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________________ तीसइमं सतं (पढमो उद्देसो) ६६१ जहा सलेस्सा। नोसण्णोवउत्ता जहा अलेस्सा। सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा। अवेदगा जहा अलेस्सा। सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा। अकसायी जहा अलेस्सा। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा। अजोगी जहा अलेस्सा । सागारोवउत्ता अणागारोव उत्ता जहा सलेस्सा ॥ ७. नेरइया णं भंते ! कि किरियावादी-पूच्छा। गोयमा ! किरियावादी वि जाव वेणइयवादी वि॥ सलेस्सा णं भंते ! नेरइया कि किरियावादी? एवं चेव । एवं जाव काउलेस्सा। कण्हपक्खिया किरियाविवज्जिया। एवं एएणं कमेणं जच्चेव जोवाणं वत्तव्वया सच्चेव नेरइयाण वि जाव अणागारोवउत्ता, नवरं-जं अत्थि तं भाणियव्वं, सेसं न भष्णति । जहा नेरइया एवं जाव थणियकुमारा।। ६. पुढविकाइया णं भंते ! कि किरियावादी-पुच्छा। गोयमा! नो किरियावादी, प्रकिरियावादी वि. अण्णाणियवादी वि. नो वेणइयवादी। एवं पुढविकाइयाणं जं अत्थि तत्थ सव्वत्थ वि एयाइं दो मझिल्लाइं समोस रणाइं जाव अणागारोवउत्ता वि । एवं जाव चउरिदियाणं । सव्वट्ठाणेसु एयाई चेव मज्झिल्लगाइं दो समोस रणाइं। सम्मत्त-नाणेहि वि एयाणि चेव मझिल्लगाई दो समोसरणाई। पंचिदियतिरिक्खजोणिया जहा जीवा, नवरंजं अत्थि तं भाणियव्वं । मणुस्सा जहा जीवा तहेव निरवसेसं । वाणमंतर जोइसिय-वेमाणिया जहा असुरकुमारा॥ १०. किरियावादी णं भंते ! जीवा कि नेरइयाउयं पकरेंति ? तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति ? मणुस्साउयं पकरेंति ? देवा उयं पकरेंति ? गोयमा ! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्सा उयं पि पकरेंति, देवाउयं पि पकरेति ।। ११. जइ देवाउयं पकरेंति किं भवणवासिदेवाउयं पकरेंति जाव वेमाणिय देवाउयं पकरेंति ? गोयमा ! नो भवणवासिदेवाउयं पकरेंति, नो वाणमंतरदेवाउयं पकरेंति, नो जोइसियदेवाउयं पकरेंति, वेमाणियदेवाउयं पकरेंति ।। १२. अकिरियावादी णं भंते ! जीवा किं ने रइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पुच्छा । गोयमा ! नेरइयाउयं पि पकरेंति जाव देवाउयं पि पकरेंति । एवं अण्णाणिय वादी वि वेणइयवादी वि ।। १३. सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी किं नेरइयाउयं पकरेंति-पृच्छा। गोयमा ! नो नेरइयाउयं, एवं जहेव जीवा तहेव सलेस्सा वि चउहि वि समोसरणेहि भाणियव्वा ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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