पुट्ठा ? बारसहिं । सेसं जहा' धम्मत्थिकायस्स ॥
१. आहारए तेयकम्मए (ख)। २. गोयमा ! जहण्णपदे (स) सर्वत्र । ३. सं० पा०-पुच्छा। ४. सं० पा०-पुच्छा।
५. भ० १३०६१। ६. भ०१३।६४। ७. भ० १३१६१ ।
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तेरसमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
६०३ ६७. तिण्णि भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुट्ठा ?
जहण्णपदे अहि, उक्कोसपदे सत्तरसहि। एवं अधम्मत्थिकायपदेसेहि वि। केवतिएहि अागासत्थिकायपदेसेहिं पुट्ठा ? सत्तरसहिं। सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स । एवं एएणं गमेणं भाणियव्वा' जाव दस, नवरं-जहण्णपदे दोण्णि पक्खिवियव्वा, उक्कोसपदे पंच। चत्तारि पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे दसहि, उक्कोसपदे बावीसाए । पंच पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे बारसहिं उक्कोसपदे सत्तावीसाए। छ पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे चोद्दसहि, उक्कोसपदे वत्तीसाए। सत्त पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे सोलसहिं, उक्कोसपदे सत्ततीसाए । अट्ठ पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे अट्ठारसहिं, उक्कोसपदे बायालीसाए। नव पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे वीसाए, उक्कोसपदे सीयालीसाए। दस पोग्गलत्थिकायस्स पदेसा जहण्णपदे बावीसाए,
उक्कोसपदे बावन्नाए । अागासत्थिकायस्स सव्वत्थ उक्कोसगं भाणियव्वं ॥ ६८. संखेज्जा भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहिं पट्टा ?
जहण्णपदे तेणेव संखेज्जएणं दुगुणेणं दुरूवाहिएणं, उक्कोसपदे तेणेव संखेज्जएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं। केवतिएहि अधम्मत्थिकायपदेसेहिं ? एवं चेव। केवतिएहि अागासत्थिकायपदेसेहिं ? तेणेव संखेज्जएणं पंचगुणेणं दुरूवाहिएणं। केवतिएहि जीवत्थिकायपदेसेहि? अणतेहि। केवतिएहि पोग्गलत्थिकायपदेसेहि? अणंतेहिं । केवतिएहिं अद्धासमएहि ? सिय पुढे, सिय नो पुढे', 'जइ पुढे
नियम अणतेहि ॥ ६६. असंखेज्जा भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहि पट्टा ?
जहण्णपदे तेणेव असंखेज्जएणं दुगुणेणं दुरूवाहिएणं, उक्कोसपदे तेणेव असं
खेज्जएणं पंचगुणणं दुरूवाहिएणं । सेसं जहा संखेज्जाणं जाव नियमं अणंतेहिं ।। ७०. अणंता भंते ! पोग्गलत्थिकायपदेसा केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुट्ठा ?
एवं जहा असंखेज्जा तहा अणंता वि निरवसेसं ।। ७१. एगे भंते ! अद्धासमए केवतिएहिं धम्मत्थिकायपदेसेहिं पुढे ?
सत्तहिं । केवतिएहि अधम्मत्थिकायपदेसेहिं पुढे? एवं चेव, एवं आगासत्थिकाएहिं
वि । केवतिएहिं जीवत्थिकायपदेसेहिं पुढे ? अणंतेहि, एवं जाव अद्धासमएहि ॥ ७२. धम्मत्थिकाए णं भंते ! केवतिएहि धम्मत्थिकायपदेसेहिं पट्टे ?
'नत्थि एक्केण'२ वि । केवतिएहिं अधम्मत्थिकायपदेसेहि ? असंखेज्जेहि । केवतिएहिं आगासत्थिकायपदेसेहिं ? असंखेज्जेहिं। केवतिएहि जीवत्थिकाय
३. नत्थिक्केण (अ, ख, ता); नस्थि इक्केण
१. भारिणयव्वं (म, स)। २. सं० पा०-ट्रे जाव अणंतेहिं ।
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भगवई
पदेसेहिं ? प्रणतेहिं । 'केवतिएहिं पोग्गलत्थिकायपदेसेहिं ? प्रणतेहि । केवतिएहिं श्रद्धामहिं ? सिय पुट्टे, सिय नो पुट्ठे, जइ पुट्ठे नियमा तेहिं ॥ ७३. अधम्मत्थिकाए णं भंते ! केवतिएहि धम्मत्थि कायपदेसेहिं पुढे ?
संखेज्जेहिं । केवतिएहि अधम्मत्थिकायपदेसेहि ? नत्थि एक्केण वि । सेसं जहा धम्मथिकायस्स । एवं एएणं गमएणं सव्वे वि सट्टाणए नत्थि एक्केण विपुट्ठा, परद्वाणए ग्रादिल्लएहि तिहि प्रसंखेज्जेहिं भाणियव्वं, पच्छिल्लएसु तिसु श्रणंता भाणियव्वा जाव श्रद्धासमयो त्ति जाव केवतिएहिं श्रद्धासमएहिं पुट्ठे ? नत्थि एक्केण वि ।।
धम्मत्थिकायादीरणं श्रगाढ पदं
७४. जत्थ णं भंते ! एगे धम्मत्थिकायपदेसे ओगाढे, तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा प्रगाढा ?
एक्को वि । केवतिया ग्रधम्मत्थिकायपदेशा प्रगाढा ? एक्को । केवतिया गासत्थिकायपदेसा ओगाढा? एक्को । केवतिया जीवत्थिकायपदेसा प्रगाढा? प्रणता । केवतिया पोग्गलत्थिकायपदेसा श्रोगाढा ? प्रणता । केवतिया श्रद्धासमया गाढा ? सिय प्रगाढा, सिय नो प्रगाढा, जइ श्रगाढा प्रणता ॥ ७५. जत्थ णं भंते ! एगे धम्मत्थिकायपदेसे योगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय
पदेसा ओगाढा ?
एक्को । केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा ? 'नत्थि एक्को" वि । सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स ।।
७६. जत्थ णं भंते ! एगे श्रागासत्थि कायपदेसे योगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपसा श्रगाढा ?
सिय प्रगाढा, सिय नो प्रगाढा, जइ ग्रोगाढा एक्को । एवं अधम्मत्थिकायपदेसा वि । केवतिया आगासत्थिकायपदेसा ? नत्थि एक्को वि । केवतिया जीवत्थकापसा ? सिय श्रगाढा, सिय नो श्रोगाढा, जइ श्रोगाढा अनंता । एवं जाव श्रद्धासमया ॥
७७. जत्थ णं भंते ! एगे जीवत्थिकायपदेसे प्रगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय
पदेसा गाढा ?
एक्को, एवं प्रधम्मत्थिकायपदेसा वि, एवं आगासत्थिकायपदेसा वि । केवतिया जीवत्थि कायपदेसा ? प्रणता । सेसं जहा धम्मत्थि कायस्स ||
७८. जत्थ णं भंते ! एगे पोग्गलत्थिकायपदेसे प्रगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा प्रगाढा ?
१. एवं पोग्गलत्थि अद्धासमए हिय ( ख, ता ) |
२. सव्वेणि ( क ); सव्वेण (ता, ब, म ) ।
३. X (ता) ।
४. नत्थेक्को (ता); नत्थेक्के ( ब, स ) ।
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तेरसमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
६०५ एवं जहा जीवत्थिकायपदेसे तहेव निरवसेसं ।। ७६. जत्थ णं भंते ! दो पोग्गलत्थिकायपदेसा प्रोगाढा तत्थ केवतिया धम्मत्थिकाय
पदेसा प्रोगाढा ? सिय एक्को सिय दोण्णि, एवं अधम्मत्थिकायस्स वि, एवं अागासत्थिकायस्स
वि । सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स ।। ८०. जत्थ णं भंते ! तिण्णि पोग्गलत्थिकायपदेसा प्रोगाढा तत्थ केवतिया धम्म
त्थिकायपदेसा ओगाढा ? सिय एक्को, सिय दोषिण, सिय तिण्णि, एवं अधम्मत्यिकायस्स वि, एवं आगासत्थिकायस्स वि । सेसं जहेव दोण्हं, एवं एक्केक्को वढियव्वो पदेसो पाइल्लएहि तिहिं अत्थिकाएहि, सेसेहिं जहेव दोण्हं जाव दसण्हं सिय एक्को, सिय दोण्णि, सिय तिण्णि जाव सिय दस । संखेज्जाणं सिय एक्को, सिय दोण्णि जाव सिय दस, सिय संखेज्जा । असंखेज्जाणं सिय एक्को जाव सिय संखेज्जा,
सिय असंखेज्जा । जहा असंखेज्जा एवं अणंता वि ।। ८१. जत्थ णं भंते! एगे अद्धासमए प्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा प्रोगाढा?
एक्को। केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा ? एक्को। केवतिया अागासत्थिकाय
पदेसा? एक्को । केवतिया जीवत्थिकायपदेसा? अणता । एवं जाव अद्धासमया ।। ८२. जत्थ णं भंते! धम्मत्थिकाए प्रोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा प्रोगाढा?
नत्थि एक्को वि । केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा? असंखेज्जा । केवतिया अागासस्थिकायपदेसा? असंखेज्जा । केवतिया जीवत्थिकायपदेसा? अणंता।
एवं जाव अद्धासमया ।। ८३. जत्थ णं भंते ! अधम्मत्थिकाए अोगाढे तत्थ केवतिया धम्मत्थिकायपदेसा
प्रोगाढा ? असंखज्जा। केवतिया अधम्मत्थिकायपदेसा ? नत्थि एक्को वि । सेसं जहा धम्मत्थिकायस्स । एवं सव्वे ---सट्ठाणे नत्थि एक्को वि भाणियव्वो, परट्ठाणे आदिल्लगा तिण्णि असंखेज्जा भाणियव्वा, पच्छिल्लगा तिणि अणंता भाणियव्वा जाव अद्धासमयो त्ति जाव केवतिया अद्धासमया प्रोगाढा ? नत्थि
एक्को वि॥ ८४. जत्थ णं भंते ! एगे पुढविक्काइए प्रोगाढे तत्थ णं केवतिया पुढविक्काइया
प्रोगाढा? असंखेज्जा । केवतिया आउक्काइया प्रोगाढा ? असंखेज्जा । केवतिया तेउकाइया प्रोगाढा ? असंखेज्जा। केवतिया वाउकाइया ओगाढा ? असंखेज्जा। केवतिया वणस्सइकाइया प्रोगाढा ? अणंता। जत्थ णं भंते! एगे ग्राउक्काइए प्रोगाढे तत्थ णं केवतिया पढविक्काइया प्रोगाढा? असंखेज्जा । केवतिया अाउक्काइया प्रोगाढा ? असंखेज्जा । एवं जहेव
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भगवई
पुढविक्काइयाणं वत्तव्वया तहेव सव्वेसि निरवसेसं भाणियव्वं जाव
वणस्सइकाइयाणं जाव केवतिया वणस्सइकाइया प्रोगाढा ? अणंता ।। ८६. एयंसि' णं भंते ! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय--पागासत्थिकायंसि चक्किया
केई प्रासइत्तए वा सइत्तए वा चिट्ठित्तए वा निसीयत्तए वा तुयट्टित्तए वा ?
नो इण8 समतु, अणता पुणत्थ' जीवा प्रोगाढा ।। ८७. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-एयंसि णं धम्मत्थि काय-अधम्मत्थिकाय °-पागा
सत्थिकायंसि नो चक्किया केई आसइत्तए वा' •सइत्तए वा चिट्ठित्तए वा निसीयत्तए वा तुयट्टित्तए वा अणंता पुणत्थ जीवा प्रोगाढा ? गोयमा ! से जहानामए कूडागारसाला सिया--'दुहओ लित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा ५.णिवाया णिवायगंभीरा । अह णं केई पुरिसे पदोवसहस्सं गहाय कूडागारसालाए अंतो-अंतो अणुप्पविसइ, अणुप्पविसित्ता तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता घण-निचिय-निरंतर-णिच्छिड्डाइं° दुवारवयणाई पिहेइ, पिहेत्ता तोसे कूडागारसालाए बहुमज्झदेसभाए जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं पदीवसहस्सं पलीवेज्जा । से नूणं गोयमा ! तानो पदीवलेस्सायो अण्णमण्णसंबद्धानो अण्णमण्णपुट्ठायो अण्णमण्णसंबद्धपुट्ठाओ' अण्णमण्णघडत्ताए चिटुंति ? 'हंता चिटुंति'। चक्किया णं गोयमा ! केई तासु पदीवलेस्सासु प्रासइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए
वा?
भगवं ! नो इणढे समटे । अणंता पुणत्थ जीवा प्रोगाढा । से तेणटेणं गोयमा !
एवं वुच्चइ जाव अणता पुणत्थ जीवा प्रोगाढा ।। लोय-पदं ८८. कहि णं भंते ! लोए बहुसमे, कहि णं भंते ! लोए सव्वविग्गहिए पण्णत्ते ?
गोयमा ! इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए उवरिमहेट्ठिल्लेसु खुड्डगपयरेसु", एत्थ णं लोए बहुसमे, एत्थ णं लोए सव्वविग्गहिए पण्णत्ते ।।
१. एतेसि (क, ख, ता, ब, म, स)।
दुवारवयणाई। २. पुरण तत्थ (अ, ख, म, स); पुणेत्थ (क)। ६. दीव° (अ)। ३. सं. पा.-धम्मत्थि जाव आगासत्थि - ३. जाव (अ, क, ता, ब, म, स)। कायंसि ।
८. ४ (ब, म)। ४. सं० पा०-वा जाव ओगाढा।
६. पुण तत्थ (अ, ख, ब, म, स)। ५. सं० पा०-जहा रायप्पसेणइज्जे जाव १०. खुड्डाग ° (ब) ।
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तेरसमं सतं (पंचमो उद्देसो) ८६. कहि णं भंते ! विग्गहविग्गहिए लोए पण्णत्ते ?
गोयमा ! विग्गहकंडए, एत्थ णं विग्गहविग्गहिए लोए पण्णत्ते ॥ ६०. किंसंठिए णं भंते ! लोए पण्णत्ते ?
गोयमा ! सुपइद्वियसंठिए लोए पण्णत्ते हेढा विच्छिण्णे', मज्झे संखित्ते, उप्पि विसाले; अहे पलियंकसंठिए, मझे वरवइरविग्गहिए, उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठिए। तंसि च णं सासयंसि लोगंसि हेट्ठा विच्छिण्णं सि जाव उप्पि उद्धमुइंगाकारसंठियंसि उप्पण्णनाण-दसणधरे अरहा जिणे केवली जीवे वि जाणइपासइ, अजीवे वि जाणइ-पासइ, तो पच्छा सिज्झइ बुज्झइ मुच्चइ परिनि
व्वाइ सव्वदुक्खाणं° अंतं करेति ।। ६१. एयस्स णं भंते ! अहेलोगस्स, तिरियलोगस्स, उड्ढलोगस्स य कयरे कयरेहितो'
'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे तिरियलोए, उड्ढलोए असंखेज्जगुणे, अहेलोए
विसेसाहिए। ६२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
पंचमो उद्देसो
पाहार-पदं ६३. नेरइया णं भंते ! कि सचित्ताहारा ? अचित्ताहारा ? मीसाहारा ?
गोयमा ! नो सचित्ताहारा, अचित्ताहारा, नो मीसाहारा । एवं असुरकुमारा,
पढमो नेरइयउद्देसनो निरवसेसो भाणियव्वो ॥ १४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. विग्गहिए (अ)। २. वित्थिण्णे (अ, ब, म)। ३. स० पा०-जहा सत्तमसए पढमुद्देसे जाव
अंत।
४. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिय।। ५. भ. १३५१ । ६. प० २८.१। ७. भ० ११५१ ।
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छटो उद्देसो
संतर- निरंतर उववज्जणा दि-पदं
६५. रायगिहे जाव' एवं वयासी संतरं भंते! नेरइया उववज्जंति ? निरंतरं नेरइया उववज्जंति ?
गोमा ! संतरं पिनेरइया उववज्जंति, निरंतरं पि नेरइया उववज्जंति । एवं असुरकुमारा वि । एवं जहा गंगेये तहेव दो दंडगा जाव' संतरं पिवेमाणिया चयंति, निरंतरं पिवेमाणिया चयंति ||
चमरचंच प्रावास - पदं
६६. कहि णं भंते ! चमरस्स असुरिदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचंचे नाम आवासे पण्णत्ते ?
भगवई
गोमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं तिरियमसंखेज्जे दीवस - मुद्दे -- एवं जहा बितियसए सभाउद्देसए वत्तव्वया सच्चेव अपरिसेसा नेयव्वा' । तीसे णं चमरचंचाए रायहाणीए दाहिणपच्चत्थि मे णं छक्कोडिसए पणपन्नं च कोडी 'पणतीसं च सयसहस्साइं " पन्नासं च सहस्साइं अरुणोदगसमुद्दं तिरियं वीवत्ता, एत्थ णं चमरस्स प्रसुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो चमरचंचे नामं ग्रावासे पण्णत्ते - चउरासीइं जोयणसहस्साई ग्रायामविक्खंभेणं, दो जोयणसयसहस्सा पन्नट्ठि च सहस्साइं छच्च बत्तीसे जोयणसए किंचि विसेसाहिए परिक्वेणं । से णं एगेणं पागारेणं सव्वग्रो समता संपरिक्खित्ते । से णं पागारे दिवड्ढं जोयणसयं उड्ढं उच्चत्तेणं, एवं चमरचंचाए रायहाणीए वत्तव्वया सभाविणा जाव' चत्तारि पासायपंतीम्रो ।
१. भ० १४-१० ।
२. भ० ६.८०-८५ ।
३. असुररण्णो ( अ, ता, म स ) ।
४. चमरचंचा (अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । ५. भ० २।११८-१२१, नेयव्वा, नवरं इमं नाणत्तं जाव तिगिच्छकूडस्स उप्पायपव्वयस्स चमरचंचाए रायहाणीए चमरचचस्स आवासपव्वयस्स, अण्णेसि च बहूणं सेसं तं चेव जाव तेरस य अंगुलाई अर्द्धगुलं च किंचि विसेसाहिया परिक्खेवेणं ( अ, क, ख, ता, ७. भ० २।१२१ ।
६.
ब म स ) ; अस्मिन् द्वितीयशतकस्य सभाख्योदेशकस्य समर्पणमस्ति । एतत्समर्पणानुसारेण द्वितीयशतकस्य, 'जंबुद्दीवप्पमाणा' एतावत्पर्यन्तः पाठोत्र समायोजनाहः, किन्तु 'नवरं इमं नारणत्तं' अस्याभिप्रायो नावगम्यते । 'नेयव्वा' अतः परवर्तिपाठो नावश्यक: प्रतिभाति, तेनासौ पाठान्तरत्वेन स्वीकृतः ।
तं चैव जाव ( अ, क, ख, ता, ब ) ।
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तेरसम सतं (छट्ठो उद्देसो)
६०६ ६७. चमरे णं भंते ! असुरिंदे असुरकुमारराया चमरचंचे आवासे वसहि उवेति ?
नो इण? समढें ॥ १८. से केणं खाई अटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-चमरचंचे आवासे, चमरचंचे आवासे ?
गोयमा ! से जहानामए-इहं मणस्सलोगंसि उवगारियलेणाइ वा, उज्जाणियलेणाइ वा, णिज्जाणियलेणाइ वा, धारावारियलेणाई वा, तत्थ णं बहवे मणुस्सा य मणुस्सीओ य प्रासयंति सयंति चिटुंति निसीयंति तुयद॒ति हसंति रमंति ललंति कीलंति कित्तंति मोहेंति पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणाणं ° कल्लाणफलवित्तिविसेसं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, अण्णत्थ पुण वसहि उति । एवामेव गोयमा ! चमरस्स असुरिंदस्स असरकुमाररण्णो चमरचंचे आवासे केवलं किड्डा-रतिपत्तियं, अण्णत्थ पुण वसहि उवेति । से तेणद्वेणं' •गोयमा ! एवं वुच्चइ-चमरचंचे आवासे, चमर
चंचे' प्रावासे॥ ६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। १००. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कयाइ रायगिहाम्रो नगराओ गुण
सिलामो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं .
विहरइ ।। उद्दायणकहा-पदं १०१. तेणं कालेणं तेणं समएणं चंपा नामं नयरी होत्था–वण्णो । पुण्णभद्दे चेइए
वण्णयो । तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदाइ पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे 'गामाणुगाम दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं° विहरमाणे जेणेव चंपा नगरी जेणेव पुण्णभद्दे चेइए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता प्रहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हइ
अोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।। १०२. तेणं कालेणं तेणं समएणं सिंधूसोवो रेसु जणवएसु वीतीभए" नामं नगरे होत्था
–वण्णो । तस्स णं वीतीभयस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरथिमे दिसीभाए,
१. वारधारिय° (अ, क, म); धारवारिय ० ६. ओ० स०१। (ख, ब); धारिवारिय° (स)।
७. ओ० सू० २-१३ । २. सं. पा.--जहा रायप्पसेणइज्जे जाव ८. सं० पा० -चरमाणे जाव विहरमाणे । कल्लाण ° ।
है. सं० पा० --उवागच्छित्ता जाव विहरइ । ३. सं० पा० –तेणटेणं जाव अावासे । १०. सिंधु° (स)। ४. भ० ११५१।
११. वीभवे (ता); 'विदर्भे' ति केचित् (वृ) । ५. सं० पा० - गुणसिलाओ जाव विहरइ। १२. ओ० सू० १ ।
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भगवई
एत्थ णं मियवणे नामं उज्जाणे होत्था-सव्वोउय-पुप्फ-फलसमिद्धे-वण्णो । तत्थ णं वीतीभए नगरे उद्दायणे नामं राया होत्था-महयाहिमवंत-महंत-मलयमंदर-महिंदसारे-वण्णो ' । तस्स णं उद्दायणस्स रण्णो पउमावती नाम देवी होत्था-सुकुमालपाणिपाया-वण्णो । तस्स णं उद्दायणस्स रण्णो पभावती नाम देवी होत्था-वण्णओ जाव विहरइ। तस्स णं उद्दायणस्स रणो पुत्ते पभावतीए देवीए अत्तए अभीयी' नाम कमारे होत्था--सकमाल पाणिपाए अहीण-पडिपुण्ण- पंचिंदिय-सरीरे लक्खण-वंजण-गुणोववेए माणुम्माण-पमाणपडिपुण्ण-सुजायसव्वंग-सुंदरंगे ससिसोमाकारे कंते पियसणे सुरूवे पडिरूवे । से णं अभीयी कुमारे जुवराया वि होत्था-उद्दायणस्स रण्णो रज्जं च रटुं च बलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठारं च पुरं च अंतेउरं च सयमेव पच्चुवेक्खमाणे ° -पच्चुवेक्खमाणे विहरइ । तस्स णं उद्दायणस्स रण्णो नियए भाइणेज्जे केसी नाम कुमारे होत्था-सुकुमालपाणिपाए जाव सुरूवे । से णं उद्दायणे राया सिंधूसोवीरप्पामोक्खाणं सोलसण्हं जणवयाणं, वीतीभयप्पामोक्खाणं तिण्हं तेसट्ठीणं नगरागरसयाणं', महसेणप्पामोक्खाणं दसण्हं राईणं बद्धमउडाणं विदिन्नछत्त-चामर-वालवीयणाणं, अण्णेसिं च बहूणं राईसर-तलवर- माडंबियकोडुंबिय-इन्भ-सेट्ठि-सेणावइ ° -सत्थवाहप्पभिईणं आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं प्राणा-ईसर सेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे समणोवासए अभिगयजी
वाजोवे जाव ग्रहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।। १०३. तए णं से उद्दायणे राया अण्णया कयाइ जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ,
जहा संखे जाव३ पोसहिए बंभचारी प्रोमक्कमणिसवण्णे ववगयमाला-वण्णगविलेवणे निक्खित्तसत्थ-मुसले एगे अबिइए दब्भसंथारोवगए पक्खियं पोसहं
पडिजागरमाणे १०४. तए णं तस्स उद्दायणस्स रण्णो पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं
जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे
१. भ० १११५७ ।
८. भायणेज्जे (अ, ख, म)। २. ओदायणे (अ); उदायणे (स) सर्वत्र । ६. नगरसयाणं (अ, ब, म, वृपा)। ३. प्रो० सू० १४।
१०. सं० पा०-तलवर जाव सत्थवाह° । ४. ओ० सू० १५।
११. सं० पा०-पोरेवच्चं जाव कारेमाणे । ५. ओ० सू० १५।
१२. भ० ३।६४ । ६. अभीति (अ, स,)।
१३. भ० १२।६। ७. सं० पा०-जहा सिवभट्टे जाव पच्चूवेक्ख- १४. सं० पा०-अज्झस्थिए जाव समुप्पज्जित्था।
माणे।
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तेरसमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
समुप्पज्जित्था-धन्ना णं ते गामागर-नगर-खेड-कब्बड-मडंब-दोणमुह-पट्टणासम-संबाहसण्णिवेसा जत्थ णं समणे भगवं महावीरे विहरइ, धन्ना णं ते राईसर-तलवर'- माडंबिय-कोडुबिय-इब्भ-सेटि-सेणावइ ° -सत्थवाहप्पभितयो जे णं समणं भगवं महावीरं वदंति नमसंति जाव' पज्जुवासंति । जइ णं समणे भगवं महावीरे पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे इहमागच्छेज्जा. इह समोसरेज्जा, इहेव वीतीभयस्स नगरस्स बहिया मियवणे उज्जाणे अहापडिरूवं प्रोग्गहं प्रोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरेज्जा, तो णं अहं समणं भगवं महावीरं वंदेज्जा नमसेज्जा जाव पज्जुवा
सेज्जा ॥ १०५. तए णं समणे भगवं महावीरे उद्दायणस्स रणो अयमेयारूवं अज्झत्थियं
चिंतियं पत्थियं मणोगयं संकप्पं समुप्पन्नं वियाणित्ता चंपायो नगरीयो पुण्णभद्दामो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे गामाणु गाम दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं ° विहरमाणे जेणेव सिंधूसोवीरे जणवए जेणेव वीतीभये नगरे, जेणेव मियवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता
जाव संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।। १०६. तए णं वीतोभये नगरे सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु
जाव परिसा पज्जुवासइ ॥ १०७. तए णं से उद्दायणे राया इमीसे कहाए लद्धढे समाणे हट्टतुढे कोडुबियपुरिसे
सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासो-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! वीयीभयं नगरं सभितरबाहिरियं जहा कूणिो अोववाइए जाव" पज्जुवासइ । पउमावती
पामोक्खाग्रो देवीग्रो तहेव जाव" पज्जुवासंति । धम्मकहा ॥ १०८. तए णं से उद्दायणे राया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा
निसम्म हट्टतुटे उट्ठाए उद्वे इ, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जावर नमंसित्ता एवं वयासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! 'अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छिय
१. सं० पा०-तलवर जाव सत्थवाह । ८. भ०१७। २. ०प्पभिइओ (अ, स) ।
६. ओ० सू० ५२ । ३. भ० २।३०।
१०. ओ० सू० ५५-६६ । ४. सं० पा०-गामाणुगामं जाव विहरमाणे । ११. प्रो० सू० ७० । ५. सं० पा०-तवसा जाव विहरेज्जा। १२. भ० ११० । ६. सं० पा०-अज्झत्थियं जाव समुप्पन्न । १३. सं० पा०-भंते जाव से । ७. सं० पा० -गामाणु जाव विहरमाणे ।
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६१२
भगवई
मेयं भंते ! ०.-से जहेयं तुब्भे वदह त्ति कटु जं नवरं-देवाणुप्पिया ! अभीयिकुमारं रज्जे ठावेमि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता'
अगाराओ अणगारियं° पव्वयामि।
अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ १०६. तए णं से उद्दायणे राया समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्ठ
समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता तमेव आभिसेक्कं हत्थि द्रुहइ', द्रुहित्ता समणस्स भगवग्रो महावीरस्स अंतियाओ मियवणानो उज्जाणाम्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव वीतीभये नगरे तेणेव पहारेत्थ गमणाए॥ तए णं तस्स उद्दायणस्स रण्णो अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था एवं खलु अभीयीकुमारे ममं एगे पुत्ते इट्ठे कंते 'पिए मणण्णे मणामे थेज्जे वेसासिए संमए बहमए अणमए भंडकरंडगसमाणे रयणे रयणब्भूए जीविऊसविए हिययनंदिजणणे उंबरपुप्फ पिव दुल्लभे सवणयाए°, किमंग पुण पासणयाए ? तं जदि णं अहं अभीयीकुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता' "अगाराप्रो अणगारियं ° पव्वयामि, तो णं अभीयीकुमारे रज्जे य रटे य 'बले य वाहणे य कोसे य कोट्ठागारे य पुरे य अंतेउरे य ° जणवए य माणुस्सएसु य कामभोगेसु मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ते अणादीयं प्रणवदग्गं दोहमद्धं चाउरंतसंसारकतारं अणुपरियट्टिस्सइ, तं नो खलु मे सेयं अभीयीकुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगारानो अणगारियं पव्वइत्तए, सेयं खलु मे नियगं भाइणज्ज केसि कुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवनो •महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं० पव्वइत्तए-एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता जेणेव वीयीभये नगरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वीयीभयं नगरं मज्झमझेणं जेणेव सए गेहे जेणेव बाहिरिया उवढाणसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता प्राभिसेक्कं हत्थि ठवेइ, ठवेत्ता आभिसेक्कायो हत्थीयो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे निसीयति, निसीइत्ता कोडुबियपुरिसे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! वीयीभयं नगरं
१. सं० पा०-भवित्ता जाव पव्वयामि । २. दुहइ (ता)। ३. अब्भत्थिए (अ, ता, स); सं० पा.-
अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । ४. सं० पाc--कते जाव किमंग ।
५. सं० पा०-भवित्ता जाव पव्वयामि । ६. सं० पा० ... रट्टे य जाव जणवए। ७. सं० पा० - भवित्ता जाव पव्वइत्तए । ८. सं० पा० --भगवओ जाव पव्वइत्तए।
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तेरसमं सतं (छट्टो उद्देसो)
६१३
सभितरवाहिरियं ग्रासिय समज्जिवलित्तं जाव' सुगंधवरगंधगंधियं गंधकह कारवेह य, करेत्ता य कारवेत्ता य एयमाणत्तियं पच्चष्पिणह | ते वि तमाणत्तियं पच्चष्पिणंति ||
१११. तए णं से उद्दायणे राया दोच्चं पि कोडुंबियपुरिसे सहावेइ, सहावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाशुप्पिया ! केसिस्स कुमारस्स महत्थं महग्घं महरिहं विलं एवं रायाभिसेो जहा सिवभद्दस्स कुमारस्स तहेव भाणियव्वो जाव परमाउं पालयाहि, इट्ठजणसं परिवुडे सिंधूसोवीरपामोक्खाणं सोलसण्हं जणवयाणं वीयीभयपामोक्खाणं तिणि तेसट्टीणं नगरागरस्याणं महसेणपामोक्खाणं दसहं राईण, अण्णेसि च बहूणं राईसर - तलवर - माडंबिय कोडुंबिय - इब्भसेट्ठि-सेणावइ-सत्थवाहृप्पभिईणं ग्राहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं ग्राणा- ईसर सेणावच्च कारेमाणे, पालेमाणे विहराहि त्ति कट्टु जयजयसद्दं परंजंति ॥ ११२. तए णं से केसी कुमारे राया जाए- महयाहिमवंत-महंत मलय-मंदर - महिंदसारे जाव" रज्जं पसासेमाणे विहरइ ||
११३. तए णं से उद्दायणे राया केसि रायाणं प्रापुच्छइ ॥
११४. तए णं से केसी राया कोडुंवियपुरिसे सद्दावेइ – एवं जहा जमालिस तहेव सभितरवाहिरियं तव जाव' निवखमणाभिसेयं उद्ववेति ॥
११५. तए णं से केसी राया अणेगगणनायग- दंडनायगराईसर-तलवर - माडंबिय - कोडुंबिय इब्भ-सेट्ठि- सेणावइ- सत्थवाह दूय- संधिपाल सद्धि संपरिवुडे उद्दायणं रायसी हासणवरंसिपुरत्याभिमुहे निसीयावेति, निसीयावेत्ता अट्ठसएणं सोव - णियाणं कलसाणं एवं जहा जमालिस्स जाव' महया - महया निक्खमणाभिसे गेणं अभिसिचति, प्रभिसिंचित्ता करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु जएणं विजएणं वृद्धावेति वद्धावेत्ता एवं वयासी -भण सामी ! कि देमो ? किं पयच्छामो ? किणा वा ते अट्ठो ?
११६. तए णं से उद्दायणे राया केसि राय एवं वयासी - इच्छामि णं देवाणुप्पिया ! कुत्तियावणाम्रो रयहरणं च पडिग्गहं च प्राणियं, कासवगं च सद्दावियं - एवं जहा जमालिस्स, नवरं - परमावती ग्रग्गकेसे पडिच्छइ पियविप्पयोगदूसहा || ११७. तए णं से केसी राया दोच्चं पि उत्तरावक्कमणं सीहासणं रयावेति, रयावेत्ता उद्दायण राय सेया- पीतएहिं कलसेहिं व्हावेति ण्हावेत्ता सेसं जहा जमालिस्स
१. सं० पा० - ० बाहिरियं जाव पच्चप्पिणंति ।
२. ओ० सू० ५५ ।
३. भ० ११।६१ ।
४. सं० पा० - राईसर जाव कारेमाणे ।
५. ओ० सू० १४ ।
६. भ० ६ १८०, १८१ ।
७. सं० पा० - प्रणेगगणनायग जाव संपरिवुडे ।
८. भ० ६।१८२ ।
६. भ० ६।१८४-१८६ ।
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६१४
भगवई
जाव' चउविहेणं अलंकारेणं अलंकारिए समाणे पडिपुण्णालंकारे सीहासणाओ अब्भुढेइ, अब्भुढेत्ता सीयं अणुप्पदाहिणीकरेमाणे सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता सीहासणवरंसि पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे, तहेव' अम्मधाती, नवरं पउमावती हंसलक्खणं पडसाडगं गहाय सीयं अणुप्पदाहिणीकरेमाणी सीयं दुरुहइ, दुरुहित्ता उहायणस्स रण्णो दाहिणे पासे भद्दासणवरंसि सण्णिसण्णा सेसं तं चेव जाव' छत्तादीए तित्थगरातिसए पासइ, पासित्ता परिससहस्सवाहिणि सीयं ठवेड पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयारो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमइ, अवक्कमित्ता
सयमेव ग्राभरणमल्लालंकारं ११८. "'तए णं सा पउमावती देवी हंसलक्खणेणं पडसाडएणं आभरणमल्लालंकारं
पडिच्छइ, पडिच्छित्ता हार-वारिधार-सिंदुवार-छिन्न-मुत्तावलि-प्पगासाइं अंसूणि विणिम्मुयमाणी-विणिम्मुयमाणी उद्दायणं रायं एवं वयासी-जइयव्वं सामी ! घडियव्वं सामी ! परक्कमियव्वं सामी ! अस्सि च णं अट्टे नो पमादेयव्वं त्ति कट्ट केसी राया पउमावती य समणं भगवं महावीरं वदंति नमसंति,
वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउन्भुया तामेव दिसं° पडिगया । ११६. तए णं से उद्दायणे राया सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ सेसं जहा उसभदत्तस्स
जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे ॥ १२०. तए णं तस्स अभीयिस्स कुमारस्स अण्णदा कदाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि
कुडुबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए 'चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समप्पज्जित्था-एवं खल अहं उहायणस्स पत्ते पभावतीए देवीए अत्तए.तए णं से उद्दायणे राया ममं अवहाय नियगं भाइणेज्ज केसि कुमारं रज्जे ठावेत्ता समणस्स भगवओ 'महावीरस्स अंतियं मुंडे भवित्ता अगाराो अणगारियं पव्वइए-इमेणं एयारूवेणं महया अप्पत्तिएणं मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे अंतेउरपरियालसंपरिवुडे सभंडमत्तोवगरणमायाए वीतीभयानो नयरामो निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी, जेणेव कूणिए राया, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता कूणियं रायं
१. भ. ६।१६०-१६२ । २. भ०६।१६३, १६४ । ३. भ. ६।१९५-२०६। ४. सं० पा०-तं चेव पउमावती पडिच्छइ
जाव घडियब्वं सामी! जाव नो।
५. सं. पा.-नमंसित्ता जाव पडिगया। ६. भ० ६।१५०,१५१ । ७. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था । ८. सं० पा०-भगवओ जाव पव्वइए।
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तेरसमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
६१५
उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । तत्थ वि णं से विउलभोगसमितिसमन्नागए यावि हथा । तए णं से अभीयीकुमारे समणोवासए यावि होत्था - अभिगयजीवाजीवे जाव' हापरिग्गहिएहिं तवोकम्मे हि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, उद्दायमिरायरिसिम्मि समणुबद्धवेरे यावि होत्था ||
१२१. इमीसे` रयणप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामंतेसु चोर्याट्ठ' असुरकुमारावाससयसहस्सा पण्णत्ता । तए णं से अभीयीकुमारे बहूई वासाई समणोवासगपरियागं पाउणइ, पाउपित्ताश्रद्धमासियाए संलेहणाए तीसं भत्ताई ग्रणसणाए छेएइ, छता तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयप्पभाए पुढवीए निरयपरिसामंतेसु चोयट्ठीए आयावा सुरकुमारावाससयसहस्से अण्णयरंसि श्रायावा असुरकुमारावासंसि श्रायावा सुरकुमारदेवत्ताए उववण्णो । तत्थ णं प्रत्येगतियाणं प्रयावगाणं असुरकुमाराणं देवाणं एवं पलिश्रवमं ठिई पण्णत्ता, तत्थ णं अभीयिस्स वि देवस्स एगं पलिश्रवमं ठिई
पण्णत्ता ||
१२२. से णं भंते ! अभीयीदेवे ताम्रो देवलोगाम्रो ग्राउक्खणं भवक्खणं ठिइक्खएणं अनंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ?
गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति ॥ १२३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
सतमो उद्देसो
भासा- पदं
१२४. रायगिहे जाव' एवं वयासी गोयमा ! नो आया भासा, अण्णा भासा । रूवि भंते ! भासा ? ग्ररूवि
भासा ?
आया भंते ! भासा ? अण्णा भासा ?
१. भ० २।६४ ।
२. तेणं कालेणं तेणं समएणं इमीसे ( अ, क, ख, ता, ब, म, स); अयं पाठ: अप्रासङ्गिकोस्ति । शाश्वतपदार्थानां निरूपणे कालनिर्देशो नावश्यकोस्ति । केनापि कारणेन प्रवाहपाती लेख: संजातः इति प्रतीयते,
३.
तेनात्र पाठान्तरत्वेनास्माभिः स्वीकृतः । चोसट्ठि ( स ) ।
४
५. भ० २।७३ |
६. भ० १।५१ ।
७. भ० १।४-१०
° सहस्सेसु असुरकुमारावासेसु (ता) |
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६१६
गोयमा ! रूवि भासा, नो अरूवि भासा । सचित्ता' भंते ! भासा ? अचित्ता' भासा ? गोयमा ! नो सचित्ता भासा, प्रचित्ता भासा । जीवा भंते ! भासा ? जीवा भासा ? गोमा ! नो जीवा भासा, अजीवा भासा । जीवाणं भंते ! भासा ? अजीवाणं भासा ?
गोयमा ! जीवाणं भासा, नो अजीवाणं भासा ।
पुव्वि भंते ! भासा ? भासिज्जमाणी भासा ? भासासमयवीतिक्कंता भासा ? गोयमा नोपुव्विभासा, भासिज्जमाणी भासा, नो भासासमयवीतिक्कंता
भासा ।
पुव्वि भंते ! भासा भिज्जति ? भासिज्जमाणी भासा भिज्जति ? भासासमयवतिक्कता भासा भिज्जति ?
गोयमा ! नोपुवि भासा भिज्जति, भासिज्जमाणी भासा भिज्जति, नो भासासमयवीति क्कंता भासा भिज्जति ॥
१२५. कतिविहा णं भंते ! भासा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चउव्विहा भासा पण्णत्ता, तं जहा - सच्चा, मोसा, सच्चामोसा सच्चामोसा ||
मण-पदं
१२६. आया भंते ! मणे ? अण्णे मणे ? गोयमा ! नो श्राया मणे, अण्णे मणे । रूवि भंते ! मणे ? प्ररूवि मणे ? गोयमा ! रूवि मणे, नो रूवि मणे । सचित्ते भंते ! मणे ? अचित्ते मणे ? गोयमा ! नो सचित्ते मणे, अचित्ते मणे । जीवे भंते ! मणे ? अजीवे मणे ? गोयमा ! नो जीवे मणे, जीवे मणे |
जीवाणं भंते ! मणे ? अजीवाणं मणे ?
गोमा ! जीवाणं मणे, नो अजीवाणं मणे ।
पु िभंते ! मणे ? मणिज्जमाणे मणे ? मणसमयवीतिक्कंते मणे ?
भगवई
१. सच्चित्ता (क, ता, म ) ।
२. अच्चित्ता (क, ता, I
३. सं० पा० - जहा भासा तहा मणे वि जाव
नो ।
४. सं० पा० एवं जहेव भासा ।
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तेरसमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
६१७
गोयमा ! नो पुद्वि मणे, मणिज्जमाणे मणे, नो मणसमयवीतिक्कंते मणे ° । पुवि भंते ! मणे भिज्जति, मणिज्जमाणे मणे भिज्जति, मणसमयवीतिक्कते मणे भिज्जति ?१० गोयमा ! नो पुब्वि मणे भिज्जति, मणिज्जमाणे मणे भिज्जति, नो मणसमय
वीतिक्कते मणे भिज्जति ° ।। १२७. कतिविहे णं भंते ! मणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! चउविहे मणे पण्णत्ते, तं जहा-सच्चे', 'मोसे, सच्चामोसे °,
असच्चामोसे ॥ काय-पदं १२८. पाया भंते ! काये ? अण्णे काये ?
गोयमा ! आया वि काये, अण्णे वि काये । रूवि भंते ! काये ? अरूवि काये ? गोयमा ! रूवि पि काये, अरूवि पि काये ।
सचित्ते भंते ! काये ? अचित्ते काये ? गोयमा ! सचित्ते विकाये, अचित्ते विकाये। जीवे भंते ! काये ? अजीवे काये ? गोयमा ! जीवे वि काये,अजीवे वि काये। जीवाणं भंते ! काये ? अजीवाणं काये ? गोयमा ! जीवाण विकाये, अजीवाण वि काये ० । पूव्वि भंते ! काये ? ५ कायिज्जमाणे काये ? कायसमयवी तिक्कते काये ? गोयमा! पुवि पि काये, कायिज्जमाणे वि काये, कायसमयवीतिक्कते वि काये । पुव्वि भंते ! काये भिज्जति ? "कायिज्जमाणे काये भिज्जति ? कायसमयवीतिक्कते काये भिज्जति ? ० गोयमा ! पुदिव पि काये भिज्जति', 'का यिज्जमाणे वि काये भिज्जति,
कायसमयवीतिक्कंते वि° काये भिज्जति ।। १२६. कतिविहे णं भंते ! काये पण्णत्ते ?
गोयमा ! सत्तविहे काये पण्णत्ते, तं जहा–ओरालिए', ओरालियमीसए, वेउविए, वेउव्वियमीसए, आहारए, पाहारगमीसए, कम्मए।
१. सं० पा.-एवं जहेव भासा ।
विकाये। २. सं० पा०-सच्चे जाव असच्चामोसे ।
५. स० पा०—पुच्छा। ३. काये पुच्छा (स)। ४. सं० पा०–एवं एक्केक्के पुच्छा । सचित्ते
६. सं० पा०-पुच्छा। वि काये, अचित्ते वि काये । जीवे विकाए, ७. सं० पा०—भिज्जति जाव काये। अजीवे वि काए, जीवाण वि काए, अजीवाण ८. अोराले (स)।
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६१८
भगवई
मरण-पदं १३०. कतिविहे णं भंते ! मरणे पण्णते ?
गोयमा ! पंचविहे मरणे पण्णत्ते, तं जहा-प्रावीचियमरणे', अोहिमरणे',
आतियंतियमरणे', बालमरणे, पंडियमरणे।। १३१. आवीचियमरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - दवावीचियमरणे, खेत्तावीचियमरणे,
कालावीचियमरणे, भवावीचियमरणे, भावावीचियमरणे ।। १३२. दव्वावीचियमरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? ।
गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा–नेरइयदव्वावीचियमरणे, तिरिक्ख
जोणियदव्वावीचियमरणे, मणुस्सदव्वावीचियमरणे, देवदवावीचियमरणे ॥ १३३. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइयदव्वावीचियमरणे-नेरइयदव्वावीचिय
मरणे ? गोयमा ! जण्णं नेरइया नेरइए दवे वट्टमाणा जाइं दव्वाइं ने रइयाउयत्ताए गहियाई बद्धाइं पुट्ठाई कडाई पट्ठवियाइं 'निविट्ठाइं अभिनिविट्ठाई" अभिसमण्णागयाइं भवंति ताई दव्वाइं आवीचिमणुसमयं निरंतरं मरंति त्ति कटु । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-नेरइयदव्वावीचियमरणे, एवं जाव देवदव्वा
वीचियमरणे ॥ १३४. खेत्तावीचियमरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा-नेरइयखेत्तावीचियमरणे जाव देवखेत्ता
वीचियमरणे।। १३५. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइयखेत्तावीचियमरणे-नेरइयखेतावीचिय
मरणे ? गोयमा ! जण्णं नेरइया नेरइयखेत्ते वट्टमाणा जाई दव्वाइं ने रइयाउयत्ताए गहियाइं एवं जहेव दव्वावीचियमरणे तहेव खेत्तावीचियमरणे वि। एवं जाव
भावावीचियमरणे ॥ १३६ अोहिमरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वोहिमरणे, खेत्तोहिमरणे, कालोहिमरणे, भवोहिमरणे°, भावोहिमरणे ॥
१. आबीयिय° (ब)। २. अवहि° (ब, म)। ३. आदितिय (अ, स); आदियंतिय; (क,
ख, ब)।
४. X (ब)। ५. आवीचियम° (क, स)। ६. सं० पा०-खेत्तोहिमरणे जाव भवो० ।
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तेरसमं सतं ( सत्तमो उद्दसी)
१३७. दव्वोहिमरणे णं भंते कतिविहे पण्णत्ते ?
गोमा ! चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा - नेरइयदव्वोहिमरणे जाव देवदव्वोहिमरणे ॥
१३८. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - नेरइयदव्वोहिमरणे ने रइयदव्वोहिमरणे ? गोयमा ! 'जे णं" नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा जाई दव्वाई संपयं मरंति, 'ते णं" नेरइया ताइं दव्वाई प्रणागए काले पुणो वि मरिस्संति । से तेणद्वेणं गोमा ! जाव दव्वोहिमरणे । एवं तिरिक्खजोणिय मणुस्स - देवदव्वोहिमरणे' वि । एवं एएणं गमेणं खेत्तोहिमरणे वि, कालोहिमरणे वि, भवोहिमरणे वि, भावोहिमरणेवि ||
१३६. प्रतियंतियमरणे णं भंते ! – पुच्छा ।
गोमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा दव्वातियंतियमरणे, खेत्तातियंतियमरणे जाव भावातियंतियमरणे ॥
१४१.
१४०. दव्वातियंतियमरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा - नेरइयदव्वातियंतियमरणे जाव देवदव्वातियंतियमरणे ||
सेकेणणं भंते ! एवं बुच्चइ - नेरइयदव्वातियंतियमरणे ने रइयदव्वातियंतियमरणे ?
गोयमा ! 'जे णं” नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा जाई दव्वाई संपयं मरंति, 'ते णं" नेरइया ताई दव्वाई अणागए काले नो पुणो वि मरिस्सति । से तेणट्टेणं जाव नेरइयदव्वातियंतियमरणे । एवं तिरिखखजोणिय - मणुस्स - देवदव्वातियंतियमरणे । एवं खेत्तातियंतियमरणे वि, एवं जाव भावातियंतियमरणे वि ॥ १४२. बालमरणेणं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते !
गोयमा ! दुवालसविहे पण्णत्ते, तं जहा - १. वलयमरणे १०२. वसट्टमरणे ३. अंतोसल्लमरणे ४. तब्भवमरणे ५. गिरिपडणे ६ तरुपडणे ७. जलप्पवेसे ८. जलणप्पवेसे ६. विसभक्खणे १०. सत्थोवाडणे ११. वेहाणसे १२. गद्धपट्टे ॥ १४३. पंडियमरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
.
गोमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - पानोवगमणे य, भत्तपच्चक्खाणे य ।। १४४. पावगमणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
६१ε
१. जं गं ( अ, क, ख, ता, ब ) ; जण्णं (म) | २. जं णं ( अ, ता, ब, स ) ; जे गं ( ख ); 'त' इति गम्यम् (वृ ।
३. देवोहिमरणे ( अ, क, ख, ता, ब, म ) ।
४. जंगं ( अ, क, ता, स ) ; जण्णं (म) । ५. जेणं ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) ।
६. सं० पा० - जहा खंदए जाव गद्धपट्टे । • गमणमरणेणं (ता); पाओवगमरणेणं ( ब ) ।
७.
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६२०
भगवई
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा नीहारिमे य, अनीहारिमे य । नियमं अप
डिकम्मे ॥ १४५. भत्तपच्चक्खाणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
१ गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा—नीहारिमे य, अनीहारिमे य । नियम
सपडिकम्मे ।। १४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
अट्ठमो उद्देसो कम्मपगडि-पदं १४७. कति णं भंते ! कम्मपगडीयो पण्णत्तायो ?
गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीअो पण्णत्तायो। एवं बंधट्ठिइ-उद्देसो' भाणियब्बो
निरवसेसो जहा पण्णवणाए" ।। १४८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
नवमो उद्देसो
भावियप्प-विउव्वणा-पदं १४६. रायगिहे जाव एवं वयासी-से जहानामए केइ पुरिसे केयाघडियं गहाय
गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भावियप्पा केयाघडियाकिच्चहत्थगएणं अप्पाणणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा? हंता उप्पएज्जा ॥
१. सं० पा०-एवं तं चेव नवरं नियमं सप
डिकम्मे। २. भ० ११५१ । ३. उद्देसओ (क, ता, ब, म)। ४. प० २४ । ५. इह च वाचनान्तरे संग्रहणीगाथास्ति, सा
चेयं-- पयडीण भेय ठिई, बंधोवि य इंदियाण वाएणं । केरिसय जहन्नठिइं, बंधइ उक्कोसियं वावि ।।
(वृ)। ६. भ० ११५१ । ७. भ० ११४-१० ।
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तेरसमं सतं ( नवमी उद्देसो)
६२१
१५०. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा केवतियाई पभू केयाघडिया किच्चहत्थगयाई ' रुवाई विउव्वित्तए ?
गोयमा ! से जहानामए जुवति जुवाणे हत्येणं हत्थे गेण्हेज्जा, चक्कस्स वा नाभी अरगाउत्तासिया, एवामेव अणगारे वि भाविअप्पा वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहण्णइ जाव' पभू णं गोयमा ! अणगारे णं भाविश्रप्पा केवलकप्पं जंबुद्दीवं ard हू इत्रूहि आइण्णं वितिकिण्णं उवत्थडं संथ फुडं प्रवगाढावगाढं करेत्तए । एस णं गोयमा ! अणगारस्स भाविप्रप्पणी अयमेयारूवे विसए, वियमेत्ते बुइए, नो चेव णं संपत्तीए विउव्विसु वा विउव्वति वा विउब्विसति वा ॥
१५१. से जहानामए केइ पुरिसे हिरण्णपेलं गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविप्पा हिरण्णपेलहत्य किच्च गएणं ग्रप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ? सेसं तं चैव एवं सुवण्णपेलं, एवं रयणपेलं, वइरपेल, वत्थपेलं', ग्राभरणपेलं, एवं वियलक', सुबकडं, चम्मकडं, कंबलकडं, एवं प्रयभार, तंबभारं, तउयभार, सीसगभारं हिरण्णभारं सुवण्णभारं वइरभारं ॥
१५२.
से जहानामए वग्गुलो सिया, दो वि पाए उल्लंबिया - उल्लंबिया उड्ढपादा होसिरा चिट्टेज्जा, एवामेव ग्रणगारे वि भाविप्पा वग्गुली किच्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ?
एवं जण्णोवश्यव त्तव्वया भाणियव्वा जाव
विउव्विस्सति वा ॥
१५३. से जहानामए जलोया सिया, उदगंसि कार्य उव्विहिया - उब्विहिया गच्छेज्जा, एवमेव अणगारे, सेसं जहा वग्गुलीए ||
१५४. से जहानामए वीयंबीयगसउणे" सिया, दो वि पाए समतुरंगेमाणे समतुरंगेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, सेसं तं चेव ॥
१५५. से जहानामए पक्खिविरालए सिया, रुक्खाओ रुक्खं डेवेमाणे डेवेमाणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, सेसं तं चैव ॥
१. केाघडियाहत्य (त्थे ) किच्चगयाइ (क, ख, ताब, म,स) ।
२. सं० पा० एवं जहा तइयसए पंचमुद्देसए जाव नो ।
७. सु ंठकडं (अ); सुठकिडं (ख, ब); सु ंठकिरं
(ता); सुट्ठिकडं (म); ° किड्ड ( स ) । ८० किडं ( क, ख, ब); ० किरं (ता); किड्ड ( स ) |
8. किडं ( क, ख, ब ) ; ० किरं (ता); ड्ड ( स ) | ३।२०२, २०३ ।
३. भ० ३।४ ।
४. हिरण्णपेर (ता); हिरण्ण पेउ ( क्व० ) । ५. X ( क, ब, म ) |
१०. भ०
६. विलकडं (क, ख, ब, स ) ; विदलकिरं ११. ० सउाएं (ख, ता ) ।
(ता) |
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६२२
१५६.
भगवई
'जहानामए जीवंजीवगसउणे सिया, दो वि पाए समतुरंगेमाणे- समतुरंगे माणे गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे, सेसं तं चेव ॥
१५७. से जहानामए हंसे सिया, तीराओ तीरं अभिरममाणे- अभिरममाणे गच्छेज्जा, एवामेव प्रणगारे वि भाविप्रप्पा हंसकिच्चगएणं अप्पाणेणं, तं चेव ।। १५८. से जहानामए समुदवायसए सिया, वीईओ वी डेवेमाणे डेवेमाणे गच्छेज्जा,
एवामेव अणगारे, तहेव ॥
१५६. से जहानामए केइ पुरिसे चक्कं गहाय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे वि भाविग्रप्पा चक्कहत्थ किच्चगएणं अप्पाणेणं, सेसं जहा ' केयाघडियाए । एवं छत्तं, एवं चम्मं ॥
१६०. से जहानामए केइ पुरिसे रयणं गहाय गच्छेज्जा, एवं चेव । एवं वइरं, वेरुलिय जाव' रिट्ठ । एवं उप्पलहत्थगं, एवं पउमहत्थगं, कुमुदहत्थगं, "नलिणहत्थगं, सुभगहत्थगं, सुगंधियहत्थगं, पोंडरीयहत्थगं, महापोंडरीयहत्थगं, सयपत्तहत्थगं से जहानामए केइ पुरिसे सहस्सपत्तगं गहाय गच्छेज्जा, एवं चेव ॥ १६१. से जहानामए केइ पुरिसे भिसं प्रवद्दालिय-श्रवद्दालिय गच्छेज्जा, एवामेव अणगारे विभिसकिच्चगएणं प्रप्पाणेणं, तं चैव ॥
१६२. से जहानामए मुणालिया सिया, उदगंसि कायं उम्मज्जिया - उम्मज्जिया चिट्ठेज्जा, एवामेव, सेसं जहा ' वग्गुलीए ॥
१६३. से जहानामए वणसंडे सिया - किन्हे किण्होभासे जाव' महामेहनिकुरंबभूए", पासादीए दरिसणिज्जे प्रभिरूवे पडिरूवे, एवामेव अणगारे वि भाविप्रप्पा वर्णसंsकिच्च एणं प्रप्पाणेण उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ? सेसं तं चैव ॥
१६४. से जहानामए पुक्खरणी सिया - चउक्कोणा, समतीरा, अणुपुव्वसुजायवप्पगंभीरसीयलजला जाव' सदुन्नइयमहुरसरणादिया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिवा, एवामेव अणगारे वि भाविप्पा पोक्खरणीकिच्चगएणं अप्पाणेणं उड्ढं वेहासं उप्पएज्जा ?
हंता उप्पएज्जा |
१६५. अणगारे णं भंते ! भाविप्रप्पा केवतियाई पभू पोक्खरणीकिच्चगयाई रुवाई विउवित्तए ? सेसं तं चैव जाव विउव्विस्सति वा ॥
१. भ० १३ १४६, १५० ।
२. चमरं (म) ।
३. भ० ३।४ ।
४. सं० पा० – एवं जाव से ।
५. भ० १३।१५२ ।
६. ओ० सू० ४ ।
७. ० निउयम्बभूए ( ख ); ° निकुरु बभूए ( ता
ब) ।
८. ओ० सू० ६, भ० वृत्ति ।
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तेरसमं सतं (दसमो उद्देसो)
६२३ १६६. से भंते ! किं मायी विउव्वति ? अमायी विउव्वति ?
गोयमा ! मायी विउव्वति, नो अमायी विउव्वति । मायी णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइय' पडिक्कते कालं करेइ, नत्थि तस्स पाराहणा । अमायी णं तस्स
ठाणस्स पालोइय-पडिक्कते कालं करेइ°, अत्थि तस्स प्राराहणा ।। १६७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ॥
दसमो उद्देसो छाउमत्थियसमुग्घाय-पदं १६८. कति णं भंते ! छाउमत्थियसमुग्धाया पण्णत्ता ?
गोयमा ! छ छाउमत्थिया समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा–वेयणासमुग्घाए, एवं
छाउमत्थियसमुग्धाया नेयव्वा, जहा पण्णवणाए जाव' पाहारगसमुग्घायेत्ति ।। १६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।।
१. सं० पा० –एवं जहा तइयसए चउत्थुद्देसए
जाव अस्थि । २. भ० ११५१ ।
३. प० ३६ । ४. भ० ११५१ ।
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चोसमं सतं
पढमो उद्देस
१. चर २. उम्माद ३. सरीरे, ४. पोग्गल ५. अगणी तहा ६. किमाहारे । ७८. संसिद्वमंतरे' खलु, ६ . अणगारे १०. केवली चेव ॥ १ ॥
लेस्साणुसारि - उववाय-पदं
१. रायगिहे जाव' एवं वयासी - अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चरमं देवावासं वतिक्कंते, परमं देवावासमसंपत्ते, एत्थ णं अंतरा कालं करेज्जा, तस्स णं भंते ! कहिं गती ? कहि उववाए पण्णत्ते ?
गोमा ! जे से तत्थ परिपस्सो तल्लेसा देवावासा, तहिं तस्स गती, तहि तस्स उववार पण्णत्ते । से य तत्थ गए विराहेज्जा कम्मलेस्सामेव पडिपडति', सेय तत्थ गए नो विराहेज्जा, तामेव लेस्सं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ || २. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा चरमं असुरकुमारावासं वीतिक्कंते, परमं असुरकुमारावासमसंपत्ते, एत्थ णं अंतरा कालं करेज्जा, तस्स णं भंते ! कहि गती ? कहि उववाए पण्णत्ते ?
1
गोयमा ! जे से तत्थ परिपस्सो तल्लेसा असुरकुमारावासा, तहि तस्स गती, तहिं तस्स उववाए पण्णत्ते से य तत्थ गए विराहेज्जा कम्मलेस्सामेव पडिपडति से य तत्थ गए नो विराहेज्जा, तामेव लेस्सं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । एवं जाव थणियकुमारावासं, जोइसियावासं, एवं वेमाणियावासं जाव विहरइ ॥
१. संसदृ ० ( अ, क, ख, ब, म, स ) ।
२. भ० १।४ १० ।
३. पलियस्सओ ( ख ) ; परियरसतो ( ब म ) ।
४. ० मेवा ( क ब ) ।
५. परिपडइ ( ता )
।
६. सं० पा० - एवं चेव ।
६२४
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चोद्दसमं सतं (पढमो उद्देसो)
६२५
नेरइयादीणं गतिविसय-पदं ३. नेरइयाणं भंते ! कहं सीहा गती ? कहं सीहे गतिविसए पण्णत्ते?
गोयमा ! से जहानामए–केइपुरिसे तरुणे बलवं जुगवं' 'जुवाणे अप्पातंके थिरग्गहत्थे दढपाणि-पाय-पास-पिटुंतरोरुपरिणते तलजमलजुयल-परिघनिभबाहू चम्मेढग-दुहण-मुट्ठिय-समाहत-निचित-गत्तकाए उरस्सबलसमण्णागए लंघण-पवण-जइण-वायाम-समत्थे छेए दवखे पत्तटे कुसले मेहावी निउणे ० निउणसिप्पोवगए आउंटियं बाहं पसारेज्जा, पसारियं वा बाहं आउंटेज्जा', विक्खिण्णं वा मुदि साहरेज्जा, साहरियं वा मुट्ठि विक्खिरेज्जा, उम्मिसियं वा अच्छि निम्मिसेज्जा, निम्मिसियं वा अच्छि उम्मिसेज्जा, "भवे एयारूवे ? नो इणढे समढे । नेरइया णं एगसमइएण' वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जति । नेरइयाणं गोयमा ! तहा सीहा गती, तहा सीहे गतिविसए पण्णत्ते । एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं --एगिदियाणं चउसमइए विग्गहे भाणि
यव्वे । सेसं तं चेव ।। नेरइयादीणं अणंतरोववन्नगादि-पदं ४. नेरइया णं भंते ! कि अणंतरोववन्नगा? परंपरोववन्नगा ? अणंतर-परंपर
अणुववन्नगा? गोयमा ! नेरइया अणंतरोववन्नगा वि, परंपरोववन्नगा वि, अणंतर-परंपरअणुववन्नगा वि ॥ से केणटणं भंते ! एवं वच्चड ....नेरइया अणंतरोववन्नगा वि. परंपरोववन्नगा वि', अणंतर-परंपर-अणुववन्नगा वि ? गोयमा ! जे णं ने रइया पढमसमयोववन्नगा ते णं ने रइया अणंतरोववन्नगा, जे णं ने रइया अपढमसमयोववन्नगा ते णं नेरइया परंपरोववन्नगा, जे णं नेरइया विग्गहगइसमावन्नगा ते णं नेरइया अणंतर-परंपर-अणुववन्नगा। से
तेण?णं जाव अणंतर-परंपर-अणुववन्नगा वि । एवं निरंतरं जाव वेमाणिया ॥ ६. अणंतरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया किं ने रइयाउयं पकरेंति ? तिरिक्ख-मणुस्स
देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति ।।
१. सं० पा.----जुगवं जाव निउरण ० । २. आउद्रियं (अ, ख, स); आउंदियं (क);
आदिउट्टियं (ता)। ३. आउट्टे ज्जा (ता)। ४. अणिमिसियं (अ, क, ता, ब, म, स);
उण्णिसियं (ख)। ५. भवे एयारूबे सिया (अ): भवेयारूवे (क,
ख, ता, ब, म)। ६. ° समएण (अ)। ७. सं० पा०-वुच्चइ जाव अणंतर ।
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६२६
भगवई
७. परंपरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं
पकरेंति ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं
पि पकरेंति , नो देवाउयं पकरेंति ।। ८. अणंतर-परंपर-अणुववन्नगा णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति
पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं-पंचिदियतिरिक्खजोणिया मणुस्सा य परंपरोववन्नगा चत्तारि
वि पाउयाइं पकरेंति । सेसं तं चेव ।। ६. नेरइया णं भंते ! कि अणंतरनिग्गया? परंपरनिग्गया ? अणंतर-परंपर
अनिग्गया? गोयमा ! नेरइया अणंतरनिग्गया वि, 'परंपरनिग्गया वि'', अणंतर-परंपर
अनिग्गया वि ॥ १०. से केणद्वेणं जाव अणंतर-परंपर-अनिग्गया वि ?
गोयमा ! जे णं नेरइया पढमसमयनिग्गया ते णं ने रइया अणंतरनिग्गया, जे णं ने रइया अपढमसमयनिग्गया ते णं नेरइया परंपरनिग्गया, जेणं नेरइया विग्गहगतिसमावन्नगा ते णं नेरइया अणंतर-परंपर-अनिग्गया। से तेणट्रेणं
गोयमा ! जाव अणंतर-परंपर-अनिग्गया वि । एवं जाव वेमाणिया ।। ११. अणंतरनिग्गया णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति जाव देवाउयं
पकरेंति ?
गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति ॥ १२. परंपरनिग्गया णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति—पुच्छा।
गोयमा ! नेरइयाउयं पि पकरेंति जाव देवाउयं पि पकरेंति ।। १३. अणंतरं-परंपर-अनिग्गया णं भंते ! नेरइया-पुच्छा।
गोयमा ! नो ने रइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति। निरवसेसं जाव
वेमाणिया ॥ १४. नेरइया णं भंते ! कि अणंतरखेदोववन्नगा ? परंपरखेदोववन्नगा ? अणंतर
परंपर-खेदाणववन्नगा? गोयमा ! नेरइया अणंतरखेदोववन्नगा वि, परंपरखेदोववन्नगा वि, अणंतर
१. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
२. ० खेत्तोववन्नगा (क, ब); खेतोववन्नगा
(ता)।
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चोदसमं सतं (बीओ उद्देसो)
६२७ परंपर-खेदाणुववन्नगा वि। एवं एएणं अभिलावेणं ते' चेव चत्तारि दंडगा
भाणियव्वा ।। १५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।।
बीओ उद्देसो
उम्माद-पदं १६. कतिविहे णं भंते ! उम्मादे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहा–जक्खाएसे' य, मोहणिज्जस्स य कम्मस्स उदएणं । तत्थ णं जे से जक्खाएसे से णं सुहवेयणतराए चेव सहविमोयणतराए चेव । तत्थ णं जे से मोहणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं से णं
दुहवेयणतराए चेव दुहविमोयणतराए चेव ।। १७. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे उम्मादे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहा-जक्खाएसे य, मोहणिज्जस्स य
कम्मरस उदएणं ॥ १८. से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइयाणं दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहा
जक्खाएसे य, मोहणिज्जस्स ‘य कम्मस्स" उदएणं ? गोयमा ! देवे वा से असुभे पोग्गले पक्खिवेज्जा, से णं तेसिं असुभाणं पोग्गलाणं पक्खिवणयाए जक्खाएसं उम्मादं पाउणेज्जा, मोहणिज्जस्स वा कम्मस्स उदएणं मोहणिज्जं उम्मायं पाउणेज्जा । से तेणढणं' 'गोयमा ! एवं वच्चइने रइयाणं दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहा--जक्खाएसे य, मोहणिज्जस्स य
कम्मस्स° उदएणं ॥ १६. असुरकुमाराणं भंते ! कतिविहे उम्मादे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहा-जक्खाएसे य, मोहणिज्जस्स
कम्मस्स य उदएणं ।। २०. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-असुरकुमाराणं दुविहे उम्मादे पण्णत्ते, तं जहा
जक्खाएसे य, मोहणिज्जस्स य कम्मस्स उदएणं ?
१. तं (ब)।
५. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. भ० ११५१ ।
६. स. पा०-तेण?णं जाव उदएणं । ३. जक्खादेसे (ता); जक्खायेसे (ब); जक्खावेसे ७. उम्मादे (अ)। (क्व °)।
८. सं० पा०–एवं जहेव नेरइयाणं नवरं देवे। ४. व (ता); वा (स)।
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६२८
भगवई
गोयमा ! • देवे वा से महिड्ढियतराए असुभे पोग्गले पक्खिवेज्जा, से णं तेसि सुभाणं पोग्गलाणं पक्खिवणयाए जक्खाएसं उम्मादं पाउणेज्जा, मोहणिज्जस्स वा ' कम्मस्स उदएणं मोहणिज्जं उम्मायं पाउणिज्जा। से तेणद्वेणं जाव उदणं । एवं जाव थणियकुमाराणं । पुढविक्काइयाणं जाव मणुस्साणं - एएसि जहा नेरइयाणं, वाणमंतर - जोइस-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं ॥ बुट्ट काय कररण-प
२१. प्रत्थि णं भंते ! पज्जपणे' कालवासी वुट्टिकायं पकरेति ?
हंता प्रत्थि ||
२२. जाहे णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया वुट्टिकायं काउकामे भवइ से कहमियाणि पकरेति ?
गोयमा ! ताहे चेव णं से सक्के देविंदे देवराया अभितरपरिसए देवे सद्दावेइ | तए णं ते प्रभितरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा मज्झिमपरिसए देवे सद्दावेंति । तए णं ते मज्झिमपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरपरिसए देवेसावेंति । तए णं ते बाहिरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरबाहिरगे देवेावेति । तणं ते बाहिरबाहिरगा देवा सद्दाविया समाणा ग्राभिश्रोगिए देवे सद्दावेंति । तए णं ते " ग्रभियोगिया देवा ° सद्दाविया समाणा वुट्टिकाइए देवेसावेंति । तते वुट्टिकाइया देवा सद्दाविया समाणा वुट्टिकायं पकरेंति । एवं खलु गोयमा ! सक्के देविंदे देवराया वुट्टिकायं पकरेति ॥ २३. प्रत्थि णं भंते ! असुरकुमारा वि देवा वुट्टिकायं पकरेंति ?
हंता श्रत्थि ॥
२४. किपत्तियं णं भंते ! असुरकुमारा देवा वुट्ठिकार्य पकरेंति ?
गोमा ! जे इमे अहंता भगवंतो एएसि णं जम्मणमहिमासु वा निक्खमणमहिमासु वा नाणुष्पायमहिमासु वा परिनिव्वाणमहिमासु वा एवं खलु गोयमा ! सुकुमारा देवा वुट्टिकायं पकरेंति । एवं नागकुमारा वि, एवं जाव थयिकुमारा । वाणमंतर - जोइसिय-वेमाणिया एवं चैव ॥
तमुक्काकरण-पदं
२५. जाहे णं भंते ! ईसाणे देविंदे देवराया तमुक्कायं काउकामे भवति से कहमियाणि पकरेति ?
१. सं० पा० - सेसं तं चैव ।
२. पज्जुण्णे (क, ता, म ) ।
३. इह स्थाने शक्रोपि तं प्रकरोतीति दृश्यम् (वृ) |
४. ० परिसोववण्णगा ( अ, ख, ब ) ।
५. सं० पा० ते जाव सद्दाविया ।
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चोद्दसमं सतं (तइओ उद्देसो)
६२ε
गोयमा ! ताहे चेव णं से ईसाणे देविंदे देवराया श्रभितरपरिसए देवे सद्दावेति । तणं ते अभितरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा मज्झिमपरिसए देवे सद्दावेंति । तए णं ते मज्झिमपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरपरिसए देवे सद्दावेंति । तए णं ते बाहिरपरिसगा देवा सद्दाविया समाणा बाहिरबाहिर गे देवे सद्दावेंति । तए णं ते बाहिरबाहिरगा देवा सद्दाविया समाणा श्राभिश्रोगिए देवे सद्दावेंति° । तए णं ते ग्राभियोगिया देवा सद्दाविया समाणा तमुक्काइए देवे सद्दावेंति । तए णं ते तमुक्काइया देवा सद्दाविया समाणा तमुक्कायं पकरेंति । एवं खलु गोयमा ! ईसाणे देविंदे देवराया तमुक्कायं पकरेति ॥ २६. प्रत्थि णं भंते! असुरकुमारा वि देवा तमुक्कायं पकरेंति ?
हंता प्रत्थि ||
२७. किंपत्तियं णं भंते ! असुरकुमारा देवा तमुक्कायं पकरेंति ?
गोमा ! किड्डा - रतिपत्तियं वा पडिणीयविमोहणट्टयाए वा गुत्तीसारक्खणहेउ वा अप्पणो वा सरीरपच्छायणट्टयाए, एवं खलु गोयमा ! असुरकुमारा वि देवा तमुक्कायं पकरेंति । एवं जाव' वेमाणिया ||
२८. सेवं भंते ! सेवं भंते! त्ति जाव विहरइ ॥
तइओ उद्देसो
वियविहि-पदं
२६. देवे णं भंते! महाकाए महासरीरे अणगारस्स भावियप्पणो मज्झमज्भेणं वीइवएज्जा ?
गोयमा ! प्रत्येगतिए वीइवएज्जा, प्रत्येगतिए नो वीइवएज्जा |
३०. से केणट्टे भंते ! एवं वुच्चइ - प्रत्येगतिए वीइवएज्जा, प्रत्थेगतिए नो वीsaएज्जा ?
गोयमा ! दुविहा देवा पण्णत्ता, तं जहा - मायीमिच्छादिट्ठीउववन्नगा य,
१. सं० पा० - एवं जहेव सक्क्स्स जाव तए ।
२. भ० १४।२३ ।
३. भ० १।५१ ।
४. उद्देशकस्य प्रारम्भे क्वचिदियं द्वारगाथा दृश्यते---
महक्काए
सक्कारे,
सत्थे वीईवयंति देवा उ ।
वासं चेव य ठाणा,
नेरइयाणं तु परिणामे ॥
५. मज्झेण मज्झेणं ( अ, क, ख, ता, ब ) ।
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भगवई
o
मायीसम्मदिट्ठी उववन्नगा य । तत्थ णं जे से मायीमिच्छदिट्ठीउववन्नए' देवे से णं णगारं भावियप्पाणं पासइ, पासित्ता नो वंदइ, नो नमसइ, नो सक्कारेइ, नो सम्माणेइ, नो कल्लाणं मंगल देवयं चेइयं' पज्जुवासइ । से णं अणगारस्स भावियप्पणो मज्भंमज्भेणं वीइवएज्जा । तत्थ णं जे से अमायीसम्मद्दिट्ठीउववन्नए देवे से णं अणगारं भावियप्पाणं पासइ, पासित्ता वंइइ नमसइ •सक्कारेइ सम्माणेइ कल्लाणं मंगल देवयं चेइयं पज्जुवासइ । से णं अगर भावियपणो मज्भंमज्भेणं नो वीइवएज्जा | से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वच्चइ' – प्रत्थेगतिए वीइवएज्जा, प्रत्थेगतिए नो वीइवएज्जा | ३१. असुरकुमारे णं भंते! महाकाए महासरीरे अणगारस्स भावियप्पणो मज् मणं वीइवएज्जा ? एवं चेव । एवं देवदंडो भाणियव्वो जाव' वेमाणिए || ३२. प्रत्थि णं भंते ! नेरइयाणं सक्कारे इ वा ? सम्माणे इ वा ? किइकम्मे इ
६३०
वा ? ग्रभुट्टाणे इ वा ? अंजलिपग्गहे इ वा ? ग्रासणाभिग्गहे इ वा ? आसणाणुप्पदाणे इ वा ? एतस्स' पच्चुग्गच्छणया ? ठियस्स पज्जुवासणया ? गच्छंतस्स पडिसंसाहणया ?
नो इट्टे समट्ठे ॥
३३. प्रत्थि णं भंते ! असुरकुमाराणं सक्कारे इ वा ? सम्माणे इ वा जाव गच्छंतस्स सिाहया वा ?
हंता थि । एवं जाव थणियकुमाराणं । पुढविकाइयाणं जाव चउरिदियाणंएएसिं" जहा नेरइयाणं ॥
३४. प्रत्थि णं भंते! पचिदियतिरिक्खजोणियाणं सक्कारे इ वा जाव गच्छंतस्स पाहण्यावा ?
हंता प्रत्थि | नो चेवणं आसणाभिग्गहे इ वा, आसणाणुप्पयाणे इ वा ॥
३५. प्रत्थि णं भंते! मणुस्साणं सक्कारे इ वा ? सम्माणे इ वा ? किइकम्मे इ वा ? अब्भुट्ठाणे इ वा ? अंजलि पग्गहे इ वा ? आसणाभिग्गहे इ वा ? आसणाणुप्पदाणे इ वा ? एतस्स पच्चुग्गच्छणया ? ठियस्स पज्जुवासणया ? गच्छंतस्स पडिसंसाहणया ?
हंता प्रत्थि । वाणमंतर - जोइस वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं ॥
१. ०मिच्छद्दिट्ठी ( अ, क, ख, ब, म, स ) ।
o
२. जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) ।
३. सं० पा० -नमंसइ जाव पज्जुवासइ । ४. सं० पा० – बुच्चइ जाव नो । ५. भ० १४।२३ ।
६. इतस्स ( अ ) ।
७. पच्चपत्थणया ( अ ) ।
८. एसि (क, ख, ता, ब, म ) ।
६. सं० पा० - मणुस्साणं जाव वेमाणियाणं ।
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चोदसमं सतं (तइओ उद्देसो)
६३१ ३६. अप्पिड्ढिए' णं भंते ! देवे महिड्ढियस्स देवस्स मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा ?
नो इणढे समढे ॥ ३७. समिड्ढिए' णं भंते ! देवे समिड्ढियस्स देवस्स मज्झमज्झणं वीइवएज्जा ?
नो इण? समढे, पमत्तं पुण वी इवएज्जा । ३८. से णं भंते ! कि सत्थेणं अक्कमित्ता पभ ? अणक्कमित्ता पभ ?
___ गोयमा ! अक्कमित्ता पभ, नो अणक्कमित्ता पभू ।। ३६. से णं भंते ! कि पुवि सत्थेणं अक्कमित्ता पच्छा वीइवएज्जा ? पुवि वीइव
इत्ता पच्छा सत्थेणं अक्कमेज्जा ? गोयमा ! पुव्वि सत्थेणं अक्कमित्ता पच्छा वीइवएज्जा, नो पुचि वीइवइत्ता पच्छा सत्थेणं अक्कमिज्जा । एवं एएणं अभिलावेणं जहा दसमसए प्राइड्ढीउद्देसए तहेव निरवसेसं चत्तारि दंडगा भाणियव्वा जाव' महिड्ढिया वेमाणिणी
अप्पिड्ढियाए वेमाणिणीए॥ ४०. रयणप्पभपुढविनेरइया णं भंते ! केरिसयं पोग्गलपरिणाम पच्चणुब्भवमाणा
विहरंति ? गोयमा ! अणिटुं' 'अकंतं अप्पियं असुभं अमणुण्णं ° अमणामं । एवं जाव
आहेसत्तमापुढविनेरइया ॥ ४१. रयणप्पभपुढविनेरइया णं भंते ! केरिसयं वेदनापरिणामं पच्चणुब्भवमाणा
विहरंति ? गोयमा ! अणिटुं जाव अमणामं । ° एवं जहा जीवाभिगमे बितिए नेरइयउ
देसए जाव४२. अहेसत्तमापुढविनेरइया णं भंते ! केरिसयं परिग्गहसण्णापरिणामं पच्चणुब्भ
वमाणा विहरंति ?
गोयमा ! अणिद्रं जाव अमणाम ।। ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. अप्पिड़ढीए (अ, क, ता, ब, म, स)। २. समिड्ढीए (अ, क, ब, म); समड्ढीए (ता,
स)। ३. आतिड्ढीयउद्देसए (ता, ब, म)। ४. भ० १०२८-३८ ।
५. सं० पा०-अणिटुं जाव अमणाम। ६. सं० पा०-एवं वेदणापरिणाम। ७. जी० ३। ८. भ० ११५१ ।
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६३२
भगवई
चउत्थो उद्देसो पोग्गल-जीव-परिणाम-पदं ४४. 'एस णं भंते ! पोग्गले तीतमणंतं सासयं समयं लुक्खी ? समयं अलुक्खी ?
समयं लुक्खी वा अलुक्खी वा ? पुवि च णं करणणं अणेगवण्णं अणेगरूवं परिणाम परिणमइ ? अहे से परिणामे निज्जिण्णे भवइ, तो पच्छा एगवण्णे एगरूवे सिया? हंता गोयमा ! एस णं पोग्गले तीतमणंतं सासयं समयं तं चेव जाव' एगरूवे
सिया॥ ४५. एस णं भंते ! पोग्गले पडुप्पन्नं सासयं समय लुक्खी ? एवं चेव ।। ४६. २०एस णं भंते ! पोग्गले अणागयमणतं सासयं समयं लक्खी ? एवं चेव ॥ ४७. एस णं भंते ! खंधे तीतमणतं सासयं समयं लुक्खी ? एवं चेव खंधे वि जहा
पोग्गले ॥ ४८. एस णं भंते ! जीवे तीतमणतं सासयं समयं दुक्खी ? समयं अदुक्खी ? समयं
दुक्खी वा अदुक्खी वा? पुवि च णं करणेणं अणेगभावं अणेगभूयं परिणाम परिणमइ ? अहे से वेयणिज्जे निजिण्णे भवइ, तो पच्छा एगभावे एगभूए सिया? हंता गोयमा ! एस णं जीवे तीतमणतं सासयं समयं जाव एगभूए सिया। एवं पडुप्पन्नं सासयं समयं, एवं अणागयमणतं सासयं समयं ।। परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सासए ? असासए ?
गोयमा ! सिय सासए, सिय असासए । ५०. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय सासए, सिय असासए ?
गोयमा ! दव्वयाए सासए, वण्णपज्जवेहि गंधपज्जवेहिं रसपज्जवेहि फासपज्जवेहि असासए । से तेण?णं' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ ° -सिय सासए,
सिय प्रसासए॥ ५१. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि चरिमे ? अचरिमे ?
गोयमा ! दव्वादेसेणं नो चरिमे, अचरिमे। खेत्तादेसेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे । कालादेसेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे । भावादेसेणं सिय चरिमे, सिय अचरिमे।
४६.
१. इह पुनरुद्देशकार्थसंग्रहगाथा क्वचिद् दृश्यते, अज्जीवाणं च जीवाणं । सा चेयं--
२. सं० पा०–एवं अणागयमणंतं पि । १. पोग्गल २. खंधे ३. जीवे, ३. सं० पा० --वण्णपज्जवेहिं जाव फास ° । ४. परमाणू ५. सासए य चरमे य। ४. सं० पा०-तेणट्रेणं जाव सिय । ६. दुविहे खलु परिणामे,
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चोइसमं सतं (पंचमो उद्देसो)
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५२. कतिविहे णं भंते ! परिणामे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे परिणामे पण्णत्ते, तं जहा-जीवपरिणामे य, अजीवपरिणामे
य। एवं परिणामपयं' निरवसेसं भाणियव्वं ।। ५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ॥
पंचमो उद्देसो अगणिकायस्स प्रतिक्कमण-पदं ५४. 'नेरइए णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ?
गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा । ५५. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ–अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइव
एज्जा ? गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-विग्गहगतिसमावन्नगा य, अविग्गहगतिसमावन्नगा य । तत्थ णं जे से विग्गहगतिसमावन्नए नेरइए से णं अगणिकायस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा। से णं तत्थ झियाएज्जा ? नो इणढे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ । तत्थ णं जे से अविग्गहगतिसमावन्नए नेरइए से णं अगणिकायस्स मज्झमझेणं नो वीइवएज्जा । से तेणद्वेणं जाव
नो वीइवएज्जा॥ ५६. असुरकुमारे णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झमज्झणं वीइवएज्जा ? '
गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा ।। ५७. से केण?णं जाव नो वीइवएज्जा ?
गोयमा ! असुरकुमारा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-विग्गहगतिसमावन्नगा य, अविग्गहगतिसमावन्नगा य । तत्थ णं जे से विग्गहगतिसमावन्नए असुरकुमारे से णं-एवं जहेव नेरइए जाव कमइ । तत्थ णं जे से अविग्गहगतिसमावन्नए
१. प० १३ । २. भ० ११५१। ३. इह च क्वचिदुद्देशकार्थसंग्रहगाथा दृश्यते,
सा चेयंनेरइय अगणिमझे,
दस ठाणा तिरिय पोग्गले देवे। पध्वयभित्ती उल्लंघणा,
य पल्लंघणा चेव ॥ ४. मझणं मझेणं (अ, क, ख, ता, ब) । ५. सं० पा०-पुच्छा।
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६३४
भगवई
६०.
असुरकुमारे से णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा। जे णं वीइवएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा ? नो इणद्वे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ । से तेणतुणं । एवं जाव थणियकुमारा। एगिदिया जहा नेरइया । बेइंदिया णं भंते ! अगणिकायस्स मज्झमझणं वीइवएज्जा ? जहा असुरकुमारे तहा बेइंदिएवि, नवरंजे णं वीइवएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा ?
हंता झियाएज्जा । सेसं तं चेव । एवं जाव चउरिदिए । ५६. पंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! अगणिकायस्स "मज्झमझेणं वीइव
एज्जा ? गोयमा ! अत्थेगतिए वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा ॥ से केणतुणं? गोयमा ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा -विग्गहगतिसमावन्नगा य, अविग्गहगतिसमावन्नगा य । विग्गहगतिसमावन्नए जहेव नेरइए जाव नो खलु तत्थ सत्थं कमइ । अविग्गहगतिसमावन्नगा पंचिंदियतिरिक्खजोणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-इड्ढिप्पत्ता य, अणिड्ढिप्पत्ता य। तत्थ णं जे से इड्ढिप्पत्ते पंचिदियतिरिक्खजोणिए से णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मज्झंमज्झणं वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा । जे णं वीइवएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा ? नो इणद्वे समढे, नो खलु तत्थ सत्थं कमइ। तत्थ णं जे से अणि ढिप्पत्ते पंचिदियतिरिक्खजोणिए से णं अत्थेगतिए अगणिकायस्स मज्झमझेण वीइवएज्जा, अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा। जे णं वीइवएज्जा से णं तत्थ झियाएज्जा? हंता झियाएज्जा। से तेणढेणं जाव नो वीइवएज्जा। एवं मणुस्से वि।
वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिए जहा असुरकुमारे । पच्चणुभव-पदं ६१. नेरइया दस ठाणाई पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा-अणिट्ठा सद्दा, अणिट्ठा
रूवा, अणिट्ठा गंधा, अणिट्ठा रसा, अणिट्ठा फासा, अणिट्ठा गती, अणिट्ठा ठिती, अणिढे लावण्णे', अणिढे जसे कित्ती, अणिढे उट्ठाण-कम्म'-बल-वीरिय-पुरिस
क्कार-परक्कमे ॥ १. सं० पा०-पुच्छा।
३. कम्मए (ता)। २. लायण्णे (ता)।
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चोदसमं सतं (पचमो उद्देसो)
६३५
६२. असुरकुमारा दस ठाणाई पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा-इट्ठा सद्दा,
इट्ठा रूवा जाव इ8 उट्ठाण-कम्म-बल-वीरिय-पुरिसक्कार-परक्कमे । एवं
जाव थणियकुमारा॥ ६३. पुढविक्काइया छट्ठाणाई पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा–इट्ठाणिट्ठा फासा,
__ इट्राणिट्टा गती, एवं जाव पूरिसक्कार-परक्कमे । एवं जाव वणस्सइकाइया । ६४. बेइंदिया' सत्तट्ठाणाई पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा-इट्ठाणिट्ठा रसा,
सेसं जहा एगिदियाणं ।। ६५. तेइंदिया अट्ठाणाई पच्चणुभवमाणा विहरंति, तं जहा-इट्टाणिट्ठा गंधा,
सेसं जहा बेइंदियाणं ॥ ६६. चउरिदिया नवट्ठाणाइं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा-इट्ठाणिट्ठा रूवा,
सेसं जहा तेइंदियाण ।। ६७. पंचिदियतिरिक्खजोणिया दस ठाणाइं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तं जहा
इट्ठाणिट्ठा सद्दा जाव पुरिसक्कार-परक्कमे । एवं मणुस्सा वि, वाणमंतर-जोइ
सिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा ।। देवस्स उल्लंघण-पल्लंघण-पदं ६८. देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव' महेसक्खे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पभू
तिरियपव्वयं वा तिरियभित्ति वा उल्लंघेत्तए वा पल्लंघेत्तए वा ?
'नो इणढे सम? ॥ ६६. देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू
तिरिय पव्वयं वा तिरियभित्ति वा उल्लंघेत्तए वा पल्लंघेत्तए वा ?
हंता पभू ॥ ७०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।
१. बेंदिया (ब)। २. भ० ११३३६। ३. महेसक्के (ब)।
४. गो नो (अ, ख)। ५. सं० पा०-तिरिय जाव पल्लंघेत्तए । ६. भ० ११५१ ।
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६३६
भगवई
छट्ठो उद्देसो नेर इयादीणं किमाहारादि-पदं ७१. रायगिहे जाव' एवं वयासि-नेरइया णं भंते ! किमाहारा, किंपरिणामा,
किंजोणिया, किठितीया पण्णता? गोयमा ! नेरइया णं पोग्गलाहारा, पोग्गलपरिणामा, पोग्गलजोणिया, पोग्गलद्वितीया, कम्मोवगा, कम्मनियाणा, कम्मद्वितीया, कम्मुणामेव विप्परिया
समें ति । एवं जाव वेमाणिया ॥ ७२. नेरइया णं भंते ! किं वीचीदव्वाइं आहारेति ? अवीचीदव्वाइं आहारेंति ?
गोयमा ! नेरइया वीचीदव्वाइं पि आहारेंति, अवीचीदव्वाई पि आहारेति ॥ ७३. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-नेरइया वीची दवाई पि आहारेंति, अवीची
दव्वाइं पि° पाहारेति ? गोयमा ! जे णं नेरइया एगपएसूणाई पि दव्वाइं आहारेति, ते णं नेरइया वीचीदव्वाइं पाहारेंति, जे णं नेरइया पडिपुण्णाई दव्वाइं आहारेंति, ते णं नेरइया अवीचीदव्वाइं आहारेति । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ'नेरइया वीचीदव्वाइं पि अाहारेंति, अवीचीदव्वाइं पि° आहारेति । एवं
जाव वेमाणिया ।। देविदाणं भोग-पदं ७४. जाहे णं भंते ! सक्के देविदे देवराया दिव्वाइं भोगभोगाई भुं जिउकामे भवइ
से कहमियाणि पकरेति ? गोयमा ! ताहे चेव णं से सक्के देविदे देवराया एगं महं नेमिपडिरूवगं विउव्वइ–एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं, तिण्णि जोयणसयसहस्साई जाव अद्धंगुलं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं । तस्स णं नेमिपडिरूवगस्स" उरि" बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पण्णते जाव मणीणं फासो। तस्स णं नेमिपडिरूवगस्स बहुमज्झदेसभागे, एत्थ णं महं एगं पासायवडेंसगं विउव्वइ
१. भ. ११४-१०। २. किजोणीया (अ, ब, म)। ३. कम्मणामेव (ब)। ४. वीचि (अ, क, ख, ब, म, स)। ५. सं० पा०-तं चेव जाव आहारेति । ६. सं० पा०-वुच्चइ जाव आहारेति । ७. •णिया आहारेंति (स)।
८. भोजिउकामे (ख); भुंजउंकामे (स)। ६. भ० ६७५ । १०. नेमिरूवस्स (ख, ता, ब)। ११. अवरि (ख, ता, म); अवरि (ब)। १२. राय० सू० २४-३१ । १३. तत्थ (अ, क, ता, ब, म, स)।
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चोद्दसमं सतं (छ8ो उद्देसो)
पंच जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाइं विक्खंभेणं, अब्भुग्गय-मूसिय-पहसियमिव वण्णो जाव' पडिरूवं । तस्स णं पासायवडेंसगस्स उल्लोए पउमलयाभत्तिचित्ते जाव' पडिरूवे । तस्स णं पासायवडेंसगस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव मणीणं फासो, मणिपेढिया अट्ठजोयणिया जहा वेमाणियाणं । तीसे णं मणिपेढियाए उवरि महं 'एगे देवसयणिज्जे" विउव्वइ, सयणिज्जवण्णो जाव' पडिरूवे । तत्थ णं से सक्के देविदे देवराया अट्ठहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं, दोहि य अणिएहिं-- नट्टाणिएण य गंधव्वाणिएण य सद्धि महयाहयनट्ट'- गीय-वाइय-तंती-तल-ताल-तुडिय-घणमुइंगपडुप्पवाइय
रवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं में जमाणे विहरइ। ७५. जाहे ईसाणे देविदे देवराया दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजिउकामे भवइ से कहमि
याणि पकरेति ? जहा सक्के तहा ईसाणे वि निरवसेसं । एवं सणंकुमारे वि, नवरं--पासायवडेंसो छ जोयणसयाइं उड्ढं उच्चत्तेणं, तिण्णि जोयणसयाइं विक्खंभेणं, मणिपेढिया तहेव अट्ठजोयणिया। तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं, एत्थ णं महेगं सीहासणं विउव्वइ, सपरिवारं भाणियव्वं । तत्थ णं सणंकुमारे देविदे देवराया बावत्तरीए सामाणियसाहस्सीहि जाव चउहि य बावत्तरीहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहि य बहूहि सणंकुमारकप्पवासीहि वेमाणिएहिं देवे हि य देवीहि य सद्धि संपरिवडे महयाहयन जाव विहरइ । एवं जहा सणंकमारे तहा जाव पाणो अच्चुयो, नवरं-जो जस्स परिवारो सो तस्स भाणियव्वो"। पासायउच्चत्तं -जं सएसु-सएसु कप्पेसु विमाणाणं उच्चत्तं, अद्धद्धं वित्थारो जाव अच्चुयस्स नवजोयणसयाई उड्ढे उच्चत्तेणं, अद्धपंचमाइं जोयणसयाई विक्खंभेणं । 'तत्थ णं'१२ अच्चुए देविंदे देवराया दसहि सामाणियसाहस्सीहिं जाव
विहरइ, सेसं तं चेव ।। ७६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति" ॥
१. राय० सू० १३७ । २. राय० सू० ३४ । ३. राय० सू० ३६ । ४. विभक्तिव्यत्ययेन 'एगं देवसयरिणज्जं'। ५. राय० सू० २४५। ६. अणिएहिं तं (अ)। ७. सं० पा०-महयाहयनद्र जाव दिव्वाई।
८. राय० सू० ३७-४४ । ६. प० २। १०. भ० १४।७४। ११. प०२। १२. भ० १११९४ । १३. एत्थ णं गो (अ)। १४. भ० ११५१ ।
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६३८
सत्तमो उद्देसो
गोयमस्स श्रासासण-पदं
७७. रायगिहे जाव' परिसा पडिगया । गोयमादी ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोमं ग्रामंतेत्ता एवं वयासी चिर संसिद्धोसि मे गोयमा ! चिरसंथुप्रोसि मे गोयमा ! चिरपरिचिसि मे गोयमा ! चिरजुसिश्रोसि मे गोयमा ! चिरा
fe मे गोमा ! चिराणुवत्तीसि मे गोयमा ! प्रणंतरं देवलोए श्रणंतरं माणुस भवे, किं परं मरणा कायस्स भेदा इम्रो चुता दो वि तुल्ला एगट्ठा विसेसमणाणत्ता भविस्सामो ||
७८. जहा णं भंते ! वयं एयमट्टं जाणामो-पासामो, तहा णं प्रणुत्तरोववाइया वि
देवा एयम जाणंति- पासंति ?
हंता गोयमा ! जहा णं वयं एयमट्ठे जाणामो-पासामो, तहा णं प्रणुत्तरोववाइया वि देवा एयम जाति-पाति ॥
७६. सेकेणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ-वयं एयमहं जाणामो - पासामो, तहा णं प्रणुत्तरोववाइया वि देवा एयमट्ठे जाणंति - पासंति ?
गोमा ! प्रणुत्तरोववाइयाणं प्रणताम्रो मणोदव्ववग्गणाश्रो लाओ पत्ताओ अभिसमण्णा या भवंति । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - वयं एयमट्ठ जाणामो-पासामो, तहा णं श्रणुत्तरोववाइया वि देवा एयमद्वं जाणंति - पासंति ।।
तुल्लय-पदं
८०. कतिविहे णं भंते ! तुल्लए पण्णत्ते ?
गोमा ! छवि तुल्लए पण्णत्ते, तं जहा - दव्वतुल्लए, खेत्ततुल्लए, कालतुल्लए, भवतुल्लए, भावतुल्लए, संठाणतुल्लए ||
८१. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - दव्वतुल्लए - दव्वतुल्लए ?
१. भ० १।४८ ।
२. चिरभुसिओसि (ता, म ) ।
भगवई
गोयमा ! परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलस्स दव्वत्र तुल्ले, परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलवइरित्तस्स दव्वओ नो तुल्ले | दुपए सिए खंधे दुपए सिस्स खंधस्स दव्वप्रो तुल्ले, दुपए सिए खंधे दुपएसियवइरित्तस्स खंधस्स दव्वम्रो नो तुल्ले । एवं जाव दसपएसिए । तुल्लसंखेज्जपए सिए खंधे तुल्लसंखेज्जपएसियस्स खंधस्स दव्वओो तुल्ले, तुल्लसंखेज्जपएसिए खंधे तुल्लसंखेज्जपए सियवइरित्तस्स खंधस्स दव्वग्रो नो तुल्ले, एवं तुल्ल संखेज्जपएसिए वि, एवं तुल्ल
३. सं० पा०—केणट्टेणं जाव पासंति ।
४. सं० पा० - वुच्चइ जाव पासंति ।
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चोद्दसमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
६३६ अणंतपएसिए वि । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-दव्वतुल्लए-दव्वतुल्लए। से केणद्वेण भंते ! एवं वुच्चइ-खेत्ततुल्लए-खेत्ततुल्लए ? गोयमा ! एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तनो तुल्ले, एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तयो नो तुल्ले, एवं जाव दसपएसोगाढे । तुल्लसंखेज्जपएसोगाढे' •पोग्गले तुल्लसंखेज्जपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तमो तुल्ले, तुल्लसंखेज्जपएसोगाढे पोग्गले तुल्लसंखेज्जपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तो नो तुल्ले °, एवं तुल्लअसंखेज्जपएसोगाढे वि । से तेण?णं' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ°-खेत्ततुल्लए-खेत्ततुल्लए। से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-कालतुल्लए-कालतुल्लए? गोयमा ! एगसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयस्स पोग्गलस्स कालो तुल्ले, एकसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयवइरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ नो तुल्ले, एवं जाव दससमयद्वितीए, तुल्लसंखेज्जसमयद्वितीए एवं चेव, एवं तुल्लअसंखेज्जसमयकृितीए वि । से तेणद्वेणं' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ - कालतुल्लए-कालतुल्लए। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-भवतुल्लए-भवतुल्लए ? गोयमा ! नेरइए नेरइयस्स भवट्ठयाए तुल्ले, नेरइयवइरित्तस्स भवट्ठयाए नो तुल्ले, तिरिक्खजोणिए एवं चेव, एवं मणुस्से, एवं देवे वि। से तेणटेणं •गोयमा ! एवं वुच्चइ ° -भवतुल्लए-भवतुल्लए। से केणद्वेण भंते ! एवं वुच्चइ-भावतुल्लए-भावतुल्लए ? गोयमा ! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगस्स पोग्गलस्स भावो तुल्ले, एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालावइरित्तस्स पोग्गलस्स भावनो नो तुल्ले, एवं जाव दसगुणकालए, एवं तुल्लसंखेज्जगुणकालए पोग्गले, एवं तुल्लअसंखेज्जगुणकालए वि, एवं तुल्लाणंतगुणकालए वि। जहा कालए, एवं नीलए, लोहियए, हालिद्दए, सुक्किलए। एवं सुब्भिगंधे, एवं दुब्भिगंधे । एवं तित्ते जाव' महुरे । एवं कक्खडे जाव लूक्खं । प्रोदइए भावे गोदइयस्स भावस्स भावो तुल्ले, प्रोदइए भावे अोदइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावनो नो तुल्ले, एवं प्रोवसमिए, खइए, खोवसमिए, पारिणामिए । सन्निवाइए भावे सन्निवाइयस्स
१. सं० पा०-तुल्लसंखेज्ज। २. सं० पा०-तेगडेणं जाव खेत्ततुल्लए। ३. सं पा०-तेण?णं जाव कालतुल्लए। ४. सं० पा०--तेणट्रेणं जाव भवतल्लए । ५. ०कालस्स (अ, क, ब, स)।
६. °काल ° (अ, ख, स); स्वीकृतपाठे एकपदे
सन्धिः । ७. भ० ८।३६ । ८. भ० ८।३६ :
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भगवई
भावस्स भावो तुल्ले, सन्निवाइए भावे सन्निवाइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावनो नो तुल्ले । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-भावतुल्लए-भावतुल्लए। से कण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-संठाणतुल्लए-संठाणतुल्लए? गोयमा ! परिमंडले संठाणे परिमंडलस्स संठाणस्स संठाणओ तुल्ले परिमंडले संठाणे परिमंडलसंठाणवइरित्तस्स संठाणस्स संठाणो नो तुल्ले, एवं वट्टे, तंसे, चउरंसे, आयए। समचउरंससंठाणे समचउरंसस्स मंठाणस्स संठाणो तुल्ले समचउरंसे संठाणे समचउरंससंठाणवइरित्तस्स संठाणस्स मंठाणो नो तुल्ल, 'एवं परिमंडले वि", एवं 'साई खुज्जे वामणे ° हुंडे । से तेणढणं' 'गोयमा !
एवं वुच्चइ °-संठाणतुल्लए-संठाणतुल्लए । भत्तपच्चक्खायस्स पाहार-पदं ५२. भत्तपच्चक्खायए णं भंते ! अणगारे मुच्छिए' गिद्धे गढिए ° अज्झोववन्ने
आहारमाहारेति, अहे णं वोससाए कालं करेइ, तो पच्छा अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए" अणज्झोववन्ने ग्राहारमाहारेति ? हंता गोयमा ! भत्तपच्चक्खायए णं अणगारे "मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववन्ने आहारमाहारेति, अहे णं वीससाए कालं करेइ, तो पच्छा अमुच्छिए
अगिद्धे अगढिए अणज्झोववन्ने आहारमाहारेति ।। ५३. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–भत्तपच्चक्खायए णं ""अणगारे मच्छिए गिद्धे
गढिए अज्झोववन्ने आहारमाहारेति, अहे णं वीससाए कालं करेइ, तो पच्छा अमुच्छिए अगिद्धे अगढिए अणज्झोववन्ने आहारमाहारेति ? ० गोयमा ! भत्तपच्चक्खायए णं अणगारे मुच्छिए 'गिद्धे गढिए° अज्झोववन्ने आहारे भवइ, अहे णं वीससाए कालं करेइ, तो पच्छा अमुच्छिए 'अगिद्धे अगढिए अणज्झोववन्ने ° आहारे भवइ । से तेण?णं गोयमा ! जाव आहार
माहारेति ।। लवसत्तम देव-पदं ८४. अत्थि णं भंते ! लवसत्तमा देवा, लवसत्तमा देवा ?
हंता अत्थि ॥ १. x (अ, ख); एवं जाव परिमंडले वि ६. सं० पा० --तं चेव । (क, ता, ब, म)।
७. सं० पा०-तं चेव । २. सं० पा०-एवं जाव हुंडे ।
८. सं० पा०–मुच्छिए जाव अज्झोववन्ने । ३. सं० पा० तेणद्वेणं जाव संठाणतुल्लए। ६. अत्रकपदे सन्धिस्तेन 'आहारए' इति स्थाने ४. सं० पा०-मुच्छिए जाव अज्झोववन्ने। 'पाहारे' इति प्रयोगो दृश्यते । ५. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। १०. सं० पा०–अमुच्छिए जाव आहारे ।
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चोद्दसमं सतं (सतमो उद्देसो)
६४१ ८५. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ–लवसत्तमा देवा, लवसत्तमा देवा ?
गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे तरुण जाव' निउणसिप्पोवगए सालीण वा, वीहीण वा, गोधूमाण वा, जवाण वा, जवजवाण वा पक्काणं', परियाताणं, हरियाणं, हरियकंडाणं तिक्खेणं नवपज्जणएणं' असिग्रएणं पडिसाहरिया-पडिसाहरिया पडिसंखिविया-पडिसंखिविया जाव इणामेव-इणामेव त्ति कटु सत्त लवे लुएज्जा, जदि" णं गोयमा ! तेसिं देवाणं एवतियं कालं आउए पहुप्पते तो णं ते देवा तेणं चेव भवग्गहणणं सिझंता' 'बुज्झता मच्चता परिनिव्वायंता सव्वदुक्खाणं° अंतं करता। से तेण?णं गोयमा! एवं वुच्चइ ° -
लवसत्तमा देवा, लवसत्तमा देवा ।। अणुत्तरोववाइवदेव-पदं ८६. अत्थि णं भंते ! अणुत्तरोववाइया देवा, अणुत्तरोववाइया देवा ?
हंता अत्थि ॥ ८७. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ--अणुत्तरोववाइया देवा, अणुत्तरोववाइया देवा ?
गोयमा ! अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं अणुत्तरा सद्दा', 'अणुत्तरा रूवा, अणुत्तरा गंधा, अणुत्तरा रसा, अणुत्तरा फासा। से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ
अणत्तरोववाइया देवा, अणत्तरोववाइया देवा ॥ ८८. अणुत्तरोववाइया णं भंते ! देवा केवतिएणं कम्मावसेसेणं अणुत्तरोववाइय
देवत्ताए उववन्ना? गोयमा ! जावतियं छट्ठभत्तिए समणे निग्गंथे कम्मं निज्जरेति एवतिएणं
कम्मावसेसेणं अणुत्तरोववाइयदेवत्ताए उववन्ना ।। ८६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥
१. भ० १४।३। २. पिकाणं (म, स)। ३. नवपज्जएणं (क, ता, स); नवपज्जवएणं
(म)। ४. लए (अ, क ख, ता, ब); लवए (म, स)। ५. जति (अ, ख, म, स)। ६. बहुप्पते (अ, क); बहुप्पते (ख, ब, म, स);
पहुप्पते (ना)। ७. सिझज्जा (ता); सं० पा०-सिझंता
जाव अंते। ८. सं० पा०--तेण?णं जाव लवसत्तमा । ६. सं० पाo--सद्दा जाव फासा। १०. भ० ११५१।
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६४२
भगवई
अट्ठमो उद्देसो
अबाहाए अंतर-पदं ६०. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए सक्करप्पभाए य' पुढवीए केवतिए
अबाहाए अंतरे पण्णते?
गोयमा ! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ।। ६१. सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए वालुयप्पभाए य पुढवीए केवतिए अबाहाए
अंतरे पण्णते ? एवं चेव । एवं जाव तमाए अहेसत्तमाए य । अहेसत्तमाए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवतिए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ? गोयमा ! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ॥ इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए जोतिसस्स य केवतिए "बाहाए अंतरे पण्णते?
गोयमा ! सत्तनउए जोयणसए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते । ६४. जोतिसस्स णं भंते ! सोहम्मीसाणाण य कप्पाणं केवतिए "प्रबाहाए अंतरे
पण्णत्ते ?
गोयमा ! असंखेज्जाइं जोयण सहस्साइं अबाहाए ° अंतरे पण्णत्ते ।। ६५. सोहम्मीसाणाणं भंते ! सणंकुमार-माहिंदाण य केवतिए अबाहाए अंतरे
पण्णत्ते ? एवं चेव ॥ ६६. सणंकुमार-माहिंदाणं भंते ! बंभलोगस्स कप्पस्स य केवतिए अवाहाए अंतरे
पण्णत्ते ? एवं चेव ।। बंभलोगस्स णं भंते ! लंतगस्स य कप्पस्स केवतिए अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ?
एवं चेव ॥ १८. लंतयस्स णं भंते ! महासुक्कस्स य कप्पस्स केवतिए अवाहाए अंतरे पण्णत्ते ?
एवं चेव । एवं महासुक्कस्स कप्पस्स सहस्सा रस्स य, एवं सहस्सारस्स प्राणय'पाणयाण य कप्पाणं", एवं प्राणय-पाणयाणं पारणच्चुयाण य कप्पाणं, एवं पारच्चुयाणं गेवेज्जविमाणाण य, एवं गेवेज्जविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य ।।
१. X (अ, क, ब, म)। २. केवतियं (अ, क, ख, ता, ब, म, स) प्रायः । ३. आबाहाए (अ, क, ता, स) सर्वत्र; अबाहे ___ (ख); आबाहए (ब, म)। ४. सं० पा०-पुच्छा।
५. सं० पा०-पुच्छा। ६. सं० पा०-जोयण जाव अंतरे । ७, पाणयकप्पाणं (क, स ८. पाणयाणं कप्पाणं (अ, क, म)।
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चोद्दसमं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
६४३ ६६. अणुत्तरविमाणाणं भंते ! ईसिंपन्भाराए' य पुढवीए केवतिए अबाहाए अंतरे
पण्णते?
गोयमा ! दुवालस जोयणे अबाहाए अंतरे पण्णत्ते ॥ १००. ईसिंपन्भाराए णं भंते ! पुढवीए अलोगस्स य केवतिए अबाहाए "अंतरे
पण्णत्ते? ०
गोयमा ! देसूणं जोयणं अवाहाए अंतरे पण्णत्ते ।। रुक्खाणं पुणब्भव-पदं १०१. एस णं भंते ! सालरुक्खे उपहाभिहए तण्हाभिहए दवग्गिजालाभिहए कालमासे
कालं किच्चा कहिं गमिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! इहेव रायगिहे नगरे सालरुक्खत्ताए पच्चायाहिती। से णं तत्थ अच्चिय-वंदिय-पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहिय
पाडिहरे लाउल्लोइयमहिए यावि भविस्सइ ।। १०२. से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता कहि गमिहिति ? कहि उववज्जि
हिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति ॥ एस णं भंते ! साललट्ठिया उण्हाभिया तण्हाभिया दवग्गिजालाभिहया कालमासे कालं किच्चा 'कहि गमिहिति ? • कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले महेसरिए नगरीए सामलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिति। से" णं तत्थ अच्चिय-वंदिय- पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहेरे° लाउल्लोइयमहिए
यावि भविस्सइ ॥ १०४. से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उबट्टित्ता " कहिं गमिहिति ? कहिं उवव
ज्जिहिति ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं ° अंतं काहिति ।।
१. ईसि (अ, क, ख, ता, ब, म)। २. सं० पा०-पुच्छा। ३. सं० पा०-पुच्छा। ४. गच्छिहिति (अ, क, ख, स) ५. पच्चाहिति (ता, ब, म)। ६. तत्था (क, ता, ब)। ७. भ० २।७३ ।
८. सालिलट्ठिल्लिया (ख); साललट्ठिल्लिया (ता) ६. सं० पा०-किच्चा जाव कहिं । १०. विज्झ° (क, ख, ता, ब)। ११. सा (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। १२. सं० पा०-वंदिय जाव लाउल्लोइय० । १३. सं० पा०-सेसं जहा सालरुक्खस्स जाव
अंतं ।
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६४४
भगवई
१०५. एस णं भंते ! उंबरलट्ठिया' उण्हाभिहया तण्हाभिहया दवग्गिजालाभिया
कालमासे कालं किच्चा कहिं गमिहिति ? • कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे दोवे भारहे वासे पाइलिपुत्ते नगरे पाडलिरुक्खत्ताए पच्चायाहिति । से णं तत्थ अच्चिय-वंदिय- पूइय-सक्कारिय-सम्माणिए दिव्वे
सच्चे सच्चोवाए सन्निहियपाडिहरे लाउल्लोइयमहिए यावि ° भविस्सइ ।। १०६. से णं भंते ! तमोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गमिहिति ? कहि उववज्जि
हिति?
गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं ° अंतं काहिति ॥ अम्मड-अंतेवासि-पदं १०७. तेणं कालेणं तेणं समएणं अम्मडस्स परिव्वायगस्स सत्त अंतेवासिसया गिम्ह
कालसमयंसि " जेट्ठामूलमासंमि गंगाए महानदीए उभगोकूलेणं कंपिल्लपुरानो
नगरायो पुरिमतालं नयरं संपट्ठिया विहाराए । १०८. तए णं तेसि परिव्वायगाणं तीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए
कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुव्वेणं परि जमाणे झीणे ॥ १०६. तए णं ते परिवाया भीणोदगा समाणा तहाए पारख्भमाणा-पारब्भमाणा
उदगदातारमपस्समाणा अण्णमण्णं सद्दावे ति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमीसे अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए कंचि देसंतरमणुपत्ताणं से पुव्वग्गहिए उदए अणुपुव्वेणं परि जमाणे झीणे । तं सेयं खलू देवाणप्पिया ! अम्हं इमीले अगामियाए छिण्णावायाए दीहमद्धाए अडवीए उदगदातारस्स सव्वनो समता मग्गण-गवेसणं करित्तए त्ति कटट अण्णमण्णरस अंतिए एयमटुं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तीसे अगामियाए छिपणावायाए दीहमद्धाए अडवीए उदगदातारस्स सव्वओ समंता मग्गण-गवेसणं करेंति, करेत्ता उदगदातारमलभ माणा दोच्चं पि अण्णमण्णं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-इहणं देवाणुप्पिया ! उदगदातारो नत्थि तं नो खलु कप्पइ अम्हं अदिण्ण गिहित्तए, अदिण्णं साइज्जित्तए, तं मा णं अम्हे इयाणि पावइकालं पि अदिण्णं गिण्हामो, अदिण्णं साइज्जामो, मा णं अम्हं तवलोवे भविस्सइ । तं सेयं खलु अम्हं देवाणुप्पिया ! तिदंडए य कुंडियायो य कंचणियानो य करोडियायो य भिसियानो य छण्णालए य अंकुसए य केसरियायो य पवित्तए य गणेत्तियाग्रो य छत्तए य वाहणायो य धाउरत्तानो य एगते एडित्ता गंगं
१. उंवरि० (अ, स)। २. सं० पा० ---किच्चा जाव कहि । ३. सं० पा०-वंदिय जाव भविस्सइ ।
४. सं० पा०--सेसं तं चेव जाव अंतं । ५. सं० पा०—एवं जहा ओववाइए जाव
आराहगा।
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चोसमं सतं (मो उद्देसो)
महानई गाहित्ता वालुयासंथारए संथरिता संदेहणा -भूसियाणं भत्तपाणपडियाक्खियाणं पायोवगयाणं कालं प्रणवकखमाणाणं विहरित्तए त्ति कट्टु अण्णमण्णस्स ग्रंतिए एयमठ्ठे पडिसुर्णेति, पडिसुणेत्ता तिदंडए य कुंडिया य कंचणिया य करोडिया श्री य भिसियाग्रो य छण्णालए य अंकुसए य केसरियाय पवित्तए य गणेत्तियानो य छत्तए य वाहणाओ य धाउरत्ताओ य एते एडेंति, एडेत्ता गंगं महानई प्रोगाहेंति, श्रोगाहेत्ता वालुयासंथारए संथरंति, संथरिता वालुयासंथारयं दुरुहंति, दुरुहित्ता पुरत्याभिमुहा संपलियंकनिसण्णा करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं वयासीनमोत्थु णं अरहंताणं जाव' सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं । नमोत्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव' संपाविकामस्स । नमोत्थु णं ग्रम्मडस्स परिव्वायगस्स ग्रम्हं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स । पुविग्रहेहि ग्रम्मडस्स परिव्वायगस्स ग्रंतिए थूलए पाणाइवाए पच्चक्खाए जावज्जीवाए, मुसावाए प्रदिण्णादाणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, सव्वे मेहुणे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, थूलए परिग्गहे पच्चक्खाए जावज्जीवाए, इयाणि अम्हे समणस्स भगवग्रो महावीरस्स ग्रंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामो जावज्जीवाएं सव्वं मुसावायं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं प्रदिण्णादाणं पच्चवखामो जावज्जीवाए सव्वं मेहुणं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं परिग्गहं पच्चक्खामो जावज्जीवाए सव्वं कोहं माणं मायं लोहं पेज्जं दोसं कलहं ग्रब्भक्खाणं पे सुष्णं परपरिवार्य अरइरई मायामोस मिच्छादंसणसल्लं प्रकरणिज्जं जोगं पच्चक्खामो जावज्जीवाएं सव्वं असणं पाणं खाइमं साइमं - चउव्विहं पि श्राहारं पच्च क्खामो जावज्जीवाए ।
१. ओ० सू० २१ । २. ओ० सू० २१ ।
जंपि य इमं सरीरं इट्ठ कंतं पियं मणुण्णं मणामं पेज्जं वेसासियं संमयं बहुमयं अणुमयं भंड-करंडग- समाणं मा णं सीयं, मा उन्हं, माणं खुहा, माणं पिवासा, माणं वाला, मा णं चोरा, मा णं दंसा, मा णं मसगा, माणं वाइयपित्तिय-सिंभिय-सन्निवाइय विविहा रोगायका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्ति कट्टु एयंपि णं चरिमेह् िऊसासनीसासेहि वोसिरामि त्ति कट्टु संलेहणा-भूसिया भत्तपाण -पडिया इक्खिया पायोवगया कालं प्रणव कखमाणा विहरति । तणं परिव्वाया बहूई भत्ताई ग्रणसणाए छेदेति, छेदित्ता आलोइय-पडिककता समाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा बंभलोए कप्पे देवत्ताए उववण्णा । तहि तेसि गई, तर्हि तेसि ठिई, तहिं तेसि उववाए पण्णत्ते ।
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१. विभक्तिरहितं पदम् ।
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भगवई
तेसि णं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिई पण्णत्ता ? गोयमा ! दससागरोवमाई ठिई पण्णत्ता । अत्थि णं भंते ! तेसि देवाणं इड्ढी इ वा जुई इ वा जसे इ वा बले इ वा वीरिए इ वा पुरिसक्कार-परक्कमे इ वा ? हंता अत्थि । ते णं भंते ! देवा परलोगस्स पाराहगा?
हंता अस्थि ॥ अम्मड-चरिया-पदं ११०. बहुजणे णं भंते ! अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं
परूवेइ-एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए ''पाहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ। से कहमेयं भंते ? एवं खलु गोयमा ! जं णं से बहुजणे अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ-एवं खलु अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ, सच्चे णं एसमढे अहं पि णं गोयमा ! एवमाइक्खामि एवं भासामि एवं पण्णवेमि एवं परूवेमि-एवं खलु अम्मडे
परिव्वायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ ।। १११. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अम्मडे परिवायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए
आहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ ? गोयमा ! अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स पगइभद्दयाए पगइउवसंतयाए पगइपतणुकोहमाणमायालोयाए मिउमद्दवसंपण्णयाए अल्लीणयाए विणीययाए छटुंछद्रुण अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहस्स पायावणभूमीए पायावेमाणस्स सुभेणं परिणामेणं पसत्थेहि अज्झवसाणेहि लेसाहिं विसुज्झमाणीहि अण्णया कयाइ तदावरणिज्जाणं कम्माणं खग्रोवसमेणं ईहापूह-मग्गण-गवेसणं करेमाणस्स वीरियलद्धीए वे उव्वियलद्धीए प्रोहिनाणलद्धी समुप्पण्णा। तए णं से अम्मडे परिव्वायए तीए वीरियलद्धीए वेउव्वियलद्धीए प्रोहिनाणलद्धीए समुप्पण्णाए जणविम्हावणहेउं कंपिल्लपुरे नगरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-अम्मडे परिव्वायए कंपिल्लपुरे नगरे घरसए आहारमाहरेइ, घरसए वसहि उवेइ ।।
१. सं० पा०-एवं जहा ओववाइए अम्मडस्स वत्तव्वया जाव ।
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चोदसमं सतं (अमो उद्देसो)
११२ पहूणं भंते ! अम्मडे परिव्वायए देवाणुष्पियाणं अंतियं मुंडे भवित्ता ग्रागाराग्रो गरियं पव्वइत्तए ?
तो इसम । गोयमा ! श्रम्भडे णं परिव्वायए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे उवलद्धपुणपावे ग्रासव संवर- निज्जर किरियाहिगरण-बंध- मोक्खकुसले सज्ज' देवासुरनाग - सुवण्ण-जक्ख- रक्खस- किन्नर - किंपुरिस गरुल-गंधव्वमहोरगाइएहिं निग्गंथा पावणा प्रणइक्कमणिज्जे, इणमो निग्गये पावणे निस्सं किए निक्कखिए निव्वितिगिच्छे लट्टे गहियट्ठे पुच्छियट्ठे अभिगयट्ठे विणिच्छियट्ठे श्रट्ठमिजपेमाणुराग रत्ते, प्रथमाउसो ! निग्गंथे पावणे श्रट्टे, अयं परमट्ठे, सेसे प्रणट्टे, चउद्दस अट्ठमुद्दिट्ठपुण्ण मासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं अणुपालेमाणे, समणे निग्गंथे फासुएसणिज्जेणं प्रसण-पाण -खाइम - साइमेणं वत्थ- पडिग्गहकंबल-पायपुच्छणेणं प्रोसह भेसज्जेणं पाडिहारिएणं पीढफलगसेज्जा -संथारएणं पडिलामा सीलव्वय-गुण- वेरमण-पच्चक्खाण-पोसहोववासेहिं महापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहिं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ जाव' दढप्पण्णी अंतं काहिति ॥ अवाहदेव सत्ति-पदं
२१३. प्रत्थि णं भंते! अव्वाबाहा देवा, अव्वाबाहा देवा ?
हंता प्रत्थि ||
११४. सेकेणणं भंते ! एवं वृच्चइ - ग्रव्वाबाहा देवा, अव्वाबाहा देवा ?
गोयमा ! पभू णं एगमेगे अव्वाबाहे देवे एगमेगस्स पुरिसस्स एगमेगंसि प्रच्छिपत्तंसि दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवज्जुति, दिव्वं देवाणुभागं, दिव्वं बत्तीसतिविहं नट्टविहि उवसेत्तए नो चेवणं तस्स पुरिसस्स किंचि प्रवाहं वा बाबाही व उप्पाएइ, छविच्छेयं वा करेइ, एसुहुमं च णं उवदंसेज्जा से तेणद्वेणं " गोयमा ! एवं वच्चइ० - - ग्रव्वाबाहा देवा, अव्वाबाहा देवा || सक्करस सत्ति-पदं
११५. पभू णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया पुरिसस्स सीसं सपाणिणा' असणा छिदित्ता कमंडलुंसि पक्खिवित्तए ?
हंता पभू ||
११६. से कहमिदाणि पकरेति ?
गोमा ! छिंदिया- छिंदिया च णं पक्खिवेज्जा,
१. विभक्तिरहितं पदम् ।
२. ओ० सू० १२१ - १५४ ।
६४७
३. पबाहं (क, वृ); वाबाहं (वृपा ) |
४. एस्सुमुहं ( ता, ब, म ) ।
भिदिया- भिदिया च णं
५. सं० पा०० - तेरणट्ठेणं जाव अव्वाबाहा ।
६. सापाणिणा (ख, ता, व ) ।
७. कमंडलुंमि ( अ, क, म); कमंडलुंपि (ख, ब, स) ।
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६४८
भगवई
पक्खिवेज्जा, कोट्टिया-कोट्टिया च णं पक्खिवेज्जा, चुण्णिया-चुणिया च णं पक्खिवेज्जा, तो पच्छा खिप्पामेव पडिसंघाएज्जा, नो चेव णं तस्स पुरिसस्स किचि आबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएज्जा, छविच्छेयं पुण करेइ, एसुहुमं च णं
पक्खिवेज्जा ।। जंभगदेव-पदं ११७. अत्थि णं भंते ! जंभगा देवा, जंभगा देवा ?
हंता अत्थि ॥ ११८. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जंभगा देवा, जंभगा देवा ?
गोयमा ! जंभगा णं देवा निच्चं पमुदित-पक्कीलिया कंदप्परतिमोहणसीला । जे णं ते देवे कुद्धे पासेज्जा, से णं पुरिसे महंतं अयसं पाउणेज्जा । जे णं ते देवे तुढे पासेज्जा, से णं महंतं जसं पाउणेज्जा । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ
जंभगा देवा, जंभगा देवा ॥ ११६. कति विहा णं भंते ! जंभगा देवा पण्णत्ता ?
गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तं जहा-अन्नभगा, पाणजभगा, वत्थजंभगा, लेणजभगा, सयणजभगा, पुप्फजंभगा, फलजंभगा, 'पूप्फ-फल-जंभगा", विज्जा
जंभगा अवियत्तिजंभगा । १२०. जंभगा णं भंते ! देवा कहि वसहि उवेंति ?
गोयमा ! सव्वेसु चेव दीहवेयड्ढेसु, चित्त-विचित्त-जमगपव्वएसु, कंचणपव्वएसु
य, एत्थ णं जंभगा देवा वसहि उवेति ।। १२१. जंभगाणं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! एगं पलिग्रोवमं ठिती पण्णत्ता ।। १२२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।।
नवमो उद्देसो सरूवि-सकम्मलेस्स-पदं १२३. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा अप्पणो कम्मलेस्सं न जाणइ, न पासइ, तं पुण
जीवं सरूवि सकम्मलेस्सं जाणइ-पासइ ?
१. मंतजंभगा (वृपा)। २. अहिवइजभगा (वपा)
३. भ० ११५१। ४. सरूवं (अ)।
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चोदसमं सतं (नवम उद्देसो)
६४६
हंता गोयमा ! अणगारे णं भावियप्पा अप्पणो' 'कम्मलेस्सं न जाणइ, न पासइ, तं पुण जीवं सरूवि सकम्मलेस्सं जाणइ ० पासइ ||
१२४. प्रत्थि णं भंते ! सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला प्रोभासेंति उज्जोएंति तवेंति प्रभासेंति ?
हंता प्रत्थि ॥
१२५. कयरे णं भंते ! सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला प्रोभासेंति जाव पभासेंति ? गोमा ! जाओ इमाओ चंदिम-सूरियाणं देवाणं विमाणेहिंतो लेस्साप्रो बहिया अभिनिस्सा पभावेंति, एए णं गोयमा ! ते सरूवी सकम्मलेस्सा पोग्गला ओभासेंति उज्जोएंति तवेंति पभासेंति ।
प्रत्तारणत्त- पोग्गल-पदं
१२६. नेरइयाणं भंते ! किं श्रत्ता पोन्गला ? ग्रणत्ता पोग्गला ? गोयमा ! नो प्रत्ता पोग्गला, अणत्ता पोग्गला ||
१२७. असुरकुमाराणं भंते ! किं अत्ता पोग्गला ? प्रणत्ता पोग्गला ?
गोमा ! अत्ता पोग्गला, नो प्रणत्ता पोग्गला । एवं जाव' थणियकुमाराणं ॥ १२८. पुढविकाइयाणं भंते! किं अत्ता पोग्गला ? अणत्ता पोग्गला ? ०
गोयमा ! अत्तावि पोग्गला, प्रणत्ता वि पोग्गला । एवं जाव' मणुस्साणं । वाणमंतर - जोइसिय-वेमाणियाणं जहा असुरकुमाराणं ॥
इट्ठा रिट्ठादि-पोग्गल-पदं
१२६. नेरइयाणं भंते ! किं इट्ठा पोग्गला ? श्रणिट्टा पोग्गला ?
गोयमा ! नो इट्ठा पोग्गला, श्रणिट्टा पोग्गला । जहा अत्ता भणिया एवं इट्ठा वि, कंता वि, पिया वि, मणुण्णा वि भाणियव्वा । एए' पंच दंडगा |
देवाणं भासासहस्स पदं
१३०. देवे णं भंते ! महिड्दिए जाव' महेसक्खे रूवसहस्सं विउव्वित्ता पभू भासासहस्सं भासितए ?
हंता पभू ||
१३१. साणं भंते ! किं एगा भासा ? भासासहस्सं ?
गोमा ! गाणं सा भासा, नो खलु तं भासासहस्सं ॥
१. सं० पा० - अप्पणो जाव पासइ ।
२. तोभासंति (क, म) 1
३. अभिनिस्संडा (क); अभिनिस्संदाओ (ता)
४. यावेंति (ता); पभावेति एवं ( म, स ) । ५. पू० प० २ ।
६. सं० पा० पुच्छा ।
७. पू० प० २ ।
८. एवं (अ, क, ब, म, स ) ।
६. भ० १।३३६ ।
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६५०
सूरिय-पदं
१३२. तेणं कालेणं तेणं समएणं भगवं गोयमे अचिरुग्गयं बालसूरियं जासुमणाकुसुमपुंजप्पकासं लोहितगं पासइ, पासित्ता जायसड्ढे जाव' समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता णच्चासणे णातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणणं पंजलियडे पज्जुवासमाणे एवं वयासो - किमिदं भंते! सूरिए ? किमिदं भंते ! सूरियस ट्ठे ?
गोमा ! सुभे सूरिए, सुभे सूरियस ट्ठे ॥
१३३ किमिदं भंते ! सूरिए ? किमिदं भंते ! सूरियस्स पभा ? गोयमा । सुभे सूरिए, सुभा सूरियस्स पभा ||
१३४ किमिदं भंते सूरिए ? किमिदं भंते ! सूरियस्स छाया ? गोमा ! सुभे सूरिए, सुभा सूरियस्स छाया ॥
१३५ किमिदं भंते । सूरिए ? किमिदं भंते ! सूरियस्स लेस्सा ? गोमा ! सुभे सूरिए, सुभा सूरियस्स लेस्सा ॥
समणाणं तेयलेस्सा-पदं
१३६. जे इमे भंते ! अज्जत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति, ते णं कस्स तेयलेस्सं वीईवयंति ?
गोमा ! मासपरियाए समणे निग्गंथे वाणमंतराणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ । दुमासपरियाए समणे निग्गंथे असुरिदवज्जियाणं भवणवासीणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ |
एवं एएणं' अभिलावेणं - तिमासपरियाए समणे निग्गंथे सुरकुमाराणं देवानं तेलेस्सं वीईवयइ |
उम्मासपरियार समणे निग्गंथे गहगण - नक्खत्त- तारारूवाणं जोतिसियाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयई ।
पंचमासपरियाए समणे निग्गंथे चदिम-सूरियाणं जोतिसिंदाणं जोतिसराईणं तेलेस्सं वीईवयइ |
छम्मासपरिया समणे निग्गंथे सोहम्मीसाणाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ ।
१. भ० १।१० ।
२. सं० पा० उवागच्छइ जाव जाव एवं ।
३. सं० पा० - एवं चेव एवं छाया एवं लेस्सा ।
भगवई
नमंसित्ता
४. एते (क, ता, ब, म, स ) ; तए ( ख ) ।
५. तेतेणं (ब) ।
६. छमास ( स ) ।
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चोद्दसमं सतं (दसमो उद्देसो)
६५१ सत्तमासपरियाए समणे निग्गये सणंकुमार-माहिंदाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ। अट्टमासपरियाए समणे निग्गंथे बंभलोग-लंतगाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ । नवमासपरियाए समणे निग्गंथे महासुक्क-सहस्साराणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ। दसमासपरियाए समणे निग्गंथे आणय-पाणय-पारणच्चुयाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ। एक्कारसमासपरियाए समणे निग्गंथे गेवेज्जगाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ । बारसमासपरियाए समणे निग्गंथे अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं तेयलेस्सं वीईवयइ । तेण परं सुक्के सुक्काभिजाए भवित्ता तो पच्छा सिज्झति' 'बुज्झति मुच्चति
परिनिव्वायति सव्वदुक्खाणं° अंतं करेति ।। १३७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ॥
दसमो उद्देसो केवलि-पदं १३८. केवली णं भंते ! छउमत्थं जाणइ-पासइ ?
हंता जाणइ-पासइ॥ १३६. जहा णं भंते ! केवली छ उमत्थं जाणइ-पासइ, तहा णं सिद्धे वि छउमत्थं
जाणइ-पासइ?
हंता जाणइ-पासइ॥ १४०. केवली णं भंते ! आहोहियं जाणइ-पासइ ? एवं चेव । एवं परमाहोहियं', एवं
केवलिं, एवं सिद्धं जाव१४१. जहा णं भंते ! केवली सिद्धं जाणइ-पासइ, तहा णं सिद्धे वि सिद्धं जाणइ
पासइ? हंता जाणइ-पास इ॥
१. सं० पा०सिझति जाव अंतं । २. भ० ११५१ । ३. छदुमत्थं (ता); छतुमत्थं (ब)। ४. आधोधियं (अ, स); आबोधीयं (क);
आहोधियं (ख); अधोवियं (ता); आधोवियं
(ब); आधोहियं (म)। ५. परमावधियं (अ); परमाबोहियं (क);
परमोवियं (ख); परमहोहियं (ता); परमाधोवियं (ब); परमाधोहियं (म, स)।
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६५२
भगवई
१४२. केवली णं भंते ! भासेज्ज वा ? वागरेज्जा वा ?
हंता भासेज्ज वा, वागरेज्ज वा ॥ १४३. जहा ण भंते ! केवली भासेज्ज वा वागरेज्ज वा, तहा णं सिद्धे वि भासेज्ज वा
वागोज्ज वा ?
नो इणढे समढे ॥ १४४. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जहा णं केवली भासेज्ज वा वागरेज्ज वा नो
तहा णं सिद्धे भासेज्ज वा वागरेज्ज वा ? गोयमा ! केवली णं सउट्टाणे सकम्मे सबले सवीरिए सपुरिसक्कार-परक्कमे, सिद्धे णं अणुटाणे' 'कम्मे अबले अवीरिए ° अपुरिसक्कारपरक्कमे । से तेणटेणं' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ-जहा णं केवली भासेज्ज वा वागरेज्ज वा नो
तहा णं सिद्धे भासेज्ज वा वागरेज्ज वा। १४५. केवली णं भंते ! उम्मिसेज्ज वा ? निम्मिसेज्ज वा ?
हंता उम्मिसेज्ज वा, निम्मिसेज्ज वा ॥ जहा णं भंते ! केवली उम्मिसेज्ज वा, निम्मिसेज्ज वा, तहा णं सिद्धे वि उम्मिसेज्ज वा निम्मसेज्ज वा? नो इणढे समटे । एवं चेव' । एवं आउंटेज्ज' वा पसारेज्ज वा, एवं ठाणं वा
सेज्जं वा निसीहियं वा चेएज्जा । १४७. केवली णं भंते ! इमं रयणप्पभं पुढवि' रयणप्पभापुढवीति जाणइ-पासइ ?
हंता जाणइ-पासइ ।। १४८. जहा णं भंते ! केवली इमं रयणप्पभं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणइ-पासइ,
तहा णं सिद्धे वि इमं रयणप्पभं पुढवि रयणप्पभापुढवीति जाणइ-पासइ ?
हंता जाणइ-पासइ॥ १४६. केवली णं भंते ! सक्करप्पभं पुढवि सक्करप्पभापुढवीति जाणइ-पासइ ? एवं
चेव । एवं जाव अहेसत्तमं ।। केवली णं भंते ! सोहम्मं कप्पं सोहम्मकप्पे त्ति जाणइ-पासइ ? हंता जाणइ-पासइ । एवं चेव । एवं ईसाणं, एवं जाव' अच्चुयं ।। केवली णं भंते ! गेवेज्जविमाणं गेवेज्जविमाणे त्ति जाणइ-पासइ ? एवं चेव । एवं अणुत्तरविमाणे वि ॥ केवली णं भंते ईसिपब्भारं पुढवि ईसिंपन्भारपुढवीति जाणइ-पासइ ? एवं चेव ।।
१५०.
१. सं० पा०–अणुट्ठाणे जाव अपुरिसक्कार ° । ४. आउट्टेज्ज (अ, स); आउट्टावेज्ज (क २. सं. पा.-तेणट्रेणं जाव वागरेज्ज। म); आउट्टावेज्ज (ख, ता); आउंटावेज्जा ३. भ०१४।१४४ ।
(ब)।
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अट्ठमं सतं (दसमो उद्देसो)
६५३ १५३. केवली णं भंते ! परमाणुपोग्गलं परमाणुपोग्गले त्ति जाणइ-पासइ ? एवं चेव ।
एवं दुपएसियं खंधं, एवं जाव१५४. जहा णं भंते ! केवलो अणंतपएसियं खंधं अणंतपएसिए खंधे त्ति जाणइ-पासइ,
तहा णं सिद्धे वि अणंतपएसियं खंधं अणंतपएसिए खंधे त्ति जाणइ °-पासइ ?
हंता जाणइ-पासइ ।। १५५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।
१. सं० पा०-अणंतपएसिय जाव पासइ । २. भ. ११५१ ।
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पन्नरसमं सतं
नमो सुयदेवयाए भगवईए' गोसालग-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं सावत्थी नाम नगरी होत्था–वण्णओ। तीसे णं
सावत्थीए नगरीए बहिया उत्तरपुरत्थिमे' दिसी भाए, तत्थ णं कोट्ठए नामं चेइए होत्था-वण्णो । तत्थ णं सावत्थीए नगरीए हालाहला' नामं कुंभकारी आजीविओवासिया परिवसति- अड्ढा जाव' बहुजणस्स अपरिभूया, आजीवियसमयंसि लट्ठा गहियट्ठा पुच्छियट्ठा विणिच्छियट्ठा अट्ठिमिंजपेम्माणुरागरत्ता, अयमाउसो ! आजीवियसमये अटे, अयं परमटे, सेसे अणद्वे त्ति आजीवियसमएणं
अप्पाणं भावेमाणी विहरइ ।। २. तेणं कालेणं तेणं समएणं गोसाले मंखलिपुत्ते चउव्वीसवासपरियाए हालाहलाए
कुंभकारीए कुंभकारावणंसि आजीवियसंघसंपरिवुडे आजीवियसमएणं अप्पाणं
भावेमाणे विहरइ॥ ३. तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अण्णदा कदायि इमे छ दिसाचरा' ___ अंतियं पाउब्भवित्था, तं जहा-साणे, कलंदे, कण्णियारे, अच्छिदे, अग्गिवे__ सायणे, अज्जुणे गोमायुपुत्ते ॥ ४. तए णं ते छ दिसाचरा अट्ठविहं" पुव्वगयं मग्गदसमं 'सएहि-सएहि'" मतिदंसणेहि
निज्जूहंति, निज्जूहित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं उवट्ठाइंसु ।। १. एतद् वृत्तौ व्याख्यातं नास्ति।
टीकाकारः 'पासावच्चिज्ज' त्ति चूरिणकारः २. ओ० सू० १।
(वृ)। ३. पुरच्छिमे (स)।
८. करणंदे (क, ता, म)। ४. ओ० सू० २-१३ ।
६. गोतमपुत्ते (क, ब, म)। ५. हालाहाला (ता, स)।
१०. निमित्तमिति शेष : (व)। ६. भ०२।१४।
११. सतेहिं २ (अ, क, ब, म, स)। ७. दिकचरा भगवच्छिष्याः पावस्थीभूता इति १२. निजूहंति (ता, स); निज्जुति (ब, म)।
६५४
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पन्न रसमं सतं
६५५
५. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं श्रगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेणं सव्वेसिं पाणाणं, सव्वेसि भूयाणं, सव्वेसि जीवाणं, सव्वेसि सत्ताणं इमाई छ इक्कमणिज्जाई वागरणाई वागरेति, तं जहा
लाभ लाभं सुहं दुक्खं, जीवियं मरणं तहा ॥
६. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं ट्रंगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेणं सावत्थीए नगरीए ग्रजिणे जिणप्पलावी, अणरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्लावी, सव्वष्णू सव्वण्णुप्पलावी, अजिणे जिणसद्दं पगासेमाणे ' विहरइ ||
७. तए णं सावत्थीए नगरीए सिंघाडग-तिग- चउक्क चच्चर- चउम्मुह- महापह ०. पसु बहुजणो णमण्णस्स एवमाइक्खई, एवं भासइ, एवं पण्णवेइ, एवं परूवेइ – एवं खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंसलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी, ● रहा प्रहृप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वष्णू सव्वष्णुप्पलावी, जिणे जिणसद्दं पगासेमाणे विहरइ । से कहमेयं मन्ने एवं ?
८. तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव' परिसा पडिगया || ६. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवप्रो महावीरस्स जेट्टे अंतेवासी इंदभूती नामं अणगारे गोय गोत्तणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वज्जरिसभ - नारायसंघयणे कणगपुलगनिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे महातवे प्रोराले घोरे घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबंभचेरवासी उच्छूढसरीरे संखित्तविउलतेयलेल्से छट्ठछट्टणं प्रणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ॥
o
०
१०. तए णं भगवं गोयमे छट्टवखमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, या पोरसी भाणं भियाइ, तइयाए पोरिसीए प्रतुरियमचवलमसंभंते मुहपोत्तियं पडिलेइ, पडिलेहेत्ता भायणवत्थाइं पडिलेहेइ, पडिलेहेत्ता भायणाई मज्जइ, पमज्जित्ता भायणाई उग्गाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी - इच्छामि णं भंते! तुभेहि अन्भणुष्णाए समाणे छट्ठक्खमणपारणगंसि सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय - मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए प्रत्तिए ।
१. पभासेमाणे (ख, ता ) ।
२. सं० पा० - सिंघाडग जाव पहेसु ।
३. सं० पा० एवमाइक्खइ जाव एवं ।
४. सं० पा० -- जिरणप्पलावी जाव पगासेमाणे ।
५. भ० १।७,८ ।
६. सं० पा०—गोत्तेणं जाव छटुंछट्ठेां ।
७. सं० पा० – एवं जहा बितिय सए नियंठुद्देसए जाव प्रमाणे ।
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भगवई
अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं ॥ ११. तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स
भगवनो महावीरस्स अंतियाओ कोट्टयाओ चेइयाग्रो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्टीए पुरनो रियं सोहेमाणेसोहेमाणे जेणेव सावत्थो नगरी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सावत्थीए
नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाइं घरसमुदाणस्स भिक्खायरियं अडइ॥ १२. तए णं भगवं गोयमे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाई घरसमु
दाणस्स भिक्खायरियाए° अडमाणे बहुजणसदं निसामेइ, बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ -एवं खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव' जिणे जिणसई पगासेमाणे विहरइ । से कहमेयं मन्ने एवं ? तए णं भगवं गोयमे बहुजणस्स अंतियं एयमटुं सोच्चा निसम्म जायसड्ढे 'जाव' समुप्पन्नकोउहल्ले अहापज्जत्तं समुदाणं गेण्हइ, गेण्हित्ता सावत्थीयो नगरीयो पडिनिक्खमइ, अतुरियमचवलमसंभंते जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरो रियं सोहेमाणे-सोहेमाणे जेणेव कोट्ठए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अदूरसामंते गमणागमणाए पडिक्कमइ, पडिक्कमित्ता एसणमणेसणं पालोएइ, आलोएत्ता भत्तपाणं पडिदंसेइ, पडिदंसेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता णच्चासन्ने णातिदूरे सुस्सूसमाणे नमसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे पज्जुवासमाणे एवं वयासी-एवं खलु अहं भंते ! 'छट्ठक्खमणपारणगंसि तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाणि कुलाणि घरसमुदाणस्स भिक्खयरियाए अडमाणे बहुजणसई निसामेमि, बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ--एवं खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसई पगासेमाणे विहरइ । से कहमेयं भंते ! एवं ? तं इच्छामि णं भंते ! गोसालस्स
मंखलिपुत्तस्स उट्ठाणपारियाणियं परिकहियं ।।। १४. गोयमादी ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-जण्णं गोयमा !
से बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइएवं खल गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसह पगासेमाणे विहरइ । तण्णं मिच्छा । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि
१. भ० १५।६।
३. भ० १११०। २. सं० पा०-जायसढे जाव भत्तपाणं पडि- ४. सं० पा०-छटै त चेव जाव जिएसई । दंसेइ जाव पज्जुवासमाणे।
५. ०परियाणिणं (अ,व,स); ° पारियाणं (ता)।
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पन्नरसम सत
एवं खलु एयस्स गोसालस्स मंखलीपुत्तस्स मंखली नामं मंखे पिता होत्था। तस्स णं मखलिस्स मंखस्स भद्दा नाम भारिया होत्था - सुकुमालपाणिपाया जाव
पडिरूवा । तए णं सा भद्दा भारिया अण्णदा कदायि गुव्विणी यावि होत्था । १५. तेणं कालेणं तेणं समएणं सरवणे नामं सण्णिवेसे होत्था-रिद्धस्थिमियसमिद्ध
जाव नंदणवण-सन्निभप्पगासे, पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे। तत्थ णं सरवणे सण्णिवेसे गोबहुले नामं माहणे परिवसइ-अड्ढे जाव' बहुजणस्स अपरिभूए, रिउव्वेद जाव बंभण्णएसु परिव्वायएसु य नयेसु सुपरिनिट्ठिए यावि
होत्था । तस्स णं गोबहुलस्स माहणस्स गोसाला यावि होत्था ॥ १६. तए णं से मंखली मंखे अण्णया कदायि भद्दाए भारियाए गुठ्विणीए सद्धि चित्त
फलगहत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावेमाणे पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे गामाणुगामं दुइज्जमाणे जेणेव सरवणे सण्णिवेसे जेणेव गोबहुलस्स माहणस्स गोसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोवहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेसंसि भंडनिक्खेवं करेइ, करेत्ता सरवणे सण्णिवेसे उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडमाणे वसहीए सव्वग्रो समंता मग्गण-गवेसणं करेइ, वसहीए सवप्रो समंता मग्गण-गवेसणं करेमाणे अण्णत्थ वसहिं अलभमाणे तस्सेव
गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए एगदेससि वासावासं उवागए । १७. तए णं सा भद्दा भारिया नवण्ह मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अद्धढमाण य
राइंदियाणं वीतिक्कंताणं सुकुमालपाणिपायं जाव' पडिरूवगं दारगं पयाया। तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीतिक्कते निव्वत्ते अस इजायकम्मकरणे संपत्ते ° 'बारसमे दिवसे' अयमेयारूवं गोणं गुणनिप्फन्नं नामधेज्ज करेति—जम्हा णं अम्हें इमे दारए गोबहुलस्स माहणस्स गोसालाए जाए तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधज्ज गोसाले-गोसाले त्ति । तए णं
तस्स दारगस्स अम्मापितरो नामधेज्ज करेंति गोसाले ति ।। १६. तए णं से गोसाले दारए उम्मुक्कबालभावे विण्णय-परिणयमेत्ते जोव्वणगमणु
प्पत्ते सयमेव पाडिएक्कं चित्तफलगं करेइ, करेत्ता चित्तफलगहत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।।
१८.
१. ओ० सू० १५। २. ओ० सू० १। ३. भ० २०६४॥ ४. भ० २।२४ । ५. भ० ११११३४ । ६. सं० पा०-वोतिक्कते जाव बारसमे ।
७. बारसाहदिवसे (अ, क, ख, ता, ब); बारसहे
दिवसे (म); बारसाहे दिवसे (स); द्रष्टव्यम्-भ० ११।१५३ सूत्रस्य पादटिप्प
रणम् । ८. विण्णाय (अ, स)। ६. पडिएक्कं (क, ता, ब) ।
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६५८
भगवो विहार-पदं
२०. तेणं कालंगं तेणं समरणं ग्रहं गोयमा ! तोसं वासाई अगारवास मज्भावसित्ता' अम्मा-पईहिं देवत्तगएहिं समत्तपणे एवं जहा भावणाए जाव एवं देवसमादाय मुंडे भवित्ता अंगारा अणगारियं पव्व ॥ २१. तणं श्रहं गोयमा ! पढमं वासं श्रद्धमासं श्रद्धमासेणं खममाणे अट्ठियगाम निस्साए पढमं अंतरवास वासावास उवागए । दोच्चं वासं मासं मासेणं खममाणे पुव्वाणुपुत्रि चरमाणे गामाणुगामं दृइज्जमाणे जेणेव रायगिहे नगरे, जेणेव नालंदा बाहिरिया, जेणेव तंतुवायसाला, तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता ग्रहापडिरूवं प्रोग्गहं योगिण्हामि, योगिन्हित्ता तंतुवायसालाए एगदेसंसि
वासावास उवागए ||
पढम-मासखरण-पदं
२२. तए णं ग्रहं गोयमा ! पढमं मासखमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरामि || २३. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते चित्तफलगहत्थगए मंखत्तणेणं अप्पाणं भावेमाणे पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे जेणेव रायगिहे नगरे, जेणेव नालंदा बाहिरिया, जेणेव तंतुवायसाला, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तंतुवायसालाए एगदेसंसि भंडनिक्खेवं करेइ, करेत्ता रायगिहे नगरे उच्चनीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए प्रमाणे वसहीए सव्व समता मग्गण - गवेसणं करेइ, वसहीए सव्व समंता मग्गण - गवेसणं करेमाणे • ग्रण्णत्थ कत्थ विवसहिं अलभमाणे तीसे य तंतुवायसालाए एगदेसंसि वासावासं उवागए, जत्थेव णं अहं गोयमा !
