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नवमं सतं ( तेत्तीस इमो उद्देसो)
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पडनिक्खमइ, पडिनिक्खमित्ता पुव्वाणुपुव्वि चरमाणे, गामाणुग्गामं दूइज्जमाणे जेणेव चंपा नयरी, जेणेव पुण्णभद्दे चेइए, जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणस्स भगवन महावीरस्स अदूरसामंते ठिच्चा समणं भगवं महावीरं एवं वयासी - जहा णं देवाणुप्पियाणं बहवे ग्रंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्थावक्कमणेणं' प्रवक्ता, नो खलु ग्रहं तहा छउमत्थावक्कमणेणं' अवक्कते, ग्रहं णं उप्पन्ननाण- दंसणधरे अरहा जिणे केवली भवित्ता केवलिश्रवक्कमणेणं प्रवक्कते ॥
२३१. तए णं भगवं गोयमे जमालि अणगारं एवं वयासी - नो खलु जमाली ! केवलिस्स नाणे वा दंसणे वा सेलंसि वा 'थंभंसि वा थूभंसि वा ग्रावरिज्जइ वा निवारिज्जइ वा जदि णं तुमं जमाली ! उप्पन्ननाण- दंसणधरे अरहा जिणे केवल भवित्ता केवलिश्रवक्कमणेणं प्रवक्कते, तो णं इमाई दो वागरणाई वागरेहि - सासए लोए जमाली ! प्रसासए लोए जमालो ? सासए जीवे जमाली ! सास जीवे जमाली ?
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२३२. तए णं से जमाली अणगारे भगवया गोयमेणं एवं वृत्ते समाणे संकिए कखिए • वितिगिच्छिए भेदसमावण्णे कलुससमावण्णे जाए या वि होत्था, नो संचारति भगवो गोयमस्स किंचि विपमोक्खमाइक्खित्तए, तुसिणीए संचिट्ठइ ॥ २३३. जमालीति ! समणे भगवं महावीरे जमालि अणगारं एवं वयासी - अतिथ जमालो ! ममं बहवे अंतेवासी समणा निग्गंथा छउमत्था, भू एवं वागरणं वागरित्तए, जहा णं ग्रहं नो चेव णं एतप्पगारं भासं भासित्तए, जहा गं तुमं ।
सासए लोए जमाली'! जं न कयाइ नासि, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ - भुवि च, भवइ य, भविस्सइ य-धुवे, नितिए सासए अक्खए, अव्वए, प्रवट्टिए निच्चे ।
प्रसासए लोए जमाली ! जं प्रसप्पिणी भवित्ता उस्सप्पिणी भवइ, उस्सप्पिणी भवित्ता प्रोसप्पिणी भवइ ।
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सास जीवे जमाली ! जं न कयाइ नासि, न कयाइ न भवइ, न कयाइ न भविस्सइ - भुवि च भवइ य, भविस्सइ य - धुवे, नितिए, सासए, अक्खए, अव्वए, अवट्ठिए निच्चे ।
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१. छउमत्था भवेत्ता छउमत्था ° ( अ, क, म, स) २. छउमत्था भवेत्ता छउमत्था ( अ, क, म, स )
३. X ( अ, ब, म ) |
४. सं० पा० - कंखिए जाव कलुस ० ।
५. च्चेव (ता) ।
६.
X ( क, ता) ।
७. सं० पा० - नासि जाव निच्चे |
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