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________________ ६६६ भगवई नो देवाउयं पकरेंति । एवं अकिरियावादी वि अण्णाणियवादी वि वेणइयवादी वि॥ ३६. सलेस्सा णं भंते ! किरियावादी अणंतरोववन्नगा नेरइया कि नेरइयाउयं पकरेंति-पुच्छा। गोयमा! नो नेरइयाउयं पकरेंति जाव नो देवाउयं पकरेंति । एवं जाव वेमाणिया। एवं सव्वट्ठाणेसु वि अणंतरोववन्नगा नेरइया न किंचि वि पाउयं पकरेंति जाव अणागारोव उत्तत्ति । एवं जाव वेमाणिया, नवरं-जं जस्स अत्थि तं तस्स भाणियव्वं ॥ ४०. किरियावादी णं भंते ! अणंतरोववन्नगा नेरइया किं भवसिद्धीया ? अभव सिद्धीया ? गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया ।। ४१. अकिरियावादी णं-पुच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि । एवं अण्णाणियवादी वि वेणइय वादी वि ॥ ४२. सलेस्सा णं भंते ! किरियावादी अणंतरोववन्नगा नेरइया कि भवसिद्धीया ? अभवसिद्धीया ? गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया । एवं एएणं अभिलावेणं जहेव प्रोहिए उद्देसए नेरइयाणं वत्तव्वया भणिया तहेव इह वि भाणियव्वा जाव अणागारोवउत्तत्ति । एवं जाव वेमाणियाणं, नवरं-जं जस्स अस्थि तं तस्स भाणियव्वं । इमं से लक्खणं-जे किरियावादी सुक्कपक्खिया सम्मामिच्छदिट्ठीया एए सव्वे भवसिद्धोया, नो अभवसिद्धोया। सेसा सव्वे भवसिद्धीया वि, अभवसिद्धीया वि॥ ४३. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति ॥ तइप्रो उद्देसो ४४. परंपरोववन्नगा णं भंते ! नेरइया किरियावादी०? एवं जहेव प्रोहियो उद्देसरो तहेव परंपरोववन्नएसु वि नेरइयादीनो तहेव निरवसेसं भाणियव्वं, तहेव तियदंडगसंगहिरो॥ ४५. सेवं भंते ! सेवं भंते ! त्ति जाव विहरइ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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