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________________ नवमं सतं ( तेत्तीस इमो उद्देसो) ४५६ पडनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे, गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी, जेणेव पुण्णभद्दे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवन महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी - जहा णं देवाणुप्पियाणं बहवे ग्रंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्थावक्कमणेणं' प्रवक्ता, नो खलु ग्रहं तहा छउमत्थावक्कमणेणं' अवक्कते, ग्रहं णं उप्पन्ननाण- दंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिश्रवक्कमणेणं प्रवक्कते ॥ २३१. तए णं भगवं गोयमे जमालि अणगारं एवं वयासी - नो खलु जमाली ! केवलिस्स नाणे वा दंसणे वा सेलंसि वा 'थंभंसि वा थूभंसि वा ग्रावरिज्जइ वा निवारिज्जइ वा जदि णं तुमं जमाली ! उप्पन्ननाण- दंसणधरे अरहा जिणे केवल भवित्ता केवलिश्रवक्कमणेणं प्रवक्कते, तो णं इमाई दो वागरणाई वागरेहि - सासए लोए जमाली ! प्रसासए लोए जमालो ? सासए जीवे जमाली ! सास जीवे जमाली ? o २३२. तए णं से जमाली अणगारे भगवया गोयमेणं एवं वृत्ते समाणे संकिए कखिए • वितिगिच्छिए भेदसमावण्णे कलुससमावण्णे जाए या वि होत्था, नो संचारति भगवो गोयमस्स किंचि विपमोक्खमाइक्खित्तए, तुसिणीए संचिट्ठइ ॥ २३३. जमालीति ! समणे भगवं महावीरे जमालि अणगारं एवं वयासी - अतिथ जमालो ! ममं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था, भू एवं वागरणं वागरित्तए, जहा णं ग्रहं नो चेव णं एतप्पगारं भासं भासित्तए, जहा गं तुमं । सासए लोए जमाली'! जं न कयाइ नासि, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ - भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य-धुवे, नितिए सासए अक्खए, अव्वए, प्रवट्टिए निच्चे । प्रसासए लोए जमाली ! जं प्रसप्पिणी भवित्ता उस्सप्पिणी भवइ, उस्सप्पिणी भवित्ता प्रोसप्पिणी भवइ । Jain Education International सास जीवे जमाली ! जं न कयाइ नासि, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ - भुवि च भवइ य, भविस्सइ य - धुवे, नितिए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए निच्चे । 5 १. छउमत्था भवेत्ता छउमत्था ° ( अ, क, म, स) २. छउमत्था भवेत्ता छउमत्था ( अ, क, म, स ) ३. X ( अ, ब, म ) | ४. सं० पा० - कंखिए जाव कलुस ० । ५. च्चेव (ता) । ६. X ( क, ता) । ७. सं० पा० - नासि जाव निच्चे | For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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