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________________ ३३७ अट्ठमं सतं (बीओ उद्देसो) १३४. देवभवत्था णं भंते ! ___ जहा निरयभवत्था । अभवत्था जहा सिद्धा ।। भवसिद्धियाभवसिद्धियं पडुच्च१३५. भवसिद्धिया णं भंते ! जीवा कि नाणी? जहा सकाइया । १३६. अभवसिद्धियाणं पुच्छा। गोयमा ! नो नाणी, अण्णाणी ; तिण्णि अण्णाणाइं भयणाए । १३७. नोभवसिद्धिया-नोग्रभवसिद्धिया णं भंते ! जीवा किं नाणी ? जहा सिद्धा ।। सण्णि-प्रसणि पडुच्च१३८. सण्णीणं पुच्छा। जहा सइंदिया । असण्णी जहा वेइंदिया। नोसण्णी-नोअसण्णी जहा सिद्धा ।। लद्धि-पदं १३९. कतिविहा णं भंते लद्धी पण्णत्ता ? गोयमा ! दसविहा लद्धी पण्णत्ता, तं जहा-१. नाणलद्धो २. दसणलद्धी ३. चरित्तलद्धी ४. चरित्ताचरित्तलद्धी ५. दाणलद्धी ६. लाभलद्धी ७. भोग लद्धी ८. उवभोगलद्धी ६. वीरियलद्धी १०. इंदियलद्धी । १४०. नाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा-पाभिणिबोहियनाणलद्धी जाव' केवल नाणलद्धी ।। १४१. अण्णाणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा -मइअण्णाणलद्धी, सुयअण्णाणलद्धी, विभंगनाणलद्धी ॥ १४२. दंसणलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा ! तिविहा पण्णत्ता, तं जहा--- सम्मदंसणलद्धी, मिच्छादसणलद्धी, सम्मामिच्छादंसणलद्धी॥ १४३. चरित्तलद्धी णं भंते ! कतिविहा पण्णता? गोयमा ! पंचविहा पण्णत्ता, तं जहा- सामाइयचरित्तलद्धी, छेदोवट्ठावणियचरित्तलद्धी, परिहारविसुद्धिचरित्तलद्धी, सुहुमसंपरायचरित्तलद्धी, अहक्खायचरित्तलद्धी । १. भ०८।१७। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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