२४. तए णं ग्रहं गोयमा ! पढम-मासक्खमणपारणगंसि तंतुवायसाला पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता नालंद" बाहिरियं मज्भंमज्भेणं" निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे
१. आगारवास मज्भे वसित्ता (अ, ख, व, म, (स); अगारवास मज्भे वसित्ता ( क ); प्रगारवासे वसित्ता (ता); अगारवास - गृहवासमध्युष्य इति वृत्तिगतव्याख्यानुसारेण प्रस्तुतपाठः स्वीकृतः ।
२. देवत्तिएहिं ( क, ख, ता. म); देवत्तेगते हि ( ब, स ) ।
३. आयारचुला १५।२६-२६ ।
४. पव्वइत्तए (ता, स ) ।
५. अंतरावास (क, म, वृपा ) |
६. उवगए (ता) |
७. एगदेसंमि ( ब ) |
८. जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । ६. सं० पा०-नीय जाव अण्णत्थ । १०. नालंदा ( अ ) |
१९. मज्झेर २ ( क, ख, ता, ब, म) ।
भगवई
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पन्नरसमं सतं
उच्च-नीय'- मज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए ° अडमाणे
विजयस्स गाहावइस्स गिह अणुपवितु ।। २५. तए णं से विजए गाहावई ममं एज्जमाणं पासइ, पासिता हट्टतुट्ठ' चित्तमाणं दिए
णदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए खिप्पामेव आसणानो अब्भुटेइ, अब्भुतुत्ता पायपीढायो पच्चोरहइ, पच्चोरुहित्ता पाउयानो प्रोमयइ, अोमुइत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करे, करेत्ता अंजलिमउलियहत्थे ममं सत्तटुपयाँई अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता ममं विउलेणं असण-पाणखाइम-साइमेणं पडिलाभेस्सामित्ति तुटे, पडिलाभेमाणे वि तुटे, पडिलाभिते वि तुट्टे॥ ताण तस्स विजयस्स गाहावडस्स तेणं दव्वसद्धणं दायगसद्धणं पडिगाहगसद्धण तिविहेणं तिकरणसुद्धणं दाणेणं मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निबद्धे, संसारे परित्तीकए, गिहंसि य से इमाइं पंच दिव्वाई पाउन्भूयाई, तं जहा-वसुधारा वुढा, दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिए, चेलुक्वेवे कए, पायानो देवदुंदुभीनो,
अंतरा वि य णं अागासे अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे ॥ २७. तए णं रायगिहे नगरे सिघाडग'- तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह° -पहेसु
बहजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासद एवं पण्णवेइ एवं परूवेडधन्ने णं देवाणुप्पिया ! विजये गाहावई, कयत्थे णं देवाणु प्पिया ! विजये गाहावई, कयपुण्णे णं देवाणु प्पिया ! विजये गाहावई, कयलक्खणे णं देवाणुप्पिया ! विजये गाहावई, कया णं लोया देवाणुप्पिया ! विजयस्स गाहावइस्स, सुलद्धे णं देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्मजी वियफले विजयस्स गाहावइस्स, जस्स णं गिहंसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइं पंच दिव्वाइं पाउन्भूयाइं, तं जहा-वसुधारा वुट्ठा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे, तं धन्ने कयत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे, कया णं लोया, सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले विजयस्स गाहावइस्स, विजयस्स गाहावइस्स ॥ तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते बहुजणस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म समुप्पन्नसंसए समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव विजयस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासइ विजयस्स गाहावइस्स गिहंसि वसहारं वद, दसवण्णं कुसुमं निवडियं, ममं च णं विजयस्स गाहावइस्स गिहारो पडिनिक्खममाणं पासइ, पासित्ता हट्टतुटे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ममं
१. सं० पा०-नीय जाव अडमाणे। २. सं० पा०-हट्टतुट्ठ ।
३. सं० पा०—सिंघाडग जाव पहेसु। ४. सं० पा० -एवमाइक्खइ जाव एवं ।
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६६०
भगवई
तिक्खुत्तो याहिण -पयाहिणं करेइ, करेत्ता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता ममं एवं वयासी - तुम्भे णं भंते ! ममं धम्मायरिया, ग्रहणं तुब्भं धम्मंतेवासी ॥
२६. तए णं श्रहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमटुं नो आढामि, नो परिजाणामि, सिणीए संचिट्ठामि ॥
दोच्च-मासखमण-पदं
३०. तए णं श्रहं गोयमा ! रायगिहाओ नगराम्रो पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता नालंद बाहिरियं मज्झंमज्भेण निग्गच्छामि, निम्गच्छित्ता जेणेव तंतुवायसाला', तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता दोच्चं मासखमण उवसंपज्जित्ताणं विहरामि ॥
३१. तए णं ग्रहं गोयमा ! दोच्च' - मासखमणपारणगंसि तंतुवायसाला पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता नालंद बाहिरियं मज्भंमज्भेणं निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव रायगिहे नगरे" "तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए प्रमाणे प्राणंदस्स गाहावइस्स हिं प्रणुष्पविट्ठे ||
३२. तए गं से प्राणंदे गाहावई ममं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता हट्टतुट्ठचित्तमाणं दिए नंदिए पीइमणं परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए खिप्पामेव प्रासणाम्रो प्रभु, प्रभुट्ठेत्ता पायपीढाम्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता पाउयाश्रो ग्रोमुयइ, प्रमुत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ, करेत्ता अंजलि म उलियहत्थे ममं सत्तट्ठपयाई प्रणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता ममं विउलाए खज्जगविहीए पडिला भेस्सामित्ति तुट्टे, पडिलाभेमाणे वि तुट्टे, पडिलाभिते वि तु ॥ ३३. तए णं तस्स प्राणंदस्स गाहावइस्स तेणं दव्वसुद्धेणं दायगसुद्धेणं पडिगाहगसुद्धेणं तिविणं तिकरणसुद्धेणं दाणेणं मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निबद्धे, संसारे परित्तीक, गिहंसि य से इमाई पंच दिव्वाई पाउब्भूयाई, तं जहा - वसुधारा वुट्ठा, दसवण्णे कुसुमे निवातिए, चेलुक्खेवे कए, ग्राहयाओ देवदुंदुभीश्रो, अंतरावि य णं यागासे ग्रहो दाणे, ग्रहो दाणे त्ति घुट्ठे ॥ ३४. तए णं रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग- चउक्क-चच्चर- चउम्मुह- महापह-पहेसु
१. तंतवाय (ता) सर्वत्र ।
२. मासखवणं (ता) |
३. दोच्चं (अ, क, ब, म, स ) ।
४. मासखमसि (ता, ब, म, स ) ।
o
५. सं० पा० - नगरे जाव अडमाणे ।
६. सं० पा०- एवं जहेव विजयस्स नवरं ममं विउलाए खज्जगविहीए पडिलाभेस्सामित्ति तु सेसं तं चैव जाव तच्चं ।
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पन्नरसमं सतं
बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइधन्ने णं देवाणुप्पिया ! आणंदे गाहावई, कयत्थे णं देवाणप्पिया ! आणंदे गाहावई, कयपुण्णे णं देवाणुप्पिया ! प्राण दे गाहावई, कयलक्खणे णं देवाणुप्पिया ! पाणंदे गाहावई, कया णं लोया देवाणप्पिया ! पाणंदस्स गाहावइस्स, सूलद्धे ण देवाणप्पिया! माणस्साए जम्मजीवियफले प्राणंदस्स गाहावइस्स. जस्स णं गिहंसि तहारूवे साधु साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइं पंच दिव्वाइं पाउ
भूयाइं, तं जहा वसुधारा बुढ़ा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे, तं धन्ने कयत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे, कया णं लोया, सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले
पाणंदस्स गाहावइस्स, पाणंदस्स गाहावइस्स ।। ३५. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते बहुजणस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म समुप्पन्न
संसए समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव पाणंदस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासइ आणंदस्स गाहावइस्स गिहंसि वसुहारं वुटुं, दसद्धवण्णं कुसुमं निवडियं, ममं च णं आणंदस्स गाहावइस्स गिहाओ पडिनिक्खममाणं पासइ, पासित्ता हट्टतुटे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता ममं एवं वयासी-तुब्भे णं भंते ! ममं धम्मायरिया, अहण्णं तुभं
धम्मतेवासी॥ ३६. तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमट्ठनो आढामि, नो परि
जाणामि, तुसिणीए संचिट्ठामि ॥ तच्च-मासखमरण-पदं ३७. तए णं अहं गोयमा ! रायगिहाम्रो नगरानो पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता
नालंदं बाहिरियं मझमज्झेणं निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव तंतुवायसाला, तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता' तच्चं मासखमणं उवसंपज्जित्ताणं
विहरामि ।। ३८. तए णं अहं गोयमा ! तच्च'-मासखमणपारणगंसि तंतुवायसालाओ पडिनिक्ख
मामि, पडिनिक्खमित्ता नालंदं बाहिरियं मज्झमझणं निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव रायगिहे नगरे तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता रायगिहे नगरे उच्च-नीय-मज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए० अडमाणे
सुणंदस्स गाहावइस्स गिहं अणुपवितु ॥ ३६. तए णं से सुणंदे गाहावई ममं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता हट्ठतुटुचित्तमाणदिए १. तच्चं (क, ख, ब)।
सव्वकामगुरिणएणं भोयणेणं पडिलाभेइ २. सं० पा०–तहेव जाव अडमागे ।
सेसं तं चेव जाव चउत्थं । ३. सं० पा० -एवं जहेव विजयगाहावई नवरं
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भगवई
दिए पी मणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए खिप्पामेव आसणाम्रो प्रभु प्रभुत्ता पायपीढाम्रो पच्चोरुहइ, पच्चो रुहित्ता पाउयाओ मु, मुत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ, करेत्ता अंजलिमउलियहत्थे ममं सत्तट्टयाई अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता ममं विउलेणं सव्वकामगुणिएणं भोयणं पडिला भेस्सामित्ति तुटु, पडिला भेमाणे वि तुट्ठे, पडिलाभिते वि तुट्ठे ॥ ४०. तए णं तस्स सुणंदस्स गाहावइस्स तेणं दव्वसुद्धेणं दायगसुद्धेणं पडिगाहगसुद्वेणं तिविणं तिकरणसुद्धेणं दाणेणं मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे, संसारे परितीकए, हिंसि य से इमाई पंच दिव्वाई पाउब्भुयाई, तं जहा - वसुधारा वुट्टा, दसवणे कुसुमे निवातिए, चेलुक्वेवे कए, ह्या देवदुंदुभीश्रो, अंतरावि य णं आगासे ग्रहो दाणे, ग्रहो दाणे त्ति घुट्ठे ॥ ४१. तए णं रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग- चउक्क चच्चर- चउम्मुह- महापहपसु बहुजणो ग्रण्णमण्णस्स एवमाइक्खर एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइ-धन्ने णं देवाणुप्पिया ! सुगंदे गाहावई, कयत्थे णं देवाणुप्पिया ! सुदे गाहावई, पुणे णं देवाणुप्पिया ! सुणंदे गाहावई, कयलक्खणे णं देवाप्पिया ! सुगंदे गाहावई, कया णं लोया देवाणुप्पिया ! सुनंदस्स गाहावइस्स, सुद्धे णं देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्मजीवियफले सुणंदस्स गाहावइस्स, जस्स णं हिंसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाई पंच दिव्वाई पाउब्भूयाई, तं जहा - वसुधारा वुट्ठा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुट्टे, तं धन्ने कत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे, कया णं लोया, सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले सुदस्स गाहावइस्स, सुणंदस्स गाहावइस्स ॥ ४२. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते बहुजणस्स अंतिए एयम सोच्चा निसम्म समुत्पन्नसंसए समुप्पन्नकोउहल्ले जेणेव सुणंदस्स गाहावइस्स गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पासइ सुणंदस्स गाहावइस्स गिहंसि वसुहारं वुटुं दसवणं कुसुमं निवडियं, ममं चणं सुगंदस्स गाहावइस्स गिहाम्रो पडिनिक्खमाणं पासइ, पासित्ता हट्टतुट्ठे जेणेव ममं ग्रंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता ममं एवं वयासी तुम्भे णं भंते ! ममं धम्मायरिया, ग्रहणं तुभं धम्मंतेवासी ।
४३. तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमट्ठे नो आढामि, नो परिजानामि, तुसिणीए संचिट्ठामि ॥
६६२
चउत्थ- मासखमण-पद
४४. तए णं श्रहं गोयमा ! रायगिहाश्रो नगराम्रो पडिनिक्खमामि, पडिनिक्खमित्ता
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पन्नरसमं सतं
नालंद बाहिरियं मज्भंमज्भेणं निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छिता चउत्थं मासखमणं उवसंपज्जित्ताणं विहरामि ॥
४५. तीसे णं नालंदा बाहिरियाए अदूरसामंते, एत्थ णं कोल्लाए नामं सण्णिवेसे होत्था सण्णिवेसवण्णत्रो' । तत्थ णं कोल्लाए सण्णिवेसे बहुले नाम माहणे परिवसइ -ग्रड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभूए, रिउव्वेय जाव' बंभण्णएसु परिव्वायएस य नयेसु सुपरिनिट्टिए यावि होत्था ||
४६. तए णं से बहुले माहणे कत्तियचाउम्मा सियपाडिवगंसि विउलेणं महुघयसंजुत्तेणं
परमण्णेणं माहणे श्रायामेत्था ॥
६६३
४७. तए णं अहं गोयमा ! उत्थ- मासखमणपारणगंसि तंतुवायसालाओ पडिनिक्खिमामि, पडिनिक्खमित्ता नालंदं बाहिरियं मज्भंमज्भेणं निग्गच्छामि, निग्गच्छित्ता जेणेव कोल्लाए सष्णिवे से तेणेव उवागच्छामि, उवागच्छित्ता कोल्लाए सणिवेसे उच्च-नीय' - मज्झिमाई कुलाई घरसमुद्राणस्स भिक्खायरियाए प्रमाणे बहुलस्स माहणस्स हिं अणुष्पविट्टे ||
४८. तए णं से बहुले माहणे ममं एज्जमाणं पासइ, पासित्ता हतुचित्तमाणंदिए दिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए खिप्पामेव ग्रासणा अभइ, ग्रभत्ता पायपीढाओ पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता पाउयात्रो
मुइ, प्रमुत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ, करेत्ता अंजलिमउलियहत्थे ममं सत्तट्टयाई अणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता ममं तिक्खुत्तो याहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता ममं विउलेणं महुघयसंजुत्तेणं परमण्णेणं पडिला भेस्सामित्ति तुट्ठ, पडिलाभेमाणे वि तुट्ठे, पडिलाभिते विट्ठे ॥
४६. तए णं तस्स बहुलस्स माहणस्स तेणं दव्वसुद्धेणं दायगसुद्धेणं पडिगाहग सुद्धेणं तिविणं तिकरणसुद्धे दाणेणं मए पडिलाभिए समाणे देवाउए निवद्धे, संसारे परित्तीकए, गिहंसि य से इमाई पंच दिव्वाई पाउन्भूयाई, तं जहा - वसुधारा बुट्टा, दसद्धवणे कुसुमे निवातिए, चेलुक्वेवे कर आया देवदुंदुभीश्रो, अंतरा वि य णं श्रागासे ग्रहो दाणे, ग्रहो दाणे त्ति घुट्टे ॥ ५०. तए णं रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग- चउक्क-चच्चर- चउम्मुह- महापह-पहेसु
१. भ० १५।१५ ।
२. भ० २।६४ |
३. भ० २।२४
४. सं० पा०—नीय जाव अडमाणे ।
५. सं० पा० -- तहेव जाव ममं विउलेणं महुघयसंजुत्ते परमण्णेणं पडिलाभेस्सामीति तुट्टे सेसं जहा विजयस्स जाव बहुले माहरणे २ ।
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६६४
भगवई
बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्ण वेइ एवं परूवेइ-धन्ने णं देवाणुप्पिया ! बहुले माहणे, कयत्थे णं देवाणुपिप्या ! बहुले माहणे, कयपुण्णे णं देवाणुप्पिया ! बहुले माहणे, कयलक्खणे णं देवाणुप्पिया ! बहुले माहणे, कया णं लोया देवाणुप्पियो ! बहुलस्स माहणस्स, सुलद्धे णं देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्मजीवियफले बहुलस्स माहणस्स, जस्स णं गिहंसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइं पंच दिव्वाई पाउब्भूयाई, तं जहा-- वसुधारा वुट्ठा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे, तं धन्ने कयत्थे कयपुण्णे कयलक्खणे, कया णं लोया, सुलद्धे माणुस्सए जम्मजीवियफले बहुलस्स
माहणस्स, बहुलस्स माहणस्स ।। ५१. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं तंतुवायसालाए अपासमाणे रायगिहे नगरे
सभितरबाहिरियाए ममं सवनो समंता मग्गण-गवेसणं करेइ, ममं कत्थवि' सुति वा खुति वा पवत्ति वा अलभमाणे जेणेव तंतुवायसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता साडियायो य पाडियानो' य कुंडियानो य वाहणाओ' य चित्तफलगं च माहणे अायामेइ, प्रायामेत्ता सउत्तरोटुं भंड कारेइ, कारेत्ता तंतुवायसालानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता नालंदं वाहिरियं मज्झमज्झेणं
निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कोल्लाए सण्णिवेसे तेणेव उवागच्छइ ॥ ५२. तए णं तस्स कोल्लागस्स सण्णिवेसस्स बहिया बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमा
इक्खइ जाव परूवेइ-धन्ने णं देवाणु प्पिया ! बहुले माहणे, ५ कयत्थे णं देवाणुप्पिया ! बहुले माहणे, कयपुण्णे णं देवाणुप्पिया ! बहुले माहणे, कयलक्खणे णं देवाणुप्पिया ! बहुले माहणे, कया णं लोया देवाणुप्पिया! बहुलस्स माहणस्स, सुलद्धे णं देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्म जीवियफले
बहुलस्स माहणस्स, बहुलस्स माहणस्स ॥ गोसालस्स सिस्सरूवेरण अंगीकरण-पदं ५३. तए णं तस्स गोसालरस मंखलिपुत्तस्स बहुजणस्स अंतियं एयमढे सोच्चा निसम्म
अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे० समुप्पज्जित्थाजारिसिया णं ममं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवनो महावीरस्स इड्ढी जुती जसे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे लद्धे पत्ते अभिसमण्णागए, नो खलु अस्थि तारिसिया अण्णस्स कस्सइ तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा इड्ढी जुती जसे बले वीरिए पुरिसक्कार ° -परक्कमे लद्धे पत्ते
१. कत्थति (अ, क, ख, ब, म); कत्थइ (ता)। २. X (ता); भंडियाओ (वृपा)। ३. पाहणाओ (क, ख, ता, ब, म)। ४. मुडं (अ, ता)।
५. सं० पा०----तं चेव जाव जीवियफले । ६. सं० पा०--अज्झथिए जाव सम्प्पज्जित्था। ७. जुत्ती (क, ब, म)। ८. सं० पा०-जती जाव परक्कमे ।
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पन्नरसम सतं
अभिसमण्णागए, तं निस्संदिद्ध' णं एत्थ ममं धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे भविस्सतीति कटु कोल्लाए सण्णिवेसे सब्भितरबाहिरिए' मम सव्वनो समंता मग्गण-गवेसणं करेइ, ममं सव्वनो' 'समंता मग्गण-गवेसणं ' करेमाणे 'कोल्लागस्स सण्णिवेसस्स'' बहिया पणियभूमीए मए सद्धि अभिसम
ण्णागए ॥ ५४. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते हटतुट्टे ममं तिक्खुत्तो पायाहिण-पयाहिणं' 'करेइ,
करेत्ता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-तुब्भे णं भंते !
मम धम्मायरिया, अहण्णं तुब्भं अंतेवासी।। ५५. तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमटुं पडिसुणेमि ।। ५६. तए णं अहं गोयमा ! गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धि पणियभूमीए छव्वासाई
लाभं अलाभं सुहं दुक्खं सवकारमसक्कारं पच्चणुब्भवमाणे अणिच्चजागरियं'
विहरित्था ॥ तिलथंभय-पदं ५७. तए णं अहं गोयमा ! अण्णया कदायि पढमस रदकालसमयंसि अप्पट्टिकायंसि
गोसालेणं मखलिपुत्तेणं सद्धि सिद्धत्थगामाप्रो नगरानो कुम्मगाम नगरं संपट्ठिए विहाराए। तस्स णं सिद्धत्थगामस्स नग रस्स कुम्मगामस्स नगरस्स य अंतरा, एत्थ णं महं एगे तिलथंभए पत्तिए पुप्फिए हरियगरेरिज्जमाणे सिरीए अतीवअतीव उवसोभेमाणे-उवसोभेमाणे चिट्ठइ ।। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तं तिलथं भगं पासइ, पासित्ता ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एस णं भंते ! तिलथं भए कि निप्फज्जिस्सइ नो निप्फज्जिस्सइ ? एए य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता कहिं गच्छिहिंति ? कहिं उववज्जिहिंति ? तए णं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी—गोसाला ! एस णं तिलयं भए निप्फज्जिस्सइ, नो न निप्फज्जिस्सइ। एते य सत्ततिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता एयस्स चेव तिलथंभगस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला
पच्चायाइस्संति ॥ ५६. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवं प्राइक्खमाणस्स एयमद्रं नो सद्दहइ, नो
पत्तियइ, नो रोएइ, एयमटुं असद्दहमाणे, अपत्तियमाणे, अरोएमाणे, ममं पणिहाए'
५८.
१. निस्संदिद्ध (ख, म); निस्सदिद्ध (स)। २. एत्थं (अ, ता, ब, म)। ३. सभंतर° (अ, ख)। ४. सं० पा० -सबओ जाव करेमारणे । ५. कोल्लागसण्णिवेसस्स (अ, स)।
६. सं० पा.----पयाहिणं जाव नमंसित्ता । ७. कुर्वन्निति वाक्यशेषः (व)। ८. ° सुग° (ता)। ६. परिणहाय (ता)।
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भगवई
'अयं णं मिच्छावादी भवउ' त्ति कटु ममं अंतियानो सणियं-सणियं पच्चोसक्कइ, पच्चोसक्कित्ता जेणेव से तिलथंभए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तं तिलथंभगं सलेठ्ठयायं चेव उप्पाडेइ, उप्पाडेत्ता एगंते एडेइ। तक्खणमेत्तं च णं गोयमा ! दिव्वे अब्भवद्दलए पाउन्भूए। तए णं से दिव्वे अब्भवद्दलए खिप्पामेव पतणतणाति', खिप्पामव पविज्जुयाति, खिप्पामेव नच्चोदगं णातिमट्रियं पविरलपफुसियं' रयरेणुविणासणं दिव्वं सलिलोदगं वासं वासति, जेण से तिलथंभए अासत्थे पच्चायाते वद्धमूले, तत्थेव पतिहिए। ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तस्सेव तिलथंभगस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला
पच्चायाता॥ वेसियायण-बालतवस्सि-पदं ६०. तए णं अहं गोयमा ! गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं सद्धि जेणेव कुम्मग्गामे नगरे
तेणेव उवागच्छामि । तए णं तस्स कुम्मग्गामस्स नगरस्स बहिया वेसियायणे नाम बालतवस्सी छटुंछट्टेणं अणि क्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढे बाहाम्रो पगिज्झियपगिज्भिय सूराभिमुहे आयावणभूमीए अायावेमाणे विहरइ। प्राइच्चतेयतवियानो य से छप्पदीयो सव्वनो समंता अभिनिस्सवंति, पाण-भूय-जीव-सत्तदयट्याए च णं पडियारो-पडियानो तत्थेव-तत्थेव' भुज्जो-भुज्जो पच्चोरुभेइ ।। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायणं बालतवस्सि पासइ, पासित्ता मम अंतियाओ सणियं-सणियं पच्चोसक्कइ, पच्चोसक्कित्ता जेणेव वेसियायणे बालतवस्सी तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वेसियायण बालतवस्सि एवं
वयासी-कि भवं मुणी ? मुणिए ? उदाहु जयासेज्जायरए ? ६२. तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयमटुं नो आढाति,
___ नो परियाणति, तुसिणीए संचिट्ठइ ॥ ६३. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते वेसियायणं बालतवस्सि दोच्चं पि तच्च पि एवं
वयासी--किं भवं मुणी? मुणिए ? 'उदाहु जूयासेज्जायरए ?" ६४. तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी गोसालणं मंखलिपुत्तेणं दोच्चं पि तच्च पि
एवं वत्ते समाणे प्रासुरुत्ते' 'रुटे कुविए चंडिक्किए ° मिसिमिसेमाणे पायावणभूमीग्रो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता तेयासमुग्धाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता सत्तट्रपयाई पच्चोसक्कइ, पच्चोसक्कित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरइ ।।
१. तणाए (अ, ख); तणाएति (स)। २. पप्फुसियं (अ, ब)। ३. तत्थेवा २ (क, ता, ब, म)।
४. जाव सेज्जायरए (अ, क, ख, ता, ब, म, स) ५. सं० पा०-आसुरुत्ते जाव मिसि ।
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पन्नरसमं सतं
६५. तए णं अहं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अणुकंपणट्टयाए वेसियायणस्स
बालतवस्सिस्स उसिणतेयपडिसाहरणट्टयाए' एत्थ णं अंतरा सीयलियं तेयलेस्सं निसिरामि, जाए सा ममं सोयलियाए तेयलेस्साए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स
उसिणा' तेयलेस्सा पडिहया ॥ ६६. तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी ममं सीयलियाए तेयलेस्साए साउसिणं
तेयलेस्सं पडिहयं जाणित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगस्स किचि प्राबाहं वा वाबाहं वा छविच्छेदं वा अकोरमाणं पासित्ता साउसिणं तेयलेस्सं पडिसा
हरइ, पडिसाहरित्ता ममं एवं वयासी–से गतमेयं भगवं ! गत-गतमेयं भगवं ! ६७. तए णं गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवं वयासो -किं णं भंते ! एस जयासिज्जा
यरए तुम्भे एवं वयासी-से गतमेयं भगवं ! गत-गतमेयं भगवं ? ६८. तए णं अहं गोयमा ! गोसाल मंखलिपुत्तं एवं बयासी-तुम णं गोसाला !
वेसियायणं बालतवस्सि पाससि, पासित्ता ममं अंतियानो सणियं-सणियं पच्चोसक्कसि, जेणेव वेसियायणे बालतवस्सी तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छित्ता वेसियायणं बालतवस्सि एवं वयासी-कि भवं मुणो ? मुणिए ? उदाह जूयासेज्जायरए ? तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी तव एयमद्वं नो आढाति, नो परिजाणति, तुसिणीए संचिट्ठइ । तए णं तुम गोसाला ! वेसियायणं बालतवस्सि दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी-किं भवं मुणी ? मुणिए ? 'उदाह जूयासेज्जायरए ?'' तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी तुम दोच्चं पि तच्चं पि एवं वत्त समार्ण ग्रासूरुत्त जाव पच्चीसक्कोत, पच्चीसक्कित्ता तव वहाए सरीरगंसि तेयलेस्सं निस्सिरइ । तए णं अहं गोसाला! तव अणकपणट्याए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स उसिणतेयपडिसाहरणट्ठयाए एत्थ णं अंतरा सीयलियं तेयलेस्सं निसिरामि, 'जाए सा ममं सीयलियाए तेयलेस्साए वेसियायणस्स बालतवस्सिस्स उसिणा तेयलेस्सा पडिहया। तए णं से वेसियायणे बालतवस्सी ममं सीयलियाए तेयलेस्साए साउसिणं तेयलेस्सं° पडिहयं जाणित्ता तव य सरीरगस्स किचि ग्राबाहं वा वाबाहं वा छविच्छेदं वा अकीरमाणं
१. तेयपडि ° (क, म); सा तेय ° (ख, ब, स);
साउसिगतेय ० (ता); अत्र अनेके पाठभेदा दृश्यन्ते । शीतलतेजोलेश्यासन्दर्भे 'उसिण' पदमावश्य कमस्ति । ६८ सूत्रे अस्यैव प्रस- ङ्गस्य पुनरुक्तौ 'ता' प्रती 'उसिणतेय' इति पाठो दृश्यते । तेनापि 'उसिण' पदस्य पु ष्टिर्जायते।
२. उसुणा (क, ख, ता, ब); साउसिणा (स)। ३. तं उसिणं (अ, ता); सीओसिरणं (स)। ४. एसे (ख, ता, ब)। ५. जाव सेज्जायरए (अ, क, ख, ता, ब, स)। ६. सायतेय ° (अ, ख, ब); तेय (क, म);
सीओसिणतेय° (स)। ७. सं० पा०-निसिरामि जाव पडिहयं ।
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६६८
भगवई पासित्ता साउसिणं तेयलेस्सं पडिसाहरति, पडिसाहरित्ता ममं एवं वयासी–से गतमेयं भगवं ! गत-गतमेयं भगवं ! तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं अंतियानो एयमटुं सोच्चा निसम्म भीए' 'तत्थे तसिए उब्विग्गे° संजायभए ममं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं
वयासी-कहण्णं भंते ! संखित्तविउलतेयलेस्से भवति ? ७०. तए णं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी--जेणं गोसाला !
एगाए सणहाए कुम्मासपिडियाए एगेण य वियडासएणं छटुंछद्रेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ई बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय' 'सूराभिमुहे अायावणभूमीए पायावेमाणे ° विहरइ । से णं अंतो छण्हं मासाणं संखित्तविउलतेयलेस्से
भवाइ॥ ७१. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एयमटुं सम्म विणएणं पडिसुणेति ॥ तिलथंभय-निप्फत्तीए गोसालस्स अवक्कमरण-पदं ७२. तए णं ग्रहं गोयमा ! अण्णदा कदायि गोसालेणं मखलिपुत्तेणं सद्धि कुम्मगामानो
नगरानो सिद्धत्थग्गामं नगरं संपट्टिए' विहाराए। जाहे य मो तं देसं हव्वमागया जत्थ णं से तिलथंभए। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवं वयासी-तुब्भे णं भंते । तदा ममं एवमाइक्खह जाव परूवेह-गोसाला ! एस णं तिलथंभए निप्फज्जिस्सइ, नो न निप्फज्जिस्सइ । एते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता एयस्स चेव तिलथं भगस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला पच्चायाइस्संति, तण्ण मिच्छा । इमं च णं पच्चक्खमेव दीसइएस णं से तिलथंभए नो निप्फन्ने, अन्निप्फन्नमेव । ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता नो एयस्स चेव तिलयंभगस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त
तिला पच्चायाया ॥ ७३. तए णं अहं गोयमा ! गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-तुमं णं गोसाला! तदा
ममं एवमाइक्खमाणस्स जाव परूवेमाणस्स एयमद्वं नो सद्दहसि, नो पत्तियसि, नो रोएसि, एयमट्ठ असद्दहमाणे, अपत्तियमाणे, अरोएमाणे, ममं पणिहाए 'अयण्णं मिच्छावादी भवउ' त्ति कटु ममं अंतियानो सणियं-सणियं पच्चोसक्कसि, पच्चोसक्कित्ता जेणेव से तिलथंभए तेणेव उवागच्छसि, उवागच्छित्ता' •तं तिलथं भगं सलेठ्ठयायं चेव उप्पाडेसि, उप्पाडेत्ता•एगंतमंते एडेसि । तक्खणमेत्तं गोसाला ! दिव्वे अब्भवद्दलए पाउब्भूए। तए णं से दिव्वे अब्भवद्दलए
१. सं० पा०-भीए जाव संजायभए। ४. सं० पा-तं चेव जाव पच्चायाइस्संति । २. स. पा.-पगिज्झिय जाव विहरइ। ५. सं० पा०-उवागच्छित्ता जाव एगंतमंते । ३. संपत्थिए (अ, क, ख, ब, म); पत्थिए (ता)।
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पन्न रसम सतं
६६६
खिप्पामेव पतणतणाति, खिप्पामेव पविज्जुयाति, खिप्पामेव नच्चोदगं णातिमट्टियं पविरलपफुसियं रयरेणुविणासणं दिव्वं सलिलोदगं वासं वासंति, जेण से तिलथंभए आसत्थे पच्चायाते बद्धमूले, तत्थेव पतिट्ठिए । ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तस्स चेव तिलथंभगस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला पच्चायाया। तं एस णं गोसाला ! से तिलथंभए निप्फन्ने, नो अनिप्फन्नमेव । ते य सत्त तिलपुप्फजीवा उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता एयस्स चेव तिलथं भयस्स एगाए तिलसंगलियाए सत्त तिला पच्चायाया। एवं खलु गोसाला ! वणस्स इ
काइया पउट्टपरिहारं परिहरंति ।। ७४. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवमाइक्खमाणस्स जाव परूवेमाणस्स एयमटुं
नो सद्दहइ, नो पत्तियइ, नो रोएइ, एयमटुं असद्दहमाणे अपत्तियमाणे' अरोएमाणे जेणेव से तिलथंभए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता तानो तिलथंभयानो
तं तिलसंगलियं खुडुइ, खुड्डित्ता करयलंसि सत्त तिले पप्फोडेइ ॥ ७५. तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स ते सत्त तिले गणमाणस्स अयमेयारूवे
अज्झथिए' चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था - एवं खलु सव्वजीवा वि पउट्टपरिहारं परिहरंति-'एस णं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स पउद्दे", एस णं गोयमा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स ममं अंतियानो
आयाए प्रवक्कमणे पण्णत्ते । गोसालस्स तेयलेस्सुप्पत्ति-पदं ७६. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते एगाए सणहाए कुम्मासपिडियाए एगेण य विय
डासएणं छटुंछद्रेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढे बाहाम्रो पगिज्झियपगिज्झिय 'सूराभिमुहे पायावणभूमीए अायावेमाणे ° विहरइ । तए णं से
गोसाले मंखलिपुत्ते अंतो छण्हं मासाणं संखित्तविउलतेयलेसे जाए। गोसालस्स पुवकहा-उवसंहार-पदं ७७. तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अण्णदा कदायि इमे छ दिसाचरा अंतियं
पाउब्भवित्था, तं जहा -साणे', 'कलंदे, कण्णियारे, अच्छिदे, अग्गिवेसायणे, अज्जुणे, गोमायुपुत्ते । तए णं तं छ दिसाचरा अढविहं पुव्वगयं मग्गदसमं सएहि-सएहि मतिदसणेहि निज्जूहंति, निज्जूहित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं उवट्ठाइंसु।
१. सं. पा.-तं चेव जाव तस्स ।
५. सं० पा०-पगिज्झिय जाव विहरइ । २. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
६. साले ३. सं० पा० -अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था। ७. सं० पा०-तं चेव सव्वं जाव अजिणे। ४. X (ता)।
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६७०
भगवई
तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं श्रगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेणं सव्वेसिं पाणाणं, सव्वेसि भूयाणं, सव्वेसि जीवाणं, सव्वेसि सत्ताणं इमाई छ अइक्कमणिज्जाई वागरणाई वागरेति, तं जहा -- लाभ लाभं सुहं दुक्खं, जीवियं मरणं तहा ।
तणं से गोसाले मंखलिपुत्ते तेणं श्रट्टंगस्स महानिमित्तस्स केणइ उल्लोयमेत्तेणं सावत्थीए नगरीए जिणे जिणप्पलावी, अणरहा ग्ररहृप्पलावी, ग्रकेवली केवलिप्लावी, सव्वण्णू सव्वष्णुप्पलावी, अजिणे जिणसद्दं पगासेमाणे विहरइ, तं नो खलु गोयमा ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी', 'रहा रहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिणे जिणसद्दं पगासेमाणे विहरइ, गोसाले गं मंखलिपुत्ते ग्रजिणे जिणप्पलावी, अणरहा अरहृप्पलावी, केवली केवलिप्लावी, ग्रसव्वण्ण सव्वण्णप्पलावी, ग्रजिणे जिणसद्दं • • पगासेमाणे विहरइ ॥
०
७८. तए णं सा महतिमहालया महच्चपरिसा समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए एमट्ठे सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठा समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं ० पडिगया ||
गोसालस्स श्रमरिस-पदं
0
७६. तए णं सावत्थोए नगरीए सिंघाडग -तिग- चउक्क-चच्चर-चउम्मुह महापहपहेसु बहुजणो ग्रण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव परूवेइ – जण्णं देवाणु प्पिया ! गोसाले मखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव जिणे जिणसदं पगासेमाणे विहरइ तं मिच्छा । समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ जाव परूवेइ - एवं खलु तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स मंखली नाम मंखे पिता होत्था । तए णं तस्स मंखस्स एवं चेव तं सव्वं भाणियव्वं जाव' जिणे जिणसद्दं पगासेमाणे विहरइ, तं नो खलु गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ, गोसाले मंखलिपुत्ते अजिजिणप्लावी जाव विहरइ, समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिस पगासेमाणे विहरइ ॥
८०. तणं से गोसाले मंखलिपुत्ते बहुजणस्स अंतियं एयमट्ठे सोच्चा निसम्म ग्रासुरुते '
• रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे प्रायावणभूमीश्रो पच्चोरुहइ, पच्चोरुहित्ता सार्वत्थि नगरि मज्भंमज्भेणं' जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारा
१. सं० पा० - जिणप्पलावी जाव जिणसद्दं । २. सं० पा० - जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे ।
३. सं० पा० - जहा सिवे जाव पडिगया ।
४. सं० पा० - सिंघाडग जाव बहुजणो ।
५. भ० १५।१४-७६ ।
६. सं० पा० - सुरुत्ते जाव मिसि° । ७. लेखसंक्षेप करणेन 'निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता' इति पाठो न दृश्यते । द्रष्टव्यम् - १५।२४ ।
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पन्नरसमं सतं
६७१
वणे' तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि
आजीवियसंघसंपरिवुडे' महया अमरिसं वहमाणे एवं चावि विहरइ ।। गोसालस्स आणंदथेरसमक्खे अक्कोसपदसण-पदं ८२. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स अंतेवासी आणंदे नाम
थेरे पगइभद्दए जाव' विणीए छटुंछ?णं अणिक्खित्तेण तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा
अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । ८२. तए णं से पाणंदे थेरे छटक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए एवं जदा गोयम
सामी तहेव प्रापुच्छइ, तहेव जाव उच्च-नीय-मज्झिमाई 'कुलाइं घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए° अडमाणे हालाहलाए कुंभकारीए कंभकारावणस्स
अदूरसामंते वीइवयइ ।। ८३. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते पाणंदं थेरं हालाहलाए कुंभकारीए कभकरा
वणस्स अदूरसामंतेणं वीइवयमाणं पासइ, पासित्ता एवं वयासी-एहि ताव
पाणंदा ! इनो एगं महं उवमियं निसामेहि ॥ ८४. तए णं से आणंदे थेरे गोसालेणं मखलिपुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे जेणेव हालाहलाए
कभकारीए कुंभकारावणे, जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ ।। ८५. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते आणंदं थेरं एवं वयासी एवं खलु आणंदा !
इत्तो चिरातीयाए अद्धाए केइ उच्चावया वणिया अत्थत्थी अत्थलद्धा अत्थगवेसी अत्थकंखिया अत्थपिवासा अत्थगवेसणयाए नाणाविहविउलपणियभंडमायाए सगडीसागडेणं सुबहुँ भत्तपाणं पत्थयणं गहाय एगं महं अगामियं' अणोहियं
छिन्नावायं दीहमद्धं अडवि अणप्पविट्रा।। ८६. तए णं तेसि वणियाणं तीसे अगामियाए अणोहियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए
अडवीए किंचि देसं अणुप्पत्ताणं समाणाणं से पुव्वगहिए उदए अणुपुव्वेणं
परिभुज्जमाणे-परिभुज्जमाणे झोणे" ।। ८७. तए णं ते वणिया झीणोदगा" समाणा तण्हाए परब्भमाणा अण्णमण्णे सहावेंति,
१. कुंभकारावदणे (ता)। २. कुभकारावदणंसि (ता)। ३. ° संघपरिवुडे (ता, ब, म)। ४. भ० ११२८८ । ५. भ० २।१०७-१०६ । ६. सं० पा०-मज्झिमाई जाव अडमाणे। ७. उच्चावगा (ख, ता, ब, स)।
८. पत्थायणं (ता)। ६. अागामियं (अ, म, स); प्रकामियं (क,
ख, ता)। १०. खीणे (अ, क, म, स)। ११. खीणोदगा (म, स)। १२. परिभवमाणा (अ, स); परिब्भममाणा
(ar); परब्भवमाणा (म)।
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६७२
भगवई
सहावेत्ता एवं वयासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! ग्रहं इमीसे ग्रगामिया ए ●णोहियाए छिन्नावायाए दीहमद्धाए अडवीए किंचि देतं प्रणुप्पत्ताणं समाणा से पुव्वगहिए उदए अणुपुब्वेणं परिभुज्जमाणे - परिभुज्जमाणे झीणे, तं यं खलु देवाणुपिया ! ग्रहं इमीसे ग्रगामियाए जाव ग्रडवीए उदगस्स सव्वग्रो समंता मग्गण- गवेसणं करेत्तए त्ति कट्टु ग्रण्णमण्णस्स अंतिए एयमट्ठ पडिसुति, पडिसुणेत्ता तीसे णं ग्रगामियाए जाव अडवीए उदगस्स सव्व समंता मग्गण - गवेसणं करेंति, उदगस्स सव्वग्रो समंता मग्गण - गवेसणं करेमाणा एगं महं वणसंडं ग्रासादेति - किण्हं किण्होभासं जाव महामेहनिकुरंबभूयं पासादीयं दरिसणिज्जं ग्रभिरूवं पडिरूवं ।
तस्स णं वणसंडस्स वहुमज्भदेसभाए, एत्थ णं महेगं वम्मीयं ग्रासादेति । तस्स णं वम्मीयस्स चत्तारि वप्पू' श्रवभुग्गयाग्रो, ग्रभिनिसढाओ, तिरियं सुसंपग्गहिया, हे पन्नगद्धरूवाओ, पन्नगद्धसंठाणसंठिया, पासादियाग्रो" "दरिसणिज्जाश्रो अभिरूवाओ पडिरूवा ॥
o
८८. तए णं ते वणिया हट्टतुट्ठा अण्णमण्णं सद्दावति, सद्दावेत्ता एवं वयासी - एवं खलु देवापिया ! म्हे इमीसे ग्रगामियाए' अणोहियाए छिन्नावायाए दी हमद्धाए ग्रडवीए उदगस्स सव्वग्रो समंता मग्गण - गवेसणं करेमाणेहिं इमे वणसंडे प्रासादिए कि किण्होभासे । इमस्स णं वणसंडस्स बहुमज्भदेसभाए इमे वम्मीए ग्रासादिए । इमस्स णं वम्मीयस्स चत्तारि वप्पू अब्भुग्गयाओ, • ग्रभिनिसढाओ, तिरियं सुसंपग्गहिया, ग्रहे पन्नगद्धख्वाश्रो, पन्नगद्धसंठाणसंठिया, पासादिया दरिसणिज्जाओ अभिरूवायो पडिरूवाम्रो तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! म्हं इमस्स वम्मीयस्स पढमं वप्पुं भिदित्तए, अवियाई मोरालं उदगरयणं अस्सादेस्सामो ||
८६. तए णं ते वणिया ग्रण्णमण्णस्स ग्रंतियं एयमट्ठे पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तस्स वम्मीयस्स पढमं वपुं भिदति । ते णं तत्थ अच्छं पत्थं जच्च तणुयं फालियवण्णाभं प्रोरालं उदगरयणं प्रासादेति । तए णं ते वणिया हट्टतुट्ठा पाणियं पिबंति, पिबित्ता वाहणाई पज्जेति, पज्जेत्ता भायणाई भरेंति, भरेत्ता दोच्चं पिण्णमण्णं एवं वदासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! ग्रम्हेहिं इमस्स वम्मीयस्स
४ ।
१. सं० पा० -- प्रगामियाए जाव अडवीए । २. श्रो० सू० ३. ० निकुरु बभूयं ( क, ख, ता, ब, म ) । ४. सं० पा०—पासादीयं जाव पडिरूवं । ५. वम्मियं ( अ, क ) ।
६. वपू ( अ, क ): वपूओ (ख, म ) ।
७. सं० पा० -पासादिया जाव पडिरूवाम्रो । ८. सं० पा० – अगामियाए जाव सव्वम्रो । C. सं० पा० – अब्भुग्गयाम्रो जाव पडिरूवायो । १०. वप्पि ( अ, स); वपुं (क, ब, म) ।
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पढमा वप्पू' भिन्नाए ओराले उदगरयणे अस्सादिए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! म्हं इमस्स वम्मीयस्स दोच्चं पि वप्पुं भित्तिए, अविया एत्थ ओलं सुवण्णरयणं अस्सादे सामो ||
पन्नरसमं सतं
६०. तणं ते वणिया अण्णमण्णस्स अंतियं एयमहं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता तस्स वम्मीयस्स दोच्च पि वप्पुं भिदति । ते णं तत्थ अच्छं जच्चं तावणिज्जं महत्थं महग्धं महरिहं प्ररालं सुवण्णरयणं अस्सादेति । तए णं ते वणिया हट्टतुट्ठा भायणाई भरेंति, भरेत्ता पवहणाई भरेंति, भरेत्ता तच्च पि अण्णमण्णं एवं वयासी – एवं खलु देवाणुप्पिया ! ग्रम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पूए भिन्नाए ओराले उदगरयणे अस्सादिए, दोच्चाए वप्पूए भिन्नाए ओराले सुवण्णरयणे प्रसादिए, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! म्हं इमस्स वम्मीयस्स तच्च पि वप्पुं भित्तिए, अवियाई एत्थं ओरालं मणिरयणं अस्सादे सामो || १. तणं ते वणिया अण्णमण्णस्स प्रतियं एयमट्ठे पडिसुर्णेति, पडिसुणेत्ता तस्स वम्मीयस्स तच्च पि वप्पुं भिदंति । ते णं तत्थ विमलं निम्मलं नित्तलं निक्कलं महत्थं महग्घं महरिहं ओरालं मणिरयणं अस्सादेति । तए णं ते वणिया तुट्ठा भायणाई भरेंति, भरेत्ता पवहणाई भरेंति, भरेत्ता चउत्थं पि श्रण्णमण्णं एवं वासी - एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पूए भिन्नाए ओराले उदगरयणे प्रस्सादिए, दोच्चाए वप्पूए भिन्नाए ओराले सुवणरयणे अस्सादिए, तच्चाए वप्पूए भिन्नाए प्रोराले मणिरयणे अस्सादिए, तं सेयं खलु देवाणुपिया ! म्हं इमस्स वम्मीयस्स चउत्थं पि वप्पू ̈ भित्तिए, वियाई उत्तमं महग्घं महरिहं मोराल वइररयणं अस्सादेस्समो || ६२. तए णं तेसि वणियाणं एगे वणिए हियकामए सुहकामए पत्थकामए प्राणुकंपिए निस्सेसिए हिय-सुह-निस्सेसकामए ते वणिए एवं वयासी - एवं खलु देवाणु - पिया ! अम्हे इमस्स वम्मीयस्स पढमाए वप्पूए भिन्नाए ओराले उदगरयणे ● प्रसादिए, दोच्चाए वप्पूए भिन्नाए श्रोराले सुवण्णरयणे अस्सादिए, तच्चाए age भिन्नाए ओराले मणिरयणे अस्सादिए, तं होउ लाहि पज्जत्तं णे, एसा चउत्थी वप्पू' मा भिज्जउ, चउत्थी णं वप्पू सउवसग्गा यावि होत्था || ६३. तए णं ते वणिया तस्स वणियस्स हियकामगस्स सुहकामगस्स पत्थकामगस्स आणुकंपियस्स निस्सेसियस्स • हिय - सुह - निस्से सकामगस्स एवमाइक्खमाणस्स
o
१. वप्पाए ( अ, ख, स ) ।
२. तवणिज्जं ( अ, क, ब, म, स ) ।
३. प्रसादिए ( म स ) ।
४. वप्पं (प्र, ख, स ) !
५. सं० पा० उदगरयणे जाव तच्चाए ।
६. वप्पा (ता) |
७. सं० पा०-- सुहकामगस्स जाव हिय ।
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भगवई
जाव परूवेमाणस्स एयमटुं नो सद्दहंति, 'नो पत्तियंति" नो रोयंति, एयमटुं असद्दहमाणा अपत्तियमाणा' अरोएमाणा तस्स वम्मीयस्स चउत्थं पि वप्पं भिदंति । ते णं तत्थ उग्गविसं चंडविसं घोरविसं महाविसं 'अतिकायं महाकायं" मसिमूसाकालगं नयणविसरोसपुण्णं अंजणपुंज-निगरप्पगासं रत्तच्छं जमलजुयलचंचलचलंतजीहं धरणितलवेणिभूयं उक्कड-फुड-कुडिल-जडुल-कक्खड-विकडफडाडोवकरणदच्छं लोहागर-धम्ममाण-धमधमेंतघोसं अणागलियचंडतिव्वरोसं
'समुहं तुरियं चवलं धमतं दिट्टीविसं सप्पं संघट्टेति ॥ ६४. तए णं से दिट्ठीविसे सप्पे तेहिं वणिएहि संघट्टिए समाणे आसुरुत्ते रुद्रु कुविए
चंडिक्किए ° मिसिमिसेमाणे सणियं-सणियं उद्वेइ, उद्वेत्ता सरसरसरस्स वम्मीयस्स सिहरतलं द्रुहति', द्रुहित्ता आदिच्चं निझाति, निझाइत्ता ते वणिए
अणिमिसाए दिट्ठीए सव्वग्रो समंता समभिलोएति ।। ६५. तए णं ते वणिया तेणं दिट्ठीविसेणं सप्पेणं अणिमिसाए दिट्ठीए सव्वनो समंता
समभिलोइया समाणा खिप्पामेव सभंडमत्तोवगरणमायाए एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासी कया यावि' होत्था। तत्थ णं जे से वणिए तेसि वणियाणं हियकामए 'सुहकामए पत्थकामए आणुकंपिए निस्सेसिए° हिय-सुह-निस्सेसकामए से णं आणुकंपियाए देवयाए सभंडमत्तोवगरणमायाए नियगं नगरं साहिए । एवामेव आणंदा ! तव वि धम्मायरिएणं धम्मोवएसएणं समणेणं नायपुत्तेणं ओराले परियाए अस्सादिए, अोराला कित्ति-वण्ण-सह-सिलोगा सदेवमण्यासुरे लोए पुव्वंति, गुव्वंति", थुव्वंति"-इति खलु समणे भगवं महावीरे, इति खलू समणे भगवं महावीरे। तं जदि मे से अज्ज किचि वि वदति तो णं तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं करेमि, जहा वा वालेणं ते वणिया। तुमं च णं आणंदा ! सारक्खामि संगोवामि जहा वा से वणिए तेसि वणियाणं हियकामए जाव" निस्सेसकामए आणुकंपियाए देवयाए सभंड' मत्तोवगरणमायाए नियगं नगरं° साहिए । तं गच्छ" णं तुम आणंदा ! तव धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स समणस्स नायपुत्तस्स एयमटुं परिकहेहि ॥
१. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. अतिकायमहाकायं (क, ख, ता, म)। ४. ०जवल (अ, ख, ब, स)। ५. समुहि तुरियचवलं (अ, क, ख, ता, ब);
समुदियतुरियचवलं (वृ)। ६. सं० पा०-ग्रासुरुत्ते जाव मिसि ।। ७. दुहेति (क, ता, म); दुरुहति (स)। ८. वि (क, ता, ब)।
६. सं० पा० हियकामए जाव हिय । १०. x (अ, क, ख, ता); गुवंति (ब, म)। ११. तुवंति (क, ख); X (ब, म); 'थुवंति'
त्ति क्वचित्, क्वचित् 'परिभमंती' ति दश्यते
(व)। १२. भ० १५१२। १३. सं० पा०—सभंड जाव साहिए। १४. गच्छाहि (ब, म)।
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पन्नरसमं सतं
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आणंदथेरस्स भगवनो निवेदरण-पदं ६७. तए णं से आणंदे थेरे गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे भीए जाव' संजाय
भए गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अंतियानो हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणाम्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्ख मित्ता सिग्घं तुरियं सावत्थि नगरि मझमज्झेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कोढए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ,उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एवं खलु अहं भंते ! छटक्खमणपारणगंसि तुब्भेहिं अभणण्णाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय.मज्झिमाइं कलाइंघरसमदाणस्स भिक्खायरियाएअडमाणे हालाहलाए कुंभकारीए' कुंभकारावणस्स अदूरसामंते °वीइवयामि, तए णं गोसाले मंखलिपुत्ते ममं हालाहलाए' 'कुंभकारीए कुंभकारावणस्स अदूरसामंतेणं वीइवयमाणं पासित्ता एवं वयासी-एहि ताव आणंदा ! इनो एगं महं उवमियं निसामेहि। तए णं अहं गोसालेणं मखलिपुत्तेणं एवं वुत्ते समाणे जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे, जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते, तेणेव उवागच्छामि। तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ममं एवं वयासी--एवं खलु पाणंदा ! इनो चिरातीयाए अद्धाए केइ उच्चावया वणिया एवं तं चेव सव्वं निरवसेसं भाणियव्वं जाव' नियगं नगरं साहिए । तं गच्छ णं तुम पाणंदा! तव धम्मायरियस्स धम्मोवएसगस्स' 'समणस्स नायपुत्तस्स एयमटुं० परिकहेहि ।। तं पभू णं भंते ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं करेत्तए ? विसए णं भंते ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स" 'तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं° करेत्तए ? समत्थे णं भंते ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं तेणं एगाहच्चं कडाहच्चं भासरासिं करेत्ता? पभू णं आणंदा ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं 'तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासि ° करेत्तए । विसए णं आणंदा ! गोसालस्स" •मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भास रासि ° करेत्तए। समत्थे णं आणंदा ! गोसाले"
१. भ० १५१६६ ।
७. सं० पा०.-मखलिपुत्तस्स जाव करेत्तए। २. सं० पा०-नीय जाव अडमाणे।
८. सं० पा०-गोसाले जाव करेत्तए। ३. सं० पा०-कुभकारीए जाव वीइवयामि । ६. सं० पा०-तवेणं जाव करेत्तए। ४. सं० पा०-हालाहलाए जाव पासित्ता। १०. सं० पा०----गोसालस्स जाव करेत्तए। ५. भ० १५१८५-६५।
११. सं० पा०—गोसाले जाव करेत्तए। ६. सं० पा०-धम्मोवएसगस्स जाव परिकहेहि ।
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भगवई
•मंखलिपुत्ते तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं° करेत्तए, नो चेव णं अरहते भगवंते, पारियावणियं पुण करेज्जा । जावतिए णं पाणंदा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स 'तवे तेए', एत्तो अणंतगुणविसिट्ठतराए चेव तवे तेए अणगाराणं भगवंताणं, खंतिखमा पुण अणगारा भगवंतो। जावइए णं आणंदा ! अणगाराणं भगवंताणं तवे तेए एत्तो अणंतगुणविसिट्टत राए चेव तवे तेए थेराणं भगवंताणं, खंतिखमा पुण थेरा भगवंतो। जावतिए णं आणंदा ! थेराणं भगवंताणं तवे तेए एत्तो अणंतगुणविसिट्ठतराए चेव तवे तेए अरहंताणं भगवंताणं, खंतिखमा पुण अरहंता भगवंतो। तं पभू णं आणंदा ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं तेएणं' 'एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं ° करेत्तए, विसए णं आणंदा !
गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासिं करेत्तए, समत्थे णं आणंदा ! गोसाले मंखलिपुत्ते तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं
भासरासिं करेत्तए, नो चेव णं अरहंते भगवंते, पारियावणियं पुण करेज्जा । पाणंदथेरेण गोयमाईणं अणुण्णवण-पदं ह. तं गच्छ णं तुम पाणंदा ! गोयमाईणं समणाणं निग्गंथाणं एयमद्रं परिकहेहि
मा णं अज्जो! तुब्भं केई गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएउ, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेउ, धम्मिएणं पडोयारेणं पडोयारेउ,
गोसाले णं मखलिपुत्ते समणेहिं निग्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ने । १००.
तए णं से आणंदे थेरे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव गोयमादी समणा निग्गंथा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोयमादी समणे निग्गंथे आमंतेति, प्रामंतेत्ता एवं वयासी-एवं खलु अज्जो ! छट्ठक्खमणपारणगंसि समणेणं भगवया महावीरेणं अब्भणण्णाए समाणे सावत्थीए नगरीए उच्च-नीय-मज्झिमाइं कूलाइं तं
चेव सव्वं जाव' 'गोयमाईणं समणाणं निग्गंथाणं'' एयमट्ठ परिकहेहि, तं मा णं १. परियावणियं (अ, स)।
एयमटुं परिकहेहि' इति गोशालकस्य २. तवतेए (स) सर्वत्र।
उक्तिरस्ति-द्रष्टव्यं १५०९६। यदि ३. सं० पा०--तेएणं जाव करेत्तए ।
एतदन्तः पाठोत्र विवक्षितः स्यात्तदा ४. सं० पा०-आणंदा जाव करेत्तए।
आनन्दस्य भगवतो निवेदनम्, भगवतश्च ५. सं० पा.--आणंदा जाव करेत्तए।
आनन्दस्य गौतमादिश्रमणेभ्यः तदर्थज्ञापनस्य ६. भ० १५८२-६६ ।
निर्देशनं-एतत् सर्व तस्मिन पाठे नैव प्राप्त ७. नायपुत्तस्स (अ, क, ख, ता, ब, म, स); भवेत् । कथं च आनन्दः भगवत: निर्देशसर्वेष्वपि आदर्शेषु 'नायपुत्तस्स एयमटुं मश्रावयित्वा गौतमादिभ्यः 'तं माणं प्रज्जो' परिकहेहि' इति पाठोस्ति, किन्तु प्रसङ्गपर्या- इत्यादि निर्देशं कुर्यात् ? एतत् न स्वाभालोचनया नैष संगच्छते। 'नायत्तस्स विकम् । तेन प्रतीयते अत्र पाठसंक्षेपीकरणे
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पन्नरसमं सतं
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अज्जो ! तुब्भं केई गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएउ', 'धम्मियाए पडिसारणयाए पडिसारे उ, धम्मिएणं पडोयारेणं पडोयारेउ, गोसाले
णं मंखलिपुत्ते समणेहिं निग्गंथेहि ° मिच्छं विप्पडिवन्ने ॥ गोसालस्स भगवंतं पइ प्रक्कोसपुव्वं ससिद्धंतनिरूवरण-पदं १०१. जावं च णं आणंदे थेरे गोयमाईणं समणाणं निग्गंथाणं एयमटुं परिकहेइ, तावं
च णं से गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता आजीवियसंघसंपरिवुडे महया अमरिसं वहमाणे सिग्घं तुरिय' सावत्थि नगरि मझमझणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव कोट्टए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स अदूरसामते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वदासीसुठ्ठ णं पाउसो कासवा ! ममं एवं वयासी, साहू णं अाउसो कासवा ! मम एवं वयासी-गोसाले मंखलिपुत्ते ममं धम्मतेवासी, गोसाले मंखलिपुत्ते मम धम्मतेवासी। जे णं से गोसाले मंखलिपुत्ते तव धम्मंतेवासी से णं सुक्के सुक्काभिजाइए भवित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु' देवलोएसु देवत्ताए उववन्ने, अहणं उदाई नामं कुडियायणीए अज्जुणस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता इमं सत्तमं पउट्टपरिहारं परिहरामि। जे वि पाइं पाउसो कासवा ! अम्हं समयंसि केइ सिभिंसु वा सिझंति वा सिज्झिस्संति वा सव्वे ते चउरासीति महाकप्पसयसहस्साइं, सत्त दिवे, सत्त संजू हे, सत्त सण्णिगब्भे, सत्त पउट्टपरिहारे, पंच कम्मणि' सयसहस्साइं सद्रिं च सहस्साई छच्च सए तिण्णि य कम्मसे अणुपुव्वेणं खवइत्ता तो पच्छा सिज्झति बुझंति मुच्चंति परिनिव्वायंति' सव्वदुक्खाणमंतं करेंसु वा करेंति वा करिस्संति वा। से जहा वा गंगा महानदी जो पवूढा, जहिं वा पज्जुवत्थिया', एस णं श्रद्धा
पंचजोयणसयाइं पायामेणं, अद्धजोयणं विक्खंभेणं, पंच धणुसयाइं उव्वेहेणं । लिपिकरणे वा कश्चिद् विपर्ययो जातः । ३. अण्णत रेसु चेव (ता)। प्रसङ्गानुसारेण 'जाव' पदस्यानन्तरं गोय- ४. कंडियायणिए (क, म); कुडियणिए (ता)। माईणं समणाणं निग्गंथाणं एयमटुं परिकहेहि' ५. कम्मुरिण (अ, ख, ता); कम्माणि (क); इति पाठः उपयुज्यते ।
कर्मणामित्यर्थः (वृ)। १. सं० पा०-पडिचोएउ जाव मिच्छं। ६. परिनिव्वाइंति (अ, ख, स)। २. तरियं जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स); ७. पज्जवस्थिया (अ, क, स); पज्जुपत्थिया दष्टव्यम्-भ०१५।६७।
(ता)।
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भगवई
एएणं गंगापमाणेणं सत्त गंगाग्रो सा एगा महागंगा । सत्त महागगा । सा एगा सादीणगंगा | सत्तसादीणगंगाओ सा एगा मदुगंगा' । सत्त मदुगंगाओ सा एगा लोहियगंगा | सत्त लोहियगंगाओ सा एगा आवतीगंगा । सत्त प्रावतीगंगा साएगा परमावती । एवामेव सपुव्वावरेणं एगं गंगासयसहस्सं सत्तर सहस्सा छच्च प्रगुणपन्नं गंगासया भवतीति मक्खाया ।
तासि दुविहे उद्धारे पण्णत्ते, तं जहा -सुहुमवोदिकलेवरे चेव, बायरबोंदिकलेवरे चेव । तत्थ णं जे से सुहुमबोंदिकलेवरे से टप्पे । तत्थ णं जे से बायरबोंदिकलेवरे तम्रो णं वाससए गए, वाससए गए एगमेगं गंगावालुयं अवहाय जावतिणं काले से कोट्ठे खीणे णीरए निल्लेवे निट्टिए भवति सेत्तं सरे सरप्पमाणे । एएणं सरप्पमाणेणं तिण्णि सरसयसाहस्सीओ से एगे महाकप्पे, चउरासीतिं महाकप्पसयसहस्साइं से एगे महामाणसे ।
१. अणंताओ संजूहाम्रो जीवे चयं चइत्ता उवरिल्ले माणसे संजू हे देवे उववज्जति । से णं तत्थ दिव्वाई भोगभोगाई भुजमाणे विहरइ, विहरिता तो देवलगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं प्रणंतरं चयं चइत्ता पढमे सण्णगब्भे जीवे पच्चायाति ।
२. से णं तओहिंतो प्रणंतरं उब्वट्टित्ता मज्भिल्ले माणसे संजू हे देवे उववज्जइ । से णं तत्थ दिव्वाइं भोगभोगाई भुजमाणे विहरइ, विहरिता ताम्रो देवलोगाश्रो उक्खणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं प्रणंतरं चयं चइत्ता दोच्चे सण्णिगन्भे जीवे पच्चायाति ।
O
३. से णं तोहितो अणंतरं उब्वट्टित्ता हेट्ठिल्ले माणसे संजू हे देवे उववज्जइ । से णं तत्थ दिव्वाइं भोगभोगाई जाव चइत्ता तच्चे सण्णिगब्भे जीवे पच्चायाति । ४. से णं तहिंतो जाव उव्वट्टित्ता उवरिल्ले माणुसुत्तरे संजू हे देवे उववज्जइ । सेणं तत्थ दिव्वाई भोगभोगाई जाव चइत्ता चउत्थे सण्णिगब्भे जीवे पच्चायाति । ५. से णं तोहितो अनंतरं उव्वट्टित्ता मज्भिल्ले माणुसुत्तरे संजू हे देवे उववज्जइ । से णं तत्थ दिव्वाई भोगभोगाई जाव चइत्ता पंचमे सण्णगभे जीवे पच्चायाति ।
६.
से णं तोहितो अनंतरं उव्वट्टित्ता हिट्ठिल्ले माणुसुत्तरे संजू हे देवे उववज्जइ । से णं तत्थ दिव्वाई भोगभोगाई जाव चइत्ता छुट्टे सण्णिगब्भे जीवे पच्चायाति ।
१. महुगंगा (ब); मदुगंगा (म); मच्चुगंगा ( क्व० ) । ४. तत्था (ता) ।
२. अवतीगंगा (क, ख, ब, म) ।
३. गुणपण्णं (अ.स); अगुणपण्णा (ता) ।
५. सं० पा० - आउक्खएणं जाव चइता |
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पन्नरसमं सतं
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७. से णं तओहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता-बंभलोगे नाम से कप्पे पण्णत्तेपाईणपडीणायते उदीणदाहिणविच्छिण्णे, जहा ठाणपदे जाव पंच वडेंसगा पण्णत्ता, तं जहा-असोगवडेंसए जाव' पडिरूवा-से णं तत्थ देवे उववज्जइ । से णं तत्थ दस सागरोवमाइं दिव्वाइं भोगभोगाइं जाव चइत्ता सत्तमे सण्णिगब्भे जीवे पच्चायाति ।। से णं तत्थ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राइंदियाणं वोतिक्कंताणं सुकुमालगभद्दलए मिउ-कुंडल कुंचिय-केसए मट्टगंडतल-कण्णपीढए देवकुमारसप्पभए दारए पयाति । से णं अहं कासवा ! तए णं अहं पाउसो कासवा ! कोमारियपव्वज्जाए कोमारएणं बंभचेरवासेणं अविद्धकण्णए चेव संखाणं पडिलभामि, पडिलभित्ता इमे सत्त पउट्टपरिहारे परिहरामि, तं जहा१. एणेज्जस्स २. मल्लरामस्स ३. मंडियस्स' ४. रोहस्स ५. भारद्दाइस्स ६. अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स ७. गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स। तत्थ णं जे से पढमे पउट्टपरिहारे से णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया मंडिकुच्छिसि चेइयंसि उदाइस्स कुंडियायणस्स सरीरं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता एणज्जगस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता बावीसं वासाइं पढमं पउट्टपरिहारं परिहरामि । तत्थ णं जे से दोच्चे पउट्टपरिहारे से णं उइंडपुरस्स नगरस्स बहिया चंदोयरणंसि चेइयंसि एणेज्जगस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता मल्लरामस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता एकवीसं वासाइं दोच्चं पउट्टपरिहारं परिहरामि। तत्थ णं जे से तच्चे पउट्टपरिहारे से णं चंपाए नगरीए बहिया अंगमंदिरंसि चेइयंसि मल्ल रामस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता मंडियस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता वीसं वासाइं तच्चं पउट्टपरिहारं परिहरामि । तत्थ णं जे से चउत्थे पउट्टपरिहारे से णं वाणारसीए नगरीए बहिया काममहावणंसि चेइयंसि मंडियस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता रोहस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता एकणवीसं वासाइं चउत्थं पउट्टपरिहारं परिहरामि। तत्थ णं जे से पंचमे पउट्टपरिहारे से णं पालभियाए नगरीए बहिया पत्तकालगंसि चेइयंसि रोहस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता भारद्दाइस्स सरीरगं
१. प०२। २. कुंतल ° (ता)।
३. मंडिसस्स (क, ता, ब)। ४. कालगयंसि (स)।
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भगवई
अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता अट्ठारस वासाइं पंचमं पउट्टपरिहारं परिहरामि। तत्थ णं जे से छटे पउट्टपरिहारे से णं वेसालीए नगरीए बहिया कोंडियायणंसि चेइयंसि भारद्दाइस्स सरीरं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता अज्जुणगस्स गोयमपुतस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता सत्तरस वासाइं छटुं पउट्टपरिहारं परिहरामि। तत्थ णं जे से सत्तमे पउट्टपरिहारे से णं इहेव सावत्थीए नगरीए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं अलं थिरं धवं धारणिज्जं सीयसहं उण्हसहं खुहासहं विविहदंसमसगपरीसहोवसग्गसहं थिरसंघयणं ति कटु तं अणप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता सोलस वासाइं इमं सत्तमं पउट्टपरिहारं परिहरामि । एवामेव आउसो कासवा ! एगेणं तेत्तीसेणं वाससएणं सत्त पउट्टपरिहारा परिहरिया भवंतीति मक्खाया, तं सुठ्ठ णं पाउसो कासवा ! ममं एवं वयासी -साहू णं आउसो कासवा! ममं एवं वयासी-गोसाले मंखलिपुत्ते मम
धम्मंतेवासी, गोसाले मंखलिपुत्ते ममं धम्मंतेवासी ॥ भगवया गोसालगवयणस्स पडियार-पदं १०२. तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-गोसाला ! से
जहानामए तेणए सिया, गामेल्लएहिं परब्भमाणे -परब्भमाणे कत्थ य गड्डं वा दरिं वा दुग्गं वा णिण्णं वा पव्वयं वा विसमं वा अणस्सादेमाणे एगेणं महं उण्णालोमेण वा सणलोमेण वा कप्पासपम्हेण वा तणसूएण वा अत्ताणं आवरेत्ताणं चिट्रेज्जा, से णं अणावरिए प्रावरियमिति अप्पाणं मण्णइ, अप्पच्छण्णे य पच्छण्णमिति अप्पाणं मण्णइ, अणिलुक्के णिलुक्कमिति अप्पाणं मण्णइ, अपलाए पलायमिति अप्पाणं मण्णइ, एवामेव तुम पि गोसाला ! अणण्णे संते अण्णमिति अप्पाणं उपलभसि, तं मा एवं गोसाला ! नारिहसि गोसाला ! सच्चेव ते सा
छाया नो अण्णा॥ गोसालस्स पुणरक्कोस-पदं १०३. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे आसु
रुत्ते रुटे कुविए चंडिविकए मिसिमिसेमाणे समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं
१. कडिययणंसि (स)। २. भारद्दाइयस्स (अ, ता, स)। ३. परिब्भमाणे (ता); पारब्भमारणे (म);
परज्झमाणे (स)।
४. णिणं (क, ता); पिल्लं (म)। ५. अणासा° (ता)। ६. ° पोम्हेण (क, ख); °पोंभेण (ता)।
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पन्नरसमं सतं
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आपोसणाहिं पाओसइ, उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसेति, उच्चावयाहिं 'निभंछणाहि निभंछेति", उच्चावयाहिं निच्छोडणाहिं निच्छोडेति, निच्छोडेत्ता एवं वयासी- नटे सि कदाइ, विणढे सि कदाइ, भट्ठे सि कदाइ, नट्ठ-विणट्ठ-भट्ठे
सि कदाइ, अज्ज न भवसि, नाहि ते ममाहितो सुहमत्थि ॥ गोसालेण सव्वाणुभूतिस्स भासरासीकरण-पदं १०४. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवग्रो महावीरस्स अंतेवासी पाईणजाण
वए सव्वाणुभूती नामं अणगारे पगइभद्दए "पगइउवसंते पगइपयणुकोहमाणमायालोभे मिउमद्दवसंपन्ने अल्लीणे. विणीए धम्मायरियाणुरागेणं एयमद्वं असद्दहमाणे उडाए उट्टेइ, उद्वेत्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसालं मंखलिपुत्ते एवं वयासी-जे वि ताव गोसाला ! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतियं एगमवि पारियं धम्मियं सुवयणं निसामेति, से वि ताव वंदति नमसति' •सक्कारेति सम्माणेति° कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासति, किमंग पुण तुमं गोसाला ! भगवया चेव पव्वाविए, भगवया चेव मुंडाविए, भगवया चेव सेहाविए, भगवया चेव सिक्खाविए, भगवया चेव बहुस्सुतीकए, भगवनो' चेव मिच्छं विप्पडिवन्ने ? तं मा एवं
गोसाला ! नारिहसि गोसाला ! सच्चेव ते सा छाया नो अण्णा ॥ १०५. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सव्वाणुभूतिणा अणगारेणं एवं वुत्ते समाणे आसु
रुत्ते रुढे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे सव्वाणुभूति अणगारं तवेणं तेएणं
एगाहच्चं कूडाहच्चं भास रासि करेति ॥ १०६. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सव्वाणुभूतिं अणगारं तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडा
हच्चं भासरासि करेत्ता दोच्चं पि समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहि आप्रोसणाहि आमोसइ', 'उच्चावयाहिं उद्धंसणाहि उद्धंसेति, उच्चावयाहिं निब्भंछणाहिं निब्भंछेति, उच्चावयाहिं निच्छोडणाहिं निच्छोडेंति, निच्छोडेत्ता एवं वयासी-न? सि कदाइ, विणटे सि कदाइ, भट्ठे सि कदाइ, नट्ठ-विणट्ठ-भट्ठे सि कदाइ, अज्ज न
भवसि, नाहि ते ममाहितो° सुहमत्थि ॥ गोसालेण सुनक्खत्तस्स परितावण-पदं १०७. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स अंतेवासी कोसलजाण
१. णिब्भच्छणाहिं गिब्भच्छेइ (ता)। २. सुहन त्थि (अ, स)। ३. पदीण° (क, म); पडीण ° (ता, ब)। ४. सं० पा०-पगइभद्दए जाव विरणीए।
५. यारियं (अ, ता, ब, म)। ६. सं० पा०-नमंसति जाव कल्लाणं । ७. भगवया (क, ख, ता, ब)। ८. सं० पा०-पाओसइ जाव सुहमत्थि ।
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ए सुनक्खत्ते नामं अणगारे पगइभद्दए जाव' विणीए धम्मायरियाणुरागेणं एमट्ठे असद्दहमाणे उठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेंव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी- जे वि ताव गोसाला ! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतियं एगमवि प्रारियं धम्मियं सुवयणं निसामेति, से वि ताव वंदति नम॑सति सक्कारेति सम्मार्णेति कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासति, किमंग पुण तुमं गोसाला ! भगवया चेव पव्वाविए, भगवया चेव मुंडाविए, भगवया चेव सेहाविए, भगवया चेव सिक्खाविए, भगया चेव बहुस्सुतीक, भगवग्रो चेव मिच्छं विप्पडिवन्ने ? तं मा एवं गोसाला ! नारिहसि गोसाला ! ° सच्चेव ते सा छाया नो ग्रण्णा ।।
१०८. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सुनक्खत्तेणं अणगारेणं एवं वृत्ते समाणे प्रासुरुते रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे सुनक्खत्तं अणगारं तवेणं तेएणं परितावेइ ॥
भगवई
१०६. तणं से सुनक्खत्ते अणगारे गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं परिताविए समाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता सयमेव पंच महत्वयाई आरुभेति, आरुभेत्ता समणा य समणीग्रो य खामेइ, खामेत्ता आलोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते आणुपुव्वी कालगए ||
गोसाले भगवओ वहाए तेयनिसिरण-पदं
११०. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सुनक्खत्तं प्रणगारं तवेणं तेएणं परितावेत्ता तच्चं पि समणं भगवं महावीरं उच्चावयाहिं ग्रासणाहिं आओसइ, उच्चावयाहिं उद्धसणाहि उद्धसेति, उच्चावयाहिं निव्भंछणाहिं निव्भंछेति, उच्चावयाहिं निच्छोडणाहि निच्छो डेति, निच्छोडेंत्ता एवं वयासी-नट्ठे सि कदाइ, विट्ठे सि कदाइ, भट्ठे सिकदाइ, नट्ट विणट्ट-भट्ठे सि कदाइ, अज्ज न भवसि नाहि ते माहिती सुमत्थि ॥
१११. तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी - जे वि ताव गोसाला! तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतियं एगमवि आरियं धम्मियं सुवणं निसामेति, से वि ताव वंदति नम॑सति सक्कारेति सम्माणेति कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं ॰पज्जुवासति, किमंग पुण गोसाला ! तुमं मए चेव पव्वाविए',
१. भ० १५ १०४ ।
२. सं० पा० - जहा सव्वाणुभूती तहेव जाव सच्चेव ।
३. सं० पा० - सव्वं तं चेव जाव सुहमत्थि । ४. सं० पा० - तं चैव जाव पज्जुवासति । ५. सं० पा० - पन्वाविए जाव मए ।
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पन्न रसम सतं
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'मए चेव मुंडाविए, मए चेव सेहाविए, मए चेव सिक्खाविए °, मए चेव बहुस्सुतीकए, ममं चेव मिच्छं विप्पडिवन्ने ? तं मा एवं गोसाला' ! 'नारिहसि
गोसाला ! सच्चेव ते सा छाया° नो अण्णा ।। ११२.
तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे प्रासुरुत्ते रुटे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे तेयासमुग्घाएणं समोहण्णइ, समोहणित्ता सत्तट्ठ पयाई पच्चोसक्कइ; पच्चोसक्कित्ता समणस्स भगवो महावीरस्स वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरति-से जहानामए वाउक्कलियाइ वा वायमंडलिया इ वा सेलसि' वा कुटुंसि वा थंभंसि वा थूभंसि वा आवारिज्जमाणी वा निवारिज्जमाणी वा सा णं तत्थ नो कमति नो पक्कमति एवामेव गोसालस्स वि मंखलिपुत्तस्स तवे तेए समणस्स भगवो महावीरस्स वहाए सरीरगंसि निसि? समाणे से णं तत्थ नो कमति नो पक्कमति अंचियंचि करेति, करेत्ता आयाहिण-पयाहिणं करेति, करेत्ता उड्ढं वेहासं उप्पइए, से णं तो पडिहए पडिनियत्तमाणे' तमेव गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं
अणुडहमाणे-अणुडहमाणे अंतो-अंतो अणुप्पवितु ॥ ११३. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सएणं तेएणं अण्णाइट्ठे समाणे समणं भगवं
महावीरं एवं वयासी-तुमं णं आउसो कासवा ! ममं तवेणं तेएणं अण्णाइटे समाणे अंतो छण्ह मासाणं पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छउमत्थे चेव
कालं करेस्ससि ॥ ११४. तए णं समणे भगवं महावीरे गोसालं मंखलिपुत्तं एवं वयासी-नो खलु अहं
गोसाला ! तव तवेणं तेएणं अण्णाइट्ठ समाणे अंतो छण्हं मासाणं पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छउमत्थे चेव ° कालं करेस्सामि, अहण्णं अण्णाई सोलस वासाइं जिणे सुहत्थी विहरिस्सामि। तुम णं गोसाला ! अप्पणा चेव सएणं तेएणं अण्णाइट्ठे समाणे अंतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए'
छउमत्थे चेव कालं करेस्ससि ।। सावत्थीए जणपवाद-पदं ११५. तए णं सावत्थीए नगरीए सिंघाडग-तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह ० .
पहेसु बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ जाव एवं परूवेइ-एवं खलु
१. सं० पा०-गोसाला जाव नो। २. वाओ (ता); वातु° (म)। ३. तृतीयार्थे सप्तमी (वृ)। ४. आवरि (अ, क, ख, ब, म, स)।
५. पडिणियत्तमारणे (स)। ६. सं० पा०-छण्हं जाव कालं। ७. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ८. सं० पा०-सिंघाडग जाव पहेसु ।
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भगवई
देवाणुप्पिया ! सावत्थीए नगरीए बहिया कोट्टए चेइए दुवे जिणा संलवंतिएगे वदंति तुमं पुब्बि कालं करेस्ससि, एगे वदंति तुमं पुव्वि कालं करेस्ससि । तत्थ णं के पुण सम्मावादी ? के मिच्छावादी ? तत्थ णं जे से अहप्पहाणे जणे से वदति-समणे भगवं महावीरे सम्मावादी,
गोसाले मंखलिपुत्ते मिच्छावादी ॥ गोसालेण समणाणं पसिणवागरण-पदं ११६. अज्जोति ! समणे भगवं महावीरे समणे निग्गंथे अामंतेत्ता एवं वयासी
अज्जो ! से जहानामए तणरासी इ वा कट्टरासी इ वा पत्तरासी इ वा तयारासी इ वा तुसरासी इ वा भुसरासी इ वा गोमयरासी इ वा अवकररासी इ वा अगणिझामिए अगणिझसिए अगणिपरिणामिए हयतेए गयतेए नट्ठतेए भट्टतेए लुत्ततेए विणट्टतेए जाए', एवामेव गोसाले मंखलिपुत्ते ममं वहाए सरीरगंसि तेयं निसिरित्ता हयतेए गयतेए 'नट्ठतेए भट्ठतेए लुत्ततेए° विणट्टतेए जाए, तं छंदेणं अज्जो ! तुब्भे गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएह, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेह, धम्मिएणं पडोयारेणं पडोयारेह, अटेहि य
हेऊहि य पसिणेहि य वागरणेहि य कारणेहि य निप्पट्ठपसिणवागरणं करेह ।। ११७. तए णं ते समणा निग्गंथा समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ता समाणा समणं
भगवं महावीरं वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं धम्मियाए पडिचोयणाए पडिचोएंति, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारेति, धम्मिएणं पडोयारेणं
पडोयारेति, अटेहि य हेऊहि य' 'कारणेहि य निप्पटुपसिण ° वागरणं करेंति ॥ ११८. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते समणेहि निग्गंथेहि धम्मियाए पडिचोयणाए
पडिचोइज्जमाणे', 'धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारिज्जमाणे, धम्मिएणं पडोयारेण य पडोयारेज्जमाणे, अद्वेहि य हेऊहि य पसिणेहि य वागरणेहि य कारणेहि य° निप्पट्ठपसिणवागरणे कीरमाणे आसुरुत्ते' 'रुटे कुविए चंडिक्किए° मिसिमिसेमाणे नो संचाएति समणाणं निग्गंथाणं सरीरगस्स किंचि आबाहं वा वाबाहं वा उप्पाएत्तए, छविच्छेदं वा करेत्तए ।
१. सम्मावाती (अ, क, ख, ब, स)। २. ज्झामिए (ता, म)। ३. जाव (अ, म, स)। ४. सं० पा०--गयतेए जाव विणट्ठतेए । ५. सं० पा०–हेऊहि य जाव वागरणं ।
६. वाकररणं (अ)। ७. वाकरेंति (अ); वा वागरेंति (ता)। ८. सं० पा०-पडिचोइज्जमाणे जाव निप्पट ६. सं० पा०-आसुरुत्ते जाव मिसि ।
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पन्नरसमं सतं
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गोसालस्स संघभेद-पदं ११६. तए णं ते आजीविया थेरा गोसालं मंखलिपुत्तं समणेहिं निग्गंथेहिं धम्मियाए
पडिचोयणाए पडिचोएज्जमाणं, धम्मियाए पडिसारणाए पडिसारिज्जमाणं, धम्मिएणं पडोयारेण य पडोयारेज्जमाणं, अद्वेहि य हेऊहि य' •पसिणेहि य वागरणेहि य कारणेहि य निप्पट्ठपसिणवागरणं' कीरमाणं, प्रासुरुत्तं' •रुटुं कुवियं चंडिककियं ° मिसिमिसेमाणं समणाणं निग्गंथाणं सरीरगस्स किंचि आबाहं वा वाबाहं वा छविच्छेदं वा अकरेमाणं पासंति, पासित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अंतियाप्रो आयाए अवक्कमंति, अवक्कमित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेंति, करेत्ता वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता समणं भगवं महावीरं उवसंपज्जित्ताणं विहरति । अत्थेगतिया प्राजीविया थेरा
गोसालं चेव मंखलिपुत्तं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति ।। गोसालस्स पडिगमण-पदं १२०. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते जस्सट्ठाए हव्वमागए तमढे असाहेमाणे', रुंदाई
पलोएमाणे, दीहुण्हाइं नीससमाणे, दाढियाए लोमाइं लुचमाणे, अवडु कंड्यमाणे, पुलि पप्फोडेमाणे, हत्थे विणिद्धणमाणे, दोहि वि पाएहिं भूमि कोट्टेमाणे हा हा अहो ! होहमस्सि त्ति कटु समणस्स भगवो महावीरस्स अंतियानो कोट्टयानो चेइयाप्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव सावत्थी नगरी, जेणेव हालाहलाए कभकारीए कुंभकारावणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता हालाहलाए कभकारीए कंभकारावणंसि अंबकणगहत्थगए, मज्जपाणगं पियमाणे, अभिक्खणं गायमाणे, अभिक्खणं नच्चमाणे, अभिक्खणं हालाहलाए कंभकारीए अंजलिकम्मं करेमाणे, सीयलएणं मट्टियापाणएणं पायंचिण-उदएणं
गायाइं परिसिंचमाणे विहरइ ।। गोसालेणं नाणासिद्धत-परूवण-पदं १२१. अज्जोति ! समणे भगवं महावोरे समणे निग्गंथे आमंतेत्ता एवं वयासी
जावतिए णं अज्जो ! गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं ममं वहाए सरीरगंसि तेये निसट्टे से णं अलाहि पज्जत्ते सोलसण्हं जणवयाणं, तं जहा-१. अंगाणं २. वंगाणं ३. मगहाणं ४. मलयाणं ५. मालवगाणं ६. अच्छाणं ७. वच्छाणं ८. कोच्छाणं
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१. सं० पा०-हेऊहि य जाव कीरमाणं । २. सं० पाo-आसुरुत्तं जाव मिसि । ३. आसाहेमारणे (ख)।
४. अवटठे (अ, स); अवड्यं (ता)। ५. परिसिंचमाणे २ (ता)। ६. मालवंगाणं (ख); मालवंताणं (ता)।
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१२२.
भगवई
६. पाढाणं १०. लाढणं ११. वज्जीणं १२. मोलीणं' १३. कासीणं १४. कोसलाणं १५. अवाहाणं १६. सुंभुत्तराणं घाताए वहाए उच्छादणयाए भासी
करणयाए ।
o
जं पिय ग्रज्जो ! गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुंभकारोए कुंभकारावणंसि अंबकूणगहत्थगए, मज्जपाणं पियमाणे, ग्रभिक्खणं गायमाणे, अभिक्खणं नच्चमाणे, भिक्खणं' हालाहलाए कुंभकारीए अंजलिकम्मं करेमाणे विहरइ, तस्स वि य णं वज्जस्स पच्छादणट्टयाए इमाई टु चरिमाई पण्णवेइ, तं जहा -- १. चरिमे पाणे २. चरिमे गेये ३. चरिमे नट्टे ४. चरिमे अंजलिकम्मे ५. चरिमे पोवखलसंवट्टए महामेहे ६ चरिमे सेयणए गंधहत्थो ७. चरिमे महासिलाकंटए संगामे ८. ग्रहं च णं इमीसे श्रसप्पिणिसमाए' चउवीसाए तित्थगराण चरिमेतित्थगरे सिज्भिस्सं जाव' अंत करेस्सं ।
से किं तं पाए ?
पाणए चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा - १. गोपुट्ठए २. हत्थमद्दियए ३. प्रतवतत्तए ४. सिलाप भट्टए । सेत्तं पाणए ।
१२३. से किं तं पाणए ?
जं पि य अज्जो ! गोसाले मंखलिपुत्ते सीयलएणं मट्टियापाणएणं श्रयंचिण-' उदणं गायाइं परिसिंचमाणे विहरइ, तस्स विणं वज्जस्स पच्छादणट्टयाए इमाई चत्तारि पाणगावं चत्तारि अपाणगाई पण्णवेति ॥
पाणए चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा - १. थालपाणए २. तयापाणए ३. सिंबल - पाणए ४. सुद्धपाणए ॥
१२४. से किं तं थालपाणए ?
थालपाणएजे णं दाथालगं वा दावारगं वा दाकुंभगं वा दाकलसं वा सीतलगं उल्लगं हत्थेहिं परामुसइ, न य पाणियं पियइ । सेत्तं थालपाणए ।
१२५ से किं तं तयापाणए ?
तयापाणए - जेणं अंब वा अंबाडगं वा जहा पत्रगपदे जाव" बोरं " वा तेंबरुयं "
१. मालीणं ( अ, ख, ता, ब, म) 1
२. सुभुत्तराणं ( अ, क, म); सुभत्तराणं ( ख ) :
७. आदवणि ( अ, क, ख, ब, म) ।
८. संवलि ( ख ) ;
एलि (म) ।
६. अलग्ग ( ख ) ।
संभुत्तराणं (ता, ब); सुभत्तराणं ( स ) । ३. सं० पा० - अभिक्खणं जाव अंजलिकम्मं । ४. ओसप्पिणीए ( स ) ।
१०. ० १६ ।
५. तित्थकराणं (अ, क, ब, म स ); तित्थंक- ११. पोरु (श्र); पोरं (क, ता, म); चोरं ( ब ) । १२. तंबख्यं (अ, म); तंबुरुयं (ता); तेबुंरुयं
(ख) |
६. भ० १।४४ ।
(ब) ; तिंदुरुयं ( स ) ।
सेवलि ० ( ब ) ; संव
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पन्नरसमं सतं
६८७
वा तरुणगं प्रामगं ग्रासगंसि प्रावीलेति वा पवीलेति वा, न य पाणियं पियइ।
सेत्तं तयापाणए । १२६. से कि तं सिबलिपाणए ?
सिंबलिपाणए-जेणं कलसंगलियं वा मूग्गसंगलियं वा माससंगलियं वा सिंबलिसंगलियं वा तरुणियं आमियं पासगंसि आवीलेति वा पवीलेति वा, न य
पाणियं पियति । सेत्तं सिबलिपाणए ।। १२७. से किं तं सुद्धपाणए ? |
सुद्धपाणए-जे णं छम्मासे सुद्धखाइमं खाइ, दो मासे पुढविसंथारोवगए, दो मासे कट्ठसंथारोवगए, दो मासे दब्भसंथारोवगए, तस्स णं बहुपडिपुण्णाणं छण्हं मासाणं अंतिमराईए इमे दो देवा महिड्ढिया जाव' महेसक्खा अंतियं पाउन्भवंति, तं जहा-पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य। तए णं ते देवा सीयलएहिं उल्लएहिं हत्थेहिं गायाई परामुसंति, जे णं ते देवे साइज्जति, से णं आसीविसत्ताए कम्म पकरेति, जे णं ते देवे नो साइज्जति तस्स णं संसि सरीरगंसि अगणिकाए संभवति, से णं सएणं तेएणं सरीरगं झामेति, झामेत्ता तो पच्छा सिझति
जाव अंतं करेति । सेत्तं सुद्धपाणए । अयंपुल-माजीवियोवासय-पदं १२८. तत्थ णं सावत्थीए नयरोए अयंपुले नामं आजीवियोवासए परिवसइअड्ढे,
जहा हालाहला जाव' आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ। तए णं तस्स अयंपुलस्स आजीवियोवासगस्स अण्णया कदायि पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कूड़बजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए
संकप्पे ° समुप्पज्जित्था-किसंठिया णं हल्ला पण्णत्ता ? १२६. तए णं तस्स अयंपुलस्स प्राजोवियोवासगस्स दोच्चं पि अयमेयारूवे
अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे ° समुप्पज्जित्था--एवं खलु मम धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मंखलिपुत्ते उप्पन्ननाणदंसणधरे जिणे अरहा केवली° सव्वण्णू सव्वदरिसी इहेव सावत्थीए नगरीए हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि आजीवियसंघसंपरिवुडे आजीवियसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं सेयं खलु मे कल्लं पाउप्पभाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि
१. आमलगं (ता)। २. ० सिंगलियं (क, ता)। ३. भ० ११३३६ । ४. तंसि (अ, म, स)। ५. भ० १०१।
६. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था। ७ सं० पा०-अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था। ८. सं० पा०-उप्पन्ननारगदसणधरे जाव ६. भ० २१६६ ।
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६८८
भगवई
सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलंते गोसालं मंखलिपुत्तं वंदित्ता जाव' पज्जुवासित्ता इमं एयारूबं वागरणं वागरित्तए त्ति कटु एवं संपेहेति, संपेहेत्ता कल्लं पाउप्पभाए रयणीए जाव उट्ठियम्मि सूरे सहस्सरस्सिम्मि दिणयरे तेयसा जलते ण्हाए कयब लिकम्मे जाव' अप्पमहग्धाभरणालंकियसरीरे साम्रो गिहारो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेणं सावत्थि नगरि मज्झमझेणं' जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता गोसालं मंखलिपुत्तं हालाहलाए कभकारीए कभकारावणंसि अंबकूणगहत्थगयं' 'मज्जपाणगं पीयमाणं. अभिक्खणं गायमाणं, अभिक्खणं नच्चमाणं, अभिक्खणं हालाहलाए कुंभकारीए° अंजलिकम्मं करेमाणं सीयलएणं मट्टिया पाणएणं आयंचिण-उदएणं ° गायाइं परिसिंचमाणं पासइ, पासित्ता लज्जिए विलिए
विड्डे सणियं-सणियं पच्चोसक्कइ ।। १३०. तए णं ते आजीविया थेरा अयंपुलं आजीवियोवासगं लज्जियं जाव पच्चोसक्क
माणं पासइ, पासित्ता एवं वयासी-एहि ताव अयंपुला ! इतो ॥ १३१. तए णं से अयंपुले आजीवियोवासए आजीवियथेरेहिं एवं वुत्ते समाणे जेणेव
आजीविया थेरा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आजीविए थेरे वंदइ नमसइ,
वंदित्ता नमंसित्ता नच्चासन्ने जाव' पज्जुवासइ । १३२.
अयंपुलाति ! आजीविया थेरा अयंपुलं आजीवियोवासगं एवं वयासी-से नणं ते अयंपुला! पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि 'कुडुबजागरियं जागरमाणस्स अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था - किंसंठिया णं हल्ला पण्णत्ता? तए णं तव अयंपुला ! दोच्चं पि अयमेयारूवे तं चेव सव्वं भाणयव्वं जाव' सावत्थि नगरि मझमझेणं जेणेव हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणे, जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए । से नूणं ते अयंपुला ! अट्ठ समढे ? हंता अस्थि । जंपि य अयंपुला! तब धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मंखलिपुत्ते हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणंसि अंबकूणगहत्थगए जाव अंजलि करेमाणे
१. भ. २।३१। २. भ०२।१७। ३. मझेणं मझेणं (क, ता, ब) सर्वत्र । ४. सं० पा०-ग्रंबकूणगहत्थगयं जाव अंजलि-
कम्म। ५. सं० पा-मट्टिया जाव गायाई ।
६. भ० १५३१२६ । ७. भ० १।१०। ८. सं० पा०-पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव
सिंठिया। ६. भ०१५।१२६ ।
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पन्नरसमं सतं
६८६
विरइ, तत्थ विणं भगवं इमाई अटु चरिमाई पण्णवेति, तं जहा चरिमे पाणे जाव' अंतं करेस्सति ।
जं पिययंपुला ! तव धम्मायरिए धम्मोव देसए गोसाले मंखलिपुत्ते सीयलएणं मट्टिया पाणणं श्राचिण उदएणं गायाई परिसिंचमाणे विहरइ, तत्थ वि णं भगवं इमाई चत्तारि पाणगाई, चत्तारि अपाणगाई पण्णवेति ।
से किं तं पाणए ? पाणए जाव' तओ पच्छा सिज्झति जाव अंतं करेति ।
तं गच्छ गं तुमं अयंपुला ! एस चेव तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए गोसाले मंखलिपुत्ते इमं एयाख्वं वागरणं वागरेहिति ॥
१३३. तए णं से अयंपुले ग्राजीविप्रोवासए ग्राजीविएहि थेरेहिं एवं वृत्ते समाणे तुट्ठे उट्ठाए उट्ठेइ, उट्ठेत्ता जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव पहारेत्थ गमणाए ॥ १३४. तए णं ते ग्राजीविया थेरा गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स अंबकूणग - एडावणट्टयाए
एगंतमंते संगारं कुव्वंति ||
१३५. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते ग्राजीवियाणं थेराणं संगारं पडिच्छइ, पडिच्छित्ता कूण एगंतमंते एडेइ ॥
0
१३६. तए णं से अपुले प्राजीवियोवासए जेणेव गोसाले मंखलिपुत्ते तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छत्ता गोसाल मंखलिपुत्तं तिक्खुत्तो जाव' पज्जुवासति ।।
१३७. अयंपुलादि ! गोसाले मंखलिपुत्ते प्रयंपुलं आजीवियोवासगं एवं वयासी - से नूणं प्रयंपुला ! पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव' जेणेव ममं अंतियं तेणेव हव्वमागए | सेनूणं प्रयंपुला ! अट्ठे समट्ठे ?
हंता श्रत्थि ।
तं नो खलु एस अंबकूणए, अंबचोयए णं एसे । किंसंठिया हल्ला पण्णत्ता ? वसीमूलसंठिया हल्ला पण्णत्ता । वीणं वाएहि रे वीरगा ! वीणं वाएहि रे वीरगा !
१३८. तए णं से अयंपुले ग्राजीवियोवासए गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं इमं एयारूवं वागरणं वागरिए समाणे हट्टतुटु चित्तमाणंदिए दिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए गोसालं मंखलिपुत्तं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता परिणाई पुच्छर, पुच्छित्ता अट्ठाई परियादियइ, परियादिइत्ता उट्ठाए
१. भ० १५।१२१ ।
२. सं० पा०- -मट्टिया जाव विहरइ ।
३. भ० १५।१२२-१२७ ।
४. अंबखुणग ( अ, क ) ; अंबाग (ता, ब ) ।
५. भ० १।१० ।
६. भ० १५१२८- १३३ ।
७.
चोवए (ता) |
८. सं० पा०-हट्टतुट्ठ जाव हियए ।
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६६०
भगवई उद्वेइ, उद्वेत्ता गोसालं मंखलिपुत्तं वंदइ नमसइ', 'वंदित्ता नमंसित्ता जामेव
दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं° पडिगए। गोसालस्स अप्पणो नीहरण-निद्देस-पदं १३६. तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते अप्पणो मरणं आभोएइ, अाभोएत्ता आजीविए
थेरे सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! ममं कालगयं जाणित्ता सुरभिणा गंधोदएणं ण्हाणेह', हाणेत्ता पम्हलसुकुमालाए गंधकासाईए गायाइं लू हेह, लूहेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाइं अणुलिपह, अणुलिपित्ता महरिहं हंसलक्खणं पडसाडगं नियंसेह, नियंसेत्ता सव्वालंकारविभूसियं करेह, करेत्ता पुरिससहस्सवाहिणि सीयं दुरुहेह', दुरुहेत्ता सावत्थीए नयरीए सिंघाडगतिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह°-पहेसु महया-महया सद्देणं उग्घोसेमाणाउग्घोसेमाणा एवं वदह-एवं खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी', 'अरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्ण सव्वण्णुप्पलावी, जिणे ० जिणसई पगासेमाणे विहरित्ता इमीसे प्रोसप्पिणीए चउवीसाए तित्थगराणं चरिमे तित्थगरे, सिद्धे जाव' सव्वदुक्खप्पहीणे--
इढिसक्कारसमुदएणं मम सरी रगस्स नीहरणं करेह ॥ १४०. तए णं ते आजीविया थेरा गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स एयम, विणएणं
पडिसुणेति ॥ गोसालस्स परिणाम-परिवत्तणपुव्वं कालधम्म-पदं १४१. तए णं तस्स गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सत्तरत्तंसि परिणममाणंसि पडिलद्ध
सम्मत्तस्स अयमेयारूवे अज्झथिए 'चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था—नो खलु अहं जिणे जिणप्पलावी', 'अरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिणे जिणसई पगासेमाणे विहरिते अहण्णं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणघायए समणमारए समणपडिणीए पायरिय-उवज्झायाणं अयसकारए अवण्णकारए अकित्तिकारए बहूहि असब्भावुब्भावणाहिं मिच्छत्ताभिनिवेसेहिं य अप्पाणं वा परं वा तदुभयं वा
१. सं० पा०-नमंसइ जाव पडिगए। २. 'पहावेह' इति रूपं समीचीनं प्रतिभाति,
किन्तु 'हावेइ, पहाणेइ' इति रूपद्वयमपि
लभ्यते। ३. द्रुहेह (अ, क, ख, ता)। ४. सं० पा०—सिंघाडग जाव पहेसु ।
५. घोसेमारणा (अ, ख, ब); ६. सं० पा०-जिरणप्पलावी जाव जिणसह । ७. भ. ११४:३। ८. सं० पा०-अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था। ६. सं० पा०-जिणप्पलावी जाव जिरणसइं । १०. विहरइ (क, ता, स)।
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पन्नरसमं सतं
६६१ वुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहरित्ता सएणं तेएणं अण्णाइटे समाणे अंतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए छउमत्थे चेव कालं करेस्सं । समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी', 'अरहा अरहप्पलावी, केवली केवलिप्पलावी, सव्वण्णू सव्वण्णुप्पलावी, जिणे ° जिणसई पगासेमाणे विहरइ -एवं संपेहेति, संपेहेत्ता आजीविए थेरे सहावेइ, सहावेत्ता उच्चावय-सवह-सावियए पकरेति, पकरेत्ता एवं वयासी -नो खलु अहं जिणे जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे विहरिए । अहण्णं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणघायए' 'समणमारए समणपडिणीए पायरिय-उवज्झायाणं अयसकारए अवण्णकारए अकित्तिकारए बहुहि असब्भावुब्भावणाहि मिच्छत्ताभिनिवेसेहि य अप्पाणं वा परंवा तदुभयं वा वुग्गाहेमाणे वुप्पाएमाणे विहरित्ता सएणं तेएणं अण्णाइट्ठ समाणे अंतो सत्तरत्तस्स पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतीए ° छउमत्थे चेव कालं करेस्सं । समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव जिणसई पगासेमाणे विहरइ, तं तुब्भं णं देवाणुप्पिया! ममं कालगयं जाणित्ता वामे पाए सुंबेणं बंधेह', बंधत्ता तिक्खुत्तो मुहे उट्ठभेह', उट्ठभेत्ता सावत्थीए नगरीए सिंघाडग'- तिग-चउक्कचच्चर-चउम्मुह-महापह°-पहेसु प्राकट्ट-विकट्टि करेमाणा महया-महगा सद्देणं उग्घोसेमाणा-उग्घोसेमाणा एवं वदह–नो खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरिए । एस णं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए । समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव विहरइ। महया अणिड्ढी-असक्कारसमुदएणं ममं सरीरगस्स
नीहरणं करेज्जाह- एवं वदित्ता कालगए। गोसालस्त नीहरण-पदं १४२. तए णं आजीविया थेरा गोसालं मंखलिपुत्तं कालगयं जाणित्ता हालाहलाए
कंभकारीए कुंभकारावणस्स दुवाराई पिहेंति, पिहेत्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स बहुमज्झदेसभाए सावत्थि नगरिं आलिहंति, आलिहित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं वामे पदे सुंबेणं बंधंति, बंधित्ता तिक्खुत्तो महे उठभंति, उठ्ठभित्ता सावत्थीए नगरीए सिंघाडग - तिग-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह ° -पहेसु प्राकट्ट-विकट्टि करेमाणा णीयं-णीयं सद्देणं उग्घोसेमाणा
१. सं० पा० --जिणप्पलावी जाव जिणसदं । २. उच्चाविय (अ, म)। ३. सं० पा०-समणघायए जाव छ उमत्थे। ४. बंधहा (अ, ब); बंधह (ख, म, स); बंधेहा
(ता)।
५. उट्ठभह (अ, ख, ब, स); उहुभंस्स (ता);
उच्छुभह (वृपा) ६. सं० पा०-सिंघाडग जाव पहेसु । ७. सं० पा०---सिंघाडग जाव पहेसु ।
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भगवई
उग्घोसेमाणा एवं वयासी–नो खलु देवाणुप्पिया ! गोसाले मंखलिपुत्ते जिणे जिणप्पलावी जाव विहरिए । एस णं गोसाले चेव मंखलिपुत्ते समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए। समणे भगवं महावीरे जिणे जिणप्पलावी जाव' विहरइ--सवह-पडिमोक्खणगं करेंति, करेत्ता दोच्चं पि पूया-सक्कार-थिरीकरणट्ठयाए गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स वामाओ पादानो सुंबं मुयंति, मुइत्ता हालाहलाए कुंभकारीए कुंभकारावणस्स 'दुवार-वयणाई अवंगुणंति', अवंगुणित्ता गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगं सुरभिणा गंधोदएणं ण्हाणेति, तं चेव जाव' महया इड्ढिसक्कारसमुदएणं गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स सरीरगस्स नोहरणं
करेंति ॥ भगवयो रोगायंक-पाउभवण-पदं १४३. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कदायि सावत्थीयो नगरीमो कोट्टयानो
चेइयाग्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ॥ १४४. तेणं कालेणं तेणं समएणं मेंढियगामे' नाम नगरे होत्था--वण्णो । तस्स णं
में ढियगामस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभाए, एत्थ णं साणकोट्ठए" नाम चेइए होत्था-वण्णो जाव पुढविसिलापट्टयो । तस्स णं साणकोट्ठगस्स चेइयस्स अदूरसामंते, एत्थ णं महेगे मालुयाकच्छए यावि होत्था-किण्हें किण्होभासे जाव' महामेहनिकूरबभूए पत्तिए पूप्फिए फलिए हरियगरेरिज्जमाण सिरीए अतीव-अतीव उवसोभेमाणे चिति । तत्थ णं में ढियगामे नगरे रेवती
नाम गाहावइणी परिवसति-अड्ढा जाव बहजणस्स अपरिभूया ॥ १४५. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदायि पुव्वाणुपुद्वि चरमाणे" "गामाणु
गामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव मेंढियगामे नगरे जेणेव साणकोट्टए
चेंइए तेणेव उवागच्छइ जाव परिसा पडिगया । १४६. तए णं समणस्स भगवो महावीरस्स सरीरगंसि विपुले रोगायंके पाउन्भूए
उज्जले विउले पगाढे कक्कसे कडुए चंडे दुक्खे दुग्गे" तिव्वे ° दुरहियासे, पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतिए" यावि विहरति, अवि याइं लोहिय-वच्चाई
१. भ० १५।१४१ । २. दाराई (ता)। ३. अवंगुवंति (ता)। ४. भ० १५।१३६ । ५. मेढिय ° (क); मिढिय ° (ब)। ६. ओ० सू० १। ७. साल° (अ, क, ब, म, स)। ८. ओ० सू० २-१३ ।
६. ओ० सू० ४। १०. भ० ३।९४ । ११. सं० पा०-चरमाणे जाव जेणेव । १२. भ० १७, ८। १३. सं० पाo.--उज्जले जाव दुरहियासे । १४. X (वृ); दुग्गे (वृपा)। १५. दाहवक्कंतीए (अ, ख, ता, म, स)।
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पन्न रसमं सतं
६६३ पि पकरेइ, चाउवण्ण' च णं वागरेति-एवं खलु समणे भगवं महावीरे गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं अण्णाइट्ठ समाणे अंतो छण्हं मासाणं
पित्तज्जरपरिगयसरोरे दाहवक्कंतिए छउमत्थे चंव कालं करेस्सति ।। सीहस्स माणसियदुक्ख-पदं १४७. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतेवासी सीहें नाम
अणगारे -पगइभद्दए जाव' विणीए मालुयाकच्छगस्स अदूरसामंते छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे
पायावणभूमीए पायावेमाणे ° विहरति ।। १४८. तए णं तस्स सीहस्स अणगारस्स झाणंतरियाए वद्रमाणस्स अयमेयारूवे अज्झ.
थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था-एवं खलु ममं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवो महावीरस्स सरीरगंसि विउले रोगायंके पाउब्भूए-उज्जले जाव' छउमत्थे चेव कालं करेस्सति, वदिस्संति य णं अण्णतित्थिया-छउमत्थे चेव कालगए-इमेणं एयारूदेणं महया मणोमाणसिएणं दुक्लेणं अभिभूए समाणे आयावणभूमीअो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मालुयाकच्छगं अंतो-अंतो
अणुपविसइ, अणुपविसित्ता महया-महया सद्देणं कुहुकुहुस्स परुण्णे ।। भगवया सोहस्स प्रासासण-पदं १४६. अज्जोति ! समणे भगवं महावीरे समणे निग्गंथे आमंतेति, पामतेत्ता एवं
वयासी-एवं खलु अज्जो ! ममं अंतेवासी सीहे नाम अणगारे पगइभद्दए ""जाव विणीए मालुयाकच्छगस्स अदूरसामंते छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे पायावणभूमीए अायावेमाणे विहरति । तए णं तस्स सीहस्स अणगारस्स झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अयमेयारूवे अझथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था--एवं खलु ममं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवनो महावीरस्स सरीरगंसि विउले रोगायंके पाउन्भूए-उज्जले जाव छउमत्थे चेव कालं करेस्सति, वदिस्संति य णं अण्णतित्थिया-छउमत्थे चेव कालगए-इमेणं एयारूवेणं महया मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे पायावणभूमीग्रो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता जेणेव
१. चाउव्वण्णं (ब)। २. आदिढे (क, ता)। ३. भ० ११२८८ । ४. सं० पा०-बाहाओ जाव विहरइ ।
५. सं० पा०-अज्झत्यिए जाव समुप्पज्जित्था ६. भ०१५।१४६ । ७. सं० पा०-तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव
परुण्णे।
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भगवई
मालुयाकछए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मालुयाकच्छगं अंतो-तो अणुपविसित्ता महया - महया सद्देणं कुहुकुहुस्स परुण्णे । तं गच्छहणं ग्रज्जो ! भे सीहं अणगारं सद्दाह' ||
पविस
१५०. तए णं ते समणा निग्गंथा समणेण भगवया महावीरेणं एवं वृत्ता समाणा समणं भगवं महावीरं वंदति नमसंति, वंदित्ता नमसित्ता समणस्स भगवप्रो महावीरस्स अंतिया साणकोट्टगा चेइयाश्रो पडिनिक्खमंति, पडिनिक्खमित्ता जेणेव मालुयाकच्छए, जेणेव सीहे अणगारे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता सीहं अणगारं एवं वयासी सीहा ! धम्मायरिया सहावेंति || १५१. तए णं से सीहे अणगारे समणेहिं निग्गंथेहिं सद्धि मालुयाकच्छगाओ पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव साणकोट्ठए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो प्रायाहिणपयाहिणं जाव पज्जुवासति ॥
६६४
१५२. सीहादि ! समणे भगवं महावीरे सीहं अणगारं एवं वयासी - से नूणं ते सीहा ! झाणंतरियाए वट्टमाणस्स प्रयमेयारूवे ग्रज्झत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए कप्पे समुपज्जत्था - एवं खलु ममं धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स समणस्स भगवो महावीरस्स सरीरगंसि विउले रोगायंके पाउब्भूए- उज्जले जाव छउमत्थे चेव कालं करेस्सति, वदिस्संति य णं अण्णतित्थिया छउमत्थे चेव कालगए—–इमेणं एयारूवेणं महया मणोमाणसिएणं दुक्खेणं अभिभूए समाणे यायावणभूमीग्रो पच्चोरुभित्ता, जेणेव मालुयाकच्छए तेणेव उवागच्छित्ता मालुयाकच्छगं तो-तो प्रणुपविसित्ता मह्या मया सद्देणं कुहुकुहुस्स परुणे । से नूणं ते सीहा ! अट्ठे समट्ठे ? हंता श्रत्थि ।
तं नो खलु अहं सीहा ! गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स तवेणं तेएणं ग्रण्णाइट्टे समाणे अंतो छण्हं मासाणं पित्तज्जरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतिए छउमत्थे चेव कालं करेस्सं ग्रहणं श्रद्ध सोलस वासाइं जिणे सुहत्थी विहरिस्सामि तं गच्छहणं तुमं सीहा ! मेंढियगामं नगरं, रेवतीए गाहावतिणीए गिहं, तत्थ णं रेवतीए गाहावतिणीए ममं अट्ठाए दुवे 'कवोय - सरीरा " उवक्खडिया, तेहिं नो अट्टो, प्रत्थि से ग्र पारियासिए मज्जारकडए कुक्कुडमंसए, तमाहराहि, एएणं अट्ठो ॥
१. सद्दह ( अ, क, ता ) ।
२. भ० १।१० । ३. सं० पा०
प्रयमेयारूवे जाव परुष्णे ।
४. सं० पा० - मासाणं जाव कालं ।
५. कवोतासरीरा (क, ब); कतोयासरीरगा (ता) ।
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पन्नरसमं सतं
सीण रेवईए सज्जाणयण-पदं
१५३. तए णं से सोहे अणगारे समणेण भगवया महावीरेणं एवं वृत्ते समाणे हट्टतुट्ठ - • चित्तमादिए दिए पीइमाणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण हियए समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता प्रतुरियमचवलमसंभंत' मुहपोत्तियं पडिलेहेति, पडिलेहेत्ता भायणवत्थाई पडिलेहेति, पडिनेहेत्ता भायणाई पमज्जइ, पमज्जिता भायणाई उग्गाहेइ, उग्गाहेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता समणस्स भगवग्रो महावीरस्स अंतियाओ साणकोटगाओ या पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता प्रतुरिय मचवलमसंभंतं जुगंतरपलोयणाए दिट्ठीए पुरोरियं सोहेमाणे- सोहेमाणे जेणेव मेंढियगामे नगरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मेंढियगामं नगरं मज्भंमज्भेण जेणेव रेवतीए गाहावइणीए गिहे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता रेवतीए गाहावतिएहिं
विट्ठे ॥ १५४. तए णं सा रेवती गाहावतिणी सीहं अणगारं एज्जमाणं पासति, पासित्ता हट्ट - तुट्टा खिप्पामेव आसणाश्रो प्रभुट्ठे, अभुट्टेत्ता सीहं अणगारं सत्तट्ट पयाइं श्रणुगच्छइ, अणुगच्छित्ता तिक्खुत्तो याहिण-पयाहिणं करेति, करेत्ता वंदति नमसति, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी - संदिसंतु णं देवाणुप्पिया ! किमागमणपयोयणं ?
६६५
१५५. तए णं से सीहे अणगारे रेवति गाहावइणि एवं वयासी - एवं खलु तुमे देवाणुपिए ! समणस्स भगवम्रो महावीरस्स अट्ठाए दुवे कवोय-सरीरा उवक्खडिया, तेहिं नो अट्टो, प्रत्थि ते ग्रपणे पारियासिए मज्जारकडए कुक्कुडमंसए एयमाहराहणं ॥
१५६. तए णं सा रेवती गाहावइणी सीहं अणगारं एवं वयासी – केस णं सीहा ! से नाणी वा तवस्सी वा, जेणं तव एस अट्ठे मम ताव रहस्सकडे हव्वमक्खाए, जो गं तुमं जाणासि ?
१५७. "तए णं से सीहे अणगारे रेवई गाहावइणि एवं वयासी - एवं खलु रेवई ! ममं धम्मारिए धम्मोवदेसए समणे भगवं महावीरे उप्पण्णनाणदंसणधरे रहा
१. सं० पा० - हट्टतुटु जाव हियए । २. भ० २।१०७ सूत्रे प्रदर्शेषु अतुरियमचवलमसंभंते' इति पाठोस्ति । अत्र च प्रदर्शेषु 'अतुरियमचवलमसंभंत' इति पाठोस्ति । उभयमपि रूपं नास्ति अशुद्धमिति यथा
प्राप्तमुपात्तम् । ३. ० पत्तियं ( स ) ।
४. सं० पा० - जहा गोयमसामी जाव जेणेव । ५. सं० पा० अतुरिय जाव जेणेव । ६. सं० पा०
एवं जहा खंदए जाव जत्रो ।
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भगवई
जिणे केवली तीयपच्चुप्पन्नमणागयवियाणए सव्वण्णू सव्वदरिसी जेणं मम एस
अटे तव ताव रहस्सकडे हव्वमक्खाए°, जो णं अहं जाणामि । १५८. तए णं सा रेवती गाहावतिणी सीहस्स अणगारस्स अंतियं एयमढे सोच्चा
निसम्म हद तूट्रा जेणेव भत्तघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पत्तगं' मोएति, मोएत्ता जेणेव सीहे अणगारे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता सीहस्स अणगारस्स
पडिग्गहगंसि तं सव्वं सम्म निस्सिरति ।। १५६. तए णं तीए रेवतीए गाहावतिणीए तेणं दव्वसुद्धणं' दायगसुद्धेणं पडिगाहग
सुद्धेणं तिविहेणं तिकरणसुद्धेणं' दाणेणं सीहे अणगारे पडिलाभिए समाणे देवाउए निबद्धे, ''संसारे परित्तीकए, गिहंसि य से इमाइं पंच दिव्वाइं पाउन्भूयाइं, तं जहा-- वसुधारा वुढा, दसद्धवण्णे कुसुमे निवातिए, चेलुक्खेवे कए, पाहयानो देवदंदुभीग्रो, अंतरा वि य णं अागासे अहो दाणे, अहो दाणे त्ति
घुढे ॥ १६०. तए णं रायगिहे नगरे सिंघाडग-तिग-च उक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापह-पहेसु
बहुजणो अण्णमण्णस्स एवमाइक्खइ एवं भासइ एवं पण्णवेइ एवं परूवेइधन्ना णं देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी, कयत्था णं देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी, कयपुण्णा णं देवाणु प्पिया ! रेवई गाहावइणी, कयलक्खणा णं देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी, कया णं लोया देवाणु प्पिया ! रेवतीए गाहावतिणीए, सूलद्धे णं देवाणप्पिया ! माणस्सए जम्मजीवियफले रेवतीए गाहावतिणीए, जस्स णं गिहंसि तहारूवे साधू साधुरूवे पडिलाभिए समाणे इमाइं पंच दिव्वाइं पाउन्भूयाई, तं जहा- वसुधारा बुट्ठा जाव अहो दाणे, अहो दाणे त्ति घुटे, तं धन्ना कयत्था कयपुण्णा कयलक्खणा, कया णं लोया, सुलद्धे माण
स्सए • जम्मजीवियफले रेवतीए गाहावतिणीए, रेवतीए गाहावतिणीए । १६१. तए णं से सीहे अणगारे रेवतीए गाहावतिणीए गिहारो पडिनिक्खमति, पडि
निक्ख मित्ता में ढियगामं नगरं मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जहा गोयमसामी जाव भत्तपाणं पडिदंसेति, पडिदंसेत्ता समणस्स भगवनो
महावीरस्स पाणिसि तं सव्वं सम्म निस्सिरति ।। भगवओ प्रारोग्ग-पदं १६२. तए णं समणे भगवं महावीरे अमुच्छिए 'अगिद्धे अगढिए° अणज्झोववन्ने
- - १. निसम्मा (क, ता, ब)।
५. सं० पा०-जहा विजयस्स जाव जम्म२. पत्तं (क, ख, ता, ब, म)।
जीवियफले। ३. पडिग्गहंसि (ता)।
६. भ० २१११० । ४. सं० पा०-दव्वसुद्धणं जाव दाणेण । ७. सं० पा०-अमुच्छिए जाव अरगज्झोववन्ने ।
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पन्नरसमं सतं
६६७ बिलमिव पन्नगभूएणं अप्पाणेणं तमाहारं सरीरकोटुगंसि पक्खिवति ।। १६३. तए णं समणस्स भगवनो महावीरस्स तमाहारं पाहारियस्स समाणस्स से
विपुले रोगायके खिप्पामेव उवसंते, हटे जाए, अरोगे', बलियसरीरे। तुट्ठा समणा, तुट्ठामो समणीग्रो, तुट्ठा सावया, तुट्ठामो सावियानो, तुट्ठा देवा, तुट्ठामो देवीओ, सदेवमणुयासुरे लोए तुढे हट्टे जाए समणे भगवं महावीरे. हट्ठे
जाए समणे भगवं महावीरे ॥ सव्वाणुभूतिस्स उववाय-पदं १६४. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी पाईणजाणवए' सव्वाणुभूती नामं अणगारे पगइभद्दए जाव' विणीए, से णं भंते ! तदा गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं भासरासीकए समाणे कहिं गए ? कहि उववन्ने ? एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी पाईणजाणवए सव्वाणुभूती नाम अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए, से णं तदा गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं भासरासीकए समाणे उड्ढं चंदिम-सूरिय जाव बंभ-लंतक-महासुक्के कप्पे वीइवइत्ता सहस्सारे कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं अट्ठारस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता । तत्थ णं सव्वाणुभूतिस्स वि देवस्स अट्ठारस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। से णं भंते ! सव्वाणुभूती देवे तारो देवलोगाग्रो पाउवखएणं भवक्खएणं ठिइक्खएण' 'अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववज्जिहिति ?
गोयमा ! • महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेहिति ।। सुनक्खत्तस्स उववाय-पदं १६५. एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कोसलजाणवए सुनक्खत्ते नामं अणगारे
पगइभद्दए जाव विणीए। से णं भंते ! तदा गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं परिताविए समाणे कालमासे कालं किच्चा कहिं गए ? कहिं उववन्ने ? एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी सुनक्खत्ते नामं अणगारे पगइभद्दए जाव विणीए, से णं तदा गोसालेणं मंखलिपुत्तेणं तवेणं तेएणं परिताविए समाणे जेणेव ममं अंतिए तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता वंदति नमंसति, वंदित्ता
नमंसित्ता सयमेव पंच महव्वयाइं प्रारुभेति, आरुभेत्ता समणा य समणीयो य १. प्रारोए (अ, म); आरोते (ब)। ४. भ० ११:१६६। २. पतीण ° (अ, स); पदीण ° (क, ब); ५. सं० पा०—ठिइक्खएणं जाव महाविदेहे । पडीण ° (ख, ता)।
६. भ०२।७३। ३. भ. ११२८८ ।
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६६८
भगवई
खामेति, खामेत्ता पालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा उड्ढे चंदिम-सरिय जाव प्राणय-पाणयारणे कप्पे वीइव इत्ता अच्चए कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता। तत्थ णं सुनक्खत्तस्स वि देवस्स बाबीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। से णं भंते ! सुनक्खत्ते देवे तारो देवलोगारो आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहिं उवव ज्जिहिति ?
गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव सव्वदुक्खाणं' अंतं काहिति ।। गोसालस्स भवन्भमण-पदं १६६. एवं खलु देवाणुप्पियाणं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नाम मंखलिपुत्ते से णं भंते !
गोसाले मंखलिपुत्ते कालमासे कालं किच्चा कहिं गए ? कहिं उववन्ने ? एवं खलु गोयमा ! ममं अंतेवासी कुसिस्से गोसाले नामं मंखलिपुत्ते समणघायए जाव' छउमत्थे चेव कालमासे कालं किच्चा उड्ढं चंदिम-सूरिय जाव अच्चुए कप्पे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगतियाणं देवाणं बावीसं सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता। तत्थ ण गोसालस्स वि देवस्स वावीसं सागरोवमाइंठिती पण्णत्ता ।। से णं भंते ! गोसाले देवे ताओ देवलोगाग्रो ग्राउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं" •अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति° ? कहिं उववज्जिहिति ? गोयमा ! इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले पुंडेसु जणवएसु सयदुवारे नगरे संमुतिस्स रण्णो भद्दाए भारियाए कुच्छिसि पुत्तत्ताए पच्चायाहिति । से णं तत्थ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाण य राइंदियाणं '
वीइक्कंताणं जाव' सुरुवे दारए पयाहिति ॥ १६८. जं रणिं च णं से दारए जाइहिति, तं रयणि च णं सयदुवारे नगरे सभितर
बाहिरिए भारग्गसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य रयणवासे य वासे
वासिहिति॥ १६६. तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वीइक्कते निव्वत्ते
असूइजायकम्मकरणे ° संपत्ते 'बारसमे दिवसे" अयमेयारूवं गोण्णं गुणनिप्फन्नं
१. भ० १५।१६४ ।
ताणं। २. सं० पा०-सेसं जहा सव्वाणुभुतिस्स जाव ७. भ० ११।१४६ । अंतं ।
८. सं० पा०-वीइक्कते जाव संपत्ते । ३. भ. १५२१४१ ।
९. बारसाहदिवसे (अ, क, ख, ता, ब, म, स); ४. भ. १५२१६५ ।
द्रष्टव्यम्-भ० ११११५३ सूत्रस्य पादटिप्प५. सं० पा०-ठिइक्खएणं जाव कहिं ।
णम् । ६. सं० पा०-बहपडिपूण्णाणं जाव वीइक्कं
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पन्तरसमं सतं
नामधेज्ज काहिंति-जम्हा णं अम्हं इमंसि दारगंसि जायंसि समाणंसि सयदुवारे नगरे सब्भितरबाहिरिए •भारग्गसो य कुंभग्गसो य पउमवासे य° रयणवासे वुटे, तं होउ णं अम्हं इमस्स दारगस्स नामधेज्ज महापउमे-महापउमे । तए णं
तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेज्जं करेहिंति महापउमे त्ति ॥ १७०. तए णं तं महापउमं दारगं अम्मापियरो सातिरेगद्रवासजायगं जाणित्ता
सोभणंसि तिहि-करण-दिवस-नक्खत्त-मुहुत्तंसि महया-महया रायाभिसेगेणं अभिसिंचेहिति। से णं तत्थ राया भविस्सति - महया हिमवंत-महंत-मलय
मंदर-महिंदसारे वण्णो जाव' विहरिस्सइ ।। १७१. तए णं तस्स महापउमस्स रण्णो अण्णदा कदायि दो देवा महिड्ढिया जाव'
महेसक्खा सेणाकम्मं काहिंति, तं जहा...पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य॥ तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसर-तलवर- माडंबिय-कोडुंबिय-इब्भ-सेट्ठिसेणावइ° -सत्थवाहप्पभितो' अण्णमण्णं सहावेहिति, सद्दावेत्ता एवं वदेहितिजम्हा णं देवाणुप्पिया ! महापउमस्स रण्णो दो देवा महिड्ढिया जाव महेसक्खा सेणाकम्मं करेंति, तंजहा-पुण्णभद्दे य माणिभद्दे य, तं होउ णं देवाणुप्पिया ! अम्हं महापउमस्स रण्णो दोच्चे वि नामधेज्जे देवसेणेदेवसेणे । तए णं तस्स महापउमस्स रण्णो 'दोच्चे वि' नामधेज्जे भविस्सति
देवसेणे ति ॥ १७२. तए णं तस्स देवसेणस्स रण्णो अण्णया कयाइ सेते संखतल-विमल-सन्निगासे
चउइंते हत्थिरयणे समूप्पज्जिस्सइ। तए णं से देवसेणे राया तं सेयं संखतलविमल-सन्निगासं चउदंतं हत्थिरयणं दूढे समाणे सयदुवारं नगरं मझमझेणं अभिक्खणं-अभिक्खणं अतिजाहिति य निज्जाहिति य । तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसर- तलवर-माइंबिय-कोडुविय-इब्भ-सेटि-सेणावइ -सत्थवाहप्पभितरो अण्णमण्ण सद्दावेहिति, सद्दावेत्ता वदेहिति ---जम्हा णं देवाणुप्पिया ! अम्हं देवसेणस्स रण्णो सेते संखतल-विमल-सन्निगासे चउड़ते हत्थिरयणे सम्प्पन्ने, तं होउ णं देवाणुप्पिया ! अम्हं देवसेणस्स रण्णो तच्चे वि नामधेज्जे विमलवाहणे-विमलवाहणे । तए णं तस्स देवसेणस्स रण्णो तच्चे वि नामधेज्जे
भविस्सति विमलवाहणे त्ति ॥ १. सं० पा०–सभितरबाहिरिए जाव रयण- ६. दोच्चं पि (स)। वासे।
७. संखदल (क, ख, ता, वृ) । २. ओ० सू० १४ ।
८. दुरूढे (स)। ३. भ० ११३३६ ।
है. सं० पा०-राईसर जाव सत्थवाह । ४. सं० पा०-तलवर जाव सत्थवाह । १०. ठा० ४।६२ सूत्रानुसारेण एतत् पदं स्वी५. ०प्पभितीपो (स)।
कृतम्।
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भगवई
१७३. तए णं से विमलवाहणे राया अण्णया कदायि समणेहि निग्गंथेहि मिच्छं
विप्पडिवज्जिहिति -- अप्पेगतिए पाप्रोसेहिति, अप्पेगतिए अवहसिहिति, अप्पेगतिए निच्छोडेहिति, अप्पेगतिए निभंछेहिति', अप्पेगतिए बंधेहिति, अप्पेगतिए निरु भेहिति', अप्पेगतियाणं छविच्छेदं करेहिति, अप्पेगतिए पमारेहिति, अप्पगतिए उद्दवेहिति, अप्पेगतियाणं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं प्राच्छिंदिहिति विच्छिदिहिति भिदिहिति अवहरिहिति, अप्पेगतियाणं भत्तपाणं
वोच्छिदिहिति, अप्पेगतिए निन्नगरे करेहिति, अप्पेगतिए निव्विसए करेहिति ।। १७४.
तए णं सयदुवारे नगरे बहवे राईसर- तलवर-माउंविय-कोडुंबिय-इन्भ-सेट्ठिसेणावइ-सत्थवाहप्पभितनो अण्णमण्णं सदावेहिति, सद्दावेत्ता एवं वदिहितिएवं खलु देवाणुप्पिया ! विमलवाहणे राया समणेहि निग्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ने-अप्पेगतिए प्रायोसति जाव निव्विसए करेति, तं नो खलु देवाणुप्पिया ! एयं अम्हं सेयं, नो खलु एयं विमलवाहणस्स रण्णो सेयं, नो खलु एयं रज्जस्स वा रहस्स वा वलस्स वा वाहणस्स वा पुरस्स वा अंते उरस्स वा जणवयस्स वा सेयं, जण्णं विमलवाहणे राया समणेहि निग्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ने । तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं विमलवाहणं रायं एयमटुं विण्णवेत्तए त्तिकटु अण्णमण्णस्स अंतियं एयमट्ठ पडिसुणेहिति', पडिसुणेत्ता जेणेव विमलवाहणे राया तेणेव उवागच्छिहिति', उवागच्छित्ता करयलपरिग्गहियं 'दसनहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु ° विमलवाहणं रायं जएणं विजएणं वद्धावेहिति, वद्धावेत्ता एवं वदिहिति- एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणेहि निग्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ना अप्पेगतिए प्राग्रोसंति जाव अप्पेगतिए निव्विसए करेंति, तं नो खलु एयं देवाणुप्पियाणं सेयं, नो खलु एयं अम्हं सेयं, नो खलु एयं रज्जस्स वा जाव जणवयस्स वा सेयं, जण्णं देवाणुप्पिया ! समणेहिं निग्गंथेहि मिच्छं विप्पडिवन्ना, तं विरमंतु णं देवाणुप्पिया !
एयस्स अट्ठस्स अकरणयाए॥ १७५. तए णं से विमलवाहणे राया तेहिं बहूहि राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुबिय
१. निन्भत्थेहिति (अ, क); निब्भच्छेहिति ६. उवागच्छंति (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। (ख, ता)।
७. सं० पा०-करयलपरिग्गहियं । २. रु भेहिति (अ, ता, ब, म)।
८. वद्धाति (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. सं० पा०-राईसर जाव वदिहिति । ६. वदंति (अ, क, ख, ता); वदासी (ब, म, ४. आउस्सइ (ब, स)।
स)। ५. पडिसुणेति (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। १०. सं० पा०--राईसर जाव सत्थवाह ।
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पन्नरसमं सतं
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इब्भ-सेट्ठि-सेणावइ ° -सत्थवाहप्पभिईहिं एयमटुं विण्णत्ते समाणे नो धम्मो त्ति
नो तवो त्ति मिच्छा-विणएणं एयमटुं पडिसुणेहिति ।। १७६. तस्स णं सयदुवारस्स नगरस्स वहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसीभागे, एत्थ णं
सुभूमिभागे नाम उज्जाणे भविस्सइ-सव्वोउय-पुप्फ-फलसमिद्धे वण्णगो।। १७७. तेणं कालेणं तेणं समएणं विमलस्स अरहरो पनोप्पए' सुमंगले नाम अणगारे
जाइसंपन्ने, जहा धम्मघोसस्स वण्णग्रो जाव' संखित्तविउलतेयलेस्से तिन्नाणोवगए सुभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामंते छटुंछ?णं अणिक्खित्तेणं' 'तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय सूराभिमुहे अायावणभूमीए °
पायावेमाणे विहरिस्सति ॥ १७८. तए णं से विमलवाहणे राया अण्णदा कदायि रहचरियं काउं निज्जाहिति ।। १७६. तए ण से विमलवाहण राया सूभूमिभागस्स उज्जाणस्स अदूरसामते रहचरियं
करेमाणे सुमंगलं अणगारं छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं उड्ढे बाहाम्रो पगिझिय-पगिज्झिय सूराभिमुहं पायावणभूमीए° पायावेमाणं पासिहिति, पासित्ता आसुरुत्ते रुटे कुविए चंडिक्किए° मिसिमिसेमाणे सुमंगलं अणगारं
रहसिरेणं नोल्लावेहिति ।। १८०. तए णं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणेणं रण्णा रहसि रेणं नोल्लाविए समाणे
सणियं-सणियं उद्वेहेति, उद्वेत्ता दोच्चं पि उड्ढं बाहाम्रो पगिज्झिय-पगिज्झिय"
'सूराभिमुहे पायावणभूमीए ° आयावेमाणे विहरिस्सति ॥ १८१. तए णं से विमलवाहणे राया सुमंगलं अणगारं दोच्चं पि रहसिरेणं नोल्ला
वेहिति ॥ १८२. तए णं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणणं रण्णा दोच्चं पि रहसिरेणं नोल्ला
विए समाणे सणियं-सणियं उद्धेहिति, उर्दुत्ता प्रोहिं पउंजेहिति, पउंजित्ता विमलवाहणस्स रण्णो तीतद्धं आभोएहिति, पाभोएत्ता विमलवाहणं रायं एवं वइहिति -नो खलु तुमं विमलवाहणे राया, नो खलु तुमं देवसेणे राया, नो खलु तुमं महाप उमे राया, तुमण्णं इअो तच्चे भवग्गहण गोसाले नाम मंखलिपुत्तै होत्था-समणघायए जाव छउमत्थे चेव कालगए, तं जइ ते तदा सव्वाणु
भूतिणा अणगारेणं पभुणा वि होऊणं सम्म सहियं खमियं तितिक्खियं अहिया१. विण्णविए (ता)।
७. आसुरत्ते (अ); सं० पा०-आसुरुत्ते जाव २. भ० १११५७ ।
मिसि । ३. पोपए (ता)।
८. सं० पा०-पगिझिय जाव प्रासावेमाणे। ४. भ० ११११६२; राय० सू० ६८६।
६. भ० १५॥१४१ । ५. सं० पा० - अणिक्खित्तेणं जाव आयावेमाणे। १०. होइत्तणं (अ, ब); होइऊण (ख); होइऊरणं ६. सं० पा०-छटुंछ?णं जाव आयावेमारणं । (म, स)।
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भगवई
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सियं, जइ ते तदा सुनक्खत्तेणं अणगारेणं पभुणा वि होऊणं सम्मं सहियं खमियं तितिक्खियं ग्रहियासियं, जइ ते तदा समणणं भगवया महावीरेणं पभुणा वि होऊणं सम्मं सहियं खमियं तितिक्खियं अहियासियं तं नो खलु ते ग्रहं तहा सम्मं सहिस्सं खमिस्सं तितिक्खिरसं ग्रहियासिस्सं, अहं ते नवरं सहयं सरहं ससारहियं तवेणं तेएणं एगाहच्चं कूडाहच्चं भासरासि करेज्जामि ॥ १८३. तए णं से विमलवाहणे राया सुमंगलेणं अणगारेणं एवं वृत्तं समाणे प्रासुरुते ' • रुट्ठे कुविए चंडिक्किए मिसिमिसेमाणे सुमंगलं अणगारं तच्च पि रहसि रेण नोलावेहिति ॥
१८४. तए णं से सुमंगले अणगारे विमलवाहणेणं रण्णा तच्च पि रहसिरेणं नोल्लाविए समाणे सुरुते जाव मिसिमिसेमाणे प्रायावणभूमीश्रो पच्चोरुभइ, पच्चोरुभित्ता यासमुग्धाणं समोहण्णिहिति, समोहणित्ता सत्तट्ठ पयाई पच्चोसक्किहिति, पच्चोसक्कित्ता विमलवाहणं रायं सहयं सरहं ससारहियं तवेणं तेएणं •एगाहच्च कूडाहच्चं भासरासि करेहिति ॥
१८५. सुमंगले णं भंते ! अणगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासि करेत्ता कहिं गच्छहिति ? कहि उववज्जिहिति ?
गोयमा ! सुमंगले अणगारे विमलवाहणं रायं सहयं जाव भासरासि करेत्ता बहूहि छट्टम - दसम दुवालसेहिं मासमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मे हि पण भावेमाणे बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणेहिति, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए प्रत्ताणं भूसित्ता, सद्वि भत्ताइं प्रणसणाए छेदेत्ता प्रालोइयपडिक्कं समाहिपत्ते उड्ढं चंदिम जाव' गेविज्जविमाणावाससयं वीइवइत्ता सवसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ णं देवाणं प्रजहन्नमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता । तत्थ णं सुमंगलस्स वि देवस्स जहन्नमणुक्को सेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता ।
से णं भंते ! सुमंगले देवे ताम्रो देवलोगाओ" ग्राउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं प्रणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ? गोयमा ! • महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव" सव्वदुक्खाणं तं काहिति ॥
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१. सं० पा० सहियं जाव अहिया सियं । २. सं० पा०- - वि जाव अहियासियं ।
३. सं० पा० - सहिस्सं जाव अहियासिस्सं । ४. सं० पा० - आसुरुते जाव मिसि । ५. सं० पा० - तेणं जाव भासरासि । ६. भ० १५।१८४ ।
०
७. सं० पा० - दसम जाव विचित्तेहि । ८. अरण जाव ( अ, क, ख, ता, ब, स ) । ६. भ० १५ १६५ ।
१०. सं० पा० – देवलोगाओ जाव महाविदेहे । ११. भ० २।७३ ।
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पन्नरसमं सतं
१८६. विमलवाहणे णं भंते ! राया सुमंगलेणं अणगारेणं सहये जाव' भासरासीकए समाणे कहिं गच्छहिति ? कहि उववज्जिहिति ?
गोमा ! विमलवाहणे णं राया सुमंगलेणं अणगारेणं सहये जाव भास रासीकए समाणे प्रसत्तमाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहति ।
१. भ० १५।१८४ ।
२. °ट्टिईयंसि (ता, म) 1
३. सं० पा० - सत्यवज्भे जाव किच्चा ।
से णं ततो प्रणंतरं उव्वट्टित्ता मच्छेसु उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्यवज्भे Creatiती कालमासे कालं किच्चा दोच्च पि सत्तमा पुढवीए उक्कोसकालइयंसि नरयंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं तोतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि मच्छेसु उववज्जिहिति । तत्थ णं वि सत्थवज्भे' 'दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा छुट्टाए तमाए पुढवीए उको काट्ठियंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति ।
०
सेणं तोहितो तर उव्वट्टित्ता इत्थियासु उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्यवज्भे दाह वक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि छट्टाए तमाए पुढवीए उक्कोसकाल द्विइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं तोहितो प्रणंतरं उव्वट्टित्ता दोच्चं पि इत्थियासु उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्यवज्भे' दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा पंचमाए धूमप्पभाए पुढवीए उक्कोसकाल' "ट्ठिइयंसि नरगंसि ने रइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं ततो प्रणंतरं • उव्वट्टित्ता उरएस उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवज्भे' 'दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि पंचमाए" धूमप्पभाए पुढवी उक्कोसकाइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से तोहितो अनंतरं • उव्वट्टित्ता दोच्चं पि उरएसु उववज्जिहिति" । "तत्थ विणं सत्यवज्भे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा चउत्थीए पंकप्पभाए पुढवी उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति ।
o
o
से णं ततो प्रणंतरं • उव्वट्टित्ता सीहेसु उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवज्भे"" दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि चउत्थीए पंक"--
o
४. जाय ( अ. क, ख, ता, ब, म, स ) । ५. सं० पा० - दाह जाव दोच्चं ।
६. सं० पा० - उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता । ७. सं० पा० सत्यवज्भे जाव किच्चा ।
८. सं० पा० - उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता ।
७०३
६. सं० पा०- सत्यवज्भे जाव किच्चा । १०. सं० पा० - पंचमाए जाव उव्वट्टित्ता । ११. सं० पा० - उबवज्जिहिति जाव किच्चा । १२. सं० पा० - उक्कोसकालट्ठिइयंसि
जाव
उत्त
१३. सं० पा० - तहेव जाव किच्चा । १४. सं० पा० – पंक जाव उव्वट्टित्ता ।
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भगवई
भाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । सेणं तोहितो श्रणंतरं • उव्वट्टित्ता दोच्च पिसीहेसु उववज्जिहिति' । तत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा तच्चाए वालुयप्पभाए पुढवीए उक्कोसकाल ट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं ततो अनंतरं " उव्वट्टित्ता पक्खीसु उववज्जिहति । तत्थ विणं सत्थवज्भे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि तच्चाए वालुय - भाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । से णं तस्रोणंतरं • उव्वट्टित्ता दोच्चं पि पक्खीसु उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्यवज्भे दाहवक्कतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चाए सक्करप्पभाए' • पुढवीए उक्कोसका लट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति । सेणं ततो अनंतरं • उब्वट्टित्ता सिरीसवेसु उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्य वज्भे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि दोच्चाए सक्करप्पभाए • पुढवीए उक्कोस कालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहति ।
o
o
से णं तोतरं • उब्वट्टित्ता दोच्चं पि सिरीसवेसु उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्यवज्भे दाहवक्कतीए कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोसकालट्ठिइयंसि नरगंसि नेरइयत्ताए उववज्जिहिति" । ● से णं ततो अनंतरं • उव्वट्टित्ता सण्णीसु उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्थवज्भे" "दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा प्रसणीसु उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्थवज्" दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि इम से रयणप्पभाए पुढवीए पलिप्रोवमस्स ग्रसंखेज्जइभागट्टिइयंसि नरगंसि इयत्ता उववज्जिहिति ।
से णं ततो ग्रणंतरं उव्वट्टित्ता जाई इमाई खहयरविहाणारं भवंति तं जहाचम्पक्खीणं, लोमपक्खीणं, समुग्गपक्खीणं, विययपक्खीणं, तेसु प्रणेगसय सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव तत्थेव भुज्जो - भुज्जो पच्चायाहिति । सव्वत्थ व सत्यवज्भे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाई इमाई
१. सं० पा०- -उववज्जिहिति जाव किच्चा । २. सं० पा० - उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता । ३. सं० पा० सत्यवज्भे जाव किच्चा । ४. सं० पा० – वालुय जाव उव्वट्टित्ता । ५. सं० पा० - उववज्जिहिति जाव किच्चा | ६. सं० पा०—सक्करप्पभाए जाव उव्वट्टित्ता । ७. सं० पा० सत्थ जाव किच्चा ।
८.
सं० पा० - सक्करप्पभाए जाव उव्वट्टित्ता । ६. सं० पा० -- उववज्जिहिति जाव किच्चा । १०. सं० पा०—उववज्जिहिति जाव उव्वट्टित्ता | ११. सं० पा० - सत्यवज्भे जाव किच्चा । १२. सं० पा० - सत्थवज्भे जाव किच्चा । १३. जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स) ।
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पन्नरसमं सतं
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भुयपरिसप्पविहाणाई भवंति, तं जहा---गोहाणं, नउलाणं, जहा पण्णवणापए जाव' जाहगाणं चउप्पाइयाणं, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो' 'उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं • किच्चा जाई इमाई उरपरिसप्पविहाणाइं भवंति, तं जहा-अहीणं, अयगराणं, प्रासालियाणं, महोरगाणं, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति । सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं • किच्चा जाइं इमाई चउप्पदविहाणाई भवंति, तं जहा–एगखुराणं, दुखुराणं, गंडीपदाणं, सणहप्पदाणं', तेसु अणेगसयसहस्स खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जोभुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं ० किच्चा जाइं इमाई जलयरविहाणाई भवंति, तं जहा–मच्छाणं, कच्छ भाणं जाव' सुंसुमाराणं, तेसु अणेगसयसहस्स खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति । सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाई चउरिदियविहाणाइं भवंति, तं जहा–अंधियाणं, पोत्तियाणं, जहा पण्णवणापदे जाव गोमयकीडाणं, तेसु अणेगसय सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेवतत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति । सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं ° किच्चा जाई इमाइं तेइंदियविहाणाई भवंति, तं जहा-उवचियाणं जाव" हत्थिसोंडाणं, तेसु अणेग सयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति ॥ सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाई इमाइं बेइंदियविहाणाई भवंति, तं जहा-पुलाकिमियाणं जाव" समुद्दलिक्खाणं, तेसु
१. प०१।
७. सं० पा०-अणेगसयसहस्स जाव किच्चा। २. सं० पा०-सेसं जहा खहचराणं जाव ८. प० १ । किच्चा।
8. सं० पा०-अरणेगसय जाव किच्चा। ३. सं० पा०-प्रणेगसयसह जाव किच्चा। १०. प० १। ४. सणहप्फदाणं (अ, ता, स)।
११. सं० पा०-अणेग जाव किच्चा । ५. सं० पा०-अणेगसयसहस्स जाव किच्चा। १२. १०१। ६. प०१।
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७०६
भगवई अणेगसय सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवझे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा ° जाइं इमाइं वणस्सइविहाणाइं भवंति, तं जहा-रुक्खाणं, गुच्छाणं जाव' कुहणाणं, तेसु अणेगसय सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो' पच्चायाइस्सइ-उस्सन्नं च णं कडुयरुक्खेसु, कडुयवल्ली। सव्वत्थ विणं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं० किच्चा जाई इमाइं वाउक्काइयविहाणाइं भवंति, तं जहा-पाईणवायाणं जाव' सूद्धवायाणं तेसु अणेगसयसहस्स खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं° किच्चा जाइं इमाइं तेउक्काइयविहाणाइं भवंति, तं जहा-इंगालाणं जाव सूरकंतमणिनिस्सियाणं, तेसु अणेगसयसहस्स खुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाहिति। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाई आउक्काइयविहाणाइं भवंति, तं जहा-पोसाणं जाव" खातोदगाणं, तेसु अणेगसयसहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो पच्चायाइस्सइ-उस्सन्नं च णं खारोदएसु खत्तोदएसु। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे'२ दाहवक्कंतीए कालमासे कालं किच्चा जाइं इमाई पुढविक्काइयविहाणाइं भवंति, तं जहा- पुढवीणं, सक्कराणं जाव" सूरकताणं, तेसु अणेगसय "सहस्सखुत्तो उद्दाइत्ता-उद्दाइत्ता तत्थेव-तत्थेव भुज्जो-भुज्जो' पच्चायाहिति-उस्सन्नं च णं खरबायरपुढविक्काइएसु। सव्वत्थ वि णं सत्थवज्झे५ दाहवक्कंतीए कालमासे कालं ° किच्चा रायगिहे नगरे बाहिं खरियत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ वि णं सत्थवज्झे' दाहवक्कंतीए
१. सं० पा०—अणेगसय जाव किच्चा। ६. सं० पा०--अणेगसयसहस्स जाव किच्चा । २. प०१।
१०. उस्साणं (क, ख, ब)। ३. सं० पा०-अणेगसय जाव पच्चायाइस्सइ। ११. प०१। ४. सं० पा०--सत्थवज्झे जाव किच्चा। १२. सं० पा०-सत्थवज्झे जाव च्चिा । ५. 'दाहवक्कंतीए' इति पाठः क्वचिद् युज्यते, १३. ५० १।। किन्तु सर्वत्र प्रवाहपाती दृश्यते ।
१४. सं० पा०---अरणेगसय जाव पच्चायाहिति । ६. प० १।
१५. सं० पा० ----सत्थवज्झे जाव किच्चा। ७. सं० पा०-अणेगसयसहस्स जाव किच्चा । १६. सं० पा०-सत्थवज्झे जाव किच्चा। ८. प०१।
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पन्नरसमं सतं
•
कालमासे कालं किच्चा दोच्चं पि रायगिहे नगरे तो खरियत्ताए उववज्जिहिति । तत्थ विणं सत्थवज्भे' 'दाहवक्कंतीए कालमासे काल : किच्चा इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे विझगिरिपायमूले बेभेले सण्णिवेसे माहणकुलंसि दारित्ताए पच्चायाहिति ।
तए णं तं दारियं श्रम्मापियरो उम्मुक्कबालभावं जोव्वणगमणुप्पत्तं पडिरूवएणं सुक्केणं, पडिवणं विणएणं, पडिरूवयस्स भत्तारस्स भारियत्ताए दलइस्सति । सा णं तस्स भारिया भविस्सति - इट्ठा कंता जाव अणुमया, भंडकरंडगसमाणा तेल्लकेला इव सुसंगोविया, चेलपेडा इव सुसंपरिग्गहिया, रयणकरं
o
विव सुसारक्खिया, सुसंगोविया, मा णं सीयं मा णं उन्हं जाव परिसहोवसग्गा फुसंतु । तए णं सा दारिया अण्णदा कदायि गुव्विणी ससुरकुलाओ कुलधरं निज्जमाणी अंतरा दवग्गिजालाभिया कालमासे कालं किच्चा दाहिपिल्ले कुमारेसु देवेसु देवत्ताए उववज्जिहिति ।
से णं तोहितो ग्रणंतरं उव्वट्टित्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुंडे भवित्ता अगाराम्रो प्रगारियं पव्वहिति । तत्थ वि य णं विराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा दाहिणिल्लेसु असुरकुमारेसुदेवे देवत्ता उववज्जिहिति ।
१. सं० पा० -- सत्यवज्भे जाव किच्चा ।
२. परूिविएi ( अ, क, ख, ता, ब, म ) सर्वत्र ।
७०७
से णं तओहितो नंतर उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं "लभिहिति, लभित्ता केवलं बोहि बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वइहिति । • तत्थ विणं विराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा दाहिणिल्लेसु नागकुमारेसु देवे देवत्ताए उववज्जिहिति ।
से णं तहिंतो अणंतरं एवं एएणं अभिलावेणं दाहिणिल्लेसु सुवण्णकुमारेसु, एवं विज्जुकुमारेसु, एवं अग्गिकुमारवज्जं जाव' दाहिणिल्लेसु थणियकुमारेसु । से णं 'तोहितो अनंतरं" उव्वट्टित्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति" लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइहिति । तत्थ वि य णं विराहियसामण्णे जोइसिएस देवेसु उववज्जिहिति । सेणं तोहितो अनंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति", "लभित्ता
३. भ० २।५२ ।
४. भ० २।५२ ।
५. जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । ६. सं० पा० तं चैव जाव तत्थ । ७. अग्गिकुमार (ता) |
८. पू० प० २ ।
६. तओ जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । १०. सं० पा० - लभिहिति जाव विराहियसामण्णे ।
११. सं० पा० - लभिहिति जाव अविराहियसामण्णे ।
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७०म
भगवई
केवलं बोहिं बुझिहिति, बुज्झित्ता मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वइहिति । तत्थ वि य णं अविराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति'। से णं तरोहितो अणंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति । तत्थ वि णं अविराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा सणंकुमारे कप्पे देवत्ताए उववज्जिहिति। से णं तयोहितो एवं जहा सणंकुमारे तहा बंभलोए, महासुक्के, प्राणए, आरणे। से णं तरोहितो' अणंतरं चयं चइत्ता माणुस्सं विग्गहं लभिहिति, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झिहिति, बुज्झित्ता मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइहिति । तत्थ वि य णं अविराहियसामण्णे कालमासे कालं किच्चा सव्वदसिद्धे महाविमाणे देवत्ताए उववज्जिहिति । से णं तरोहितो अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे जाइं इमाइं कुलाई भवंतिअड्ढाइं जाव' अपरिभूयाई, तहप्पगारेसु कुलेसु पुत्तत्ताए पच्चायाहिति, एवं जहा अोववाइए दढप्पइण्णवत्तव्वया सच्चेववत्तव्वया निरवसेसा भाणियव्वा
जाव केवलवरनाणदंसणे समूप्पज्जिहिति ।। १८७. तए णं से दढप्पइण्णे केवली अप्पणो तीतद्धं प्राभोएहिइ, अाभोएत्ता समणे
निग्गंथे सद्दावेहिति, सद्दावेत्ता एवं वदिहिइ–एवं खलु अहं अज्जो ! इनो चिरातीयाए अद्धाए गोसाले नामं मंखलिपुत्ते होत्था-समणघायए जाव' छउमत्थे चेव कालगए, तम्मूलगं च णं अहं अज्जो अणादीयं अणवदग्गं दीहमद्धं चाउरंतसंसारकतारं अणुपरियट्टिए, तं मा णं अज्जो ! 'तुब्भं केयि' भवत् आयरियपडिणीए उवज्झायपडिणीए पायरियउवज्झायाणं अयसकारए अवण्णकारए अकित्तिकारए, मा णं से वि एवं चेव अणादीयं अणवदग्गं •दीहमद्धं चाउरंत ° संसारकंतारं अणुपरियट्टिहिति, जहा णं अहं ।
१. अतो अग्रे ‘म, स' सङ्केतितादर्शयोः निम्न- संगच्छते । वर्ती पाठो विद्यते -
२. सं० पा०-तओहिंतो जाव अविराहियसा'से णं तओहिंतो अणंतरं चयं चइत्ता मण्णे। माणुस्सं विग्गहं लभिहिति, केवलं बोहिं ३. ओ० सू० १४१ । बुज्झिहिति, तत्थ वि य णं अविरहियसामण्णे ४. पुमत्ताए (ब)। कालमासे कालं किच्चा ईसाणे कप्पे देवत्ताए ५. ओ० सू० १४२-१५३ । उववज्जिहिति', किन्तु सौधर्मादिदेवलोकेषु ६. भ० १५।१४१ । सप्तभवा दृश्यन्ते-षट्सु दाक्षिणात्येषु कल्पेषु ७. तुमं केवि (ता)। सर्वार्थसिद्धेषु च तेन ईशानकल्पस्य पाठः न ८. सं० पा०-अगवदग्गं जाव संसार
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पन्नरसमं सतं
७०६
१८८. तए णं ते समणा निग्गंथा दढप्पइण्णस्स केवलिस्स अंतियं एयमढे सोच्चा
निसम्म भीया तत्था तसिया संसारभउव्विग्गा दढप्पइण्णं केवलि वंदिहिति नमंसिहिंति, वंदित्ता नमंसित्ता तस्स ठाणस्स आलोएहिति' पडिक्कमिहिंति
निदिहिति जाव' अहारियं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवज्जिहिति॥ १८६. तए णं से दढप्पइण्णे केवली बहई वासाइं केवलिपरियागं पाउणिहिति. पाउणित्ता
अप्पणो अाउसेसं जाणेत्ता भत्तं पच्चक्खाहिति, एवं जहा अोववाइए जाव'
सव्वदुक्खाणमंतं काहिति ॥ १६०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥
१. आलोइएहिति (स)। २. भ०८।२५१ ।
३. प्रो० सू० १५४ । ४. भ० ११५१।
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सोलसमं सतं
पढमो उद्देसो १. अहिगरणि २. जरा ३. कम्मे, ४. जावतियं ५. गंगदत्त ६. सुमिणे य ।
७.उवयोग८.लोगह बलि १०.मोहि,११.दीव १२.उदही १३.दिसा१४.थणिते।१। वाउयाय-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' पज्जुवासमाणे एवं वयासी-अत्थि णं
भंते ! अधिकरणिसि वाउयाए वक्कमति ?
हंता अस्थि ॥ २. से भंते ! किं पुढे उद्दाइ ? अपुढे उद्दाइ ?
गोयमा ! पुढे उद्दाइ, नो अपुढे उद्दाइ । ३. से भंते ! कि ससरीरी निवखमइ ? असरीरी निक्खमइ ?
'गोयमा ! सिय ससरीरी निवखमइ, सिय असरीरी निवखमइ ।। से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय ससरीरी निवखमइ, सिय असरीरी निक्खमइ? गोयमा ! वाउयायस्स णं चत्तारि सरीरया पण्णत्ता, तं जहा-ओरालिए, वेउ व्विए, तेयए, कम्मए, । ओरालिय-वे उध्वियाइं विप्पजहाय तेयय-कम्मएहिं निक्खमइ । से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सिय ससरीरी निवखमइ, सिय असरीरी निक्खमइ॥
१. वलि (क, ब); पलि (ता)। २. थणिया (ता, स)। ३. भ० १२४-१०। ४. सं० पा०-एवं जहा खंदए जाव से तेणट्रेणं नो असरीरी निक्खमइ; स्पृष्टः स्वकायशस्त्रादिना सशरीरश्च कडेवरान्निष्क्रामति
कार्मणाद्यपेक्षया प्रौदारिकाद्यपेक्षया त्वशरीरीति (वृ); पूरितः पाठः अस्य वृत्तिव्याख्यानस्य संवादी वर्तते । आदर्शानां संक्षिप्तपाठे 'नोअसरीरी' ति पाठो लभ्यते । असौ वृत्तिव्याख्यानात भिन्नोस्ति ।
७१०
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सोलसमं सतं (पढमो उद्देसो)
श्रगणिकाय-पदं
५.
कति किरिय-पदं
६.
७.
८.
६.
करिया णं भंते ! प्रगणिकाए केवतियं कालं संचिट्ठइ ?
गोयमा ! जहणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिणि राइंदियाई । अण्णे वि तत्थ वाडयाए वक्कमति, न विणा वाउयाएणं प्रगणिकाए उज्जलति ॥
पुरि णं भंते ! श्रयं यकोट्ठसि प्रयोमएणं संडासएणं उब्विहमाणे वा पव्विहमाणे वा कतिकिरिए ?
गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे श्रयं यकोट्ठसि अयोमएणं संडासएणं उव्विहति वापविवहति वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव' पाणाइवायकिरियाए - पंचहि किरियाहि पुट्टे, जेसि पि णं जीवाणं सरीरेहितो नए निव्वत्तिए,
अधिकरण- श्रधिकरण-पदं
७११
कोट्टे निव्वत्तिए, संडासए निव्वत्तिए, इंगाला निव्वत्तिया, इंगालकड्ढणी निव्वत्तिया, भत्था निव्वत्तिया, ते वि णं जीवा काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए - पंचहि किरियाहि पुट्ठा ॥
पुरिसे णं भंते ! अयं ग्रयकोट्ठा प्रयोमएणं संडासएणं गहाय अहिकरणिसि उक्खमाणे वा निक्खिव्वमाणे वा कतिकिरिए ?
गोयमा ! जावं चणं से पुरिसे अयं प्रकोट्ठा प्रयोमएणं संडास एणं गहाय अहिकरणिसि उक्खिवइ वा निक्खिवइ वा तावं चणं से पुरिसे काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए - पंचहि किरियाहिं पुट्ठे, जेसि पि णं जीवाणं सहितो यो निव्वत्तिए, संडासए निव्वत्तिए, चम्मेट्टे निव्वत्तिए, मुट्ठिए निव्वत्तिए, अधिकरणी निव्वत्तिया, अधिकरणिखोडी निव्वत्तिया, उदगदोणी निव्वत्तिय अधिकरणसाला निव्वत्तिया, ते वि णं जोवा काइयाए जाव पाणाइवायकिरियाए -- पंचहि किरियाहि पुट्ठा ॥
जीवे णं भंते ! किं अधिकरणी ? अधिकरणं ? गोयमा ! जीवे ग्रधिकरणी वि, अधिकरणं पि ॥
hi भंते ! एवं बुच्चइ - जीवे अधिकरणी वि, अधिकरणं पि ?
१. भ० १।३६५ ।
२. सं० पा०० - अयकोट्ठाओ जाव निक्खिवइ ।
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७१२
भगवई गोयमा ! अविरतिं पडुच्च। से तेणद्वेणं' गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवे
अधिकरणी वि°, अधिकरणं पि॥ १०. नेरइए णं भंते ! कि अधिकरणी ? अधिकरणं ?
