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तथा प्रत्येक पंक्ति में ५२ से ५५ तक अक्षर हैं। प्रति सुन्दर और कलात्मक है। बीच-बीच में लाल पाइयां तथा बावड़ी है। लिपि संवत् नहीं दिया गया है। वह प्रति अनुमानतः १६ वीं सदी की है।
(ख) ताडपत्रीय मूलपाठ
वह प्रति जेसलमेर भंडार की ताडपत्रीय ( फोटो प्रिंट) मदनचन्दजी गोठी सरदारशहर द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ४२२ तथा पृष्ठ ८४४ हैं। प्रत्येक पृष्ठ में ३ से ६ तक पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में १३० से १४० तक अक्षर हैं। अंतिम प्रशस्ति में लिखा है
॥ छ ॥ मंगलं महा श्रीः ॥ छ ॥ छ ॥ छ ॥ रा ॥
लिपि संवत् नहीं दिया गया है। यह प्रति अनुमानतः १२ वीं शताब्दी की होनी चाहिए।
(ता) ताडपत्रीय मूलपाठ
यह प्रति जैसलमेर भंडार की ताडपत्रीय ( फोटो प्रिंट) मदनचन्दजी गोठी सरदारशहर द्वारा प्राप्त है। इसके पत्र ३४८ तथा पृष्ठ ६६६ हैं । प्रत्येक पृष्ठ में ५ से ६ तक पंक्तियां और प्रत्येक पंक्ति में १३० से १४० तक अक्षर हैं। अंतिम पत्र पर चित्र किये हुए हैं।
अंतिम प्रशस्ति में लिखा है
। छ | भगवद्द समत्ता ॥ छ ॥ छ ॥ छ ॥ संवत् १२३५ विशाल यदि एकादश्यां गुरौ अपरान्हे लेखकवण चंडेन लिखितमिति ॥
(ब) भगवतो मूलपाठ (हस्तलिखित)
यह प्रति तेरापंथी सभा, सरदारशहर की है। इसके पत्र ४७८ तथा १५६ पृष्ठ हैं। प्रत्येक पत्र १०३ इंच लम्बा तथा ४३ इंच चौड़ा है । प्रत्येक पत्र में १६ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ३८ से ४२ अक्षर हैं । प्रति सुन्दर तथा कलात्मक है । प्रत्येक पत्र में तीन स्थानों पर बावड़ी तथा लाल लाइनें है और हरताल से काम किया हुआ है । अंतिम प्रशस्ति के अभाव में लिपि संवत् अज्ञात है। यह अनुमानतः १६ वीं शताब्दि की प्रति लगती है।
(म) भगवती सूत्र मूलपाठ (हस्तलिखित)
यह प्रति गधेया पुस्तकालय, सरदारशहर की है। इसके पत्र ४८२ तथा पृष्ठ ९६४ हैं । प्रत्येक पत्र १० इंच लम्बा तथा ४ इंच चौड़ा है। प्रत्येक पृष्ठ में १३ पंक्तियां तथा प्रत्येक पंक्ति में ४० से ४५ तक अक्षर हैं । पत्रों के बीच-बीच में लाल पाइयां तथा बावड़ी है ।
इसके अन्त में लिपि संवत् दिया हुआ नहीं हैं, पर वह प्रति लगभग १६ वीं शताब्दी की होनी चाहिए।
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