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संकेत निर्देशिका
• • ये दोनों बिन्दु पाठपूर्ति के द्योतक हैं । पाठपूर्ति के प्रारंभ में भरा बिन्दु [.] और उसके
समापन में रिक्त बिन्दु [• ] रखा गया है । देखें-पृष्ठ ५ सूत्र ११ । (?) कोष्ठकवर्ती प्रश्नचिन्ह [?] आदर्शों में अप्राप्त किन्तु आवश्यक पाठ के अस्तित्व का
सूचक है। देखें-पृष्ठ ७४ सूत्र ४३६ । [] आदर्शों में प्राप्त किन्त प्रस्तत प्रकरण में अनावश्यक व्याख्यांश पाठ को कोष्ठक में रखा
गया है । देखें-पृष्ठ १०५ सूत्र ६७ । यह दो या उससे अधिक शब्दों के स्थान में पाठान्तर होने का सूचक है । देखें-पृष्ठ ३ । 'वण्णओ' व 'जाव' शब्द के टिप्पण में उसके पूर्ति-स्थल का निर्देश है। देखें-पृष्ठ ३
सूत्र ६ और पृष्ठ ७ सूत्र ७ । x क्रॉस (X) पाठ न होने का द्योतक है। देखें--पृष्ठ ३ टिप्पण १० । • पाठ के पूर्व या अन्त में खाली बिन्दु (०) अपूर्ण पाठ का द्योतक है। देखें--पृष्ठ ३
टिप्पण २; पृष्ठ ४ टिप्पण ७ । 'जहा' आदि पर टिप्पण में दिए गए सूत्रांक उसकी पूर्ति के सूचक हैं । देखें--पृष्ठ १६ टिप्पण ५। अ, क, ख, ता, ब, म, स-देखें-सम्पादकीय में 'प्रति परिचय' शीर्षक । क्व० क्वचित् प्रयुक्तादर्श । सं० पा० संक्षिप्त पाठ का सूचक है। देखें-पृष्ठ ५ टिप्पण १० । वृपा वृत्ति-सम्मत पाठान्तर । देखें—पृष्ठ १५ टिप्पण ४ । वृ वृत्ति का सूचक है । देखें-पृष्ठ १५ टिप्पण ५ । पू० पूर्णपाठार्थं द्रष्टव्यम् । देखें--पृष्ठ ४ टिप्पण १६ । पू०प० पूरक-पाठ परिशिष्ट । देखें-पृष्ठ १२ टिप्पण ४ । अं० अंतगडदसाओ
दसा० दसासुयक्खंधो अणुओगदाराई
नायाधम्मकहाओ उत्तरज्झयणाणि
प० पण्णवणा उवंगा
भगवई उवा० उवासगदसाओ
राय० रायपसेणइयं ओ० ओवाइयं
व० ववहारो जं० जंबुद्दीवपण्णत्ती
जीवाजीवाभिगम ठाणं
अ
.
ना०
उत्त०
भ०
ठा०
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