गोयमा ! अधिकरणी वि, अधिकरणं पि । एवं जहेव जीवे तहेव नेरइए वि।
एवं निरंतरं जाव' वेमाणिए । ११. जीवे णं भंते ! किं साहिकरणी ? निरहिकरणी' ?
गोयमा ! साहिकरणी, नो निरहिकरणी ॥ १२. से केण?णं- पुच्छा ।
गोयमा ! अविरतिं पडुच्च । से तेणटेणं जाव नो निरहिकरणी । एवं जाव
वेमाणिए । १३. जीवे णं भंते ! कि प्रायाहिकरणी ? पराहिकरणी ? तदुभयाहिकरणी?
गोयमा ! आयाहिकरणी वि, पराहिकरणी वि, तदुभयाहिकरणी वि ॥ १४. से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जाव तदुभयाहिकरणी वि?
गोयमा ! अविरतिं पडुच्च । से तेण?णं जाव तदुभयाहिकरणी वि। एवं
जाव वेमाणिए। १५. जीवाणं भंते ! अधिकरणे किं पायप्पयोगनिव्वत्तिए ? परप्पयोगनिव्वत्तिए ?
तदुभयप्पयोगनिव्वत्तिए ? गोयमा ! आयप्पयोगनिव्वत्तिए वि, परप्पयोगनिव्वत्तिए वि, तदुभयप्पयोग
निव्वत्तिए वि॥ १६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ ? ।
गोयमा ! अविरतिं पडुच्च । से तेण?णं जाव तदुभयप्पयोगनिव्वत्तिए वि ।
एवं जाव वेमाणियाणं । १७. कति णं भंते ! सरीरगा पण्णत्ता ?
गोगमा | पंच सरीरगा पण्णत्ता, तं जहा-पोरालिए. वेउविए. माहारारा.
तेयए°, कम्मए॥ १५. कति णं भंते ! इंदिया पण्णत्ता?
गोयमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता, तं जहा–सोइंदिए', 'चक्खिदिए, घाणिदिए,
रसिदिए°, फासिदिए। १६. कतिविहे णं भंते ! जोए पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे जोए पण्णत्ते, तं जहा-मणजोए, वइजोए, कायजोए ।
१. सं० पा०-तेणट्रेणं जाव अधिकरणं । २. पू०प०२। ३. निराधिकरणी (अ, ख, ता, ब, स)।
४. सं० पा०-ओरालिए जाव कम्मए। ५. सं० पा०-सोइंदिए जाव फासिदिए।
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सोलसमं सतं (बीओ उद्देसो)
७१३ २०. जीवे णं भंते ! अोरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे किं अधिकरणी ? अधिकरणं ?
गोयमा ! अधिकरणी वि, अधिकरणं पि ॥ २१. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अधिकरणी वि, अधिकरणं पि ?
गोयमा ! अविरतिं पडुच्च । से तेणटेणं जाव अधिकरणं पि॥ २२. पुढविकाइएण णं भंते ! ओरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे किं अधिकरणी ?
अधिकरणं ?
एवं चेव । एवं जाव मणुस्से । एवं वेउव्वियसरीरं पि, नवरं-'जस्स अत्थि' ।। २३. जीवे णं भंते ! पाहारगसरीरं निव्वत्तेमाणे कि अधिकरणी-पुच्छा।
गोयमा ! अधिकरणी वि, अधिकरणं पि॥ २४. से केणटेणं जाव अधिकरणं पि?
गोयमा ! पमायं पडुच्च । से तेण?णं जाव अधिकरणं पि । एवं मणुस्से वि । तेयासरीरं जहा पोरालियं, नवरं-सव्वजीवाणं भाणियव्वं । एवं कम्मगसरीरं
पि॥ २५. जीवे णं भंते ! सोइंदियं निव्वत्तेमाणे कि अधिकरणी? अधिकरणं ?
एवं जहेव पोरालियसरीरं तहेव सोइंदियं पि भाणियव्वं, नवरं-जस्स अत्थि सोइंदियं । एवं' चक्खिदिय-घाणिदिय-जिभिदिय-फासिदियाण वि, नवरं
जाणियव्वं जस्स जं अत्थि ।। २६. जीवे णं भंते ! मणजोगं निवत्तेमाणे कि अधिकरणी ? अधिकरणं ?
एवं जहेव सोइंदियं तहेव निरवसेसं। वइजोगो एवं चेव, नवरं-एगिदिय
वज्जाणं । एवं कायजोगो वि, नवरं-सव्वजीवाणं जाव वेमाणिए। २७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।
बीओ उद्देसो जीवाणं जरा-सोग-पदं २८. रायगिहे जाव एवं वयासी-जीवाणं भंते ! किं जरा ? सोगे ? ___ गोयमा ! जीवाणं जरा वि, सोगे वि ॥
१. जस्सत्थि (अ)। २. एवं सोइंदिय (अ, क, ख, ता, ब, म)।
३. भ० ११५१। ४. भ०१॥४-१०।
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७१४
भगवई
२६. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चई'- जीवाणं जरा वि, सोगे वि?
गोयमा ! जे णं जीवा सारीरं वेदणं वेदेति तेसि णं जीवाणं जरा, जे णं जीवा माणसं वेदणं वेदेति तेसि णं जीवाणं सोगे । से तेणद्वेणं' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ-जीवाणं जरा वि°, सोगे वि। एवं नेरइयाण वि। एवं जाव'
थणियकुमाराणं ॥ ३०. पुढविकाइयाणं भंते ! किं जरा ? सोगे ?
गोयमा ! पुढविकाइयाणं जरा, नो सोगे ।। ३१. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-पुढविकाइयाणं जरा , नो सोगे?
गोयमा ! पुढविकाइया णं सारीरं वेद णं वेदेति, नो माणसं वेदणं वेदेति । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-पुढविकाइयाणं जरा', नो सोगे । एवं
जाव चउरिदियाणं । सेसाणं जहा जीवाणं जाव वेमाणियाणं ॥ ३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव पज्जुवासति ॥ सक्कस्स प्रोग्गह-अणुजाणणा-पदं ३३. तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के देविदे देवराया वज्जपाणी पुरंदरे जाव' दिव्वाइ
भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ । इमं च णं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं विपुलणं प्रोहिणा आभोएमाणे-अाभोएमाणे पासति, ‘एत्थ णं" समणं भगवं महावीर जंबुद्दीवे दीवे । एवं जहा ईसाणे तइयसए तहेव सक्के वि, नवरं--पाभियोगे ण सद्दावेति, 'हरी पायत्ताणियाहिवई,' सुघोसा घंटा, पालो विमाणकारी, पालगं विमाणं, उत्तरिल्ले निज्जाणमग्गे, दाहिणपुरथिमिल्ले रतिकरपव्वए, सेसं तं चेव जावर नामगं सावेत्ता पज्जुवासति । धम्मकहा जाव" परिसा
पडिगया । ३४. तए णं से सक्के देविदे देवराया समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियं धम्म
सोच्चा निसम्म हट्टतुटे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-कतिविहे णं भंते ! प्रोग्गहे पण्णत्ते ?
१. सं० पा०-वुच्चइ जाव सोगे। २. सं० पा०-तेणटेणं जाव सोगे। ३. पू० प० २। ४. सं० पा०–केण?णं जाव जरा। ५. सं० पा०-तेणट्रेणं जाव नो। ६. भ० ११५१। ७. भ० ३।१०६ ।
८. यत्थ (क, ख, ब); यत्था (ता)। ६. पायत्ताणियाहिवई हरी (ख); हरी य
पाय° (ब)। १०. सुघोस णं (ता)। ११. दाहिरिणल्ले (ता)। १२. भ० ३।२७। १३. प्रो० सू०७१-७६ ।
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सोलसमं सतं (बीअो उद्देसो)
७१५ सक्का ! पंचविहे ओग्गहे पण्णत्ते, तं जहा-देविंदोग्गहे, रायोग्गहे, गाहावइप्रोग्गहे, सागारियोग्गहे, साहम्मिश्रोग्गहे। जे इमे भंते । अज्जत्ताए समणा निग्गंथा विहरंति एएसि णं प्रोग्गहं अणुजाणामीति कटु समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता तमेव'
दिव्वं जाणविमाणं द्रुहति, द्रुहित्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए ।। सक्क-संबंधि-वागरण-पदं ३५. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी-जण्णं भंते ! सक्के देविदे देवराया तुब्भे' एवं वदइ, सच्चे णं एसमढे ?
हंता सच्चे ॥ ३६. सक्के णं भंते ! देविदे देवराया कि सम्मावादी ? मिच्छावादी ?
गोयमा ! सम्मावादी, नो मिच्छावादी ॥ ३७. सक्के णं भंते ! देविदे देवराया कि सच्चं भासं भासति ? मोसं भासं भासति ?
सच्चामोसं भासं भासति ? असच्चामोसं भासं भासति ?
गोयमा ! सच्चं पि भासं भासति जाव असच्चामोस पि भासं भासति ।। ३८. सक्के णं भंते ! देविदे देवराया कि सावज्जं भासं भासति ? अणवज्ज भासं
भासति?
गोयमा ! सावज्ज पि भासं भासति, अणवज्ज पि भासं भासति ।। ३६. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ–सक्के देविदे देवराया सावज्ज पि' •भासं
भासति°, अणवज्ज पि भासं भासति ? गोयमा ! जाहे णं सक्के देविदे देवराया सुहमकायं अणिज्जहित्ता णं भास भासति ताहे णं सक्के देविदे देवराया सावज्जं भासं भासति, जाहे णं सक्के देविंदे देवराया सुहुमकायं निज्जूहित्ता णं भासं भासति ताहे णं सक्के देविदे देवराया अणवज्ज भासं भासति । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-सक्के
देविदे देवराया सावज्ज पि भासं भासति, अणवज्ज पि भासं° भासति ।। ४०. सक्के णं भंते ! देविदे देवराया कि भवसिद्धीए ? अभवसिद्धीए ? सम्मदिट्ठीए ?
मिच्छदिट्ठीए ? परित्तसंसारिए ? अणंतसंसारिए ? सुलभबोहिए ? दुल्लभबोहिए ? पाराहए ? विराहए ? चरिमे ? अचरिमे ?
१. साहम्मियओग्गहे (अ, स)। २. तामेव (ता, म)। ३. तुब्भे णं (अ, म)। ४. एतम? (ता)।
५. सं० पा०-सावज्ज पि जाव अरणवज्ज। ६. अणिजूहित्ता (प्र)। ७. सं० पा०-तेगटेणं जाव भासति ।
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भगवई
गोयमा ! सक्के णं देविंदे देवराया भवसिद्धीए, नो अभवसिद्धीए । सम्मदिट्ठीए, नो मिच्छदिट्ठीए। परित्तसंसारिए, नो अणंतसंसारिए । सुलभबोहिए, नो दुल्लभबोहिए । आराहए, नो विराहए। चरिमे, नो अचरिमे । एवं जहा मोउ
द्देसए सणंकुमारे जाव' नो अचरिमे ।। चेय-अचेयकड-कम्म-पदं ४१. जीवाणं भंते ! किं चेयकडा कम्मा कज्जति ? अचेयकडा कम्मा कज्जति ?
गोयमा ! जीवाणं चेयकडा कम्मा कज्जंति. नो अचेयकडा कम्मा कज्जति ॥ ४२. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चई-- जीवाणं चेयकडा कम्मा कज्जंति, नो अचेय
कडा कम्मा० कज्जति ? गोयमा ! जीवाणं पाहारोवचिया पोग्गला, बोंदिचिया पोग्गला, कलेवरचिया पोग्गला तहा तहा णं ते पोग्गला परिणमंति, नत्थि अचेयकडा कम्मा समणाउसो! दुटाणेसु, दुसेज्जासु, दुन्निसीहियासु तहा तहा णं ते पोग्गला परिणमंति, नत्थि अचेयकडा कम्मा समणाउसो! आयंके से वहाए होति, संकप्पे से वहाए होति, मरणंते से वहाए होति तहा तहा णं ते पोग्गला परिणमंति, नत्थिअचेयकडा कम्मा समणाउसो! से तेणटेणं' 'गोयमा! एवं वुच्चइ-- जीवाणं चेयकडा कम्मा कज्जति, नो अचेयकडा कम्मा कज्जति । एवं
नेरइयाण वि । एवंजाव वेमाणियाणं॥ ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।।
तइओ उद्देसो कम्म-पदं ४४. रायगिहे जाव' एवं वयासी-कति णं भंते ! कम्मपगडीओ पण्णत्तायो?
गोयमा ! अट्ठ कम्मपगडीअो पण्णत्ताओ, तंजहा-नाणावरणिज्जं जाव' अंतराइयं, एवं जाव वेमाणियाणं ॥
१. भ०३७३। २. चेत° (ब)। ३. चेदे (ता)। ४. सं० पा०-वुच्चइ जाव कज्जति । ५. सं. पा०-तेणट्रेणं जाव कज्जति ।
६. पू०प०२। ७. भ० ११५१। ८. भ. १२४-१०। ६. भ०६।३३ । १०. पू०प० २।
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सोलसमं सतं (तइ उद्देसो)
४५. जीवे णं भंते ! नाणावरणिज्जं कम्मं वेदेमाणे कति कम्मपगडीओ वेदेति ? कम्मपगडीश्रो- एवं जहा पण्णवणाए वेदावेउद्देसप्रो' सो चेव तहेव, बंधाबंधो
गोमा !
निरवसेसो भाणियव्वो । वेदाबंधो' वि तहेव, बंधावेदो वि तहेव भाणियव्वो जाव वैमाणियाणं ति ॥
४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥
श्रंसिया-छेदणे वेज्जस्स किरिया - पदं
४७. तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदायि रायगिहाओ नगराम्रो गुणसिलाओ चेइया पsिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥ ४८. तेणं कालेणं तेणं समएणं उल्लुयतीरे नामं नगरे होत्था - वण्णो' । तस्स गं उल्लुयतीरस्स नगरस्स बहिया उत्तरपुरत्थिमे दिसिभाए, एत्थ णं एगजंबुए " नामं चेइ हत्था - वण्णो' । तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णदा कदायि पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे एगजंबु समोसढे जाव" परिसा पडिगया ||
o
४६. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो छटुंछट्टेणं प्रणिक्खित्तेणं " • तवोकम्मेणं उड्ढं बाहाओ पगिज्भिय-पगिज्भिय सूराभिमुहे प्रायावणभूमीए प्रायमाणस्स तस्स णं पुरत्थिमेणं श्रवड्ढं दिवसं नो कप्पति हत्थं वा पादं वा बाहं वा ऊरुं आउंटावेत्तए" वा पसारेत्तए वा, पच्चत्थिमेणं से प्रवड्ढ दिवसं कप्पति हत्थं वा" पादं वा बाहं वा° ऊरुं वा आउंटावेत्तए वा पसारेतए वा । तस्स णं श्रंसिया लंबंति । तं च वेज्जे प्रदक्खु । ईसि पाडेति, पाडेत्ता अंसिया छिंदेज्जा | से नूणं भंते! जे छिंदति तस्स किरिया कज्जति, जस्स छज्जति नो तस्स किरिया कज्जति, णण्णत्थेगेणं धम्मंतराएणं" ?
१. प०२७ ।
२. प० २६ ।
३. १० २५ ।
४. प० २४ ।
५. इह संग्रहगाथा क्वचिद् दृश्यते-
यावेओ पढमो, वेयाबंधो य बीयओ होइ । तइओ, चउत्थओ बंधबंधो उ ॥
बंधावे
(वृ) ।
६. ओ० सू० १ ।
७. एगजंबू ( स ) ।
८. ओ० सू०२-१३ ।
६. सं० पा०-- चरमाणे जाव एगजंबुए ।
७१७
०
१०. भ० ६ ७७ ।
११. सं० पा० अरिणक्खित्तेणं जाव आयावेमाणस्स ।
१२. ग्राउंट्टा (क, ता); आउट्टा ( स ) । १३. सं० पा० - हत्थं वा जाव ऊरु । १४. ० राइणं ( स ) ।
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भगवई
हंता गोयमा ! जे छिदति' 'तस्स किरिया कज्जति, जस्स छिज्जति नो तस्स
किरिया कज्जति, णण्णत्थेगेणं° धम्मंतराएणं ॥ ५०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
चउत्थो उद्देसो
नेरइयाणं निज्जरा-पदं ५१. रायगिहे जाव' एवं वयासी
जावतियं णं भंते ! अन्नगिलायए समणे निग्गंथे कम्मं निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वासेण वा वासेहिं वा वाससएण' वा खवयंति ? नो इणद्वे समहूँ। जावतियं णं भंते ! चउत्थभत्तिए समणे निग्गंथे कम्मं निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वाससएण वा वाससएहिं वा वाससहस्सेण वा खवयंति ? नो इणढे समढे । जावतियं णं भंते ! छटुभत्तिए समणे निग्गंथे कम्मं निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वाससहस्सेण वा वाससहस्सेहिं वा वाससयसहस्सेण वा खवयंति ? नो इणट्टे समढे । जावतियं णं भंते ! अट्ठमभत्तिए समणे निग्गथे कम्मं निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वाससयसहस्सेण वा वाससयसहस्सेहिं वा वासकोडीए वा खवयंति ? नो इणढे समढे। जावतियं णं भंते ! दसमभत्तिए समणे निग्गंथे कम्म निज्जरेति एवतियं कम्म नरएसु नेरइया वासकोडीए वा वासकोडीहिं वा वासकोडाकोडीए वा खवयंति ?
नो इण? सम?॥ ५२. से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-जावतियं अन्नगिलायए समणे निग्गंथे कम्म
निज्जरेति एवतियं कम्मं नरएसु नेरइया वासेण वा वासेहि वा वाससएण वा नो खवयंति, जावतियं चउत्थभत्तिए–एवं तं चेव पुव्वभणियं उच्चारेयव्वं जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयंति ?
१. सं० पाo-छिंदति जाव धम्मंतराएणं। २. भ. ११५१। ३. भ० १।४।१०।
४. वाससएहिं (अ, क, ता, म, स)। ५. वाससहस्सेहिं (क, ता, ब)।
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सोलसम सतं (चउत्थो उद्देसो)
७१६ गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे जुण्णे जराजज्जरियदेहे सिढिलतयावलितरंग-संपिणद्धगत्ते' पविरल-परिसडिय-दंतसेढी उण्हाभिहए तण्हाभिहए आउरे झुसिए' पिवासिए दुब्बले किलंते एगं महं कोसंव-गंडियं सुक्क जडिल' गंठिल्लं चिक्कणं वाइद्धं अपत्तियं मुंडेण परसुणा अक्कमेज्जा, तए णं से पुरिसे महंताईमहंताई सद्दाइं करेइ, नो महंताई-महंताई दलाइं अवद्दालेइ, एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाइं कम्माई गाढीकयाइं, चिक्कणीकयाइं, "सिलिट्ठीकयाइं, खिलीभूताइं भवंति । संपगाढं पि य णं ते वेदणं वेदेमाणा नो महानिज्जरा नो महापज्जवसाणा भवंति । से जहानामए केइ पुरिसे अहिकरणि प्राउडेमाणे महया - महया सद्देणं, महयामहया घोसेणं, महया-मया परंपराघाएणं नो संचाएइ, तीसे अहिगरणीए केइ अहाबायरे पोग्गले परिसाडित्तए, एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाई कम्माई गाढीकयाइं, चिक्कणीकयाई, सिलट्ठीकयाइं खिलीभूताई भवंति। संपगाढं पि य णं ते वेदणं वेदेमाणा नो महानिज्जरा' नो महापज्जवसाणा भवंति । से जहानामए केइ पुरिसे तरुण बलवं जाव' मेहावी निउणसिप्पोवगए एग महं सामलि-गंडियं उल्लं अजडिलं अगंठिल्लं अचिक्कणं अवाइद्धं सपत्तियं तिक्खेण परसुणा अक्कमेज्जा, तए णं से पुरिसे नो महंताई-महंताई सद्दाइं करेति, महंताइं-महंताई दलाइं अवद्दालेति, एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबादराई कम्माइं सिढिलीकयाई, निट्टियाइं कयाई, विप्परिणामियाई खिप्पामेव परिविद्धत्थाई भवंति जावतियं तावतियं •पि णं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा महापज्जवसाणा भवंति । से जहा वा केइ पुरिसे सुक्कतणहत्थगं जायतेयंसि पक्खिवेज्जा-१ से नणं गोयमा ! से सुक्के तणहत्थगए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जति ? हंता मसमसाविज्जति । एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराइं कम्माइं, सिढिलीकयाइं, निट्ठियाई कयाई, विप्परिणामियाई खिप्पामेव विद्धत्थाइं भवति । जावतियं तावतियं पिणं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा महापज्जवसाणा भवति ।
१. संविण ° (ख, ता)।
६. सं० पा० महया जाव नो। २. झंझितं (क, ख, म); जुज्झिते (ब); झूरितः ७. भ० १४।३। इति टीकाकारः (वृ)।
८. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. सुक्खं (अ, ख, ता, ब)।
६. सं० पा०-तावतियं जाव महापज्जवसाणा। ४. जटिलं (अ)।
१०. सं० पा०-एवं जहा छट्टसए तहा अयोक५. सं० पा०—एवं जहा छट्टसए जाव नो। वल्ले वि जाव महापज्जवसाणा ।
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७२०
भगवई
से जहानामए केइ पुरिसे तत्तंसि श्रयकवल्लंसि उदगबिंदु पक्खिवेज्जा, से नूणं गोमा ! से उदगबिंदू तत्तंसि श्रयकवल्लंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव विद्धसमागच्छइ ?
हंता विद्वंसमागच्छइ ।
वामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं महाबायराई कम्माई सिढिलीकयाई, निट्ठियाई कयाई, विप्परिणामियाई खिप्पामेव विद्वत्थाइं भवंति । जावतियं तावतियंपिणं ते वेदणं वेदेमाणा महानिज्जरा महापज्जवसाणा भवंति । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - जावतियं अन्न गिलायए' समणे निग्गंथे कम्मं निज्जरेति तं चेव जाव वासकोडाकोडीए वा नो खवयंति ॥
५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ||
पंचमो उद्देसो
सक्क्स्स उक्खित्तपसिणवागरण-पदं
५४. तेणं कालेणं तेणं समएणं उल्लुयतीरे नामं नगरे होत्था - वण्णो । एगजंबुए चेइए - वण्ण' । तेणं कालेणं तेणं समएणं सामी समोसढे जाव' परिसा पज्जुवासति । तेणं काणं तेणं समएणं सक्के देविंदे देवराया वज्जपाणी – एवं जहेव fare व दिव्वेणं जाणविमाणेणं ग्रागो जाव' जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता एवं वयासी
o
देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव' महेसक्खे बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता' पभू श्रागमित्त ? नो इणट्टे समट्ठे ।
१. अन्नइलायए ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) ।
२. भ० १।५१ ।
३. ओ० सू० १ ।
४. ओ० सू० २-१३ ।
५. ओ० सू० २२-५२ ।
देवे णं भंते ! महिढिए जाव महेसक्खे बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू आगमित्तए ? हंता पभू ।
६. भ० १६।३३ ।
७. सं० पा०-- उवागच्छित्ता जाव नमसित्ता ।
८. भ० १।३३६ ।
६. अपरियादिइत्ता (क, ख, ब ) ।
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सोलसमं सतं (पंचमो उद्देसो)
७२१ देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव महेसक्खे एवं एएणं अभिलावेणं गमित्तए वा, भासित्तए वा, विभागरित्तए वा, उम्मिसावेत्तए वा, निमिसावेत्तए वा, आउंटावेत्तए वा, ठाणं वा सेज्जं वा निसीहियं वा चेइत्तए वा, विउव्वित्तए वा, परियारेत्तए वा जाव हंता पभू---इमाइं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाइं पुच्छइ, पुच्छित्ता संभंतियवंदणएणं' वंदति, वंदित्ता तमेव दिव्वं जाणविमाणं द्रुहति', द्रुहित्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए ।
गंगदत्तदेवस्स संदब्भे परिणममाण-परिणय-पदं
५५. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी-अण्णदा णं भंते ! सक्के देविंदे देवराया देवाणुप्पियं वंदति नमसति सक्कारेति जाव' पज्जुवासति, किण्णं भंते ! अज्ज सक्के देविंदे देवराया देवाणुप्पियं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाइं पुच्छइ, पुच्छित्ता संभंतियवंदणएणं वंदइ नमसइ जाव पडिगए ? गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी-एवं खल गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे दो देवा महिड्ढिया जाव महेसक्खा एगविमाणंसि देवत्ताए उववन्ना, तं जहा-मायिमिच्छदिट्ठिउववन्नए य, अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नए य । तए णं से मायिमिच्छदिट्ठिउववन्नए देवे तं अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नगं देवं एवं धयासी-परिणममाणा पोग्गला नो परिणया, अपरिणया; परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया, अपरिणया। तए णं से अमायिसम्मदिट्ठिउववन्नए देवे तं मायिमिच्छदिटिउववन्नगं देवं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला परिणया, नो अपरिणया; परिणमंतीति पोग्गला परिणया, नो अपरिणया । तं मायिमिच्छदिदिउववन्नगं एवं पडिहणइ', पडिहणित्ता प्रोहिं पउंजइ, पउंजित्ता ममं प्रोहिणा आभोएइ, अाभोएत्ता अयमेयारूवे अज्झथिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे° समुप्पज्जित्था-एव खलु समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे उल्लुयतीरस्स नगरस्स बहिया एगजंबुए चेइए अहापडिरूवं' •ओग्गहं अोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे ° विहरइ, तं सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्ता जाव'
पज्जुवासित्ता इमं एयारूवं वागरणं पुच्छित्तए त्ति कटु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता १. वंदएणं (अ, ख, ब, म)।
५. पडिभणइ (ता)। २. दुरुहइ (स)।
६. सं० पा०---अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था। ३. भ० २।३०।
७. सं० पा०-अहापडिरूवं जाव विहरइ। ४. भ० १६।५४ ।
८. भ० २।३०।
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७२२
भगवई
चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं "तिहिं परिसाहि, सत्तहिं अणिएहि, सत्तहिं अणियाहिवईहिं, सोलसहि प्रायरक्खदेवसाहस्सीहि अण्णेहिं बहूहिं महासामाणविमाणवासीहिं वेमाणिएहि देवेहिं देवीहि य सद्धि संपरिवुडे ° जाव' दुंदुहि-निग्घोसनाइयरवेणं जेणेव जंबुद्दीवे दीवे, जेणेव भारहे वासे, जेणेव उल्लुयतीरे नगरे, जेणेव एगजंबुए चेइए, जेणेव ममं अंतियं तेणेव पहारेत्थ गमणाए। तए णं से सक्के देविदे देवराया तस्स देवस्स तं दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवजूति दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं तेयलेस्सं असहमाणे ममं अट्ठ उक्खित्तपसिणवागरणाइं पुच्छित्ता
संभंतियवंदणएणं वंदित्ता जाव पडिगए। ५६. जावं च णं समणे भगवं महावीरे भगवो गोयमस्स एयमटुं परिकहेति तावं
च णं से देवे तं देसं हव्वमागए। तए णं से देवे समणं भगवं महावीरं तिक्खत्तो प्रायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीएवं खलु भंते ! महासुक्के कप्पे महासामाणे विमाणे एगे मायिमिच्छदिट्रिउववन्नए देवे ममं एवं वयासी—परिणममाणा पोग्गला नो परिणया, अपरिणया; परिणमंतीति पोग्गला नो परिणया, अपरिणया। तए णं अहं तं मायिमिच्छदिदि उववन्नगं देवं एवं वयासी-परिणममाणा पोग्गला परिणया, नो अपरिणया; परिणमंतीति पोग्गला परिणया, नो अपरिणया, से कहमेयं भंते !
एवं? ५७. गंगदत्तादि ! समणे भगवं महावीरे गंगदत्तं देवं एवं वयासी–अहं पि णं
गंगदत्ता ! एवमाइक्खामि भासेमि पण्णवेमि परूवेमि-परिणममाणा पोग्गला •परिणया, नो अपरिणया; परिणमंतीति पोग्गला परिणया°, नो अपरिणया,
सच्चमेसे अद्वै॥ ५८. तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं एयमटुं सोच्चा
निसम्म हट्टतुट्टे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता नच्चा
सन्ने जाव पज्जुवासति ।। गंगद तदेवस्स अप्पविसए पसिण-पदं ५६. तए णं समणे भगवं महावीरे गंगदत्तस्स देवस्स तीसे य •महतिमहालियाए
परिसाए° धम्म परिकहेइ जाव पाराहए भवति ।
१. सं० पा०-परियारो जहा सूरियाभस्स जाव ६. सं० पा०-पोग्गला जाव नो। २. राय० सू० ५८ ।
७. भ० १११० । ३. उल्लुया° (ख, ब, म)।
८. पज्जुवाहति (म)। ४. महासमाणे (अ, क, ता, ब)।
९. सं० पा०-तीसे य जाव धम्म । ५. °दी (ता, ब, म)।
१०. ओ० सू०७१-७७ ।
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सोलसमं सतं (पंचमो उद्देसो)
७२३ ६०. तए णं से गंगदत्ते देवे समणस्स भगवो महावीरस्स अंतिए धम्म सोच्चा
निसम्म हट्ठतुढे उट्ठाए उद्वेइ, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- अहण्णं भंते ! गंगदत्ते देवे किं भवसिद्धिए ? अभवसिद्धिए ? "सम्मदिट्री? मिच्छदिट्री ? परित्तसंसारिए ? अणंतसंसारिए? सुलभबोहिए ? दुल्लभबोहिए ? आराहए ? विराहए ? चरिमे ? अचरिमे ? गंगदत्ताइ ! समणे भगवं महावीरे गंगदत्तं देवं एवं वयासी-गंगदत्ता ! तुमण्णं भवसिद्धिए, नो अभवसिद्धिए। सम्मदिट्ठी, नो मिच्छदिट्ठी। परित्तसंसारिए, नो अणंतसंसारिए । सुलभबोहिए, नो दुल्लभबोहिए । पाराहए, नो
विराहए। चरिमे, नो अचरिमे ।। गंगदत्तदेवेण नट्ट-उवदंसण-पदं ६१. तए णं से गंगदत्ते देवे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठचित्त
माणंदिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-तुब्भे णं भंते ! सव्वं जाणह सव्वं पासह, सव्वो जाणह सव्वओ पासह, सव्वं कालं जाणह सव्वं कालं पासह, सव्वे भावे जाणह सव्वे भावे पासह । जाणंति णं देवाणुप्पिया ! मम पुवि वा पच्छा वा ममेयरूवं दिव्वं देविडिढ दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवाणुभावं लद्धं पत्तं अभिसमण्णागयं ति, तं इच्छामि णं देवाणप्पियाणं भत्तिपुव्वगं गोयमातियाणं समणाणं निग्गंथाणं दिव्वं देविडिढ
दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवाणुभावं दिव्वं बत्तीसतिबद्धं नट्टविहिं उवदंसित्तए । ६२. तए णं समणे भगवं महावीरे गंगदत्तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे गंगदत्तस्स देवस्स
एयमद्वं नो आढाइ, नो परियाणइ, तुसिणीए संचिट्ठति ।। ६३. तए णं से गंगदत्त देवे समणं भगवं महावीरं दोच्चं पि तच्चं पि एवं वयासी
तुब्भे णं भंते ! सव्वं जाणह सव्वं पासह, सव्वनो जाणह सव्वओ पासह, सव्वं कालं जाणह सव्वं कालं पासह, सव्वे भावे जाणह सव्वे भावे पासह । जाणंति णं देवाणुप्पिया ! मम पुव्वि वा पच्छा वा ममेयरूवं दिव्यं देविडिढ दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवाणुभावं लद्धं पत्तं अभिसमण्णागयं ति, तं इच्छामि णं देवाणप्पियाणं भत्तिपुव्वगं गोयमातियाणं समणाणं निग्गंथाणं दिव्वं देविडिढ दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवाणुभावं दिव्वं बत्तीसतिबद्धं नट्टविहिं उवदंसित्तए त्ति कटु ° जाव बत्तीसतिबद्धं नट्टविहिं उवदंसेति, उवदंसेत्ता जाव' तामेव दिसं पडिगए।
१. सं० पाल-एवं जहा सूरियाभो।
२. राय० सू० ६५-१२० ।
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७२४
भगवई
६४. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं' 'वंदइ नमसंइ, वंदित्ता
नमंसित्ता एवं वयासी-गंगदत्तस्स णं भंते ! देवस्स सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुती 'दिव्वे देवाणुभावे कहिं गते ? कहि अणुप्पविद्वे ? गोयमा ! सरीरंगए, सरीरं अणप्पविदे, कडागारसालादितो जाव सरीरं अणुप्पविढे । अहो णं भंते ! गंगदत्ते देवे महिड्ढिए "महज्जुइए महब्बले
महायसे° महेसक्खे ॥ गंगदत्तदेवस्स पुव्वभव-पदं ६५. गंगदत्तेणं भंते! देवेणं सा दिव्वा देविड्ढी सा दिव्वा देवज्जुती से दिव्वे देवाणुभागे
किण्णा लद्धे ? किण्णा पत्ते ? किण्णा अभिसमण्णागए ? पुन्वभवे के प्रासी ? कि नामए वा ? किं वा गोत्तेणं? कयरंसि वा गामंसि वा नगरंसि वा निगमंसि वा रायहाणीए वा खेडंसि वा कब्बडंसि वा मडंबंसि वा पट्टणंसि वा दोणमुहंसि वा आगरंसि वा आसमंसि वा संबाहंसि वा सण्णिवेसंसि वा ? किं वा दच्चा ? किं वा भोच्चा ? किं वा किच्चा ? किं वा समायरित्ता ? कस्स वा तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि आरियं धम्मियं सुवयणं सोच्चा निसम्म जण्णं गंगदत्तेणं देवेणं सा दिव्वा देविड्ढी सा दिव्वा देवज्जुती से दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते ° अभिसमण्णागए ? गोयमादो ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हत्थिणापुरे नाम नगरे होत्था-वण्णओ'। सहसंबवणे उज्जाणे-वण्णग्रो । तत्थ णं हत्थिणारे नगरे गंगदत्ते नाम गाहावती परिवसति--अड्ढे जाव बहुजणस्स
अपरिभूए॥ ६७. तेणं कालेणं तेणं समएणं मुणिसुव्वए अरहा आदिगरे जाव सव्वण्णू सव्वदरिसी
अागासगएणं चक्केणं", पागासगएणं छत्तेणं, अागासियाहिं चामराहि, आगास फालियामएणं सपायवीढेणं सीहासणेणं, धम्मज्झएणं पुरो° पकड्ढिज्जमाणेणं-पकड्ढिज्जमाणेणं सीसगणसंपरिवुडे पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणु
१. सं० पा०-महावीरं जाव एवं ।
६. ओ० सू०१। २. सं० पा०-देवज्जुती जाव अणुप्पवितु । ७. भ० ११।५७ । ३. राय० सू० १२३ ।
८. भ० २१४। ४. सं० पा०–महिडि ढए जाव महेसक्खे । ६. भ० ११७। ५. सं० पा०-लद्धे जाव गंगदत्तेणं देवेणं सा १०. सं० पा०-चक्केणं जाव पकडिढज्ज ।
दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए ।
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६८.
सोलसमं सतं (पंचमो उद्देसो)
७२५ गाम' •दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव हत्थिणापुरे नगरे जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे जाव' विहरति । परिसा निग्गया जाव' पज्जुवासति ।। तए णं से गंगदत्ते गाहावतो इमोसे कहाए लद्धटे समाणे हट्ठतुट्टे ण्हाए कयबलिकम्मे जाव' अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे साओ गिहारो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेणं हत्थिणापुर नगरं मझमझेणं निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे जेणेव मूणिसूत्वए अरहा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता मुणिसुव्वयं अरहं तिक्खुत्तो आयाहिण
पयाहिणं करेइ जाव तिविहाए पज्जुवासणाए पज्जुवासति ।। ६६. तए णं मुणिसुव्वए अरहा गंगदत्तस्स गाहावतिस्स तीसे य महतिमहालियाए
परिसाए धम्म परिकहेइ जाव परिसा पडिगया ।। ७०. तए णं से गंगदत्ते गाहावती मुणिसुव्वयस्स अरहओ अंतियं धम्म सोच्चा
निसम्म हट्ठतुटे उठाए उतुति, उद्वेत्ता मुणिसुव्वयं अरहं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-सहामि णं भंते ! निग्गंथं पावयणं जाव से जहेयं तुन्भे वदह, जं नवरं देवाणुप्पिया ! जेट्टपुत्तं कुडुबे ठावेमि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं मुंडे" भवित्ता अगाराप्रो अणगारियं° पव्वयामि ।
अहासुहं देवाणु प्पिया ! मा पडिबंधं ॥ ७१. तए णं से गंगदत्ते गाहावई मुणिसुव्वएणं अरहया एवं वुत्ते समाणे हद्वतुट्टे
मुणिसुव्वयं अरहं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता मुणिसुव्वयस्स अरहो अंतियानो सहसंबवणाओ उज्जाणाम्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता, जेणेव हत्थिणापूरे नगरे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छिता विउलं असणपाण२. खाइम-साइमं° उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ-नियग""सयण-संबंधि-परियणं ग्रामंतेति, आमंतेत्ता तो पच्छा पहाए जहा पूरणे जाव" जेट्टपुत्तं कुडुंबे ठावेति । तं मित्त-नाइ५- नियग-सयण-संबंधि-परियणं जेट्टपुत्तं च आपुच्छइ, आपुच्छित्ता पुरिससहस्सवाहणि सीयं द्रुहति, द्रुहित्ता मित्त-नाइ
१. सं० पा०-गामाणुगामं जाव जेणेव । ८. ओ० सू० ६६ । २. भ० ११७।
६. ओ० सू०७१-७६ । ३. ओ० सू० ५२।
१०. भ० २०५२। ४. जाव (ख, स)।
११. सं० पा०—मुंडे जाव पव्वयामि । ५. भ० २०६७।
१२. सं० पा०—पारण जाव उवक्खडावेति । ६. हत्थिणपुरं (अ, म); हत्थिणाउरं (ता, ब); १३. सं० पा०.-नियग जाव आमंतेति । हत्थिणागपुरं (स)।
१४. भ० ३।१०२। ७. मज्झण २ (अ, ख, ता, ब, म)। १५. सं० पा०-नाइ जाव जेट्टपुत्ते।
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भगवई
नियग'- सयण-संबंधि-परिजणेणं जेट्टपुत्तेण य समणुगम्ममाणमग्गे सविड्ढीए जाव' दुंदुहि-निग्घोसनादितरवेणं हत्थिणागपुरं मझमझेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव सहसंबवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता छत्तादिते तित्थगरातिसए पासति । एवं जहा उद्दायणे जाव' सयमेव आभरणे अोमुयइ, अोमुइत्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेति, करेत्ता जेणेव मुणिसुव्वए अरहा एवं जहेव उद्दायणे तहेव पव्वइए, तहेव एक्कारस अंगाइं अहिज्जइ जाव' मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झसेइ, झसेत्ता सटिं भत्ताई अणसणाए छेदेति. छेदेत्ता पालोइय-पडिक्कते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा महासूक्के कप्पे महा
सामाणे विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि जाव' गंगदत्तदेवत्ताए उववन्ने। ७२. तए णं से गंगदत्त देवे अहुणोववन्नमेत्तए समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्त
भावं गच्छति, [तं जहा-आहारपज्जत्तीए जाव' भासा-मणपज्जत्तीए] एवं खलु गोयमा ! गंगदत्तेणं देवेणं सा दिव्वा देविड्ढी सा दिव्वा देवज्जुती से
दिव्वे देवाणुभागे लद्धे पत्ते ° अभिसमण्णागए। ७३. गंगदत्तस्स णं भंते ! देवस्स केवतियं कालं ठिति पण्णत्ता?
गोयमा ! सत्त रस सागरोवमाइं ठिती पण्णत्ता ॥ ७४. गंगदत्ते णं भंते ! देवे तानो देवलोगायो आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं
अणंतरं चयं चइत्ता कहि गच्छिहिति ? कहि उववज्जिहिति ?
गोयमा ! ° महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव" सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति ।। ७५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति"॥
छट्ठो उद्देसो
सुविण-पदं
७६. कतिविहे णं भंते ? सुविणदंसणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे सुविणदंसणे पण्णत्ते, तं चिंतासुविणे, तव्विवरीए, अव्वत्तदंसणे" ॥
जहा-अहातच्चे, पताणे,
१. सं० पा०-नियग जाव परिजणेणं । २. भ०६।१८२। ३. भ० १३।११७ । ४. भ० १११११८; ६।१५०, १५१ । ५. भ० ३।१७। ६. भ० ३।१७। ७. असो कोष्ठकवतिपाठो व्याख्यांशः प्रतीयते।
८. सं० पा०-देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए। है. सं० पा०-आउक्खएणं जाव महाविदेहे । १०. भ० २।७३ । ११. भ० ११५१ । १२. सुमिण (अ)। १३. अवत्त° (अ, क, ख, ब)।
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सोलसमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
७२७ ७७. सुत्ते णं भंते ! सुविणं पासति ? जागरे सुविणं पासति ? सुत्तजागरे सुविणं
पासति ? गोयमा ! नो सुत्ते सुविणं पासति, नो जागरे सुविणं पासति, सुत्तजागरे सुविणं
पासति ।। ७८. जीवा णं भंते ! कि सुत्ता ? जागरा ? सुत्तजागरा ?
गोयमा ? जीवा सुत्ता वि, जागरा वि, सुत्तजागरा वि ।। ७६. नेरइयाणं भंते ! कि सुत्ता–पुच्छा।
गोयमा ! नेरइया सुत्ता, नो जागरा, नो सुत्तजागरा । एवं जाव' चउरिदिया। ८०. पंचिदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! कि सुत्ता-पुच्छा।
गोयमा ! सुत्ता, नो जागरा, सुत्तजागरा वि । मणुस्सा जहा जीवा । वाणमंतर
जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया ॥ ८१. संवुडे णं भंते ! सुविणं पासति ? असंवुडे सुविणं पासति ? संवुडासंवुडे सुविणं
पासति ? गोयमा ! संवुडे वि सुविणं पासति, असंवुडे वि सुविणं पासति, संवुडासंवुडे वि सुविणं पासति । संवुडे सुविणं पासति अहातच्चं पासति । असंवुडे सुविणं पासति तहा वा तं होज्जा, अण्णहा वा तं होज्जा। संवुडासंवुडे सुविणं पासति
"तहा वा तं होज्जा, अण्णहा वा तं होज्जा ॥ ८२. जीवा णं भंते ! कि संवुडा ? असंवुडा ? संवुडासंवुडा ?
गोयमा! जीवा संवुडा वि, असंवुडा वि, संवुडासंवुडा वि । एवं जहेव सुत्ताणं
दंडग्रो तहेव भाणियव्वो ॥ ८३. कति णं भंते ! सुविणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! बायालीसं सुविणा पण्णत्ता ।। ८४. कति णं भंते ! महासुविणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तीसं महासुविणा पण्णत्ता ।। ८५. कति णं भंते ! सव्वसुविणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! बावरि सव्वसुविणा पण्णत्ता ।। ८६. तित्थगरमायरो णं भंते ! तित्थगरंसि गब्भं वक्कममाणंसि कति महासुविणे'
पासित्ता णं पडिबुज्झंति ? गोयमा ! तित्थगरमायरो तित्थगरंसि गन्भं वक्कममाणंसि एएसिं तीसाए महासुविणाणं इमे चोद्दस महासुविणे पासित्ता णं पडिबुझंति, तं जहा—गयउसभ जाव' सिहिं च ॥
१. पू० प० २। २. सं० पा०—एवं चेव ।
३. महासुविणे सुविणे (अ, क, ख, ता, ब) । ४. भ. ११४१४२।
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७२८
भगवई
८७. चक्कवट्टिमायरो णं भंते ! चक्कट्टिसि गम्भं वक्कममाणंसि कति महासुविणे
पासित्ता णं पडिबुज्झति ? गोयमा ! चक्कट्टिमायरो चक्कट्टिसि गभं' वक्कममाणंसि एएसि तीसाए महासुविणाणं इमे चोद्दस महासुविणे पासित्ता णं पडिबुज्झति, तं जहा--
गय-उसभ° जाव सिहि च ॥ ८८. वासुदेवमायरो णं-- पुच्छा।
गोयमा ! वासुदेवमायरो' 'वासुदेवंसि गब्भं वक्कममाणंसि एएसि चोद्द
सण्हं महासुविणाणं अण्णयरे सत्त महासुविणे पासित्ता णं पडिबुझंति ।। ८६. बलदेवमायरो -पुच्छा।
गोयमा ! बलदेवमायरो जाव एएसि चोदसण्हं महासुविणाणं अण्णयरे चत्तारि
महासुविणे पासित्ता णं पडिबुज्झति ।। ६०. मंडलियमायरो णं भंते !-पुच्छा।
गोयमा ! मंडलियमायरो जाव एएसि चोद्दसण्हं महासुविणाणं अण्णयरं एगं
महासुविणं 'पासित्ता णं" पडिबुज्झति ।। भगवो महासुविण-दसण-पदं ६१. समणे भगवं महावीरे छउमत्थकालियाए अंतिमराइयंसि इमे दस महासुविणे
पासित्ता णं पडिबुद्धे, तं जहा१. एगं च णं महं घोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुविणे पराजियं पासित्ता णं पडिबुद्धे । २. एगं च णं महं सुक्किलपक्खगं पुंसकोइलगं" सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे । ३. एगं च णं महं चित्तविचित्तपक्खगं पुंसकोइलगं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे। ४. एगं च णं महं दामदुगं सव्वरयणामयं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे । ५. एगं च णं महं सेयं गोवग्गं सुविणे पासिता णं पडिबुद्धे ।। ६. एगं च णं महं पउमसरं सव्वग्रो समंता कसमियं सविणे पासित्ता णं पडिबुद्ध। ७. एगं च णं 'महं सागरं उम्मीवीयीसहस्सकलियं भूयाहिं तिण्णं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे । ८. एगं च णं महं दिणयरं तेयसा जलंत सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे ।
१. जाव (अ, ख, म); जाव गभं (क, ता, ४. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ब, स)।
५. पूसकोइलं (अ, क, ख, ता, ब) । २. सं० पा०-एवं जहा तित्थगरमायरो जाव। ६. चित्तपक्खगं (क, ता)। ३. सं० पा०-वासुदेवमायरो जाव वक्कम । ७. महासागरं (अ)।
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सोलसमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
७२६ ६. एगं च णं महं हरिवेरुलियवण्णाभेणं नियगेणं अंतेणं माणुसुत्तरं पव्वयं सव्वग्रो समंता आवेढियं परिवेढियं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे । १०. एगं च णं महं मंदरे पव्वए मंदरचूलियाए उरि सीहासणवरगयं अप्पाणं सुविणे पासित्ता गं पडिबुद्धे । १. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं घोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुविणे पराजियं पासित्ता णं पडिबुद्धे, तण्णं समजेणं भगवया महावीरेणं मोहणिज्जे - मूलाग्रो उग्घाइए। २. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं सुक्किल पक्खगं पुंसकोइलगं सविणे पासित्ता णं° पडिबुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे सुक्कज्झाणोवगए विहरति । ३. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं चित्तविचित्त पक्खगं पुंसकोइलगं सुविणे पासित्ता णं ° पडिबुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे विचित्तं ससमयपरसमइयं दुवालसंगं गणिपिडगं ग्राघवेति पण्णवेति परूवेति दंसेति निदंसेति उवदंसेति, तं जहा---पायारं, सूयगडं जाव' दिट्ठिवायं । ४. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं दामदुगं सव्वरयणामयं सुविणे पासित्ता णं पडिबुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे दुविहे धम्मे पण्णवेति, तं जहा--अगारधम्म वा, अणगारधम्म वा। ५. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं सेयं गोवग्गं सुविणे पासित्ता णं' पडिबुद्धे, तण्णं समणस्स भगवो महावीरस्स चाउव्वण्णाइण्णे समणसंघे, तं जहा-समणा, समणीग्रो, सावया, सावियानो। ६. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं पउमसरं 'सव्वो समंता कुसुमियं सूविणे पासित्ता णं० पडिबुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे चउव्विहे देवे पण्णवेति, तं जहा--भवणवासी, वाणमंतरे, जोतिसिए, वेमाणिए। ७. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं सागरं उम्मीवीयीसहस्सकलियं भूयाहिं तिण्णं सूविणे पासित्ता णं° पडिबुद्धे, तण्णं समजेणं भगवया महावीरेणं अणादीए अणवदग्गे दीहमद्धे चाउरते. संसारकंतारे तिणे । ८. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं दिणयरं 'तेयसा जलंतं सुविणे पासित्ता
१. सं० पा०-सुक्किल जाव पडिबुद्धे । २. सं० पा०-चित्तविचित्त जाव पडिबुद्धे । ३. भ० २०७५। ४. दिट्टिवात (अ, ब); दिढिवादं (ता)। ५. सं० पा०-गोवरगं जाव पडिबुद्ध । ६. सं० पा०-पउमसरं जाव पडिबुद्ध ।
७. सं० पा०-सागरं जाव पडिबुद्धे । ८. प्रणवतग्गे (ब); सं० पा०-अगवदग्गे जाव
संसार । ६. नित्थिण्णे (अ)। १०. सं० पा.-दिणयरं जाव पडिबुद्ध।
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७३०
भगवई
णं° पडिबुद्धे, तण्णं समणस्स भगवनो महावीरस्स अणंते अणुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे ° केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने । ६. जण्णं समणे भगवं महावीरे एगं महं हरिवेरुलिय' वण्णाभेणं नियगेणं अंतेणं माणसूत्तरं पव्वयं सव्वयो समता आवेढियं परिवेढियं सूविणे पासित्ता णं० पडिबुद्धे, तण्णं समणस्स भगवो महावीरस्स पोराला कित्ति-वण्ण-सद्द-सिलोया सदेवमणुयासुरे लोए परिभमंति-इति खलु समणे भगवं महावीरे, इति खलु समणे भगवं महावीरे। १०. जण्णं समणे भगवं महावीरे मंदरे पव्वए मंदरचूलियाए 'उरि सीहासणवरगयं अप्पाणं सुविणे पासित्ता णं° पडिबुद्धे, तण्णं समणे भगवं महावीरे सदेवमणुयासुराए परिसाए मझगए केवली' धम्मं आघवेति' 'पण्णवेति
परूवेति दंसेति निदंसेति उवदंसेति ।। सुविण-फल-पदं ६२. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एग महं हयपति वा गयपति वा 'नरपंतिं वा
किन्नरपंतिं वा किंपुरिसपंति वा महोरगपंति वा गंधवपति वा वसभपंति वा पासमाणे पासति, द्रुहमाणे द्रुहति, द्रूढमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव
बुज्झति, तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। ६३. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं दामिणि पाईणपडिणायतं दुहनो समुद्दे
पुढे पासमाणे पासति, संवेल्लेमाणे संवेल्लेइ, संवेल्लियमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं
करेति ॥ ६४. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं रज्जु पाईणपडिणायतं दुहनो लोगंते पुढे
पासमाणे पासति, छिदमाणे छिंदति, छिन्नमिति" अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव
बुज्झति, तेणेव भवग्गहणणं सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। ६५. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं किण्हसुत्तगं वा 'नीलसुत्तगं वा लोहिय___सुत्तगं वा हालिद्दसुत्तगं वा सुक्किलसुत्तगं वा पासमाणे पासति, उग्गोवेमाणे
१. सं० पा०-अणत्तरे जाव केवल ° । ६. सं० पा०-गयपंति वा जाव वसभपंति । २. सं० पा०-हरिवेरुलिय जाव पडिबुद्धे । ७. भ० ११४४ । ३. सं० पा०-मंदरचूलियाए जाव पडिबुद्ध । ८. दामं (ख)। ४. केवलीणं (क); केवलिपण्णत्तं (ठा० ६. तक्खणामेव अप्पाणं (ख); तक्खणा चेव (ता) १०।१०३)
१०. छिदणमिति (ता)। ५. सं० पा० -आघवेति जाव उवदंसेति। ११. सं० पा०-किण्हसुत्तगं वा जाव सुक्किल ।
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सोलसमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
७३१ उग्गोवेति, उग्गोवितमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्ग
हणणं सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। ६६. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं अयरासि वा तंबरासि वा तउयरासिं वा
सीसगरासि वा पासमाणे पासति, दुरुहमाणे दुरुहति, दुरूढमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, दोच्चे भवग्गहणे सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं
अंतं करेति ।। ६७. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं हिरण्ण रासि वा सुवण्णरासि वा रयण
रासिं वा वइररासि वा पासमाणे पासति, दुरुहमाणे दुरुहति, दुरूढमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं तणरासि वा कट्टरासि वा पत्तरासिं वा तय रासि वा तुसरासि वा भुसरासिं वा गोमयरासिं वा ° अवकररासि वा पासमाणे पासति, विक्खिरमाणे विक्खिरति, विक्खिण्णमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं
करेति ॥ ६६. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं सरथंभं वा वीरणथंभंवा वंसीमूलथंभं वा
वल्लीमूलथंभं वा पासमाणे पासति, उम्मूलेमाणे उम्मूले ति, उम्मूलितमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणणं सिज्झति जाव सव्व
दुक्खाणं अंतं करेति ।। १००. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं खीरकुंभं वा दधिकुंभं वा घयकुंभं वा
मधु कुभं वा पासमाणे पासति, उप्पाडेमाणे उप्पाडेति, उप्पाडितमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्गहणणं सिज्झति जाव
सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। १०१. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं सुरावियडकुंभं वा सोवीरवियडकभं वा
तेल्लकुंभं वा वसाकुंभं वा पासमाणे पासति, भिदमाणे भिदति, भिन्नमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, दोच्चे भवग्गहणे सिज्झति जाव सव्व
दुक्खाणं अंतं करेति ।। १०२. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं पउमसरं कुसुमियं पासमाणे पासति,
प्रोगाहमाणे प्रोगाहति, प्रोगाढमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति,
तेणेव भवग्गहणणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ १०३. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं सागरं उम्मीवीयीसहस्सकलियं पासमाणे
१. दुरूहमाणे (अ, ख, स)।
३. उम्मीवीयी जाव कलियं (अ, क, ख, ता, ब, २. सं० पा०-जहा तेयनिसग्गे जाव अवकररासिं। म, स)।
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७३२
भगवई
पासति, तरमाणे तरति, तिण्णमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति,
तेणेव भवग्गहणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ १०४. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणंते एगं महं भवणं सव्वरयणामयं पासमाणे पासति,
अणुप्पविसमाणे अणुप्पविसति, अणुप्पविट्ठमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव
बुज्झति, तेणेव भवग्गहणणं सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। १०५. इत्थी वा पुरिसे वा सुविणते एगं महं विमाणं सव्वरयणामयं पासमाणे पासति,
द्रुहमाणे द्रुहति, द्रूढमिति अप्पाणं मन्नति, तक्खणामेव बुज्झति, तेणेव भवग्ग
हणेणं सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ गंध-पोग्गल-पदं १०६. अह भंते ! कोटपुडाण वा जाव' केयइपुडाण वा अणुवायंसि उब्भिज्जमाणाण
वा निभिज्जमाणाण वा उक्किरिज्जमाणाण वा विक्किरिज्जमाणाण वा ° ठाणाओ वा ठाणं संकामिज्जमाणाणं किं कोह्र वाति जाव केयई वाति ?
गोयमा ! नो कोटे वाति जाव नो केयई वाति, घाणसहगया पोग्गला वांति ॥ १०७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति'।
सत्तमो उद्देसो १०८. कतिविहे णं भंते ! उवोगे पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुविहे उवयोगे पण्णत्ते, एवं जहा उवओगपदं पण्णवणाए तहेव
निरवसेसं नेयव्वं, पासणयापदं च नेयव्वं ।। १०६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. राय० सू० ३० ।
५. भ० ११५१ । २. सं० पा०-उब्भिज्जमाणाण वा जाव ६. प० २६ ।
ठाणाओ; रायपसेणइयसुत्ते (३०) 'उब्भिज्ज- ७. भाणियव्वं (स) । माणाण' इत्यादीनि पदानि किञ्चिदधिकानि ८. पासणापदं (अ, क, ख, ता, ब, म);प०३०। भिन्नान्यपि च लभ्यन्ते।
६. निरवसेसं नेयव्वं (स)। ३. केयती (अ, क, म, स)।
१०. भ० ११५१ । ४. वाति (अ, क, ब, म, स)।
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सोलसमं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
अट्ठमो उद्देसो लोगस्स चरिमंते जीवाजीवादिमग्गरणा-पदं ११०. केमहालए' णं भंते ! लोए पण्णत्ते ?
गोयमा ! महतिमहालए लोए पण्णत्ते, जहा बारसमसए तहेव जाव'
असंखेज्जारो जोयणकोडाकोडीनो परिक्खेवेणं ॥ १११. लोयस्स णं भंते ! पुरथिमिल्ले चरिमंते कि जीवा, जीवदेसा, जीवपदेसा,
अजीवा, अजीवदेसा, अजीवपदेसा ? गोयमा ! नो जीवा, जीवदेसा वि, जीवपदेसा वि, अजीवा वि, अजीवदेसा वि, अजीवपदेसा वि । जे जीवदेसा ते नियमं एगिदियदेसा य, अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स य देसे-एवं जहा दसमसए अग्गेयी दिसा तहेव, नवरं देसेसु अणिदियाण आइल्लविरहियो। जे अरूवी अजीवा ते छव्विहा, अद्धासमयो
नत्थि । सेसं तं चेव निरवसेसं ॥ ११२. लोगस्स णं भंते ! दाहिणिल्ले चरिमंते कि जीवा? एवं चेव। एवं पच्चत्थि
मिल्ले वि, उत्तरिल्ले वि ॥ ११३.
लोगस्स णं भंते ! उवरिल्ले चरिमंते कि जीवा-पुच्छा। गोयमा ! नो जीवा, जीवदेसा वि जाव अजीवपदेसा वि । जे जीवदेसा ते नियम" एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य, अहवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य बेइंदियस्सय देसे, अहवा एगिदियदेसा य अणिदियदेसा य बेइंदियाण य देसा, एवं मझिल्लविरहिरो जाव पंचिंदियाणं । जे जीवप्पदेसा ते नियम एगिदियप्पदेसा य अणिदियप्पदेसा य, अहवा एगिदियप्पदेसा य अणिदियप्पदेसा य बेइंदियस्स पदेसा य, अहवा एगिदियप्पदेसा य अणिदियप्पदेसा य बेइंदियाण य पदेसा, एवं आदिल्लविरहिओ जाव पंचिदियाणं । अजीवा जहा दसमसए
तमाए तहेव निरवसेसं ।। ११४. लोगस्स णं भंते ! हेट्ठिल्ले चरिमंते किं जीवा–पुच्छा।।
गोयमा ! नो जीवा, जीवदेसा वि जाव अजीवपदेसा वि, जे जीवदेसा ते नियम एगिदियदेसा, अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियस्स देसे, अहवा एगिदियदेसा य बेइंदियाण य देसा, एवं मज्झिल्लविरहिरो जाव अणिदियाणं । पदेसा आइल्ल
१. किंमहालए (अ, क, ख, ता, म, स)। २. भ० १२।१३०, २।४५ । ३. भ० १०।६। ४. सव्वं (अ, क, ता, ब, म)।
५. नितमं (ब)। ६. बेंदियस्स (म, स)। ७. भ०१०७।
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७३४
भगवई विरहिया सव्वेसि जहा पुरथिमिल्ले चरिमंते तहेव । अजीवा जहेव उवरिल्ले
चरिमंते तहेव ।। ११५. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमंते किं जीवा पुच्छा ।
गोयमा ! नो जीवा, एवं जहेव लोगस्स तहेव चत्तारि वि चरिमंता जाव उत्तरिल्ले, उवरिल्ले तहेव, जहा दसमसए विमला दिसा तहेव निरवसेसं । हेटिल्ले चरिमंते जहेव लोगरस हेट्ठिल्ले चरिमंते तहेव, नवरं -देसे पंचिदिएसु तियभंगो त्ति सेसं तं चेव । एवं जहा रयणप्पभाए चत्तारि चरिमंता भणिया एवं सक्करप्पभाए वि । उवरिम-हेटिल्ला जहा रयणप्पभाए हेट्ठिल्ले । एवं जाव अहेसत्तमाए। एवं सोहम्मस्स वि जाव अच्चुयस्स । गेवेज्जविमाणाणं एवं चेव, नवरं-उरिमहेटिल्लेसु चरिमंतेसु देसेसु पंचिंदियाण वि मज्झिल्लविरहियो चेव, सेसं तहेव ।
एवं जहा गेवेज्जविमाणा तहा अणुत्तरविमाणा वि, ईसिंपब्भारा वि ।। परमाणुपोग्गलस्स गति-पदं ११६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्लायो चरिमंतानो पच्चत्थिमिल्लं
चरिमंतं एगसमएणं गच्छति ? पच्चत्थिमिल्लानो चरिमंतानो पुरथिमिल्ल चरिमंतं एगसमएणं गच्छति ? दाहिणिल्लाओ चरिमंताग्रो उत्तरिल्लं' चरिमंतं एगसमएणं ° गच्छति ? उत्तरिल्लायो चरिमंतानो दाहिणिल्लं' 'चरिमंतं एगसमएणं ° गच्छति ? उवरिल्लायो चरिमंतानो हेट्ठिल्लं चरिमंतं एगसमएणं' गच्छति ? हेट्ठिल्लायो चरिमंतानो उवरिल्लं चरिमंतं एगसमएणं गच्छति ? हंता गोयमा ! परमाणुपोग्गले णं लोगस्स पुरथिमिल्लं तं चेव जाव उवरिल्लं
चरिमंतं एगसमएणं गच्छति ॥ किरिया-पदं ११७. पुरिसे णं भंते ! वासं वासति, वासं नो वासतीति हत्थं वा पायं वा बाहं वा
ऊरुं वा पाउंटावेमाणे' वा पसारेमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे वासं वासति, वासं नो वासतीति हत्थं वा पायं बा वाहं वा ऊरु वा आउंटावेति वा पसारेति वा, तावं च णं से पुरिसे काइयाए अहिगरणियाए पाप्रोसियाए पारितावणियाए पाणातिवायकिरियाए ° - पंचहि किरियाहिं पुढे ।।
१. भ० १०१७। २. सं० पा०---उत्तरिल्लं जाव गच्छति । ३. सं० पा०-दाहिणिल्लं जाव गच्छति।
४. एवं जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ५. आउंटारेमाणे (ता) सर्वत्रापि । ६. सं० पा०-काइयाए जाव पंचहिं ।
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सोलसमं सतं (नवमो उद्देसो)
७३५ अलोए गतिनिसेध-पदं ११८. देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव' महेसक्खे लोगते ठिच्चा पभू अलोगंसि हत्थं वा
पायं वा बाहं वा ऊरुं वा आउंटावेत्तए वा पसारेत्तए वा ?
नो इणटे समढे ।। ११६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–देवे णं महिड्ढिए जाव महेसक्खे लोगते ठिच्चा
नो पभू अलोगंसि हत्थं वा पायं वा बाहं वा ऊरुं वा पाउंटावेत्तए वा° पसारेत्तए वा ? गोयमा ! जीवाणं आहारोवचिया पोग्गला, बोंदिचिया पोग्गला, कलेवरचिया पोग्गला । पोग्गलामेव एप्प जीवाण य अजीवाण य गतिपरियाए पाहिज्जइ । अलोए णं नेवत्थि जीवा, नेवत्थि पोग्गला। से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइदेवे महिड्ढिए जाव महेसक्खे लोगते ठिच्चा नो पभू पालोगसि हत्थं वा पायं
वा बाहं वा ऊरुं वा आउंटावेत्तए वा° पसारेत्तए वा ।। १२०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
नवमो उद्देसो बलिस्स सभा-पदं १२१. कहिण्ण' भंते ! बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो सभा सुहम्मा
पण्णत्ता? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं तिरियमसंखेज्जे जहेव चमरस्स जाव' बायालीसं जोयणसहस्साइं प्रोगाहित्ता, एत्थ णं बलिस्स वइरोयणिदस्स वइरोयणरण्णो रुयगिंदे नाम उप्पायपव्वए पण्णत्ते। सत्तरस एक्कवीसे जोयणसए–एवं पमाणं जहेव तिगिच्छिकूडस्स पासायवडेंसगस्स वि तं चेव पमाणं, सीहासणं सपरिवारं बलिस्स परियारेणं, अट्ठो तहेव', नवरं
१. भ० ११३३६ । २. सं० पा०-हत्थं वा जाव पसारेत्तए। ३. सं० पा० --तेण?णं जाव पसारेत्तए। ४. भ० ११५१। ५. कहि णं (अ, क, ख, ता, ब, म)। ६. भ० २।११८ ।
७. यथा तिगिच्छकूटस्य नामान्वर्थाभिधायकं वाक्यं
तथाऽस्यापि वाच्यं, केवलं तिगिच्छकूटान्वर्थप्रश्नस्योत्तरे यस्मात्तिगिच्छिप्रभाण्युत्पलादीनि तत्र सन्ति तेन तिगिच्छकूट इत्युच्यत इत्युक्तं इह तु रुचकेन्द्रप्रभाणि तानि सन्तीति वाच्यं, रुचकेन्द्रस्तु रत्नविशेष इति, तत्पुनरर्थतः
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भगवई
रुयगिदप्पभाई - रुयगिदप्पभाई स्यगिदप्पभाई । सेसं तं चेव जाव बलिचंचाए रायहाणीए सिं च जाव रुयगिंदस्स णं उप्पायपव्वयस्स उत्तरे णं छक्कोडिसए तहेव जाव चत्तालीसं जोयणसहस्साइं प्रोगाहित्ता, एत्थ णं बलिस्स इयणिस्स वइरोयणरण्णो वलिचंचा नामं रायहाणी पण्णत्ता । एगं जोयणसयसहस्सं प्रमाणं, तहेव जाव बलिपेढस्स उववा जाव श्रायरक्खा सव्वं तहेव निरवसेसं, नवरं - सातिरेगं सागरोवमं ठिती पण्णत्ता । सेसं तं चेव जाव' बली वइरोयणिदे, बली वइरोयणिदे ||
१२२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव' विहरइ ॥
७३६
दसमो उद्देसी
प्रोहि-पदं
१२३. कतिविहा णं भंते ! ओही पण्णत्ता ?
गोमा ! दुविहाही पण्णत्ता । श्रोहीपदं निरवसेसं भाणियव्वं ॥ १२४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ ||
इक्कारसमो उद्देसो
दीवकुमारादि-पदं
१२५. दीवकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा ? सब्वे समुस्सासनिस्सासा ? नो इसम । एवं जहा पढमसए बितियउद्देसए दीवकुमाराणं वत्तव्वया तहेव जा' समाउया, समुस्सासनिस्सासा ॥
सूत्रमेवमध्ये - 'से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ रुपगंदे - रुगिंदे उप्पायपव्वए ? गोयमा ! रुगिंदे णं बहूरिण उप्पला रिंग पउमाई कुमुयाई जावस्र्यागंदवण्णाई रुगिंदसाइं रुदिप्पभाई, सेतेागं रुगिंदेगंदे उपायपव्वए' त्ति (वृ) ।
१. भ० २।११८-१२१ ।
२. १५१ ।
३. कतिविहे ( अ, क, ख, ता, ब, म, स) । ४. प० ३३ ।
५. भ० १।५१ ।
६. भ० १।७४, ७५ ।
७. ० निस्सासा । एवं नागा वि ( अ, ता, ब, म,स) ।
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सोलसमं सतं (१२-१४ उद्देसा)
७३७ १२६. दीवकुमाराणं भंते ! कति लेस्सागो पण्णत्तानो ?
गोयमा ! चत्तारि लेस्सागो पण्णत्ताओ, तं जहा–कण्हलेस्सा', 'नीललेस्सा,
काउलेस्सा, तेउलेस्सा ॥ १२७. एएसि णं भंते ! दीवकुमाराणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरे
हिंतो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा° ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा दीवकुमारा तेउलेस्सा, काउलेस्सा असंखेज्जगुणा,
नीललेस्सा विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया ॥ १२८. एएसि णं भंते ! दीवकुमाराणं कण्हलेसाणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरे
हितो अप्पिड्ढिया वा ? महिड्ढिया वा ? गोयमा ! कण्हलेस्साहितो नीललेस्सा महिड्ढिया जाव सव्वमहिड्ढिया
तेउलेस्सा॥ १२६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव' विहरइ ।।
१२-१४ उद्देसा १३०. उदहिकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा ? एवं चेव ।। १३१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १३२. एवं दिसाकुमारा वि ॥ १३३. एवं थणियकुमारा वि ।। १३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ ।
१. सं० पा०-कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा। २. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
३. भ० ११५१ । ४. भ० ११५१ ।
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सत्तरसमं सतं
पढमो उद्देसो
नमो सुयदेवयाए भगवईए १. कंजर २.संजय ३.सेलेसि, ४.किरिय ५.ईसाण ६,७. पुढवि ८,६. दग १०,११. वाऊ। १२. एगिदिय १३. नाग १४. सुवण्ण, १५. विज्जु १६,१७. वातग्गि' सत्तरसे ॥१॥ हत्थिराय-पदं १. रायगिहे जाव' एवं वयासी-उदायी णं भंते ! हत्थिराया कमोहितो अणंतरं
उव्वट्टित्ता उदायिहत्थिरायत्ताए उववन्ने ? गोयमा ! असुरकुमारेहितो देवेहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता उदायिहत्थिरायत्ताए
उववन्ने ॥ २. उदायी णं भंते ! हत्थिराया कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छिहिति ? कहि
उववज्जिहिति ? गोयमा! इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए उक्कोससागरोवमट्ठितियंसि' निरयावासंसि
नेरइयत्ताए उववज्जिहिति ।। ३. से णं भंते ! तोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छिहिति ? कहिं उववज्जि
हिति ?
गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति ॥ ४. भूयाणंदे णं भंते ! हत्थिराया कमोहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता भूयाणंदे हत्थिराय
त्ताए उववन्ने ? एवं जहेव उदायी जाव अंत काहिति ॥
१. वायुग्गि (अ, म, स)। २. भ०११४-१०।
३. द्वितीयंसि (अ, ख, ब, म)। ४. भ० २।७३ ।
७३८
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सत्तरसमं सतं (पढमो उद्देसो)
७३६ किरिया-पदं ५. पुरिसे णं भंते ! तलमारुहइ', पारुहित्ता तलायो तलफलं पचालेमाणे वा
पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे तलमारुहइ, आरुहित्ता तलाश्रो तलफलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव' पंचहि किरियाहिं पुटे । जेसि पि णं जीवाणं सरीरेहिंतो तले निव्वत्तिए, तलफले निव्वत्तिए ते वि णं
जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा । ६. अहे णं भंते ! से तलफले अप्पणो गरुयत्ताए •भारियत्ताए गरुयसंभारियत्ताए
अहे वीससाए पच्चोवयमाणे जाइं तत्थ पाणाई जाव जीवियाओ ववरोवेति, तए णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से तलफले अप्पणो गरुयत्ताए जाव जीवियाग्रो ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढे । जेसि पि णं जीवाणं सरीरेहितो तले निव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुट्ठा । जेसि पि णं जीवाणं सरीरेहितो तलफले निव्वत्तिए ते णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुछा । जे वि य से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स
उवग्गहे वटुंति ते वि य णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ।। ७. पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ?
गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स मूलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे । जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए, ते वि य णं जीवा काइयाए
जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा । ८. अहे णं भंते ! से मूले अप्पणो गरुययाए जाव जीवियाग्रो ववरोवेति, तए णं
भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?
१. तलमारुभइ (अ, ख, ता, ब, म); ताल °
२. भ० १६।११७ ॥ ३. सं० पा०-गरुयत्ताए जाव पच्चोवयमाणे। ४. X( अ); भ० ५।१३४ । ५. ततो (ब)। ६. से पुरिसे (अ, क, ख, ता, ब, म, स); अत्र
'पुरिसे' इति पदं अशुद्धमस्ति। एतत् च लिपिदोषादागतम् । वृत्तौ तत्तालफलमिति लभ्यते । भ० ५।१३५ सूत्रे 'जावं च रणं से
उसू' इति पाठोस्ति । तत्सादृश्यादत्रापि 'जावं चणं से तलफले' इति पाठः सङ्गतोस्ति । ७. ते वि (अ, क, ख, ता, ब, म, स); अत्र
'अपि' पदं प्रवाहपाति आगतम् । वृत्तौ फलनिर्वर्तकास्तु पंचक्रिया एव इति व्याख्यायां 'तु' पदेन पूर्वप्रकरणाद् भेदः सूचितः । अस्मि
न्नर्थे 'अपि' पदस्य प्रयोगः सङ्गतो न स्यात् । ८. भ० ७।६४ । ६. ततो (क, ता, म)।
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७४०
भगवई
गोयमा ! जावं च णं से मूले अप्पणो गरुययाए जाव जीवियानो ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढे । 'जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो कंदे निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुट्ठा । जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए ते णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्टा । जे वि य से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वट्टति ते वि य णं जीवा काइयाए
जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ॥ ६. पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स कंदे पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ?
गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे रुक्खस्स कंदं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे । जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए ते वि य णं जीवा काइयाए
जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा ॥ १०. अहे णं भंते ! से कंदे अप्पणो गरुययाए जाव जीवियानो ववरोवेति, तए णं
भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ? गोयमा ! जावं च णं से कंदे अप्पणो गरुययाए जाव जीवियानो ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पट्टे । जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए, खंधे निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए ते वि णं जीवा काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पट्टा। जेसि पि य णं जीवाणं सरीरेहितो कंदे निव्वत्तिए ते' णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पदा। जे वि य से जीवा अहे वीससाए पच्चोवयमाणस्स उवग्गहे वटुंति ते वि य णं
जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा । जहा कंदे, एवं जाव बीयं ॥ ११. कति णं भंते ! सरीरगा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंच सरीरगा पण्णत्ता, तं जहा- पोरालिए जाव' कम्मए । १२. कति णं भंते ! इंदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंच इंदिया पण्णत्ता, तं जहा-सोइंदिए जाव' फासिदिए । १३. कतिविहे णं भंते ! जोए पण्णत्ते?
गोयमा ! तिविहे जोए पण्णत्ते, तं जहा-मणजोए, वइजोए, कायजोए । १४. जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे कतिकिरिए ?
गोयमा ! सिय तिकिरिए, सिय चउकिरिए, सिय पंचकिरिए । एवं पुढविकाइए वि । एवं जाव मणुस्से ।।
१. मूले (ख, ता, ब)। २. ४(अ)। ३. ते वि (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
४. भ०१०।८। ५. भ० २१७७।
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सत्तरसमं सतं (बीओ उद्देसो)
७४१ १५. जीवा णं भंते ! ओरालियसरीरं निव्वत्तेमाणा कतिकिरिया ?
गोयमा ! तिकिरिया वि, चउकिरिया वि, पंचकिरिया वि । एवं पुढविकाइया वि। एवं जाव मणुस्सा। एवं वेउव्वियसरीरेण वि दो दंडगा, नवरं जस्स अत्थि वेउव्वियं । एवं जाव कम्मगसरीरं । एवं सोइंदियं जाव फासिंदियं । एवं मणजोगं, वइजोगं, कायजोगं, जस्स जं अत्थि तं भाणियव्वं । एए एगत्तपुहत्तेणं छव्वीसं दंडगा ॥
भाव-पदं
१६. कतिविहे णं भंते ! भावे पण्णत्ते ?
गोयमा ! छव्विहे भावे पण्णत्ते, तं जहा-ओदइए', ओवसमिए' खइए,
खोवसमिए, पारिणामिए°, सन्निवाइए॥ १७. से कि तं प्रोदइए?
प्रोदइए भावे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-उदए य, उदयनिप्फन्ने य। एवं एएणं अभिलावेणं जहा अणुओगदारे छन्नाम तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव' सेत्तं
सन्निवाइए भावे ॥ १८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
बीओ उद्देसो धम्माधम्म-ठित-पदं १६. से नणं भंते ! संजत-विरत-पडिहत-पच्चक्खातपावकम्मे धम्मे ठिते ? अस्संजत
अविरत-अपडिहत-अपच्चक्खातपावकम्मे अधम्मे ठिते? संजतासंजते धम्माधम्मे ठिते ? हंता गोयमा ! संजत-विरत - पडिहत-पच्चक्खातपावकम्मे धम्मे ठिते, अस्संजत-अविरत-अपडिहत-अपच्चक्खातपावकम्मे अधम्मे ठिते, संजतासंजते धम्माधम्मे ठिते ॥
१. उदतिए (अ, क, ब, म)। २. सं० पा०-ओवसमिए जाव सन्निवाइए। ३. निष्पन्ने (अ, म); निप्पन्ने (स)। ४. छणामं (अ, ब, म)।
५. अ०२७३-२६७। ६. भ० ११५१ । ७. सं० पा०-विरत जाव धम्माधम्मे ।
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७४२
भगवई
२०. एयंसि णं भंते ! धम्मंसि वा, धम्मंसि वा, धम्माधम्मंसि वा चक्किया केइ आसइत्तए वा', "सइतएवा, चिट्ठइत्तए वा, निसीइत्तए वा तुयट्टित्तए वा ? गोयमा ! नो इणट्ठे समट्ठे ॥
o
२१. से खाई अणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव संजतासंजते धम्माधम्मे ठिते ? गोमा ! संजत - विरत' पडिहत-पच्चक्खाता पावकम्मे धम्मे ठिते, धम्मं चेव उवसंपज्जित्ताणं विहरति । ग्रस्संजत - प्रविरत- अपहित पच्चक्खात - पावकम्मे धम्मेठिते, अधम्मं चेव उवसंपज्जित्ताणं विहरति । संजतासंजते धम्मम्मे ठिते, धमाधम्मं उवसंपज्जित्ताणं विहरति । से तेणट्ठेणं जाव धमाधम् ठ |
२२. जीवा णं भंते ! किं धम्मे ठिता ? धम्मे ठिता ? धम्माधम्मे ठिता ? गोयमा ! जीवा धम्मे विठिता, अधम्मे वि ठिता, धम्माधम्मे विठिता || २३. नेराइयाणं - पुच्छा ।
गोयमा ! नेरइया नो धम्मे ठिता, प्रधम्मे ठिता, नो धम्माधम्मे ठिता । एवं जाव चउरिदियाणं ॥
२४. पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं - पुच्छा ।
गोमा ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया नो धम्मे ठिता, अधम्मे ठिता, धम्माधम्मे विठिता । मणुस्सा जहा जीवा । वाणमंतर जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया ॥
बालपंडिय-पदं
२५. प्रणउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव परूवेंति एवं खलु समणा पंडिया, समणवासया बालपंडिया, जस्स णं एगपाणाए वि दंडे अणिक्खित्ते से णं एगंतवाले त्ति वत्तव्वं सिया ||
२६. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोमा ! जणं ते ग्रण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव एगंतबाले त्ति वत्तव्वं सिया, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूमि - एवं खलु समणा पंडिया, समणोवासगा बालपंडिया, जस्स णं पण व दंडे निक्खित्ते से णं नो एगंतबाले त्ति वत्तव्वं सिया ।। २७. जीवा णं भंते ! किं बाला ? पंडिया ? बालपंडिया ?
गोमा ! बाला वि, पंडिया वि, बालपंडिया वि ।।
२८. नेरइयाणं - पुच्छा ।
गोमा ! नेरइया बाला, नो पंडिया, नो बालपंडिया । एवं जाव चउरिदिया ॥
१. एतेसिं ( अ, क, ब, म, स); अत्र पष्ठीबहुवचनान्तं पदं शुद्ध ं न प्रतिभाति ।
२. सं० पा० - आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए ।
३. सं० पा०-विरत जाव पावकम्मे । ४. सं० पा० अस्संजत जाव पावकम्मे ।
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७४३
सत्तरसमं सतं (बीओ उद्देसो) २६. पंचिंदियतिक्ख जोणियाणं-पुच्छा।
गोयमा ! पंचिदियतिरिक्खजोणिया बाला, नो पंडिया, बालपंडिया वि।
मणुस्सा जहा जीवा । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया ।। जीवस्स जीवायाए एगत्त-पदं ३०. अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव परूवेंति-एवं खलु पाणातिवाए,
मुसावाए जाव' मिच्छादसणसल्ले वट्टमाणस्स अण्णे जीवे, अण्णे जीवाया । पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे, कोहविवेगे जाव'मिच्छादसणसल्लविवेगे वट्टमाणस्स अण्णे जीवे, अण्णे जीवाया। उप्पत्तियाए' 'वेणइयाए कम्मयाए° पारिणामियाए वट्टमाणस्स अण्णे जीवे, अण्णे जीवाया। प्रोग्गहे, ईहा-अवाए धारणाए वट्टमाणस्स 'अण्णे जीवे, अण्णे ° जीवाया। उट्ठाणे 'कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार °-परक्कमे वट्टमाणस्स 'अण्णे जीवे, अण्णे° जीवाया। नेरइयत्ते तिरिक्ख-मणुस्स-देवत्ते वट्टमाणस्स 'अण्णे जीवे, अण्णे° जीवाया। नाणावरणिज्जे जाव अंतराइए वट्टमाणस्स' 'अण्णे जीवे, अण्णे° जीवाया। एवं कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए, सम्मदिट्ठीए मिच्छदिट्ठीए सम्मामिच्छदिटीए, एवं चक्खुदंसणे अचवखुदंसणे अोहिदंसणे केवलदंसणे, आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे ओहिनाणे मणपज्जवनाणे केवलनाणे, मतिअण्णाणे सुयअण्णाणे विभंगनाणे, आहारसण्णाए भयसण्णाए मेहुणसण्णाए परिग्गहसण्णाए, एवं ओरालियसरीरे वेउव्वियसरीरे पाहारगसरीरे तेयगसरीरे कम्मगसरीरे, एवं मणजोगे वइजोगे कायजोगे सागारोवनोगे, अणागारोवोगे वट्टमाणस्स अण्णे
जीवे, अण्णे जीवाया ॥ ३१. से कहमेयं भंते ! एवं ?
गोयमा ! जण्णं ते अण्णउत्थिया एवमाइक्खंति जाव जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु । अहं पुण गोयमा ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु पाणातिवाए जाव मिच्छादसणसल्ले वट्टमाणस्स सच्चेव जीवे, सच्चेव जीवाया
जाव अणागारोवोगे वट्टमाणस्स सच्चेव जीवे, सच्चेव जीवाया । रूवि-अरूवि-पदं ३२. देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव' महेसक्खे पुत्वामेव रूवी भवित्ता पभू अरूवि"
विउव्वित्ता णं चिट्ठित्तए ? नो इणढे समढे ।।
१. भ० ११३८४ ।
५. सं० पा०—उट्ठाणे जाव परक्कमे । २. भ० ११३८५।
६. ७, ८. सं० पा०—वट्टमाणस्स जाव जीवाया। ३. सं० पा०-उप्पत्तियाए जाव पारिणामियाए। ६. भ० ११३३६।। ४. सं० पा०-वट्टमाणस्स जाव जीवाया। १०. रूपातीतममूर्तमात्मानमिति गम्यते (वृ) ।
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भगवई
३३. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-देवे णं' •महिड्ढिए जाव महेसक्खे पुव्वामेव
रूवी भवित्ता नो पभू अरूवि विउव्वित्ता णं चिद्वित्तए ? गोयमा ! अहमेयं जाणामि, अहमेयं पासामि, अहमेयं बुज्झामि, अहमेयं अभिसमण्णागच्छामि', 'मए एयं नायं, मए एयं दिटुं, मम एवं बुद्धं, मए एयं अभिसमण्णागयं-जण्णं तहागयस्स जीवस्स सरूविस्स, सकम्मस्स, सरागस्स, सवेदस्स.समोहस्स, सलेसस्स, ससरीरस्स, ताम्रो सरीराओ अविप्पमक्कस्स एवं पण्णायति, तं जहा-कालत्ते वा जाव सुक्किलत्ते वा, सुब्भिगंधत्ते वा, दुब्भिगंधत्ते वा, तित्तत्ते वा जाव महुरत्ते वा, कक्खडत्ते वा जाव लुक्खत्ते वा। से तेणद्वेणं गोयमा ! •एवं वुच्चइ –देवे णं महिड्ढिए जाव महेसक्खे पुत्वामेव
रूवी भवित्ता नो पभू अरूवि विउव्वित्ता णं ° चिट्ठित्तए । ३४. सच्चेव णं भंते ! से जीवे पुवामेव अरूवी भवित्ता पभू रूवि विउव्वित्ता णं
चिट्टित्तए?
नो इणढे समढे ॥ ३५. •से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सच्चेव णं से जीवे पुत्वामेव अरूवी भवित्ता
नो पभू रूवि विउव्वित्ता णं चिट्टित्तए ? गोयमा ! अहमेयं जाणामि', 'अहमेयं पासामि, अहमेयं बुज्झामि, अहमेयं अभिसमण्णागच्छामि, मए एयं नायं, मए एयं दिटुं, मम एयं बुद्धं, मए एयं अभिसमण्णागयं-जण्णं तहागयस्स जीवस्स अरूविस्स, अकम्मस्स, अरागस्स, अवेदस्स, अमोहस्स, अलेसस्स, असरीरस्स, तानो सरीरानो विप्पमुक्कस्स नो एवं पण्णायति, तं जहा–कालत्ते वा 'जाव सुक्किलत्ते वा, सुन्भिगंधत्ते वा, दुन्भिगंधत्ते वा, तित्तत्ते वा जाव महुरत्ते वा, कक्खडत्ते वा जाव ° लुक्खत्ते वा । से तेणद्वेणं 'गोयमा ! एवं वुच्चइ-सच्चेव णं से जीवे पुवामेव अरूवी
भवित्ता नो पभू रूविं विउव्वित्ता णं° चिट्ठित्तए । ३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. सं० पा०–णं जाव नो।
६. सं० पा.-समढे जाव चिट्ठित्तए । २. अभिसमागच्छामि (अ, क, ख, ता, ब, म, ७. सं० पा०-जाणामि जाव जण्णं ।
८. सं० पा०-कालत्ते वा जाव लुक्खत्ते । ३. मएतं (ता) सर्वत्र।
६. सं० पा०–तेणद्वेणं जाव चिट्ठित्तए । ४. सवेदणस्स (ता, स)।
१०. भ० ११५१ । ५. सं० पा०-गोयमा जाव चिट्ठित्तए।
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७४५
सत्तरसमं सतं (तइओ उद्देसो)
तइओ उद्देसो एयणा-पदं ३७. सेलेसि पडिवन्नए णं भंते ! अणगारे सया समियं एयति वेयति' चलति फंदइ
घट्टइ खुब्भइ उदीरइ° तं तं भावं परिणमति ?
नो इण? समढे, णण्णत्थेगेणं परप्पयोगेणं ।। ३८. कतिविहा णं भंते ! एयणा' पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-दव्वेयणा, खेत्तेयणा, कालेयणा, 'भवे
यणा, भावेयणा ॥ ३६. दव्वेयणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा–नेरइयदव्वेयणा, तिरिक्खजोणियदव्वे
यणा, मणुस्सदव्वेयणा, देवदव्वेयणा ।। ४०. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–नेरइयदव्वेयणा-नेरइयदव्वेयणा ?
गोयमा ! जण्णं नेरइया नेरइयदव्वे वट्टिसु वा, वट्टंति वा, वट्टिस्संति वा ते णं तत्थ नेरइया नेरइयदव्वे वट्टमाणा नेरइयदव्वेयणं एइंसुवा, एयंति वा, एइस्संति वा । से तेणद्वेणं जाव नेरइयदव्वेयणा। से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-तिरिक्खजोणियदव्वेयणा-तिरिक्खजोणियदव्वेयणा? ५ गोयमा ! जणं तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियदवे वट्टिसु वा, वटुंति वा, वट्टिस्संति वा ते णं तत्थ तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणियदव्वे वट्टमाणा तिरिक्खजोणियदव्वेयणं एइंसु वा, एयंति वा, एइस्संति वा। से तेणटेणं जाव तिरिक्खजोणियदव्वेयणा। से केणढणं भंते ! एवं वुच्चइ–मणुस्सदव्वेयणा-मणुस्सदव्वेयणा ? गोयमा ! जण्णं मणुस्सा मणुस्सदव्वे वट्टिसु वा, वटुंति वा, वट्टिस्संति वा ते णं तत्थ मणुस्सा मणुस्सदव्वे वट्टमाणा मणुस्सदव्वेयणं एइंसु वा, एयंति वा, एइस्संति वा । से तेण?णं जाव मणुस्सदव्वेयणा। से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-देवदव्वेयणा-देवदव्वेयणा ? गोयमा ! जण्णं देवा देवदव्वे वट्टि सु वा, वट्टति वा, वट्टिस्संति वा ते णं तत्थ देवा देवदव्वे वट्टमाणा देवदव्वेयणं एइंसु वा, एयंति वा, एइस्संति वा । से
तेणटेणं जाव देवदव्वेयणा ॥ १. सं० पा०-वेयति जाव तं ।
५. सं० पा०–एवं चेव, नवरं-तिरिक्ख२. एतणा (ता, ब)।
जोणियदव्वे भाणियव्वं, सेसं तं चेव, एवं ३. भावेयणा, भवेयणा (म)।
जाव देवदब्वेयरणा। ४. एयंसु (अ, ब, म)।
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७४६
भगवई
४१. खेत्तयणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा–नेरइयखेत्तयणा जाव देवखेत्तेयणा ॥ ४२. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ–नेरइयखेत्तेयणा-नेरइयखेत्तेयणा ?
एवं चेव, नवरं-नेरइयखेत्तेयणा भाणियव्वा, एवं जाव देवखेत्तेयणा । एवं कालेयणा वि, एवं भवेयणा वि, एवं भावेयणा वि, एवं जाव देवभावेयणा ।।
चलणा-पदं
४३. कतिविहा णं भंते ! चलणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा चलणा पण्णत्ता, तं जहा-सरीरचलणा, इंदियचलणा,
जोगचलणा। ४४. सरीरचलणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-पोरालियसरीरचलणा जाव कम्मग
सरीरचलणा॥ ४५. इंदियचलणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-सोइंदियचलणा जाव फासिदियचलणा ।। ४६. जोगचलणा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-मणजोगचलणा, वइजोगचलणा, कायजोग
चलणा॥ ४७. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-पोरालियसरी रचलणा-पोरालियसरीर
चलणा? गोयमा ! जण्णं जीवा अोरालियसरीरे वट्टमाणा अोरालियसरीरपायोग्गाई दव्वाइं पोरालियसरीरत्ताए परिणामेमाणा अोरालियसरीरचलणं चलिंसु वा, चलंति वा, चलिस्संति वा । से तेणटेणं जाव पोरालियसरीरचलणा। से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ-वेउव्वियसरीरचलणा-वेउव्वियसरीरचलणा ? एवं चेव, नवरं वेउब्वियसरीरे वट्टमाणा । एवं जाव कम्मगसरीरचलणा। से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ सोइंदियचलणा-सोइंदियचलणा? गोयमा ! जण्णं जीवा सोइंदिये वट्टमाणा सोइंदियपायोग्गाई दवाइं सोइंदियत्ताए परिणामेमाणा सोइंदियचलणं चलिंसु वा, चलति वा, चलिस्संति वा । से तेणद्वेणं जाव सोइंदियचलणा। एवं जाव फासिंदियचलणा। से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-मणजोगचलणा-मणजोगचलणा? । गोयमा! जण्णं जीवा मणाजोगे वट्टमाणा मणजोगपाप्रोग्गाइं दव्वाइं मणजोगत्ताए परिणामेमाणा मणजोगचलणं चलिंसु वा, चलंति वा, चलिस्संति वा । से तेणटेणं जाव मणजोगचलणा । एवं वइजोगचलणा वि । एवं कायजोगचलणा वि ॥
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७४७
सत्तरसमं सतं (च उत्थो उद्देसो) संवेगादि-पदं ४८. अह भंते ! संवेगे, निव्वेए, गुरुसाहम्मियसुस्सूसणया, आलोयणया, निंदणया,
गरहणया, खमावणया', 'विउसमणया', सुयसहायता भावे अप्पडिबद्धया, विणिवट्टणया, विवित्तसयणासणसेवणया, सोइंदियसंवरे जाव फासिदियसंवरे, जोगपच्चक्खाणे, सरीरपच्चक्खाणे, कसायपच्चक्खाणे, संभोगपच्चक्खाणे, उवहिपच्चक्खाणे, भत्तपच्चक्खाणे, खमा, विरागया, भावसच्चे, जोगसच्चे, करणसच्चे, मणसमन्नाहरणया, वइसमन्नाहरणया, कायसमन्नाहरणया, कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, नाणसंपन्नया, दंसणसंपन्नया, चरित्तसंपन्नया, वेदणअहियासणया, मारणंतियअहियासणया-एए णं' किंपज्जवसाणफला पण्णत्ता समणाउसो! गोयमा ! संवेगे, निव्वेए जाव मारणंतियअहियासणया एए णं सिद्धिपज्जव
साणफला पण्णत्ता समणाउसो ! ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ॥
चउत्थो उद्देसो किरिया-पदं ५०. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे जाव एवं वयासी-अत्थि णं भंते !
जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ ?
हंता अत्थि ॥ ५१. सा भंते ! किं पुट्ठा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ?
गोयमा ! पुट्ठा कज्जइ, नो अपुट्ठा कज्जइ जाव' निव्वाघाएणं छद्दिसिं, वाघायं
पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसि, सिय पंचदिसि ।। ५२. सा भंते ! किं कडा कज्जइ ? अकडा कज्जइ ?
गोयमा ! कडा कज्जइ, नो अकडा कज्जइ ॥
१. खमासणया (अ); खमायणया (क, ख, ता, ५. णं भंते पदा (अ, क)। ब, म, वृ)।
६. भ० ११५१ । २. एतत् च क्वचिद् न दृश्यते (वृ)। ७. भ० १।४-१० । ३. सुयसहायता विओसरणता (ता); सुहसाह- ८. सं० पा०-एवं जहा पढमसए छठ्ठद्देसए यया विउसमणया (ब) 1
जाव नो। ४. मणसमाधा (हा) रणया (उत्त० २६१)। ६. भ० ११२५६-२६६ ।
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७४८
भगवई
५३. सा भंते ! कि अत्तकडा कज्जइ ? परकडा कज्जइ ? तदुभयकडा कज्जइ ?
गोयमा ! अत्तकडा कज्जइ, नो परकडा कज्जइ, नो तदुभयकडा कज्जइ ।। ५४. सा भंते ! किं आणुपुट्वि' कडा कज्जइ ? अणाणुपुनि कडा कज्जइ ?
गोयमा आणुपुवि कडा कज्जइ, नो अणाणुपुवि कडा कज्जइ। जा य कडा कज्जइ, जा य कज्जिस्सइ, सव्वा सा प्राणुपुव्वि कडा, नो प्रणाणपूव्वि कडा ति वत्तव्वं सिया। एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं-जीवाणं एगिदियाण य निव्वाघाएणं छद्दिसिं, वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसिं, सिय पंच
दिसि । सेसाणं नियम छद्दिसि ॥ ५५. अत्थि णं भंते ! जीवाणं मुसावाएणं किरिया कज्जइ ?
हंता अत्थि ॥ ५६. सा भंते ! किं पुट्ठा कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ?
जहा पाणाइवाएणं दंडगो एवं मुसावाएण वि । एवं प्रदिन्नादाणेण वि, मेहुणेण'
वि, परिग्गहेण वि । एवं एते पंच दंडगा॥ ५७. जं समयं णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ सा भंते ! कि पृट्टा
कज्जइ ? अपुट्ठा कज्जइ ? एवं तहेव जाव' वत्तव्वं सिया जाव' वेमाणियाणं ।
एवं जाव परिग्गहेणं । एवं एते वि पंच दंडगा। ५८. जं देसं णं भंते ! जीवाणं पाणाइवाएणं किरिया कज्जइ ? एवं चेव जाव
परिग्गहेणं । एते वि पंच दंडगा ॥ ५६. जंपएसं णं भंते ! जीवाणं पाणातिवाएणं किरिया कज्जइ सा भंते ! किं पुट्टा
कज्जइ ? एवं तहेव दंडअो । एवं जाव परिग्गहेणं । एवं एते वीसं दंडगा।
दुक्ख-वेदणा-पदं
६०. जीवाणं भंते ! किं अत्तकडे दुक्खे ? परकडे दुक्खे ? तदुभयकडे दुक्खे ?
गोयमा ! अत्तकडे दुक्खे, नो परकडे दुक्खे, नो तदुभयकडे दुक्खे । एवं जाव
वेमाणियाणं॥ ६१. जीवा णं भंते ! किं अत्तकडं दुक्खं वेदेति ? परकडं दुक्खं वेदेति ? तदुभयकडं
दुक्खं वेदेति ? गोयमा ! अत्तकडं दुक्खं वेदेति, नो परकडं दुक्खं वेदेति, नो तदुभयकडं दुक्खं
वेदेति । एवं जाव वेमाणियाणं ॥ ६२. जीवाणं भंते ! किं अत्तकडा वेयणा ? परकडा वेयणा ? "तदुभयकडा
वेयणा ?
१. मेधुणेण (ब)। २. १७३५१-५४।
३. सं० पा०—पुच्छा।
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सत्तरसमं सतं (छ8ो उद्देसो)
७४६ गोयमा ! अत्तकडा वेयणा, नो परकडा वेयणा, नो तदुभयकडा वेयणा । एवं
जाव वेमाणियाणं ।। ६३. जीवा णं भंते ! कि अत्तकडं वेयणं वेदेति ? परकडं वेयणं वेदेति ? तदुभयकडं
वेयणं वेदेति ? गोयमा ! जीवा अत्तकडं वेयणं वेदेति, नो परकडं वेयणं वेदेति, नो तदुभयकडं
वेयणं वेदेति । एवं जाव वेमाणियाणं ।। ६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।।
पंचमो उद्देसो ईसाण-पदं ६५. कहिं णं भंते ! ईसाणस्स देविंदस्स देवरण्णो सभा सुहम्मा पण्णत्ता ?
गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाप्रो भूमिभागानो उड्ढं चंदिम-सूरिय-गहगण-नक्खत्त-तारारूवाणं जहा ठाणपदे जाव' मज्झे ईसाणव.सए। से णं ईसाणवडेंसए महाविमाणे अद्धतेरसजोयणसयसहस्साइं–एवं जहा दसमसए सक्कविमाणवत्तव्वया सा इह वि ईसाणस्स निरवसेसा भाणियव्वा जाव' आयरक्ख त्ति। ठिती सातिरेगाई दो सागरोवमाइं, सेसं तं चेव जाव' ईसाणे देविदे देवराया, ईसाणे देविंदे
देवराया। ६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥
छट्ठो उद्देसो पुढविक्काइयादीणं देस-सव्व-मारणंतियसमुग्घाय-पदं ६७. पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए, समोहणित्ता जे
भविए सोहम्मे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! किं पुव्वि १. भ० ११५१ ।
४. भ० १०.१००। २. प० २।
५. भ० ११५१ । ३. भ० १०६६
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भगवई
उववज्जित्ता पच्छा संपाउणेज्जा ? पुव्वि संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेज्जा ? गोमा ! पुव्वि वा उववज्जित्ता पच्छा संपाउणेज्जा, पुव्वि वा संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेज्जा ॥
६८. से केणट्टेणं जाव पच्छा उववज्जेज्जा ?
७५०
गोयमा ! पुढविक्काइयाणं तो समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा - वेदणासमुग्धाए, कसायसमुग्धाए, मारणंतियसमुग्धाए । मारणंतियसमुग्धाएणं समोहण्णमाणे देसेण वा समहणति, सव्वेण वा समोहण्णति, देसेण वा समोहण्णमाणे पुव्वि संपाउणित्ता पच्छा उववज्जेज्जा, सव्वेणं समोहण्णमाणे पुव्वि उववज्जेत्ता पच्छा संपाउणेज्जा । से तेणट्टेणं जाव पच्छा उववज्जेज्जा ।।
६६. पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए' समोहए, समोहणित्ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए ? एवं चेव ईसाणे वि । एवं जाव अच्चय- गेवेज्जविमाणे, अणुत्तरविमाणे, ईसिंपन्भाराए य एवं चेव ॥
७०. पुढविक्काइए णं भंते ! सक्करप्पभाए पुढवीए समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए ? एवं जहा रयणप्पभाए पुढविक्काइश्रो उववाइस्रो एवं सक्करप्पभाए वि पुढविक्काइयो उववायव्वो जाव ईसिंपब्भाराए । एवं जहा रयणप्पभाए वत्तव्वया भणिया, एवं जाव आहेसत्तमाए समोहए संभारा उववाएयव्वो, सेसं तं चैव ॥ ७१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ॥
सत्तमो उद्देसो
७२. पुढविक्काइए णं भंते! सोहम्मे कप्पे समोहए, समोहणित्ता जे भविए इसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्का इयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते! किं पुव्वि उववज्जित्ता पच्छा संपाउणेज्जा ? सेसं तं चेव ? जहा रयणप्पभाए पुढविक्काइए सव्वकप्पेसु जाव ईसिंपब्भाराए ताव उववाइयो, एवं सोहम्मपुढविक्का
वित्त व पुढवीसु उववाएयव्वो जाव ग्रसत्तमाए । एवं जहा सोहम्मपुढविक्काइसव्वपुढवीसु उववाइग्रो, एवं जाव ईसिप भारापुढविक्काइओ सव्वपुढवी उववायव्वो जाव ग्रसत्तमाए | ७३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।।
१. पुढवीए जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) | ३. भ० १।५१ ।
२. भ० १।५१ 1
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सत्तरसमं सतं (८-१० उद्देसा)
७५१
अट्ठमो उद्देसो ७४. अाउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए समोहए, समोहणित्ता जे
भविए सोहम्मे कप्पे आउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एवं जहा पुढविक्काइनो तहा आउक्काइनो वि सव्वकप्पेसु जाव ईसिंपन्भाराए तहेव उववाएयव्वो। एवं जहा रयणप्पभग्राउक्काइयो उववाइनो तहा जाव अहेसत्तम
आउक्काइनो उववाएयव्वो जाव ईसिंपन्भाराए । ७५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।
नवमो उद्देसो ७६. आउक्काइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे
रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहिवलएसु आउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते० ? सेसं तं चेव, एवं जाव अहेसत्तमाए। जहा सोहम्मआउक्काइओ एवं
जाव ईसिपब्भाराग्राउक्काइयो जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो ॥ ७७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
दसमो उद्देसो ७८. वाउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए जाव जे भविए सोहम्मे कप्पे वाउ
क्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ? जहा पुढविक्काइप्रो तहा वाउक्काइनो वि, नवरं-वाउक्काइयाणं चत्तारि समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा-वेदणासमग्घाए जाव' वेउब्वियसमग्घाए। मारणंतियसमग्घाए णं समोहण्णमाणे देसेण वा समोहण्णइ, सेसं तं चेव जाव अहेसत्तमाए समोहरो ईसिपब्भाराए
उववाएयव्वो॥ ७६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
१. भ० ११५१ । २. भ० ११५१ ।
३. भ० २०७४ । ४. भ. ११५१।
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७५२
भगवई
इक्कारसमो उद्देसो ८०. वाउक्काइए णं भंते ! सोहम्मे कप्पे समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे
रयणप्पभाए पुढवीए घणवाए, तणुवाए, घणवायवलएसु, तणुवायवलएसु वाउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ? सेसं तं चेव । एवं जहा सोहम्मे वाउक्काइनो सत्तसु वि पुढवीसु उववाइअो एवं जाव ईसिंपन्भारावाउक्काइनो
अहेसत्तमाए जाव उववाएयब्वो।। ८१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥
बारसमो उद्देसो एगिदिय-पदं ८२. एगिदिया णं भंते ! सव्वे समाहारा० ? एवं जहा पढमसए बितियउद्देसए
पुढविक्काइयाणं वत्तव्वया भणिया सा चेव एगिदियाणं इह भाणियव्वा जाव'
समाउया, समोववन्नगा। ८३. एगिदियाणं भंते ! कति लेस्सायो पण्णत्तायो ?
गोयमा ! चत्तारि लेस्सायो पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा' नीललेस्सा
काउलेस्सा ० तेउलेस्सा ॥ ८४. एएसि णं भंते ! एगिदियाणं कण्हलेस्साणं' 'नीललेस्साणं काउलेस्साणं तेउले
स्साण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिदिया तेउलेस्सा, काउलेस्सा अणंतगुणा, नीललेस्सा
विसेसाहिया, कण्हलेस्सा विसेसाहिया ॥ ८५. एएसि णं भंते ! एगिदियाणं कण्हलेसाणं इड्ढी० ? जहेव दीवकुमाराणं ।। ८६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. भ० ११५१ । २. भ० ११७६-८१ । ३. सं० पा०-कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा।
४. सं० पा०-कण्हलेस्सारणं जाव विसेसाहिया। ५. भ० १६।१२८ । ६. भ. ११५१ ।
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सत्तरसम सतं (१३-१७ उद्देसा)
१३-१७ उद्देसा
नागकुमारादि पर्द
८७. नागकुमाराणं भंते! सव्वे समाहारा० ? जहा सोलसमसए दीवकुमारुद्दे से तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव' इड्ढी ||
८८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव' विहरइ ||
८. सुवण्णकुमाराणं भंते ! सव्वे समाहारा० ? एवं चेव ॥ ६०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
६१. विज्जुकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा० ? एवं चेव ॥ ६२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
६३. वायुकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा० ? एवं चेव ॥ ६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' |
६५. अग्गिकुमारा णं भंते ! सव्वे समाहारा० ? एवं चेव ।। ९६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. भ० १६ । १२५-१२८ ।
२. भ० १।५१ ।
३० भ० १।५१ ।
४. भ० १।५१ ।
५. भ० १।५१ ।
६. भ० १।५१ ।
७५३
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पढम-पढम-पदं
१. ते काणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' एवं क्यासी - जीवे णं भंते ! जोवभावेणं किं पढमे ? अपढमे ?
गोमा ! नो पढमे, अपढमे । एवं नेरइए जाव वेमाणिए ॥
सिद्धे णं भंते ! सिद्धभावेणं किं पढमे ? पढमे ? गोमा ! पढमे, नो अपढमे ||
जीवा णं भंते ! जीवभावेणं किं पढमा ? अपढमा ? गोमा ! नो पढमा, अपढमा । एवं जाव वेमाणिया ||
२.
३.
४.
५.
६.
७.
अट्ठारसमं सतं पढो उद्देो
१. पढमे २. विसाह ३.
मायंदिर य ४. पाणाइवाय ५. असुरे य ।
६. गुल ७. केवलि ८. अणगारे, ६. भविए तह १०. सोमिलद्वारसे ॥१॥
सिद्धा णं - पुच्छा ।
गोमा ! पढमा, नो अपढमा ॥
आहारए णं भंते ! जीवे ग्राहारभावेणं किं पढमे ? अपढमे ? गोयमा ! नो पढमे, अपढमे । एवं जाव वेमाणिए । पोहत्तिए एवं चेव ॥
प्रणाहारणं भंते! जीवे ग्रणाहारभावेणं - पुच्छा ।
गोमा ! सिय पढमे, सिय पढमे ||
नेरइए णं भंते ! जीवे प्रणाहारभावेणं - पुच्छा । एवं नेरइए जाव वेमाणिए नो पढमे, पढमे । सिद्धे पढमे, नो अपढमे ॥
१. पढमा ( अ, क, ख, ता, ब, म ) । २. उद्देशकद्वारसंग्रहणी चेयं गाथा क्वचिदृश्यते - जीवाहारग भवसन्निलेसादिट्ठी य संजयकसाए । गाणे जोगुवओगे, तेए य सरीरपज्जत्ती ॥ (वृ);
'अ' प्रतावपि एषा गाथा लभ्यते । ३. भ० १।४ - १० ।
७५४
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अट्ठारसमं सतं (पढमो उद्देसो)
७५५ अणाहारगा णं भंते ! जीवा अणाहारभावेणं-पुच्छा । गोयमा ! पढमा वि, अपढमा वि। नेरइया जाव वेमाणिया नो पढमा, अपढमा । सिद्धा पढमा, नो अपढमा-एक्केक्के पुच्छा भाणियव्वा ।। भवसिद्धीए एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारए, एवं अभवसिद्धीए वि । नोभवसिद्धीयनोप्रभवसिद्धीए णं भंते ! जीवे नोभवसिद्धीय-नोग्रभवसिद्धीयभावेणं-पुच्छा। गोयमा ! पढमे, नो अपढमे । नोभवसिद्धीय-नोग्रभवसिद्धीए णं भंते ! सिद्धे
नोभवसिद्धीय-नोग्रभवसिद्धीयभावेणं-पच्छा । एवं पहत्तण वि दोन वि॥ १०. सण्णी णं भंते ! जीवे सण्णीभावेणं किं पढमे
गोयमा ! नो पढमे, अपढमे । एवं विगलिदियवज्जं जाव' वेमाणिए । एवं पुहत्तेण वि । असण्णी एवं चेव एगत्त-पुहत्तेणं, नवरं जाव वाणमंतरा। नोसण्णीनोअसण्णी जीवे मणुस्से सिद्धे पढमे, नो अपढमे । एवं पुहत्तेण वि । सलेसे णं भंते ! - पच्छा । गोयमा ! जहा आहारए, एवं पुहत्तेण वि । कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा एवं चेव, नवरं-जस्स जा लेसा अस्थि । अलेसे णं जीव-मणुस्स-सिद्धे जहा नोसण्णी-नो असण्णी॥ २. सम्मदिट्ठीए णं भंते ! जीवे सम्मदिद्विभावेणं किं पढमे ---पुच्छा।
गोयमा ! सिय पढमे, सिय अपढमे । एवं एगिदियवज्ज जाव वेमाणिए । सिद्धे पढमे, नो अपढमे। पुहत्तिया जीवा पढमा वि, अपढमा वि। एवं जाव वेमाणिया । सिद्धा पढमा, नो अपढमा। मिच्छादिट्ठीए एगत्त-पुहत्तेणं जहा पाहारगा। सम्मामिच्छदिट्ठी एगत्त-पुहत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी, नवरं--जस्स
अत्थि सम्मामिच्छत्तं ॥ १३. संजए जीवे मणुस्से य एगत्त-पुहत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी । असंजए जहा पाहारए।
संजयासंजए जीवे पंचिदियतिरिक्खजोणिय-मणुस्सा एगत्त-पुहत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी । नोसंजए नो अस्संजए नोसंजयासंजए जोवे सिद्धे य एगत्त-पहत्तेणं
पढमे, नो अपढमे ॥ १४. सकसायी, कोहकसायी जाव लोभकसायी-एए एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारए।
अकसायी जीवे सिय पढमे, सिय अपढमे । एवं मणुस्से वि । सिद्धे पढमे, नो अपढमे । पुहत्तेणं जीवा मणुस्सा वि पढमा वि अपढमा वि । सिद्धा पढमा,
नो अपढमा ।। १५. नाणी एगत्त-पुहत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी। आभिणिबोहियनाणी जाव मणपज्जव
नाणी एगत्त-पुहत्तेणं एवं चेव, नवरं-जस्स जं अत्थि। केवलनाणी जीवे मणुस्से सिद्धे य एगत्त-पुहत्तेणं पढमा, नो अपढमा । अण्णाणी, मइअण्णाणी, सुयअण्णाणी, विभंगनाणी य एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारए ।
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७५६
भगवई
१६. सजोगी, मणजोगी, वइजोगी, कायजोगी एगत्त-पुहत्तेणं जहा आहारए, नवरं - जस्स जो जोगो प्रत्थि । जोगी जीव मणुस्स सिद्धा एगत्त-पुहत्तेणं पढमा, नो
अपढमा ||
१७. सागारोवउत्ता प्रणागारोवउत्ता एगत्त-पुहत्तेणं जहा ग्रणाहारए ॥
१८. सवेदगो जाव नपुंसगवेदगो एगत्त-पुहत्तेणं जहा ग्राहारए, नवरं जस्स जो वेदो प्रत्थि । अवे गत्-पुहत्तेणं तिसु वि पदेसु जहा अकसायी ॥
१६. ससरीरी जहा आहारए, एवं जाव कम्मगसरीरी, जस्स जं प्रत्थि सरीरं, नवरंग्राहारगसरीरी' एगत्त-पुहत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी | असरीरी जीवो सिद्धो य एगत्त-पुहत्तेणं 'पढमो, नो अपढमो ॥
२०. पंचहि पज्जत्तीहि पंचहिं प्रपज्जतीहि एगत्त- पुहत्तेणं जहा ग्राहारए, नवरं - जस जा अत्थि जाव वेमाणिया नो पढमा, अपढमा । इमा लक्खणगाहा-जो जेण पत्तपुव्वो, भावो सो तेण ग्रपढमत्रो होइ । सेसेसु होइ पढमो, प्रपत्तपुव्वेसु भावेसु ॥१॥
चरिम- श्रच रिम-पदं
२१. जीवे णं भंते ! जीवभावेणं किं चरिमे ? अचरिमे ? गोयमा ! नो चरिमे, अचरिमे ॥
२३. नेरइए णं भंते ! नेरइयभावेण - पुच्छा ।
गोमा ! सिय चरिमे, सिय प्रचरिमे । एवं जाव वेमाणिए । सिद्धे जहा जीवे ॥
२३. जीवा णं -- पुच्छा ।
गोयमा ! नो चरिमा, प्रचरिमा । नेरइया चरिमा वि, प्रचरिमा वि। एवं जाव माणिया । सिद्धा जहा जीवा ॥
२४. आहारए सव्वत्थ एगत्तेणं सिय चरिमे, सिय प्रचरिमे; पुहत्तेणं चरिमा वि अरिमावि । णाहारम्रो जीवो सिद्धो य एगत्तेण वि पुहत्तेण वि 'नो चरिमो, अरिमो' । सेट्ठाणेसु एगत्त-पुहत्तेणं जहा श्राहारो ॥
२५. भवसिद्धी जीवपदे एगत्त-पुहत्तेणं चरिमे, नो प्रचरिमे । सेसट्ठाणेसु जहा हाम्रो । प्रभवसिद्धीग्रो सव्वत्थ एगत्त-पुहत्तेणं नो चरिमे, अचरिमे । नोभवसिद्धीय- नोभवसिद्धीयजीवा सिद्धा य एगत्त-पुहत्तेणं जहा भवसिद्धी ||
१. आहारासरीरी (क, ख, ता) ।
२. पढमा नो अपढमा ( अ, क, ख, ता, ब, म ) ।
३. नो चरिमा अचरिमा (क, ख, ता, ब, म ) ।
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७५७
अट्ठारसमं सतं (पढमो उद्देसो) २६. सण्णी जहा अाहारो, एवं असण्णी वि । नोसण्णी-नोअसण्णी जीवपदे सिद्धपदे
य अचरिमे, मणुस्सपदे चरिमे एगत्त-पुहत्तेणं ।। २७. सलेस्सो जाव सुक्कलेस्सो जहा आहारो, नवरं-जस्स जा अत्थि । अलेस्सो
जहा नोसण्णी-नोअसण्णी ॥ २८. सम्मदिट्ठी जहा अणाहारो । मिच्छादिट्ठी जहा आहारयो । सम्मामिच्छदिट्ठी
एगिदिय-विलिंदियवज्जं सिय चरिमे, सिय अचरिमे। पुहत्तेणं चरिमा वि,
अचरिमा वि ॥ २६. संजो जीवो मणुस्सो य जहा आहारो। अस्संजनो वि तहेव । संजयासंजए
वि तहेव, नवरं-जस्स जं अस्थि । नोसंज य-नोअसंजय-नोसंजयासंजो जहा
नोभवसिद्धीय-नोअभवसिद्धीओ।। ३०. सकसायी जाव लोभकसायी सव्वट्ठाणेसु जहा आहारयो । अकसायी जीवपदे
सिद्धे य नो चरिमे, अचरिमे । मणुस्सपदे सिय चरिमे, सिय अचरिमे। ३१. नाणी जहा सम्मद्दिट्ठी सव्वत्थ। आभिणिबोहियनाणी जाव मणपज्जवनाणी
जहा आहारो, नवरं-जस्स जं अत्थि । केवलनाणी जहा नोसण्णी-नोअसण्णी।
अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा आहारओ॥ ३२. सजोगी जाव कायजोगी जहा आहारओ, जस्स जो जोगो अत्थि । अजोगी जहा
नोसण्णी-नोअसण्णी॥ ३३. सागारोवउत्तो अणागारोवउत्तो य जहा अणाहारो ।। ३४. सवेदनो जाव नपुंसगवेदो जहा आहारो । अवेदओ जहा अकसायी । ३५. ससरीरी जाव कम्मगसरीरी जहा आहारो, नवरं- जस्स जं अस्थि । असरीरी
जहा नोभवसिद्धीय-नोअभवसिद्धीप्रो । ३६. पंचहिं पज्जत्तीहिं पंचहिं अपज्जत्तीहिं जहा आहारो, सव्वत्थ एगत्त-पुहत्तेणं दंडगा भाणियव्वा । इमा लक्खणगाहा
जो जं पाविहिति पुणो, भावं सो तेण अचरिमो होइ।
अच्चंतविनोगो जस्स, जेण भावेण सो चरिमो॥१॥ ३७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।।
१. भ० ११५१ ।
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७५८
भगवई
बीओ उद्देसो सक्कस्स कत्तिय-सेट्टिनाम-पुत्वभव-पदं ३८. तेणं कालेणं तेणं समएणं विसाहा नाम नगरी होत्था-वण्णओ। बहपुत्तिए
चेइए-वण्णो '। सामी समोसढे जाव पज्जुवासइ । तेणं कालेणं तेणं समएणं सक्के देविदे देवराया वज्जपाणी पुरंदरे-एवं जहा सोलसमसए बितियउद्देसए तहेव दिव्वेणं जाणविमाणेणं पागओ, नवरं-एत्थं आभियोगा वि अत्थि जाव बत्तीसििवहं नट्टविहि उवदंसेत्ता जाव पडिगए। भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं 'वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता ° एवं वयासी-जहा तइयसए ईसाणस्स तहेव कडागारदिटुंतो, तहेव
पुत्वभवपुच्छा जाव' अभिसमन्नागए ? ४०.
गोयमादि ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-एवं खलु गोयमा ! तेणं कालेणं तेणं समएणं इहेव जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे हत्थिणापुरे नाम नगरे होत्था-वण्णो । सहसंबवणे उज्जाणे-वण्णो । तत्थ णं हत्थिणापुरे नगरे कत्तिए नामं सेट्ठी परिवसति अड्ढे जाव बहुजणस्स अपरिभूए, नेगमपढमासणिए, नेगमट्ठसहस्सस्स बहूसु कज्जेसु य कारणेसु य कोडुबेसु य ५०मंतेसु य रहस्सेसु य गुज्झेसु य निच्छएसु य ववहारेसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे मेढी पमाणं आहारे आलंबणं चक्खू , मेढिभूए पमाणभूए आहारभूए अालंबणभूए° चक्खुभूए, नेगमट्ठसहस्सस्स सयस्स य कुटुंबस्स आहेवच्चं पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं आणा-ईसर-सेणावच्चं ° कारेमाणे पालेमाणे, समणोवासए, अहिगयजीवाजीवे जाव" अहापरिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि
अप्पाणं भावेमाणे विहरइ॥ ४१. तेणं कालेणं तेणं समएणं मुणिसुव्वए अरहा आदिगरे जहा सोलसमसए तहेव
जाव समोसढे जाव" परिसा पज्जुवासइ ।। ४२. तए णं से कत्तिए सेट्ठी इमीसे कहाए लट्ठ समाणे हट्टतुटे एवं जहा एक्कारसम
सए सूदंसणे तहेव निग्गयो जाव" पज्जुवासति ।।
१. ओ० सू० १। २. ओ० सू० २-१३ । ३. ओ० सू० २२-५२। ४. भ० १६॥३३; ३।२७ । ५. सं० पा०-महावीरं जाव एवं । ६. भ० ३।२८-३० । ७. ओ० सू० १। ८. सहस्संबवणे (स)।
६. भ० १११५७। १०. भ० २।९४ । ११. सं० पा.-.---एवं जहा रायपसेणइज्जे चित्ते
जाव चक्खुभूए । १२. सं० पा०-आहेवच्चं जाव कारेमाणे। १३. भ० २।९४ । १४. भ०१६।६७,६८ । १५. भ० ११।११६ ।
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७५३
अट्ठारसम सतं (बीओ उद्देसो) ४३. तए णं मुणिसुव्वए अरहा कत्तियस्स सेट्ठिस्स "तीसे य महतिमहालियाए
परिसाए धम्म परिकहेइ° जाव' परिसा पडिगया ॥ ४४. तए णं से कत्तिए सेट्टी मुणिसुव्वयस्स' अरहओ अंतियं धम्म सोच्चा • निसम्म
हट्ठतुटे उडाए उद्वेति, उद्वेत्ता मुणिसुव्वयं अरहं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमसित्ता ° एवं वयासी--एवमेयं भंते ! जाव'-से जहेयं तुब्भे वदह जं, नवरंदेवाणुप्पिया ! नेगमट्ठसहस्सं आपुच्छामि, जेट्टपुत्तं च कुडुंबे ठावेमि, तए णं अहं देवाणुप्पियाणं अंतियं पव्वयामि ।
अहासुहं देवाणु प्पिया ! मा पडिबंधं ॥ ४५. तए णं से कत्तिए सेट्ठी जाव' पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता जेणेव हत्थिणापुरे
नगरे जेणेव सए गेहे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता नेगमट्ठसहस्सं सद्दावेइ, सद्दावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए मुणिसुव्वयस्स अरहनो अंतियं धम्मे निसंते, से वि य मे धम्मे इच्छिए, पडिच्छिए, अभिरुइए । तए णं अहं देवाणुप्पिया! संसारभयुव्विग्गे जाव' पव्वयामि, तं तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! कि करेह, किं ववसह, कि भे हियइच्छिए, कि भे सामत्थे ? तए णं तं नेगमट्ठसहस्सं पि" कत्तियं सेट्टि एवं वयासी-जइ णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! संसारभयुध्विग्गा जाव पव्वयह, अम्हं देवाणुप्पिया ! के अण्णे आलंबे वा, आहारे वा, पडिबंधे वा ? अम्हे वि णं देवाणुप्पिया ! संसारभयुविग्गा भीया जम्मणमरणाणं देवाणुप्पिएहिं सद्धिं मुणिसुव्वयस्स अरहो
अंतियं मुंडा भवित्ता अगाराप्रो अणगारिय" पव्वयामो"। ४७. तए णं से कत्तिए सेट्ठी तं नेगमट्ठसहस्सं एवं वयासी-जदि णं देवाणुप्पिया!
संसारभयुव्विग्गा भीया जम्मणमरणाणं मए सद्धि मुणिसुव्वयस्स५ अरहो अंतियं मुंडा भवित्ता अगारानो अणगारियं° पव्वयह, तं गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया ! सएसु गिहेसु, विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं° उवक्खडावेह,
१. सं० पा०-धम्मकहा । २. ओ० सू० ७१-७६ । ३. सं० पा०-मूणिसुव्वयस्स जाव निसम्म । ४. सं० पा०-मुरिगसुव्वयं जाव एवं । ५. भ० २।५२ । ६. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ७. भ. १६७१ । ८. भ०१८।४६ । ६. के (क, ख, ता, ब, म)। १०. के (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
११. तं (ख)। १२. पव्वाति (अ); पव्वादि (क, ख, ता, ब);
पव्वादि (म); पव्वाहिति (स) । नायाधम्मकहाओ (५।६०) सूत्रानुसारेण एतत् क्रिया
पदं स्वीकृतम्। १३. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। १४. पव्वामो (अ, ख, ता, ब, म)। १५. सं० पा०–मुणिसुव्वयस्स जाव पव्वयह । १६. सं० पा०-असणं जाव उवक्खडावेह ।
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७६०
भगवई
४८.
मित्त-नाइ'- नियग-सयण-संबंधि-परियणं आमंतेह, तं मित्त-नाइ-नियग-सयणसंबंधि-परियणं विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-गंध-मल्लालं-कारेण य सक्कारेह सम्माणेह, तस्सेव मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि-परिजणस्स पुरो जेठ्ठपुत्ते कुडंबे ठावेह, ठावेत्ता तं मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधिपरियणं' जेट्टपुत्ते आपुच्छह, आपुच्छित्ता पुरिससहस्सवाहिणीनो सीयानो द्रुहह, द्रुहित्ता मित्त-नाइ'- नियग-सयण-संबंधि ० -परिजणेण जेट्टपुत्तेहि य समणुगम्ममणमाग्गा सविड्ढीए जाव दुंदुहि-निग्घोसनादियरवेणं अकालपरिहीणं चेव मम अंतियं पाउब्भवह ॥ तए णं तं नेगमट्ठसहस्सं पि कत्तियस्स सेट्ठिस्स एयमढे विणएणं पडिसुणेति, पडिसुणेता जेणेव साइं-साइं गिहाई तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता विपुलं असणं' 'पाणं खाइमं साइमं° उवक्खडावेति, उवक्खडावेत्ता मित्त-नाइ''नियग-सयण-संबंधि-परियणं विउलेणं असण-पाण-खाइम-साइमेणं वत्थ-गंधमल्लालंकारेण य सक्कारेइ सम्माणेइ°, तस्सेव मित्त-नाइ- नियग-सयणसंबंधि-परियणस्स° पुरो जेट्टपुत्ते कुडुंबे ठावेति, ठावेत्ता तं मित्त-नाइ•नियग-सयण-संबंधि-परियणं° जेट्टपुत्ते य आपुच्छइ, आपुच्छित्ता पुरिससहस्सवाहिणीओ सीयाओ द्रुहति, द्रुहित्ता मित्त-नाइ-नियग-सयण-संबंधि° परिजणेणं जेट्टपुत्तेहि य समणुगम्ममाणमग्गा सव्विड्ढीए जाव इंदुहि-निग्घोसनादिय
रवेणं अकालपरिहीणं चेव कत्तियस्स सेटिस्स अंतियं पाउब्भवति । ४६. तए णं से कत्तिए सेट्टी विपुलं असणं पाणं खाइमं साइमं उववखडावेति जहा
गंगदत्तो जाव" सीयं द्रुहति, द्रुहित्ता मित्त-नाइ२. नियग-सयण-संबंधि-परिजणेणं जेट्रपत्तेणं नेगमसहस्सेण य समणगम्ममाणमग्गे सविडढीए जाव" दंदहिनिग्घोसनादियरवेणं हत्थिणापुरं नगरं मज्झमझेणं निग्गच्छइ, जहा गंगदत्तो जाव" आलित्ते णं भंते ! लोए, पलित्ते णं भंते ! लोए, प्रालित्त-पलित्ते णं भंते ! लोए जाव" आणगामियत्ताए भविस्सति, तं इच्छामि णं भंते ! नेगमसहस्सेण सद्धि सयमेव पव्वावियं जाव" धम्ममाइविखयं ॥
१. सं० पा०-नाइ जाव जेट्टपुत्ते । २. सं० पा०-नाइ जाव जेट्टपुत्ते । ३. सं० पा०-नाइ जाव परिजणेणं । ४. भ. १८२। ५. सं. पा.-असणं जाव उवक्खडावेति । ६. सं० पा०-नाइ जाव तस्सेव । ७. सं० पा०-नाइ जाव पुरो। ८. सं. पा.-नाइ जाव जेट्टपुत्ते ।
६. सं० पा०-नाइ जाव परिजणणं । १०. भ० ६।१८२ ११. भ. १६७१। १२. सं० पा०-नाइ जाव परिजणेगा। १३. भ०६।१८२। १४. भ० १६१७१; ६।२१४ । १५. भ०६।२१४। १६. भ० २।५२ ।
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अट्ठारसमं सतं (तइओ उद्देसो)
७६१
५०. तए णं मुणिसुव्वए रहा कत्तियं सेट्ठि नेगमट्टसहस्सेणं सद्धि सयमेव पव्वावेति जाव' धम्ममाइक्खइ–– एवं देवाणुप्पिया ! गंतव्वं, एवं चिट्ठियव्वं जाव' संमियव्वं ॥
५१. तणं से कत्तिए सेट्ठी नेगमट्टसहस्सेण सद्धि मुणिसुव्वयस्स ग्ररहम्रो इमं एयारूवं धमियं वदे सम्मं पडिवज्जइ, तमाणाए तहा गच्छति जाव संजमेति ॥ ५२. तणं से कत्तिए सेट्ठी नेगमट्टसहस्सेणं सद्धि अणगारे जाए - ईरियासमिए जाव*
गुत्तभारी ॥
o
५३. तए णं से कत्तिए अणगारे मुणिसुव्वयस्स अरह तहारूवाणं थेराणं प्रतियं सामाइयमाइयाई चोद्दस पुव्वाइं ग्रहिज्जइ, ग्रहिज्जिता बहूहिं चउत्थ छट्ठट्ठम• दसम - दुवाल सेहि, मासद्धमासखमणेहिं विचित्तेहिं तवोकम्मेहिं प्रप्पाणं भावेमाणे बहुपsिपुणाई दुवालस वासाई सामण्णपरियागं पाउणइ, पाउणित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झोसेइ, झोसेत्ता सद्वि भत्ताइं प्रणसणाए छेदेति, छेदेत्ता आलोइय'- पडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे • कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडेंस विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूतरिए अंगुल असंखेज्जइभागमेत्तीए ओगाहणाए • सक्के देविदत्ताए उववन्ते || ५४. तणं से सक्के देविंदे देवराया ग्रहणोववण्णमेत्तए सेसं जहा गंगदत्तस्स जाव' सव्वदुक्खाणं तं काहिति, नवरंठिती दो सागरोवमाई, सेसं तं चेव ॥ ५५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
तइओ उद्देसो
मागं दियपुत्त-पदं
५६. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नगरे होत्था - वण्णो । गुणसिलए चेइएaur जाव" परिसा पडिगया । तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवनो
१. भ० २।५३ |
२. भ० २।५३ ।
३. भ० २।५४ |
४. भ० २।५५ ।
५. सं० पा०--छट्टट्टम जाव अप्पाणं ।
६. सं० पा० - आलोइय जाव कालं । ७. सं० पा० देवसय णिज्जंसि जाव सबके ।
८. भ० १६।७२-७५ ।
६. भ० १।५१ ।
१० भ० १२-५ ।
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७६२
भगवई
महावीरस्स' अंतेवासी मागंदियपुत्ते नामं अणगारे पगइभद्दए-जहा मंडियपुत्ते
जाव पज्जुवासमाणे एवं वयासी५७. से नणं भंते ! काउलेस्से पुढविकाइए काउलेस्सेहितो पुढविकाइएहितो अणंतरं
उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभति, लभित्ता केवलं वोहिं बुज्झति, बुज्झित्ता तो पच्छा सिज्झति जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ?
हंता मागंदियपुत्ता ! काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। ५८. से नणं भंते ! काउलेस्से ग्राउकाइए काउलेस्सहिंतो पाउकाइएहितो अणंतरं
उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभति, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ?
हंता मागंदियपुत्ता ! जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। ५६. से नणं भंते ! काउलेस्से वणस्सइकाइए " काउलेसेहितो वणस्सइकाइएहितो
अणंतरं उव्वट्टित्ता माणुसं विग्गहं लभति, लभित्ता केवलं बोहिं बुज्झति, बुज्झित्ता तो पच्छा सिझति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ?
हंता मागंदियपुत्ता ! ० जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ।। ६०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति मागंदियपत्ते अणगारे समणं भगवं महावीरं वंदड
नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव समणा निग्गंथा तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणे निग्गंथे एवं वयासी-एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से पुढविकाइए तहेव जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से आउक्काइए तहेव जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति। एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से वणस्सइ
काइए तहेव जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ॥ ६१. तए णं ते समणा निग्गंथा मागंदियपुत्तस्स अणगारस्स एवमाइक्खमाणस्स जाव
एवं परूवेमाणस्स एयमटुं नो सद्दहति नो पत्तियंति नो रोएंति, एयमद्रं असहहमाणा अपत्तियमाणा अरोएमाणा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी–एवं खलु भंते ! मागंदियपुत्ते अणगारे अम्हं एवमाइक्खति जाव परूवेति-एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से आउक्काइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति ! एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से वणस्सइकाइए वि जाव सव्वदुक्खाणं
अंतं करेति ।। ६२. से कहमेयं भंते ! एवं ?
१. महावीरस्स जाव (स)। २. भ० ३।१३४; ११२८८, २८६ । ३. भ० ११४४ ।
४. काउलेसे (अ, स)। ५. सं० पा०-एवं चेव जाव । ६. सं० पा०--महावीरं जाव नमंसित्ता।
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अट्ठारसमं सतं (तइओ उद्देसो)
अज्जोति ! समणे भगवं महावीरे ते समणे निग्गंथे आमंतित्ता एवं वयासीजण्णं अज्जो ! मागंदियपुत्ते अणगारे तुब्भे एवमाइक्खति जाव परूवेति-एवं खल अज्जो ! काउलेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से पाउकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं खलु अज्जो ! काउलेस्से वणस्सइकाइए वि जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । सच्चे ण एसमटू । अह पिण अज्जा ! एवमाइक्खामि एवं भासेमि एवं पण्णवेमि एवं परूवेमि एवं खल अज्जो! कण्हलेसे पढविकाइए कण्हलेसेहितो पढविकाइएहितो जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं खलु अज्जो ! नीललेस्से पुढविकाइए जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति । एवं काउलेस्से वि । जहा पुढवि
काइए एवं ग्राउकाइए वि, एवं वणस्सइकाइए वि । सच्चे णं एसमटे ।। ६३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति समणा निग्गंथा समण भगवं महावीरं वदंति नम
संति, वंदित्ता नमंसित्ता जेणेव मागंदियपुत्ते अणगारे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता मागंदियपुत्तं अणगारं बंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता एयमटुं सम्म
विणएणं भुज्जो-भुज्जो खामेंति ॥ ६४. तए णं से मागंदियपुत्ते अणगारे उट्ठाए उढेइ, उद्वेत्ता जेणेव समणे भगवं महा
वीरे तेणेव उवागच्छति, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीअणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो सव्वं कम्म वेदेमाणस्स सव्वं कम्म निज्जरेमाणस्स सव्वं मारं मरमाणस्स सव्वं सरीरं विप्पजहमाणस्स, चरिमं कम्म वेदेमाणस्स चरिमं कम्म निज्जरेमाणस्स चरिमं मारं मरमाणस्स चरिम सरीरं विप्पजहमाणस्स, मारणंतियं कम्म वेदेमाणस्स मारणंतियं कम्म निज्जरेमाणस्स मारणंतियं मारं मरमाणस्स मारणंतियं सरीरं विप्पजहमाणस्स जे चरिमा निज्जरापोग्गला सुहुमा णं ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो ! सव्वं लोगं पि णं ते प्रोगाहित्ता णं चिटुंति ? हंता मागंदियपुत्ता ! अणगारस्स णं भावियप्पणो सव्वं कम्मं वेदेमाणस्स जाव जे चरिमा निज्जरापोग्गला सुहमा णं ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो ! सव्व
लोगं पि णं ते प्रोगाहित्ता णं चिट्ठति ॥ निज्जरापोग्गल-जाणणादि-पदं ६६. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से तेसिं निज्जरापोग्गलाणं किंचि आणत्तं वा नाणत्तं
वा "अोमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणइ-पासइ ? मागंदियपुत्ता ! नो इणढे समढें ।।
६५.
१. सं० पा०-एवं जहा इंदिय उद्देसए पढमे
जाव वेमाणिया, जाव तत्थ णं जे ते उवउत्ता
से जाति-पासंति, प्राहारेति । से तेणद्वेष
ते जाणंति-पासंति, पाहारेति । से तेण?णं निक्खेवो भाणियब्वो।
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७६४
६७. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - छउमत्थे णं मणुस्से तेसिं निज्जरापोग्गलाणं नो किचि प्राणत्तं वा नाणत्तं वा श्रमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणइ-पासइ ?
भगवई
मादिपुत्ता ! देवे व य णं प्रत्येगइए जे णं तेसि निज्जरापोग्गलाणं नो किचि आणत्तं वा नाणत्तं वा ग्रोमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणइपासइ। से तेणट्टेणं मागंदियपुत्ता ! एवं वच्चइ - छउमत्थे णं मणुस्से तेसि निज्जरापोग्गलाणं नो किचि प्राणत्तं वा नाणत्तं वा श्रमत्तं वा तुच्छत्तं वा गरुयत्तं वा लहुयत्तं वा जाणइ-पासइ, सुहुमाणं ते पोग्गला पण्णत्ता समणाउसो ! सव्वलोगं पियणं ते प्रोगाहित्ता चिट्ठति ॥
६८. नेरइया णं भंते ! ते निज्जरापोग्गले कि जाणंति- पासंति ? श्राहारेंति ? उदाहु न जाणंति न पासंति, न श्राहारेति ?
मादिपुत्ता ! नेरइया णं ते निज्जरादोग्गले न जाणंति न पासंति, ग्राहारेंति । एवं जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिया ||
६६. मणुस्सा णं भंते ! ते निज्जरापोग्गले किं जाणंति- पासंति ? ग्राहारेति ? उदाहु न जाणंति न पासंति, न आहारेंति ?
मागंदिपुत्ता ! प्रत्येगइया जाणंति- पासंति, श्राहारेंति । श्रत्येगइया न जाणंति न पासंति, आहारति ॥
७०. से केणट्टेणं भंते ! एवं
वच्चइ - प्रत्येगइया जाणंति- पासंति, ग्राहारेति ? प्रत्येगइया न जाणंति न पासंति, आहारति ? मागंदियपुत्ता ! मणुस्सा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सण्णिभूया य, प्रसणिभूयाय । तत्थ णं जे ते प्रसण्णिभूया ते णं न जाणंति न पासंति, श्राहारेंति । तत्थ णं जे ते सणिभूया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - उवउत्ता य, अणुवउत्ता य । तत्थ णं जे ते अणुवउत्ता ते णं न जाणंति न पासंति, श्राहारेति । तत्थ णं जे ते उवउत्ता ते णं जाणंति -पासंति, आहारेति । से तेणट्टेणं मागंदियपुत्ता ! एवं वुच्चइ — प्रत्थेगइया न जाणंति न पासंति, श्राहारेंति । प्रत्येगइया जाणंतिपासंति, प्रहारेंति । वाणमंतर - जोइसिया जहा नेरइया ॥
७१. माणियाणं भंते ! ते निज्जरापोग्गले कि जाणंति- पासंति ? श्राहारेति ? मादिपुत्ता ! जहा मणुस्सा, नवरं - वेमाणिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहामायिमिच्छदिट्ठी उववन्नगा य, प्रमायिसम्मदिट्ठीउववन्नगा य । तत्थ णं जेते मायिमिच्छदिट्टिउववन्नगा ते णं न जाणंति न पासंति, प्रहारेति । तत्थ णं जे ते माथिसम्म दिट्ठीउववन्नगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-प्रणंत रोववन्नगा य परंपरोववन्नगा य । तत्थ णं जे ते प्रणतरोववन्नगा णं न जाणंति न पासंति, ग्राहारेंति । तत्थ णं जे ते परंपरोववन्नगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्तगा य, अपज्जत्तगा य । तत्थ णं जे ते अपज्जत्तगा ते णं न जाणंति
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अट्ठारसमं सतं (तम्रो उद्देसो)
७६५
न पासंति, ग्राहारेंति । तत्थ णं जे ते पज्जत्तगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहाउवउत्ता य, अणुवउत्ता य । तत्थ णं जे ते अणुवउत्ता ते णं न जाणंति न पासंति, श्राहारेंति । तत्थ णं जे ते उवउत्ता ते णं जाणंति पासंति, श्राहारेंति । से तेणणं मागंदिपुत्ता ! एवं वच्चइ -- प्रत्येगइया न जाणंति न पासंति, श्राहारेति । प्रत्येगइया जाणंति- पासंति, आहारेंति• ॥
बंध- पर्द
७२. कतिविहे णं भंते! बंधे पण्णत्ते ?
मादिपुत्ता ! दुविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा - दव्वबंधे य, भावबंधे य । ७३. दव्वबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
मादिपुत्ता दुविहे ! पण्णत्ते, तं जहा - पयोगबंधे य, वीससाबंधे य ॥ ७४. वीससाबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
दत्ता ! दुवि पण्णत्ते, तं जहा - सादीयवीससाबंधे य,
बंधे य ॥
७५. पयोगबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
मागं दियपुत्ता ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - सिढिलबंधणबंधे य, धणियबंधणबंधे य ॥
७६. भावबंधे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
मादिपुत्ता ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - मूलपगडिबंधे य, उत्तरपगडिबंधे य ॥ ७७. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे भावबंधे पण्णत्ते ?
मागंदियपुत्ता ! दुविहे भावबंधे पण्णत्ते, तं जहा - मूलपगडिबंधे य, उत्तरगधेय । एवं जाव वेमाणियाणं ।।
७८. नाणावर णिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स कतिविहे भावबंधे पण्णत्ते ?
मादिपुत्ता ! दुविहे भावबंधे पण्णत्ते, तं जहा - मूलपगडिबंधे य, उत्तरपगडिबंधे य ॥
७६. नेरइयाणं भंते ! नाणावर णिज्जस्स कम्मस्स कतिविहे भावबंधे पण्णत्ते ? मादिपुत्ता ! दुविहे भावबंधे पण्णत्ते, तं जहा - मूलपगडिबंधे य, उत्तरपगडबंधे य । एवं जाव वेमाणियाणं । जहा नाणावरणिज्जेणं दंडग्रो भणियो एवं जाव अंतराइएणं भाणियव्वो ।
कम्म-नाणत्त-पदं
८०.
प्रणादीयवीससा
१. सं० पा०कडे जाव जे ।
जीवाणं भंते! पावे कम्मे जे य कडे', जे य कज्जइ' ०, जे य कज्जिस्सइ, प्रत्थि या तस्स केइ नाणत्ते ? हंता थि ||
२. जे त कडमारणे (ता) ।
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७६६
भगवई
८१. से केण?णं भत्ते ! एवं वुच्चइ ---जीवाणं पावे कम्मे जे य कडे', 'जे य कज्जइ°,
जे य कज्जिस्सइ, अत्थि याइ तस्स नाणत्ते ? मागंदियपुत्ता ! से जहानामए --केइ पुरिसे धणुं परामुसइ, परामुसित्ता उसुं परामुसइ, परामुसित्ता ठाणं ठाइ, ठाइत्ता प्राययकण्णायतं उसु करेति, करेत्ता उड्ढं वेहासं उव्विहइ, से नूर्ण मागंदियपुत्ता ! तस्स उसुस्स उड्ढं वेहासं उव्वीढस्स समाणस्स एयति वि नाणत्तं', वेयति वि नाणत्तं, चलति वि नाणत्तं, फंदइ वि नाणत्तं, घट्टइ वि नाणत्तं, खुब्भइ वि नाणत्तं, उदीरइ वि नाणत्तं तं तं भावं परिणमति वि नाणत्तं ? हंता भगवं ! एयति वि नाणत्तं जाव तं तं भावं परिणमति वि नाणत्तं । से तेण?णं मागंदियपुत्ता ! एवं वुच्चइ - एयति वि नाणत्तं जाव तं तं भावं
परिणमति वि नाणत्तं ।। ८२. नेरइयाणं भंते ! पावे कम्मे जे य कडे ° ? एवं चेव । एवं जाव वेमाणियाणं ॥ ८३. नेरइया णं भंते ! जे पोग्गले आहारत्ताए गेण्हंति, तेसि णं भंते ! पोग्गलाणं
सेयकालंसि कतिभागं आहारेति ? कतिभागं निज्जरेंति ? मागंदियपुत्ता ! असंखेज्जइभागं आहारेति, अणंतभागं निज्जरेंति ।। चक्किया णं भंते ! केइ तेसु निज्जरापोग्गलेसु प्रासइत्तए वा जाव' तुयट्टित्तए वा?
णो इणद्वे समटे । अणाहारणमेयं बुइयं समणाउसो ! एवं जाव वेमाणियाणं ।। ८५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
८४.
चउत्थो उद्देसो जीवाणं परिभोगापरिभोग-पदं ८६. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' भगवं गोयमे एवं वयासी-अह भंते !
पाणाइवाए, मुसावाए जाव मिच्छादसणसल्ले, पाणाइवायवेरमणे जाव'
१. सं० पा०-कडे जाव जे । २. सं० पा०-नाणत्तं जाव तं । ३. भ० ७।२१६ । ४. भ. ११५१।
५. भ० ११४-१०। ६. भ० ११३८४ । ७. भ० ११३८५।
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अट्ठारसमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
मिच्छादंसणसल्लवेरमणे, पुढविक्काइए जाव वणस्सइकाइए, धम्मत्थिकाए, धम्मत्थिकाए, आगासत्थिकाए, जीवे सरीरपडिबद्धे, परमाणुपोग्गले, सेलेसिं पडवन्नए अणगारे, सव्वे य वादरबोंदिधरा कलेवरा - एए णं दुविहा जीवदव्वा य जीवदव्वा य जीवाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ?
गोमा ! पाणाइवाए जाव एए णं दुविहा जीवदव्वा य प्रजीवदव्वा य प्रत्थेगइया जीवाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, प्रत्थेगइया जीवाणं परिभोगत्ताए ' नो हव्वमागच्छति ॥
८७ सेकेणणं भंते ! एवं वुच्चइ - पाणाइवाए जाव नो हव्वमागच्छति ?
गोयमा ! पाणाइवाए जाव मिच्छादंसणसल्ले, पुढविकाइए जाव वणस्स इकाइए, सव्वे य बादरवोंदिधरा कलेवरा - एए णं दुविहा जीवदव्वा य जीवदव्वा य जीवाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति । पाणाइवायवेरमणे जाव मिच्छादंसणसल्लविवेगे, धम्मत्थिकाए, अवम्मत्थिकाए जाव परमाणुपोग्गले, सेलेसि पडिवन्नए अणगारे – एए णं दुविहा जीवदव्वा य अजीवदव्वा य जीवाणं परिभोगत्ताए नो हव्वमागच्छंति । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वच्चइ - पाणाइवाए जानो हव्वमागच्छति ॥
कसाय-पदं
कति णं भंते ! कसाया पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि कसाया पण्णत्ता, तं जहा - कसायपदं निरवसेसं भाणियव्वं जाव' निज्ज रिस्संति लोभेणं ॥
जुम्म-पदं
८६. कति णं भंते ! जुम्मा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा - कडजुम्मे, तेयोगे', दावरजुम्मे, कलिोगे ॥
७६७
६० सेकेणणं भंते ! एवं वच्चइ - जाव कलिप्रोगे ?
गोयमा ! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए सेत्तं
जुम्मे । जेणं रासी चउक्कणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए सेत्तं तेयोगे । जेणं रासी चउक्कणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए सेत्तं दावरजुम्मे । जे णं रासी चउक्कएणं ग्रवहारेणं ग्रवहीरमाणे एगपज्जवसिए सेत्तं कलिनोगे । से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं वच्चइ जाव कलिप्रोगे ||
१. जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) ।
२. प० १४ ।
( ३. तेयोए (अ); तेजोए ( क ) ; तेयोते (ख, ब ) ;
योदे (ता); तेजोगे (म); तियोगे ( स ) । बादरजुम्मे ( अ, क ); बादरजुण्णे (ता) |
४.
५. कलिओए (ख); कलिओदे (ता) |
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७६८
भगवई
६१. नेरइया णं भंते ! कि कडजुम्मा ? तेयोगा? दावरजुम्मा ? कलिगोगा?
गोयमा ! जहण्णपदे कडजुम्मा, उक्कोसपदे तेयोगा, अजहण्णुक्कोसपदे सिय
कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा । एवं जाव थणियकुमारा। ६२. वणस्सइकाइया णं--पूच्छा ।।
गोयमा ! जहण्णपदे अपदा, उक्कोसपदे य अपदा, अजहण्णुक्कोसपदे सिय
कडजुम्मा जाव सिय कलिगोगा । ६३. बेंदिया' णं--पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णपदे कडजुम्मा, उक्कोसपदे दावरजुम्मा, अजहण्णमणुक्कोसपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा। एवं जाव चरिदिया। सेसा एगिदिया जहा बेंदिया। पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया । सिद्धा
जहा वणस्सइकाइया ।। १४. इत्थीयो णं भंते ! कि कडजुम्मा-पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णपदे कडजुम्मायो, उक्कोसपदे कडजुम्मायो, अजहण्णमणुक्कोसपदे सिय कडजुम्मायो जाव सिय कलियोगायो। एवं असुरकुमारित्थीयो वि जाव थणियकुमारित्थीओ । एवं तिरिक्खजोणित्थीओ, एवं मणु सित्थीओ, एवं
वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियदेवित्थीयो ।। अंधगवण्हिजीवाणं वर-पर-पदं ६५. जावतिया णं भंते ! वरा अंधगवण्हिणो जीवा तावतिया परा अंधगवण्हिणो
जीवा? हंता गोयमा ! जावतिया वरा अंधगवण्हिणो जीवा तावतिया परा अंधग
वण्हिणो जीवा ॥ १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ।।
पंचमो उद्देसो वेउव्वियावेउब्विय-असुरकुमारादि-पदं ६७. दो भंते ! असुरकुमारा एगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए
उववन्ना, तत्थ णं एगे असुरकुमारे देवे पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, एगे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए नो दरिसणिज्जे नो अभिरूवे नो
पडिरूवे, से कहमेयं भंते ! एवं ? १. बेइंदिया (अ)।
२. भ० ११५१ ।
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१८.
अट्ठारसमं सतं (पंचमो उद्देसो)
गोयमा ! असुरकुमारा देवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-वेउव्वियसरीरा य, अवेउव्वियसरोरा य । तत्थ णं जे से वेउव्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं पासादीए जाव पडिरूवे । तत्थ णं जे से अवेउव्वियसरीरे असुर कुमारे देवे से णं नो पासादीए जाव नो पडिरूवे ॥ से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-तत्थ णं जे से वेउव्वियसरीरे तं चेव जाव नो पडिरूवे ? गोयमा ! से जहानामए ---इह मणुयलोगंसि दुवे पुरिसा भवंति --एगे पुरिसे अलंकियविभूसिए, एगे पुरिसे अणलंकियविभूसिए । एएसि णं गोयमा ! दोण्हं पूरिसाणं कयरे पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे, कयरे पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे । जे वा से पुरिसे अलंकियविभूसिए, जे वा से पुरिसे अणलंकियविभसिए ? भगवं ! तत्थ णं जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए से णं पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे । तत्थ णं जे से पुरिसे अणलं कियविभूसिए से णं पुरिसे नो पासादीए
जाव नो पडिरूवे । से तेणद्वेणं जाव नो पडिरूवे ।। ६६. दो भंते ! नागकुमारा देवा एगंसि नागकुमारावासंसि ? एवं चेव जाव थणिय
कुमारा । वाणमंतर-जोतिसिय-वेमाणिया एवं चेव ।। नेरइयादीणं महाकम्मादि-पदं । १००. दो भंते ! नेरइया एगंसि नेरइयावासंसि नेरइयत्ताए उववन्ना। तत्थ णं एगे
नेरइए महाकम्मतराए चेव', 'महाकिरियतराए चेव, महासवतराए चेव °, महावेयणतराए चेव, एगे नेरइए अप्पकम्मतराए चेव', 'अप्पकिरियतराए चेव, अप्पासवतराए चेव °, अप्पवेयणताए चेव, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा----मायिमिच्छदिटिउववन्नगा' य, अमायिसम्मदिट्टिउववन्नगा य । तत्थ णं जे से मायिमिच्छदिट्टिउववन्नए नेरइए से णं महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव । तत्थ णं जे से अमायिसम्मदिदिउववन्नए नेरइए से णं अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए
चेव ।। १०१. दो भंते ! असुरकुमारा ? एवं चेव । एवं एगिदिय-विगलिंदियवज्जं जाव
वेमाणिया । नेरइयादीणं आउय-पदं १०२. नेरइए णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु
उववज्जित्तए, से णं भंते ! कयरं आउयं पडिसंवेदेति ? १. सं० पा०-चेव जाव महावेयरण । ३. मादिमिच्छ ° (ब)। २. सं० पा०-चेव जाव अप्पवेयण ।
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७७०
भगवई
१०३.
गोयमा ! नेरइयाउयं पडिसंवेदेति, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाउए से पुरो कडे चिट्ठति । एवं मणुस्सेसु वि, नवरं-मणुस्साउए से पुरओ कडे चिट्ठति ॥ असुरकुमारे णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जित्तए, ' से णं भंते ! कयरं आउयं पडिसंवेदेति ? गोयमा ! असुरकुमाराव्यं पडिसंवेदेति, पुढविकाइयाउए से पुरो कडे चिट्ठति । एवं जो जहिं भविप्रो उववज्जित्तए तस्स तं पुरो कडं चिट्ठति, जत्थ ठिो तं पडिसंवेदेति जाव वेमाणिए, नवरं-पुढविकाइए पुढविकाइएस उववज्जति, पुढविकाइयाउयं पडिसंवेदेति, अण्णे य से पुढविकाइयाउए पुरो
कडे चिट्ठति । एवं जाव मणुस्सो सट्टाणे उववाएतव्वो, परट्ठाणे तहेव ।। असुरकुमारादीणं विउव्वणा-पदं १०४. दो भंते ! असुरकुमारा एगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए उव
वन्ना । तत्थ णं एगे असुरकुमारे देवे उज्जुयं विउव्विस्सामीति उज्जुयं विउव्वइ, वंक विउव्विस्सामीति वंक विउव्वइ, जं जहा इच्छइ तं तहा विउव्वइ । एगे असुरकुमारे देवे उज्जुयं विउव्विस्सामीति वंक विउव्वइ, वंक विउव्विस्सामीति उज्जुयं विउव्वइ, जं जहा इच्छति नो तं तहा विउव्वइ, से कहमेयं भंते ! एवं ? गोयमा ! असुरकुमारा देवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–मायिमिच्छदिट्ठी उववन्नगा य, अमायिसम्मदिट्ठीउववन्नगा य । तत्थ णं जे से मायिमिच्छदिदि उववन्नए असुरकुमारे देवे से णं उज्जुयं विउव्विस्सामीति वंकं विउव्वइ जाव नो तं तहा विउव्वइ । तत्थ णं जे से प्रमायिसम्मदिट्टिउववन्नए असुरकुमारे देवे से
णं उज्जुयं विउव्विस्सामीति उज्जुयं विउव्वइ जाव' तं तहा विउव्वइ ।। १०५. दो भंते ! नागकुमारा० ? एवं चेव । एवं जाव थणियकुमारा। वाणमंतर
जोइसिय-वेमाणिया एवं चेव ॥ १०६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
छट्ठो उद्देसो नेच्छइय-ववहार-नय-पदं १०७. फाणियगुले णं भंते ! कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पण्णत्ते ?
