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________________ ३५२ भगवई २३६. समणोवासगस्स णं भंते ! पुवामेव थूलए पाणाइवाए अपच्चक्खाए' भवइ, से णं भंते ! पच्छा पच्चाइक्खमाणे किं करेइ ? गोयमा ! तीयं पडिक्कमति, पडप्पन्नं संवरेति. अणागयं पच्चक्खाति ।। २३७. तीयं पडिक्कममाणे किं १. तिविहं तिविहेणं पडिक्कमति ? २. तिविहं दुविहेणं पडिक्कमति ? ३. तिविहं एगविहेणं पडिक्कमति? ४. दुविहं तिविहेणं पडिक्कमति ? ५. दुविहं दुविहेणं पडिक्कमति ? ६. दुविहं एगविहेणं पडिक्कमति ? ७. एगविहं तिविहेणं पडिक्कमति ? ८. एगविहं दुविहेणं पडिक्कमति ? ६. एगविहं एगविहेणं पडिक्कमति ? गोयमा ! तिविहं वा तिविहेणं पडिक्कमति, तिविहं वा दुविहेणं पडिक्कमति, एवं' चेव जाव एगविहं वा एगविहेणं पडिक्कमति । १. तिविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ. मणसा वयसा कायसा। २. तिविहं दुविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा ३. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करत नाणुजाणइ मणसा कायसा ४. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा कायसा । ५. तिविहं एगविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा ६. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ वयसा ७. अहवा न करेइ, न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ कायसा। ८. दुविहं तिविहेणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ मणसा वयसा कायसा ६. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा १०. अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा। ११. दुविहं दुविहेणं पडिक्कममाण न करेइ, न कारवेइ, मणसा वयसा १२. अहवा न करेइ, न कारवेइ मणसा कायसा १३. अहवा न करेइ, न कारवेइ वयसा कायसा १४. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा वयसा १५. अहवा न करेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा १६. अहवा न करेइ, करेंतं नाणजाणइ वयसा कायसा १७. अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणजाणइ मणसा वयसा १८. अहवा न कारवेइ, करेंतं नाणुजाणइ मणसा कायसा १६. अहवा न कारवेइ, करतं नाणुजाणइ वयसा कायसा । . २०. विहं एक्कविहणं पडिक्कममाणे न करेइ, न कारवेइ मणसा २१. अहवा न करेइ, न कारवेइ वयसा २२. अहवा न करेइ, न कारवेइ कायसा २३. अहवा १. वाचनान्तरे तु 'अपच्चक्खाए' इत्यस्य स्थाने 'पच्चक्खाए' त्ति 'पच्चाइक्खमाणे' इत्यस्य च स्थाने 'पच्चक्खावेमारणे' त्ति दृश्यते (वृ)। २. ४ (स)। ३. तं (अ, क, ता, स)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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