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भगवई
१४६. तए णं समणे भगवं महावीरे उसभदत्तस्स माहणस्स देवाणंदाए माहणीए तीसे
य महतिमहालियाए इसिपरिसाए' 'मुणिपरिसाए जइपरिसाए देवपरिसाए अणेगसयाए अणेगसयवंदाए अणेगसयवंदपरियालाए अोहबले अइबले महब्बले अपरिमियबल-वीरिय-तेय-माहप्प-कंति-जुत्ते सारय-नवत्थणिय-महुरगंभीरकोंचणिग्धोस-दंदुभिस्सरे उरे वित्थडाए कंठे वट्टियाए सिरे समाइण्णाए अगरलाए अमम्मणाए सुव्वत्तक्खर-सण्णिवाइयाए पुण्ण रत्ताए सव्वभासाणुगामिणीए सरस्सईए जोयणणीहारिणा सरेणं अद्धमागहाए भासाए भासइ-धम्म परि
कहेइ० जाव परिसा पडिगया ॥ १५०. तए णं से उसभदत्ते माहणे समणस्स भगवनो महावीरस्स अंतियं धम्म सोच्चा
निसम्म हटतुटे उठाए उढेइ, उतॄत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुतो प्रायाहिण पयाहिणं करेइ, करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वदासी-एवमेयं भंते ! तहमेयं भंते ! ""अवितहमेयं भंते ! असंदिद्धमेयं भंते ! इच्छियमेयं भंते ! पडिच्छियमेयं भंते ! इच्छिय-पडिच्छियमेयं भंते ! • --से जहेयं तुब्भे वदह त्ति कट्ट उत्तरपुरथिमं दिसिभागं अवक्कमति, अवक्कमित्ता सयमेव ग्राभरणमल्लालंकारं प्रोमुयइ, पोमुइत्ता सयमेव पंचमूट्रियं लोयं करेइ, करेत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिण-पयाहिणं करेइ', 'करेत्ता वंदइ नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-आलित्ते णं भत्ते ! लोए, पलिते णं भंते ! लोए, प्रालित्त-पलिते णं भंते ! लोए जराए मरणेण य । °से जहानामाए केइ गाहावई अगारंसि झियायमाणंसि जे से तत्थ अंडे भवइ अप्पभारे मोल्लगरुए, तं गहाय आयाए एगंतमंतं अवक्कमइ । एस मे नित्थारिए समाणे पच्छा पुरा य हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ। एवामेव देवाणप्पिया ! मज्झ वि आया एगे भंडे इ8 कंते पिए मणण्णे मणामे थेज्जे वेस्सासिए सम्मए बहुमए अणुमए भंडकरंडगसमाणे, मा णं सीयं, मा णं उण्हं, मा णं खहा, मा णं पिवासा, मा णं चोरा, मा णं वाला, मा णं दंसा, मा णं मसया, मा णं वाइय-पित्तिय-सेभिय-सन्निवाइय विविहा रोगायंका परीसहोवसग्गा फुसंतु त्ति कटु एस मे नित्थारिए समाणे परलोयस्स हियाए सुहाए खमाए नीसेसाए प्राणुगामियत्ताए भविस्सइ।
१. सं० पा०-इसिपरिसाए जाव । २. ओ० सू० ७१-७६ । ३. अंतिए (ता)। ४. सं० पा०—तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता।
५. सं० पा०-जहा खंदओ जाव से । ६. सं० पा०-करेइ जाव नमंसित्ता। ७. सं० पा०–एवं एएणं कमेणं जहा खंदओ
तहेव पब्वइओ।
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