१. सं० पा० -पुच्छा।
२. भ० ११५१ ।
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अट्ठारसमं सतं ( छट्टो उद्देसो)
गोयमा ! एत्थ णं दो नया भवंति, तं जहा - नेच्छइयनए' य, वावहारियनए य । वावहारियनयस्स गोड्डे' फाणियगुले, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे दुगंधे पंचरसे फासे पण्णत्ते ॥ १०८. भमरे णं भंते ! कतिवण्णे
कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! एत्थ णं दो नया भवंति तं जहा - नेच्छइयनए य, वावहारियनए य । वावहारियनयस्स कालए भमरे, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे जाव फासे पण्णत्ते ॥
१०६. सुयपिच्छे णं भंते ! कतिवण्णे कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पण्णत्ते ?
o
एवं चेव, नवरं वावहारियनयस्स नीलए सुयपिच्छे नेच्छइयनयस्स पंचवण्णे " जाव फासे पण्णत्ते । एवं एएवं प्रभिलावेगं लोहिया मंजिट्ठिया, पीतिया हालिद्दा, सुक्किलए संखे, सुब्भिगंधे कोट्ठे, दुब्भिगंधे मयगसरीरे, तित्ते निंबे,
या सुंठी, कसा' कविट्ठे, अंबा अंबिलिया, महुरे खंडे, कक्खडे वइरे, मउए वणी, गरु अए, लहुए उलुयपत्ते, सीए हिमे, उसिणे अगणिकाए, णिद्धे तेल्ले ॥
११० छारिया णं भंते ! -- पुच्छा ।
गोमा ! एत्थ दो नया भवंति तं जहा - नेच्छइयनए य, वावहारियनए य । वावहारियनयस्स लुक्खा छारिया, नेच्छइयनयस्स पंचवण्णा जाव अट्ठफासा
पण्णत्ता ॥
परमाणु-खंधाणं वण्णादि-पदं
१११. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? गोयमा ! एगवणे, एगगंधे, एगरसे, दुफासे पण्णत्ते ॥
११२. दुपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ? ०
गोमा ! सिय एगवणे, सिय दुवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे सि दुरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफा पणत्ते ॥ ११३. " तिपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ?
१. निच्छइय° ( अ, क, ब, स ) ।
२. गोड्डु (अ); गोडे ( स ) ।
३. सं० पा० पुच्छा ।
४. सं० पा० - सेसं तं चैव ।
७७१
५. हलिद्दा ( अ, क, ता, ब, म) 1 ६. कसाए तुयरए ( अ, क, ख, ता, बम) | ७. गुरुए ( अ, ब ) ।
८. लउयपत्ते (ता) |
९. उसुरणे ( अ, क, ख, ता, ब ) ।
१०. सं० पा० – पुच्छा ।
११. सं० पा० - एवं तिपएसिए वि, नवरं— सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय तिवण्णे । एवं रसेसु वि, सेसं जहा दुपएसियस्स । एवं चउपएसिए वि, नवरं - सिय एगवण्णे
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७७२
भगवई
गोयमा ! सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय तिवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय तिरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउ
फासे पण्णत्ते ।। ११४. चउपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ?
गोयमा ! सिय एगवण्णे, सिय दुवणे, सिय तिवण्णे, सिय चउवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय तिरसे, सिय चउरसे, सिय
दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते ।। ११५. पंचपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ?
गोयमा ! सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय तिवणे, सिय चउवण्णे, सिय पंचवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे, सिये दुरसे, सिय तिरसे, सिय चउरसे, सिय पंचरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे, सिय चउफासे पण्णत्ते ।
जहा पंचपएसियो एवं जाव असंखेज्जपएसिओ। ११६. सुहमपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ?
जहा पंचपएसिए तहेव निरवसेसं ।। ११७. बादरपरिणए णं भंते ! अणंतपएसिए खंधे कतिवण्णे "जाव कतिफासे
पण्णत्ते ? ० गोयमा ! सिय एगवण्णे, जाव सिय पंचवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय
एगरसे जाव सिय पंचरसे, सिय चउफासे जाव सिय अट्ठफासे पण्णत्ते ॥ ११८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति' ॥
सत्तमो उद्देसो केलि-भासा-पदं ११६. रायगिहे जाव एवं वयासी-अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति जाव
परूवेति-एवं खलु केवली जक्खाएसेणं आइस्सइ', एवं खलु केवली जक्खाएसेणं प्राइडे समाणे पाहच्च दो भासाम्रो भासति, तं जहा-मोसं वा, सच्चामोसं वा, से कहमेयं भंते ! एवं ?
जाव सिय चउवण्णे । एवं रसेसु वि, सेसं १. सं० पा०-पुच्छा। तं चेव । एवं पंचपएसिए वि, नवरं-सिय २. भ० ११५१ । एगवण्णे जाव सिय पंचवण्णे, एवं रसेसु ३. आतिस्सति (स)। वि, गंधफासा तहेव ।
४. आदिट्टे (ता); आतिढे (स)।
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अट्ठारसमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
७७३ गोयमा ! जणं ते अण्णउत्थिया जाव' जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एवमाहंसु, अहं पण गोयमा! एवमाइक्खामि भासेमि पण्णवेमि परूवेमि-नोखल केवली जक्खाएसेणं आइस्सइ, नो खल केवली जक्खाएसेणं ग्राइट्रे समाणे ग्राहच्च दो भासाप्रो भासति, तं जहा-मोसं वा, सच्चामोसं वा । केवली णं असावज्जारो अपरोवधाइयानो पाहच्च दो भासाम्रो भासति, तं जहा-सच्चं वा, असच्चा
मोसं वा॥ उवहि-पदं १२०. कतिविहे णं भंते ! उवही पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे उवही पण्णत्ते, तं जहा–कम्मोवही, सरीरोवही, बाहिरभंड
मत्तोवगरणोवही । १२१. नेरइया णं भंते !- पुच्छा।
गोयमा ! दुविहे उवही पण्णत्ते, तं जहा-कम्मोवही य, सरीरोवही य। सेसाणं तिविहे उवही एगिदियवज्जाणं जाव वेमाणियाणं । एगिदियाणं दुविहे
उवही पण्णत्ते, तं जहा-कम्मोवही य, सरीरोवही य ।। १२२. कतिविहे णं भंते ! उवही पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे उवही पण्णत्ते, तं जहा–सच्चित्ते, अचित्ते, मीसाए । एवं
ने रइयाण वि । एवं निरवसेसं जाव माणियाणं । परिग्गह-पदं १२३. कतिविहे णं भंते ! परिग्गहे पण्णत्ते ? ___ गोयमा ! तिविहे परिग्गहे पण्णत्ते, तं जहा–कम्मपरिग्गहे, सरीरपरिग्गहे
बाहिरगभंडमत्तोवगरणपरिग्गहे ॥ १२४. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे परिग्गहे पण्णत्ते ? एवं जहा उवहिणा दो दंडगा
भणिया तहा परिग्गहेण वि दो दंडगा भाणियव्वा ।। पणिहाण-पदं १२५. कतिविहे णं भंते ! पणिहाणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे पणिहाणे पण्णत्ते, तं जहा-मणपणिहाणे, वइपणिहाणे,
कायपणिहाणे ॥ १२६. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे पणिहाणे पण्णत्ते ? एवं चेव। एवं जाव
थणियकुमाराणं ॥ १२७. पुढविकाइयाणं-पुच्छा।
१. भ० ११४२१ ।
२. मीसे (ब)।
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७७४
भगवई
गोयमा ! एगे कायपणिहाणे पण्णत्ते । एवं जाव वणस्सइकाइयाणं ।। १२८. बेइंदियाणं-पुच्छा।
गोयमा ! दुविहे पणिहाणे, पण्णते तं जहा - वइपणिहाणे य, कायपणिहाणे
य। एवं जाव चरिदियाणं । सेसाणं तिविहे वि जाव वेमाणियाणं ॥ १२६. कतिविहे णं भंते ! दुप्पणिहाणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे दुप्पणिहाणे पण्णत्ते, तं जहा-मणदुप्पणिहाणे, जहेव पणिहा
णेणं दंडगो भणियो तहेव दुप्पणिहाणेण वि भाणियव्वो । १३०. कतिविहे णं भंते ! सुप्पणिहाणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे सुप्पणिहाणे पण्णत्ते, तं जहा-मणसुप्पणिहाणे, वइसुप्प
णिहाणे, कायसुप्पणिहाणे॥ १३१. मणुस्साणं भंते ! कतिविहे सुप्पणिहाणे पण्णत्ते ? एवं चेव ।। १३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ।। १३३. तए णं समणे भगवं महावीरे' 'अण्णया कयाइ रायगिहायो नगरानो गुणसि
लामो चेइयानो पडिनिवखमति, पडिनिक्खमित्ता° बहिया जणवयविहारं
विहरइ ।। कालोदाइ-पभितीणं पंचस्थिकाए संदेह-पदं १३४. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे । गुणसिलए चेइए–वण्णो जाव
पुढविसिलापट्टयो। तस्स णं गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामंते बहवे अण्णउत्थिया परिवसंति, तं जहा-कालोदाई, सेलोदाई, सेवालोदाई, उदए,
नामुदए, नम्मुदए, अण्णवालए, सेलवालए, संखवालए, सुहत्थी गाहावई ॥ १३५. तए णं तेसिं अण्णउत्थियाणं अण्णया कयाइ एगयो सहियाणं समुवागयाणं
सण्णिविट्ठाणं सण्णिसण्णाणं अयमेयारूवे मिहोकहासमुल्लावे समुप्पज्जित्थाएवं खलु समणे नायपुत्ते पंच अत्थिकाए पण्णवेति, तं जहा-धम्मत्थिकायं जाव पोग्गलत्थिकायं। तत्थ णं समणे नायपुत्ते चत्तारि अस्थिकाए अजीवकाए पण्णवेति, तं जहाधम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं, अागासत्थिकायं, पोग्गलत्थिकायं। एगं च णं समणे नायपुत्ते जीवत्थिकायं अरूविकायं जीवकायं पण्णवेति।। तत्थ णं समणे नायपुत्ते चत्तारि अस्थिकाए अरूविकाए पण्णवेति, तं जहाधम्मत्थिकायं, अधम्मत्थिकायं, आगासस्थिकायं, जीवत्थिकायं । एगं च णं
१. भ. ११५१ । २. सं. पा.-महावीरे जाव बहिया ।
३. सं० पा०- एवं जहा सत्तमसए अण्णउत्थिय
उद्देसए जाव से।
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अट्ठारसमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
७७५ समणे नायपुत्ते पोग्गलत्थिकायं रूविकायं अजीवकायं पण्णवेति । ° से कहमेयं
मन्ने एवं ? १३६. तत्थ णं रायगिहे नगरे मदुए नाम समणोवासए परिवसति-अड्ढे जाव
बहुजणस्स अपरिभूए, अभिगयजीवाजीवे जाव' विहरइ ॥ तए णं समणे भगवं महावीरे अण्णया कदायि पुव्वाणुपुवि चरमाणे गामाणुगाम दुइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव रायगिहे नगरे जेणेव गुणसिलए
चेइए तेणेव ° समोसढे परिसा जाव' पज्जुवासति ॥ १३८. तए णं मददुए समणोवासए इमीसे कहाए लद्ध? समाणे हट्टतु चित्तमाणंदिए
णंदिए पीईमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाण°हियए हाए जाव' अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे सयानो गिहारो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पादविहारचारेणं रायगिहं नगरं मझमझेणं निग्गच्छति, निग्गच्छित्ता तेसिं
अण्णउत्थियाणं अदूरसामंतेणं वीईवयइ । १३६. तए णं ते अण्णउत्थिया मद्रुयं समणोवासयं अदूरसामंतेणं वीईवयमाणं
पासंति, पासित्ता अण्णमण्णं सद्दावेंति, सद्दावेत्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं इमा कहा अविप्पकडा', इमं च णं मढुए समणोवासए अम्हं अदूरसामंतेणं वीईवयइ, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया! अम्हं मदुयं समणोवासयं एय मट्ठ पुच्छित्तए त्ति कटु अण्णमण्णस्स अंतियं एयमद्वं पडिसुणेति, पडिसुणेत्ता जेणेव मदुए समणोवासए तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता मद्दुयं समणोवासयं एवं वदासी–एवं खलु मदुया ! तव धम्मायरिए धम्मोवदेसए समणे नायपुत्ते पंच अत्थिकाए पण्णवेइ, "तं जहाधम्मत्थिकायं जाव पोग्गलत्थिकायं। तं चेव जाव' रूविकायं अजीवकायं
पण्णवेइ । से कहमेयं मददया! एवं ? मद्दुय-समणोवासएण समाहाण-पदं १४०. तए णं से मदुए समणोवासए ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-जति कज्ज
कज्जति जाणामो-पासामो, अहे कज्जं न कज्जति न जाणामो न पासामो ।। १४१. तए णं ते अण्णउत्थिया मदुयं समणोवासयं एवं वयासी-केस णं तुम मया !
समगोवासगाणं भवसि, जे णं तुमं एयमटुं न जाणसि न पाससि ? १. भ० २१६४।
७. अविउप्पकडा (क, ब, म, स); अविदुप्पडा २. सं० पा०-चरमाणे जाव समोसढे।
(ता)। ३. ओ० सू० २२-५२ ।
८. सं० पा०-जहा सत्तमे सए अण्णउत्थि४. सं० पा०-हट्टतुटु जाव हियए।
उद्देसए जाव से। ५. भ० २०६७।
६. भ० ७।२१३। ६. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
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भगवई
१४२. तए णं से मदुए समणोवासए ते अण्णउत्थिए एवं वयासी
अत्थि णं अाउसो ! बाउयाए वाति ? हंता अस्थि । तुब्भे णं आउसो ! वाउयायस्स वायमाणस्स रूवं पासह ? नो इणद्वे समटे । अत्थि णं आउसो ! घाणसहगया पोग्गला ? हंता अत्थि। तुब्भे णं आउसो ! घाणसहगयाणं पोग्गलाणं रूवं पासह ? नो इणढे समढे। अस्थि णं पाउसो ! अरणिसहगए अगणिकाए ? हंता अत्थि। तुब्भे णं आउसो ! अरणिसहगयस्स अगणिकायस्स रूवं पासह ? नो इणढे समढे। अत्थि णं आउसो ! समुदस्स पारगयाई रूवाइं? हंता अत्थि। तुब्भे णं अाउसो ! समुद्दस्स पारगयाइं रूवाइं पासह ? नो इणढे समढ़े। अत्थि णं आउसो ! देवलोगगयाइं रूवाइं ? हंता अत्थि। तुब्भे णं पाउसो ! देवलोगगयाइं रूवाइं पासह ? नो इणढे समढे। एवामेव पाउसो! अहं वा तब्भे वा अण्णो वा छ उमत्थो जइ जो जं न जाणइ न पासइ तं सव्वं न भवति, एवं भे सुबहुए लोए न भविस्सती ति कटु ते अण्णउत्थिए एवं पडिभणइ', पडिभणित्ता जेणेव गुणसिलए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं
पंचविहेणं अभिगमेणं जाव' पज्जुवासति । भगवया मद्दुयस्स पसंसा-पदं १४३. मदुयादी ! समणे भगवं महावीरे मदुयं समणोवासगं एवं वयासी-सुठ्ठ णं
मद्रुया ! तुमं ते अण्णउत्थिए एवं वयासी, साहु णं मदुया ! तुमं ते अण्णउत्थिए एवं वयासी, जे णं मदुया ! अटुं वा हे उं वा पसिणं वा वागरणं वा अण्णायं
अदिलै अस्सुतं अमुयं अविण्णायं बहुजणमझे आघवेति पण्णवेति' परूवेति १. पडिहणति (अ, ख, म, स)।
३. सं० पा०-पण्णवेति जाव उवदंसेति । २. भ० २।१७।
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अट्टारसमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
दंसेति निदंसेति° उवदंसेति, से णं अरहंताणं प्रासादणाए' वट्टति, अरहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स आसादणाए वट्टति, केवलीणं प्रासादणाए वट्टति, केवलिपण्णत्तस्स धम्मस्स आसादणाए वट्टति, तं सुट्ठ णं तुमं मदुया ! ते अण्णउत्थिए एवं
वयासी, सोहु णं तुम मद्रुया ! 'ते अण्णउत्थिए ° एवं वयासी॥ १४४. तए णं मदुए समणोवासए समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुढे
समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता णच्चासण्ण णातिदूरे
सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलियडे ° पज्जुवासइ ।। १४५. तए णं समणे भगवं महावीरे मयस्स समणोवासगस्स तीसे य महतिमहालियाए
परिसाए धम्म परिकहेइ जाव परिसा पडिगया। १४६. तए णं मदुए समणोवासए समणस्स भगवओ महावीरस्स' अंतिए धम्म
सोच्चा° निसम्म हट्ठतुटे पसिणाई पुच्छति, पुच्छित्ता अट्ठाइं परियादियति, परियादिइत्ता उट्ठाए उट्टेइ, उद्वेत्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता
'नमंसित्ता जामेव दिसं पाउन्भूए तामेव दिसं° पडिगए। १४७. भंतेति ! भगवं गोयमे समणे भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी-पभू णं भंते ! मढुए समणोवासए देवाणुप्पियाणं अंतियं 'मुंडे भवित्ता अगाराग्रो अणगारियं° पव्वइत्तए?
नो इणढे समढे । एवं जहेव संखे तहेव अरुणाभे जाव' अंतं काहिति ॥ विकुब्वणाए एगजीव-संबंध-पदं १४८. देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव' महेसक्खे रूवसहस्सं विउव्वित्ता पभू अण्णमण्णेणं
सद्धि संगामं संगामित्तए ? हंता पभू । तानो णं भंते ! बोंदीगो कि एगजीवफुडायो ? अणेगजीवफुडायो ? गोयमा ? एगजीवफुडामो, नो अणेगजीवफुडाओ। 'ते णं भंते ! तासिं'१० बोंदीणं अंतरा कि एगजीवफुडा ? अणेगजीवफुडा ? गोयमा ! एगजीवफुडा, नो अणेगजीवफुडा ।।
१. आसायणाए (ख); आसातणाए (ता)। २. सं० पा०-मद्या जाव एवं । ' ३. सं० पा०-णच्चासण्णे जाव पज्जुवासइ। ४. ओ० सू० ७१-७६ । ५. सं० पा०-महावीरस्स जाव निसम्म । ६. सं० पा०-वंदित्ता जाव पडिगए।
७. सं० पा०-अंतियं जाव पव्वइत्तए। ८. भ० १२।२७,२८ । ६. भ० ११३३६ । १०. ते णं भंते ! तेसि (अ, क, ख, ता, ब);
तेसि णं भंते (म, स)।
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७७८
भगवई १४६. पुरिसे णं भंते ! अंतरे हत्थेण वा "पादेण वा अंगुलियाए वा सलागाए वा
कटेण वा किलिंचेण वा आमुसमाणे वा संमुसमाणे वा प्रालिहमाणे वा विलिहमाणे वा, अण्णयरेण वा तिक्खेणं सत्थजाएणं आछिंदमाणे वा विछिंदमाणे वा, अगणिकाएण वा समोडहमाणे तेसिं जीवपएसाणं किंचि प्राबाहं वा विबाहं वा उप्पाएइ ? छविच्छेदं वा करेइ ?
नो इणढे समढे ° । नो खलु तत्थ सत्थं कमति ॥ देवासुर-संगाम-पदं १५०. अत्थि णं भंते ! देवासुराणं संगामे,देवासुराणं संगामे ?
हंता अत्थि ॥ १५१.
देवासुरेसु णं भंते ! संगामेसु वट्टमाणेसु किण्णं तेसिं देवाणं पहरणरयणत्ताए परिणमति ? गोयमा ! जण्णं ते देवा तणं वा कटुं वा पत्तं वा सक्करं वा परामुसंति' तण्णं तेसिं देवाणं पहरणरयणत्ताए परिणमति । जहेव देवाणं तहेव असुरकुमाराणं? नो इणढे समट्टे । असुरकुमाराणं निच्चं
विउव्विया पहरणरयणा पण्णत्ता॥ देवस्स दीवसमुद्द-अणुपरियट्टण-पदं १५२. देवे णं भंते ! महिड्ढिए जाव महेसक्खे पभू लवणसमुदं अणुपरियट्टित्ता णं
हव्वमागच्छित्तए?
हंता पभू॥ १५३. देवे णं भंते ! महिड्ढिए "जाव महेसक्खे पभू धायइसंडं दीवं अणुपरियट्टित्ता
णं हव्वमागच्छित्तए ?. हंता पभू । एवं जाव' रुयगवरं दीव 'अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छित्तए ? ०
हंता पभू । तेण परं वीईवएज्जा, नो चेव णं अणुपरियट्टेज्जा। देवाणं कम्मक्खवण-काल-पदं १५४. अत्थि णं भंते ! देवा जे अणते कम्मसे जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा,
उक्कोसेणं पंचहि वाससएहि खवयंति ? हंता अत्थि ॥
१. सं० पा०-एवं जहा अट्ठमसए ततिए उद्दे- ३. सं० पा०—एवं धायइसंडं दीवं जाव हंता। सए जाव नो।
४. जी०३। २. परामसंति (ख, ता, ब)।
५. सं. पा०-दीवं जाव हता।
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अट्ठारसमं सतं (सत्तमो उद्देसो) १५५. अत्थि णं भंते ! देवा जे अणंते कम्मसे जहणेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा,
उक्कोसेणं पंचहि वाससहस्सेहिं खवयंति ?
हंता अत्थि ॥ १५६. अत्थि णं भंते ! देवा जे अणंते कम्मसे जहण्णणं एक्केण वा दोहि वा तीहिं वा,
उक्कोसेणं पंचहि वाससयसहस्सेहि खवयंति ?
हंता अत्थि ॥ १५७. कयरे णं भंते ! ते देवा जे अणंते कम्मसे जहण्णेणं एक्केण वा जाव पंचहि
वाससएहि खवयंति ? कयरे णं भंते ! ते देवा जाव पंचहि वाससहस्सेहि खवयंति ? कयरे णं भंते ! ते देवा जाव पंचहि वाससयसहस्सेहिं खवयंति ? गोयमा ! वाणमंतरा देवा अणते कम्मसे एगेणं वाससएणं खवयंति । असुरिंदवज्जिया भवणवासी देवा अणंते कम्मसे दोहि वाससएहिं खवयंति । असुरकुमारा देवा अणंते कम्मसे तीहि वाससएहि खवयंति। गह-नक्खत्त-तारारूवा जोइसिया देवा अणंते कम्मसे चउहि वाससएहि खवयंति । चंदिम-सूरिया जोइसिदा जोतिसरायाणो अणते कम्मसे पंचहि वाससएहि खवयंति। सोहम्मीसाणगा देवा अणते कम्मसे एगेणं वाससहस्सेणं खवयंति । सणकुमारमाहिंदगा देवा अणंते कम्मसे दोहिं वाससहस्सेहि खवयंति। एवं एएणं अभिलावेणं बंभलोग-लंतगा देवा अणते कम्मसे तीहि वाससहस्सेहिं खवयंति । महासुक्क-सहस्सारगा देवा अणंते कम्मंसे चउहि वाससहस्सेहि खवयंति । प्राणय-पाणय-प्रारण-अच्चुयगा देवा अणंते कम्मसे पंचहि वाससहस्सेहि खवयंति। हिदिमगेवेज्जगा देवा अणते कम्मसे एगेणं वाससयसहस्सेणं खवयंति । मज्झिमगवेज्जगा देवा अणंत कम्मंस दोहि वाससयसहस्सेहि खवयंति । उवरिमगेवेज्जगा देवा अणते कम्मंसे तिहिं वाससयसहस्सेहि खवयंति । विजय-वेजयंतजयंत-अपराजियगा देवा अणंते कम्मसे चउहि वाससयसहस्सेहिं खवयंति। सद्ववसिद्धगा देवा अणते कम्मसे पंचहि वाससयसहस्सेहि खवयंति । एए णं गोयमा ! ते देवा जे अणते कम्मसे जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचहि वाससएहि खवयंति। एए णं गोयमा ! ते देवा जाव पंचहि वासससहस्सेहिं खवयंति । एए णं गोयमा ! ते देवा जाव पंचहिं
वाससयसहस्सेहिं खवयंति ॥ १५८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
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७८०
भगवई
अट्ठमो उद्देसो ईरियं पडुच्च गोयमस्स संवाद-पदं १५६. रायगिहे जाव एवं वयासी-अणगारस्स णं भंते ! भावियप्पणो पुरो दुहो
जूगमायाए पेहाए रीयं रीयमाणस्स पायस्स' अहे कुक्कुडपोते वा वदापोते वा कुलिंगच्छाए' वा परियावज्जेज्जा, तस्स णं भंते ! कि इरियावहिया किरिया कज्जइ ? संपराइया किरिया कज्जइ ? गोयमा ! अणगारस्स णं भावियप्पणो' 'पुरओ दुहनो जुगमायाए पेहाए रीयं रीयमाणस्स पायस्स अहे कुक्कुडपोते वा वट्टपोते वा कुलिंगच्छाए वा परियावज्जेज्जा, तस्स णं इरियावहिया किरिया कज्जइ, नो संपराइया किरिया
कज्जइ। १६०. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ० ?
गोयमा ! जस्स णं कोह-माण-माया-लोभा वोच्छिण्णा भवंति तस्स णं रियावहिया किरिया कज्जइ, जस्स णं कोहमाण-माया-लोभा अवोच्छिण्णा भवंति तस्स णं संपराइया किरिया कज्जइ। अहासुत्तं रीयमाणस्प रियावहिया किरिया कज्जइ, उस्सुत्तं रीयमाणस्स संपराइया किरिया कज्जइ। से णं
अहासुत्तं रीयती। से तेण?णं ॥ १६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव' विहरइ॥ १६२. तए णं समणे भगवं महावीरे 'अण्णया कयाइ रायगिहाम्रो नगरायो गुणसि
लामो चेइयानो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता बहिया जणवयविहारं °
विहरइ॥ अण्णउत्थियाणं प्रारोव-पदं १६३. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नगरे । गुणसिलए चेइए-वण्णो
जाव पुढविसिलापट्टयो। तस्स णं गुणसिलस्स चेइयस्स अदूरसामंते बहवे अण्णउत्थिया परिवसंति । तए णं समणे भगवं महावीरे जाव समोसढे जाव"
परिसा पडिगया ॥ १६४. तेणं कालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवो महावीरस्स जेटे अंतेवासी इंदभूती
१. पातस्स (ता)। २. छाते (ख, ब, म, स)। ३. सं० पा०-भावियप्पणो जाव तस्स । ४. सं० पा०-जहा सत्तमसए संवुडुद्देसए जाव
अट्ठो निक्खित्तो। ५. भ० ११५१ । ६. सं० पा०-महावीरे बहिया जाव विहर।। ७. भ० ८।२७१ ।
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१६८.
अट्ठारसमं सतं (अट्ठमो उद्देसो)
७८१ नामं अणगारे जाव' उड्ढं जाणू' 'अहोसिरे झाणकोट्ठोवगए संजमेणं तवसा
अप्पाणं भावेमाणे विहरइ॥ १६५. तए णं ते अण्णउत्थिया जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छंति, उवागच्छित्ता
भगवं गोयमं एवं वयासी-तुब्भे णं अज्जो ! तिविहं तिविहेणं अस्संजय•विरय-पडिय-पच्चक्खायपावकम्मा, सकिरिया, असंवुडा, एगंतदंडा°, एगंत
बाला यावि भवह ? १६६. तए णं भगवं गोयमे ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-केणं कारणेणं अज्जो ! अम्हे
तिविहं तिविहेणं अस्संजय जाव एगंतबाला यावि भवामो ? १६७. तए णं ते अण्णउत्थिया भगवं गोयम एवं वयासी-तुब्भे णं अज्जो ! रीयं
रीयमाणा पाणे पेच्चेह, अभिहणह जाव' उद्दवेह', तए णं तुब्भे पाणे पेच्चमाणा जाव उद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवह ।। तए णं भगवं गोयमे ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-नो खलु अज्जो ! अम्हे रीयं रीयमाणा पाणे पेच्चेमो जाव उद्दवेमो, अम्हे णं अज्जो ! रीयं रीयमाणा कायं च जोयं च रीयं च पडुच्च दिस्सा-दिस्सा पदिस्सा-पदिस्सा बयामो, तए णं अम्हे दिस्सा-दिस्सा वयमाणा पदिस्सा-पदिस्सा वयमाणा नो पाणे पेच्चेमो जाव नो उद्दवेमो, तए णं अम्हे पाणे अपेच्चेमाणा जाव अणोहवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतपंडिया यावि भवामो। तुब्भे णं अज्जो ! अप्पणा चेव
तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवह ।। १६६. तए णं ते अण्णउत्थिया भगवं गोयम एवं वयासी-केणं कारणेणं अज्जो !
अम्हे तिविहं तिविहेणं जाव एगंतवाला यावि भवामो ? १७०. तए णं भगवं गोयमे ते अण्णउत्थिए एवं वयासी-तुब्भे णं अज्जो ! रीयं
रीयमाणा पाणे पेच्चेह जाव उद्दवेह, तए णं तुब्भे पाणे पेच्चेमाणा जाव उद्दवेमाणा तिविहं तिविहेणं जाव एगंतबाला यावि भवह ॥ तए णं भगवं गोयमे ते अण्णउत्थिए एवं पडिभणइ", पडिभणित्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमंसइ, वंदित्ता नमंसित्ता णच्चासण्णे णातिदूरे जाव" पज्जुवासति ।।
१. भ० ११६। २. सं० पा०-उड्ढंजाणू जाव विहरइ । ३. सं० पा०-अस्संजय जाव एगंत ° । ४. तुलना-भ० ८।२८५-२६० । ५. भ० ८।२८७। ६. उवद्दवेह (ख)।
७. उवद्दवेमाणा (ख)। ८. दिस्स (अ, ता, ब, म)। ६. पदिस्स (अ, ख, ता, ब, म)। १०. पडिहणइ (अ, क, ख, ब, म, स)। ११. भ०१।१०।
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७८२
भगवई
१७२. गोयमादी ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं एवं वयासी-सुठ्ठ णं
तुमं गोयमा ! ते अण्णउत्थिए एवं वदासी, साहु णं तुमं गोयमा ! ते अण्णउत्थिए एवं वदासी। अत्थि णं गोयमा ! ममं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था, जे णं नो पभू एयं वागरणं वागरेत्तए, जहा णं तुमं । तं सुठ्ठ णं तुमं गोयमा ! ते अण्णउत्थिए एवं वयासी, साहु णं तुमं गोयमा ! ते अण्ण
उत्थिए एवं वयासी ॥ १७३. तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्टे समणं
भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासीपरमाणुपोग्गलादीणं जाणंणा-पासणा-पदं १७४. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से' परमाणुपोग्गलं किं जाणति-पासति ? उदाहु न
जाणति न पासति ?
गोयमा ! अत्थेगतिए जाणति न पासति, अत्थेगतिए न जाणति न पासति ॥ १७५. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से दुपएसियं खंधं कि जाणति-पासति ? उदाहु न
जाणति न पासति ? गोयमा ! अत्थेगतिए जाणति न पासति, अत्थेगतिए न जाणति न पासति । '
एवं जाव असंखेज्जपएसियं ।। १७६. छउमत्थे णं भंते ! मणुस्से अणंतपएसियं खंधं कि "जाणति-पासति ? उदाह
न जाणति न पासति ? गोयमा ! अत्थेगतिए जाणति-पासति, अत्थेगतिए जाणति न पासति, अत्थे
गतिए न जाणति पासति, अत्थेगतिए न जाणति न पासति ।। १७७. पाहोहिए णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं किं जाणति-पासति ? उदाहु न
जाणति न पासति ? जहा छ उमत्थे एवं पाहोहिए वि जाव अणंतपएसियं ।। १७८. परमाहोहिए णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणति तं समयं
पासति ? जं समयं पासति तं समयं जाणति ?
नो इणढे समढें ॥ १७९. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-परमाहोहिए णं मणुस्से परमाणुपोग्गलं जं
समयं जाणति नो तं समयं पासति ? जं समयं पासति नो तं समयं जाणति ? गोयमा ! सागारे से नाणे भवइ, अणागारे से दंसणे भवइ । से तेणटेणं *गोयमा ! एवं वुच्चइ-परमाहोहिए णं मणुस्से परमाणुपोग्गलं जं समयं
१. मणूसे (अ, क, ता, ब, म) २. सं० पा०--एवं चेव । ३. सं० पा०--पुच्छा।
४. अहोहिए (ख, स)। ५. सं० पा०-तेणटेणं जाव नो।
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अट्ठास सतं (नवम उद्देसो)
७८३
जाणति नो तं समयं पासति, जं समयं पासति नो तं समयं जाणति । एवं जाव तपसि ॥
१८०. केवली णं भंते ! मणुस्से परमाणुपोग्गलं "जं समयं जाणति तं समयं पासति ? जं समयं पासति तं समयं जाणति ?
इस
१८१. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - केवली णं मणुस्से परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणति नो तं समयं पासति ? जं समयं पासति नो तं समयं जाणति ? गोयमा ! सागारे से नाणे भवइ, अणागारे से दंसणे भवइ । से तेणद्वेणं गोमा ! एवं वच्चइ – केवली णं मणुस्से परमाणुपोग्गलं जं समयं जाणति नो तं समयं पासति, जं समयं पासति नो तं समयं जाणति । एवं जाव तपसि ||
o
१८२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
नवमो उद्देसो
भवियदव्व-पदं
१८३. रायगिहे जाव एवं वयासी - प्रत्थि णं भंते ! भवियदव्वने रइया- भवियदव्वनेरइया ?
हंता प्रत्थि ||
१८४. से केणट्टेणं भंते ! एवं वच्चइ - भवियदव्वने रइया-भवियदव्वनेरइया ?
गोयमा ! जे भविए पंचिदिए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा नेरइएसु उववज्जित्तए । से तेणट्टेणं । एवं जाव थणियकुमाराणं ॥
१८५. प्रत्थि णं भंते ! भवियदव्वपुढविकाइया भवियदव्वपुढविकाइया ? हंता थि ||
१८६. से केणट्टेणं ?
गोयमा ! जे भविए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवे वा पुढविकाइएसु उववज्जिए । से तेणट्टेणं । श्राउक्काइय-वणस्सइकाइयाणं एवं चेव । तेउ-वाउबेइं दिय-ते इंदिय - चउरिदियाण य जे भविए तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा
२. सं० पा० - जहा परमाहोहिए तहा केवली वि जाव ।
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७८४
भगवई
तेउ-वाउ-बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिएसु उववज्जित्तए। पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं जे भविए नेरइए वा तिरिक्खजोणिए वा मणुस्से वा देवे वा पंचिदियतिरिक्खजोणिए वा पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए। एवं मणु
स्सा वि । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया णं जहा नेरइया ।। १८७ भवियदव्वनेरइयस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ? .
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी ।।। १८८. भवियदव्वसुरकुमारस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं। एवं जाव
थणियकुमारस्स ।। १८६. भवियदव्वपुढविकाइयस्स णं-पुच्छा ।।
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं सातिरेगाइं दो सागरोवमाइं । एवं आउक्काइयस्स वि । तेउ-वाउकाइयस्स वि जहा नेरइयस्स । वणस्सइकाइयस्स जहा पुढविकाइयस्स । बेइंदियस्स तेइंदियस्स चउरिदियस्स जहा नेरइयस्स । पंचिदियतिरिक्खजोणियस्स जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। एवं मणुस्सस्स वि । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियस्स जहा असुर
कुमारस्स ॥ १६०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
---
दसमो उद्देसो भावियप्पणो असिधारादि-प्रोगाहणादि-पदं १६१. रायगिहे जाव एवं वयासि-अणगारे णं भंते ! भावियप्पा असिधारं वा
खुरधारं वा प्रोगाहेज्जा? हंता प्रोगाहेज्जा ।। से णं तत्थ छिज्जेज्ज वा भिज्जेज्ज वा ?
नो इणटे समटे । नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ॥ १६२. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा अगणिकायस्स मज्झमझेणं वीइवएज्जा ?
हंता वीइवएज्जा। से णं भंते ! तत्थ झियाएज्जा ?
१. सं० पा०-एवं जहा पंचमसए परमाणुपोग्गलवत्तव्वया जाव अणगारेणं ।
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७८५
अट्ठारसमं सतं (दममो उद्देसो)
गोयमा ! नो इणद्वे समटे । नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ॥ १६३. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमझणं
वीइवएज्जा? हंता वीइवएज्जा। से णं भंते ! तत्थ उल्ले सिया ?
गोयमा ! नो इणटे सम। नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।। १६४. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा गंगाए महाणदीए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा ?
हंता हब्बमागच्छेज्जा। से णं भंते ! तत्थ विणिहायमावज्जेज्जा ?
गोयमा ! नो इणटे समटे । नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ।। १६५. अणगारे णं भंते ! भावियप्पा उदगावत्तं वा उदगविंदु वा प्रोगाहेज्जा ?
हंता प्रोगाहेज्जा। से णं भंते ! तत्थ परियावज्जेज्जा ?
गोयमा ! नो इणढे समढे ° । नो खलु तत्थ सत्थं कमइ ॥ परमाणुपोग्गलादीणं वाउकाय-फास-पदं १६६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! वाउयाएणं फुडे ? वाउयाए वा परमाणुपोग्गलेणं
फुडे ?
गोयमा ! परमाणुपोग्गले वाउयाएणं फुडे, नो वाउयाए परमाणुपोग्गलेणं
फुडे ॥ १६७. दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे वाउयाएणं फुडे ? वाउयाए वा दुप्पएसिएणं खंघेणं
फुडे ? एवं चेव । एवं जाव असंखेज्जपएसिए ।। १९८. अणंतपएसिए णं भंते ! खंधे वाउयाएणं फुडे-पुच्छा।
गोयमा ! अणंतपएसिए खंधे वाउयाएणं फुडे, वाउयाए अणंतपएसिएणं खंधणं
सिथ फुडे, सिय नो फुडे ।। १६६. वत्थी भंते ! बाउयाएणं फुडे ? वाउयाए वा वत्थिणा फडे ?
गोयमा ! वत्थी वाउयाएणं फुडे, नो वाउयाए वत्थिणा फुडे ।। दव्वाणं वण्णादि-पदं २००. अत्थि णं भंते ! इमोसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे दवाइं वण्णो 'काल-नील''
लोहिय-हालिद्द-सुक्किलाइं, गंधयो सुब्भिगंधाई, दुब्भिगंधाइं, रसओ तित्तकडुय-कसाय-अंबिल-महुराइं, फासो कक्खड-मउय-गरुय-लहुय-सीय-उसिण
१. काला नीला (अ, क, ख, ता, म)।
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भगवई
निद्ध-लुक्खाई, अण्णमण्णबद्धाई, अण्णमण्णपुट्ठाई, 'अण्णमण्णबद्धपुट्ठाई", अण्णमण्णघडत्ताए चिटुंति ? |
हंता अत्थि । एवं जाव अहेसत्तमाए। २०१. अत्थि णं भंते ! सोहम्मस्स कप्पस्स अहेदव्वाइं ? एवं चेव। एवं जाव
ईसिपब्भाराए पुढवीए॥ २०२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव' विहरइ।। २०३. तए णं समणे भगवं महावीरे' 'अण्णया कयाइ रायगिहाम्रो नगरायो गुणसि
लामो चेइयानो पडिनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता' बहिया जणवयविहारं
विहरइ ॥ सोमिलमाहण-पदं २०४. तेणं कालेणं तेणं समएणं वाणियगामे नाम नगरे होत्था-वण्णयो। दूतिपलासए
चेइए–वण्णो । तत्थ णं वाणियगामे नगरे सोमिले नाम माहणे परिवसति अड्ढे जाव' बहुजणस्स अपरिभूए, रिब्वेद जाव' सुपरिनिट्ठिए, पंचण्हं खंडियसयाणं, 'सयस्स य, कुडुंबस्स आहेवच्चं •पोरेवच्चं सामित्तं भट्टित्तं आणा-ईसर-सेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे ° विहरइ । तए णं समणे भगवं
महावीरे जाव समोसढे जाव परिसा पज्जुवासति ॥ २०५. तए णं तस्स सोमिलस्स माहणस्स इमीसे कहाए लद्धस्स समाणस्स अयमेयारूवे०
'अज्झथिए चिंतिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था—एवं खलु समणे नायपुत्ते पुव्वाणुपुचि चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे" इहमागए इहसंपत्ते इहसमोसढे इहेव वाणियगामे नगरे दूतिपलासए चेइए अहापडिरूवं" प्रोग्गहं अोगिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे ' विहरइ।तगच्छामि ण समणस्स नायपुत्तस्स प्रतिय पाउब्भवामि, इमाइच णं एयारूवाइं अट्ठाई 'हेऊइं पसिणाई कारणाइं° वागरणाई पुच्छिस्सामि, तं जइ मे से इमाइं एयारूवाइं अट्राइं जाव वागरणाइं वागरेहिति ततो णं वंदीहामि नमसीहामि जाव पज्जुवासीहामि, अह मे से इमाइं अट्ठाई जाव
१. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. भ० ११५१। ३. सं० पा०-महावीरे जाव बहिया । ४. भ० २०६४ । ५. रुग्वेद (अ, म); रिउव्वेद (क, स)। ६. भ० २।२४ । ७. सायस्स (अ, क, ख, ता, म)।
८. सं० पा०-आहेवच्चं जाव विहरइ । ६. भ० १८११३७ । १०. सं० पा०-अयमेयारूवे जाव समुप्पज्जित्था । ११. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। १२. सं० पा० -इहमागए जाव दूतिपलासए । १३. सं० पा० -अहापडिरूवं जाव विहरइ। १४. सं० पा०-अट्ठाइं जाव वागरणाइं।
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अट्ठारसमं सतं (दसमो उद्देसो)
वागरणाई नो वागरेहिती तो णं एएहिं चेव अट्ठेहि य जाव वागरणेहि य निष्पट्टपसिणवागरणं करेस्सामी ति कट्टु एवं संपेहेइ, संपेहेत्ता हाए जाव'
महग्घाभरणालं कियसरीरे साम्रो गिहाम्रो पडिनिक्खमति, पडिनिक्खमित्ता पायविहारचारेणं एगेणं खंडियसएणं सद्धि संपरिवुडे वाणियगामं नगरं मज्झंमज्भेणं निग्गच्छइ, निग्गच्छित्ता जेणेव दूतिपलासए चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवम्रो महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी
२०६. जत्ता' ते भंते ? जवणिज्जं (ते भंते ? ) ? अव्वाबाहं (ते भंते ? ) ? फासूय
विहारं (ते भंते ? ) ?
सोमिला ! जत्ता वि मे, जवणिज्जं पि मे अव्वाबाहं पि मे, फासूयविहारं पिमे ।।
२०७. किं ते भंते ! जत्ता ?
सोमिला ! जं मे तव - नियम - संजय - सज्भाय - भाणावस्सगमादीएसु जोगेसु जयणा, सेत्तं जत्ता ॥
२०८. किं ते भंते ! जवणिज्जं ?
सोमिला ! जवणिज्जे' दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - इंदियजवणिज्जे य, नोइंदियजवणिज्जेय ।।
२०६. से किं तं इंदियजवणिज्जे ?
२१०. से किं तं नोइंदियजवणिज्जे ?
इंदियजवणिज्जे - जं मे सोइंदिय - चक्खिदिय - घाणिदिय जिभिदिय- फासिंदियाई roaाई वसे वति, सेत्तं इंदियजवणिज्जे ॥
७८७
नोइंद्रियजवणिज्जे - जं मे कोह- माण- माया - लोभा वोच्छिण्णा नो उदीरेंति, सेत्तं नोइंदियजवणिज्जे, सेत्तं जवणिज्जे ॥
२११ किं ते भंते! अव्वाबाहं ?
सोमिला ! जं मे वातिय - पित्तिय-संभिय- सन्निवाइया विविहा रोगायंका सरीरगया दोसा उवसंता नो उदीरेंति, सेत्तं श्रव्वाबाहं ॥
२१२. किं ते भंते ! फासूयविहारं ?
१. भ० २।६७ ।
२. तुलना – नायाधम्मकहाओ १।५।७०-७६ ।
३. जमणिज्जे ( अ, ख, ता, म ) ।
सोमिला ! जणं प्रारामेसु उज्जाणेसु देवकुलेसु सभासु पवासु इत्थी - पसु - पंड विवज्जिया सहीसु फासु-एस णिज्जं पीढ - फलग - सेज्जा - संथारगं उवसंपजित्ताणं विहरामि, सेत्तं फासूयविहारं ॥
४. माय (क, ख, ता ) ।
५. सन्निवाइय ( अ, ख ) 1
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७८८
भगवई
२१३. सरिसवा ते भंते ! किं भक्खेया ? अभक्खेया ?
सोमिला ! सरिसवा (मे ?) भक्खया वि अभक्खया वि॥ २१४. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-सरिसवा मे भक्खेया वि अभक्खया वि?
से नणं भे सोमिला ! बंभण्णएसु नएसु दुविहा सरिसवा पण्णत्ता, तं जहामित्तसरिसवा य, धन्नसरिसवा य।। तत्थ णं जेते मित्तसरिसवा ते तिविहा पण्णत्ता, तं जहा-'सहजायया. सहवड्ढियया, सहपंसुकीलियया", ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते धन्नसरिसवा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सत्थपरिणया य, असत्थपरिणया य। तत्थ णं जेते असत्थपरिणया ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते सत्थपरिणया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-एसणिज्जा य, अणेसणिज्जा य । तत्थ णं जेते अणेसणिज्जा ते समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया । तत्थ णं जेते एसणिज्जा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-जाइया य, अजाइया य । तत्थ णं जेते अजाइया ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते जाइया ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-लद्धा य, अलद्धा य । तत्थ णं जेते अलद्धा ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते लद्धा ते णं समणाणं निग्गंथाणं भक्खेया। से तेणटेणं सोमिला ! एवं वुच्चइ'- सरिसवा मे भक्खेया
वि अभक्खेया वि ॥ २१५. मासा ते भंते ! किं भक्खेया ? अभक्खेया ?
सोमिला ! मासा मे भक्खेया वि, अभक्खेया वि ॥ २१६. से केणद्वेणं' भंते ! एवं वुच्चइ-मासा मे भक्खेया वि ° अभक्खेया वि ?
से नणं भे" सोमिला ! बंभण्णएसु नएसु दुविहा मासा पण्णत्ता, तं जहादव्वमासा य, कालमासा य । तत्थ णं जेते कालमासा ते णं सावणादीया प्रासाढपज्जवसाणा दुवालस पण्णत्ता, तं जहासावणे, भद्दवए, प्रासोए, कत्तिए, मग्गसिरे, पोसे, माहे, फग्गुणे, चेत्ते, वइसाहे, जेट्ठामूले, आसाढे । ते ण समणाणं निग्गंथाणं अभक्खया। तत्थ णं जेते दव्वमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-अत्थमासा य, धण्णमासा
य।
१. सरिसवया (ना० ११५।७३)। २. सहजायए सहवढियए सहपंसुकीलियए
(अ, क, ख, ता, ब, म)। ३. सं० पा०-वूच्चइ जाव अभक्खेया।
४. सं० पा० -केणट्रेणं जाव अभक्खेया। ५. भंते (अ, ता, ब, म);X(ख)। ६. अस्सोए (अ, क, ता, ब, म)
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अट्ठारसमं सतं (दसमो उद्देसो)
तत्थ णं जेते अत्थमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुवण्णमासा य, रुप्पमासा य। ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते धण्णमासा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- सत्थपरिणया य, असत्थ
परिणया य । एवं जहा धण्णसरिसवा जाव से तेणद्वेणं जाव अभक्खेया वि ।। २१७. कुलत्था ते भंते ! कि भक्खेया ? अभक्खेया ? ।
सोमिला ! कुलत्था मे भक्खेया वि अभक्खेया वि ।। २१८. से केणद्वेणं जाव अभक्खया वि ?
से नणं भे सोमिला! बंभण्णएसु नएसु दुविहा कुलत्था पण्णत्ता, तं जहाइत्थिकुलत्था य, धण्णकुलत्था य । तत्थ णं जेते इत्थिकुलत्था ते तिविहा पण्णत्ता, तं जहा- 'कुलवधुया इवा, कुलमाउया इ वा, कुलधुया'' इ वा । ते णं समणाणं निग्गंथाणं अभक्खेया। तत्थ णं जेते धण्णकुलत्था एवं जहा धण्णसरिसवा। से तेण?णं जाव
अभक्खया वि ।। २१९. एगे भवं ? दुवे भवं ? अक्खए भवं ? अव्वए भवं ? अवट्ठिए भवं ? अणेगभूय
भाव-भविए भवं ?
सोमिला ! एगे वि अहं जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं ॥ २२०.
से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ'--°एगे वि अहं जाव अणेगभूय-भाव -भविए वि अहं ? सोमिला ! दवट्ठयाए एगे अहं, नाणदंसणट्ठयाए दुविहे अहं, पएसट्ठयाए अक्खए
। अह, उवयोगट्ठयाए अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं । से तेणटेणं जाव अणेगभूय-भाव-भविए वि अहं ॥ २२१. एत्थ णं से सोमिले माहणे संबुद्धे समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ, वंदित्ता
नमंसित्ता एवं वयासी–जहा खंदो जाव' से जहेयं तुब्भे वदह । जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे राईसर-तलवर-माडंबिय-कोडुबिय-इब्भसेटि-सेणावइ-सत्थवाहप्पभितो '•मुंडा भवित्ता णं अगाराओ अणगारियं पव्वयंति, नो खलु अहं तहा संचाए मि', अहं णं देवाणुप्पियाणं अंतिए दुवालसविहं सावगधम्म पडिवज्जिस्सामि° जाव दुवालसविहं सावगधम्म पडिवज्जति, पडिवज्जित्ता समणं भगवं महावीरं वंदति 'नमंसति, वंदित्ता नमंसित्ता जामेव
दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं° पडिगए ।। १. कुलकण्णया इ वा कुलमाउया इ वा कुल- ४. पू०-राय० सू० ६६५ । वहुया (अ, क, ता, ब, स)।
५. सं० पा०–एवं जहा रायपसेणइज्जे चित्तो। २. सं० पा०-बुच्चइ जाव भविए । ६. पू०-राय० सू० ६६५ । ३. भ० २।५०-५२।
७. सं० पा० -वंदति जाव पडिगए।
tas
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भगवई २२२. तए णं से सोमिले माहणे समणोवासए जाए- अभिगयजीवाजीवे जाव' अहा
परिग्गहिएहिं तवोकम्मेहि अप्पाणं भावेमाणे विहरइ । २२३. भंतेति ! भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता
एवं वयासी-पभू णं भंते ! सोमिले माहणे देवाणुप्पियाणं अंतिए मुंडे भवित्ता अगाराम्रो अणगारियं पव्वइत्तए ? ।
नो इणढे समटे । जहेव संखे तहेव निरवसेस जाव' सव्वदुक्खाणं अंतं काहिति ।। २२४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति जाव' विहरइ ।।
३. भ. ११५१।
१. भ. २०६४ २. भ. १२।२७,२८ ।
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गुणवीसइमं सतं पढमो उद्देस
१. लेस्सा य २. गब्भ ३. पुढवी, ४. महासवा ५. चरम ६० दीव ७. भवणा य । ८. निव्वत्ति ६. करण १०. वणचरसुरा य एगूणवीसइमे ॥ १॥
लेस्सा-पदं
९. रायगिहे जाव एवं वयासी कति णं भंते ! लेस्साओ पण्णत्ताश्रो ?
गोयमा ! छल्ले साग्र पण्णत्ताओ, तं जहा — एवं जहा पण्णवणाए चउत्थो लेसुद्देसओ भाणियव्वो' निरवसेसो ॥
२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
बीओ उद्देसो
३. कति णं भंते ! लेस्साओ पण्णत्ताओ ? एवं जहा पण्णवणाए गन्भुद्देसो सो चेव निरवसेसो भाणियव्वो ।
४. सेवं भंते! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. प० १७।४ ।
२. प० १७।६ |
७६१
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७६२
भगवई
तइनो उद्देसो पुढविकाइय-पदं ५. 'रायगिहे जाव एवं वयासो-सिय भंते ! जाव' चत्तारि पंच पुढविक्काइया
एगयो साधारणसरीरं बंधति, बंधित्ता तओ पच्छा आहारेति वा परिणामेंति वा सरीरं वा बंधंति ? नो इणद्वे समढ़े। पुढविक्काइयाणं पत्तेयाहारा पत्तेयपरिणामा पत्तेयं सरीरं बंधंति, बंधित्ता तो पच्छा आहारेति वा परिणामेति वा सरीरं वा बंधंति ॥ ६. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति लेस्सागो पण्णत्तायो ?
गोयमा ! चत्तारि लेस्सागो पण्णत्ताओ, तं जहा----कण्हलेस्सा, नीललेस्सा,
काउलेस्सा, तेउलेस्सा ।। ७. ते णं भंते ! जीवा किं सम्मदिट्टी ? मिच्छदिट्ठी ? सम्मामिच्छदिट्टी ?
गोयमा ! नो सम्मदिट्ठी, मिच्छदिट्ठी, नो सम्मामिच्छदिट्ठी। ८. ते णं भंते ! जीवा कि नाणी ? अण्णाणी ? ।
गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी, नियमा दुअण्णाणी, तं जहा-मतिअण्णाणी य,
सूयअण्णाणी य ।। है. ते णं भंते ! जीवा कि मणजोगी ? वइजोगी ? कायजोगी ?
गोयमा ! नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी ।। १०. ते णं भंते ! जीवा किं सागारोव उत्ता ? अण।गारोवउत्ता?
गोयमा! सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्ता वि ।। ते णं भंते ! जीवा किमाहारमाहारेंति ? गोयमा ! दवओ णं अणंतपदेसियाई दवाई----एवं जहा पण्णवणाए पढमे
आहारुद्देसए जाव सव्वप्पणयाए आहारमाहारेति ।। १२. ते णं भंते ! जीवा जमाहारेति तं चिज्जति, जं नो पाहारेति तं नो चिज्जति,
चिण्णे वा से प्रोद्दाइ पलिसप्पति वा ? हंता गोयमा ! ते णं जीवा जमाहारेति तं चिज्जति, जं नो आहारेंति जाव पलिसप्पति वा ॥
१. इह चेयं द्वारगाथा क्वचिद् दृश्यतेसिय लेसदिट्ठिणाणे, जोगुवनोगे तहा किमाहारो। पाणाइवाय उप्पायठिई, समुग्धाय उव्वट्टी (वृ)।
२. यावतकरणाद् द्वौ वा त्रयो वा (वृ) । ३. मिच्छादिट्ठी (क, ख, ता, ब, म, स)। ४. प०२८।१। ५. सव्वपयाए (ब)।
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एगूणवीसइमं सतं (तइओ उद्देसो)
७६३ १३. तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सण्णाति वा पण्णाति वा मणोति वा वईति वा ___ अम्हे णं आहारमाहारेमो ?
नो इणट्ठ समलै, आहारेति पुण ते ।। १४. तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सण्णाति वा पण्णाति वा मणोति वा ° वईति वा
अम्हे णं इट्टाणिद्वे फासे पडिसंवेदेमो ?
नो इणद्वे समढे, पडिसंवेदेति पुण ते ।। १५. ते णं भंते ! जीवा किं पाणाइवाए उवक्खाइज्जति, मुसावाए, अदिण्णादाणे
जाव' मिच्छादसणसल्ले उवक्खाइज्जति ? गोयमा ! पाणाइवाए वि उवक्खाइज्जति जाव मिच्छादसणसल्ले वि उवक्खाइज्जति । जेसि पि णं जीवाणं ते जीवा एवमाहिज्जति तेसि पि णं जीवाणं नो
विण्णाए नाणत्ते ।। १६. ते णं भंते ! जीवा कमोहितो उववज्जति --कि नेरइएहितो उववज्जति० ?
एवं जहा वक्कंतीए पुढविक्काइयाणं उववाग्रो तहा भाणियव्वो' ।। १७. तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई॥ १८. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति समुग्घाया पण्णत्ता !
गोयमा ! तनो समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा–वेयणासमुग्घाए, कसायसमुग्घाए,
मारणंतियसमुग्घाए ॥ १६. ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्घाएणं किं समोहया मरंति ? असमोहया
मरंति ?
गोयमा ! समोहया वि मरंति, असमोहया वि मरंति ॥ २०. ते णं भंते ! जीवा अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उववज्जति ?
एवं उव्वट्टणा जहा वक्कंतीए । आउक्काइयादि-पदं २१. सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच आउक्काइया एगयो साहारणसरीरं बंधंति,
बंधित्ता तो पच्छा आहारेंति०? एवं जो पुढविक्काइयाणं गमो सो चेव भाणियव्वो जाव उव्वद्वृति, नवरं-ठिती
सत्त वाससहस्साइं उक्कोसेणं, सेसं तं चेव ।। २२. सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच तेउक्काइया० ? एवं चेव, नवरं-उववाओ
१. सं० पा०—सण्णाति या जाव वईति । २. भ० ११३८४।
३. प०६। ४. प०६।
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७६४
भगवई
ठिती उव्वट्टणा य जहा' पण्णवणाए सेसं तं चेव । वाउकाइयाणं एवं चेव, नाणत्तं
नवरं -- चत्तारि समुग्घाया ।। २३. सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच वणस्सइकाइया-पुच्छा।
गोयमा ! नो इणटे समटे । अणंता वणस्सइकाइया एगयनो साहारणसरीरं बंधति, बंधित्ता तो पच्छा आहारेति वा परिणामेंति वा सरीरं वा बंधंति । सेसं जहा तेउकाइयाणं जाव उव्वति, नवरं पाहारो नियमं छटिसि रिती
जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं, सेसं तं चेव ।। थावरजीवाणं प्रोगाहणाए अप्पाबहुत्त-पदं २४. एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं आउ-तेउ-वाउ-वणस्सइकाइयाणं सुहुमाणं
बादराणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाणं जहण्णुक्कोसियाए ओगाहणाए कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ° विसेसाहिया वा ? | गोयमा ! १. सव्वत्थोवा सुहुमनिग्रोयस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णिया प्रोगाहणा २. सुहमवाउक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ३. सुहुमतेउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ४. सुहुमअाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ५. सुहुमपुढविक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ६. बादरवाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ७. बादरतेउक्काइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ८. बादरपाउकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ६. बादरपुढविकाइयस्स अपज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा १०,११. पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयस्स बादरनिग्रोयस्स एएसि णं पज्जत्तगाणं एएसि णं अपज्जत्तगाणं जहणिया ओगाहणा दोण्ह वि तुल्ला असंखेज्जगुणा १२. सुहमनिगोयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा १३. तस्सेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाहणा विसेसाहिया १४. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया १५. सुहुमवाउकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा १६. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाहणा विसेसाहिया १७. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाहणा विसेसाहिया १८-२० एवं सुहुमतेउक्काइयस्स वि २१-२३ एवं सुहुमनाउक्काइयस्स वि २४-२६ एवं सुहुमपुढविकाइयस्स वि २७-२६ एवं बादरवाउकाइयस्स वि ३०-३२. एवं बादरतेउकाइयस्स वि ३३-३५ एवं बादराउकाइयस्स वि ३६-३८ एवं बादरपुढविकाइयस्स वि सव्वेसि तिविहेणं गमेणं भाणि
यव्वं, ३६ बादरनिगोयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा १. प. ४,६।
२. सं० पा०-कयरेहितो जाब विसेसाहिया।
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एगूणवीसइमं सतं (तइओ उद्देसो)
७६५ ४०. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया ओगाहणा विसेसाहिया ४१. तस्स चेव पज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाहणा विसेसाहिया ४२. पत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयस्स पज्जत्तगस्स जहणिया प्रोगाहणा असंखेज्ज गुणा ४३. तस्स चेव अपज्जत्तगस्स उक्कोसिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ४४. तस्स चेव पज्जत्तगस्स
उक्कोसिया प्रोगाहणा असंखेज्जगुणा ॥ थावरजीवाणं सव्वसुहुम-सव्वबादर-पदं २५. एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स अाउक्काइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स
वणस्सइकाइयस्स य कयरे काये सव्वसुहुमे ? कयरे काए सव्वसुहुमतराए ?
गोयमा ! वणस्सइकाए सव्वसुहुमे, वणस्सइकाए सव्वसुहुमतराए । २६. एयस्स णं भंते ! पुढविकाइयस्स आउक्काइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स
य कयरे काये सव्वसुहुमे ? कयरे काये सव्वसुहुमतराए ?
गोयमा ! वाउक्काए सव्वसुहुमे, वाउक्काए सव्वसुहमतराए । म यस्स णं भंते ! पढविकाइयस्स ग्राउक्काइयस्स तेउक्काइयस्स य कयरे काये
सव्वसहुमे ? कयरे काये सव्वसुहुमतराए ?
गोयमा! तेउक्काए सव्वसुहुमे, तेउक्काए सव्वसुहुमतराए । २८. एयस्स णं भंते ! पुढविक्काइयस्स आउक्काइयस्स य कयरे काये सव्वसुहमे ?
कयरे काये सव्वसुहुमतराए ?
गोयमा ! अाउक्काए सव्वसुहुमे, प्राउक्काए सव्वसुहुमतराए । २६. एयस्स णं भंते ! पुढविक्काइयस्स ग्राउक्काइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स
वणस्सइकाइयस्स य कयरे काये सव्वबादरे ? कयरे काये सव्वबादरतराए ?
गोयमा ! वणस्सइकाए सव्वबादरे, वणस्सइकाए सव्वबादरतराए। ३०. एयस्स णं भंते ! पढविकाइयस्स ग्राउकाइयस्स तेउकाइयस्स वाउकाइयस्स य
कयरे काए सव्वबादरे ? कयरे काए सव्वबादरतराए ?
गोयमा ! पुढविक्काए सव्वबादरे, पुढविक्काए सव्ववादरतराए । ३१. एयस्स णं भंते ! अाउक्काइयस्स तेउक्काइयस्स वाउकाइयस्स य कयरे काए
सव्वबादरे ? कयरे काए सव्वबादरतराए ?
गोयमा ! आउक्काए सव्वबादरे, आउक्काए सव्वबादरतराए । ३२. एयस्स णं भंते ! तेउकाइयस्स वाउकाइस्स य कयरे काए सव्वबादरे ? कयरे
काए सव्वबादरतराए ?
गोयमा ! तेउक्काए सव्वबादरे, तेउक्काए सव्वबादरतराए । पुढवि-सरीरस्स महालयत्त-पदं ३३. केमहालए णं भंते ! पुढविसरीरे पण्णत्ते ?
गोयमा ! अणंताणं सुहुमवणस्सइकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे सुहमवाउ
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७६६
भगवई
सरीरे, असंखेज्जाणं सुहुमवाउसरीराणं' जावइया सरीरा से एगे सुहुमतेउसरीरे, असंखेज्जाणं सुहुमतेउकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे सुहुमे पाउसरीरे, असंखेज्जाणं सुहुमाउक्काइयसरी राणं जावइया सरी। से एगे सहमे पढविसरीरे, असंखेज्जाणं सुहुमपुढविकाइयसरीराणं जावइया सरीरा से एगे बादरवाउसरीरे, असंखेज्जाणं बादरवाउक्काइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादरतेउसरीरे, असंखेज्जाणं बादरतेउकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादरग्राउसरीरे, असंखेज्जाणं बाद राउकाइयाणं जावइया सरीरा से एगे बादरपुढवि
सरीरे । एमहालए णं गोयमा ! पुढविसरीरे पण्णत्ते ॥ पुढविकाइयस्स सरीरोगाहणा-पदं ३४. पुढविकाइयस्स णं भंते ! केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! से जहानामए रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स वण्णगपेसिया तरुणी बलवं जूगवं जूवाणी अप्पायंका 'थिरग्गहत्था दढपाणि-पाय-पास-पिदंतरोरुपरिणता तलजमलजुयल-परिघनिभबाहू उरस्सबलसमण्णागया लंघण-पवणजइण-वायाम-समत्था छेया दक्खा पत्तट्टा कुसला मेहावी निउणा निउणसिप्पोवगया तिक्खाए वइरामईए सण्हकरणीए तिक्वेणं वइरामएणं वट्टावरएणं एगं महं पुढविकाइयं जतुगोलासमाणं गहाय पडिसाहरिय-पडिसाहरिय पडिसंखिविय-पडिसंखिविय जाव इणामेवत्ति कटु तिसत्तक्खुत्तो प्रोप्पीसेज्जा, तत्थ णं गोयमा ! अत्थेगतिया पुढविक्काइया प्रालिद्धा अत्थेगतिया पुढविक्काइया नो आलिद्धा, अत्थेगतिया संघट्टिया अत्थेगतिया नो संघट्टिया, अत्थेगतिया परियाविया अत्थेगतिया नो परियाविया, अत्थेगतिया उद्दविया अत्थेगतिया नो उद्दविया, अत्थेगतिया पिट्ठा अत्थेगतिया नो पिट्ठा, पुढविकाइयस्स
णं गोयमा ! एमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता । पुढविकाइयस्स वेदणा-पदं ३५. पुढविकाइए णं भंते ! अक्कंते समाणे केरिसियं वेदणं पच्चणब्भवमाणे
विहरइ? गोयमा ! से जहानामए-केइ पुरिसे तरुणे बलवं 'जुगवं जुवाणे अप्पातंके थिरग्गहत्थे दढपाणि-पाय-पास-पिटुंतरोरुपरिणते तलजमलजुयल-परिघनिभबाहू चम्मेद्वग-दुहण-मुट्ठिय-समाहत-विचितगत्तकाए उरस्सबलसमण्णागए लंघण-पवण-जइण-वायाम-समत्थे छेए दक्खे पत्तट्टे कुसले मेहावी निउणे
१. सुहमवाउकाइयाणं ति क्वचित्पाठः (व)। २. सं० पा०-वण्णो जाव निउणसिप्पोवगया, नवरं-चम्मेट्र-दुहण-मूट्रियसमाहयणिचिय-
गत्तकाया न भण्णति, सेसं त चेव जाव निउण। ३. सं० पा०-बलवं जाव निउरण ।
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एगूणवीसइमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
७६७ निउणसिप्पोवगए एगं पुरिसं जुण्णं जरा-जज्जरिय-देह' पाउरं झूसियं पिवासियं दुब्बलं किलंतं जमलपाणिणा मुद्धाणंसि अभिहणेज्जा, से णं गोयमा ! पुरिसे तेणं पुरिसेणं जमलपाणिणा मुद्धाणंसि अभिहए समाणे केरिसियं वेदणं पच्चणब्भवमाणे विहरति ? अणिटुं समणाउसो ! तस्स णं गोयमा ! पुरिसस्स वेदणाहितो पुढवि काइए अक्कंते समाणे एत्तो अणितरियं चेव अकंततरियं' अप्पियतरियं असुहतरियं अमणुण्णतरियं'
अमणामतरियं चेव वेदणं पच्चणुब्भवमाणे विहरइ ।। प्राउकाइयादीणं वेदणा-पदं। ३६. आउयाए णं भंते ! संघट्टिए समाणे केरिसियं वेदणं पच्चणुब्भवमाणे विहरइ ?
गोयमा ! जहा पुढविकाइए एवं चेव । एवं तेउयाए वि। एवं वाउयाए वि ।
एवं वणस्सइकाए वि जाव' विहरइ ।। ३७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
चउत्थो उद्देसो महासवादि-पदं ४८. सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ?
गोयमा ! नो इणढे समढें ।। ३६. सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया महावेयणा अप्पनिज्जरा ?
हंता सिया ।। ४०. सिय भंते ! ने रइया महासवा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा ?
गोयमा! नो इप ४१. सिय भंते ! नेरइया महासवा महाकिरिया अप्पवेयणा अप्पनिज्जरा ?
गोयमा! नो इणटे समढें ।।। ४२. सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ?
गोयमा ! नो इणढे समढे ॥
३. भ. १६॥३५॥
१. सं० पा०----देहं जाव दुब्बलं । २. स० पा०-अकंततरियं जाव अमणामतरियं ।
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७६८
४३. सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया महावेयणा श्रप्पनिज्जरा ? गोमा ! नो इणट्ठे समट्ठे ॥
४४. सिय भंते ! नेरइया महासवा प्रप्पकिरिया प्रष्पवेयणा महानिज्जरा ? नो' इट्ठे सट्टे ||
४५. सिय भंते ! नेरइया महासवा अप्पकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा ? नो इट्टे सट्टे ॥
४६. सिय भंते! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? नोट्ठे सट्टे ||
४७. सिय भंते! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया महावेयणा श्रप्पनिज्जरा ? नो इट्ठे समट्ठे ||
४८. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया अप्पवेयणा महानिज्जरा ? नो इट्ठे समट्ठे ॥
४६. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा महाकिरिया श्रप्पवेयणा ग्रप्पनिज्जरा ? नो इट्ठे समट्ठे ||
५०. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा ग्रप्पकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? नो इट्ठे समट्ठे ||
५१. सिय भंते! नेरइया ग्रप्पासवा अप्प किरिया महावेयणा ग्रप्पनिज्जरा ? नो इट्ठे समट्ठे ॥
५२. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया ग्रप्पवेयणा महानिज्जरा ? नो इणट्ठे समट्ठे ।।
५३. सिय भंते ! नेरइया अप्पासवा अप्पकिरिया ग्रप्पवेयणा ग्रप्पनिज्जरा ? नो इट्ठे समट्ठे । एते सोलस भंगा ||
५४. सिय भंते ! असुरकुमारा महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? नो इट्टे समट्ठे । एवं चउत्थो भंगो भाणियव्वो, सेसा पण्णरस भंगा खोडेयव्वा । एवं जाव थणियकुमारा ॥
५५. सिय भंते! पुढविक्काइया महासवा महाकिरिया महावेयणा महानिज्जरा ? हंता सिया । एवं जाव
५६. सिय भंते! पुढविक्काइया अप्पासवा अप्प किरिया ग्रप्पवेयणा ग्रप्पनिज्जरा ? हंता सिया । एवं जाव मणुस्सा । वाणमंतर - जोइ सिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥
५७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. सदृशप्रकरणेपि पूर्ववर्तिसूत्रेषु 'गोयमा' इति पदं लभ्यते । अस्मिन्नुत्तरवर्तिसूत्रेषु च
एतत् पदं न दृश्यते ।
भगवई
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एगूणवीसइमं सतं (पंचमो उद्देसो)
७६९
पंचमो उद्देसो चरम-परम-पदं ५८. अत्थि णं भंते ! चरमा' वि नेरइया ? परमा वि नेरइया ?
हंता अत्थि ॥ ५६. से नूणं भंते ! चरमेहितो नेरइएहितो परमा नेरइया महाकम्मतरा चेव,
महाकिरियतरा चेव, महस्सवतरा चेव, महावेयणतरा चेव ; परमेहिंतो वा नेरइएहितो चरमा नेरइया अप्पकम्मतरा चेव, अप्पकिरियतरा चेव, अप्पस्सवतरा चेव, अप्पवेयणतरा चेव ? हंता गोयमा ! चरमेहितो नेरइएहिंतो परमा जाव महावेयणतरा चेव, परमे
हिंतो वा नेरइएहितो चरमा नेरइया जाव अप्पवेयणतरा चेव ।। ६०. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ जाव अप्पवेयणतरा चेव ?
गोयमा ! ठिति पडुच्च । से तेण?णं गोयमा! एवं वुच्चइ जाव अप्पवेयणतरा
चेव ॥ ६१. अत्थि णं भंते ! चरमा वि असुरकुमारा? परमा वि असुरकुमारा ? एवं
चेव, नवरं-विवरीयं भाणियव्वं, परमा अप्पकम्मा, चरमा महाकम्मा'। सेसं तं चेव जाव थणियकुमारा ताव एमेव । पुढविकाइया जाव मणुस्सा
एते जहा नेरइया । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा ॥ वेदणा-पदं ६२. कतिविहा णं भंते ! वेदणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा वेदणा पण्णत्ता, तं जहा-निदा य, अनिदा य ॥ ६३. नेरइया णं भंते ! किं निदायं वेदणं वेदेति ? अनिदायं वेदणं वेदेति ?
गोयमा ! निदायं पि वेदणं वेदेति, अनिदायं पि वेदणं वेदेति । जहा पण्णवणाए
जाव वेमाणियत्ति ॥ ६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
३. प०३५ ।
१. चरिमा (अ, ख, ब, म)। २. बहुकम्मा (अ, ब)।
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८००
भगवई
छट्ठो उद्देसो दीवसमुद्द-पदं ६५. कहि णं भंते ! दीवसमुद्दा ? केवतिया णं भंते ! दीवसमुद्दा ? किसंठिया णं
भंते ! दीवसमुद्दा ? एवं जहा जोवाभिगमे दीवसमुदुद्देसो सो चेव इह वि जोइसमंडिउद्देसगवज्जो' भाणियव्वो जाव परिणामो, जीवउववाओ जाव'
अणंतखुत्तो॥ ६६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
सत्तमो उद्देसो असुरकुमारादीणं भवणादि-पदं ६७. केवतिया णं भंते ! असुरकुमारभवणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ?
गोयमा! चोयदि असुरकूमारभवणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ।। ६८. ते णं भंते ! किमया पण्णत्ता ?
गोयमा ! सव्वरयणामया अच्छा सण्हा जाव' पडिरूवा। तत्थ णं बहवे जीवा य पोग्गला य वक्कमंति, विउक्कमंति, चयंति, उववज्जति । सासया णं ते भवणा दव्वट्टयाए, वण्णपज्जवेहि जाव' फासपज्जवेहि असासया। एवं जाव
थणियकुमारावासा ॥ ६६. केवतिया णं भंते ! वाणमंतरभोमेज्जनगरावाससयसहस्सा पण्णत्ता ?
गोयमा ! असंखेज्जा वाणमंतरभोमेज्जनगरावाससयसहस्सा पण्णत्ता ॥ ७०. ते णं भंते ! किमया पण्णत्ता ? सेसं तं चेव ॥ ७१. केवतिया णं भंते ! जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ?
गोयमा ! असंखेज्जा जोइसियविमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ।। ७२. ते णं भंते ! किमया पण्णत्ता ?
गोयमा ! सव्वफालिहामया अच्छा, सेसं तं चेव ।।
१. जोइसियमंडि ° (क, स)। २. जी० ३। ३. चोवट्ठि (क, ता); चउट्टि (स)।
४. भ० २।११८ । ५. भ० २।४७ ।
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गुणवीस सतं (मो उद्देसो)
७३. सोहम्मे णं भंते ! कप्पे केवतिया विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ? गोमा ! बत्तीस विमाणावाससयसहस्सा पण्णत्ता ॥
७४. ते णं भंते ! किमया पण्णत्ता ?
गोयमा ! सव्वरयणा मया श्रच्छा, सेसं तं चेव जाव प्रणुत्तरविमाणा, नवरंजाणेयव्वा जत्थ जत्तिया भवणा विमाणा वा ॥
७५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
अट्ठमो उद्देसो
जीवादि-निव्वत्ति-पदं
७६. कतिविहा णं भंते ! जीवनिव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोमा ! पंचविहा जीवनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा - एगिदियजीवनिव्वत्ती जा पंचिदियजीवनिव्वत्ती ॥
८०१
७७. एगिंदियजीवनिव्वत्ती णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा - पुढविक्काइयएगिदियजीवनिव्वत्ती जाव Treasurइए गिदियजीवनिव्वत्ती ॥
७८. पुढविकाइयएगिदियजीवनिव्वत्ती णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोमा ! दुखिहा पण्णत्ता, तं जहा - सुहुमपुढविकाइयएगिंदियजीव निव्वत्तीय, बादरपुढविकाइ एगिदियजीवनिव्वत्तीय । एवं एएणं अभिलावेणं भेदो जहा वडगबंधो तेयगसरीरस्स जाव'
७९. सव्वट्टसिद्धप्रणुत्त रोववातियकप्पातीत वेमाणियदेव पंचिदिय जीव निव्वत्ती णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
१. भ० ८४१३ ।
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - पज्जत्तगसव्वट्टसिद्धश्रणुत्त रोववातिय'• कप्पातीतवेमाणि देवपंचिदियजीव निव्वत्तीय, अपज्जत्तगसव्वट्ट सिद्धाणुत्तरोववातियकप्पातीतवेमाणियदेवपंचिदियजीवनिव्वत्तीय ॥
८०. कतिविहा णं भंते ! कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोमा !
विहा कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा -- नाणावरणिज्जकम्मनिव्वती जाव अंतराइयकम्मनिव्वत्ती ||
८१. नेरइयाणं भंते ! कतिविहा कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता ?
२. सं० पा० - ० अणुत्तरोववातिय जाव देव ।
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८०२
भगवई गोयमा ! अढविहा कम्मनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा -नाणावरणिज्जकम्म
निव्वत्ती जाव अंतराइयकम्मनिव्वत्ती। एवं जाव वेमाणियाणं ।। ८२. कतिविहा णं भंते ! सरीरनिव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा सरीरनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा-ओरालियसरीरनिव्वत्ती
जाव कम्मासरीरनिव्वत्ती ॥ ८३. नेरइयाणं भंते ! कतिविहा सरीरनिव्वत्ती पण्णत्ता? एवं चेव । एवं जाव
वेमाणियाणं, नवरं-नायव्वं जस्स जइ सरीराणि ।। ८४. कतिविहा णं भंते ! सव्विदियनिव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा सव्विदियनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा-सोइंदियनिव्वत्ती
जाव फासिदियनिव्वत्ती । एवं' नेरइयाणं जाव थणियकुमाराणं ।। ८५. पुढविकाइयाणं-पुच्छा।
गोयमा ! एगा फासिदियनिव्वत्ती पण्णत्ता। एवं जस्स 'जति इंदियाणि जाव
वेमाणियाणं ॥ ८६. कतिविहा णं भंते ! भासानिव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोयमा ! चउविवहा भासानिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा-सच्चभासानिव्वत्ती, मोसमासानिव्वत्ती, सच्चामोसभासा निव्वत्ती, असच्चामोसमासानिव्वत्ती।
एवं एगिदियवज्जं जस्स जा भासा जाव वेमाणियाणं ॥ ५७. कतिविहा णं भंते ! मणनिव्वत्ती पण्णत्ता?
गोयमा ! चउव्विहा मणनिव्वत्ती पण्णत्ता तं जहा—सच्चमणनिव्वत्ती जाव
असच्चामोसमणनिव्वत्ती । एवं एगिदियविलिदियवज्जं जाव वेमाणियाणं ।। ८८. कतिविहा ण भंते ! कसायनिव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोयमा ! चउव्विहा कसायनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा–कोहकसायनिव्वत्ती
जाव लोभकसायनिव्वत्ती। एवं जाव वेमाणियाणं ॥ ८६. कतिविहा णं भंते ! वण्ण निव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा वण्णनिव्वत्ती तं जहा-कालावण्णनिव्वत्ती जाव सुक्किलावण्णनिव्वत्ती। एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं । एवं गंधनिव्वत्ती दुविहा जाव वेमाणियाणं । रसनिव्वत्ती पंचविहा जाव वेमाणियाणं । फासनिव्वत्ती
अट्ठविहा जाव वेमाणियाणं ॥ ६०. कतिविहा णं भंते ! संठाणनिव्वत्ती पण्णत्ता?
गोयमा ! छव्विहा संठाणनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा-समचउरंससंठाणनिव्वत्ती जाव हुंडसंठाण निव्वत्ती ।।
१. एवं जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
२. जर्दिदियाणि (ता)।
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८०३
एगूणवीसइमं सतं (अट्ठमो उद्देसो) ६१. नेरइयाणं-पुच्छा ।
गोयमा ! एगा इंडसंठाण निव्वत्ती पण्णत्ता ।। ६२. असुरकुमाराणं-पुच्छा।
गोयमा ! एगा समचउरंससंठाणनिव्वत्ती पण्णत्ता। एवं जाव थणियकुमाराणं ।। ६३. पुढविकाइयाणं-पुच्छा।
गोयमा ! एगा मसूरचंदसंठाणनिव्वत्ती' पण्णत्ता। एवं जस्स जं संठाणं जाव
वेमाणियाणं॥ ६४. कतिविहा णं भंते ! सण्णानिव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोयमा ! चउब्विहा सण्णानिवत्ती पण्णत्ता, तं जहा.... अाहारसण्णानिव्वत्ती
जाव परिग्गहसण्णानिव्वत्ती । एवं जाव वेमाणियाणं ॥ ६५. कतिविहा णं भंते ! लेस्सानिव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोयमा ! छविहा लेस्सानिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा–कण्हलेस्सानिव्वत्ती जाव
सुक्कलेस्सानिव्वत्ती। एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति लेस्सायो ।। ६६. कतिविहा णं भंते ! दिट्ठी निव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा दिट्टोनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा–सम्मादिदिनिव्वत्ती, मिच्छादिट्ठिनिव्वत्ती, सम्मामिच्छादिट्ठिनिव्वत्ती । एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति
विहा दिट्ठी ॥ ६७. कतिविहा णं भंते ! नाणनिव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा नाणनिव्वत्तो पण्णत्ता, तं जहा–आभिणिबोहियनाणनिव्वत्ती जाव केवलनाणनिव्वत्ती। एवं एगिदियवज्जं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति
नाणा ॥ १८. कतिविहा णं भंते ! अण्णाणनिव्वत्ती पण्णत्ता?
गोयमा ! तिविहा अण्णाणनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा–मइअण्णाणनिव्वत्ती, सुयअण्णाणनिव्वत्ती, विभंगनाणनिव्वत्ती। एवं जस्स जति अण्णाणा जाव
वेमाणियाणं ।। ६६. कतिविहा णं भंते ! जोगनिव्वत्ती पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिविहा जोगनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा–मणजोगनिव्वत्ती, वइजोगनिव्वत्ती, कायजोगनिव्वत्ती। एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जतिविहो
जोगो॥ १००. कतिविहा णं भंते ! उवप्रोगनिव्वत्ती पण्णता ?
१. मसूरचंदा' (क); मसूराचंदा ° (ता, ब)।
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८०४
भगवई गोयमा ! दुविहा उवरोगनिव्वत्ती पण्णत्ता, तं जहा- सागारोवनोगनिव्वत्ती,
अणागारोवोगनिव्वत्ती । एवं जाव वेमाणियाणं'। १०१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
नवमो उद्देसो करण-पदं १०२. कतिविहे णं भंते ! करणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे करणे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वकरणे, खेत्तकरणे, कालकरणे,
भवकरणे, भावकरणे॥ १०३. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे करणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे करणे पण्णत्ते, तं जहा-दव्वकरणे जाव भावकरणे। एवं
'जाव वेमाणियाणं ।। १०४. कति विहे णं भंते ! सरीरकरणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे सरीरकरणे पण्णत्ते, तं जहा --ओरालियसरीरकरणे जाव
कम्मासरीरकरणे । एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति सरीराणि ॥ १०५. कतिविहे णं भंते ! इंदियकरणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे इंदियकरणे पण्णत्ते, तं जहा-सोइंदियकरणे जाव फासिंदियकरणे। एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति इंदियाई। एवं एएणं कमेणं भासाकरणे चउव्विहे, मणकरणे चउव्विहे, कसायकरणे चउव्विहे, समुग्धायकरणे सत्तविहे, सण्णाकरणे चउव्विहे, लेसाकरणे छव्विहे, दिट्ठीकरणे तिविहे, वेदकरणे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-इत्थिवेदकरणे, पुरिसवेदकरणे, नपुंसगवेदकरणे । एए सव्वे नेरइयादी दंडगा जाव वेमाणियाणं, जस्स जं अत्थि तं तस्स
सव्वं भाणियव्वं ।। १०६. कतिविहे णं भंते ! पाणाइवायकरणे पण्णत्ते ?
१. अतोने 'अ, क, ब, स' प्रतिषु सङ्गहणीगाथे
दृश्येतेजीवाणं निव्वत्ती, कम्मप्पगडी सरीरनिव्वत्ती। सविदियनिव्यत्ती,
भासा य मणे कसाया य ॥१॥ वण्ण रस गध फासे, संठाणविही य होइ बोद्धव्वा। लेसा ट्ठिी नाणे, उवओगे चेव जोगे य ॥२॥
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एगूणवीसइमं सतं (दसमो उद्देसो)
८०५ गोयमा ! पंचविहे पाणाइवायकरणे पण्णत्ते, तं जहा -एगिदियपाणाइवायकरणे
जाव पंचिंदियपाणाइवायकरणे । एवं निरवसेसं जाव वेमाणियाणं । १०७. कतिविहे णं भंते ! पोग्गलकरणे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पोग्गलकरणे पण्णत्ते, तं जहा-वण्णकरणे, गंधकरणे, रस
करणे, फासकरणे, संठाणकरणे ॥ १०८. वण्णकरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-कालावण्णकरणे जाव सुक्किलवण्णकरणे।
एवं भेदो-गंधकरणे दुविहे, रसकरणे पंचविहे, फासकरणे अविहे ।। १०६. संठाणकरणे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा—परिमंडलसंठाणकरणे जाव' आयतसंठाण
करणे ॥ ११०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।।
दसमो उद्देसो १११. वाणमंतरा णं भंते ! सव्वे समाहारा० ? एवं जहा सोलसमसए दीवकुमारुद्दे
सो जाव' अप्पिड्ढिय त्ति ॥ ११२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. भ० ८।३६।
२. भ०१६।१२५-१२८ ।
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वीसइमं सतं
पढमों उद्देस
१. बेइंदिय २. मागासे, ३. पाणवहे ४. उवचए य ५. परमाणू । ६. अंतर ७. बंधे ८. भूमी, ६. चारण १०. सोवक्कमा जीवा ॥ १ ॥
बेदियादि-पदं
९. रायगिहे जाव एवं वयासी -- सिय भंते! जाव चत्तारि पंच बेंदिया एगयओ साहरणसरीरं बंधंति, बंधित्ता तम्रो पच्छा ग्रहारेंति वा परिणामेंति वा सरीरं वा बंधति ?
नो इट्टे समट्ठे । बंदिया णं पत्तेयाहारा पत्तेयपरिणामा पत्तेयसरीरं बंधत, तच्छा आहारेति वा परिणामेति वा सरीरं वा बंधंति ॥ २. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति लेस्साओ पण्णत्ताओ ?
गोमा ! तो लेस्साओ पण्णत्ता, तं जहा -- कण्हलेस्सा, नीललेस्सा, काउलेस्सा | एवं जहा एगूणवीसतिमे सए तेउक्काइयाणं जाव' उव्वट्टंति, नवरं-सम्मदिट्ठी विमिच्छदिट्ठी वि, नो सम्मामिच्छदिट्ठी, दो नाणा दो अण्णाणा नियम, नो मणजोगी, वइजोगी वि कायजोगी वि, ग्राहारो नियमं छद्दिसि ।
३.
तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सण्णाति वा पण्णाति वा मणेति वा वईति वा -- हे णं इट्ठाणि रसे, इट्टाणिट्ठे फासे पडिसंवेदेमो ?
नो
समट्ठे, पडसंवेदेति पुण ते । ठिती जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बारस संवच्छराई, सेसं तं चेव । एवं तेइंदिया वि, एवं चउरिदिया वि, नाणत्तं इंदिठितीय, सेसं तं चेव, ठिती जहा पण्णवणाए ॥
४. सिय भंते ! जाव चत्तारि पंच पंचिदिया जहा बेंदियाणं, नवरं - छल्लेसा, दिट्ठी णाणा भयणा, तिविहो जोगो ||
१. भ० १६।२२ ।
एगयत्रो साहरणसरीरं बंधंति ? एवं तिविहा वि, चत्तारि नाणा तिण्णि
२. १०४ ।
८०६
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वीसइमं सतं (बीओ उद्देसो)
५. तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सण्णाति वा पण्णाति वा मणेति वा वईति वाहे प्रहारमाहारेमो ?
गोयमा ! प्रत्येगतियाणं एवं सण्णाति वा पण्णाति वा मणेति वा वईति वाअम्हे णं आहारमाहारेमो । प्रत्थेगतियाणं नो एवं सण्णाति वा जाव वईति वाअम्हे णं आहारमाहारेमो, ग्राहारेति पुण 1
६. तेसि णं भंते ! जीवाणं एवं सण्णाति वा जाव वईति वा -- ग्रम्हे णं इट्ठाणिट्टे स, इट्टाणि रूवे इट्ठाणिट्ठे गंधे, इट्ठाणिट्ठे रसे, इट्टाणिट्ठे फासे पडिसवेदेमो ? गोमा ! प्रत्येगतियाणं एवं सण्णाति वा जाव वईति वा -- ग्रम्हे णं इट्टाणिट्ठे सद्दे जाव इट्ठाणिट्टे फासे पडिसंवेदेमो | अत्थेगतियाणं नो एवं सण्णाति वा जावईति वा- - अम्हे णं इट्ठाणि सद्दे जाव इट्ठाणिट्टे फासे पडिसंवेदेमो, सितेि ।
७. ते णं भंते ! जीवा किं पाणाइवाए उवक्खाइज्जति -पुच्छा |
गोयमा ! प्रत्येगतिया पाणातिवाए वि उवक्खाइज्जति जाव मिच्छादंसण सल्ले वि उवक्खा इज्जति प्रत्थेगतिया नो पाणाइवाए उवक्खाइज्जंति, नो मुसावाए जाव नो मिच्छादंसणसल्ले उवक्खाइज्जति । जेसि पि णं जीवाणं ते जीवा एवमाहिज्जति सि पि णं जीवाणं प्रत्येगतियाणं विण्णाए नाणत्ते । प्रत्थेगतियाणं नो विष्णाए नाणत्ते । उववाश्र सव्वम्रो जाव सव्वट्टसिद्धाश्रो । ठिती जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई । छस्समुग्धाया केवलिवज्जा, उव्वट्टणा सव्वत्थ गच्छति जाव सव्वट्टसिद्धं ति, सेसं जहा बेंदियाणं ॥ ८. एएसि णं भंते ! बेइंदियाणं जाव पंचिदियाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवा पंचिदिया, चउरिंदिया विसेसाहिया, तेइंदिया विसेसा - हिया, बेइंदिया विसेसाहिया ||
६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ||
बीओ उद्देसो
श्रत्थिकाय-पदं
१०. कतिविहे णं भंते ! ग्रागासे पण्णत्ते ?
गोमा ! दुविहे अगासे पण्णत्ते, तं जहा - लोयागासे य, अलोयागासे य ॥ ११. लोयागासे णं भंते ! किं जीवा ? जीवदेसा० ? - एवं जहा बितियसए
१. सं० पा० - करेहिंतो जाव विसेसाहिया ।
८०७
२. भ०१।५१ ।
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८०८
भगवई
अत्थिउद्देसे तहेव इह वि भाणियन्वं, नवरं-अभिलावो जाव' धम्मत्थिकाए णं भंते ! केमहालए पण्णत्ते ? गोयमा ! लोए लोयमेत्ते लोयप्पमाणे लोयफुडे लोयं चेव प्रोगाहित्ता णं
चिट्ठति । एवं जाव पोग्गलत्थिकाए । १२. अहेलोए णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स केवतियं प्रोगाढे ?
गोयमा ! सातिरेगं अद्धं प्रोगाढे । एवं एएणं अभिलावेणं जहा बितियसए
१३. ईसिपब्भारा णं भंते ! पुढवी लोयागासस्स कि संखेज्जइभागं प्रोगाढा
पुच्छा । गोयमा ! नो संखेज्जइभागं प्रोगाढा, असंखेज्जइभागं प्रोगाढा, नो संखेज्जे भागे प्रोगाढा, नो असंखेज्जे भागे प्रोगाढा, नो सव्वलोयं प्रोगाढा। सेसं
तं चेव ।। अस्थिकायस्स अभिवयण-पदं १४. धम्मत्थिकायस्स णं भंते ! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, तं जहा-धम्मे इ वा, धम्मत्थिकाये इ वा, पाणाइवायवेरमणे इ वा, मुसावायवेरमणे इ वा, एवं जाव परिग्गहवेरमणे इ वा, कोहविवेगे इ वा जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे इ वा, रियासमिती इवा, भासासमिती इ वा, एसणासमिती इ वा, आयाणभंडमत्तनिक्खेवसमिती इवा, उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिट्ठावणियासमिती' इ वा, मणगृत्ती इ वा, वइगुत्ती इ वा, कायगुत्ती इ वा, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते
धम्मत्थिकायस्स अभिवयणा ।। ५. अधम्मत्थिकायस्स णं भंते ! केवतिया अभिवयणा पण्णता?
गोयमा ! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, तं जहा-अधम्मे इवा, अधम्मत्थिकाए इ वा, पाणाइवाए इ वा जाव मिच्छादसणसल्ले इ वा, रियाअस्समिती इ वा जाव उच्चारपासवण'खेलसिंघाणजल्ल° पारिट्ठावणियाअस्समिती इ वा, मणअगृत्ती इ वा, वइअगुत्ती इ वा, कायअगुत्ती इ वा, जे यावण्णे तहप्पगारा
सव्वे ते अधम्मत्थिकायस्स अभिवयणा ॥ १६. आगासत्थिकायस्स णं भंते ! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ? ०
गोयमा ! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, तं जहा-पागासे इ वा, आगासत्थि
१. भ० २।१३६-१४५। २. भ० २११४७-१५३ । ३. ०खेलजल्लसिंघाण (ख, म, स)।
४. सं० पा०-उच्चारपासवण जाव पारिद्वा
वणिया। ५. सं० पा०—पुच्छा ।
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वीसइमं सतं (तइनो उद्देसो)
८०६
काए इवा, गगणे इ वा, नभे इ वा, समे इ वा, विसमे इ वा, खहे इ वा, विहे इ वा, वीयी इ वा, विवरे इ वा, अंबरे इ वा, अंबरसे इ वा, छिड्डे इ वा, झुसिरे इ वा, मग्गे इ वा, विमुहे इ वा, 'अट्टे इ वा, वियट्टे इ वा', अाधारे इ वा, वोमे इ वा, भायणे इ वा, अंतलिक्खे इ वा, सामे इ वा, प्रोवासंतरे इ वा, अगमे इ वा, फलिहे इ वा, अणते इवा, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते
पागासत्थिकायस्स अभिवयणा ।। १७. जीवत्थिकायस्स णं भंते ! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, तं जहा--जीवे इ वा, जीवत्थिकाए इ वा, पाणे इ वा, भूए इ वा, सत्ते इ वा, विष्णू इवा, 'वेया इ वा", चेया इ वा, जेया इ वा, आया इवा, रंगणे इ वा, हिंदुए इ वा, पोग्गले इ वा, माणवे इवा, कत्ता इ वा, विकत्ता इ वा, जए इवा, जंतू इवा, जोणी इ वा, सयंभू इ वा, ससरीरी इवा, नायए इ वा, अंतरप्पा इ वा, जे यावण्णे तहप्प
गारा सव्वे ते जीवत्थिकायस्स अभिवयणा ।। १८. पोग्गलत्थिकायस्स णं भंते ! केवतिया अभिवयणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! अणेगा अभिवयणा पण्णत्ता, तं जहा---पोग्गले इ वा, पोग्गलत्थिकाए इ वा, परमाणुपोग्गले इ वा, दुपएसिए इ वा, तिपएसिए इ वा जाव असंखेज्जपएसिए इ वा, अणंतपएसिए इ वा खंधे, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे पोग्गल
त्थिकायस्स अभिवयणा ।। १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
तइओ उद्देसो पाणाइवायादीणं आयाए परिणति-पदं २०. अह भंते ! पाणाइवाए, मुसावाए जाव मिच्छादसणसल्ले, पाणातिवायवेरमणे
जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, उप्पत्तिया वेणइया कम्मया° पारिणामिया,
१. अद्दे इ वा, वियद्दे (स, वृ); अट्टे इ वा, ५. हिं डुए (क्व ० ) । वियट्टे (वृपा)।
६. जोणियं (ख)। २. अंतरिक्खे (ख, स)।
७. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. X(अ, क, ख)।
८. सं० पा०-पुच्छा। ४. रंगणा (अ, क, ख, ता, म)।
६. सं० पा०-उप्पत्तिया जाव पारिणामिया।
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८९०
भगवई
प्रोग्गहे' •ईहा अवाए° धारणा, उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कार-परक्कमे, नेरइयत्ते, असुरकुमारत्ते जाव वेमाणियत्ते, नाणावरणिज्जे जाव अंतराइए, कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा, सम्मदिट्ठी मिच्छदिट्ठी सम्मामिच्छदिदी. चक्खदंसणे अचक्खदंसणे प्रोहिदसणे केवलदसणे, आभिणिबोहियनाणे जाव विभंगनाणे, आहारसण्णा भयसण्णा मेहुणसण्णा परिग्गहसण्णा, ओरालियसरीरे वे उब्वियसरीरे आहारगसरीरे तेयगसरीरे कम्मगसरीरे, मणजोगे वइजोगे कायजोगे, सागारोवनोगे, अणागारोवनोगे, जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते नण्णत्थ आयाए परिणमंति ?
हंता गोयमा ! पाणाइवाए जाव सव्वे ते नण्णत्थ आयाए परिणमंति ।। गब्भं वक्कममाणस्स वण्णादि-पदं २१. जीवे णं भंते ! गब्भं वक्कममाणे 'कतिवण्णं कतिगंधं'२ २'कतिरसं कतिफासं
परिणामं परिणमइ ?
गोयमा ! पंचवण्णं, दुगंधं, पंचरसं, अट्ठफासं परिणाम परिणमइ ।। २२. कम्मो णं भंते ! जीवे नो अकम्मओ विभत्तिभावं परिणमइ ? कम्मनो णं
जए नो अकम्मो विभत्तिभावं परिणमइ ? हंता गोयमा ! कम्मो णं जीवे नो अकम्मो विभत्तिभावं परिणमइ°,
कम्मो णं जए नो अकम्मो विभत्तिभावं परिणमइ ।। २३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।।
चउत्थो उद्देसो इंदियोवचय-पदं २४. कतिविहे णं भंते ! इंदियोवचए पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे इंदियोवचए पण्णत्ते, तं जहा-सोइंदियोवचए, एवं बितिम्रो
इंदियउद्देसनो निरवसेसो भाणियव्वो जहा पण्णवणाए । २५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव' विहरइ ।।
१. सं० पा०-ओग्गहे जाव धारणा । २. कतिवण्णे कतिगंधे (अ, क, ख, ता, म)। ३. सं० पा०–एवं जहा बारसमसए पंचमुद्देसे
जाव कम्मओ।
४. भ. ११५१। ५. प० १५।२ । ६. भ० ११५१ ।
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८११
२७.
वोसइमं सतं (पंचमो उद्देसो)
पंचमो उद्देसो परमाणु-खंधाणं वण्णादिभंग-पदं २६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कतिवण्णे, कतिगंधे, कतिरसे, कतिफासे पण्णत्ते ?
गोयमा ! एगवणे, एगगंधे, एगरसे, दुफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? सिय कालए, सिय नीलए, सिय लोहियए, सिय हालिद्दए, सिय सुक्किलए। जइ एगगंधे ? सिय सुब्भिगंधे, सिय दुब्भिगंधे। जइ एगरसे ? सिय तित्ते, सिय कडुए, सिय कसाए, सिय अंबिले, सिय महुरे । जइ दुफासे? १. सिय सीए य निद्धे य, २. सिय सीए य लुक्खे य, ३. सिय उसिणे य निद्धे य, ४. सिय उसिणे य लुक्खे य ॥ दुप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे जाव कतिफासे पण्णत्ते ?
गोयमा ! सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे, सिय एगगंधे, सिय दुगंधे, सिय एगरसे, सिय दुरसे, सिय दुफासे, सिय तिफासे °, सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? सिय कालए जाव सिय सुक्किलए। जइ दुवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य, २. सिय कालए य लोहितए य, ३. सिय कालए य हालिद्दए य, ४. सिय कालए य सुक्किलए य, ५. सिय नीलए य लोहियए य, ६. सिय नीलए य हालिद्दए य, ७. सिय नीलए य सुक्किलए य, ८. सिय लोहियए य हालिद्दए य, ह. सिय लोहियए य सुक्किलए य, १०. सिय हालिद्दए य सुक्किलए य, एवं एए यासंजोगे दस भंगा। जइ एगगंधे ? सिय सुब्भिगंधे, सिय दुब्भिगंधे। जइ दुगंधे ? सुब्भिगंधे य दुब्भिगंधे य । रसेसु जहा वण्णेसु । जइ दुफासे ? सिय सीए य निद्धे य, एवं जहेव परमाणुपोग्गले ४ । जइ तिफासे ? १. सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ३. सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे, ४. सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे । जइ चउफासे ? १. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एए नव भंगा फासेस । तिपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे ० ? जहा अट्ठारसमसए छठ्ठद्देसे जाव' चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? सिय कालए जाव सुक्किलए। जइ दवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य, २. सिय कालए य नीलगा य, ३. सिय कालगा य नीलए य, १. सिय कालए य लोहियए य, २. सिय कालए य लोहियगा य, ३. सिय कालगा य लोहियए य, एवं हालिद्दएण वि समं ३, एवं सूक्किलेण वि समं ३, सिय नीलए य लोहियए य एत्थ वि भंगा ३, एवं
२८.
१. पं तं (अ, म)।
देसए जाव सिय। २. सं० पा०-एवं जहा अट्ठारसमसए छठ्ठ- ३. भ० १८।११३ ।
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८१२
भगवई हालिद्दएण वि समं भंगा ३, एवं सुक्किलेण वि समं भंगा ४, सिय लोहियए य हालिद्दए य भंगा ३, एवं सुक्किलेण वि समं ३, सिय हालिद्दए य सुक्किलए य भंगा ३, एवं सव्वे ते दस दुयासंजोगा भंगा तीसं भवति । जइ तिवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य, २. सिय कालए य नीलए य हालिद्दए य, ३. सिय कालए य नीलए य सुक्किलए य, ४. सिय कालए य लोहियए य हालिद्दए य, ५. सिय कालए य लोहियए य सुक्किलए य,६. सिय कालए य हालिए य सक्किलए य, ७. सिय नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, ८. सिय नीलए य लोहियए य सुक्किलए य, ६. सिय नीलए य हालिद्दए य सुक्किलए य, १०. सिय लोहियए स हालिद्दए य सुक्किलए य, एवं एए दस तियासंजोगा। जइ एगगंधे ? सिय सुब्भिगंधे, सिय दुब्भिगंधे । जइ दुगंधे ? सुन्भिगंधे य दब्भिगंधे य भंगा ३ । रसा जहा वण्णा । जइ दुफासे ? सिय सीए य निद्धे य, एवं जहेव दुपएसियरस तहेव चत्तारि भंगा। जइ तिफासे? १. सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३. सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे, सव्वे उसिणे देसे निद्ध देसे लुक्खे, एत्थ वि भंगा तिण्णि, सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे भंगा तिण्णि, सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे भंगा तिष्णि । जइ चउफासे ? १. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३. देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लक्खे, ४. देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्ध देसे लुक्खे, ५. देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लूक्खा, ६. देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्खे, ७. देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, ८. देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, ६. देसा सीया देसे उसिणे देसा निद्धा देसे लुक्खे, एवं एए तिपएसिए फासेसु पणवीसं भंगा। चउप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे ? जहा अठ्ठारसमसए जाव' सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? सिय कालए य जाव सुक्किलए। जइ दवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य, २. सिय कालए य नीलगाय, ३. सिय कालगाय नीलए य, ४. सिय कालगा य नीलगा य, सिय कालए य लोहियए य एत्थ वि चत्तारि भंगा, सिय कालए य हालिद्दए य ४, सिय कालए य सुक्किलए य ४, सिय नीलए य लोहियए य ४, सिए नीलए य हालिद्दए य ४, सिय नीलए य सुक्किलए य ४, सिय लोहियए य हालिद्दए य ४, सिय लोहियए य सुक्किलए य ४,
२४.
१. भ. १८११४।
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वीसइमं सतं (पंचमो उद्देसो)
८१३
सिय हालिए य सुक्किलए य ४, एवं एए दस दुयसंजोगा भंगा पुण चत्तालीसं ।
इतिवणे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियगाय, ३. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य, ४. सिय कालगाय नीलए य लोहियए य, एए भंगा ४, एवं कालानीलाहालिएहिं भंगा ४, कालनीलसुक्किल ४, काललोहियहालिद्द ४, काललोहियसुक्किल ४, कालहा - लिक्किल ४, नीललोहिसहालिद्दगाणं भंगा ४, नीललोहियसुक्किल ४, नीलहाल सुक्कल ४, लोहियहालि सुक्किलगाणं भंगा ४, एवं एए दसतियासंजोगा, एक्क्के संजोए चत्तारि भंगा, 'सव्वे एते " चत्तालीसं भंगा ।
जइ चउवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिइए य, २ . सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुक्किलए य, ३. सिय कालए य नीलए य हालिए य सुक्किलए य, ४. सिय कालए य लोहियए हालिद्दए य सुक्किलए य, ५. सिय नीलए य लोहियए य हालिए य सुक्किलए य, एवमेते चउक्कगसंजोगे पंच भंगा। एए सब्वे नउई भंगा ।
जइ एगगंधे ? सिय सुब्भिगंधे, सिय दुब्भिगंधे । जइ दुगंधे ? सुब्भिगंधे य दुभिगंधे य रसा जहा वण्णा ।
जइ दुफासे ? जहेव परमाणुपोग्गले ४ । जइ तिफासे ? १ सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लक्खे, २. सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३. सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लक्खे, ४. सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा, सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे, एवं भंगा ४, सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे ४, सव्वे लुक्खे देसे सीए देसे उस ४, एए तिफासे सोलस भंगा । जइ चउफासे ? १. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३. देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा दे लुक्ख, ४. देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसा लुक्खा, ५. देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे, ६. देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसा लुक्खा, ७. देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसे लुक्खे, ८. देसे सीए देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा, ६. देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं एए चउफासे सोलस भंगा भाणियव्वा जाव देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा सा लुक्खा, सव्वे एते फासेसु छत्तीसं भंगा ॥
३०. पंचपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे० ? जहा अट्ठारसमसए जाव' सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एगवण्ण-दुवण्णा जहेव चउप्पएसिए । जइ तिवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य, २. सिय कालए य नीलए
१. सव्वेते ( अ, क, ख, ब, म, स ) ।
१. भ० १८ ।११५ ।
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८१४
भगवई
य लोहियगा य, ३. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य, ४. सिय कालए य नीलगाय लोहिया य, ५. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य, ६ सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य, ७. सिय कालगा य नीलगाय लोहियए य, सिय कालए य नीलए य हालिए य, एत्थ वि सत्त भंगा, एवं कालग-नीलगसुक्लिएसु सत्त भंगा, कालग - लोहिय- हालिद्देसु ७, कालग - लोहिय-सुक्किलेसु ७, कालग-हालिद्द-सुविकलेसु ७, नीलग-लोहिय- हालिद्देसु ७, नीलग-लोहियसुक्कले सत्त भंगा, नीलग- हालिद्द - सुक्किलेसु ७, लोहिय-हालिद्द-सुक्किलेसु वि सत्त भंगा, एवमेते तियासंजोएणं सत्तरि भंगा ।
जइ उचवणे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियय य हालिद्दए २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहिगाय हालिगेय, ४. सिय कालए य नीलगा य लोहियगे य हालिद्दगे य, ५. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, एए पंच भंगा, सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुक्किलए य एत्थ वि पंच भंगा, एवं कालग - नीलगहाल- सुक्कले वि पंच भंगा, कालग -लोहिय- हालिद - सुक्किलएसु वि पंच भंगा, नीलग - लोहिय- हालिद्द - सुक्किलेसु वि पंच भंगा, एवमेते चउक्कगसंजोएणं पणुवी भंगा।
जइ पंचवण्णे ? कालए ण नीलए य लोहियए य हालिए य सुक्किलए य, सव्वएक्क' - दुयग-तिग- चउक्क- पंचगसंजोएणं ईयालं भंगस्यं भवति । गंधा जहा चउप्पएसियस्स । रसा जहा वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स || ३१. छप्पएसिए णं भंते ! खंधे कतिववण्णे० ? एवं जहा पंचपए सिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एगवण्ण-दुवण्णा जहा पंचपएसियस्स ।
इतिवणे ! सिय कालए य नीलए य लोहियए य, एवं जहेव पंचपए सियस्स सत्त भंगा जाव सिय कालगा य नीलगाय लोहियए य, सिय कालगा य नीलगा य लोहिया य, एए अट्ठ भंगा, एवमेते दस तियासंजोगा, एक्केक्कए संजोगे अट्ठ भंगा, एवं सव्वे वितियगसंजोगे असीति भंगा ।
जइ चडवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य, २ . सिय कालए य नीलए य लोहियए हालिगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियात हालिए य, ४. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगा य, ५ . सिय कालए य नीलगाय लोहियए य हालिइए य, ६. सिय कालए य नीलगाय लोहिए य हालिगा य, ७. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिए य, ८. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य, ६. सिय
१. एक्क्का ( अ, म ); एक्केक्क (क, ता, ब) 1
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वीसइम सतं (पंचमो उद्देसो)
८१५ कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, १०. सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य, ११. सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य, एए एक्कारस भंगा, एवमेते 'पंच चउक्कसंजोगा" कायव्वा, एक्केक्कसंजोए एक्कारस भंगा, सव्वे एते चउक्कसंजोएणं पणपण्णं भंगा। जइ पंचवण्णे? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, सुक्किलए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ४. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, ५. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६. सिय कालगा य नोलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, एवं एए छन्भंगा भाणियव्वा, एवमेते सव्वे वि एक्कग-दुयग-तियग-चउक्कग-पंचगसंजोगेसु छासीयं भंगसयं भवति । गंधा जहा
पंचपएसियस्स । रसा जहा एयस्सेव वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स ॥ ३२. सत्तपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे० ? जहा पंचपएसिए जाव सिय चउफासे
पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एवं एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्णा जहा छप्पएसियस्स । जइ चउवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य, एवमेते चउक्कगसंजोगेणं पन्नरस भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य, एवमेते पंच चउक्कासंजोगा नेयन्वा, एक्केक्के संजोए पन्नरस भंगा, सव्वमेते पंचसत्तरि भंगा भवंति। जइ पंचवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ४. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलगा य, ५. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगे य सुक्किलगा य, ७. सिय कालए य नोलए य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ८. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, १०. सिय कालए य नीलगा य लोहियगे य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ११. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, १२. सिय कालगा य नीलगे य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, १३. सिय कालगा य नीलए
१. पंचचउक्का ° (क, ख, ब); पंचगचउक्का (ता)।
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भगवई
लोहियगेय हालिए य सुक्किलगा य, १४. सिय कालगा य नीलए य लोहियए य हालिगा य सुक्किलए य, १५. सिय कालगा य नीलए य लोहिगाय हालिगा यक्किलए य, १६. सिय कालगा य नीलगाय लोहियए यहालिए सुक्किलए य, एए सोलस भंगा, एवं सव्वमेते एक्कग- दुयगतियग-चउक्कग-पंचगसंजोगेणं दो सोला' भंगसया भवंति । गंधा जहा उप्पएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा । फासा जहा चउप्प एसियस्स || ३३. एसिए णं भंते ! खंधे - पुच्छा ।
गोमा ! सिय एगवण्णे जहा सत्तपएसियस्स जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एवं एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्णा जहेव सत्तपएसिए ।
जइ चडवणे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिगा य, एवं जहेब सत्तपएसिए जाव, १५. सिय कालगा य नीलगाय लोहियगा य हालिहगे य, १६. सिय कालगाय नीलगाय लोहिया य हालिगा य, एए सोलस भंगा, एवमेते पंच चउक्कसंजोगा, एवमेते सीति भंगा ।
८१६
जइ पंचवणे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य सुक्किलए य, २ . सिय कालए य नीलए य लोहियगे य हालिद्दगे य सुक्किलगा य, एवं एएणं कमेणं भंगा चारेयव्वा जाव १५. सिय कालए य नीलगाय लोहियगा य हालिगा य सुक्किलगे य, एसो पन्नरसमो भंगो, १६. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिए य सुक्किलए य १७ सिय कालगा य नीलगे य लोहिय हालिय सुक्किलगा य, १८. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे
हाल गाय सुक्किलए य, १६. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगे य हालिगा य सुक्किलगा य, २०. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिए य सुक्किलए य, २१. सिय कालगा य नीलगे य लोहियगा य हालिए य सुक्किलगा य, २२. सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिगा य सुक्किलए य, २३. सिय कालगा य नीलगाय लोहियगे य हालिए य सुक्किलए य, २४. सिय कालगा य नीलगाय लोहियगे य हालिए य सुक्किलगा य, २५. सिय कालगा य नीलगाय लोहियगे य हालिगा य सुक्किलए य, २६. सिय कालगा य नीलगाय लोहियगा य हालिइए य सुक्किलए य, एए पंच संजोएणं छव्वीसं भंगा भवंति एवमेव सपुव्वावरेणं एक्कग - दुयग-तियग- चउक्कग-पंचगसंजोएहिं दो एक्कतीसं भंगसया भवंति । गंधा जहा सत्तपएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स ||
१. सोलस ( स ) ।
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desi सतं (पंचमो उद्देसो)
३४. नवपएसिए णं भंते ! खंधे - पुच्छा ।
गोमा ! सिय एगवणे जहा दुपए सिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवणे ? एगवण-दुवण्ण-तिवण्ण- चउवण्णा जहेव अपएसियस्स । जइ पंचवणे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिए य सुक्किलए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, एवं परिवा
एक्कत भंग भाणियव्या जाव सिय कालगा य नीलगाय लोहियगा य हालिगा य सुक्किलए य, एए एकतीसं भंगा, एवं एक्कग दुयग-तियगचक्कग-पंचगसंजोएहि दो छत्तीसा भंगसया भवंति । गंधा जहा ग्रटुपए सियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा । फासा जहा चउपएसियस्स || ३५ दसपएसिए णं भंते ! खंधे - पुच्छा |
गोयमा ! सिय एगवण्णे जहा नवपएसिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवणे ? एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्ण-चडवण्णा जंहेब नवपएसियस्स | पंचवणे वि तहेव, नवरं - बत्तीसतिमो भंगो भण्णति, एवमेते एक्कग दुयग-तियगचउक्कग-पंचगसंजोए सु दोणि रात्ततीसा भंगसया भवंति । गंधा जहा नवपएसियस्स । रसा जहा एयस्स चेव वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स । जहा दसपएसओ एवं संखेज्ज एसो दि । एवं असं वेज्जन एसियो वि । सुहुमपरिणत एसियो वि एवं चैव ॥
३६. वायरपरिणए णं भंते ! अनंत एसिए खंधे कतिवण्णे० ? एवं जहा श्रट्टारसमसए जाव' सिय फासे पण्णत्ते । वण्ण-गंध-रसा जहा दसपएसियस्स । जइ चउफाने ? १. सव्वे कक्खडे राब्वे गरु सव्वे सीए सव्वे निद्धे, २. सव्वे कक्खडे सब्वे गरुए सब्वे सीए सब्वे लुक्छे, ३. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे निछे, ४. सब्वे कवखडे सब्वे गरुए सब्वे उसिणे सव्वे लुक्खे, ५. सव्वे कक्खडे सब्वे लहुए सधे सीए सन्दे निद्धे, ६ . सव्वे कवखडे सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे, ७. सव्वे कक्खडे सव्ये लहुए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे, ८. सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे सब्वे लुक्खे, ६. सच्चे मउए सव्वे गरुए सव्वे सोए सव्वे निद्धे, १०. सव्वे मउए सव्वे गए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे, ११. सव्वे मउए सब्वे गए सव्वे उसिणे सव्वे निद्धे, १२. सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे, १३. सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे सीएस निद्धे, १४. सव्वे मउ सव्वे लहुए सव्वे सीए सव्वे लुक्खे, सव्वे लहुए सब्वे उसिणे सव्वे निद्धे, १६ सव्वे मउए सव्वे लहुए सव्वे उसि सव्वे लुक्खे, एए सोलस भंगा ।
१५. सव्वे मउए
जइ पंचफासे ? १. सब्वे कक्खडे (सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लक्खे,
१. भ० १८ । ११७ ।
८१७
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८१८
भगवई
२. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसा लुक्खा, ३. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसे लुक्खे, ४. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे सीए देसा निद्धा देसा लुक्खा, सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए सव्वे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, एवं एए कक्खडेण सोलस भंगा, सव्वे मउए सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं मउएण वि सोलस भंगा, एवं बत्तीसं भंगा, सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सव्वे निद्धे देसे सीए देसे उसिणे, सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए सब्बे लुक्खे देसे सीए देसे उसिणे, एए बत्तीसं भंगा, सब्वे कक्खडे सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहुए, एत्थ वि बत्तीसं भंगा, सव्वे गरुए सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए, एत्थ वि बत्तीसं भंगा, एवं सव्वे एते पंचफासे अट्ठावीसं भंगसयं भवति । जइ छप्फासे ? १. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, २. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसा लुक्खा, एवं जाव १६. सव्वे कक्खडे सव्वे गरुए देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा, एए सोलस भंगा, सव्वे कक्खडे सव्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुवखे, एत्थ वि सोलस भंगा, सब्वे मउए सव्वे गरुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे, एत्थ वि सोलस भंगा, सव्वे मउए सव्वे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एत्थ वि सोलस भंगा, एए चउसट्टि भंगा, सव्वे कक्खडे सव्वे सीए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं जाव सव्वे मउए सव्वे उसिणे देसा गरुया देसा लहुया देसा णिद्धा देसा लुक्खा, एत्थ वि चउसट्ठि भंगा, १. सव्वे कक्खडे सव्वे निद्धे देसे गरुए देसे लहए देसे सीए देसे उसिणे जाव सब्वे मउए सव्वे लुक्खे देसा गरुया देसा लहुया देसा सीया देसा उसिणा, एए चउसद्धि भंगा, सव्वे गरुए सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं जाव सव्वे लहुए सव्वे उसिणे देसा कक्खडा देसा मउया देसा निद्धा देसा लुक्खा, एए चउटि भगा, सव्वे गरुए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे जाव सव्वे लहुए सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा सीया देसा उसिणा, एए चउसट्रि भंगा, सव्वे सीए सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए जाव सव्वे उसिणे सव्वे लुक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया, एए चउसट्ठि भंगा, सव्वे एते छप्फासे तिण्णि चउरासीया भंगसया भवंति। जइ सत्तफासे ? १. सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसा निद्धा देसा लुक्खा ४, सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा
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इमं सतं (पंचमी उद्देसो)
८१६
देसे निद्धे देसे लक्खे ४, सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसे उसिणं देसे निद्धे देसे लक्खे ४, सव्वे कक्खडे देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसा उणिा देसे निद्धे देसे लक्खे ४, सव्वे एते सोलस भंगा भाणियव्वा, सव्वे कक्खडे देसे गए देसा लहुया देसे सोए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं गरुणं एगत्तेणं, लहुएणं पुहत्तेणं, एते वि सोलस भंगा, सव्वे कक्खडे देसा गया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे, एए वि सोलस भंगा भाणिया, सब्वे कक्खडे देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उस दे निद्धे देसे लक्खे, एए वि सोलस भंगा भाणियव्वा, एवमेते चउसट्ठि भंगा कक्खडेण समं । सब्वे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिने देसे निद्धे देसं लक्खे, एवं मण व समं चउट्ठि भंगा भाणियव्वा' । सव्वे गरुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं गरुएण वि समं चउ
भिंगा काव्वा । सव्वे लहुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उस देसे निद्धे देसे लक्खे, एवं लहुएण वि समं चउसट्ठि भंगा कायव्वा । सव्वे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं सीतेण वि समं चउस िभंगा कायव्वा । सव्वे उसिणे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे निद्धे देसे लुक्खे, एवं उसिणेण वि समं चउसट्ठि भंगा कायव्वा । सव्वे निद्धे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे, एवं निद्वेण वि समं चउसट्ठि भंगा कायव्वा । सभ्वे लुक्खे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे, एवं लुक्खेण वि समं चउसट्ठि भंगा काव्वा जाव सव्वे ने देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया सासीया देसा उसिणा, एवं सत्तफासे पंच वारसुत्तरा भंगसया भवंति | जइ फासे ? देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसि देसे निद्धे देते लुक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देखा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गए देसे लहुए देसा सीया देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लुक्खे ४, एए चत्तारि चउक्का सोलस भंगा। देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे, एवं एते गरुएणं एगत्तएणं, लहुएणं पुहत्तएणं सोलस भंगा कायव्वा । देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देस निद्धे देसे लक्खे, एए वि सोलस भंगा कायव्वा । देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिने देसे निद्धे देसे लक्खे, एते वि सोलस भंगा कायव्वा । सव्वेवेते चउसट्ठि भंगा कक्खड-मउएहिं
१. नेयव्वा ( अ, क, ता, ब, म) ।
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८२०
भगवई
एगत्तएहिं । ताहे कक्खडेणं एगत्तएणं, मउएणं पुहत्तएणं, एते चउसट्टि भंगा कायव्वा । ताहे कक्खडेणं पुहत्तएणं, मउएणं एगत्तएणं चउसटुिं भंगा कायव्वा । ताहे एतेहिं चेव दोहि वि पुहत्तेहिं चउसद्धि भंगा कायव्वा जाव देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देसा लहुया देसा सोया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लुक्खा एसो अपच्छिमो भंगो। सव्वे एते अट्ठफासे दो छप्पन्ना भंगसया भवति । एवं एते बादरपरिणए अणंतपएसिए खंधे सव्वेसु संजोएसु बारस छन्नउया
भंगसया भवंति ॥ परमाणु-पदं ३७. कतिविहे णं संते ! परमाणू पण्णत्ते ?
गोयमा ! चउब्बिहे परमाणू पण्णत्ते, तं जहा--दव्वपरमाणू, खेत्तपरमाणू,
कालपरमाणू, भावपरमाणू ।। ३८. दव्वपरमाणू णं भंते ! कति विहे पण्णत्ते?
गोयमा ! चउविहे पण्णते, तं जहा--अच्छेज्जे, अभेज्जे, अडझे, अगेज्झे ।। ३६. खेत्तपरमाणू णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणद्धे, अमज्झे, अपदेसे, अविभाइमे ॥ ४०. कालपरमाणू णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ? ०
गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा—अवण्णे, अगंधे, अरसे, अफासे ।। ४१. भावपरमाणू णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! चउव्विहे पण्णत्ते, तं जहा-वण्णमंते, गंधमंते, रसमंते, फासमंते ।। ४२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।।
छट्ठो उद्देसो पुढविवादीणं आहार-पदं ४३. पुढविक्काइए णं भंते ! इमोसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा
समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! किं पुदि उववज्जित्ता पच्छा आहारेज्जा ? पुब्धि आहारेत्ता पच्छा उववज्जेज्जा ? गोयमा ! पुद्वि वा उववज्जित्ता पच्छा आहारेज्जा एवं जहा सत्तरसमसए
१. सं० पा०-पुच्छा।
२. भ० ११५१ ।
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वीसइमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
८२१ ___ छठ्ठद्देसे जाव' से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चय--पुद्वि वा जाव उववज्जेज्जा,
नवरं-तेहि संपाउणणा, इमेहि आहारो भण्णति, सेसं तं चेव ।। ४४. पुढविक्काइए णं भंते ! इमासे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा
समोहए, समोहणित्ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढविक्काइयत्ताए उववज्जि
त्तए ? एवं चेव । एवं जाव ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो।। ४५. पुढविक्काइए णं भंते ! सक्करप्पभाए वालुयप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए,
समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे जाव ईसोपभाराए, एवं एतेणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए समाणे जे भविए सोहम्मे जाव
ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो ॥ ४६. पुढविक्काइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सणंकुमार-माहिंदाण य कप्पाणं अंतरा
समोहए, सभोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कि पुदिव उववज्जित्ता पच्छा पाहारेज्जा०? सेसं
तं चेव जाव से तेण?णं जाव निक्खेवओ। ४७. पुढविक्काइए णं भंते ! सोहम्मीसाणाणं सणंकुमार-महिंदाण य कप्पाणं अंतरा
समोहए, समोहणित्ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एवं चेव । एवं जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो। एवं सणकूमार-माहिदाण बभलागस्सय कप्पस्सतरा समोहए, समोहणित्ता पूणरवि जाव अहेसत्तमाए उवावाएयव्वो। एवं बंभलोगस्स लंतगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए, पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एवं लंतगरस महासुक्कस्स कप्पस्स य अंतरा समोहए, पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एवं महासुक्कस्स सहस्सारस्स य कप्पस्स अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एवं सहस्सारस्स आणय-पाणयकप्पाण य अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एवं आणय-पाणयाणं पारणच्चुयाण य कप्पाणं अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए । एवं पारणच्चुयाणं गेवेज्जविमाणाण य अंतरा जाव अहेसत्तमाए। एवं गवेज्जविमाणाणं अणुत्तरविमाणाण य अंतरा पुणरवि जाव अहेसत्तमाए। एवं अणुत्तरविमाणाणं ईसोपब्भाराए य पुणरवि जाव अहेसत्तमाए उववाएयव्वो ॥ आउक्काइए णं भंते ! इभीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे आउकाइयत्ताए उववज्जित्तए.? सेसं जहा पुढविक्काइयस्स जाव से तेणद्वेणं । एवं पढम-दोच्चाणं अंतरा समोहए जाव ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो। एवं एएणं कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जाव ईसीपब्भाराए उववाएयव्वो आउक्काइयत्ताए।
१. भ० १७।६७,६८।
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८२२
भगवई
४६. पाउयाए णं भंते ! सोहम्मोसाणाणं सणंकुमार-माहिंदाण य कप्पाणं अंतरा
समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणोदहिघणोदहिवलएसु आउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए० ? सेसं तं चेव। एवं एएहि चेव अंतरा समोहनो जाव अहेसत्तमाए पुढवीए घणोदहि-घणोदहिवलएसु आउक्काइयत्ताए उववाएयव्वो। एवं जाव अणुत्तरविमाणाणं ईसीपभाराए य पुढवीए अंतरा समोहए जाव अहेसत्तमाए घणोदहि-घणोदहिवलएसु उववा
एयव्वो ॥ ५०. वाउक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए सक्करप्पभाए य पुढवीए अंतरा
समोहए, समोहणित्ता जे भविए सोहम्मे कप्पे वाउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए.? एवं जहा सत्तरसमसए वाउक्काइयउद्देसए तहा इह वि, नवरं-अंतरेसु समोहणा नेयव्वा, सेसं तं चेव जाव अणुत्तरविमाणाणं ईसीपव्भाराए य पुढवीए अंतरा समोहए, समोहणित्ता जे भविए घणवाय-तणुवाए घणवाय-तणुवायवलएसु वाउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, सेसं तं चेव जाव से तेण?णं जाव' उवव
ज्जज्जा ॥ ५१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति।
सत्तमो उद्देसो
बंध-पदं ५२. कतिविहे णं भंते ! बंधे पण्णते?
गोयमा ! तिविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा-जीवप्पयोगबंधे, अणंतरबंधे, परंपर
बंधे ।। ५३. नेरइयाणं भंते ! कतिविहे बंधे पण्णत्ते ? एवं चेव । एवं जाव वेमाणियाणं ।। ५४. नाणावरणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स कतिविहे बंधे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा–जीवप्पयोगबंधे, अणंतरबंधे, परंपर
बंधे ॥ ५५. नेरइयाणं भंते ! नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कतिविहे बंधे पण्णत्ते? एवं
चेव । एवं जाव वेमाणियाणं । एवं जाव अंतराइयस्स ।।
विषय त्यादुद्देशकत्रयमिदमतोऽष्टमः (व) ।
१. भ० १७१७८-८० । २. वाचनान्तराभिप्रायेण तु पृथिव्यब्वायु
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वीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
८२३
५६. नाणावरणिज्जोदयस्स णं भंते ! कम्मस कतिविहे बंधे पण्णत्त ?
गोयमा ! तिविहे बंधे पण्णत्ते एवं चेव । एवं नेरइयाण वि । एवं जाव वेमाणि
याणं । एवं जाव अंतराइप्रोदयस्स ।। ५७. इत्थीवेदस्स णं भंते ! कम्मस्स कतिविहे बंधे पणत्ते ?
गोयमा ! तिविहे बंधे पण्णत्ते एवं चेव ।। ५८. असुरकुमाराणं भंते ! इत्थीवेदस्स कम्मस्स कतिविहे बंधे पण्णत्ते ? एवं चेव ।
एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं-जस्स इत्थिवेदो अत्थि। एवं पुरिसवेदस्स वि।
एवं नपुंसगवेदस्स वि जाव वेमाणियाणं, नवरं-जस्स जो अत्थि वेदो। ५६. दसणमोहणिज्जस्स णं भंते ! कम्मस्स कतिविहे बंधे पण्णत्ते ? एवं चेव ।
निरंतरं जाव वेमाणियाणं । एवं चरित्तमोहणिज्जस्स वि जाव वेमाणियाणं । एवं एएणं कमेणं पोरालियसरी रस्स जाव कम्मगसरीरस्स आहारसण्णाए जाव परिग्गहसण्णाए, कण्हलेसाए जाव सुक्कलेसाए, सम्मदिट्ठीए मिच्छादिट्ठीए सम्मामिच्छादिट्ठीए, आभिणिबोहियनाणस जाव केवलनाणस्स, मइअण्णाणस्स सुयअण्णाणस्स विभंगनाणस्स, एवं आभिणिबोहियनाणविसयस्स भंते ! कतिविहे बंधे पण्णते जाव केवलनाणविसयस्स, मइअण्णाणविसयरस सुयअण्णाणबिसयस्स विभंगनाणविसयस्स-एएसि सव्वेसि पदाणं तिविहे बंधे पण्णत्ते । सव्वेवेते चउव्वीसं दंडगा भाणियव्वा, नवरं-जाणियव्वं जस्स जं अत्थि ।
जाव६०. माणियाणं भंते ! विभंगनाणविसयस्स कतिविहे बंधे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तिविहे बंधे पण्णत्ते, तं जहा-जीवप्पयोगबंधे, अणंतरबंधे, परंपर
बंधे ॥ ६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव' विहरइ ।
१. भ० ११५१ ।
ओरालियवेउव्विय-आहारगतेयकम्मए चेव । २. इह संग्रहगाथे
सण्णा लेस्सा दिट्ठी, नाणानाणेसु तस्विसए ।२। जीवप्पओगबंधे, अणंतरपरंपरे च बोद्धव्वे । (वृ)। पगडी उदए वेए, दसणमोहे चरित्ते य ।।१।।
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८२४
भगवई
अट्ठमो उद्देसो समयलेते प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणि-पदं ६२. कति णं भंते ! कम्मभूमीग्रो पण्णत्तायो ?
गोयमा ! पन्नरस कम्मभूमीग्रो पण्णतायो, तं जहा-पंच भरहाइं, पंच
एरवयाई, पंच महाविदेहाई॥ ६३. कति णं भंते ! अकम्मभूमीग्रो पण्णत्ताओ ?
गोयमा ! तीसं अकम्मभुमीनो पण्णत्तानो, तं जहा-पंच हेमवयाइं, पंच हेरण्णवयाइं, पंच हरिवासाइं, पंच रम्मगवासाइं, पंच देवकुराओ, पंच
उत्तरकुरायो। ६४. एयासु णं भंते ! तीसासु अकम्मभूमीसु अत्थि प्रोसप्पिणीति वा उस्सप्पिणीति
वा?
नो इणद्वे समढे ॥ ६५. एएसु णं भंते ! पंचसु भरहेसु, पंचर एरवएस अत्थि प्रोसप्पिणीति वा
उस्सप्पिणीति वा ? हंता अस्थि । एएस णं पंचस महाविदेहेसु नेवत्थि प्रोसप्पिणी, नेवत्थि उस्स
प्पिणी, अवट्ठिए णं तत्थ काले पण्णत्ते समणाउसो ! पंचमहब्वइय-चाउज्जाम-धम्म-पदं ६६. एएसु णं भंते ! पंचसु महाविदेहेसु अरहंता भगवंतो पंचमहब्वइयं सपडिक्कमणं
धम्म पण्णवयंति ? नो इणट्ठ समढे। एएसु णं पंचसु भरहेसु, पंचसु एरवएस, पुरिम-पच्छिमगा दुवे अरहंता भगवंतो पंचमहव्वइयं सपडिक्कमणं धम्मं पण्णवयंति, अवसेसा णं अरहंता भगवंतो चाउज्जामं धम्मं पण्णवयंति। एएसु णं पंचसु महाविदेहेसु अरहंता भगवंतो
चाउज्जामं धम्मं पण्णवयंति ॥ तित्थगर-पदं ६७. जंबुद्दीवे णं भंते ! दोदे भारहे वासे इमीसे प्रोसप्पिणीए कति तित्थगरा
पण्णत्ता ? गोयमा ! चउवीसं तित्थगरा पण्णत्ता, तं जहा-उसभ-अजिय-संभव-अभिनंदण
१. देवकुरूओ पंच उत्तरकुरूओ (अ, क, ख, २. पंचमहव्वइयं पंचाणुव्वइयं (ता, स)। ब, म)।
३. पंचमहव्वइयं पंचाणुव्वइयं (ता)।
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बीसइमं सतं (अट्ठमो उद्दसौ)
८२५ सुमति-सुप्पभ-सुपास-ससि-पुप्फदंत-सीयल-सेज्जंस-वासुपूज्ज-विमल-अणंत
धम्म-संति-कंथ-अर-मल्लि-मणिसव्वय-नमि-नेमि-पास-वद्धमाणा ।। ६८. एएसि णं भंते ! चउवीसाए तित्थगराणं कति जिणंतरा पण्णत्ता ?
गोयमा ! तेवीसं जिणंतरा पण्णत्ता ।। जिणंतरेसु कालियसुय-पदं ६६. एएसि णं भंते ! तेवीसाए जिणंतरेसु कस्स कहि कालियसुयस्स वोच्छेदे
पण्णत्त ? गोयमा ! एएसु णं तेवीसाए जिणंतरेसु पुरिम-पच्छिमएसु अट्ठसु-अट्टसु जिणंतरेसु एत्थ णं कालियसुयस्स अव्वोच्छेदे पण्णत्ते, मज्झिमएसु सत्तसु जिणंतरेस एत्थ णं कालियसुयस्स वोच्छेदे पण्णत्ते, सव्वत्थ वि णं वोच्छिण्ण
दिट्ठिवाए । पुव्वगय-पदं ७०. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे अोसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं केवतियं
कालं पुव्वगए अणुसज्जिस्सति ? गोयमा ! जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे इमीसे प्रोसप्पिणीए भमं एगं वाससहस्सं पुवगए अणुसज्जिस्सति ।। जहा णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे प्रोसप्पिणीए देवाणुप्पियाणं एगं वाससहस्सं पुव्वगए अणुसज्जिस्सति, तहा णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे प्रोसप्पिणीए अवसेसाणं तित्थगराणं केवतियं कालं पुवगए अणुसज्जित्था ?
गोयमा ! अत्थेगतियाणं संखेज्ज कालं, अत्थेगतियाणं असंखेज्ज काल । तित्थ-पदं ७२. जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे भारहे वासे इमीसे प्रोसप्पिणीए देवाणप्पियाणं
केवतियं कालं तित्थे अणुसज्जिस्सति ? गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे प्रोसप्पिणीए ममं एगवीसं वास
सहस्साइं तित्थे अणुसज्जिस्सति ॥ ७३. जहा णं भंते ! जंबुद्दोवे दोवे भारहे वासे इमीसे वासे प्रोसप्पिणीए देवाण
प्पियाणं एक्कवीसं वाससहस्साई तित्थे अणुसज्जिस्सति, तहा णं भंते ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे पागमेस्साणं' चरिमतित्थगरस्स केवतियं कालं तित्थे अणुसज्जिस्सति ?
१. भविष्यतां महापद्मादीनां जिनानाम् (वृ) ।
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भगवई
गोयमा ! जावतिए णं उसभस्स अरहग्रो कोसलियस्स जिणपरियाए एवइयाई संखेज्जाई ग्रागमेस्साणं चरिमतित्थगरस्स तित्थे णुसज्जिस्सति ॥
७४. तित्थं भंते ! तित्थं ? तित्थगरे तित्थं ?
८२६
गोमा ! रहा ताव नियमं तित्थकरे, तित्थं पुण चाउवण्णे' समणसंघे, तं जहा - समणा, समणीश्रो, सावया, साविया ||
७५. पवयणं भंते ! पवयणं ? पावयणी पवयणं ?
गोयमा ! अरहा ताव नियमं पावयणी, पवयणं पुण दुवालसंगे गणिपिडगे, तं जहा - प्रायारो "सूयगडो ठाणं समवाम्रो विग्राहपण्णत्ती णाया धम्मकहाम्रो उवासगदसा अंतगडदसा प्रणुत्तरोववाइयदसा पण्हावागरणाई विवागसुयं दिट्टिवा ॥
o
उगादी निग्ध माणुगमण-पदं
७६.
जे इमे भंते ! उग्गा, भोगा, राइण्णा, इक्खागा, नाया, कोरव्वा - एए णं सिधम्मे श्रोगाहंति, श्रोगाहिता दृविहं कम्मरयमलं पवाहेंति, पवाहेत्ता तम्रो पच्छा सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं अंत करेंति ?
एए
हंता गोयमा ! जे इमे उग्गा, भोगा, राइण्णा, इक्खागा, नाया, कोरव्वाधिमे ग्रोगाहंति, श्रोगाहित्ता अट्ठविहं कम्मरयमलं पवाहेंति, पवाहेत्ता तो पच्छा सिज्भंति जाव सव्वदुक्खाणं • अंत करेंति, अत्थे गतिया अण्णयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवति ॥
७७. कतिविहा णं भंते ! देवलोया पण्णत्ता ?
गोमा ! चउव्विहा देवलोया पण्णत्ता, तं जहा - भवणवासी, वाणमंतरा जोतिसिया, वैमाणिया ||
७८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
नवमो उद्देसो
विज्जा - जंघा - चारण-पदं
७६. कतिविहा णं भंते ! चारणा पण्णत्ता
१. चावण्णाइणे (ब, स, वृ); चाउवण्णे (वृपा) ।
२. सं० पा० - श्रायारो जाव दिट्टिवाओ ।
३. नाता ( अ, क, ब)।
४. सं० पा० - तं चैव जाव अंतं ।
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वीसइमं सतं (नवमो उद्देसो)
८२७
गोयमा ! दुविहा चारणा पण्णत्ता, तं जहा विज्जाचारणा य, जंघा -
चारणा य ।।
८०. सेकेणट्टेणं भंते ! एवं बुच्चइ - विज्जाचारणे'- विज्जाचारणे ?
गोयमा ! तस्स णं छटुंछट्टेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं विज्जाए उत्तरगुणलद्ध खममाणस्स विज्जाचारणलद्धी नामं लद्धी समुप्पज्जइ । से तेणट्टेणं' गोयमा ! एवं वच्चइ ० - विज्जाचारणे - विज्जाचारणे ||
o
८१. विज्जाचा रणस्स णं भंते ! कहं सीहा गतो, कहं सोहे गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! श्रयणं जंबुद्दीवे दीवे जाव' किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं । देवेणं महिढी जाव' महेसक्खे जाव इणामेव- इणामेव त्ति कट्टु केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहि अच्छरानिवाएहिं तिक्खुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छेज्जा, विज्जाचा रणस्स णं गोयमा ! तहा सीहा गती, तहा सीहे गतिविसए पण्णत्ते ॥
८२. विज्जाचा रणस्स णं भंते ! तिरियं केवतियं गतिविसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से णं इओ एगेणं उप्पाएणं माणुसुत्तरे पव्वए समोसरणं करेति, करेत्ता तहि चेइयाई वंदति, वंदित्ता वितिएणं उप्पाएणं नंदीसरवरे दीवे समोसरणं करेति, करेत्ता तहिं चेइयाई वंदति, वंदित्ता तो पडिनियत्तति, डिनियत्तित्ता इहमागच्छइ, आगच्छित्ता इह चेइयाई वंदति । विज्जाचारणस्स णं गोयमा ! तिरियं एवतिए गतिविसए पण्णत्ते || ८३. विज्जाचारणस्स णं भंते ! उड्ढ केवतिए गतिविसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से णं इओ एगेणं उप्पाएणं नंदणवणे समोसरणं करेति, करेत्ता तहिं चेयाई वंदति, वंदित्ता बितिरणं उप्पारणं पंडगवणे समोसरणं करेति, करेत्ता तहि चेइयाई वंदति, वंदित्ता तो पडिनियत्तति, पडिनियत्तित्ता इहमागच्छइ, प्रागच्छित्ता इहं चेइयाई वंदति । विज्जाचारणस्स णं गोयमा ! उड्ढ एवतिए गतिविस पण्णत्ते । से णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइयपडिक्कते कालं करेति नत्थि तस्स राहणा । से णं तस्स ठाणस्स लोइय-पडिक्कते कालं करेति प्रत्थि तस्स राहणा ॥
८४. सेकेणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - जंघाचारणे - जंघाचारणे ?
गोमा ! तस्स णं
श्रमेणं प्रणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं अप्पाणं भावेमा -
१. विज्जाचारणा ( अ, क, ख, म, स ) ।
२. सं० पा० - ३. भ० ६।७५ ।
ट्ठे जाव विज्जाचारणे ।
४. भ० १।३३६ ।
५. तुलना - भ० ६।१७३ । ६. अगालोतिय° ( स ) 1
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. ८२८
भगवई
णस्स जंघाचा रणलद्धी नाम लद्धी समुप्पज्जति । से तेण?णं' गोयमा ! एवं
वुच्चइ ° -जंघाचारणे-जंघाचारणे॥ ८५. जंघाचारणस्स णं भंते ! कहं सीहा गती, कहं सीहे गतिविसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे जाव किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं । देवे णं महिड्ढीए जाव महेसक्खे जाय इणामेव-इणामेव त्ति कटु केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तिहिं अच्छ रानिवाएहि तिसत्तखुत्तो अणुपरियट्टित्ता णं हव्वमागच्छेज्जा,
जंघाचारणस्स णं गोयमा ! तहा सीहा गती, तहा सीहे गतिविसए पण्णत्ते ॥ ८६. जंघाचारणस्स णं भंते ! तिरियं केवतिए गतिविसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से णं इग्रो एगेणं उप्पाएणं रुयगवरे दीवे समोसरणं करेति, करेत्ता तहि चेइयाइं वंदति, वंदित्ता तओ पडिनियत्तमाणे बितिएणं उप्पाएणं नंदीसरवरदीवे समोसरणं करेति, करेत्ता तहि चेइयाइं वंदति, वंदित्ता इहमागच्छइ, आगच्छित्ता इहं चेइयाई वंदति, जंघाचारणस्स णं गोयमा ! तिरियं एवतिए
गतिविसए पण्णत्ते ॥ ८७.
जंघाचारणस्स णं भंते ! उड्ढं केवतिए गतिविसए पण्णत्ते ? गोयमा ! से णं इअो एगणं उप्पाएणं पंडगवणे समोसरणं करेति, करेत्ता तहि चेझ्याई बंदति, वंदित्ता तो पडिनियत्तमाणे वितिएणं उप्पाएणं नंदणवणे समोसरणं करेति, करेत्ता तहिं चेइयाइं वंदति, वंदित्ता इहमागच्छइ, पागच्छित्ता इह चेइयाइं वंदति, जंघाचारणस्स णं गोयमा ! उड्ढे एवतिए गतिविसए पण्णत्ते । से णं तस्स ठाणस्स प्रणालोइय-पडिक्कते कालं करेइ नत्थि तस्स पाराहणा । से णं तस्स ठाणस्स झालोइय-पडिक्कते कालं करेति अस्थि
तस्स पाराहणा।। ८८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरइ ।।
दसमो उद्देसो ग्राउय-पदं ८६. जीवा णं भंते कि सोवक्कमाउया ? निरुवक्कमाउया ?
गोयमा ! जीवा सोवक्कमाउया वि, निरुवक्कमाउया वि ।।
चेव (अ, क,
ख, ता, ब,
१. सं० पा०-तेणट्रेणं जाव जंघाचारणे। २. सं० पा०-एवं जहेव विज्जाचारणस्स नवरं
तिसत्तखुत्तो।
३. पण्णत्ते, सेसं तं
म,स)। ४. भ० ११५१ ।
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इमं तं (दमो उद्देसो)
६०. नेरइयाणं - पुच्छा ।
गोयमा ! नेरइया नो सोवक्कमाउया, निरुवक्कमाउया । एवं जाव थणियकुमारा । पुढविक्काइया जहा जीवा । एवं जात्र मणुस्सा | वाणमंतर - जोइसिय वेमाणिया जहा नेरइया ।
उववज्जण उव्वट्टण-पदं
६१. नेरइया णं भंते! किं प्रातोव क्रमेणं' उववज्जंति ? परोवक्कमेणं उववज्जति ? निरुवक्कमेणं उववज्जंति ?
गोयमा !
तोवक्कमेण वि उववज्जंति, परोवक्कमेण वि उववज्जंति, निरुव
क्मेण वि उववज्जति । एवं जाव वेमाणिया ||
६२. नेरइया णं भंते ! किं प्रातोवक्कमेणं उब्वदृति ? परोवक्कमेणं उव्वट्टंति ? निरुवक्कमेणं उब्वट्टंति ?
गोमा ! नो तो कमेणं उब्वट्टंति, नो परोवक्कमेणं उब्वट्टंति, निरुवक्कमेणं उब्वति । एवं जाव थणियकुमारा । पुढविकाइया जाव मणुस्सा तिसु उति । सेसा जहा नेरइया, नवरं - जोइसिय-वेमाणिया चयंति । ९३. नेरइया णं भंते! किं ग्राइड्ढोए उववज्जंति ? परिड्ढीए' उववज्जंति ? गोयमा ! आइड्ढोए उववज्जंति, नो परिड्ढीए उववज्जति । एवं जाव मणिया ||
४. नेरइया णं भंते! किं प्राइड्ढोए उब्वति ? परिड्ढीए उब्वट्टंति ?
गोमा ! श्राइड्ढी उब्वदृति, नो परिड्ढोए उब्वति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं जोइसिया वेमाणिया य चयंतीति अभिलावो ||
६५. नेरइया णं भंते ! किं प्रायकम्मुणा उववज्जंति ? परकम्मुणा उववज्जंति ? गोयमा ! आयकम्मुणा उववज्जंति, नो परकम्मुणा उववज्जंति । एवं जाव मणिया । एवं उट्टणादंडो वि ॥
६. नेरइया णं भंते ! किं आयप्पओगेणं उववज्जंति ? परप्पोगेणं उववज्जंति ? गोमा ! प्रायोगेणं उववज्जंति, नो परप्पोगेणं उववज्जंति । एवं जाव मणिया । एवं उब्वट्टणादंड वि ॥
कतिसंचियादि-पदं
६७. नेरइयाणं भंते ! किं कतिसंचिया ? कतिसंचिया ? प्रवत्तव्वगसंचिया ?
१. आत्मना - स्वयमेवायुष उपक्रम आत्मोपक्रमस्तेन मृत्वेति शेषः (वृ) ।
८२६
२. परिद्धीए ( क ) |
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भगवई
गोमा ! नेरइया कतिसंचिया वि, कतिसंचिया वि, अवत्तव्वगसंचिया वि ॥ ६८. सेकेणट्टेणं जाव अवत्तव्वगसंचिया वि ?
८३०
६६. पुढविक्काइयाणं पुच्छा ।
गोयमा ! पुढविकाइया नो कतिसंचिया, ग्रकतिसंचिया, नो अवत्तव्वगसंचिया ॥
१००.
गोमा ! जे गं नेरइया संखेज्जएणं पवेसण एणं पविसंति ते णं नेरइया कतिसंचिया, जे गं नेरइया ग्रसंखेज्जएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया कतिसंचिया, जेणं नेरइया एक्कएणं पवेसणएणं पविसंति ते गं ने रइया प्रवत्तव्वगसंचिया । से तेणट्टेणं गोयमा ! जाव प्रवत्तव्वगसंचिया वि । एवं जाव थयिकुमारा ॥
सेकेणणं भंते ! एवं वुच्चइ - जाव नो प्रवत्तव्वगसंचिया ?
गोयमा ! पुढविकाइया प्रसंखेज्जएणं पवेसणएणं पविसंति । से तेणट्टेणं जाव नो ग्रवत्तव्वगसंचिया । एवं जाव वणस्सइकाइया' । बेंदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया ||
१०१.
सिद्धाणं -- पुच्छा ।
गोयमा ! सिद्धा कतिसंचिया, नो प्रकृतिसंचिया, प्रवत्तव्वगसंचिया वि ।। १०२. से केणट्टेणं जाव प्रवत्तव्वगसंचिया वि ?
गोमा ! जेणं सिद्धा संखेज्जएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा कतिसंचिया, जेणं सिद्धा एक्कएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा प्रवत्तव्वगसंचिया । सेते द्वेणं जाव श्रवत्तव्वगसंचिया वि ।।
१०३. एएसि णं भंते ! नेरइयाणं कतिसंचियाणं ग्रकतिसंचियाणं प्रवत्तव्वगसंचियाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया प्रवत्तव्वगसंचिया, कतिसंचिया संखेज्जगुणा, अतिसंचिया संखेज्जगुणा । एवं एगिदियवज्जाणं जाव वेमाणियाणं अप्पाबहुगं । एगिंदियाणं नत्थि अप्पाबहुगं ॥
१०४. एएसि णं भंते ! सिद्धाणं कतिसंचियाणं प्रवत्तव्वगसंचियाण य कयरे कयरेहिंतो ● अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा
?
गोयमा ! सव्वत्थोवा सिद्धा कतिसचिया, अवत्तव्वगसंचिया संखेज्जगुणा ॥
१. वनस्पतयस्तु यद्यप्यनन्ता उत्पद्यन्ते तथाऽपि
प्रवेशनकं विजातीयेभ्य आगतानां यस्तत्रोत्पादस्तद्विवक्षितं,
असङ्ख्याता एव
विजातीयेभ्य उद्वृत्तास्तत्रोद्यन्त इति सूत्रे उक्तम् (वृ ।
२. सं० पा० - करेहिंतो जाव विसेसाहिया । ३. सं० पा० – कयरेहितो जाव विसेसाहिया ।
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वीसइमं सतं (दसमो उद्देसो)
८३१ छक्कसमज्जियादि-पदं १०५. नेरइयाणं भंते ! किं छक्कसमज्जिया ? नोछक्कसमज्जिया ? छक्केण य
नोछक्केण य समज्जिया ? छक्केहि समज्जिया ? छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया ? गोयमा ! नेरइया छक्कसमज्जिया वि, नोछक्कसमज्जिया वि, छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया वि, छक्केहि समज्जिया वि, छक्केहि य नोछक्केण य
समज्जिया वि॥ १०६. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ -नेरइया छक्कसमज्जिया वि जाव छक्केहि य
नोछक्केण य समज्जिया वि ? गोयमा ! जे णं ने रइया छक्कएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं ने रइया छक्कसमज्जिया । जे णं नेरइया जहण्णणं एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं ने रइया नोछक्कसमज्जिया। जे णं नेरइया एगेणं छक्कएणं अण्णण य जहण्णणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा, उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति तेणं ने रइया छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया। जे ण नेरइया नेगेहिं छक्केहि पवेसणएहि पविसंति ते णं नेरइया छक्केहि समज्जिया। जे णं नेरइया नेगेहि छक्केहि अण्णेण य जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं ने रइया छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया । से तेणटेणं तं चेव जाव समज्जिया वि । एवं जाव
थणियकुमारा ।। १०७. पुढविक्काइयाणं--पुच्छा।।
गोयमा ! पुढविक्काइया नो छक्कसमज्जिया, नो नोछक्कसमज्जिया, नो छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया, छक्केहिं समज्जिया, छक्केहि य नोछक्केण
य समज्जिया वि।। १०८. से केणटेणं जाव समज्जिया वि ?
गोयमा ! जे णं पुढविक्काइया नेगेहि छक्कए हि पवेसणएहिं पविसंति ते णं पुढविक्काइया छक्केहि समज्जिया । जे णं पुढविक्काइया नेगेहि छक्कएहि य अण्णेण य जहणणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं पंचएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं पुढविक्काइया छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया । से तेणटेणं जाव समज्जिया वि । एवं जाव वणस्सइकाइया । बेंदिया जाव वेमाणिया,
सिद्धा जहा नेरइया । १०६. एएसि णं भंते ! नेरइयाणं छक्कसमज्जियाणं, नोछक्कसमज्जियाणं, छक्कण
य नोछक्केण य समज्जियाणं, छक्केहि समज्जियाणं, छक्केहि य नोछक्केण य १. पवेसणएणं (अ, क, व, स); पवेसणगं (ख, म)।
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८३२
भगवई
समज्जियाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ' विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नेरइया छक्कसमज्जिया, नोछक्कसमज्जिया संखेज्जगुणा छक्केण य नोछक्केण य समज्जिया संखेज्जगुणा, छक्केहि समज्जिया असंखेज्जगुणा, छक्केहि य नोछक्केण य समज्जिया संखेज्जगुणा । एवं जाव थणिय
कुमारा॥ ११०. एएसि णं भंते ! पुढविकाइयाणं छक्केहि समज्जियाणं, छक्केहि य नोछक्केण.
