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________________ १६३ तीसइमं सतं (पढमो उद्देसो) जहा सलेस्सा । नोसण्णोवउत्ता जहा मणपज्जवनाणी । सवेदगा जाव नपुंसगवेदगा जहा सलेस्सा। अवेदगा जहा अलेस्सा । सकसायी जाव लोभकसायी जहा सलेस्सा। अकसायी जहा अलेस्सा। सजोगी जाव कायजोगी जहा सलेस्सा। अजोगी जहा अलेस्सा। सागारोवउत्ता य अणागारोवउत्ता य जहा सलेस्सा। २३. किरियावादी णं भंते ! नेरइया कि नेरइयाउयं-पुच्छा । गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति, नो तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति ।। २४. अकिरियावादी णं भंते ! नेरइया-पुच्छा । गोयमा ! नो नेरइयाउयं, तिरिक्ख जोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । एवं अण्णाणियवादी वि, वेणइयवादी वि ॥ २५. सलेस्सा णं भंते ! नेरइया किरियावादो कि नेरइयाउयं० ? एवं सव्वे वि नेरइया जे किरियावादी ते मणुस्साउयं एगं पकरेंति, जे अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी ते सव्वट्ठाणेसु वि नो नेरइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पि पकरेंति, मणुस्साउयं पि पकरेंति, नो देवाउयं पकरेति, नवर–सम्मामिच्छत उवरिल्ल हि दोहि वि समोसरणहि न किचि विपकरति जहेव जीवपदे । एवं जाव थणियकुमारा जहेव ने रइया ॥ २६. अकिरियावादी णं भंते ! पुढविक्काइया-पुच्छा। गोयमा ! नो ने रइयाउयं पकरेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । एवं अण्णाणियवादी वि ।। २७. सलेस्सा ण भंते ! एवं जं जं पदं अत्थि पुढविकाइयाणं तहि तहि मज्झिमेसु दोसु समोसरणेसु एवं चेव दुविहं पाउयं पक रेंति, नवरं-तेउलेस्साए न कि पि पकरेंति । एवं ग्राउक्काइयाण वि, वणस्सइकाइयाण वि। तेउकाइया बाउकाइ प्रा सव्वट्ठाणेसु मज्झिमेसु दोसु समोस रणेसु नो ने रइयाउयं पक रेंति, तिरिक्खजोणियाउयं पकरेंति, नो मणुस्साउयं पकरेंति, नो देवाउयं पकरेंति । बेइंदिय-तेइंदिय-चउरिदियाणं जहा पुढविकाइयाणं, नवरं-सम्मत्त-नाणेसु न एक्कं पि ग्राउयं पकरेंति ॥ २८. किरियावादी णं भंते ! पंचिंदियतिरिक्खजोणिया कि नेरइयाउयं पकरेंति-- पच्छा । गोयमा ! जहा मणपज्जवनाणी । अकिरियावादी अण्णाणियवादी वेणइयवादी य चउव्विहं पि पकरेंति । जहा प्रोहिया' तहा सलेस्सा वि ॥ १. सजोती (ख)। २. ओधिता (ता)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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