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________________ पन्नरसमं सतं ६७६ ७. से णं तओहितो अणंतरं उव्वट्टित्ता-बंभलोगे नाम से कप्पे पण्णत्तेपाईणपडीणायते उदीणदाहिणविच्छिण्णे, जहा ठाणपदे जाव पंच वडेंसगा पण्णत्ता, तं जहा-असोगवडेंसए जाव' पडिरूवा-से णं तत्थ देवे उववज्जइ । से णं तत्थ दस सागरोवमाइं दिव्वाइं भोगभोगाइं जाव चइत्ता सत्तमे सण्णिगब्भे जीवे पच्चायाति ।। से णं तत्थ नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अट्ठमाणं राइंदियाणं वोतिक्कंताणं सुकुमालगभद्दलए मिउ-कुंडल कुंचिय-केसए मट्टगंडतल-कण्णपीढए देवकुमारसप्पभए दारए पयाति । से णं अहं कासवा ! तए णं अहं पाउसो कासवा ! कोमारियपव्वज्जाए कोमारएणं बंभचेरवासेणं अविद्धकण्णए चेव संखाणं पडिलभामि, पडिलभित्ता इमे सत्त पउट्टपरिहारे परिहरामि, तं जहा१. एणेज्जस्स २. मल्लरामस्स ३. मंडियस्स' ४. रोहस्स ५. भारद्दाइस्स ६. अज्जुणगस्स गोयमपुत्तस्स ७. गोसालस्स मंखलिपुत्तस्स। तत्थ णं जे से पढमे पउट्टपरिहारे से णं रायगिहस्स नगरस्स बहिया मंडिकुच्छिसि चेइयंसि उदाइस्स कुंडियायणस्स सरीरं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता एणज्जगस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता बावीसं वासाइं पढमं पउट्टपरिहारं परिहरामि । तत्थ णं जे से दोच्चे पउट्टपरिहारे से णं उइंडपुरस्स नगरस्स बहिया चंदोयरणंसि चेइयंसि एणेज्जगस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता मल्लरामस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता एकवीसं वासाइं दोच्चं पउट्टपरिहारं परिहरामि। तत्थ णं जे से तच्चे पउट्टपरिहारे से णं चंपाए नगरीए बहिया अंगमंदिरंसि चेइयंसि मल्ल रामस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता मंडियस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता वीसं वासाइं तच्चं पउट्टपरिहारं परिहरामि । तत्थ णं जे से चउत्थे पउट्टपरिहारे से णं वाणारसीए नगरीए बहिया काममहावणंसि चेइयंसि मंडियस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता रोहस्स सरीरगं अणुप्पविसामि, अणुप्पविसित्ता एकणवीसं वासाइं चउत्थं पउट्टपरिहारं परिहरामि। तत्थ णं जे से पंचमे पउट्टपरिहारे से णं पालभियाए नगरीए बहिया पत्तकालगंसि चेइयंसि रोहस्स सरीरगं विप्पजहामि, विप्पजहित्ता भारद्दाइस्स सरीरगं १. प०२। २. कुंतल ° (ता)। ३. मंडिसस्स (क, ता, ब)। ४. कालगयंसि (स)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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