य समज्जियाण य कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा पुढविक्काइया छ केहि समज्जिया, छपकेहि य नोछक्केण य समज्जिया संखेज्जगुणा । एवं जाव वणस्सइकाइयाणं । बेइंदियाणं जाव वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं ।। एएसि णं भंते ! सिद्धाणं छक्कसमज्जियाणं नोछक्कसमज्जियाणं जाव छक्केहि य नोछक्केण य समज्जियाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा सिद्धा छ केहि य नोछक्केण य समज्जिया, छक्केहि समज्जिया संखेज्जगुणा, छपकेण य नोछक्केण य समज्जिया संखेज्जगुणा, छक्कसम
ज्जिया संखेज्जगुणा, नोछक्कसमज्जिया संखेज्जगुणा ।। बारससमज्जियादि-पद ११२. नेरइया णं भंते ! किं बारससमज्जिया?, नोवारससमज्जिया ? बारसएण य
नोबारसएण य समज्जिया? बारसएहिं समज्जिया ? वारसएहि य नोबारसएण य समज्जिया ? गोय मा ! नेरइया वारससमज्जिया वि जाव बारसएहि य नोबारसएण य सम
ज्जिया वि।। ११३. से केणटेणं जाव समज्जिया वि ?
गोयमा ! जे णं नेरइया बारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया बारससमज्जिया। जे णं नेरइया जहण्णेणं एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेणं एक्कारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया नोबारससमज्जिया। जे णं नेरइया बारसएणं अण्णेण य जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा, उक्कोसेणं एक्कारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया बारसएण य नोबारसएण य
३. सं० पा० -- कयरेहितो जाव विसे साहिया।
१. सं० पा० -कयरेहितो जाब विसेसाहिया। २. सं० पा०--कयरेहितो जाव विसेसाहिया ।
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वीसइम सतं (दसमो उद्देसो)
समज्जिया। जे णं नेरइया नेगेहिं बारसएहि पवेसणएहिं पविसंति ते णं नेरइया बारसएहिं समज्जिया । जे णं नेरइया नेगेहिं बारसएहि अण्णेण य जहण्णेणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं एक्कारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया वारसएहि य नोबारसएण य समज्जिया। से तेण?णं जाव सम
ज्जिया वि । एवं जाव थणियकुमारा ॥ ११४. पुढविक्काइयाणं-पुच्छा।
गोयमा! पुढविक्काइया नोबारससमज्जिया, नो नोबारससमज्जिया, नो बारसएण य नोवारसएण य समज्जिया, बारसएहिं समज्जिया, बारसेहि य
नोबारसेण य समज्जिया वि ।। ११५. से केणद्वेणं जाव समज्जिया वि ?
गोयमा ! जे णं पुढविक्काइया नेगेहिं बारसएहिं पवेसणएहि पविसंति ते णं पुढविक्काइया बारसएहिं समज्जिया। जे णं पुढविक्काइया नेगेहिं बारसएहिं अण्णेण य जहण्णणं एकोण बा दोहिं वा तीहि वा, उक्कोसेणं एक्कारसएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं पुढविक्काइया बारसएहि य नोबारसएण य समज्जिया । से तेणतुणं जाव समज्जिया वि। एवं जाव वणस्सइकाइया । बेइंदिया
जाव सिद्धा जहा ने रइया ।। ११६. एएसि णं भंते ! नेरइयाणं बारससमज्जियाणं'--सव्वेसि अप्पाबहुगं जहा
छक्कसमज्जियाणं, नवरं-बारसाभिलावो, सेसं तं चेव ।। चुलसीतिसमज्जियादि-पदं ११७. नेरइया णं भंते! कि चुलसीतिसमज्जिया ? नोचुलसीतिसमज्जिया ?
चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जिया? चुलसीतीहि समज्जिया ? चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए य समज्जिया ? गोयमा ! नेरइया चुलसीतिसमज्जिया वि जाव चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए
य समज्जिया वि।। ११८. से केणद्वेणं जाव समज्जिया वि?
गोयमा ! जे णं नेरइया चुलसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया चुलसीतिसमज्जिया। जे णं ने रइया जहणणं एक्केण वा दोहि वा तीहि वा, उक्कोसेणं तेसीतिपवेसणएणं पविसंति ते णं ने रइया नोचुलसीतिसमज्जिया। जे ण नेरइया चलसीतीए णं अण्णण य जहण्णणं एक्केण वा दोहिं वा तीहिं वा, उक्कोसेणं तेसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया चलसीतीए य नोचलसीतीए य समज्जिया । जे णं नेरइया नेगेहिं चुलसीतीएहिं पवेसणएहिं पविसंति
१. पू०-भ० २०।१०६ ।
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८३४
भगवई ते णं नेरइया चुलसीतीएहिं समज्जिया। जे णं नेरइया नेगेहिं चुलसीतीएहि य अण्णेण य जहण्णणं एक्केण वा 'दोहिं वा तीहिं वा°, उक्कोसेणं तेसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं नेरइया चुलसीतीहि य नोचुलसीतीए य समज्जिया। से तेणतुणं जाव समज्जिया वि । एवं जाव थणियकुमारा। पुढविक्काइया तहेव पच्छिल्लएहिं दोहिं, नवरं-अभिलामो चुलसीतीपो । एवं जाव वणस्सइकाइया । बेदिया जाव वेमाणिया जहा नेरइया ।। सिद्धाणं-पूच्छा । गोयमा ! सिद्धा चुलसीतिसमज्जिया वि, नोचुलसीतिसमज्जिया वि, चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जिया वि, नो चुलसीतीहि समज्जिया, नो चुलसीतीहि
ए य समज्जिया ॥ १२०. से केणद्वेणं जाव समज्जिया ?
गोयमा ! जे णं सिद्धा चुलसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा चुलसीति समज्जिया। जे णं सिद्धा जहण्णेणं एक्केणं वा दोहिं वा तीहि वा, उक्कोसेणं तेसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा नोचुलसीतिसमज्जिया। जे णं सिद्धा चुलसीतीएणं अण्णेण य जहण्णणं एक्केण वा दोहिं वा तीहि वा, उक्कोसेणं तेसीतीएणं पवेसणएणं पविसंति ते णं सिद्धा चुलसीतीए य नोचुलसीतीए
य समज्जिया । तेणटूण जाव समज्जिया ।। १२१. एएसि भंते ! नेरइयाणं चलसीतिसमज्जियाणं नोचलसीतिसमज्जियाणं ।
-सव्वेसि अप्पाबहुगं जहा छक्कसमज्जियाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं
अभिलामो चुलसीतीओ॥ १२२. एएसि णं भंते ! सिद्धाणं चुलसीतिसमज्जियाणं, नोचुलसीतिसमज्जियाणं,
चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जियाण य कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा° ? विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा सिद्धा चुलसीतीए य नोचुलसीतीए य समज्जिया,
चुलसीतिसमज्जिया अणंतगुणा, नोचुलसीतिसमज्जिया अणंतगुणा ।। १२३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।
१. सं० पा० ---एक्केण वा जाव उक्कोसेणं । २. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. पू०-भ० २०११०६ ।
४. सं० पा०--कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ५. भ० ११५१ ।
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अ सालिग्रादिजीवाणं उववायादि पर्द
९. रायगिहे जाव एवं वयासी ग्रह भंते ! साली - वीही- गोधूम - जव जवजवाणंएएसि णं भंते! जीवा मूलत्ताए वक्कमंति, ते णं भंते! जीवा कोहिंतो उववज्जंति - किं नेरइएहिंतो उववज्जंति ? तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ? मस्से हिंतो उववज्जति ? देवेहिंतो उववज्जंति ? जहा वक्कंतीए तहेव उववाओ, नवरं - देववज्जं ॥
एगवीसइमं सतं पढमो वग्गो
पढमो उद्देस
१. सालि २. कल ३. ग्रयसि ४. वंसे, ५. इक्खू ६. दब्भे य ७. अब्भ ८. तुलसी य । दस वग्गा, असीति' पुण होंति उद्देसा ॥१॥
२.
णं भंते! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ?
गोयमा ! जहणेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति । श्रवहारो जहा उप्पलुद्दे ॥
३. तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?
गोमा ! जहणं गुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं धणुपुहत्तं ॥
४. ते णं भंते! जीवा नाणावर णिज्जस्स कम्मस्स किं बंधगा ? अबंधगा ? जहा उप्पलुसे । एवं वेदे वि, उदए वि, उदीरणा' वि ॥
५. ते णं भंते! जीवा किं कण्हलेस्सा, नोललेस्सा, काउलेस्सा छव्वीसं भंगा, दिट्ठी जाव इंदिया जहा ' उप्पलुद्दे से ||
१. असीति (क, ब, स ) |
२. प०६ ।
३. भ० ११।४ ।
४. भ० ११६-११ ।
५. उदीरणाए ( अ, क, ख, ता, म, स ) ।
६. भ० ११।१३-२८ ।
८.३५
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८३६
भगवई
६. ते णं भंते ! साली - वीही- गोधूम - जव - जवजवगमूलगजीवे कालो केवच्चिरं ' होति ?
गोमा ! जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं ॥
७. से णं भंते ! साली - वीही-गोधूम-जव - जवजवगमूलगजीवें पुढवीजीवे, पुणरवि साली - वोही - जव जव जवगमूलगजीवे केवतियं काल सेवेज्जा केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ? एवं जहा उप्पलुद्दे से । एएणं अभिलावेणं जाव' मणुस्सजीवे, ग्राहारो जहा' उप्पलुद्देसे, ठिती जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वासपुहत्तं, समुग्धाया, समोहया, उव्वट्टणा य जहा उप्पलु से ||
८. ग्रह भंते ! सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता साली - वोही - गोधूम - जव जवजवगमूलगजीवत्ताए उववण्णपुव्वा ?
हंता गोयमा ! सति श्रदुवा प्रणतखुत्तो ॥
६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
२- १० उद्देसो
१०. ग्रह भंते ! साली वीही" गोधूम जव- ० - जवजवाणं - एएसि णं जे जीवा कंदत्ताए वक्कमंत ते णं भंते! जोवा कोहिंतो उववज्जंति ? एवं कंदाहिगारेण सच्चेव मूलुद्देसो अपरिसेसो भाणियव्वो जाव असति अदुवा प्रणतखुत्तो ॥ ११. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१२. एवं खंधे वि उद्देसो नेयव्वो । एवं तयाए वि उद्देसो भाणियव्वो । साले वि उसो भाणियव्वो । पवाले वि उद्देसो भाणियव्वो । पत्ते वि उद्देसो भाणि - यव्वो । एए सत्त वि उद्देसगा अपरिसेसं जहा मूले तहा नेयव्वा । एवं पुप्फे वि उद्देसओ, नवरं - देवा उववज्जति जहा ' उप्पलुद्दे से । चत्तारि लेस्साग्रो, असीति भंगा । श्रोगाणा जहणणं अंगुलस्स श्रसंखेज्जइभागं उक्कोसेणं अंगुलपुहत्तं, सेसं तं चैव ॥
१३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१४. जहा पुप्फे एवं फले वि उद्देस परिसेसो भाणियव्वो । एवं बीए वि उद्देस । एए दस उद्देगा ||
१. केवचिरं ( अ, क, ख, 1
२. भ० ११।३०-३४ ।
३. भ० ११।३५ ।
४. भ० ११।३७-३६ ।
५. सं० पा०—वीही जाव जवजवाणं ।
६. भ० ११।२ ।
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एगवीसइमं सतं (२-४ वग्गा)
बीओ वग्गो १५. अह भंते ! कल-मसूर-तिल-मुग्ग-मास-निप्फाव-कुलत्थ-ग्रालिसंदग-सतीण'
पलिमंथगाणं'- एए सि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति ते णं भंते ! जीवा कमोहितो उववज्जति ? एवं मूलादीया दस उद्देसगा भाणियव्वा जहेव सालीणं निरवसेसं तहेव ॥
तइयो वग्गो
१६. अह भंते ! अयसि-कुसुंभ-कोद्दव-कंगु-रालग-वरा-कोदूसा-सण-सरिसव-मूलग
बीयाणं एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमति ते णं भंते ! जीवा कमोहितो उववज्जति ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालोणं निरवसेसं तहेव भाणियव्वा ।।
__
---
चउत्थो वग्गो १७. अह भंते ! वंस-वेणु-कणक-कक्कावंस-चारुवंस'-दंडा-कुडा-विमा-कंडा-वेलुया
कल्लाणाणं -एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति०? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा जहेव सालीणं, नवरं-देवो सव्वत्थ वि न उववज्जति । तिण्णि लेसायो । सव्वत्थ वि छव्वीसं भंगा, सेसं तं चेव ।।
१. सढिरण (अ); सविण (क); सद्दिण (ख); ३. यारुरवंस (अ); यारुवंस (ब); वगरवंस
सडिण (ता, स); सतिण (ब); सदिण (म) (म)। २. पलिमिथगाणं (अ, ता); पमिलिवगाणं (क); ४. उडा (ता); दंडगा (ब) । पलिमित्थगाणं (ख, ब, म)।
५. कुडा (अ, ता, स)। ६. कल्लाणीणं (अ, क, ता, ब, म)।
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८३८
पंचमो वग्गो
१८. ग्रह भंते ! उखु उक्खुवाडिय-वीरण- इक्कड भमास- सुंब - सर- वेत्त- तिमिरसतपोरग - नलाणं - एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं जहेव वंसवग्गो तहेव एत्थ वि मूलादीया दस उद्देगा, नवरं - खंधुद्दे से देवो उववज्जति । चत्तारि लेस्साप्रो, सेसं तं चेव ।।
छट्टो वग्गो
१६. ग्रह भंते ! सेडिय' - भंतिय - कोंतिय-दब्भ-कुस -पव्वग पोइल" प्रज्जुण- आसाढगरोहियंस- सुय'-वखीरर-भुस'- एरंड - कुरुकुंद - करकर सुंठ- विभंगु महुरतण : थुरग"सिप्पिय- सुंकलितणाणं - एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए ववकमंति० ? एवं एत्थ वि दस उद्देगा निरवसेसं जहेव वसवग्गो ॥
सत्तमो वग्गो
२०. ग्रह भंते ! अब्भरुह" - वोयाण" - हरितग- तंदुलेज्जग-तण-वत्थुल पोरग - मज्जारपाइ" -विल्लि" - पालक्क दगपिप्पलिय- दव्वि-सोत्थिक- सायमंडुक्कि " -मूलग-सरिसव-अंबिलसाग-जियंतगाणं - एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वदस उद्देगा निरवसेसं जहेव वसवग्गो ॥
भगवई
१. मुंडे (अ); सुंठे (क, ख, ता) । २. सतवोरग ( ख ) ।
६. कुंडकुरुकुंद (सा) ।
१०. बहुरयण (क, ब); महरयण ( ख ) । ११. छुरग (ता) ।
३. सेढिय ( स ) ।
४. भतिय (अ); भात्तिय ( क ) ; भंति (ता); १२. अज्झरुह (क, ख, ता, ब) ।
भंतेय (ब) ।
१३. वेताण (अ); वायारण ( ख ) ।
५. पदेइल (अ); वोदइल ( ता ) ।
१४. वोरग (अ); चोरग ( स ) ।
६. मुत ( क, ख, ब, स ) ।
७. पक्खीर (ता) |
८. भूस ( अ, क, ता, ब ) |
१५. याइ (ख, म) । १६. विलि (ता); चिल्लि ( ब ) 1 १७. सायमंदुक्कि (ख, ता, म)
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एगवीसइम सतं (अट्टमो वग्गो)
अमो वग्गो
२१. ग्रह भंते ! कुलसी - कण्ह-दराल- फणेज्जा - प्रज्जा भूयणा' चोरा- जीरा-दमणामरुया-इंदीवर-सयपुप्फाणं - एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एत्थ वि दस उद्देगा निरवसेसं जहा वंसाणं । एवं एएस ग्रट्ठसु वग्गेसु ग्रसीति उद्देगा भवंति ॥
१. चूरणा ( स ) ।
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वावीसमं सतं
पढमो वग्गो १,२. तालेगट्ठिय ३. बहुबीयगा य ४. गुच्छा य ५. गुम्म ६. वल्ली य । छद्दस वग्गा एए, सट्टि पुण होति उद्दसा ।।१।। रायगिहे जाव एवं वयासी- अह भंते ! ताल-तमाल-तक्कलि-तेतलि-सालसरला-'सारकल्लाण-जावति-केयइ-कदलि- कंदलि-चम्मरुक्ख- भुयरुक्ख'-हिगुरुक्ख-लवंगरुक्ख-पूयफलि-खज्जूरि-नालिए रोणं---एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति, ते ण भंते ! जीवा करोहितो उववज्जति० ? एवं एत्थ वि मलादीया दस उद्देसगा कायव्वा जहेव सालीणं, नवरं-इमं नाणत्तं-मूले कंदे खंधे तयाए साले य एएसु पंचसु उद्देसगेसु देवो न उववज्जति । तिण्णि लेसायो। ठिती जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं दसवाससहस्साइं। उवरिल्लेसु पंचसु उद्देसएसु देवो उववज्जति । चत्तारि लेसाओ। ठिती जहण्णेणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेणं वासपुहत्तं । अोगाहणा मूले कंदे धणुहपुहत्तं, खंधे तयाए साले य गाउयपुहत्तं, पवाले पत्ते धणुहपुहत्तं, पुप्फे हत्थपुहत्तं, फले बीए य अंगुलपुहत्तं । सव्वेसि जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं । सेसं जहा सालीणं । एवं एए दस उद्देसगा।
टोला
१. तेवलि (अ, म)।
जातः। वस्तुत: 'सारकल्लाण जाबति २. सारकल्लाणं जाव केवइ (अ, क, ख, ता, केयइ' इति पाठः समीचीनोस्ति । अत्र जाव
ब, म, स); अत्र सर्वेष्वादशेषु 'सारकल्लाणं शब्दस्य किमपि प्रयोजनं नावगम्यते। जाव केवई' इति पाठो लभ्यते । भ० ३. गुंबरुक्ख (अ); गुयरुक्ख (क, ख); गुदरुख ८२१७ तथा प्रज्ञापनाया: प्रथमपदे यथा (ता) | X(ब); गुत्तरुक्ख (म): गुंतरुक्ख पाठोस्ति तदाधारेण ज्ञायते लिपिभ्रमोऽसौ (स)।
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बावीसइमं सतं (२, ३ वग्गा)
वीओ वग्गो २. अह भंते ! निबंब जंबु-कोसंब-साल अंकोल्ल-पीलु-सेलु-सल्लइ-मोयइ-मालुय
बउल-पलास--करंज-पुत्तंजीवग-अरिट्ठ-विहेलग- हरितग - भल्लाय-उंबभरिय'खीरणि-धायइ-पियाल-पूइणिबारग सेण्हय-पासिय'-सीसव-असण-पुण्णाग-नागरुक्ख-सीवण्णि'-असोगाणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा निरवसेसं जहा तालवग्गो।।
तइओ वग्गो ३. अह भंते ! अत्थिय-तिदुय-बोर-कविट्ठ-अंबाडग-माउलिंग-बिल्ल-ग्रामलग
फणस- दाडिम'"- आसोत्थ५ - उंबर-वड- नग्गोह-नदिरुक्ख - पिप्पलि - सतरिपिलक्खुरुक्ख-काउंवरिय-कुत्थंभरिय-देवदालि-तिलग- लउय-छत्तोह- सिरीससत्तिवण्ण"-दहिवण्ण-लोद्ध-धव-चंदण-अज्जुण-नीम-कुडग-कलंबाणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति, ते णं भंते ! जीवा करोहितो उववज्जति ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा तालवग्गसरिसा ने यध्वा जाव बीयं ॥
१. ताल (क, ख, ता, ब, म, स)।
८. मातुलुग (अ, क, ख, ब, भ)। २. वेहेलग (ता)।
६. बेल्ल (ब)। ३. उंबरिभरीय (अ)।
१०. दालिम (ख, ता, स)। ४. सेण्हण (ता); सिण्हण (ब); सण्हय (स)। ११. असोलु (अ, म); असोट्ठ (क, ख, ब); ५. पोसिय (अ); पसिय (म)।
असोह (ता)। ६. अयसि (अ, क. ख, ता, ब, म, स); १२. सतरा (अ); सतर (क, ख, स); सेतर (ब) सर्वासु प्रतिषु 'अयसि' इति पाठो लिखि- १३. कोच्छु भरिय (ख); कुच्छु भरिय (स) । तोस्ति, किन्तु प्रज्ञापनायाः (प० १) १४. सत्तवण्ण (स)।
अनुसारेण 'असण' इति पदं गृहीतम् । १५. नीव (ख) । ७. सीवण्ण (अ, क, ख, ता, म, स)।
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चउत्थो वग्गो ४. अह भंते ! वाइंगणि-अल्लइ-पोंडइ, एवं जहा पण्णवणाए गाहाणुसारेणं नेयव्वं
जाव' गंज-पाडला-दासि-अंकोल्लाणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा नेयव्वा जाव बीयं ति निरवसेसं जहा वसवग्गो।।
पंचमो वग्गो ५. अह भंते ! सेरियक-नवमा लय-कोरेंटग-बंधुजीवग-मणोज्जा, जहा पण्णवणाए
पढमपदे गाहाणुसारेणं जाव' नवणीतिय-कुंद-महाजाईणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा निरवसेसं जहा सालीण ॥
छ8ो वग्गो ६. ग्रह भंते ! पूसफलि-कालिंगी-तुंबी-तउसी-एलावालुंकी, एवं पदाणि छिदिय
व्वाणि पण्णवणागाहाणुसारेणं जहा तालवग्गे जाव' दधिफोल्लइ-काकलिमोकलि-अक्कबोंदीणं--एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति०? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा जहा तालवग्गो, नवरं--फलउद्देसे प्रोगाहणाए जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं धणुपुहत्तं। ठिती सव्वत्थ जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वासपुहत्तं, सेसं तं चेव । एवं छसु वि वग्गेसु सट्ठि उद्देसगा भवंति ।।
१. प०१, गुच्छवग्गो।
४. मणोजा (अ, म)। २. पालुलावासि (अ); पाडलावासि (ख, स); ५. प० १, गुम्मवग्गो। ___पायलायसि (ब); पातुलावासि (म)। ६. नवणीय (ख, ब, म); नलणीय (स)। ३. सिरियका (क); सणियक (ता); सरियक ७. ५०१, वल्लिवग्गो। (ब)।
८. मोक्कलि (ख, व, स)।
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तेवीसइमं सतं
पढमो वग्गो १. पालुय २. लोही ३. अवए, ४. पाढा तह ५. मासवण्णि-वल्ली य । पंचेते दसवग्गा, पन्नासं होंति उद्देसा ॥१॥ १. रायगिहे जाव एवं वयासी-ग्रह भंते ! अालुय-मूलग-सिंगबेर-हलिहा'-रुरु
कंडरिय- जारु- छी रबिरालि-किट्ठि- कंदु- कण्हाकडभु'- मधु-पुयलइ- महुसिगिनिरुहा-सप्पसुगंधा -छिण्णरुह-बीयरहाणं- एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा कायव्वा वंसवग्गसरिसा, नवरंपरिमाणं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति । अवहारो--- गोयमा! ते णं अणंता समये-समये अवहीरमाणा-अवहीरमाणा अणंताहि प्रोसप्पिणीहि उस्सप्पिणीहि एवतिकालेणं अवहीरंति, नो चेव णं अवहिया सिया । ठिती जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं, सेसं तं चेव ॥
बीओ वग्गो २. अह भंते ! लोही-णीहू-थीहू-थिभगा-अस्सकण्णी-सीहकण्णी-सिउंढी-मुसुंढीण __ -एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि दस उद्देसगा जहेव
पालुवम्गो, नवरं-प्रोगाहणा तालवग्गसरिसा, सेसं तं चेव ।। ३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति॥
१. हालिद्दा (अ, म); हलिद्द (ख, ता, स); ६. सुपासगंधा (प्र)। हालिद्द (ब)।
७. अवहरिया (स)। २. कुंथु (अ, क, ब); कुंथु (ता)।
८. गेहू (ब)। ३. कण्हकडउ (अ, स); कण्हकडलु (ब)। ६. वीहू (अ, ब); बीहू (स)। ४. धुपलइ (अ)।
१०. मुसंठीणं (ता)। ५. नोरुहा (ख)।
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तइओ वग्गो ४. अह भंते ! आय-काय-कुहुण-कुंदुरुक्क-उव्वेहलिया-सफा-सज्जा-छत्ता-वंसाणिय
कुराण....एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस उद्देसगा निरवसेसं जहा अालुवग्गो, नवरं-ओगाहणा तालवग्गसरिसा,
सेसं तं चेव ।। ५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
चउत्थो वग्गो ६. अह भंते ! पाढा-मियवालंकि-मधुररसा-रायवल्लि-पउमा-मोढरि-दंति-चंडीणं
एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि मूलादीया दस
उद्देसगा पालुयवग्गसरिसा, नवरं प्रोगाहणा जहा वल्लीणं, सेसं त चेव ।। ७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
पंचमो वग्गो ८. अह भंते ! मासपण्णी-मुग्गपण्णी-जोवग-सरिसव-करेणुय-कायोलि-खीरकाको लि
भंगि-णहि- किमिरासि- भद्दमुत्थ- णंगलइ-पयुय' -किण्हा -'पउल-हढ-हरेणुयालोहीणं-एएसि णं जे जीवा मूलत्ताए वक्कमंति० ? एवं एत्थ वि दस उद्देसगा निरवसेसं अालुयवग्गसरिसा । एवं एत्थ पंचसु वि वग्गेसु पन्नासं उद्देसगा
भाणियव्वा । सव्वत्थ देवा न उववज्जति । तिण्णि लेसानो॥ है. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. उव्वेहलिया तिब्वेहलिया (ता)। २. कुरवाणं (ता)। ३. पहुय (क); पेसुय (ख); पेयुय (ब, म)।
४. किंणा (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ५. पउयलघाढे (म, क); पउयलपाढे (ख, म,
स); पउयलवाढे (ब)।
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चवीसइमं सतं पढमो उद्देसो
१. उववाय २. परीमाणं ३,४. संघयणुच्चत्तमेव ५ संठाणं । ६. लेस्सा ७. दिट्ठी ८. नाणे, ग्रण्णाणे ६. जोग १०. उवोगे ॥ १॥ ११ सण्णा १२ कसाय १३. इंदिय, १४ समुग्धाया १५. वेदणा य १६. वेदे य । १७. ग्राउं १८. ग्रज्भवसाणा, १६. प्रणुबंधो २०- कायसंवेहो ॥ २॥ जीवपदे' जीवपदे, जीवाणं दंडगम्मि उद्देसो । चवीस तिमम्मि चउव्वीसं हों उद्देसा ॥३॥
सए,
रइयादीसु उववायादि-गमग-पदं
९. रायगिहे जाव एवं वयासी - नेरइया णं भंते! कोहितो उववज्जंति - किं नेरइएहिंतो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ? मणुस्सेहिंतो उववज्जंति ? देवेहिंतो उववज्जति ?
गोयमा ! नो नेरइए हिंतो उववज्जंति, तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, मणुसेहिंतो वि उववज्जंति, नो देवेहितो उववज्जति ॥
२. जर तिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति - - किं एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति ?
गोयमा ! नो एगिंदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, नो वैदिय, नो तेइंदिय, नो चउरिदिय, पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ।।
३. जइ पंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति - - किं सणिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ? प्रसणिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति ? गोयमा ! सणिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति, ग्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो वि उववज्जति ॥
१. इयं च गाथा पूर्वोक्तद्वारगाथाद्वयात् क्वचित् पूर्वं दृश्यत इति ( वृ ) ।
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८४६
भगवई
४. जइ असणिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति -कि जल चरेहितो उव
वज्जति ? थलचरेहितो उववज्जति ? खहचरेहितो उववज्जति ? गोयमा ! जलचरेहितो उववज्जति, थलचरेहिता वि उववज्जति, खहचरे हितो
वि उववज्जति ।। ५. जइ जलचर-थलचर-खहचरेहितो उववज्जति -कि पज्जत्तएहितो उबवज्जति ?
अपज्जत्तहितो उववज्जति?
गोयमा ! पज्जत्तएहिंतो उववज्जति, नो अपज्जत्तएहितो उववज्जति ।। ६. पज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए नेरइएसु उववज्जि
त्तए, से णं भंते ! कतिसु पुढवीसु उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! एगाए रयणप्पभाए पुढवीए उववज्जेज्जा ।। ७. पज्जत्ताग्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए रयणप्पभाए
पुढवीए नेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहण्णणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेंज्जइ
भागद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। ८. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ?
गोयमा ! जहणणेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति ॥ तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंघयणी पण्णत्ता ?
गोयमा ! छेवट्टसंघयणी पण्णत्ता॥ १०. तेसिणं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं ।। ११. तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंठिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! हुंडसंठिया पण्णत्ता ।। १२. तेंसि णं भंते ! जीवाणं कति लेस्सायो पण्णत्ताओ?
गोयमा ! तिण्णि लेस्सागो पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा, नीललेस्सा,
काउलेस्सा ।। १३. ते णं भंते ! जीवा किं सम्मदिट्ठी ? मिच्छादिट्ठी ? सम्मामिच्छादिट्ठी ?
गोयमा ! नो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी ॥ १४. ते णं भंते ! जीवा किं नाणी ? अण्णाणी ?
गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी, नियमा दुअण्णाणी, तं जहा-मइअण्णाणी य, सुयअण्णाणी य॥
१. सरीरा (ता)। २. संघयणा (ख, ता, स)।
३. छेवट्ठ° (ता)। ४. हुंडसंठिया (स)।
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चउवीसइमं सतं (पढमो उद्देसो) १५. ते णं भंते ! जीवा कि मणजोगी? वइजोगी ? कायजोगी ?
___ गोयमा ! नो मणजोगी, वइजोगी वि, कायजोगी वि ।। १६. ते णं भंते ! जीवा किं सागारोवउत्ता? अणागारोवउत्ता ?
गोयमा ! सागारोवउत्ता वि, अणागारोवउत्ता वि ।। १७. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति सण्णाप्रो पण्णत्ताओ?
गोयमा ! चत्तारि सण्णाग्रो पण्णत्तायो, तं जहा-पाहारसण्णा, भयसण्णा,
मेहुणसण्णा, परिग्गहसण्णा ॥ १८. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति कसाया पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि कसाया पण्णत्ता, तं जहा-कोहकसाए, माणकसाए, माया
कसाए, लोभकसाए ॥ १६. तेसि णं भंते ! जीवाणं कति इंदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचेंदिया पण्णत्ता, तं जहा--सोइंदिए जाव फासिदिए। २०. तेसि णं भंते ! जोवाणं कति समुग्धाया पण्णत्ता ?
गोयमा ! तओ समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा-वेयणासमुग्घाए, कसायसमुग्घाए,
मारणंतियसमुग्घाए ॥ २१. ते णं भंते ! जोवा कि सायावेयगा? असायावेयगा ?
गोयमा ! सायावेयगा वि, असायावेयगा वि ।। २२. ते णं भंते ! जोवा किं इत्थोवेदगा ? पुरिसवेदगा ? नपुंसगवेदगाा?
गोयमा ! नो इत्थीवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदगा ।। २३. तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी ।। २४. तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! असंखेज्जा अज्झवसाणा पण्णत्ता ।। ते णं भंते ! कि पसत्था ? अप्पसत्था ? गोयमा ! पसत्था वि, अप्पसत्था वि ।। से णं भंते ! पज्जत्तासणिपंचिदियतिरिक्खजोणिएत्ति कालयो केवचिरं
होइ?
२७.
गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी ॥ से णं भंते ! पज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए रयणप्पभाए पुढवीए नेरइए, पूणरवि पज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएत्ति केवतियं कालं सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दस वाससहस्साइ अंतोमुत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पुवकोडिमब्भहियं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १।।
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भगवई २८. पज्जत्तासणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहण्णकालट्ठिती
एसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवइकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा। गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सद्वितीएसु
उववज्जेज्जा ।। २६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं सच्चेव वत्तव्वया
निरवसेसा भाणियव्वा जाव' अणुबंधो त्ति ॥ ३०. से णं भंते ! पज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए जहण्णकालद्वितीय रयण
प्पभापुढविनेरइए, पुणरवि पज्जत्ताग्रसण्णि पंचिदियतिरिक्खजोणिएत्ति केवतियं कालं सेवेज्जा ? केवतियं कालं° गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहिं अब्भहिया,
एवातय काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा २।। ३१. पज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं जे भविए उक्कोसकालद्वितीएसु
रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागद्वितीएसु, उक्कोसेण वि
पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागट्टितीएसु उववज्जेज्जा ॥ ३२. ते णं भंते ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसं तं चेव जाव'
अणुबंधो॥ ३३. से ण भंते ! पज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए उक्कोसकालद्वितीयरयण
प्पभापुढविनेरइए, पुणरवि पज्जत्ता असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएत्ति केवतियं कालं सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति ° करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाइं, कालादेसेणं जहण्णणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं अंतोमुत्तमब्भहियं, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभाग पुवकोडिमब्भहियं,' एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति
करेज्जा ३॥ ३४. जहण्णकालट्टितोयपज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए
रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? .
لله
१. भ० २४१८-२६ । २. सं० पा-पज्जताग्रसण्णि जाव गतिरागति। ३. भ० २४।८-२६ ।
४. सं० पा०—पज्जत्ता जाव करेज्जा। ५. पूवकोडिअब्भहियं (अ, क, ख, ब, म, स)।
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८४९
चउवीस इमं सतं (पढमो उद्देसो)
गोयमा ! जहणेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइ
भागट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ३५. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? सेमं तं चेव, नवरं
इमाइं तिण्णि नाणताइं—ाउं, अज्झवसाणा, अणुबंधो य । जहण्णणं ठिती
अंतोमुहत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। ३६. तेसि णं भंते ! जीवाणं केवतिया अज्झवसाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! असंखेज्जा अज्झवसाणा पण्णत्ता ।। ३७. ते णं भंते ! कि पमत्था ? अप्पसत्था ?
गोयमा ! नो पसत्था, अप्पसत्था अणुबंधो अंतोमुहुत्तं, सेसं तं चेव ।। ३८. से णं भंते ! जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ताअसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए रयण
प्पभाए जाव गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाइं, कालादेसेणं जहणणं दसवाससहस्साई अंतोमुत्तममहियाई, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं अंतोमुहत्त.
मन्भहियं, एवतियं कालं सेवेज्जा, 'एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ४॥ ३६. जहणकालद्वितीयपज्जत्ताग्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए
जहण्णकालद्वितीएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सद्विती
एसु उववज्जेज्जा ॥ ४०. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? सेसं तं चेव, ताई चेव
तिण्णि नाणत्ताइं जाव'----- ४१. से णं भंते ! जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ता असणिपंचिदियतिरिक्ख जोणिए
जहण्णकाल द्वितीयरयणप्पभापुढविनेरइए पुणरवि जाब गतिराग ति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहणणं दसवाससहस्साई अंतोमुत्तभन्भहियाइं, उक्कोसेण वि दसवाससहस्साइं अंतोमुत्तमभहियाई,
एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति ° करेज्जा ५।। ४२. जहण्णकालद्वितीयपज्जत्तानसणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए ण भंते ! जे भविए
उक्कोसकालद्वितीएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ?
१. नवरि (ब)। २. भ० २४१२७ । ३. जाव (ग्र, क, ख, ता, ब, म, स) ।
४. भ० २४१८-२६, ३५-३७ । ५. सं० पा०-०पज्जत्ता जाव जोणिए। ६. सं० पा०-सेवेज्जा जाव करेज्जा ।
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८५०
भगवई
गोयमा ! जहणेणं पलिप्रोवमस्स असंखेज्जइभाग द्वितीएसु, उक्कोसेण विपलिओवमस्स असंखेज्जइभागट्ठितीएसु उववज्जेज्जा |
४३. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? श्रवसेसं तं चेव, ताई चेव तिणि नाणत्ताइं जाव'--
४४. से णं भंते! जहण्णकालद्वितीयपज्जत्ताश्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए उक्कोसकालद्वितीय रयणप्पभाए जाव' गतिरागति करेज्जा ?
गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहणेणं पलिप्रोवमस्स प्रसंखेज्जइभागं तो मुहुत्तमब्भहियं, उक्कोसेण वि पलिश्रोवमस्स असंखेज्जइभागं ग्रंतोमुत्तमम्भहियं एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति' करेज्जा६ ॥ ४५. उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्ताश्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भवि रणभापुढविनेरइएस उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ?
गोमा ! जहणेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं पलिग्रोवमस्स श्रसंखेज्जइभागती सु' उववज्जेज्जा ॥
४६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? प्रवसेसं जहेव प्रोहियगमणं तहेव प्रणुगंतव्वं, नवरं - इमाई दोणि नाणत्ताई - ठिती जहणणेणं पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । एवं प्रणुबंधो वि। श्रवसेसं तं चेव ॥ ४७. से णं भंते ! उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्ताग्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए रय
प्पभाए जाव' गतिरागति करेज्जा ?
गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहणेणं पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहिं प्रभहिया, उक्कोसेणं पलिओवमस्स ग्रसंखेज्जइभागं पुव्वकोडीए
भहियं एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७|| ४८. उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्ताप्रसणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जहणकाल द्वितीएसु रयणप्पभापुढविने रइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते! केवतियकालट्ठितो सु" उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! जहणेणं दसवाससहस्सट्ठितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सट्टितीएसु उववज्जेज्जा |
१. भ० २४/८ - २६, ३५-३७ ।
२. भ० २४२७ ।
३. सं० पा० - कालं जाव करेज्जा ।
४. ० काल जाव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) ।
५. असंखेज्जइ जाव ( अ क, ख, ता, ब, म, स) ६. भ० २४/८ - २६ ।
७. ० असणि जाव तिरिखखजोगिए (श्र, क,
ख, ता, ब, म, स ) ।
८. भ० २४।२७ ।
६.
१०.
सं० पा०- एवतियं जाव करेज्जा ।
केवति जाब ( अ, क. ख, ता, ब, म, स ) ।
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चउवीसइमं सतं (पढमो उद्देसो)
८५१ ४६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? सेसं तं चेव, जहा सत्तम
गमए जाव'-.-. ५०. से णं भंते ! उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्ताअसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए
जहण्णकालद्वितीयरयणप्पभाए जाव' गतिरागति करेज्जा ? गोयमा ! भवादेसेणं दो भवग्गहणाइं, कालादेसेणं जहण्णणं पुवकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अन्भहिया, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहि अब्भ
हिया, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ८॥ ५१. उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्ताग्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए' णं भंते ! जे भविए
उवकोसकालट्ठितीपसु रयणप्पभापुढविनेरइएस उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालद्वितीएसु' उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागद्वितीएसु, उक्कोसेण वि पलि
ग्रोवमस्स असंखेज्जइभागट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ५२. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? सेसं जहा सत्तमगमए
जाव - ५३. से णं भंते ! उक्कोसकाल द्वितीयपज्जत्ताग्रसणिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए'
उक्कोसकाल द्वितीयरयणप्पभाए जाव गतिरागति करेज्जा ? गोयमा! भवादेसेण दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहणणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पुव्वकोडीए अभहिां, उक्कोसेण वि पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पूव्वकोडीए अब्भहियं, एवतियं काल सेवेज्जा, 'एवतियं कालं'१ गतिरागति करेज्जा । एवं एते प्रोहिया तिण्णि गमगा, जहण्णकालद्वितीएसु तिण्णि
गमगा, उक्कोसकालद्वितीएसु तिण्णि गमगा, सव्वेते नव गमगा भवंति ।। ५४. जइ सण्णिपंचिदियतिरिक्खजाणिएहितो उववज्जति कि संखेज्जवासाउयसण्णि
पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो२ उववज्जति ? असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ?
१ भ०२४।४६ ।
७. काल जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. ० द्वितीय जाप तिरिक्ख जोरिणए (अ, क, ८, भ० २४१४६ । __ख, ता, ब, म, स)।
६. पज्जत्ता जाव तिरिक्ख जोणिए (अ, क. ३. भ०२४।२७ ।
ख, ता, ब, म, स)। ४. सं० पा० -एवतियं जाव करेज्जा। १०. भ० २४१२७ । ५. ०पज्जत्ता जाव तिरिवखजोणिए (अ, क, ११. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ख, ता, ब, म, स)।
१२. °तिरिक्ख जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, ६. रयण जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। स)।
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८५२
भगवई गोयमा ! संखेज्जवासाउयसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, नो
असंखेज्जवासाउय सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो° उववज्जति ॥ ५५. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो' उववज्जंति--किं जल
चरेहितो उववज्जति -पुच्छा! गोयमा ! जलचरेहितो उववज्जति, जहा असण्णो जाव' पज्जत्तएहितो
उववज्जति, नो अपज्जत्तएहितो उववज्जति ।। ५६. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए
नेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कतिसु पुढवीसु उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! सत्तसु पुढवीसु उववज्जेज्जा, तं जहा-रयणप्पभाए जाव अहेसत्तमाए । ५७. पज्जत्तसं खेज्जवासाउयसणिपंचिंदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए
रयणप्पभपुढविने रइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतियकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं सागरोवमद्वितीएसु
उववज्जेज्जा ॥ ५८. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? जडेव असण्णी ।। ५६. तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंघयणी पण्णता ?
गोयमा ! छव्विहसंघयणी पण्णत्ता, तं जहा.....बइरोसभनारायसंघयणी, उसभनारायसंघयणी जाव' छेवट्टसंघयणी । सरीरोगाहणा जहेव असण्णीपं
जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं ।। ६०. तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंठिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! छव्विहसंठिया पण्णत्ता. तं जहा-समचउरंसा, निग्गोहा जाव' हुंडा ॥ ६१. तसि णं भंते ! जीवाण कति लेस्सागो पण्णत्तानो ?
गोयमा ! छल्लेस्साओ पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा। दिट्ठी तिविहा वि । तिष्णि नाणा तिण्णि अण्णाणा भयणाए । जोगो तिविहो वि । सेसं जहा असण्णोणं जाव' अणुबंधो, नवरं-पंच समुग्धाया आदिल्लगा। वेदो तिविहो वि, अवसेसं तं चेव जाव
१. सं० पा०-असंखेज्जवासा उय जाव उव-
वज्जति। २. पचिदिय जाव (अ, क, ख, ता, ब, म,
४. भ० २४।८ । ५. ठा० ६।३०। ३. सेवट्ट ° (अ, ख, ब, म); छेवट्ठ ° (ता)। ७. भ०१४।८१ । ८. भ०२४।१६-२६ ।
३. भ. २४।४,५।
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चवीस सतं ( पढमो उद्देसो)
६२. से णं भंते ! पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसष्णिपचदियतिरिक्खजोणिए' रयणप्पभाए जाव गतिरागति करेज्जा ?
गोयमा ! भवादेसेणं जहणेणं दो भवरंगहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई । कालादेसेणं जहणेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमम्भहियाई, उक्कोसेणं चारि सागरोवमाई चउहिं पुव्वकोडोहिं अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १ ||
६३. पज्जत्तसंखेज्ज वासाउयसणिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! ° जे भविए जहणकाल द्वितीएसु रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! haतियकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! जहणेणं दसवाससहस्सट्टितीएसु, उक्कोसेण वि दसवाससहस्सट्ठितीसु उववज्जेज्जा |
६४. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? एवं सो चेव पढमो गमो निरवसेसो भाणियव्वो जाव' कालादेसेणं जहणणेणं दसवाससहस्साई
८५३
तमुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडी चत्तालीसाए वाससहस्सेहि प्रभहियाग्रो, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा २ ||
६५. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेणं सागरोवमद्वितीएसु, उक्कोसेण वि सागरोवमती उववज्जेज्जा । ग्रवसेसो परिमाणादीश्रो भवादेसपज्जवसाणो सो चेव पढमगमो नेयव्वो जाव' कालादेसेणं जहणेणं सागरोवमं तोमुत्तमम्भहियं उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहि पुण्वकोडीहिं ग्रहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३ ॥ ६६. जहण्णकाल द्वितीयपज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए
णं
भंते ! जे भविए रयणप्प भपुढविने रइएस उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएस उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! जहणेणं दसवास सहस्स द्वितीएस, उक्कोसेणं सागरोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा |
६७. ते णं भंते! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? प्रवसेसो सो चेव गम, नवरं - इमाई ग्रट्ट नाणत्ताई- १. सरीरोगाहणा जहणणेणं अंगुलस्स असखेज्जइभागं, उक्कोसेणं धणुपुहत्तं २. लेस्सा तिणि आदिल्लाओ ३. नो
१. ० वासाउय जाव तिरिक्खजोगिए ( अ, क,
ख, ता, ब, म, स ) ।
२. सं० पा० पज्जत्तसंखेज्ज जाव जे ।
३. सं० पा० - जहण्णकाल जाव से ।
४. भ० २४।५८-६२ ।
५. भ० २४/५७-६२ ।
६. ० पुढवि जाव अ, क, ख, ता, ब, म, स ) 1
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८५४
भगवई
सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छदिट्ठी ४. नो नाणी, दो अण्णाणा नियम ५. समुग्घाया आदिल्ला तिण्णि ६. पाउं ७. अज्झवसाणा ८. अणुबंधो य जहेव असण्णीणं । अवसेसं जहा पढमगमए जाव' कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहि अंतोमुत्तेहिं अभिहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरा
गति करेज्जा ४॥ ६८. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णणं दसवाससहस्सद्वितीए सु,
उक्कोसेण वि दसवाससहस्सट्टितीएस उववज्जेज्जा ।। ६६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं सो चेव चउत्थो
गमयो निरवसेसो भाणियब्बो जाव' कालादेसेणं जहण्णणं दसवाससहस्साई अंतोमुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं चत्तालीसं वाससहस्साइं च उहि अंतोमुत्तेहि
अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ।। ७०. सो चेव उक्कोसकालट्टितीएसु उववण्णो जहण्णणं सागरोवमद्वितीएसु, उक्को
सेण वि सागरोव । उववज्जेज्जा ॥ ७१. ते णं भंते ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं सो चेव चउत्थो
गमग्रो निरवसेसो भाणियब्वो जाव' कालादेसेणं जहण्णणं सागरोवमं अंतोमुत्तमब्भहियं, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं च उहि अंतोमुहत्तेहि अब्भहियाई,
एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ६।। ७२. उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए ण
भंते ! जे भविए रयणप्पभापुढविनेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवति. कालट्टितीएसु उववज्जेज्जा ! गोयमा ! जहण्णणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं सागरोवमट्टि तीएसु
उववज्जेज्जा ॥ ७३. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसो परिमाणादीयो
भवादेसपज्जवसाणो सो चेव पढमगमग्रो नेयम्वो, नवरं -ठिती जहण्णेणं पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुवकोडी । एवं अणुबंधो वि, सेसं तं चेव । कालादेसेणं जहणणेणं पुवकोडी दसहिं वारासहस्सेहि अब्भहिया, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चहिं पुवकोडीहिं अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७॥
१. भ० २४१५८-६२ । २. भ०२४।६७ । ३. भ० २४१६७ ।
४. ०वासाउय जाव तिरिक्खजोणिए (अ, क, ___ख, ता, ब, म, स)। ५. एएसि (अ, क, ख, ता ब, स)। ६. भ० २४.५८-६२।
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चउवीस इमं सतं (पढमो उद्देसो) ७४. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णणं दसवाससहस्सद्वितीएसु,
___ उक्कोसेण वि दसवाससहस्सद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।।। ७५. ते णं भंते ! जोवा एगसमरण केवतिया उववज्जति ? सो चेव सत्तमो गमयो
निरवसेसो भाणियव्वो जाव' भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णणं पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहि अब्भहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्व कोडीयो चत्तालीसाए वाससहस्से हिं अब्भहियानो, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति
करेज्जा ८ ।। ७६. उक्कोसकालद्वितीयपज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए' णं
भंते ! जे भविए उक्कोसकालट्ठितीएसु' •रयणप्पभापुढविने रइएसु° उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमट्टितीएसु, उक्कोसेण वि सागरोवमद्वितीएसु
उववज्जेज्जा। ७७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? सो चेव सत्तमगमत्रो
निरव मेसो भाणियबो जाव भवादेसो त्ति। कालादेसेणं जहण्णणं सागरोवमं पुव्वकोडीए अब्भहियं, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहि पुव्वकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवीतय काल गांतरागात करेज्जाह ।
एवं एते नव गमका । उक्खेव-निक्खेवो नवसु वि जहेव' असण्णीणं ॥ ७८. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए
सक्करप्पभाए पुढवीए ने रइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमट्टितीएसु, उक्कोसेणं तिसागरोवमद्वितीएसु
उववज्जेज्जा ।। ७६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेव रयणप्पभाए
उववज्जतगस्स लद्धी सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा जाव' भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णणं सागरोवमं अंतोमुत्तमब्भहियं, उक्कोसेणं बारस सागरोवमाई चउहि पुवकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं रयणप्पभपुढविगमसरिसा नव वि गमगा भाणियव्वा, नवरं-सव्वगमएसु वि नेरइयद्विती-संवेहेसु सागरोवमा भाणियव्वा, एवं जाव
छट्टपुढवि त्ति, नवरं-नेरइयठिई जा जत्थ पुढवीए जहण्णुक्कोसिया सा तेणं १. भ० २४१७३ ।
४. भ० २४१७३। २. ०पज्जत्त जाव तिरिक्खजोरिणए (अ, क, ५. असंज्ञि-प्रकरणं ४ सूत्रात् ५३ पर्यन्तं विद्यते। ख, ता, ब, म, स)।
६. भ० २४१५८-६२ । ३. सं० पा०-उक्कोसकालद्वितीएसु जाव
उववज्जित्तए।
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८५६
भगवई
चेव कमेणं च उगुणा कायव्वा। वालुयप्पभाए पुढवीए अट्ठावीसं सागरोव माई चउगुणिया भवंति, पंकप्पभाए चत्तालीसं, धूमप्पभाए अट्ठसट्टि, तमाए अट्ठासीइं । संधयणाई---वालुयप्पभाए पंचविहसंघयणी, तं जहा-- वइरोसहनारायसंघयणी जाव' खीलियासंघयणी', पंकप्पभाए चउव्विहसंघयणी, धूमप्पभाए तिविहसंघयणी, तमाए दुविहसंघयणी, तं जहा –वइरोसभनारायसंघयणी य,
उसभनारायसंघयणी य, सेसं तं चेव ।। ८०. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदितिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए
अहेसत्तमाए पुढवीए नेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहणणं वावीससागरोवमद्वितीएस, उक्कोसेणं तेत्तीससागरोवम
द्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। ८१. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेब रयणप्पभाए
नव गमका, लद्धी वि सच्चेव, नवरं-वइरोसभनारायसंघयणो । इथिवेदगा न उववज्जति, रोसं तं चेव जाव' अणुबंधो त्ति । संवेहो भवादेसेणं जहणणं तिण्णि भवग्गहणाई, उक्कोसेणं सत्त भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं बावीस सागरोवमाइं दोहि अंतोमुहुरोहि अब्भहियाइं, उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाई च'उहि पुत्वकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १ ॥ सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो, सच्चेव वत्तव्बया जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णणं कालादेसो वि तहेव जाव' चउहिं पुवकोडीहि अब्भहि
याई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा २॥ ८३. सो चेव उक्कोसकालट्टितीएसु उववण्णो, सच्चेव लद्धी जाव' अणुबंधो त्ति ।
भवादेसेणं जहण्णेणं तिण्णि भवग्गहणाई, उक्कोसेणं पंच भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णणं तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं अंतोमुहुत्तेहि अब्भहियाई, उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाइं तिहि पुव्वकोडीहिं अब्भहियाइं, एवतियं काल सेवेज्जा,
एवतियं कालं गतिरागतिं करेज्जा ३ ॥ ८४. सो चेव अप्पणा जहण्णकालट्टितीयो जानो, सच्चेव रयणप्पभपुढविजहण्णकाल
द्वितीयवत्तव्वया भाणियव्वा जाव' भवादेसो त्ति, नवरं-पढम संघयणं, नो इत्थिवेदगा। भवादेसेणं जहण्णेणं तिण्णि भवन्गहणाई, उक्कोसेणं सत्त भवग्गह
८२.
१. ठा० ६।३०।
४. भ० २४.५८-६२ । २. कीलिया ° (अ)।
५. भ० २४।६३,६४ । ३. वासाउय जाव तिरिक्खजोणिए (अ, क, ६. भ० २४१६५ । ख, ता, ब, म, स)।
७. भ० २४।६६,६७ ।
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चउवीसइमं सतं (पढमो उद्देसो)
८५७ णाई। कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं दोहि अंतोमुत्तेहि अब्भहियाइ, उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाइं चउहि अंतोमुहुत्तेहिं अभहियाई, एवतियं
काल सेवेज्जा. एवतियं कालं गतिरागतिं करेज्जा ४॥ ८५. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उबवण्णो, एवं सो चेव च'उत्थो गमो निरवसेसो
भाणियव्वो जाव' कालादेसो त्ति ५ ।। ८६. सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएसु उववण्णो, सच्चेव लद्धी जाव' अणुबंधो त्ति । भवा
देसेणं जहणणेणं तिण्णि भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं पंच भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहणणं तेत्तीसं सागरोवमाई दोहिं अंतोमुहुत्तेहि अब्भहियाई, उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाइं तिहिं अंतोमुहुत्तेहिं अमहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा,
एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ६ ॥ ८७. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जहणणेणं बावीससागरोवमट्टितीएस,
उक्कोसेणं तेत्तीससागरोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा । ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसा सच्चेव सत्तमपुढविपढमग मवत्तव्वया भाणियब्वा जाव' भवादेसो त्ति, नवरं-ठिती अणुबंधो य जहण्णेणं पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी, सेसं तं चेव । कालादेसणं जहण्णणं बावोसं सागरोवमाइं दोहि पुवकोडीहि अमहियाई, उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाइं चउहि पव्वकोडीहि अमहियाई, एबतियं
कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७ ॥ ८६. सो चेव जहण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो, सच्चेव लद्धी संवेहो वि तहेव सत्तम
गमगसरिसो ८॥ ६०. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो, ‘एस चेव लद्धी जाव' अणुबंधो त्ति।
भवादेसेणं जहण्णणं तिणि भवग्गहणाई, उक्कोसेणं पंच वग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णणं तेत्तीस सागरोवमाइं दोहि पुवकोडीहि अमहियाई, उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाइं तिहि पुत्वकोडोहि अव्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा,
एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ६ ॥ ६१. जइ मणुस्सेहितो उववज्जति-कि सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? असण्णि
मणुस्सेहितो उववज्जति ?
गोयमा ! सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति, नो असण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ।। ६२. जइ सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति-कि संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो
१. भ० २४१८४। २. भ. २४/८४। ३. भ० २४१८१।
४. भ०२४।८७,८८ । ५. एवं सच्चेव (अ)। ६. भ० २४८७,८८।
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८५५
भगवई
६४.
उववज्जति ? असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो' उववज्जति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति, नो असंखज्जवासा
उयसण्णिमणस्सेहितो उववज्जति ।। ६३. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिमगुस्सेहितो उववज्जति —कि पज्जत्तसंखेज्जवासा
उयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? अपज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसणिमणुस्सेहितो उववज्जति, नो अपज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ।। पज्जत्तसंखे,ज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए ने रइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कतिसु पुढवीसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! सत्तसु पुढवीसु उववज्जेज्जा, तं जहा रयणप्पभाए जाव अहेसत्त
माए। ६५. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए रयणप्पभाए पुढवीए
नेरइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्ठिती एसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं सागरोवम द्वितीएसु उववज्जेज्जा॥ ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? गोयमा ! जहणणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । संघयणा छ, सरीरोगाहणा जहण्णणं अंगुलपुहत्तं, उक्कोसेणं पंचधणुसयाइं। एवं सेसं जहा सण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं जाव भवादेसो त्ति, नवरं-चत्तारि नाणा तिण्णि अण्णाणा भयणाए। छ समुग्धाया केवलिवज्जा। ठिती अणुबंधो य जहण्णेणं मासपुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी, सेसं तं चेव । कालादेसेणं जहणणं दसवाससहस्साइं मासपुहत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चरहिं पुव्बकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं
कालं गतिरागति करेज्जा १॥ ६७. सो चेव जहण्णकाल द्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं—कालादेसेणं
जहण्णणं दसवाससहस्साइं मासपुहत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीअो चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहियाप्रो, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा २।।
१. असंखेज्ज जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. असंखेज्जवासाउय जाव (अ, क, ख, ता,
ब, म, स)।
३. संखेज्जवासाउय जाव (अ, क, ख, ता, ब,
म, स)। ४. भ० २४१५६-६२।
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चउवीसइमं सतं (पढमो उद्देसो)
८५६ ६८. सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तब्वया, नवरं- कालादेसेणं
जहण्णेणं सागरोवमं मासपुहत्तमभहियं, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहि पुनकोडीहिं अब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरा
गति करेज्जा ३॥ ६६. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीओ जानो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं-इमाइं
पंच नाणत्ताई-१. सरोरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलपुहत्तं, उक्कोसेण वि अंगुलपहत्तं २. तिण्णि नाणा तिण्णि अण्णाणाई भयणाए ३. पंच समुग्घाया आदिल्ला ४, ५. ठिती अणुबंधो य जहण्णणं मासपुहत्तं, उक्कोसेण वि मासपुहत्तं, सेसं तं चेव जाव' भवादेसोत्ति। कालादेसेणं जहण्णणं दसवाससहस्साई मासपुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहि मासपुहत्तेहि
अभहियाइं एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागतिं करेज्जा ४॥ १००. सो चेव जहण्णकालट्टितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया च उत्थगमगसरिसा',
नवरं-कालादेसेणं जहण्णेणं दसवाससहस्साइं मासपुहत्तमभहियाई, उक्कोसेणं चत्तालीसं वाससहस्साई चउहि मासपुहत्तेहिं अभहियाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ५।। सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो, एस चेव गमगो, नवरं-कालादेसेणं जहण्णेणं सागरोवमं मासपुहत्तमभहियं, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चउहि मासपुहत्तेहि अब्भहियाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गति
राति करेज्जा ६॥ १०२. सो चेव अप्पणा उक्कोसकाल द्वितीयो जानो, सो चेव पढमगमत्रो नेयम्वो',
नवरं-सरीरोगाहणा जहण्णणं पंचधणुसयाई, उक्कोसेण वि पंचधणुसयाइं । ठिती जहण्णणं पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुत्वकोडी । एवं अणुबंधो वि । कालादेसेणं जहणणं पुव्वकोडी दसहिं वाससहस्सेहि अभहिया, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहि पुव्वकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं
कालं गतिरागति करेज्जा ७॥ १०३. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो, सच्चेव सत्तमगमगवत्तव्वया', नवरं
कालादेसेणं जहण्णणं पुवकोडी दसहि वाससहस्सेहिं अब्भहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पुत्वकोडीअो चत्तालीसाए वाससहस्सेहिं अभहियानो, एवतियं कालं
सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिराति करेज्जा८॥ १०४. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो, सच्चेव सत्तमगमगवत्तव्वया, नवरं
१०१.
१. भ० २४।१५,६६। २. भ० २४।६६ ।
३. भ०२४।६५,६६ । ४. भ० २४।१०२।
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८६०
भगवई
कालादेसेणं जहण्णेणं सागरोवमं पुवकोडीए अब्भहियं, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चरहिं पुव्वको हि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं
कालं गतिराति करेज्जा ह।। १०५. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए सक्करप्पभाए पुढ
वीए नेरइएसु' उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहण्णेणं सागरोवमट्टितीएसु, उक्कोसेणं तिसागरोवमट्टितीएसु
उववज्जेज्जा॥ १०६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? सो चेव रयणप्पभपुढवि
गमयो नेयम्वो, नवरं-सरीरोगाहणा जहणणं रयणिपुहत्तं, उक्कोसेणं पंचधणुसयाइं । ठिती जहणणं वासपुहत्तं, उक्कोसेणं पुवकोडी । एवं अणुबंधो वि । सेसं तं चेव जाव' भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णणं सागरोवमं वासपुहत्तमभहियं, उक्कोसेणं वारस सागरोवमाइं चउहि पुवकोडोहि अब्भहियाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। एवं एसा प्रोहिएस तिस गमएस मगसस्स लद्धी, नाणत्तं . नेरइयदिति कालादेसणं संवेहं च
जाणज्जा १-३॥ १०७. सो चव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, तस्स वि तिसु वि गमएस एस
चेव लद्धो, नवरं-सरीरोगाहणा जहणणं रयणिपुहत्तं, उक्कोसेण वि रयणिपहत्तं । ठिती जहण्णेणं वासपुहत्तं, उक्कोसेण वि वासपुहत्तं । एवं अणुबंधो
वि। सेसं जहा प्रोहियाणं । संवेहो उवजुजिऊण भाणियव्वो ४-६।। १०८. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो। तस्स वि तिसु वि गमएस इम
नाणत्तं-सरीरोगाहणा जहणणं पंचधणुसयाई, उक्कोसेण वि पंचधणसयाई । ठिती जहण्णणं पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुवकोडी। एवं अणुबंधो वि। सेसं जहा' पढमगमए, नवरं--नेरइयठिई कायसंवेदं च जाणज्जा ७-६ । एवं जाव छटपूढवी, नवरं-तच्चाए आढवेत्ता एक्केक्कं संघयणं परिहायति जहेव तिरि
क्खजोणियाणं । कालादेसो वि तहेव, नवरं-मणुस्सट्टिती जाणियव्वा । १०६. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए अहेसत्तमाए पुढवीए
ने रइए सु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ?
१. नेरइएसु जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। २. केवति जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)। ३. भ० २४।६६ । ४. द्विती (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
५. भ. २४११०५,१०६ । ६. भ० २४।१०५,१०६। ७. भाणियव्वा (क, म)।
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चवीसइमं सतं (बीओ उद्देसो)
गोयमा ! जहणणेणं बावीससागरोवमद्वितीएसु, उक्कोसेणं तेत्तीससागरोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा ॥
११०. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? अवसेसो सो चेव सक्करप्पभापुढविगमत्रो नेयव्वो, नवरं - पढमं संघयणं, इत्थवेदगा न उववज्जंति, सेसं तं चेव जाव' अणुबंधो त्ति । भवादेसेणं दोभवग्गहणाई । कालादेसेणं जहणणेणं बावीसं सागरोवमाई वासपुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोमाई पुव्वकोडीए ग्रब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १||
१११. सो चेव जहण्णकाल द्वितीएस उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं रइयट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा २ ॥
११२. सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएस उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं संवेहं च जाणेज्जा ३ ॥
८६१
११३. सो चेव ग्रप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो जाओ, तस्स वितिसु वि गमएस एस चेव वत्तव्वया, नवरं सरीरोगाहणा जहण्णेणं रयणिपुहत्तं, उक्कोसेण वि रयणिपुत्तं । ठिती जहणेणं वासपुहत्तं, उक्कोसेण वि वासपुहत्तं । एवं प्रणुबंधो वि । संवेहो उवजुंजिऊण भाणियव्वो ४-६ ॥
११४. सो चेव ग्रपणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, तस्स वि तिसु वि गमएस एस चेव वत्तव्वया, नवरं – सरीरोगाहणा जहण्णेणं पंचधणुसयाई, उक्कोसेण वि पंचधणुसयाई । ठिती जहणणं पुब्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । एवं प्रणुबंधो वि । नवसु वि एतेसुगमसु नेरइयद्विति संवेहं च जाणेज्जा । सव्वत्थ भवग्गहणाई दोण्णि जाव नवमगमए । कालादेसेणं जहणणं तेत्तीस सागरोवमाई पुग्वकोडीए भहियाई उक्को सेण वि तेत्तीस सागरोवमाई पुव्वकोडीए ग्रव्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७-६ ।। ११५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ||
बीओ उद्देसो
११६. रायगिहे जाव एवं वयासी - असुरकुमारा णं भंते ! कोहितो उववज्जंति - किं नेरइए हिंतो उववज्जंति ? तिरिक्खजोणिय मणुस्स - देवेहिंतो उववज्जंति ?
१. भ० २४।१०६ ।
२. भ० १।५१ ।
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८६२
भगवई
गोयमा ! नो नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, मणस्सेहितो उववज्जति, नो देवेहिंतो उववज्जति । एवं जहेव नेरइयउद्देसए जाव' - पज्जत्ताग्रसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णणं दसवाससहस्सट्टितीएसु, उक्कोसेणं पलिअोवमस्स असंखेज्जइ
भागद्वितीएसु उववज्जेज्जा ।। ११८. ते णं भंते ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं रयणप्पभागमग
सरिसा नव वि गमा भाणियव्वा', नवरं--जाहे अप्पणा जहण्णकालद्वितोप्रो भवति ताहे अज्झवसाणा पसत्था, नो अप्पसत्था तिसु वि गमएस। अवसेसं
तं चेव १-६॥ ११६. जइ सण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति–कि संखेज्जवासाउय
सण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति? असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो' उववज्जति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउय जाव उववज्जति, असंखेज्जवासाउय जाव उववज्जति ।। असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णणं दसवाससहस्सट्टितोएस, उक्कोसेणं तिपलिग्रोवमद्वितीएसू
उववज्जेज्जा ।। १२१. ते णं भंते ! जोवा एगसमएणं-पुच्छा।
गोयमा ! जहणणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जंति । वइरोसभनारायसंघयणी। प्रोगाहणा जहण्णणं धणपुहत्तं, उक्कोसेणं छ गाउयाइं । समचउरंससंठिया पण्णत्ता । चत्तारि लेस्साओ आदिल्लायो । नो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्टी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। नो नाणी, अण्णाणी, नियम दुअण्णाणी-मतिअण्णाणी सुयअण्णाणी य। जोगो तिविहो वि । उवयोगो दुविहो वि । चत्तारि सण्णायो । चत्तारि कसाया। पंच इंदिया। तिण्णि समुग्घाया आदिल्ला । समोहया वि मरंति, असमोहया वि मरंति । वेदणा दुविहा वि--सायावेदगा, असायावेदगा। वेदो दुविहो वि-इत्थिवेदगा वि पुरिसवेदगा
१२०. असलम
१. भ० २४।२-६ । २. भ० २४।८-५३ । ३. सणि जाव (अ, क, ख, ता, ब, म स)।
४. वासाउय जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स) ५. समचउरंससंठाणसंठिया (स)। ६. आदिल्लगा (अ, क, ब, म, स)।
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चउवीसइमं सतं (बीओ उद्देसो)
वि, नो नपुंसगवेदगा। ठिती जहणणं सातिरेगा पुवकोडो, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं । अज्झवसाणा पसत्था वि अप्पसत्था वि । अणुबंधो जहेव ठिती। कायसंवेहो भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णणं सातिरेगा पुव्वकोडी दसहिं वाससहस्सेहिं अब्भहिया, उक्कोसेणं छप्पलिग्रोवमाइं, एवतियं कालं
सेवेज्जा. एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १॥ १२२. सो चेव जहण्णकालट्टितीएसु उववण्णो--एस चेव वत्तव्वया, नवरं असुर
कुमारदिति संवेहं च जाणेज्जा २॥ १२३. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णणं तिपलिग्रोवमद्वितीएस,
उक्कोसेण वि तिपलिग्रोवमट्टितीएसु उववज्नेज्जा-एस चेव वत्तव्वया, नवरं ठिती से जहणणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं, उक्कोसेण वि तिण्णि पलिग्रोवमाइं। एवं अणुबंधो वि। कालादेसेणं जहण्णणं छप्पलिग्रोवमाइं, उक्कोसेण वि छप्पलिग्रोवमाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा,
सेसं तं चेव ३ ॥ १२४. सो चेव अप्पणा जहण्णकालट्टितोओ जानो जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएस,
उक्कोसेणं सातिरेगपुव्वकोडीअाउएसु उववज्जेज्जा ।। ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसं तं चेव जाव भवादेसो त्ति, नवरं–ोगाहणा जहण्णणं धणुपुहत्तं, उक्कोसेणं सातिरेगं धणुसहस्सं। ठिती जहण्णणं सातिरेगा पुवकोडी, उक्कोसेण वि सातिरेगा पुवकोडी। एवं अणुबंधो वि । कालादेसेणं जहण्णणं सातिरेगा पुव्वकोडी दसहि वाससहस्पेहि अब्भहिया, उक्कोसेणं सातिरेगाो दो पुवकोडीओ,
एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ४ ॥ १२६. सो चेव जहण्णकालट्ठितोएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं-असुर
कुमारट्टिइं संवेहं च जाणेज्जा ५ ॥ १२७. सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएसु उववण्णो जहण्णेणं सातिरेगपुवकोडिअाउएस,
उक्कोसण वि सातिरेगपुव्वकोडीग्राउएसु उववज्जेज्जा, सेसं तं चेव, नवरंकालादेसणं जहण्णण सातिरेगानो दो पुवकोडीअो, उक्कोसेण वि सातिरेगानो
दो पुव्वकोडीओ, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं काल गतिरागति करेज्जा ६।। १२८ सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो, सो चेव पढमगमगो भाणियब्वो,
नवरं-ठिती जहण्णण तिण्णि पलिग्रोवमाई, उक्कोसण वि तिण्णि पलिग्रोव माई। एवं अणबंधो वि। कालादेसेणं जहण्णणं तिण्णि पलिग्रोवमाई दसहि वाससहस्सेहि अब्भहियाई, उक्कोसेणं छ पलिग्रोवमाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७ ।।
१२५.
१. चेव अप्पणा (अ, क, ख, ता, ब, म)।
२. भ० २४।१२०,१२१ ।
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भगवई
१२६. सो चेव जहण्णकालट्टितीएस उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं-असुर
कुमारदिति संवेहं च जाणेज्जा ८ ॥ १३०. सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएसु उबवण्णो जहण्णेणं तिपलिनोवमाई, उक्कोसेण
वि तिपलियोकमाई, एस चेव बत्तब्धया, नवरं-कालादेसेणं जहण्णणं छप्पलिप्रोवमाइं, उक्कोसेण वि छप्पलिग्रोवमाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं काल
गतिरागति करेज्जा ६ ॥ १३१. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति --कि
जलचरेहितो उववज्जति ? एवं जाव'...१३२. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयस पिणपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए
असुरकुमारेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवति कालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णणं दसवाससहस्सट्टितीएसु, उक्कोसेणं सातिरेगसागरोवमट्टिती
एस उववज्जेज्जा ॥ १३३. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं एतेसि रयणप्पभ
पुढविगमगसरिसा नव गमगा नेयव्वा, नवरं जाहे अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो भवइ ताहे तिसु वि गमएसु, इमं नाणत्तं--चत्तारि लेस्सायो, अज्झवसाणा पसत्था, नो अप्पसत्था। सेसं तं चेव । संवेहो सातिरेगेण सागरोवमेण
कायव्वो १-६ ।। १३४. जइ मणुस्सेहितो उववज्जति--किं सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? असण्णि
मणुस्सेहितो उववज्जति ?
गोयमा ! सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति, नो असण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ।। १३५. जइ सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति---कि संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो
उववज्जति ? असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से हितो उववज्जति ? गोयमा ! संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो' उववज्जति, 'असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो वि" उववज्जति ।। असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से ण भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उववज्जित्तए से णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णणं दसवाससहस्सद्वितीएम, उक्कोसेणं तिपलिग्रोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा। एवं असंखेज्जवासाउयतिरिक्खजोणियसरिसा आदिल्ला तिण्णि गमगा नेयव्वा, नवरं-सरीरोगाहणा पढमबितिएसु गमएस जहण्णेणं सातिरेगाइं पंचधणुसयाई, उक्कोसेणं तिण्णि गाउया, सेसं तं चेव । तइयगमे अोगा
४.
१. भ० २४।४,५। २. भ० २४.५८-७७ । ३. ०वासाउय जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)
वासाउय जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
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चउवीसइमं सतं (तइयो उद्देसो)
८६५ हणा जहण्णेणं तिण्णि गाउयाई, उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाइं। सेसं जहेव
तिरिक्खजोणियाणं १-३ ॥ १३७. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जानो, तस्स वि जहण्णकालद्वितीयतिरि
क्खजोणियसरिसा तिण्णि गमगा भाणियव्वा, नवरं सरीरोगाहणा तिसु वि गमएसु जहण्णणं सातिरेगाइं पंचधणुसयाई, उक्कोसेण वि सातिरेगाइं पंचधणु
सयाई । सेसं तं चेव ४-६ ।। १३८. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो, तस्स वि ते चेव पच्छिल्ला' तिण्णि
गमगा भाणियव्वा, नवरं-सरीरोगाहणा तिसु वि गमएसु जहण्णेणं तिण्णि
गाउयाइं, उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाइं । अवसेसं तं चेव ७-६ ।। १३६. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति–कि पज्जत्तासंखेज्जवासा
उयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ? अपज्जत्तासंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहिंतो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्तासंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति, नो अपज्ज
त्तासंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति ।। १४०. पज्जत्तासंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए असुरकुमारेसु उवव
ज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकाल द्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं सातिरेगसागरोवमट्ठि
तीएस उववज्जेज्जा ॥ १४१. ते णं भंते ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेव एतेसिं रयणप्प
भाए उववज्जमाणाणं नव गमगा तहेव इह वि नव गमगा भाणियव्वा, नवरं
संवेहो सातिरेगेण सागरोवमेण कायव्वो । सेसं तं चेव १-६ ।। १४२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
तइओ उद्देसो १४३. रायगिहे जाव एवं वयासी-नागकुमाराणं भंते ! करोहितो उववज्जति–कि
नेरइएहितो उववज्जति ? तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवेहितो उववज्जति ? गोयमा ! नो नेरइएहितो उववज्जति, तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति, मणुस्सेहितो उववज्जति, नो देवेहिंतो उववज्जति ।।
१. पच्छिल्लगा (क, ख, ता, स)।
२. भ० २४१६६-१०४ ।
Education International
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भगवई
१४४. जइ तिरिक्ख जोणिएहितो०? एवं जहा असुरकुमाराणं वत्तव्वया तहा एतेसि पि
जाव' असण्णित्ति १-६॥ १४५. जइ सण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति–किं संखेज्जवासाउय०?
असंखेज्जवासाउय?
गोयमा ! संखेज्जवासाउय, असंखेज्जवासाउय जाव उववज्जति ।। १४६ असंखेज्जबासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए नागकुमा
रेस उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं देसूणदुपलिग्रोवमट्टिती
एसु उववज्जेज्जा॥ १४७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसो सो चेव असुर
कुमारेसु उववज्जमाणस्स गमगो भाणियव्वो जाव' भवादेसो त्ति। कालादेसेणं जहण्णेणं सातिरेगा पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहिं अब्भहिया, उक्कोसेणं देसूणाई पंच पलिग्रोवमाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति
करेज्जा १॥ १४८. सो चेव जहण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्व या, नवरं--नागकुमार
ट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा २॥ १४६. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो, तस्स वि एस चेव वत्तव्वया, नवरं--
ठिती जहण्णेणं देसूणाई दो पलिग्रोवमाइं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं। सेसं तं चेव जाव' भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णेणं देसूणाइं चत्तारि पलिओवमाइं, उक्कोसेणं देसूणाइं पंच पलिग्रोवमाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा,
एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३॥ १५०. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, तस्स वि तिसु वि गमएसु जहेव
असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स जहण्णकालट्ठितियस्स तहेव निरवसेसं ४-६ ।। १५१. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो, तस्स वि तहेव तिण्णि गमगा जहा
असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स, नवरं-नागकुमारट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा।
सेसं तं चेव ७-६॥ १५२. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति-किं पज्ज
त्तसंखेज्जवासाउय? अपज्जत्तसंखेज्जवासाउय०?
गोयमा ! पज्जत्तसंखेज्जवासाउय, नो अपज्जत्तसंखेज्जवासाउय ।। १५३. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए नाग
कुमारेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ?
३. भ० २४।१२३ ।
१. भ० २४।११६-११८ । २. भ० २४११२१ ।
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चवीस इमं सतं (तइओ उद्देसो)
८६७
गोयमा ! जहण्णेणं दस वाससहस्साइं, उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिग्रोवमाइं । एवं जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स वत्तव्वया तहेव इह वि नवसु वि गम
एसु, नवरं-नागकुमारदिति संवेहं च जाणेज्जा। सेसं तं चेव १-६ ॥ १५४. जइ मणुस्सेहितो उववज्जति–किं सण्णिमणुस्सेहिंतो०? असण्णिमणुस्सेहिंतो०?
गोयमा ! सण्णिमणुस्सेहितो, नो असण्णिमणुस्सेहितो, जहा असुरकुमारेसु उव
वज्जमाणस्स जाव'१५५. असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए नागकुमारेसु उववज्जि
त्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएस उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्साइं, उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिनोबमाइं। एवं जहेव' असंखज्जवासाउयाणं तिरिक्खजोणियाणं नागकुमारेसु आदिल्ला तिण्णि गमगा तहेव इमस्स वि, नवरं-पढमबितिएसु गमएसु सरीरोगाहणा जहण्णेणं सातिरेगाइं पंचधणुसयाइं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई। तइयगमे प्रोगाहणा जहण्णेणं देसूणाई दो गाउयाई, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई । सेसं तं
चेव १-३॥ १५६. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जानो, तस्स तिसु वि गमएसु जहा तस्स
चेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स तहेव निरवसेसं ४-६ ।। १५७. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ, तस्स तिसु वि गमएसु जहा तस्स
चेव उक्कोसकालट्ठितियस्स असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स, नवरं-नागकुमार
द्विति संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तं चेव ७-६ ॥ १५८. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति-किं पज्जत्तसंखेज्ज ?
अपज्जत्तसंखेज्ज० ?
गोयमा ! पज्जत्तसंखेज्ज, नो अपज्जत्तसंखेज्ज ।। १५६. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए नागकुमारेसु उववज्जि
त्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं दसवाससहस्सद्वितीएसु, उक्कोसेणं देसूणदोपलिग्रोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा । एवं जहेव असुरकुमारेसु उववज्जमाणस्स सच्चेव लद्धी
निरवसेसा नवसु गमएसु, नवरं-नागकुमारट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा १-६ ।। १६०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
१. भ० २४।१३५ ।
२. भ०२४।१४७-१४६ ।
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८६८
४-११ उद्देसा
१६१. प्रवसेसा सुवण्णकुमारादी जाव थणियकुमारा एए अट्ठ वि उद्देगा जव नागकुमारा तहेव निरवसेसा भाणियव्वा ॥ १६२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
दुवालसमो उद्देसो
१६३. पुढविक्काइया णं भंते ! कओहितो उववज्जंति - किं नेरइए हिंसो उववज्जंति ? तिरिक्खजोणिय - मणुस्स - देवेहिंतो उववज्जंति ?
गोयमा ! नो नेरइएहितो उववज्जंति, तिरिक्खजोणिय मणुस्स- देवे हितो' उववज्जति ॥
१६४. जइतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति - किं एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो एवं जहा वक्कंतीए उववाओ जाव'
१६५. जइ वायरपुढविक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति - किं पज्जत्ताबादर जाव उववज्जति, अपज्जत्ताबादरपुढवि० ?
गोयमा ! पज्जत्ताबादरपुढवि, अपज्जत्ताबादरपुढवि जाव उववज्जंति || १६६. पुढविक्काइए णं भंते! जे भविए पुढविक्काइएस उववज्जित्तए, से णं भंते !
केवतिकालद्वितीएस उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! जहणणं तोमुहुत्तट्ठितीएसु, उक्कोसेणं बावीसवाससहस्सट्ठितीएसु उववज्जेज्जा |
भगवई
१६७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं - पुच्छा ।
गोयमा ! अणुसमयं प्रविरहिया असंखेज्जा उववज्जति । छेवट्टसंघयणी' । सरीरोगाणा जहणणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं । मसूराचंदासंठिया । चत्तारि लेस्सायो | णो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी । नो नाणी, ग्रण्णाणी, दो ग्रण्णाणा नियमं । नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी । उवयोगो दुविहो वि । चत्तारि सण्णा । चत्तारि कसाया । एगे फासिदिए पण्णत्ते । तिण्णि समुग्धाया । वेदणा दुविहा । नो इत्थवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदगा । ठिती जहणेणं
१. देवहितो वि ( अ ) 1 २. ५० ६ ।
३. सेवट्ट° (अ, म); सेबटु ० ( क, ख ) ; छेवट्ट • (ता) ।
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चवीसइमं सतं (दुवालसमो उद्देसो)
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तोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं । प्रभवसाणा पसत्था वि, सत्थावि । अणुबंधो जहा ठिती ||
१६८. से णं भंते ! पुढविक्काइए पुणरवि पुढविकाइएत्ति केवतियं कालं सेवेज्जा ? केवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ?
गोयमा ! भवादेसेणं जहणेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं असं खेज्जाइं भवग्गहणाई । कालादेसेणं जहणणं दो तोमुहुत्ता, उक्को सेणं असंखेज्जं कालं. एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १ ।।
१६६. सो चेव जहण्णकालद्वितीएस उववण्णो जहणणं अंतोमुहुत्तट्टितीएसु, उक्कोसेण वितोमुहुत्तद्वितीएस, एवं चेव वत्तव्वया निरवसेसा २ ॥
१७०. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो बावीसवाससहस्सट्ठितीएसु, उक्कोसेण वि बावीसवाससहस्स द्वितीयसु । सेसं तं चेव जाव प्रणुबंधो त्ति, नवरं - जहणणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जेज्जा । भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं ग्रटु भवग्गहणाई । कालादेसेणं जहणणं बावीसं वाससहस्साइं तोमुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं 'छावत्तरं वासराय सहस्सं", एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३ || १७१. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, सो चेव पढमिल्ल गमो भाणियव्वो' नवरं - लेस्साग्रो तिष्णि । ठिती जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वितोमुत्तं । प्रप्पसत्था प्रज्भवसाणा । श्रणुबंधो जहा ठिती। सेसं तं चैव ४ ॥ १७२. सो चेव जहण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो सच्चे
चउत्थगमगवत्तव्वया
भाणियव्वा * ५ ।।
१७३. सो चेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं -- जहणेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा जाव भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई । कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीइं वाससहस्साइं चउहि ग्रंतोमुहुत्तेहिं ग्रब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ६ ।।
१७४. सो चेव प्रप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाओ एवं तइयगमगसरिसो निरवसेसो भाणियव्वो', नवरं – अप्पणा से ठिई जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साई, उक्कोसेण वि बावीसं वाससहस्साई ७ ॥
१. X (ता) ।
२. छावतरं वाससहस्सुत्तरं सयसहस्सं ( स ) ।
३. भ० २४।१६६,१६७ ।
४. भ० २४।१७१ ।
५. भ० २४ । १७० ।
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८७०
भगवई
१७५. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि
अंतोमुहुत्तं । एवं जहा सत्तमगमगो जाव' भवादेसो। कालादेसेणं जहण्णणं वावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीइं वाससहस्साई चउहि अंतोमुहुत्तेहि अमहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरा
गति करेज्जा ८॥ १७६. सो वेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववण्णो जहण्णणं बावीसवाससहस्सद्वितीएसु,
उक्कोरोण वि बावीसवाससहस्सद्वितीएस, एस चेव सत्तमगमगवत्तव्वया जाणियव्या जाव भवादेसो त्ति। कालादेसेणं जहण्णेणं चोयालीसं वाससहस्साइं, उक्कोसेणं छावत्तरं वाससयसहस्मं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गति
रागति करेज्जा ॥ १७७. जइ ग्राउक्काइयएगिदियतिरिक्वजोणिएहितो उववज्जंति --कि सुहुमनाउ० ?
बादरग्राउ० ? एवं चउक्कनो भेदो भाणियव्वो जहा पुढविक्काइयाणं ।। १७८. अाउक्काइए णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएस उववज्जित्तए, से णं भंते !
केवइकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? - गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तट्ठितीएसु उक्कोसेणं वावीसवाससहस्सद्वितीएसु उववज्जेज्जा। एवं पुढविक्काइयगमगसरिसा नव गमगा भाणियव्वा, नवरं-- थिबुगाबिदुरांठिए । ठिती जहण्णेणं अंतोमुत्तं, उवकोसेणं सत्त वाससहस्साइं। एवं अणुबंधो वि । एवं तिसु वि गमएसु । ठिती संवेहो तइयछट्ठसत्तमट्ठमनवमेसु गमएस--भवादसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ट भवग्गहणाई, सेसेस चउस गमएस जहण्णणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं असंखेज्जाइंभवग्गह णाई। ततियगमए कालादेसेणं जहण्णणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुत्तमन्भहियाई, उक्कोसेणं सोलसुत्तरं वाससयसहस्स, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरार्गात करेज्जा। छठे गमए कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुत्तममहियाई, उवकोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साई चउहि अंतोमहत्तेहि अमहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । सत्तमे गमए कालादेसेणं जहण्णणं सत्त वाससहस्साई अंतोमुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं सोलसुत्तरं वाससयसहस्सं, एवतियं काल से वेज्जा, एवतियं कालं गतिराति करेज्जा । अट्ठमे गमए कालादेसेणं जहण्णेणं सत्त वाससहस्साइं अंतोमुत्तममहियाई, उक्कोसेणं अट्ठावीसं वाससहस्साई चउहि अंतोमुहुत्तेहि अहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। नवमे गमए भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवरगहणाइं, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाइं,
१. भ. २४।१७४ ।
२. भ० २४।१७४ ।
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चउवीसइमं सत (दुवालसमो उद्देसो)
८७१ कालादेसेणं जहण्णेणं एकूणतीसं वाससहस्साई, उक्कोसेणं सोलसुत्तरं वाससयसहस्सं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं नवसु
वि गमएसु आउक्काइयठिई जाणियव्वा १-६।। १७६. जइ तेउक्काइएहितो उववज्जति ? तेउक्काइयाण वि एस चेव वत्तव्वया,
नवरं-नवसु वि गमएसु तिण्णि लेस्साओ। तेउक्काइया णं सुईकलावसंठिया । ठिई जाणियव्वा । तइयगमए कालादेसेणं जहणणं बावीस वाससहस्साई अंतोमुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साइं बारसहिं राइदिएहिं अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं
संवेहो उवजंजिऊण भाणियव्वो १-६।। १८०. जइ वाउक्काइएहितो? वाउक्काइयाण वि एवं चेव नव गमगा जहेव तेउक्का
इयाणं, नवरं-पडागासंठिया पण्णत्ता । संवेहो वाससहस्सेहिं कायब्वो । तइयगमए कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुत्तमब्भहियाई, उक्को
सेणं एगं वाससयसहस्सं । एवं संवेहो उवजंजिऊण भाणियव्वो १-६।। १८१. जइ वणस्सइकाइएहितो उववज्जति०? वणस्सइकाइयाणं अाउकाइयगमग
सरिसा नव गमगा भाणियव्वा, नवरं - नाणासंठिया। सरीरोगाहणा पढमएसु पच्छिल्लएसु य तिसु गमएसु जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं सातिरेगं जोयणसहस्सं, मज्झिल्लएसु तिसु तहेव जहा पुढविकाइयाणं। संवेहो ठिती य जाणियव्वा। तइयगमे कालादेसेणं जहण्णणं बावीसं वाससहस्साई अंतोमुहुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं अट्ठावीसुत्तरं वाससयसहस्सं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। एवं संवेहो उवज़ुजिऊण भाणि
यव्वो १-६।। १८२. जइ बेंदिएहितो उववज्जति--किं पज्जत्ताबेंदिएहितो उववज्जति ? अपज्जत्ता
बदिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! पज्जत्ताबेंदिएहितो उववज्जति, अपज्जत्ताबेंदिएहितो वि उव
वज्जति ॥ १८३. बेंदिए णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकाल
द्वितीएसु उववज्जेज्जा?
गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं बावीसवाससहस्सद्वितीएसु ॥ १८४. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति । छेवट्टसंघयणी। प्रोगाहणा जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं बारस जोयणाइं। हुंडसंठिया। तिण्णि लेसानो । सम्मदिट्ठी
१. उववज्जिऊण (अ, ता, म); उवजुंज्जित्तण (क); उवउज्जित्तण (ब)।
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८७२
भगवई
वि, मिच्छादिट्ठी वि, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। दो नाणा, दो अण्णाणा नियमं । नो मणजोगी, वइजोगी कायजोगी वि । उवप्रोगो दुविहो वि। चत्तारि सण्णायो। चत्तारि कसाया। दो इंदिया पण्णत्ता, तं जहा ---जिभिदिए य फासिदिए य। तिण्णि समग्घाया। सेसं जहा पढविक्काइयाणं, नवरं-ठिती जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बारस संवच्छराइं। एवं अणुबंधो वि । सेसं तं चेव । भवादेसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं संखेज्जाई भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहणणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं संखेज्जं कालं, एवतियं कालं
सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १॥ १८५. सो चेव जहण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो एस चेव वत्तव्वया सव्वा २॥ १८६. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएस उववण्णो एस चेव बंदियस्स लद्धी, नवरं
भवादेसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं अट भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तममहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति बाससहस्साई अडयालीसाए संवच्छरेहिं अब्भहियाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिराति करेज्जा ३॥ सो चेव अप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो जानो, तस्स वि एस चेव वत्तव्वथा तिसु वि गमएस, नवरं-इमाई सत्त नाणत्ताई-१. सरीरोगाहणा जहा पुढविकाइयाणं २. नो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी ३. दो अण्णाणा नियम ४. नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी ५. ठिती जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं वि अंतोमुहत्तं ६. अज्भवसाणा अपसत्था ७. अणबंधो जहा ठिती। संवेहो तहेव आदिल्लेसु दोसु गमएसु, तइयगमए भवादेसो तहेव अट्ठ भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साई चरहिं अंतोमुहत्तेहि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ४-६।।। सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जाग्रो, एयस्स वि प्रोहियगमगसरिसा तिण्णि गमगा भाणियव्वा, नवरं-तिसु वि गमएसु ठिती जहण्णणं बारस संवच्छराई, उक्कोसेण वि बारस संवच्छराई। एवं अणुबंधो वि । भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाइं। कालादेसेणं उवजंजिऊण भाणियव्वं जाव नवमे गमए जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साई वारसहि संवच्छरेहिं अब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साइं अडयालीसाए संवच्छरेहिं
अब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७-६॥ १८६. जइ तेइंदिएहितो उववज्जति०? एवं चेव नव गमगा भाणियव्वा, नवरं
आदिल्लेसु तिसु वि गमएसु सरीरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं,
१. भ० २४।१८४-१८६ ।
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चउवीसइमं सतं (दुवालसमो उद्देसो)
८७३ उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई। तिण्णि इंदियाई। ठिती जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं एगणपन्नं राइंदियाई। तइयगमए कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साई छण्णउयराइंदियसयमब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। मज्झिमा तिण्णि गमगा तहेव, पच्छिमा वि तिण्णि गमगा तहेव, नवरं -ठिती जहण्णणं एगूणपन्न राइंदियाई, उक्कोसेण वि एगणपन्नं
राइंदियाई। संवेहो उवजुंजिऊण भाणियव्वो १-६ ।। १६०. जइ चउरिदिएहितो उववज्जति ? एवं चेव चउरिदियाण वि नव गमगा
भाणियव्वा, नवरं - एतेसु चेव ठाणेसु नाणत्ता जाणियव्वा। सरीरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाइं ठिती जहण्णेणं अंतोमुत्तं, उक्कोसेण य छम्मासा । एवं अणुबंधो वि । चत्तारि इंदियाई । सेसं तहेव जाव नवमगमए---कालादेसेणं जहण्णेणं बावीसं वाससहस्साई हिं मासेहि अब्भहियाई, उक्कोसेणं अट्ठासीति वाससहस्साई चउवीसाए मासेहिं
अब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १-६॥ १६१. जइ पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति–कि सण्णिपंचिदियतिरिक्ख
जोणिएहितो उववज्जति ? असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ?
गोयमा ! सण्णिपंचिदिय, असण्णिपंचिदिय ।। १६२. जइ असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति--कि जलचरेहितो
उववज्जति जाव' किं पज्जत्तएहितो उववज्जति ? अपज्जत्तएहितो उववज्जंति ?
गोयमा ! पज्जत्तएहितो वि उववज्जति, अपज्जत्तएहितो वि उववज्जति ॥ १६३. असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जि
त्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएस उववज्जेज्जा?
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं बावीसवाससहस्सद्वितीएसु ।। १६४. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेव बेइंदियस्स
प्रोहियगमए लद्धी तहेव, नवरं - सरीरोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं। पंच इंदिया। ठिती अणुबंधो य जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी। सेसं तं चेव। भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीअो अट्ठासीतोए वाससहस्सेहिं अब्भहियाओ,
१. कोसा (ता)। २. छण्णउइं° (स)।
३. भ० २४।४,५। ४. भ० २४।१८४।
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भगवई
एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । नवसु वि गमएसु काय संवेहो - भवादेसेणं जहणणेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई | कालादेसेणं उवजुंजिऊण भाणियव्वं, नवरं - मज्झिमएसु तिसु गमएसु जहेव' बेईदियस्स, पच्छिल्लएसुतिसु गमएसु जहा एतस्स चेव पढमगमएम, नवरंठिती
बंध जहणं पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । सेसं तं चैव जाव नवमगमएसु – जहण्णेणं पुब्वकोडी बावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीप्रो अट्ठासीतीए वाससहस्सेहिं ग्रब्भहियाश्रो, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १-६ ।।
१६५. जइ सष्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो उववज्जंति - किं संखेज्जवासाउय० ?
असंखेज्जवासाउय० ?
गोयमा ! संखेज्जवासाउय, नो प्रसंखेज्जवासाउय ।
१९६. जइ संखेज्जवासाउय० किं जलयरेहिंतो० ? सेसं जहा असण्णीणं जाव' - १९७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? एवं जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स सण्णिस्स तहेव इह वि, नवरं - प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स प्रसंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । सेसं तहेव जाव कालादेसेणं जहणेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीग्रो ग्रट्टासीतीए वाससहस्से हिं अमहिया, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं संवेो नवसु विगमसु जहा असण्णीणं तहेव निरवसेसों । लद्धी से दिल्लएसु तिसु वि गमएस एस चेव, मज्भिल्लएसु तिसु वि गमएस एस चेव, नवरंइमाइं नव नाणत्ताइं - ग्रोगाहणा जहणणेणं अंगुलस्स प्रसंखेज्जतिभागं उक्कोसेणं अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं । तिण्णि लेसायो । मिच्छादिट्ठी । दो ग्रण्णाणा । कायजोगी । तिणि समुग्धाया । ठिती जहणणं तोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि
तोमुत्तं । ग्रप्पसत्था अज्भवसाणा । अणुबंधो जहा ठिती । सेसं तं चेव । पच्छिल्लएसुति विगमएसु जहेव पढमगमए, नवरं ठिती प्रणुबंधो यजहणेणं पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । सेसं तं चेव १-६ ॥ १८. जइ मणुस्सेहिंतो उववज्जंति - किं सष्णिमणुस्से हिंतो उववज्जंति ? ग्रसणि
मस्सेहितो उववज्जति ?
८७४
गोयमा ! सष्णिमणुस्सेहितो उववज्जंति, प्रसण्णिमणुस्सेहिंतो वि उववज्जंति ॥ १६६. असण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएस उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? एवं जहा प्रसणिपंचिदियतिरिक्खजोणि
१. भ० २४।१८७।
२. भ० २४ । १६२,१९३ ।
३. भ० २४।५८- ६२ ।
४. निरवसेसं (ख, ता, ब ) ।
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८७५
चउवीस इमं सतं (दुवालसमो उद्देसो)
यस्स जहण्णकालट्ठितोयस्स तिण्णि गमगा तहा एयस्स वि प्रोहिया तिण्णि गमगा
भाणियब्वा तहेव निरवसेसं १-३। सेसा छ न भण्णंति ।।। २००. जइ सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति-किं संखेज्जवासाउय० ? असंखेज्जवासा
उय ?
गोयमा ! संखेज्जवासाउय, नो असंखेज्जवासाउय ।। २०१. जइ संखेज्जवासाउय० किं पज्जत्तासंखेज्जवासाउय० ? अपज्जत्तासंखेज्ज
वासाउय०? गोयमा ! पज्जत्तासंखेज्जवासाउय, अपज्जत्तासंखेज्जवासाउय जाव उव
वज्जति ॥ २०२. सण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पुढविकाइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते !
केवतिकालद्वितीएसु उववज्जति ?
गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तट्टितीएसु, उक्कोसेणं बावीसवाससहस्सद्वितीएसु ।। २०३. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेव रयणप्पभाए
उववज्जमाणस्स तहेव तिसु वि गमएसु लद्धी, नवरं--प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं पंचधणुसयाइं । ठिती जहण्णणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी। एवं अणुबंधो। संवेहो नवसु गमएसु जहेव सण्णिपंचिदियस्स । मज्झिल्लएसु तिसु गमएसु लद्धी जहेव सण्णिपंचिंदियस्स मज्झिल्लएसु तिसू। सेसं तं चेव निरवसेसं । पछिल्ला तिणि गमगा जहा एयस्स चेव प्रोहिया गमगा, नवरं- ओगाहणा जहण्णणं पंच धणसयाई, उक्कोसेण वि पंच धणुसयाई। ठिती अणुबंधो य जहण्णेणं पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी।
सेसं तहेव' १-६।। २०४. जइ देवेहितो उववज्जंति-किं भवणवासिदेवेहितो उववज्जति ? वाणमंतरदेवे
हितो, जोइसियदेवेहितो, वेमाणियदेवेहितो उववज्जति ? गोयमा ! भवणवासिदेवेहितो वि उववज्जति जाव वेमाणियदेवेहितो वि
उववज्जति ॥ २०५. जइ भवणवासिदेवेहितो उववज्जति–कि असुरकुमारभवणवासिदेवेहितो उव
वज्जति जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहितो उववज्जति? गोयमा ! असुरकुमारभवणवासिदेवेहितो उववज्जति जाव थणियकुमारभवण
वासिदेवहितो उववज्जति ॥ २०६. असुरकुमारेणं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते !
केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? १. तहेव नवरं पच्छिल्लएसु गमएसु संखेज्जा (ख, ता, ब, म)।
उववज्जति नो असंखेज्जा उववज्जति (अ,
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८७६
भगवई
गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं बावीसवाससहस्सद्वितीएसु॥ २०७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति ॥ तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किंसंघयणी पण्णत्ता ?
गोयमा ! छण्हं संघयणाणं असंघयणी जाव' परिणमंति ।। २०६. तेसि णं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा ?
गोयमा ! दुविहा सरीरोगाहणा' पण्णत्ता, तं जहा--भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य । तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं सत्त रयणीयो । तत्थ णं जा सा उत्तरवे उब्विया सा जहण्णणं अंगुलस्स संखेज्जइभागं, उक्कोसेणं जोयणसयसहस्सं ॥ तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंठिया पण्णत्ता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा—भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य । तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते समचउरंससंठिया पण्णत्ता। तत्थ णं जे ते उत्तरवे उव्विया ते नाणासंठिया पण्णत्ता। लेस्सानो चत्तारि । दिट्ठी तिविहा वि । तिण्णि नाणा नियम, तिण्णि अण्णाणा भयणाए । जोगो तिविहो वि । उवयोगो दुविहो वि । चत्तारि सण्णायो । चत्तारि कसाया। पंच इंदिया। पंच समुग्घाया। वेयणा दुविहा वि। इत्थिवेदगा वि पुरिसवेदगा वि, नो नपुंसगवेदगा। ठिती जहण्णेणं दसवाससहस्साइं, उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं । अज्झवसाणा असंखेज्जा पसत्था वि अप्पसत्था वि । अणुबंधो जहा ठिती। भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णणं दसवाससहस्साइं अंतोमुहत्तमभहियाई, उक्कोसेणं सातिरेगं सागरोवमं बावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं काल गतिरागति करेज्जा। एवं नव वि गमा नेयव्वा, नवरं-मज्झिल्लएसु पच्छिल्लएसु तिसु गमएसु असुरकुमाराणं ठिइविसेसो जाणियव्वो, सेसा ओहिया चेव लद्धी कायसंवेहं च जाणेज्जा। सव्वत्थ दो भवग्गहणाइं जाव नवमगमए कालादेसेणं जहण्णेणं सातिरेगं सागरोवमं बावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, उक्कोसेण वि सातिरेगं सागरोवम वावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १-६ ।।
१. सं० पा०-पुच्छा । २. भ० ११२४५, २२४ ।
३. X (क, ख, ता, म, स)। ४. नाणासंठाणसंठिया (स)।
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चबीसइमं सतं (दुवालसमो उद्देसो)
२११- नागकुमारेण भंते ! जे भविए पुढविक्काइएस० ? एस चेव वत्तव्वया जाव भवादेसो त्ति, नवरं - ठिती जहण्णेणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिप्रोमाई | एवं प्रणुबंधो वि । कालादेसेणं जहणणेणं दसवाससहस्साई अंतोमुहुत्तमम्भहियाई, उक्कोसेणं देसूणाई दो पलिप्रोवमाई बावीसाए वाससहसेहिं अब्भहियाई । एवं नव वि गमगा सुरकुमारगमगसरिसा, नवरं ठिति कालादेसं च जाणेज्जा १-६ । एवं जाव थणियकुमाराणं ॥
२१२. जइ वाणमंत रेहिंतो उववज्जंति - किं पिसायवाणमंतरदेवेहिंतो जाव गंधव्ववाणमंत देवहितो ?
गोयमा ! पिसायवाणमंत रदेवेहिंतो जाव गंधव्ववाणमंतरदेवेहितो || २१३. वाणमंतर देवे णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएस उववज्जित्तए० ? एतेसिं पि असुरकुमारगमगसरिसा नव गमगा भाणियव्वा, नवरं - ठिति कालादेसं च जाणेज्जा | ठिती जहणेणं दसवाससहस्साई, उक्कोसेणं पलिओवमं । सेसं तहेव १-६ ॥
२१४. जइ जोइसियदेवेहितो उववज्जंति - किं चंदविमाणजोइसियदेवेहिंतो उववज्जंति जाव ताराविमाणजोइसियदेवेहितो' ० ?
गोयमा ! चंदविमाण जाव ताराविमाण ।।
२१५. जोइसियदेवे णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएसु उववज्जित्तए० ? लद्धी जहा असुरकुमाराणं, नवरं - एगा तेउलेस्सा पण्णत्ता । तिण्णि नाणा, तिष्णि
णाणा नियमं । ठिती जहणणेणं अदुभागपलिप्रोवमं, उक्कोसेणं पलिश्रोवमं वाससयसहस्समव्भहियं । एवं अणुबंधो वि । कालादेसेणं जहणेणं ग्रटुभागपलिप्रोवमं तो मुहुत्तमब्भहियं, उक्कोसेणं पलिश्रोवमं वाससयसहस्सेणं बावीसाए वाससहस्सेहिं ग्रब्भहियं एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं सेसा विट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवरं -- ठिति कालादेसं च जाणेज्जा १-६ ।।
२१६. जइ वेमाणियदेवेहिंतो उववज्जंति - किं कप्पोवावेमाणियदेवेहितो ० ? कप्पातीतावेमाणियदेवेहितो ० ?
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गोमा ! कप्पवावेमाणियदेवेहितो, नो कप्पातीतावेमाणियदेवेहितो || २१७. जइ कप्पोवावेमाणियदेवेहिंतो उववज्जति - किं सोहम्मकप्पवावेमाणियदेवेहिंतो
जाव अच्चु कप्पवावेमाणियदेवेहितो ० ?
गोयमा ! सोहम्मकप्पोवावेमाणियदेवेहितो ईसाणकप्पोवावेमाणियदेवेहिंतो, नो सणकुमार जाव नो अच्चुयकप्पोवावेमाणियदेवेहितो ||
३. तारविमारण • ( अ, क, ख, ता, ब, म) ।
१. भ० २४/२०६-२१० ।
२. भ० २४।२०६-२१० ।
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८७८
भगवई
२१८. सोहम्मदेवे णं भंते ! जे भविए पुढविक्काइएस् उववज्जित्तए, से णं भंते !
केवतिकालट्टितीएसु उववज्जेज्जा? एवं जहा जोइसियस्स गमगो, नवरंठिती अणुबंधो य जहण्णेणं पलिग्रोवमं, उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं । कालादेसेणं जहणणं पलिग्रोवमं अंतोमुत्तमब्भहियं, उक्कोसेणं दो सागरोवमाइं बावीसाए वाससहस्सेहिं अब्भहियाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं काल गतिराति करज्जा । एव ससा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवरं-ठिति कालादेसं च
जाणेज्जा।। २१६. ईसाणदेवे णं भंते ! जे भविए.? एवं ईसाणदेवेण वि नव गमगा भाणियव्वा,
नवरं-ठितो अणु बंधो जहण्णेणं सातिरेगं पलिग्रोवमं, उक्कोसेणं सातिरेगाइं
दो सागरोवमाइं। सेसं तं चेव १-६ ।। २२०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।।
२२२.
तेरसमो उद्देसो २२१. आउक्काइया णं भंते ! कओहितो उववज्जंति० ? एवं जहेव पुढविक्काइय
उद्देसए जाव'पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए आउक्काइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्टितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं सत्तवाससहस्सट्ठितीएसु उववज्जेज्जा। एवं पुढविक्काइयउद्देसगसरिसो भाणियव्वो', नवरं-ठिति
संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तहेव ।। २२३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
३. भ० २४।१६७-२१६ ।
१. भ० ११५१। २. भ० २४।१६३-१६५ ।
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चउवीसइमं सतं (१४-१६ उद्देसा)
चोदसमो उद्देसो २२४. तेउक्काइया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति०? एवं पुढविक्काइयउद्देसग
सरिसो' उद्देसो भाणियव्वो, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा । देवेहिंतो न
उववज्जति । सेसं तं चेव ॥ २२५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।
पण्णरसमो उद्देसो २२६. वाउक्काइया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? एवं जहेव तेउक्काइय
उद्देसनो तहेव, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा ।। २२७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
सोलसमो उद्देसो २२८. वणस्सइकाइया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? एवं पुढविक्काइयसरिसो
उद्देसो, नवरं-जाहे वणस्सइकाइओ वणस्सइकाइएसु उववज्जति ताहे पढमबितिय-चउत्थ-पंचमेसु गमएसु परिमाणं अणुसमयं अविरहियं अणंता उववज्जति । भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अणताई भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुत्ता, उक्कोसेणं अणंतं कालं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। सेसा पंच गमा अट्ठभवग्ग
हणिया तहेव, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा । २२६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. एवं जहेव (अ, म)।
२. उद्देसासरिसो (ता, ब, स)। ३. भ० ११५१।
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भगवई
सत्तरसमो उद्देसो २३०. बेंदिया णं भंते ! करोहितो उववज्जति ? जाव'२३१. पुढविक्काइए णं भंते ! जे भविए बेंदिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवति
कालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? सच्चेव पुढविकाइयस्स लद्धी जाव कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं संखेज्जाइं भवग्गहणाई-एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। एवं तेसु चेव च उसु गमएसु संवेहो, सेसेसु पंचसु तहेव अट्ठ भवा । एवं जाव चरिदिएणं समं च उसु संखेज्जा भवा, पंचसु अट्ठ भवा। पंचिदियतिरिवखजोणियमणुस्सेसु समं तहेव अट्ठ भवा।
देवेसु न उववज्जति । ठिति संवेहं च जाणेज्जा । २३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
अट्ठारसमो उद्देसो २३३. तेइंदिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? एवं तेइंदियाणं जहेव बेइंदियाणं
उसो, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा। तेउक्काइएस समं ततियगमे उक्कोसेणं अठ्ठत्तराई बेराइंदियसयाई, बेइंदिएहिं समं ततियगमे उक्कोसेणं अडयालीसं संवच्छराई छन्नउयराइंदियसतमब्भहियाई, तेइंदिएहिं समं ततियगमे उक्कोसेणं बाणउयाइं तिण्णि राइंदियसयाइं। एवं सव्वत्थ जाणेज्जा जाव
सण्णिमणुस्स त्ति ।। २३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
एगूणवीसइमो उद्देसो २३५. चउरिदिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? जहा तेइंदियाणं उद्देसो
तहेव चउरिदियाणं वि, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा ।। २३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
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१. भ० २४।१६३-१६५ ।
२. न चेव (अ, क, म)।
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८८१
चउवीसइमं सतं (वीसइमो उद्देसो)
___ वोसइमो उद्देसो २३७. पंचिंदियतिरिक्खजोणिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति--कि नेरइएहितो
उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? मणुस्सेहितो देवेहितो उववज्जंति ? गोयमा ! नेरइएहितो उववज्जंति, तिरिक्खजोणिएहितो, मणुस्सेहितो वि,
देवेहितो वि उववज्जति ।।। २३८. जइ नेरइएहितो उववज्जति —कि रयणप्पभपुढविने र इएहितो उववज्जति जाव
अहेसत्तमपुढविनेरइएहितो उबवज्जति ? गोयमा ! रयणप्पभपुढविनेरइएहितो उववज्जति जाव अहेसत्तमपुढविनेरइए
हितो उववज्जति ।। २३६. रयणप्पभपुढविनेरइए णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएस उवव
ज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तट्टितीएस, उक्कोसेणं पुव्वकोडिअाउएसु उवव
ज्जेज्जा। २४०. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ? एवं जहा' असुरकुमाराणं
वत्तव्वया, नवरं-संघयणे पोग्गला अणिवा अकंता जाव परिणमंति। प्रोगाहणा दविहा पण्णत्ता, तं जहा--भवधारणिज्जा उत्तरवे उब्विया य। तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं सत्त धणूई तिण्णि रयणीग्रो छच्चंगुलाई। तत्थ णं जा सा उत्तरवेउव्विया सा जहण्णणं अंगलस्स संखेज्जइभागं, उक्कोसेणं पण्णरस धणूई अड्ढाइज्जायो रय
णीयो। २४१. तेसि णं भंते ! जीवाणं सरीरगा किसंठिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा---भवधारणिज्जा य, उतरवेउव्विया य । तत्थ णजे ते भवधारणिज्जा ते हंडसंठिया पण्णत्ता। तत्थणजे ते उत्तरवेउ. व्विया ते वि हुंडसंठिया पण्णत्ता । एगा काउलेस्सा पण्णत्ता। समुग्धाया चत्तारि। नो इत्थिवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदगा। ठिती जहणणं दसवाससहस्साइं, उक्कोसेणं सागरोवमं । एवं अणुबंधो वि । सेसं तहेव । भवादेशेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाई, उक्कासेणं अट्ट भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णणं दसवाससहस्साई अंतोमहत्तमभहियाई, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाई चहि पव्वकोडीद्धि अमहियाई, एव तियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १ ॥
१. भ. २४।२०७,२०८ ।
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८८२
भगवई
२४२. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो, जहण्णेणं अंतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेण
वि अंतोमुहुत्तहितीएसु । अवसेसं तहेव, नवरं-कालादेसेणं जहण्णेणं तहेव, उक्कोसेणं चत्तारि सागरोवमाइं चउहिं अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। एवं सेसा वि सत्त गमगा भाणियव्वा जहेव नेरइयउद्देसए सण्णिपंचिदिएहिं समं। नेरइयाणं 'मज्झिमएसु तिसु गमएसु पच्छिमएसु य तिसु गमएसु ठितिनाणत्तं भवति । सेसं तं
चेव । सव्वत्थ ठिति संवेहं च जाणेज्जा २-६ ॥ २४३. सक्करप्पभापुढविने रइए णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उवव
ज्जित्तए० ? एवं जहा रयणप्पभाए नव गमगा तहेव सक्करप्पभाए वि, नवरंसरीरोगाहणा जहा' ओगाहणसंठाणे'। तिण्णि नाणा तिण्णि अण्णाणा नियमं । ठिती अणुबंधा पुव्व भणिया । एवं नव वि गमगा उवजंजिऊण भाणियव्वा १-६। एवं जाव छट्ठपुढवी, नवरं-योगाहणा-लेस्सा-ठिति-अणुबंधा संवेहो य जाणि
यव्वा । २४४. अहेसत्तमपुढवीनेरइए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जि
त्तए० ? एवं चेव नव गमगा, नवरं–ोगाहणा-लेस्सा-ठिति-अणुबंधा जाणियव्वा । संवेहो भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं छब्भवग्गहणाइं। कालादेसेणं जहण्णणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तमब्भहियाइं उक्को सेणं छावट्टि सागरोवमाइं तिहिं पुवकोडीहिं अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। आदिल्लएस छस् वि गमएस जहण्णणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं छ भवग्गहणाइं। पच्छिल्लएसू तिसू गमएसू जहण्णणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं चत्तारि भवग्गहणाइं । लद्धी नवसु वि गमएसु जहा पढमगमए, नवरं-ठितीविसेसो कालादेसो य बितियगमएसु जहण्णणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं छावढेि सागरोवमाइं तिहिं अंतोमुहुत्तेहि अब्भहियाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । तइयगमए जहणेणं बावीसं सागरोवमाइं पुव्वकोडीए अब्भहियाइं, उक्कोसेणं छावढेि सागरोवमाई तिहिं पुवकोडीहिं अब्भहियाई। चउत्थगमए जहण्णणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं छावर्द्धि सागरोवमाइं तिहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई। पंचमगमए जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं छाव४ि सागरोवमाइं तिहिं अंतोमुहुत्तेहि
अब्भहियाइं । छट्ठगमए जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई। १. मज्झिमएसु गमएसु (अ); मज्झिमएसु य २. प० २१ । तिसु गमएसु (क, ब); मज्झिमगमएसु (ख, ३. ओगाहणासंठाणे (अ, म)। ता); मज्झमएसु य तिसु वि गमएसु (स)।
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८८३
चउवीसइमं सतं (वीसइमो उद्देसो)
उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाइं तिहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाइं । सत्तमगमए जहण्णणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाइं दोहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाइं । अट्ठमगमए जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमभहियाई, उक्कोसेणं छावट्ठि सागरोवमाइं दोहिं अंतोमुत्तेहिं अब्भहियाइं। नवमगमए जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं पूव्वकोडीहिं अब्भहियाई, उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाइं दोहिं पुव्वकोडीहिं अब्भहियाइं, एवतियं
काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागतिं करेज्जा १-६॥ २४५. जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति-किं एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो० ?
एवं उववाग्रो जहा पुढविकाइयउद्देसए जाव'२४६. पुढविकाइए णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से
णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तट्टितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडीग्राउएसु उवव
ज्जेज्जा । २४७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं परिमाणादीया
अणुबंधपज्जवसाणा जच्चेव अप्पणो सट्टाणे वत्तव्वया सच्चेव पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु वि उववज्जमाणस्स भाणियव्वा, नवरं---नवसु वि गमएसु परिमाणे जहाणेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति । भवादेसेण वि नवसु वि गमएसु जहण्णेणं दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं अट भवग्गहणाइं। सेसं तं चेव । कालादेसेणं उभयो ठितीए करेज्जा १-६।। जइ अाउक्काइएहितो उववज्जति ? एवं ग्राउक्काइयाण वि। एवं जाव चउरिदिया उववाएयव्वा, नवरं-सव्वत्थ अप्पणो लद्धी भाणियव्वा । नवसु वि गमएस भवादेसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाई। कालादेसेणं उभओ ठिति करेज्जा सव्वेसि सव्वगमएसु । जहेव पुढविक्काइएसु
उववज्जमाणाणं लद्धी तहेव सव्वत्थ ठिति संवेहं च जाणेज्जा १-६।। २४६. जइ पंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति-कि सण्णिपंचिदियतिरिक्खजो
णिएहितो उववज्जति ? असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! सण्णिचिदिय, असण्णिपंचिंदिय, भेनो जहेव पुढविक्काइएस उववज्जमाणस्स जाव-- असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिवखजोणिएस उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।।
२५०.
१. भ० २४।१६४,१६५ ।
२. भ० २४११६२।
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भगवई
२५१. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? प्रवसेसं जहेव पुढविक्काइस उववज्जमाणस्स ग्रसण्णिस्स तहेव निरवसेसं जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहणेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं पलिश्रवमस्स ग्रसंखेज्जइभागं पुव्वकोडित्तमब्भहियं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । बितियगमए एस चेव लद्धी, नवरं कालादेसेणं जहणणेणं दो ग्रंतो मुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीश्रो चउहि तोमुहुत्तेहिं ग्रन्भहिया, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १, २ ॥
२५२. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएस उववण्णो जहण्णेणं पलिश्रवमस्स असंखेज्जइभागट्टितीएसु, उक्कोसेण वि पलिप्रोवमस्स प्रसंखेज्जइभागद्वितीएसु उववज्जेज्जा ॥
२५३. ते णं भंते! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? एवं जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स ग्रसण्णिस्स तहेव निरवसेसं जाव' कालादेसो त्ति, नवरंपरिमाणे जहणणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । सेसं तं चैव ३ ॥
८८४
२५४. सो चेव प्रप्पणा जहणकाल द्वितीय जाम्रो जहणेणं तोमुहुत्तट्ठितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडिग्राउसु उववज्जेज्जा ॥
२५५.
ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जंति ? प्रवसेसं जहा एयस्स पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स मज्झिमेसु तिसु गमएस तहा इह वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु जाव' अणुबंधोति । भवादेसेणं जहणेणं दो भवग्गहणाई, उक्को सेणं श्रट्ट भवग्गहणाई । कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडो चउहि तोमुहुत्तेहि अन्भहिया ४ ||
२५६. सो चेव जहण कालट्ठित एसु उववण्णो एस चेव वत्तव्त्रया, नवरं - कालादेसेणं जहणणं दो मुहुत्ता, उक्कोसेणं श्रट्ट अंतोमुहुत्ता, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ५||
२५७. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहणेणं पुव्वकोडिग्राउएसु, उक्कोसेण विपुव्वकोडिग्राउसु उववज्जेज्जा, एस चेव वत्तव्वया, नवरं - कालादेसेणं जाणेज्जा ६ ||
२५८. सो चेव पणा उक्कोसकालद्वितीम्रो जाश्रो सच्चेज पढमगमगवत्तव्वया, नवरं -ठिती जहणेणं पुव्वकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी | सेसं तं चेव । कालादेसेणं जहणेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तमब्भहिया, उक्कोसेणं पलिश्रोवमस्स असंखेज्जइभागं पुव्वको डिपुहत्तमब्भहियं एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७ ॥
१. भ० २४/३२, ३३ ।
२. भ० २४।१६४ ।
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चउवीसइमं सतं (वीसइमो उद्देसो)
८८५ २५६. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया जहा' सत्तमगमे,
नवरं-कालदेसेणं जहण्णेणं पुव्बकोडी अंतोमुहुत्तमब्भहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पुवकोडीनो चउहि अंतोमुत्तेहि अब्भहियानो, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं
कालं गतिरागति करेज्जा ८॥ २६०. सो चेव उक्कोसकाल द्वितोएसु उववण्णो जहण्णणं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं
उक्कोसेण वि पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागं । एवं जहा रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स असण्णिस्स नवमगमए तहेव निरवसेसं जाव' कालादेसो त्ति, नवरं
परिमाण जहा एयस्सेव ततियगमे । सेसं तं चेव ह।।। २६१. जइ सण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति–कि संखेज्जवासाउय० ?
असंखेज्जवासाउय० ?
गोयमा ! संखेज्जवासाउय, नो असंखेज्जवासाउय ।। २६२. जइ संखेज्जवासाउय जाव किं पज्जत्तसंखेज्जवासाउय० ? अपज्जत्तसंखेज्जवा
साउय० ? दोसु वि ॥ २६३. संखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए पंचिदिय
तिरिक्खजोणिए सु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुत्तट्टितीएसु, उक्कोसेणं तिपलिनोवमद्वितीएसु उववज्जेज्जा । ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसं जहा एयस्स चेव सण्णिस्स रयणप्पभाए उववज्जमाणस्स पढमगमए, नवरं प्रोगाहणा जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । सेसं तं चेव जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं पुवकोडी पुहत्तमभहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं
गतिरागति करेज्जा १॥ २६५. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं काला
देसेणं जहण्णणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीओ चउहि
अंतोमुहुत्तेहिं अब्भहियायो २॥ २६६. सो चेव उक्कोसकालट्ठितीएसु उववण्णो जहण्णणं तिपलिग्रोवमट्टितीएस,
उक्कोसेण वि तिपलिग्रोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा, एस चेव वत्तव्वया, नवरंपरिमाणं जहणणेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं ।
२६४.
१. भ०२४/२५८ । २. भ० २४१५२,५३ ।
३. भ०२४।२५३ । ४. भ. २४।५८-६२।
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८८६
भगवई
सेसं तं चेव जाव-अणुबंधो त्ति। भवादेसेणं दो भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेणं तिण्णि
पलिओवमाइं पुव्वकोडीए अब्भहियाइं ३ ।। २६७. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जातो जहण्णेणं अंतोमुत्तद्वितीएसु,
उक्कोसेणं पुव्वकोडीग्राउएसु उववज्जेज्जा। लद्धी से जहा' एयस्स चेव सण्णिचिदियस्स पुढविक्काएसु उववज्जमाणस्स मज्झिल्लएसु तिसु गमएसु सच्चेव इह वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु कायव्वा। संवेहो जहेव एत्थ चेव
असण्णिस्स मजिभ २६८. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो जहा पढमगमत्रो, नवरं-ठिती
अणुबंधो जहणणं पुव्यकोडी, उक्कोसेण वि पुवकोडी। कालादेसेणं जहणणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तमभहिया, उवकोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं पुव्वकोडीपुह
त्तमभहियाई ७॥ २६६. सो चेव जहण्णकालट्टितीएस उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं कालादेसेणं
जहण्णेणं पुवकोडी अंतोमुत्तमब्भहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीयो
चउहि अंतोमुहुत्तेहि अब्भहियाग्रो ८ ॥ २७०. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णणं तिपलिनोवमट्टितीएसु,
उक्कोसेणं वि तिपलिप्रोमट्टितीएसु । अवसेसं तं चेव, नवरं-परिमाणं प्रोगाहणा य जहा एयस्सेव तइयगमए । भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं पुव्वकोडीए अब्भहियाई, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं पुव्वकोडीए अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति
करेज्जा॥ २७१. जइ मणुस्सेहितो उववज्जंति-कि सण्णिमणुस्सेहितो० ? असण्णिमणुस्से
हितो? ___ गोयमा ! सण्णिमणुस्सेहितो वि, असण्णिमणुस्सेहितो वि उववज्जति ॥
असण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालट्टितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तट्टितीएसु, उक्कोसेणं पुवकोडिअाउएसु उववज्जेज्जा । लद्धी से तिसु वि गमएसु जहेव पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स। संवेहो जहा एत्थ चेव असण्णिपंचिंदियस्स मज्झिमेसु तिसु गमएसु तहेव निरवसेसो भाणियन्वो १-३॥
३. भ० २४/१६६।
१. भ० २४।१६७। २. भ० २४।२५५-२५७ ।
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८८७
चउवीसइमं सतं (वोसइमो उद्देसो) २७३. जइ सण्णिमणुस्सेहितो उववज्जति–कि संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो० ?
असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो० ?
गोयमा ! संखेज्जवासाउय, नो असंखेज्जवासाउय ।। २७४. जइ संखेज्जवासाउय० कि पज्जत्त ० ? अपज्जत्त० ?
गोयमा ! पज्जत्तसंखेज्जवासाउय, अपज्जत्तसंखेज्जवासाउय ।। २७५. सण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से
णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं तिपलिग्रोवमद्वितीएसु
उववज्जेज्जा ॥ २७६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? लद्धी से जहा एयस्सेव
सण्णिमणुस्सस्स पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स पढमगमए जाव'-भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं
पुवकोडिपुहत्तमब्भहियाइं १ ।। २७७. सो चेव जहण्णकालट्ठितिएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं- कालादेसेणं
जहण्णेणं दो अंतोमुहुत्ता, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वकोडीअो चरहिं अंतोमुत्तेहि
अब्भहियानो २ ॥ २७८. सो चेव उक्कोसकालट्ठितिएसु उववण्णो जहण्णेणं तिपलिग्रोवमट्टितीएस,
उक्कोसेण वि तिपलिअोवमट्टितीएसु, सच्चेव वत्तव्बया, नवरं-प्रोगाहणा जहणेणं अंगुलपुहत्तं, उक्कोसेणं पंच धणुसयाइं । ठिती जहण्णणं मासपुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी । एवं अणुबंधो वि । भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं मासपुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाई पुव्वकोडीए अब्भहियाई,-एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं
कालं गतिराति करेज्जा ३॥ २७६. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जाओ, जहा सण्णिपंचिदियतिरिक्कखजो
णियस्स पंचिदियतिरिक्कखजोणिएसु उववज्जमाणस्स मज्झिमेसु तिसु गमएस वत्तव्वया भणिया एस चेव एयस्स वि मज्झिमेसु तिसु गमएसु निरवसेसा भाणियव्वा, नवरं परिमाणं उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति। सेसं तं चेव ४-६ ॥ सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जातो, सच्चेव पढमगमगवत्तव्वया, नवरं–ोगाहणा जहणणं पंच धणुसयाई, उक्कोसेण वि पंच धणुसयाई । ठिती अणुबंधो जहण्णेणं पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी। सेसं तहेव
२८०.
१. भ० २४.२०३।
२. भ० २४१२६७ ।
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८८८
भगवई
तोमुहुत्तमम्भहिया,
जाव भवासोत्ति कालादेसेणं जहणणेणं पुव्वकोडी उवकोसेणं तिष्णि पलिश्रोमाई पुत्रको डिपुहत्तमब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ७ ।।
२८१.
सो चेव जहणका लट्ठितिएसु उववण्णो, एस चेव वत्तब्वया, नवरं - कालादेसेणं जहणणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तमब्भहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पुव्वको डीग्रो उहि संतोत्तेहिं ग्रभहिया ८ ||
२८२. सो चेव उक्कोसकाल द्वितीएसु उववण्णी, जहण्णेणं तिष्णि पलिश्रोवमाई, उक्कोसेण वितिष्णि पलिश्रोमाई, एस चेव लद्धी जहेव सत्तमगमे । भवादेसेणं दो भवग्गहणाई | कालादेसेणं जहणणेणं तिण्णि पलियोवमाई पुव्वकोडीए ग्रब्भहियाई, उक्कोण वि तिणि पविमाई पुव्वकोडीए ग्रम्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा |
२८३. जइ देवेहिंतो उववज्जति किं भवणवासिदेवेहितो उववज्जंति ? वाणमंतरजोइसिय-वेमाणियदेवे हितो० ?
गोयमा ! भवणवासिदेवेहितो जाव वेमाणियदेवेहितो वि ॥
२८४. जइ भवणवासिदेवेहितो- किं प्रसुरकुमारभवणवासिदेवेहितो जाव थणियकुमारभवणवासिदेवे हितो० ?
गोयमा ! सुरकुमार जाव थणियकुमारभवणवासिदेवेहितो ||
२८५. असुरकुमारे णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएस उववज्जित्त, से भंते! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! जहणणं अंतोमुहुत्तट्ठितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडिआउएसु उववज्जेज्जा | सुकुमाराणं लद्धी नवसु वि गमएसु जहा पुढविक्काइएसु उववज्जमाणस्स । एवं जाव ईसाणदेवस्स तहेव लद्धी । भवादेसेणं सव्वत्थ श्रट्ट भवग्गहणाई, उक्कोसेणं जहणणं दोणि भवग्गहणाई | ठिति संवेहं च सव्वत्थ जाणेज्जा १-६ ।।
२८६. नागकुमारे णं भंते ! जे भविए ? एस चेव वत्तव्वया, नवरं - ठिति संवेहं च जाणेज्जा १-२ । एवं जाव थणियकुमारे ॥
२८७. जइ वाणमंत रेहितो० किं पिसाय ० ? तहेव जाव-
२८८. वाणमंतरे णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए ०? एवं चेव, नवरं - ठिति संवेहं च जाणेज्जा १-६ ॥
२८६. जइ जोतिसिय ०? उववाम्रो तहेव जाव-२०. जोतिसिए णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए ० ? एस चैव वत्तव्वया जहा पुढविक्काइयउद्देसए । भवग्गहणाई नवसु वि गमएसु
o
१. भ० २४/२०७-२१० ।
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चउवीस इमं सतं (एगवीसतिमो उद्देसो)।
८८६
अट्ठ जाव कालादेसेणं जहण्णणं अट्ठभागपलिश्रोवम अंतोमुत्तमब्भहियं, उक्कोसेणं चत्तारि पलिअोवमाइं चहि पुव्वकोडीहिं चउहि य वाससयसहस्सेहिं अब्भहियाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा।
एवं नवसु वि गमएसु, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा १-६।। २६१. जइ वेमाणियदेवेहितो ० कि कप्पोवावेमाणिय ०? कप्पातीतावेमाणिय ?
गोयमा ! कप्पोवावेमाणिय, नो कप्पातीतावेमाणिय ।। २६२. जइ कप्पोवा जाव सहस्सारकप्पोवगवेमाणियदेवेहितो वि उववज्जति, नो आणय
जाव नो अच्चुयकप्पोवावेमाणिय ।। २६३. सोहम्मदेवे णं भंते ! जे भविए पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जित्तए, से
णं भंते ! केवतिकालट्ठितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडीअाउएसु । सेसं जहेव' पुढविक्काइयउद्देसए नवसु वि गमएसु, नवरं-नवसु वि गमएसु जहण्णणं दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं अट्ठ भवग्गहणाइं। ठिति कालादेसं च जाणेज्जा १-६। एवं ईसाणदेवे वि । एवं एएणं कमेणं अवसेसा वि जाव सहस्सारदेवेसु उववाएयव्वा, नवरं--प्रोगाहणा जहा प्रोगाहणसंठाणे, लेस्सा सणंकुमार-माहिंद-बंभलोएसु एगा पम्हलेस्सा, सेसाणं एगा सुक्कलेस्सा। वेदे नो इथिवेदगा, पुरिसवेदगा, नो नपुंसगवेदगा । आउ-अणुबंधा जहा ठितिपदे । सेसं
जहेव ईसाणगाणं कायसंवेहं च जाणेज्जा।। २६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
एगवीसतिमो उद्देसो २६५. मणुस्सा णं भंते ! करोहितो उववज्जति–कि नेरइएहितो उववज्जति जाव
देवेहितो उववज्जति ? गोयमा ! णेरइएहितो वि उववज्जति 'जाव देवेहितो वि उववज्जति" । एवं उववानो जहा पंचिदियतिरिक्खजोणिउद्देसए जाव' तमापुढविनेरइएहितो वि उववज्जंति, नो अहेसत्तमपुढविनेरइएहितो उववज्जति ॥
१. भ०२४।२१८ । २. प० २१ । ३. प०४।
४. X (अ, क, ख, ता, ब, म)। ५. भ० २४।२३८ ।
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८६०
भगवई २६६. रयणप्पभपुढविनेरइए णं भंते ! से भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से णं भंते !
केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं मासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडिगाउएसु । अवसेसा वत्तव्वया जहा' पंचिदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जंतस्स तहेव, नवरं-परिमाणे जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । जहा तहिं अंतोमुहुत्तेहि तहा इहं मासपुहत्तेहि संवेहं करेज्जा । सेसं तं चेव १-६। जहा रयणप्पभाए 'तहा सक्करप्पभाए वि वत्तव्वया', नवरं-जहण्णेणं वासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडी आउएसु । अोगाहणा-लेस्सा-नाणद्विती-अणुबंध-संवेह-नाणत्तं च जाणेज्जा जहेव' तिरिक्खजोणियउद्देसए । एवं
जाव तमापुढविनेरइए। २६७. जइ तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जंति -कि एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो
उववज्जति जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति ? गोयमा ! एगिदियतिरिक्खजोणिएहितो भेदो जहा पंचिदियतिरिक्खजोणिय
उद्देसए, नवरं- तेउ-वाऊ पडिसेहेयव्वा । सेसं तं चेव । जाव२६८. पढविक्काइए णं भंते ! जे भविए मणस्सेस् उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवति
कालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु उक्कोसेणं पुव्वकोडीग्राउएसु उवव
ज्जेज्जा ॥ २६६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेव पंचिदिय
तिरिक्खजोणिएसु उववज्जमाणस्स पुढविक्काइयस्स वत्तव्वया सा चेव इह वि उववज्जमाणस्स भाणियव्वा' नवसु वि गमएसू, नवरं-ततिय-छट्ठ-नवमेसु गमएस परिमाणं जहण्णणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । जाहे अप्पणा जहण्णकालद्वितीओ भवति ताहे पढमगमए अज्झवसाणा पसत्था वि अप्पसत्था वि बितियगमए अप्पसत्था, ततियगमए पसत्था भवंति । सेसं तं चेव निरवसेसं १-६।। जइ आउक्काइए०? एवं आउक्काइयाण वि । एवं वणस्सइकाइयाण वि । एवं जाव चउरिदियाण वि। असण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिय-सण्णिपंचिदियतिरिजोणिय-असण्णिमणुस्स-सण्णिमणुस्सा य एते सव्वे वि जहा पंचिदियतिरिवख
१. भ० २४१२४०-२४२ । २. वि वत्तव्वया तहा सक्करप्पभाए वि (अ,
क, ब); वि वत्तव्वया तहा सक्करप्पभाए वि वत्तव्वया (स)।
३. भ०२४।२४३ । ४. भ० २४।२४५ । ५. भ० २४।२४७ ।
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चउवीसइमं सतं (एगवीसतिमो उद्देसो)
८६१ जोणियउद्देसए तहेव भाणियव्वा', नवरं–एयाणि चेव परिमाण-अज्झवसाणनाणत्ताणि जाणिज्जा पुढविकाइयस्स एत्थ चेव उद्देसए भणियाणि । सेसं तहेव
निरवसेसं १-६।। ३०१. जइ देवेहितो उववज्जति-किं भवणवासिदेवेहितो उववज्जति ? वाणमंतर
जोइसिय-वेमाणियदेवेहितो उववज्जति ?
गोयमा ! भवणवासिदेवेहितो वि जाव वेमाणियदेवेहितो वि उववज्जति ।। ३०२. जइ भवणवासिदेवेहितो-कि असुरकुमार जाव थणियकुमार० ?
गोयमा ! असुरकुमार जाव थणियकुमार ।। ३०३. असुरकुमारे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवति
कालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं मासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुव्वकोडियाउएसु उववज्जेज्जा। एवं जच्चेव पंचिदियतिरिक्खजोणियउद्देसए वत्तव्वया सच्चेव एत्थ वि भाणियव्वा, नवरं-जहा तहि जहण्णगं अंतोमुहुत्तद्वितीएसु तहा इहं मासपुहत्तद्वितीएस् । परिमाणं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । सेसं तं चेव १-६। एवं जाव' ईसाणदेवो त्ति । एयाणि चेव नाणत्ताणि । सणंकुमारादीया जाव सहस्सारो त्ति जहेव पंचिदियतिरिक्खजोणिउद्देसए, नवरं-परिमाणं जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं संखेज्जा उववज्जति । उववानो जहण्णेणं वासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुवकोडीग्राउएसु उववज्जेज्जा। सेसं तं चेव । संवेहं वासपुहत्तं पुव्वकोडीसु करेज्जा। सणंकुमारे ठिती चउगुणिया 'अट्ठावीससागरोवमा भवति" माहिंदे ताणि चेव सातिरेगाणि, बम्हलोए चत्तालीसं, लंतए छप्पन्नं, महासुक्के अट्ठसट्ठि, सहस्सारे बावरि सागरोवमाइं। एसा उक्कोसा ठिती भणिया। जहण्णदिति
पि चउगुणेज्जा। ३०४. प्राणयदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवति
कालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं वासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुब्बकोडीठितीएसु उवव
ज्जेज्जा॥ ३०५. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एवं जहेव सहस्सार
देवाणं वत्तव्वया, नवरं-प्रोगाहणा-ठिति-अणुबंधे य जाणेज्जा। सेसं तं चेव । भवादेसेणं जहण्णेणं दो भवग्गहणाई, उक्कोसेणं छ भवग्गहणाई। कालादेसेणं
१. भ० २४।२४८-२८२ । २. भ० २४।२८५-२६३। ३. भ० २४।२६३ ।
४. अट्ठावीसं सागरोवमा भवंति (अ, क, ख,
ता, ब, म, स)।
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८६२
भगवई
३०८.
जहण्णणं अट्ठारस सागरोवमाई वासपुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं सत्तावन्नं सागरोवमाइं तिहि पुवकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। एवं नव वि गमा, नवरं-ठिति अणुबंधं संवेहं च जाणेज्जा १-६। एवं जाव अच्चुयदेवो, नवरं-ठिति अणुबंध संवेहं च जाणेज्जा। पाणयदेवस्स ठिती तिगुणिया सट्टि सागरोवसाई, पारणगस्स तेवदि सागरो
वमाइं, अच्चुयदेवस्स छावट्टि सागरोवमाई। ३०६. जइ कप्पातीतावेमाणियदेवेहितो उववज्जति --कि गेवेज्जाकप्पातीता० ?
अणुत्तरोववातियकप्पाती ता० ?
गोयमा ! गेवेज्जाकप्पातीता, अणत्तरोववातियकप्पातीता ॥ ३०७. जइ गेवेज्जा०-कि हेट्ठिम-हेट्ठिम गेवेज्जगकप्पातीता जाव उवरिम-उवरिम
गेवेज्जा०? गोयमा ! हेट्ठिम-हेट्ठिम गेवेज्जा जाव उवरिम-उवरिम गेवेज्जा । गेवेज्जगदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णणं वासपुहत्तद्वितीएसु, उक्कोसेणं पुवकोडीद्वितीएस । अवसेसं जहा प्राणयदेवस्स वत्तव्वया, नवरं-प्रोगाहणा-एगे भवधारणिज्जे सरीरए। से जहण्णणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं दो रयणीयो। संठाण'--एगे भवधारणिज्जे सरीरे। से समचउरंससंठिए पण्णत्ते । पंच समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा - वेदणासमग्घाए जाव तेयगसमग्याए, नो चेव णं वेउब्वियतेयगसमग्घाएहि समोहणिसु वा, समोहणंति वा, समोहणिस्संति वा। ठिती अणुबंधो जहण्णेणं बावीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं। सेसं तं चेव । कालादेसेणं जहण्णेणं वावीसं सागरोवमाई वासपुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं तेणउति सागरोवमाइं तिहि पुव्वकोडीहि अब्भहियाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं सेसेसु वि अट्ठगमएसु, नवरं
ठिति संवेहं च जाणेज्जा १-६॥ ३०६. जइ अणुत्तरोववाइयकप्पातीतावेमाणियदेवेहितो उववज्जति -कि विजयप्रण
त्तरोववाइय० ? वेजयंतअणुत्तरोववाइय जाव सव्वट्ठसिद्ध०?
गोयमा ! विजयअणुत्तरोववाइय जाव सव्वट्ठसिद्ध अणुत्तरोववाइय ।। ३१०. विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजियदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्जित्तए,
से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? एवं जहेव गेवेज्जगदेवाणं, नवरं- प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं एगा रयणी।
१. प्रोगाणा गो (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
२. संठाणं गो (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
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च उवीसइमं सतं (बावीसइमो उद्देसो)
८६३
सम्मदिट्ठी, नो मिच्छदिट्ठी, नो सम्मामिच्छदिट्ठी। नाणी, नो अण्णाणी, नियम तिण्णाणी, तं जहा-आभिणिबोहियनाणी, सुयनाणी, प्रोहिनाणी। ठिती जहपणणं एक्कतीसं सागरोवमाइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं । सेसं तं चेव । भवादेसेणं जहण्णणं दो भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं चत्तारि भवग्गहणाइं । कालादेसेणं जहणणेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं वासपुहत्तमब्भहियाई, उक्कोसेणं छावट्टि सागरोवमाइं दोहि पुव्वकोडीहिं अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । एवं सेसा वि अटु गमगा भाणियव्वा, नवरं-ठिति
अणुबंधं संवेधं च जाणेज्जा । सेसं एवं चेव १-६॥ ३११. सव्वट्ठसिद्धगदेवे णं भंते ! जे भविए मणुस्सेसु उववज्ज्त्तिए०? सा चे .
विजयादिदेववत्तव्वया भाणियव्वा, नवरं-ठिती अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं। एवं अणुबंधो वि । सेसं तं चेव । भवादेसेणं दो भवग्गहणाई, कालादेसेणं जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाई वासपुहत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं पुब्वकोडीए अभहियाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं
कालं गतिरागति करेज्जा १ ॥ ३१२. सो चेव जहण्णकालद्वितीएस उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं-कालादेसेणं
जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं वासपुहत्तमब्भहियाइं, उक्कोसेण वि तेत्तीसं सागरोवमाइं वासपूहत्तमब्भहिया, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं
गतिरागति करेज्जा २ ।। ३१३. सो चेव उक्को कालट्टितीएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं-कालादेसेणं
जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं पुवकोडीए अब्भहियाइं, उक्कोसेण वि तेत्तीसं सागरोवमाइं पुव्वकोडीए अभहियाइं एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं
गतिरागति करेज्जा ३ । एते चेव तिण्णि गमगा, सेसा न भण्णंति ।। ३१४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
बावीसइमो उद्देसो ३१५. वाणमंतरा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति-कि नेरइएहितो उववज्जति ?
तिरिक्ख० ? एवं जहेव' नागकुमारउद्देसए असण्णी तहेव निरवसेसं ॥ ३१६. जइ सण्णिपंचिदिय तिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति-कि संखेज्जवासाउय.?
असंखेज्जवासाउय?
१. भ० २४।१४३, १४४ । २. सं० पा०-सण्णिपंचिदिय जाव असंखेज्जवासाउय ।
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८६४
भगवई
गोयमा ! संखेज्जवासाउय, असंखेज्जवासाउय जाव उववज्जति ॥ ३१७. सण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए वाणमंतरेसु उववज्जित्तए,
से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा? गोयमा ! जहण्णणं दसवाससहस्सट्टितोएसु, उक्कोसेणं पलिग्रोवमट्टितीएसु । सेसं तं चेव जहा नागकुमारउद्देसए जाव' कालादेसेणं जहण्णेणं सातिरेगा पुव्वकोडी दसहि वाससहस्सेहि अब्भहिया, उक्कोसेणं चत्तारि पलिग्रोवमाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १ ।। सो चेव जहण्णकालट्ठितीएसु उववण्णो, जहेव' नागकुमाराणं बितियगमे वत्त
व्वया २॥ ३१६. सो चेव उक्कोसकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेणं पलिग्रोवमट्टितीएसु, उक्कोसेण
वि पलिग्रोवमट्टितोएसु। एस चेव वत्तव्वया, नवरं-ठिती से जहण्णेणं पलिग्रोवमं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं । संवेहो जहण्णणं दो पलिग्रोवमाइं, उक्कोसेणं चत्तारि पलिग्रोवमाई, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। मज्झिमगमगा तिण्णि वि जहेव' नागकुमारेसु पच्छिमेसु तिसु गमएसु तं चेव जहा नागकुमारुद्देसए, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा। संखेज्जवासाउय तहेव, नवरं-ठिती अणुबंधो संवेहं च उभो ठितीए जाणे
ज्जा ३-६ ।। ३२०. जइ मणुस्सेहितो उववज्जति० ? असंखेज्जवासाउयाणं जहेव नागकुमाराणं
उद्देसे तहेव वत्तव्वया, नवरं-तइयगमए ठिती जहण्णेणं पलिअोवमं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं । ओगाहणा जहण्णेणं गाउयं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाइं। सेसं तहेव । संवेहो से जहा एत्थ चेव उद्देसए असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियाणं । संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से जहेव नागकुमारुद्देसए, नवरं-वाणमंतरे
ठिति संवेहं च जाणेज्जा १-६ ।। ३२१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. भ० २४.१४७ । २. भ० २४।१४८ । ३. भ० २४।१५० । ४. भ० २४।१५१ ।
५. भ० २४११५२,१५३ । ६. भ० २४।१५४-१५७ । ७. भ० २४।१५८,१५६ ।
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चउवीसइमं सतं (तेवीसइमो उद्देसो)
८९५
तेवीसइमो उद्देसो ३२२. जोइसिया णं भंते ! करोहितो उववज्जति -कि नेरइएहितो० ? भेदो जाव'
सण्णिपंचिंदियतिरिक्खजोणिएहितो उववज्जति, नो असण्णिपंचिदियतिरिक्ख ॥ ३२३. जइ सण्णि० कि संखेज्ज० ? असंखेज्ज० ?
गोयमा ! संखेज्जवासाउय, असंखेज्जवासाउय ।। ३२४.
असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए जोतिसिएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? गोयमा ! जहण्णेणं अट्ठभागपलिग्रोवमद्वितीएसु, उक्कोसेणं पलिग्रोवमवाससयसहस्सद्वितीएसू उववज्जेज्जा, अवसेसं जहा' असरकमारुहेसए, नवरं-ठिती जहण्णेणं अट्ठभागपलिप्रोवमं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाई। एवं अणुबंधो वि । सेसं तहेव, नवरं-कालादेसेणं जहण्णेणं दो अट्ठभागपलिग्रोवमाइं, उक्कोसेणं चत्तारि पलिग्रोवमाइं वाससयसहस्समब्भहियाइं, एवतियं काल सेवेज्जा,
एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १ ॥ ३२५. सो चेव जहण्णकालद्वितीएसु उववण्णो जहण्णेणं अठ्ठभागपलिओवमद्वितीएसु,
उक्कोसेणं वि अट्ठभागपलिग्रोवमट्टितीएसु । एस चेव वत्तव्वया, नवरं-काला
देसेणं जाणेज्जा २॥ ३२६. सो चेव उक्कोसकाल द्वितोएसु उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं --ठिती
जहणणं पलिग्रोवमं वाससयसहस्समब्भहियं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिओवमाइं। एवं अणुबंधो वि। कालादेसेणं जहण्णणं दो पलिग्रोवमाई दोहिं वाससयसहस्सेहिं अब्भहियाइं, उक्कोसेणं चत्तारि पलिग्रोवमाइं वाससयसहस्स
मन्भहियाइं ३॥ ३२७. सो चेव अप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो जानो जहण्णेणं अट्ठभागपलिग्रोवमद्वितीएसु,
उक्कोसेण वि अट्ठभागपलिग्रोवमट्टितीएसु उववज्जेज्जा ।। ३२८. ते ण भंते ! जोवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? एस चेव वत्तव्वया,
नवरं-अोगाहणा जहण्णेण धणुपुहत्तं, उक्कोसेणं सातिरेगाइं अट्ठारसधणुसयाइं। ठिती जहण्णेणं अट्ठभागपलिग्रोवमं, उक्कोसेण वि अट्ठभागपलिग्रोवमं । एवं अणुबंधोवि। सेसं तहेव । कालादेसेणं जहण्णणं दो अट्ठभागपलिग्रोवमाई, उक्कोसेण वि दो अट्ठभागपलिग्रोवमाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा । जहण्णकालट्ठितियस्स एस चेव एक्को गमो' ४ ॥
३. पञ्चमषठगमयोरत्रवान्तर्भावात् (व)।
१. भ० २४।१-३। २. भ० २४।१२१ ।
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८६६
भगवई
३२६. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितोपो जानो, सा चेव प्रोहिया वत्तव्वया,
नवरं-ठिती जहणणं तिण्णि पलिओवमाइं, उकोक्सेण वि तिण्णि पलिओवमाइं । एवं अणुबंधो वि । सेसं तं चेव । एवं पच्छिमा तिण्णि गमगा नेयव्वा',
नवरं --ठिति संवेहं च जाणेज्जा ७-६ । एते सत्त गमगा ।। ३३०. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिपंचिंदिय०? संखेज्जवासाउयाणं जहेव असुर
कुमारेसु उववज्जमाणाणं तहेव नव वि गमा भाणियव्वा, नवरं-जोतिसिय
ठिति संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तहेव निरवसेसं १-६ ।। ३३१. जइ मणुरसेहितो उववज्जति० ? भेदो तहेव जाव३३२. असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए जोइसिएसु उववज्जित्तए,
से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेज्जा ? एवं जहा असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियस्स जोइसिएसु चेव उववज्जमाणस्स सत्त गमगा तहेव मणुस्साण वि, नवरं प्रोगाहणाविसेसो पढमेसु तिसु गमएसु प्रोगाहणा जहण्णेणं सातिरेगाइं नव धणुसयाई, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाइं । मज्झिमगमए जहण्णणं सातिरेगाइं नव धणुसयाई, उक्कोसेणं वि सातिरेगाइं नव धणुसयाइं । पच्छिमेसु तिसु गमएसु जहण्णेणं तिण्णि गाउयाई, उक्कोसेणं वि तिण्णि गाउयाइं ।
सेसं तहेव निरवसेसं जाव' संवेहो त्ति। ३३३. जइ संखज्जवासाउयसण्णिमणस्सेहितो०? संखेज्जवासाउयाणं जहेव असर
कुमारेसु उववज्जमाणाणं तहेव नव गमगा भाणियव्वा, नवरं-जोतिसियठिति
संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तं चेव निरवसेसं १-६ ॥ ३३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥
चउवीसइमो उद्देसो ३३५. सोहम्मदेवा णं भंते ! कोहितो उववज्जति-किं ने रइएहितो उववज्जति ?
भेदो जहा जोइसियउद्देसए । ३३६. असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए साहम्मग
देवेसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! केवतिकालद्वितीएसु उववज्जेजा?
१. भाणियव्वा (अ, क)। २. भ० २४।१३१-१३३ । ३. निरवसेसं भाणियव्वं (स)। ४. भ० २४११३४,१३५ ।
५. भ० २४॥३२४-३२६ । ६. भ० २४।१३६-१४२ । ७. भ०२४।३२२,३२३ ।
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चउवीसइमं सतं (च उवीसइमो उद्देसो)
८६७ गोयमा ! जहणणं पलिग्रोवमद्वितीएसु उक्कोसेणं तिपलिप्रोवमट्टितीएसु
उववज्जेज्जा। ३३७. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ? अवसेसं जहा' जोइसिएसु
उववज्जमाणस्स, नवरं-सम्मदिट्ठी वि, मिच्छादिट्ठी वि, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। नाणी वि, अण्णाणी वि, दो नाणा दो अण्णाणा नियम। ठिती जहण्णणं पलिग्रोवमं, उक्कोसेणं तिण्णि पलिग्रोवमाइं । एवं अणुबंधो वि । सेसं तहेव । कालादेसेणं जहण्णणं दो पलिग्रोवमाइं, उक्कोसेणं छप्पलिनोवमाइं, एवतियं
काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा १॥ ३३८. सो चेव जहण्णकाल द्वितीएस उववण्णो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं-- कालादेसेणं
जहण्णणं दो पलिओवमाइं, उक्कोसेणं चत्तारि पलिग्रोवमाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एनतियं कालं गतिरागति करेज्जा २॥ सो चेव उक्कोसकालट्ठितोएस उववण्णो जहण्णणं तिपलिअोवमट्टितीएस, उक्कोसेण वि तिपलिअोवमद्वितीएस, एस चेव वत्तव्वया, नवरं-ठिती जहण्णेणं तिण्णि पलिग्रोवमाई, उक्कोसेण वि तिण्णि पलिग्रोवमाई । सेसं तहेव । कालादेसेणं जहण्णेणं छप्पलिअोवमाइं, उक्कोसेण वि छप्पलिग्रोवमाइं, एवतियं कालं
सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३ ॥ ३४०. सो चेव अप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो जानो जहण्णणं पलिग्रोवमद्वितीएस,
उक्कोसेण वि पलिग्रोवमद्वितीएस, एस चेव वत्तव्वया, नवरं- प्रोगाहणा जहण्णणं धणुपुहत्तं, उक्कोसेणं दो गाउयाइं। ठिती जहण्णेणं पलिओवमं, उक्कोसेण वि पलिग्रोवमं । सेसं तहेव । कालादेसेणं जहणणं दो पलिग्रोवमाई, उक्कोसेण वि दो पलिग्रोवमाइं, एवतियं काल सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरा
गति करेज्जा ४-६ ॥ ३४१. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालद्वितीयो जानो, अादिल्लगमगसरिसा तिण्णि
गमगा नेयव्वा, नवरं-ठिति कालादेसं च जाणेज्जा ७.६ ॥ ३४२. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदिय० ? संखेज्जवासाउयरस जहेव' असुर
कुमारेस उववज्जमाणस्स तहेव नव वि गमा, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा। जाहे य अप्पणा जहण्णकालट्ठितिओ भवति ताहे तिसु वि गमएसु सम्मदिट्ठी वि, मिच्छादिट्ठी वि, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। दो नाणा दो अण्णाणा नियमं ।
'सेसं तं चैव १-६॥ ३४३. जइ मणुस्से हितो उववज्जति० ? भेदो जहेव जोतिसिएसु उववज्जमाणस्स,
जाव--
१. भ० २४१३२४ । २. भ०२४।१३१-१३३ ।
३. तहेव (ता)। ४. भ० २४१३३१ ।
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८१८
भगवई
३४४. असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए सोहम्मे कप्पे देवत्ताए
उववज्जित्तए० ? एवं जहेव असंखेज्जवासाउयस्स सण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणियस्स सोहम्मे कप्पे उववज्जमाणस्स तहेव सत्त गमगा, नवरं-आदिल्लएस दोसु गमएस प्रोगाहणा जहण्णेणं गाउयं, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाइं । ततियगमे जहण्णणं तिण्णि गाउयाइं, उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाइं । चउत्थगमए जहण्णणं गाउयं, उक्कोसेण वि गाउयं । पच्छिमएसु तिस गमएसु जहण्णेणं तिण्णि गाउयाई उक्कोसेण वि तिण्णि गाउयाइं, सेसं तहेव
निरवसेसं ॥ ३४५. जइ संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सेहितो० ? एवं संखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्साणं
जहेव' असुरकुमारेसु उववज्जमाणाणं तहेव नव गमगा भाणियव्वा, नवरं सोहम्मदेवद्विति संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तं चेव १-६॥ ईसाणदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? ईसाणदेवाणं एस चेव सोहम्मगदेवसरिसा वत्तव्वया. नवरं असंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणियस्स जेस ठाणेसु सोहम्मे उववज्जमाणस्स पलिग्रोवमठिती तेस ठाणेस इह सातिरेगं पलिग्रोवमं कायव्वं । चउत्थगमे प्रोगाहणा जहण्णेणं धणुपुहत्तं,
उक्कोसेणं सातिरेगाइं दो गाउयाई । सेसं तहेव ॥ ३४७. असंखेज्जवासाउयसण्णिमणुस्सस्स वि तहेव ठिती जहा पंचिदियतिरिक्खजो
णियस्स असंखेज्जवासाउयस्स। प्रोगाहणा वि जेसु ठाणेसु गाउयं तेसु ठाणेसु
इहं सातिरेगं गाउयं । सेसं तहेव ॥ ३४८. संखेज्जवासाउयाणं तिरिक्खजोणियाणं मणुस्साण य जहेव सोहम्मेस उववज्ज
माणाणं तहेव निरवसेसं नव वि गमगा, नवरं-ईसाणठिति संवेहं च
जाणेज्जा॥ ३४६. सणंकुमारदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? उववाग्रो जहा' सक्कर
प्पभापुढविनेरइयाणं, जाव३५०. पज्जत्तसंखेज्जवासाउयसण्णिपंचिदियतिरिक्खजोणिए णं भंते ! जे भविए
सणंकुमारदेवेसु उववज्जित्तए० ? अवसेसा परिमाणादीया भवादेसपज्जवसाणा सच्चेव वत्तव्वया भाणियब्वा जहा सोहम्मे उववज्जमाणस्स, नवरं - सणंकूमारट्रिति संवेहं च जाणेज्जा। जाहे य अप्पणा जहण्णकाल द्वितीयो भवति ताहे
तिस वि गमएस पंच लेस्साप्रो आदिल्लाअो कायव्वायो । सेसं तं चेव ॥ ३५१. जइ मणुस्से हिंतो उववज्जति० ? मणुस्साणं जहेव सक्करप्पभाए उववज्जमाणाणं
तहेव नव वि गमा भाणियव्वा', नवरं-सणंकुमारट्ठिति संवेहं च जाणेज्जा ।। १. भ० २४।१३६-१४१ ।
४. भ० २४।३४२ । २. भ० २४१३३६-३४१ ।
५. भ० २४।१०५-१०८ । ३. भ० २४१७८,१०५ ।
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चउवीसइमं सतं (चउवीसइमो उद्देसो)
८६६ ३५२.
माहिंदगदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ? जहा सणंकुमारगदेवाणं वत्तव्वया तहा माहिंदगदेवाण वि भाणियव्वा', नवरं-माहिंदगदेवाणं ठिती सातिरेगा भाणियव्वा सच्चेव । एवं बंभलोगदेवाण वि वत्तव्वया, नवरं-- बंभलोगद्विति संवेहं च जाणेज्जा। एवं जाव सहस्सारो, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा । लंतगादीणं जहण्णकालट्ठितियस्स तिरिक्खजोणियस्स तिसु वि गमएसु छप्पि लेस्साओ कायव्वाअो । संघयणाइं बंभलोग-लंतएसु पंच आदिल्लगाणि, महासुक्क-सहस्सारेसु चत्तारि। तिरिक्खजोणियाण वि मणु
स्साण वि । सेसं तं चेव ।। ३५३. प्राणयदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? उववानो जहा सहस्सारदेवाणं,
नवरं-तिरिक्खजोणिया खोडेयव्वा, जाव'--- ३५४. पज्जत्तासं वेज्जवासाउयसण्णिमणुस्से णं भंते ! जे भविए आणयदेवेसु उवव
ज्जित्तए ०? मणुस्साण य वत्तव्वया जहेव सहस्सारेसु उववज्जमाणाणं, नवरं-- तिण्णि संघयणाणि, सेसं तहेव जाव अणुबंधो। भवादेसेणं जहण्णेणं तिण्णि भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं सत्त भवग्गहणाई। कालादेसेणं जहण्णेणं अट्ठारस सागरोवमाइं दोहिं वासपुहत्तेहिं अब्भहियाई, उक्कोसेणं सत्तावन्नं सागरोवमाईचउहि पव्वकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं काल सेवेज्जा. एवतियं कालं गति रागतिं करेज्जा । एवं सेसा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवरं-ठिति संवेहं च जाणेज्जा । सेसं तं चेव । एवं जाव अच्चुयदेवा, नवरं-ठिति संवेहं
च जाणज्जा। चउस विसंघयणा तिण्णि प्राणयादीस ।। ३५५. गेवेज्जगदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ०? एस चेव वत्तव्वया.
नवरं-दो संघयणा । ठिति संवेहं च जाणेज्जा ।। ३५६. विजय-वेजयंत-जयंत-अपराजितदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ? एस
चेव वत्तव्वया निरवसेसा जाव अणुबंधो त्ति, नवरं --पढमं संघयणं । सेसं तहेव । भवादेसेणं जहणणेणं तिण्णि भवग्गहणाइं, उक्कोसेणं पंच भवग्गहणाइं। कालादेसेणं जहण्णेणं एक्कतीसं सागरोवमाइं दोहि वासपुहत्तेहि अमहियाइं, उक्कोसेणं छावढि सागरोवमाइं तिहिं पुवकोडोहिं अब्भहियाइं, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा। एवं सेसा वि अट्ठ गमगा भाणियव्वा, नवरं --ठिति संवेहं च जाणेज्जा। मणूसलद्धी' नवस वि गमएस
जहा गेवेज्जेसु उववज्जमाणस्स, नवरं --पढमसंघयणं । ३५७. सव्वट्ठगसिद्धगदेवा णं भंते ! कमोहितो उववज्जति ०? उववाग्रो जहेव
विजयादीणं, जाव
१. भ० २४।३४६-३५१ ।
२. मणसे लद्धी (स)।
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8००
भगवई
३५८. से णं भंते ! केवतिकालट्रितीएस उववज्जेज्जा?
गोयमा ! जहण्णेणं तेत्तीससागरोवमद्वितीएस, उक्कोसेण वि तेत्तीससागरोवमद्वितीएस उववज्जेज्जा । अवसेसा जहा विजयाइसु उववज्जंताणं, नवरं-- भवादेसेणं तिण्णि भवग्गहणाइं, कालादेसेणं जहण्णणं तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहि वासपुहत्तेहिं अहियाई, उक्कोसेण वि तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहि पुवकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति
करेज्जा १॥ ३५६. सो चेव अप्पणा जहण्णकालद्वितीयो जानो, एस चेव वत्तव्वया, नवरं
ओगाहणा-ठितीप्रो रयणिपुहत्त-वासपुहत्ताणि । सेसं तहेव । संवेहं च
जाणेज्जा २॥ ३६०. सो चेव अप्पणा उक्कोसकालट्ठितीअो जाओ, एस चेव वत्तव्वया, नवरं
प्रोगाहणा जहणणं पंच धणुसयाई, उक्कोस्सेण वि पंच धणुसयाई । ठिती जहण्णणं पुवकोडी, उक्कोसेण वि पुव्वकोडी । सेसं तहेव जाव भवादेसो त्ति । कालादेसेणं जहण्णेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं पुव्वकोडीहि अब्भहियाई, उक्कोसेण वि तेत्तीसं सागरोवमाइं दोहिं पुवकोडीहि अब्भहियाई, एवतियं कालं सेवेज्जा, एवतियं कालं गतिरागति करेज्जा ३। एते तिण्णि गमगा
सव्वट्ठसिद्धगदेवाणं ॥ ३६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति भगवं गोयमे जाव' विहरइ ।।
१. भ० ११५१ ।
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पंचवीसइमं सतं पढमो उद्देसो
१. लेसा य २. दव्व ३. संठाण ४. जुम्म ५. पज्जव ६. नियंठ ७. समणा य ।
८. पोहे ६,१०. भवियाभविए, ११. सम्मा १२. मिच्छे य उद्देसा ॥१॥ लेस्सा -पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' एवं वयासी–कति णं भंते ! लेस्सायो
पण्णत्तायो? गोयमा ! छल्लेसानो पण्णत्ताओ, तं जहा-कण्हलेसा जहा पढमसए बितिए उद्देसए तहेव लेस्साविभागो । अप्पाबहुगं च जाव' चउव्विहाणं देवाणं चउव्वि
हाणं देवीणं मीसगं अप्पाबहुगंति ।। जोगस्स अप्पाबहुग-पदं २. कतिविहा णं भंते ! संसारसमावन्नगा जीवा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चोद्दसविहा संसारसमावन्नगा जीवा पण्णत्ता, तं जहा–१. सुहमा अप्पज्जत्तगा २. सूहमा पज्जत्तगा ३. बादरा अप्पज्जत्तगा ४. बादरा पज्जत्तगा ५. बेइंदिया अप्पज्जत्तगा ६. बेइंदिया पज्जत्तगा .७. तेइंदिया अप्पज्जत्तगा ८. तेइंदिया पज्जत्तगा ६. चरिदिया अप्पज्जत्तगा १०. चरिदिया पज्जत्तगा° ११. असण्णिपंचिंदिया अप्पज्जत्तगा १२. असण्णिपंचिदिया पज्जत्तगा
१३. सण्णिपंचिदिया अप्पज्जत्तगा १४. सण्णिपंचिदिया पज्जत्तगा। ३. एतेसि णं भंते ! चोद्दसविहाणं संसारसमावण्णगाणं जीवाणं जहण्णुक्कोसगस्स
जोगस्स कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा?
१. भ० १।४-१०। २. भ० ११२०२; १० १७।२।
३. सं० पा०-एवं तेइंदिया एवं चउरिदिया । ४. सं० पा० कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया।
६०१
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१०२
भगवई
गोयमा ! १. सव्वत्थोवे सुहुमस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए २. बाद रस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ३. बेंदियस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ४. एवं तेइंदियस्स ५. एवं चरिदियरस ६. असण्णिस्स पंचिदियस्स अपज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ७. सण्णिस्स पंचिदियस्स अपज्जत्तगस्स जहष्णए जोए असंखेज्जगुण ८. सुहुमस्स पज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ६. बादरस्स पज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे १०. सुहुमस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे ११. बादरस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जाए असखज्जगुण १२. सूहमस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जाए असंखेज्जगुणे १३. बादरस्स पज्जत्त गस्स उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे १४. बंदियस्स पज्जत्तगरस जहण्णए जोए असंखेज्जगुण १५. एवं तदियस्स, एवं जाव १८. सण्णिपंचिदियस्स पज्जत्तगस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे १९. ब दियस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे २०. एवं तदियस्स वि, एवं जाव २३. सण्णिपंचिदियस्स अपज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे २४. बंदियस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे २५. एवं तेइंदियस्स वि, एवं जाव २८. सण्णिपंचिदियस्स पज्जत्तगस्स उक्कोसए जोए असंखे
ज्जगुणे॥ समजोगि-विसमजोगि-पर्द ४. दो भंते ! नेरइया पढमसमयोववन्नगा कि समजोगी ? विसमजोगी' ?
गोयमा ! सिय समजोगी, सिय विसमजोगी। ५. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय समजोगी, सिय विसमजोगी ?
गोयमा ! पाहारयानो वा से अणाहारए, अणाहारयानो वा से पाहारए सिय हीणे, सिय तुल्ले, सिय अब्भहिए। जइ हीणे असंखेज्जइभागहीणे वा, संखेज्जइभागहीणे वा, संखेज्जगुणहीणे वा, असंखेज्जगुणहीणे वा। अह अब्भहिए असंखेज्जइभागमब्भहिए वा, संखेज्जइभागमभहिए वा, संखेज्जगुणमब्भहिए वा, असंखेज्जगुणमब्भहिए वा। से तेणढेणं' 'गोयमा! एवं वुच्चइ–सिय
समजोगी , सिय विसमजोगी । एवं जाव वेमाणियाणं ।। जोग-पदं ६. कतिविहे णं भंते ! जोए पण्णत्ते ?
गोयमा ! पण्णरसविहे जोए पण्णत्ते, तं जहा-१. सच्चमणजोए २. मोसमण
१. कि विसमजोगी (अ,म); असमजोगी (ता)। ३. सं० पा०-तेण?णं जाव सिय । २. आहारओ (अ,ख); आहाराओ (क,ब,म)।
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पंचवीसइमं सतं (बीओ उद्देसो)
६०३
जोए' ३. सच्चामोसमणजोए ४. ग्रसच्चामोसमणजोए ५. सच्चवइजोए ६. मोसवइजोए ७. सच्चामोसवइजोए ८. सच्चामोसवइजोए 8 प्रोरालियसरीरकायजोए १०. प्रोरालियमीसासरी रकायजोए ११. वेउव्वियसरी कायजोए १२. वेव्वियमीसासरीरकायजोए १३. ग्राहारगसरीरका यजोए १४. आहारगमी सासरी रकायजोए १५. कम्मासरीरकायजोए ॥ ७. एयस्स णं भंते ! पण्णरसविहस्स जहण्णुक्कोसगस्स जोगस्स कयरे कयरेहितो
●प्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ?
गोमा ! १. सव्वत्थवे कम्मासरी रस्स' जहण्णए जोए २. प्रोरालियमी सगस्स जहए जो असंखेज्जगुणे ३. वेउब्वियमीसगस्स जहण्णए जोए प्रसंखेज्जगुणे ४. प्रोरालियसरीरस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे ५. वेडव्वियसरी रस्स जहणए जोए असंखेज्जगुणे ६. कम्मासरीरस्स उक्कोसए जोए श्रसंखेज्जगुणे ७. आहारगमीसगस्स जहण्णए जोए प्रसंखेज्जगुणे ८. तस्स चेव उक्कोसए जोए असंखेज्जगुणे ६,१०. प्रोरालियमीसगस्स, वेउव्वियमीसगस्स य - एएसि णं उक्कोसए जोए दोहवि तुल्ले असंखेज्जगुणे ११. सच्चामोसमणजोगस्स जहणए जो प्रसंखेज्जगुणे १२. श्राहारासरीरस्स जहण्णए जोए असंखेज्जगुणे १३ - १९. तिविहस्स मणजोगस्स चउव्विहस्स वइजोगस्स - एएसि णं सत्तण्ह वि तुल्ले जहण्णए जोए प्रसंखेज्जगुणे २०. आहारासरीरस्स उक्कोसए जोए प्रसंखेज्जगुणे २१-३०. ओरालियसरीरस्स, वेउव्वियसरीरस्स, चउब्विहस्स मणजोगस्स, चउव्विहस्स य वइजोगस्स - एएसि णं दसह वि तुल्ले उक्कोसए संज्ज || ८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति |
बीओ उद्देसो
दव्व-पदं
६. कतिविहा णं भंते ! दव्वा पण्णत्ता ?
गोमा ! दुविहा दव्वा पण्णत्ता, तं जहा -- जीवदव्वा य, अजीवदव्वा य ॥ १०. अजीवदव्वा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
१. असच्च मणजोए । ( अ, क, ब, म) । २. तस्स ( क ) ।
३. सं० पा० – कयरेहिंतो जाव विसेसाहिया |
४. कम्मग ० ( क, ख, ब, म); कम्मसरीरगस्स (ता) ।
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६०४
भगवई
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-रूविअजीवदव्वा य, अरूविअजीवदव्वा
य
॥
११. "अरूविअजीवदव्वा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! दसविहा पण्णत्ता, तं जहा-धम्मत्थिकाए, धम्मत्थिकायस्स देसे, धम्मत्थिकायस्स पदेसा, अधम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकायस्स देसे, अधम्मत्थिकायस्स पदेसा, अागासत्थिकाए, ग्रागासत्थिकायस्स देसे, अागासत्थिकायस्स
पदेसा, अद्धासमए॥ १२. रूविजीवदव्वा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चउविहा पण्णत्ता, तं जहा-खंधा, खंधदेसा, खंधपदेसा, परमाणु
पोग्गले ॥ १३. ते णं भंते ! कि संखेज्जा ? असंखेज्जा ? अणंता ?
गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता ।। १४. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणता ?
गोयमा ! अणंता परमाणुपोग्गला, अणंता दुपदेसिया खंधा जाव अणंता दसपदेसिया खंधा, अणंता संखेज्जपदेसिया खंधा, अणंता असंखेज्जपदेसिया खंधा, अणंता अणंतपदेसिया खंधा ।° से तेण?णं गोयमा ! एवं वुच्चइ-ते
णं नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता॥ १५. जीवदव्वा णं भंते ! कि संखेज्जा? असंखेज्जा ? अणता?
गोयमा ? नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता ॥ से केणट्रेणं भंते ! एवं वुच्चइ ---जीवदव्वा णं नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणता? गोयमा ! असंखेज्जा नेरइया जाव असंखेज्जा वाउक्काइया, अणंता वणस्सइकाइया, असंखेज्जा बेदिया, एवं जाव वेमाणिया, अणंता सिद्धा । से तेणद्वेणं
जाव अणंता॥ जीवाणं अजीवपरिभोग-पदं १७. जीवदव्वाणं भंते ! अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? अजीवदव्वाणं
जीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! जीवदव्वाणं अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, नो अजीव
दव्वाणं जीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ॥ १८. से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चई- जीवदव्वाणं अजीवदव्वा परिभोगत्ताए
२. सं० पा०-वूच्चइ जाव हव्वमागच्छति ।
१. सं० पा.-एवं एएणं अभिलावेणं जहा
अजीवपज्जवा जाव से।
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१०५
पंचवीसइमं सतं (बीओ उद्देसो)
हव्वमागच्छंति, नो अजीवदव्वाणं जीवदव्वा परिभोगत्ताए ° हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! जीवदव्वा णं अजीवदव्वे परियादियंति परियादिइत्ता अोरालियं वे उब्वियं पाहारगं तेयगं कम्मगं, सोइंदियं जाव फासिंदियं, मणजोगं वइजोगं कायजोगं, प्राणापाणुत्तं च निव्वत्तयंति। से तेण?ण गोयमा ! एवं वुच्चइ -~-जीवदव्वाणं अजीवदव्वा परिभोगताए हव्वमागच्छंति, नो अजीवदव्वाणं
जीवदव्वा परिभोगत्ताए° हव्वमागच्छति ।। १६. नेरइयाणं भंते ! अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? अजीवदव्वाणं
नेरइया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति ? गोयमा ! नेरइयाणं अजीवदव्वा परिभोगत्ताए' हव्वमागच्छंति, नो अजीव
दव्वाणं ने रइया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति ॥ २०. से केणट्रेणं ?
गोयमा ! ने रइया अजीवदव्वे परियादियंति, परियादिइत्ता वेउव्विय-तेयगकम्मगं, सोइंदियं जाव फासिदियं, (मणजोगं वइजोगं कायजोगं ? ) प्राणापाणुत्तं च निव्वत्तयति । से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-नेरइयाणं अजीवदव्वा परिभोगत्ताए हव्वमागच्छति, नो अजीवदव्याण ने रइया परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं–सरीरइंदियजोगा भाणियव्वा जस्स जे अत्थि।
अवगाह-पदं
२१. से नूणं भंते ! असंखेज्जे लोए अणताइं दवाइं आगासे भइयव्वाइं ?
हंता गोयमा ! असंखेज्जे लोए 'अणंताई दवाइं अागासे° भइयव्वाइं॥ पोग्गलाणं चयादि-पदं २२. लोगस्स णं भंते ! एगम्मि आगासपदेसे कतिदिसि पोग्गला चिज्जति ?
गोयमा ! निव्वाघाएणं छद्दिसि, वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसिं,
सिय पंचदिसि ॥ २३. लोगस्स णं भंते ! एगम्मि अागासपदेसे कतिदिसि पोग्गला छिज्जति ? एवं
चेव । एवं उवचिज्जति, एवं अवचिज्जति ।
१. आणापारगत्तं (अ)। २. सं० पाo-तेणतुणं जाव हव्वमागच्छंति। ३. जाव (अ, क, ख, ता, ब, म, स)।
४. कोष्ठकवर्ती पाठ: आदर्शेषु नोपलभ्यते,
किन्तु पूर्वसूत्रानुसारेण असौ युज्यते । ५. सं० पा०-लोए जाव भइयव्वाइं।
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भगवई
पोग्गलगहण-पदं २४. जीवे णं भंते ! जाइं दवाइं ओरालियसरीरत्ताए गेण्हइ ताइं कि ठियाई
गेण्हइ ? अट्ठियाइं गेण्हइ ?
गोयमा ! ठियाइं पि गेण्हइ, अट्टियाइं पि गेण्हइ ।। २५. ताई भंते ! कि दव्वनो गेण्हइ ? खेत्तमो गेण्हइ ? कालो गेल्हइ ? भावनो
गेण्हइ ? गोयमा ! दव्वनो वि गेण्हइ, खेत्तो वि गेण्हइ, कालो वि गेण्हइ, भावनो वि गेण्हइ । ताइं दव्वो अणंतपदेसियाइं दव्वाइं, खेत्तनो असंखेज्जपदेसोगाढाइं–एवं जहा पण्णवणाए पढमे आहारुद्देसए जाव' निव्वाघाएणं छद्दिसि,
वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसि, सिय पंचदिसि ।। २६. जीवे णं भंते ! जाई दवाई वेउव्वियसरीरत्ताए गण्हइ ताइं किं ठियाई
गेण्हइ ? अट्ठियाई गेण्हइ ? एवं चेव, नवरं-नियमं छद्दिसि । एवं पाहारग
सरीरत्ताए वि॥ २७. जीवे णं भंते ! जाई दव्वाइं तेयगसरोरत्ताए गेण्हइ -- पुच्छा।
गोयमा ! ठियाई गेण्हइ, नो अट्ठियाइं गेण्हइ। सेसं जहा पोरालियसरीरस्स।
कम्मगसरीरे एवं चेव । एवं जाव भावो वि गेण्हइ ।। २८. जाई दव्वाइं दव्वनो गेण्हइ ताई कि एगपदेसियाइं गेण्हइ ? दुपदेसियाई
गेण्हइ ? एवं जहा भासापदे जाव' आणुपुवि गेण्हइ, नो अणाणुपुब्बि गेण्हइ ।। २६. ताई भंते ! कतिदिसि गेण्हइ ?
गोयमा ! निव्वाघाएणं जहा पोरालियस्स ।। ३०. जीवे णं भंते ! जाइं दव्वाइं सोइंदियत्ताए गेण्हइ ०? जहा वेउव्वियसरीरं ।
एवं जाव जिभिदियत्ताए। फासिदियत्ताए जहा पोरालियसरीरं । मणजोगत्ताए जहा कम्मगसरीरं, नवरं-नियमं छद्दिसि । एवं वइजोगत्ताए वि ।
कायजोगत्ताए जहा ओरालियसरीरस्स ।। ३१. जीवे णं भंते ! जाई दव्वाइं आणापाणुत्ताए गेण्हइ ०? जहेव ओरालियसरीर
त्ताए जाव सिय पंचदिसि ।। ३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. प० २८।१। २. प० ११ । ३. कायजोगत्ताए वि (क, स)। ४. त्ति केइ चउवीसदंडएणं एताणि पदाणि
भण्णंति जस्स जं अत्थि (अ, क, ख, ता, ब, म, स); असौ पाठः वाचनान्तराभिधायकोस्ति। उद्देशकपूर्ती लिखितस्यास्य मुले प्रवेशो जात इति सम्भाव्यते ।
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पचवीसइमं सतं (तइओ उद्देसो)
तइओ उद्देसो संठाण-पदं ३३. कति णं भंते ! संठाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! छ संठाणा पण्णत्ता, तं जहा -परिमंडले, वट्टे, तंसे, चउरंसे, आयते,
अणित्थंथे। ३४. परिमंडला णं भंते ! संठाणा दवट्टयाए कि संखेज्जा ? असंखेज्जा ? अणता ?
गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता ।। ३५. वट्टा णं भंते ! संठाणा ०? एवं चेव । एवं जाव अणित्थंथा। एवं पएसट्टयाए
वि । ‘एवं दवट्ठ-पएसट्टयाए वि॥ एएसि णं भंते ! परिमंडल-वट्ट-तंस-चउरंस-पायत-अणित्थंथाणं संठाणाणं दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठ-पएसट्टयाए कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा परिमंडलसंठाणा दव्वट्टयाए, वट्टा संठाणा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, चउरसा संठाणा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, तंसा संठाणा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, प्रायता संठाणा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, अणित्थंथा संठाणा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा। पएसट्ठयाए-सव्वत्थोवा परिमंडला संठाणा पएसट्ठयाए, वट्टा संठाणा पएसट्ठयाए संखेज्जगुणा, जहा दव्वट्ठयाए तहा पएसट्ठयाए वि जाव अणित्थंथा संठाणा पएसट्टयाए असंखज्जगुणा। दव्वदृपएसट्टयाए -सव्वत्थोवा परिमंडला संठाणा दव्वट्ठयाए, सो चेव दव्वट्ठयाए गमो भाणियव्वो जाव अणित्थंथा संठाणा दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा, अणित्थंथेहितो संठाणेहितो दव्वट्ठयाए परिमंडला संठाणा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा, वट्टा संठाणा पएसट्टयाए संखेज्जगुणा, सो चेव पएसट्टयाए गमनो भाणियब्वो जाव
अणित्थंथा संठाणा पएसट्टयाए असंखेज्जगुणा ।। रयणप्पभादिसंदभे संठाण-पदं ३७. कति णं भंते ! संठाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंच संठाणा पण्णत्ता, तं जहा-परिमंडले जाव आयते ॥ २८. परिमंडला णं भंते ! संठाणा कि संखेज्जा ? असंखेज्जा ? अणता ?
गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता ।। ३६. वद्रा णं भंते ! संठाणा कि संखेज्जा ०? एवं चेव । एवं जाव प्रायता ॥ ४०. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए परिमंडला संठाणा किं संखेज्जा ?
असंखेज्जा ? अणंता?
१. x (अ, क, ता, ब, म, स)।
२. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
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१०८
भगवई
गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता ।। ४१. वट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेज्जा ०? एवं चेव । एवं जाव अायता ।। ४२. सक्करप्पभाए णं भंते ! पुढवीए परिमंडला संठाणा ०? एवं चेव । एवं जाव
आयता । एवं जाव अहेसत्तमाए । ४३. सोहम्मे णं भंते ! कप्पे परिमंडला संठाणा ०? एवं जाव अच्चुए। ४४. गेवेज्जविमाणे णं भंते ! परिमंडला संठाणा० ? एवं चेव । एवं अणुत्तरविमा
णेसु वि । एवं ईसिपब्भाराए वि ।। ४५. जत्थ णं भंते ! एगे परिमंडले संठाणे जवमझे तत्थ परिमंडला संठाणा कि
संखेज्जा ? असंखेज्जा ? अणता ?
गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता । ४६. वट्टा णं भंते ! संठाणा कि संखेज्जा ? एवं चेव । एवं जाव आयता॥ ४७. जत्थ णं भंते ! एगे वट्टे संठाणे जवमझे तत्थ परिमंडला संठाणा०? एवं
चेव। वट्टा संठाणा एवं चेव । एवं जाव अायता। एवं एक्केकेणं संठाणेणं पंच वि चारेयव्वा 'जाव आयतेणं ।। जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे परिमंडले संठाणे जवमझे तत्थ णं परिमंडला संठाणा किं संखेज्जापुच्छा।
गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता। ४६. वट्टा णं भंते ! संठाणा किं संखेज्जा०? एवं चेव । एवं जाव आयता। ५०. जत्थ णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए एगे वट्टे संठाणे जवमझे तत्थ णं
परिमंडला संठाणा कि संखेज्जा-पुच्छा। गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अणंता। वट्टा संठाणा एवं चेव । एवं जाव आयता। एवं पुणरवि एक्केकेणं संठाणेणं पंच वि चारेयव्वा जहेव हेट्ठिल्ला जाव आयतेणं । एवं जाव अहेसत्तमाए। एवं कप्पेसु वि जाव ईसीप
भाराए पुढवीए॥ पएसावगाहतो संठाण निरूवण-पदं ५१. बट्टे णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ?
गोयमा ! वट्टे संठाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-घणवट्टे य, पतरवट्टे य । तत्थ णं जे से पतरवट्टे से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से ओयपदेसिए से जहण्णेणं पंचपदेसिए पंचपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे । तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहण्णेणं बारसपदेसिए बारसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे।
१. ४ (अ, क, ब, म, स)।
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पंचवीसइमं सतं (तम्रो उदेसो)
तत्थ णं जेसे घगवट्टे से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -- प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहणणं सत्तपदेसिए सत्तपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहणेणं बत्तीसपदेसिए बत्तीसपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए संखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते ||
५२. तंसे णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ?
गोयमा ! तंसे णं संठाणे दुविहे पण्णत्ते तं जहा -- घणतंसे य, पतरतंसे य । तत्थ णं जे से पतरतंसे से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहणेणं तिपदेसिए तिपदेस गाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए श्रसंखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहणेणं छप्पदेसिए छप्पदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते ।
तत्थ णं जे से घणतंसे से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य। तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहणेणं पणतीसपदेसिए पणतोसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए ग्रसंखेज्जपदेसोगाढे' । तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहणणं चउपदेसिए चउप्पदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए प्रसंखेज्जपदेसोगाढे' |
५३. चउरंसे णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए - - पुच्छा ।
गोमा ! चउरंसे संठाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -- घणचउरंसे यं, पतरचउसेय ।
तत्थ णं जे से पतरचउरंसे से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य° । तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहणेणं नवपदेसिए नवपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए श्रसंखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते । तत्थ णं जे जुम्मपदेसिए से जहणं चउपदेसिए चउपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं श्रणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे ।
६०६
१. तं चेव ( अ, ख, ता, ब, म, स ) ।
२. तं चैव (अ, ख, ब, म, स ) ; एवं चेव (ता) |
३. सं० पा० - भेदो जहेव वट्टस्स जाव तत्थ ।
तत्थ णं जे से घणचउरंसे से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -- श्रयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहणेणं सत्तावीसइपदेसिए सत्तावीस इपदेसोगाढे, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे । तत्थ णं जे से
४. तं चैव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । ५. तहेव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) ।
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१०
भगवई
जुम्मपदेसिए से जहणं प्रट्टपदेसिए अट्ठपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं अनंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे ॥
५४. आयते णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए कतिपदेसोगाढे पण्णत्ते ?
गोयमा ! प्रायते णं संठाणे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा - सेढिप्रायते, पतरायते, घणायते ।
तत्थ णं जे से सेढिप्रायते से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहणेणं तिपदेसिए तिपदेसोगाढे, उक्कोसेणं अणतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे' । तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए जहणे दुपदेसि दुपदेसोगाढे, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए श्रसंखेज्जपदेसोगाढे' । तत्थ णं जे से पतरायते से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - प्रोयपदेसिए य जुम्मपदं - सिए य । तत्थ णं जे से प्रोयपदेसिए से जहणेणं पण्णरसपदेसिए पण्णरसपदेसोगाढे, उवकोसेणं 'ग्रणतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे" । तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहणेणं छप्पदेसिए छप्पदेसोगाढे, उक्कोसेणं 'प्रणतपदेसिए संखेज्जपदेसोगाढे“ ।
तत्थ णं जे से घणायते से दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - प्रोयपदेसिए य, जुम्मपदेसिए य । तत्थ णं जे से श्रोयपदेसिए से जहणेणं पणयालीसपदेसिए पणयालीसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं 'ग्रणंतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे" । तत्थ णं जे से जुम्मपदेसिए से जहणेणं बारसपदेसिए बारसपदेसोगाढे, उक्कोसेणं 'प्रणतपदेसिए संखेज्जपदेसोगाढे" ||
५५. परिमंडले णं भंते ! संठाणे कतिपदेसिए - पुच्छा ।
गोयमा ! परिमंडले णं संठाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा - घणपरिमंडले य पतरपरिमंडलेय |
तत्थ णं जे से पतरपरिमंडले से जहणेणं वीसइपदेसिए वीसइपदेसोगाढे, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए असंखेज्जपदेस गाढे' ।
तत्थ णं जे से घणपरिमंडले से जहणेणं चत्तालीसइपदेसिए चत्तालीसइपदेसोगाढे पण्णत्ते, उक्कोसेणं प्रणतपदेसिए असंखेज्जपदेसोगाढे पण्णत्ते ॥
संठणाणं कडजुम्मादि-पदं
५६. परिमंडले णं भंते ! संठाणे दव्वट्टयाए कि कडजुम्मे ? तेस्रोए ? दावरजुम्मे' ? कलिश्रोए ?
१. तहेव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स) । २. तं चेव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) ।
३. तहेव ( अ, क, ख, ता. ब, म, स ) । ४, ५. अनंत तव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) ।
६, ७. अनंत तहेव ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । ८. तहेव ( अ, क, ख, ता, म, स ) ।
६. बादरजुम्मे ( अ, क, ख, ताम) सर्वत्र ।
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पंचवीसइमं सतं (तइओ उद्देसो)
६११ गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोए, नो दावरजुम्मे, कलियोए' ॥ ५७. वट्टे णं भंते ! संठाणे दव्वट्ठयाए० ? एवं चेव । एवं जाव आयते ।। ५८. परिमंडला णं भंते ! संठाणा दव्वट्टयाए कि कडजुम्मा, तेयोया-पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कडजुम्मा, सिय तेोगा, सिय दावरजुम्मा, सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेप्रोगा, नो दावरजुम्मा, कलि
योगा। एवं जाव आयता ।। ५६. परिमंडले णं भंते ! संठाणे पएसट्टयाए किं कडजुम्मे-पुच्छा।
गोयमा ! सिय कडजुम्मे, सिय तेयोगे, सिय दावरजुम्मे, सिय कलियोगे । एवं
जाव प्रायते ॥ ६०. परिमंडला णं भंते ! संठाणा पदेसट्टयाए कि कडजुम्मा-पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं
कडजुम्मा वि, तेप्रोगा वि, दावरजुम्मा वि, कलियोगा वि । एवं जाव आयता। ६१. परिमंडले णं भंते ! संठाणे किं कडजुम्मपदेसोगाढे जाव कलियोगपदेसोगाढे ?
गोयमा ! कडजुम्मपदेसोगाढे, नो तेयोगपदेसोगाढे, नो दावरजुम्मपदेसोगाढे,
नो कलियोगपदेसोगाढे ॥ ६२. वट्टे णं भंते ! संठाणे कि कडजुम्मपदेसोगाढे-पुच्छा।
गोयमा ! सिय कडजुम्मपदेसोगाढे, सिय तेयोगपदेसोगाढे, नो दावरजुम्मपदे
सोगाढे, सिय कलियोगपदेसोगाढे ॥ ६३. तंसे णं भंते ! संठाणे-पुच्छा।
गोयमा ! सिय कडजुम्मपदेसोगाढे, सिय तेयोगपदेसोगाढे, सिय दावरजुम्म
पदेसोगाढे, नो कलियोगपदेसोगाढे ॥ ६४. चउरसे णं भंते ! संठाणे ० ? जहा वट्टे तहा चउरसे वि ॥ ६५. आयते णं भंते ! पुच्छा ।
गोयमा ! सिय कडजुम्मपदेसोगाढे जाव सिय कलियोगपदेसोगाढे ।। ६६. परिमंडला णं भंते ! संठाणा किं कडजुम्मपदेसोगाढा–पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोग
पदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा ।। ६७. वट्टा णं भंते ! संठाणा किं कडजुम्मपदेसोगाढा-पुच्छा।
गोयमा ! ओघादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा, विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि, तेयोगपदेसोगाढा वि, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, कलियोगपदेसोगाढा वि ।।
१. कलिग्रोदे (ता)।
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६१२
भगवई
६८. तंसा णं भंते ! संठाणा किं कडजुम्मपदेसोगाढा-पुच्छा ।
गोयमा ! अोघादेसेणं कड जुम्मपदेसोगाढा, नो तेयगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा; विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि, तेयोगपदेसोगाढा वि, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, कलियोगपदेसोगाढा वि ।
चउरंसा जहा वट्टा । ६६. आयता णं भंते ! संठाणा--पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेणं कडजम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा; विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा
वि जाव कलियोगपदेसोगाढा वि ।। ७०. परिमंडले णं भंते ! संठाणे किं कडजुम्मसमयठितीए' ? तेयोगसमयठितीए ?
दावरजुम्मसमयठितीए ? कलियोगसमयठितीए ? गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयठितीए जाव सिय कलियोगसमयठितीए । एवं जाव प्रायते ॥ परिमंडला णं भंते ! संठाणा किं कडजुम्मसमयठितोया--पुच्छा। गोयमा ! प्रोधादेसेणं सिय कडजुम्मसमयठितीया जाव सिय कलियोगसमयठितीया; विहाणादेसेणं कडजुम्मसमययठितीया वि जाव कलियोगसमयठितीया
वि । एवं जाव आयता॥ ७२. परिमंडले णं भंते ! संठाणे कालवण्णपज्जवेहि किं कडजुम्मे जाव कलियोगे?
गोयमा ! सिय कडजुम्मे । एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ठितीए । एवं नीलवण्णपज्जवेहि' । एवं पंचहि वण्णेहिं, दोहिं गंधेहिं, पंचहिं रसेहि, अट्टहिं
फासेहिं जाव लुक्खफासपज्जवेहिं ।। सेढि-पदं ७३. सेढोयो णं भंते ! दवट्टयाए कि संखेज्जायो ? असंखेज्जायो ? अणंताओ?
__गोयमा ! नो संखेज्जायो, ना असंखेज्जायो, अणंताप्रो । ७४. पाईणपडीणायताप्रो' णं भंते ! सेढीयो दव्वट्ठयाए कि संखेज्जाओ० ? एवं
चेव । एवं दाहिणुत्तरायतानो वि । एवं उड्ढमहायताप्रो वि ।। ७५. लोगागाससेढीओ णं भंते ! दव्वट्ठयाए कि संखेज्जायो ? असंखेज्जायो ?
अणंतामो?
गोयमा ! नो संखेज्जाओ, असंखेज्जायो, नो अणंतानो ।। ७६. पाईणपडीणायतानो णं भंते ! लोगागाससेढीयो दवद्वयाए कि संखेज्जाप्रो० ?
एवं चेव । एवं दाहिणुत्तरायतानो वि । एवं उड्ढमहायताप्रो वि ।। १. °ट्टितिए (अ, ब, म)।
३. पादीण ° (ख); पातीणपडिणताओ (ता) । २. नीलावण्ण ° (क, ख, ब)।
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पंचवीसइमं सतं (तइओ उद्देसो)
राय
७७. अलोगागाससेढीयो णं भंते ! दवट्टयाए कि संखेज्जायो ? असंखेज्जाओ?
अणंतानो ?' गोयमा ! नो संखेज्जायो, नो असंखेज्जानो, अणंतायो । एवं पाईणपडीणाय
तानो वि । एवं दाहिणुत्तरायतानो वि । एवं उड्ढमहायताप्रो वि ।। ७८. सेढीयो णं भंते ! पएसट्टयाए कि संग्वेज्जायो ? जहा दबट्टयाए तहा पएस
ट्ठयाए वि लाव उड्ढमहायताप्रो वि । सव्वाश्रो अणंतायो । लोगागाससेढीग्रो णं भंते ! पएसयाए कि संखेज्जायो-पूच्छा। गोयमा ! सिय संखेज्जायो, सिय असंखेज्जायो, नो अणंतायो । एवं पाईणपडीणायतानो वि । दाहिणुत्तरायतानो वि एवं चेव । उड्ढमहायतामो' नो
संखेज्जायो, असंखेज्जागो, नो अणंतायो । ८०. अलोगागाससे ढोनो णं भंते ! पदेसट्टयाए ---पुच्छा।
गोयमा ! सिय संखेज्जायो, सिय असंखेज्जायो, सिय अणंताप्रो ।। ८१. पाईणपडीणायतानो णं भंते ! अलोगागाससेढीग्रो—पूच्छा।
गोयमा ! नो संखेज्जायो, नो असंखेज्जायो, अणंतायो । एवंद
तानो वि॥ ८२. उड्ढमहायताप्रो-पुच्छा।
गोयमा ! सिय संखेज्जायो, सिय असंखेज्जानो, सिय अणंतायो । ८३. सेढीयो णं भंते ! कि सादीयाग्रो सपज्जवसियायो? सादीयाो अपज्जव
सियाग्रो ? अणादीयानो सपज्जवसियाग्रो ? अणादीयाग्रो अपज्जवसियाओ? गोयमा ! नो सादीयानो सपज्जवसियाग्रो, नो सादीयानो अपज्जवसियारो, नो अणादोयानो सपज्जवसियानो, अणादीयानो अपज्जवसियायो। एवं जाव
उड्ढमहायताओ। ८४. लोगागाससेढीयो णं भंते ! कि सादोयानो सपज्जवसियाओ--पूच्छा।
गोयमा ! सादोयानो सपज्जवसियानो, नो सादीयाओ अपज्जवसियानो, नो अणादीयानो सपज्जवसियानो, नो अणादीयानो अपज्जवसियानो । एवं जाव
उड्ढमहायतायो। ८५. अलोगागाससेढीयो णं भंते ! कि सादीयायो सपज्जवसियानो --पुच्छा।
गोयमा ! सिय सादीयानो सपज्जवसियानो, सिय सादीयानो अपज्जवसियानो, सिय अणादीयाओ सपज्जवसियानो, सिय अणादीयानो अपज्जवसियायो। पाईणपडीणायतायो दाहिणुत्तरायतायो य एवं चेव, नवरं-नो सादीयानो
३. तायो वि (अ, स)।
१. पुच्छा (क, ता, ब, म)। २. एवं जाव (क, ब)।
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भगवई सपज्जवसियानो, सिय सादीयानो अपज्जवसियाो । सेसं तं चेव । उड्ढमहाय
ताया जहा प्रोहियाओ तहेव चउभंगो।। ८६. सेढीयो णं भंते ! दव्वट्ठयाए कि कडजुम्मानो, तेोयाओ-पुच्छा।
गोयमा ! कडजम्मानो. नो तेनोयानो, नो दावरजम्मानो नो कलियोगायो। एवं जाव उड ढमहायतायो। लोगागाससेढीयो एवं चेव । एवं अलोगागास
सेढीओ वि।। ८७. सेढीयो णं भंते ! पदेसट्ठयाए किं कडजुम्मायो ०? एवं चेव। एवं जाव
उड्ढमहायतायो। ८८. लोगागाससेढीयो णं भंते ! पदेसट्ठयाए–पुच्छा ।।।
गोयमा ! सिय कडजुम्मायो, नो तेप्रोयानो, सिय दावरजुम्माओ, नो कलियो
गायो । एवं पाईणपडीणायताप्रो वि, दाहिणुत्तरायताप्रो वि ।। ८६. उड्ढमहायतानो णं भंते ! पदेसट्टयाए ---पुच्छा।
गोयमा ! कडजुम्मायो, नो तेयोगायो, नो दावरजुम्मायो, नो कलियोगायो । अलोगागाससेढीयो णं भते ! पदेसट्ठयाए-पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मायो जाव सिय कलियोगायो। एवं पाईणपडीणायताप्रो वि । एवं दाहिणुत्तरायताप्रो वि। उड्ढमहायताप्रो वि एवं चेव, नवरं
-नो कलियोगायो । सेसं तं चेव ।। ६१. कति णं भंते ! सेढीग्रो पण्णत्तायो ?
गोयमा ! सत्त सेढीयो पण्णत्तायो, तं जहा-उज्जुायता, एगोवंका,
दुहओवंका, एगोखहा, दुहनोखहा, चक्कवाला, अद्धचक्कवाला ।। अणुसे ढि-विसेढि-गति-पदं ६२. परमाणपोग्गलाणं' भंते ! कि अणुसेदि गती पवत्तति ? विसेदि गती पवत्तति ?
गोयमा ! अणुसेटिं गती पवत्तति, नो विसेटिं गती पवत्तति ॥ ६३. दुपएसियाणं भंते ! खंधाणं अणुसेदि गती पवत्तति ? विसेदि गती पवत्तति ?
एवं चेव । एवं जाव अणंतपदेसियाणं खंधाणं ।।। ६४. नेरइयाणं भंते ! कि अणुसेदि गती पवत्तति ? विसेढि गती पवत्तति ? एवं
चेव । एवं जाव वेमाणियाणं ।। निरयावास-पदं ६५. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा
पण्णत्ता ?
१. ° पुग्गलाणं (अ)।
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पंचवीसइमं सतं (तइओ उद्देपो)
११५ गोयमा ! तीसं निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता, एवं जहा पढमसते पंचमुद्देसए
जाव' अणुत्तरविमाण' त्ति ।। गणिपिडय-पदं ६६. कतिविहे ण भंते ! गणिपिडए पण्णत्ते ?
गोयमा ! दुवालसंगे गणिपिडए पण्णत्ते, तं जहा---पायारो जाव' दिट्टिवायो । ६७. से किं तं पायारो ? अायारे णं समणाणं निग्गंथाणं आयार-गोयर-विणय
वेणइय-सिक्खा-भासा-अभासा-चरण-करण-जाया-माया-वित्तीग्रो प्राविज्जति, एवं अंगपरूवणा भाणियब्वा जहा नंदीए जाव---
सुत्तत्थो खलु पढमो, बीअो निज्जुत्तिमीसम्रो भणियो ।
तइनो य निरवसेसो, एस विही होइ अणुअोगे ॥१॥ अप्पाबहुय-पदं ६८. एएसि णं भंते ! नेरइयाणं जाव देवाणं सिद्धाण य पंचगतिसमासेणं कयरे
कयरेहितो ५ अप्पा वा ? बहया वा? तल्ला वा? विसेसाहिया वा ? ०
गोयमा ! अप्पाबहुयं जहा बहुवत्तव्वयाए, अगतिसमासप्पाबहुगं च ॥ ६६. एएसि णं भंते ! सइंदियाणं, एगिदियाणं जाव अणिदियाण य कयरे कयरेहितो
अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? एयं पि जहा बहुवत्तव्वयाए तहेव प्रोहियं पयं भाणियव्वं, सकाइयअप्पाबहुगं तहेव प्रोहियं
भाणियब्वं ॥ १००. एएसिणं भंते ! जीवाणं पोग्गलाणं अद्धासमयाणं सव्वदव्वाणं सव्वपदेसाणं०
सव्वपज्जवाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ?
विसेसाहिया वा ? जहा बहुवत्तव्वयाए । १०१. एएसिणं भंते ! जीवाणं, पाउयस्स कम्मस्स बंधगाणं प्रबंधगाणं ? जहा
बहुवत्तव्वयाए जाव" ग्राउयस्स कम्मस्स प्रबंधगा विसेसाहिया । १०२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
१. भ० १।२१२-२१५ । २. एगा अणु ° (अ)। ३. भ० २०७५ । ४. नंदी सू० ८१-१२७ । ५. सं० पाo-~-पुच्छा ! ६. प०३। ७. समाअप्पा ० (ता, ब, म)।
८. सकायअप्पा (ब)। ६. प० ३। १०. सं० पा०-पोग्गलाणं जाव सव्वपज्जवारण ।
अस्य पूर्ति: प्रज्ञापनाया: तृतीयपदात् कृता, वृत्तौ किञ्चिदभेदो लभ्यते-इह यावत्कर
णादिदं दश्यं-'समयाणं दव्वाणं पएसाणं' ति। ११. प० ३।
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६१६
भगवई चउत्थो उद्देसो जुम्म-पदं १०३. कति णं भंते ! जुम्मा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा-कडजुम्मे जाव' कलियोगे ।। १०४. से केणटेणं भंते ! एवं बच्चइ-चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता-कडजुम्मे जाव
कलियोगे? एवं जहा अट्ठारसमसते चउत्थे उद्देसए तहेव जाव' से तेणटेणं
गोयमा ! एवं वच्चइ॥ १०५. नेरइयाणं भंते ! कति जुम्मा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा –कडजुम्मे जाव कलियोगे । १०६. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ -नेरइयाणं चत्तारि जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा --
कडजुम्मे ? अट्ठो तहेव । एवं जाव वाउकाइयाणं ॥ १०७. वणस्सइकाइयाणं भंते ! ---पुच्छा।
गोयमा ! वणस्सइकाइया सिय कडजुम्मा, सिय तेयोगा, सिय दावरजुम्मा,
सिय कलियोगा। १०८. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-वणस्सइकाइया जाव कलियोगा?
गोयमा ! उववायं पडुच्च । से तेण?णं तं चेव । बेंदियाणं जहा नेरइयाणं ।
एवं जाव वेमाणियाणं । सिद्धाणं जहा वणस्सइकाइयाणं ।। १०६. कतिविहा णं भंते ! सव्वदव्वा पण्णत्ता ?
गोयमा ! छविहा सव्वदचा पण्णता, तं जहा-धम्मत्थिकाए, अधम्मत्थिकाए
जाव अद्धासमए । ११०. धम्मत्थिकाए णं भंते ! दवट्ठयाए किं कडजुम्मे जाव कलियोगे ?
गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, कलियोगे। एवं अधम्मत्थि
काए वि । एवं आगासत्थिकाए वि ।। १११.
जीवत्थिकाए णं भंते ! ---पुच्छा। गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे ।। पोग्गलत्थिकाए णं भंते ! --पुच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे । अद्धासमए जहा जीवत्थिकाए। धम्मत्थिकाए णं भंते ! पदेसट्ठयाए किं कडजुम्मे पुच्छा । गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे। एवं जाव प्रद्धासमए॥
१. भ० २५१५४ ।
२. भ० १८१६० ।
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पंचवीसइम सतं (चउत्थो उद्देसो)
६१७ ११४. एएसि णं भंते ! धम्मत्थिकाय-अधम्मत्थिकाय जाव अद्धासमयाणं दवट्ठ
याए ०? एएसि णं अप्पाबहुगं जहा' बहुवत्तव्वयाए तहेव निरवसेसं ॥ ११५. धम्मत्थिकाए णं भंते ! किं प्रोगाढे ? अणोगाढे ?
गोयमा ! प्रोगाढे, नो अणोगाढे ॥ जइ प्रोगाढे किं संखेज्जपदेसोगाढे ? असंखेज्जपदेसोगाढे ? अणंतपदेसोगाढे ?
गोयमा ! नो संखेज्जपदेसोगाढे, असंखेज्जपदेसोगाढे, नो अणंतपदेसोगाढे ॥ ११७. जइ असंखेज्जपदेसोगाढे कि कडजुम्मपदेसोगाढे-पुच्छा।
गोयमा ! कडजम्मपदेसोगाढे, नो तेयोगपदेसोगाढे, नो दावरजुम्मपदेसोगाढे, नो कलियोगपदेसोगाढे । एवं अधम्मत्थिकाए वि । एवं आगासत्थिकाए वि।
जीवत्थिकाए, पोग्गलत्थिकाए, अद्धासमए एवं चेव ।। ११८. इमा णं भंते ! रयणप्पभा पुढवी किं प्रोगाढा ? अणोगाढा ? जहेव धम्म
त्थिकाए । एवं जाव अहेसत्तमा । सोहम्मे एवं चेव । एवं जाव ईसिपब्भारा
पुढवी ॥ ११६. जीवे णं भंते ! दवट्ठयाए कि कडजुम्मे - पुच्छा।
गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, कलियोगे । एवं नेरइए वि । एवं जाव सिद्धे ॥ जीवा णं भंते ! दव्वट्ठयाए कि कडजुम्मा--पुच्छा। गोयमा ! अोघादेसेणं कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा;
विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा ।। १२१. नेरइया णं भंते ! दवट्ठयाए-पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं नो
कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा । एवं जाव सिद्धा ॥ १२२. जीवे णं भंते ! पदेसट्टयाए कि कडजुम्मे पुच्छा।
गोयमा ! जीवपदेसे पडुच्च कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे। सरीरपदेसे पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे । एवं जाव
वेमाणिए । १२३. सिद्धे णं भंते ! पदेसट्टयाए किं कडजुम्मे ----पुच्छा।
गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे ।। १२४. जीवा णं भंते ! पदेसट्टयाए कि कडजुम्मा---पुच्छा।
गोयमा ! जीवपदेसे पडुच्च अोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा। सरीरपदेसे पडुच्च प्रोधादेसेणं सिय
१२०.
१. प०३।
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११८
भगवई
__ कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलियोगा
वि । एवं ने रइया वि । एवं जाव वेमाणिया ।। १२५. सिद्धा णं भंते ! –पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा ।। जीवे ण भते ! कि कडजम्मपदेसोगाढे-पूच्छा। गोयमा ! सिय कडजुम्मपदेसोगाढे जाव सिय कलियोगपदेसोगाढे। एवं
जाव सिद्धे ।। १२७. जीवा णं भंते ! कि कडजुम्मपदेसोगाढा-पुच्छा।
गोयमा ! अोवादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा; विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा
वि जाव कलियोगपदेसोगाढा वि ॥ १२८. नेरइयाणं-पुच्छा।
गोयमा ! ग्रोधादेसेणं सिय कडजम्मपदेसोगाढा जाव सिय कलियोगपदेसोगाढा; विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि जाव कलियोगपदेसोगाढा वि । एवं 'एगिदिय-सिद्धवज्जा सव्वे वि'' । सिद्धा एगिदिया य जहा जीवा ॥ जीवे णं भंते ! कि कडजुम्मसमयट्टितीए-पुच्छा।। गोयमा! कडजुम्मसमयट्टितीए, नो तेयोगसमयट्टितीए, नो दावरजुम्मसमयट्टितीए,
नो कलियोगसमयट्टितीए ॥ १३०. नेरइए णं भते !-पुच्छा।
गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयट्टितीए जाव सिय कलियोगसमयद्वितीए । एवं
जाव वेमाणिए । सिद्धे जहा जीवे ।। १३१. जीवा णं भंते ! ---पूच्छा। - गोयमा ! ओघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मसमयद्वितीया, नो तेयोग
समयद्वितीया, नो दावरजम्मसमयट्टितीया, नो कलियोगसमयद्वितीया । १३२. नेरइयाणं-पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोगसमयद्वितीया वि; विहाणादेसेणं कडजुम्मसमयद्वितीया वि जाव कलियोगसमय
द्वितीया वि । एवं जाव वेमाणिया । सिद्धा जहा जीवा ।। १३३. जीवे णं भंते ! कालावण्णपज्जवेहि किं कडजुम्मे-पुच्छा।
गोयमा ! जीवपदेसे पडुच्च नो कडजुम्मे जाव नो कलियोगे । सरीरपदेसे
१२६.
१. एगिदियवज्जा जाव (क, ता, ब) ।
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पंचवीसइमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
६१६ पडुच्च सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे। एवं जाव वेमाणिए । सिद्धो ण
चेव' पुच्छिज्जति ॥ १३४. जीवा णं भंते ! कालावण्णपज्जवेहिं -पुच्छा।
गोयमा ! जीवपदेसे पडुच्च अोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि नो कडजुम्मा जाव नो कलियोगा। सरोरपदेसे पडच्च ओघादसेणं सिय कडजम्मा जिाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलियोगा वि । एवं जाव वेमाणिया। एवं नीलावण्णपज्जवेहि दंडग्रो भाणियव्वो एगत्तपुहत्तेणं । एवं
जाव लुक्खफासपज्जवेहिं ।। १३५. जीवे णं भंते ! आभिणिबोहियनाणपज्जवेहिं किं कडजुम्मे पुच्छा।
गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे। एवं एगिदियवज्जं जाव
वेमाणिए । १३६. जीवा णं भंते ! आभिणिबोहियनाणपज्जवेहि --- पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, विहाणादेसेणं कडजम्मा वि जाव कलियोगा वि । एवं एगिदियवज्जं जाव वेमाणिया। एवं सुयनाणपज्जवेहि वि । प्रोहिनाणपज्जवेहि वि एवं चेव, नवरं-विगलि दियाणं नत्थि प्रोहिनाणं। मणपज्जवनाणं पि एवं चेव, नवरं-जीवाणं मणुस्साण य,
सेसाणं नत्थि ।। १३७. जीवे णं भंते ! केवलनाणपज्जवेहि किं कडजुम्मे - पुच्छा।
गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे। एवं मणुस्से
वि । एवं सिद्धे वि ।। १३८. जीवा णं भंते ! केवल नाणपज्जवेहिं किं कडजुम्मा--पुच्छा ।
गोयमा ! अोघादेसेण वि विहाणादेसेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावर
जुम्मा, नो कलियोगा। एवं मणुस्सा वि । एवं सिद्धा वि । १३६. जीवे णं भंते ! मइअण्णाणपज्जवेहिं कि कडजुम्मे० ? जहा आभिणिबोहिय
नाणपज्जवेहि तहेव दो दंडगा । एवं सुयअण्णाणपज्जवेहि वि । एवं विभंगनाणपज्जवेहि वि। चक्खुदंसण-अचक्खुदंसण-प्रोहिदसणपज्जवेहि वि एवं चेव, नवरं-जस्स जं अत्थि तं भाणियव्वं । केवलदसणपज्जवेहिं जहा केवलनाण
पज्जवेहिं ।। सरीर-पदं १४०. कति णं भंते ! सरीरगा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंच सरीरगा पण्णत्ता, तं जहा-ओरालिए जाव कम्मए । एत्थ
सरीरगपदं निरवसेसं भाणियव्वं जहा' पण्णवणाए । १. लुक्खाफास ° (ता)।
३. प०१२। २. पज्जवेहिं (ता, स)।
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सेय-निरेय-पदं
१४१. जीवा णं भंते ! कि सेया ? निरेया ?
गोयमा ! जीवा सेया वि, निरेया वि ॥
१४२. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ जीवा सेया वि, निरेया वि ?
गोयमा ! जीवा दुविहा पण्णत्ता, तं जहा संसारसमावण्णगा य, ग्रसंसारसमावण्णगा" य । तत्थ गं जे ते प्रसंसारसमावण्णगा ते णं सिद्धा । सिद्धा णं दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - प्रणंतरसिद्धा य परंपरसिद्धा य । तत्थ णं जे ते परंपरसिद्धा ते णं निरेया । तत्थ गं जे ते ग्रणंतरसिद्धा ते गं सेया ॥ १४३. ते णं भंते ! किं देसेया ? सव्वेया ?
गोमा ! नो देसेया, सव्वेया । तत्थ णं जे ते संसारसमावण्णगा ते दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- सेलेसिपडिवण्णगा य असेले सिपडिवण्णगा य । तत्थ णं जे ते सेलोसिपडिवण्णगा ते णं निरेया, तत्थ णं जे ते असेलेसी पडिवण्णगा ते णं सेया ॥
१४४. ते णं भंते ! कि देसेया ? सव्वेया ?
गोमा ! दसेया वि, सव्वेया वि । से तेणट्टेणं' गोयमा ! एवं वच्चइ - जीवा सेया वि, निरेया वि ॥
१४५. नेरइया णं भंते ! कि देसेया ? सव्वेया ?
गोयमा ! देसेया वि, सव्वेया वि ॥
१४६. से केणट्टेणं जाव सव्वेया वि ?
गोयमा ! नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - विग्गहगतिसमावण्णगा य विग्गहगतिसमावण्णगा य । तत्थ णं जे ते विग्गहगतिसमावण्णगा ते णं सब्वेया, तत्थ णं जे ते श्रविग्गहगतिसमावण्णगा ते णं देसेया । से तेणट्टेणं जाव सव्वेया वि । एवं जाव वेमाणिया ||
पोग्गल - पदं
१४७. परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि संखेज्जा ? श्रसंखेज्जा ? ग्रणंता ?
गोयमा ! नो संखेज्जा, नो असंखेज्जा, अनंता । एवं जाव प्रणतपदेसिया खंधा ॥
१४८. एगपदेसोगाढा णं भंते ! पोग्गला कि संखेज्जा ? असंखेज्जा ? अनंता ? एवं चेव । एवं जाव असंखेज्जपद सोगाढा ||
१. असंसारसमावण्णगा य संसार ० (ता) |
२. सं० पा० - तेणं जाव निरेया ।
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पंचवीस इमं सत (चउत्थो उद्देसो)
ह२१
१४. एगसमयद्वितीया णं भंते! पोग्गला कि संखेज्जा ० ? एवं चेव । एवं जाव संखेज्जसमयद्वितीया ॥
१५०. एगगुणकालगा णं भंते! पोग्गला किं संखेज्जा ० ? एवं चेव । एवं जाव प्रणंतगुणकालगा । एवं अवसेसा वि वण्णगंधरसफासा नेयव्वा जाव प्रणतगुणलुक्खति ॥
१५१. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं दुपदेसियाण य खंधाणं दव्वट्टयाए कयरे करेहितो बहुया' ?
गोमा ! दुपदेसिएहितो खंधे हितो परमाणुपोग्गला दव्वट्टयाए बहुया || १५२. एएसि णं भंते ! दुपदेसियाणं तिपदेसियाण य खंधाणं दव्वट्टयाए कयरे करेहितो बहु
गोयमा ! तिपदेसिएहितो खंधेहितो दुपदेसिया बंधा दव्वट्टयाए बहुया । एवं एएणं गमएणं जाव दसपदेसिएहिंतो खंधेहिंतो नवपदेसिया खंधा दव्वट्टयाए बहुया ॥
१५३. एएसि णं भंते ! दसपदेसियाणं पुच्छा ।
गोमा ! दसपदेसिएहितो खंधेहिंतो संखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्टयाए बहुया ॥ १५४. एएसि णं भंते ! संखेज्जपदेसियाणं- पुच्छा ।
गोयमा ! संखेज्जपदेसिए हितो खंधेहितो असंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्टयाए बहुया ॥
१५५. एएसि णं भंते ! प्रसंखेज्जपदेसियाणं पुच्छा ।
गोमा ! प्रणतपदेसिएहितो खंधेहितो प्रसंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्टयाए बहुया ॥
१५६. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं दुपदेसियाण य खंधाणं पदेसट्टयाए करे करेहितो बहुया ?
गोयमा ! परमाणुपोग्गले हितो दुपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए बहुया । एवं एएणं गमणं जाव नवपदेसिएहिंतो खंधेहितो दसपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए बहुया । एवं सव्वत्थ' पुच्छियव्वं । दसपदेसिएहिंतो खंधेहितो संखेज्जपदेसिया खंधा पट्टयाए बहुया । संखेज्जपदेसिएहितो खंधेहितो असंखेज्जपदेसिया खंधा पट्टयाए बहुया ||
१५७. एएसि णं भंते ! असंखेज्जपदेसियाणं - पुच्छा ।
गोयमा ! अणतपदेसिएहितो खंधेहितो प्रसंखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए बहुया ॥
१. अप्पा वा बहुया वा ( स ) ।
२. सम्वत्थवि (म) |
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२२
भगवई
१५८. एएसि णं भंते ! एगपदेसोगाढाणं दुपदेसोगाढाण य पोग्गलाणं दव्वट्टयाए कयरे करेहिंतो' विसेसाहिया ?
गोमा ! दुपदेसोगाढेहिंतो पोग्गलेहिंतो एगपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए विसेसाहिया । एवं एएणं गमएणं तिपदेसोगाढेहितो पोग्गलेहितो दुपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए विसेसाहिया जाव दसपदेसोगाढेहितो पोग्गलेहितो नवपदेसोगाढा पोलादट्टयाए विसेसाहिया । दसपदेसोगाढेहिंतो पोग्गले हितो संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए बहुया । संखेज्जपदेसोगाढेहिंतो पोग्गले हिंतो ग्रसंखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए बहुया । पुच्छा सव्वत्थ भाणियव्वा || १५६. एएसि णं भंते ! एगपदेसोगाढाणं दुपदेसोगाढाण य पोग्गलाणं पदेसट्टयाए
करे करेहिंतो विसेसाहिया ?
गोयमा ! एगपदेसोगाढेहिंतो पोग्गलेहितो दुपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए विसेसाहिया । एवं जाव नवपदेसोगाढे हिंतो पोग्गलेहितो दसपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए विसेसाहिया । दसपदेसोगाढेहितो पोग्गलेहितो संखेज्जपदेसोगाढा पोला पट्टयाए बहुया । संखेज्जपदेसोगाढेहितो पोग्गलेहितो असंखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए बहुया ||
१६०. एएसि णं भंते ! एगसमयद्वितीयाणं दुसमयद्वितीयाण य पोग्गलाणं दव्वट्टयाए० ? जहा प्रोगाहणाए वत्तव्वया एवं ठितीए वि ॥
१६१. एएसि णं भंते ! एगगुणकालगाणं दुगुणकालगाण य पोग्गलाणं दव्वट्टयाए० ? एसि णं जहा परमाणुपोग्गलादीणं तहेव वत्तव्वया निरवसेसा । एवं सव्वेसि वण-गंध-रसाणं |
१६२. एएसि णं भंते ! एगगुणकक्खडाणं दुगुणकक्खडाण यपोग्गलाणं दव्वट्टयाए कयरे कयरेहिंतो विसेसाहिया" ?
गोयमा ! एगगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो दुगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए विसेसाहिया । एवं जाव नवगुणकक्खडेहिंतो पोग्गलेहिंतो दसगुणकक्खडा पोला दव्वट्टयाए विसेसाहिया । दसगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए बहुया । संखेज्जगुणकक्खडेहितो पोग्गलेहितो असंखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए बहुया । श्रसंखेज्जगुणकक्खडेहिंतो पोग्गलेहिंतो अणंतगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्टयाए बहुया । एवं पदेसट्टयाए वि' । सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा । जहा कक्खडा एवं मउय - गरुय - लहुया वि । सीय - उसिण निद्ध - लुक्खा जहा वण्णा ।
१. कयरेहितो जाव (ता, स ) ।
२. विसेसाहिया वा ( अ, क, ख, ता, ब, म, स ) । ३. जाव विसेसाहिया वा ( अ, ता, स) ।
४. निरवसेसं ( अ, ता) | ५. जाव विसेसाहिया (ता) | ६. X ( अ ) ।
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पंचवीसइमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
१२३ १६३. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं, संखेज्जपदेसियाणं, असंखेज्जपदेसियाणं,
अणंतपदेसियाण य खंधाणं दबट्ठयाए, पदेसट्टयाए, दवट्ठ-पदेसट्टयाए कयरे कय रेहितो 'अप्पा वा ? बहया वा? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा! सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा दव्वदयाए, परमाणपोग्गला दव्वदयाए अणंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा । पदेसट्टयाए--- सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए, परमाणुपोग्गला अपदेसट्ठयाए अणंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा। दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए--सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए, 'ते चेव' पदेसट्टयाए अणंतगुणा, परमाणुपोग्गला दबट्ठ-पदेसट्ठयाए अणंतगुणा, संखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसिया खंधा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा। एएसि णं भंते ! एगपदेसोगाढाणं, संखेज्जपदेसोगाढाणं, असंखेज्जपदेसोगाढाण य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए, पदेसट्टयाए, दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा? बहया वा? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पोग्गला दव्वदयाए, संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्याए संखेज्जगणा, असंखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दवट्याए असंखेज्जगुणा । पदेसट्टयाए-सव्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पोग्गला अपदेसट्टयाए, संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा, असंखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा । दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए- सव्वत्थोवा एगपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्ठ-अपदेसट्टयाए, संखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा । असंखेज्जपदेसोगाढा पोग्गला
दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा ॥ १६५. एएसि णं भंते ! एगसमयद्वितीयाणं, संखेज्जसमयद्वितीयाणं, असंखेज्जसमय
द्वितीयाण य पोग्गलाणं० ? जहा अोगाहणाए तहा ठितीए वि भाणियव्वं
अप्पाबहगं ।। १६६. एएसि णं भंते ! एगगुणकालगाणं, संखेज्जगुणकालगाणं, असंखेज्जगुणकालगाणं,
अणंतगुणकालगाण य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए, पदेसट्ठयाए, दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए कयरे कयरेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ? एएसिं जहा परमाणुपोग्गलाणं अप्पाबहुगं तहा एएसि पि अप्पाबहुगं । एवं सेसाण वि वण्ण-गंध-रसाणं ।।
३. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
१. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २. तेच्चेव (ता)।
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૨૨૪
भगवई
१६७. एएसि णं भंते ! एगगुणकक्खडाणं, संखेज्जगुणकक्खडाणं, असंखेज्जगुणकक्ख
डाणं, अणंतगुणकक्खडाण य पोग्गलाणं दव्वट्ठयाए, पदेसट्टयाए, दव्वट्ठ-पदेस?याए कयरे कयरेहितो' अप्पा वा? बहुया वा? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोग्गला दवट्ठयाए, संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा, असखेज्जगुणकवखडा पोग्गला दवट्ठयाए असंखेज्जगुणा, अणंतगुणकक्खडा पोग्गला दब्वट्ठयाए अणंतगुणा। पदेसट्टयाए एवं चेव, नवरं---संखेज्जगुणकवखडा पोग्गला पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा। सेसं तं चेव । दब्वट्ठ-पदेसट्ठयाए-सव्वत्थोवा एगगुणकक्खडा पोरगला दव्वट्ठ-पदेसट्ठयाए । संखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दबट्टयाए संखेज्जगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा । असंखेज्जगुणकक्खडा पोग्गला दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, ते व पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा । अणतगुणकवखडा पोग्गला दवट्ठयाए अणंतगुणा, ते चेव पदेसट्टयाए अणंतगुणा । एवं मउय-गरुय-लहुयाण वि अप्पाबहुयं । सीय
उसिण-निद्ध-लुक्खाणं तहा वण्णाणं तहेव ।। १६८. परमाणुपोग्गले णं भंते ! दव्वट्ठयाए कि कडजुम्मे ? तेयोए ? दावर जुम्मे ?
कलियोगे? गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो ते योगे, नो दाव रजुम्मे, कलियोगे। एवं जाव अणंत
पदेसिए खंधे॥ १६६. परमाणुपोग्गला णं भते ! दवट्ठयाए कि कडजुम्मा- पुच्छा ।
गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा। एवं जाव अणंतपदेसिया
खंधा ।। १७०. परमाणुपोग्गले णं भंते ! पदेसट्ठयाए कि कडजुम्मे-- पुच्छा।
गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो ते योगे, नो दावरजुम्मे, कलियोगे ।। १७१. दुपदेसिय–पुच्छा ।।
गोयमा ! नो कडजुम्मे, नो तेयोगे, दावरजुम्मे, नो कलियोगे । १७२. तिपदेसिए–पुच्छा।
गोयमा ! नो कडजुम्मे, तेयोगे, नो दावरजुम्मे, नो कलियोगे ॥ १७३. चउप्पदेसिए-पुच्छा।
गोयमा ! कडजुम्मे, नो तेयोगे, नो दावर जुम्मे, नो कलियोगे। पंचपदेसिए जहा परमाणुपोग्गले । छप्पदसिए जहा दुप्पदेसिए । सत्तपदेसिए जहा
१. सं० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
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पचवीस इमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
९२५ तिपदेसिए । अट्ठपदेसिए जहा चउप्पदेसिए । नवपदेसिए जहा परमाणुपोग्गले ।
दसपदेसिए जहा दुप्पदेसिए॥ १७४. संखेज्जपदेसिए णं भंते ! पोग्गले --- पुच्छा।
गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे। एवं असंखेज्जपदेसिए वि,
अणंतपदेसिए वि ॥ १७५. परमाणुपोग्गला णं भंते ! पदेसट्ठयाए कि कडजुम्मा पुच्छा।
गोयमा ! अोधादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं
नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, कलियोगा। १७६. दुप्पदेसिया णं---पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कडजुम्मा, नो ते योगा, सिय दावरजुम्मा, नो कलियोगा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मा, नो तेयोगा, दावरजम्मा, नो कलि
योगा । १७७. तिपदेसिया णं - पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं नो
कडजुम्मा, तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा। १७८. चउप्पदेसिया णं-पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेण वि विहाणादे सेण वि कडजुम्मा, नो तेयोगा, नो दावरजुम्मा, नो कलियोगा। पंचपदेसिया जहा परमाणुपोग्गला। छप्पदेसिया जहा दुप्पदेसिया । सत्तपदेसिया जहा तिपदेसिया। अट्रपदेसिया जहा चउपदेसिया। नवपदेसिया जहा परमाणुपोग्गला। दसपदेसिया जहा दुपदेसिय।।। संखेज्जपदेसिया णं--पुच्छा। गोयमा ! ओघादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं कड
जुम्मा वि जाव कलियोगा वि । एवं असंखेज्जपदेसिया वि, अणंतपदेसिया वि ।। १८०. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं कडजुम्मपदेसोगाढे -- पुच्छा।
गोयमा ! नो कडजुम्मपदेसोगाढे, नो तेयोगपदेसोगाढे, नो दावरजुम्मपदेसो
गाढे, कलियोगपदेसोगाढे ।। १८१. दुपदेसिए णं-पुच्छा।
गोयमा ! नो कडजुम्मपदेसोगाढे, नो तेयोगपदेसोगाढे, सिय दावरजुम्मपदेसो
गाढे, सिय कलियोगपदेसोगाढे ।। १८२. तिपदेसिए णं-पुच्छा।
गोयमा ! नो कडजुम्मपदेसोगाढे, सिय तेयोगपदेसोगाढे, सिय दावरजुम्मपदेसो
गाढे, सिय कलियोगपदेसोगाढे ।। १८३. चउप्पदेसिए णं-पुच्छा।
१७६.
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१२६
भगवई गोयमा ! सिय कडजुम्मपदेसोगाढे जाव सिय कलियोगपदेसोगाढे । एवं जाव
अणंतपदेसिए। १८४. परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं कडजुम्मपदेसोगाढा-पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपदेसो
गाढा. नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, कलियोगपदसोगाढा ।। १८५. दुप्पदेसिया णं-पुच्छा।
गोयमा ! ओघादेसेणं कड जुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा; विहाणादेसेणं नो कडजुम्मपदेसोगाढा,
नो तेयोगपदेसोगाढा, दावरजुम्मपदेसोगाढा वि, कलियोगपदेसोगाढा वि ।। १८६. तिप्पदेसिया णं-पुच्छा।
गोयमा! ओघादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा; विहाणादसेणं नो कडजुम्मपदेसोगाढा, तेयोगपदेसोगाढा वि, दावरजुम्मपदेसोगाढा वि, कलियोगपदेसोगाढा वि ।। चउप्पदेसिया णं-पुच्छा। गोयमा ! अोघादसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा, नो तेयोगपदेसोगाढा, नो दावरजुम्मपदेसोगाढा, नो कलियोगपदेसोगाढा; विहाणादेसेणं कडजुम्मपदेसोगाढा वि
जाव कलियोगपदेसोगाढा वि । एवं जाव अणंतपदेसिया ॥ १८८. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं कडजुम्मसमयद्वितीए—पुच्छा।
गोयमा ! सिय कडजुम्मसमयद्वितीए जाव सिय कलियोगसमयद्वितीए। एवं
जाव अणंतपदेसिए । १८६. परमाणुपोग्गला णं भंते ! किं कडजुम्म –पुच्छा।
गोयमा ! अोघादेसेणं सिय कडजुम्मसमयद्वितीया जाव सिय कलियोगसमयद्वितीया; विहाणादेसेणं कड जुम्मसमय द्वितीया वि जाव कलियोगसमयद्वितीया
वि । एवं जाव अणंतपदेसिया ॥ १६०. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कालावण्णपज्जवेहिं कि कडजुम्मे ? तेयोगे ? जहा
ठितीए वत्तव्वया एवं वण्णेसु वि सव्वेसु । गंधेसु वि एवं चेव । रसेसु वि जाव
महुरो रसो त्ति ॥ १६१. अणंतपदेसिए णं भंते ! खंधे कक्खडफासपज्जवेहि किं कडजुम्मे --पुच्छा।
गोयमा ! सिय कडजुम्मे जाव सिय कलियोगे ।। १६२. अणंतपदेसिया णं भंते ! खंधा कक्खडफासपज्जवेहि किं कडजुम्मा-पुच्छा।
गोयमा ! प्रोधादेसेणं सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा; विहाणादेसेणं कडजुम्मा वि जाव कलियोगा वि । एवं मउय-गरुय-लहुया वि भाणियव्वा । सीय-उसिण-निद्ध-लुक्खा जहा वण्णा ॥
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पंचवीसइमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
६२७ १६३. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं सड्ढे ? अणड्ढे ?
गोयमा नो सड्ढे, अणड्ढे ।। १६४. दुपदेसिए णं-पुच्छा।
गोयमा ! सड्ढे, नो अणड्ढे । तिपदेसिए जहा परमाणुपोग्गले । चउपदेसिए जहा दुपदेसिए । पंचपदेसिए जहा तिपदेसिए। छप्पदेसिए जहा दुपदेसिए । सत्तपदेसिए जहा तिपदेसिए । अट्ठपदेसिए जहा दुपदेसिए । नवपदेसिए जहा
तिपदेसिए । दसपदेसिए जहा दुपदेसिए । १६५. संखेज्जपदेसिए णं भंते ! खंधे-पुच्छा।
गोयमा ! सिय सड्ढे, सिय अणड्ढे । एवं असंखेज्जपदेसिए वि । एवं अणंतपदे
सिए वि ।। १६६. परमाणुपोग्गला णं अंते ! कि सड्ढा' ? अणड्ढा ?
गोयमा ! सड्ढा वा, अणड्ढा वा । एवं जाव अणंतपदेसिया ।। १६७. परमाणुपोग्गले णं भंते ! कि सेए ? निरेए ?
गोयमा ! सिय सेए, सिय निरेए । एवं जाव अणंतपदेसिए । परमाणुपोग्गला णं भंते ! कि सेया ? निरेया ?
गोयमा ! सेया वि, निरेया वि । एवं जाव अणंतपदेसिया ।। १६६. परमाणपोग्गले णं भंते ! सेए कालग्रो केवच्चिरं होइ ?
दण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं आवलियाए असंखेज्जइभागं ।। २००. परमाणुपोग्गले णं भंते ! निरेए कालो केवच्चिरं होइ?
गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समय, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । एवं जाव
अणंतपदेसिए॥ २०१. परमाणुपोग्गला णं भंते ! सेया कालग्रो केवच्चिरं होंति ?
गोयमा ! सव्वद्धं ॥ २०२. परमाणुपोग्गला णं भंते ! निरेया कालो केवच्चिरं होंति ?
गोयमा ! सव्वद्ध । एवं जाव अणंतपदेसिया ।। २०३. परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! सेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ?
गोयमा ! सट्टाणतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं ।
परट्टाणंतरं पडुच्च जहणणं एक्कं समय, उक्कोसेणं असंखेज्ज कालं ।। २०४. निरेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ?
गोयमा ! सदाणंतरं पडुच्च जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं । परट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं ॥
१६८.
१. साढा (ख, ता)।
२. केवचिरं (अ, क, ख, म)।
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६२८
भगवई
२०५. दुपदेसियस्स णं भंते ! खंधस्स सेयस्स-पुच्छा ।
गोयमा ! सट्टाणंतरं पडुच्च जहणणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं असंखेज कालं।
परट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अणंतं कालं ।। २०६. निरेयस्स केवतियं कालं अंतर होइ ?
गोयमा ! सट्टाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं । परट्ठाणंतरं पडुच्च जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अणंतं
कालं । एवं जाव अगंतपदेसियस्स ।। २०७. परमाणुपोग्गलाणं भंते ! सेयाणं केवतियं कालं अंतरं होइ ?
गोयमा ! नत्थि अंतरं ।। २०८. निरेयाणं केवतियं कालं अंतरं होइ ?
गोयमा ! नत्थि अंतरं । एवं जाव अणंतपदेसियाणं खंधाणं ।। एएसि णं भंते ! परमाणपोग्गलाणं सेयाणं निरेयाण य कयरे कयरेहितो' अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा परमाणुपोग्गला सेया, निरेया असंखेज्जगुणा। एवं जाव
असंखेज्जपदेसियाणं खंधाणं ।। २१०. एएसि णं भंते ! अणंतपदेसियाणं खंधाणं सेयाणं निरेयाण य कयरे कयरेहितो
अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा निरेया, सेया अणंतगुणा ॥ २११. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं, संखेज्जपदेसियाणं, असखेज्जपदेसियाणं,
अणंतपदेसियाण य खंधाणं सेयाणं निरेयाण य दव्वट्ठयाए, पदेसट्टयाए, दव्वठ्ठपदेसट्टयाए कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ' विसेसाहिया वा? गोयमा ! १. सव्वत्थोवा अणंतपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए २. अणंतपदेसिया खंधा सेया दव्वद्र्याए अणंतगुणा ३. परमाणपोग्गला सेया दवट्टयाए अणंतगुणा ४. संखेज्जपदेसिया खंधा सेया दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा ५. असंखेज्जपोसया खधा सेया दब्वट्रयाए असखज्जगणा ६. परमाणपोग्गला निरेया दव्वद्वयाए असंखेज्जगुणा ७. संखेज्जपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्ठयाए संखज्जगणा८. असंखेज्जपदेसिया खंधा निरेया दव्वदयाए असंखेज्जगणा। पदेसट्याए एवं चेव, नवरं-परमाणुगोग्गला अपदेसट्टयाए भाणियब्वा । संखज्जपदेसिया खंधा निरेया पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा। सेसं तं चेव । दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए - १. सव्वत्थोवा अणतपदेसिया खंधा निरेया दवट्ठयाए २. ते चेव पदेसट्टयाए
१. सं० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया। २. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
३. सं० पा०-कयरेहितो जाय विसेसाहिया। ४. असंखेज्जगुणा (ख, ता)।
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पंचवीसइमं मतं (चउत्थो उद्देसो)
अनंतगुणा ३. श्रणंतपदेसिया खंधा सेया दव्वट्टयाए प्रणतगुणा ४. ते चेव पदेसट्टया प्रणतगुणा ५. परमाणुपोग्गला सेया दव्वट्ट-अपदेसट्टयाए प्रणतगुणा ६. संखेज्जपदेसिया खंधा सेया दव्वट्टयाए श्रसंखेज्जगुणा ७. ते चेव पदेसट्टयाए प्रसंखेज्जगुणा ८. ग्रसंखेज्जपदेसिया खंधा सेया दव्वट्टयाए प्रसंखेज्जगुणा ६. ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा १० परमाणुपोग्गला निरेया दव्वपट्टयाए असंखेज्जगुणा ११. संसेज्जपदेसिया संधा निरेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा १२. ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा १३. प्रसंखेज्जपदेसिया धा निरेया दट्टयाए ग्रसंखेज्जगुणा १४. ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा ॥
२१२. परमाणुपोग्गले णं भंते ! किं देसेए ? सव्वेए ? निरेए ?
गोमा ! नो देसे, सिय सव्वेए, सिय निरेए ।
२१३. दुपदेसिए णं भंते ! खंधे - पुच्छा |
गोयमा ! सिय देसेए, सिय सव्वेए, सिए निरेए। एवं जाव प्रणतपदेसिए || २१४. परमाणुपोग्गला गं भंते ! किं देतेया ? सव्वेया ? निरेया ? गोयमा ! नो देसेया, सव्वेया वि, निरेया वि ॥
२१५. दुपदेसिया णं भंते ! खंधा - पुच्छा |
गोमा ! देसेया वि, सव्वेया वि, निरेया वि । एवं जाव प्रणतपदेसिया || २१६. परमाणुपोग्गले णं भंते ! सव्वेए कालो केवच्चिरं होइ ?
गोमा ! जहणणं एक्कं समयं उक्कोसेणं ग्रावलियाए श्रसंखेज्जइभागं ॥ २१७. निरेए कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्को सेणं श्रसंखेज्जं कालं ॥ २१८. दुपदेसिए णं भंते ! खंधे देसेए कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं ग्रावलियाए प्रसंखेज्जइभागं ॥ २१६ सव्वे कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं ॥ २२०. निरेए कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । एवं जाव अनंतपदेसिए ||
२२१. परमाणुपोग्गला णं भंते ! सव्वेया कालओ केवच्चिरं होंति ? गोमा ! सव्वद्धं ॥
२२२. निरेया कालो केवच्चिरं होंति ? सव्वद्धं ॥
२२३. दुप्पदेसिया णं भंते ! खंधा देसेया कालो केवच्चिरं होंति ? सव्वद्धं ॥ २२४. सव्वेया कालग्रो केवच्चिरं होंति ? सव्वद्धं ॥
२६
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६३०
२२५. निरेया कालो केवच्चिरं होंति ? सव्वद्धं । एवं जाव प्रणतपदेसिया || २२६. परमाणुपोग्गलस्स णं भंते ! सव्वेयस्स केवतियं कालं अंतर होइ ?
गोमा ! सट्टानंतर पडुच्च जहणणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । परद्वाणंतरं पडुच्च जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं एवं चेव || २२७. निरेयस्स केवतियं कालं अंतर होइ ?
सट्टानंतर पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं । परट्ठाणंतरं पडुच्च जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं ॥ २२६. दुपदेसियस्स णं भंते ! खंधस्स देतेयस्स केवतियं कालं अंतरं होइ ?
सद्वाणंतरं पडुच्च जहण्णेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं असंखेज्जं कालं । परद्वाणंतरं पडुच्च जहणणं एक्कं समयं उक्कोसेणं प्रणतं कालं ॥
२२. सव्वेयस्स के वतियं कालं अंतर होइ ? एवं चेत्र जहा देतेय स्स ।। २३०. निरेयस्स केवतियं कालं अंतर होइ
२३१. परमाणुपोग्गलाणं भंते !
अंतरं" ॥
भगवई
सद्वाणंतरं पडुच्च जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं प्रावलियाए असंखेज्जइभागं । परद्वाणंतरं पडुच्च जहणणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं प्रणतं कालं । एवं जाव प्रणतपदेसियस्स ||
सव्वेयाणं केवतियं कालं अंतरं होइ ? 'नत्थि
२३२. निरेयाणं केवतियं कालं अंतरं होइ ? नत्थि अंतरं ॥
२३३. दुपदेसियाणं भंते ! खंधाण देतेयाणं केवतियं कालं अंतरं होइ ? नत्थि अंतरं ॥ २३४. सव्वेयाणं केवतियं कालं अंतर होइ ? नत्थि अंतरं ।।
२३५. निरेयाणं केवतियं कालं अंतरं होइ ? नत्थि अंतरं । एवं जाव प्रणतपदेसि - याणं ॥
२३६. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं सव्वेयाणं निरेयाण य कयरे कयरेहितो ' ● अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा परमाणुपोग्गला सव्वेया, निरेया प्रसंखेज्जगुणा ।। २३७. एएसि णं भंते ! दुपदेसियाणं खंधाणं देसेयाणं, सव्वेयाणं, निरेयाण य कयरे करेहितो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ?
गोयमा ! सव्वत्थोवा दुपदेसिया खंधा सव्वेया, देसेया असंखेज्जगुणा, निरेया असंखेज्जगुणा । एवं जाव प्रसंखेज्जपदेसियाणं खंधाणं || २३८. एएसि णं भंते
तपदेसियाणं खंधाणं देतेयाणं, सव्वेयाणं, निरेयाण य
१. नत्थंतरं ( अ, क, ख, ता, म) ।
२. सं० पा० कयरेहिंतो जाव विरोसाहिया ।
३. सं० पा० - कयरेहितो जाव विसेसाहिया ।
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चवीसइमं सतं (चउत्थो उद्देसो)
९३१
करे करेहिंतो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोमा ! सव्वत्थोवा प्रणतपदेसिया खंधा सव्वेया, निरेया प्रणतगुणा, देसेया तगुणा ||
२३६. एएसि णं भंते ! परमाणुपोग्गलाणं, संखेज्जपदेसियाणं असंखेज्जपदेसियाणं तपसिया खंधाणं देसेयाणं, सव्वेयाणं, निरेयाणं दव्वट्टयाए, पदेसट्टयाए, दव्व-पट्टयाए कयरे कयरेहिंतो अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? विसेसाहिया वा ?
गोमा ! १ सव्वत्थोवा प्रणतपदेसिया खंधा सव्वेया दव्वट्टयाए २. प्रणतपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए प्रणतगुणा ३. प्रणतपदेसिया खंधा देसेया Google गुणा ४. प्रसंखेज्जपदेसिया खंधा सव्वेया दव्वट्टयाए प्रणतगुणा ५. संखेज्जपदेसिया खंधा सव्वेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा ६. परमाणुपोग्गला सव्वेया दव्या असंखेज्जगुणा ७. संखेज्जपदेसिया खंधा देसेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा ८. असंखेज्जपदेसिया खंधा देसेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा ६ परमाणुपोग्गला निरेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा १०. संखेज्जपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा ११. असंखेज्जपदेसिया खंधा निरेया दवाए असंखेज्जगुणा । पदेसट्टयाए - सव्वत्थोवा प्रणतपदेसिया । एवं पदेसट्टयाए वि, नवरं परमाणुपोग्गला अपदेसट्टयाए भाणियव्वा । संखेज्जपदेसिया खंधा निरेया पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा । सेसं तं चेव । दव्वट्ठ-पदेसट्टयाए - १. सव्वत्थोवा प्रणतपदेसिया खंधा सव्वेया दव्वट्टयाए २. ते चेव पदेसट्टयाए प्रणतगुणा ३. प्रणतपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए प्रणतगुणा ४. ते चेव पट्टयाए प्रणतगुणा ५. प्रणतपदेसिया संधा देसेया दव्वट्टयाए भ्रणंतगुणा ६. ते चेव पदेसट्टयाए प्रणतगुणा ७. प्रसंखेज्जपदेसिया खंधा सव्वेया दव्वयाए अनंतगुणा ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा ६ संखेज्जपदेसिया खंधा सव्वेया दव्वट्टयाए प्रसंखेज्जगुणा १०. ते चेव पदेसट्टयाए प्रसंखेज्जगुणा' ११. परमाणुपोग्गला सव्वेया दव्बट्ट-अपदेसट्टयाए ग्रसंखेज्जगुणा १२. संखेज्जपदेसिया खंधा देतेया दव्वट्टयाए ग्रसंखेज्जगुणा १३. ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा १४. असंखेज्जपदेसिया खंधा देतेया दव्वट्टयाए ग्रसंखेज्जगुणा १५. ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा १६. परमाणुपोग्गला निरेया दव्वट्ट-अपदेस ट्ठयाए असंखेज्जगुणा १७. संखेज्जपदेसिया खंधा निरेया दव्वट्टयाए संखेज्जगुणा
१. सं० पा० - कय रेहितो जाव विसेसाहिया । ३. संखेज्जगुणा (ता) 1 २. सं० पा० कयरेहितो जाव विसेसाहिया ।
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३२
भगवई
१८. ते चेव पदेसट्टयाए संखेज्जगुणा १६. श्रसंखेज्जपदेसिया निरेया दव्वट्टयाए असंखेज्जगुणा २०. ते चेव पदेसट्टयाए असंखेज्जगुणा ||
मज्झपदेसा-पदं
२४०. कति णं भंते ! धम्मत्थिकायस्स मज्भपदेसा पण्णत्ता ? गोमा ! टु धम्मत्थिकायस्स मज्झपदेसा पण्णत्ता ॥
२४१. कति णं भंते ! ग्रधम्मत्थिकायस्स मज्झपदेसा पण्णत्ता ? एवं चेव ॥ २४२. कति णं भंते ! ग्रागासत्थिकायस्स मज्भपदेसा पण्णत्ता ? एवं चेव ।। २४३. कति णं भंते ! जीवत्थिकायस्स मज्भपदेसा पण्णत्ता ?
गोमा ! टु जीवत्थिकायस्स मज्झपदेसा पण्णत्ता ॥ २४४. एए णं भंते !
ग्रोगाहंति ?
गोयमा ! जहणेणं एक्कसि वा दोहिं वा तीहि वा चउहि वा पंचहि वा छहिं वा, उक्कोसेणं सु, नो चेव णं सत्तसु ॥ २४५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
जीवत्थिकायस्स मज्झपदेसा कतिसु आगासपदेसे सु
पज्जव-पदं
२४६. कतिविहा णं भंते ! पज्जवा पण्णत्ता ?
पंचमो उद्देसो
१. जीवपयं ( अ ) ।
गोयमा ! दुविहा पज्जवा पण्णत्ता, तं जहा- जीवपज्जवा य, ग्रजीवपज्जवा य। पज्जवपदं निरवसेसं भाणियव्वं जहा पण्णवणाए ॥
काल-पदं
२४७. ग्रावलिया णं भंते ! किं संखेज्जा समया ? प्रसंखेज्जा समया ? प्रणता समया ?
गोमा ! नो संखेज्जा समया, असंखेज्जा समया, नो प्रणता समया ॥ २४८. प्राणापाणू णं भंते ! किं संखेज्जा ० ? एवं चेव ॥
२. १०५।
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पंचवीसइमं सतं (पंचमो उद्देसो)
६३३ २४६. थोवे णं भंते ! कि संखेज्जा० ? एवं चेव । एवं लवे वि, मुहत्ते वि, एवं अहो
रत्ते, एवं पक्खे, मासे, उऊ, अयणे, संवच्छ रे, जुगे, वाससए, वाससहस्से, वाससयसहस्से, पुव्वंगे, पुव्वे, तुडियंगे, तुडिए, अडडंगे, अडडे, अववंगे, अववे, 'हूहूयंगे, हूहूए', उप्पलंगे, उप्पले, पउमंगे, पउमे, नलिणंगे, नलिणे, 'अत्थनिपूरंगे, अत्थनिपूरे', अउयंगे, अउए, नउयंगे, नउए, पउयंगे, पउए, चलियंगे, चलिए, सोसपहेलियंगे, सीसपहेलिया, पलिग्रोवमे, सागरोवमे, प्रोसप्पिणी । एवं
उस्सप्पिणी वि।। २५०.
पोग्गलपरियट्टे णं भंते ! कि संखेज्जा समया-पूच्छा। गोयमा ! नो संखेज्जा समया, नो असंखेज्जा समया, अणंता समया। एवं
तीयद्धा, अणागयद्धा, सव्वद्धा ।। २५१. श्रावलियानो णं भंते ! कि संखेज्जा समया-पुच्छा ।
गोयमा ! नो संखेज्जा समया, सिय असंखेज्जा समया, सिय अणंता समया ॥ २५२. आणापाणू णं भंते ! कि संखेज्जा समया० ? एवं चेव ।। २५३. थोवा णं भंते ! कि संखेज्जा समया० ? एवं चेव । एवं जाव प्रोसप्पिणीओ ति॥ २५४. पोग्गलपरियट्टा णं भंते ! कि संखेज्जा समया-पुच्छा।
गोयमा ! नो संखेज्जा समया, नो असंखेज्जा समया, अणंता समया ।। २५५. प्राणापाणू णं भंते ! कि संखेज्जानो प्रावलियानो-पुच्छा।
गोयमा ! संखेज्जाओ प्रावलियाो, नो असंखेज्जानो प्रावलियानो, नो अणंतानो
प्रावलियाो । एवं थोवे वि । एवं जाव सीसपहेलिय त्ति ।। २५६. पलिग्रोवमे णं भंते ! कि संखेज्जायो प्रावलियानो-पुच्छा।
गोयमा ! नो संखेज्जायो आवलियानो, असंखेज्जापो आवलियानो, नो अणंताग्रो
प्रावलियानो । एवं सागरोवमे वि। एवं प्रोसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि ।। २५७. पोग्गलपरिपट्टे-पुच्छा ।
गोयमा ! नो संखेज्जाप्रो प्रावलियानो, नो असंखेज्जायो प्रावलियानो,
अणंतानो आवलियानो। एवं जाव सव्वद्धा । २५८. प्राणापाणू णं भंते ! कि संखेज्जाम्रो आवलियानो-पुच्छा।
गोयमा ! सिय संखेज्जायो आवलियारो, सिय असंखेज्जानो, सिय अणंतानो।
एवं जाव सीसपहेलियायो । २५६. पलिअोवमा णं- पुच्छा।
१. हूहुयंगे हुहुए (अ); हूहुयंगे हूहुए (ता)।
२. अत्थिनिब्भरंगे अत्थिनिब्भरे (अ)।
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१३४
भगवई
गोयमा ! नो संखेज्जायो आवलियानो, सिय असंखेज्जारो आवलियानो,
सिय अणंतानो प्रावलियाो । एवं जाव उस्सप्पिणीयो ।। २६०. पोग्गलपरियट्टा णं-पुच्छा।
गोयमा ! नो संखेज्जापो आवलियाओ, नो असंखेज्जारो आवलियाओ, अणं
तानो प्रावलियानो ॥ २६१. थोवे णं भंते ! कि संखेज्जायो प्राणापाणूयो ? असंखेज्जायो ? जहा प्राव
लियाए वत्तव्वया एवं प्राणापाणूनो वि निरवसेसा । एवं एतेणं गमएणं
जाव सीसपहेलिया भाणियव्वा । २६२. सागरोवमे णं भंते ! कि संखेज्जा पलिग्रोवमा ?-पुच्छा।
गोयमा ! संखेज्जा पलिओवमा, नो असंखेज्जा पलिग्रोवमा, नो अणंता पलि
ग्रोवमा। एवं ओसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि ।। २६३. पोग्गलपरियट्टे ण-पूच्छा।
गोयमा ! नो संखेज्जा पलिग्रोवमा, नो असंखेज्जा पलिग्रोवमा, अणंता पलि
प्रोवमा। एवं जाव सव्वद्धा ॥ २६४. सागरोवमा णं भंते ! कि संखेज्जा पलिग्रोवमा-पुच्छा।
गोयमा ! सिय संखेज्जा पलिओवमा, सिय असंखेज्जा पलिग्रोवमा, सिय अणंता
पलिग्रोवमा। एवं जाव प्रोसप्पिणी वि, उस्सप्पिणी वि ।। २६५. पोग्गलपरियट्टा णं-पुच्छा।
गोयमा ! नो संखेज्जा पलिग्रोवमा, नो असंखेज्जा पलिग्रोवमा, अणंता पलि
प्रोवमा ॥ २६६. प्रोसप्पिणी णं भंते ! कि संखेज्जा सागरोवमा० ? जहा पलिग्रोवमस्स
वत्तव्वया तहा सागरोवमस्स वि ॥ २६७. पोग्गलपरियट्टे णं भंते ! कि संखेज्जास्रो प्रोसप्पिणी-उस्सप्पिणीयो--पुच्छा।
गोयमा ! नो संखेज्जाओ प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीयो, नो संखेज्जाग्रौ प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ, अणंताग्रो प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीयो। एवं जाव सव्वद्धा ॥ पोग्गलपरियदा ण भंते ! कि संखेज्जाग्रो प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीग्रो-पच्छा। गोयमा ! नो संखेज्जायो अोसप्पिणि-उस्सप्पिणीओ, नो असंखेज्जायो प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीयो, अणंताग्रो प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीयो॥ तीतद्धा णं भंते ! कि संखेज्जा पोग्गलपरियट्टा-पुच्छा। गोयमा ! नो संखेज्जा पोग्गलपरियट्टा, नो असंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा,
प्रणता पोग्गलपरियट्टा । एवं अणागयद्धा वि । एवं सव्वद्धा वि ॥ २७०. अणागयद्धा णं भंते ! कि संखेज्जानो तीतद्धामो ? असंखेज्जाप्रो० ?
अणंतामो०?
२६८.
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पंचवीस इमं सतं (पचमो उद्देसो)
गोयमा ! नो संखेज्जाओ तीतद्धानो, नो असंखेज्जायो तीतद्धाओ, नो अणंतायो तीतद्धारो। अणागयद्धा णं तीतद्धामो समयाहिया, तीतद्धा णं अणागयद्धाओ
समयूणा॥ २७१. सव्वद्धा णं भंते ! कि संखेज्जायो तीतद्धाओ-पुच्छा।
गोयमा ! नो संखेज्जायो तीतद्धाओ, नो असंखेज्जायो तीतद्धाओ, नो अणंतामो तीतद्धानो। सव्वद्धा णं तीतद्धारो सातिरेगदुगुणा, तीतद्धा णं सव्वद्धाओ थोवू.
णए अद्धे ।। २७२. सव्वद्धा णं भंते ! कि संखेज्जायो अणागयद्धाओ --पुच्छा।
गोयमा ! नो संखेज्जाग्रो अणागयद्धाग्रो, नो असंखेज्जायो प्रणागयताप्रो. नो अगंतानो प्रणागयद्धाो। सव्वद्धा णं अणागयद्धाओ थोवणगद्गुणा। अणा
गयद्धा णं सव्वद्धानो सातिरेगे अद्धे ।। निगोद-पदं २७३. कतिविहा णं भंते ! निनोदा' पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा निरोदा पण्णत्ता, तं जहा-निग्रोयगा य, निग्रोयगजीवा य । २७४. निरोदा णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा- सुहम निगोदा य, बायरनिग्रोदा य । एवं
निरोदा भाणियव्वा जहा जीवाभिगमे तहेव निरवसेसं ।। नाम-पदं २७५. कतिविहे णं भंते ! नामे पण्णत्ते ?
गोयमा ! छविहे नामे पण्णत्ते, तं जहा- अोदइए जाव' सण्णिवाइए। २७६. से कि तं प्रोदइए नामे ?
प्रोदइए नामे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-उदए य, उदयनिप्फण्णे य-एवं जहा सत्तरसमसए पढमे उद्देसए भावो तहेव इह वि, नवरं-इमं नामनाणत्तं, सेसं
तहेव जाव सण्णिवाइए । २७७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. नियोया (अ, ता)। २. सुहुमा नि० (ता)। ३. बातरनि° (क); बादरा नि० (ता)। ४. जी० ५२।
५. भ. १७११६ । ६. नाणत्तं (अ, ख, ता, ब, म, स)। ७. भ० १७.१७ ।
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भगवई
छट्ठो उद्देसो १. पण्णवण २. वेद ३. रागे, ४. कप्प ५. चरित्त ६. पडिसेवणा ७. नाणे। ८. तित्थे ६. लिंग १०. सरीरे, ११. खेत्ते १२. काल १३. गइ १४. संजम
१५. निकासे ॥१॥ १६,१७. जोगुवयोग १८. कसाए, १६. लेसा २०. परिणाम २१. 'बंध
२२. वेदे य। २३. कम्मोदीरण २४. उवसंपजहण्ण, २५. सण्णा य २६. ग्राहारे ॥२॥ २७. भव २८. आगरिसे ,२६,३०. कालंतरे य ३१. समुग्घाय ३२. खेत्त
३३. फुसणा य । ३४. भावे ३५. परिमाणे' खलु', ३६, अप्पावहुयं नियंठाणं ॥३॥ पण्णवण-पद २७८. रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! नियंठा पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंच नियंठा पण्णत्ता, तं जहा—-पुलाए, बउसे, कुसीले, नियंठे,
सिणाए। २७६. पुलाए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-नाणपुलाए, दंसणपुलाए, चरित्तपुलाए,
लिंगपुलाए, ग्रहासुहुमपुलाए नामं पंचमे ।। २८०. बउसे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-ग्राभोगबउसे, अणाभोगबउसे, संवुडबउसे,
असंवुडबउसे, अहासुहुमबउसे नामं पंचमे ।। २८१. कुसीले णं भंते ! कतिविहे पण्णते ?
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पडिसेवणाकुसीले य, कसायकुसोले य ।। २८२. पडिसेवणाकुसीले णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-नाणपडिसेवणाकुसोले, दंसणपडिसेवणाकुसीले, चरित्तपडिसेवणाकुसीले, लिंगपडिसेवणाकुसीले, अहासुहुमपडिसेवणा
कुसीले नामं पंचमे ॥ २८३. कसायकुसीले णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-नाणकसायकुसीले, दंसणकसायकुसीले, चरित्तकसायकुसीले, लिंगकसायकुसीले, अहासुहुमकसायकुसीले नामं पंचमे ॥
३. या (ता)।
१. बंधणे वेदे (ता, ब)। २. परिणामे (अ, स)।
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पंचवीसइमं सतं (छट्टो उद्देसो)
२८४. नियंठे णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोयमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - पढमसमयनियंठे, अपढमसमय नियंठे, चरिमसमयनियंठे', अचरिमसमयनियंठे, ग्रहासुहमनियंठे नामं पंचमे ॥ २८५. सिणाए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
गोमा ! पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा - अच्छवी, असबले, कम्मंसे, संसुद्धनाणदंसणधरे रहा जिणे केवली, अपरिस्सावी' ||
वेद-पदं
२८६. पुलाए गं भंते ! किं सवेदए होज्जा ? प्रवेदए होज्जा ? गोयमा ! सवेदए होज्जा, नो वेदए होज्जा ॥
२८७. जइ सवेदए होज्जा कि इत्थिवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? पुरिसनपुंसंग
वेद होज्जा ?
गोयमा ! नो इत्थवेदए होज्जा, पुरिसवेदए होज्जा, पुरिसनपुंसगवेदए वा होज्जा |
२८८. उसे गं भंते ! कि सवेदए होज्जा ? वेदए होज्जा ?
गोयमा ! सवेदए होज्जा, नो प्रवेदए होज्जा ॥
२८६. जइ सवेदए होज्जा किं इत्थवेदए होज्जा ? पुरिसवेदए होज्जा ? पुरिस
पुंगवेद होज्जा ?
गोमा ! इत्थवेद वा होज्जा, पुरिसवेदए वा होज्जा, पुरिसनपुंसगवेदए वा होज्जा । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ॥
२६०. कसायकुसीले णं भंते ! किं सवेदए - पुच्छा ।
गोमा ! सवेदए वा होज्जा, श्रवेदए वा होज्जा ॥ २६१. जइ प्रवेदए कि उवसंतवेदए ? खीणवेदए होज्जा ? गोमा ! उवसंत वेदए वा होज्जा, खीणवेदए वा होज्जा ॥ २६२. जइ सवेदए होज्जा किं इत्थवेदए - पुच्छा । गोमा ! तिसु वि जहा बउसो ||
१. चरम° (स) ।
२. उत्तराध्ययनेषु त्वर्हन् जिनः केवलीत्ययं पञ्चमो भेद उक्तः । अपरिश्रावीति तु नाधीतमेव, इह चावस्थाभेदेन भेदो न केनचिद् वृत्तिकृतेहान्यत्र च ग्रन्थे व्याख्यातस्तत्र चैवं संभावयामः - शब्दनयापेक्षयैतेषां भेदो भावनीयः शक्रपुरन्दरावदिति (वृ);
६३७
स्थानाङ्गवृत्तौ भाष्योल्लेख पूर्वकमेतच्चचितमस्ति -- निष्क्रियत्वात् अपरिश्रावीति
पञ्चमः जिन इति पञ्चमः । अच्छवि अस्सबले या जिरणा । ३. अपरिसाती ( ता ) |
सकल योगनिरोधे क्वचित्पुनरर्हन् अत्र भाष्यगाथा: - प्रकम्म संसुद्ध अरह
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९३८
भगवई
२६३. नियंठे णं भंते ! कि सवेदए---पुच्छा।
गोयमा ! नो सवेदए होज्जा, अवेदए होज्जा । २६४. जड अवेदए होज्जा कि उवसंतवेदए-पूच्छा।
गोयमा ! उवसंतवेदए वा होज्जा, खीणवेदए वा होज्जा ।। २६५. सिणाए णं भंते ! कि सवेदए होज्जा ०? जहा नियंठे तहा सिणाए वि, नवरं
-नो उवसंतवेदए होज्जा, खीणवेदए होज्जा । राग-पदं २६६. पुलाए णं भंते ! किं सरागे होज्जा ? वीतरागे होज्जा ?
___ गोयमा ! सरागे होज्जा, नो वीतरागे होज्जा । एवं जाव कसायकुसीले ।। २६७. नियंठे णं भंते ! कि सरागे होज्जा-पुच्छा।
गोयमा ! नो सरागे होज्जा, वीतरागे होज्जा ।। २६८. जइ वीतराग होज्जा कि उवसंतकसायवीतरागे होज्जा ? खीणकसायवीतराग
होज्जा? गोयमा ! उवसंतकसायवीतरागे वा होज्जा, खीणकसायवीतरागे वा होज्जा। सिणाए एवं चेव, नवरं—नो उवसंतकसायवीतरागे होज्जा, खीणकसायवीत
रागे होज्जा ।। कप्प-पदं २६६. पुलाए णं भंते ! किं ठियकप्पे होज्जा ? अट्ठियकप्पे होज्जा ?
गोयमा ! ठियकप्पे वा होज्जा, अट्ठियकप्पे वा होज्जा । एवं जाव सिणाए । ३००. पुलाए णं भंते ! किं जिणकप्पे होज्जा ? थेरकप्पे होज्जा? कप्पातीते
होज्जा?
गोयमा ! नो जिणकप्पे होज्जा, थेरकप्पे होज्जा, नो कप्पातीते होज्जा । ३०१. बउसे णं - पुच्छा।
गोयमा ! जिणकप्पे वा होज्जा, थेरकप्पे वा होज्जा, नो कप्पातीते होज्जा।
एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३०२. कसायकुसीले णं-पुच्छा।
गोयमा ! जिणकप्पे वा होज्जा, थेरकप्पे वा होज्जा, कप्पातीते वा होज्जा ॥ ३०३. नियंठे णं-पुच्छा।
गोयमा ! नो जिणकप्पे होज्जा, नो थेरकप्पे होज्जा, कप्पातीते होज्जा । एवं
सिणाए वि।। चरित्त-पदं ३०४. पुलाए णं भंते ! किं सामाइयसंजमे होज्जा ? छेग्रोवट्ठावणियसंजमे होज्जा ?
परिहारविसुद्धियसंजमे होज्जा ? सुहुमसंपरागसंजमे होज्जा ? अहक्खायसंजमे होज्जा ?
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पंचवीसइमं सतं (छटो उद्देसो)
६३६ गोयमा ! सामाइयसंजमे वा होज्जा, छेप्रोवट्ठावणियसंजमे वा होज्जा, नो परिहारविसुद्धियसंजमे होज्जा, नो सुहुमसंपरागसंजमे होज्जा, नो अहक्खाय
संजमे होज्जा । एवं बउसे वि । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३०५. कसायकुसीले णं-पुच्छा।
गोयमा ! सामाइयसंजमे वा होज्जा जाव सुहमसंपरागसंजमे वा होज्जा, नो
अहक्खायसंजमे होज्जा ।। ३०६. नियंठे णं-पूच्छा ।
गोयमा ! नो सामाइयसंजमे होज्जा जाव नो सुहुमसंपरागसंजमे होज्जा,
ग्रहक्खायसंजमे होज्जा । एवं सिणाए वि ।। पडिसेवणा-पदं ३०७. पुलाए णं भंते ! कि पडिसेवए होज्जा ? अपडिसेवए होज्जा ?
गोयमा ! पडिसेवए होज्जा, नो अपडिसेवए होज्जा ।। ३०८. जइ पडिसेवए होज्जा कि मूलगुणपडिसेवए होज्जा ? उत्तरगुणपडिसेवए
होज्जा? गोयमा ! मूलगुणपडिसेवए वा होज्जा, उत्तरगुणपडिसेवए वा होज्जा। 'मूलगुणे पडिसेवमाणे'' पंचण्हं पासवाणं अण्णयरं पडिसेवेज्जा, 'उत्तरगुणे
पडिसेवमाणे दसविहस्स पच्चक्खाणस्स अण्णयरं पडिसेवेज्जा ॥ ३०६. वउसे णं-पुच्छा।
गोयमा ! पडिसेवए होज्जा, नो अपडिसेवए होज्जा ।। ३१०. जइ पडिसेवए होज्जा किं मूलगुणपडिसेवए होज्जा ? उत्तरगुणपडिसेवए
होज्जा? गोयमा ! नो मूलगुणपडिसेवए होज्जा, उत्तरगुणपडिसेवए होज्जा। उत्तरगुणे पडिसेवमाणे दसविहस्स पच्चक्वाणस्स अण्णयरं पडिसेवेज्जा । पडिसेवणा
कुसीले जहा पुलाए। ३११. कसायकुसीले णं-पुच्छा।
गोयमा ! नो पडिसेवए होज्जा, अपडिसेवए होज्जा। एवं नियंठे' वि । एवं
सिणाए वि ॥ नाण-पदं ३१२. पुलाए णं भंते ! कतिसु नाणेसु होज्जा ?
गोयमा ! दोसु वा तिसु वा होज्जा । दोसु होमाणे दोसु आभिणिबोहियनाण
३. निग्गथे (स)।
१. मूलगुणपडि ° (क, म); २. उत्तरगुणपडि ° (अ, ख, ब, म) ।
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६४०
सुना
३१३. कसायकुसीले णं – पुच्छा ।
होज्जा, तिसु होमाणे तिसु श्राभिणिबोहियनाण- सुयनाण-श्रोहिनाणेसु । एवं उसे वि । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ॥
३१४. सिणाए णं पुच्छा ।
गोमा ! दोसु वा तिसु वा चउसु वा होज्जा । दोसु होमाणे दोसु श्रभिणिबोहियनाण- सुयनाणेसु होज्जा, तिसु होमाणे तिसु ग्राभिणिबोहियनाण- सुयनाणहिना होज्जा, ग्रहवा तिसु होमाणे आभिणिबोहियनाण- सुयनाणमणपज्जवनाणेसु होज्जा, चउसु होमाणे चउसु ग्राभिणिबोहियनाण-सुयनाणहिनाण-मणपज्जवनाणेसु होज्जा । एवं नियंठे वि ।।
गोमा ! एगम्मि केवलनाणे होज्जा ॥
३१५. पुलाए णं भंते ! केवतियं सुयं ग्रहिज्जेज्जा ?
३१६. बउसे – पुच्छा ।
गोयमा ! जहणेणं नवमस्स पुव्वस्स ततियं प्रायारवत्युं उक्कोसेणं नव पुव्वा ग्रहिज्जेज्जा |
३१७. कसायकुसीले – पुच्छा ।
गोमा ! जहणणं ग्रह पवयणमायायो, उक्कोसेणं दस पुव्वाइं ग्रहिज्जेज्जा | एवं डिसेवणाकुसीले वि ॥
भगवई
३१८. सिणाए - पुच्छा |
गोयमा ! जहणणं श्रट्ट पवयणमायाग्रो, उक्कोसेणं चोट्स पुव्वाइं ग्रहिज्जेज्जा । एवं नियंठे वि ।।
गोयमा ! सुयवतिरित्ते होज्जा ॥
तित्थ - पद
३१६. पुलाए णं भंते ! किं तित्थे होज्जा ? अतित्थे होज्जा ?
गोयमा ! तित्थे होज्जा, नो प्रतित्थे होज्जा । एवं बउसे वि । एवं पडिसेवणाSafa
३२०. कसायकुसीले - पुच्छा ।
गोमा ! तित्थे वा होज्जा, अतित्थे वा होज्जा ॥
३२१. जइ प्रतित्थे होज्जा किं तित्थकरे होज्जा ? पत्तेयबुद्धे होज्जा ?
गोयमा ! तित्थकरे वा होज्जा, पत्तेयबुद्धे वा होज्जा । एवं नियंठे वि । एवं forefa ||
लिंग-पदं
३२२. पुलाए णं भंते ! किं सलिंगे होज्जा ? अण्णलिंग होज्जा ? गिहिलिंगे होज्जा ?
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पंचवीसइमं सतं (छट्टो उद्देसो)
९४१ ___ गोयमा ! दवलिंगं पडुच्च सलिंगे वा होज्जा, अण्णलिंगे वा होज्जा, गिहिलिंगे
वा होज्जा । भावलिंग पडुच्च नियमं सलिंगे होज्जा । एवं जाव सिणाए । सरीर-पदं ३२३. पुलाए णं भंते ! कतिसु सरीरेसु होज्जा ?
गोयमा ! तिसु ओरालिय-तया -कम्मसु होज्जा ।। ३२४. बउसे णं भंते ! –पुच्छा ।
गोयमा ! तिसु वा चउसु वा होज्जा। तिसु होमाणे तिसु पोरालिय-तेयाकम्मएस होज्जा, चउसु होमाणे चउसु पोरालिय-वेउव्विय-तेया-कम्मएसु होज्जा । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।। कसायकुसीले-पुच्छा। गोयमा ! तिसु वा च उसु वा पंचसु वा होज्जा। तिसु होमाणे तिसु पोरालियतेया-कम्मएसु होज्जा, चउसु होमाणे चउसु पोरालिय-बेउव्विय-तेया-कम्मएसु होज्जा, पंचसु होमाणे पंचसु ओरालिय-वेउव्विय-पाहारग-तेया-कम्मएस
होज्जा । नियंठ। सिणाओ य जहा पुलायो॥ खेत्त-पदं ३२६. पुलाए णं भंते ! किं कम्मभूमीए होज्जा ? अकम्मभूमीए होज्जा ?
गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च कम्मभूमीए होज्जा, णो अकम्मभूमीए
होज्जा॥ ३२७. बउसे णं-पूच्छा ।
गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च कम्मभूमीए होज्जा, नो अकम्मभूमीए होज्जा। साहरणं पडुच्च कम्मभूमीए वा होज्जा, अकम्मभूमीए वा होज्जा।
एवं जाव सिणाए। काल-पदं ३२८. पुलाए णं भंते ! कि प्रोसप्पिणिकाले होज्जा ? उस्सप्पिणिकाले होज्जा ?
नोग्रोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले वा होज्जा ? गोयमा ! अोसप्पिणिकाले वा होज्जा, उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा, नोप्रोस
प्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले वा होज्जा। ३२६. जइ अोसप्पिणिकाले होज्जा किं सुसमसुसमाकाले होज्जा ? सुसमाकाले
होज्जा ? सुसमदुस्समाकाले' होज्जा ? दुस्समसुसमाकाले होज्जा ? दुस्समाकाले होज्जा ? दुस्समदुस्समाकाले होज्जा ?
१. तेय (अ)।
२. ° दुसमाकाले (अ, ता, म)।
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६४२
भगवई
गोयमा ! जम्मणं पडुच्च नो सुसमसुसमाकाले होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, नो दुस्समाकाले होज्जा, नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा । संतिभावं पडुच्च नो सुसमसुसमाकाले होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, दुस्समाकाले वा होज्जा, नो दुस्समदुस्समाकाले
होज्जा॥ ३३०. जइ उस्सप्पिणिकाले होज्जा किं दुस्समदुस्समाकाले होज्जा ? दुस्समाकाले
होज्जा ? दुस्समसुसमाकाले होज्जा ? सुसमदुस्समाकाले होज्जा ? सुसमाकाले होज्जा ? सुसमसुसमाकाले होज्जा ? गोयमा ! जम्मणं पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, दुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, नो सुसमसुसमाकाले होज्जा । संतिभावं पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, नो दुस्समाकाले होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा, नो सुसमसुसमाकाले होज्जा ॥ जइ नोयोसप्पिणि-नोउस्सप्पिणिकाले होज्जा किं सुसमसुसमापलिभागे होज्जा ? सुसमापलिभागे होज्जा ? सुसमदुस्समापलिभागे होज्जा ? दुस्समसुसमापलिभागे होज्जा? गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च नो सुसमसुसमापलिभागे होज्जा, नो सुसमापलिभागे होज्जा, नो सुसमदुस्समापलिभागे होज्जा, दुस्समसुसमापलिभागे
होज्जा॥ ३३२. बउसे णं-पूच्छा।
गोयमा ! प्रोसप्पिणिकाले वा होज्जा, उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा, नोयो स
प्पिणि-नोउस्स प्पिणिकाले वा होज्जा॥ ३३३. जइ अोसप्पिणिकाले होज्जा किं सुसमसुसमाकाले होज्जा -पुच्छा।
गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च नो सुसमसुसमाकाले होज्जा, नो सुसमाकाले होज्जा। सुसमदुस्समाकाले वा होज्जा, दुस्समसुसमाकाले वा होज्जा, दुस्समाकाले वा होज्जा, नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा । साहरणं पडुच्च अण्ण
यरे समाकाले होज्जा ।। ३३४. जइ उस्सप्पिणिकाले होज्जा किं दुस्समदुस्समाकाले होज्जा - पुच्छा ।
गोयमा ! जम्मणं पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा जहेव पुलाए। संति
३३१.
१. उस्स ° (अ, क, ख, ता, म)।
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पंचवीसइमं सतं (छट्टो उद्देसो)
६४३
भावं पडुच्च नो दुस्समदुस्समाकाले होज्जा, नो दुस्समाकाले होज्जा । एवं संतिभावेण वि जहा पुलाए जाव नो सुसमसुसमाकाले होज्जा | साहरणं पडुच्च प्रणयरे समाकाले होज्जा |
३३५. जइ नोप्रोसप्पिणि नोउस्सप्पिणिकाले होज्जा - पुच्छा ।
गोयमा ! जम्मण - संतिभावं पडुच्च नो सुसम सुसमापलिभागे होज्जा जहेव पुलाए जाव दुस्समसुसमापलि भागे होज्जा । साहरणं पडुच्च ग्रण्णयरे पलिभागे होज्जा । जहा उसे । एवं पडिसेवणाकुसीले वि । एवं कसायकुसीले वि । नियंठो सिणाओ य जहा पुलाओ, नवरं - एतेसिं अब्भहियं साहरणं भाणियव्वं । सेसं तं चैव ॥
गति-पदं
३३६. पुलाए णं भंते ! कालगए समाणे कं' गतिं गच्छति ? गोयमा ! देवगतिं गच्छति ॥
३३७. देवगतिं गच्छमाणे किं भवणवासीसु उववज्जेज्जा ? वाणमंतरेसु उववज्जेज्जा ? जोइसिसु उववज्जेज्जा ? वेमाणिएसु उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! नो भवणवासीसु, नो वाणमंतरेसु नो जोइसिएसु, वेमाणिएसु उववज्जेज्जा । वेमाणिएसु उववज्जमाणे जहणेणं सोहम्मे कप्पे, उक्कोसेणं सहस्सारे कप्पे उववज्जेज्जा । उसे णं एवं चेव, नवरं— उक्को सेणं अच्चुए कप्पे । पडिसेवणाकुसीले जहा बउसे । कसायकुसीले जहा पुलाए, नवरं - उक्कोसेणं प्रणुत्तरविमाणे उववज्जेज्जा । नियंठे णं एवं चेव जाव वेमाणिएसु उववज्जमाणे प्रजहण्णमणुक्कोसेणं प्रणुत्तरविमाणेसु उववज्जेज्जा ।।
३३८. सिणाए णं भंते ! कालगए समाणे कं गतिं गच्छइ ?
गोयमा ! सिद्धिगतिं गच्छइ ॥
३३६. पुलाए णं भंते ! देवेसु उववज्जमाणे किं इंदत्ताए उववज्जेज्जा ? सामाणियत्ताए उववज्जेज्जा ? तादत्तीसाए' उववज्जेज्जा ? लोगपालत्ताए उववज्जेज्जा ? ग्रह्मिदत्ताए उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! ग्रविराहणं पडुच्च इंदत्ताए उववज्जेज्जा, सामाणियत्ताए उववज्जेज्जा, तावत्तीसाए उववज्जेज्जा, लोगपालत्ताए उववज्जेज्जा, नो ग्रहमिंदता उववज्जेज्जा । विराहणं पडुच्च ग्रण्णयरेसु उववज्जेज्जा । एवं उसे वि । एवं पडि सेवणाकुसीले वि ।।
३४०. कसायकुसीले – पुच्छा ।
१. किं ( अ, स ) ।
२. तावत्तीसगताए (ता) |
३. अहमिदत्ताए वा ( स ) ।
४. भवनपत्यादीनामन्यतरेषु देवेषु (वृ) ।
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१४४
भगवई
गोयमा ! अविराहणं पडुच्च इंदत्ताए वा उववज्जेज्जा जाव अहमिंदत्ताए वा
उववज्जेज्जा । विराहणं पडुच्च अण्णयरेसु उववज्जेज्जा ।। ३४१. नियंठे-पुच्छा।
गोयमा ! अविराहणं पडुच्च नो इंदत्ताए उववज्जेज्जा जाव नो लोगपालत्ताए उववज्जेज्जा, अहमिंदत्ताए उववज्जेज्जा। विराहणं पडुच्च अण्णय रेसु उवव
ज्जेज्जा ॥ ३४२. पुलायस्स णं भंते ! देवलोगेसु उववज्जमाणस्स केवतियं कालं ठिती पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहण्णेणं पलिओवमपुहत्तं, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमाइं॥ ३४३. बउसस्स-पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं पलिग्रोवमपुहत्तं, उक्कोसेणं बावीसं सागरोवमाइं। एवं
पडिसेवणाकुसीलस्स वि ॥ ३४४. कसायकुसीलस्स-पुच्छा ।
गोयमा ! जहण्णणं पलिग्रोवमपुहत्तं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई ।। ३४५. नियंठस्स-पुच्छा।
गोयमा ! अजहण्णमणुक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं । संजमट्ठाण-पदं ३४६. पूलागस्स णं भंते ! केवतिया संजमद्राणा पण्णता?
गोयमा ! असंखेज्जा संजमदाणा पण्णत्ता । एवं जाव कसायकसीलस्स ॥ ३४७. नियंठस्स णं भंते ! केवतिया संजमट्ठाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! एगे अजहण्णमणुक्कोसए संजमट्ठाणे । एवं सिणायस्स वि ।। ३४८. एतेसि णं भंते ! पुलाग-बउस-पडिसेवणा-कसायकुसील-नियंठ-सिणायाणं संजम
ट्ठाणाणं कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा? गोयमा ! सव्वत्थोवे नियंठस्स सिणायस्स य एगे अजहण्णमणुक्कोसए संजमट्ठाणे । पुलागस्स णं संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा । बउसस्स संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा । पडिसेवणाकुसीलस्स संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा । कसायकुसी
लस्स संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा ॥ निगास-पदं ३४६. पुलागस्स णं भंते ! केवतिया चरित्तपज्जवा पण्णत्ता ?
गोयमा ! अणंता चरित्तपज्जवा पण्णत्ता । एवं जाव सिणायस्स ॥
१. सं० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया ।
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૬૪%
पंचवीसइमं सतं (छट्टो उद्देसो)
३५०. पुलाए णं भंते ! पुलागस्स सट्टाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहिं किं होणे ? तुल्ले ? भहिए ?
गोमा ! सिय हीणे, सिय तुल्ले, सिय अब्भहिए ।
जर होणे अणंतभागहीणे वा, श्रसंखेज्जइभागहीणे वा, संखेज्जइभागहीणे वा, संखेज्जगुणही वा संखेज्जगुणहीणे वा प्रणतगुणहीणे वा । ग्रह ग्रब्भहिए
भागमभहिए वा. असंखेज्जइभागमब्भहिए वा संखेज्जभागमब्भहिए वा, संखेज्जगुणमब्भहिए वा श्रसंखेज्जगुणमब्भहिए वा प्रणतगुणमब्भहिए वा ॥ ३५१. पुलाए णं भंते ! बउसस्स परद्वाणसणिगासेणं चरितपज्जवेहि किं हीणे ?
तुल्ले ? ग्रब्भहिए ?
गोयमा ! हीणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए; प्रणतगुणहीणे । एवं पडिसेवणाकुसीलस्स वि । कसायकुसीलेणं समं छट्ठाणवडिए जहेव सट्ठाणे । नियंठस्स जहा बउसस्स । एवं सिणायस्स वि ॥
३५२. बउसे णं भंते ! पुलागस्स परद्वाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहि किं होणे ? तुल्ले ? प्रभहिए ?
गोमा ! नो हीणे, नो तुल्ले, ग्रब्भहिए-प्रणंतगुणमब्भहिए ||
३५३. बउसे णं भंते ! बउसस्स सट्टाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहिं - पुच्छा । गोमा ! सिय होणे, सिय तुल्ने, सिय प्रब्भहिए । जइ हीणे छट्टाणवडिए । ३५४. बउसे णं भंते ! पडिसेवणाकुसीलस्स परद्वाणसण्णिगासेणं चरितपज्जवेहि किं हीणे० ? छट्टाणवडिए । एवं कसायकुसीलस्स वि ॥
३५५. बउसे णं भंते ! नियंठस्स परद्वाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहि-- पुच्छा | गोयमा ! हीणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए; प्रणंत गुणहीणे । एवं सिणायस्स वि । पडिसेवणाकुसीलस्स एवं चैव बउसवत्तव्वया भाणियव्वा । कसायकुसीलस्स एस चेव बसवत्तव्वया, नवरं पुलाएण वि समं छट्टाणवडिए । ३५६. नियंठे णं भंते ! पुलागस्स परद्वाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहिं - पुच्छा ।
१. वृत्ती असद्भावस्थापनया षट्स्थानवतितमेतद् उदाहृतमस्ति —
हीन
१०००० ६६०० १००००
६८००
१००००
१. अनन्तभागहीन २. असंख्यात भागहीन ३. संख्यात भागहीन
१००००
४. संख्यातगुणहीन ५. प्रसंख्यातगुणहीन १०००० ६. अनन्तगुणहीन
१००००
ܘܘܘܬ
१०००
२००
१००
अधिक
१. अनन्तभाग अधिक
६६००
२. असंख्यात भाग अधिक ६५००
३. संख्यात भाग अधिक
४. संख्यातगुणअधिक
५. असंख्यात गुणग्रधिक ६. अनन्तगुणअधिक
ܘܘܘܧ
१०००
२००
१००
१००००
१००००
१००००
१००००
१००००
१००००
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९४६
भगवई गोयमा ! नो हीणे, नो तुल्ले, अब्भहिए- अणंतगुणमब्भहिए। एवं जाव
कसायकुसीलस्स ॥ ३५७. नियंठे णं भंते ! नियंठस्स सट्ठाणसण्णिगासेणं- पुच्छा।
गोयमा ! नो हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए। ३५८. "नियंठस्स णं भंते ! सिणायस्स परढाणसण्णिगासेणं-पुच्छा ।
गोयमा ! नो हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए ॥° ३५६. सिणाए णं भंते ! पुलागस्स परट्ठाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहिं -पुच्छा।
गोयमा ! नो हीणे, नो तुल्ले, अब्भहिए-अणंतगुणमब्भहिए। एवं जाव
कसायकुसीलस्स। ३६०. सिणाए णं भंते ! नियंठस्स परट्ठाणसण्णिगासेणं-पुच्छा।
गोयमा ! नो हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए ।। ३६१. सिणाए णं भंते ! सिणायस्स सट्ठाणसण्णिगासेणं-पुच्छा।
गोयमा ! नो हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए । ३६२. एएसि णं भंते ! पुलाग-बउस-पडिसेवणाकुसील-कसायकुसील-नियंठ-सिणायाणं
जहण्णुक्कोसगाणं चरित्तपज्जवाणं कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा ! १. पुलागस्स कसायकुसीलस्स य एएसि णं जहण्णगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला सव्वत्थोवा २. पुलागस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा ३. बउसस्स पडिसेवणाकुसोलस्स य एएसि णं जहण्णगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला अणंतगुणा ४. बउसस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा ५. पडिसेवणाकुसीलस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणतगुणा ६. कसायकुसीलस्स उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा ७. नियंठस्स सिणायस्स य एतेसि णं
अजहण्णमणुक्कोसगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला अणंतगुणा। जोग-पदं ३६३. पुलाए णं भंते ! किं सजोगी होज्जा ? अजोगी होज्जा ?
गोयमा ! सजोगी होज्जा, नो अजोगी होज्जा । ३६४. जइ सजोगी होज्जा किं मणजोगी होज्जा ? वइजोगी होज्जा ? कायजोगी
होज्जा? गोयमा ! मणजोगी वा होज्जा, वइजोगी वा होज्जा, कायजोगी वा होज्जा। एवं जाव नियंठे ॥
१. सं० पा०--एवं सिणायस्स वि। २. सं० पा०-एवं जहा नियंठस्स वत्तव्वया
तहा सिणायस्स वि भाणियब्वा जाव सिणाए। ३. सं० पा०कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
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पंचवीसइमं सतं (छट्ठो उद्देसो)
९४७ ३६५. सिणाए णं-पूच्छा।
गोयमा ! सजोगी वा होज्जा, अजोगी वा होज्जा। जइ सजोगी होज्जा कि
मणजोगी होज्जा-सेसं जहा पुलागस्स ।। उवओग-पदं ३६६. पुलाए णं भंते ! किं सागारोवउत्ते होज्जा ? अणागारोवउत्ते होज्जा ?
गोयमा ! सागारोवउत्ते वा होज्जा, अणागारोवउत्ते वा होज्जा । एवं जाव
सिणाए। कसाय-पदं ३६७. पुलाए णं भंते । सकसायी होज्जा ? अकसायी होज्जा?
गोयमा ! सकसायी होज्जा, नो अकसायी होज्जा । ३६८. जइ सकसायी होज्जा, से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होज्जा ?
गोयमा ! चउसु कोह-माण-माया-लोभेसु होज्जा। एवं बउसे वि । एवं
पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३६६. कसायकुसीले णं पुच्छा।
गोयमा ! सकसायी होज्जा, नो अकसायी होज्जा ।। ३७०. जइ सकसायी होज्जा, से णं भंते ! कतिसु कसाएसु होज्जा ?
गोयमा ! चउसु वा तिसु वा दोसु वा एगम्मि वा होज्जा । चउसु होमाणे चउसु संजलणकोह-माण-माया-लोभेसु होज्जा, तिसु होमाणे तिसु संजलणमाणमाया-लोभेसु होज्जा, दोसु होमाणे संजलणमाया-लोभेसु होज्जा, एगम्मि
होमाणे संजलणलोभे होज्जा। ३७१. नियंठे णं -पुच्छा।
गोयमा ! नो सकसायी होज्जा, अकसायी होज्जा ।। ३७२. जइ कसायी होज्जा कि उवसंतकसायी होज्जा ? खोणकसायी होज्जा?
गोयमा ! उवसंतकसायी वा होज्जा, खीणकसायी वा होज्जा। सिणाए एवं
चेव, नवरं-नो उवसंतकसायी होज्जा, खोणकसायी होज्जा ।। लेस्सा -पदं ३७३. पुलाए णं भंते ! किं सलेस्से होज्जा ? अलेस्से होज्जा ?
___ गोयमा ! सलेस्सो होज्जा, नो अलेस्से होज्जा। ३७४. जइ सलेस्से होज्जा, से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा ?
गोयमा ! तिसु विसुद्धलेस्सासु होज्जा, तं जहा-तेउलेस्साए, पम्हलेस्साए,
सुक्कलेस्साए। एवं बउसस्स वि । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३७५. कसायकुसीले-पुच्छा।
गोयमा ! सलेस्से होज्जा, नो अलेस्से होज्जा॥
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६४०
भगवई ३७६. जइ सलेस्से होज्जा, से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा ?
गोयमा ! छसु लेस्सासु होज्जा, तं जहा --कण्हलेस्साए जाव सुक्कलेस्साए । ३७७. नियंठे णं भंते ! –पुच्छा।
गोयमा ! सलेस्से होज्जा, नो अलेस्से होज्जा । ३७८. जइ सलेस्से होज्जा, से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा ?
गोयमा ! एक्काए सुक्कलेस्साए होज्जा॥ ३७६. सिणाए-पुच्छा।
गोयमा ! सलेस्से वा होज्जा, अलेस्से वा होज्जा ॥ ३८०. जइ सलेस्से होज्जा, से णं भंते ! कतिसु लेस्सासु होज्जा ?
गोयमा ! एगाए परमसुक्कलेस्साए होज्जा ॥ परिणाम-पदं ३८१. पुलाए णं भंते ! किं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? हायमाणपरिणामे होज्जा ?
अवट्ठियपरिणामे होज्जा ? गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे वा होज्जा, हायमाणपरिणामे वा होज्जा,
अवट्ठियपरिणामे वा होज्जा । एवं जाव कसायकुसोले ॥ ३८२. नियंठे णं-पुच्छा।
गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे होज्जा, नो हायमाणपरिणामे होज्जा, अवट्ठिय
परिणामे वा होज्जा । एवं सिणाए वि ।। ३८३. पुलाए णं भंते ! केवतियं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ?
गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ॥ ३८४. केवतियं कालं हायमाणपरिणामे होज्जा!
गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं ।। ३८५. केवतियं कालं अवट्ठियपरिणामे होज्जा ?
गोयमा ! जहणणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं सत्त समया। एवं जाव
कसायकुसीले ॥ ३८६. नियंठे णं भंते ! केवतियं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ?
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ॥ ३८७. केवतियं कालं अववियपरिणामे होज्जा ?
गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। ३८८. सिणाए णं भंते ! केवतियं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ?
गोयमा ! 'जहण्णेण वि'' अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं ॥
१. हीयमाण ° (म, स)।
२. जहणेण्णं (अ. क. ख. ब, म, स)।
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पंचवीसइम सत (छट्टो उद्देसो)
९४९
३८६. केवतियं कालं अवट्ठियपरिणामे होज्जा ?
___ गोयमा ! जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी।। बंध-पदं ३६०. पुलाए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ बंधति ?
गोयमा ! आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ बंधति ।। ३६१. बउसे--पुच्छा।
गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्ट विहबंधए वा । सत्त बंधमाणे आउयवज्जासो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधति, अट्ठ बंधमाणे पडिपुण्णाश्रो अट्ठ कम्मप्पगडीयो
बंधति । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।। ३६२. कसायकुसीले पुच्छा।।
गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्ठविहबंधए वा, छव्विबंधए वा । सत्त बंधमाणे आउयवज्जानो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधति, अट्ठ बंधमाणे पडिपुण्णासो अट्ठ कम्मप्पगडीअो बंघति, छ बंधमाणे ग्राउय-मोहणिज्जवज्जायो छक्कम्मप्पग
डीयो बंधति ॥ ३६३. नियंठे णं-पुच्छा।
गोयमा ! एग वेयणिज्ज कम्म बंधई। ३६४. सिणाए-पुच्छा।
गोयमा ! एगविहबंधए वा, अबंधए वा। एगं बंधमाणे एगं वेयणिज्ज कम्म बंधइ॥
वेदण-पदं ३६५. पुलाए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो वेदेइ ?
गोयमा ! नियमं अट्ठ कम्मप्पगडीओ वेदेइ । एवं जाव कसायकुसीले ।। ३६६. नियंठे णं-पुच्छा।
गोयमा ! मोहणिज्जवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीओ वेदेइ ।। ३६७. सिणाए णं-पुच्छा।
गोयमा ! वेयणिज्ज-अाउय-नाम-गोयानो चत्तारि कम्मप्पगडीमो वेदेइ ॥ उदीरणा-पदं ३६८. पुलाए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो उदीरेति ?
___ गोयमा ! आउय-वेयणिज्जवज्जासो छ कम्मप्पगडीयो उदीरेति ॥ ३६६. बउसे-पुच्छा।
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१५०
भगवई
गोयमा ! सत्तविहउदी रए वा, अट्टविहउदीरए वा, छव्विहउदीरए वा । सत्त उदीरेमाणे आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीयो उदी रेति, अट्ठ उदीरेमाणे पडिपुण्णाम्रो अट्ठ कम्मप्पगडीयो उदीरेति, छ उदीरेमाणे पाउय-वेयणिज्ज
वज्जायो छ कम्मप्पगडीअो उदीरेति । पडिसेवणाकुसीले एवं चेव ॥ ४००.
कसायकुसीले-पुच्छा। गोयमा ! सत्तविहउदीरए वा, अट्ठविहउदीरए वा, छव्विहउदीरए वा, पंचविहउदीरए वा। सत्त उदीरेमाणे ग्राउयवज्जाग्रो सत्त कम्मप्पगडीयो उदीरेति, अट्ट उदीरेमाणे पडिपुण्णाश्रो अट्ट कम्मप्पगडीग्रो उदीरेति, छ उदीरेमाणे पाउयवेयणिज्जवज्जानो छ कम्मप्पगडीअो उदीरेति, पंच उदीरेमाणे आउय
वेयणिज्ज-मोहणिज्जवज्जायो पंच कम्मप्पगडीओ उदीरेति ।। ४०१. नियंठ-पूच्छा ।।
गोयमा ! पंचविहउदीरए वा, दुविहउदी रए वा। पंच उदीरेमाणे ग्राउयवेयणिज्ज-मोहणिज्जवज्जायो पंच कम्मप्पगडीओ उदीरेति, दो उदीरेमाणे नाम
च गोयं च उदो रेति ।। ४०२. सिणाए-पुच्छा।
गोयमा ! दुविहउदीरए वा, अणुदीरए वा। दो उदीरेमाणे नामं च गोयं च
उदीरेति ॥ उवसंपज्जहण-पदं ४०३. पुलाए णं भंते ! पुलायत्तं जहमाणे किं जहति ? कि उवसंपज्जति ?
गोयमा ! पुलायत्तं जहति । कसायकुसील' वा अस्संजमं वा उवसंपज्जति ।। ४०४. बउसे णं भंते ! बउसत्तं जहमाणे कि जहति ? कि उवसंपज्जति ?
गोयमा ! वउसत्तं जहति । पडिसेवणाकुसीलं वा कसायकुसीलं वा अस्संजमं
वा संजमासंजमं वा उवसंपज्जति ।। ४०५. पडिसेवणाकुसीले णं-पुच्छा।
गोयमा ! पडिसेवणाकुसीलत्तं जहति । बउसं वा कसायकुसीलं वा अस्संजमं
वा संजमासंजमं वा उवसंपज्जति ।। ४०६. कसायकुसीले णं--पुच्छा।
गोयमा ! कसायकुसीलत्तं जहति । पुलायं वा बउसं वा पडिसेवणाकुसीलं वा नियंठं वा अस्संजमं वा संजमासंजमं वा उवसंपज्जति ।।
१. इह भावप्रत्ययलोपात् कषायकुशीलत्वमित्यादि २. णं भंते ! पडि (अ, क, ख, ब, म, स) ।
दृश्यम् (वृ)।
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पंचवीसइमं सतं (छट्ठो उद्देसो) ४०७. णियंठे-पुच्छा।
गोयमा ! नियंठत्तं जहति । कसायकुसीलं वा सिणायं वा अस्संजमं वा उवसप
ज्जति ॥ ४०८. सिणाए-पुच्छा।
गोयमा ! सिणायत्तं जहति । सिद्धिगति उवसंपज्जति ।। सण्णा -पदं ४०६. पुलाए णं भंते ! कि सण्णोवउत्ते होज्जा ? नोसण्णोवउत्ते होज्जा ?
गोयमा ! नोसण्णोवउत्ते होज्जा ॥ ४१०. बउसे णं भंते !.
गोयमा ! सण्णोवउत्ते वा होज्जा, नो सण्णोवउत्ते वा होज्जा । एवं पडिसेवणा
कुसीले वि । एवं कसायकुसीले वि । नियंठे सिणाए य जहा पुलाए । आहार-पदं ४११. पुलाए णं भंते ! किं आहारए होज्जा ? अणाहारए होज्जा ?
___ गोयमा ! अाहारए होज्जा, नो अणाहारए होज्जा । एवं जाव नियंठे ॥ ४१२. सिणाए-पुच्छा।
गोयमा ! पाहारए वा होज्जा, अणाहारए वा होज्जा ॥ भव-पदं ४१३. पुलाए णं भंते ! कति भवग्गहणाइं होज्जा ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं, उक्कोसेणं तिण्णि ।। ४१४. बउसे–पुच्छा ।
गोयमा ! जहण्णेणं एक्क, उक्कोसेणं अट्ठ। एवं पडिसेवणाकुसीले वि । एवं
कसायकुसीले वि । नियंठे जहा पुलाए । ४१५. सिणाए-पुच्छा।
गोयमा! एक्कं ॥ आगरिस-पदं ४१६. पुलागस्स णं भंते ! एगभवग्गहणीया केवतिया आगरिसा पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहणणं एक्को, उक्कोसेणं तिण्णि ।। ४१७. बउसस्स णं-पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं एक्को, उक्कोसेणं सतग्गसो। एवं पडिसेवणाकुसीले वि, कसायकुसीले वि॥
१. एवं कसाय° (ब)।
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६५२
भगवई
४१८. नियंठस्स णं-पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं एक्को, उक्कोसेणं दोण्णि ।। ४१६. सिणायस्स णं-पुच्छा।
गोयमा ! एक्को ॥ पुलागस्स णं भंते ! नाणाभवग्गहणीया केवतिया आगरिसा पण्णत्ता?
गोयमा ! जहण्णणं दोण्णि, उक्कोसेणं सत्त ।। ४२१. बउसस्स -- पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं दोण्णि, उक्कोसेणं सहस्सग्गसो'। एवं जाव कसायकुसीलस्स ।। ४२२. नियंठस्स णं-पुच्छा।
गोयमा ! जहणणं दोण्णि, उक्कोसेणं पंच॥ सिणायस्स-पुच्छा। गोयमा ! नत्थि एक्को वि ।।
काल-पदं ४२४. पुलाए णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। ४२५. बउसे-पुच्छा ।
गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी । एवं पडिसेवणा
कुसीले वि, कसायकुसीले वि ॥ ४२६. नियंठे--पुच्छा।
गोयमा ! जहणणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ।। ४२७. सिणाए-पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं देसूणा पुवकोडी ।। ४२८. पुलाया णं भंते ! कालो केवच्चिरं होंति ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं ॥ ४२६. बउसा णं-पुच्छा ।
गोयमा ! सव्वद्धं । एवं जाव कसालकुसीला । नियंठा जहा पुलागा। सिणाया
जहा बउसा ।। अंतर-पदं ४३०. पुलागस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतर होइ?
१. एक्को वि नत्थि (म, स)।
२. सहस्ससो (अ, क, ख, ता, म)।
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पंचवीसइमं सत (छट्ठो उद्देसो)
६५३ गोयमा ! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं अणंतं कालं-अणंताग्रो प्रोसप्पिणिउस्सप्पिणीयो कालो, खेत्तनो अवड्ढं पोग्गलपरियट्टं देसूणं । एवं जाव
नियंठस्स। ४३१. सिणायस्स–पुच्छा।
गोयमा ! 'नत्थि अंतरं ॥ ४३२. पुलायाणं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जाइं वासाइं। ४३३. बउसाणं भंते ! - पुच्छा ।
गोयमा ! नत्थि अंतरं । एवं जाव कसायकुसीलाणं ।। ४३४. नियंठाणं-पूच्छा ।
गोयमा! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं छम्मासा । सिणायाणं जहा
बउसाणं॥ समुग्घाय-पदं ४३५. पुलागस्स णं भंते ! कति समुग्घाया पण्णत्ता ?
गोयमा ! तिण्णि समुग्घाया पण्णत्ता, तं जहा–वेयणासमुग्घाए, कसाय
समुग्धाए, मारणंतियसमुग्घाए ॥ ४३६. बउसस्स णं भंते ! –पुच्छा।
गोयमा ! पंच समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा- वेयणासमुग्घाए जाव तेया
समुग्धाए । एवं पडिसेवणाकुसीले वि ।। ४३७. कसायकुसीलस्स-पुच्छा।
गोयमा ! छ समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा-वेयणासमुग्घाए जाव आहार
समुग्घाए॥ ४३८. नियंठस्स णं-पुच्छा।।
गोयमा ! नत्थि एक्को वि ।। ४३६. सिणायस्स-पुच्छा।
गोयमा ! एगे केवलिसमुग्धाए पण्णत्ते ।। खेत्त-पदं ४४०. पुलाए णं भंते ! लोगस्स कि संखेज्जइभागे होज्जा ? असंखेज्जइभागे होज्जा ?
संखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा ? सव्वलोए होज्जा ? गोयमा ! नो संखेज्जइभागे होज्जा, असंखेज्जइभागे होज्जा, नो संखेज्जेसु
१. नत्थंतरं (अ, क, ख, ता, ब, म)।
२. आहारगसमुग्घाए (ब, म)।
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६५४
भगवई
भागेसु होज्जा, नो असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा, नो सव्वलोए होज्जा । एवं जाव नियंठे ||
४४१. सिणाए णं - पुच्छा ।
गोयमा ! नो संखेज्जइभागे होज्जा, असंखेज्जइभागे होज्जा, नो संखेज्जेसु भागेसु होज्जा, असंखेज्जेसु भागेसु होज्जा, सव्वलोए वा होज्जा |
फुसणा-पदं
४४२. पुलाए णं भंते ! लोगस्स किं संखेज्जइभागं फुसइ ? प्रसंखेज्जइभागं फुसइ ? एवं जहा प्रोगाहणा भणिया तहा फुसणा वि भाणियव्वा जाव सिणाए ।
भाव-पदं
४४३. पुलाए णं भंते ! कतरम्मि भावे होज्जा ?
गोयमा ! खोवसमिए भावे होज्जा । एवं जाव कसायकुसीले ||
४४४. नियंठे - पुच्छा ।
गोमा ! ओवसमिए वा खइए वा भावे होज्जा |
४४५. सिणाए - पुच्छा ।
गोयमा ! खइए भावे होज्जा |
परिमाण-पदं
४४६. पुलाया णं भंते ! एगसमएणं केवतिया होज्जा ?
गोमा ! पडिवज्ज माणए पडुच्च सिय प्रत्थि, सिय नत्थि । जइ ग्रत्थि जहणेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा उक्कोसेणं सयपुहत्तं । पुव्वपडिवण्णए पडुच्च सिय प्रत्थि, सिय नत्थि । जइ अत्थि जहणेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं सहस्सपुहृत्तं ॥
४४७. बउसा णं भंते ! एगसमएणं - पुच्छा ।
गोयमा ! पडिवज्ज माणए पडुच्च सिय प्रत्थि, सिय नत्थि । जइ प्रत्थि जहणेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सयपुहत्तं पुव्वपडिवण्णए पडुच्च जहणणं कोडिसयपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडिसयपुहत्तं । एवं पडिसेवणा
॥
४४८. कसायकुसीलाणं - पुच्छा ।
गोयमा ! पडिवज्ज माणए पडुच्च सिय प्रत्थि, सिय नत्थि । जइ प्रत्थि जहणेणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं सहस्सपुहत्तं । पुव्वपडिवण्णए पडुच्च जहणणं कोडिसहस्सपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडिस हस्सपुहत्तं ॥
४४६. नियंठाणं - पुच्छा ।
१. भावे वा (ता) ।
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पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि । जइ अत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं बावटुं सतं-अट्ठसयं खवगाणं, चउप्पन्न उवसामगाण। पुव्वपडिवण्णए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि। जइ अस्थि
जहण्णेणं एकको वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सयपुहत्तं ।। ४५०. सिणायाणं-पुच्छो ।
गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि, सिय नत्थि । जइ अत्थि जहण्णणं एक्को वा दो वा तिणि वा, उक्कोसेणं अट्ठसतं । पुव्वपडिवण्णए पडुच्च
जहण्णणं कोडिपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडिपुहत्तं ।। अप्पाबहुयत्त-पदं ४५१. एएसि णं भंते ! पुलाग-बउस-पडिसेवणाकुसील-कसायकुसील-नियंठ-सिणायाण
कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवा नियंठा, पुलागा संखेज्जगुणा, सिणाया संखेज्जगुणा, बउसा संखेज्जगुणा, पडिसेवणाकुसीला संखेज्जगुणा, कसायकुसीला संखेज्ज
गुणा ॥ ४५३. सवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।।
सत्तमो उद्देसो पण्णवण-पदं ४५३. कति णं भंते ! संजया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंच संजया पण्णत्ता, तं जहा-सामाइयसंजए, छेदोवट्ठावणियसंजए',
परिहारविसुद्धियसंजए", सुहुमसंपरायसंजए, अहक्खायसंजए । ४५४. सामाइयसंजए णं भंते ! कतिविहे पण्णत्ते ?
___ गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा- इत्तरिए य, आवकहिए य ।। ४५५. छेदोवट्ठावणियसंजए णं-पुच्छा।
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-सातियारे य, निरतियारे य ।। ४५६. परिहारविसुद्धियसंजए-पुच्छा।
१. उवसमगाणं (स)। २. सं० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया। ३. भ० ११५१।
४. ढाणिय° (ता)। ५. विसुद्धिसंजए (ख)।
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६५६
भगवई गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-निव्विसमाणए य, निविट्ठकाइए य । ४५७. सुहुमसंपरायसंजए- पुच्छा।
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा---संकिलिस्समाणए य, विसुज्झमाणए' य । ४५८. अहक्खायसंजए-पुच्छा।
गोयमा ! दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-छउमत्थे य, केवली य । संगहणी-गाहा
सामाइयम्मि उ कए, चाउज्जामं अणुत्तरं धम्म । तिविहेणं फासयंतो, सामाइयसंजो स खलु ॥१॥ छेत्तूण उ परियागं, पोराणं जो ठवेइ अप्पाणं । धम्मम्मि पंचजामे, छेदोवट्ठावणो स खलु ॥२।। परिहरइ जो विसुद्धं, तु पंचयाम अणुत्तरं धम्म । तिविहेणं फासयंतो, परिहारियसंजनो स खलु ।।३।। लोभाण वेदेतो', जो खलु उवसामग्रो व खवयो वा। सो सुहुमसंपरायो, अहखाया' ऊणलो किंचि ॥४॥ उवसंते खीणम्मि व, जो खलु कम्मम्मि मोहणिज्जम्मि।
छउमत्थो व जिणो वा, अहखायो संजनो स खलु ।।५।। वेद-पदं ४५६. सामाइयसंजए णं भंते ! किं सवेदए होज्जा ? अवेदए होज्जा ?
गोयमा ! सवेदए वा होज्जा, अवेदए वा होज्जा। जइ सवेदए -एवं जहा कसायकुसीले तहेव निरवसेसं । एवं छेदोवट्ठावणियसंजए वि । परिहारविसुद्धिय
संजो जहा पुलायो । सुहुमसंपरायसंजनो अहक्खायसंजयो य जहा नियंठो। राग-पदं ४६०. सामाइयसंजए णं भंते ! कि सरागे होज्जा ? वीयरागे होज्जा ?
गोयमा ! सरागे होज्जा, नो वीयरागे होज्जा । एवं जाव सुहुमसंपरायसंजए। अहक्खायसंजए । जहा नियंठे ।।
१. विसुद्धमाणए (ता)।
५. भ० २५।२६१, २६२ । २. लोभमj (अ, क); लोभाणु (ख, ता, म, ६. भ० २५।२८६,२८७ । स); लोभाणु (ब)।
७. भ. २५।२६३,२६४ । ३. वेदयतो (अ); वेयंतो (ता)।
८, भ० २५।२६७,२६८ । ४. अहक्खाया (अ, क, ख, ब, म, स)।
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पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) कप्प-पदं ४६१. सामाइयसंजए णं भंते ! किं ठियकप्पे होज्जा ? अट्ठियकप्पे होज्जा ?
