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________________ तइयं सतं (उत्थो उद्देसो) उत्थो उद्देसो भाविप्प-पदं १५४. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा देवं वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहयं जाणरूवेणं जामाणं जाणइ-पासइ ? १६१ गोमा ! १. प्रत्येगइए देवं पासइ, नो जाणं पासइ । २. प्रत्थेगइए जाणं पासइ, नो देवं पासइ । ३. प्रत्येगइए देवं पि पासइ, जाणं पि पासइ । ४. प्रत्थेगइए नो देवं पासइ, नो जाणं पासइ ॥ १५५. अणगारे णं भंते ! भाविअप्पा देवि वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहयं जाणरूवेणं जामाणि जाणइ पासइ ? गोमा ! १. प्रत्येगइए देवि पासइ, नो जाणं पासइ । २. प्रत्येगइए जाणं पासइ, नो देवि पासइ । ३. प्रत्येगइए देवि पि पासइ, जाणं पि पासइ । ४. त्थे गए नो देवि पासइ, नो जाणं पासइ° ॥ १५६. अणगारे णं भंते ! भाविप्पा देवं सदेवी वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहयं जाण - रूवेणं जामाणं जाणइ - पासइ ? गोमा ! १. प्रत्येगइए देवं सदेवी पासइ, नो जाणं पासइ । २. अत्थेगइए जाणं पासइ, नो देवं सदेवी पासइ । ३. प्रत्येगइए देवं सदेवीनं पि पासइ, जाणं पिपासइ । ४. प्रत्येगइए नो देवं सदेवी पासइ, तो जाणं पासइ ° ॥ १५७. अणगारे णं भंते ! भाविप्पा रुक्खस्स किं ग्रंतो पासइ ? बाहि पासइ ? • गोयमा ! १. प्रत्थेगइए रुक्खस्स तो पासइ, नो बाहि पासइ । २. प्रत्थेगइ रुक्खस्स बाहिं पासइ, नो तो पासइ । ३. प्रत्येगइए रुक्खस्स तो पि पासइ, बाहिं पि पासइ । ४. प्रत्येगइए रुक्खस्स नो तो पासइ, नो बादि पासइ ॥ Jain Education International १५८. अणगारे णं भंते ! भाविप्रप्पा रुक्खस्स किं मूलं पासइ ? कंदं पासइ ? गोमा ! १. प्रत्येगइए रुक्खस्स मूलं पासइ, नो कंदं पासइ । २. प्रत्येगइए रुक्खस्स कंदं पासइ, नो मूलं पासइ । ३. प्रत्थेगइए रुक्खस्स मूलं पिपासइ, कंदं पि पासइ । ४. अत्थेगइए रुक्खस्स नो मूलं पासइ, नो कंदं पासइ° ॥ १. जायमाणं ( अ, क, ब, स ) । २. जाइमाणि ( अ, ब ) ; जायमाणि (क, स ) । ३. सं० पा० - एवं चैव । ४. सं० पा० - एतेणं अभिलावेणं चत्तारि भंगा । ५. सं० पा० - चउभंगो । ६. सं० पा० - एवं किं मूलं पासइ, कंद पासइ ? चउभंगो । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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