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________________ चोद्दसमं सतं (सत्तमो उद्देसो) ६३६ अणंतपएसिए वि । से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ-दव्वतुल्लए-दव्वतुल्लए। से केणद्वेण भंते ! एवं वुच्चइ-खेत्ततुल्लए-खेत्ततुल्लए ? गोयमा ! एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तनो तुल्ले, एगपएसोगाढे पोग्गले एगपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तयो नो तुल्ले, एवं जाव दसपएसोगाढे । तुल्लसंखेज्जपएसोगाढे' •पोग्गले तुल्लसंखेज्जपएसोगाढस्स पोग्गलस्स खेत्तमो तुल्ले, तुल्लसंखेज्जपएसोगाढे पोग्गले तुल्लसंखेज्जपएसोगाढवइरित्तस्स पोग्गलस्स खेत्तो नो तुल्ले °, एवं तुल्लअसंखेज्जपएसोगाढे वि । से तेण?णं' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ°-खेत्ततुल्लए-खेत्ततुल्लए। से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चइ-कालतुल्लए-कालतुल्लए? गोयमा ! एगसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयस्स पोग्गलस्स कालो तुल्ले, एकसमयठितीए पोग्गले एगसमयठितीयवइरित्तस्स पोग्गलस्स कालओ नो तुल्ले, एवं जाव दससमयद्वितीए, तुल्लसंखेज्जसमयद्वितीए एवं चेव, एवं तुल्लअसंखेज्जसमयकृितीए वि । से तेणद्वेणं' 'गोयमा ! एवं वुच्चइ - कालतुल्लए-कालतुल्लए। से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-भवतुल्लए-भवतुल्लए ? गोयमा ! नेरइए नेरइयस्स भवट्ठयाए तुल्ले, नेरइयवइरित्तस्स भवट्ठयाए नो तुल्ले, तिरिक्खजोणिए एवं चेव, एवं मणुस्से, एवं देवे वि। से तेणटेणं •गोयमा ! एवं वुच्चइ ° -भवतुल्लए-भवतुल्लए। से केणद्वेण भंते ! एवं वुच्चइ-भावतुल्लए-भावतुल्लए ? गोयमा ! एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालगस्स पोग्गलस्स भावो तुल्ले, एगगुणकालए पोग्गले एगगुणकालावइरित्तस्स पोग्गलस्स भावनो नो तुल्ले, एवं जाव दसगुणकालए, एवं तुल्लसंखेज्जगुणकालए पोग्गले, एवं तुल्लअसंखेज्जगुणकालए वि, एवं तुल्लाणंतगुणकालए वि। जहा कालए, एवं नीलए, लोहियए, हालिद्दए, सुक्किलए। एवं सुब्भिगंधे, एवं दुब्भिगंधे । एवं तित्ते जाव' महुरे । एवं कक्खडे जाव लूक्खं । प्रोदइए भावे गोदइयस्स भावस्स भावो तुल्ले, प्रोदइए भावे अोदइयभाववइरित्तस्स भावस्स भावनो नो तुल्ले, एवं प्रोवसमिए, खइए, खोवसमिए, पारिणामिए । सन्निवाइए भावे सन्निवाइयस्स १. सं० पा०-तुल्लसंखेज्ज। २. सं० पा०-तेगडेणं जाव खेत्ततुल्लए। ३. सं पा०-तेण?णं जाव कालतुल्लए। ४. सं० पा०--तेणट्रेणं जाव भवतल्लए । ५. ०कालस्स (अ, क, ब, स)। ६. °काल ° (अ, ख, स); स्वीकृतपाठे एकपदे सन्धिः । ७. भ० ८।३६ । ८. भ० ८।३६ : Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003552
Book TitleAngsuttani Part 02 - Bhagavai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Nathmalmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1975
Total Pages1158
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size19 MB
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