गोयमा ! ठियकप्पे वा होज्जा, अट्ठियकप्पे वा होज्जा ॥ ४६२. छेदोवट्ठावणियसंजए-पुच्छा।
गोयमा ! ठियकप्पे होज्जा, नो अट्ठियकप्पे होज्जा। एवं परिहारविसुद्धिय
संजए वि । सेसा जहा सामाइयसंजए । ४६३. सामाइयसंजए णं भंते ! किं जिणकप्पे होज्जा ? थेरकप्पे होज्जा ? कप्पातीते
होज्जा ? गोयमा ! जिणकप्पे वा होज्जा, जहा' कसायकुसीले तहेव निरवसेसं । छेदो
वट्ठावणियो परिहारविसुद्धियो य जहा बउसो । सेसा जहा नियंठे ।। नियंठ-पदं ४६४. सामाइयसंजए णं भंते ! किं पुलाए होज्जा ? बउसे जाव सिणाए होज्जा ?
गोयमा ! पुलाए वा होज्जा, बउसे जाव कसायकुसीले वा होज्जा, नो नियंठे
होज्जा, नो सिणाए होज्जा । एवं छेदोवट्ठावणिए वि ॥ ४६५. परिहारविसुद्धियसंजए णं-पुच्छा।
गोयमा ! नो पुलाए, नो बउसे, नो पडिसेवणाकुसीले होज्जा; कसायकुसीले
होज्जा, नो नियंठे होज्जा, नो सिणाए होज्जा । एवं सुहुमसंपराए वि ।। ४६६. अहक्खायसंजए-पच्छा।
गोयमा ! नो पुलाए होज्जा जाव नो कसायकुसीले होज्जा, नियंठे वा होज्जा,
सिणाए वा होज्जा ॥ पडिसेवणा-पदं ४६७. सामाइयसंजए णं भंते ! किं पडिसेवए होज्जा? अपडिसेवए होज्जा ?
गोयमा ! पडिसेवए वा होज्जा, अपडिसेवए वा होज्जा। जइ पडिसेवए होज्जा -किं मूलगुणपडिसेवए होज्जा, सेसं जहा पुलागस्स । जहा सामाइय
संजए एवं छेदोवट्ठावणिए वि ।। ४६८. परिहारविसुद्धियसंजए—पुच्छा।
गोयमा ! नो पडिसेवए होज्जा, अपडिसेवए होज्जा । एवं जाव अहक्खायसंजए॥
१. भ० २५३०२। २. भ०२५।३०१ ।
३. भ० २५।३०३ । ४. भ. २५/३०८ ।
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६५८
नाण-पदं
४६६. सामाइयसंजए णं भंते ! कतिसु नाणेसु होज्जा ?
४७०. सामाइयसंजए णं भंते ! केवतियं सुयं श्रहिज्जेज्जा ?
गोमा ! दो वाति वा चउसु वा नाणेसु होज्जा । एवं जहा कसायकुसीलस्स तहेव चत्तारि नाणाई भयणाए । एवं जाव सुहुमसंपराए । ग्रहखायसंजयस्स पंच नाणाई भयणाए जहा नाणुद्देसए ||
गोमा ! जहणं ट्ट पवयणमाया, जहा कसायकुसोले । एवं छेदोवट्ठावणिएवि ॥
४७१. परिहारविसुद्धियसंजए - पुच्छा ।
गोमा ! जहणेणं नवमस्स पुव्वस्स ततियं प्रायारवत्थं, उक्कोसेणं असं पुण्णाई दस पुव्वा ग्रहिज्जेज्जा | सुहुमसंपरायसंजए जहा सामाइयसंजए || ४७२. ग्रहखायसंजए - पुच्छा ।
गोमा ! जहणेणं श्रट्ट पवयणमायाम्रो, उक्कोसेणं चोद्दस पुव्वाइं ग्रहिज्जेज्जा, सुयवतिरित्ते वा होज्जा ॥
तित्थ - पदं
४७३. सामाइयसंजए णं भंते ! किं तित्ये होज्जा ? ग्रतित्थे होज्जा ?
भगवई
गोमा ! तित्थे वा होज्जा, अतित्थे वा होज्जा, जहा कसायकुसीले । छेदवावणिए परिहारविसुद्धिए य जहा पुलाए । सेसा जहा सामाइयसंजए ||
लिंग - पद
४७४. सामाइयसंजए णं भंते ! किं सलिंग होज्जा ? अण्णलिंगे होज्जा ? गिहिलिंगे होज्जा ? जहा पुलाए । एवं छेदोवद्वावणिए वि ॥
४७५. परिहारविसुद्धियसंजए णं भंते ! किं- पुच्छा |
गोयमा ! दव्वलिंग पि भावलिंग पि पडुच्च सलिंग होज्जा, नो अण्णलिंगे होज्जा, नो गिहिलिंगे होज्जा | सेसा जहा सामाइयसंजए ||
सरीर-पदं
४७६. सामाइयसंजए णं भंते ! कतिसु सरीरेसु होज्जा ?
गोमा ! तिसु वा चउसु वा पंचसु वा जहा कसायकुसीले । एवं छेदोवट्ठावणिए वि । सेसा जहा पुलाए ॥
१. भ० २५।३१३ ।
२. भ० ८।१०५ ।
३. भ० २५।३१७ ।
४. भ० २५ ३२१ ।
५. भ० २५।३१६ ।
६. भ० २५।३२२ ।
७. भ० २५।३२५ ।
८. भ० २५।३२३ ।
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पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसा)
खेत-पदं
४७७. सामाइयसंजए णं भंते ! किं कम्मभूमीए होज्जा ? ग्रकम्मभूमीए होज्जा ? गोयमा ! जम्मण-संतिभावं पडुच्च जहा बउसे । एवं छेदोवद्वावणिए वि । परिहारविद्धि य जहा पुलाए । सेसा जहा सामाइयसंजए ||
काल-पदं
४७८. सामाइयसंजए णं भंते! किं प्रोसप्पिणिकाले होज्जा ? उस्सप्पिणिकाले ? नोप्रोप्पिणि- नोउस्सप्पिणिकाले होज्जा ?
गोयमा ! ग्रोसप्पिणिकाले जहा बउसे । एवं छेदोवद्वावणिए वि, नवरंजम्मण-संतिभावं पडुच्च चउसु वि पलिभागेसु नत्थि, साहरणं पडुच्च प्रणयरे पडिभागे होज्जा, सेसं तं चैव ॥
४७६. परिहारविसुद्धि - पुच्छा । गोमा ! सप्पिणिकाले वा होज्जा, उस्सप्पिणिकाले वा होज्जा, नोप्रोसप्पिणि- नोउस्सप्पिणिकाले नो होज्जा । जइ श्रसप्पिणिकाले होज्जा - जहा पुला | उस्सप्पिणिकाले वि जहा पुलाओ । सुहुमसंपराइ जहा' नियंठो । एवं खाव ॥
गति-पदं
४८०. सामाइयसंजए णं भंते ! कालगए समाणे कं' गतिं गच्छति ? गोयमा ! देवगतिं गच्छति ॥
४८१. देवगतिं गच्छमाणे किं भवणवासोसु उववज्जेज्जा ? वाणमंतरेसु उववज्जेज्जा ? इसिसु उववज्जेज्जा ? वेमाणिएसु उववज्जेज्जा ?
गोमा ! नो भवणवासोसु उववज्जेज्जा - जहा कसायकुसीले । एवं छेदोवद्वावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहां पुलाए । सुहुमसंपराए जहा " नियंठे ॥ ४८२. ग्रहखाए - पुच्छा ।
गोयमा ! एवं ग्रहक्खायसंजए वि जाव प्रजहण्णमणुक्कोसेणं प्रणुत्तरविमाणेसु उववज्जेज्जा; प्रत्थेगतिए सिज्झति जाव सव्वदुक्खाणं तं करेति ॥ ४८३. सामाइयसंजए णं भंते ! देवलोगेसु उववज्जमाणे किं इंदत्ताए उववज्जतिपुच्छा ।
१. भ० २५।३२७ ।
२. भ० २५ ३२६ ।
३. भ० २५।३३२-३३५ ।
४. भ० २५।३२६ ।
५. भ० २५ ३३० ।
६५६
६. भ० २५।३३५ ।
७. किं (अस) ।
८. भ० २५।३३७ ।
६. भ० २५।३३६,३३७ ।
१०. भ० २५ ३३७ ।
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९६०
भगवई
गोयमा ! अविराहणं पडुच्च एवं जहा' कसायकुसीले । एवं छेदोवढावणिए
वि । परिहारविसुद्धिए जहा' पुलाए । सेसा जहा' नियंठे । ४८४. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! देवलोगेसु उववज्जमाणस्स केवतियं कालं ठिती
पण्णत्ता ? गोयमा ! जहण्णेणं दो पलिअोवमाइं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाई। एवं
छेदोवट्ठावणिए वि॥ ४८५. परिहारविसुद्धियस्स-पुच्छा।
गोयमा ! जहणणं दो पलिग्रोवमाइं, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमाइं, सेसाणं
जहा नियंठस्स ॥ संजमट्ठाण-पदं ४८६. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! केवतिया संजमट्ठाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! असंखेज्जा संजमट्ठाणा पण्णत्ता। एवं जाव परिहारविसुद्धियस्स ॥ ४८७. सुहुमसंपरायसंजयस्स–पुच्छा।
गोयमा ! असंखेज्जा अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा पण्णत्ता ।। ४८८. अहक्खायसंजयस्स -पुच्छा।
गोयमा ! एगे अजहण्णमणुक्कोसए संजमट्ठाणे पण्णत्ते॥ ४८६. एएसि णं भंते ! सामाइय-छेदोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहुमसंपराग
अहक्खायसंजयाणं संजमट्ठाणाणं कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ० विसेसाहिया वा ? गोयमा ! सव्वत्थोवे अहक्खायसंजमस्स एगे अजहण्णमणुक्कोसए संजमट्ठाणे, सूहमसंपरागसंजयस्स अंतोमुहुत्तिया संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा, परिहारविसुद्धियसंजयस्स संजमट्ठाणा असंखेज्जगुणा, सामाइयसंजयस्स छदोवढावणिय
संजयस्स य एएसि णं संजमट्ठाणा दोण्ह वि तुल्ला असंखेज्जगुणा ।। निगास-पदं ४६०. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! केवइया चरित्तपज्जवा पण्णत्ता?
गोयमा ! अणंता चरित्तपज्जवा पण्णत्ता । एवं जाव अहक्खायसंजयस्स ।। ४६१. सामाइयसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयस्स सट्ठाणसण्णिगासेणं चरित्तपज्जवेहि
कि हीणे? तुल्ले ? अब्भहिए? गोयमा ! सिय हीणे-छट्ठाणवडिए ।
१. भ० २५।३४० । २. भ०२५१३३६ । ३. भ० २५।३४१ ।
४. भ. २५/३४५। ५. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया । ६. X (अ, क, ख, स)।
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पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) ४६२. सामाइयसंजए णं भंते ! छेदोवट्ठावणियसंजयस्स परढाणसण्णिगासेणं चरित्त
पज्जवेहि-पूच्छा।
गोयमा ! सिय हीणे--- छट्ठाणवडिए । एवं परिहारविसुद्धियस्स वि ।। ४६३. सामाइयसंजए णं भंते ! सुहुमसंपरागसंजयस्स परट्ठाणसण्णिगासेणं चरित्त
पज्जवेहिं --पुच्छा। गोयमा ! होणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए, अणंतगुणहीणे । एवं अहक्खायसंजयस्स वि। एवं छेदोवट्ठावणिए वि हेट्ठिल्लेसु तिसु वि समं छट्ठाणवडिए,
उवरिल्ले सु दोसु तहेव हीणे । जहा छेदोवट्ठावणिए तहा परिहारविसुद्धिए वि ।। ४६४. सुहमसंपरागसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयस्स परढाण-पुच्छा।
गोयमा ! नो हीणे, नो तुल्ले, अब्भहिए अणंतगुणमभहिए । एवं छेप्रोवट्ठावणिय परिहारविसुद्धिएसु वि समं । सट्ठाणे सिय हीणे, नो तुल्ले, सिय अब्भ
हिए । जइ होणे अणंतगुणहीणे, अह अब्भहिए अणंतगुणमब्भहिए ।। ४६५. सुहमसंपरायसंजयस्स अहक्खायसंजयस्स परट्ठाण-पुच्छा।।
गोयमा ! हीणे, नो तुल्ले, नो अब्भहिए; अणंतगुणहीणे । अहक्खाए हेछिल्लाणं चउण्ह वि नो होणे, नो तुल्ले, अब्भहिए-अणंतगुणमब्भहिए। सट्ठाणे नो
हीणे, तुल्ले, नो अब्भहिए। ४६६. एएसि णं भंते ! सामाइय-छेदोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय-सुहमसंपराय
अहक्खायसंजयाणं जहण्णुक्कोसगाणं चरित्तपज्जवाणं कयरे कयरेहितो' 'अप्पा वा? बहुया वा ? तुल्ला वा ? ° विसेसाहिया वा? गोयमा ! सामाइयसंजयस्स छेप्रोवट्ठावणियसंजयस्स य एएसि णं जहण्णगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला सव्वत्थोवा, परिहारविसुद्धियसंजयस्स जहण्णगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा, तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगणा, सामाइयसंजयस्स छेप्रोवट्ठावणियसंजयस्स य एएसि णं उक्कोसगा चरित्तपज्जवा दोण्ह वि तुल्ला अणंतगुणा, सुहमसंपरायसंजयस्स जहण्णगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा, तस्स चेव उक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा, अहक्खायसंजयस्स
अजहण्णमणुक्कोसगा चरित्तपज्जवा अणंतगुणा ।। जोग-पदं ४६७. सामाइयसंजए णं भंते ! कि सजोगी होज्जा ? अजोगी होज्जा?
गोयमा ! सजोगी जहा पुलाए। एवं जाव सुहुमसंपरायसंजए। अहक्खाए जहा' सिणाए॥
३. भ० २५।३६५ ।
१. सं० पा०-कयरेहितो जाव विसेसाहिया । २. भ० २५।३६३,३६४ ।
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उवयोग-पदं ४६८. सामाइयसंजए णं भंते ! किं सागारोवउत्ते होज्जा ? अणागारोव उत्ते होज्जा?
गोयमा ! सागरोवउत्ते जहा पुलाए। एवं जाव अहक्खाए, नवरं-सुहुमसंप
राए सागारोवउत्ते होज्जा, नो अणागारोवउत्ते होज्जा ॥ कसाय-पदं ४६६. सामाइयसंजए णं भंते ! कि सकसायी होज्जा ? अकसायी होज्जा ?
गोयमा ! सकसायी होज्जा, नो अकसायी होज्जा जहा कसायकुसीले । एवं
छेदोवट्ठावणिए वि । परिहारविसुद्धिए जहा' पुलाए । ५००. सुहंमसंपरागसंजए—पुच्छा।
गोयमा ! सकसायी होज्जा, नो अकसायी होज्जा॥ ५०१. जइ सकसायी होज्जा, से णं भंते ! कतिसु कसायेसु होज्जा ?
गोयमा ! एगम्मि संजलणलोभे होज्जा । अहक्खायसंजए जहा नियंठे ।। लेस्सा -पदं ५०२. सामाइयसंजए णं भंते ! किं सलेस्से होज्जा ? अलेस्से होज्जा ?
गोयमा ! सलेस्से होज्जा जहा' कसायकुसीले। एवं छेदोवट्ठावणिए वि। परिहारविसद्धिए जहा पूलाए। सूहमसंपराए जहा नियंठे। अहक्खाए जहा'
सिणाए, नवरं-जइ सलेस्से होज्जा, एगाए सुक्कलेस्साए होज्जा ॥ परिणाम-पदं ५०३. सामाइयसंजए णं भंते ! किं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ? हायमाणपरिणामे ?
अवट्ठियपरिणामे?
गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे जहा“ पुलाए । एवं जाव परिहारविसुद्धिए । ५०४. सुहुमसंपराए-पुच्छा।
गोयमा ! वड्ढमाणपरिणामे वा होज्जा, हायमाणपरिणामे वा होज्जा,
नो अवटियपरिणामे होज्जा । अहक्खाए जहा" नियंठे ।। ५०५. सामाइयसंजए णं भंते ! केवइयं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं जहा" पुलाए । एवं जाव परिहारविसुद्धिए।
१. भ० २५॥३६६ । २. भ० २५॥३७० । ३. भ० २५३६७,३६८ । ४. भ० २५४३७१,३७२ । ५. भ० २५।३७५,३७६ । ६. भ० २५॥३७३,३७४ ।
७. भ० २५।३७७,३७८ । ८. भ० २५।३७६,३८० । ६. हीय ° (स)। १०. भ० २५।३८१ । ११. भ० २५।३८२ १२. भ० २५॥३८३ ।
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पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
१६३
५०६. सुहमसंपरागसंजए णं भंते ! केवतियं कालं वड्ढमाणपरिणामे होज्जा ?
गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अंतोमुहत्तं ।। ५०७. केवतियं कालं हायमाणपरिणामे होज्जा ? एवं चेव ।। ५०८. अहक्खायसंजए ण भंते ! केवतियं कालं वडढमाणपरिणामे होज्जा?
गोयमा ! जहणणं अतोमुहुत्तं, उक्कोसेण वि अंतोमुहुत्तं ।। ५०६. केवतियं कालं अवट्ठियपरिणामे होज्जा ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समय, उक्कोसेणं देसूणा पुव्वकोडी ।। बंध-पदं ५१०. सामाइयसंजए णं भंते ! कइ कम्मप्पगडीअो बंधइ ?
गोयमा ! सत्तविहबंधए वा, अट्ठविहबंधए वा, एवं जहा' बउसे । एवं जाव
परिहारविसुद्धिए ।। ५११. सुहुमसंपरागसंजए-पुच्छा।
गोयमा ! ग्राउय-मोहणिज्जवज्जाओ छ कम्मप्पगडोरो बंधति । अहक्खायसंजए
जहा सिणाए॥ वेदण-पदं ५१२. सामाइयसंजए णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ वेदेति ?
गोयमा ! नियमं अट्ठ कम्मप्पगडीओ वेदेति । एवं जाव सुहुमसंपराए । ५१३. अहक्खाए--पुच्छा।
गोयमा ! सत्तविहवेदए वा, चउविहवेदए वा । सत्त वेदेमाणे मोहणिज्जवज्जायो सत्त कम्मप्पगडीयो वेदेति, चत्तारि वेदेमाणे वेयणिज्जाउय-नाम
गोयानो चत्तारि कम्मप्पगडीअो वेदेति ।। उदीरणा-पदं ५१४. सामाइयसंजए णं भंते ! कति' कम्मप्पगडोयो उदीरेति ?
गोयमा ! सत्तविहउदोरए वा जहा ब उसो । एवं जाव परिहारविसुद्धिए । ५१५. सुहुमसंपराए-पुच्छा।
गोयमा ! छव्विहउदीरए वा, पंचविहउदीरए वा। छ उदीरेमाणे आउयवेयणिज्जवज्जाप्रो छ कम्मप्पगडीअो उदीरेइ, पंच उदीरमाणे आउय
वेयणिज्ज-मोहणिज्जवज्जाप्रो पंच कम्मप्पगडीयो उदीरेइ ।। ५१६. अहक्खायसंजए-पुच्छा।
१. भ० २५।३६१। २. भ०२५।३६४ ।
३. केवइ (ता)। ४. भ० २५॥३६६ ।
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६६४
भगवई
गोयमा ! पंचविहउदीरए वा दुविहउदीरए वा अणुदीरए वा । पंच उदीरेमाणे प्राउय-वे णिज्ज - मोह णिज्जवज्जाम्रो । सेसं जहा' नियंठस्स ||
उवसंज्जहण-पदं
५१७. सामाइयसंजए णं भंते ! सामाइयसंजयत्तं जहमाणे किं जहति ? किं
उवसं पज्जति ?
गोयमा ! सामाइयसंजयत्तं जहति । छेदोवद्वावणियसंजय वा, सुहुमसंपरागसंजयं वा, संजमं वा, संजमासंजमं वा उवसंपज्जति ॥
५१८. छेश्रोवट्ठावणिए - पुच्छा ।
गोमा ! छेोवद्वावणियसंजयत्तं जहति । सामाइयसंजयं वा, परिहारविसुद्धियसंजयं वा, सुहुमसंपरागसंजयं वा प्रसंजमं वा, संजमासंजमं वा उवसंपज्जति ॥ ५१६. परिहारविसुद्धिए - पुच्छा ।
गोयमा ! परिहारविसुद्धियसंजयत्तं जहति । छेदोवट्ठावणियसंजयं वा असंजमं वा उवसंज्जति ॥
५२०. सुहुमसंपराए – पुच्छा ।
गोयमा ! सुहुमसंप रायसंजयत्तं जहति । सामाइयसंजयं वा, छेत्रोवद्वावणियसंजयं वा, ग्रहखायसंजयं वा असंजमं वा उवसंपज्जइ ॥
५२१. अहक्खायसंजए - पुच्छा ।
गोयमा ! ग्रहक्खायसंजयत्तं जहति । सुहुमसंपरागसंजयं वा, प्रसंजमं वा, सिद्धिगति वा उवसंपज्जइ ॥
सण्णा-पदं
५२२. सामाइयसंजए णं भंते! किं सण्णोवउत्ते होज्जा ? नो सण्णोवउत्ते होज्जा ? गोयमा ! सण्णोवउत्ते जहा' वउसो । एवं जाव परिहारविसुद्धिए । सुहमसंपराए ग्रहक्खाए य जहा पुलाए ।
आहार पदं
५२३. सामाइयसंजए णं भंते! किं प्राहारए होज्जा ? प्रणाहारए होज्जा ? जहा पुलाए । एवं जाव सुहुमसंपराए । अहक्खायसंजए जहा ' सिणा ॥
१. भ० २५।४०१ ।
२. उपसंपत्तिप्रसङ्ग सर्वत्रापि भावप्रत्ययलोपो
दृश्यते ।
३. भ०/४१० ।
४. भ० २५।४०६ ।
५. भ० २५।४११ ।
६. भ० २५/४१२ ।
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पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) भव-पदं ५२४. सामाइयसंजए णं भंते ! कति भवग्गहणाई होज्जा ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं, उक्कोसेणं अट्ठ । एवं छेदोवट्ठावणिए वि ।। ५२५. परिहारविसुद्धिए- पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णणं एक्कं, उक्कोसेणं तिण्णि । एवं जाव अहक्खाए ।। आगरिस-पदं ५२६. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! एगभवग्गहणिया केवतिया आगरिसा पण्णत्ता?
गोयमा ! जहण्णणं जहा' बउसस्स ।। ५२७. छेदोवट्ठावणियस्स-पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं एक्को', उक्कोसेणं वीसपुहत्तं ।। ५२८. परिहारविसुद्धियस्स-पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णेणं एक्को, उक्कोसेणं तिण्णि ॥ ५२६. सुटुमसंपरायस्स- पुच्छा ।।
गोयमा ! जहण्णणं एक्को, उक्कोसेणं चत्तारि ॥ ५३०. अहक्खायस्स---पुच्छा।
गोयमा ! जहण्णणं एक्को, उक्कोसेणं दोण्णि ।। ५३१. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! नाणाभवग्गहणिया केवतिया आगरिसा पण्णत्ता ?
गोयमा ! जहा बउसे ॥ ५३२. छेदोवट्ठावणियस्स-पुच्छा।
गोयमा ! जहणणं दोण्णि, उक्कोसेणं उरि नवण्हं सयाणं अंतो सहस्सस्स । परिहारविसुद्धियस्स जहण्णेणं दोण्णि, उक्कोसेणं सत्त । सूहुमसंपरागस्स जहण्णणं
दोण्णि, उक्कोसेणं नव । अहक्खायस्स जहण्णेणं दोण्णि, उक्कोसेणं पंच ॥ काल-पदं ५३३. सामाइयसंजए णं भंते ! कालो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणएहिं नवहिं वासेहिं ऊणिया पुवकोडी । एवं छेदोवट्ठावणिए वि। परिहारविसुद्धिए जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं देसूणएहिं एकूणतीसाए वासेहिं ऊणिया पुत्वकोडी। सुहुमसंपराए
जहा नियंठे । अहवखाए जहा सामाइयसंजए । ५३४. सामाइयसंजया णं भंते ! कालो केवच्चिरं होंति ?
गोयमा ! सव्वद्धं ॥
१. भ० २५४१७ । २. एक्कं (अ, ख, ता, ब, म)।
३. भ० २०४२१ । ४. भ० २५४४२६।
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६६
५३५. छेदोवट्ठावणियसंजया - पुच्छा |
५३६. परिहारविसुद्धीयसंजया - पुच्छा ।
गोयमा ! जहणणेणं अड्ढाइज्जाई वाससयाई, उक्कोसेणं पण्णासं सागरोवमकोडिसयसहस्साइं ||
५३७. सुहुमसंपरागसंजया - पुच्छा ।
गोमा ! जहणणं देसूणाई दो वाससयाई, उक्कोसेणं देसूणाश्रो दो पुव्वकोडीओ ॥
अंतर- पदं
५३८. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! केवइयं कालं अंतरं होइ ? !
गोमा ! जहणेणं जहा पुलागस्स । एवं जाव ग्रहखायसंजयस्स || ५३६. सामाइयसंजयाणं भंते ! - पुच्छा |
गोयमा ! 'नत्थि अंतरं" ॥
गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं तोमुहुत्तं । ग्रहक्खायसंजया जहा सामाइयसंजया ||
५४०. छेदोवट्टावणियाणं - पुच्छा ।
५४१. परिहारविसुद्धियाणं - पुच्छा ।
भगवई
गोयमा ! जहणेणं तेवट्ठि वाससहस्साई, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकोडा|
गोयमा ! जहणेणं चउरासीइं वाससहस्साई, उक्कोसेणं अट्ठारस सागरोवमकाकडी । सुमपरायाणं जहा नियंठाणं । ग्रहवखायाणं जहा सामाइयसंजयाणं ॥
समुग्धाय-पदं
५४२. सामाइयसंजयस्स णं भंते ! कति समुग्धाया पण्णत्ता ?
गोयमा ! छ समुग्धाया पण्णत्ता जहा कसायकुसीलस्स । एवं छेदोवट्ठावणियस्स वि । परिहारविसुद्धियस्स जहा पुलागस्स । सुहुमसंपरागरस जहा' नियंठस्स | क्वायरस जहा ँ सिणायस्स ||
खेत्त-पदं
५४३. सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स किं संखेज्जइभागे होज्जा, प्रसंखेज्जइभागे— पुच्छा ।
१. भ० २५।४३० ।
२. नत्थं तरं ( अ, क, ख, ता, ब, म) 1
३. भ० २५।४३४ ।
४. भ० २५।४३७ ।
५. भ० २५।४३५ ।
६. भ० २५/४३८ ।
७. भ० २५।४३६ ।
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पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
६६७ गोयमा ! नो संखेज्जइभागे जहा' पुलाए । एवं जाव सुहमसंपराए । अहक्खाय
संजए जहा सिणाए॥ फुसणा-पदं ५४४. सामाइयसंजए णं भंते ! लोगस्स किं संखेज्जइभागं फुसइ० ? जहेव होज्जा
तहेव फुसइ॥ भाव-पदं ५४५. सामाइयसंजए णं भंते ! कयरम्मि भावे होज्जा ?
गोयमा ! खग्रोवसमिए भावे होज्जा । एवं जाव सुहुमसंपराए । ५४६. अहक्खायसंजए -- पुच्छा।
गोयमा ! उवसमिए वा खइए' वा भावे होज्जा ॥ परिमाण-पदं ५४७. सामाइयसंजया णं भंते ! एगसमएणं केवतिया होज्जा ?
गोयमा ! पडिवज्जमाणए य पडुच्च जहा कसायकुसीला तहेव निरवसेसं ॥ ५४८. छेदोवट्ठावणिया-पुच्छा।
गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि । जइ अत्थि जहण्णेणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं सयपुहत्तं । पुव्वपडिवण्णए पडुच्च सिय अत्थि सिय नत्थि। जइ अत्थि जहण्णेणं कोडिसयपुहत्तं, उक्कोसेण वि कोडि
सयपुहत्तं । परिहारविसुद्धिया जहा' पुलागा । सुहुमसंपराया जहा नियंठा ॥ ५४६. ग्रहक्खायसंजया णं-पुच्छा।
गोयमा ! पडिवज्जमाणए पडुच्च सिय अस्थि सिय नत्थि । जइ अत्थि जहण्णणं एक्को वा दो वा तिण्णि वा, उक्कोसेणं बावट्ठ सयं-अठ्ठत्तरसयं खवगाणं, चउप्पण्णं उवसामगाणं । पुव्वपडिवण्णए पडुच्च जहण्णेणं कोडिपुहत्तं, उक्को
सेण वि कोडिपुहत्तं ॥ अप्पाबहुयत्त-पदं yo. एएसि णं भंते ! सामाइय-छेग्रोवट्ठावणिय-परिहारविसुद्धिय-सूहमसंपराय
अहक्खायसंजयाणं कयरे कयरेहितो 'अप्पा वा ? बहुया वा ? तुल्ला वा ? • विसेसाहिया वा ?
१. भ० २५.४४०। २. भ. २५१४४१ । ३. खतिए (अ,क,ख,ब,म,स); खविए (ता)। ४. भ०२५२४४८ ।
५. भ० २५॥४४६ । ६. भ० २५१४४६ । ७. अट्ठसयं (क, ता, ब)। ८. सं० पा०–कयरेहितो जाव विसेसाहिया।
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भगवई
गोमा ! सव्वत्थोवा सुहुमसंपरायसंजया, परिहारविसुद्धियसंजया संखेज्जगुणा, ग्रहक्खायसंजया संखेज्जगुणा, छेओवद्वावणियसंजया संखेज्जगुणा, सामाइयसंजया संखेज्जगुणा ।।
संगही-गाहा
६६८
डिसेवण दोसालोयणा य, ग्रालोयणारिहे चेव । तत्तो सामायारी, पायच्छित्ते तवे चेव ॥ १ ॥
पडि सेवणा-पदं
५५१. कइविहा णं भंते ! पडिसेवणा पण्णत्ता ? गोमा ! दसविहा पडिसेवणा पण्णत्ता, तं जहा
दप्पप्पमादणा भोगे, ग्राउरे ग्रावतीति य । संकिणे' सहसक्कारे, भयप्पोसा य वीमंसा ॥ १ ॥
प्रालोयणा-पदं
५५२. दस आलोयणादोसा पण्णत्ता, तं जहा-
ग्रापइत्ता अणुमाणइत्ता, जं दिट्ठ बादरं व सुहुमं वा । छन्नं सद्दाउलयं, बहुजण अव्वत्त तस्सेवी ॥ १ ॥ ५५३. दसहि ठाणेहिं संपणे अणगारे अरिहति प्रत्तदोसं आलोइत्तए, तं जहा -- जातिसंपणे, कुलसंपण्णे, विणयसंपण्णे, नाणसंपण्णे, दंसणसंपण्णे, चरित्तसंपणे, खंते, दंते, अमायी, अपच्छाणुतावी ॥
५५४. अट्ठहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति प्रालोयणं पडिच्छित्तए, तं जहा - आयारखं, आहारवं', ववहारवं, उव्वीलए, पकुव्वए, अपरिस्सावी, निज्जवए, वायसी ||
सामायारो-पदं
५५५. दसविहा सामायारी पण्णत्ता, तं जहा -
इच्छा मिच्छा तहक्कारो आवस्सिया य निसीहिया । श्रापुच्छणा य पडिपुच्छा, छंदणा य निमंतणा । उवसंपया य काले, सामायारी भवे
पायच्छित्त-पदं
५५६. दसविहे पायच्छित्ते पण्णत्ते, तं जहा - आलोयणारिहे, पडिक्कमणारिहे, तदुभयारिहे, विवेगारिहे, विउसग्गारिहे, तवारिहे, छेदारिहे, मूलारिहे, प्रणवटुप्पारि, पारंचियारि ॥
१. संकिते ( अ, क, ख, ता, ब, म, वृपा ); निशीथपाठे तु 'तितिण' इत्यभिधीयते ( वृ) ।
दसहा ॥ १ ॥
२. आधारखं ( अ, क, ब ) ; अवधारवं (म ) |
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पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो) तव-पदं ५५७. दुविहे तवे पण्णत्ते, तं जहा बाहिरए य, अभितरए य ॥ ५५८. से कि तं बाहिरए तवे ? बाहिरए तवे छविहे पण्णत्ते, तं जहा-अणसणं,
प्रोमोदरिया, भिक्खायरिया, रसपरिच्चायो, कायकिलेसो, पडिसंलीणता ।। ५५६. से किं तं अणसणे? अणसणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-इत्तरिए य, आवकहिए य॥ ५६०. से कि तं इत्तरिए ? इत्तरिए अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा-च उत्थे भत्ते, छट्टे
भत्ते, अट्टमे भत्ते, दसमे भत्ते, दुवालसमे भत्ते, चोइसमे भत्ते, अद्धमासिए भत्ते, मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते, तेमासिए भत्ते जाव छम्मासिए भत्ते । सेत्तं
इत्तरिए। ५६१. से कि तं प्रावकहिए ? आवकहिए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा पायोवगमणे' य,
भत्तपच्चक्खाणे य ।। ५६२. से किं तं पायोवगमणे ? पाअोवगमणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-नीहारिमे य,
अणीहारिमे य । नियमं अपडिकम्मे । सेत्तं पाओवगमणे ॥ ५६३. से कि तं भत्तपच्चक्खाणे ? भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा -नीहारिमे
य, अणीहारिमे य। नियमं सपडिकम्मे । सेत्तं भत्तपच्चक्खाणे । सेत्तं
आवकहिए। सेत्तं अणसणे ।। ५६४. से किं तं प्रोमोदरिया ? प्रोमोदरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा–दव्योमोदरिया
य, भावोमोदरिया य ।। ५६५. से कि तं दव्वोमोदरिया ? दव्वोमोदरिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा
उवगरणदव्वोमोदरिया य, भत्तपाणदव्वोमोदरिया य ।। ५६६. से किं तं उवगरणदव्वोमोदरिया ? उवगरणदव्वोमोदरिया तिविहा पण्णत्ता,
तं जहा---एगे वत्थे, एगे पाए, चियत्तोवगरणसातिज्जणया। सेतं
उवगरणदव्वोमोदरिया ॥ ५६७. से कि तं भत्तपाणदव्वोमोदरिया ? भत्तपाणदव्वोमोदरिया अटकुक्कुडिअंड
गप्पमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अप्पाहारे, दुवालस कुक्कुडियंडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे अवड्ढोमोदरिए, सोलस कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले आहारमाहारेमाणे दुभागप्पत्ते, चउव्वीसं कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले पाहारमाहारेमाणे प्रोमोदरिए, बत्तीसं कुक्कुडिअंडगपमाणमेत्ते कवले अाहारमाहारेमाणे पमाणमेत्ते, एत्तो एक्केण वि घासेणं ऊणगं
१. पादोव ° (ख)। २. पादे (अ, क, ब)।
३. सं० पा०-जहा सत्तमसए पढमोद्देसए जाव
नो।
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६७०
भगवई
आहारमाहारेमाणे समणे निग्गंथे नो पकामरस भोजीति वत्तव्वं सिया।
सेत्तं भत्तपाणदव्वोमोदरिया। सेत्तं दव्वोमोदरिया ॥ ५६८. से कि तं भावोमोदरिया ? भावोमोदरिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा
अप्पकोहे', 'अप्पमाणे, अप्पमाए, अप्पलोभे, अप्पसद्दे, अप्पझंझे,
अप्पतुमंतुमे। सेत्तं भावोमोदरिया । सेत्तं प्रोमोदरिया ॥ ५६६. से कि तं भिक्खायरिया ? भिक्खायरिया अणेगविहा पण्णत्ता, तं जहा--
दव्वाभिग्गहचरए, खेत्ताभिग्गहचरए, कालाभिग्गहचरए, भावाभिग्गहचरए, उक्खित्तचरए, णिक्खित्तचराए, उक्खित्तणिक्खित्तचरए, णिक्खित्तउविखत्तचरए, वट्टिज्जमाणचरए, साहरिज्जमाणचरए, उवणीयचरए, अवणीयचरए, उवणीयग्रवणीयचरए, प्रवणीयउवणीयचरए, संसट्ठचरए, असंसद्धचरए, तज्जायसंसट्टचरए, अण्णयचरए, मोणचरए°, सुद्धेसणिए, संखादत्तिए ।
सेत्तं भिक्खायरिया ॥ ५७०. से कि तं रसपरिच्चाए? रसपरिच्चाए अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा
निविगितिए, पणीयरसविवज्जए, "आयंबिलए, आयामसित्थभोई, अरसाहारे,
विरसाहारे, अंताहारे, पंताहारे°, लूहाहारे । सेत्तं रसपरिच्चाए । ५७१. से किं तं कायकिलेसे ? कायकिलेसे अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा-ठाणादीए,
उक्कुडुयासणिए, “पडिमट्ठाई, वीरासणिए, नेसज्जिए, पायावए, अवाउडए, अपंडुयए, अणिठ्ठहए °, सव्वगायपरिकम्म-विभुसविप्पमुक्के। सेत्तं
कायकिलेस ।। ५७२. से कि तं पडिसलीणया ? पडिसंलीणया चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा --
इंदियपडिसलीणया, कसायपडिसलीणया, जोगपडिसंलीणया, विवित्तसयणा
सणसेवणया॥ ५७३. से कि तं इंदियपडिसंलीणया ? इंदियपडिसलीणया पंचविहा पण्णत्ता, तं
जहा - सोइंदियविसयप्पयारणिरोहो वा, सोइंदियविसयप्पत्तेसु वा अत्थेसु रागदोसविणिग्गहो । चक्खिदियविसयप्पयारणिरोहो वा एवं जाव फासिदियविसयप्पयारणिरोहो वा, फासिंदियविसयप्पत्तेसु वा अत्थेसु
रागदोसविणिग्गहो । सेत्तं इंदियपडिसंलीणया ॥ ५७४. से किं तं कसायपडिसलीणया? कसायपडिसंलीणया चउव्विहा पण्णत्ता, तं
___ जहा–कोहोदयनिरोहो वा, उदयप्पत्तस्स वा कोहस्स विफलीकरणं । एवं
१. सं०पा०-अप्पकोहे जाव अप्पलोभे । ३. सं० पा०-जहा ओववाइए जाव लूहाहारे । २. संपा० ---जहा ओववाइए जाव सुद्धेसरिणए। ४. सं० पा०-जहा ओववाइए जाव सव्वगाय ।
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पंचवीसइमं सतं ( सत्तसो उद्देसो)
६७१
जाव लोभोदयनिरोहो वा, उदयपत्तस्स वा लोभस्स विफलीकरणं । सेत्तं कसाय पडिलीणया ||
५७५. से किं तं जोगपडिसंलीणया ? 'जोगपडिसलीणया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - जोगपडिलीणया, वइजोगपडिसलीणया, कायजोगपडिसलीणया ॥ ५७६. से किं तं मणजोगपडिसलीणया ? मणजोगपडिसलीणया कुसलमानि रोहो वा, कुसलमणउदीरणं वा, मणस्स वा एगत्तीभावकरणं । सेत्तं मणजोगपडिसंलीणया ||
५७७. से किं तं वइजोगपडिसंलीणया ? वइजोगपडिसलीणया प्रकुसलवइनि रोहो वा, कुसलवइउदीरणं वा, वईए वा एगत्तीभावकरणं । सेत्तं वइजोगपडिसंलीणया ||
५७८. से किं तं कायजोगपडिसलीणया ? कायजोगपडिसंलीणया जण्णं सुसमाहियपसंत साहरियपाणिपाए कुम्मो इव गुत्तिदिए अल्लीण-पल्लीणे चिट्ठति । सेत्तं काय पडलीणया । सेत्तं जोगपडिसलीणया ||
५७६. से किं तं विवित्तसयणासणसेवणया ? विवित्तरायणासण सेवणया जण्ण श्रारामेसु वा उज्जाणेसु वा देवकुलेसु वा सभासु वा पवासु वा इत्थी पसु - पंडगविवज्जियासु वा वसहीसु फासु-एसणिज्जं पीढ - फलग • सेज्जा - संथारगं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । सेत्तं विवित्तसयणासण सेवणया । सेत्तं पडिली - या । सेत्तं बाहिरए तवे ||
५८०. से किं तं प्रभिंतरए तवे ? ग्रभिंतरए तवे छव्विहे पण्णत्ते, तं जहापायच्छित्तं विणो, वेयावच्चं, सज्झायो, भाणं, विउसग्गो ॥
५८१.
से किं तं पायच्छित्ते ? पायच्छित्ते दसविहे पण्णत्ते, तं जहा - ग्रालोयणारिहे जाव पारंचियारिहे । सेत्तं पायच्छित्ते ||
५८२. से किं तं विए ? विणए सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा नाणविणए, दंसणविणए, चरितविणए, मणविणए, वइविणए, कार्याविणए, लोगोवयारविणए ।
१. 'जोगपडिसलीणया तिविहा पण्णत्ता' इति पाठे सूचिता योगप्रति संलीनतायास्त्रयः प्रकाराः प्रस्तुतप्रकरणे निर्दिष्टा न सन्ति तथा 'से किं तं कायपडिसलीणया' इति पाठेनापि 'से किं तं मणपडिसलीरणया से किं तं वइप डिलीया' इति सूत्रयोरपि संकेतो लभ्यते । प्रतीयते लिपिकरणे संक्षेपो जातः । तस्य पूतिरोपपातिक ( सू० ३७ ) – वर्ति
पाठानुसारेण कृता । प्रस्तुत पाठस्य संक्षेपः एवमस्ति - जोगपडिसलीणया तिविहा पण्णत्ता, तं जहा - अकुसलमणनिरोहो वा, कुसलम उदीरणं वा, मणस्स वा एगत्तीभावकरणं । अकुसलवइनिरोहो वा, कुसलवइउदीरणं वा वईए वा एत्तीभावकरणं । २. सं० पा०--- जहा सोमिलुद्देसए जाव सेज्जा । ३. भ० २५।५५६ ।
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९७२
भगवई ५८३. से किं तं नाणविणए ? नाणविणए पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-आभिणिबोहिय
नाणविणए,' 'सुयनाणविणए ओहिनाणविणए, मणपज्जवनाणविणए °,
केवलनाणविणए । सेत्तं नाणविणए । ५८४. से किं तं दंसणविणए ? दंसणविणए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा–सुस्सूसणाविणए
य, अणच्चासादणाविणए य ।। ५८५. से किं तं सुस्सूसणाविणए ? सुस्सूसणाविणए अणेगविहे पण्णत्ते, तं जहा
सक्कारे इ वा सम्माणे इ वा किइकम्मे इ वा अब्भुटाणे इ वा अंजलिपग्गहे इ वा आसणाभिग्गहे इ वा पासणाणुप्पदाणे इ वा, एतस्स पच्चुग्गच्छणया,
ठियस्स पज्जुवासणया, गच्छंतस्स पडिसंसाहणया । सेत्तं सुस्सूसणाविणए । ५८६. से किं तं अणच्चासादणाविणए ? अणच्चासादणाविणए पणयालीसइविहे
पण्णत्ते, तं जहा-अरहंताणं अणच्चासादणया', अरहंतपण्णत्तस्स धम्मस्स अणच्चासादणया, आयरियाणं अणच्चासादणया, उवज्झायाणं अणच्चासादणया, थेराणं अणच्चासादणया, कुलस्स अणच्चासादणया, गणस्स अणच्चासादणया, संघस्स अणच्चासादणया, किरियाए अणच्चासादणया, संभोगस्स अणच्चासादणया, ग्राभिणिबोहियनाणस्स अणच्चासादणया, जाव केवलनाणस्स अणच्चासादणया, एएसिं चेव भत्ति-बहुमाणेणं, एएसि चेव वण्णसंजलणया।
सेत्तं अणच्चासादणयाविणए । सेत्तं दंसणविणए । ५८७. से कि तं चरित्तविणए ? चरित्तविणए पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-सामाइय
चरित्तविणए जाव अहक्खायचरित्तविणए । सेत्तं चरित्तविणए । ५८८. से कि तं मणविणए ? मणविणए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पसत्थमणविणए
य, अप्पसत्थमणविणए य ॥ ५८६. से किं तं पसत्थमणविणए ? पसत्थमणविणए सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा
अपावए, असावज्जे, अकिरिए, निरुवक्केसे', अणण्हवकरे, अच्छविकरे, अभूयाभिसंकणे । सेत्तं पसत्थमणविणए ।
१. सं० पा०-आभिणिबोहियनाणविणए जाव अफिरिए अकक्कसे अकडुए अणिठुरे __ केवल ।
अफरुसे अणण्हयकरे अछेयकरे अभेयकरे २. सं० पा० ---जहा चोद्दसमसए ततिए उद्देसए अपरितावणकरे अणुद्दवणकरे अभूओवघाइए ___ जाव पडिसंसाहणया ।
तहप्पगारं मणो पहारेज्जा (प्रो० सू० ४०)। ३. अणच्चासायणया (अ, ख); अणच्चासात- ५. निरुवक्कोसे (अ, क)। णया (क, ता)।
६. ° संकमणे (क, ता)। ४. पसत्थमणविणए-जे य मणे असावज्जे
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पंचवीसइमं सत (सत्तमो उद्देसो)
९७३ ५६०. से किं तं अप्पसत्थमणविणए ? अप्पसत्थमणविणए' सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा
पावए, सावज्जे, सकिरिए, सउवक्केसे', अण्हयकरे, छविकरे, भूयाभिसंकणे ।
सेत्तं अप्पसत्थमणविणए । सेत्तं मणविणए । ५६१. से किं तं वइविणए ? वइविणए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पसत्थवइविणए
य, अप्पसत्थवइविणए य । ५६२. से किं तं पसत्थवइविणए ? पसत्थवइविणए' सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा
अपावए, असावज्जे जाव अभूयाभिसंकणे । सेत्तं पसत्थवइविणए ।। ५६३. से किं तं अप्पसत्थवइविणए ? अप्पसत्थवइविणए सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा
पावए, सावज्जे जाव भूयाभिसंकणे । सेत्तं अप्पसत्थवइविणए । सेत्तं वइविणए । ५६४. से कि तं कायविणए ? कायविणए दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-पसत्थकायविणए
य, अप्पसत्थकायविणए य ॥ ५६५. से किं तं पसत्थकायविणए ? पसत्थकायविणए सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा
आउत्तं गमणं, आउत्तं ठाणं, आउत्तं निसीयणं, पाउत्तं तुयट्टणं, आउत्तं उल्लंघणं, आउत्तं पल्लंघणं, आउत्तं सविदियजोगजंजणया। सेत्तं पसत्थकाय
विणए॥ ५६६. से किं तं अप्पसत्थकायविणए ? अप्पसत्थकायविणए सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा-प्रणाउत्तं गमणं जाव प्रणाउत्तं सव्विदि
।। सेत्तं अप्पसत्थकायविणए । सेत्तं कायविणए । ५६७. से किं तं लोगोवयारविणए ? लोगोवयारविणए सत्तविहे पण्णत्ते, तं जहा
अब्भासवत्तियं, परच्छंदाणुवत्तियं, कज्जहेउ', कयपडिकइया, अत्तगवेसणया, देसकालण्णया, सव्वत्थेसु अप्पडिलोमया। सेत्तं लोगोवयारविणए। सेत्तं
विणए ।। ५६८. से किं तं वेयावच्चे ? वेयावच्चे दसविहे पण्णत्ते, तं जहा-आयरियवेयावच्चे,
उवज्झायवेयावच्चे, थेरवेयावच्चे, तवस्सिवेयावच्चे, गिलाणवेयावच्चे, सेहवेयावच्चे, कुलवेयावच्चे, गणवेयावच्चे, संघवेयावच्चे, साहम्मियवेयावच्चे। सेत्तं वेयावच्चे ॥
१. अपसस्थमणविणए-जे य मणे सावज्जे ३. पूर्ववत् अत्रापि औपपातिकस्य पाठभेदो सकिरिए सकक्कसे कडुए णिठुरे फरुसे दृश्यः । अण्हयकरे छेयकरे भेयकरे परितावरणकरे ४. पत्तियं (ता)। उद्दवणकरे भूओवघाइए तइप्पगारं मणो णो ५. ज्ञानादिनिमित्तं भक्तादिदानमिति गम्यम्(व)। पहारेज्जा (ओ० सू० ४०)।
६. कइपडिक इयाए (ता)। २. सउवक्कोसे (क, ख)।
७. देसकालण्णुया (ओ० सू० ४०) ।
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९७४
भगवई
५६६. से कि तं सज्झाए ? सज्झाए पंचविहे पण्णत्ते, तं जहा-वायणा, पडिपुच्छणा,
परियट्टणा, अणुप्पेहा, धम्मकहा । से तं सज्झाए। ६००. से कि तं झाणे ? झाणे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा- अट्टे झाणे, रोद्दे झाणे,
धम्मे झाणे, सूक्के झाणे॥ ६०१. अट्टे झाणे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा अमणुण्णसंपयोगसंपउत्ते तस्स विप्पयोग
सतिसमन्नागए यावि भवइ, मणुण्णसंपयोगसंपउत्ते तस्स अविप्पयोगसतिसमनागए यावि भवइ, अायंकसंपयोगसंपउत्ते तस्स विप्पयोगसतिसमन्नागए यावि भवइ, परिझुसियकामभोगसंपयोगसंपउत्ते' तस्स अविप्पयोगसतिसमन्नागए
यावि भवइ॥ ६०२. अट्टस्स णं माणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा---कंदणया, सोयणया,
तिप्पणया, परिदेवणया ॥ ६०३. रोद्दे झाणे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा-हिंसाणुबंधी, मोसाणुबंधी, तेयाणुबंधी,
सारक्खणाणुबंधी ॥ ६०४. रोदस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा--प्रोस्सन्नदोसे,
बहुलदोसे, अण्णाणदोसे, आमरणंतदोसे । ६०५. धम्मे झाणे चउविहे चउप्पडोयारे पण्णत्ते, तं जहा-प्राणाविजए, अवाय
विजए, विवागविजए, संठाणविजए । ६०६. धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा-पाणारुयी, निसग्ग
रुयी, सुत्तरुयी, ओगाढरुयी। ६०७. धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि प्रालंबणा पण्णत्ता, तं जहा-वायणा, पडिपुच्छणा,
परियट्टणा, धम्मकहा ॥ ६०८. धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाम्रो पण्णत्ताश्रो, तं जहा --एगत्ताणुप्पेहा,
अणिच्चाणुप्पेहा, असरणाणुप्पेहा, संसाराणुप्पेहा ॥ ६०६. सुक्के झाणे चउबिहे चउप्पडोयारे पण्णत्ते, तं जहा - पुहत्तवितके' सवियारी,
एगत्तवितक्के अवियारी, सुहुमकिरिए अणियट्टी, समोछिण्णकिरिए
अप्पडिवायी। ६१०. सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पण्णत्ता, तं जहा-खंती, मुत्तो, अज्जवे,
मद्दवे ।। सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि पालंबणा पण्णत्ता, तं जहा-अव्वहे, असंमोहे, विवेगे, विउसग्गे॥
१. परिज्जुसिय ° (ख); परिझुसिय ° (ता)। ३. समोच्छिण्ण ° (ख, ता, म); समुच्छिण्ण ° २. वियक्के (ख)।
(क्व०)।
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पंचवीसइमं सतं (सत्तमो उद्देसो)
९७५ ६१२. सुक्कस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहायो पण्णत्तानो, तं जहा -'अणंतवत्तिया
णुप्पेहा, विप्परिणामाणुप्पेहा, असुभाणुप्पेहा, अवायाणुप्पेहा"। सेत्तं झाणे ।। ६१३. से कि तं विउसग्गे ? विउसग्गे दुविहे पण्णत्ते, तं जहा-दव्व विउसग्गे य,
भावविउसग्गे य॥ ६१४. से कि तं दव्वविउसग्गे ? दव्वविउसग्मे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा
गणविउसग्गे, सरीरवि उसग्गे, उवहिविउसग्गे, भत्तपाणविउसग्गे। सेत्तं
दव्वविउसग्गे ॥ ६१५. से किं तं भावविउसग्गे ? भावविउसग्गे तिविहे पण्णत्ते' तं जहा
कसायविउसग्गे, संसारविउसग्गे, कम्मविउसग्गे ॥ ६१६. से किं तं कसायविउसग्गे ? कसायविउसग्गे चउविहे पण्णत्ते, तं जहा
कोहविउसग्गे, माणविउसग्गे, मायाविउसग्गे, लोभविउसग्गे । सेत्तं
कसायविउसग्गे ॥ ६१७. से किं तं संसारविउसग्गे ? संसारविउसग्गे चउबिहे पण्णत्ते, तं जहा
नेरइयसंसारविउसग्गे जाव देवसंसारविउसग्गे । सेत्तं संसारविउसग्गे ॥ ६१८. से कि तं कम्मविउसग्गे ? कम्मविउसग्गे अट्ठविहे पण्णत्ते, तं जहा
नाणावरणिज्जकम्मविउसग्गे जाव अंतराइयकम्मविउसग्गे। सेत्तं कम्मविउ
सग्गे । सेत्तं भावविउसग्गे । सेत्तं अभितरए तवे ।। ६१६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
अट्ठमो उद्देसी नेरइयादीणं-पुणब्भव-पदं ६२०. रायगिहे जाव एवं वयासी-नेरइया णं भंते ! कहं उववज्जति ?
गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे अज्झवसाणनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं सेयकाले तं ठाणं विप्पजहित्ता पुरिमं ठाणं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ, एवामेव एए वि जीवा पवनो विव पवमाणा अज्झवसाणनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं सेयकाले तं भवं विप्पजहित्ता पुरिमं भवं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति ॥
१. अवायाणुप्पेहा, असुभाणुप्पेहा, अणंतवत्तियाणुप्पेहा, विपरिणामाणुप्पेहा (ओ० सू० ४३)
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६७६
भगवई
६२१. तेसि णं भंते ! जीवाणं कहं सीहा गती, कहं सीहे गतिविसए पण्णत्ते ?
गोयमा ! से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे बलवं एवं जहा चोदसमसए पढमु. देसए जाव' तिसमएण वा विग्गहेणं उववज्जति । तेसि णं जीवाणं तहा सीहा
गई, तहा सीहे गतिविसए पण्णत्ते ॥ ६२२. ते णं भंते ! जीवा कहं परभवियाउयं पकरेंति ?
गोयमा ! अज्झवसाणजोगनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं, एवं खलु ते जीवा
परभवियाउयं पकरेति ॥ ६२३. तेसि णं भंते ! जीवाणं कहं गती पवत्तइ ?
गोयमा ! आउक्खएणं, भवक्खएणं, ठिइक्खएणं, एवं खलु तेसि जीवाणं गती
पवत्तति ॥ ६२४. ते णं भंते ! जीवा किं प्राइड्ढीए उववज्जति ? परिड्ढीए उववज्जति ?
गोयमा ! अाइड्ढीए उववज्जति, नो परिड्ढीए उववज्जति ।। ६२५. ते णं भंते ! जीवा कि आयकम्मुणा उववज्जति ? परकम्मुणा उववज्जति ?
गोयमा ! आयकम्मुणा उववज्जति, नो परकम्मुणा उववज्जति ।। ६२६. ते णं भंते ! जीवा कि प्रायप्पयोगेणं उववज्जति ? परप्पयोगेणं उववज्जति ?
गोयमा ! पायप्पयोगेणं उववज्जति, नो परप्पयोगेणं उववज्जति ।। ६२७. असुरकुमारा णं भंते ! कहं उववज्जति ? जहा ने रइया तहेव निरवसेसं जाव
नो परप्पयोगेणं उववज्जति । एवं एगिदियवज्जा जाव वेमाणिया । एगिदिया
एवं चेव, नवरं-चउसमइओ विग्गहो । सेसं तं चेव ।। ६२८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ॥
६-१२ उद्देसा ६२६. भवसिद्धियने रइया णं भंते ! कहं उववज्जति ?
गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेसं तं चेव जाव वेमाणिए । ६३०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ६३१. अभवसिद्धियनेरइया णं भंते ! कहं उववज्जति ?
गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेसं तं चेव । एवं जाव वेमाणिए । ६३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. भ० १४।३।
२. आयड्ढीए (ता)।
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१७७
पंचवीसइमं सतं (९-१२ उद्देसा) ६३३. सम्मदिद्विनेरइया णं भंते ! कहं उववज्जति ?
गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेसं तं चेव । एवं एगिदियवज्ज
जाव वेमाणिए॥ ६३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ६३५. मिच्छदिट्ठिनेरइया णं भंते ! कहं उववज्जति ?
गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे, अवसेसं तं चेव । एवं जाव वेमाणिए । ६३६. सेवं भंते ! सेवं भंते । त्ति ॥
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छवीसइमं सतं
पढमो उद्देसो
नमो सुयदेवयाए भगवईए १. जीवा य २. लेस्स ३. पक्खिय, ४. दिट्टि ५. अण्णाण ६. नाण ७. सण्णायो।
८. वेय ६. कसाए १०. उवयोग ११. जोग एक्का रस वि ठाणा ॥१॥ जीवाणं लेस्सादिविसे सितजीवाणं च बंधाबंध-पदं १. तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे जाव' एवं वयासी-जीवा णं भंते ! पावं
कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ ? बंधी बंधइ न बंधिस्सइ ? बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ? बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ? गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी बंधइन बंधिस्सह.
अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ॥ २. सलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ ? बंधी बंधइ न
बंधिस्सइ-पुच्छा।
गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए एवं चउभंगो।। ३. कण्हले स्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा।
गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ । एवं जाव पम्हलेस्से । सव्वत्थ पढम-वितियभंगा। सुक्कलेस्से जहा
सलेस्से तहेव चउभंगो॥ ४. अलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा ।
गोयमा ! बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ ।। ५. कण्हपक्खिए णं भंते ! जीवे पावं कम्मं-पुच्छा।
गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी, पढम-बितिया भंगा।
१. भ० ११४-१०।
२. बीया (ता)।
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छत्रीसमं सतं (पढमो उद्देसो)
६. सुक्कपक्खिए णं भंते ! जीवे - पुच्छा । गोयमा ! चउभंगो भाणियव्वो ॥
७. सम्मद्दिद्वीणं चत्तारि भंगा, मिच्छादिट्ठीणं पढम-वितिया, सम्मामिच्छादिट्ठीगं एवं चेव ।।
८. नाणीणं चत्तारि भंगा, याभिणिवोहियनाणीणं जाव मणपज्जवनाणीणं चत्तारि भंगा, केवलनाणीणं चरिमो भंगो जहा अलेस्साणं ॥
९. अण्णाणीगं पढम - वितिया,
एवं मणाणी, सुग्रण्णाणीणं,
विभंगनाणीण वि ॥
६७६
१०. ग्रहारसण्णोवउत्ताणं जाव परिग्गहसण्णोवउत्ताणं पढम- बितिया, नोसण्णोवउत्ताणं चत्तारि ॥
११. सवेदगाणं पढम वितिया । एवं इत्थिवेदगा, पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदगा वि । वेदगाणं चत्तारि ॥
१२. सकसाईणं चत्तारि, कोहकसाईणं पढम - बितिया भंगा, एवं माणकसायिस्स वि मायासास्सि वि । लोभकसायिस्स चत्तारि भंगा ॥
१३. कसायी णं भंते ! जीवे पावं कम्मं किं बंधी -पुच्छा ।
गोयमा ! प्रत्येगतिए वंधी न वंधइ बंधिस्सइ, प्रत्येगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्स ||
१४. सजोगिस्स चउभंगो, एवं मणजोगिस्स वि, वइजोगिस्स वि, कायजोगिस्स वि । जोगिस्स चरिमो ॥
१५. सागारोवउत्ते चत्तारि, प्रणागारोवउत्ते वि चत्तारि भंगा ||
नेरइयादीणं लेस्सादिविसेतिनेरइयादीणं च बंधाबंध- पर्द
१६. नेरइए णं भंते ! पाव कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ ? गोमा ! प्रत्येगतिए बंधी, पढम वितिया ॥
१७. सलेस्से णं भंते ! रइए पावं कम्मं० ? एवं चेव । एवं कण्हलेस्से वि, नीललेस्से वि, काउलेस्थेवि । एवं कण्हपक्खिए सुक्कपविखए, सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी, नाणी ग्राभिणिबोहियनाणी सुयनाणी मोहिनाणी, ग्रण्णाणी मण्णाणी सुयग्रण्णाणी विभंगनाणी, श्राहारसण्णोवउत्ते जाव परिग्गहसणोवउत्ते, सवेदए नपुंसकवेदए, सकसायी जाव लोभकसायी, सजोगी मणजोगी वइजोगी कायजोगी, सागरोवउत्ते प्रणागारोवउत्ते - एएसु सव्वेसु पदेसु पढम-वितिया भंगा भाणियव्वा । एवं असुरकुमारस्स वि वत्तव्वया भाणियव्वा, नवरं - ते उलेसा, इत्थिवेदग - पुरिसवेदगा य अब्भहिया, नपुंसगवेदगा न भण्णति, सेसं तं चैव सव्वत्थ पढ़म-वितिया भंगा। एवं जाव थणियकुमारस्स ।
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९८०
भगवई
१६.
एवं पुढविकाइयस्स वि, आउकाइयस्स वि जाव पंचिदियतिरिक्खजोणियस्स वि सव्वत्थ वि पढम-बितिया भंगा, नवरं जस्स जा लेस्सा। दिट्ठो, नाणं, अण्णाणं, वेदो, जोगो य अस्थि तं तस्स भाणियव्वं, सेसं तहेव । मणूसस्स जच्चेव जीवपदे वत्तव्वया सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा । वाणमंतरस्स जहा असुरकुमारस्स। जोइसियस्स वेमाणियस्स एवं चेव, नवरं-लेस्सानो जाणि
यव्वानो, सेसं तहेव भाणियव्वं ।। जीवादीणं नाणावरणादिकम्मं पडुच्च बंधावंध-पदं १८. जीवे णं भंते ! नाणावरणिज्जं कम्मं किं बंधी बंधइ बंधिस्सइ० ? एवं जहेव
पावकम्मस्स वत्तव्वया तहेव नाणावरणिज्जस्स वि भाणियव्वा, नवरं -जीवपदे मणस्सपदे य सकसाइम्मि जाव लोभकसाइम्मि य पढम-बितिया भंगा, अवसेसं तं चेव जाव वेमाणिया। एवं दरिसणावरणिज्जेण वि दंडगो भाणियव्वो निरवसेसो॥ जीवे णं भंते ! वेयणिज्जं कम्मं किं बंधी--पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्येगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, अत्येगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ । सलेस्से वि एवं चेव ततियविहूणा भंगा। कण्हलेस्से जाव पम्ह नेस्से पढम-बितिया भंगा। सुक्कलेस्से ततियविहूणा भंगा। अलेस्से चरिमो भंगो। कण्हपक्खिए पढम-बितिया। सूक्कपक्खिया ततियविणा। एवं सम्मदिदिस्स वि. मिच्छादिद्रिस्स सम्मामिच्छादिदिस्स य पढमबितिया । नाणिस्स ततियविहूणा। आभिणिबोहियनाणी जाव मणपज्जवनाणी पढम-बितिया । केवलनाणी ततियविहूणा । एवं नोसण्णोवउत्ते, अवेदए, अकसायी। सागारोवउत्ते अणागारोवउत्ते-एएसु ततियविहूणा । अजोगिम्मि य
चरिमो। सेसेसु पढम-बितिया ॥ २०. नेरइए णं भंते ! वेयणिज्ज कम्म कि बंधी बंधइ०? एवं ने रइया जाव वेमा
णिय त्ति । जस्स जं अस्थि सव्वत्थ वि पढम-बितिया, नवरं - मणुस्से जहा जीवे ।। २१. जीवे णं भंते ! मोहणिज्ज कम्मं किं बंधी बंधइ०? जहेव पावं कम्मं तहेव
मोहणिज्ज पि निरवसेसं जाव वेमाणिए । २२. जीवे णं भंते ! आउयं कम्मं कि बंधी बंधइ-पच्छा।
गोयमा अत्यंगतिए बंधी चउभंगो। सलेस्से जाव सुक्कलेस्से चत्तारि भंगा।
अलेस्से चरिमो भंगो॥ २३. कण्हपक्खिए णं-पुच्छा।
गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ । सुक्कपक्खिए सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी चत्तारि भंगा ।।
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छवीसइमं सत (बीओ उद्देसो)
६८१
२४. सम्मामिच्छादिट्ठी-पुच्छा ।
गोयमा ! अत्थेगतिए बधी न बंधइ बंधिस्सइ, अत्भेगतिए बंधी न बंधइ न बंधिस्सइ । नाणी जाव' मोहिनाणी चत्तारि भंगा ॥ मणपज्जवनाणी-पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी न वंधइ न बंधिस्सइ। केवलनाणे चरिमो भंगो। एवं एएणं कमेणं नोसण्णोवउत्ते बितियविहूणा जहेव मणपज्जवनाणे। अवेदए अकसाई य ततिय-च उत्था जहेव सम्मामिच्छत्ते । अजोगिम्मि चरिमो, सेसेसु पदेसु चत्तारि भंगा जाव अणागारोव उत्ते।। नेरइए णं भंते ! श्राउयं कम्म कि बंधी .. पूच्छा । गोयमा ! अत्थेगतिए चत्तारि भंगा, एवं सव्वत्थ वि नेरइयाणं चत्तारि भंगा, नवरं-कण्हलेस्से कण्हपक्खिए य पढम-ततिया भंगा; सम्मामिच्छत्ते ततियचउत्था । असुरकुमारे एवं चेव, नवरं-कण्हलेस्से वि चत्तारि भंगा भाणियब्वा, सेसं जहा नेरइयाणं । एवं जाव थणियकुमाराणं । पुढविक्काइयाणं सव्वत्थ वि
चत्तारि भंगा, नवरं --कण्हपक्खिए पढम-ततिया भंगा ।। २७. तेउलेस्से-- पुच्छा।
गोयमा ! बंधी न बंधइ बंधिस्सइ, सेसेसु सव्वत्थ चत्तारि भंगा। एवं ग्राउक्काइय-वणस्सइकाइयाण वि निरवसेसं । तेउकाइय-वाउक्काइयाणं सव्वत्थ वि पढम-ततिया भंगा। बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणं पि सव्वत्थ वि पढम-ततिया भंगा, नवरं-सम्मत्ते, नाणे, आभिणिवोहियनाणे सुयनाणे ततियो भंगो। पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं कण्हपक्खिए पढम-ततिया भंगा, सम्मामिच्छत्ते ततियच उत्थो भंगो। सम्मत्ते, नाणे, आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे, रोहिनाणेएएसु पंचसु वि पदेसु वितियविहूणा भंगा, सेसेसु चत्तारि भंगा । मणुस्साणं जहा जीवाणं, नवरं-सम्मत्ते, रोहिए नाणे, आभिणिबोहियनाणे, सुयनाणे, प्रोहिनाणे-एएसु बितियविहूणा भंगा, सेसं तं चेव । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया
जहा असुरकुमारा । नाम गोयं अंतरायं च एयाणि जहा नाणावरणिज्जं ॥ २८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ॥
बीओ उद्देसो विसेसितनेरइयादीणं बंधाबंध-पदं २६. अणंतरोववन्नए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा तहेव ।
गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी, पढम-बितिया भंगा॥
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६८२
भगवई
३०. सलेस्से णं भंते ! अणंतरोववन्नए नेरइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा।
गोयमा ! पढम-वितिया भंगा । एवं खलु सव्वत्थ पढम-बितिया भंगा, नवरं-- सम्मामिच्छत्तं मणजोगो वइजोगो य न पुच्छिज्जइ। एवं जाव थणियकुमाराणं । बेइंदिय-तेइंदिय-चरिदियाणं वइजोगो न भण्णइ। पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं पि सम्मामिच्छत्तं, मोहिनाणं, विभंगनाणं, मणजोगो, वइजोगो-एयाणि पंच न भण्णंति । भणुस्साणं अलेरस-सम्मामिच्छत्त-मणपज्जवनाण-केवल नाण-विभंगनाण-नोसण्णोवउत्त-अवेदग-अकसाय-मणजोग-वइजोग-अजोगि -- एयाणि एक्कारस पदाणि न भण्णंति । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणियाणं जहा नेरइयाणं तहेब ते तिण्णि न भण्णंति। सव्वेसिं जाणि सेसाणि ठाणाणि सव्वत्थ पढम-वितिया भंगा। एगिदियाण सव्वत्थ पढम-वितिया भंगा। जहा पावे एवं नाणा
वरणिज्जेण वि दंडग्रो, एवं ग्राउयवज्जेसु जाव अतराइए दंडओ।। ३१. अणंतरोववन्नए णं भंते ! नेरइए ग्राउयं कम्मं कि बंधी--पुच्छा।
गोयमा ! बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ।। ३२. सलेस्से णं भंते ! अणंतरोबवन्नए ने रइए आउयं कम्मं कि बंधी० ? एवं चेव
ततिम्रो भंगो। एवं जाव अणागारोवउत्ते । सव्वत्थ वि ततिम्रो भंगो। एवं मणुस्सवज्ज जाव वेमाणियाणं । मणुस्साणं सव्वत्थ ततिय-च उत्था भंगा, नवरं
---कण्हपक्खिएसु ततिम्रो भंगो । सव्वेसि नाणत्ताई ताई चेव।। ३३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
३.१० उद्देसा ३४. परंपरोववन्नए णं भंते ! नेरइए पावं कम्म कि बंधी-पुच्छा।
गोयमा ! अत्थेगतिए पढम-वितिया। एवं जहेव पढमो उद्देसनो तहेव परंपरोववन्नएहि वि उद्देसनो भाणियव्वो नेरइयाईओ तहेव नवदंडगसंगहियो । अट्ठण्ह वि कम्मप्पगडीणं जा जस्स कम्मस्स वत्तव्वया सा तस्स अहीणमतिरित्ता
नेयव्वा जाव वेमाणिया अणागारोवउत्ता ।। ३५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।। ३६. अणंतरोगाढए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं कि बंधी-पुच्छा।
गोयमा ! अत्थेगतिए एवं जहेव अणंतरोववन्नएहिं नवदंडगसंगहिरो उद्देसो
१. ° सहिओ (ता, ब)।
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छवीसइमं सतं (एक्कारसमो उद्देसो)
१८३ भणियो तहेव अणंतरोगाढएहि वि अहीणमतिरित्तो भाणियब्वो नेरइयादीए
जाव वेमाणिए॥ ३७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ३८. परंपरोगाढए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी ? जहेव परंपरोववन्नएहिं
उद्देसो सो चेव निरवसेसो भाणियव्वो॥ ३६. सेवं भते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४०. अणंतराहारए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा । एवं जहेव
अणंतरोववन्नएहि उद्देसो तहेव निरवसेसं ॥ ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४२. परंपराहारए णं भंते ! ने रइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा।
गोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहिं उद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियवो ॥ ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४४. अणंतरपज्जत्तए णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं कि बंधी- पुच्छा।
गोयमा ! जहेव अणंतरोववन्नएहि उद्देसो तहेव निरवसेसं ॥ ४५. सेव भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४६. परंपरपज्जत्तए णं भंते ! ने रइए पावं कम्मं कि बंधी-पुच्छा।
गोयमा ! एवं जहेव परंपरोववन्नएहि उद्देसो तहेव निरवसेसो भाणियव्वो। ४७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ॥ ४८. चरिमे णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं किं बंधी-पुच्छा।
गोयमा! एवं जहेव परंपरोववन्नएहि उद्देसो तहेव चरिमेहिं निरवसेसं ।। ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव' विहरइ ।।
एक्कारसमो उद्देसो ५०. अचरिमे णं भंते ! नेरइए पावं कम्मं कि बंधी-पुच्छा।
गोयमा ! अत्थेगइए एवं जहेव पढमोद्देसए, पढम-बितिया भंगा भाणियव्वा
सव्वत्थ जाव पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं ॥ ५१. अचरिमे णं भंते ! मणुस्से पावं कम्म कि बंधी-पुच्छा।
गोयमा ! अत्थेगतिए बंधी बंधइ बंधिस्सइ, अत्थेगतिए बंधी बंधइ न बंधिस्सइ, प्रत्थेगतिए बंधी न बंधइ बंधिस्सइ ।।
१. भ० ११५१ ।
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१८४
भगवई
५२. सलेस्से णं भंते ! अचरिमे मणुस्से पावं कम्मं किं बंधी ? एवं चेव तिण्णि
भंगा चरमविहणा भाणियन्वा एवं जहेब पढमुद्देसे, नवरं-जेसु तत्थ वीससु चत्तारि भंगा तेसु इह आदिल्ला तिण्णि भंगा भाणियव्वा चरिमभंगवज्जा । अलेस्से केवलनाणी य अजोगी य-- एए तिण्णि वि न पुच्छिज्जति, सेसं तहेव ।
वाणमंतर जोइसिय-वेमाणिए जहा ने रइए । ५३. अचरिमे णं भंते ! नेरइए नाणावरणिज्ज कम्म कि बंधी--पुच्छा।
गोयमा ! एवं जहेव पावं, नवरं-मणुस्सेसु सकसाईसु लोभकसाईसु य पढमबितिया भंगा, सेसा अलारस चरमविहणा, सेसं तहेव जाव वेमाणियाणं । दरिसणावरणिज्ज पि एवं चेव निरवसेसं । वेयणिज्जे सव्वत्थ वि पढम-बितिया
भंगा जाव वेमाणियाणं, नवरं - मणुस्सेसु अलेस्से केवली अजोगी य नत्थि ॥ ५४. अचरिमे णं भंते ! नेरइए मोहणिज्जं कम्मं किं बंधी-पुच्छा।
गोयमा ! जहेव पावं तहेव निरवसेसं जाव वेमाणिए । ५५. अचरिमे णं भंते ! नेरइए आउयं कम्म कि बंधी-पूच्छा।
गोयमा ! पढम-बितिया भंगा। एवं सव्वपदेसु वि । नेरइयाणं पढम-ततिया भंगा, नवरं- सम्मामिच्छत्ते ततिप्रो भंगो। एवं जाव थणियकुमाराणं । पुढविक्काइय-ग्राउक्काइय-वणस्सइकाइयाणं तेउलेस्साए ततिओ भंगो । सेसेसु पदेसु सव्वत्थ पढम-ततिया भंगा। तेउकाइय-वाउक्काइयाणं सव्वत्थ पढमततिया भंगा । बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणं एवं चेव, नवरं-सम्मत्ते अोहिनाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे-एएसु चउसु वि ठाणेसु ततिम्रो भंगो। पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं सम्मामिच्छत्ते ततिओ भंगो। सेसपदेसु सव्वत्थ पढम-ततिया भंगा। मणुस्साणं सम्मामिच्छत्ते अवेदए अकसाइम्मि य ततिओ भंगो, अलेस्स-केवलनाण-अजोगी य न पुच्छिज्जति । सेसपदेसु सव्वत्थ पढमततिया भंगा। वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा नेरइया। नाम गोयं
अंतराइयं च जहेव नाणावरणिज्ज तहेव निरवसेस ।। ५६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।।
१. वीसेसु (अ)। २. कसायीसु (क, म, स)।
३. सेसेसु पदेसु (स)।
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सत्तवीसइमं सतं
१-११ उद्देसा जीवाणं पावकम्म-करणाकरण-पद १. जीवे णं भंते ! पावं कम्मं किं करिसु करेति करेस्सति ? करिसु करेति न
करेस्सति ? करिसु न करेति करेस्सति ? करिसु न करेति न करेस्सति ? गोयमा ! अत्थेगतिए करिसु न करेति करेस्सति, अत्थेगतिए करिसु करेति न करेस्सति, अत्थेगतिए करिसु न करेति करेस्सति, अत्थेगतिए करिसु न करेति न करेस्सति ॥ सलेस्से णं भंते ! जीवे पावं कम्म ०? एवं एएणं अभिलावेणं जच्चेव बंधिसए वत्तव्वया सच्चेव निरवसेसा भाणियव्वा, तहेव नवदंडगसंगहिया एक्कारस उद्देसगा भाणियव्वा ॥
१८५
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जीवाणं पावकम्म- समज्जण- समायरण-पदं
१.
२.
३.
४.
५.
अट्ठावीस इमं सतं पढमो उद्देसो
जीवा णं भंते ! पावं कम्मं कहिं समज्जिणिसु ? कहिं समायरिं ? गोयमा ! १. सव्वे वि ताव तिरिक्खजोणिएसु होज्जा २ अहवा तिरिक्खजय ने इस होज्जा ३. हवा तिरिक्खजोणिएसु य मणुस्सेसु य होज्जा ४. ग्रहवा तिरिक्खजोणिएसु य देवेसु य होज्जा ५. ग्रहवा तिरिक्खजोणिए सु य नेरइएसु य मणुस्सेसु य होज्जा ६. ग्रहवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएस य देवेय होज्जा ७. ग्रहवा तिरिक्खजोणिएसु य मणुस्सेसु य देवेसु य होज्जा ८. हवा तिरिक्खजोणिएसु य नेरइएस य मणुस्सेसु य देवेसु य होज्जा ॥ सलेस्सा णं भंते ! जीवा पावं कम्मं कहिं समज्जिणिसु ? कहिं समायरिंसु ? एवं चेव । एवं कण्हलेस्सा जाव अलेस्सा । कण्हपक्खिया, सुक्कपक्खिया । एवं जाव णागारोव उत्ता ॥
नेरइया णं भंते ! पावं कम्म कहिं समज्जिणिसु ? कहिं समायरिंसु ? गोयमा ! सव्वे वि ताव तिरिक्खजोणिएसु होज्जा, एवं चेव अट्ठ भंगा भाणियव्वा । एवं सव्वत्थ ग्रट्टभंगा जाव प्रणागारोवउत्तत्ति । एवं जाव वेमाणियाणं । एवं नाणावरणिज्जेण वि दंडग्रो । एवं जाव अंतराइएणं । एवं एए वाया माणिपज्जवसाणा नव दंडगा भवंति ॥
सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ||
बीओ उद्देसो
प्रणंतरोववन्नगा णं भंते! नेरइया पावं कम्मं कहिं समज्जिणिसु ? कहि मासु ?
६८६
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अट्ठावीस इमं सतं (३-११ उद्देसा)
गोमा ! सव्वेव ताव तिरिक्खजोणिएसु होज्जा, एवं एत्थ वि श्रट्ट भंगा। एवं ग्रणंतरोववन्नगाणं नेरइयाईणं जस्स जं अत्थि लेसादीयं प्रणागा रोवओोगपज्जवसाणं तं सव्वं एयाए भयणाए भाणियव्वं जाव वेमाणियाणं, नवरंप्रणंतरेसु जे परिहरियव्वा ते जहा बंधिसए तहा इहं पि । एवं नाणाव रणिज्जेण वि दंड । एवं जाव अंतराइएणं निरवसेसं । एसो वि नवदंडगसंगहिश्रो उसो भाणियव्वो ॥
सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
६.
७.
८.
१. सव्वत्थ (ता) |
३-११ उद्देसा
एवं एएणं कमेणं जहेव बंधिसए उद्देसगाणं परिवाडी तहेव इहं पि श्रसु भंगेसु नेयव्वा, नवरं - जाणियध्वं जं जस्स ग्रत्थि तं तस्स भाणियव्वं जाव प्रचरिमुदेसो | सव्वे वि एए एक्कारस उद्देगा ||
सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥
६८७
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एगणतीसइमं सतं
पढमो उद्देसो जीवाणं पावकम्म-पट्ठवण-निट्ठवण-पदं १. जीवा णं भंते ! पावं कम्मं किं समायं पटुविसु समायं निविसु ? समायं
पट्टविसु विसमायं निट्ठविसु ? विसमायं पविसु समायं निविसु ? विसमायं पट्टविसु विसमायं निट्ठविसु ? गोयमा ! अत्थेगतिया समायं पट्टविंसु समायं निविसु जाव अत्थेगतिया विस
मायं पट्टविसु विसमायं निर्विसु ॥ २. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्यंगतिया समायं पट्टविसु समायं निट्ठविसु,
तं चेव ? गोयमा! जीवा चउविवहा पण्णत्ता, तं जहा–अत्थेगतिया समाउया समोववन्नगा, अत्थेगतिया समाउया विसमोववन्नगा, अत्थेगतिया विसमाउया समोववन्नगा, अत्थेगतिया विसमाउया विसमोववन्नगा। तत्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पटुविसु समायं निट्ठविसु । तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्टविसु विसमायं निविस । तत्थ णं जे ते विसमाउया समोववन्नगा ते ण पावं कम्म विसमायं पटुविसु समायं निविसु । तत्थ णं जे ते विसमाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं
कम्म विसमायं पट्टविसु विसमायं निट्ठविसु । से तेण₹ण गोयमा ! तं चेव ।। ३. सलेस्सा णं भंते ! जीवा पावं कम्म०? एवं चेव, एवं सव्वट्ठाणेसू वि जाव
अणागारोवउत्ता। एए सव्वे वि पया एयाए वत्तव्वयाए भाणियव्वा ।। ४. नेरइया णं भंते ! पावं कम्म कि समायं पट्टविसु समायं निविसु-पुच्छा।
गोयमा ! अत्थेगतिया समायं पट्टविसु, एवं जहेव जीवाणं तहेव भाणियव्वं जाव अणागारोवउत्ता। एवं जाव वेमाणियाणं जस्स जं अत्थितं एएणं चेव
९८८
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एगूणतीसइमं सतं (२-११ उद्देसा)
१८६ कमेणं भाणियव्वं । जहा पावेण दंडगो । एएणं कमेणं अट्ठसु वि कम्मप्पगडीसु अट्ठ दंडगा भाणियव्वा जीवादीया वेमाणियपज्जवसाणा । एसो नवदंडगसंगहिरो पढमो उद्देसो भाणियव्वो ॥ ५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।
बीओ उद्देसो ६. अणंतरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया पावं कम्मं किं समायं पट्टविसु समायं
निविसु-पुच्छा। गोयमा ! अत्थेगतिया समायं पट्टविसु समायं निट्ठविसु, अत्थेगतिया समायं
पट्टविसु विसमायं निट्ठविंसु॥ ७. से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगतिया समायं पट्टविसू, तं चेव ?
गोयमा ! अणंतरोववन्नगा नेरइया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-अत्थेगतिया समाउया समोववन्नगा, अत्थेगतिया समाउया विसमोववन्नगा। तत्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं पावं कम्मं समायं पट्टविसु समायं निविसु । तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं पावं कम समायं पट्टविसु विसमायं निविसु । से तेणतुणं तं चेव ।। सलेस्सा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया पावं० ? एवं चेव, एवं जाव अणागारोवउत्ता। एवं असूरकूमारा वि! एवं जाव वेमाणिया', नवरं जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्वं । एवं नाणावरणिज्जेण वि दंडगो । एवं निरवसेसं
जाव अंतराइएणं ॥ ६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।।
३-११ उद्देसा १०. एवं एएणं गमएणं जच्चेव बंधिसए उद्देसगपरिवाडी सच्चेव इह वि भाणियव्वा
जाव अचरिमो त्ति। अणंत रउद्देसगाणं चउण्ह वि एक्का बत्तव्वया, सेसाणं सत्तण्हं एक्का ॥
१. वेमाणियाणं (ता)।
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तीसइमं सतं
पढमो उद्देसो समोसरण-पदं १. कइ णं भंते ! समोसरणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि समोसरणा पण्णत्ता, तं जहा-किरियावादी, अकिरिया
वादी, अण्णाणियवादी, वेणइयवादी ॥ २. जीवा णं भंते ! कि किरियावादी? अकिरियावादी ? अण्णाणियवादी?
वेणइयवादी ? गोयमा ! जीवा किरियावादी वि, अकिरियावादी वि, अण्णाणियवादी वि,
वेणइयवादी वि॥ ३. सलेस्सा णं भंते ! जीवा कि किरियावादी -पुच्छा।
गोयमा ! किरियावादी वि, अकिरियावादी वि, अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी
वि। एवं जाव सुक्कलेस्सा ॥ ४. अलेस्सा णं भंते ! जीवा-पुच्छा।
गोयमा ! किरियावादी, नो अकिरियावादी, नो अण्णाणियवादी, नो वेणइय
वादी॥ ५. कण्हपक्खिया णं भंते ! जीवा कि किरियावादी–पुच्छा ।
गोयमा ! नो किरियावादी, अकिरियावादी, अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा। सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा। मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया। सम्मामिच्छादिट्ठी णं-पुच्छा। गोयमा ! नो किरियावादी, नो अकिरियावादी, अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । नाणी जाव केवलनाणी जहा अलेस्से। अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। अाहारसण्णोवउत्ता जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता
१०
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तीसइमं सतं (पढमो उद्देसो)
६६१ जहा सलेस्सा। नोसण्णोवउत्ता जहा अलेस्सा। सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा। अवेदगा जहा अलेस्सा। सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा। अकसायी जहा अलेस्सा। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा।
अजोगी जहा अलेस्सा । सागारोवउत्ता अणागारोव उत्ता जहा सलेस्सा ॥ ७. नेरइया णं भंते ! कि किरियावादी-पूच्छा।
गोयमा ! किरियावादी वि जाव वेणइयवादी वि॥ सलेस्सा णं भंते ! नेरइया कि किरियावादी? एवं चेव । एवं जाव काउलेस्सा। कण्हपक्खिया किरियाविवज्जिया। एवं एएणं कमेणं जच्चेव जोवाणं वत्तव्वया सच्चेव नेरइयाण वि जाव अणागारोवउत्ता, नवरं-जं अत्थि तं भाणियव्वं,
सेसं न भष्णति । जहा नेरइया एवं जाव थणियकुमारा।। ६. पुढविकाइया णं भंते ! कि किरियावादी-पुच्छा।
गोयमा! नो किरियावादी, प्रकिरियावादी वि. अण्णाणियवादी वि. नो वेणइयवादी। एवं पुढविकाइयाणं जं अत्थि तत्थ सव्वत्थ वि एयाइं दो मझिल्लाइं समोस रणाइं जाव अणागारोवउत्ता वि । एवं जाव चउरिदियाणं । सव्वट्ठाणेसु एयाई चेव मज्झिल्लगाइं दो समोस रणाइं। सम्मत्त-नाणेहि वि एयाणि चेव मझिल्लगाई दो समोसरणाई। पंचिदियतिरिक्खजोणिया जहा जीवा, नवरंजं अत्थि तं भाणियव्वं । मणुस्सा जहा जीवा तहेव निरवसेसं । वाणमंतर
जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा॥ १०. किरियावादी णं भंते ! जीवा कि नेरइयाउयं पकरेंति ? तिरिक्खजोणियाउयं
पकरेंति ? मणुस्साउयं पकरेंति ? देवा उयं पकरेंति ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्सा
उयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेति ।। ११. जइ देवाउयं पकरेंति किं भवणवासिदेवाउयं पकरेंति जाव वेमाणिय देवाउयं
पकरेंति ? गोयमा ! नो भवणवासिदेवाउयं पकरेंति, नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेंति, नो
जोइसियदेवाउयं पकरेंति, वेमाणियदेवाउयं पकरेंति ।। १२. अकिरियावादी णं भंते ! जीवा किं ने रइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं
पुच्छा ।
गोयमा ! नेरइयाउयं पि पकरेंति जाव देवाउयं पि पकरेंति । एवं अण्णाणिय
वादी वि वेणइयवादी वि ।। १३. सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं पकरेंति-पृच्छा।
गोयमा ! नो नेरइयाउयं, एवं जहेव जीवा तहेव सलेस्सा वि चउहि वि समोसरणेहि भाणियव्वा ॥
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१६२
भगवई
१४. कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं पकरेंति-पुच्छा।
गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । अकिरियवादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी य चत्तारि वि आउयाइं पकरेंति । एवं नीललेस्सा वि,
काउलेस्सा वि ॥ १५. तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं पकरेंति-पुच्छा।
गोयमा ! नो ने रइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्सा
उयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । जइ देवा उयं पकरेंति तहेव ॥ १६. तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावादी किं नेरइयाउयं-पुच्छा ।
गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी
वि । जहा तेउलेस्सा एवं पम्हलेस्सा वि सुक्कलेस्सा वि नायव्वा ।। १७. अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं-पुच्छा।
गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो
मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति ।। १८. कण्हपक्खिया ण भते ! जोवा अकिरियावादी किं ने रइयाउयं-पुच्छा।
गोयमा ! नेरइयाउयं पि पकरेंति, एवं चउविहं पि। एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा ।। सम्मदिदी ण भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं-पच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति,
मणुस्साउयं पिपकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया ।। २०. सम्मामिच्छादिट्ठी णं भंते ! जीवा अण्णाणियवादी कि नेरइयाउयं० ? जहा
अलेस्सा । एवं वेणइयवादी वि। नाणी आभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य
ओहिनाणी य जहा सम्मद्दिट्ठी ।।। २१. मणपज्जवनाणी णं भंते ! –पुच्छा।
गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो
मणुस्साउयं पकरेंति, देवाउयं पकरेंति ॥ २२. जइ देवाउयं पकरेंति किं भवणवासि-पुच्छा।
गोयमा ! नो भवणवासिदेवाउयं पकरेंति, नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेंति, नो जोइसियदेवाउयं पकरेंति, वेमाणियदेवाउयं पकरेंति। केवलनाणी जहा अलेस्सा । अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। सण्णासु चउसु वि
११.
१. भ० ३०।११।
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१६३
तीसइमं सतं (पढमो उद्देसो)
जहा सलेस्सा । नोसण्णोवउत्ता जहा मणपज्जवनाणी । सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा। अवेदगा जहा अलेस्सा । सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा। अकसायी जहा अलेस्सा। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा। अजोगी जहा अलेस्सा। सागारोवउत्ता य अणागारोवउत्ता य जहा
सलेस्सा। २३. किरियावादी णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं-पुच्छा ।
गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति,
मणस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति ।। २४. अकिरियावादी णं भंते ! नेरइया-पुच्छा ।
गोयमा ! नो नेरइयाउयं, तिरिक्ख जोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साउयं पि
पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि ॥ २५. सलेस्सा णं भंते ! नेरइया किरियावादो कि नेरइयाउयं० ? एवं सव्वे वि
नेरइया जे किरियावादी ते मणुस्साउयं एगं पकरेंति, जे अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी ते सव्वट्ठाणेसु वि नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेति, नवर–सम्मामिच्छत उवरिल्ल हि दोहि वि समोसरणहि न किचि विपकरति
जहेव जीवपदे । एवं जाव थणियकुमारा जहेव ने रइया ॥ २६. अकिरियावादी णं भंते ! पुढविक्काइया-पुच्छा।
गोयमा ! नो ने रइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं
पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । एवं अण्णाणियवादी वि ।। २७. सलेस्सा ण भंते ! एवं जं जं पदं अत्थि पुढविकाइयाणं तहि तहि मज्झिमेसु
दोसु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं पाउयं पक रेंति, नवरं-तेउलेस्साए न कि पि पकरेंति । एवं ग्राउक्काइयाण वि, वणस्सइकाइयाण वि। तेउकाइया बाउकाइ प्रा सव्वट्ठाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोस रणेसु नो ने रइयाउयं पक रेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणं जहा पुढविकाइयाणं, नवरं-सम्मत्त-नाणेसु न
एक्कं पि ग्राउयं पकरेंति ॥ २८. किरियावादी णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया कि नेरइयाउयं पकरेंति--
पच्छा । गोयमा ! जहा मणपज्जवनाणी । अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी य चउव्विहं पि पकरेंति । जहा प्रोहिया' तहा सलेस्सा वि ॥
१. सजोती (ख)।
२. ओधिता (ता)।
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९६४
भगवई
२६. कण्हलेस्सा णं भंते ! किरियावादी पंचिदियतिरिक्खजोणिया कि नेरइयाउयं
पुच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं, नो मणुस्साउयं नो देवाउयं पकरेंति । अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी चउव्विहं पि पकरेंति । जहा कण्हलेस्सा एवं नीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि । तेउलेस्सा जहा सलेस्सा, नवरं-अकिरियावादी, अण्णाणियवादी, वेणइयवादी य नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । एवं पम्हलेस्सा वि । एवं सुक्कलेस्सा वि भाणियब्बा। कण्हपक्खिया तिहिं समोसरणेहिं चउविहं पि आउयं पकरेंति। सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा। सम्मदिट्ठी जहा मणपज्जवनाणी तहेव वेमाणियाउयं पकरेंति। मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया। सम्मामिच्छादिट्ठी ण य एक्कं पि पकरेंति जहेव नेरइया । नाणी जाव प्रोहिनाणी जहा सम्मविट्ठी। अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया । सेसा जाव अणागारोवउत्ता सव्वे जहा सलेस्सा तहा चेव भाणियव्वा। जहा पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया भणिया एवं मणस्साण वि भाणियव्वा, नवरं मणपज्जवनाणी नोसण्णोव उत्ता य जहा सम्मद्दिट्ठी तिरिक्खजोणिया तहेव भाणियव्वा । अलेस्सा केवलनाणी अवेदगा अकसायी अजोगी य एए न एगं पि पाउयं पकरेंति । जहा प्रोहिया जोवा सेसं तहेव । वाणमंतर-जोइसिय वेमाणिया जहा
असुरकुमारा ॥ ३०. किरियावादी णं भंते ! जीवा किं भवसिद्धीया ? अभवसिद्धीया ?
गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया ॥ ३१. अकिरियावादी णं भंते ! जीवा किं भवसिद्धीया-पच्छा।
गोयमा ! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। एवं अण्णाणियवादी वि,
वेणइयवादी वि॥ ३२. सलेस्सा ण भंते ! जीवा किरियावादी किं भवसिद्धीया--पुच्छा।
गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया ॥ ३३. सलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावादी किं भवसिद्धीया–पुच्छा।
गोयमा ! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि। एवं अण्णाणियवादी वि,
वेणइयवादी वि जहा सलेस्सा । एवं जाव सुक्कलेस्सा ॥ ३४. अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं भवसिद्धीया-पुच्छा।
गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया । एवं एएणं अभिलावेणं कण्हपक्खिया तिसु वि समोसरणेसु भयणाए। सुक्कपक्खिया चउसु वि समोसरणेसु भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। सम्मदिट्ठी जहा अलेस्सा । मिच्छादिट्ठी जहा कण्ह
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तीसइमं सतं (बीओ उद्देसो)
पक्खिया । सम्मामिच्छादिट्ठी दोसु वि समोसरणेसु जहा अलेस्सा । नाणी जाव केवलनाणी भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। सण्णासु चउसु वि जहा सलेस्सा। नोसण्णोवउत्ता जहा सम्मदिट्ठी। सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्स।। अवेदगा जहा सम्मदिदी । सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा । अकसायी जहा सम्मदिट्ठी । सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा। अजोगी जहा सम्मदिट्टी। सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता जहा सलेस्सा । एवं नेरइया वि भाणियव्वा, नवरं-नायव्वं जं अस्थि । एवं असुरकुमारा वि जाव थणियकुमारा। पुढविक्काइया सव्वट्ठाणेसु वि मज्झिल्लेसु दोसु वि समोसरणेसु भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धोया वि । एवं जाव वणस्सइकाइया । बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदिया एवं चेव, नवरंसम्मत्ते ओहिनाणे आभिणिबोहियनाणे सुयनाणे-एएसु चेव दोसु मज्झिमेसु समोसरणेसु भवसिद्धिया, नो अभवसिद्धिया, सेसं तं चेव । पंचिदियतिरिक्खजोणिया जहा नेरइया, नवरं--नायव्वं जं अत्थि। मणुस्सा जहा प्रोहिया
जीवा । वाणमंतर-जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा॥ ३५. सेवं भंते ! सेव भंते ! त्ति ।।
बीओ उद्देसो ३६. अणंतरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया कि किरियावादी-पुच्छा।
गोयमा ! किरियावादी वि जाव वेणइयवादी वि ॥ ३७, सलेस्सा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया कि किरियावादी०? एवं चेव ।
एवं जहेव पढमुद्देसे नेरइयाणं वत्तव्वया तहेव इह वि भाणियव्वा, नवरंजं जं' अस्थि अणंतरोववन्नगाणं नेरइयाणं तं तं भाणियव्वं । एवं सव्वजीवाणं जाव वेमाणियाणं, नवरं-अणंतरोववन्नगाणं जं जहिं अत्थि तं तहिं
भाणियव्वं ।। ३८. किरियावादी णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति
पुच्छा । गोयमा ! नो ने रइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं, नो मणुस्साउयं,
३. तस्स (अ, स)।
१. नेयव्वं (अ, क)। २. जस्स (अ, स)।
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६६६
भगवई
नो देवाउयं पकरेंति । एवं अकिरियावादी वि अण्णाणियवादी वि
वेणइयवादी वि॥ ३६. सलेस्सा णं भंते ! किरियावादी अणंतरोववन्नगा नेरइया कि नेरइयाउयं
पकरेंति-पुच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति । एवं जाव वेमाणिया। एवं सव्वट्ठाणेसु वि अणंतरोववन्नगा नेरइया न किंचि वि पाउयं पकरेंति जाव अणागारोव उत्तत्ति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं-जं जस्स अत्थि
तं तस्स भाणियव्वं ॥ ४०. किरियावादी णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया किं भवसिद्धीया ? अभव
सिद्धीया ?
गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया ।। ४१. अकिरियावादी णं-पुच्छा।
गोयमा ! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि । एवं अण्णाणियवादी वि वेणइय
वादी वि ॥ ४२. सलेस्सा णं भंते ! किरियावादी अणंतरोववन्नगा नेरइया कि भवसिद्धीया ?
अभवसिद्धीया ? गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया । एवं एएणं अभिलावेणं जहेव प्रोहिए उद्देसए नेरइयाणं वत्तव्वया भणिया तहेव इह वि भाणियव्वा जाव अणागारोवउत्तत्ति । एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं-जं जस्स अस्थि तं तस्स भाणियव्वं । इमं से लक्खणं-जे किरियावादी सुक्कपक्खिया सम्मामिच्छदिट्ठीया एए सव्वे भवसिद्धोया, नो अभवसिद्धोया। सेसा सव्वे भवसिद्धीया वि,
अभवसिद्धीया वि॥ ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
तइप्रो उद्देसो ४४. परंपरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया किरियावादी०? एवं जहेव प्रोहियो
उद्देसरो तहेव परंपरोववन्नएसु वि नेरइयादीनो तहेव निरवसेसं भाणियव्वं,
तहेव तियदंडगसंगहिरो॥ ४५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ॥
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तौसइमं सतं (४-११ उद्देसा)
९६७
४-११ उद्देता ४६. एवं एएणं कमेणं जच्चेव बंधिसए उद्देसगाणं परिवाडी सच्चेव इहं पि जाव
अचरिमो उद्देसो, नवरं-अणंतरा चत्तारि वि एक्कगमगा, परंपरा चत्तारि वि एक्कगमएणं । एवं चरिमा वि, अचरिमा वि एवं चेव, नवरं--अलेस्सो
केवली अजोगी न भण्णति, सेसं तहेव ।। ४७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति । एए एक्कारस वि उद्देसगा ॥
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इक्कतीसइमं सतं
पढमो उद्देसो खुड्डुजुम्म-नेरइयादीणं उववाय-पदं १. रायगिहे जाव एवं वयासी-कति णं भंते ! खुड्डा जुम्मा पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि खुड्डा जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा -कडजुम्मे, तेयोए, दावर
जुम्मे', कलियोगे ॥ २. से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-चत्तारि खुड्डा जुम्मा पण्णत्ता, तं जहा
कडजुम्मे जाव कलियोगे ? गोयमा ! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागकडजुम्मे । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागतेयोगे । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए सेत्तं खड्डागदावरजुम्मे । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे
एगपज्जवसिए सेत्तं खुड्डागकलियोगे से तेणट्रेणं जाव कलियोगे ॥ ३. खुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति–कि नेरइएहितो
उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएहितो-पूच्छा। गोयमा ! नो नेरइएहितो उववज्जति । एवं ने रइयाणं उववानो जहा वक्कंतीए
तहा भाणियव्वो॥ ४. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ?
गोयमा ! चत्तारि वा अट्ठ वा बारस वा सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा
उववज्जति ।। ५. ते णं भंते ! जीवा कहं उववज्जति ?
गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे अज्झवसाणनिव्वत्तिएणं करणोवाएणं,
१. वातर° (क); वादर ° (ता); वायर०
२. प० ६ ।
९९८
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इकतीसइमं सतं (बीओ उद्देसो)
&&&
एवं जहा पंचविसतिमे सए मुद्देसए नेरइयाणं वत्तव्वया तहेव इह वि भाणि - यव्वा जाव' श्रायपोगेणं उववज्जंति नो परप्पयोगेणं उववज्जंति ॥ रणभापुढविखुड्डाकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कम्रो उववज्जंति० ? एवं जहा प्रोहियनेरइयाणं वत्तव्वया सच्चेव रयणप्पभाए वि भाणियव्वा जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जति । एवं सक्करम्पभाए वि, एवं जाव ग्रसत्तमाए । एवं उववा जहा वक्तीए ।
६.
७.
८.
ε.
सणी खलु पढमं, दोच्चं व सरीसवा सीहा जंति चउत्थि, उएगा पुण छट्टि च इत्थियाग्रो, मच्छा मणुमा य एसो परमुववा बोधव्वो
तइय पक्खी ।
पंचमि पुढवि ॥ १ ॥ सत्तमि पुढवि ।
नरयपुढवीणं ॥२॥ °
सेसं तहेव ॥
खुड्डागतेयोग ने रइयाणं भंते ! को उववज्जंति - किं नेरइए हितो ० ? उववाश्री जहा वक्कंती |
ते णं भंते! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जंति ?
गोयमा ! तिणि वा सत्त वा एक्कारस वा पण्णरस वा संखेज्जा वा प्रसंखेज्जा वा उववज्जंति । सेसं जहा कडजुम्मस्स । एवं जाव ग्रसत्तमाए || खुड्डागदावर जुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जंति ? एवं जहेव खुड्डागकडजुम्मे, नवरं - परिमाणं दो वा छ वा दस वा चोट्स वा संखेज्जा वा प्रसंखेज्जा वा, सेसं तं चैव जाव ग्रसत्तमाए ॥
१०. खुड्डागकलियोगनेरइया णं भंते ! को उववज्जंति ? एवं जहेव खुड्डागकडजुम्मे, नवरं - परिमाणं एक्को वा पंचवा नव वा तेरस वा संखेज्जा वा संखेज्जा वा उववज्जंति, सेसं तं चेव । एवं जाव ग्रसत्तमाए ।
११. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥
वीओ उद्देसो
१२. कण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कनो उववज्जंति ०? एवं चेव जहा हिगमो जावनो परप्पयोगेणं उववज्जंति, नवरं -- उववाओ जहा वक्कंतीए धूमप्पभापुढविनेरइयाणं, सेसं तं चैव ॥
३. सं० पा० गाहा एवं उववाएय्वा ।
१. भ० २५/६२०-६२६ ।
२. प० ६ ।
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१०००
भगवई
१३. धूमप्पभापुढविकण्हलस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! करो उववज्जति ?
एवं चेव निरवसेसं । एवं तमाए वि, अहेसत्तमाए वि, नवरं-उववाग्रो सव्वत्थ
जहा वक्कंतीए॥ १४. कण्हलेस्सखुड्डागतेप्रोगनेरइया णं भंते ! को उववज्जति०? एवं चेव, नवरं --
तिण्णि वा सत्त वा एक्कारस वा पन्नरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा, सेसं
तं चैव । एवं जाव अहेसत्तमाए वि ।।। १५. कण्हलेस्सखुड्डागदावरजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति? एवं चेव,
नवरं- दो वा छ वा दस वा चोदस वा, सेसं तं चेव । एवं धूमप्पभाए वि जाव
अहेसत्तमाए। १६. कण्हलेस्सखुड्डागकलियोगनेरइया णं भंते ! को उववज्जति०? एवं चेव,
नवरं-- एक्को वा पंच वा नव वा तेरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा, सेस
तं चेव । एवं धूम्मप्पभाए वि, तमाए वि, अहेसत्तमाए वि ॥ १७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
तइओ उद्देसो १८. नीललेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कत्रो उववज्जंति ०? एवं जहेव
कण्हलेस्साखुड्डागकडजुम्मा, नवरं-उववाग्रो जो वालुयप्पभाए, सेसं तं चेव । वालुयप्पभापुढविनीललेस्सखुड्डाग कडजुम्मनेरइया एवं चेव । एवं पंकप्पभाए वि, एवं धूमप्पभाए वि । एवं चउसु वि जुम्मेसु, नवरं-परिमाण
जाणियव्वं । परिमाणं जहा कण्हलेस्स उद्देसए । सेसं तहेव ।। १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
चउत्थो उद्देसो २०. काउलेस्सखड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ०? एवं जहेव
कण्हलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया, नवरं-उववानो जो रयणप्पभाए, सेसं तं
चेव ॥ २१. रयणप्पभापुढविकाउलेस्सखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कसो उववज्जति ०?
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इक्कतीस इमं सतं (५-२८ उद्देसा)
१००१
एवं चेव । एवं सक्करख्पभाए वि एवं वालुयप्पभाए वि । एवं चउसुवि जुम्मे, नवरं - परिमाणं जाणियव्वं जहा कण्हलेस्स उद्देसए, सेसं तं चेव ॥ २२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
पंचमो उद्देसो
२३. भवसिद्धीयखुड्डाकडजुम्मनेरइया णं भंते! को उववज्जंति - किं नेरइएहितो ० ? एवं जहेव ग्रोहियो गमस्रो तहेव निरवसेसं जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जति ॥
२४. रयणप्पभपुढविभवसिद्धीयखुड्डागकडजुम्मने रइया णं भंते ! ०? एवं चेव निरवसेसं । एवं जाव ग्रसत्तमाए । एवं भवसिद्धीयखुड्डागतेयोगनेरइया वि । एवं जाव कलियोगत्ति, नवरं परिमाणं जाणियव्वं परिमाणं पुब्वभणियं जहा पढमुस ||
२५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
छट्ठो उद्देसो
२६. कण्हलेस्सभवसिद्धीयखुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जंति ? एवं जहेव प्रोहियो कण्हलेस्स उद्देग्रो तहेव निरवसेसं चउसु वि जुम्मेसु भाणियव्वो जाव -
२७. ग्रहेसत्तमपुढविकण्हले स्सखुड्डाग कलियोग ने रइया णं भंते ! कओ उववज्जंति ० ? तहेव ॥
२८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
७-२८ उद्देसा
२९. नोललेस्सभवसिद्धोया चउसु वि जुम्मेसु तहेव भाणियव्वा जहा ग्रोहिए नोललेस्स उद्देसए ||
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१००२
भगवई?
३०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। ३१. काउलेस्सभवसिद्धीया चउसु वि जुम्मेसु तहेव उववाएयव्वा जहेव ओहिए
काउलेस्सउद्देसए॥ ३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।। ३३. जहा भवसिद्धीएहिं चत्तारि उद्देसगा भणिया एवं अभवसिद्धीएहि वि चत्तारि
उद्देसगा भाणियव्वा जाव काउलेस्सउद्देसो त्ति ॥ ३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ३५. एवं सम्मदिट्ठीहि वि लेस्सासंजुत्तेहिं चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवरं-सम्मदिट्ठी
पढमबितिएसु दोसु वि उद्देसगेसु अहेसत्तसपुढवीए न उववाएयव्वो, सेसं तं
चेव ॥ ३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ३७. मिच्छादिट्ठीहि वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा जहा भवसिद्धीयाणं ।। ३८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ३९. एवं कण्हपक्खिएहि वि लेस्सासंजुत्तेहि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा जहेव
भवसिद्धीएहि ॥ ४०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४१. सुक्कपक्खिएहिं एवं चेव चत्तारि उद्देसगा भाणियव्वा जाव वालुयप्पभपुढवि
काउलेस्ससूक्कपक्खियखड़ागकलिगोगनेरइया णं भंते ! को उववज्जति ?
तहेव जाव नो परप्पयोगेणं उववज्जति ।। ४२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति । सव्वे वि एए अट्ठावीसं उद्देसगा।
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बत्तीसइमं सतं
१-२८ उद्देसा खुड्डजुम्म-नेरइयादोणं उववट्टण-पदं १. खुड्डागकडजुम्मनेरइया णं भंते ! अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति ? कहिं उव
वज्जति–किं ने रइएसु उववज्जति ? तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति ? उव्वट्टणा
जहा वक्कंतीए॥ २. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उबटुंति ?
गोयमा ! चत्तारि वा अट्ठ वा बारस वा सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उव्वट्ठति ॥ ते णं भंते ! जीवा कहं उव्वद॒ति ? गोयमा ! से जहानामए पवए, एवं तहेव । एवं सो चेव गमो जाव' पायप्प
योगेणं उव्वटुंति, नो परप्पयोगेणं उब्वट्ठति ॥ ४. रयणप्पभापुढविखुड्डागकडजुम्म० ? एवं रयणप्पभाए वि । एवं जाव अहेसत्त
माए । एवं खुड्डागतयोग-खुड्डागदावरजुम्म-खुड्डागकलियोगा, नवरं-परिमाणं
जाणियव्वं, सेसं तं चेव ॥ ५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ६. कण्हलेस्सकडजुम्मनेरइया० ? एवं एएणं कमेणं जहेव उववायसए अट्ठावीसं
उद्देसगा भणिया तहेव उव्वट्टणासए वि अट्ठावीसं उद्देसगा भाणियव्वा निरवसेसा,
नवरं-उव्वद्वृति त्ति अभिलावो भाणियव्वो, सेसं तं चेव ॥ ७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ॥
१. ५०६।
२. भ० २५।६२०-६२६ ।
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तेत्तीसइमं सतं पढमं एगिदियं सतं
पढमो उद्देसो एगिदियाणं कम्मप्पगडि-पदं १. कतिविहा णं भंते ! एगिदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा—पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया ।। पढविक्कइया णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुहुमपुढविक्काइया य, बादरपुढवि
क्काइया य॥ ३. सुहमपुढविक्काइया णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइया य, अप्पज्जत्ता
सुहुमपुढविक्काइया य ।। ४. बादरपुढविक्काइया णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? एवं चेव । एवं आउक्का
इया वि चउक्कएणं भेदेणं भाणियव्वा, एवं जाव वणस्सइकाइया ।। ५. अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडोश्रो पण्णत्तायो ?
गोयमा! अट्ट कम्मप्पगडीयो पण्णत्तानो, तं जहा-नाणावरणिज्ज जाव अंतराइयं ।। पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीअो पण्णत्तानो ? गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीओ पण्णत्तानो, तं जहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं ।। अपज्जत्ताबादरपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीग्रो पण्णत्तायो ?
एवं चेव ।। ८. पज्जत्तावादरपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ पण्णत्तायो ? एवं
१००४
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तेत्तीसइमं सतं
१००५
चेव । एवं एएणं कमेणं जाव बादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्तगाणं ति। ६. अप्पज्जत्तासुहुमपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीअो बंधंति ?
गोयमा ! सत्तविहबंधगा वि, अट्ठविहबंधगा वि । सत्त बंधमाणा पाउयवज्जायो सत्त कम्मप्पगडीयो बंधति, अट्ठ बंधमाणा पडिपुण्णानो अट्ठ
कम्मप्पगडीयो बंधति ।। १०. पज्जत्तासुहमपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडोयो बंधंति ? एवं चेव,
एवं सब्वे जाव
पज्जत्ताबादरवणस्सइकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीग्रो बंधति ? एवं चेव ।। १२. अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो वेदेति ?
गोयमा ! चोद्दस कम्मप्पगडीयो वेदेति, तं जहा-नाणावरणिज्जं जाव अंतराइय' सोइंदियवझ, चक्खिदियवज्झ, घाणिदियवज्झ, जिभिदियवज्झ, इत्थिवेदवझ, पुरिसवेदवज्झ । एवं चउक्कएणं भेदेणं जाव--- पज्जत्ताबादरवणस्सइकाइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ वेदेति ?
गोयमा ! एवं चेव चोद्दस कम्मप्पगडीयो वेदेति ।। १४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
११.
बीमो उद्देसो १५. कतिविहा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा-पुढविक्का
इया जाव वणस्सइकाइया ।। १६. अणंतरोववन्नगा णं भंते ! पुढविक्काइया कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा --सुहुमपुढविक्काइया य, बादरपुढविक्का
इया य । एवं दुपएणं भेदेणं जाव वणस्सइकाइया ।। १७. अणंतरोववन्नगसुहमपुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ पण्णत्ताओ?
गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीअो पण्णत्ताओ, तं जहा-नाणावरणिज्जं जाव
अंतराइयं ।। १८. अणंतरोववन्नगबादरपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्तायो?
१. X (अ, क, ख, ता)।
२.
वज्ज (अ, ख, ता, ब, स)।
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१००६
भगवई
१६. अणंतोल
गोयमा ! अट्ट कम्मप्पगडीयो पण्णत्ताओ, तं जहा-नाणावरणिज्ज जाव अंतराइयं । एवं जाव अणंतरोववन्नगवादरवणस्सइकाइयाणं ति ।। अणंतरोववन्नगसुहमपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो बंधंति ? गोयमा ! आउयवज्जाओ सत्त कम्मप्पगडीअो बंधंति। एवं जाव अणंतरोव
वन्नगबादरवणस्सइकाइय त्ति ।। २०. अणंतरोववन्नगसुहुमपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीग्रो वेदेति ?
गोयमा ! चोद्दस कम्मप्पगडीयो वेदेति, तं जहा-नाणावरणिज्ज, तहेव जाव
पुरिसवेदवज्झं । एवं जाव अणंतरोववन्नगवादरवणस्सइकाइयत्ति ।। २१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
तइओ उद्देसो २२. कतिविहा णं भंते ! परंपरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा ---पुढविक्काइया
एवं चउक्कयो भेदो जहा अोहिउद्देसए ॥ २३. परंपरोववन्नगअपज्जत्तासुहमपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीओ
पण्णत्तानो ? एवं एएणं अभिलावेणं जहा प्रोहिउद्देसए तहेव निरवसेसं
भाणियव्वं जाव चोइस वेदेति ।। २४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
४-११ उद्देसा २५. अणंतरोगाढा जहा अणंतरोववन्नगा ।। २६. परंपरोगाढा जहा परंपरोववन्नगा। २७. अणंतराहारगा जहा अणंतरोववन्नगा ॥ २८. परंपराहारगा जहा परंपरोववन्नगा ।। २६. अणंतरपज्जत्तगा जहा अणंतरोववन्नगा ।। ३०. परंपरपज्जत्तगा जहा परंपरोववन्नगा।। ३१. चरिमा वि जहा परंपरोववन्नगा तहेव ।।
एवं अचरिमा वि । एवं एए एक्कारस उद्देसगा। ३३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ॥
१. ० गाणं (अ, ख, ब, म, स)।
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बीसतं
पदमो उद्देस
३४. कतिविहाणं भंते ! कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता ?
गोमा ! पंचवा कण्हलेस्सा एगिंदिया पण्णत्ता, तं जहा - पुढविक्काइया
जाव वणस्सइकाइया ||
३५. कण्हलेस्सा णं भंते ! पुढविक्काइया कतिविहा पण्णत्ता ?
गोमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा - सुहुमपुढविक्काइया य, बादरपुढविक्का
इयाय ।।
३६. कण्हलेस्सा णं भंते! सुहुमढविक्काइया कतिविहा पण्णत्ता ? एवं एएण अभिलावेणं चउक्को भेदो जहेव ग्रोहिउद्देसए' |
३७. कण्हलेस पज्जतासुहुमपुढविक्काइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीओ पण्णत ? एवं एवं अभिलावेणं जहेव प्रोहिउद्देसए तहेव पण्णत्ताओ, तहेव aad |
३८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ||
बीओ उद्देसो
३६. कतिविहाणं भंते ! प्रणंत रोववन्नग कण्हलेस्सए गिदिया पण्णत्ता ? गोमा ! पंचविहा प्रणंत रोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिंदिया एवं एएणं प्रभिलावेणं तहेव दुयनो भेदो जाव वणस्सइकाइयत्ति ।।
१. ० उद्देस जाव वरस्सइकाइयत्ति ( स ) ।
१००७
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१००८
भगवई
४०. अणंतरोववन्नगकण्हले स्ससुहमपुढविक्काइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडोरो
पण्णत्ताओ? एवं एएणं अभिलावेणं जहा प्रोहिओ अगंत रोववन्नगाणं उद्देसनो
तहेव जाव वेदेति ॥ ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
३-११ उद्देसा ४२. कतिविहा णं भंते ! परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णत्ता, तं जहापुढविक्काइया, एवं एएणं अभिलावेणं तहेव चउक्कयो भेदो जाव वणस्सइ
काइयत्ति। ४३. परंपरोववन्नगकण्हलेस्सअपज्जत्तासुहमपुढविकाइयाणं भंते ! कइ कम्मप्प
गडीअो पण्णत्तायो ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव आहियो परंपरोववन्नगउद्देसग्रो तहेव जाव वेदेति । एवं एएणं अभिलावेणं जहेव प्रोहिएगिदियसए एक्कारस उद्देसगा भणिया तहेव कण्हलेस्ससते वि भाणियव्वा जाव अचरिमचरिमकण्हलेस्सा एगिदिया ।
३,४ सताई
४४. जहा कण्हलेस्सेहिं भणियं एवं नीललेस्से हि वि सयं भाणियव्वं ।। ४५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४६. एवं काउलेस्से हि वि सयं भाणियव्वं, नवरं--काउलेस्से ति अभिलावो भाणि
यव्वो ॥
पंचमं सतं भवसिद्धीयएगिदियाणं कम्मप्पाँड-पदं ४७. कतिविहा णं भंते ! भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा-पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया, भेदो चउक्कयो जाव वणस्सइकाइयत्ति ।।
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तेतीसइमं सतं
१००६ ४८. भवसिद्धीयअपज्जत्तासुहमपुढविक्काइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीपो पण्ण
त्तानो ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव पढमिल्लगं एगिदियसयं तहेव भवसिद्धीय
सयं पि भाणियव्वं । उद्देसगपरिवाडी तहेव जाव अचरिमो' त्ति। ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
छठें सतं ५०. कतिविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा कण्हलेस्सा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा
पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया । ५१. कण्हलेस्सभवसिद्धीयपुढविक्काइया णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता?
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुहुमपुढविक्काइया य, वादरपुढविक्का
इया य॥ ५२. कण्हलेस्सभवसिद्धीयसुहुमपुढविक्काइया णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ?
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा--पज्जत्तगा य, अपज्जत्तगा य । एवं बादरा
वि । एएणं अभिलावेणं तहेव चउक्कनो भेदो भाणियव्वो ॥ ५३. कण्हलेस्सभवसिद्धीयनपज्जत्तासुहमपुढविक्काइयाणं भंते ! कइ कम्मप्पगडीयो
पण्णत्तायो ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव ओहिउद्देसए तहेव जाव वेदेति ॥ ५४. कतिविहा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा कण्हलेस्सा भवसिद्धीया एगिदिया
पण्णत्ता?
गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववन्नगा जाव वणस्सइकाइया । ५५. अणंतरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धीयपुढविक्काइया णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता?
गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-सुहमपुढविक्काइया, एवं दुयो भेदो । ५६. अणंतरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धीयसुहुमपुढविक्काइयाणं भंते ! कइ कम्मप्प
गडीयो पण्णत्तायो ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव प्रोहियो अणंतरोववन्नउद्देसओ तहेव जाव वेदेति । एवं एएणं अभिलावेणं एक्कारस वि उद्देसगा तहेव भाणियव्वा जहा प्रोहियसए जाव अचरिमो त्ति ।।
१. अचरिम (ख, ता, ब)।
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१०१०
भगवई
७,८ सताई ५७. जहा कण्हलेस्सभवसिद्धीएहि सयं भणियं एवं नीललेस्सभवसिद्धीएहि वि सतं
भाणियव्वं ॥ ५८. एवं काउलेस्सभवसिद्धीएहि वि सतं ।।
६-१२ सताई प्रभवसिद्धीयएगिदियाणं कम्मप्पगडि-पदं ५६. कइविहा णं भंते ! अभवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा अभवसिद्धीया एगिदिया एण्णत्ता, तं जहा- पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया। एवं जहेव भवसिद्धी यसतं भणियं, नवरं-नव उद्देसगा
चरिमअचरिम उद्देसगवज्ज, सेसं तहेव ।। ६०. एवं कण्हलेस्सनभवसिद्धीयएगिदियसतं पि ।। ६१. नीललेस्सप्रभवसिद्धीयएगिदिएहि बि सतं ॥ ६२. काउलेस्सअभव सिद्धीयसतं । एवं चत्तारि वि अभवसिद्धीयसताणि, नव-नव
उद्देसगा भवंति । एवं एयाणि बारस एगिदियसताणि भवंति ॥
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चौतीसइमं सतं पढमं एगिदिसतं पढमो उद्देस
एगिंदियाणं विग्गहगइ-पदं
१. कइविहा णं भंते ! एगिंदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा - पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया । एवमेते चउक्कएणं भेदेणं भाणियव्वा जाव वणस्सइकाइया ॥
२. अपज्जत्ता सुमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थि - मिल्ले चरिमंते प्रपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमएणं विग्गणं उववज्जेज्जा ?
गोमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उव
वज्जेज्जा |
३. से केणद्वेगं भंते ! एवं बुच्चइ - एगसमइएण वा दुसमइएण वा जाव उववज्जेज्जा |
एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढी पण्णत्तानो, तं जहा -- उज्जुयायता सेढी, एगओवंका, दुस्रोवंका, एगोखहा', दुहप्रोखहा', चक्कवाला, श्रद्धचक्कवाला । उज्जुप्रायताएं सेढीए उववज्जमाणे एगसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । एगोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । दुहश्रोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा | से तेणट्टेणं गोयमा ! जाव उववज्जेज्जा ॥
४. ग्रपज्जत्तासुहुम पुढविकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थि
९. ० खुहा ( अ ) 1
२. खुहा ( अ ) ।
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१०१२
भगवई
मिल्ले चरिमंते पज्जत्तासहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! इसमइणं विग्गणं उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! एगसमइएण वा सेसं तं चेव जाव' से तेणट्टेणं' गोयमा ! एवं वुच्चइ–एगसमइएणं वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा । एवं अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइ पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहणावेत्ता पच्चत्थिमिले चरिमंते बादरपुढविकाइएस अपज्जत्तएसु उववाएयव्वो, ताहे तेसु चेव पज्जत्तएसु । एवं आउक्काइएस चत्तारि श्रालावगा सुहुमेहिं ग्रपज्जत्तएहि, ताहे पज्जत्तएहि, बादरेहिं प्रपज्जत्तएहि, ताहे पज्जत्तएहि उववाएयव्वो । एवं चैव सुमते उकाइएहि वि ग्रपज्जत्तएहि ताहे पज्जत्तएहि उववाएयव्वो । ५. ग्रपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरत्थि - मिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए मणुस्सखेत्ते प्रपज्जत्ताबादरउकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ? सेसं तं चेव । एवं पज्जत्ताबादरते उक्काइयत्ताए उववायव्वो । वाउक्काइएसु सुमबारे जहा प्राक्काइएस उववाइयो तहा उववाएयव्वो । एवं वणस्सइकाइएस वि ॥
एव
६. पज्जत्तासु हुम पुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए० ? पज्जत्ता सुहुमपुढविक्काइश्रो वि पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहणावेत्ता एएणं ar कमेणं एएस चेव वीससु ठाणेसु उववाएयव्वो जाव वादरवणस्सइकाइए सु पज्जत्तएसु वि । एवं अपज्जत्ताबादरपुढविकाइयो वि । एवं पज्जत्ताबादरपुढविकाइ वि । एवं आउकाइयो वि चउसु वि गमएसु पुरत्थिमिल्ले चरिमंते समोहए, एयाए चेव वत्तव्वयाए एएस चेव वीसइठाणेसु उववाएयव्वो । सुहुतेकाश्रो विग्रपज्जत्त पज्जत्तो य एएस चेव वीसाए ठाणेसु उववायव्वो ।
७. अपज्जत्ताबादरते उक्काइए णं भंते! मणुस्सखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ? सेसं तहेव जाव से तेणट्टेणं । एवं पुढविक्काइएस चउविहेसु वि उववायव्वो, एवं उकाइएसु चउविहेसु वि, तेउकाइएस सुहुमेसु अपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु य एवं चेव उववाएयव्वो । ८. ग्रपज्जत्ताबादरते उक्काइए णं भंते! मणुस्सखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए मणुस्सखेत्ते ग्रपज्जत्ताबाद रते उक्का इयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते !
१. भ० ३४/२,३ |
२. सं० पा०--- तेणट्टेणं जाव विग्गणं ।
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चौतीसइमं सतं (पढमो उद्देसी)
कतिसमइएणं० ? सेसं तं चेव । एवं पज्जत्तावादरतेउक्काइयत्ताए वि उववाएयव्यो। वाउकाइयत्ताए य वणस्सइकाइयत्ताए य जहा पुढविकाइएसु तहेव चउक्कएणं भेदेणं उववाएयव्वो। एवं पज्जत्ताबादरतेउकाइयो वि समयखेत्ते समोहणावेत्ता एएसु चेव वीसाए ठाणेसु उववाएयव्वो। जहेव अपज्जत्तो उववाइयो, एवं सव्वत्थ वि बादरतेउकाइया अपज्जत्तगा य पज्जत्तगा य समयखेत्ते उववाएयव्वा सभोहणावेयव्या वि । वाउक्काइया वणस्सकाइया य जहा
पुढविक्काइया तहेव चउक्कएणं भेदेणं उववाएयव्वा जाव९. पज्जत्ताबादरवणस्सइकाइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थि
ल चारमते पज्जत्तावादरवणस्सइकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कतिसमइएणं० ? सेसं तहेव जाव से तेणदेणं ।।। अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ल चरिमते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ल चरिमंते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं० ? सेसं तहेव निरवसेसं । एवं जहेव पुरथिमिल्ले चरिमंते सव्वपदेस वि समोहया पच्चस्थिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाइया, जेय समयखेत्त समोहया पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाइया, एवं एएणं चेव कमेणं पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य समोहया पुरथिमिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य उववाएयव्वा तेणेव गमएणं । एवं एएणं गमएणं दाहिणिल्ले चरिमंते समोहयाणं उत्तरिल्ले चरिमंते समयखत्ते य उववाग्रो। एवं चेव उत्तरिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य समोहया दाहिणिल्ले चरिमंते समयखेत्ते य
उववाएयव्वा तेणेव गमएणं ।। ११. अपज्जत्तासहमपुढविकाइए णं भंते! सक्करप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले
चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पच्चत्थि मिल्ले चरिमंते अपज्जत्तासहमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एवं जहेव रयण
प्पभाए जाव से तेणद्वेणं । एवं एएणं कमेणं जाव पज्जत्तएसु सुहुमतेउकाइएसु ॥ १२. अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए णं भंते ! सक्करप्पभाए पुढवीए पुरथिमिल्ले
चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते अपज्जत्ताबादरतेउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कतिसमइएणं-पुच्छा। गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा ।। से केणटेणं ? एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीग्रो पण्णत्ताओ, तं जहा-उज्जुयायता जाव अद्धचक्कवाला। एगोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । दुहनोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा।
१३.
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१०१४
भगवई से तेणद्वेणं । एवं पज्जत्तएसु वि बादरतेउक्काइएसु । सेसं जहा रयणप्पभाए । जे वि बादरतेउकाइया अपज्जत्तगा य पज्जत्तगा य समयखेत्ते समोहणित्ता दोच्चाए पुढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते पुढविकाइएसु चउव्विहेसु, पाउक्काइएस चउव्विहेस, तेउकाइएसु दुविहेसु, वाउकाइएसु चउविहेस, वणस्सकाइएस चउबिहेसु उववज्जति, ते वि एवं चेव दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववाएयव्वा। बादरतेउक्काइया अपज्जत्तगा य पज्जत्तगा य जाहे तेसु चेव उववज्जति ताहे जहेव रयणप्पभाए तहेव एगसमइय-दुसमइय-तिसमइयविग्गहा भाणियव्वा, सेसं जहेव रयणप्पभाए तहेव निरवसेसं । जहा सक्करप्पभाए
वत्तव्वया भणिया एवं जाव अहेसत्तमाए भाणियव्वा । १४. अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए णं भंते ! अहेलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते
समोहए, समोहणित्ता जे भविए उड्ढलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा?
गोयमा ! तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा ।। १५. से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं
उववज्जेज्जा? गोयमा ! अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए णं अहेलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए उड्ढलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए एगपयरंसि अणुसेढि' उववज्जित्तए, से णं तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । जे भविए विसेटिं' उववज्जित्तए, से णं चउसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा। से तेणद्वेणं जाव उववज्जेज्जा। एवं पज्जत्तासुहुमपुढवि
काइयत्ताए वि, एवं जाव पज्जत्तासहमतेउकाइयत्ताए॥ १६. अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए णं भंते ! अहेलोग खेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते
समोहए,° समोहणित्ता जे भविए समयखेत्ते अपज्जत्ताबादरतेउकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा ॥ १७. से केणद्वेणं?
एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढोरो पण्णत्ताओ, तं जहा-उज्जुयायता जाव अद्धचक्कवाला । एगोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा, दुहनोवंकाए सेढीए उववज्जमाण तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा।
१. अहेसत्तमाए वि (स)। २. अणुसेढीए (अ, क, ख, ब, म, स)।
३. विसेढीए (अ, क, ख, तो, ब, म, स)। ४. सं० पा–अहेलोग जाव समोहणित्ता।
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चोतीसइम सतं (पढमो उद्देसो)
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से तेणद्वेणं । एवं पज्जत्तएसु वि बादरतेउकाइएसु वि उववाएयव्वो । वाउक्काइय-वणस्सइकाइत्ताए चउक्कएणं भेदेणं जहा पाउक्काइयत्ताए तहेव उववाएयव्वो। एवं जहा अपज्जत्तासहमपूढविक्काइयस्स गमग्रो भणिग्रो एवं पज्जत्ता
सूहमपूढावकाइयस्स विभाणियव्वो, तहव वीसाए ठाणसू उववाएव्वा ।। १८. [अपज्जत्ताबादरपुढविक्काइए णं भंते ? ] अहेलोयखेत्तनालीए बाहिरिल्ले
खेत्ते समोहए? एवं बादरपुढविकाइयस्स वि अपज्जत्तगस्स पज्जत्तगस्स य भाणियव्वं । एवं प्राउक्काइयस्स चउव्विहस्स वि भाणियव्वं । सुहुमतेउक्काइयस्स
दुविहस्स वि एवं चेव ॥ १६. अपज्जत्ताबादरतेउक्काइए णं भंते ! समयखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे
भविए उड्ढलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ? गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उवव
ज्जेज्जा ॥ २०. से केणद्वेणं ? अट्ठो जहेव रयणप्पभाए तहेव सत्त सेढीओ। एवं जाव२१. अपज्जत्ताबादरतेउकाइए णं भंते ! समयखेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए
उडढलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते पज्जत्तासहमतेउकाइयत्ताए उववज्जित्तए.
से णं भंते ०? सेसं तं चेव ।। २२. अपज्जत्ताबादरते उक्काइए णं भंते ! समयवेत्ते समोहए, समोहणित्ता जे भविए
समयखेत्ते अपज्जत्ताबादरतेउक्काइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ?
गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेजा ।। २३. से केणटेणं ?
अट्ठो जहेव रयणप्पभाए तहेव सत्त सेढीयो । एवं पज्जत्ताबादरतेउकाइयत्ताए वि । वाउकाइएसु वणस्सइकाइएसु य जहा पुढविक्काइएसु उववाइनो तहेव चउक्कएणं भेदेणं उववाएयव्वो। एवं पज्जत्ताबादरतेउकाइओ वि एएसु चेव ठाणेस उववाएयव्वो। वाउक्काइय-वणस्सइकाइयाणं जहेव पूढविकाइयत्ते
उववाग्रो तहेव भाणियन्वो । २४. अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए णं भंते ! उड्ढलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते
समोहए, समोहणित्ता जे भविए अहेलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं ०? एवं उड्ढलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते समोहयाणं अहेलोगखेत्तनालीए बाहिरिल्ले खेत्ते उववज्जंताणं सो चेव गमो निरवसेसो भाणियव्वो जाव बादरवणस्सइकाइयो पज्जत्तो बादरवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु उववाइयो।
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भगवई
२५. अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए,
समोहणित्ता जे भविए लोगस्स पुरथिमिल्ले चेव चरिमंते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए, सेणं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा॥ से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ -एगसमइएण वा जाव' उववज्जेज्जा ? एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीग्रो पण्णत्ताओ, तं जहा--उज्जुअायता जाव अद्धचक्कवाला। उज्जुनायताए सेढीए उववज्जमाणे एगसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । एगोवकाए सेढाए उववज्जमाण दूसमइएण विग्गहण उववज्जेज्जा । दहनोवंकाए सेटीए उववज्जमाणे जे भविए एगपयरंसि अणसेढि उववज्जित्तए, से णं तिरामइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । जे भविए विसेदि उववज्जित्तए, से णं च उसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । से तेणद्वेणं जाव उववज्जेज्जा । एवं अपज्जत्तासुहमपुढविकाइनो लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता लोगस्स पुरथिमिल्ले चेव चरिमंते अपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु सुहमपुढविकाइएसु, अपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु सुहुमग्राउकाइएसु, अपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु सुहुमतेउक्काइएसु, अपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु सुहुमवाउकाइएसु, अपज्जत्तासू पज्जत्ता बादरवाउकाइएस, पज्जत्तएसू पज्जत्तएस सूहमवणस्सइकाइएसु, अपज्जत्तएसु पज्जत्तएसु य बारससु वि ठाणेसु एएणं चेव कमेणं भाणियव्वो । सहमपुढविकाइयो पज्जत्तनो एवं चेव निरवसेसो वारससु वि ठाणेसु उववाएयव्वो । एवं एएणं गमएणं जाव सुहुमवणस्सइकाइयो पज्जत्तो सुहुमवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु चेव भाणियव्वो।। अपज्जत्तासुहमपुडविकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ले चरिमंते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइएसु उववज्जित्तए, से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा ? गोयमा ! दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा विग्गहेणं उववज्जेज्जा ॥ से केणगुणं भंते ! एवं वुच्चइ ? एवं खलु गोयमा ! मए सत्त सेढीग्रो पण्णत्तानो, तं जहा-उज्जुयायता जाव ग्रद्धचक्कवाला । एगोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे दुसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा, दुहयोवंकाए सेढीए उववज्जमाणे जे भविए एगपयरंसि अणुसे ढिं उववज्जि त्तए, से णं तिसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा। जे भविए विसेडिं उववज्जित्तए, से णं चउसमइएणं विग्गहेणं उववज्जेज्जा । से तेणटेणं गोयमा ! एवं एएणं गमएणं पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए दाहिणिल्ले चरिमंते
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चोतीसइमं सतं (पढमो उद्देसो)
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उववाएयव्वो जाव सुहुमवणस्सइकाइओ पज्जत्तो सुहुमवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु चेव । सव्वेसिं दुसमइयो तिसमइयो चउसमइनो विग्गहो
भाणियव्वो ॥ २६. अपज्जत्तासुहुमपुढविकाइए णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए,
समोहणित्ता जे भविए लोगस्स पच्चथिमिल्ले चरिमंते अपज्जत्तासूहमपढवि काइयत्ता उववज्जित्तए. से णं भंते ! कइसमइएणं विग्गणं उववज्जेज्जा ? गोयमा ! एगसमइएण वा दुसमइएण वा तिसमइएण वा चउसमइएण वा
विग्गणं उववज्जेज्जा। ३०. से केण?णं ?
एवं जहेव पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहया परथिमिल्ले चेव चरिमंते उववाइया तहेव पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहया पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते उववाएयव्वा
सव्वे ॥ ३१. अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए णं भंते ! लोगस्स पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए,
समोहणित्ता जे भविए लोगस्स उत्तरिल्ले चरिमंते अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयताए उववज्जित्तए, से णं भंते? ० एवं जहा पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहयो' दाहिणिल्ले चरिमंते उववाइनो तहा पुरथिमिल्ले समोहयग्रो उत्तरिल्ले चरिमंते
उववाएयव्वो॥ ३२. अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए णं भंते ! लोगस्स दाहिणिल्ले चरिमंते समोहए,
समोहणित्ता जे भविए लोगस्स दाहिणिल्ले चेव चरिमते अपज्जत्तासुहमपढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एवं जहा पुरथिमिल्ले समोहयग्रो पुरथिमिल्ले चेव उववाइनो तहेव दाहिणिल्ले समोहए दाहिणिल्ले चेव उववाएयव्वो, तहेव निरवसेसं जाव सुहमवणस्सइकाइयो पज्जत्तो सुहुमवणस्सइकाइएसु चेव पज्जत्तएसु दाहिणिल्ले चरिमंते उववाइयो, एवं दाहिणिल्ले समोहयग्रो पच्चथिमिल्ले चरिमंते उववाएयव्वो, नवरं-दुसमइय-तिसमइय-च उसमइयविग्गहो, सेसं तहेव । एवं दाहिणिल्ले समोहयो उत्तरिल्ले चरिमंते उववाएयव्वो जहेव सटाणे तहेव । एगसमइय-दुसमइय-तिसमइय-चउसमइयविग्गहो। पुरथिमिल्ले जहा पच्चत्थिमिल्ले, तहेव दुसमइय-तिसमइय-चउसमइयविग्गहो। पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते समोहयाणं पच्चत्थिमिल्ले चेव उववज्जमाणाणं जहा सट्टाणे । उत्तरिल्ले उववज्जमाणाणं एगसमइनो विग्गहो नत्थि, सेसं तहेव । पुरथिमिल्ले जहा सट्टाणे, दाहिणिल्ले एगसमइनो विग्गहो नत्थि, सेसं तं चेव । उत्तरिल्ले समोहयाणं उत्तरिल्ले चेव उववज्जमाणाणं जहा सट्ठाणे । उत्तरिल्ले समोहयाणं पुरथिमिल्ले उववज्जमाणाणं एवं चेव, नवरं-एगसमइओ विग्गहो नत्थि ।
१. समोहताओ (अ, क, ब) समोहतो (स)।
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भगवई
उत्तरिल्ले समोहयाणं दाहिणिल्ले उववज्जमाणाणं जहा सट्ठाणे, उत्तरिल्ले समोहयाणं पच्चत्थिमिल्ले उववज्जमाणाणं एगसमइनो विग्गहो नत्थि, सेसं तहेव जाव सुहुमवणस्सइकाइयो पज्जत्तो सुहुमवणस्सइकाइएसु पज्जत्तएसु
चेव ।। एगिदियाणं ठाण-पदं ३३. कहि णं भंते ! बादरपुढविक्काइयाणं पज्जत्तगाणं ठाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! सट्ठाणेणं अट्ठसु पुढवीसु जहा' ठाणपदे जाव सुहुभवणस्सइकाइया जे य पज्जत्तगा जे य अपज्जत्तगा ते सव्वे एगविहा अविसेसमणाणत्ता सव्वलोग
परियावन्ना पण्णत्ता समणाउसो ! एगिदियाणं कम्म-पदं ३४. अपज्जत्तासुहमपुढविकाइयाणं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो पण्णत्तायो ?
गोयमा ! अट्ठ कम्मप्पगडीअो पण्णत्ताप्रो, तं जहा - नाणावरणिज्जं जाव अंतराइयं । एवं चउक्कएणं भेदेणं जहेव एगिदियसएसु जाव बादरवणस्सइ
काइयाण पज्जत्तगाणं ।। ३५. अपज्जत्तासुहमपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो बंधति ?
गोयमा ! सत्तविहबंधगा वि, अट्ठविहबंधगा वि, जहा एगिदियसएसु जाव'
पज्जत्ताबादरवणस्सइकाइया । ३६. अपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइया णं भंते ! कति कम्मप्पगडीयो वेदेति ?
गोयमा ! चोद्दस कम्मप्पगडीयो वेदेति, तं जहा-नाणावरणिज्जं, जहा एगिदियसएसु जाव परिसवेदवझं। एवं जाव' बादरवणस्सइकाइयाणं पज्जत्त
गाणं ॥ एगिदियाणं उववत्ति-पदं ३७. एगिदिया णं भंते ! को उबवज्जंति--कि ने रइएहितो उववज्जति० ? जहा"
वक्कंतीए पुढविक्काइयाणं उववाग्रो॥ एगिदियाणं समुग्घाय-पदं ३८. एगिदियाणं भंते ! कइ समुग्घाया पण्णत्ता ?
गोयमा ! चत्तारि समुग्धाया पण्णत्ता, तं जहा -वेदणासमुग्घाए जाव वेउव्वियसमुग्धाए ॥
१. प०२
४. भ०३३।१२,१३ । ५. प०६।
२. भ० ३३।६-८ । ३. भ० ३३।६-११ ।
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चोतीसइमं सतं (बीओ उद्देसो)
१०१६ एगिदियाणं तुल्ल-विसेसाहिय-कम्मकरण-पदं ३९. एगिदिया णं भंते ! किं तुल्ल द्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ? तुल्ल
द्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ? वेमायद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्म पकरेंति ? वेमायद्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ? गोयमा ! अत्थेगइया तुल्ल द्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, अत्थेगइया तुल्ल द्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, अत्थेगइया वेमायद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, अत्थेगइया वेमायद्वितीया वेमायविसेसाहियं कम्म पकरेंति ।। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-अत्थेगइया तुल्ल द्वितीया जाव वेमायविसेसाहियं कम्म पकरेंति ? गोयमा! एगिदिया चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा–अत्थेगइया समाउया समोववन्नगा, अत्थेगइया समाउया विसमोववन्नगा, अत्थेगइया विसमाउया समोववन्नगा, अत्थेगइया विसमाउया विसमोववन्नगा। तत्थ णं जे ते समाउया समोववन्नगा ते णं तुल्लद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्म पकरेंति । तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं तूल्लद्वितोया वेमायविसेसाहियं कम्म पकरेंति । तत्थ णं जे ते विसमाउया समोववन्नगा ते णं वेमायद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्म पकरेंति । तत्थ णं जे ते विसमाउया विसमोववन्नगा ते णं वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेति । से तेणटेणं गोयमा ! जाव वेमायविसेसाहियं
कम्म पकरेति ॥ ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरति ।।
बीओ उद्देसो विसे सित-एगिदियाणं ठाणादि-पदं ४२. कइविहा णं भंते ! अणंतरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा अणंतरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा-पुढवि
क्काइया, दुयाभेदो जहा एगिदियसएसु जाव बादरवणस्सइकाइया य ।। ४३. कहि णं भंते ! अणंतरोववन्तगाणं बादरपुढविक्काइयाणं ठाणा पण्णत्ता?
गोयमा ! सट्टाणेणं अट्ठसु पुढवीसु, तं जहा-रयणप्पभाए जहा ठाणपदे जाव'
१.५०२।
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भगवई
वे मुद्देसु, एत्थ प्रणतरोववन्नगाणं बादरपुढविकाइयाणं ठाणा पण्णत्ता, उववाएणं सव्वलोए, समुग्धाएणं सव्वलोए, सद्वाणेणं लोगस्स प्रसंखेज्जइभागे । अणतोववन्नगसुहुमपुढविक्काइया एगविहा प्रविसेसमणाणत्ता सव्वलोए परियावन्ना पण्णत्ता समणाउसो ! एवं एएणं कमेणं सव्वे एगिंदिया भाणियव्वा, साणारं सव्वेसि जहा ठाणपदे । तेसिं पज्जत्तगाणं बादराणं उववाय-समुग्धायसद्वाणाणि जहा तेसिं चेव ग्रपज्जत्तगाणं बादराणं । सुहुमाणं सव्वेसि जहा पुढविकाइयाणं भणिया तहेव भाणियव्वा जाव वणस्स इकाइयत्ति ॥ ४४. अणंतरोववन्नगाणं सुहुमपुढविक्काइयाणं भंते ! कइ कम्प
१०२०
पण्णत्ताओ ?
गोयमा ! टु कम्मप्पगडीओ पण्णत्ता । एवं जहा एगिदियसएस प्रणतरोववन्नगउद्देसए तहेव पण्णत्तायो, तहेव बंधति, तहेव वेदेति जाव' अणंतरोववन्नगा बादरवणस्सइकाइया ॥
४५. अनंत रोववन्नगए गिंदिया णं भंते ! कनो उववज्जंति० ? जहेव प्रहिए उस भणित ||
४६. प्रणंत रोववन्नगए गिंदियाणं भंते ! कति समुग्धाया पण्णत्ता ?
गोयमा ! दोन्नि समुग्धाया पण्णत्ता तं जहा - वेदणासमुग्धाए य कसायसमु
घाए य ॥
४७. अनंत रोववन्नगएगिंदिया णं भंते! किं तुल्लद्वितीया तुल्लविसे साहियं कम्म पकरेंति -पुच्छा तहेव ॥
गोमा ! अत्थेगइया तुल्लद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति, प्रत्येगइया तुतीया मायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ।
४८. से केणट्टेणं जाव वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति ?
गोमा ! अनंत रोववन्नगा एगिंदिया दुविहा पण्णत्ता, तं जहा -- प्रत्येगइया समाउया समोववन्नगा, प्रत्थेगइया समाज्या विसमोववन्नगा । तत्थ णं जेते समाज्या समोववन्नगा ते णं तुल्लद्वितीया तुल्लविसेसाहियं कम्मं पकरेंति । तत्थ णं जे ते समाउया विसमोववन्नगा ते णं तुल्लद्वितीया वेमायविसे साहियं कम्मं पकरेंति । से तेणद्वेणं जाव वेमायविसेसाहियं कम्मं पकरेंति । ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. भ० ३३।१७-२० ।
२. दो (बम) |
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चोतीसइमं सतं (३-११ उद्देसा)
१०२१
तइयो उद्देसो ५०. कइविहा णं भंते ! परंपरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्नगा एगिदिया पण्णत्ता, तं जहा---पुढविक्का
इया, भेदो चउक्कयो जाव वणस्सइकाइयत्ति ।। ५१. परंपरोववन्नगअपज्जत्तासुहुमपुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए
पुढवीए पुरथिमिल्ले चरिमंते समोहए, समोहणित्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पढवीए पच्चत्थिमिल्ले चरिमंते अपज्जत्तासहमपढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए० ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव पढमो उद्देसनो जाव'
लोगचरिमंतो त्ति ॥ ५२. कहि णं भंते ! परंपरोबवन्नगवादरपुढविक्काइयाणं' ठाणा पण्णत्ता ?
गोयमा ! सट्ठाणेणं अट्ठसु पुढवीसु । एवं एएणं अभिलावेणं जहा पढमे उद्देसए
जाव तुल्लट्टितीयत्ति ।। ५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
४-११ उद्देसा ५४. एवं सेसा वि अट्ठ उद्देसगा जाव अचरिमो त्ति, नवरं-अणंतरा अणंतरसरिसा,
परंपरा परंपरसरिसा, चरिमा य अचरिमा य एवं चेव । एवं एते एक्कारस उद्देसगा।
१. जाव (अ, ता, ब); पुढवीए जाव (स)। २. भ० ३४।२-३२।
३. ° बातर (क, ब)।
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बिइयं सतं
१-११ उद्देसा ५५. कइविहा णं भंते ! कण्हलेस्सा एगि दिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा कण्हलेस्सा एगिदिया पण्णत्ता, भेदो चउक्कयो जहा
कण्हलेस्सएगिदियसए जाव वणस्सइकाइयत्ति ॥ ५६. कण्हलेस्सअपज्जत्तासुहमपुढविक्काइए णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए
पुरथिमिल्ले ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेब अोहिउद्देसनो जाव लोगचरिमंते
त्ति । सव्वत्थ कण्हलेस्सु चेव उववाएयव्वो ।। ५७. कहि णं भंते ! कण्हलेस्सअपज्जत्तावादरपुढविक्काइयाणं ठाणा पण्णत्ता ?
एवं एएणं अभिलावेणं जहा प्रोहिउद्देसओ जाव तुल्लट्ठिइय त्ति ॥ ५८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ५६. एवं एएणं अभिलावेणं जहेव पढमं सेढिसयं तहेव एक्कारस उद्देसगा
भाणियव्वा ॥
३-५ सताई ६०. एवं नोललेस्सेहि वि सतं । काउलेस्सेहि वि सतं एवं चेव । भवसिद्धिय
एगिदिएहि सतं॥
१. °एहि वि (म, स)।
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छठें सतं ६१. कइविहा णं भंते कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता ? जहेव'
प्रोहिउद्देसयो । ६२. कइविहा णं भंते ! अणंतरोववन्ना कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता ?
जहेव अणंतरोववन्नाउद्देसो प्रोहियो तहेव ॥ ६३. कइविहा णं भंते ! परंपरोववन्ना कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता ?
गोयमा ! पंचविहा परंपरोववन्ना कण्हलेस्सा भवसिद्धिया एगिदिया पण्णत्ता,
भेदो चउक्कयो जाव वणस्सइकाइयत्ति ॥ ६४. परंपरोववन्नाकण्हलेस्सभवसिद्धियअपज्जत्तासुहमपुढविकाइए णं भंते ! इमीसे
रयणप्पभाए पुढवीए० ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव प्रोहियो उद्देसनो जाव
लोयचरिमंते त्ति । सव्वत्थ कण्हलेस्सेसु भवसिद्धिएसु उववाएयव्वो॥ ६५. कहि णं भंते ! परंपरोववन्नाकण्हलेस्सभवसिद्धियपज्जत्ताबादरपुढविकाइयाणं
ठाणा पण्णत्ता ? एवं एएणं अभिलावेणं जहेव प्रोहिओ उद्देसनो जाव तुल्लट्ठिइयत्ति। एवं एएणं अभिलावेणं कण्हलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहि वि तहेव एक्कारसउद्दसगसंजुत्तं छटुं सतं ॥
७-१२ सताई ६६. नीललेस्सभवसिद्धियएगिदिएसु सतं। एवं काउलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहि वि
सतं । जहा भवसिद्धिएहिं चत्तारि सयाणि एवं अभवसिद्धिएहि वि चत्तारि सयाणि भाणियव्वाणि, नवरं-चरिमअचरिमवज्जा नव उद्देसगा भाणियव्वा,
सेसं तं चेव । एवं एयाइं बारस एगिदियसेढीसताई ।। ६७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ।।
१. एवं जहेव (स)।
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पणतीसइमं सतं पढम एगिदियमहाजुम्मसतं
पढमो उद्देसो महाजुम्म-एगिदियाणं उववायादि-पदं १. कइ णं भंते ! महाजुम्मा पण्णत्ता ?
गोयमा ! सोलस महाजुम्मा पण्णत्ता, तं जहा–१ कडजुम्मकडजुम्मे, २ कडजुम्मतेप्रोगे, ३ कडजुम्मदावरजुम्मे', ४ कडजुम्मकलियोगे, ५ तेओगकडजुम्मे, ६ तेप्रोगतेप्रोगे, ७ तेयोगदावरजुम्मे, ८ तेप्रोगकलिनोगे, ६ दावरजुम्मकडजुम्मे, १० दावरजुम्मतेओगे, ११ दावरजुम्मदावरजुम्मे, १२ दावरजुम्मकलियोगे, १३ कलिप्रोगकडजुम्मे १४ कलियोगतेप्रोगे, १५ कलियोगदावरजुम्मे,
१६. कलियोगकलियोगे॥ २. से कणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ–सोलस महाजुम्मा पण्णत्ता, तं जहा–कड जुम्म
कडजम्मे जाव कलियोगकलियोगे? गोयमा ! जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे' चउपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया ते वि कडजुम्मा, सेत्तं कडजुम्मकडजुम्मे १ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा, सेत्तं कडजुम्मतेयोए २ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजुम्मा, सेत्तं कडजुम्मदावरजुम्मे ३ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कडजम्मा, सेत्तं कडजुम्मकलियोगे ४ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेयोगा, सेत्तं तेप्रोग
कडजुम्मे ५। जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए, १. ° वादरजुम्मे (अ, ख, ता, म); ° वातरजुम्मे २. अवहारमाणा (अ); अवहारमाणे (म) ।
(क)।
१०२४
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पणतीसइमं सतं (पढमो उद्देसो)
१०२५
जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेश्रोगा, सेत्तं तेनोगतेप्रोगे ६ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दोपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेयोगा, सेत्तं तेप्रोगदावरजुम्मे ७ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं प्रवहीरमाणे एगपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया तेप्रोगा, सेत्तं तेप्रोगकलियोगे ८ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा, सेत्तं दावरजुम्मकडजुम्मे ह । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा सेत्तं दावरजुम्मतेयोए १० । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजुम्मा, सेत्तं दावरजुम्मदावरजुम्मे ११ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया दावरजम्मा, सेत्तं दावरजूम्मकलियोए १२ । जे णं रासी चउक्कएण अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, जे णं तस्स रासस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्तं कलियोगकडजुम्मे १३ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे तिपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्तं कलियोगतेयोए १४ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जवसिए, जेणं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्तं कलियोगदावरजम्मे १५ । जे णं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जवसिए, जे णं तस्स रासिस्स अवहारसमया कलियोगा, सेत्तं कलियोगकलिनोगे १६ ।
से तेणद्वेणं जाव कलियोगकलिओगे ॥ ३. कडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति–कि नेरइएहितो. ? ___जहा उप्पलुद्देसए तहा उववाग्रो । ४. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जति ?
गोयमा ! सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति ॥ ५. ते णं भंते ! जीवा समए समए --पुच्छा।
गोयमा ! ते णं अणंता समए समए अवहीरमाणा-अवहीरमाणा अणंताहिं प्रोसप्पिणि-उस्सप्पिणीहि अवहीरंति, णो चेव णं अवहिया सिया। उच्चत्तं
जहा' उप्पलुद्देसए ॥ ६. ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स कम्मस्स कि बंधगा? अबंधगा?
