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________________ वीसइम सतं (पंचमो उद्देसो) ८१५ कालगा य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, १०. सिय कालगा य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य, ११. सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य, एए एक्कारस भंगा, एवमेते 'पंच चउक्कसंजोगा" कायव्वा, एक्केक्कसंजोए एक्कारस भंगा, सव्वे एते चउक्कसंजोएणं पणपण्णं भंगा। जइ पंचवण्णे? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, सुक्किलए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ४. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, ५. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६. सिय कालगा य नोलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, एवं एए छन्भंगा भाणियव्वा, एवमेते सव्वे वि एक्कग-दुयग-तियग-चउक्कग-पंचगसंजोगेसु छासीयं भंगसयं भवति । गंधा जहा पंचपएसियस्स । रसा जहा एयस्सेव वण्णा । फासा जहा चउप्पएसियस्स ॥ ३२. सत्तपएसिए णं भंते ! खंधे कतिवण्णे० ? जहा पंचपएसिए जाव सिय चउफासे पण्णत्ते । जइ एगवण्णे ? एवं एगवण्ण-दुवण्ण-तिवण्णा जहा छप्पएसियस्स । जइ चउवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य, एवमेते चउक्कगसंजोगेणं पन्नरस भंगा भाणियव्वा जाव सिय कालगा य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य, एवमेते पंच चउक्कासंजोगा नेयन्वा, एक्केक्के संजोए पन्नरस भंगा, सव्वमेते पंचसत्तरि भंगा भवंति। जइ पंचवण्णे ? १. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, २. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, ३. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ४. सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिद्दगा य सुक्किलगा य, ५. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६. सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दगे य सुक्किलगा य, ७. सिय कालए य नोलए य लोहियगा य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ८. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, ६. सिय कालए य नीलगा य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलगा य, १०. सिय कालए य नीलगा य लोहियगे य हालिद्दगा य सुक्किलए य, ११. सिय कालए य नीलगा य लोहियगा य हालिद्दए य सुक्किलए य, १२. सिय कालगा य नीलगे य लोहियए य हालिद्दए य सुक्किलए य, १३. सिय कालगा य नीलए १. पंचचउक्का ° (क, ख, ब); पंचगचउक्का (ता)। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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