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________________ शुद्धि-पत्र ११ १२ पुष्टं GMMG ५७६ दुक्तवा बलय मूलपाठ पष्ठ पंक्ति पंक्ति प्रशुद्ध शुद्ध | पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध ० भय ०भया दीणस्सरा दीणस्सरा अणिठुस्सरा अणि?स्सरा २०१७ परिणामेति परिणामेंति तस्स० भयणाए यह पक्ति मस्साणु मणुस्सा १६३ सूत्र के अंत में है नेरइइ नेरइए ३४७ प्रणादिय० अणादीय ० ० व उत्ताय व उत्ते य ४३७ माइणे माहणे वट्ठमाण वट्टमाण |५०३ अज्झस्थिए अज्झथिए | ५२३ १७ अणद्धय० अणुद्धय वेदेति वेदेति |५२८ सया-- रायाउडडजाण उड्ढंजाणू उवज्ज्जति उववज्जति ७६० • द्विती ०गम्ममणट्ठिति गम्ममाणमाग्गा मग्गा दुक्खा ७७६ सट्टव सव्व २८ वलय ওওও संजय संजम तोरेइ तीरेइ ८२१ महिंदाण -माहिंदाण १२० सेलोसि० ° मुट्ठि १०३ ___° सुद्दिट्ट सेलेसि १०३ पाठान्तर वासेहिं बासेहि पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध १०४ विउलस्स विउलस्य परित्थणो परित्थणे. घण्मत्थि° धम्मत्थि २६ ५ १२८ जारिसिया तारिसिया प्रते अंतं १३७ ढिच्चा ठिच्चा भोति ० भोती १४४ जंदूदीवे (७१३) (७।१३) १४७ जाव जाव ४ १८६ मणूस्सा मणुस्सा १४७ १३ नं. ४,५, ६ नं. ५, ६, ७, अहियंजिय अहियं जिय १४७ जाव ७ जाव १०३ १२ त्रैर्युक्ता तैयक्ता १५१ असुररण्णो ०द्वयोव यो द्वयोर्वाचनयो सहरण सहत्थ° ११२६ चउध्वीसाए चउव्वीसाए १६३ गतित्तए गमित्तए १४४ १२ एत्दवर्णन"""सन्निभि एतदवर्णन १७४ २० उड्ढावाया उड्ढवाया .."सन्निभ पलिअ पलिओवमं १६०३ टितिय तितिय १८६१ व्मायु °मायु ३ जोयसणसय- 'जोयणसय २०० ४ पं०१ हरिणेगमेसि णेगमेसि हस्साई सहस्साई २०० ४ चिनायोः र्वाचनयोः १८५ ८ -वग्गणायण ° - वग्गणाठाण ० २१० ६, १-६ १-१० ६, १-६ १६१६ वि; तया तया ४८५ २ प्रमो० प्रथमो० १६१९ ° समुहस्स °समुदस्स | ५१६ ११ पडिबुद्ध पडिबुद्धा २०४ २२,२४,२५ नं० ६,७,८ नं० ७,८, ६८९५ षष्ठ० Maas Xxx 90. 9xurr4 १६ ११७ अण अणु जंबुदीवे असुरण्णो ११२ १५७ १७७ १५४ ०षठ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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