गोयमा! बंधगा, नो अबंधगा। एवं सव्वेसिं पाउयवज्जाणं। आउयस्स बंधगा वा प्रबंधगा वा ।।
३. भ० १११५ ।
१. भ० ११।२। २. अवहरिया (स)।
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१०२६
भगवई
७. ते णं भंते ! जीवा नाणावरणिज्जस्स-पुच्छा।
गोयमा ! वेदगा, नो अवेदगा । एवं सव्वेसि ।। ८. ते णं भंते ! जीवा कि सातावेदगा ? असातावेदगा' ?
गोयमा ! सातावेदगा वा असातावेदगा वा। एवं उप्पलुद्देसगपरिवाडी' । सव्वेसि कम्माणं उदई, नो अणुदई । छण्हं कम्माणं उदीरगा, नो अणुदीरगा।
वेदणिज्जाउयाण उदोरगा वा अणदोरगावा॥ ६. ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेस्सा-पुच्छा।
गोयमा ! कण्हलेस्सा वा, नीललेस्सा वा, काउलेस्सा वा, तेउलेस्सा वा । नो सम्मदिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी, मिच्छादिट्ठी। नो नाणी, अण्णाणी-नियम' दुअण्णाणी, तं जहा -मइअण्णाणी य सुयअण्णाणी य । नो मणजोगी, नो
वइजोगी, कायजोगी। सागारोवउत्ता वा, अणागारोव उत्ता वा ॥ १०. तेसि णं भंते! जीवाणं सरीरगा कतिवण्णा? जहा उप्पलुद्देसए सव्वत्थ-पुच्छा।
गोयमा ! जहा उप्पलुद्देसए ऊसासगा वा, नीसासगा वा, नो उस्सासनीसासगा वा । पाहारगा वा अणाहारगा वा। नो विरया, अविरया, नो विरयाविरया। सकिरिया, नो अकिरिया। सत्तविहबंधगा वा अट्ठविहबंधगा वा । आहारसण्णोवउत्ता वा जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता वा। कोहकसायी वा जाव लोभकसायी वा। नो इत्थिवेदगा, नो पुरिसवेदगा, नपुंसगवेदगा। इत्थिवेदबंधगा वा पुरिसवेदबंधगा वा नपुंसगवेदबंधगा वा। नो सण्णी, असण्णी। सइंदिया, नो
अणिदिया। १. ते णं भंते ! कडजुम्मकडजुम्मएगिदिया कालगो केवच्चिरं होंति ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं अणंतं कालं-अणंता अोसप्पिणिउस्सप्पिणीग्रो, वणस्सइकाइयकालो। संवेहो न भण्णइ, आहारो जहा उप्पलुदेसए नवरं-निव्वाघाएणं छद्दिसिं, वाघायं पडुच्च सिय तिदिसि, सिय चउदिसि, सिय पंचदिसिं, सेसं तहेव । ठिती जहण्णणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साइं। समुग्धाया आदिल्ला चत्तारि । मारणंतियसमुग्धातेणं समोहया
वि मरंति, असमोहया वि मरंति । उव्वट्टणा जहा उप्पलुद्देसए॥ १२. अह भंते ! सव्वपाणा जाव सव्वसत्ता कडजुम्मकडजुम्मए गिदियत्ताए उववन्न
पुवा?
हंता गोयमा ! असई अदुवा अणंतखुत्तो।। १. पुच्छा (अ, क, ख, ता, ब, म)।
५. भ० ११।१७-२८ । २. भ० ११।९-११।
६. केवचिरं (अ, क, ख, ब, म)। ३. नियमा (अ, ब)।
७. भ० १११३५ । ४. सरीरा (ख, स)।
८.भ.११।३६ ।
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पणतीसइमं सत (पढ़मो उद्देसो)
१०२७ १३. कडजुम्मतेओयएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति० ? उववाग्रो तहेव ॥ १४. ते णं भंते ! जीवा एगसमए-पुच्छा।
गोयमा ! एकणवीसा वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति,
सेसं जहा कडजुम्मकडजुम्माणं जाव अणंतखुत्तो । १५. कडजुम्मदावरजुम्मएगिदिया णं भंते! करोहितो उववज्जति०? उववाग्रो तहेव ।। १६. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं-पुच्छा।
गोयमा ! अट्ठारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति, सेसं
तहेव जाव अणंतखुत्तो॥ १७. कडजुम्मकलियोगएगिदिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० ? उववाो तहेव
परिमाणं सत्तरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा, सेसं तहेव जाव
अणंतखुत्तो॥ १८. तेयोगकडजम्मएगिदिया णं भंते ! कमोहितो उववज्जति० उववाग्रो तहेव,
परिमाणं बारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति, सेसं
तहेव जाव अणंतखुत्तो॥ १६. तेयोयतेयोयएगिदिया णं भंते ! कओहिंतो उववज्जति० ? उववाग्रो तहेव ।
परिमाणं पन्नरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा, सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो। एवं एएसु सोलससु महाजुम्मेसु एक्को गमो, नवरं-परिमाणे नाणत्तं-तेयोयदावरजुम्मेसु परिमाणं चोद्दस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उवज्जंति । तेयोगकलियोगेसु तेरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जंति । दाव रजुम्मकडजुम्मेसु अट्ठ वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति । दावरजम्मतेयोगेसू एक्कारस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति । दावरजुम्मदावरजुम्मेसु दस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति । दावरजुम्मकलियोगेसू नव वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति । कलियोगकडजुम्मे चत्तारि वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति । कलियोगतेयोगेसु सत्त वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जति । कलियोगदावरजुम्मेसु छ वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जंति ।। कलियोगकलियोगएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति० ? उववाग्रो तहेव । परिमाणं पंच वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा अणंता वा उववज्जंति, सेसं तहेव
जाव अणंतखुत्तो।। २१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१. भ० ३५॥३॥
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१०२८
भगवई
बीओ उद्देसो २२. पढमसमयकडजुम्मकडजम्मएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति० ?
गोयमा ! तहेव, एवं जहेव पढमो उद्देसनो तहेव सोलसखुत्तो वितियो' भाणियव्वो, तहेव सव्वं, नवरं-इमाणि दस नाणत्ताणि-१. प्रोगाहणा जहणेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेण वि अंगुलस्स असंखेज्जइभागं । २. आउयकम्मस्स नो बंधगा, अबंधगा। ३. पाउयस्स नो उदीरगा, अणुदीरगा। ४. नो उस्सासगा, नो निस्सासगा, नो उस्सासनिस्सासगा। ५. सत्तविहबंधगा,
नो अट्ठबिहबंधगा। २३. ते णं भंते ! पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदियत्ति कालमो केवच्चिरं होइ ?
गोयमा ! ६. एक्कं समयं । ७. एवं ठिती वि । ८. समुग्धाया आदिल्ला दोन्नि । ६. समोहया न पुच्छिज्जति । १०. उव्वट्टणा न पुच्छिज्जइ, सेसं तहेव
सव्वं निरवसेसं सोलससु वि गमएसु जाव अणंतखुत्तो ।। २४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
३-११ उद्देसा २५. अपढमसमयकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! कयो उववज्जति ? एसो जहा
पढमुद्देसो सोलसहि वि जुम्मेसु तहेव नेयम्बो जाव कलियोगकलियोगत्ताए
जाव अणंतखुत्तो ॥ २६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। २७. चरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! को उववज्जति ? एवं
जहेव पढमसमयउद्देसमो, नवरं-देवा न उववज्जति, तेउलेस्सा न पुच्छिज्जति,
सेसं तहेव ।। २८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २६. अचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! को उववज्जंति० ? जहा
___ अपढमसमयउद्देसो' तहेव निरवसेसो भाणितव्वो।। ३०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
३. पढम° (अ, क, ख, ता, ब)।
१. बितिओ वि (अ, क, ख, ब, म)। २. जुम्मेहिंसु (ता)।
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पणतीस इमं स
१०२६
३१. पढम ढमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया णं भंते ! को उववज्जंति ? जहा पढमसमयउद्देश्रो तहेव निरवसेसं ॥
३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ||
३३. ढम पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया णं भंते! को उववज्जंति० ? जहा पढमसमयउद्देसो तहेव भाणियव्वो ।।
३४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ||
३५. पढमचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मए गिदिया णं भंते ! कम्रो उववज्जंति ० ? जहा चरिमुद्दे तव निरवसेसं ॥
३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ||
३७. पढमश्रचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया णं भंते ! को उववज्जंति ० ? जहा 'बीप्रो उद्देश्रो तहेव निरवसेसं ॥
३८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ||
३६.
चरिमचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिदिया णं भंते ! को उववज्जंति० ? जहा उत्थो उद्देश्रो तहेव निरवसेसं ॥ ४०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
४१.
चरिमप्रचरिमसमयकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया णं भंते ! को उववज्जंति० ? जहा पढमसमयउद्देश्रो तहेव निरवसेसं ||
४२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरति ॥
४३. एवं एए एक्कारस उद्देगा । पढमो तिम्रो पंचमो य सरिसगमा, सेसा अट्ठ सरिसगमा, नवरं - चउत्थे ग्रमे दसमे यदेवा न उववज्जंति । ते
नत्थि ॥
बितियं एगिंदियमहाजुम्मसतं
४४. कण्णलेस्सकडजुम्मकडजुम्मए गिंदिया णं भंते ! को उववज्जंति० ? गोमा ! उववा तहेव, एवं जहा ग्रोहिउद्देसए, नवरं इमं नाणत्तं ॥ ते णं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ?
४५.
हंता
हसा ||
१. पढमउ० ( अ, क, ख ) ।
२. उत्थुद्देसओ (ता) |
३. पंचमगो ( अ, क, ब, म); पंचमओ (ख,
ता) ।
४. चउत्थे छट्ठे ( अ, ब ) ।
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१०३०
केवच्चिरं होइ ?
४६. ते णं भंते ! कण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मए गिंदियत्ति काल गोयमा ! जहणेणं एक्कं समयं उक्कोसेणं अंतोमुहुत्तं । एवं ठिती वि। सेसं तव जाव अनंतखुत्तो । एवं सोलस वि जुम्मा भाणियव्वा ॥ ४७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
४८.
पढमसमयकण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया णं भंते ! कम्रो उववज्जंति० ? जहा पढमसमय उद्देश्रो, नवरं
४६. ते णं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ? हंता कण्हलेस्सा, सेसं तहेव ' ॥
५०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
५१. एवं जहा ग्रोहियसए एक्कारस उद्देगा भणिया तहा कण्हलेस्ससए वि एक्कारस उद्देगा भाणियव्वा । पढमो तो पंचमो य सरिसगमा, सेसा अट्ठवि सरिसगमा, नवरं चउत्थ - अट्टम - दसमेसु उववाम्रो नत्थि देवस्स ।। ५२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
३- १२ एगिंदियमहाजुम्मसताई
५३. एवं नीललेस्सेहि वि सतं कण्हलेस्ससतसरिसं एक्कारस उद्देसगा तहेव ॥ ५४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
भगवई
५५. एवं काउलेस्सेहि वि सतं कण्हलेस्ससतसरिसं ॥
५६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
५७. भवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मएगिंदिया णं भंते ! को उववज्जंति ० ? जहा ओहियसतं तहेव, नवरं - एक्कारससु वि उद्देसएसु ॥
५८. ग्रह भंते ! सव्वे पाणा जाव सव्वे सत्ता भवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मएगिंदियताए उववन्नपुव्वा ?
गोयमा ! णो इणट्ठे समट्ठे, सेसं तहेव ॥
५६. सेवं भंते! सेवं भंते ! त्ति ।।
६०. कण्हलेस्सभवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मए गिंदिया णं भंते ! कओ उववज्जंति ० ? एवं कण्हलेस्सभवसिद्धियए गिदिएहि वि सतं बितियसत कण्हलेस्ससरिसं भाणि - यव्वं ॥
६१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. तं चैव (स) ।
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पणतीसइमं सतं
१०३१
६२. एवं नीललेस्सभवसिद्धियएगिदियएहि वि सतं ।। ६३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ६४. एवं काउलेस्सभवसिद्धियएगिदिएहि वि तहेव एक्कारसउद्देसगसंजुत्तं सतं । एवं
एयाणि चत्तारि भवसिद्धिएसु सताणि । चउसु वि सएसु सव्वे पाणा जाव
उववन्नपुवा ? नो इणढे समढे ।। ६५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥ ६६. जहा भवसिद्धिएहि चत्तारि सताई भणियाइं एवं अभवसिद्धिएहि वि चत्तारि
सताणि लेस्सासंजुत्ताणि भाणियव्वाणि । सव्वे पाणा तहेव नो इणढे सम? । एवं
एयाई बारस एगिदियमहाजुम्मसताइं भवंति ।। ६७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
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छत्तीसइमं सतं पढम बेंदियमहाजुम्मसतं
पढमो उद्देसो महाजुम्म-बंदियाणं उववायादि-पदं १. कडजुम्मकडजुम्मबंदिया णं भंते ! को उववज्जति ? उववानो जहा
वक्कतीए। परिमाणं सोलस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति । अवहारो' जहा उप्पलुद्देसए। प्रोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं बारस जोयणाई। एवं जहा एगिदियमहाजुम्माणं पढमुद्देसए तहेव, नवरं-तिण्णि लेस्सायो, देवा न उववज्जति । सम्मदिट्ठी वा मिच्छदिट्ठी वा, नो सम्मामिच्छादिट्टी। नाणी वा अण्णाणी वा। नो मणजोगी, वइजोगी वा
कायजोगी वा ॥ २. ते णं भंते ! कडजुम्मकडजुम्म_दिया कालरो केवच्चिरं होंति ?
गोयमा ! जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं संखेज्जं कालं । ठिती जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं बारस संवच्छराइं। आहारो नियम छद्दिसि । तिण्णि
समुग्घाया, सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो । एवं सोलससु वि जुम्मेसु ॥ ३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
-
-
२-११ उद्देसा ४. पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मबंदिया णं भंते ! को उववज्जति० ? एवं जहा
एगिदियमहाजुम्माणं पढमसमयउद्देसए । दस नाणत्ताइं ताई चेव दस इह वि ।
३. भ०११।४।
१. १०६। २. आहारो (अ, क, ता, ब)।
०३२
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छत्तीसइमं सतं
१०३३
एक्कारसमं इमं नाणत्तं-नो मणजोगी, नो वइजोगी, कायजोगी । सेसं जहा बेंदियाणं चैव पढमुद्देसए ||
५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
६. एवं एए वि जहा एगिदियमहाजुम्मेसु एक्कारस उद्देगा तहेव भाणियव्वा, नवरं-- चउत्थ-ग्रट्टम-दसमेसु सम्मत्त नाणाणि न भण्णंति । जहेव एगिदिएसु पढमो तइओ पंचमो य एक्कगमा, सेसा ग्रटु एक्कगमा ।
२- १२ बेंदियमहाजुम्मसताई
७. कण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मबंदिया णं भंते ! को उववज्जंति० ? एवं चेव । कहले से वि एक्का रस उद्देसगसंजुत्तं सतं, नवरं - लेस्सा, संचिट्ठणा' जहा एगिदिय कहलेस्साणं ॥
८. एवं नीललेस्सेहि वि सतं ॥
६. एवं काउलेस्सेहि वि ॥
१०. भवसिद्धियकडजुम्मकडजुम्मबेंदिया णं भंते ० ? एवं भवसिद्धियसता विचत्तारि तेणेव पुव्वगमएणं नेयव्वा, नवरं सव्वे पाणा० ? णो तिणट्ठे समट्ठे । सेसं तहेव हियसताणि चत्तारि ॥
११. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१२. जहा भवसिद्धियसताणि चत्तारि एवं अभवसिद्धियसताणि चत्तारि भाणियव्वाणि, नवरं सम्मत्त नाणाणि सव्वेहिं नत्थि, सेसं तं चेव । एवं एयाणि बारस बेंदि महाजुम्मसताणि भवंति ॥
१३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
१. संचिट्ठणा ठिती ( अ, ब, स )
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भगवई
सत्ततीसइमं सतं महाजुम्म-तें दियाणं उववायादि-पदं १. कडजुम्मकडजुम्मतेंदिया णं भंते ! को उववज्जति० ? एवं तेंदिएसु वि
बारस सता कायव्वा बेदियसतसरिसा, नवरं–ोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स अंसखेज्जइभाग, उक्कोसेणं तिण्णि गाउयाई। ठिती जहण्णेणं एक्कं समयं,
उक्कोसेणं एकणवण्णं राइंदियाइं, सेसं तहेव ।। २. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
-
-
-
अट्ठतीसइमं सतं महाजुम्म-चरिदियाणं उववायादि-पदं १. चउरिदिएहि वि एवं चेव बारस सता कायव्वा, नवरं-प्रोगाहणा जहण्णेणं
अंगुलस्स असंखेज्जइभागं, उक्कोसेणं चत्तारि गाउयाई। ठिति जहणणं एक्कं
समयं, उक्कोसेणं छम्मासा । सेसं जहा बेंदियाणं । २. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
एगूणयालीसइमं सतं महाजुम्म-असण्णिपंचिदियाणं उववायादि-पदं १. कडजुम्मकडजुम्मअसण्णिपंचिदिया णं भंते ! को उववज्जति० ? जहा बेंदि
याणं तहेव असण्णिसु वि बारस सता कातव्वा, नवरं –ोगाहणा जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेज्जइभाग, उक्कोसेणं जोयणसहस्सं । संचिट्ठणा जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं पुव्वकोडीपुहत्तं । ठिती जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं
पुवकोडी, सेसं जहा बेंदियाणं ॥ २. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
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चत्तालीसतिमं सत पढमं सष्णिपंचिदियमहाजुम्मसतं
महाजुम्म सणिपच दियाणं उववायादि-पदं
१.
कडजुम्मकडजुम्मसष्णिपंचिदिया णं भंते ! को उववज्जंति ०? उववाम्रो चउसु वि गईसु । संखेज्जवासाउय-असंखेज्जवासाउय-पज्जत्ता - प्रपज्जत्तएसु य न को विडिहो जाव प्रणुत्तरविमाणत्ति । परिमाणं ग्रवहारो ग्रोगाहणा य जहा सणिपंचिदियाणं । वेयणिज्जवज्जाणं सत्तण्हं पगडीणं बंधगा वा प्रबंधगा वेणज्जस बंधगा, नो प्रबंधगा । मोहणिज्जस्स वेदगा वा ग्रवेदगा वा, साणं सतह वि वेदगा, नो प्रवेदगा । सायावेदगा वा असायावेदगा वा । मोहणिज्जस्स उदई वा अणुदई वा, सेसाणं सत्तण्ह वि उदई, नो प्रणुदई । नामस्स गोयस्स य उदीरगा, नो प्रणुदीरगा, सेसाणं छण्ह वि उदीरगा वा
वा,
दीरगा वा । कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा । सम्मदिट्ठी वा मिच्छादिट्ठी वा सम्मामिच्छादिट्ठी वा । नाणी वा ग्रण्णाणी वा । मणजोगी वइजोगी कायजोगी । उवोगो, वण्णमादी, उस्सासगा वा नीसासगा वा, आहारगा य जहा एगिंदियाणं । विरया य ग्रविरया य विरयाविरया य । सकिरिया, नो अकिरिया ||
२.
ते णं भंते ! जीवा किं सत्तविहबंधगा ? विहबंधगा ? छव्विहबंधगा ? विबंधगा वा ?
गोमा ! सत्तविहबंधगा वा जाव एगविहबंधगा वा ॥
३.
ते णं भंते ! जीवा किं श्राहारसण्णोवउत्ता जाव परिग्गहसण्णोवउत्ता ? नोसण्णोवउत्ता ?
गोयमा ! आहारसण्णोवउत्ता जाव नोसण्णोवउत्ता वा । सव्वत्थ पुच्छा भाणियव्वा - कोहकसायी वा जाव लोभकसायी वा ग्रकसायी वा । इत्थीवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुंसगवेदगा वा अवेदगा वा बंधगा वा नपुंसगवेदबंधगा वा अबंधगा वा
।
१०३५
इत्थिवेदबंधगा वा पुरिसवेदसणी, नो असण्णी । सइंदिया,
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१०३६
भगवई
नो अणिदिया। संचिटणा जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं सागरोवमसयपूहत्तं सातिरेगं । आहारो तहेब जाव नियम छद्दिसि । ठिती जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तेत्तोसं सागरोवमाइं । छ समुग्धाया आदिल्लगा। मारणंतियसमुग्धाएणं समोहया वि मरंति, असमोहया वि मरंति । उव्वट्टणा जहेव उववानो,
न कत्थइ पडिसेहो जाव अणुत्तरविमाणत्ति। ४. अह भंते ! 'सवेपाणा" जाव अणंतखुत्तो। एवं सोलससु वि जुम्मेसु भाणियव्वं
जाव अणंतखत्तो, नवरं-परिमाणं जहा बेइंदियाणं, सेसं तहेव ।। ५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
२-११ उद्देसा पढमसमयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिदिया णं भंते ! कत्रो उववज्जति०? उववाग्रो, परिमाणं आहारो जहा एएसिं चेव पढमोद्देसए। प्रोगाहणा बंधो वेदो वेदणा उदयी उदीरगा य जहा बेंदियाणं पढमसमइयाणं, तहेव कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा । सेसं जहा बेदियाणं पढमसमइयाणं जाव अणंतखुत्तो, नवरं-- इत्थिवेदगा वा पुरिसवेदगा वा नपुंसगवेदगा वा, सण्णिणो नो
असण्णिणो, सेसं तहेव । एवं सोलससु वि जुम्मेसु परिमाणं तहेव सव्वं । ७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति॥ ८. एवं एत्थ वि एक्कारस उद्देसगा तहेव, पढमो तइयो पंचमो य सरिसगमा, सेसा
अट्ट वि सरिसगमा । चउत्थ- अट्ठम-दसमेसु नत्थि विसेसो कायव्वो ।। है. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
बितियं सण्णिपंचिंदियमहाजुम्मसतं १०. कण्हलेस्स कडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिंदिया णं भंते ! करो उववज्जति? तहेव
पढमुद्देसओ सण्णीणं, नवरं-बंध-वेद-उदइ-उदीरण-लेस्स-बंधग-सण्ण-कसायवेदबंधगा य एयाणि जहा बेंदियाणं । कण्हलेस्साणं वेदो तिविहो, अवेदगा नत्थि । संचिट्ठणा जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई। एवं ठिती वि, नवरं-ठितीए अंतोमुहुत्तमब्भहियाई न
---
१. सव्वपाणा (अ, क, ख, ता, ब, स)।
२. सण्णि (ता); सण्णा (म, स)।
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चत्तालीसतिमं सतं
१०३७
भणंति । सेसं जहा एएसिं चेव पढमे उद्देसए जाव अणंतखुत्तो। एवं सोलससु
वि जुम्मेसु । ११. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १२. पढमसमयकण्हलेस्सकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिदिया णं भंते ! को उव
वज्जति०? जहा सणिपंचिदियपढमसमयउद्देसए तहेव निरवसेसं, नवरं१३. ते णं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ?
हंता कण्हलेस्सा, सेसं तं चेव । एवं सोलससु वि जुम्मेसु ॥ १४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १५. एवं एए वि एक्कारस उद्देसगा कण्हलेस्ससए । पढम-ततिय-पंचमा सरिसगमा,
सेसा अट्ठ वि सरिसगमा ॥ १६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
३-१४ सण्णिमहाजुम्मसताई १७. एवं नीललेस्सेसु वि सतं, नवरं -संचिट्ठणा जहणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं
दस सागरोवमाइं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागमब्भहियाई। एवं ठिती वि ।
एवं तिसु उद्देसएस, सेसं तं चेव ।। १८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। १६. एवं काउलेस्ससतं पि, नवरं-संचिटणा जहण्णणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं तिण्णि
सागरोवमाइं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागमब्भहियाइं । एवं ठितीवि । एवं
तिसु वि उद्देसएस, सेसं तं चेव ।। २०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ २१. एवं तेउलेस्सेसु वि सतं, नवरं-संचिट्ठणा जहण्णेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं दो
सागरोवमाइं पलिग्रोवमस्स असंखेज्जइभागमब्भहियाइं। एवं ठितीवि, नवरं
-----नोसण्णोव उत्ता वा । एवं तिसु वि उद्देसएसु, सेसं तं चेव ।। २२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति । २३. जहा तेउलेस्ससतं तहा पम्हलेस्ससतं पि, नवरं-संचिट्ठणा जहण्णेणं एक्कं,
समयं, उक्कोसेणं दस सागरोवमाइं अंतोमुत्तमब्भहियाइं । एवं ठितीवि नवरं - अंतोमुहुत्तं न भण्णति, सेसं तं चेव । एवं एएसु पंचसु सतेसु जहा कण्हलेस्ससते गमलो तहा नेयव्वो जाव अणंतखुत्तो ।।
१. प्रथम-तृतीय-पञ्चमेषु (वृ) ।
२. गमएसु (अ, क, ख, ता, ब, म)।
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भगवई
२४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति॥ २५. सुक्कलेस्ससतं जहा प्रोहियसतं, नवरं-संचिट्ठणा ठिती य जहा कण्हलेस्ससते,
सेसं तहेव जाव अणंतखुत्तो। २६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। २७. भवसिद्धीयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिदिया णं भंते ! को उववज्जति?
जहा पढमं सण्णिसत्तं तहा नेयव्वं भवसिद्धीयाभिलावेणं, नवरं२८. सव्वे पाणा'?
नो तिणढे समढे, सेसं तं चेव । २६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ३०. कण्हले स्सभवसिद्धीयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिदिया णं भंते ! को उवव
जति? एवं एएणं अभिलावेणं जहा ओहियकण्हलेस्ससतं ॥ ३१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति । ३२. एवं नीललेस्सभवसिद्धीए वि सतं ।। ३३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ३४. एवं जहा ओहियाणि सण्णिपंचिदियाणं सत्त सताणि भणियाणि, एवं भवसिद्धी
एहि वि सत्त सताणि कायवाणि, नवरं -सत्तसु वि सतेसु सव्वे पाणा जाव
नो तिणढे समढे, सेसं तं चेव ।। ३५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१५-२१ सण्णिमहाजुम्मसताई ३६. अभवसिद्धीयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिंदिया णं भंते ! कनो उववज्जति.?
उववाग्रो तहेव अणुत्तरविमाणवज्जो। परिमाणं अवहारो उच्चत्तं बंधो वेदो वेदणं उदग्रो उदीरणा य जहा कण्हलेस्ससते । कण्हलेस्सा वा जाव सुक्कलेस्सा वा । नो सम्मदिट्ठी, मिच्छादिट्ठी, नो सम्मामिच्छादिट्ठी। नो नाणी, अण्णाणी, एवं जहा कण्हलेस्ससते, नवरं-नो विरया, अविरया, नो विरयाविरया । संचिठणा ठिती य जहा प्रोहिउद्देसए। समग्घाया ग्रादिल्लगा पंच। उव्वदणा तहेव अणुत्तरविमाणवज्जं । सव्वे पाणाo? नो तिणटे समढे, सेसं जहा कण्ह
लेस्ससते जाव अणंतखुत्तो । एवं सोलससु वि जुम्मेसु । ३७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. भ० ४०।४।
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चत्तालीसतिमं सतं
१०३६
३८. पढमसमयप्रभवसिद्धीयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिदिया णं भंत ! कओ उवव
ज्जंति० ? जहा सण्णीणं पढमसमयउद्देसए तहेव, नवरं-सम्मत्तं सम्मामिच्छत्तं
नाणं च सव्वत्थ नत्थि. सेसं तहेव ॥ ३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४०. एवं एत्थ वि एक्कारस उद्देसगा कायव्वा पढम-तइय-पंचमा एक्कगमा, सेसा
अट्ट वि एक्कगमा ।।। ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४२. कण्हलेस्सग्रभवसिद्धोयकडजुम्मकडजुम्मसण्णिपंचिदिया णं भंते ! को उव
वज्जति०? जहा एएसि चेव प्रोहियसतं तहा कण्हलेस्ससयं पि, नवरं४३. ते णं भंते ! जीवा कण्हलेस्सा ?
हता कण्हलेस्सा । ठिती, संचिट्ठणा य जहा कण्हलेस्ससते, सेसं तं चेव ।। ४४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।। ४५. एवं छहि वि लेस्साहिं छ सता कायव्वा जहा कण्हलेस्ससतं, नवरं-संचिटणा
ठिती य जहेव प्रोहियसते तहेव भाणियव्वा, नवरं - सुक्कलेस्साए उक्कोसेणं इक्कतीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं । ठिती एवं चेव, नवरं-अंतोमुहुत्तं नत्थि जहण्णगं. तहेव सव्वत्थ सम्मत्त-नाणाणि नत्थि । विरई विरया
विरई अणुत्तरविमाणोववत्ति-एयाणि नत्थि । सव्वे पाणा०? नो तिणढे समटे । ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४७. एवं एयाणि सत्त अभवसिद्धीयमहाजुम्मसताइं भवंति । ४८. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४६. एवं एयाणि एक्कवीसं सण्णिमहाजुम्मसताणि । सव्वाणि वि एकासीतिमहा
जुम्मसताई॥
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रासीजुम्मनेरइयादीणं उववायादि-पदं
१. कति णं भंते ! रासीजुम्मा पण्णत्ता ?
गोमा ! चत्तारि रासीजुम्मा पण्णत्ता, तं जहा - कडजुम्मे जाव कलियोगे || सेकेणणं भंते ! एवं वुच्चइ - चत्तारि रासीजुम्मा पण्णत्ता, तं जहा - कडजुम्मे जाव कलियोगे ?
२.
एगचत्तालीसतिमं सतं पढमो उद्देसो
गोयमा ! जेणं रासी चउक्कएणं अवहारेणं अवहीरमाणे चउपज्जवसिए, सेत्तं रास जुम्मकडजुम्मे । एवं जाव जेणं रासी चउक्कएणं श्रवहारेणं एगपज्जवसिए, सेत्तं रासीजुमकलियोगे । से तेणट्टेणं जाव कलियोगे ||
३. रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जंति० ? उववाम्रो जहा ' वक्कंती ॥
४. ते णं भंते ! जीवा एगसमएणं केवइया उववज्जंति ?
गोयमा ! चत्तारि वा अदुवा बारस वा सोलस वा संखेज्जा वा प्रसंखेज्जा वा उववज्जति ॥
५. ते णं भंते ! जीवा किं संतर उववज्जंति ? निरंतरं उववज्जंति ?
गोयमा ! संतरं पि उववज्जंति, निरंतरं पि उववज्जंति । संतरं उववज्जमाणा जहणेणं एक्कं समयं, उक्कोसेणं प्रसंखेज्जे समए अंतरं कट्टु उववज्जति । निरंतरं उववज्जमाणा जहणेणं दो समया, उक्कोसेणं असंखेज्जा समया समयं श्रविरहियं निरंतरं उववज्जंति ॥
६. ते णं भंते ! जीवा जं समयं कडजुम्मा तं समयं तेयोगा ? जं समयं तेयोगा तं समयं कडजुम्मा ?
मट्ठे ॥
१. प० ६ ।
२. सांतरं ( ब म ) ।
१०४०
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एगवतानीसतिमं सतं ( पढमो उद्देसो)
१०४१
७. जं समयं कडजुम्मा तं समयं दावरजुम्मा ? जं समयं दावरजुम्मा तं समयं कडजुम्मा ?
नोतिट्ठे सट्टे |
८. जं समयं कडजुम्मा तं समयं कलियोगा ? जं समयं कलियोगा तं समयं क नोति समट्ठे ॥
६. ते णं भंते ! जीवा कहिं उववज्जंति ?
गोयमा ! से जहानामए पवए पवमाणे, एवं जहा उववायसते जाव' नो परप्पयोगेणं उववज्जंति ॥
१०. ते णं भंते ! जीवा किं प्रायजसेणं उववज्जंति ? प्रायअजसेणं उववज्जंति ? गोयमा ! नो प्रायजसेणं उववज्जंति, श्रायजसेणं उववज्जंति ॥
११. जइ प्रायजसेणं उववज्जंति - किं प्रायजसं उवजीवंति ? प्रायजसं उवजीवंति ?
गोयमा ! नो प्रायजसं उवजीवंति, ग्रायजसं उवजीवंति ||
१२. जइ ग्रायअंजसं उवजीवंति - किं सलेस्सा ? अलेस्सा ?
गोमा ! सलेस्सा, नो अलेस्सा ॥
१३. जइ सलेस्सा किं सकिरिया ? अकिरिया ?
गोमा ! सकिरिया, नो किरिया ||
१४. जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्भंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ? नोतिट्टे समट्ठे ॥
१५. रासीजुम्मकडजुम्म सुरकुमारा णं भंते ! को उववज्जंति० ? जहेव ने रतिया तव निरवसेसं । एवं जाव पंचिदियतिरिक्खजोणिया, नवरं - वणस्सइकाइया जाव असंखेज्जा वा प्रणंता वा उववज्जंति, सेसं एवं चेव । मणुस्सा वि एवं चेव जाव नो प्रायजसेणं उववज्जंति, श्रायजसेणं उववज्जंति ॥
१६. जइ प्रायजसेणं उववज्जंति - किं प्रायजसं उवजीवंति ? प्रायअजसं उव
जीवंति ?
गोयमा ! श्रायजसं पि उवजीवंति, प्रायजसं पि उवजीवंति ॥
?
१७. जइ प्रायजसं उवजीवंति किं सलेस्सा ? अलेस्सा ?
गोमा ! सलेस्सा वि अलेस्सा वि ॥
१८. जइ अलेस्सा किं सकिरिया ? ग्रकिरिया ?
गोयमा नो सकिरिया, अकिरिया ||
१६. जइ अकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिज्भंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ? हंता सिज्यंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ॥
१. भ० ३१।५ ।
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१०४२
भगवई
२०. जइ सलेस्सा किं सकिरिया ? अकिरिया ?
गोयमा ! सकिरिया, नो अकिरिया ॥ २१. जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ?
गोयमा ! अत्थेगइया तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेति, अत्थेगइया नो तेणेव भवग्गहणेणं सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं
करेंति ॥ २२. जइ प्रायजसं उवजीवंति कि सलेस्सा ? अलेस्सा ?
गोयमा ! सलेस्सा, नो अलेस्सा ।। २३. जइ सलेस्सा कि सकिरिया ? अकिरिया ?
गोयमा ! सकिरिया, नो अकिरिया ।। २४. जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणणं सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ?
नो इणद्वे समटे । वाणमंतरजोइसियवेमाणिया जहा ने रइया । २५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
बीओ उद्देसो २६. रासीजुम्मतेप्रोयनेरइया णं भंते ! को उववज्जति० ? एवं चेव उद्देसमो
भाणियव्वो, नवरं–परिमाणं तिण्णि वा सत्त वा एक्कारस वा पन्नरस वा
संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति । संतरं तहेव ।। २७. ते णं भंते ! जीवा जं समयं तेयोगा तं समयं कडजुम्मा ? जं समयं कडजम्मा
तं समयं तेयोगा? __नो इणद्वे समढे ॥ २८. जं समयं तेयोया तं समयं दावरजुम्मा ? जं समयं दावरजुम्मा तं समयं
तेयोया ? नो इण? समटे । एवं कलियोगेण वि समं, सेसं तं चेव जाव वेमाणिया नवरं
उववानो सव्वेसिं जहा' वक्कंतीए । २६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१. प०६।
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एगवतालीसतिम सा (३-२८ उद्देसा)
१०४३
तइओ उद्देसो ३०. रासीजुम्मदावरजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति० ? एवं चेव उद्देसमो, ___ नवरं-परिमाणं दो वा छ वा दस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जति,
संवेहो ॥ ३१. ते णं भंते ! जीवा जं समयं दावरजुम्मा तं समयं कडजुम्मा ? जं समयं कड
जुम्मा तं समयं दावरजुम्मा ? णो इण? समढे । एवं तेयोएण वि समं, एवं कलियोगेण वि समं, सेसं जहा
पढमुद्देसए जाव वेमाणिया ।। ३२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
चउत्थो उद्देसो ३३. रासीजुम्मकलिगोगनेरइया णं भंते ! को उववज्जति०? एवं चेव, नवरं
परिमाणं एक्को वा पंच वा नव' वा तेरस वा संखेज्जा वा असंखेज्जा उवव
ज्जति, संवेहो। ३४. ते णं भंते ! जीवा जं समयं कलियोगा तं समयं कडजुम्मा ? जं समयं कडजुम्मा
तं समयं कलियोगा? नो इणढे समढे । एवं तेयोएण वि समं, एवं दाव रजुम्मेण वि समं, सेसं जहा
पढमुद्देसए जाव वेमाणिया ।। ३५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
५-२८ उद्देसा ३६. कण्हलेस्सरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति० ? उववानो
जहा धूमप्पभाए, सेसं जहा पढमुद्देसए । असुरकुमाराणं तहेव, एवं जाव वाणमंतराणं । मणुस्साण वि जहेव नेरइयाणं प्रायअजसं उवजीवंति । अलेस्सा, अकि
रिया तेणेव भवग्गहणणं सिझति एवं न भाणियव्वं, सेसं जहा पढमुद्देसए । ३७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ३८. कण्हलेस्सतेयोएहि वि एवं चेव उद्देसमो॥ ३६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४०. कण्हलेस्सदावरजम्मेहिं एवं चेव उद्देसयो । ४१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
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१०४४
भगवई कण्हलेस्सकलिप्रोएहि वि एवं चेव उद्देसओ। परिमाणं संवेहो य जहा प्रोहिएसु
उद्देसएसु ॥ ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४४. जहा कण्हलेस्सेहिं एवं नीललेस्सेहि वि चत्तारि उद्देसगा भाणियव्वा निरवसेसा,
नवरं–नेरइयाणं उववानो जहा वालुयप्पभाए, सेसं तं चेव ॥ ४५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ४६. काउलेस्सेहि वि एवं चेव चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवरं -ने रइयाणं उववाओ
जहा रयणप्पभाए, सेसं तं चेव ॥ ४७. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति। ४८. तेउलेस्सरासीजुम्मकडजुम्मअसुरकुमारा णं भंते ! को उववज्जति ? एवं
चेव, नवरं-जेसु तेउलेस्सा अत्थि तेसु भाणियव्वा । एवं एए वि कण्हलेस्सा
सरिसा चत्तारि उद्देसगा कायव्वा ।। ४६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ५०. एवं पम्हलेस्साए वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा। पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं
मणुस्साणं वेमाणियाण य एएसिं पम्हलेस्सा, सेसाणं नत्थि। ५१. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ५२. जहा पम्हलेस्साए एवं सुक्कलेस्साए वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा, नवरं---
मणुस्साणं गमयो जहा ओहिउद्देसएसु, सेसं तं चेव । एवं एए छसु लेस्सासु
चउवीसं उद्देसगा, प्रोहिया चत्तारि, सव्वे ते अट्ठावीसं उद्देसगा भवंति ।। ५३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
२६-५६ उद्देसा ५४. भवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मने रइया णं भंते ! कओ उववज्जति० ? जहा
ओहिया पढमगा चत्तारि उद्देसगा तहेव निरवसेसं, एए चत्तारि उद्देसगा॥ ५५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ५६. कण्हलेस्स भवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जति० ?
जहा कण्हलेस्साए चत्तारि उद्देसगा भवंति तहा इमे वि भवसिद्धियकण्हलेस्सेहि
वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा। ५७. एवं नीललेस्सभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उद्देसगा कायव्वा ।।
१. भारिणयव्वं (ख, ता) ।
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एग चालीसतिमं सतं (५७-११२ उद्देसा)
५८. एवं काउलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देगा || ५६. तेउलेस्सेहि विचत्तारि उद्देगा प्रोहियसरिसा ॥ ६०. पहले सेहि विचत्तारि उद्देगा ||
६१. सुक्कलेस्सेहि विचत्तारि उद्देगा प्रोहियसरिसा । एवं एए वि भवसिद्धिएहि विट्ठावीस उद्देगा भवंति ॥
६२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ॥
५७ -८४ उद्देसा
६३. अभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जंति ० ? जहा पढमो उद्देसगो, नवरं - मणुस्सा नेरइया य सरिसा भाणियव्वा, सेसं तहेव ॥ ६४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
१०४५
६५. एवं चउसु वि जुम्मेसु चत्तारि उद्देगा |
६६. कण्हलेस्सअभवसिद्धियरासीजुम्मकडजुम्मने रइया णं भंते ! को उववज्जंति० ? एवं चेव चत्तारि उद्देसगा ||
६७. एवं नीललेस्सग्रभवसिद्धियरासी जुम्मकडजुम्मनेरइयाणं चत्तारि उद्देसगा । ६८. काउलेस्सेहि विचत्तारि उद्देगा ||
६९. तेउलेस्सेहि विचत्तारि उद्देगा ||
७०. पम्हलेस्सेहि वि चत्तारि उद्देगा ||
७१. सुक्कलेस्सप्रभवसिद्धिएहि वि चत्तारि उद्देगा । एवं एएस ग्रट्ठावीसाए वि प्रभवसिद्धियउद्देसएस मणुस्सा नेरइयगमेणं नेयव्वा ॥
७२. सेवं भंते ! सेवं भंते ! ति ।।
८५-११२ उद्देसा
७३. सम्मदिट्ठी रासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववजंति० ? एवं जहा पढमो उद्देस । एवं चउसु वि जुम्मेसु चत्तारि उद्देगा भवसिद्धियसरिसा
कायव्वा ॥
७४. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ।।
७५. कण्हलेस्ससम्मदिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! को उववज्जंति ० ? एए वि कहले ससरिसा चत्तारि वि उद्देसगा कायव्वा । एवं सम्मदिट्ठीसु वि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देगा कायव्वा ॥
७६. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ ||
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१०४१
भगवई
११३-१४० उद्देसा ७७. मिच्छादिट्ठीरासीजुम्मकडजुम्मनेरइया णं भंते ! कत्रो उववज्जति ? एवं एत्थ
वि मिच्छादिट्ठिप्रभिलावेणं अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायव्वा । ७८. सेवं भंते । सेवं भंते ! त्ति ॥
१४१-१६८ उद्देसा ७६. कण्हपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मनेरइयाणं भंते ! को उववज्जति० ? एवं एत्थ
वि अभवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा कायव्वा ।। ८०. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥
१६६-१६६ उद्देसा ८१. सुक्कपक्खियरासीजुम्मकडजुम्मने रइया णं भंते ! को उववज्जति० ? एवं एत्थ
वि भवसिद्धियसरिसा अट्ठावीसं उद्देसगा भवंति । एवं एए सव्वे वि छन्नउयं उद्देसगसयं भवति रासीजुम्मसयं जाव सुक्कलेस्ससुक्कपविखयरासीजुम्मकलि
योगेवेमाणिया जाव८२. जइ सकिरिया तेणेव भवग्गहणणं सिझंति जाव सव्वदुक्खाणं अंतं करेंति ?
नो इणढे समढे ॥ ८३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ ८४. भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो पायाहिण-पयाहिणं करेइ, करेत्ता
वंदति नमसति, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते ! सच्चे णं एसमटे, जे णं तुब्भे वदह त्ति कट्ट अपुव्ववयणा' खलु अरहंता भगवंतो, समणं भगवं महावीरं वंदंति नमंसति, वंदित्ता नमंसित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।।
॥ इति भगवई समत्ता ॥
ग्रंथाग्र कुलगाथा १९३१६ अक्षर १६
कुल अक्षर ६१८२२४
१. अपूतिवयणा (अ, क, ता, ब, म)।
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परिसेसो
सव्वाए भगवईए अतीसं सतं सयाणं ( १३८), उद्देसगाणं एगूणविसतिसताणी
पंचविस हियाणी (१९२५) ।
संग्रहणी - गाहा
पोत्थयले गया नमोक्कारा
चुलसीइ सयसहस्सा, पदाण पवरवर नाणसीहिं । भावाभावमणंता, पण्णत्ता एत्थमंगमि || १ | तवनियमविणयवेलो, जयति सदा नाणविमलविपुलजलो । हेतु सतविपुलवेगो, संघमुद्दो विसालो ।। २ ।।
उद्दे-विधि
णमो गोयमाईणं गणहराणं, णमो भगवईए विवाहपण्णत्तीए, णमो दुवाल संगस्स गणिपिडगस्स ॥
कुम्मसुसंठियचलणा, अमलियको रेंटबेंटसंकासा ।
सुयदेवया भगवई, मम मतितिमिरं पणासेउ || १ ||
पण्णत्तीए ग्राइमाणं अहं सयाणं दो दो उद्देसगा उद्दिसिज्जंति, नवरं चउत्थे स पढमदिवसे अट्ठ, बितियदिवसे दो उद्देसगा उद्दिसिज्जति । नवमाओ सताओ आरद्धं जावइयं जावइयं ठवेति तावतियं तावतियं' उद्दिसिज्जंति, उक्कणं सतं पि एगदिवसेणं, मज्झिमेणं दोहिं दिवसेहिं सतं, जहणणेणं तिहि दिवसेहिं सतं । एवं जाव वीसतिमं सतं, नवरं - गोसालो एगदिवसेणं उद्दिज्जति जदिठियो एगेण चेव आयंबिलेणं प्रणुण्णवति । ग्रहणं ठितो आयंबिलेणं छट्टेणं प्रणुण्णवति । एक्कवीस-बावीस - तेवीसतिमाई सताई एक्केक्कदिवसेणं उद्दिसिज्जति । चउवीसतिमं सतं दोहिं दिवसेहिं छ-छ उद्देगा | पंचवीसतिमं दोहिं दिवसेहिं छ-छ उद्देसगा । बंधिसयाई प्रसयाई एगेणं दिवसेणं, सेढिसयाई बारस एगेणं, एगिदियमहाजुम्मसयाई बारस एगेणं, एवं बेंदियाणं बारस, तेंदियाणं वारस, चउरिंदियाणं बारस एगेण, श्रसणि
१. ० तियं एगदिवसेणं (ख, स ) ।
२. अणुणच्चति (ता, स); अणुणज्जति ( अ, ब ) १०४७
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१०४०
भगवई
पंचिदियाणं बारस, सण्णिपंचिंदियमहाजुम्मसयाई एक्कवीसं एगदिवसेणं
उद्दिसिज्जति, रासीजुम्मसतं एगदिवसेणं उद्दिसिज्जति ।। गाहातिगं केषुचिदादर्शषु पुस्तकलेखककृता अन्यापि गाथात्रयी लभ्यते
वियसियअरविंदकरा, नासियतिमिरा सुयाहिया देवी। मज्झ पि देउ मेहं, बुहविबुहणमंसिया णिच्चं ॥१॥ सुयदेवयाए पणमिमो, जीए पसाएण सिक्खियं नाणं । अण्णं पवयणदेवि, संतिकरि तं नमसामि ॥२॥ सुयदेवया य जक्खो, कुंभधरो बंभसंतिवेरोट्टा । विज्जा य अंतहुंडी, देउ अविग्धं लिहंतस्स ॥३॥
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परिशिष्ट :
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परिशिष्ट-१ संक्षिप्त-पाठ, पूर्त-स्थल और पूर्ति प्राधार-स्थल
संक्षिप्त-पाठ अंतियं जाव पव्वइत्तए अंबकूणगहत्थगयं जाव अंजलिकम्म अकंततरिय जाव अमणामतरियं अकंता जाव अमणामा अकिट्रे जाव विहरामि अगामियाए जाव अडवीए अगामियाए जाव सव्वओ अग्गिसामण्णे जाव दाइयसामण्णे अचलिए जाव निज्जरिज्जमाणे अच्चासाइए जाव तं अच्छे जाव पडिरूवे अजीवदव्वदेसे जाव अणंतभागूणे अजीवदव्वदेसे जाव सब्वागासस्स अज्झथिए जाव समुप्पज्जइ अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था
पूर्त-स्थल
पूति प्राधार-स्थल १८.१४७
६।१६७ १५।१२६
१५॥१२० १६।३५
११२२४ ७।११६
११३५७ ३११२६
३।१२६ १५८७
१५१८६ १५२८८
१५४८६ ६।१७६
६।१७६ ११४४२
१।११ ३।१२६
३।१२६ २।११८
वृत्ति ११।१०८
११।१०८ ११।१०८
२।१४ ३३१३१
२।३१ २०६७; ३।३३, ३६, ११२, ११५, ११६, श८५; ९१५८, २२८; १११५६, ७२, ८५, १८८; १२६; १३।१०३; १०६, ११६; १५०५३, ७५,१२८, १२६, १४१ १४८
२०३१ १३।१०४
२।३१ ११४२४
११४२३ ५।१०४
५।१०४ ५१०५
५।१०४
अज्झत्थियं जाव समुप्पन्न अद्रं जाव जाणाओ अटुं वा जाव वागरण अटुं वा जाव वागरेइ
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५।१०४ १।४२३ १४।१५४
८।३८४ १५।१८७
११४५ १०।१६ ३।३८ ३३३३
३३३३
अट्ठाई जाव वागरणाई अढे जाव विउसग्गस्स अणंतपएसियं जाव पासइ अणंताओ जाव आवलियाए अणवदग्गं जाव संसार अणवदग्गे जाव संसार० अणालोइय जाव नत्थि अजिंदा जाव ठिति० अणिक्खित्तेणं जाव आयावेमाणस्स अणिक्खित्तेणं जाव आयावेमाणे अणिटुं जाव अमणाम अणिद्वस्सरा जाव अमणामस्सरा अणुट्ठाणे जाव अपुरिसक्कार० अणुत्तरा जाव अपइट्ठाणे अणुत्तरे जाव केवल. ० अणुत्तरोववाइय जाव उव० • अणुत्तरोववातिय जाव देव. अणेगगणणायग जाव संपरिवुडे अणेगगणनायग जाव दूय अणेग जाव किच्चा अणेगसय जाव किच्चा अणेगसय जाव पच्चायाइस्सइ अणेगसय जाव पच्चायाहिति अणेगसयसह जाव किच्चा अणेगसयसहस्स जाव किच्चा अण्णमण्णपुट्ठाई जाव घडत्ताए । अण्णमण्णपुट्ठा जाव अण्णमण्ण अतुरिय जाव जेणेव अतुरिय जाव सोहेमाणे अतुरियमचवल जाव गईए प्रत्थमण जाव दीसंति अस्थमणमुहत्तंसि जाव उच्चत्तेणं अत्थामे जाव अधारणिज्ज०
१८।२०५ ११४२६ १४।१५४ ८।३६६ १५।१८७ १६१६१ १०.२० ३३४० १६।४६ १५।१७७
३।११३; १४।४० - ७।११६ -१४।१४४
१३।१२ १६६१ १२।१८८ १९७७ १३।११४ ७.१६६ १५।१८६ १५६१८६ १५।१८६ १५॥१८६ १५।१८६ १५।१८६ ११।७८,७६ ११११११ १५।१५३ २।११० ११।१३५, १४४ ८।३३१ ८.३३१ ७/२०४
११३५७ ११३५७ १११४६
वृत्ति ६।४६ १२।१८८ १९७७
७।१६६ प्रो० सू०६३
१५१८६ ११८६ १५१८६ १५१८६ १५।१८६ १५।१८६
वृत्ति १११७८ २।१०८ २।१०८ ११११३३ ८।३२६ ८.३३० ७।२०३
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--------------------------------------------------------------------------
________________
अत्येतिए जाव नो अत्येतिए जाव नो
प्रत्येगतियाणं जाव साहू अदुक्खणयाए जाव अपरियावणयाए
अदुखावणाए जाव अपरियावणयाए
अम्मत्किाए एवं चैव नवरं गुणओ ठाणगुणे
अम्मत्किाए जाव पोरगलत्थिकाए अपत्यपत्थया जाव हीणपुण्ण
अपको जाव अप्पलोभे
अप्पणी जाव पासइ
अभुगयाओ जाव पडिरूवायो
अभिक्खणं जाव अंजलिकम्मं
अभिमुहा जाव पज्जुवासंति अभिमाणा जाव उद्दवेमाणा
श्रमाणत्तं जाव पसत्थं अमुच्छिए जाव अणज्भोव वन्ने
मुच्छि जव आहारे
अच्छा आहा अम्मताओ जाव पव्वइत्तए अमेहिं जाव पव्व इहिसि
. अथकोट्ठाओ जाव निक्खिवइ
श्रयमेयारूवे जाव परुण्णे अयमेरूवे जाव समुपज्जित्था अवण्णकारए जाव gप्पाएमाणे अवणे जाव अरूवी
अवसेसं जहा सिवस्स जाव सव्वदुक्खप्पहीणे नवरं - तिदंड - कुंडियं जाव धाउरत्तवत्यपरिहिए परिafsafaoभंगे आलभियं नगरिं मज्भंमज्भेणं निग्गच्छति जाव उत्तरपुरत्थिमं दिसीभागं अवक्कमति, अवक्कमित्तातिदंडकुंडियं च जहा खंदओ जाव पव्वइओ सेसं जहा सिवस्स जाव
३
३१
६।३१
१२।५४
१२।५४
३।१४८
२।१२६
१३।५५
३।११३
२५/५६८
१४।१२३
१५८८
१५।१२१
५।८४
८२८७
१/४१८
१५।१६२
१४ । ८३
७ २३
६/१७४
६।१७७
१६।७
१५।१५२
१२।१५; १६।५५; १८।२०५
६।२४३
२।१२८
११११६३-१६७
६/३१
३१
१२।५३
१०।११४
३।१४५
२।१२५
२१२४
३।१०६
ओ० सू० ३३
१४।१२३
१५८७
१५।१२०
१।१०
८१२८७
१।४१८
७२३
१४।८२
७/२२
६ १६७
१६६
१६।७
५।१४८
२।३१
६।२४०
२/१२५
१११८३-८८
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--------------------------------------------------------------------------
________________
असंखेज्जवासाउय जाव उववज्जति असणं जाव उवक्खडावेति असणं जाव उवक्खडावेह असणं जाव साइम असणं ४ जाव विहरह असणं जाव विहरिस्सामो असदपरिणए जहा एगगुणकालए असयं जाव उववज्जति असुरकुमारराया जाव विहरित्तए असुरकुमारा जाव उववज्जति असुरकुमारा जाव उववज्जति असोगवडेंसए जाव मझे अस्संजए जाव देवे० अस्संजत जाव पावकम्मे अस्संजय जाव एगंत० अस्साएमाणस्स जाव पडिजागरमाणस्स अस्साएमाणा जाव पडिजागरमाणा अस्साएमाणा जाव विहरह अहापडिरूवं जाव विहरइ
२४/५४ १८४८ १८।४७ १२।१२ १२।१४ १२।१८ ५।१७४ ६।१३२ १०।६८ ४।१२६ ६।१३० १०६६ ११५० १७।२१ १८।१६५ १२।१३ १२।१२ १२।१३ ६।१३६, १५७; १११८५, १६।५५; १८।२०५ ११३७२ ३४११६ ३३५३, ७५; ६।२४४ १५११०१ १६७४ १५।१०६ ६।१४८
२४१५४ ३।३३ ३१३३ १२।४ १२।४ १२।४ ५११७२ ६।१३२ १०६७ ६।१२८
१३० ३१२४६
११४८ १७।१६ ८।२७३ १२॥६ १२।४ १२१४
अहिगरणियाए जाव पाणा० अहेलोग जाव समोहणित्ता आउक्खएणं जाव कहि आउक्खएणं जाव चइत्ता आउक्खएणं जाव महाविदेहे आओसइ जाव सुहमत्थि आगयपण्हया जाव समूसविय० आगासस्थिकाए वि एवं चेव नवरं खेत्तओ णं आगासस्थिकाए लोयालोयप्पमाणमेत्ते अणंते चेव जाव गुणओ आगासपदेसेसु जाव चिट्ठति आघवेति जाव उवदंसेति
२।३० २३६५ ३४।१४ २०७३ २।७३
२।७३ १५।१०३ ६।१४७
२।१२७ ५।१११ १६१६१
२।१२५ ५।११० १६६१
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--------------------------------------------------------------------------
________________
३१५१ हा२१६ १५।१८ ३।२५७ १११११२ २५२५८३ ११३४ २०७५ ११७१, ८० ६१५१
२१७ १५१८ ३१२५२ ११।१११ ओ० सू० ४०
११३३ स० पइण्णगस० ८८
११७१ ११४३३
आढ़ति जाव पज्जुवासंति आढाइ जाव तुसिणीए आणंदा जाव करेत्तए आणा जाव चिट्ठति आवाहं वा जाव करेंति आभिणिबोहियनाणविणए जाव केवल आयारंभा जाव अणारंभा आयारो जाव दिदिवाओ आरंभिया जाव मिच्छा० आराहेत्ता जाव सव्व० आरुहेत्ता तं चेव सव्व अविसेसित - नेयव्वं जाव आलोइय आलभियाए नगरीए एवं एएणं अभिलावेणं जहा सिवस्स तं चेव जाव से आलोइय जाव कालं आलोएस्सामि जाव पडिवज्जिस्सामि आसइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए आसि जाव णिच्चे आसी जाव निच्चे आसुरुत्तं जाव मिसि० आसुरुते जाव मिसि०
२०७१
२।६८, ६६
१११७३
३।१७ ८।२५१ ७।२१६ २।१२५ २।४५
३१४५
११११८६ १८१५३ १०१२० १७१२० २।१२८, १२६ २।४६ १५।११६ ७।२०१, २०२; १५।६४, ८०, ६४, ११८, १७६, १८३ ३।११३ १८४० १८।२०४ ३।१४८ ६।१६३ ६।१४६ १८।२०५ ३।११२ ३।११२ ११।१०६,११० १५।१८६
३४५ ३।४५
३।४ ना० २५६
२१५५ ओ० सू० ७१
आसुरुत्ते जाव मिसिमिसेमाण आहेवच्चं जाव कारेमाणे आहेबच्चं जाव विहरइ इरियासमितस्स जाव गुत्तबंभयारिस्स इसि जाव धम्मकहा इसिपरिसाए जाव इहमागए जाव दूतिपलासए उक्किट्टाए जाव जेणेव उक्किटाए जाव तिरिय उक्किट्ठाए जाव देवगईए उक्कोसकाल जाव उव्वट्टित्ता
ओ० सू० ७१
mmr
३१३८
३।३८ १५।१८६
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--------------------------------------------------------------------------
________________
१५।१८६ २४।३१ ८।२५५ ८.३३० २०११४ ६।२२४ १।१४६
१९
उक्कोसकालट्टिइयंसि जाव उव्वट्टित्ता उक्कोसकालट्ठितीएसु जाव उववज्जित्तए उक्खित्ते जाव रत्ते उग्गमण जाव उच्चत्तेणं उच्चारपासवण जाव परिद्वावणिया० उज्जले जाव दुरहियासे उढाणे जाव परक्कमे उड्ढंजाणू जाव विहरइ उत्तर जाव राई उत्तरिल्लं जाव गच्छति उदएणं जाव पयोग उदगबिंदु जाव हंता उदगरयणे जाव तच्चाए उदीरिए जाव निजरिज्जमाणे उप्पत्तियाए जाव पारिणामियाए उप्पत्तिया जाव पारिणामिया उप्पन्ननाणदंसणधरा जाव सव्व० उप्पन्ननाणदंसणधरे जाव समोसरणं उप्पन्ननाणदंसणधरे जाव सव्वण्णू उप्पाडेज्जा जाव केवलं उब्भिज्जमाणाण वा जाव ठाणाओ उम्मुक्कबालभावे जाव रज्जवई उवट्ठवेह जाव उवट्ठवेंति जाव पच्चप्पिणंति उवट्ठाणसालं जाव पच्चप्पिणंति उववज्जिहिति जाव उव्वट्टित्ता उववज्जिहिति जाव किच्चा उवागच्छइ जाव नमंसित्ता जाव एवं उवागच्छित्ता जाव एगंतमंते उवागच्छित्ता जाव दुरूढा उवागच्छित्ता जाव नमंसित्ता उवागच्छित्ता जाव विहरइ उसभ जाव भत्तिचित्तं उस्सवणयाए तिहिं, उस्सवणयाए वि निसिरणयाए वि नो दहणयाए चउहि, जे भविए उस्सवणयाए
१५।१८६ २४।७६ ८।२५५ ८।३३० २०११५ १५।१४६ ११३७८; १७।३० ५१८५; १०॥४३; १८।१६४ ५७ १६।११६ ८।४२१ ६१४ १५९२ ६।२२८ १७/३० २०१२० १२।१६७ २।२२ १५।१२६ है।३१ १६।१०६ ११।१४२ १२।३५,३६ ११।१३७ १५।१८६ १५।१८६ १४।१३२ १५७३ १२।३७ १६।५४ १३।१०१ ११११३८
१६।११६ ८।४२०
६।४ १५११
१।११ १२।१०६ १२।१०६
१३८ वृत्ति
वृत्ति ६।२३,२५
वृत्ति ११।१३४ ६।१६०,१६१
११११३६ १५।१८६ १५।१८६
१११० १५५६ ६।१४४ २१५७
१७ ओ० सू० १३
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--------------------------------------------------------------------------
________________
१।३६७ २०१११८ ७।१६८
११३६५ २०१११८ ७१६७
२।४,५ ८५१ २।१३६ २।१३६ ८२ ३।१५६ ६।१५६-१५६
प० २८१
८.५१ २।१३६ २।१३६ २।१३६
३।१५४ वृति; जी. ३
वि निसिरणयाए वि दहणयाए वि तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि एक्केण वा जाव उक्कोसेणं एगरूवं जाव हंता एगवण्णाई आणमंति वा पाणमंति वा ऊससंति वा नीससंति वा आहारगमो नेयम्वो जाव पंचदिसिं
एगिदिय जाव परिणए एगिदियदेसा जाव अणिदियदेसा एगिदियपदेसा जाव अणिदियपदेसा एगिदिवपयोगपरिणया जाव पंचिदिय० एतेणं अभिलावेणं चत्तारि भंगा एतो आढत्तं जहा जीवाभिगमे जाव से एत्थ वि तह चेव भाणियव्वं, नवरं अणुदिण्णं उवसामेइ सेसापडिसे हेयव्वा तिणि । जं तं भंते ! अणुदिण्णं उवसामेइ तं कि उट्ठाणेणं जाव परिसक्कारपरक्कमे इ वा। से नूणं भंते ! अप्पणा चेव वेदेइ अप्पणा चेव गरहइ एत्थ वि सच्चेव परिवाडी, नवरं उदिण्णं वेदेइ नो अणदिण्णं वेदेइ एवं जाव पुरिसक्कार-परक्कमे इ वा। से नणं भंते ! अप्पणा चेव निज्जरेइ अप्प० एत्थ वि, सच्चेव परिवाडी, नवरं उदयअणंतरपच्छाकडं कम्मं निज्जरेइ एवं जाव परक्कमेड वा एमहिड्ढीए जाव एमहाणुभागे एयति जाव घेते एयति जाव तं एयति जाव नो एयति जाव परिणम एयाणि वि तहेव नवरं सत्त संवच्छराइं सेसं त चेव एवं अगणिकायस्स मज्झमज्झेणं तहिं नवरं झियाएज्ज भाणियव्वं । एवं पुक्खलसंवट्टगस्स महामेहस्स मज्झमज्भेणं तहिं उल्ले सिया।
१४१४७-१५०
३१४
१११५१-१६२ ३१४ ३११४८ ३।१४३ ३।१४६-१४८ ३११४५
३३१४३ ३११४३ ३११४३
६।१२३
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--------------------------------------------------------------------------
________________
एवं गंगाए महानदीए पडिसोयं हव्वमागच्छेज्जा तहिं विणिहायमावज्जेज्जा । उदगावत्तं वा उदगबिंदु वा ओगाहेज्जा से णं तत्थ परियावज्जेज्जा
एवं अणागतं पि
एवं अधम्मत्थिकाए लोयाकासे जीवत्थिकाए पोथिकाए पंच वि एक्काभिलावा एवं धम्मस्थिकायस्स वि
एवं अप्पाबहुगाणि तिण्णि वि जहा पढमिल्लए दंडए, नवरं - सव्वत्थोवा पंचिदियतिरिक्खजोणिया देसमूलगुणपच्चक्खाणी अपच्चक्खाणी असंखेज्जगुणा एवं आयकम्मुणा नो परकम्मुणा श्रयप्पयोगेण नो परप्पयोगेण उस्सिओदयं वा गच्छइ पयोदयं वा गच्छइ
एवं उरगजाति आसीविसस्स वि, नवरं जंबुद्दीपमाणमेत्तं बोदि विसेणं विसपरिगयं सेसं तं चैव जाव करिस्संति
एवं एएवं अभिलावेणं उदयंते, पोयंते छिद्दते दूसंतं छायंते आयवत्तं जाव नियमा
एवं एएणं अभिलावेण जहा अजीवपज्जवा जाव से एवं एएणं कमेणं जहेव खंदओ तहेव पव्वइओ एवं एक्क्कं संचारेंतेण जाव अहवा एवं एक्क्कं संचारतेहिं जाव अहवा एवं एक्केक्कं पुच्छा । सचित्ते वि काये, अचित्ते वि काये जीवे वि काये अजीवे वि काये जीवाण
वि काये अजीवाण वि काये
एवं कालओ वि, एवं भावओ वि
एवं किं मूलं पास कंदं पासइ ? उभंगो
एव संवेण वि तिणि आलावगा एवं जीवेण
वि तिणि आलावगा भाणियव्वा
८
एवं खेतओ कालो
एवं खेत्त प्रोवि, कालो वि
एवं
सट्टे विजाव अणुपरियट्टइ
सिट्टे वि एवं जाव फासिंदिय
५।१५७-१५६
१४।४६
२।१४२-१४५
११।१०४
७ ५०, ५१
३।२१३-२१५
८६०
१।२७३-२७५
२५।११-१४
१५०, १५१
१२/७७
१२/७६
१३।१२८
८१८४
३।१५८
१।१६४-१६६
८१६०
८१८५
१२।६०-६३
५।१५४-१५६
१४/४५
२।१४१
११।१०४
७ ४१, ४२
३।२१२
5155
१।२७२
प०-५
२।५२, ५३
१२/७७
१२/७६
१३:१२४
८|१८४
३।१५४
१११६१-१९३
८१६०
८१८५
१२५६
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--------------------------------------------------------------------------
________________
एवं चरितावर णिज्जाणं जयणावरणिज्जाणं
अभवसागाव रणिज्जाणं आभिणिवोहिबनाणावरणिज्जाणं जाव मणपज्जव० एवं चैव
एवं चैव
एवं चेव
एवं चैव
एवं चैव
एवं चैव
एवं चैव
एवं चैव
एवं चेव
एवं चेव
एवं चेव एवं छाया एवं लेस्सा
एवं चैव एवं मज्झिमियं चरिताराहणं पि एवं चैव एवं मावि, लोभवसवि जाव अणुपरियदृद
एवं चैव जहा छउमत्थे जाव महा०
एवं चैव जहा परमाहोहिए जाव महा०
एवं चैव जाव
एवं चैव जाव अफासा
एवं चैव जाव अफासे
एवं चैव जाव एवं
एवं चैव जाव बिसरीरेम
एवं चैव जाव वत्तव्वं
एवं चैव तिविहा वि, एवं चरिताहणा वि
एवं चैव नवरं अत्थेगतिए
एवं चैव नवरं केवल नाणावर णिज्जाणं खए भाणियव्वे, सेसं तं चैव
एवं देव नवरं तिरिक्लजोणिदव्वे भाणियध्वं
सेमं तं चैव एवं जाव देवदन्यणा
एवं चेव बितिओ वि आलावगो नवरं परियातिइत्ता पभू
एवं छत्त॑ च॒म्मे दंडे से आउ मोदए
S
६।३२
३।१५५
६।१
४५
६।२५५
११८०
१२।१३०
१२।१४८
१४/२
१६/८१
१८१७५
१४।१३३-१३५
८४६२,४६३
१२।२३-२५
७११४७
७११४६
१८५६
१२।११०
१२।११२
१२/८५
१२।१५७
१२।१६०
८४५३, ४५४
८|४६०
१२६,३०
१७४०
३|१८६
२।१३३
१।३२,३१
२।१५४
६।१
८४५८
६।२५४
११०७८
१२।१३०
१२।१४७
१४/१
१६८१
१८१७४
१४।१३२
८४६१
१२।२२
७११४६
७। १४८
१८५७
१२११०८
१२ १०८
१२।८४
१२।१५४
१२।१५६
८।४५२
८४५८
२१,२२
१७/४०
३।१८८
२।१३३
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--------------------------------------------------------------------------
________________
८।२२३ १८।११२ ६।४४-४६
६।२१,२२
१०१५
नागपखवा
प०४
एवं जहा अट्ठमसए ततिए उद्देसए जाव नो १८१४६ एवं जहा अद्वारसमसए छट्टेसए जाव सिय २०।२७ एवं जहा असोच्चाए तहेव जाव केवल एवं जहा आभिणि बोहियनाणस्स वत्तव्वया भणिया तहा सूयनाणस्स वि भाणियव्वा नवरं-सुयनाणावरणिज्जाणं कम्माण खओवसमे भाणियव्वा । एवं चेव केवलं ओहिनाणं भाणियव्वं, नवरं-ओहिनाणावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमे भाणियव्वे । एवं केवलं मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा नवरं-मणपजनवनाणावरणिज्जाणं कम्माणं ख प्रोवसमे भाणियव्वो ६।२३-२८ एवं जहा इंदादिसा तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव अद्धासमए
११४१०० एवं जहा इंदियउद्देसए पढमे जाव वेमाणिया जाव तत्य य जे ते उवउत्ता ते जाणंति, पासंति, आहारेति । से तेणट्रेणं निक्खेवो भाणियवो
१८६६-७१ एवं जहां उसभदत्तो तहेव पव्वइओ नवरं पंचहि पुरिससएहिं सद्धिं तहेव जाव
६२१४,२१५ एवं जहा ओववाइए अम्मडस्स वत्तव्वया जाव १४।११०-११२ एवं जहा ओववाइए कूणिओ जाव निगच्छइ हा२०६ एवं जहा ओववाइए जाव आराहगा
१४।१०७-१०६ एवं जहा ओववाइए तहेव भाणियव्वं जाव आलोयं
हा२०४ एवं जहा कालासवेसियपत्तो तहेव भाणियव्वं जाव सव्व०
६।१३३-१३५ एवं जहा कोहव पट्टे तहेव जाव अणु परियट्टइ १२।५६ एवं जहा खंदए जाव जओ
१५।१५७ एवं जहा खंदए जाव से तेणट्रेणं जाव नो असरीरी १६३.४ एवं जहा खंदओ जाव एवं
७।२०३ एवं जहा छट्ठसए जाव नो
१६१५२ एवं जहा छ? पए तहा अयोकवल्ले वि जाव महापज्जवसाणा
१६१५२ एवं जहा जीवाभिगमे तिविहे देवपुरिसे अप्पाबहुयं जाव जोतिसिया
१२।१६८ एवं जहा जीवाभिगमे बितिए नेरइयउद्देसए १३१४५
६।१५०,१५१ ओ० सू० ११८-१२०
ओ० सू० ६६ ओ० सू० ११५-११७
ओ० सू० ६४
११४३१-४३३
१२।२२
२॥३८ २।११,१२ २०६८ ६।४
जी० ३; भ० वृत्ति जी०३; भ० वृत्ति
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--------------------------------------------------------------------------
________________
१३।१६६ १३।१५० १११६३ १६।८७ ११।१७८ ८।४३६ ८।४३५
३।१६२ ३।१६६ ३३३
१६।८६ २।१८७; ओ० सू० ५२
८।४१७ ८।४१६
१२।२०२ १३१५०,५१ १२।३३
१२।२०१ १०।३,४ ४।१३६
८४२१
८।४२०
२५।३५६,३६०
२५।३५६,३५७ जी० ३; भ० वृत्ति
एवं जहा तइयसए च उत्थुढेसए जाव अस्थि एवं जहा तइयसए पंचमुद्देसए जाव नो एवं जहा तामली जाव सक्कारेइ एवं जहा तित्यगरमायरो जाव एवं जहा तुंगिउद्देसए जाव पज्जुवासंति एवं जहा तेयगसरीरस्स अंतरं तहेव एवं जहा तेयगस्स संचिट्ठणा तहेव एवं जहा दवियाया कसायाया भणिया तहा दवियाया जोगाया भाणियव्वा एवं जहा दसमसए जाव नामधेज्जेत्ति एवं जहा नवमपए उसभदत्तो जाव भविस्सइ एवं जहा नाणावरणि नवरं दंसणनामं घेतव्वं जाव दंसण० एवं जहा नियंठस्स बत्तव्वया तहा सिणायस्स वि भाणियव्वा जाव सिणाए एवं जहा नेरइयउद्देसए जाव एवं जहा पंचमसए परमाणपोग्गलवत्तव्वया जाव अणगारेणं एवं जहा पढमं पारणगं नवरं एवं जहा पढमसए असंवुडस्स अणगारस्स जाव अणुपरियट्टइ एवं जहा पढमसए चउत्थे उद्देसए तहा भाणियव्वं जाव अलमत्थ एवं जहा पढमसए छटद्देसए जाव नो एवं जहा पढमसए नवमे उद्देसए तहा भाणियव्वं एवं जहा बारसमसए पंचमुद्देसे जाव कम्मो एवं जहा बितियसए अत्थिकायउद्देसए जाव उवओगं एवं जहा बित्तियसए जाव तिविहाए एवं जहा बितियसए नियंठद्देसए जाव अडमाणे एवं जहा रायपसेणइज्जे चित्ते जाव चक्खुभूए एवं जहा रायपसेण इज्जो चित्तो एवं जहा रायप्प सेणइज्जे जाव अट्ट सएणं एवं जहा रायप्पसेण इज्जे जाव खुड्डियं
१८।१६२-१६५ ११।६६
५।१५७ ११॥६४
१२।२२
११४५
७।१५६,१५७ १७१५१-५४ ७।१६५ २०।२१,२२
११२००,२०६ १।२७७-२८०
११४३६ १२।११६,१२०
१३१५६ ६।१४६ १५।६-१२ १८१४० १८१२२१ ६।१८२ ७.१५७,१५८
२।१३७
२।९७ २।१०६,१०७ राय०सू०६७५ राय०सू०६४५ राय०सू०२७६ राय०सू०७७२
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--------------------------------------------------------------------------
________________
१.२
८।४८६
७।२१२,२१३
७।११४ ७।२१ श६७
१२॥५४ राय०सू०२७५ राय सू०६२-६५
१४।१७,१८ १३।१२४
एवं जहा वेयणिज्जेण समं भणिया तहा पाउएण वि समं भाणियव्वं ।
८।४८८ एवं जहा सत्तमसए अण्णउत्थियउद्देसए जाव से
१८।१३४,१३५ एवं जहा सत्तमसए दुस्समउद्देसए जाव अपरिया
८४२२ एवं जहा सत्तमसए पढमउद्देसए जाव से १०।१४ एवं जहा सदुद्देसए जाव निव्वुडे नाणे केवलिस्स १।१२४ एवं जहा सुत्तस्स तहा दुब्बलियवत्तव्वया भाणियव्वा, बलियस्स जहा जागरस्स तहा भाणियव्वं जाव संजोएत्तारो
१२।५६ एवं जहा सरियाभस्स अलंकारो तहेव जाव चित्तं ६।१६० एवं जहा सूरियाभो
१६॥६०-६३ एवं जहेव नेरइयाणं नवरं देवे
१४११६,२० एवं जहेव भासा
१३।१२६ एवं जहेव विजयगाहावई नवरं सव्वकामगुणिएणं भोयणेणं पडिलाभेइ सेसं तं चेव जाव चउत्थं १०३६-४४ एवं जहेव विजयस्स नवरं ममं विउलाए खज्जगविहीए पडिलाभेस्सामीति तुटे सेसं तं चेव जाव तच्चं
१५॥३२-३७ एवं जहेव विज्जाचारस्स नवरं तिसत्तखुत्तो
२०१८५ एवं जहेव सक्कस्स जाव तए
१४।२५ एवं जाव अलोए
११।१०८ एवं जाव उत्तर
१११११० एवं जाव भावओ
८.१८८ एवं जाव भावओ
८।१६१ एवं जाव मणपज्जवनाण
है।३१ एवं जाव लोए
११११०८ एवं जाव से
१३।१५६ एवं जाव हुंडे
१४।८१ एवं जोगो, उवयोगो, सघयणं, संठाणं, उच्चत्तं, आउयं च एयाणि सव्वाणि जहा असोच्चाए तहेव भाणियव्वाणि
६।५८-६३
१०२५-३०
१५।२५-३०
२०१८१ १४।२२ ११।१०८ ११।११० ८।१८८ ८.१६१
६।३१ ११।१०८ ओ०सू०१५० ठा०६।३१
९।३६-४१
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--------------------------------------------------------------------------
________________
१३
११४१
एवं तं चेव नवरं
१११७०
१११६४ एवं तं चेव नवरं नियमं सपडिक्कमे
१३।१४५
१३।१४४ एवं तवे संजमे
११४२,४३ एवं तिण्णि वि भाणियव्वा एवं तिपएसिय वि, नवरं सिय एगवण्णे, सिय दुवण्णे सिय तिवण्णे । एवं रसेसु वि, सेसं जहा दुपएसियस्स । एवं चउपएसिए वि, नवरं-सिय एगवण्ण जाव सिय चउवण्णे । एवं रसेसु वि, सेसं तं चेव । एवं पंचपएसिए वि, नवरं—सिय एगवणे जाव सिय पंचवण्णे, एवं रसेसु वि, गंधफासा तहेव ।
१८।११३-११५
१८११२ एवं तेइंदिया एवं चउरिंदिया
२५।२
२५२ एवं दसणाराहणं पि एव चरित्ताराहणं पि ८४६५,४६६
८।४६४ एवं दरिसणावरणिज्ज पि
६३४
६।३४ एवं धायइसंड दीवं जाव हंता
१८।१५३
१८१५२ एवं नाणी आभिणिबोहियनाणी जाव केवलनाणी अण्णाणी मइअण्णाणी सुयअण्णाणी विभंगनाणी ए एसि दसह वि [अट्ठण्ह वि (अ)] संचिट्ठणा जहा कायट्ठितीए अंतर सव्वं जहा जीवाभिगमे अप्पाबहुगाणि तिण्णि जहा बहुवत्तव्वयाए ८।१६३-२०७ प०१८;जी०१०प०३;भ०वत्ति। एवं नो आयकम्मुणा, परकम्मुणा । नो आयप्पयोगेण, परप्पयोगेणं । उसिओदयं वा गच्छइ, पयोदयं वा गच्छइ
३११७५-१७७
३।१७४ एवं पडिउच्चारेतव्वं
११३४
११३३ एवं परउत्थियवत्तव्वया नेयव्वा जाव इत्थिवेदं ।
११४२० एवं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू
३।२१०
३।२०६ एवं बितिओ वि आलावगो नवरं बाहिरए पोग्गले परियाइत्ता पभू
३।२४१
३।२४० एवं वोरियायाए वि समं
१२।२०३
१२।२०३ एवं वेदणापरिणाम
१४।४१
१४।४० एवं संपत्तेणवि चत्तारि आलावगा भाणियव्वा जहा असंपत्तेणं
८।२५१
चा२५१ एवं संवरेण वि
है।३१
९।३१
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--------------------------------------------------------------------------
________________
एवं संसारं आउलीकरेंति एवं परित्तीकरेंति एवं दीहीकरेंति एवं ह्रस्सीकरेंति एवं अणुपरिट्टेति एवं वीईवयंति पसत्था चत्तारि अपसरथा चत्तारि
एवं स प सु आ व पसत्यं नेयब्व एवं सव्वजीवा वि अनंतसुत्तो
एवं सिणायस्स वि
एवतियं जाव करेज्जा
एवमाक्स जाव उबवत्तारो
एवमाइक्खइ जाव एवं
एवमाइक्खति जाव एवं
एवमादयति जाव पति
एवमाइवसामि जाव एवामेव
एवमाश्वखामि जाव परूवेमि
एसणिज्जं जाव साइम
ओहं जाव विहरइ
ओग्महे जाव धारणा
प्रोग्गहो जाव धारणा
ओभासंति जान पभासेंति
ओभासेद जाव छदिसि
ओराल जाव अतीब
ओरालिए जाव कम्मए ओवसमिए जाव सन्निवाइए
ओसप्पिणी जाव समणाउसो
ओहिनाणी रुविदव्वाई जाणइ पासद जहा
नंदीए जाव भावओ
ओरालेणं जाय किसे
०
कलिए जब कलुस कंखियस्स जाव कलुस ० कंचुइज्जपुरियो वि तहेब अक्खाति, नवरं धम्मघोसरस अणगाररस आगमणमहियविणिच्छए करयल जाव निग्गच्छइ । एवं खलु देवानुप्पिया ! विगलरस अरहओ
૪
१।३८६-३६१
३७२
१२।१५२
२५।३५०
२४/४७,५०
७ १६३
१५४७,२७
१/४४४
१२४४२
५।१३७
१४२१
७।२४
१५६
२०/२०
८।१००
७।२२ε
११२५८-२६६
२०४३
१०१५ १६ १७
१७।१६
५।२३
१८६
२/६६
६२३२
१११८४
११३८४,३८५
३।७२
१२।१५१
२५।३५७
२४।२७
७।१९२
१।४२०
११४२०
१४२०
५।१३६
१ ४२०
७।२२
२।३०
१२।११०
वाहन
७ २२८
वृत्ति १०११
२४२
८३६६
१४/८१
યાર
नंदी सू०२२
२।६४
२।२७
२।२७
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--------------------------------------------------------------------------
________________
६।४
पओप्पए धम्मघोसे नाम अणगारे सेसं तं चेव जाव सो वि तहेव
११।१६४-१६६
६।१५८ कते जाव किमंग
६।२१०,१३।११०
।१६६ कंदजीवफुडा जाव बीया
७।६४
ठा० १०११५५ कडच्छुयं जाव भंडगं
११।६३,७२
१११५६ कडे जाव जे
१८१८०,८१
७.१६० कडे जाव निसि?
१॥३७१
११३७१ कडे जाव सव्वेणं
१११२१
१।११६ कणग जाए संतसार
६।१७५,११११५६
३।३३ कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा
१६६१२६,१७१८३
१।१०२ कण्हलेस्साणं जाव विसेसाहिया
१७१८४
१७१८३,१।१०२ कण्हसुत्तगं जाव सुक्किल
१६९५
८.३६ कतिवण्णे जाव कतिफासे
२।१२६
२।१२५ कप्पे जाव उववण्ण
६।२४३
६।२४३ कम्माई जाव महा०
६।४ कम्मा जाव कजति
७।२२५
७।२२४ ० कम्मा जाव पओग०
८।४२३,४२६-४३२
८.४२० ० कम्मा जाव बंधे
८।४२२
८।४२० कम्मे जाव सुहे
७१६०
७११६० कय जाव गहिय०
६।२०२
६।२०१ कय जाव पायच्छित्ते
१११११६
२०६७ कय जाव सरीरा
११।१४०
२।९७ कयबलिकम्मे जाव विभूसिए
६।२०५
७१७६ कयबलिकम्मे जाव सरीरे
६।१८६
२०६७ कयरे जाव विसेसाहिए वा
११११६
१११०८ कयरेहितो जाव अप्पाबहुगं जहा तेयगस्स ८।४३७
८।४१८ कय रेहितो जाव विसेसाहिया ५।१८१,२०६,६।५२,७१३६,४६,१४५;
८।८४,२१२-२१४,३८५,४०४,४११,४१८ ४४७।६।१०१,१०६,११३,११८,११६; १११११३;१२।६६,१००,१६७,१६८,२०५; १३।६११६।१२७;१६।२४;२०१८,१०३, १०४,१०६-१११,१३२,२५।३,७,३६,१६३, १६४,१६७,२०६-२११,२३६-२३६,२४६, ३६२,४५१,४८८,४६६,५५०
१।१०८
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--------------------------------------------------------------------------
________________
२१४५ २०६८ २०६८
२०६८ उ०११३६
३।१७ ६।१४२ ६।१८२
२०६८ १।१०
१।१० प्रो० सू० ६६
कयाइ जाव णिच्चे
२।१२५ करयल०
६।१४२,१६०,१८६,११।१४०,१४७ करयल जाव एवं
६।१८८,११११३५,१४४ करयल जाव कटु
७।२०३।९।१४०,११।६१,१४३ करयल जाव कूणियस्स
७।१७५ करयल जाव जएण
६।१८२ करयल जाव पडिसुणेत्ता
६।१८५ करयल जाव वद्धावेत्ता
६।२०१ करयलपरिग्गहियं
११।१६८,१५।१७४ करेइ जाव नमंसित्ता
२।६८,३।११२;६।१५० करेइ जाव पज्जुवासइ
२१४३ करेत्ता जाव तिविहाए
२०६७।६।१६२ करेत्ता जाव नमंसित्ता
२।५२ कलहे जाव मिच्छा०
१२।१०७ कल्लाण जाव दिसू
११११४२ काइयाए जाव पचहिं
११३७११६।११७ काइयाए जाव पाणाइवाय.
५१३४ काइयाए जाव पारिया०
११३७१ कालो य भावो य जहा लोयस्स तहा भाणियव्वा, तत्थ
२।४७ कालं जाव करेज्जा
२४।४४ कालगएहिं जाव पव्वइहिसि
६।१७३ कालत्ते वा जाव लुक्खत्ते
१७।३५ कालस्स जाव देवसंसार जाव विसेसाहिए १११११ कालाग्रो जाव खिप्पामेव
६।१०२ कालोदायी जाव अप्पवेयण०
७।२२७ किच्चा जाव उववन्ना
१०१५९ किच्चा जाव कहि
१४।१०३,१०५ कुंथस्स य जाव कज्जाइ
७.१६३ कुंभकारीए जाव वीइवयामि
१५६७ कूडागारसालदिटुंतो भाणियब्वो
३।२६ केणट्रेणं जाव अपरिग्गहा
५।१८३ केणट्रेणं जाव अभक्खेया
१८।२१६ केणटेणं जाव इनो
१।४६
११० १३८४ ११।१३४ ११३६५ ३११३४ ११३६५
२।४५ २४।२७ ६।१६६
१७।३३ १।१०३,१०८
६।८५ ७।२२७ १०।४८ १४।१०१
७।१६३
१५०८२ रायसू० १२३
५।१८२ १८।२१५ ११३४,४८
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--------------------------------------------------------------------------
________________
१७
५।६७
१६।३०
५।१०१ ११३४,४४
११६१
५।१०३
११३७३ ३।२२४ ५।१०५ १४१७८ ३३१४७ २।१३६
७।४ ५।२४८
केणट्रेणं जाव केवली
५१०६ केणट्रेणं जाव गेण्हित्तए
३।११८ केणटेणं जाव जरा केणटेणं जाव ण
५।१०२ केणटेणं जाव नो
११४५ केण?णं जाव नो
११६७ केणटेणं जाव नो
५७० केण?णं जाव पभू णं अणुत्तरोववाइया देवा जाव करेत्तए
५॥१०४ केणटेणं जाव परायिज्जति
११३७४ केणटेणं जाव पासइ
३।२३० केणट्टेणं जाव पासंति
५।१०६ केणट्रेणं जाव पासंति
१४१७६ केण?णं जाव भवइ
३१४८ केणट्रेणं जाव वत्तव्वं
२।१३७ केणटेणं जाव संपराइया
७.५ केणद्वेणं जाव समया
५१२४६ कोलट्टिमायमवि जाव उवदंसेत्तए
६।१७३ कोहे जाव मिच्छादसणसल्ले
११२८६ खंदया जाव अणंता
२।४६ खंदया जाव कि अणते सिद्ध तं व जाव दव्वग्रो २०४८ खंदया पुच्छा
२१४७ खलु जाव दव्वग्रो
२।४६ खीणे जाव अंत
११४१६ खीरधाईअो जाव अट्ठ
११।१५६ खेत्तं जाव पभासेइ
श२५७ खेत्तादेसेण वि एवं चैव कालादेसेण वि भावादेसेण वि एवं चेव
श२०५ खेतोहिमरणे जाव भवो०
१३।१३६ गंगेया जाव उववज्जति
६।१२६ गच्छमाणस्स जाव आउत्तं
७।१२५ गतिनामनिहत्ता जाव अणुभाग०
६।१५२ गमणिज्जं जाव तहा
१११३६ गय जाव सण्णाहेति
७।१७५
११३८४ २१४५,४४ २।४५,४४ २।४५,४४
२।४५
११४१६ आयारचूला १५३१४
११२५७
५।२०५ १३११३१ ६।१२६ ३११४८
१११३६ ७११७४
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--------------------------------------------------------------------------
________________
१८
१५।११६ १७।६२ १७१७ ११३६७,४०८ ६४ १६।६७ १३।१०४ १३।१०५
१५।११६
८।१०३ ५।१३५ ११३६२ ६।४ १७
१७
गयतेए जाव विणट्ठतेए गयपति वा जाव वसभपति गरुयत्ताए जाव पच्चोवयमाणे गरुया जाव अगरुय ° गाढीकयाइं जाव नो गामाणुगामं जाव जेणेव गामाणुगामं जाव विहरमाणे गामाणु जाव विहरमाणे गाहा एवं उववाएयव्वा गाहावइ जाव केइ गुणसिलामो जाव विहग्इ गुणोववेयं जाव ससि० गेण्हमाणा जाव अदिन्नं गेण्हमाणा जाव दिन्नं गेण्हह जाव अदिन्नं गेण्हह जाव दिन्न गोत्तेणं जाव छटुंछट्टेणं गोयमा जाव अंधयारे गोयमा जाव अणंतखुत्तो गोयमा जाव अत्थे गोयमा जाव चिट्टित्तए गोयमा जाव न गोयमा जाव न गोयमा जाव नवहा गोयमा जाव नो गोयमा जाव पच्चायाती गोयमा जाव परिणमइ गोयमा जाव भोगी गोयमा जाव समे गोयमा जाव सव्व० गोवग्गं जाव पडिबुद्धे गोसालस्स जाव करेत्तए गोसाला जाव नो गोसाले जाव करेत्तए
८।२५० १३।१०० ११११४६ ८।२७६ ८।२८० ८।२७७ ८।२७६ १५६
५।२३७ १२।१३६-१४१,१४७,१४६,१५१
२३५४ १७।३३ ७७५ ७७७ १२।७६ ८।२३५ २। १।१३३ ७।१३६ ७.१५६
२०१ १६।११ १५१८ १५।१११ १५६८
११७ प०६ ८।२४८
२१५६ ११।१३४ ८।२७६ ८.२७६ ८।२७६
८।२७६ १।९।२।१०६
५।२३७ १२।१३४
११३५४ १७।३३
७।७५ ওওও १२१७४ ८/२३५
२९
१११३३ ७।१३६ ७।१५६ १।२०१ १६।६१ १५२६८ १५।१०४ १५/६८
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--------------------------------------------------------------------------
________________
११३०५ हा२०८ ११११६६ ३।१५७
१।२९७ २।३० २०६३ ३।१५४
७।१६६-१७२ ६।१४३ १६।६७ ८।३४
६।१६३-१६७
६८३ ओ० सू० १६
८.३४
घणवाए० चउकक जाव पहेसु चउत्थ जाव विचित्तेहि चउभंगो चउभंगो जहा छ? सए नवमे उद्देसए तहा इह वि भाणियव्वं, नवरं अणगारे इह गई च इह गते चेव पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ, सेसं तं चेव जाव लुक्खपोग्गलं निद्धपोग्गलताए परिणामेत्तए हंता पभू ! से भंते ! कि इहगए पोग्गले परियाइत्ता जाव नो अण्णत्थमए पोग्गले परियाइत्ता विकुव्वइ चंदिम जाव तारारूवा चक्केण जाव पकढिज्ज० चक्खिदिय जाव परिणया चच्चर जाव बहुजणसद्दे इ वा जहा प्रोववाइए जाव एवं ० चडगर जाव परिक्खित्त चरमाणे जाव एगजंबुए चरमाणे जाव जेणेव चरमाणे जाव विहरमाण चरमाणे जाव समोसढे चरमाणे जाव सुहंसुहेणं चलिए जाव निज्जरिज्जमाणे चितिए जाव समुप्पज्जित्था चिट्ठामि जाव गिलामि जाव एवामेव चित्तविचित्त जाव पडिबुद्धे चेव जाव अप्पवेयण चेव जाव अप्पवेयण चव जाव चिट्ठित्तए चेव जाव महावेयण चेव जाव महावेयण छटुंछट्टेणं जाव आयावेमाणं छटुंछट्रेणं जाव आयावेमाणस्स छद्रं तं चेव जाव जिणसइं
ओ० सू० ५२ ६।१६२
११७
११७
१७
११७
१७
६।१५७ ६।१६५ १६१४८ १५।१४५ १३।१०१ १८।१३७ ६।२२३ १।११,४४३ २।४६,६६ २०६६ १६६१ ७।२२६ १८।१०० ५।१११ ७।२२६ १८।१०० १५।१७६ ११११८७ १५।१३
१।११ २०३१ २०६४ १६१६१ ७।२२६ ५।१३३ ५।११० ७।२२६ ५।१३३
३।३३
११।१८६ २।११०१५।१२
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--------------------------------------------------------------------------
________________
७.२३०१८१५३ ६।२१५ १५।११४ १६१४६ ८।२५५ २।३०
२०६३
२।६३ १५।११३ १६६४६
८।२५५ वृत्ति; ओ० सू० ५२
२४।६३ ११।१६६
२४।२८ ओ०सू० १६२; भ०वृत्ति
३।१६७,१६८ १७७
३।१६६
वृत्ति
८।४५६
८।४५५
छट्ठट्ठम जाव अप्पाणं छट्टम जाव मासद्ध छण्हं जाव कालं छिदति जाव धम्मतराएणं छिण्णे जाव दड्ढे जण हे इ वा परिसा निग्गच्छइ जलते जाव आपूच्छइ २ तामलित्तीए एगते एडेइ जाव भत्त० जहण्णकाल जाव से जहा अम्मडो जाव बंभलोए जहा आयड्ढीए एवं आयकम्मणा वि प्रायप्पयोगेण वि भाणियन्वं जहा प्रावस्सए जाव सव्व० जहा उककोसिया नाणाराहणा य दंसणाराहणा य भणिया तहा उक्कोसिया नाणाराहणा य चरित्ताराहणा य भाणियव्वा जहा उदिण्णणं दो पालावगा तहा उवसंतेण वि दो आलावगा भाणियब्वा, नवरं उवदाएज्जा पंडियवीरियत्ताए प्रवक्कमेज्जा बालपंडियवीरित्ताए जहा उववज्झमाणे तहेव उव्वद्रमाणे वि दंडगो भाणियन्वो । नेरइए णं भंते ! नेरइएहितो उव्वट्टमाणे किं देसेणं देसं पाहारेइ तहेव जाव सव्वेणं वा देसं आहारेइ सव्वेण वा सव्वं आहारेइ । एवं जाव वेमाणिया । नेरइए णं भंते ! नेरइएसु उववण्णे किं देसेणं देसं उववण्ण एसो वि तहेव जाव सव्वेणं सव्वं उववण्णे । जहा उववज्झमाणे उव्वट्टमाणे य चत्तारि दडगा तहा उववण्णणं उव्वट्टेणं वि चत्तारि दंडगा भाणियव्वा सव्वेण सव्वं उववण्णे, सव्वेण वा देसं आहारेइ, सब्वेण वा सव्वं आहारेइ । एएणं अभिलावेणं उववण्णे वि उव्वटटे वि नेयव्वं जहा अोराला तहा जहा ओववाइए कूणियस्स जाव परमारं
१।१८१-१८६
१११७५-१८०
१।३२२-३३३ ६।६७,६८
१।३१८-३२१
६।६५,६६ प्रो०सू० ६८
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--------------------------------------------------------------------------
________________
ओ०० ६८ ओ०सू० ६४ ओ०सू० ५२ प्रो०सू० ३५ ओ०सू० ५२ ओ०सू० ३६ ओ०सू० ३४
७.१२२ ७।१७६ १२।१०३
२०४५ २१४६ २।४७ २।३८
२।८-१२
जहा पोववाइए जाव अभिनंदंता
६।२०८ जहा ओववाइए जाव गगण०
६।२०४ जहा ओववाइए जाव गहणयाए
१११८५ जहा ओववाइए जाव लूहाहारे
२५५७१ जहा ओववाइए जाव सत्थवाह.
६।१५८ जहा ओववाइए जाव सव्वगाय०
२५५७१ जहा ओववाइए जाव सुद्धेसणिए
२५१५६६ जहा अोसप्पिणी उद्देसए जाव परस्सरे
१२।१६० जहा कूणिो जाव पायच्छित्ते
७।१६६ जहा कोहे तहेव
१२।१०४ जहा खंदए जाव अणंता
११।१०८ जहा खंदए जाव गद्धपढे
१३।१४२ जहा खंदए जाव परिक्खेवेणं
११।११० जहा खंदए जाव सव्वण्णू
१२।२१ जहा खंदए तहा चत्तारि आलावगा नेयव्वा अणेगसयसहस्स पुढे उद्दाइ ससरीरी निक्खमइ
५।४६-५० जहा खंदओ जाव अण्णसु
६।१३७ जहा खंदओ जाव से
६।१५० जहा गोयमसामी जाव जेणेव
१५।१५३ जहा चोद्दसमसए ततिए उद्देसए जाव पडिसंसाहणया
२५१५८५ जहा तामलिस्स जाव पुत्तेहि
१११५४ जहा तामलिस्स वत्तव्वया तहा नेतव्वा, नवरं चउप्पुडयं दारुमयं पडिग्गहयं करेता जाव विउलं असणपाणखाइमसाइमं जाव सयमेव
३।१०१,१०२ जहा तेयनिसग्गे जाव अवकररासिं
१६४९८ जहा देवाणंदा जाव पडिसुणेइ
१२।३४ जहा नंदीए जाव भावओ
८।१८७ जहा नाणावरणिज्ज
६।३४ जहा नियंठद्देसए जाव तेण
१११७६ जहा पंचमसए जाव जे
६।१२२ जहा पढमसए कालासवेसियपुत्ते जाव सव्वदुक्ख० १२३१
२।२४
२।५२ २।१०७
१४।३२
३।३२,३३ १५।११६
६।१४० नंदी सू० २५
६१३४ २।११०,१११७३
५२२५५ ११४३३
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--------------------------------------------------------------------------
________________
२२
प०१
प०१ १८।१७८,१७६
१।१३३.१३५
१२।१०२ ३१५६-५६ ३०५७-५६
२०६५
११४४३
१३।१२४
जहा पण्णवणाए जाव नालियरी
८।२१७ जहा पण्णवणापदे जाव फला
घा२१८,२१६ जहा परमाहोहिए तहा केवली वि जाव १८.१८०,१८१ जहा परिणमइ दो आलावगा तहा गमणिज्जेण वि दो आलावगा भाणियब्वा जाव तहा १११३६-१३८ जहा पाणाइवाए नवरं अट्ठ फासे
१२।११३ जहा पादुब्भवणा तहा दो वि आलावगा णेयव्वा ३।६०-६३ जहा पादुब्भवा
३२६५-६७ जहा बितियसए जाव जीवियास
८।२७२ जहा भासा तहा भाणि पव्वा किरियावि जाव करणओ
११४४३ जहा भासा तहा मणे वि जाव नो
१३।१२६ जहा रायपसेणइज्जे जाव अट्ट
११११५६ जहा रायपसेण इज्जे जाव कल्लाण०
१३०६८ जहा रायपसेण इज्जे जाव दुवारवयणाई १३।८७ जहा रोहे जाव उड्ढजाणू जाव विहरइ १०१४४ जहा विजयस्स जाव जम्मजोवियफले
१५।१५६,१६० जहा संवडे नवरं पाउयं च णं कम्मं सिय बंधइ सिय नो बंधइ सेसं तहेव जाव वीईवयइ ११४३८ जहा सत्तमसए जाव एगंतपंडिया
८।२७८ जहा सतमसए दुस्समाउद्देसए जाव परिया० जहा सत्तमसए पढमुद्देसए जाव अंतं
११।१८,१३१६० जहा सत्तमसए पढमोद्देसए जाव नो ।
२५.५६७ जहा सत्तमसए बितिए उद्देसए जाव एगंतबाला ८२७३ जहा सत्त मसए संवुडुद्देसए जाव अट्ठो निक्खित्तो १८१५६ जहा सत्तमसए सत्तमुद्देसए जाव से
१०।१४ जहा सत्तमे सए अण्ण उत्थिउद्देसए जाव से १८।१३६ जहा सव्वाणुभूती तहेव जाव सच्चेव
१५।१०७ जहा सालीणं तहा एयाणि वि नवरं पंच संवच्छराई सेसं तं चेव
६।१३० जहा सिवभद्दे जाव पच्चुवेक्खमाणे
१३।१०२
राय०सू० १६१ रायसू० १८५ रायसू० ७५५
१२२८८ १५२६,२७
८.४२३
११४७ ७।२८ ७।११६
७३ ७।२४ ७।२८ ७२० ७।१२६ ७।२१६ १५१०४
६।१२६ ११।५८; राय० सू०
६७३,६७४ ११।१७१ १११८२
जहा सिवस्स जाव विभंगे जहा सिवे जाव पडिगया
१११८७ १५१७८
Page #1134
--------------------------------------------------------------------------
________________
११।१५३
१११६३
१२।५८ २५१५७६
१२।५४ १८।२१२
५७३,७४ १२।१०५,१०६ १२।१०७ ८.४३६
५।६९,७० (१२।१०३ १२।१०३ ८।४३६
१।२६१-२६४ १२।२१
१।२६० १२।२१
जहा सिवो जाव खत्तिए जहा सुत्ता तहा आलसा भाणियव्वा, जहा जागरा तहा दक्खा भाणिय व्वा जाव संजोएत्तारो जहा सोमिलुद्देसए जाव सेज्जा जहा हसेज्ज वा तहा नवरं दरिसणावरणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं निदायंति वा पयलायति वा, से ण केवलिस्स नस्थि अण्णं तं व जहेव कोहे जहेव कोहे तहेव चउफासे जहेव तेयगस्स जाव देसबंधए जहेव लोए य अलोए य तहेव जीवा य अजीवा य । एवं भवसिद्धिया य अभवसिद्धिया य सिद्धी असिद्धी सिद्धा असिद्धा जागरिया जाव सुदक्खु० जाणइ जाव निम्बुडे दंसणे केवलिस्स से तेणटेणं जाणामि जाव जण्णं जायसड्ढे जाव भत्तपाणं पडिसेइ जाव पज्जुवासमाणे जाव वणस्सई जहा एयणद्देसए पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं वत्तव्वया तहा भाणियव्वा जाव सचित्ताचित्त जाव समोसरणं जिणप्पलावी जाव जिणसई जिणप्पलावी जाव पगासेमाणे जोवा जाव अणारंभा जीवा जाव नो जीवा पुच्छा तह चेव जुगवं जाव निउण जुती जाव परक्कमे जुवरायत्ताए जाव सत्थवाहत्ताए जोयण जाव अंतरे
५।१०६ १७।३५
५।६७ १७।३३
१५।१३
२।११०१।१०
५।१८६
वृत्ति
५२३५
१७ १५७७,१३६,१४१ १५७,७७ ११३४ २।१४० २।१४० १४।३ १५॥५३ १२।१४६ १४१६४
१५७ १५०६ १।३३ २।१३६
२।१३६ अ०स० ४१३
१५१५३
२।३० १४।१०
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--------------------------------------------------------------------------
________________
८.२५६ ५।१४१ ११।१८३,१५११६७ १५।१६४
८।२५६ ५।१३६
२०७३ રાકરૂ
२०७३ १०।११ १७।३२ ११।१०६
१११० स०६२
झियाइ जाव नो ठाणस्स जाव अस्थि ठिइक वारण जाव कहि ठिइवएणं जाव महाविदेहे ठिकावणं जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं ठिच्चा जाव तस्स णं जाव नो ण जाव संपाउणति णच्वासणे जाव पज्जुवासइ णावसइ जाव तसकाय पहाए जाव सरीरे तओहिलो जाव अविराहियसामण्णे तं चेव तं चेव तं चेव तं चेव तं चेव तं चेव तं चैव तं चेव उच्चारेयव्व त चेव उच्चारेयवं तं व उच्चारेय ब्वं तं व उच्चारे यवं तं चेव केवलीणं अरगयं वा पार गयं वा जाव पासह तं चेव जाव अंत तं चेव जाव अंत तं चेव जाव अजीवपदेसा तं चेव जव अणंतखुत्तो तं चेव जाव अणते हि तं व जाव अत्यमण तं चेव जाव अफासा तं चव जाव अफासे
७।२०७ १०।११ १७।३३ ११।१०६ ३।१३१८।१४४ २४३७ ११।६३ १५।१८६ ३६६ ५।१२० ५।१८३ ५।२०२ ८।१६० १०।२३ १४.८२,८३ १११४७ १।१६२ १।१६३
१५।१८६
३।३० ५।११६ ५।१८३ ५२०२ ८।१६० १०१२३ १४.८२ १।१४७ १११६२ १।१६३ ५।११७
५।६७ ११२०१ २०७६ १०१५ १२।१३५ ११११०७ ८.३२६ १२।१०६ १२ १११
श२०० २०७६
१०१५ १२।१३४
२।१४० ८.३२६ १२।१०८ १२।१०८
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--------------------------------------------------------------------------
________________
२५
तं चेव जाव अभिग्गह तं चेव जाव आयावण तं चेव जाव आहारेंति तं चेव जाव उवदंसेत्तए तं चेव जाव गाहावइस्स तं चेव जाव छविच्छेदं तं चेव जाव जीवियफले तं चेव जाव तत्थ तं चेव जाव तस्स तं चेव जाव तस्स तं चेव जाव तेण तं चेव जाव तेण तं चेव जाव तेसि तं चेव जाव देव० तं चेव जाव न तं चेव जाव न तं चेव जाव नो तं चेव जाव नोआयाति तं चेव जाव पच्चायाइस्संति त चेव जाव पज्जुवासति तं चेव जाव परिणमइ तं चेव नवरं परिणामेतित्ति भाणियव्व तं चेव जाव पव्वइत्तए तं चेव जाव बेभेलस्स तं चेव जाव रोमकूवा तं चेव जाव वोच्छिण्णा (न्ना) तं चेव जाव साहू तं चेव जाव साहू तं चेव जाव साहू तं चेव पउमावती पडिच्छइ जाव घडियव्वं सामी जाव नो तं चेव पडिउच्चारेयव्वं तं चेव सव्व जाव तं चेव सव्वं जाव अजिणे
३।१०२ १४।७३ ६।१७२ ८२८४ ११।११२ १५२५२ १५.१८६ ३३२२६,२२७ १५७३ १११७७ ११।१८० १११११० हा२३५ १०।४० १२।१३२ ६।१२४ १२।२१२ १५७२ १५।१११ १२।१२० ६।१६७ ६।१७२,१७६ ३।१०३,१०४ ४।१४८ १११७५,७७ १२।५६ १२।५८ १२।५८
११:५६
३।३३ १४१७२ ६।१७१ सा२७७ ११।११२
१५।२७ १५।१८६ ३।२२३,२२४
१५१५६ ११७३ १११७६ ११।१०६ ६२३४ १०।४० १२६१३२ ६१२३ १२।२१२ १५।५८ १५१०४ १२।१२० ६।१६५ ६।१७० ३।३५,३६ ६।१४७ ११।७२ १२५६ १२।५७ १२१५८
१३।११८ १२।२२५ हा२२८ १५७७
६२१३ १२।२२४
हा२२८ १५।३-६
Page #1137
--------------------------------------------------------------------------
________________
२६
१५।१४६ ११४३५ ११३०३ ७।२०३ ३।२६२,२६७ ५।१४ ११६५ १३।१०२,१०४,१५४१७१ १३।१०४ १५।१८ ५।१४३ ५।१४५ श२०२
१५१४७,१४८
११४३४ १।२६७
२०६८ ३।२५२ ५।१४ १२६३ २।३०
१५६८ ५।१३६ ५११३६ ५।२०२
तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव परुणे तणुयस्स जाव कज्ज इ तणुवाए तत्थगए जाव वंदइ तब्भत्तिया जाव चिटुंति तया णं जाव मदरस्स ०तरागा तहेव तलवर जाव सत्थवाह तवसा जाव विहरेज्जा तवेणं जाव करेत्तए तस्स० तस्स जाव अत्थि तह चेव तह चेव नेयव्वं अविसे सियं जाव पभू समियं आउज्जियपलिउज्जिय जाव सच्चे तहेव तहेव तहेव तहेव जाव अडमाण तहेव जाव उस्सुत्तं तहेव जाव एग तहेव जाव ओहि तहेब जाव कासवगं तहेव जाव किच्चा तहेव जाव गवेसणं तहेव जाव तं नो अप्पणा परिभुजेज्जा, नो अण्णेसि दावए, सेसं तं चेव जाव परिट्टवेयव्वे तहेव जाव दिसोदिसिं तहेव जाव ममं विउलेणं महुघयसंजुत्तेणं परमण्णेणं पडिलाभेस्सामीति तुटे सेसं जहा विजयस्स जाव बहुले माहणे २ तहेव जाव वोच्छिण्णा
२।११० ५।११८ ५२१८५ ५२०२ १५।३८ ७/१२६ ७।२१७ ३।११६ ६।१८५ १५।१८६ ६।५५
२।११० ५।११८ ५।१८४ ५।२०२ १५।२४
७२१ ७।२१२ ३।११५
६।१८४ १५१८६
६।३३
८।२५० ७.१८६,१८७
दा२४८ ७.१७७,१७८
१५१४८-५० ११।१८८
१५।२५.२७
११।१८८
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--------------------------------------------------------------------------
________________
तहेब जाव संपरिवित्ताणं
तहेब जाय हंता तायत्तीसाए जाव अण्णेहि
तावतियं जाव महापज्जवसाणा
तावतोसगाण जाव विहरइ तितो जाव नमसत्ता
तिग जाव पहेसु
तिष्णिवि
तिष्णि वि
तिष्णि वि
तियगसंजोगे एक्को न पडइ
तिरिय जाव पल्लंघत्तेए
तीसे य जाव धम्मं तुट्टि जाव मंगलकारए
तुल्तसंखेज्ज
एणं जाव करेत्तए
तेएणं जाव भासरासिं
ते जाव सद्दाविया
तेणट्टेण जपणं इहगए केवली जाव पासंति
ते जाव अण्णाभावं
सेट्टेणं जाव अधिकरणं
पट्टेणं जाव अव्यावहा तेणट्टेणं जाव दिन्चे
पट्टे जाव आवासे
तेणट्टेण जाव उदएण तेणट्टेणं जाव उवदंसेत्तए पट्टेणं जावकज्ज
द्वेणं जा कति
तेणट्टेणं जाव कालतुल्लए
जाव खेत्ततुल्लए
ते
ते
जाव चिट्टित्तए सेपट्टे जाब जंचाचारणे
तेणट्टेणं जाव देवाति०
२७
११।११०
११।१९१
१०/६१
१६/५२
३|४
१५०, १६४, १६५
२१०,२१२,११।११८
११७२,७३
७।५२
७५४
७।५५
१२।२२४
१४६६
१६।५६
११।१३४,१४२
१४ / ८१
१५।२८
१५।१८४
१४/२२
५।१०६
३।२२७
१६।६
१४ ११४
१२।१२६
१३.६८
१४ । १८
५ ११३
७१६४
१६।४२
१४/८१
१४८१
१७/३५
२०१८४
१२।१६७
१११०६
११/७५
३४
१६.४
वृत्ति
१।१०
२३०
७१५२
७५४
७१५५
१२।२२४
१४,६८
२।५१
११।१३४
१४ / ८१
१५
१५।१८२
१४/२२
५.१०६
३।२२४
१६।६
१४ । ११४
१२।१२६
१३/६८
१४।१८
५।११२
७।१६४
१६/४२
१४/८१
१४/८१
१७।३५
२०१८४
१२।१६७
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--------------------------------------------------------------------------
________________
२८
१२।१६६ १२।१६५ २५:१४४
१२।१६६ १२।१६५ २५२१४२
११३५ ११३४६ ३।१६१ ५७० ६/२५
१४३४६ ३।१६१ ५७० ६।२६ १६।३१ १८।१७६ ११३६५ १६।११६ ३।२२४,२३०
१८१७६
१६३६५ १६।११६
३।२२४
५६७
१२।१६८ १४१८१
तेण?णं जाव धम्म० तेणटेणं जाव नर० तेण?णं जाव निरेया तेण?ण जाव नो तेण?णं जाव नो तेणट्रेणं जाव नो तेणटेणं जाव नो तेणद्वेण जाव नो तेण?णं जाव नो तेणटेणं जाव नो तेणद्वेणं जाव पंच तेण?णं जाव पसारेत्तए तेणटेणं जाव पासइ तेणटेणं जाव पास तेणटेणं जाव भाव० तेण?ण जाव भावतुल्लए तेण?णं जाव भासति तेण?णं जाव रह० तेणटेणं जाव लवसत्तमा तेणटेणं जाव वागरेज्ज तेण?णं जाव विग्गहेणं तेणद्वेणं जाव विज्जाचारणे तेण?णं जाव वुच्चइ केवलीणं अस्सि समयंसि जाव चिट्टित्तए तेणटेणं जाव संठाणतुल्लए तेण?णं जाव ससी तेण?णं जाव सिय तेणट्रेणं जाव सिय तेणट्रेणं जाव सोगे तेणटेणं जाव हव्व० तेण?णं जाव हव्वमागच्छति तेयासरीस्स जाव देसबंधए दंडनायग जाव संधिवाल दसणपि एमेव
१२।१६८ १४१८१ १६।३६
७।१८८ १४१८५ १४।१४४ ३४।४ २०८०
७.१८८ १४१५८ १४।१४४ ३४।२,३ २०१८०
५।१११ १४।८१ १२।१२५ १४।५० २५१५ १६।२६ २१८८ २०१८ ८.४४६ ११॥६१ ११४०
५।१११ १४।८१ १२।१२५ १४।५०
२५१५ १६।२६
२।८८ २५१८ ८.४४५ ७।१४६ १२३३
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--------------------------------------------------------------------------
________________
२४
दरिसणावरणिज्ज जाव अतगइयं
६०३३ दव्वओ जाव गुणओ
२।१२८ दव्वसुद्धेणं जाव दाणेणं
१५.१५६ दसम जाव विचित्तेहि
३।१५११५।१८५ दाह जाव दोच्चं
१५।१८६ दाहिणिल्लं जाव गच्छति दिणयर जाव पडिबुद्धे
१६१६१ दिसाचक्कवालेणं जाव आयावेमाणस्स १११७१ दीवं जाव हता
१८११५३ दीवे जाव अद्धमासं
६।१२ दूसमा जाव चत्तारि
६।१३४ देवज्जुती जाव अणुप्पविढे
१६.६४ देवलोगानो जाव महाविदेहे
१५१८५ देवसयणिज्जसि जाव सक्के
१८१५३ देवाउयं चउव्विह
५।६२ देवाणप्पिया जाव उत्तर
३।१२६ देवाणुप्पिया जाव से
११।१४३ देविड्ढीए जाव दिवे
३।१०६ देविड्ढी जाव अभि०
३।१३० देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए
३।५०,५१ देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए
१६।७२ देविड्ढी जाव लड़े
३१५० देहं जाव दुब्बलं
१६।३५ धम्मकहा
१८।४३ धम्मत्थिकाए जाव जीवत्थिकाए चउत्थपएणं ११४००-४०३ धम्मत्थिकायं जाव करेस्सइ
पा६६ धम्मत्थि जाव आगासत्थिकार्यसि
१३८७ धम्माणुया जाव धम्मेण
१२१५४ धम्मोवएसगस्स जाव परिकहेहि
१५९७ धारेमाणे जाव भवति
१११३२ नक्खत्त जाव काम०
१२।१२८ नगर जाव विहराहि
११॥६१ नगरे जाव अडमाणे
२।१०६१५।३१ नमसइ जाव पज्जुवासइ
१४।३०
६।३४ २।१२५ १५१२६
२०६३ १५११८६ १६११६ १६।६१ १११५६ १८।१५२
६७५
६।१३४ राय०सू० १२२
२०७३ ३।१७ प०१ ३।११६ ११११३५
३।१७ ३।२८ ३।१७ १६।६५
३।१७ अं० ३।६५
११।११७ ११३६२२।१२३
८६६ १३।८६ १२।५४ १५॥१६
१११३२ १२।१२८ ओ०सू०६८ २।१०८ २।३०
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--------------------------------------------------------------------------
________________
३०
२।१०३ २०३१ २।३० २०३० १।१० ६।२१३
११५१ १२।१६३
३।१६६ ३।३३ ३३३३ ३३३३
नमसइ जाव पडिगए
१५।१३८ नमंसति जाव कल्लाणं
१५१०४ नमंसामो जाव पज्जुवासामो
२।३३।३८, ९।१३६ नमसामो जाव पज्जुवासामो जाव भविस्सति २०६७ नमंसित्ता जाव पज्जुवासित्ता
२०६६ नमसित्ता जाव पडिगया
१३३११८ नमंसित्ता जाव विहरइ
१२।१२६ नरदेवाणं जाव भावदेवाणं
१२।१६७ नवरं एगओ चक्कवालंपि दुहओ चक्कवालंपि भाणियव्वं
३।१८१ नाइ जाव जेटुयुत्तं
१६।७१ नाइ जाव जेट्टमुत्ते
१८।४७,४८ नाइ जाव तस्सेव
१८१४८ नाइ जाव परिजणेणं
१८।४७-४६ नाइ जाव परिय(ज) ण
३१३३,११६३ नाइ जाव परियणस्स नाइ जाव पुरओ
१८।४८ नाइ जाव राईण
११।१५३ नाण जाव समुद्दा
१११८३ नाणत्तं जाव तं
१८१८१ नाणदसणे जाव तेण
१११७३ नातिदूरे जाव पंजलिकडे
११८५ नासि जाव निच्चे
बा२३३ नासि जाव निच्चे
११।१०८ निदिज्जमाणं जाव आकड्ढे
३।४६ निक्खेवो
६।२५० निग्गंथाणं जाव महा०
६१४ निग्गंथे वा जाव पडिग्गाहेत्ता
७।२२,२३ निग्गथे वा जाव साइम
७।२४ नियंठे जाव नो
२।१६ नियग जाव आमंतेति
१६७१ नियग जाव परिजणं
११।६३ नियग जाव परिजणणं
१६७१ निरंगणयाए जाव पुव्व०
७।१५
३३३३ ३।३३
३३३३ ११।६३ ११।७२ ३।१४३ १११७२
११० ६।२३३ २।४५ ३१४५ ६।२५०
६४४ ७।२२ ७२२ २।१३ ३३३३ ३३३३ ३।३३ ७.११
Page #1142
--------------------------------------------------------------------------
________________
२।१६ ६।१६७ १५।६८ ७।१६० ७१८१ १५।२४,४७,६७ १५२३ ५।६२ १२।२१४ ३।२५३ १६।९१ . १५१८६ १५॥१८६ ८.५० ११११३४
निरुद्धभवपवंचे जाव निट्रिय० निसंते जाव अभिरुइए निस्सिरामि जाव पडिहयं निस्सीला जाव उववन्ता निस्सीला जाव निप्पच्चक्खाण नीय जाव अडमाणे नीय जाव अण्णत्थ नेरइयाउयं वा जाव देवा उयं नोपाया जाव नोआयाति पईणवाया इ वा जाव संवट्टयवाया पउमसरं जाव पडिबुद्ध पंक जाव उव्वट्टित्ता पंचमाए जाव उव्वट्टित्ता पंचिदियओरालिय जाव परिणए पंचिदियसरीरे जाव ससि० पकरेइ जाव अणुपरियट्टइ पकरेति जाव देवाउयं पकरेति जाव देवाउयं पगइभद्दए जाव विणीए पगइभद्दए जाव से णं पगइभद्दयाए जाब विणीययाए पगिज्झिय जाव आयावेमाणे पगिज्झिय जाव विहरइ पगिज्भिय जाव विहरित्तए पच्चक्खाणीणं जाव विसेसाहिया पज्जत्तसंखेज्ज जाव जे पज्जत्ताअसण्णि जाव गतिरागति पज्जत्ता जाव करेज्जा ०पज्जत्ता जाव जोणिए पज्जत्तासुहुमपुढविकाइय जाव परिणया पज्जवासणयाए जाव गहणयाए पडिचोइज्जमाणे जाव निप्पट्ठ० पडिचोएउ जाव मिच्छं पडिसंवेदेइ जाव से
२०१३
६।१६५ १५।६५,६६
७।१८१ ७११२१ २।१०६ १५।१६
५।६२ १२.२११ वृत्ति ; प०१
१६।११ १५।१८६ १५।१८६
८.५० ओ०सू० १४३
११४५ ११३५६ ११३६० ११२८८
२०७० १२८८ ३३३ ३।३३
११३६० ११३६२ ३।१७,५७८,१५५१०४ २।७१ १११७१ १५१८० १५७०,७६ १११५६ ७१५७ २४।६३ २४।३० २४१३३ २४१४१ ८१८
शह७ १५।११६ १५११०० ५१५७
७।५५,४६
२४१५६ २४।२७ २४१२७ २४१२७ ८।१८
२।३० १५।११६ १५९६ ११४२०
Page #1143
--------------------------------------------------------------------------
________________
१६९१
वृत्ति
१८।१४३ २।८० ८.४०६ ७।२४ ८।३७२ ३।१२६६।१५२ १५१५४
८।४०६
७१२४ ८।३६६
१११० १५।२५
पण्णवेति जाव उवदंसेति पभासेमाणे जाव पडिरूवे ०पमत्त जाव आहारग० पमाणे जाव आहार पमादपच्चया जाव आउयं पयाहिणं जाव नमंसित्ता पयाहिणं जाव नमंसित्ता परउत्थियवत्तव्वयं णेयव्वं ससमयवत्तवपाए णेयव्वं जाव इरियावहियं परमाणुपोग्गला जाव किं परामुसइ जाव उव्विहइ परारंभा जाव अणारंभा परियारो जहा सूरियाभस्स जाव परिसा जाव पडिगया पलोट्टइ जाव पडियत्तं पवरकुंदुरुक्क जाव गंध पवर जाव सण्णाहेत्ता पव्वयं तं चेव निरवसेस जाव आणुपुवीए पव्वाविए जाव मए पव्वावेइ जाव धम्म० पसत्थं नेयव्वं जाव प्रादेज्ज० पसत्थं नेयव्वं जाव सुहत्ताए पाणक्खया जाव तेसि पाण जाव उवक्खडावेति पाण जाव कि पाण जाव पडिलाभेमाणस्स पाणाइवायवेरमणेणं जाव मिच्छा० पाणातिवाएणं जाव मिच्छादसणसल्लेणं एवं खलु जीवा गरुयत्तं हव्वमागच्छंति एवं जहा पढमसए जाव वीतिवयंति पाणाणं जाव सत्ताणं पासइ जाव भावओ पासवणत्ताए जाव सोणियत्ताए पासादियाओ जाव पडिरूवाओ
११४४४,४४५ १२१८० ५।१३४ १।३४ १६।५५ १११७४ ११४४० ११।१३६ ७।१६४ २०७० १५।१११ २०५३ ११३५७ ६।२२ ३।२६३ १६७१ ८।२४७ ८।२४६ ११३८५
११४२०,४२१
१२।६६ ५।१३४
११३३ राय०सू०५८
६७७ ११४४० ११।१३३
७।१७४ २६६८,६६ १५।१०४
२०५२ ११३५७
६२० ३१२५३
३१३३ ८।२४५ ८.२४५ ११३८४
१२।४१-४८ ७।११४,११६,१२।५४ ८।१८६ ३११६१ १५८७
११३८४-३६१
७।११४ ८१८६
वृत्ति
२१८०
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--------------------------------------------------------------------------
________________
पासादीए जाव पडिरूवे
पासादीयं जाव पडिरूवं
पिवासापरीस जाव दंसण०
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
पुच्छा
३३
११।५७
१५/८७
८३१६
१२६७
३।१८४
३।२७३, २७५
디디
८२८-३००
८१४२३-४३३
८४६२
८४९४
८४६५
८४६६
८४६७
८४१८
રા૬૪
१०।५७, ६१
१२।७२-७६
१२।११७,११८
१२।२२२
१३।७, ११
१३।६०
१३/६४
१३।१२८
१३।१२८
१४।५६, ५६
१४:१३, १४,६९,१००
१४ । १२८
१७।६२
१८।१०३
१८१०८, ११२,११७
१८१७६
२०।१६,१८
२०/४०
२१८०
२८०
वृति
१।२६०
३।१८३
३।२७२
5155
८।२६५
८४२०
८४६२
८१४९४
८४१५
८४६६
८४६८
८६२४६७
६४२
१०/४६
१२.६१
१२१०२
१२।२२२
१३।२
१३।५६
१३।६१
१३।१२४
१३।१२४
१४ । ५४
१४/२०
१४।१२६
१७।६०
१८१०२
१८/१०७
१८।१७४
२०१४
२०३८
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--------------------------------------------------------------------------
________________
२४।८
१११०८ १३१५३ ११३५७ १३।६१
७।२०४
पुच्छा
२४।२०५ पुच्छा
२५६८ पुच्छा जहा अग्गेयीए
१३।५४ पुट्ठाइ जाव नो
श३७४ पुढे जाव अणतेहि
१३।६८ पुढविकाइयएगिदियपयोगपरिणया जाव वणस्सइ०
८.३ पुढविकाइय जाव परिणया
८१८ पुढविक्काइया जाव उववज्जति
६।१३१,१३२ ०पुढवि जाव बंधे
८।३६० पुढवीए जाव एगमेगंसि
१२२१ पुफिया जाव चिटुंति
७।६३ पुरंदरं जाव दस
३।१०६ पुरत्थाभिमुहे जाव अंजलि पुरिसे जाव अप्पवेयण
७१२२७ पुरिसे जाव पंचिहिं
११३६६ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि जाव किंसंठिया १५॥१३२ पुव्वरत्तावरत्त जाव जागर०
२०६७ पूवि भंते लोयते पच्छा सव्वद्धा
११२६९-३०१ पेते जाव अणाणुपुषी
११२६७ पोग्गला जाव दुहा
१२।७७ पोग्गला जाव नो
१६१५७ पोग्गलाणं जाव सव्वपज्जवाण
२५।१०० पोग्गले जाव विकुव्वइ
७.१६६ पोराणाणं जाव एगंतसोक्खय
११।५६ पोरेवच्चं जाव कारेमाणे
१३।१०२ पोसहसालाए जाव विहरिए
१२।१८ पोसहियस्स जाव विहरित्तए
१२।१३ फरिसे जाव पंचविहे
१२।१२८ फासेत्ता जाव आराहेत्ता
२०५६ बंधइ जाव नो नपुंसगो
८।३०४ बंभचारी जाव पक्खिय
१२।६ बंभचारी जाव विहरइ
१२।११
११४३७
८.१८ ६।१२८ ८।३६० ११२१६
७६३ उवा० २१४०
७।२०३ ७।२२६
११३६५ १५।१२८
२०६६ ११२६७ ११२६० १२७० १६५५
प०३ ७।९१६ ३३३३
३।४
१२।८
१२।६ ओ०सू०१५
२१५६ ८।३०४ १२।६ १२।६
Page #1146
--------------------------------------------------------------------------
________________
८।४३२ १६॥३५ ११।१४२१५।१६७ ११।१८६ १५११४७ १३।११०
८।४३१
१४।३ ११११३५
१११५६
३।२३१-२३३
३।२३३-२३६ हा२४१ ११२००
१४४४
१०१५
११४४ २।१३६
बलमदेणं जाव इस्सरिय० बलवं जाव नि उण बहपडिपूण्णाणं जाव वीइक्ताणं बाहाओ जाव आयावेमाणे बाहाओ जाव विहरइ बाहिरियं जाव पच्चप्पिणंति बितिओ वि आलावगो एवं चेव नवरं वाणारसीए नगरीए समोहणा नेयव्वा रायगिहे नगरे रूबाइं जाणइ पास इ बुझंति जाव अंतं बुझिसु जाव सव्व० बेइंदिया जाव पंचिंदिया भंडं जाव धणे य से अणुवणीए सिया एयं पि जहा भंडे उवणीए तहा नेयव्वं च उत्थो आलावगो-'धणे य से उवणीए सिया' जहा पढमो आलावगो-- 'भंडे य से अणवणीए सिया', तहा नेयव्वो। पढमच उत्थाणं एक्को गमो, बितियतइयाणं एक्को गमो भंते जाव केवली भंते जाव चिटुंति भंते जाव बालपंडियवीरियत्ताए भंते जाव रण्णो भंते जाव से भंते पुच्छा भगवओ जाव पव्वइए भगवओ जाव पव्वइत्तए भगवं जाव एवं भगवं जाव नमंसित्ता
भत्ति जाव अब्भुटेइ भवइ जाव दुहा भवसिद्धिए जाव नो भवित्ता जाव नो भवित्ता जाव पव्वइत्तए
५।१३१,१३२ ५।१११ ११३१३ १।१७६,१८० १०७३ ६।१६४;११।१७२,१३।१०८ २।१४७,१४८ १३।१२० १३।११० ३१२० २।५६ ११११४४ १२।७५ ३।७३ ६।१४ १३।११०
५।१३०,१२६
५।१०६
१।३१२ १११७६,१७७
१०१६५
२०५२ २।१४६ ६।१६७ ६।१६७ २०५७
२१५७ ११।१३५ १२।७४ ३७२ ६।१३ ६।१६७
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--------------------------------------------------------------------------
________________
भवित्ता जाव पव्वयामि
१३।१०८,११० भविस्सइ जाव निच्चे
१०१५१ भावियप्पणो जाव तस्स
१८।१५६ भासासमिया जाव गुत्तबंभचारी
१२।२१ भिज्जति जाव काये
१३११२८ भीए जाव संजायभए
१५२६६ भेदो जहेव वट्टस्स जाव तत्थ
२५२५३ भेदो सव्वो भाणियव्वो
५२६२ भोगा पुच्छा
७।१३४ मंखलिपुत्तस्स जाव करेत्तए
१५१८ मंदरचूलियाए जाव पडिबुद्धे
१६।९१ मझमझेणं जाव पज्जूवासति अभिगमो नत्थि १२।१५ मज्झिमाइं जाव अडमाणे
१५८२ मट्टिया जाव गायाई
१५।१२६ मट्रिया जाव विहरइ
१५।१३२ मद्या जाव एवं
१८।१४३ ० मणुस्स जाव बंधे
८।३६८ मणुस्साउए वि एवं चेव, देवा जहा नेरइया १।११५ मणुस्साउयं दुविहं
५१६२ मणुस्सा जहा ओहिया जीवा णवरं सिद्धवज्जा भाणियव्वा
११३८०,३८१ मणुस्सा जहा जीवा
७१४६ मणस्सा जहा रइया नाणत्तं जे महासरीरा ते बहुत राए पोग्गले आहारेंति आहच्च आहारेति जे अप्पसरीरा ते अप्पतराए पोग्गले आहारेंति अभिक्खणं आहारेंति सेसं जहा नेरइयाणं जाव वयणा
११८६-९५ मणुस्सा जाव उववत्तारो
७।२०५ मणुस्साणं जाव वैमाणियाणं
१४।३५ मणुस्साण य देवाण य जहा नेरइयाणं १११०६,१०७ मरणभयविप्पमुक्का जाव कुत्तिया०
२०६५
।१६७
२१४५ १८।१५६
२१५५ १३।१२४
२१४६ २५१५० २।१३८ ७।१२६ १५।१८ १६६१
२०६७ २।१०६ १५।१२० १५।१२० १८।१४३ ८।३६८ ११११५ प०१
२३७५,३७६
७१४२
१६०-६६ ७.१६२ १४१३३
१६१०४ वृत्ति; ओ०सू० २६; राय० सू०६८६
३।२८
महज्जुईए जाव कहि
३१६८
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--------------------------------------------------------------------------
________________
महतिमहालया जाव अपइट्ठाणे महयाअष्पत्तियं जाव प्रहारेइ महया जाव नो
माह्य जाव भुंजमाणे
मह्याट्ट जाव दिव्वाई
महानिज्जरे जाव निज्जराए
महारण जाव चिट्ठति
महावीरं जाव एवं महावीरं जाव नमसित्ता
महावीरस्स जाव निसम्म
महावीरस्स जाव पव्वइत्तए
महावीरे जाव पज्जुवासइ महावीरे जाव बहिया महावीरे बहिया जाव विहरइ
महिढिए जाव मणुस्सा उयं
महिड्दिए जाव महेसक्खे महिदिसु जाव महाणुभागेसु
महिढी जाव बिसरीरेसु महिढी जाव महाणुभागे
महिढीया जाव महाणुभागा माइताए जवि उववन्नपुव्वा हंता गो
जात
मासाणं जाव कालं
मिच्छदिट्टी जाव रायगिहे
मित्त जाव परियणं
मुंडे जाव पव्वयामि मुच्छिए जाव अभोववन्ने
मुनिसुव्वयं जाव एवं
मुनिसुव्वयस्स जाव निसम्म
मुणिव्वयस्स जाव पव्वयह
य जहा नेरइयाणं
य जाव णाणुपुवी जाति
३७
१३।४३
७।२३
१६।५२
१०1६६
१४ । ७४
६।४
३।२६२
२।११०; १६ । ६४; १८३६
२।६१,१८।६०
१८।१४६
६।१७८
२६६
१८/१३३,२०३
१८१६२
१।३३६
१६।६४
२१८०
१२।१५८
३/४
३।५
१२।१४६
१५।१५२
३।२२५
३।३३
१६।७०
१४ ८२, ८३
१८ |४४
१८।४४
१८।४७
१११०
१२६६
१।३१३
१३।१२
७२२
६४
३|४
३|४
६४
३।२५२
२।५७
२।५७
२१५२
६।१६७
१1१०
७।२२१
७।२२१
१1३३६
१।३३६
३/४
१२।१५४
३/४
३/४
१२।१४५
१५।११४
३।२२२
३।३३
६।१६७
७।२२
१६ / ७०
१६।७०
१८४६
१।१०८
१२६०
१।३१३
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--------------------------------------------------------------------------
________________
३८
१०८५ १३।११० १११५६ १२२११
२।३० राय०सू०७६०
३।३३ २०७१
५।६२
३४
२१७५ राय० सू१०
७.१७७
७११७४
७।१६६ ७।१६५ १३।१११ १५११७४ १५।१७२,१७५ ३१३४ ८२६२
१३।१०२ १५।१७१
२।३० ८:२६१
७२१४
२१११०
य जाव भविस्सइ रट्टे य जाव जणवए रयण जाव संत० रयणप्पभा जाव तमतमा रयणप्पभापुढविनेरइयाउयं वा जाव अहेसत्तमा० रयणाणं जाव रिटाणं रह जाव संपरिबुडे रह जाव सण्णाति राईसर जाव कारेमाणे राईसर जाव वदिहिति राईसर जाव सत्यवाह रायं वा जाव सत्थवाह रायगिहं जाव असंपत्ते रायगिहाओ जाव अतुरियमचवलमसभंतं जाव रियं लद्धे जाव गंगदत्तण देवेणं सा दिव्वा देविड्ढी जाव अभिसमण्णागए लभिहिति जाव अविराहियसामण्णे लभिहिति जाव विराहियसामण्णे लावियं जाव पसत्थं लुक्खे जाव धमणि लोए जाव केण लोए जाव दीवा लोए जाव भइयव्वाई लोगस्स लोहकडाह जाव किढिण लोह जाव घडावेत्ता वंदति जाव पडिगए वंदित्ता जाव पडिगए वंदिय जाव भविस्सइ वंदिय जाव लाउल्लोइय० वज्ज जहा सक्कस्स तहेव नवरं विसेसाहियं कायव्वं
रायसू०६६७
१५३१८६ १५।१८६ ११४१७
२०६४
१६१६५ १५॥१८६ १५१८६ ११४१७ ३१३५ २।२८ १११७२ २५१२१ ११।१०६ १११८५,८७ १११५६ १८११२१
२।२६ १११७२ २०२१ ११।१०५ १११७२ १११५६ ११।१८१ ११।१८१ १४।१०१ १४।१०१
१८।१४६
१४।१०५ १४११०३
३।१२२
३११२०
Page #1150
--------------------------------------------------------------------------
________________
१७।३० ६।१७५
१७१३० ६।१६६
१६।३४ १२।१२८ ११।१०८ १४१५० ११३७४ ८।३५,३८,६४ ८.३१,३४ ८१४१३
१४१३ ११३१३३
२।४५ २।१२५ ११३५७ ८.१७ ८।१७ ८१४१३
२८ १३८६
२१८
१३८७
वट्टमाणस्स जाव जीवाया वढियकुलवंस जाव पव्वइहिसि वण्णओ जाव निउणसिप्पोवगया, नवरं चम्मेट्र-दुहण-मुट्रिय-समाहयनिचियगत्तकाया न भण्णति, सेसं तं चेव जाव निउण वण्णओ महब्बले कुमारे जाव सयणो० वण्णपज्जवा जाव गरुयलहुयपज्जवा वण्णपज्जवेहिं जाव फास० वद्धाइं जाव उदिण्णाई ०वाइय जाव देव०
वाइय जाव परिणया ०वाइय जाव बंधे वाउयाए णं जाव नीससंति वा जाव ओगाढा वा जाव तप्पक्खियउवासियाए वा केवलीपण्णत्तं धम्म लभेज्ज सवणयाए ? गोयमा ! सोच्चाणं केवलिस्स वा जाव अत्थेगतिए केवलिपण्णत्तं धम्म वा जाव तेउलेसे वा जाव मोक्खो वा जाव विण्णवेत्तए वारि जाव विणिम्मुयमाणी वालुय जाव उव्वट्टित्ता वासुदेवमायरो जाव वक्कम वि एवं चेव, नवरं समयखेत्तप्पमाणमेत बोंदि विसेणं विसपरिगयं, सेसं तं चव जाव करिस्संति विक्किणमाणस्स जाव भंडे विच्छिण्णे जाव उप्पि विजए जाव सव्वट्ठसिद्ध विजयअणुत्त रोववातियजाव परिणया वि जाव अहियासियं विजाव नो
&ा५२,५३ ११११२ १२१८६,१६० ६।१७६ ६।२१३ १५॥१८६ १६१८८
81६,१० ११।१२ १११८६
६।१७७ ना०१।१।१४८
१५१८६
८६१ ५।१३० ७.३ ६।१२१ ८.१७ १५।१८२ ११३४,३५
८८८ ५।१२६ ५।२५५ ५।२२२
८।१७ १५।१८२
११३३
Page #1151
--------------------------------------------------------------------------
________________
४.
ठा० ८।१३
११२५६
३।४
वि जाव लुक्ख० वि जाव हव्व० वितिकिण्णं जाव एस विपुलेणं जाव उदग्गेणं विरत जाव पावकम्मे विरत जाव धम्माधम्मे विरय जाव एगंतबाला विरसजीवी जाव तुच्छजीवो विसंजोएइ जाव वीईवयाइ वीइक्कते जाव संपत्ते वीतिक्कते जाव बारसमे वीही जाव जवजवाणं वुच्चइ जाव अणंतर वुच्चइ जाव अभक्खेया वुच्चइ जाव आहारति वुच्चइ जाव उववज्जति वुच्चइ जाव कज्ज इ वुच्चइ जाव कज्जति बुच्चइ जाव नो वुच्चइ जाव नो वुच्चइ जाव नोइसिं बुच्चइ जाव पासंति वुच्चइ जाव पोग्गले वुच्चइ जाव भविए वुच्चइ जाव साहू वुच्चइ जाव सिय वुच्चइ जाव सिय वुच्चइ जाव से वुच्चइ जाव सोगे वुच्चइ जाव हव्व० वुच्चइ जाव हव्वमागच्छति ०वें उब्विय जाव बंधे वेदणे जाव पसत्थनिज्जराए वेयति जाव तं
८.३६ १२५६ ३।१६६ ३१३६ १७१२१ १७।१६ ८।२७४ ६।२४२ २०४६ १५।१६६ १५॥१८ २१।१० १४१५ १८।२१४ १४७३ ६१२६ ७।१६४ १६।४२ ३।१११ १४१३० ६।२५० १४७६ ८।५०३ १८।२२० १२।५६ ७।२८ ७५६ ११३७१ १६।२६
२।६४ १७११६ १७।१३ ८.२७३ ६।२४२
२०४६ ११।१५३ ११।१५३
२१११
१४।४ १८।२१४ १४।७२ ६।१२५ ७।१६३ १६।४१ ३।१६० १४।३० ६।२४६ १४।७८ ८।५०२ १८।२१६ १२.५५
७।२८
७१५६
११३७० १६।२८
२१८७ २५.१७ ८३८८
२५॥१८ ८।३८६ ६४ ५।१५०;१७१३७
६।१
३।१४३
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________________
वेमाणिया जाव उववज्जंति वेरमणं जाव थूलाओ वेरमणं जाव सव्वाओ सइत्तए वा जाव तुयट्टित्तए सउदाणे जाव उवदंसेतीति सउट्टाणे जाव वत्तव्वं संगयगय जाव रूव
६।१३२ ७१३२ ७।३१ ७.२१८ २।१३६ २।१३७ है।१६५
संगिण्हणंति जाव वेगावडियं ० संसारपुच्छा सफोरेंट जाव धरिज्जमाणेणं सकोरेंटमल्ल जाव धरिज्ज० सकरप्पभाए जाव उव्वट्टित्ता सच्चे जाव असच्चामोसे सण्णाति वा जाव वईति सण्णिपंचिदिय जाव असंखेज्ज० सत्तविहा जाव अधम्मत्थि० सत्थ जाव किच्चा सत्थपरिणामियस्स जाव पाण. सत्यवज्झे जाव किच्चा सद्दव्वयाए जाव आउय सद्दव्वयाए जाव लद्धि सद्दा जाव फासा सद्धि जाव विहरित्तए सभितरबाहिरिए जाव रयणवासे सभंड जाव साहिए समएणं जाव अंतेवासी समढे जाव चिट्ठित्तए समण जाव एवं समणं वा जाव पडिलाभे समणघायए जाव छउमत्थे समणस्स जाव पव्वइत्तए समयं जाव अंतं हंता सिज्झिस जाव अंतं एते तिणि आलवगा भाणियव्वा ।
५८२ १११०५ ६।१६५ ७।१६६ १५।१८६ १३३१२७ १६।१४ २४१३१६ ११।१०२ १५१८६ ७/२५ १५।१८६ ८.३८८,४१४ ८.४०७ १४।८७ हा२१८ १५।१६६ १५६६ ३।१३४ १७॥३५ ५।२०८ ७८९ १५।१४१ ६।१७०
१२८ ७.३१ ११३८५ ७।२१८ २।१३६
२।१३६ ओ०सू० ५१ का वाचनान्तर पृ० १४६
५१८१ १११०४ ६।१६२
७.१७६ १५।१८६ १३।१२५
१६।१३ २४।१४५
२।१३६ १५।१८६
७.२५ १५।१८६ ८.३६६ ८।३६६ ठा०५१५ ६२१६ १५।१६८ १५९५
११२८८ १७४३३,३४
२०७१
७८ १५।१४१ ६।१६७
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________________
छउमत्थस्स जहा नवरं सिज्झिसु सिझति सिज्झिस्संति समया कम्माणि य चउत्थपदेण समणा जाव पच्चप्पिणंति समाणे जाव तुसिणीए समाणे जाव दुहियाए समारंभति जाव तसकायं समितं जाव अंते समितं जाव नो समितं जाव परिणम समोसढे जाव परिसा सयंभूरमणसमुद्दे जाव हंता सरित्तयं जाव सद्दावेंति सरिसया जाव सरिसभंड० सरीर जाव पयोग सव्वओ जाव करेमाणे सव्वं तं चेव जाव सुहमत्थि सव्वंति जाव वत्तव्वं सव्वजीवाणं एवं चेव सव्वद्दीव जाव परिक्खेवेणं सव्वसत्तेहिं जाव सिय सविड्ढीए जाव रवेणं सस्सिरीए जाव पडिरूवे सहियं जाव अहियासियं सहिस्सं जाव अहियासिस्सं सागरं जाव पडिबुद्धे सावज्ज वि जाव अणवज्जं
सामणियसाहस्सीओ जाव कहि सामाणियसाहस्सीणं जाव चउण्हं सासयं जाव करिस्संति साहणणा जाव मक्खाया साहण्णंति जाव पुच्छा सिंगारागारचारवेसाए जाव कलियाए सिंगारागार चारवेसा जाव कलिया
श२०५-२०७ ११४०६,४०७ ६।१६१ ३१४० ११३५७ ५।१८३ ३।१४५ ३११४६ ३।१४४,१४५ ११।१६० १११८१ ६।२०० ७।२२६ ८।४२४ १५५३ १५।११० ११२६८ १२।१५० ११११०६ ७।२८ ६।१८२ २।११३ १५१८२ १५।१८२ १६१६१ १६।३६ ३।११२ ३।१६ १।२०८ १२।८१ १२७१ १२।१२८ १११११२
श२०१-२०३
१।३६२ ६।१६०
३।३६ ११३५७ ११४३७ ३।१४३ ३११४३ ३।१४३ ६७७ १११७८ ६।१६६ ७।१६८ ८४२० १५१५३ १५१०३
१।२६८ १२।१४६
६७५
७।२७ ओ०सू०६७
२।११३ १५।१८२ १५।१८२ १६।११
१६।३८ उवा०२।४० उवा०२।४०
१।२०१
१२।८१
१२।६६ ६।१६५ ९।१६५
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________________
४३
सिंगारागार जाव कलिया सिंघाडग जाव पहेस
सिंघाडग जाव बहुजणो सिंघाडग जाव समुद्दा सिज्झइ जाव अंतं सिझंता जाव अंतं सिझंति जाव अंत करिस्संति सिज्झिहिति जाव अंत
सिद्ध जाव पयोगबंधे सिद्धा जाव सव्व० सिया जाव अण्णमण्णघडत्ताए सिरिवच्छ जाव दप्पणा सुक्किल जाव पडिबुद्धे सुचिणाणं जाव कडाणं सुणेइ जाव नियमा सुहकामगस्स जाव हिय सेट्रियस्स जाव अपच्चक्खाण० सेवेज्जा जाव करेंज्जा सेसं इसिभ पुत्तस्स जाव अंत सेसं जहा अग्गेयीए नवरं रुयगसंठिया सेसं जहा असुरकुमाराणं जाव अणंतखुत्तो नो चेव ण देवित्ताए सेसं जहा आलभियाए जाव पडिगया सेसं जहा खहचराणं जाव किच्चा सेसं जहा छ उमत्थस्स सेसं जहा नेरइयस्स सेसं जहा पढमं जाव पज्जुवासंति सेसं जहा महासि नाकंटए, नवरं भूयाणंदे हस्थिराया जाव रहमुसलं संगाम ओयाए । पुरओ य से सक्के देविदे देवराया एवं तहेव जाव चिट्ठई सेसं जहा सव्वाणु भूतिस्स जाव अंतं सेसं जहा सालरुक्खस्स जाव अंतं
६।१६६-१९८
६।१६५ २।३०,१११८३,१८८,१५१७, २७,११५,१३६,१४१,१४२
ओ०सू० ५२ १५१७६
१११८३ १११८३
१११७२ ११४६,४७,४१६७।३।१४।३६
११४४ १४१८५
११४४ १४२०८
१२०१ ३१५३,७५,५८०६।२४४;११११८३ २।७३ ८।३८७
८।३८७ ५२५७
११४३३ ५।५८
५२५७ हा२०४
ओ०सू०६४ १६६१
१६।११ ३१३३
प०११ १५।६३
१५६३ ११४३४
११४३४ २४१४१
२४।२७ १२।२७,२८
११।१८२,१८३ १३१५४
१३।५३
१२।१४२ १२।२६ १५१८६ ७।१४८ ७७३ १२।१६
१२।१३६ ११११८१ १५।१८६ ७.१४६
७।६८ १२।२११११७८
७।१८३-१८६ १५।१६५ १४११०४
७।१७४-१७७
१५।१६४ १४११०२
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________________
१४/२० १८।१०६ १४।१०६ ८१८९ ८।२४६ १२।१६१ ११।६८ ६।१५५ १६१८ ११३४७,३।१६१ ७।११४,१२१५४
१४।१८ १८।१०८ १४।१०२
८।८८ ८२४८ १२।१५६ १११६४
१५१ २१७७ २१७७ ७।११४
१९९४
सेसं तं चेव सेसं तं चेव सेसं तं चेव जाव अंतं सेसं तं चेव जाव करिस्संति सेसं तं चेव जाव परिट्रायब्बा सेसं तं चैव जाव वत्तव्वं सेसं तं चेव नवरं सेसं तं चेव सव्व० सोइंदिए जाव फासिदिए सोइंदियत्ताए जाव फासिदियत्ताए सोयणयाए जाव परियावणयाए सोहम्मकप्पउड्ढलोगखेत्तलोए जाव अच्चुय० सोहम्मकप्पो जाव कम्मासीविसे हता जाव भवइ हट्ठ जाव हियए हट जाव हियया हट्ठतुट्ठ हट्टतुटु जाव धाराहयनीव जाव कुवे हट्टतुट्ठ जाव सद्दावेंति हट्टतुट्ठ जाव हियए हट्टतुट जाव हियया हट्टतुढे जाव हियए हत्थं वा जाव ऊर हत्थं वा जाव ओगाहित्ता हत्थं वा जाब चिट्ठति हत्थं वा जाव चिट्टित्तए हत्थं वा जाव पसारेत्तए हरिवेरुलिय जाव पडिबुद्धे हालाहलाए जाव पासित्ता हियकामए जाव हिय हिरण्णं वा जाव परिभाएउं हीलेत्ता जाव आकड्ढ हेऊहि य जाव कीरमाणं हेऊहि य जाव वागरणं
अ०सू०१८६ ८९५
८।९५ ३।१४७
३।१४७ ६।१३६,१६४
२।४३ ५१८७६।१४०,१४२
२१४३ १५।२५
२।४३ ११११४८
११।१३४ २०६७
२।४२; रायसू०६६० २०६८,११११३४,१५११३८,१५३;१८।१३८ २।४३ ३।११०,५८४२११११३३
२।४३ २०५२
२०४३ १६।४६
१६।४६ ५।११०
५।११० ५११११
५।११० ५।१११
५।११० १६।११६
१६।११८ १६।६१
१६।११ १५६७
१५॥८३ १५६५
१५१९२ ११।१६०
१११५६ ३।४५
३४५ १५।११६
१५११६ १५।११७
१५।११६
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________________
परिशिष्ट-२
पूरकपाठ ('नेरइया जाव वेमाणिया' तथा 'नेरइया जाव सिद्धा' का पूरक पाठ) १. नेरइय २. असुरकुमार ३. नागकुमार ४. सुवण्णकुमार ५. विज्जुकुमार ६. अग्गिकुमार ७. दीवकुमार ८. उदहिकुमार ६. दिसाकुमार १०. वायुकुमार ११. थणियकुमार १२. पुढबिकाइय १३. आउकाइय १४. तेउकाइय १५. वाउकाइय १६. वणस्सइकाइय १७. बेइंदिय १८. तेइंदिय १६. चउरिदिय २०. पंचिंदिय २१. मणुस्स २२. वाणमंतर २३. जोइसिय २४. वेमाणिय २५. सिद्ध
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________________
शुद्धि-पत्र
११
१२
पुष्टं
GMMG
५७६
दुक्तवा बलय
मूलपाठ पष्ठ पंक्ति पंक्ति प्रशुद्ध शुद्ध | पृष्ठ
पंक्ति अशुद्ध
शुद्ध ० भय ०भया
दीणस्सरा दीणस्सरा
अणिठुस्सरा अणि?स्सरा २०१७ परिणामेति परिणामेंति
तस्स० भयणाए यह पक्ति मस्साणु मणुस्सा
१६३ सूत्र के अंत में है नेरइइ
नेरइए ३४७
प्रणादिय० अणादीय ० ० व उत्ताय व उत्ते य ४३७
माइणे
माहणे वट्ठमाण वट्टमाण |५०३
अज्झस्थिए अज्झथिए
| ५२३ १७ अणद्धय० अणुद्धय वेदेति वेदेति |५२८
सया--
रायाउडडजाण उड्ढंजाणू
उवज्ज्जति उववज्जति ७६० • द्विती
०गम्ममणट्ठिति
गम्ममाणमाग्गा
मग्गा दुक्खा ७७६ सट्टव
सव्व २८
वलय ওওও संजय
संजम तोरेइ तीरेइ ८२१
महिंदाण -माहिंदाण १२०
सेलोसि०
° मुट्ठि १०३ ___° सुद्दिट्ट
सेलेसि १०३
पाठान्तर वासेहिं बासेहि
पृष्ठ पंक्ति
अशुद्ध १०४
विउलस्स विउलस्य
परित्थणो परित्थणे. घण्मत्थि° धम्मत्थि
२६ ५ १२८ जारिसिया तारिसिया
प्रते
अंतं १३७ ढिच्चा ठिच्चा
भोति
० भोती १४४ जंदूदीवे
(७१३) (७।१३) १४७ जाव जाव ४ १८६ मणूस्सा
मणुस्सा १४७ १३ नं. ४,५, ६ नं. ५, ६, ७,
अहियंजिय अहियं जिय १४७ जाव ७ जाव १०३ १२ त्रैर्युक्ता
तैयक्ता १५१
असुररण्णो
०द्वयोव यो द्वयोर्वाचनयो सहरण
सहत्थ° ११२६ चउध्वीसाए चउव्वीसाए १६३
गतित्तए गमित्तए १४४ १२ एत्दवर्णन"""सन्निभि एतदवर्णन १७४ २० उड्ढावाया उड्ढवाया
.."सन्निभ पलिअ पलिओवमं १६०३ टितिय
तितिय १८६१ व्मायु
°मायु ३ जोयसणसय- 'जोयणसय
२०० ४ पं०१ हरिणेगमेसि णेगमेसि हस्साई सहस्साई
२०० ४ चिनायोः र्वाचनयोः १८५ ८ -वग्गणायण ° - वग्गणाठाण ०
२१० ६, १-६ १-१० ६, १-६ १६१६ वि; तया
तया ४८५ २ प्रमो० प्रथमो० १६१९ ° समुहस्स °समुदस्स | ५१६ ११ पडिबुद्ध पडिबुद्धा २०४ २२,२४,२५ नं० ६,७,८ नं० ७,८, ६८९५
षष्ठ०
Maas Xxx
90.
9xurr4
१६
११७
अण
अणु
जंबुदीवे
असुरण्णो
११२
१५७
१७७
१५४
०षठ
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________________ PRESE laire bary.org