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________________ १६२ भगवई १४. कण्हलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं पकरेंति-पुच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । अकिरियवादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी य चत्तारि वि आउयाइं पकरेंति । एवं नीललेस्सा वि, काउलेस्सा वि ॥ १५. तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं पकरेंति-पुच्छा। गोयमा ! नो ने रइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्सा उयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । जइ देवा उयं पकरेंति तहेव ॥ १६. तेउलेस्सा णं भंते ! जीवा अकिरियावादी किं नेरइयाउयं-पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । जहा तेउलेस्सा एवं पम्हलेस्सा वि सुक्कलेस्सा वि नायव्वा ।। १७. अलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं-पुच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति ।। १८. कण्हपक्खिया ण भते ! जोवा अकिरियावादी किं ने रइयाउयं-पुच्छा। गोयमा ! नेरइयाउयं पि पकरेंति, एवं चउविहं पि। एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि । सुक्कपक्खिया जहा सलेस्सा ।। सम्मदिदी ण भंते ! जीवा किरियावादी कि नेरइयाउयं-पच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पिपकरेंति, देवाउयं पि पकरेंति । मिच्छादिट्ठी जहा कण्हपक्खिया ।। २०. सम्मामिच्छादिट्ठी णं भंते ! जीवा अण्णाणियवादी कि नेरइयाउयं० ? जहा अलेस्सा । एवं वेणइयवादी वि। नाणी आभिणिबोहियनाणी य सुयनाणी य ओहिनाणी य जहा सम्मद्दिट्ठी ।।। २१. मणपज्जवनाणी णं भंते ! –पुच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो मणुस्साउयं पकरेंति, देवाउयं पकरेंति ॥ २२. जइ देवाउयं पकरेंति किं भवणवासि-पुच्छा। गोयमा ! नो भवणवासिदेवाउयं पकरेंति, नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेंति, नो जोइसियदेवाउयं पकरेंति, वेमाणियदेवाउयं पकरेंति। केवलनाणी जहा अलेस्सा । अण्णाणी जाव विभंगनाणी जहा कण्हपक्खिया। सण्णासु चउसु वि ११. १. भ० ३०।११। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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